Rajasthan Board RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 10 अमूल्यं वस्तु
RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 10 पाठ्य-पुस्तकस्य अभ्यास-प्रणोत्तराणि
RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 10 लघूत्तरात्मक प्रश्ना
प्रश्न 1.
अधोलिखित प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत-(निम्न प्रश्नों के उत्तर लिखिये-)
(क) राजकुमार्याः विवाहसम्बन्धे राजानं के प्रार्थयन्ति ? (राजकुमारी के विवाह के सम्बन्ध में राजा से कौन प्रार्थना करते हैं?)
उत्तरम्:
मन्त्रिणः राजकुमार्याः विवाहसम्बन्धे राजानं प्रार्थयन्ति। (राजकुमारी के विवाह के सम्बन्ध में मन्त्री राजा से प्रार्थना करते हैं।)
(ख) बहुमूल्यानि वस्तूनि कां न अभिरुचितानि? (बहुमुल्य वस्तुएँ किसको रुचिकर नहीं लग ?)
उत्तरम्:
बहुमूल्यानि वस्तूनि राजकुमारी नाभिरुचितानि। (बहुमूल्य वस्तुएँ राजकुमारी को रुचिकर नहीं लग 1)
(ग) राजकुमारः कति वर्षादारभ्य जगति पर्यटनं करोति? (राजकुमार कितने वर्ष से संसार का भ्रमण करता है?)
उत्तरम्:
राजकुमारः वर्षद्वयादारभ्य जगति पर्यटन्नस्ति। (राजकुमार दो वर्ष से संसार में भ्रमण कर रहा है।)
(घ) क्षुद्रराज्याधिपतिः कस्य प्रहारेण वीरगतिं प्राप्तः? (राज्य का राजा किसके प्रहार से वीरगति को प्राप्त हो गया?)
उत्तरम्:
क्षुद्रराज्याधिपतिः शत्रोः खड्गस्यप्रहारेण वीरगतिं प्राप्तः। (छेटे राज्य का राजा शत्रु की तलवार के प्रहार से वीरगति को प्राप्त हो गया।)
(ङ) वीरत्वस्य मूल्यं कः जानाति स्म? (वीरता का मूल्य कौन जानता था?)
उत्तरम्:
वीरत्वयस्य मूल्यं राजस्थानस्य राजपुत्रः जानाति स्म। (वीरता का मूल्य राजस्थान का राजपूत जानता था 1) निबन्धात्मका प्रश्नाः
प्रश्न 2.
अधोलिखितानां गद्यांशानां हिन्दी भाषायाम् अनुवादं कुरुत-(निम्नलिखित गद्यांशों का हिन्दी भाषा में अनुवाद कीजिए)
(क) कंचिद्देशमेको………….समानीयोपहरिष्यति।
उत्तरम्:
गद्यांश सं. 1 का हिन्दी अनुवाद देखें।
(ख) इमां घोषणां श्रुत्वा………….सूचनां तस्यै दत्त।
उत्तरम्:
गद्यांश सं. 2 का हिन्दी अनुवाद देखें।
(ग) वर्षद्वयादारभ्य…………युद्धं चाभवत्।।
उत्तरम्:
गद्यांश संख्या 4 का हिन्दी अनुवाद देखें।
(घ) राजा स्वल्पसैनिकैः सह…………भवितुं शक्नोति।
उत्तरम्:
गद्यांश सं. 5 को हिन्दी अनुवाद देखें।
प्रश्न 3.
