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Class 10

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 2 मानव तंत्र

September 22, 2024 by Fazal Leave a Comment

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 2 मानव तंत्र are part of RBSE Solutions for Class 10 Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 2 मानव तंत्र.

Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 10
Subject Science
Chapter Chapter 2
Chapter Name मानव तंत्र
Number of Questions Solved 191
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 2 मानव तंत्र

( पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर )

बहुचयनात्मक प्रश्न –
1. विभिन्न स्तरों पर भोजन, भोजन पाचित रस तथा अवशिष्ट की गति को कौन नियंत्रित करता है?
(क) संवरणी पेशियां
(ख) म्यूकोसा
(ग) श्लेष्मी उपकला।
(घ) दोनों ख व ग

2. निम्न में से कौन से दंत मांसाहारी पशुओं में सर्वाधिक विकसित होते हैं ?
(क) कुंतक
(ख) रदनक
(ग) अग्र-चवर्णक
(घ) चवर्णक

3. एपिग्लोटिस (epiglotis) का प्रमुख कार्य है
(क) भोजन को ग्रसनी में भेजना।
(ख) भोजन को श्वासनली में प्रवेश से रोकना
(ग) भोजन को ग्रहनी तक पहुंचाना
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

4. एंजाइमों द्वारा सर्वाधिक भोजन पाचन की क्रिया यहाँ संपन्न की जाती है
(क) अग्रक्षुद्रांत्र
(ख) क्षुद्रांत्र
(ग) ग्रहणी
(घ) वृहदान्र

5. निम्न में से कौन लार ग्रन्थि नहीं है?
(क) कर्णपूर्व ग्रन्थि
(ख) अधोजंभ
(ग) अधोजिह्वा
(घ) पीयूष ग्रन्थि

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 2 मानव तंत्र

6. निम्न में से कौन सा एंजाइम अग्न्याशय द्वारा स्रावित नहीं होता?
(क) एमिलेज।
(ख) ट्रिप्सिन
(ग) रेनिन ।
(घ) लाइपेज |

7. निम्न में से कौन सा अंग द्वितीयक श्वसन अंग है
(क) मुख
(ख) नासिका
(ग) नासाग्रसनी
(घ) स्वरयंत्र

8. बाएं फेफड़े में पाए जाने वाले खंडों की संख्या है
(क) 3
(ख) 4
(ग) 2
(घ) 1

9. एलवियोलाई में पाई जाती है
(क) शल्की उपकला
(ख) उपकला
(ग) उपास्थि छल्ले
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

10. रुधिर का द्रव्य भाग क्या कहलाता है?
(क) सीरम
(ख) लसीका
(ग) प्लाज्मा
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

11. साधारणतः लाल रुधिर कणिकाओं का विनाश कहाँ होता है?
(क) प्लीहा
(ख) लाल अस्थि मज्जा
(ग) लसीका पर्व
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

12. निम्न में से कौन सी कोशिका श्वेत रक्त कणिका नहीं है?
(क) बी-लिंफोसाइट।
(ख) बिंबाणु ।
(ग) बेसोफिल
(घ) मोनोसाइट ।

13. किस रक्त समह में लाल रक्त कणिकाओं पर A व B दोनों ही प्रतिजन उपस्थित होते हैं ?
(क) O
(ख) A
(ग) B
(घ) AB

14. परिसंचरण के दौरान रक्त हृदय से कितनी बार गुजरता है?
(क) एक
(ख) तीन
(ग) दो।
(घ) चार

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 2 मानव तंत्र

15. मनुष्य मुख्य रूप से किसका उत्सर्जन करता है?
(क) अमोनियो ।
(ख) यूरिक अम्ल |
(ग) यूरिया ।
(घ) क व ग दोनों

16. ग्लोमेरुलस कहाँ पाया जाता है?
(क) बोमेन संपुट में
(ख) वृक्क नलिका में
(ग) हेनले-लूप में
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

17. प्रमुख मानव नर लिंग हॉर्मोन है
(क) एस्ट्रोजन
(ख) प्रोजेस्टेरॉन
(ग) टेस्टोस्टेरॉन
(घ) ख व ग दोनों

18. निम्न में से प्राथमिक लैंगिक अंग है–
(क) वृषण कोष ।
(ख) अण्डाशय |
(ग) वृषण
(घ) ख व ग दोनों

19. प्रेरक तंत्रिकाएँ उद्दीपनों को पहुँचाती हैं
(क) केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र से अंगों तक
(ख) अंगों से केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र तक
(ग) क व ख दोनों सही हैं।
(घ) क व ख दोनों गलत हैं।

20. कॉर्पोरा क्वाड्रीजेमीन पाया जाता है
(क) अग्र मस्तिष्क में
(ख) पश्च मस्तिष्क में
(ग) मध्य मस्तिष्क में
(घ) क व ख दोनों में

21. पीयूष ग्रन्थि कौन सा हॉर्मोन स्रावित नहीं करती ?
(क) वृद्धि हार्मोन
(ख) वैसोप्रेसिन
(ग) मेलेटोनिन ।
(घ) प्रोलैक्टिन

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 2 मानव तंत्र

22. दैनिक लय के नियमन के लिए उत्तरदायी है
(क) थाइराइड ग्रन्थि
(ख) अग्न्याशय
(ग) अधिवृक्क ग्रन्थि
(घ) पिनियल ग्रन्थि

उत्तरमाला-
1. (क)
2. (ख)
3. (ख)
4. (ग)
5. (घ)
6. (ग)
7. (क)
8. (ग)
9. (क)
10. (ग)
11. (क)
12. (ख)
13. (घ)
14. (ग)
15. (ग)
16. (क)
17. (ग)
18. (घ)
19. (क)
20. (ग)
21. (ग)
22. (घ)

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 23.
शरीर की मूलभूत संरचनात्मक तथा क्रियात्मक इकाई का नाम लिखें।
उत्तर-
शरीर की मूलभूत संरचनात्मक तथा क्रियात्मक इकाई को कोशिका (Cell) कहते हैं।

प्रश्न 24.
पाचन तंत्र को परिभाषित करें।
उत्तर-
भोजन के अन्तर्ग्रहण से लेकर मल त्याग तक एक तंत्र जिसमें अनेकों अंग, ग्रन्थियाँ सम्मिलित हैं, सामंजस्य के साथ कार्य करते हैं। यह तन्त्र पाचन तंत्र कहलाता है।

प्रश्न 25.
संवरणी पेशियों का क्या काम है?
उत्तर-
संवरणी पेशियाँ (Sphincters) भोजन, पाचित भोजन रस व अवशिष्ट की गति को नियंत्रित करती हैं।

प्रश्न 26.
पाचन तंत्र में सम्मिलित ग्रन्थियों के नाम लिखें।
उत्तर-

  • लार ग्रन्थि
  • यकृत
  • अग्नाशय।

प्रश्न 27.
कुंतक दंत क्या काम करते हैं ?
उत्तर-
ये भोजन को कुतरने तथा काटने का कार्य करते हैं।

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 2 मानव तंत्र

प्रश्न 28.
आमाशय के कितने भाग होते हैं ?
उत्तर-
आमाशय के तीन भाग होते हैं

  • कार्डियक
  • जठर निर्गमी भाग
  • फंडिस।

प्रश्न 29.
पाचित भोजन का सर्वाधिक अवशोषण कहाँ होता है?
उत्तर-
पाचित भोजन का सर्वाधिक अवशोषण छोटी आँत (Small Intestine) में होता है।

प्रश्न 30.
शरीर में पाए जाने वाली सबसे बड़ी ग्रन्थि का नाम लिखें।
उत्तर-
शरीर में पाए जाने वाली सबसे बड़ी ग्रन्थि का नाम यकृत (Liver)

प्रश्न 31.
टायलिन एंजाइम कौन सी ग्रन्थि स्रावित करती है?
उत्तर-
लार ग्रन्थि द्वारा टायलिन एंजाइम का स्रावण किया जाता है।

प्रश्न 32.
स्वर यंत्र में कितनी उपास्थि पाई जाती हैं ?
उत्तर-
स्वर यंत्र में नौ उपास्थि पाई जाती हैं।

प्रश्न 33.
मनुष्यों की श्वासनली में श्लेष्मा का निर्माण कौन करता है?
उत्तर-
मनुष्य की श्वासनली में उपस्थित उपकला (Epithelium) श्लेष्मा का निर्माण करती है।

प्रश्न 34.
सामान्य व्यक्ति में कितना रक्त पाया जाता है?
उत्तर-
सामान्य व्यक्ति में लगभग 5 लीटर रक्त पाया जाता है।

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 2 मानव तंत्र

प्रश्न 35.
बिंबाणु का जीवनकाल कितना होता है?
उत्तर-
बिंबाणु (Platelets) का जीवनकाल 10 दिवस का होता है।

प्रश्न 36.
अशुद्ध रुधिर को प्रवाहित करने वाली वाहिकाएँ क्या कहलाती हैं?
उत्तर-
अशुद्ध रुधिर को प्रवाहित करने वाली वाहिकाएँ शिरायें (Veins) कहलाती हैं।

प्रश्न 37.
हृदयावरण क्या है?
उत्तर-
हृदय पर पाया जाने वाला आवरण हृदयावरण (Pericardium) कहलाता है।

प्रश्न 38.
महाशिरा का क्या कार्य है?
उत्तर-
इसके द्वारा शरीर का अधिकांश अशुद्ध रुधिर दायें आलिन्द में डाला जाता है।

प्रश्न 39.
अमोनिया उत्सर्जन की प्रक्रिया क्या कहलाती है?
उत्तर-
अमोनिया उत्सर्जन की प्रक्रिया अमोनियोत्सर्ग (Ammonotelism) कहलाती है।

प्रश्न 40.
मानव में मुख्य उत्सर्जक अंग कौन सा है?
उत्तर-
मानव में मुख्य उत्सर्जक अंग वक्के (Kidney), है।

प्रश्न 41.
अण्डाणु निर्माण करने वाले अंग का नाम लिखें।
उत्तर-
अण्डाणु निर्माण करने वाले अंग का नाम अण्डाशय (Ovary) है।

प्रश्न 42.
स्त्रियों के प्रमुख लिंग हॉर्मोन का नाम लिखें।
उत्तर-
स्त्रियों के प्रमुख लिंग हार्मोन का नाम एस्ट्रोजन (Estrogen) है।

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 2 मानव तंत्र

प्रश्न 43.
माता में प्लेसैंटा का रोपण कहाँ होता है?
उत्तर-
माता में प्लेसैंटा का रोपण गर्भाशय के अन्तःस्तर में होता है।

प्रश्न 44.
विभिन्न अंगों के मध्य समन्वय स्थापित करने के लिए उत्तरदायी तंत्रों का नाम लिखें।
उत्तर-
तंत्रिका तंत्र तथा अन्तःस्रावी तंत्र।

प्रश्न 45.
धूसर द्रव्य कहाँ पाया जाता है?
उत्तर-
धूसर द्रव्य मस्तिष्क व मेरुरज्जु में पाया जाता है।

प्रश्न 46.
एक न्यूरोट्रांसमीटर का नाम लिखें।
उत्तर-
ग्लाईसीन (Glycine), एपीनेफ्रीन, डोपामीन, सिरोटोनिन।

प्रश्न 47.
थाइराइड ग्रन्थि द्वारा स्रावित हार्मोन का नाम लिखें।
उत्तर-
थाइराइड ग्रन्थि द्वारा स्रावित हार्मोन का नाम थाइरॉक्सिन है।

प्रश्न 48.
एड्रिनलीन हार्मोन का स्राव किस ग्रन्थि के द्वारा किया जाता है?
उत्तर-
एड्रिनलीन हार्मोन को स्राव अधिवृक्क ग्रन्थि (Adrenal gland) द्वारा किया जाता है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 49.
पाचन कार्य में सम्मिलित अंगों के नाम लिखिए।
उत्तर-
पाचन क्रिया में सम्मिलित अंगों के नाम निम्न हैं

  1. मुख (Mouth)-(i) तालु (ii) दाँत (iii) जीभ
  2. ग्रसनी (Pharynx)
  3. ग्रासनली (Oesophagus)
  4. आमाशय (Stomach)
  5. छोटी आँत (Small Intestine)-(i) ग्रहणी (ii) जेजुनम (iii) इलियम
  6. बड़ी आँत (Large Intestine)-(i) अंधनाल (Cecum) (ii) कोलन (Colon) (iii) मलाशय (Rectum)।
  7. पाचक ग्रन्थियाँ (Digestive glands)-(i) लार ग्रन्थि (ii) यकृत (iii) अग्नाशय।

प्रश्न 50.
आमाशय की संरचना व कार्य समझाइए।
उत्तर-
आमाशय की संरचना-आमाशय उदर गुहा में बायीं ओर डायफ्राम के पीछे स्थित होता है। यह आहारनाल का सबसे चौड़ा थैलेनुमा पेशीय भाग है, जिसकी आकृति ‘J’ के समान होती है। ग्रसिका आमाशय के कार्डियक भाग में खुलती है। आमाशय एक से तीन लीटर तक भोजन धारित कर सकता है।
आमाशय को तीन भागों में बाँटा गया है

  • कार्डियक भाग-आमाशय का अग्र भाग कार्डियक भाग कहलाता है। ग्रसिका व आमाशय के बीच एक कंपाट पाया जाता है, जिसे कार्डियक कपाट कहते हैं । इस कपाट के कारण भोजन ग्रासनली से आमाशय में तो आ सकता है, परन्तु आमाशय से ग्रासनली/ग्रसिका में नहीं जा सकता है।
  • जठर निर्गमी भाग (Pyloric part)-आमाशय का पश्च या दाहिना भाग जठर निर्गमी भाग (Pyloric part) कहलाता है। यह भाग ग्रहणी (छोटी आँत) में खुलता है। इसके छिद्र पर एक पेशीय कपाट पाया जाता है, जो भोजन को आमाशय से ग्रहणी (आँत) में तो जाने देता है परन्तु ग्रहणी से आमाशय में नहीं जाने देता। इस कपाट को पाइलोरिक कपाट कहते हैं।
  • फंडिस भाग (Fundic part)-आमाशय का मध्य भाग फंडिस भाग कहलाता है। यह आमाशय के 80 प्रतिशत भाग का निर्माण करता है। इस भाग में ही वास्तव में पाचन क्रिया होती है।

आमाशय के कार्य-
(1) आमाशय में भोजन का क्रमाकुंचन तरंगों द्वारा पाचन किया जाता है, जिसके फलस्वरूप भोजन एक लेई के रूप में बदल जाता है, जिसे काइम (Chyme) कहते हैं।
(2) आमाशय में पाया जाने वाला HCl निम्न कार्य करता है

  • भोजन में उपस्थित हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है।
  • कठोर ऊतकों को घोलता है।
  • निष्क्रिय एन्जाइम पेप्सिनोजन को सक्रिय पेप्सिन में बदलना तथा निष्क्रिय प्रोरेरिन को सक्रिय रेनिन में बदलना।
  • टायलिन की क्रिया को बन्द करना।
  • मुखगुहा से आये भोजन के माध्यम को अम्लीय बनाना एवं जठर निर्गम कपाट को नियंत्रण करना।

प्रश्न 51.
लार ग्रन्थि कहाँ पाई जाती है? इसकी संरचना समझाइए।
उत्तर-
लार ग्रन्थियाँ (Salivary glands)-मनुष्य में तीन जोड़ी लार ग्रन्थियाँ पाई जाती हैं। ये ग्रन्थियाँ बहिःस्रावी (Exocrine) होती हैं।

    • कर्णपूर्व ग्रन्थि (Parotid gland)-ये ग्रन्थियाँ सबसे बड़ी होती हैं। तथा कर्ण के नीचे अर्थात् गालों में पाई जाती हैं। इन ग्रन्थियों की नलिका कुंतक दाँतों के समीप खुलती है। यह सीरमी तरल का स्राव करती
    • अधोजंभ ग्रन्थियाँ (Submandibular glands) ये ग्रन्थियाँ ऊपरी जबड़े व निचले जबड़े के जोड़ पर पाई जाती हैं। इन ग्रन्थियों की नलिकाएँ मुख्य गुहिका के फर्श पर खुलती हैं। ये एक मिश्रित ग्रन्थि है जो तरल तथा श्लेष्मिक स्रावण करती है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 2 मानव तंत्र image - 1
  • अधोजिह्वा ग्रन्थि (Sublingual glands)-ये ग्रन्थियाँ जिह्वा के नीचे पाई जाती हैं। ये सबसे छोटी लार ग्रन्थियाँ होती हैं। इन ग्रन्थियों की नलिकाएँ फ्रेनुलम (Frenulum) पर खुलती हैं। इनके द्वारा श्लेष्मिक स्रावण किया जाता है।

लार ग्रन्थियों के स्रावण को लार (Saliva) कहते हैं । लार एक क्षारीय तरल होता है। इसमें श्लेष्मा, जल, लाइसोजाइम व टायलिन नामक एन्जाइम उपस्थित होता है, जो भोजन के पाचन में सहायक होता है। इसका कार्य भोजन को चिकना व घुलनशील बनाना है, ताकि निगलने में आसानी हो।

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 2 मानव तंत्र

प्रश्न 52.
नासिका के मुख्य कार्यों की विवेचना करें।
उत्तर-
नासिका के मुख्य कार्य निम्न हैं

  1. नासिका में स्थित नासा मार्ग लगातार श्लेष्मा स्रावण के कारण नम व लसदार बना होता है, जो फेफड़ों तक जाने वाली वायु को नम बना देते हैं।
  2. वायु के साथ आये हानिकारक धूल के कण, जीवाणु, परागकण, फफूद के कण आदि श्लेष्मा के साथ चिपक जाते हैं। इस प्रकार वायु का फिल्टरेशन होता है।
  3. नासागुहाओं के अग्रभागों की श्लेष्मा झिल्ली में तंत्रिका तंतुओं के अनेक स्वतंत्र सिरे उपस्थित होते हैं, जो गंध के बारे में ज्ञान प्राप्त करवाते हैं।
  4. नासा मार्ग से गुजरते समय वायु का ताप शरीर के ताप के समान हो जाता है।
  5. नाक में पाये जाने वाले बाल भी वायु को फिल्टर करने का कार्य करते हैं।

प्रश्न 53.
ग्रसनी किस प्रकार श्वसन कार्य में सहायक होती है?
उत्तर-
ग्रसनी एक पेशीय चिमनीनुमा रचना होती है। ग्रसनी तीन भागों में विभक्त होती है

  1. नासाग्रसनी (Nasopharynx)
  2. मुखग्रसनी (Oropharynx)
  3. अधोग्रसनी या कंठ ग्रसनी (Laryngo Pharynx)

श्वसन क्रिया के दौरान वायु नासिका गुहा से गुजरने के बाद नासाग्रसनी से होती हुई मुखग्रसनी में आती है। मुख से ली गई श्वास सीधे मुखग्रसनी में तथा मुखग्रसनी से वायु कंठ-ग्रसनी से होते हुए घांटी ढक्कन (Epiglottis) के माध्यम से स्वरयंत्र (Larynx) में प्रवेश करती है। घांटी ढक्कन एक उपास्थि की बनी संरचना है, जो श्वासनली एवं आहारनली के मध्य एक स्विच का कार्य करता है। चूँकि ग्रसनी भोजन निगलने में भी सहायक है, ऐसे में एपिग्लॉटिस एक ढक्कन के तौर पर कार्य करता है तथा यह सुनिश्चित करता है कि वायु श्वास नली में ही जाये तथा भोजन आहार नली में।

प्रश्न 54.
श्वसन मांसपेशियों के महत्त्व को लिखें।
उत्तर-
श्वसन मांसपेशियों का महत्त्व

  1. गैसों के आदान-प्रदान हेतु मांसपेशियों का योगदान है।
  2. ये मांसपेशियाँ श्वांस को लेने व छोड़ने में सहायता करती हैं।
  3. मध्यपट (Diaphragm) कंकाल पेशी का बना होता है जो वक्ष स्थल की सतह पर पाया जाता है। यह श्वसन के लिए उत्तरदायी है।
  4. मध्यपट के संकुचन से वायु नासिका से होती हुई फेफड़ों के अन्दर प्रवेश होती है अर्थात् निःश्वसन (Inspiration) की क्रिया होती है।
  5. मध्यपट के शिथिलन से वायु फेफड़ों से बाहर निकलती है अर्थात् उच्छश्वसन (Expiration) की क्रिया होती है।
  6. इसी प्रकार पसलियों के बीच दो क्रॉस के रूप में अन्तरापर्युक पेशियाँ (Intercostal muscles) होती हैं जो मध्यपट के संकुचन व शिथिलन में मदद करती हैं।

प्रश्न 55.
रक्त को परिभाषित कीजिए तथा रक्त के कार्य लिखें।
उत्तर-
रक्त एक प्रकार का तरल संयोजी ऊतक है, जो आवश्यक पोषक तत्व व ऑक्सीजन को कोशिकाओं में तथा कोशिकाओं से चयापचयी अपशिष्ट उत्पादों तथा Co2, का परिवहन करता है। यह एक हल्का क्षारीय तरल है। इसका pH 7.4 होता है।

रक्त के कार्य|

  1. O2 व Co2, का वातावरण तथा ऊतकों के मध्य विनिमय करना।
  2. पोषक तत्वों का शरीर में विभिन्न स्थानों तक परिवहन।
  3. शरीर का पी.एच. (pH) नियंत्रित करना।
  4. शरीर का ताप नियंत्रण।
  5. प्रतिरक्षण के कार्यों को संपादित करना।
  6. हार्मोन आदि को आवश्यकता के अनुरूप परिवहन करना।
  7. उत्सर्जी उत्पादों को शरीर से बाहर करना।

प्रश्न 56.
रक्त परिसंचरण में रक्त वाहिनियों की भूमिका बताइए।
उत्तर-
रक्त परिसंचरण में रक्त वाहिनियों की भूमिका-शरीर में रक्त का परिसंचरण वाहिनियों द्वारा होता है। रक्त वाहिकाएँ एक जाल का निर्माण करती हैं। जिनमें प्रवाहित होकर रक्त कोशिकाओं तक पहुँचता है। ये दो प्रकार की होती हैं

  • धमनियाँ (Arteries)-ये वाहिनियाँ ऑक्सीजनित साफ रुधिर को हृदय से शरीर के विभिन्न अंगों तक ले जाती हैं। इनमें रुधिर दाब के साथ बहता है। इसीलिए इनकी दीवार मोटी एवं लचीली होती है। सामान्यतः धमनियाँ शरीर की गहराई में स्थित होती हैं परन्तु गर्दन व कलाई में ये त्वचा के नीचे ही स्थित होती हैं।
  • शिराएँ (Veins)-इनके द्वारा विऑक्सीजनित अपशिष्ट युक्त रुधिर शरीर के विभिन्न भागों से हृदय की ओर प्रवाहित होता है। इनकी दीवार पतली व पिचकने वाली होती है। शिराओं की गुहा अपेक्षाकृत अधिक चौड़ी होती है। अतः इनमें रुधिर का दाब बहुत कम होता है। रुधिर दाब कम होने के कारण इन शिराओं में स्थानस्थान पर अर्धचन्द्राकार कपाट होते हैं जो रुधिर को उल्टी दिशा में बहने से रोकते हैं।
    रक्त वाहिनियाँ विभिन्न अंगों एवं ऊतकों में पहुँचकर केशिकाओं का विस्तृत समूह बनाती हैं।

प्रश्न 57.
वृक्क की संरचना समझाइए।
उत्तर-
वृक्क (Kidney)-मनुष्य में एक जोड़ी वृक्क पाये जाते हैं। दोनों वृक्क उदर गुहा के पृष्ठ भाग में आमाशय के नीचे कशेरुक दण्ड के इधर-उधर स्थित होते हैं। वृक्क गहरे भूरे रंग एवं सेम के बीज की आकृति के होते हैं अर्थात् इनका बाहरी भाग उभरा हुआ तथा भीतरी भाग दबा हुआ होता है जिसके मध्य में एक छोटा-सा गड्ढा होता है। इस गड्ढे को हाइलम (Hilum) कहते हैं। हाइलम भाग से वृक्क धमनी प्रवेश करती है किन्तु वृक्क शिरा (Renal Vein) एवं मूत्र वाहिनी (Ureter) बाहर निकलती है। बायां वृक्क दाहिने वृक्क से थोड़ा ऊपर स्थित होता है एवं दाहिने वृक्क से आकार में कुछ बड़ा होता है।
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 2 मानव तंत्र image - 2
प्रत्येक वृक्क के दो भाग होते हैं-बाहरी भाग को वल्कुट (Cortex) तथा अन्दर वाले भाग को मध्यांश (medula) कहते हैं। प्रत्येक वृक्क में लाखों महीन कुण्डलित नलिकाएँ पाई जाती हैं। इन नलिकाओं को वृक्क नलिकाएँ या नेफ्रॉन (Nephron) कहते हैं । यह वृक्क की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है। प्रत्येक नेफ्रॉन के दो भाग होते हैं-(i) बोमेन सम्पुट (ii) वृक्क नलिका या नेफ्रॉन।।

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 2 मानव तंत्र

प्रश्न 58.
वृक्क के अलावा उत्सर्जन के कार्य में आने वाले अन्य अंगों के बारे में लिखिए।
उत्तर-
यद्यपि वृक्क मनुष्य के प्रमुख उत्सर्जी अंग हैं किन्तु इनके अतिरिक्त निम्नलिखित अंग भी उत्सर्जन कार्य में सहायक होते हैं|

  1. त्वचा (Skin)-त्वचा में स्वेद ग्रन्थियाँ (Sweat Glands) पायी जाती हैं। इसमें स्वेद का स्रावण होता है। स्वेद से होकर जल की अतिरिक्त मात्रा, लवण, कुछ मात्रा में Co2 व कुछ मात्रा में यूरिया का त्याग भी होता है।
    सीबम के रूप में निकले तेल के रूप में यह हाइड्रोकार्बन व स्टेरोल आदि के उत्सर्जन का काम करता है।
  2. यकृत (Liver)-यकृत में अमोनिया को क्रेब्स हॅसिलिट चक्र द्वारा युरिया में बदला जाता है। यकृत द्वारा पित्त का निर्माण होता है। यकृत बिलिरुबिन (Bilirubin), बिलिवर्डिन (Biliverdin), विटामिन, स्टीरॉयड हार्मोन आदि का मल के साथ उत्सर्जन करने में मदद करती है।
  3. प्लीहा (Spleen)-प्लीहा को RBC का कब्रिस्तान कहा जाता है। यहाँ मृत RBC के विघटन से बिलिरुबिन व बिलिवर्डिन का निर्माण होता है, जो यकृत में जाकर पित्त का हिस्सा बन जाते हैं। इन वर्णकों का त्याग मल के साथ कर दिया जाता है। यूरोक्रोम भी RBC के विघटन के द्वारा निर्मित होता है व मूत्र द्वारा इसका त्याग कर दिया जाता है। इसके कारण मूत्र हल्का पीला होता है।
  4. आन्त्र (Intestine)-आन्त्र में पित्त रस के माध्यम से डाले गये अपशिष्ट पदार्थ शरीर से बाहर निकाल दिये जाते हैं । आन्त्र से मल के साथ मृत कोशिकाओं का भी त्याग होता है।
  5. फुफ्फुस (Lungs)-फुफ्फुस द्वारा उच्छ्श्व सन के दौरान Co2 का त्याग कर दिया जाता है व साथ ही जलवाष्प का भी त्याग होता है।

प्रश्न 59.
स्त्रियों के प्राथमिक लैंगिक अंग के कार्य लिखें।
उत्तर-
स्त्रियों में प्राथमिक लैंगिक अंग के रूप में एक जोड़ी अण्डाशय (ovaries) पाये जाते हैं, जिसके निम्न कार्य हैं

  • अण्डाशय में अण्डे का उत्पादन होता है।
  • अण्डाशय एक अन्त:स्रावी ग्रन्थि है अतः इसके द्वारा दो प्रकार के हार्मोन का स्रावण होता है, जिन्हें क्रमशः एस्ट्रोजन (Estrogen) व प्रोजेस्टेरोन (Progesteron) हार्मोन कहते हैं।
  • एस्ट्रोजन हार्मोन द्वारा मादा में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का विकास होता है।
  • एस्ट्रोजन हार्मोन नारीत्व हार्मोन (Feminizing Hormone) कहलाता है।
  • एस्ट्रोजन हार्मोन मादाओं में मैथुन इच्छा जागृत करता है।
  • प्रोजेस्टेरोन गर्भधारण व गर्भावस्था के लिए आवश्यक हार्मोन है, इसे गर्भावस्था हार्मोन (Pregnancy Hormone) कहते हैं। प्रोजेस्टेरोन की कमी से गर्भपात हो जाता है।

प्रश्न 60.
मानव जनन तंत्र में शुक्रवाहिनी का क्या कार्य है?
उत्तर-
शुक्रवाहिनी के कार्य

  • शुक्रवाहिनी की भित्ति पेशीय होती है व इसमें संकुचन व शिथिलन की क्षमतां पाई जाती है। संकुचन व शिथिलन द्वारा शुक्राणु शुक्राशय तक पहुँचा दिये जाते हैं।
  • शुक्रवाहिनियों में ग्रन्थिल कोशिकाएँ भी पाई जाती हैं जो चिकने पदार्थ का स्रावण करती हैं। यह द्रव शुक्राणुओं को गति करने में सहायता करता है।

प्रश्न 61.
मेरुरज्जु का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
मेरुरज्जु का महत्त्व

  • मेरुरज्जु मुख्यतः प्रतिवर्ती क्रियाओं के संचालन एवं नियमन करने का कार्य करता है।
  • साथ ही मस्तिष्क से प्राप्त तथा मस्तिष्क को जाने वाले आवेगों के लिए पथ प्रदान करता है।

प्रश्न 62.
अग्र मस्तिष्क के क्या कार्य हैं? इसकी संरचना समझाइए।
उत्तर-
अग्र मस्तिष्क के कार्य-अग्र मस्तिष्क प्रमस्तिष्क, थैलेमस तथा हाइपोथैलेमस से मिलकर बना होता है।

  • प्रमस्तिष्क के कार्य-यह बुद्धिमत्ता, याददास्त, चेतना, अनुभव, विश्लेषण, क्षमता, तर्कशक्ति तथा वाणी आदि उच्च मानसिक कार्यकलापों के केन्द्र का कार्य करता है।
  • थैलेमस के कार्य-संवेदी व प्रेरक संकेतों का केन्द्र है।
  • हाइपोथैलेमस के कार्य-यह भाग भूख, प्यास, निद्रा, ताप, थकान, मनोभावनाओं की अभिव्यक्ति आदि का ज्ञान करवाता है।

अग्र मस्तिष्क की संरचना-प्रमस्तिष्क पूरे मस्तिष्क के 80-85 प्रतिशत भाग का निर्माण करता है। यह अनुलम्ब विदर की सहायता से दो भागों में विभाजित होता है, जिन्हें क्रमशः दायाँ व बायाँ प्रमस्तिष्क गोलार्ध कहते हैं। दोनों प्रमस्तिष्क गोलार्ध कार्पस कैलोसम पट्टी से आपस में जुड़े होते हैं। प्रत्येक गोलार्ध में बाहर की ओर धूसर द्रव्य पाया जाता है, जिसे बाहरी वल्कुट (Cortex) कहते हैं तथा अन्दर श्वेत द्रव्य (White matter) होता है, जिसे मध्यांश (Medulla) कहते हैं। जो मेरुरज्जु के विन्यास से विपरीत होता है।

प्रमस्तिष्क चारों ओर से थैलेमस से घिरा होता है। अग्र मस्तिष्क के डाइएनसीफेलॉन भाग पर हाइपोथैलेमस स्थित होती है।

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 2 मानव तंत्र

प्रश्न 63.
अंतःस्रावी तंत्र में हाइपोथैलेमस की क्या भूमिका है?
उत्तर-
हाइपोथैलेमस द्वारा विशेष मोचक हार्मोनों का संश्लेषण किया जाता है। ये हार्मोन इस ग्रन्थि से निकलकर पीयूष ग्रन्थि को विभिन्न हार्मोन स्राावित करने हेतु उद्दीपित करते हैं। हाइपोथैलेमस द्वारा दो प्रकार के हार्मोन का संश्लेषण किया जाता है

  • मोचक हार्मोन-पीयूष ग्रन्थि को स्राव करने हेतु प्रेरित करते हैं।
  • निरोधी हार्मोन-ये पीयूष ग्रन्थि से हार्मोन स्राव को रोकते हैं अर्थात् पीयूष ग्रन्थि द्वारा हार्मोनों के उत्पादन तथा स्रावण का नियंत्रण करते हैं। इस कारण से हाइपोथैलेमस को अन्त:स्रावी नियमन का सर्वोच्च कमाण्डर कहा जाता है। पीयूष ग्रन्थि पर नियंत्रण द्वारा हाइपोथैलेमस शरीर की अधिकांश क्रियाओं का नियमन करता है। इन हार्मोन को न्यूरो हार्मोन भी कहते हैं। शरीर में समस्थैतिका कायम रखने में तंत्रिका तंत्र व अन्त:स्रावी तंत्र समन्वित रूप से कार्यरत रहते हैं।

प्रश्न 64.
अग्नाशय के बहिःस्रावी तथा अंतःस्रावी कार्य को समझाइए।
उत्तर-
अग्नाशये एक बहिःस्रावी तथा अन्तःस्रावी दोनों प्रकार की ग्रन्थि है। इसे मिश्रित ग्रन्थि (Mixed gland) भी कहते हैं। अग्नाशय पाचक ग्रन्थि होने के कारण इसे बहि:स्रावी ग्रन्थि कहते हैं क्योंकि इससे निर्मित पाचक एन्जाइम नलिका (अग्नाशय नलिका) के माध्यम से ग्रहणी में पहुँचता है अर्थात् यह एक नलिकायुक्त ग्रन्थि है इसलिए इसे बहिःस्रावी ग्रन्थि कहते हैं।

इसके साथ ही इसमें लैंगरहेन्स की द्वीपिका की उपस्थिति के कारण इसे अन्त:स्रावी ग्रन्थि कहते हैं। इससे स्रावित होने वाले दो हार्मोन जिन्हें क्रमश: इन्सुलिन व ग्लूकोगॉन कहते हैं। इन्सुलिन का प्रमुख कार्य ग्लूकोज को ग्लाइकोजन में परिवर्तित कर रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करना है जबकि ग्लूकोगॉन इसके विपरीत ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में परिवर्तन को नियंत्रित करता है ताकि रक्त में शर्करा का स्तर सही बना रहे। किसी कारण से यदि रक्त में इन्सुलिन की कमी हो जाए तो रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है तथा मधुमेह नामक रोग उत्पन्न हो जाता है। इनमें नलिकाओं का अभाव होता है अतः अन्त:स्रावी ग्रन्थि के रूप में कार्य करती है।

निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 65.
मानव पाचन तंत्र पर एक विस्तृत लेख लिखें। पाचन तंत्र में प्रयुक्त होने वाले एंजाइमों के महत्त्व को समझाइए।
उत्तर-
पाचन तन्त्र-भोजन के अन्तर्ग्रहण से लेकर मल त्याग तक एक तन्त्र जिसमें अनेकों अंग, ग्रन्थियाँ आदि सम्मिलित हैं, सामंजस्य के साथ कार्य करते हैं, यह पाचन तन्त्र कहलाता है।

पाचन में भोजन के जटिल पोषक पदार्थों व बड़े अणुओं को विभिन्न रासायनिक क्रियाओं तथा एन्जाइमों की सहायता से सरल, छोटे व घुलनशील पदार्थों में परिवर्तित किया जाता है।

पाचन तन्त्र निम्न दो रचनाओं से मिलकर बना होता है
I. आहार नाल (Alimentary Canal)
II. पाचक ग्रन्थियाँ (Digestive glands)

I. आहार नाल (Alimentary Canal)-मनुष्य की आहार नाल लम्बी कुण्डलित एवं पेशीय संरचना है जो मुँह से लेकर गुदा तक फैली रहती है। मनुष्य में आहार नाल लगभग 8 से 10 मीटर लम्बी होती है। आहार नाल के प्रमुख अंग निम्न हैं
(1) मुख (Mouth)
(2) ग्रसनी (Pharynx)
(3) ग्रासनली (Oesophagus)
(4) आमाशय (Stomach)
(5) छोटी आँत (Small Intestine)
(6) बड़ी आँत (Large Intestine)

1. मुख (Mouth)-मुख दो गतिशील पेशीय होठों के द्वारा घिरा होता है, जिन्हें क्रमशः ऊपरी होठ व निचला होठ कहते हैं। मुख मुखगुहा में खुलता है जो एक कटोरेनुमा होती है। मुखगुहा की छत को तालू कहते हैं। मुखगुहा की तल पर मांसल जीभ पाई जाती है। जीभ भोजन को चबाने का कार्य करती है। ऊपरी व निचले जबड़ा में 16-16 दाँत पाये जाते हैं, जो भोजन चबाने में सहायता करते हैं। दाँत चार प्रकार के होते हैं, कुंतक, रदनक, अग्र चवर्णक एवं चवर्णक।।

2. ग्रेसनी (Pharynx)-मुखगुहा पीछे की ओर एक कीपनुमा नलिका में • खुलती है, जिसे ग्रसनी कहते हैं। ग्रसनी तीन भागों में विभक्त होती है, जिन्हें क्रमशः नासाग्रसनी, मुखग्रसनी व कंठग्रसनी कहते हैं। ग्रसनी में कोई किसी प्रकार पाचन नहीं होता है। यह भोजन ग्रसीका में भेजने का कार्य करती है।

3. ग्रासनली (Oesophagus)-यह सीधी नलिकाकार होती है जो ग्रसनी को आमाशय से जोड़ने का कार्य करती है। यह ग्रीवा तथा वक्ष भाग से होती हुई तनुपट (Diaphragm) को भेदकर उदरगुहा में प्रवेश करती है और अन्त में आमाशय में खुलती है।

4. आमाशय (Stomach)-यह आहारनाल का सबसे चौडा थैलेनुमा पेशीय भाग है जिसकी आकृति ‘J’ के समान होती है। आमाशय में तीन भाग पाये जाते हैं-

  • जठरागम भाग
  • जठरनिर्गमी भाग
  • फंडिस भाग। आमाशय भोजन को पचाने का कार्य करता है।

5. छोटी आँत (Small Intestine)-आमाशय पाइलोरिक कपाट द्वारा छोटी आँत में खुलता है। मानव में इसकी लम्बाई सात मीटर होती हैं। इस भाग में भोजन का सर्वाधिक पाचन तथा अवशोषण होता है। छोटी आँत में निम्न तीन भाग पाये जाते हैं.

  • ग्रहणी (Duodenum)-यह छोटी आँत का प्रारम्भिक भाग है। इसका आकार U के समान होता है जो भोजन के रासायनिक पाचन (एंजाइमों द्वारा) में सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • अग्रक्षुद्रदांत्र (Jejunum)-यह लम्बा संकरा एवं नलिकाकार भाग है। मुख्यतया अवशोषण का कार्य करता है।
  • इलियम (Illeum)-यह आंत्र का शेष भाग है। यह पित्त लवण व विटामिन्स का अवशोषण करता है।

6. बेड़ी आँत (Large Intestine)-इलियम पीछे की ओर बड़ी आँत में खुलती है। बड़ी आँत तीन भागों में विभक्त होती है-

  • अंधनाल
  • वृहदान्त्र
  • मलाशय। इसका मुख्य कार्य जल, खनिज लवणों का अवशोषण तथा अपचित भोजन को मल द्वार से उत्सर्जित करना है।

II. पाचक ग्रन्थियाँ (Digestive glands)-निम्न पाचक ग्रन्थियाँ हैं

1. लार ग्रन्थियाँ (Salivary glands)-तीन जोड़ी लार ग्रन्थियाँ लार स्रावित करती हैं जिनमें स्टार्च को माल्टोज शर्करा में बदलने वाला टायलिन एंजाइम उपस्थित होता है।

2. यकृत (Liver)-पित्त का निर्माण करता है। पित्त, पित्ताशय में संग्रहित रहता है। यह वसा के इमल्सीकरण का कार्य करता है अतः वसा के पाचन में सहायक है।

3. अग्नाशय (Pancreas)-प्रोटीन, वसा व कार्बोहाइड्रेट पाचक एंजाइमों का स्राव करती है। अग्नाशयी रस, पित्त रस के साथ ग्रहणी में पहुँचता है।
एंजाइमों का महत्त्व-मनुष्य में लार ग्रन्थियाँ (Salivary glands), यकृत (Liver) एवं अग्नाशय (Pancreases) ग्रन्थियाँ हैं। लार ग्रन्थियाँ भोजन को निगलने हेतु चिकनाई प्रदान करती हैं, साथ ही स्टार्च के पाचन हेतु एपाइलेज नामक पाचक एन्जाइम का स्रावण किया जाता है। यकृत द्वारा प्रमुख रूप से पित्त रस का स्रावण किया जाता है। यह वसा का पायसीकरण करने में सहायता करता है। यकृत शरीर की सबसे बड़ी पाचन ग्रन्थि है। यह कार्बोहाइड्रेट, वसा एवं प्रोटीन के उपापचय (metabolism) में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अग्नाशय विभिन्न प्रकार के एन्जाइम का स्रावण करता है, एमाइलेज, ट्रिप्सिन, काइमोट्रिप्सिन आदि जो कि भोजन के पाचन में सहायक है।

आमाशय के जठर रस में पेप्पसीन व रेनिन एन्जाइम होते हैं जो प्रोटीन व दुध की प्रोटीन को पचाने में सहायता करता है। इसी प्रकार आंत्रीय रस में पाये जाने वाले एन्जाइम माल्टोज, लैक्टेज सुक्रेज, लाइपेज सुक्रेज, लाइपेज न्यूक्लिएज, डाइपेप्टाइडेज, फोस्फोटेज आदि के द्वारा पोषक पदार्थों का पाचन किया जाता है।

प्रश्न 66.
मानव श्वसन तंत्र में श्वासनली, ब्रोन्किओल, फेफड़े तथा श्वसन मांसपेशियों का क्या महत्त्व है? समझाइए।
उत्तर-
श्वसन तन्त्र में श्वासनली, ब्रोन्किओल, फेफड़े तथा श्वसन मांसपेशियों का अग्रलिखित महत्त्व है

श्वासनली (Trachea)-श्वासनली कूटस्तरीय पक्ष्माभी स्तम्भाकार उपकला द्वारा रेखित C-आकार के उपास्थि छल्ले से बनी होती है। ये छल्ले श्वास नली को आपस में चिपकने से रोकते हैं तथा इसे हमेशा खुला रखते हैं। यह करीब 5 इंच लम्बी होती है। यह कंठ से प्रारम्भ होकर गर्दन से होती हुई डायफ्राम को भेदकर वक्ष गुहा तक फैली रहती है। श्वासनली की भीतरी श्लेष्मा कला श्लेष्म स्रावित करती रहती है। यह दीवार के भीतरी स्तर को नम व लसदार बनाये रखती है जो धूल, कण व रोगाणुओं को रोकती है।

ब्रोन्किओल (Bronchiole)-श्वासनली वक्षगुहा में दो भागों में बँट जाती है। प्रत्येक शाखा को क्रमशः दायीं-बायीं श्वसनी (Bronchus) कहते हैं। प्रत्येक श्वसनी दोनों ओर के फेफड़े में प्रवेश करती है। फेफड़ों में श्वसनी के प्रवेश के पश्चात् यह पतली-पतली शाखाओं में बँट जाती है। इन शाखाओं को श्वसनिकाएँ या ब्रोन्किओल्स कहते हैं। श्वसनी तथा ब्रोन्किओल्स मिलकर एक वृक्षनुमा संरचना बनाते हैं, जो बहुत-सी शाखाओं में विभक्त होती है। इन शाखाओं के अन्तिम छोर पर कूपिकाएँ (alveoli) पाये जाते हैं। गैसों का विनिमय इन कूपिकाओं के माध्यम से होता है।

फेफड़े (Lungs)-फेफड़े लचीले, कोमल, हल्के गुलाबी रंग के होते हैं। ये एक जोड़ी होते हैं–बायां फेफड़ा व दायां फेफड़ा। बायां फेफड़ा दो पाली में तथा दायां फेफड़ा तीन पालियों से निर्मित होता है। प्रत्येक फेफड़ा स्पंजी ऊतकों से बना होता है, जिसमें कई केशिकाएँ पाई जाती हैं। कूपिका एक कपनुमा संरचना होती है, जो सीमान्त ब्रोन्किओल के आखिरी सिरे पर पाई जाती हैं। ये असंख्य केशिकाओं से घिरा होता है । कृपिका में शल्की उपकला की पंक्तियाँ पाई जाती हैं जो कोशिका में प्रवाहित रुधिर से गैसों के विनिमय में मदद करती हैं।

श्वसन मांसपेशियाँ-फेफड़ों में गैसों के विनिमय हेतु मांसपेशियों की आवश्यकता होती है। ये पेशियाँ श्वास को लेने व छोड़ने में सहायता करती हैं। मुख्य रूप से श्वसन के लिए मध्य पट/डायफ्राम उत्तरदायी है। डायफ्राम कंकाल पेशी से बनी हुई एक पतली चादरनुमा संरचना है जो वक्षस्थल की सतह पर पाई जाती है। डायफ्राम के संकुचन से वायु नासिका से होती हुई फेफड़ों में प्रवेश करती है तथा शिथिलन से वायु फेफड़ों के बाहर निकलती है। इसके अलावा पसलियों में विशेष प्रकार की मांसपेशी पाई जाती है, जिसे इन्टरकोस्टल पेशियाँ (Intercostal muscles) कहते हैं, जो डायफ्राम के संकुचन व शिथिलन में सहायता करती हैं।

प्रश्न 67.
रक्त क्या होता है? रक्त के विभिन्न घटकों की विवेचना करें तथा रक्त के महत्त्व को समझाइए।
उत्तर-
रक्त एक तरल संयोजी ऊतक होता है। यह एक श्यान तरल है। जिसके दो भाग होते हैं-प्लाज्मा (Plasma) एवं रुधिर कोशिकाएँ। मनुष्य के अन्दर रुधिर का आयतन लगभग 5 लीटर होता है।

रक्त के घटक–रक्त के मुख्यत: दो भाग होते हैं-(1) प्लाज्मा (2) रुधिर कोशिकाएँ।

(1) प्लाज्मा (Plasma)-
रुधिर के तरल भाग को प्लाज्मा कहते हैं। यह हल्के पीले रंग का क्षारीय तरल होता है। रुधिर आयतन का 55% भाग प्लाज्मा होता है। इसमें 92% जल एवं 8% विभिन्न कार्बनिक एवं अकार्बनिक पदार्थ घुलित या निलम्बित या कोलाइड रूप में पाये जाते हैं।

(2) रुधिर कोशिकाएँ-
ये निम्न तीन प्रकार की होती हैं
(अ) लाल रुधिर कोशिकाएँ (RBC)-इन्हें इरिथ्रोसाइट्स (Erythrocytes) भी कहते हैं। इनकी संख्या बहुत अधिक होती है। ये कुल रक्त कोशिकाओं का 99 प्रतिशत होती हैं। ये आकार में वृत्ताकार, डिस्कीरूपी, उभयावतल (Biconcave) एवं केन्द्रक रहित होती हैं। हीमोग्लोबिन के कारण रक्त का रंग लाल होता है। इनकी औसत आयु 120 दिन होती है।
(ब) श्वेत रक्त कोशिकाएँ (WBC)- इनका निर्माण लाल अस्थि मज्जा (Red bone marrow) से होता है। इन्हें ल्यूकोसाइट्स (Leucocytes) भी कहते हैं। इनमें हीमोग्लोबिन के अभाव के कारण तथा रंगहीन होने से इन्हें श्वेत रक्त कोशिकाएँ कहते हैं। इनमें केन्द्रक पाया जाता है इसलिए इसे वास्तविक कोशिकाएँ (True cells) कहते हैं। ये लाल रुधिर कोशिकाओं की अपेक्षा बड़ी, अनियमित एवं परिवर्तनशील आकार की परन्तु संख्या में बहुत कम होती हैं। ये कोशिकाएँ दो प्रकार की होती हैं
(i) कणिकामय (Granulocytes)
(ii) कणिकाविहीन (Agranulocytes)

(i) कणिकामय श्वेत रक्ताण-ये तीन प्रकार की होती हैं

  • न्यूट्रोफिल
  • इओसिनोफिल
  • बेसोफिल।

न्यूट्रोफिल कणिकामय श्वेत रुधिर रक्ताणुओं में इनकी संख्या सबसे अधिक होती है। ये सबसे अधिक सक्रिय एवं इनमें अमीबीय गति पाई जाती है।

(ii) कणिकाविहीन (Agranulocytes)-ये दो प्रकार की होती हैं
(a) मोनोसाइट
(b) लिम्फोसाइट।

(a) मोनोसाइट (Monocytes)-ये न्यूट्रोफिल्स की तरह शरीर में प्रवेश कर सूक्ष्म जीवों का अन्त:ग्रहण (Ingestion) कर भक्षण करती हैं।
(b) लिम्फोसाइट (Lymphocytes)-ये कोशिकाएँ तीन प्रकार की होती हैं

  • बी-लिम्फोसाइट
  • ‘टी’ लिम्फोसाइट
  • प्राकृतिक मारक कोशिकाएँ।
    लिम्फोसाइट प्रतिरक्षा उत्पन्न करने वाली प्राथमिक कोशिकाएँ हैं।