कथायाः सारं प्रतिपादयत्। (कहानी का सार लिखिए।)
उत्तरम्:
एकस्य नृपस्य एका कन्या सुशिक्षिता विवेकशीला चासीत्। सा तेन राजपुत्रेण सह विवाहं कर्तुम् ऐच्छत् यः तस्मै अमूल्यं वस्तुं आनीय उपहरिष्यति। अनेके राजपुत्राः बहुमूल्यानि वस्तूनि आदाय आगच्छन् परञ्च न तानि तस्याभिरुचितानि आसन्। सर्वे प्रतिगताः। ततः एकः राजस्थानस्य राजपुत्रः आगच्छत्। तस्य हस्ते एक वस्त्रमासीत्। तस्यांचले किचित् बद्धमासीत्। वस्त्रं प्रदाय सोऽवदत् यद् एकं लघुराज्यं कोऽपि अन्यः नृपः आक्रामत्। लघुराज्यस्य राज्याधिपः स्वदेशीय युद्धमानः वीरगतिं प्राप्तः। तस्येव रक्तरञ्जितमिदं रजः। कथां श्रुत्वा राजकुमारी स्वजनक आहूय तेन सह विवाहं कर्तुम् अनुमतिं दत्तवती। सा अवदत्-मे मतानुसारेणायं वीरोऽस्ति। वीरतायाः मूल्यं जानाति। प्राणव्ययेनापि चासौ भवतां देशं सिंहासनं च अभिरक्षेत्। (एक राजा की एक कन्या सुशिक्षित और विवेकशील थी।
वह उस राजपुत्र के साथ विवाह करना। चाहती थी जो उसके लिए अमूल्य वस्तु लाकर देगा। अनेक राजपुत्र बहुमूल्य वस्तुएँ लेकर आये परन्तु वे उसको रुचिकर नहीं लगे। सभी लौट गये। तब एक राजस्थान का राजपुत्र आया। उसके हाथ में एक वस्त्र था। उसके अंचल में कुछ बँधा था। वस्त्र को देकर वह बोला कि एक ओटे राज्य पर दूसरे राजा ने आक्रमण कर दिया। छोटे राज्य का राजा अपने देश के लिए युद्ध करता हुआ वीरगति को प्राप्त हो गया। उसी के खून से रँगी यह रज है। कहानी को सुनकर राजकुमारी ने अपने पिता को बुलाया और उसके साथ विवाह करने की अनुमति दे दी। वह बोली-मेरे विचार से यह वीर है। वीरता का मूल्य जानता है। प्राणों की बाजी लगाकर भी उसके द्वारा आपके देश और सिंहासन की रक्षा करनी चाहिए।)
प्रश्न 4.
राजकुमारीम् आश्रित्य एकस्याः लघुकथायाः रचनां कुरुत-(राजकुमारी के आधार पर एक लघु कथा की रचना कीजिए।)
उत्तरम्:
एका राजकुमारी स्वभाग्ये एवं विश्वसिति स्म। एकदा राजा तस्य दुराग्रहं दृष्ट्वा केनापि मृतकल्पेन सह विवाहमकरोत्। सा तेन सह अगच्छत्। राजकुमार्याः प्रयत्नेन सः नीरोगोऽजायत। सोऽवदत्-अहमपि एकः राजकुमार: अस्मि। मरणासन्नो गृहात् निष्क्रान्तोऽत्रागतवान्। तौ स्वगृहमगच्छताम्। तस्य राजकुमारस्य पितरौ प्रसन्नौ जातौ राज्यासनं च युवराजाय समर्पितम्। साऽपि राज्ञी अभवत् तस्याः जनकः शत्रुणापराजित: सन् निर्धनः साधनविहीनश्चभूत्वा भिक्षाटयन्नेन तस्य राज्ये अगच्छत्। पिता तां दृष्ट्वा-लज्जितोऽभवत् परन्तु राजकुमारी तं परिष्वज्य सादरं स्वागतमकरोत्। तस्याः स्थितिमवलोक्य राजाऽवदत्।
सर्वे एवं स्वभाग्यमनुसरन्ति। (एक राजकुमारी अपने भाग्य पर विश्वास करती थी। एक दिन उसके दुराग्रह को देखकर राजा ने किसी मरासू व्यक्ति के साथ शादी कर दी। वह उसके साथ चली गई। राजकुमारी के प्रयत्न से वह निरोग हो गया। वह बोला- मैं भी एक राजकुमार हैं। मरणासन्न हुआ घर से निकला यहाँ आ गया। वे दोनों अपने घर चले गये। उसके (राजकुमार के) माता-पिता बहुत प्रसन्न हुए। राज्यासने युवराज को सौंप दिया। उस (राजकुमारी) का पिता शत्रु द्वारा पराजित हुआ गरीब और साधन विहीन होकर भिक्षाटन करता हुआ उसके राज्य में आ गया। पिता उस (राजकुमारी) को देखकर लज्जित हुआ परन्तु राजकुमारी ने उसको गले लगाकर आदरपूर्वक स्वागत किया। उसकी स्थिति को देखकर राजा ने कहा- सभी अपने भाग्य का अनुसरण करते हैं।”) व्याकरणात्मक प्रश्नोत्तराणि
प्रश्न 5.