मोनोसाइट महाभक्षक (Macrophage) कोशिका में बदल जाती है। मोनोसाइट, महाभक्षक तथा न्यूट्रोफिल मानव शरीर की प्रमुख भक्षक कोशिकाएँ हैं जो बाह्य प्रतिजनों का भक्षण करती हैं।

(स) बिम्बाणु (Platelets)-ये बहुत छोटे होते हैं। इनका निर्माण भी अस्थि मज्जा में होता है। रक्त में इनकी संख्या करीब 3 लाख प्रति घन मिमी. होती है। इनकी आकृति अनियमित होती है तथा केन्द्रक का अभाव होता है। इनका जीवनकाल 10 दिन का होता है। बिम्बाणु रुधिर के थक्का जमाने में सहायता करती है। इनको थ्रोम्बोसाइट भी कहते हैं।

रक्त का महत्त्व-रक्त प्राणियों के शरीर में निम्न कार्यों हेतु महत्त्वपूर्ण है

  1. RBC हीमोग्लोबिन द्वारा 0, व CO, का परिवहन करती है।
  2. रुधिर के द्वारा पचे हुए पोषक पदार्थों को शरीर के विभिन्न भागों तक ले जाया जाता है।
  3. रक्त समस्त शरीर का एकसमान ताप बनाये रखने में सहायता करता है।
  4. रक्त शरीर पर हुए चोटों व घावों को भरने में सहायता करता है।
  5. प्रतिरक्षण के कार्यों को संपादित करना।
  6. हार्मोन आदि को आवश्यकता के अनुरूप परिवहन करना।
  7. उत्सर्जी उत्पादों को शरीर से बाहर करना।

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 2 मानव तंत्र

प्रश्न 68.
मानव में मूत्र निर्माण की प्रक्रिया की विवेचना करें। वृक्के की संरचना को समझाइये।
उत्तर-
मानव में मूत्र निर्माण (Urine formation)-नेफ्रॉन (Nephron) का मुख्य कार्य मूत्र निर्माण करना है। मूत्र का निर्माण तीन चरणों में सम्पादित होता है
(i) छानना/परानियंदन (Ultrafiltration)
(ii) चयनात्मक पुनः अवशोषण (Selective reabsorption)
(iii) स्रवण (Secretion)

(i) छानना/परानियंदन-ग्लोमेरुलसे में प्रवेश करने वाली अभिवाही धमनिका, उससे बाहर निकलने वाली अपवाही धमनिका से अधिक चौड़ी होती है। इसलिए जितना रुधिर ग्लोमेरुलस में प्रवेश करता है, निश्चित समय में उतना रुधिर बाहर नहीं निकल पाता। इसलिए केशिका गुच्छ में रुधिर का दबाव बढ़ जाता है। इस दाब के कारण प्रोटीन के अलावा रुधिर प्लाज्मा में घुले सभी पदार्थ छनकर बोमेन संपुट में पहुँच जाते हैं। बोमेन संपुट में पहुँचने वाला यह द्रव नेफ्रिक फिल्ट्रेट या वृक्क निस्वंद कहलाता है। रुधिर में घुले सभी लाभदायक एवं हानिकारक पदार्थ इस द्रव में होते हैं, इसलिए इसे प्रोटीन रहित छना हुआ प्लाज्मा भी कहते हैं।

(ii) चयनात्मक पुनः अवशोषण-नेफ्रिक फिल्ट्रेट द्रव बोमेन सम्पुट में से होकर वृक्क नलिका के अग्र भाग में पहुँचता है। इस भाग में ग्लूकोस, विटामिन, हार्मोन तथा अमोनिया आदि को रुधिर में पुनः अवशोषित कर लिया जाता है। ये अवशोषित पदार्थ नलिका के चारों ओर फैली कोशिकाओं के रुधिर में पहुँचते हैं। इनके अवशोषण से नेफ्रिक फिल्ट्रेट में पानी की सान्द्रता अधिक हो जाती है। अब जल भी परासरण विधि द्वारा रुधिर में पहुँच जाता है।

(iii) स्रवण-जब रुधिर वृक्क नलिका पर फैले कोशिका जाल से गुजरता है, तब उसके प्लाज्मा में बचे हुए उत्सर्जी पदार्थ पुनः नेफ्रिक फिल्ट्रेट में डाल दिए जाते हैं। इस अवशेष द्रव में केवल अपशिष्ट पदार्थ बचते हैं, जो मूत्र (Urine) कहलाता है। यह मूत्र मूत्राशय में संग्रहित होता है और आवश्यकता पड़ने पर मूत्राशय की पेशियों के संकुचन से मूत्र मार्ग द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है।

वृक्क संरचना-मनुष्य में एक जोड़ी वृक्क पाये जाते हैं। दोनों वृक्क उदरगुहा के पृष्ठ भाग में डायफ्राम के नीचे कशेरुक दण्ड के इधर-उधर स्थित होते हैं। वृक्क गहरे भूरे रंग एवं सेम के बीज की आकृति के होते हैं। अर्थात् इनका बाहरी भाग उभरा हुआ तथा भीतरी भाग दबा हुआ होता है, जिसके मध्य में एक छोटा-सा गड्ढा होता है। इस गड्ढे को हाइलम (Hilum) कहते हैं। हाइलम भाग से वृक्क धमनी प्रवेश करती है किन्तु वृक्क शिरा (Renal vein) एवं मूत्रवाहिनी । (Ureter) बाहर निकलती है। बायां वृक्क दाहिने वृक्क से थोड़ा ऊपर स्थित होता है। एवं दाहिने वृक्क से आकार में बड़ा होता है।

प्रत्येक वृक्क के दो भाग होते हैं-बाहरी भाग को वल्कुट (Cortex) तथा अन्दर वाले भाग को मध्यांश (Medula) कहते हैं। प्रत्येक वृक्क में लाखों महीन कुण्डलित नलिकाएँ पाई जाती हैं। इन नलिकाओं को वृक्क नलिकाएँ या नेफ्रॉन (Nephron) कहते हैं । यह वृक्क की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है। प्रत्येक नेफ्रॉन के दो भाग होते हैं-

  • बोमन सम्पुट
  • वृक्क नलिका।

प्रश्न 69.
नर जनन तंत्र का चित्र बनाइए। मानव में प्राथमिक जनन अंगों की क्रियाविधि बताइए।
उत्तर-
नर जनन तंत्र का चित्र
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 2 मानव तंत्र image - 3
प्राथमिक जनन अंग (Primary reproductive organs)-(1) मानव में नर प्राथमिक जनन अंग वृषण (Testis) कहलाते हैं।

वृषण (Testis)-मानव में वृषण दो होते हैं। इनका रंग गुलाबी तथा आकृति में अण्डाकार होते हैं। दोनों वृषण उदरगुहा के बाहर एक थैली में स्थित होते हैं जिसे वृषण कोष (Scrotum) कहते हैं। वृषण में पाई जाने वाली नलिकाओं को शुक्रजनन नलिका (Seminiferous Tubules) कहते हैं। जो वृषण की इकाई है। वृषण में शुक्राणुओं का निर्माण होता है। इसके अतिरिक्त नर हार्मोन (टेस्टोस्टेरॉन) भी वृषण में बनता है जो लड़कों में यौवनावस्था के लक्षणों का नियंत्रण करता है।

(2) मादाओं में प्राथमिक लैंगिक अंग के तौर पर एक जोड़ी अण्डाशय (ovaries) पाए जाते हैं। अण्डाशय के दो प्रमुख कार्य होते हैं-प्रथम, यह मादा जनन कोशिकाओं (अंडाणु) का निर्माण करता है। द्वितीय, यह एक अंत:स्रावी ग्रन्थि के तौर पर दो हार्मोन का निर्माण करता है-एस्ट्रोजन (estrogen) तथा प्रोजेस्टेरोन (progesterone)। दोनों अण्डाशय उदरगुहा में वक्कों के नीचे श्रोणि भाग (pelvic region) में गर्भाशय के दोनों ओर उपस्थित होते हैं। प्रत्येक अंडाशय में असंख्य विशिष्ट संरचनाएँ जिन्हें अण्डाशयी पुटिकाएं (ovarian follicles) कहा जाता है, पाई जाती हैं। ये पुटिकाएं अण्डाणु निर्माण करती हैं। अण्डाणु परिपक्व होने के पश्चात् अंडाशय से निकलकर अंडवाहिनी (fallopian tubes) से होकर गर्भाशय तक पहुँचता है। अंडाशय से स्रावित हार्मोन स्त्रियों में होने वाले लैंगिक परिवर्तन, अंडाणु के निर्माण आदि कार्यों में मदद करते हैं।

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 2 मानव तंत्र

प्रश्न 70.
तंत्रिका की संरचना को चित्र के माध्यम से समझाइए। हाइपोथैलेमस तथा पीयूष ग्रन्थि के महत्त्व को समझाइए।
उत्तर-
तन्त्रिका तन्त्र का निर्माण कोशिकाओं अथवा न्यूरोन्स (Neurons) द्वारा होता है। यह तन्त्रिका तन्त्र की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है।

तन्त्रिका कोशिका की संरचना (Structure of Nerve Cell)-यह तीन भागों से मिलकर बनी होती है|
(1) सोमा (Soma) अथवा कोशिकाकाय-यह कोशिका का प्रमुख भाग होता है, जिसमें एक केन्द्रक तथा कोशिका द्रव्य पाया जाता है। केन्द्रक में एक स्पष्ट केन्द्रिका (Nucleolus) होती है, जबकि कोशिका द्रव्य में निसेल कणिकाएँ (Nissl’s Granules) तथा न्यूरोफाइब्रिल्स (Neurofibrils) नामक सूक्ष्म तन्तु पाये जाते हैं।
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(2) द्रुमाक्ष्य (Dendrone)-ये छोटे शाखित प्रवर्ध होते हैं, जो कोशिकाकाय की शाखाओं के तौर पर पाये जाते हैं। ये तन्तु उद्दीपनों को कोशिकाकाय की ओर भेजते हैं।

(3) तंत्रिकाक्ष (Axon)-यह एक लम्बा प्रवर्ध होता है जो सोमा से निकलता है। तंत्रिकाक्ष में संदेश सोमा से दूर चलते हैं। अपने दूरस्थ सिरे तन्त्रिकाक्ष शाखित हो जाता है। प्रत्येक शाखा के अन्तिम सिरे पर अवग्रथनी घुण्डी या सिनैप्टिक नोब (Synaptic knob) अथवा अन्तस्थ बटन (Terminal button) नामक सूक्ष्म विवर्धन पाया जाता है, जिसमें न्यूरोट्रांसमीटर नामक पदार्थ पाये जाते हैं, जो तन्त्रिका आवेगों के सम्प्रेषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। तंत्रिकाक्ष के माध्यम से आवेग न्यूरोन बाहर निकलते हैं।

एक न्यूरोन के द्रुमाक्ष्य के दूसरे न्यूरोन के तंत्रिकाक्ष से मिलने के स्थान को संधि स्थल या सिनैप्स कहते हैं। अर्थात् दो न्यूरोन्स के बीच वाले संधि स्थानों को युग्मानुबंधन या सिनैप्स कहते हैं।

हाइपोथैलेमस तथा पीयूष ग्रन्थि का महत्त्व-अन्त:स्रावी तन्त्र के द्वारा जो नियंत्रण स्थापित किया जाता है, उसमें हाइपोथैलेमस सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हाइपोथैलेमस मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों से सूचना एकत्रित कर इन सूचनाओं को विभिन्न स्रावों तथा तंत्रिकाओं द्वारा पीयूष ग्रन्थि तक पहुँचाती है।

पीयूष ग्रन्थि इन सूचनाओं के आधार पर अपने विभिन्न स्रावणों की सहायता से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से अन्य अन्त:स्रावी ग्रन्थियों की क्रियाओं को नियंत्रित करती है। ये ग्रन्थियाँ पीयूष ग्रन्थि के निर्देशानुसार भिन्न-भिन्न हार्मोन का स्रावण करती हैं। ये स्रावित हार्मोन मानव शरीर में अनेकों कार्य जैसे-वृद्धि, उपापचयी क्रियाएँ आदि सम्पादित तथा नियंत्रित करते हैं। हार्मोन लक्ष्य ऊतकों पर उपस्थित विशिष्ट प्रोटीन से जुड़कर अपना प्रभाव डालती है।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. समान कार्य करने वाली कोशिकाएँ मिलकर बनाती हैं
(अ) कोशिका
(ब) अंग
(स) ऊतक
(द) तंत्र

2. यकृत की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है
(अ) यकृत पालिकाएँ
(ब) वृक्क नलिका
(स) तंत्रिका कोशिका
(द) शुक्रजनन नलिका

3. आमाशय में पाये जाने वाले एन्जाइम हैं
(अ) पेप्पसिन
(ब) रेनिन
(स) अ व ब
(द) ऐमिलेज

4. मुख श्वसन तंत्र में किस अंग के तौर पर कार्य करता है
(अ) प्राथमिक
(ब) द्वितीयक
(स) तृतीयक
(द) चतुर्थक

5. ग्रसनी की आकृति होती है
(अ) चिमनीनुमा
(ब) लालटेननुमा
(स) मोमबत्तीनुमा
(द) अण्डाकारनुमा

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6. श्वसन के लिए निम्न में से मुख्य रूप से उत्तरदायी है
(अ) नासिका
(ब) पसलियाँ
(स) फेफड़े
(द) डायफ्राम

7. भ्रूणावस्था तथा नवजात शिशुओं में रक्त का निर्माण होता है
(अ) यकृत में
(ब) प्लीहा में
(स) अस्थिमज्जा में
(द) अग्न्याशय में

8. निम्न में किस कोशिका/कणिका की संख्या रक्त में पाई जाने वाली WBC में सबसे अधिक होती है
(अ) इओसिनोफिल
(ब) न्यूट्रोफिल
(स) बेसोफिल
(द) उपरोक्त में कोई नहीं

9. प्रतिजन A व B की उपस्थिति या अनुपस्थिति के आधार पर रक्त कितने समूहों में विभक्त किया गया है
(अ) एक समूह
(ब) दो समूह
(स) तीन समूह
(द) चार समूह

10. हृदय की गतिविधियों की गति निर्धारित करता है
(अ) पेसमेकर
(ब) महाशिरा
(स) माइट्रल कपाट
(द) फुफ्फुस धमनी

11. निम्न में अमोनियोत्सर्ग का उदाहरण है
(अ) उभयचर।
(ब) मछलियाँ
(स) जलीय कीट
(द) उपरोक्त सभी

12. हेनले का लूप पाया जाता है
(अ) वृक्क में
(ब) आमाशय में
(स) अग्न्याशय में
(द) वृषण में

13. त्वचा निम्न में पसीने के रूप में उत्सर्जित करती है
(अ) नमक
(ब) यूरिया
(स) लैक्टिक अम्ल
(द) उपरोक्त सभी

14. योनि में पाये जाने वाला जीवाणु है
(अ) लैक्टोबैसिलस
(ब) राइजोबियम
(स) अ व ब दोनों
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं

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15. मानव मस्तिष्क का वजन है
(अ) 1 किलो
(ब) 12 किलो
(स) 2 किलो
(द) 24 किलो

16. कॉर्पोरा क्वाड्रीजेमीना पिण्ड पाया जाता है
(अ) अग्र मस्तिष्क में
(ब) मध्य मस्तिष्क में
(स) पश्च मस्तिष्क में
(द) मेरुरज्जु में

17. निसेल कणिकाएँ (Nissl’s granules) न्यूरोन के किस भाग में पाई जाती हैं?
(अ) कोशिकाकाय में
(ब) द्रुमाक्ष्य में
(स) तंत्रिकाक्ष में
(द) पेशियों में

18. निम्न में से मास्टर ग्रन्थि है
(अ) अधिवृक्क ग्रन्थि
(ब) थाइमस ग्रन्थि
(स) थायराइड ग्रन्थि
(द) पीयूष ग्रन्थि

19. किस हार्मोन की कमी से टिटेनी रोग होता है?
(अ) पैराथार्मोन
(ब) थाइरोक्सिन
(स) मेलेटोनिन
(द) पीयूष हार्मोन

20. आपातकालीन हार्मोन किस ग्रन्थि से स्रावित किया जाता है ?
(अ) थायराइड ग्रन्थि
(ब) थाइमस ग्रन्थि
(स) अधिवृक्क ग्रन्थि
(द) पीयूष ग्रन्थि।

उत्तरमाला-
1. (स)
2. (अ)
3. (स)
4. (ब)
5. (अ)
6. (द)
7. (ब)
8. (ब)
9. (द)
10. (अ)
11. (द)
12. (अ)
13. (द)
14. (अ)
15. (ब)
16. (ब)
17. (अ)
18. (द)
19. (अ)
20. (स)

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अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
लार ग्रन्थि द्वारा स्रावित एन्जाइम का नाम लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
उत्तर-
लार ग्रन्थि द्वारा स्रावित एन्जाइम का नाम टायलिन है।

प्रश्न 2.
स्त्रियों के दो लिंग हार्मोनों के नाम लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18)
उत्तर-
(1) एस्ट्रोजन (2) प्रोजेस्टेरॉन।

प्रश्न 3.
जीभ मुखगुहा के पृष्ठ भाग में आधार तल से किस रचना से जुड़ी होती है?
उत्तर-
जीभ मुखगुहा के पृष्ठ भाग में आधार तल से फ्रेनुलम लिंगुअल के द्वारा जुड़ी होती है।

प्रश्न 4.
दूध के दाँत बच्चे में कितनी उम्र में निकलते हैं ?
उत्तर-
दूध के दाँत बच्चे में 6 माह की उम्र में निकलते हैं।

प्रश्न 5.
आमाशय कितना लीटर आहार धारित कर सकता है?
उत्तर-
आमाशय एक से तीन लीटर आहार धारित कर सकता है।

प्रश्न 6.
अग्न्याशय की आकृति किस प्रकार की होती है?
उत्तर-
अग्न्याशय की आकृति ‘U’ की आकति की होती है।

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प्रश्न 7.
पित्ताशय कहाँ स्थित होता है एवं यह किसका भण्डारण करता है?
उत्तर-
पित्ताशय यकृत के अवतल भाग में स्थित होता है। पित्ताशय पित्त का भण्डारण करता है।

प्रश्न 8.
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल किन कोशिकाओं द्वारा स्रावित किया जाता है ?
उत्तर-
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल आक्सिन्टिक कोशिकाओं द्वारा स्रावित किया। जाता है।

प्रश्न 9.
श्वास नली (Trachea) किस प्रकार की आकृति के उपास्थि छल्लों से निर्मित होती है?
उत्तर-
श्वास नली C-आकार के उपास्थि छल्लों से निर्मित होती है।

प्रश्न 10.
एक फेफड़े में कितनी कूपिकाएँ पाई जाती हैं ?
उत्तर-
एक फेफड़े में करीब 30 मिलियन कूपिकाएँ पाई जाती हैं।

प्रश्न 11.
उस रक्त समूह का नाम बताइए जिसमें कोई किसी प्रकार की प्रतिजन उपस्थित नहीं होती है।
उत्तर-
‘O’ रक्त समूह वाले व्यक्ति में कोई किसी प्रकार की प्रतिजन उपस्थित नहीं होती है।

प्रश्न 12.
विश्व में कितने प्रतिशत व्यक्तियों का रक्त आरएच धनात्मक है?
उत्तर-
विश्व में 80 प्रतिशत व्यक्तियों का रक्त आरएच धनात्मक है।

प्रश्न 13.
मनुष्य में किस प्रकार का परिसंचरण तन्त्र पाया जाता है ?
उत्तर-
मनुष्य में बंद परिसंचरण तंत्र (Closed Circulatory System) पाया जाता है।

प्रश्न 14.
बायें आलिन्द व बायें निलय के बीच पाये जाने वाले कपाट (Valve) को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
बायें आलिन्द व बायें निलय के बीच पाये जाने वाले कपाट को माइट्रल (Mitral) कपाट कहते हैं।

प्रश्न 15.
पक्षी व कीट उत्सर्जन के आधार पर किस प्रकार के प्राणी हैं ?
उत्तर-
पक्षी व कीट उत्सर्जन के आधार पर यूरिक अम्ल उत्सर्जी या यूरिकोटेलिक प्राणी हैं।

प्रश्न 16.
यकृत द्वारा ऐसे दो पदार्थों के नाम लिखिए जिनका उत्सर्जन मल के द्वारा किया जाता है।
उत्तर-

  • बिलीरुबिन
  • बिलीविरडिन
  • विटामिन।

प्रश्न 17.
प्रोस्टेट ग्रन्थि किस प्रकार की ग्रन्थि है एवं इसका आकार किस प्रकार का होता है ?
उत्तर-
यह बाह्यस्रावी ग्रन्थि है एवं इसका आकार अखरोट के समान होता है।

प्रश्न 18.
माता व भ्रूण के मध्य स्थापित कड़ी अथवा संरचना को क्या कहते हैं?
उत्तर-
माता व भ्रूण के मध्य स्थापित कडी अथवा संरचना को प्लेसेंटा (Placenta) कहते हैं।

प्रश्न 19.
योनि में पाये जाने वाले लैक्टोबैसिलस जीवाणु का कार्य लिखिए।
उत्तर-
यह जीवाणु योनि के वातावरण को अम्लीय बनाये रखता है।

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प्रश्न 20.
कोरक का गर्भाशय के अन्त:स्तर पर जुड़ना क्या कहलाता है?
उत्तर-
कोरक का गर्भाशय के अन्त:स्तर पर जुड़ना रोपण (Implantation) कहलाता है।

प्रश्न 21.
शिशु जन्म की प्रक्रिया को क्या कहते हैं?
उत्तर-
शिशु जन्म की प्रक्रिया को प्रसव कहते हैं।

प्रश्न 22.
तन्त्रिका तन्त्र कौनसे दो भागों में विभाजित किया गया है?
उत्तर-

  • केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र
  • परिधीय तन्त्रिका तत्र।

प्रश्न 23.
प्रमस्तिष्क के दोनों गोलार्द्ध किस पट्टी से जुड़े होते हैं ?
उत्तर-
प्रमस्तिष्क के दोनों गोलार्द्ध कार्पस कैलोसम पट्टी से जुड़े होते हैं।

प्रश्न 24.
आमाशय का आकार किस तरह का होता है?
उत्तर-
आमाशय का आकार ‘J’ तरह का होता है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है?
उत्तर-
भोजन के पाचन में लार की भूमिका निम्न है

  • ग्रन्थियों से स्रावित लार मुख गुहा को नम बनाये रखती है।
  • भोजन नम बनाने एवं निगलने में सहायता करती है।
  • भोजन में उपस्थित मण्ड का आंशिक रूप से पाचन करती है तथा टायलिन द्वारा स्टार्च को माल्टोज में बदलती है।
  • मुँह व दाँतों को साफ रखती है।
  • लार में उपस्थित लाइसोजाइम्स जीवाणुओं को नष्ट करने में सहायता प्रदान करती है।

प्रश्न 2.
हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है? यह प्रक्रम कहाँ होता है?
उत्तर-
हमारे शरीर में वसा का पाचन आहार नाल में लाइपेज नामक एंजाइम द्वारा होता है। पित्त रस में उपस्थित पित्त लवण वसा का इमल्सीकरण करते हैं अर्थात् वसा को छोटी गोलिकाओं में खंडित कर देते हैं। इससे एंजाइम की क्रियाशीलता बढ़ जाती है। जेठर रस, अग्न्याशयी रस तथा आंत्र रस में उपस्थित लाइपेज एंजाइम इस इमल्सीकृत वसा को वसीय अम्ल तथा ग्लिसरॉल में बदल देता है। इस प्रकार वसा का पाचन हो जाता है।

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प्रश्न 3.
हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या परिणाम हो सकते हैं?
उत्तर-
हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन का मुख्य कार्य फेफड़ों से ऑक्सीजन ग्रहण करके शरीर के विभिन्न ऊतकों तक पहुँचाना है। अतः इसे श्वसन वर्णक भी कहते हैं। शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के कारण फेफड़ों से शरीर की कोशिकाओं के लिए ऑक्सीजन की उपलब्धता में कमी हो जाएगी। परिणामस्वरूप भोज्य पदार्थों के ऑक्सीकरण में बाधा उत्पन्न होगी। ऐसा होने से शरीर की विभिन्न क्रियाओं के संचालन के लिए आवश्यक ऊर्जा में कमी हो जाएगी। इसके कारण स्वास्थ्य खराब हो सकता है तथा शरीर में थकान महसूस हो सकती है।

हीमोग्लोबिन की कमी से होने वाला रोग रक्ताल्पता (एनीमिया) कहलाता है। इसकी अत्यधिक कमी से रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।

प्रश्न 4.
गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कूपिकाएँ किस प्रकार अभिकल्पित हैं?
उत्तर-
फेफड़ों की सबसे छोटी इकाई कूपिकाएँ हैं व इनमें श्वसनीय सतह पाई जाती है, जहाँ गैस विनिमय होता है। मनुष्य के प्रत्येक फुफ्फुस में करीब 30 मिलियन कूपिकाएँ पाई जाती हैं। कूपिकाओं में अत्यधिक बारीक शल्की उपकला का अस्तर पाया जाता है। यह एपिथिलियम रक्त कोशिकाओं की भित्ति के साथ मिली रहती है। यह दोनों मिलकर श्वसनीय सतह का निर्माण करती हैं।

मनुष्य के यदि दोनों फेफड़ों की कूपिकाओं की सतह को फैला दिया जाये तो यह लगभग 80 वर्गमीटर क्षेत्र ढक लेगी। अतः कृपिकाएँ विनिमय के लिए विस्तृत सतह उपलब्ध करवाती हैं जिससे गैस-विनिमय अधिक दक्षतापूर्वक होता है।

प्रश्न 5.
रुधिर क्या है और इसका कौनसा घटक गैसीयन परिवहन में सहायक है?
उत्तर-
रुधिर एक तरल संयोजी ऊतक होता है। इसमें एक तरल माध्यम होता है, जिसे प्लाज्मा (Plasma) कहते हैं, इसमें कोशिकाएँ निलंबित होती हैं। रुधिर के द्वारा शरीर के भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान तक पदार्थों का परिवहन होता है।

शरीर में श्वसन गैसों (O2 एवं CO2) का परिवहन रुधिर की लाल रुधिर कोशिकाओं में मौजूद हीमोग्लोबिन द्वारा किया जाता है। शेष पदार्थों का परिवहन रुधिर प्लाज्मा द्वारा होता है।

प्रश्न 6.
शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रन्थि की क्या भूमिका है?
उत्तर-
शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रन्थि की भूमिका निम्न प्रकार है
(1) शुक्राशय (Seminal Vesicles)-यह एक तरल बनाता है जो शुक्राणुओं को ले जाने के लिए एक माध्यम के रूप में कार्य करता है। यह तरल शुक्राणुओं का पोषण करता है, इनकी सुरक्षा करता है तथा इन्हें सक्रिय बनाये रखता है। यह तरल स्त्री की योनि के अम्लीय प्रभाव को कम करके शुक्राणुओं की रक्षा करता है।
(2) प्रोस्टेट ग्रन्थि (Prostate gland)-यह मूत्र मार्ग में एक क्षारीय स्राव छोड़ती है जो शुक्राणुओं को गति प्रदान करता है और मूत्र की अम्लता को उदासीन कर देता है। यह स्राव वीर्य का भाग बनाता है। ।

प्रश्न 7.
यौवनारम्भ के समय लड़कियों में कौनसे परिवर्तन दिखाई देते हैं?
उत्तर-
यौवनारम्भ के समय लड़कियों में निम्न परिवर्तन दिखाई देते हैं|

  • स्तन के आकार में वृद्धि होने लगती है तथा स्तनाग्र की त्वचा का रंग भी गहरा होने लगता है।
  • लड़कियों में रजोधर्म होने लगता है।
  • आवाज महीन एवं मधुर हो जाती है।
  • काँख एवं जाँघों के मध्य जननांगी क्षेत्र में बाल निकल आते हैं तथा उनका रंग भी गहरा हो जाता है।
  • त्वचा तैलीय होने लगती है।

प्रश्न 8.
वयस्क में शुक्रवाहिनी को हटाकर उसके स्थान पर रबर की नलिका लगा दी जावे तो क्या प्रभाव पड़ेगा? समझाइए।
उत्तर-
वयस्क में शुक्रवाहिनी को हटाकर उसके स्थान पर रबर की नलिका लगा दी जाये तो शुक्राणुओं का गमन नहीं हो पायेगा क्योंकि शुक्रवाहिनी की कोशिकायें विशेष तरल पदार्थ का स्राव करती हैं जो शुक्रवाहिनी के मार्ग को शुक्राणुओं के गमन हेतु चिकना बनाती हैं। इसके साथ ही शुक्रवाहिनी की दीवार में पेशियों में तरंग गति उत्पन्न होती है जिससे शुक्राणु आगे बढ़ते हैं। अतः रबर की नलिका में शुक्राणुओं का गमन नहीं होगा।

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प्रश्न 9.
यौवनारम्भ (Puberty) किसे कहते हैं? समझाइए।
उत्तर-
यौवनारम्भ (Puberty)-मानव (नर एवं मादा) में अपरिपक्व जनन अंगों का परिपक्वन होकर जनन क्षमता का विकास होना यौवनारम्भ (Puberty) कहलाता है।
नर की अपेक्षा मादा में यौवनारम्भ पहले प्रारम्भ होता है। मानव नर में यौवनारम्भ 13-15 वर्ष की आयु में वृषणों की सक्रियता तथा शुक्राणु उत्पादन के साथ शुरू होता है जबकि मादा में 12-14 वर्ष की आयु में स्तन ग्रन्थियों की वृद्धि एवं रजोदर्शन के साथ प्रारम्भ होती है।

प्रश्न 10.
स्त्रियों में फेलोपियन ट्यूब को धागे से बाँध दिया जावे तो कौनसी क्रिया पर प्रभाव पड़ेगा तथा क्यों ? समझाइए।
उत्तर-
स्त्रियों में फेलोपियन ट्यूब को धागे से बाँधने पर अण्ड गर्भाशय तक नहीं पहुँच सकेगा। परिणामस्वरूप उसका शुक्राणु से मिलन नहीं होगा अर्थात् निषेचन की क्रिया नहीं होगी। फेलोपियन ट्यूब को धागे से बाँधना अथवा शल्य क्रिया द्वारा काटना ट्यूबक्टोमी कहलाता है।

प्रश्न 11.
मानव मस्तिष्क का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर
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प्रश्न 12.
फुफ्फुस के कूपिकाओं एवं वृक्क के नेफ्रॉन में कोई चार अन्तर लिखिए।
उत्तर-
कूपिका एवं नेफ्रॉन में अन्तर
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प्रश्न 13.
रक्त व लसिका में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
रक्त व लसिका में अन्तर
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प्रश्न 14.
यकृत के कार्य लिखिए।
उत्तर-
यकृत के कार्य निम्न हैं

  • यह पित्त रस का संश्लेषण करता है।
  • यकृत कोशिकाएँ यूरिया का संश्लेषण करती हैं।
  • यकृत कोशिकाएँ हिपेरिन नामक प्रोटीन का स्रावण करती हैं जो रुधिर वाहिनियों में रक्त को जमने से रोकता है।
  • वसा का पायसीकरण करता है।
  • यकृत की कोशिकाएँ आवश्यकता से अधिक ग्लूकोज की मात्रा को ग्लाइकोजन में बदलकर संग्रह कर लेती हैं। इस क्रिया को ग्लाइकोजिनेसिस कहते हैं।
  • शरीर में उत्पन्न विषैले पदार्थों का निराविषकरण भी यकृत द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 15.
आहार नाल के प्रमुख कार्य क्या हैं एवं यकृत तथा अग्न्याशय का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर-
आहारनाल के तीन प्रमुख कार्य होते हैं

  • आहार को सरलीकृत कर पचाना
  • पचित आहार का अवशोषण
  • आहार को मुख से मल द्वार तक पहुँचाना।
    यकृत तथा अग्न्याशय का चित्र

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 2 मानव तंत्र image - 8
चित्र मानव यकृत तथा अग्न्याशय

प्रश्न 16.
मानव हृदय का केवल नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर-
मानव हृदय का चित्र
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प्रश्न 17.
श्वसन का क्रिया विज्ञान समझाइए।
उत्तर-
फुफ्फुसीय वायु संचालन फेफड़ों (lungs) में वायु का प्रवेश व निकास की एक ऐसी प्रक्रिया है जो गैसीय विनिमय को आसान बनाती है। इस वायु संचालन के लिए श्वसन तंत्र (Respiratory System) वायुमण्डल तथा कूपिका के मध्य ऋणात्मक दबाव प्रवणता (Negative pressure gradient) एवं डायफ्राम के संकुचन का उपयोग होता है। इस कारण वायुमण्डल से अधिक दबाव वाली वायु फेफड़ों में प्रवेश करती है।
श्वसन क्रिया दो चरणों में होती है|

  • बाह्य श्वसन (External Respiration)-इसमें गैसों का विनिमय हवा से भारी कूपिकाओं तथा केशिकाओं में प्रवाहित रक्त के मध्य गैसों के आंशिक दबाव के अन्तर के कारण होता है।
  • आन्तरिक श्वसन (Internal Respiration)-इसमें गैसों का विनिमय केशिकाओं में प्रवाहित रक्त तथा ऊतकों को मध्य विसरण के माध्यम से होता है।

प्रश्न 18.
नाइट्रोजनी अपशिष्ट कितने प्रकार के होते हैं? समझाइए।
उत्तर-
नाइट्रोजनी अपशिष्ट तीन प्रकार के होते हैं
(अ) अमोनिया (ब) यूरिया (स) यूरिक अम्ल ।।

(अ) अमोनिया (Ammonia)-ऐसे जन्तु जो अमोनिया का उत्सर्जन करते हैं, उन्हें अमोनोटेलिक जन्तु कहते हैं। अधिकतर जल में रहने वाले जन्तु समूह इस प्रकार के होते हैं, क्योंकि जलीय वातावरण में घुलनशील अमोनिया परिवर्तन के देह से सामान्य विसरण द्वारा जलीय वातावरण में चली जाती है। उत्सर्जन की इस विधि को अमोनिया उत्सर्जीकरण कहते हैं। उदाहरण-अमीबा, पैरामिशियम, अस्थिल मछलियाँ, मेंढक का टेडपोल, लारवा तथा जलीय कीट आदि।

(ब) यूरिया (Urea)-ऐसे जन्तु जो नाइट्रोजन युक्त अपशिष्ट पदार्थों का त्याग मुख्यतया यूरिया (Urea) के रूप में करते हैं, उन्हें यूरियोटेलिक जन्तु कहते हैं। जन्तुओं में प्रोटीन उपापचय के दौरान अमोनिया बनती है। यह अमोनिया C0, के साथ आर्थिन चक्र द्वारा यूरिया का निर्माण करती है। यह कार्य यकृत में पूर्ण होता है, जिसे वृक्कों द्वारा नियंदन कर उत्सर्जित किया जाता है। उत्सर्जन की इस विधि को यूरिया उत्सर्जीकरण कहते हैं। उदाहरण-वयस्क उभयचर, स्तनधारी और समुद्री मछलियाँ आदि।

(स) यूरिक अम्ले (Uric acid)-ऐसे जन्तु जो मुख्यतया नाइट्रोजन युक्त अपशिष्ट पदार्थों का याग यूरिक अम्ल के रूप में कहते हैं एवं इस विधि को यूरिको उत्सर्जीकरण कहते हैं। इन जन्तुओं में यूरिक अम्ल का एक सफेद गाठी लेई अर्थात् पेस्ट (Paste) के रूप में निष्कासन होता है, जो जल संरक्षण में सहायक है। उदाहरण-सरीसृप, पक्षी, कीट आदि।

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 2 मानव तंत्र

प्रश्न 19.
तंत्रिका तंत्र को चार्ट द्वारा दर्शाइये।
उत्तर-
तंत्रिका तंत्र का चार्ट
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प्रश्न 20.
तंत्रिका तंत्र की क्रियाविधि को समझाइए।
उत्तर-कई तंत्रिकाएँ मिलकर कड़ीनुमा संरचना का निर्माण करती हैं जो शरीर के विभिन्न भागों को मस्तिष्क (Brain) एवं मेरुरज्जु (Spinalcord) के साथ जोड़ती हैं । संवेदी तंत्रिकाएँ बहुत से उद्दीपनों को जैसे आवाज, रोशनी, स्पर्श आदि पर प्रतिक्रिया करते हुए इन्हें केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र पहुँचाती है। यह कार्य वैद्युत रासायनिक आवेग के जरिये सम्पादित किया जाता है। इसे तंत्रिका आवेग Nerve Impulse) भी कहते हैं।

ये आवेग ही उद्दीपनों को संवेदी अंगों (Sensory organ) (त्वचा, जीभ, नाक, आँखें तथा कान) से केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (Centeral Nervous System) तक प्रसारित करते हैं। तंत्रिका आवेग द्रमाक्ष्य से तंत्रिकाक्ष (Axon) तक पहुँचतेपहुँचते कमजोर पड़ जाते हैं। ऐसे शिथिल आवेगों को सन्धि स्थल पर अधिक शक्तिशाली बनाकर आगे भेजने का कार्य न्यूरोट्रांसमीटर (Neurotransmiter) द्वारा सम्पादित होता है। केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र से संचारित संकेत जो चालक तंत्रिकाओं (Motor Nerves) द्वारा प्रसारित होते हैं व मांसपेशियों तथा ग्रन्थियों को सक्रिय करते हैं।

प्रश्न 21.
रक्त को कितने समूहों में बाँटा गया है? वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मनुष्य के लाल रक्त कणिकाओं (RBC) की सतह पर पाये जाने वाले विशेष प्रकार के प्रतिजन (Antigen) A व B की उपस्थिति या अनुपस्थिति के आधार पर मनुष्य के रक्त को चार समूहों में विभक्त किया गया है

  1. रक्त समूह-A
  2. रक्त समूह-B
  3. रक्त समूह-AB
  4. रक्त समूह-O

रक्त समूह A वाले व्यक्ति की RBC पर प्रतिजन Antigen A, रक्त समूह B वाले व्यक्ति में B तथा रक्त समूह AB वाले व्यक्ति की RBC पर प्रतिजन A व B पाया जाता है। रक्त समूह ‘0’ वाले व्यक्ति की RBC पर कोई किसी प्रकार का प्रतिजन (Antigen) नहीं पाया जाता है। रक्त के इन समूहों को ABO रक्त समूह (ABO Grouping) कहते हैं।

AB समूह द्वारा सभी समूहों का रुधिर ले सकता है, इस कारण से इस समूह को सर्वाग्राही (Universal Recipient) कहते हैं। ‘O’ रुधिर समूह द्वारा सभी रुधिर समूहों (A, B, AB, O) को रुधिर दे सकता है, इस कारण इस रक्त समूह को सर्वदाता (Universal donor) कहते हैं।

AB प्रतिजन (Antigen) के अतिरिक्त RBC पर एक और प्रतिजन पाया जाता है, जिसे आरएच (Rh) प्रतिजन कहते हैं। जिन मनुष्य में Rh कारक पाया जाता है, उनका रक्त आरएच धनात्मक (Rh’) तथा जिनमें Rh कारक नहीं पाया जाता है, उनका रक्त आरएच ऋणात्मक (Rh ) कहलाता है।
संसार में करीब अस्सी प्रतिशत व्यक्तियों का रक्त आरएच धनात्मक (Rh’) है।

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प्रश्न 22.
मनुष्य में दाँत कितने प्रकार के होते हैं? प्रत्येक का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मनुष्य में दाँत चार प्रकार के होते हैं
(1) कुंतक (Incisors)
(2) रदनक (Canines)
(3) अग्र-चवर्णक (Premolars)
(4) चवर्णक (Molars)

1. कुंतक (Incisors)-ये सबसे आगे के दाँत होते हैं, जो कुतरने तथा काटने का कार्य करते हैं। ये 6 माह की उम्र में निकलते हैं।
2. रदनक (Canines)-इनका कार्य भोजन को चीरने व फाड़ने का होता है। ये दाँत 16-20 महीने की उम्र में निकलते हैं। ये प्रत्येक जबड़े में 2-2 होते हैं।
3. अग्र-चवर्णक (Premolars)-ये भोजन को चबाने में सहायक होते हैं। तथा प्रत्येक जबड़े में 4-4 पाए जाते हैं। ये दाँत 10-11 वर्ष की उम्र में पूर्ण रूप से विकसित होते हैं।
4. चवर्णक (Molars)-ये दाँत भी भोजन चबाने में सहायक होते हैं। तथा प्रत्येक जबड़े में 6-6 पाये जाते हैं। प्रथमतः ये 12 से 15 माह की उम्र में निकलते हैं।

प्रश्न 23.
मानव के स्वर यंत्र (Larynx) का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मानव के स्वर यंत्र कंठ ग्रसनी व श्वास नली को जोड़ने वाली संरचना है। यह 9 प्रकार की उपास्थि से मिलकर बना होता है। भोजन के निगलने के दौरान एपिग्लॉटिस (Epiglottis) स्वर यंत्र के आवरण के तौर पर कार्य करती है। तथा भोजन को स्वर यंत्र में जाने से रोकती है। स्वर यंत्र में स्वर रज्जु (Vocal Cords) पाये जाते हैं। ये वायु के बहाव से कंपकंपी उत्पन्न कर अलग-अलग तरह की ध्वनियाँ उत्पन्न करती है।

प्रश्न 24.
शिरा व धमनी में क्या अन्तर है?
उत्तर-
शिरा व धमनी में अन्तरक्र.सं. | शिरा (Vein)
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प्रश्न 25.
दोहरा परिसंचरण तंत्र किसे कहते हैं? यह किनमें पाया जाता है?
उत्तर-
दोहरा परिसंचरण-रक्त का एक चक्र में दो बार हृदय से गुजरनापहली बार शरीर का समस्त अशुद्ध रुधिर हृदय के दाहिने आलिन्द में एकत्रित होकर दाहिने निलय में होते हुए फेफड़ों में जाता तथा दूसरी बार हृदय के बायें आलिन्द में फेफड़ों से फुफ्फुस शिराओं द्वारा एकत्रित होकर शुद्ध रुधिर महाधमनी द्वारा समस्त शरीर में पम्प किया जाता है। इस प्रकार के रक्त परिभ्रमण को दोहरा परिसंचरण (Double Circulation) कहते हैं।
इस प्रकार परिसंचरण मनुष्य में पाया जाता है।

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प्रश्न 26.
पीयूष ग्रन्थि कहाँ पाई जाती है? यह कितने भागों में विभक्त होती है? इनसे निकलने वाले हार्मोन के नाम लिखिए।
उत्तर-
पीयूष ग्रन्थि मस्तिष्क में नीचे की तरफ हाइपोथैलेमस के पास पाई जाती है। यह ग्रन्थि दो भागों में विभक्त होती है

  • एडिनोहाइपोफाइसिस (Adenohypophysis)
  • न्यूरोहाइपोफाइसिस (Neurohypophysis)

एडिनोहाइपोफाइसिस को अग्र पीयुष तथा न्युरोहाइपोफाइसिस को पश्च पीयूष कहते हैं। इसे शरीर की मास्टर ग्रन्थि (Master gland) भी कहते हैं। यह ग्रन्थि कई हार्मोन का निर्माण व स्रावण करती है, जो निम्न हैं—

  1. वृद्धि हार्मोन (सोमेटोट्रोपिन)
  2. प्रौलैक्टिन
  3. थाइराइड प्रेरक हार्मोन
  4. ऑक्सीटोसिन
  5. वेसोप्रेसिन
  6. गोनेडोट्रोपिन।

प्रश्न 27.
अधिवृक्क ग्रन्थि कहाँ पाई जाती है? इससे निकलने वाले हार्मोन्स के कार्य लिखिए।
उत्तर-
वृक्क के ऊपरी भाग में एक जोड़ी अधिवृक्क ग्रन्थियाँ पाई जाती हैं। ये दो प्रकार के हार्मोन स्रावित करती हैं

  • एड्रिनेलीन या एपिनेफ्रीन
  • नारएड्रिनेलिन या नारएपिनेफ्रीन।

ये हार्मोन शरीर में आपातकालीन स्थिति में अधिक तेजी से स्रावित होते हैं तथा अनेक कार्य जैसे हृदय की धड़कन, हृदय संकुचन, श्वसन दर, पुतलियों का फैलाव आदि को नियंत्रित करते हैं। इन हार्मोन को आपातकालीन हार्मोन भी कहते हैं।

प्रश्न 28.
पिनियल ग्रन्थि एवं पैराथाइराइड ग्रन्थि का संक्षिप्त में वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पिनियल ग्रन्थि अग्र मस्तिष्क के ऊपरी भाग पर पाई जाती है। इसके द्वारा मेलोटोनिन हार्मोन का स्रावण किया जाता है। यह हार्मोन मुख्य रूप से शरीर की दैनिक लय के नियमन के लिए उत्तरदायी है।

पैराथाइराइड ग्रन्थि-यह थाइराइड ग्रन्थि के पीछे पाई जाती है। इसके द्वारा पैराथार्मोन स्रावित किया जाता है जो रुधिर में कैल्सियम तथा फास्फेट के स्तर को नियंत्रित करता है। इस हार्मोन की कमी से टिटेनी रोग हो जाता है।

प्रश्न 29.
वृषण व अण्डाशय से स्रावित हार्मोन का नाम एवं इसके कार्य लिखिए।
उत्तर-
वृषण से स्रावित हार्मोन टेस्टोस्टेरॉन है। इसे नर हार्मोन भी कहते हैं। यह हार्मोन नर में लैंगिक अंगों का विकास तथा शुक्राणुओं के निर्माण की प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

अण्डाशय-ये स्रावित हार्मोन एस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रोन है। इसे मादा हार्मोन भी कहते हैं। यह हार्मोन मादा लैंगिक अंगों का विकास, मादा लक्षणों का नियंत्रण, मासिक चक्र का नियंत्रण, गर्भ अनुरक्षण में सहायक है।

निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. (अ) श्वसन किसे कहते हैं?
(ब) मानव श्वसन तंत्र का नामांकित चित्र बनाइए।
( स ) श्वसन की क्रियाविधि समझाइए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
उत्तर-
(अ) कार्बन डाइऑक्साइड व ऑक्सीजन का विनिमय जो पर्यावरण, रक्त और कोशिकाओं के मध्य होता है, को श्वसन कहते हैं।
(ब)
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(स) श्वसन की क्रियाविधि (Mechanism of respiration)फुफ्फुसीय वायु संचालन फेफड़ों (lungs) में वायु का प्रवेश व निकास की एक ऐसी प्रक्रिया है जो गैसीय विनिमय को आसान बनाती है। इस वायु संचालन के लिए श्वसन तंत्र (Respiratory system) वायुमण्डल तथा कूपिका के मध्य ऋणात्मक दबाव प्रवणता (Negative pressure gradient) एवं डायफ्राम के संकुचन का उपयोग होता है। इस कारण वायुमण्डल से अधिक दबाव वाली वायु फेफड़ों में प्रवेश करती है।

श्वसन क्रिया दो चरणों में होती है
(i) बाह्य श्वसन (External Respiration)-इसमें गैसों का विनिमय हवा से भारी कूपिकाओं तथा केशिकाओं में प्रवाहित रक्त के मध्य गैसों के आंशिक दबाव के अन्तर के कारण होता है।
(ii) आन्तरिक श्वसन (Internal Respiration)-इसमें गैसों का विनिमय केशिकाओं में प्रवाहित रक्त तथा ऊतकों को मध्य विसरण के माध्यम से होता है।

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प्रश्न 2.
(अ) मादाओं में प्राथमिक लैंगिक अंग का नाम लिखिए।
(ब) मादा जनन तंत्र का नामांकित चित्र बनाइए।
(स) मानव प्रजनन की दो अवस्थाओं को समझाइए। (माध्य, शिक्षा बोर्ड, 2018)
उत्तर-
(अ) मादाओं में प्राथमिक लैंगिक अंग का नाम अण्डाशय (Ovary) है।
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(स) मानव में प्रजनन की दो अवस्थाएँ निम्न हैं
उत्तर-
मनुष्य में प्रजनन की निम्न अवस्थाएँ पाई जाती हैं|

  1. युग्मक जनन (Gametogenesis)-युग्मकों के निर्माण को युग्मकजन कहते हैं। युग्मक दो प्रकार के होते हैं-शुक्राणु व अण्डाणु। नर के वृषण में शुक्राणु के निर्माण को शुक्रजनन कहते हैं। इसी प्रकार अण्डाशय में अण्डाणु के निर्माण को अण्डजनन (Oogenesis) कहते हैं। शुक्राणु व अण्डाणु अर्थात् दोनों युग्मक अगुणित (Haploid) होते हैं।
  2. निषेचन (Fertilization)-दो विपरीत युग्मक का आपस में मिलना निषेचन कहलाता है। अर्थात् नर के द्वारा मैथुन क्रिया की सहायता से मादा के शरीर में छोड़ने के फलस्वरूप अण्डवाहिनी में उपस्थित अण्डाणु से मिलना (Fuse) होना निषेचन कहलाता है। ऐसा निषेचन आन्तरिक निषेचन (Internal Fertilization) कहलाता है। निषेचन फलस्वरूप युग्मनज (Zygote) का निर्माण होता है जो द्विगुणित होता है।