(क) अधोलिखितानां पदानां सन्धि-विच्छेदं कृत्वा सन्धिनाम निर्देशं कुरुत – (निम्नलिखित पदों की सन्धि–विच्छेद करके सन्धि का नाम बताइये)
उत्तरम्:
(ख) अधोलिखित पदेषु सन्धिं कुरुत-(निम्न पदों में सन्धि कीजिए)
उत्तरम्:
(ग) अधोलिखितेषु पदेषु मूलधातु लकार-पुरुष-वचनानां निर्देशं कुरुत – (निम्न पदों में मूलधातु, लकार, पुरुष और वचन बताइये)
उत्तरम्:
(घ) अधोलिखितेषु पदेषु मूल शब्द-विभक्ति-लिङ्ग-वचनानां निर्देशं कुरुत – (निम्न पदों में शब्द, विभक्ति, लिंग और वचन बताइये)
उत्तरम्:
(ङ) अधोलिखितेषु पदेषु प्रकृतेः प्रत्ययस्य च निर्देशं कुरुत – (निम्न पदों में प्रकृति प्रत्यय बताइये-)
उत्तरम्:
(च) अधोलिखितानां पदानां समासविग्रहं कृत्वा समासस्य नामनिर्देशं कुरुत। (निम्न पदों का समांस विग्रह करके समास का नाम बताइये)
उत्तरम्:
(छ) कथामध्ये ये उपसर्गप्रत्यययुक्तपदानि आगच्छन् तेषामनुरूपम् अन्यानि उदाहरणानि लिखत।
उत्तरम्:
RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 10 अन्य गत्वपूर्ण प्रश्नोत्तराणि
प्रश्न 1.
‘अमूल्य वस्तु’ इति कथा कस्मात् ग्रन्थात् सङ्कलित्? (अमूल्यं वस्तु कहानी किस ग्रन्थ से संकलित है?)
उत्तरम्:
‘अमूल्यं वस्तु’ इति कथा भट्टश्रीमथुरानाथ शास्त्रिकृतात् मंजुनाथ ग्रन्थावलिः इति ग्रन्थात् सङ्कलितः। (अमूल्य वस्तु कहानी भट्टश्रीमथुरानाथ शास्त्रि कृत मंजुनाथ ग्रन्थावलि ग्रन्थ से संकलित है।)
प्रश्न 2.
‘अमूल्यं वस्तु’ कथा केन लिखितमस्ति? (अमूल्य वस्तु कहानी किसके द्वारा लिखी गई है?)
उत्तरम्:
‘अमूल्यं वस्तु’ कथा भट्टमथुरानाथेन लिखितमस्ति। (‘अमूल्य वस्तु’ कथा भट्ट मथुरानाथ शास्त्री द्वारा लिखी गई है।)
प्रश्न 3.
अस्यां कथायां कस्य महत्वं प्रतिपादितम्? (इस कथा में किसका महत्व प्रतिपादित किया गया है?)
उत्तरम्:
अस्यां कथायां मातृभूमेः महत्वं प्रतिपादितम्। (इस कथा में मातृभूमि का महत्व प्रतिपादित किया गया है।)
प्रश्न 4.
कः स्वर्गादपि गरीयसी? (स्वर्ग से भी बढ़कर कौन है?)
उत्तरम्:
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी। (माँ और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है।)
प्रश्न 5.
राजा पुत्री कथमैषीत्? (राजा पुत्री को कैसे चाहता था?)
उत्तरम:
नृपः स्वपुत्र पुत्रवत् ऐषीत्। (राजा अपनी पुत्री को पुत्र की तरह चाहता था।)
प्रश्न 6.
नृपः आत्मजायाः विषये किं कथयति स्म? (राजा अपनी पुत्री के विषय में क्या कहता था?)
उत्तरम्:
नृपः स्वात्मजायाः विषये कथयति स्म यत् ममान्तरमेषेव सिंहासनस्य शोभा वर्द्धयिष्यति। (राजा अपनी बेटी के विषय में कहता था कि मेरे बाद यह ही सिंहासन की शोभा बढ़ायेगी।)
प्रश्न 7.
नृपः आत्मजाया: शिक्षायै किम् अकरोत्? (राजा ने बेटी की शिक्षा के लिए क्या किया?)
उत्तरम्:
नृपः आत्मजायाः शिक्षायै विदुषः बुद्धिमतः च पण्डिता नियुक्तवान्। (राजा ने पुत्री की शिक्षा के लिए विद्वान् और बुद्धिमान पंडितों की नियुक्ति की।)
प्रश्न 8.
यदा परिणयार्थं अन्यराज वंशेभ्यः राजपुत्राः आगच्छन् तदा राजकुमारी कियवर्षदेशीया आसीत्? (जब शादी के लिए अन्य राजवंशों से राजपुत्र आये तब राजकुमारी की उम्र क्या थी ?)