प्रश्न 3.
(i) पाचन तंत्र का नामांकित चित्र बनाइये।
(ii) जठररस में उपस्थित एंजाइम के नाम एवं उनके कार्य लिखिए ।
(iii) भोजन का सर्वाधिक पाचन एवं अवशोषण, पाचनतंत्र के जिस भाग में होता है, उसका नाम लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18 )
अथवा
(i) उत्सर्जन तंत्र का नामांकित चित्र बनाइये।
(ii) मानव में मूत्र निर्माण की प्रक्रिया समझाइये।
(iii) त्वचा द्वारा उत्सर्जित होने वाले दो उत्सर्जी पदार्थों के नाम लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18 )
उत्तर-
(i) मानव का पाचन तन्त्र का चित्र
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 2 मानव तंत्र image - 14
(ii) जठर रस में उपस्थित एन्जाइम के नाम एवं उनके कार्य

  • पेप्सिन-कार्य-प्रोटीन को पेप्टाइड में बदलना।
  • रेनिन-कार्य-कैसीन को पैराकैसीन में बदलना।

(iii) भोजन का सर्वाधिक पाचन एवं अवशोषण, पाचनतंत्र के जिस भाग में होता है, वह छोटी आँत है।

अथवा का उत्तर

(i) उत्सर्जन तंत्र का चित्रअधिवृक्क ग्रंथि
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 2 मानव तंत्र image - 15
(ii) मत्र निर्माण (Urine formation)–नेफ्रॉन का मुख्य कार्य मुत्र निर्माण करना है। मूत्र का निर्माण तीन चरणों में सम्पादित होता है

  • छानना/परानियंदन (Ultrafiltration)
  • चयनात्मक पुनः अवशोषण (Selective reabsorption)
  • स्रवण (Secretion)

(a) छानना/परानियंदन- ग्लोमेरुलस में प्रवेश करने वाली अभिवाही धमनिका, उससे बाहर निकलने वाली अभिवाही धमनिका से अधिक चौड़ी होती है। इसलिए जितना रुधिर ग्लोमेरुलस में प्रवेश करता है, निश्चित समय में उतना रुधिर बाहर नहीं निकल पाता। इसलिए केशिका गुच्छ में रुधिर का दबाव बढ़ जाता है। इस दाब के कारण प्रोटीन के अलावा रुधिर प्लाज्मा में घुले सभी पदार्थ छनकर बोमेन संपुट में पहुँच जाते हैं। बोमेन संपुट में पहुँचने वाला यह द्रव नेफ्रिक फिल्ट्रेट या वृक्क निस्वंद कहलाता है। रुधिर में घुले सभी लाभदायक एवं हानिकारक पदार्थ इस द्रव में होते हैं, इसलिए इसे प्रोटीन रहित छना हुआ प्लाज्मा भी कहते हैं।

(b) चयनात्मक पुनः अवशोषण- नेफ्रिक फिल्ट्रेट द्रव बोमेन सम्पुट में से होकर वृक्क नलिका के अग्र भाग में पहुँचता है। इस भाग में ग्लूकोस, विटामिन,

हार्मोन तथा अमोनिया आदि को रुधिर में पुनः अवशोषित कर लिया जाता है। ये अवशोषित पदार्थ नलिका के चारों ओर फैली कोशिकाओं के रुधिर में पहुँचते हैं। इनके अवशोषण से नेफ्रिक फिल्ट्रेट में पानी की सान्द्रता अधिक हो जाती है। अब जल भी परासरण विधि द्वारा रुधिर में पहुँच जाता है।

(c) स्रवण- जब रुधिर वृक्क नलिका पर फैले कोशिका जाल से गुजरता है, तब उसके प्लाज्मा में बचे हुए उत्सर्जी पदार्थ पुनः नेफ्रिक फिल्ट्रेट में डाल दिए जाते हैं। इस अवशेष द्रव में केवल अपशिष्ट पदार्थ बचते हैं, जो मूत्र कहलाता है। यह मूत्र मूत्राशय में संग्रहित होता है और आवश्यकता पड़ने पर मूत्राशय की पेशियों के संकुचन से मूत्र मार्ग द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है।

(iii) त्वचा द्वारा उत्सर्जित होने वाले दो उत्सर्जी पदार्थ

  • नमक
  • यूरिया।

प्रश्न 4.
उत्सर्जन तंत्र किसे कहते हैं? मानव के उत्सर्जन तन्त्र का चित्र बनाकर वर्णन कीजिए।
उत्तर-
उत्सर्जन तंत्र-उपापचयी प्रक्रियाओं के फलस्वरूप निर्मित नाइट्रोजन-युक्त अपशिष्ट उत्पादों एवं अतिरिक्त लवणों को बाहर त्यागना उत्सर्जन कहलाता है। उत्सर्जन से सम्बन्धित अंगों को उत्सर्जन अंग कहते हैं। उत्सर्जन अंगों को सामूहिक रूप से उत्सर्जन तंत्र (Excretory System) कहते हैं।
मनुष्य में निम्न उत्सर्जन अंग पाये जाते हैं

  1. वृक्क (Kidney)
  2. मूत्र वाहिनियाँ (Ureters)
  3. मूत्राशय (Urinary Bladder)
  4. मूत्र मार्ग (Urethera)

(1) वृक्क (Kidney)- मनुष्य में एक जोडी वक्क पाये जाते हैं। यह दोनों वृक्क उदर में कशेरुक दायां वृक्क दण्ड के दोनों ओर स्थित होते हैं। वृक्क गहरे भूरे एवं सेम के बीज की आकृति के होते हैं अर्थात् इनका बाहरी भाग उभरा हुआ तथा भीतरी भाग दबा हुआ होता है जिसके मध्य में एक छोटा-सा गड्डा होता है। गड्डे को हाइलम (Hilum) कहते हैं। हाइलम भाग से वृक्क धमनी प्रवेश करती है। और वृक्क शिरा (Renal vein) एवं मूत्र वाहिनी (Ureter) बाहर निकलती हैं।
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(2) मूत्र वाहिनियाँ (Ureters)-ये वृक्क से निकलकर मूत्राशय तक जाती हैं। इनकी भित्ति मोटी होती है तथा गुहा संकरी होती है। इनकी भित्ति में क्रमानुकुंचन (peristalsis) पाया जाता है, जिसके फलस्वरूप मूत्र आगे की ओर बढ़ता है।

(3) मूत्राशय (Urinary Bladder)-यह उदर के पिछले भाग में स्थित होता है। मूत्राशय में मूत्रवाहिनियाँ आकर खुलती हैं व इसमें मूत्र को संग्रहित किया जाता है। इसलिए इसे मूत्र संचय आशय (Urine reservoir) कहते हैं।

(4) मूत्र मार्ग (Urethera)-मूत्राशय का पश्चं छोर संकरा होकर एक पतली नलिका में परिवर्तित हो जाता है जिसे मूत्र मार्ग (Urethera) कहते हैं। मूत्र के निष्कासन की क्रिया को मूत्रण (micturition) कहते हैं।

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प्रश्न 5.
मानव पाचन तंत्र का नामांकित चित्र बनाकर आमाशय में होने वाली पाचन क्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
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आमाशय में पाचन क्रिया-भोजन के आमाशय में प्रवेश करने पर जठर ग्रन्थियाँ उत्तेजित होकर जठर रस का स्रावण करती हैं। जठर रस में 97.99% जल, श्लेष्म, HCl तथा पेप्सिन, जठर लाइपेज एवं रेनिन एन्जाइम होते हैं। वयस्क मनुष्य में रेनिन का अभाव होता है। HCl की उपस्थिति के कारण जठर रस अम्लीय होता है।

HCl निष्क्रिय पेप्सिनोजन को सक्रिय पेप्सिन में बदलता है तथा भोजन के साथ आये जीवाणु एवं सूक्ष्म जीवों को मारता है। यह भोजन को सड़ने से रोकता है। तथा भोजन के कठोर भागों को घोलता है।

पेप्सिन एन्जाइम प्रोटीन को प्रोटिओजेज तथा पेप्टोन्स में बदल देता है।
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जठर लाइपेज वसाओं का आंशिक पाचन करता है।
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 2 मानव तंत्र image - 20
रेनिन एन्जाइम प्रोरेनिन के रूप में स्रावित होता है। यह HCl के प्रभाव से सक्रिय रेनिन में बदल जाता है। रेनिन दूध की कैसीन प्रोटीन को अघुलनशील कैल्सियम पैरा-कैसीनेट में बदलता है।

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प्रश्न 6.
मानव के नेफ्रॉन का चित्र बनाकर वर्णन कीजिए।
उत्तर-
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नेफ्रॉन की संरचना (Structure of Nephron)-प्रत्येक वृक्क में लगभग दस लाख अति सूक्ष्म नलिकाएँ होती हैं जिन्हें वृक्क नलिकाएँ अथवा नेफ्रॉन (Nephron) कहते हैं। प्रत्येक नेफ्रॉन एक उत्सर्जन की इकाई होती है। नेफ्रॉन का प्रारम्भिक भाग एक प्याले के समान होता है जिसे बोमन सम्पुट (Bowman capsule) कहते हैं।

बोमन सम्पुट के प्यालेनुमा खाँचे में रक्त की नलियों का गुच्छा होता है जिसे ग्लोमेरुलस (Glomerulus) कहते हैं। ग्लोमेरुलस एवं बोमन सम्पुट को मिलाकर मैलपीगी कोश (Malpiphian capsule) कहते है।

नेफ्रॉन का शेष भाग नलिका के रूप में होता है। यह नलिका तीन भागों में विभेदित होती है, जिन्हें क्रमशः समीपस्थ कुण्डलित भाग (Proximal convoluted part), हेनले का लूप (Henley’s loop) एवं दूरस्थ कुण्डलित भाग (Distal convoluted part) कहते हैं। दूरस्थ कुण्डलित भाग अन्त में संग्रह नलिका या वाहिनी में खुलती है। एक ओर की संग्राहक/संग्रह वाहिनियाँ मूत्र वाहिनी (ureter) में खुलती हैं। वस्तुतः संग्रह वाहिनियाँ नेफ्रॉन का भाग नहीं होती हैं।

प्रश्न 7.
मानव का मादा जनन तंत्र का नामांकित चित्र बनाकर वर्णन कीजिए।
अथवा
मानव के मादा जनन तंत्र का नामांकित चित्र बनाइए तथा इसके विभिन्न अंगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मादा जनन तंत्र (Female Reproductive System)-स्त्रियों में जनन तंत्र को प्राथमिक व द्वितीयक लैंगिक अंगों में बाँटा गया है

(1) प्राथमिक जनन अंग (Primary Reproductive Organs)
(a) अण्डाशय (Ovary)-मादा (स्त्रियों) में अण्डाशय की संख्या दो होती है, जिनकी आकृति बादाम के समान होती है। ये उदरगुहा में वृक्क के नीचे पृष्ठ भाग में स्थित होते हैं। अण्डाशयों में अण्डजनन प्रक्रिया के द्वारा अण्डे बनते हैं। अण्डाशय द्वारा मादा हार्मोन एस्ट्रोजन का स्रावण किया जाता है जो मादा में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का नियमन करता है।

(2) द्वितीयक लैंगिक अंग (Secondary Reproductive Organs)
(a) अण्डवाहिनी (Oviduct)-प्रत्येक अण्डाशय के समीप एक पतली नली अण्डवाहिनी होती है। प्रत्येक अण्डवाहिनी के सामने वाला सिरा कीपाकार होता है। यह अण्डाशय से निकले अण्डों को अपने में ले लेता है। अण्डवाहिनी की भित्ति कुंचनशील व रोमयुक्त होती है, जिसकी सहायता से अण्डा गर्भाशय की ओर गमन करता है। निषेचन की क्रिया अण्डवाहिनी (फैलोपियन नलिका) में ही होती है। दोनों फैलोपियन नलिकाएँ गर्भाशय (Uterus) में खुलती हैं।
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(b) गर्भाशय (Uterus)-गर्भाशय एक नाशपाती के आकार की पेशीय, मोटी दीवार वाली एवं थैलेनुमा रचना होती है, जो उदरगुहा के निचले भाग में स्थित होती है। भ्रूण का विकास गर्भाशय में ही होता है। गर्भाशय का निचला सिरा, संकीर्ण भाग, गर्भाशय ग्रीवा कहलाता है। यह बाह्य द्वार द्वारा योनि में खुलता है।
(c) योनि (Vagina)-गर्भाशय ग्रीवा (Cervix uteri) आगे बढ़कर एक पेशीय लचीली नलिका रूपी रचना का निर्माण करती है, जिसे योनि कहते हैं।

स्त्रियों में मूत्र मार्ग तथा जनन छिद्र अलग-अलग होते हैं। मादा जननांग में बार्थोलिन नामक ग्रन्थि (Bartholian gland) पाई जाती है, जो क्षारीय द्रव स्रावित करती है। मादा जननांगों द्वारा मादा हार्मोन प्रोजेस्ट्रोन एवं एस्ट्रोजन उत्पन्न किए जाते हैं, जो गौण लक्षणों को प्रकट करते हैं तथा जनन क्रिया को नियमित तथा नियंत्रित करते हैं।

प्रश्न 8.
मानव में विभिन्न पाचन अंगों द्वारा स्रावित एंजाइम तथा उनके कार्यों को तालिका बनाकर दर्शाइये।
उत्तर-
विभिन्न पाचन अंगों द्वारा स्रावित पाचन रस तथा उनके कार्य
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प्रश्न 9.
श्वसन से क्या आशय है? मानव के ऊपरी श्वसन तंत्र का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर-
श्वसन (Respiration)-वह प्रक्रम जिसमें O2, व Co2, का विनिमय होता है, रक्त द्वारा इन गैसों का परिवहन होता है तथा ऊर्जायुक्त पदार्थों का ऑक्सीकरण में कोशिकाओं द्वारा O2 का उपयोग एवं CO2 का निर्माण किया जाता है।

ऊपरी श्वसन तंत्र (Upper respiratory system)-ऊपरी श्वसन तंत्र में मुख्य रूप से नासिका (Nose), मुख (Mouth), ग्रसनी (Pharynx), स्वरयंत्र (Larynx) आदि सम्मिलित हैं।

(1) नासिका (Nose)- नासिका में एक जोड़ी नासाद्वार उपस्थित होते हैं। ये छिद्र नासा गुहाओं में खुलते हैं। नासाद्वार एवं आन्तरिक नासा छिद्रों के बीच लम्बी नासा गुहिकाएँ विकसित हो जाती हैं। प्रत्येक नासागुहा का अग्रभाग नासा कोष्ठ तथा पश्च लम्बा भाग नासामार्ग (Nasal passage) कहलाता है। दोनों नासागुहाओं के बीच एक उदग्र पट पाया जाता है, जिसे नासा पट (Nasal septum) कहते हैं। ये गुहाएँ तालु द्वारा मुखगुहा से अलग रहती हैं। यह गुहाएँ श्लेष्मल झिल्ली द्वारा आस्तरित होती हैं जो कि पक्ष्माभिकायमय उपकला एवं श्लेष्मा कोशिका युक्त होती हैं। नासा गुहाओं के अग्र भागों की श्लेष्मल झिल्ली में तंत्रिका तंतुओं के अनेक स्वतंत्र सिरे उपस्थित होते हैं जो गंध के बारे में ज्ञान प्राप्त करवाते हैं।

(2) मुख (Mouth)- मुख श्वासतंत्र में द्वितीयक अंग (Secondary organ) के तौर पर कार्य करता है। श्वास लेने में मुख्य भूमिका नासिका की होती है परन्तु आवश्यकता होने पर मुख भी श्वास लेने के काम आता है। मुख से ली गई श्वास वायु नासिका से ली गई श्वास की भाँति शुद्ध नहीं होती।

(3) ग्रसनी (Pharynx)- नासा गुहिका (Nasal Cavity) आन्तरिक नासाद्वार ग्रसनी में खुलती है। ग्रसनी के अधर क्षेत्र में उपस्थित ग्लोटिस के माध्यम से फेरिंक्स लेरिकंस (Larynx) में खुलती है। भोजन को निगलते समय ग्लोटिस (Glottis) एपिग्लॉटिस (Epiglottis) द्वारा ढक दिया जाता है।
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(4) कंठ (Larynx)- इसे स्वरयंत्र भी कहते हैं। यह नौ उपास्थियों द्वारा निर्मित होता है। इसमें स्वर रज्जु (Vocal Cords) भी उपस्थित होते हैं जो ध्वनि उत्पन्न करते हैं। कंठ (Larynx) की गुहा को कण्ठकोष (Laryngeal Chamber) कहते हैं। कंठ के छिद्र को घांटी (Glottis) कहते हैं। घांटी को ढकने वाली रचना को एपीग्लोटिस (Epiglottis) कहते हैं।

प्रश्न 10.
मनुष्य में परिसंचरण तंत्र का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर-
परिसंचरण तंत्र (Circulatory System)-मनुष्य में O2 व Co2, पोषक पदार्थों, उत्सर्जी पदार्थों तथा स्रावी पदार्थों को शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में पहुँचाने तथा लाने वाले तंत्र को ही रुधिर परिसंचरण तंत्र कहते हैं।

मानव में रुधिर परिसंचरण तंत्र में रुधिर बंद नलिकाओं में बहता है इसलिए | इसे बंद परिसंचरण तंत्र (Closed circulatory system) कहते हैं। परिसंचरण तंत्र के घटक निम्न हैं

  • रुधिर (Blood)
  • हृदय (Heart)
  • रुधिर वाहिनियाँ (Blood vessels)

रुधिर के अतिरिक्त अन्य द्रव्य होता है जिसे लसिका (Lumph) कहते हैं। लसिका रक्त का छना हुआ भाग होता है, जिसमें RBC का अभाव होता है। लसिका, लसिका वाहिनियाँ तथा लसीका पर्व मिलकर लसिका तन्त्र का निर्माण करते हैं । लसिका का परिसंचरण लसिका तंत्र द्वारा होता है। यह एक खुला तंत्र है।

परिसंचरण तंत्र में रुधिर एक तरल माध्यम के तौर पर कार्य करता है, जो परिवहन योग्य पदार्थों के अभिगमन में मुख्य भूमिका निभाता है। हृदय इस तंत्र का केन्द्र है जो रुधिर को निरन्तर रुधिर वाहिकाओं में पम्प करता है।
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प्रश्न 11.
मनुष्य के हृदय का नामांकित चित्र बनाकर इसकी संरचना का वर्णन कीजिए। यह रुधिर को शरीर में किस तरह पम्प करता है?
उत्तर-
हृदय की संरचना-मानव का हृदय पेशी ऊतकों से बना मांसल, खोखला व लाल रंग का होता है। हृदय औसतन एक बंद मुट्ठी के समान होता है। इसका वजन 300 ग्राम के लगभग होता है। यह वक्ष गुहा में कुछ बायीं ओर दोनों फेफड़ों के मध्य फुफ्फुस मध्यावकाश में स्थित होता है। हृदय के ऊपर पाये जाने वाले आवरण को हृदयावरण (Pericardium) कहते हैं। पेरिकार्डियम की भीतरी परत को विसरल स्तर (Visceral Laver) कहलाती है तथा बाहरी परत को पैराइटल परत (Parietal Layer) कहते हैं। इन दोनों परतों के बीच एक लसदार द्रव्य भरा होता है, जिसे हृदयावरणी द्रव (Pericardial fluid) कहते हैं।

हृदय में चार कक्ष होते हैं जिसमें दो कक्ष अपेक्षाकृत छोटे तथा ऊपर को पाये जाते हैं, जिन्हें आलिन्द (Auricle) कहते हैं तथा दो अपेक्षाकृत बड़े होते हैं, जिन्हें निलय (Ventricle) कहते हैं। आलिन्दों की भित्ति अपेक्षाकृत पतली होती है तथा आलिन्द दाहिने एवं बायें भागों में एक मध्य पट्टी के द्वारा पूर्ण रूप से बंटे होते हैं। इस पट्टी को अन्तरा आलिन्द पट कहते हैं । इस पट के कारण बायाँ आलिन्द दायाँ आलिन्द एवं बायाँ निलय दायाँ निलय में बँट जाते हैं। बायीं ओर के आलिन्द व निलय आपस में एक द्विदल कपाट (Bicuspid valve) द्वारा जुड़े होते हैं, इसे माइट्रल कपाट (Mitral valve) कहते हैं। इसी प्रकार दाहिनी ओर के निलय व आलिन्द के मध्य
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त्रिदल कपाट (Tricuspid value) पाया जाता है। ये कपाट रुधिर को विपरीत दिशा में जाने से रोकते हैं। कपाट के खुलने व बंद होने से लब-डब की आवाज आती है।

आलिन्द व निलय लयबद्ध रूप से संकुचन व शिथिलन की क्रिया में संलग्न रहते हैं। इस क्रिया से हृदय के शरीर के विभिन्न भागों में रक्त का पम्प करता है।

प्रश्न 12.
जनन तंत्र से क्या आशय है? नर जनन तंत्र के द्वितीयक लैंगिक अंगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
जनन तंत्र (Reproductive system)-जनन सभी जीवधारियों में पाये जाने वाला एक अतिमहत्त्वपूर्ण तंत्र है, जिसमें एक जीव अपने जैसी संतान उत्पन्न करता है। मानव में लैंगिक जनन पाया जाता है। यह द्विलिंगी प्रजनन प्रक्रिया है जिसमें नर युग्मक के तौर पर शुक्राणुओं का निर्माण करते हैं तथा मादा अण्डों का निर्माण करती है। शुक्राणु व अण्डाणु के निषेचन से युग्मनज का निर्माण होता है जो आगे चलकर नये जीव का निर्माण करता है।
नर जनन तंत्र के द्वितीयक लैंगिक अंग निम्न हैं

(1) वृषणकोष (Scrotum)- मनुष्य में दो वृषण पाये जाते हैं, ये दोनों वृषण उदरगुहा के बाहर एक थैले में स्थित होते हैं, जिसे वृषणकोष (Scrotal sac) कहते हैं। वृषणकोष एक ताप नियंत्रक की भाँति कार्य करता है। वृषणों का तापमान शरीर के तापमान से 2-2.5°C नीचे बनाये रखता है। यह तापमान शुक्राणुओं के विकास के लिए उपयुक्त है।

(2) शुक्रवाहिनी (Vas difference)- ऐसी वाहिनी जो शुक्राणु का वहन करती है, उसे शुक्रवाहिनी कहते हैं। यह शुक्राणुओं को शुक्राशय (Seminal Vesicle) तक ले जाने का कार्य करती है। शुक्रवाहिनी मूत्रनलिका के साथ एक संयुक्त नली बनाती है। अतः शुक्राणु तथा मूत्र दोनों समान मार्ग से प्रवाहित होते हैं। यह वाहिका शुक्राशय से मिलकर स्खलन वाहिनी (Ejaculatory duct) बनाती है।

(3) शुक्राशय (Seminal vesicles)- शुक्रवाहिनी शुक्राणु संग्रहण के लिए एक थैली जैसी संरचना जिसे शुक्राशय कहते हैं, में खुलती है। शुक्राशय एक तरल पदार्थ का निर्माण करता है, जो वीर्य के निर्माण में मदद करता है। इसके साथ ही यह तरल पदार्थ शुक्राणुओं को ऊर्जा तथा गति प्रदान करता है।

(4) प्रोस्टेट ग्रन्थि (Prostate gland)- यह अखरोट के आकार की ग्रन्थि है। इस ग्रन्थि का स्राव शुक्राणुओं को गति प्रदान करता है तथा वीर्य का अधिकांश भाग बनाता है। यह वीर्य के स्कन्दन को भी रोकता है। यह एक बहिःस्रावी ग्रन्थि (Exocrine gland) है।

(5) मूत्र मार्ग (Urethera)- मूत्राशय से मूत्रवाहिनी निकलकर स्खलनीय वाहिनी से मिलकर मूत्रजनन नलिका या मूत्र मार्ग (Urinogenital duct or Urethera) बनाती है जो शिश्न (Penis) के शिखर भाग पर मूत्रजनन छिद्र (Urinogenital aperture) द्वारा बाहर खुलती है। मूत्र मार्ग एवं वीर्य दोनों के लिए एक उभयनिष्ठ मार्ग (Common passage) का कार्य करता है।

(6) शिशन (Penis)- पुरुष का मैथुनी अंग है जो लम्बा, संकरा, बेलनाकार उत्थानशील (erectile) होता है। यह वृषणों के बीच लटका रहता है। इसके आगे का सिरा फूला हुआ तथा अत्यधिक संवेदी होता है इसे शिशन मुण्ड कहते हैं। सामान्य अवस्था में शिथिल व छोटा होता है तथा मूत्र विसर्जन का कार्य करता है। मैथुन के समय यह उन्नत अवस्था में आकर वीर्य को मादा जननांग में पहुँचाने का कार्य करता है।

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प्रश्न 13.
मानव मस्तिष्क का नामांकित चित्र बनाइये तथा इसके विभिन्न भागों के कार्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मानव मस्तिष्क का चित्र
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 2 मानव तंत्र image - 28
मस्तिष्क के विभिन्न भागों के कार्य-
(i) प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध (Cerebral hemispheres)-स्तनधारियों में यह भाग सबसे अधिक विकसित होता है। सचेतन संवेदनाओं (Conscious sensations) इच्छाशक्ति एवं ऐच्छिक गतियों, ज्ञान, स्मृति, वाणी तथा चिन्तन के केन्द्र होते हैं। विभिन्न ज्ञानेन्द्रियों से प्राप्त प्रेरणाओं का इसमें विश्लेषण एवं समन्वय (Coordination) होकर ऐच्छिक पेशियों से अनुकूल प्रतिक्रियाओं की प्रेरणाएँ प्रसारित की जाती हैं। इनमें निकलने वाले कुछ चालक तन्तु केन्द्रीय तन्त्रिका तंत्र के कुछ अन्य भागों की क्रिया के नियंत्रण की प्रेरणाओं को ले जाते हैं।

(ii) डाएनसिफैलॉन (Diencephelon)-अग्रमस्तिष्क के इस भाग में स्थित दृष्टि थैलेमाई उन समस्त कायिक (Somatic) संवेदी प्रेरणाओं के मार्गवाहक होते हैं जो अग्र, मध्य, पश्च मस्तिष्क एवं मेरुरज्जु (Spinal cord) में ऐच्छिक गतियों से सम्बन्धित होती है। इस भाग में अत्यधिक ताप, शीत, पीड़ा आदि अभिज्ञान के केन्द्र स्थित रहते हैं। इनका अधरतलीय भाग, हाइपोथैलेमस (Hypothalamus) स्वायत्त तन्त्रिका तन्त्र का संगठन केन्द्र माना गया है अर्थात् भूख, प्यास, नींद, थकावट, ताप नियंत्रण, सम्भोग, प्यार, घृणा, तृप्ति, क्रोध आदि मनोभावनाओं का भी बोध केन्द्र होता है। इसके अतिरिक्त यह इसी भाग से बनी पृष्ठ तल पर स्थित पीनियल काय (Pineal body) तथा पिट्यूटरी ग्रन्थि अनेक महत्त्वपूर्ण हारमोन्स का स्रावण करती है। इसी भाग में स्थित दृष्टि किएज्मा नेत्रों से प्राप्त दृष्टि संवेदनाओं को प्रमस्तिष्क गोलार्थों में पहुँचाती है। अतः इस पिण्ड के निकालने या क्षतिग्रस्त होने पर प्राणी अंधा हो जाता है।

(iii) मध्य मस्तिष्क (Mid Brain)- के कार्य-यह चार पिण्डों से बना होता है। ऊपर के दो पिण्ड दृष्टि से सम्बन्धित हैं तथा निचले दो पिण्ड सुनने के लिए उत्तरदायी हैं।

(iv) सैरिबैलम (Cerebellum)-पश्च मस्तिष्क के इस भाग द्वारा विभिन्न ऐच्छिक पेशियों, सन्धियों इत्यादि में स्थित ज्ञानेन्द्रियों से संवेदना प्राप्त की जाती है। तथा उनकी गतियों का नियमन एवं आवश्यकता अनुसार समन्वय करना इस भाग का कार्य है। सन्तुलन कार्य भी करता है।

(v) मैड्यूला ऑब्लोंगेटा (Medulla oblongata)-यह मस्तिष्क का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भाग माना गया है क्योंकि शरीर की समस्त अनैच्छिक क्रियाओं (Involuntary activities) का नियंत्रण इस भाग द्वारा किया जाता है अर्थात् हृदय, स्पंदन, श्वसन दर, उपापचय, श्रवण, सन्तुलन, आहार नाल की क्रमाकुंचन गति, रक्त वाहिनियों के फैलने व सिकुड़ने की क्रिया, विभिन्न कोशिकाओं की स्रावण क्रिया तथा भोजन निगलने की गति इत्यादि समस्त क्रियाएँ इस भाग के नियंत्रण में रहती हैं। नेत्रों व पश्च पादों की पेशियों का नियंत्रण भी इसी भाग के द्वारा किया गया है। इसके अतिरिक्त यह भाग मस्तिष्क के शेष भाग एवं मेरुरज्जु के मध्य सभी प्रेरणाओं के संवहन मार्ग का कार्य करता है।

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प्रश्न 14.
मनुष्य में प्रजनन की कितनी अवस्थाएँ पाई जाती हैं ? विस्तार से समझाइए।
उत्तर-
मनुष्य में प्रजनन की निम्न अवस्थाएँ पाई जाती हैं|

1. युग्मक जनन (Gametogenesis)-युग्मकों के निर्माण को युग्मकजन कहते हैं । युग्मक दो प्रकार के होते हैं-शुक्राणु व अण्डाणु । नर के वृषण में शुक्राणु के निर्माण को शुक्रजनन कहते हैं। इसी प्रकार अण्डाशय में अण्डाणु के निर्माण को अण्डजनन (Oogenesis) कहते हैं। शुक्राणु व अण्डाणु अर्थात् दोनों युग्मक अगुणित (Haploid) होते हैं।

2. निषेचन (Fertilization)-दो विपरीत युग्मक का आपस में मिलना निषेचन कहलाता है। अर्थात् नर के द्वारा मैथुन क्रिया की सहायता से मादा के शरीर में छोड़ने के फलस्वरूप अण्डवाहिनी में उपस्थित अण्डाणु से मिलना (Fuse) होना निषेचन कहलाता है। ऐसा निषेचन आन्तरिक निषेचन (Internal Fertilization) कहलाता है। निषेचन फलस्वरूप युग्मनज (Zygote) का निर्माण होता है जो द्विगुणित होता है।

3. विदलन तथा भ्रूण का रोपण (Cleavage and Embryo implantation)-निषेचन के द्वारा निर्मित युग्मनज (Zygote) में एक के बाद एक समसूत्रीय विभाजन द्वारा एक संरचना बनती है जिसे कोरक (Blastula)) कहते हैं। इसके बाद कोरक गर्भाशय की अन्त:भित्ति (Endometrium) से जुड़ जाता है। इस क्रिया को भ्रूण का रोपण कहते हैं।

4. प्रसव (Accouchement)-नवजात शिशु का मादा के शरीर से बाहर आना प्रसव कहलाता है। भ्रूण के रोपण पश्चात भ्रणीय विकास की विभिन्न अवस्थाओं से गुजरता है। गर्भस्थ शिशु का पूर्ण विकास होने पर शिशु जन्म लेता है। शिशु जन्म की प्रक्रिया को प्रसव कहते हैं।

प्रश्न 15.
अन्तःस्रावी ग्रन्थि किसे कहते हैं? किन्हीं दो अन्तःस्रावी ग्रन्थियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
अन्त:स्रावी ग्रन्थि (Endocrine gland)-ऐसी ग्रन्थियाँ जो नलिका विहीन (Ductless) होती हैं व अपना स्राव सीधा रक्त में स्रावित करती हैं, अन्त:स्रावी ग्रन्थि कहते हैं।

1. थाइरॉइड ग्रन्थि-यह हमारी गर्दन में कंठ के दोनों ओर स्थित होती है। इस ग्रन्थि के दो पिण्ड होते हैं जो ‘H’ की आकृति बनाते हैं । इस ग्रन्थि से थाइरॉक्सिन (Thyroxin) नामक हॉर्मोन स्रावित होता है, जिसमें आयोडीन की मात्रा अधिक होती है। थाइरॉक्सिन हॉर्मोन की रुधिर में अधिक मात्रा होने पर भोजन के ऑक्सीकरण की दर बढ़ जाती है। हृदय की धडकनों की दर तेज हो जाती है जिससे बराबर बेचैनी बनी रहती है। इस हॉर्मोन की कमी से रुधिर में आयोडीन की मात्रा कम हो जाती है और गलगण्ड (goitre) रोग हो जाता है। यदि बचपन से ही इस हॉर्मोन की कमी हो जाये तो शारीरिक और मानसिक विकास पूर्ण नहीं होता है जिससे बच्चे पागल हो जाते हैं। थाइरॉक्सिन हॉर्मोन में आयोडीन की अधिकता होती है।

थाइरॉक्सिन हॉर्मोन के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं|

  • यह आधारी उपापचयी दर (Basal metabolic rate, B.M.R.) नियंत्रित करता है।
  • कोशिकीय श्वसन दर को तीव्र करता है।
  • यह हॉर्मोन देह ताप को नियंत्रित करता है।
  • शारीरिक वृद्धि को अन्य हॉर्मोनों के साथ मिलकर नियंत्रित करता है।
  • उभयचरों के कायान्तरण में आवश्यक है।

2. अग्न्याशय ग्रन्थि-अग्न्याशय में कुछ विशेष प्रकार की कोशिकाएँ भी होती हैं जो लेंगरहेन्स द्वीप (Islets of Langerhans) कहलाती हैं। लेगरहेन्स द्वीप की कोशिकाओं से स्रावित हॉर्मोन सीधे ही रक्त द्वारा अन्य हॉर्मोनों की तरह स्थानान्तरित होते हैं। सेंगरहेन्स द्वीप में 0 एवं 3 कोशिकाएँ होती हैं। 2 (ऐल्फा) कोशिकाओं में ग्लूकेगोन (glucagon) एवं B (बीटा) कोशिकाओं में इन्सुलिन
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(insulin) हॉर्मोन स्रावित होते हैं। इन्सुलिन रुधिर में उपस्थित शक्कर (शर्करा) को ग्लाइकोजन (glycogen) में बदलता है। ग्लाइकोजन पानी में अविलेय है एवं यकृत में संचित रहती है। ग्लूकेगोन हॉर्मोन ग्लाइकोजन को पुनः आवश्यकतानुसार ग्लूकोज में बदलता है। जब रुधिर में इन्सुलिन की मात्रा कम हो जाती है तो ग्लूकोज ग्लाइकोजन में नहीं बदलता है जिसके फलस्वरूप भोजन के पाचन से बना ग्लूकोज रक्त में रहता है एवं मूत्र के साथ नेफ्रोन में छन जाता है। नेफ्रोन इस अधिक मात्रा का पुनः अवशोषण नहीं कर सकता है एवं व्यक्ति मधुमेह (diabetes mellitus) का रोगी हो जाता है।

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प्रश्न 16.
मनुष्य के मस्तिष्क का नामांकित चित्र बनाइए एवं इसके अग्र मस्तिष्क व मध्य मस्तिष्क की संरचना का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
अग्र मस्तिष्क (Fore Brain)-अग्र मस्तिष्क प्रमस्तिष्क, थैलेमस तथा हाइपोथैलेमस से बना होता है। प्रमस्तिष्क पूरे मस्तिष्क के 80 से 85 प्रतिशत भाग का निर्माण करता है। प्रमस्तिष्क इच्छाशक्ति, ज्ञान, स्मृति, वाणी तथा चिन्तन का केन्द्र है। यह अनुलम्ब विदर की सहायता से दो भागों में विभाजित होता है, जिन्हें क्रमशः दायाँ व बायाँ प्रमस्तिष्क गोलार्ध (Cerebral hemisphere) कहते हैं । दोनों प्रमस्तिष्क गोलार्ध कार्पस केलोसम द्वारा जुड़े होते हैं।
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प्रत्येक प्रमस्तिष्क गोलार्ध में धूसर द्रव्य पाया जाता है, जिसे कार्टेक्स (Cartex) कहते हैं। अन्दर की ओर पाया जाने वाले श्वेत द्रव्य को मध्यांश (Medulla) कहते हैं। धूसर द्रव्य में कई तन्त्रिकाएँ पाई जाती हैं। इनकी अधिकता के कारण ही इस द्रव्य का रंग धूसर दिखाई देता है।

प्रमस्तिष्क चारों ओर से थैलेमस से घिरा होता है। थैलेमस संवेदी व प्रेरक संकेतों का केन्द्र है। अग्रमस्तिष्क के डाइएनसीफेलॉन (Diencphanol) भाग पर हाइपोथैलेमस स्थित होता है। यह भाग भूख, प्यास, निद्रा, ताप, थकान, मनोभावनाओं की अभिव्यक्ति आदि का ज्ञान कराता है।

मध्य मस्तिष्क (Mid Brain)-यह छोटा और मस्तिष्क का संकुचित भाग है। यह चार पिण्डों से बना होता है, जो हाइपोथैलेमस तथा पश्च मस्तिष्क के मध्य पाया जाता है। इन चारों पिण्डों को संयुक्त रूप से कॉर्पोरा क्वाड्रीजेमीना कहते हैं। ऊपरी दो पिण्ड दृष्टि के लिए तथा निचले दो पिण्ड श्रवण से अर्थात् सुनने से सम्बन्धित हैं।

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प्रश्न 17.
निम्न पर टिप्पणी लिखिए
(1) मेरुरज्जु
(2) पश्च मस्तिष्क
(3) मानव श्वसन तंत्र में श्वास नली का विभाजन का केवल चित्र।।
उत्तर-
(1) मेरुरज्जु (Spinal Cord)-मेरुरज्जु केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का भाग है। यह कशेरुकदण्ड में सुरक्षित रहता है। इसकी लम्बाई लगभग 45 सेमी. होती है। यह बेलनाकार खोखली सी रचना होती है। इसमें पृष्ठ खांच, अधर खांच पाई जाती है। मेरुरज्जु के मध्य एक संकरी केन्द्रीय नाल (न्यूरोसील) पाई जाती है। देखिए आगे चित्र में ।

इसमें भीतर की ओर धूसर द्रव्य (gray matter) व बाहर की ओर श्वेत द्रव्य (white matter) पाया जाता है। इसी द्रव्य से अधर श्रृंग व पृष्ठ श्रृंग का निर्माण होता है। पृष्ठ मूल में संवेदी तंत्रिका व अधर मूल में चालक तंत्रिका पाई जाती है।

मेरुरज्जु के कार्य-

  • मेरुरज्जु प्रतिवर्ती क्रियाओं का नियमन व संचालन करता है।
  • शरीर के विभिन्न भागों एवं मस्तिष्क में तंत्रिकाओं द्वारा सम्बन्ध रखने का कार्य करता है।

(2) पश्च मस्तिष्क (Hind Brain)-पश्च मस्तिष्क निम्न तीन भागों से मिलकर बना होता है, जिन्हें क्रमशः अनुमस्तिष्क (Cerebellum), पोंस (Pons) तथा मेड्यूला ऑब्लोंगेटा (Medulla oblongata) कहते हैं।

अनुमस्तिष्क मस्तिष्क का दूसरा बड़ा भाग है। यह शरीर की विभिन्न ऐच्छिक पेशियों, सन्धियों इत्यादि में स्थित ज्ञानेन्द्रियों से संवेदना प्राप्त की जाती है। तथा उनकी गतियों का नियमन एवं आवश्यकतानुसार समन्वय करना इस भाग का कार्य है। इसके अतिरिक्त शरीर का संतुलन बनाये रखने का कार्य भी करता है।

पोंस (Pons)-पोंस ब्रेन स्टेम का मध्य भाग बनाता है। इसका प्रमुख भाग न्यूमेटैक्टिक केन्द्र है जो श्वसन का नियमन करता है। पोंस अनुमस्तिष्क की दोनों पालियों को जोड़ता है।

मेड्यूला आब्लोंगेटा (Medulla oblongata)-यह मस्तिष्क का पश्च भाग होता है जो नलिकाकार व बेलनाकार होता है। मेड्यूला का निचला छोर मेरुरज्जु में समाप्त होता है।

यह शरीर की समस्त अनैच्छिक क्रियाओं का नियंत्रण करता है जैसे हृदय की धड़कन, रक्तदाब, श्वसन दर, उपापचय, आहारनाल का क्रमाकुंचन, पाचक रसों का स्राव, भोजन निगलने की गति आदि क्रियाओं का नियंत्रण करता है।
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RBSE Solutions for Class 10 Maths Chapter 2 वास्तविक संख्याएँ Ex 2.2

September 22, 2024 by Veer Leave a Comment

RBSE Solutions for Class 10 Maths Chapter 2 वास्तविक संख्याएँ Ex 2.2 is part of RBSE Solutions for Class 10 Maths. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 10 Maths Chapter 2 वास्तविक संख्याएँ Exercise 2.2.

Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 10
Subject Maths
Chapter Chapter 2
Chapter Name वास्तविक संख्याएँ
Exercise Exercise 2.2
Number of Questions Solved 5
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 10 Maths Chapter 2 वास्तविक संख्याएँ Ex 2.2

प्रश्न 1.
अग्रलिखित संख्याओं को अभाज्य गुणनखण्डों के (RBSESolutions.com) गुणनफल के रूप में व्यक्त कीजिए–
(i) 468
(ii) 945
(iii) 140
(iv) 3825
(v) 20570
हल:
(i) 468 के अभाज्य गुणनखण्ड
RBSE Solutions for Class 10 Maths Chapter 2 वास्तविक संख्याएँ Ex 2.2 1
(ii) 945 के अभाज्य गुणनखण्ड
RBSE Solutions for Class 10 Maths Chapter 2 वास्तविक संख्याएँ Ex 2.2 2
(iii) 140 के अभाज्य गुणनखण्ड
RBSE Solutions for Class 10 Maths Chapter 2 वास्तविक संख्याएँ Ex 2.2 3
(iv) 3825 के अभाज्य गुणनखण्ड
RBSE Solutions for Class 10 Maths Chapter 2 वास्तविक संख्याएँ Ex 2.2 4
(v) 20570 के अभाज्य गुणनखण्ड
RBSE Solutions for Class 10 Maths Chapter 2 वास्तविक संख्याएँ Ex 2.2 5

प्रश्न 2.
पूर्णांकों के निम्नलिखित युग्मों का महत्तम समापवर्तक (HCF) एवं लघुत्तम (RBSESolutions.com) समापवर्तक (LCM) ज्ञात कीजिए तथा सत्यापित कीजिए कि HCF x LCM = पूर्णाकों का गुणनफल
(i) 96 और 404
(ii) 336 और 54
(iii) 90 और 144
हल:
(i) 96 और 404
96 के अभाज्य गुणनखण्ड, = 2 × 48
= 2 × 2 × 24
= 2 × 2 × 2 × 2 × 2 × 3
= 25 × 3
404 के अभाज्य गुणनखण्ड = 2 × 202
= 2 × 2 × 101
= 22 × 101
इसलिए 96 और 404 को LCM = 25 × 3 × 101
L.C.M, के लिये अभाज्य गुणनखण्ड (RBSESolutions.com) की अधिकतम घात लेने पर
= 32 × 3 × 101
= 96 × 101 = 9696 उत्तर
तथा 96 और 404 का HCF = 22 = 2 x 2 = 4 उत्तर
H.C.F के लिए उभयनिष्ठ अभाज्य गुणनखण्ड की न्यूनतम घात लेने पर
सत्यापन-HCF (96, 404) × LCM (96, 404)
= 4 × 25 × 3 × 101
= (4 × 101) × 32 × 3
= 404 × 96 = 96 × 404
= दी गई संख्याओं का गुणनफल

RBSE Solutions

(ii) 336 और 54
336 के अभाज्य गुणनखण्ड = 2 × 168
= 2 × 2 × 84
= 2 × 2 × 2 × 42
= 2 × 2 × 2 × 2 × 21
= 2 × 2 × 2 × 2 × 3 × 7
= 24 × 3 × 7
54 के अभाज्य गुणनखण्ड = 2 × 27
2 × 3 × 9
= 2 × 3 × 3 × 3
= 2 × 33
H.C.F के लिये उभयनिष्ठ अभाज्य गुणनखण्ड (RBSESolutions.com) की न्यूनतम घात लेने पर
∴ HCF (336, 54) = 2 × 3 = 6 उत्तर L.C.M, के लिये अभाज्य गुणनखण्ड की अधिकतम घात लेने पर।
LCM = 24 × 33 × 7 = 16 × 27 × 7
= 3024 उत्तर
सत्यापन-HCF (336, 54) × LCM (336, 54)
= 6 × 3024
= 2 × 3 × 24 × 33 × 7
= 24 × 3 × 7 × 2 × 33
= 336 x 54
= दी गई संख्याओं का गुणनफल

(iii) 90 और 144
90 के अभाज्य गुणनखण्ड = 2 × 45
= 2 × 3 × 15
= 2 × 3 × 3 × 5
= 2 × 32 × 5
144 के अभाज्य गुणनखण्ड = 2 × 72
= 2 × 2 × 36
= 2 × 2 × 2 × 18
= 2 × 2 × 2 × 2 × 9
= 2 × 2 × 2 × 2 × 3 × 3
= 24 × 32
H.C.F के लिये उभयनिष्ठ अभाज्य गुणनखण्ड (RBSESolutions.com) की न्यूनतम घात लेने पर
∴ HCF (90, 144) = 2 × 32 = 2 × 9 = 18 उत्तर
L.C.M. के लिये अभाज्य गुणनखण्ड की अधिकतम घात लेने पर
LCM (90, 144) = 24 × 32 × 5
= 16 x 9 x 5 = 720 उत्तर
सत्यापन-HCF (90, 144) × LCM (90, 144)
= 18 × 16 × 9 × 5
= 18 × 5 × 16 × 9
= 90 × 144
= दी गई संख्याओं का गुणनफल

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प्रश्न 3.
अभाज्य गुणनखण्डन विधि द्वारा निम्नलिखित पूर्णाकों (RBSESolutions.com) का महत्तम समापवर्तक एवं लघुत्तम समापवर्तक ज्ञात कीजिए
(i) 12, 15 और 21
(ii) 24, 15 और 36
(iii) 17, 23 और 29
(iv) 6, 12 और 120
(v) 40, 36 और 126
(v) 8, 9 और 25
हल:
(i) 12, 15 और 21
12 के अभाज्य गुणनखण्ड = 2 × 2 × 3
15 के अभाज्य गुणनखण्ड = 3 × 5
21 के अभाज्य गुणनखण्ड = 3 × 7
L.C.M. के लिये अभाज्य गुणनखण्ड की अधिकतम घात लेने पर
∴ LCM (12, 15 और 21) = 22 × 3 × 5 × 7
= 420 उत्तर
H.C.F के लिये उभयनिष्ठ अभाज्य गुणनखण्ड की न्यूनतम घात लेने पर।
तथा HCF (12, 15 और 21) = 3 उत्तर

RBSE Solutions

(ii) 24, 15 और 36
24 के अभाज्य गुणनखण्ड = 2 × 2 × 2 × 3
= 22 × 3
15 के अभाज्य गुणनखण्ड = 3 × 5
36 के अभाज्य गुणनखण्ड = 2 × 2 × 3 × 3
= 22 × 32
L.C.M, के लिये अभाज्य गुणनखण्ड की अधिकतम घात लेने पर
∴ LCM (24, 15 और 36) = 22 × 32 × 5
= 8 × 9 × 5
= 360 उत्तर
H.C.F के लिये उभयनिष्ठ अभाज्य गुणनखण्ड (RBSESolutions.com) की न्यूनतम घात लेने पर तथा HCF (24, 15 और 36) = 3 उत्तर

(iii) 17, 23 और 29
17 के अभाज्य गुणनखण्ड = 1 × 17
23 के अभाज्य गुणनखण्ड = 1 × 23
29 के अभाज्य गुणनखण्ड = 1 × 29
L.C.M, के लिये अभाज्य गुणनखण्ड की अधिकतम घात लेने पर
∴ LCM (17, 23 और 29) = 17 × 23 × 29
= 11339 उत्तर
H.C.F के लिये उभयनिष्ठ अभाज्य गुणनखण्ड की न्यूनतम घात लेने पर
तथा HCF (17, 23 और 29) = 1 उत्तर

(iv) 6, 72 और 120
6 के अभाज्य गुणनखण्ड = 2 × 3
72 के अभाज्य गुणनखण्ड = 2 × 2 × 2 × 3 × 3
= 23 × 32
120 के अभाज्य गुणनखण्ड = 2 × 2 × 2 × 3 × 5
=23 × 3 × 5
L.C.M, के लिये अभाज्य गुणनखण्ड की अधिकतम घात लेने पर
∴ LCM (6, 72 और 120) = 2 × 3 × 5
= 8 × 9 × 5
= 360 उत्तर
H.C.F के लिये उभयनिष्ठ अभाज्य गुणनखण्ड की न्यूनतम घात लेने पर तथा HCF (6, 72 और 120) = 2 x 3
= 6 उत्तर

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(v) 40, 36 और 126
40 के अभाज्य गुणनखण्ड = 2 × 2 × 2 × 5
= 23 × 5
36 के अभाज्य गुणनखण्ड = 2 × 2 × 3 × 3
= 22 × 32
126 के अभाज्य गुणनखण्ड = 2 × 3 × 3 × 7
= 23 × 32 × 7
L.C.M, के लिये अभाज्य गुणनखण्ड की अधिकतम घात लेने पर
∴ LCM (40, 36 और 126) = 23 × 32 × 5 × 7
= 8 × 9 × 5 × 7
= 2520 उत्तर
H.C.F के लिये उभयनिष्ठ अभाज्य गुणनखण्ड (RBSESolutions.com) की न्यूनतम घात लेने पर
तथा HCF (40, 36 और 126) = 2 उत्तर