उत्तरम्:
यदा परिणयार्थं अन्य राजवंशेभ्यः राजपुत्राः आगच्छन् तदा राजकुमारी पञ्चदशवर्षदेशीया आसीत्। (जब शादी के लिए अन्य राजवंशों से राजपुत्र आये तब राजकुमारी की आयु पन्द्रह वर्ष की थी।)
प्रश्न 9.
मन्त्रिगणः राजानं कि प्रार्थयन्त? (मन्त्रीगण ने राजा से क्या प्रार्थना की?)
उत्तरम्:
मन्त्रिगणः राजानं प्रार्थयन्त-“महाराज ! राजकुमार्याः विवाह सम्बन्धोऽधुना तु कुत्रचिनिश्चित: कर्त्तव्यः।” (मन्त्रिगण ने राजा से प्रार्थना की-“महाराज! राजकुमारी का विवाह सम्बन्ध अब तो कहीं निश्चित कर देना चाहिए।”)
प्रश्न 10.
नृपः मन्त्रिगणस्य प्रार्थनायाः किमुत्तरं दत्तवान्? (राजा ने मंत्रियों की प्रार्थना का क्या उत्तर दिया?)
उत्तरम्:
राजाऽवदत्-श्वे: राजाकुमार्या सह वार्तालापं करिष्ये। (राजा ने कहा-कल राजकुमारी के साथ बात करूंगा।)
प्रश्न 11.
राजकुमारी केन सह परिणयमिच्छति स्म? (राजकुमारी किसके साथ शादी करना चाहती थी ?)
उत्तरम्:
सा तमेव राजपुत्रं वरयितुमेच्छत् योऽमूल्यं वस्तुं समानीपोपहरिष्यति। (वह उसी राजपुत्र के साथ वरण करना चाहती थी जो उसे अमूल्य वस्तु लाकर देगा।)
प्रश्न 12.
राजपुत्रैः आनीतानि वस्तूनि दृष्ट्वा राजकुमारी किमकथयत्? (राजपुत्रों द्वारा लाई हुई वस्तुओं को देखकर राजकुमारी ने क्या कहा?)
उत्तरम्:
सा अवदत्-‘न एतानि मम अभिरुचितानि” इति उक्त्वा प्रतिददाति स्म। (वह बोली- ये वस्तुएँ. मुझे रुचिकर नहीं हैं-‘ ऐसा कहकर लौटा देती।)
प्रश्न 13.
राजस्थानस्य राजकुमारः आगत्यैव किम् अकरोत्? (राजस्थान के राजकुमार ने आते ही क्या किया?)
उत्तरम्:
सः आगत्य एव स्वागमनसूचनामकारयत्। (उसने आते ही अपने आगमन की सूचना करवाई।)
प्रश्न 14.
राजभृत्याः राजस्थानस्य राजपुत्रं किमवदन्? (राजसेवकों ने राजस्थान के राजपुत्र से क्या कहा?)
उत्तरम्:
राजभृत्या अवदन् – ‘कि मुधा कष्टम् अनुभवति भवान्। महान्तोऽत्रागच्छन् प्रतिगताश्च। सा तु विक्षिप्तचित्ता जातेति प्रतीयते। (राजा के सेवकों ने कहा – क्यों व्यर्थ में कष्ट का अनुभव कर रहे हो आप। बड़े-बड़े लोग आये और लौट गये। वह तो पागल हो गई है। ऐसा प्रतीत होता है।)
प्रश्न 15.
राजभृत्याननिषेधवचनं श्रुत्वा अपि राजस्थानस्य राजपुत्रः किम् अकथयत्? (राजसेवकों के निषेध वचनों को सुनकर भी राजस्थान के राजपुत्र ने क्या कहा?)
उत्तरम्:
‘न काचित्क्षतिः। यूयं तु केवलं मम आगमन सूचनां तस्यै दत्त।” (कोई हानि नहीं। तुम तो केवल मेरे आने की सूचना उसे (राजकुमारी को) दे दो।
प्रश्न 16.
यदा राजपुत्रः बहिर्भवने उपविष्टः आसीत् तदा राजकुमारी कुत्र स्थिता आसीत्? (जब राजपुत्र बाहर भवन में बैठा था तब राजकुमारी कहाँ बैठी थी?)