(vi) 8, 9 और 25
8 के अभाज्य गुणनखण्ड = 2 × 2 × 2 = (2)3 x 1
9 के अभाज्य गुणनखण्ड = 3 × 3 = (3)2 × 1
25 के अभाज्य गुणनखण्ड = 5 × 5 = (5)2 x 1
L.C.M, के लिये अभाज्य गुणनखण्ड की अधिकतम घात लेने पर
∴ LCM (8, 9 और 25) = (2)3 × (3)2 × (5)2
= 8 × 9 × 25
= 1800 उत्तर
H.C.F के लिये उभयनिष्ठ अभाज्य गुणनखण्ड की न्यूनतम घात लेने पर
तथा HCF (8, 9 और 25) = 1 उत्तर

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प्रश्न 4.
किसी खेल के मैदान के वृत्ताकार पथ पर मैदान का (RBSESolutions.com) एक चक्कर पूरा करने में रमन को 18 मिनट लगते हैं, जबकि इसी वृत्ताकार पथ पर मैदान का एक चक्कर पूरा करने में अनुप्रिया को 12 मिनट का समय लगता है। माना कि दोनों एक ही स्थान से एक ही समय पर चलना प्रारम्भ करते हैं तथा एक ही दिशा में चलते हैं तो बताइये कितने समय बाद दोनों पुनः प्रारम्भिक स्थान पर मिलेंगे?
हल:
रमन द्वारा वृत्ताकार मैदान का 1 चक्कर लगाने का समय = 18 मिनट अनुप्रिया द्वारा उसी मैदान का एक चक्कर लगाने में लगा समय = 12 मिनट

यह ज्ञात करने के लिए कि वे पुनः दोनों कितने समय के बाद प्रारम्भिक बिन्दु पर मिलेंगे, हमें 18 वे 12 का LCM ज्ञात करना होगा।
अतः 18 के अभाज्य गुणनखण्डन = 2 × 9
= 2 × 3 × 3 = 2 × 32
तथा 12 के अभाज्य गुणनखण्डन = 2 × 6
= 2 × 2 × 3 = 22 × 3
18 और 12 के सभी अधिकतम घातांक में अभाज्य (RBSESolutions.com) गुणनखण्डों का गुणनफल लेने पर
∴ LCM (18, 12) = 22 × 32
= 4 × 9 = 36
अर्थात् रमन एवं अनुप्रिया प्रारम्भिक बिन्दु पर 36 मिनट बाद मिलेंगे। उत्तर

प्रश्न 5.
एक संगोष्ठी में हिन्दी, अंग्रेजी तथा गणित में भाग लेने वाले प्रतिभागियों की संख्या क्रमशः 60, 84 और 108 है। यदि प्रत्येक कमरे में बराबर संख्या में एक ही विषय के प्रतिभागी बैठाये जाते हैं तो आवश्यक कमरों की न्यूनतम संख्या ज्ञात कीजिए।
हल:
चूँकि न्यूनतम कमरों की आवश्यकता है। इसलिये प्रत्येक (RBSESolutions.com) कमरे में प्रत्याशियों की संख्या 60, 84 और 108 का H.C.F होगा
60 के अभाज्य गुणनखण्ड = 2 × 2 × 3 × 5
= 22 × 3 × 5
84 के अभाज्य गुणनखण्ड = 2 × 2 × 3 × 7
= 22 x 3 x 7
108 के अभाज्य गुणनखण्ड = 2 × 2 × 3 × 3 × 3
= 22 × 33
हमें प्रत्येक कमरे में बराबर संख्या में प्रतिभागी बैठाने हैं। अत: HCF निकालने पर
HCF = 22 × 3 = 4 x 3 = 12
अतः प्रत्येक कमरे में 12 प्रत्याशियों को बैठाया जा सकता है।

RBSE Solutions
RBSE Solutions for Class 10 Maths Chapter 2 वास्तविक संख्याएँ Ex 2.2 6
अतः अभीष्ट कमरों की संख्या 21 है। उत्तर

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RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 4 प्रतिरक्षा एवं रक्तसमूह

September 22, 2024 by Fazal Leave a Comment

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 4 प्रतिरक्षा एवं रक्तसमूह are part of RBSE Solutions for Class 10 Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 4 प्रतिरक्षा एवं रक्तसमूह.

Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 10
Subject Science
Chapter Chapter 4
Chapter Name प्रतिरक्षा एवं रक्तसमूह
Number of Questions Solved 76
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 4 प्रतिरक्षा एवं रक्तसमूह

( पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर)

बहुचयनात्मक प्रश्न–
1. प्रतिरक्षा में प्रयुक्त होने वाली कोशिकाएं…………..में नहीं पाई जाती हैं।
(क) अस्थिमज्जा
(ख) यकृत
(ग) आमाशय
(घ) लसीका पर्व

2. प्लाविका कोशिका निम्न में से किस कोशिका का रूपांतरित स्वरूप है?
(क) बी लसीका कोशिका
(ख) टी लसीका कोशिका
(ग) न्यूट्रोफिल
(घ) क व ग दोनों

3. एण्टीजनी निर्धारक निम्न में से किस में पाए जाते हैं ?
(क) प्रतिजन
(ख) IgG प्रतिरक्षी
(ग) IgM प्रतिरक्षी
(घ) प्लाविका कोशिका

4. प्रथम उत्पादित प्रतिरक्षी है
(क) IgG
(ख) IgM
(ग) IgD
(घ) IgE

5. माँ के दूध में पाए जाने वाली प्रतिरक्षी कौनसी है?
(क) IgG
(ख) IgM
(ग) IgD
(घ) IgA

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 4 प्रतिरक्षा एवं रक्तसमूह

6. रक्त में निम्न में से कौनसी कोशिकाएं नहीं पाई जातीं ?
(क) लाल रक्त कोशिकाएं
(ख) श्वेत रक्त कोशिकाएं
(ग) बी लसीका कोशिकाएं
(घ) उपकला कोशिकाएं

7. रक्त का विभिन्न समूहों में वर्गीकरण किसने किया?
(क) लुइस पाश्चर
(ख) कार्ल लैण्डस्टीनर
(ग) रार्बट कोच
(घ) एडवर्ड जेनर

8. सर्वदाता रक्त समूह है
(क) A
(ख) AB
(ग) O
(घ) B

9. गर्भ रक्ताणुकोरकता (Erythroblastosis fetalis) का प्रमुख कारण है
(क) शिशु में रक्ताधान
(ख) आर एच बेजोड़ता।
(ग) ए बी ओ बेजोड़ता
(घ) क व ग दोनों

10. समजीवी आधान में किसका उपयोग होता है?
(क) व्यक्ति के स्वयं के संग्रहित रक्त का
(ख) अन्य व्यक्ति के संग्रहित रक्त का
(ग) भेड़ के संग्रहित रक्त का
(घ) क व ख दोनों

11. रक्ताधान के दौरान बरती गई असावधानियों से कौनसा रोग नहीं होता है?
(क) हेपेटाइटिस बी
(ख) मलेरिया
(ग) रुधिर लवणता
(घ) क्रुएटज्फेल्डट जैकब रोग

12. निम्न में से कौनसा रक्त समूह विकल्पियों की समयुग्मजी अप्रभावी क्रिया का परिणाम है?
(क) A-रुधिर वर्ग
(ख) B-रुधिर वर्ग
(ग) O-रुधिर वर्ग
(घ) AB-रुधिर वर्ग

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 4 प्रतिरक्षा एवं रक्तसमूह

13. निम्न में से कौनसा रुधिर वर्ग की आनुवंशिकता का अनुप्रयोग नहीं है?
(क) हीमोफीलिया का इलाज
(ख) मलेरिया का इलाज
(ग) डेंगू का इलाज
(घ) ख व ग दोनों

14. भारत में अंगदान दिवस कब मनाया जाता है?
(क) 13 सितम्बर
(ख) 13 अगस्त
(ग) 13 मई
(घ) 13 जून

15. भारत में अंगदान करने वाले व्यक्तियों की संख्या है (प्रति दस लाख में)
(क) 0.1
(ख) 2.0
(ग) 0.8
(घ) 1.8

उत्तरमाला-
1. (ग)
2. (क)
3. (क)
4. (ख)
5. (घ)
6. (घ)
7. (ख)
8. (ग)
9. (ख)
10. (क)
11. (ख)
12. (ग)
13. (घ)
14. (ख)
15. (ग)

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न–
प्रश्न 16.
मनुष्य में कितने प्रकार की प्रतिरक्षी विधियाँ पाई जाती हैं ?
उत्तर-
मनुष्य में दो प्रकार की प्रतिरक्षी विधियाँ पाई जाती हैं

  • स्वाभाविक प्रतिरक्षा विधि
  • उपार्जित प्रतिरक्षा विधि।

प्रश्न 17.
प्रतिरक्षी कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
प्रतिरक्षी पाँच प्रकार के होते हैं।

प्रश्न 18.
प्रतिजन का आण्विक भार कितना होना चाहिए?
उत्तर-
प्रतिजन का आण्विक भार 6000 डाल्टन अथवा उससे ज्यादा होना चाहिए।

प्रश्न 19.
प्रतिरक्षी किस प्रकार के प्रोटीन होते हैं ?
उत्तर-
प्रतिरक्षी गामा ग्लोबुलिन प्रकार की प्रोटीन है।

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प्रश्न 20.
कौनसा प्रतिरक्षी आवल को पार कर भ्रूण में पहुँच सकता है?
उत्तर-
IgG प्रतिरक्षी आँवल को पार कर भ्रूण में पहुँच सकता है।

प्रश्न 21.
मास्ट कोशिका पर पाई जाने वाली प्रतिरक्षी का नाम लिखें।
उत्तर-
मास्ट कोशिका पर पाई जाने वाली प्रतिरक्षी का नाम IgE है।

प्रश्न 22.
रक्त में उपस्थित कौनसी कोशिका गैसों के विनिमय में संलग्न होती है?
उत्तर-
रक्त में उपस्थित लाल रक्त कोशिका (RBC) गैसों के विनिमय में संलग्न होती है।

प्रश्न 23.
रक्त का वर्गीकरण किस वैज्ञानिक के द्वारा किया गया?
उत्तर-
रक्त का वर्गीकरण वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टीनर के द्वारा किया गया।

प्रश्न 24.
सर्वदाता रक्त समूह कौनसी है?
उत्तर-‘O’ रक्त समूह वाले व्यक्ति सर्वदाता हैं।

प्रश्न 25.
किस रक्त समूह में ‘A’ व ‘B’ दोनों ही प्रतिजन उपस्थित होते हैं?
उत्तर-
AB रक्त समूह में ‘A’ व ‘B’ दोनों ही प्रतिजन उपस्थित होते हैं।

प्रश्न 26.
विश्व के लगभग कितने प्रतिशत व्यक्तियों का रक्त आरएच धनात्मक होता है?
उत्तर-
विश्व के लगभग 85% व्यक्तियों का रक्त आरएच धनात्मक होता है।

प्रश्न 27.
कौनसा आरएच कारक सबसे महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर-
Rh.D कारक सबसे महत्त्वपूर्ण है।

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प्रश्न 28.
प्रथम रक्ताधान किसके द्वारा संपादित किया गया?
उत्तर-
प्रथम रक्ताधान डॉ. जीन बेप्टिस्ट डेनिस द्वारा सम्पादित किया गया।

प्रश्न 29.
समजात आधान क्या है?
उत्तर-
ऐसा आधान जिसमें अन्य व्यक्तियों के संग्रहित रक्त का उपयोग किया जाता है, उसे समजात आधान कहते हैं।

प्रश्न 30.
रुधिर वर्ग को नियंत्रित करने वाले विकल्पियों के नाम लिखें।
उत्तर-
IA, IB तथा IO या i

प्रश्न 31.
भारत में अंगदान दिवस कब मनाया जाता है?
उत्तर-
भारत में हर वर्ष 13 अगस्त को अंगदान दिवस मनाया जाता है।

प्रश्न 32.
हाल ही में देहदान करने वाले दो व्यक्तियों के नाम लिखें।
उत्तर-
(i) डॉ. विष्णु प्रभाकर
(ii) श्री ज्योति बसु

लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 33.
प्रतिरक्षी को परिभाषित करें।
उत्तर-
शरीर में एन्टीजन के प्रवेश होने पर इसे एन्टीजन के विरुद्ध शरीर की B लिम्फोसाइट कोशिकाओं द्वारा स्रावित ग्लाइकोप्रोटीन पदार्थ प्रतिरक्षी अथवा एन्टीबॉडी कहलाते हैं।

प्रतिरक्षी को इम्यूनोग्लोबिन (संक्षिप्त में Ig) कहते हैं। ये प्लाज्मा कोशिकाओं द्वारा निर्मित गामा ग्लोबुलिन (γ-globulin) प्रोटीन है जो प्राणियों के रक्त तथा अन्य तरल पदार्थों में पाए जाते हैं।

प्रश्न 34.
एण्टीजनी निर्धारक क्या होते हैं?
उत्तर-
प्रतिजन सम्पूर्ण अणु के रूप में प्रतिरक्षी से प्रतिक्रिया नहीं करता वरन् इसके कुछ विशिष्ट अंश ही प्रतिरक्षी से जुड़ते हैं। इन अंशों को एण्टीजनी निर्धारक (Antigenic determinant or epitope) कहा जाता है।

प्रोटीन में करीब 6-8 ऐमीनो अम्लों की एक श्रृंखला एन्टीजनी निर्धारक के रूप में कार्य करती है। एक प्रोटीन में कई एन्टीजनी निर्धारक हो सकते हैं। इनकी संख्या को एन्टीजन की संयोजकता कहा जाता है। अधिकतर जीवाणुओं में एन्टीजनी संयोजकता सौ या अधिक होती है।

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प्रश्न 35.
प्रतिरक्षी में हिन्ज का क्या कार्य है?
उत्तर-
अधिकांश प्रतिरक्षियों के Y स्वरूप में दोनों भुजाओं के उद्गम स्थल लचीले होते हैं जिन्हें कब्जे अथवा हिन्ज कहते हैं। लचीले होने के कारण हिन्ज प्रतिरक्षी के अस्थिर भाग को प्रतिजन के छोटे-बड़े अणु समाहित कर अभिक्रिया करने में सहायता करता है।

प्रश्न 36.
रक्त क्या है?
उत्तर-
रक्त एक परिसंचारी (circulating) तरल ऊतक है जो रक्तवाहिनियों एवं हृदय में होकर पूर्ण शरीर में निरन्तर परिक्रमा करके पदार्थों का स्थानान्तरण करता रहता है। रक्त क्षारीय माध्यम का होता है तथा इसका pH 7.4 होता है। मनुष्य में लगभग 5 लीटर रक्त पाया जाता है।

रक्त प्लाज्मा व रक्त कणिकाओं से मिलकर बना होता है। रक्त के द्रव भाग को प्लाज्मा कहते हैं जो निर्जीव होता है। प्लाज्मा आँतों से शोषित पोषक तत्त्वों को शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुँचाने तथा विभिन्न अंगों से हानिकारक पदार्थों को उत्सर्जी अंगों तक लाने का कार्य करता है। प्लाज्मा में तीन प्रकार की कणिकाएँ पाई जाती हैं

(अ) लाल रक्त कणिकाएँ (Red Blood Corpuscles)- ये कणिकाएँ गैसों के परिवहन एवं गैस विनिमय का कार्य करती हैं।
(ब) श्वेत रक्त कणिकाएँ (White Blood Corpuscles)- श्वेत रक्त कणिकाएँ शरीर की रोगाणुओं से रक्षा करती हैं।
(स) बिम्बाणु (Platelets)- ये कणिकाएँ रक्त वाहिनियों की सुरक्षा एवं रक्तस्राव रोकने में मदद करती हैं।

प्रश्न 37.
A B O रक्त समूहीकरण को समझाइए।
उत्तर-
RBC की सतह पर मुख्य रूप से दो प्रकार के प्रतिजन (Antigen) पाये जाते हैं, जिन्हें प्रतिजन ‘A’ व प्रतिजन ‘B’ कहते हैं। इन प्रतिजनों (Antigens) की उपस्थिति के आधार पर रक्त समूह चार प्रकार के होते हैं, जिन्हें क्रमशः A, B, AB तथा O समूह कहते हैं। इस वर्गीकरण को A B O समूहीकरण कहते हैं।
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 4 प्रतिरक्षा एवं रक्तसमूह image - 1
A रुधिर समूह की लाल रुधिर कणिकाओं पर A प्रतिजन तथा B रुधिर समूह की लाल रुधिर कणिकाओं पर B प्रतिजन पाया जाता है। AB प्रकार के रुधिर समूह की लाल रुधिर कणिकाओं पर A व B दोनों प्रकार के प्रतिजन पाये जाते हैं। जबकि O रुधिर समूह की RBC पर कोई किसी प्रकार का प्रतिजन नहीं पाया जाता है अर्थात् A तथा B प्रतिजनों का अभाव होता है। देखिए ऊपर तालिका में।

प्रश्न 38.
आर एच कारक क्या है? इसके महत्त्व को समझाइए।
उत्तर-
आर एच कारक-लैण्डस्टीनर तथा वीनर ने मकाका रीसस (Macaca rhesus) बंदर की RBC में एक अन्य प्रकार के कारक का पता लगाया था। इसे Rh कारक का नाम दिया गया। (Rh) संकेत का प्रयोग रेसिस शब्द को दर्शाने के लिए किया गया है। जिन व्यक्तियों में यह कारक पाया जाता है, उन्हें Rh धनात्मक (Rh+) और जिनमें नहीं पाया जाता है उन्हें Rh ऋणात्मक (Rh-) कहते हैं। विश्व में 85 प्रतिशत जनसमुदाय Rh+ जबकि शेष 15 प्रतिशत Rh- हैं।

आर एच कारक का महत्त्व- Rh- व्यक्ति में Rh एन्टीजन का अभाव होता है, लेकिन इसके रुधिर में Rh एन्टीजन प्रवेश करवा दिये जाने पर इससे कारक के प्रतिरोध में एण्टीबॉडी बनना प्रारम्भ हो जाती है जो रुधिर समूहन (agglutination) क्रिया का कारण बनते हैं। Rh कारक के कारण कई बार जन्म के समय बच्चे की मृत्यु भी हो जाती है। रुधिर समूहने के कारण भ्रूण की RBCs में हीमोलाइसिस द्वारा क्षति होती है। इसके फलस्वरूप एरिथ्रॉब्लास्टोसिस फीटेलिस नामक रोग हो जाता है। इसके कारण शिशु की मृत्यु हो जाती है।

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प्रश्न 39.
रक्ताधान क्या है? समझाइए।
उत्तर-
रक्ताधान वह विधि है जिसमें एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के परिसंचरण तंत्र में रक्त या रक्त आधारित उत्पादों जैसे प्लेटलेट्स, प्लाज्मा आदि को स्थानान्तरित किया जाता है। सबसे पहले फ्रांस के वैज्ञानिक डॉ. जीन बेप्टिस्ट डेनिस द्वारा 15 जून, 1667 में रक्ताधान सम्पादित किया। उन्होंने 15 वर्षीय एक बालक में भेड़ के रक्त से रक्ताधान करवाया था।

लेकिन इसके दस वर्ष बाद पशुओं से मानव में रक्ताधान पर रोक लगा दी गई। निम्न परिस्थितियों में रक्ताधान किया जा सकता है

  • दुर्घटना के तहत लगी चोट तथा अत्यधिक रक्तस्राव होने पर।
  • शरीर में गम्भीर रक्तहीनता होने पर।
  • रक्त में बिम्बाणु (Platelets) अल्पता की स्थिति में।
  • हीमोफीलिया के रोगियों को।
  • शल्यक्रिया के दौरान ।
  • दात्र कोशिका अरक्तता (Sickle Cell anemia) के रोगियों को।
    रक्तदान से व्यक्तियों/रोगियों को नया जीवनदान दिया जाता है। अतः रक्तदान हमारे लिए महत्त्वपूर्ण है।

प्रश्न 40.
रक्तदान के दौरान बरती जाने वाली सावधानियाँ लिखें।
उत्तर-
रक्तदान के दौरान बरती जाने वाली सावधानियाँ निम्नलिखित हैं

  • रोगी व रक्त देने वाले व्यक्ति अर्थात् दाता के रक्त में ABO प्रतिजन का मिलान करना चाहिए।
  • दाता के रक्त में कोई किसी भी प्रकार की गड़बड़ तो नहीं है, इसके लिए जाँच की जानी चाहिए।
  • दोनों के रक्त में Rh कारक का मिलान करना चाहिए विशेष रूप से RhD का।।
  • संग्रहित रक्त की वांछित प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद प्रशीतित भण्डारण करना।
  • किसी भी स्थिति में संग्रहित रक्त को संदूषण से बचाये रखना।
  • संग्रहण व आधान आवश्यक रूप से चिकित्सक की उपस्थिति में ही हो।

प्रश्न 41.
अंगदाने की आवश्यकता समझाइए।
उत्तर-
अंगदान-किसी जीवित या मृत व्यक्ति द्वारा अन्य व्यक्ति को कोई ऊतक या अंगदान करना अंगदान (Organ donation) कहलाता है। दाता द्वारा दिया गया अंग ग्राही के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है। अंगदान द्वारा दूसरे व्यक्ति की जिंदगी को न केवल बचाया जा सकता है बल्कि उसके जीवन को खुशहाल बनाया जा सकता है। एक मृत देह से करीब 50 जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सकती है।

भारत में हर वर्ष करीब दो लाख गुर्दे दान करने की आवश्यकता है जबकि मौजूदा समय में प्रतिवर्ष 7000 से 8000 गुर्दे ही मिल पाते हैं। इसी प्रकार करीब 50,000 लोग हर वर्ष हृदय प्रत्यारोपण की आस में रहते हैं परन्तु उपलब्धता केवल 10 से 15 की ही है। प्रत्यारोपण के लिए हर वर्ष भारत में 50,000 यकृत की आवश्यकता है परन्तु केवल 700 व्यक्तियों को ही यह मौका प्राप्त हो पाता है। कमोबेश यही स्थिति सभी अंगों के साथ है। एक अनुमान के हिसाब से भारत में हर वर्ष करीब पाँच लाख लोग अंगों के खराब होने तथा अंग प्रत्यारोपण ना हो पाने के कारण मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं।

अतः अंगदान एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है।

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प्रश्न 42.
A B O रुधिर वर्ग के लिए उत्तरदायी जीन प्रारूपों को समझाइए।
उत्तर-
मनुष्य में रुधिर के कई प्रकार पाये जाते हैं, जिन्हें A B O रुधिर तंत्र के नाम से सम्बोधित किया जाता है। रुधिर वर्ग का नियंत्रण तीन विकल्पियों (alleles) के आपसी तालमेल पर निर्भर करता है। ये तीनों विकल्पी एक ही जीन के भाग होते हैं तथा IA, IB तथा IO या i के द्वारा प्रदर्शित किए जाते हैं। RBC की कोशिकाओं की सतह पर पाए जाने वाले प्रतिजन A (Antigen A) तथा प्रतिजन B (Antigen B) का निर्माण क्रमशः विकल्पी IA तथा IB द्वारा किया जाता है। विकल्पी I तथा i अप्रभावी होते हैं तथा किसी प्रतिजन के निर्माण में संलग्न नहीं होते हैं ।
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 4 प्रतिरक्षा एवं रक्तसमूह image - 2
किसी मनुष्य में अभिव्यक्त रक्त वर्ग किन्हीं दो विकल्पियों के बीच की पारस्परिक क्रिया पर निर्भर है। मनुष्यों में विकल्पी की उपस्थिति के आधार पर रुधिर के कुल छः प्रकार के जीन प्रारूप पाए जाते हैं। देखिए ऊपर सारणी में।

निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 43.
प्रतिरक्षियों की संरचना को समझाइए।
उत्तर-
प्रतिरक्षी की संरचना-यह जटिल ग्लाइको प्रोटीन से मिलकर बना अणु होता है, जिसमें चार पालीपेप्टाइड श्रृंखलाएँ दो भारी व बड़ी (440 अमीनो अम्ल) तथा दो हल्की व छोटी श्रृंखला (220 अमीनो अम्ल) आपस में डीसल्फाइड बंध द्वारा मुड़कर Y आकृति बनाती है। देखिए आगे चित्र में प्रतिरक्षी को प्रदर्शित किया जाता है।

भारी पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला पर कार्बोहाइड्रेट श्रृंखला जुड़ी होती है। प्रत्येक भारी व हल्की श्रृंखला दो भागों में विभक्त होती है|
(1) अस्थिर भाग
(2) स्थिर भाग।