उत्तरम्:
यदा राजपुत्रः बहिर्भवने उपविष्ट तदा राजकुमारी अन्तः जवनिकान्तरिती व्यराजत। (जब राजपुत्र बाहर भवन में बैठा था तब राजकुमारी अन्दर पर्दे के पीछे बिराज रही थी।)
प्रश्न 17.
राजपुत्रः राजुकमायें कि प्रेषितवान्? (राजपुत्र ने राजकुमारी को क्या भेजा?)|
उत्तरम्:
राजपुत्रः राजकुमायूँ एकं हस्तवस्त्रं प्रेषितवान्। वस्त्रांचले किंचिद् बद्धमासीदास्यै दत्वा ‘राजपुत्रयै समर्पय’ इति उवाच। (राजपुत्र ने राजकुमारी के लिए एक रूमाल भेजा जिसमें कुछ बँधा हुआ था, दासी को देकर ‘राजपुत्री को सौंप दो’ ऐसा कहा।)
प्रश्न 18.
खण्डवस्त्रं गृहीत्वा दास्याः को प्रतिक्रिया अभक्तू? (खण्डवस्त्र को लेकर दासी की क्या प्रतिक्रिया थी?)
उत्तरम्:
दासी खण्डवस्त्रं गृहीत्वा तिरस्कारसूचक हास्यं चकार। (दासी ने वस्त्र के टुकड़े को लेकर एक तिरस्कार सूचक हँसी की।)।
प्रश्न 19.
अंशुके राजकुमार्याः हस्ते प्राप्ते राजपुत्रः किमकरोत्? (वस्त्र के राजकुमारी के हाथ में पहुँच जाने पर राजकुमार ने क्या किया?)
उत्तरम्:
अंशुके राजकुमार्या: हस्ते प्राप्ते राजपुत्रः कथां कथितुं आरेभे। (वस्त्र राजकुमारी के हाथ में पहुँचने पर राजपुत्र ने कथा कहना आरम्भ किया।)
प्रश्न 20.
राजपुत्रः जगति कस्मात् पर्यटन्नासीत्? (राजपुत्र किस कारण से भ्रमण कर रह्म था?)
उत्तरम्:
राजपुत्रः बहुमूल्यानि वस्त्रानि अन्वेष्टुं पर्यटन्नासीत्। (राजपुत्र बहुमूल्य वस्तुएँ हूँढने के लिए संसार में घूम रहा था।)
प्रश्न 21.
पर्यटने राजपुत्रः किम् अपश्यत् ? (पर्यटन में राजपुत्र ने क्या देखा?)
उत्तरम्:
सोऽपश्यत् यदेका क्षुद्रराज्यमाक्रम्यन्ती पराक्रान्तस्यैकस्य भूपतेः सेना युद्धमाना तिष्ठति। (उसने देखा कि एक छोटे राज्य की आक्रमण की जाती हुई सेना से एक पराक्रमी राजा की सेना युद्ध कर रही थी।)
प्रश्न 22.
लघुराज्यस्य सैनिकैः बहुयुद्धं कृतं तथापि कस्मात् पराजितम्? (छोटे राज्य के सैनिकों द्वारा बहुत युद्ध किया गया फिर भी पराजित क्यों हो गए?)
उत्तरम्:
यत: अन्यस्य नृपस्य विशालसेना आसीत्। (क्योंकि दूसरे राजा की सेना विशाल सेना थी।)
प्रश्न 23.
लघुराज्यस्य नृपः कुत्र स्थितोऽभवत्? (ओटे राज्य का राजा कहाँ खड़ा हो गया?)
उत्तरम्:
लघु राज्यस्य नृपः दुर्गद्वारमुद्घाट्य स्थितोऽभवत् ? (छोटे राज्य का राजा किले के द्वार को खोलकर खड़ा हो गया।)
प्रश्न 24.
स्वल्पसैनिकैः सह लघुराज्यस्य राजा किं करोति स्म? (थोड़े सैनिकों के साथ छोटे राज्य का राजा क्या कर रहा था?)
उत्तरम्:
स: अल्पसैनिकैः सह शत्रु सेनां नाशयति स्म। (वह थोड़े सैनिकों से शत्रु सेना को नष्ट कर रहा था।)
प्रश्न 25.
केभ्यः न मूल्यवत्तरम्? (किनसे बढ़कर नहीं है?)
उत्तर:
यो जनाः जन्मभूमेः, धर्मस्य यशसः च रक्षणे स्वप्राणान् अत्यजत् तेभ्यो न किञ्चित् मूल्यवत्तरम्।
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