  1. अस्थिर भाग (Variable portion)- यह भाग प्रतिजन से क्रिया करता है तथा श्रृंखला के NH2 भाग की तरफ पाया जाता है। इसे Fab भी कहते हैं।
  2. स्थिर भाग (Constant portion)- यह भाग श्रृंखला के COOH भाग की तरफ होता है तथा Fc भाग कहलाता है। प्रतिरक्षी के पुच्छीय भाग (Tail portion) को स्थिर भाग कहते हैं।

अधिकतर प्रतिरक्षियों के Y स्वरूप में दोनों भुजाओं के उद्गम स्थल लचीले होते हैं जो कब्जे अथवा हिन्ज (Hinge) कहलाते हैं । लचीले होने के कारण हिन्ज

प्रतिरक्षी के अस्थिर भाग को प्रतिजन के छोटे-बड़े अणु समाहित कर अभिक्रिया करने में मदद करते हैं।
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 4 प्रतिरक्षा एवं रक्तसमूह image - 3
हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार के एन्टीबॉडी उत्पन्न किये जाते हैं, जिनमें से कुछ निम्न हैं- IgA, IgM, IgE एवं IgG।

प्रश्न 44.
गर्भ रक्ताणुकोरकता को समझाइए।
उत्तर-
यदि Rh- माता एक से अधिक बार Rh+ शिशु से युक्त गर्भधारण करती है तो Rh कारक के कारण गम्भीर समस्या उत्पन्न हो जाती है। Rh कारक वंशागत होता है। Rh+ प्रभावी तथा Rh- अप्रभावी होता है। Rh- माता से उत्पन्न Rh+ शिशु पिता से Rh कारक प्राप्त करता है। प्रसव के समय गर्भस्थ Rh+ शिशु से Rh प्रतिजन माता के रक्त में प्रवेश कर जाते हैं। माता के रक्त में इस प्रतिजन (Antigen) के कारण एन्टी Rh प्रतिरक्षी (Antibody) उत्पन्न हो जाती है। सामान्यतः प्रतिरक्षी इतनी अधिक मात्रा में नहीं होती जो प्रथम बार उत्पन्न शिशु को हानि पहुँचा सके, लेकिन बाद में गर्भधारण की स्थिति में माता के रक्त से एन्टी Rh प्रतिरक्षी अपरा (Placenta) द्वारा गर्भस्थ शिशु के रक्त में पहुँचकर शिशु के रक्त कणिकाओं का लयन (Haemolysis) कर देती है।

गर्भस्थ शिशु या नवजात शिशु के इस घातक रोग को रक्ताणुकोरकता (Erythroblastosis) कहते हैं। इस रोग से ग्रसित शिशु को रीसस शिशु (Rhesus baby) कहते हैं। सामान्यतः इसका जन्म समय पूर्व होता है तथा इसमें रक्ताल्पता पाई जाती है। शिशु के सम्पूर्ण रक्त को स्वस्थ रुधिर द्वारा प्रतिस्थापित करके शिशु को बचाया जा सकता है।
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 4 प्रतिरक्षा एवं रक्तसमूह image - 4
चित्र-गर्भ रक्ताणुकोरकता (Erythroblastosis fetalis)
प्रथम प्रसव के 24 घण्टों के भीतर माता को प्रति IgG प्रतिरक्षियों (anti RhD) का टीका लगाकर इसका उपचार किया जाता है। इन्हें रोहगम (Rhogam) प्रतिरक्षी कहा जाता है। ये प्रतिरक्षी माता के शरीर में प्रतिरक्षी उत्पन्न होने से रोकती है।

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 4 प्रतिरक्षा एवं रक्तसमूह

प्रश्न 45.
रक्ताधान की प्रक्रिया कैसे संपादित की जाती है?
उत्तर-
रक्ताधान की प्रक्रिया (Process of Blood Transfusion)रक्ताधान की प्रक्रिया निम्न प्रकार से की जाती है
1. रक्त संग्रहण (Blood Collection)-

  • रक्त के संग्रहण से पहले रक्त देने वाले अर्थात् दाता के स्वास्थ्य का परीक्षण किया जाता है।
  • तत्पश्चात् उपयुक्त क्षमता वाली प्रवेशनी (Cannula) के माध्यम से निर्जर्मीकृत थक्कारोधी युक्त थैलियों में दाता का रक्त संग्रहित किया जाता है।
  • अब संग्रहित रक्त का प्रशीतित भण्डारण किया जाता है, जिससे रक्त में जीवाणुओं की वृद्धि एवं कोशिकीय चपापचय को धीमा करते हैं।
  • इस संग्रहित रक्त की कई प्रकार की जाँचें की जाती हैं, जैसे

(अ) रक्त समूह
(ब) आर एच कारक
(स) हिपेटाइटिस बी
(द) हिपेटाइटिस सी
(य) एचआईवी

  • दाता से रक्त लेने के पश्चात् दाता को कुछ समय के लिए चिकित्सक की देखरेख में रखा जाता है ताकि उसके शरीर में रक्तदान के कारण होने वाली किसी प्रतिक्रिया का उपचार किया जा सके। मानव में रक्तदान के पश्चात् प्लाज्मा की दोतीन दिन में पुनः पूर्ति हो जाती है एवं औसतन 36 दिनों के पश्चात् रक्त कोशिकाएँ परिसंचरण प्रणाली में प्रतिस्थापित हो जाती हैं।

2. आधान (Transfusion)-

  • किसी व्यक्ति (मरीज) के रुधिर चढ़ाने (आधान) से पहले दाता व मरीज के रक्त का मिलान (ABO, Rh आदि) किया जाता है।
  • आधान से पूर्व संग्रहित रक्त को 30 मिनट पूर्व ही भण्डारण क्षेत्र से बाहर लाया जाता है।
  • रक्त प्रवेशनी (cannula) के माध्यम से मरीज को अंतःशिरात्मक रूप दिया जाता है। इस प्रक्रिया में लगभग चार घण्टे लगते हैं।
  • रक्त चढ़ाने (आधान) के दौरान मरीज को ज्वर, ठण्ड लगना, दर्द साइनोसिस (Cyanosis), हृदय गति में अनियमितता को रोकने हेतु चिकित्सक द्वारा औषधियाँ दी जाती हैं।

रक्त के स्रोत के आधार पर रक्तदान दो प्रकार का होता है
(1) समजाते आधान (Allogenic transfusion)- इस प्रकार के आधान में अन्य व्यक्तियों के संग्रहित रक्त का उपयोग किया जाता है।
(2) समजीवी आधान (Autogenic transfusion)- इस प्रकार के आधान में व्यक्ति के स्वयं का संग्रहित रक्त का उपयोग किया जाता है।

दान किए हुए रक्त को प्रसंस्करण द्वारा पृथक्-पृथक् भी किया जा सकता है। प्रसंस्करण के बाद रक्त को RBC, प्लाज्मा तथा बिम्बाणु (platelets) में विभक्त कर प्रशीतित में भण्डारण किया जाता है।

प्रश्न 46.
अंगदान क्या है? अंगदान का महत्त्व बताइए।
उत्तर-
अंगदान-जीवित या मृत व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को कोई ऊतक या अंग दान करना अंगदान कहलाता है। दाता द्वारा दान किया गया अंग ग्राही के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है। इस तरह अंगदान से दूसरे व्यक्ति की जिंदगी को ना केवल बचाया जा सकता है वरन् खुशहाल भी बनाया जाता है। अधिकांश अंगदान दाता की मृत्यु के पश्चात् ही होते हैं।

एक मृत देह से करीब पचास जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सकती है। अतः अंगदान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। बच्चों से लेकर नब्बे वर्ष तक के लोग भी। अंगदान व देहदान में सक्षम हैं।

अंगदान का महत्त्व-‘पशु मरे मनुज के सौ काम संवारे, मनुज मरे किसी के काम ना आवे।” अतः आवश्यकता है कि मानव मृत्यु (Death) के बाद प्राणिमात्र के काम आ सके। यह तभी सम्भव है जब मृत्यु उपरान्त भी हम दूसरे व्यक्तियों में जीवित रहें, हमारी आँखें, गुर्दे, यकृत, अग्न्याशय, हृदय, फेफड़े, अस्थिमज्जा, त्वचा आदि हमारी मृत्यु के पश्चात् भी किसी जरूरतमंद के जीवन में सुख ला पायें तो इस दान को सात्विक श्रेणी का दान कहा जाता है।

भारत में हर वर्ष करीब पाँच लाख लोग अंगों के खराब होने तथा अंग प्रत्यारोपण ना हो पाने के कारण मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। अंगदान की भाँति देहदान भी समाज के लिए महत्त्वपूर्ण है। इसके दो कारण हैं–पहला, मृत देह से अंग निकालकर रोगी व्यक्तियों के शरीर में प्रत्यारोपित किये जा सकते हैं। दूसरा, चिकित्सकीय शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र, मृत देह पर प्रशिक्षण प्राप्त कर बेहतरीन चिकित्सक बन सकें।

हम अंगदान व देहदान के महत्त्व को समझें और उन लोगों की मदद करें जिनका जीवन किसी अंग के अभाव में बड़ा कष्टप्रद है। हमें इस नेक कार्य के लिए आगे आकर समाज को इस श्रेष्ठ मानवीय कार्य के लिए प्रेरित करना चाहिए। इस पवित्र कार्य हेतु शिक्षक, साधु-संत, बुद्धिजीवियों आदि की मदद से समाज में व्याप्त अंधविश्वास को दूर कर अंगदान करने के लाभ लोगों तक पहुँचना अति आवश्यक है। इस प्रायोजन से भारत सरकार हर वर्ष 13 अगस्त का दिन अंगदान दिवस के रूप में मनाती है।

समाज के कई प्रतिष्ठित व्यक्ति इस नेक काम के लिए आगे आये हैं। कैप्टन लक्ष्मी सहगल ने 90 वर्ष की उम्र में अपना कॉर्निया दान कर दो लोगों के जीवन में उजाला कर दिया। इसी प्रकार डॉ. विष्णु प्रभाकर, पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री श्री ज्योति बसु एवं श्री नाना देशमुख आदि की भी उनकी इच्छानुसार मृत्यु पश्चात् देह दाने कर दी गई।

साध्वी ऋतम्भरा तथा क्रिकेटर गौतम गम्भीर ने भी मृत्यु के बाद देहदान करने की घोषणा की है। ऐसे मनुष्य सही मायनों में महात्मा हैं तथा ये ही विचार क्रान्ति के ध्वजक हैं। हम सभी को कर्तव्यबोध के साथ रक्तदान, अंगदान तथा देहदान के लिए संकल्पित होना चाहिए ताकि इस पुनीत कार्य से हमारे समाज में रह रहे हमारे साथी जिंदगी को जिंदगी की तरह जी सकें।

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प्रश्न 47.
रुधिर वर्ग की आनुवंशिकता के महत्त्व की व्याख्या करें।
उत्तर-
रुधिर वर्ग का आनुवंशिक महत्त्व-मानव में चार प्रकार के रुधिर वर्ग पाये जाते हैं, जिन्हें क्रमशः A, B, AB तथा O कहते हैं। मानव में रुधिर वर्ग वंशागते लक्षण है एवं जनकों से संततियों में मेण्डल के नियम के आधार पर वंशानुगत होते हैं। रुधिर वर्ग की वंशागति जनकों से प्राप्त होने वाले जीन्स/एलील पर निर्भर करती है। एलील्स जो मनुष्य में रुधिर वर्गों को नियंत्रित करती है, उनकी संख्या तीन होती है, जिन्हें क्रमशः IA, IB तथा IO या i कहते हैं । RBC की सतह पर पाई जाने वाली प्रतिजन का निर्माण एलील IA द्वारा, प्रतिजन B का निर्माण एलील IB द्वारा किया जाता है। एलील I तथा i अप्रभावी होते हैं जो किसी प्रतिजन के निर्माण में सहायक नहीं होते हैं।

इस प्रकार मानव में एलील की उपस्थिति के आधार पर रुधिर के छः प्रकारे के जीन प्ररूप (Genotype) पाये जाते हैं।

रुधिर वर्ग की आनुवांशिकता के कई उपयोग हैं। इसका उपयोग मुख्य रूप से पैतृकता सम्बन्धी विवादों को हल करने में, सफल रक्ताधान कराने में, नवजात शिशुओं में रुधिर लयनता तथा आनुवांशिक रोगों जैसे हीमोफीलिया आदि में किया जाता है। पैतृकता सम्बन्धी विवादों के हल में रुधिर वर्ग की आनुवांशिकता के ज्ञान को निम्न उदाहरण से समझा जा सकता है

जैसे कि एक शिशु जिस पर दो दंपती अपना हक जता रहे हैं, का रुधिर वर्ग B है। एक दंपती में पुरुष का रुधिर वर्ग O(ii) है तथा स्त्री का रुधिर वर्ग AB(IAIB) है। दूसरे दंपती में पुरुष A(IAIA) तथा स्त्री B(IB i) रुधिर वर्ग की है। वंशागति के नियमानुसार शिशु के रुधिर वर्ग की निम्न सम्भावनाएँ हैं
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 4 प्रतिरक्षा एवं रक्तसमूह image - 5
उपरोक्त चित्र से स्पष्ट होता है कि प्रथम दंपति ही B रुधिर वर्ग का शिशु उत्पन्न कर सकता है।

अतः हम कह सकते हैं कि रुधिर वर्ग का आनुवांशिक महत्त्व है।

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(अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर)

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. प्रतिरक्षी का आकार होता है
(अ) Z
(ब) H
(स) Y
(द) V

2. प्रतिरक्षी कितनी इकाइयों से मिलकर बनी होती है?
(अ) एक
(ब) दो
(स) तीन
(द) चार

3. निम्न में से प्रतिजन हो सकता है–
(अ) प्रोटीन
(ब) ग्लाइकोप्रोटीन
(स) कार्बोहाइड्रेट
(द) उपरोक्त सभी

4. मानव में कितने प्रकार के आर एच कारक पाये जाते हैं ?
(अ) दो
(ब) तीन
(स) चार
(द) पाँच

5. बिलीरुबिन की अधिकता निम्न में से किस अंग को हानि पहुँचाता है
(अ) जिगर (Liver)
(ब) तिल्ली
(स) गुर्दै
(द) उपरोक्त सभी

6. आर एच कारक कितने अमीनो अम्लों का एक प्रोटीन है ?
(अ) 417
(ब) 317
(स) 217
(द) 117

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7. एक निष्प्राण देह से कितने जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सकती है?
(अ) करीब 30.
(ब) करीब 40
(स) करीब 50
(द) करीब 60

8. पुरातन काल में ऋषि दधीचि ने समाज की भलाई हेतु किसका दान किया?
(अ) अपनी हड्डियों का
(ब) अपने धन का
(स) अपने घर का
(द) अपने बच्चों का

9. प्रतिरक्षात्मक अंग है
(अ) अस्थिमज्जा
(ब) थाइमस
(स) यकृत
(द) उपरोक्त सभी

10. निष्क्रिय प्रतिरक्षा का उदाहरण है
(अ) टिटेनस के टीके
(ब) त्वचा
(स) आमाशय
(द) आंत्र

11. कैप्टन लक्ष्मी सहगल ने अपने शरीर का कौनसा अंग दान किया?
(अ) आमाशय
(ब) हड्डियों का
(स) कॉर्निया
(द) हृदय का

उत्तरमाला-
1. (स)
2. (द)
3. (द)
4. (द)
5. (द)
6. (अ)
7. (स)
8. (अ)
9. (द)
10. (अ)
11. (स)

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अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मां के दूध में पाये जाने वाली प्रतिरक्षी का नाम लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
उत्तर-
मां के दूध में पाये जाने वाली प्रतिरक्षी का नाम IgA है।

प्रश्न 2.
गर्भ रक्ताणुकोरकता रोग के उपचार में कौनसे टीके का उपयोग किया जाता है? (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
उत्तर-
गर्भ रक्ताणुकोरकता रोग के उपचार में IgG प्रतिरक्षियों (anti RhD) के टीके का उपयोग किया जाता है। इन्हें रोहगम (Rhogam) प्रतिरक्षी कहा जाता है।

प्रश्न 3.
Rh कारक की खोज किस प्रजाति के बंदर में हुई? (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18 )
उत्तर-
Rh कारक की खोज मकाका रीसस (Macaca rhesus) प्रजाति के बन्दर में हुई।

प्रश्न 4.
डिप्थीरिया व टिटेनस के टीके किस प्रकार की प्रतिरक्षा के उदाहरण (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18)
उत्तर-
ये निष्क्रिय प्रतिरक्षा के उदाहरण हैं।

प्रश्न 5.
किसी मनुष्य के रुधिर का जीन प्रारूप ii है तो उसका रुधिर वर्ग लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18 )
उत्तर- ऐसे मनुष्य का रुधिर वर्ग O होगा।

प्रश्न 6.
प्रतिरक्षा विज्ञान किसे कहते हैं ?
उत्तर-
रोगाणुओं के उन्मूलन हेतु शरीर में होने वाली क्रियाओं तथा सम्बन्धित तंत्र में अध्ययन को प्रतिरक्षा विज्ञान कहते हैं।

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प्रश्न 7.
मानव का शरीर आसानी से रोगग्रस्त नहीं होता है। क्यों?
उत्तर-
मानव शरीर में प्रतिरोधक क्षमता के कारण यह आसानी से रोगग्रस्त नहीं होता है।

प्रश्न 8.
IgE प्रतिरक्षी प्राथमिक रूप से किन कोशिकाओं पर क्रिया करती है?
उत्तर-
IgE प्रतिरक्षी प्राथमिक रूप से बेसोफिल तथा मास्ट कोशिकाओं पर क्रिया करती है तथा एलर्जी क्रियाओं में भाग लेती है।

प्रश्न 9.
किसी दो भौतिक अवरोधों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  • त्वचा
  • नासिका छिद्रों में पाये जाने वाले पक्ष्माभ।

प्रश्न 10.
अधिकांश जीवाणुओं में एण्टीजनी संयोजकतो की संख्या कितनी होती है?
उत्तर-
अधिकांश जीवाणुओं में एण्टीजनी संयोजकता 100 या अधिक होती है।

प्रश्न 11.
प्रतिरक्षी का वह भाग जो प्रतिजन से क्रिया करता है, वह क्या कहलाता है?
उत्तर-
प्रतिरक्षी का वह भाग जो प्रतिजन से क्रिया करता है, वह पैराटोप (Paratope) कहलाता है।

प्रश्न 12.
कब्जे या हिन्ज (Hinge) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
प्रतिरक्षियों के Y स्वरूप में दोनों भुजाओं के उद्गम स्थल कब्जे या हिन्ज कहलाते हैं।

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प्रश्न 13.
वह कौनसा अकेला प्रतिरक्षी है जो माँ के दूध में पाया जाता है?
उत्तर-
IgA माँ के दूध में पाया जाने वाला अकेला प्रतिरक्षी है।

प्रश्न 14.
प्लाज्मा का कोई एक कार्य लिखिए।
उत्तर-
प्लाज्मा आँतों से शोषित पोषक तत्त्वों को शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुँचाने का कार्य करता है।

प्रश्न 15.
कई बार रक्ताधान के पश्चात् होने वाले रुधिर लयणता का प्रमुख कारण क्या होता है?
उत्तर-
इसका प्रमुख कारण आर एच बेजोड़ता (Rh incompatibility) होता है।

प्रश्न 16.
रक्त के स्रोत के आधार पर रक्ताधान कितने प्रकार का होता है? नाम लिखिए।
उत्तर-
रक्ताधान दो प्रकार का होता है

  • समजात आधान
  • समजीवी आधान।

प्रश्न 17.
जीवित या मृत व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को कोई ऊतक या अंग का दान करना क्या कहलाता है?
उत्तर-
यह अंगदान कहलाता है।

प्रश्न 18.
सर्वग्राही रक्त समूह कौनसा है ?
उत्तर-
सर्वग्राही रक्त समूह AB है।

प्रश्न 19.
लाल रक्त कणिकाओं की सतह पर मुख्य रूप से कितने प्रकार के प्रतिजन पाये जाते हैं ?
उत्तर-
लाल रक्त कणिकाओं की सतह पर मुख्य रूप से दो प्रकार के प्रतिजन (प्रतिजन ‘A’ व प्रतिजन ‘B’) पाये जाते हैं।

प्रश्न 20.
प्लाज्मा का कार्य लिखिए।
उत्तर-
प्लाज्मार आँतों से अवशोषित पोषक तत्वों को शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुँचाने तथा विभिन्न अंगों से हानिकारक पदार्थों को उत्सर्जी अंगों तक लाने का कार्य करता है।

प्रश्न 21.
सफल रक्ताधान तथा आनुवांशिक रोगों से निदान हेतु किसकी आनुवांशिकता का ज्ञान परम आवश्यक है?
उत्तर-
सफल रक्ताधान तथा आनुवांशिक रोगों से निदान हेतु रुधिर वर्गों की आनुवांशिकता का ज्ञान परम आवश्यक है।

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प्रश्न 22.
मृत्यु के कितने घण्टों के भीतर देह को नेत्रदान हेतु काम में लिया जा सकता है?
उत्तर-
मृत्यु के 6 से 8 घण्टों के भीतर देह को नेत्रदान हेतु काम में लिया जा सकता है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न–
प्रश्न 1.
प्रतिरक्षा विज्ञान किसे कहते हैं? विशिष्ट प्रतिरक्षा में प्रतिजन के विनाश की कार्यविधि के चरण लिखिए।
उत्तर-
प्रतिरक्षा विज्ञान-रोगाणुओं के उन्मूलन हेतु शरीर में होने वाली क्रियाओं तथा सम्बन्धित तंत्र के अध्ययन को प्रतिरक्षा विज्ञान कहते हैं।

विशिष्ट प्रतिरक्षा में प्रतिजन के विनाश की कार्यविधि के चरण

  • अन्तर्निहित प्रतिजन तथा बाह्य प्रतिजन में विभेद करना।
  • बाह्य प्रतिजन के ऊपर व्याप्त एण्टीजनी निर्धारकों की संरचना के अनुसार बी-लसिका कोशिकाओं द्वारा प्लाविक कोशिकाओं का निर्माण।
  • प्लाज्मा कोशिकाओं द्वारा विशिष्ट प्रतिरक्षियों का निर्माण।
  • प्रतिजन-प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया तथा कोशिका-माध्यित प्रतिरक्षा द्वारा प्रतिजन का विनाश।

प्रश्न 2.
स्वाभाविक प्रतिरक्षा व उपार्जित प्रतिरक्षा में विभेद कीजिए।
उत्तर-
स्वाभाविक प्रतिरक्षा व उपार्जित प्रतिरक्षा में विभेद
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 4 प्रतिरक्षा एवं रक्तसमूह image - 6

प्रश्न 3.
निम्न को परिभाषित कीजिए

  1. प्रतिरक्षा
  2. एन्टीजन
  3. एन्टीबॉडी
  4. प्रतिरक्षा तंत्र।

उत्तर-

  1. प्रतिरक्षा (Immunity)-शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रतिरक्षा कहलाती है।
  2. एन्टीजन (Antigen)-शरीर में प्रवेश करने वाले जीवाणुओं, विषाणुओं एवं विषैले पदार्थों को प्रतिजन (Antigen) कहते हैं। इनको सीधे अथवा विशेष प्रतिरक्षी पदार्थों, एन्टीबॉडीज के द्वारा नष्ट किया जाता है। एन्टीबॉडीज के उत्पादन को उद्दीप्त प्रेरित करने वाले रसायन एन्टीजन कहलाते हैं।
  3. एन्टीबॉडी (Antibody)-शरीर में एन्टीजन के प्रवेश होने पर इस एन्टीजन के विरुद्ध शरीर की B-लिम्फोसाइट कोशिकाओं द्वारा स्रावित ग्लाइको प्रोटीन पदार्थ एन्टीबॉडी (Antibody) कहलाते हैं ।
  4. प्रतिरक्षा तंत्र (Immune System)-शरीर का वह तन्त्र जो शरीर को बीमारी से सुरक्षा प्रदान करता है, प्रतिरक्षा तन्त्र कहलाता है।

प्रश्न 4.
पैराटोप (Paratope) किसे कहते हैं? सक्रिय प्रतिरक्षा व निष्क्रिय प्रतिरक्षा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
पैराटोप (Paralope)-प्रतिरक्षी का वह भाग जो प्रतिजन से क्रिया करता है, पैराटोप कहलाता है।
सक्रिय प्रतिरक्षा व निष्क्रिय प्रतिरक्षा में अन्तर
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प्रश्न 5.
सक्रिय एवं निष्क्रिय प्रतिरक्षा को समझाइए।
उत्तर-
जब परपोषी प्रतिजनों (एंटीजेंस) का सामना करता है तो शरीर में प्रतिरक्षी पैदा होते हैं। प्रतिजन, जीवित या मृत रोगाणु या अन्य प्रोटीनों के रूप में हो सकते हैं। इस प्रकार की प्रतिरक्षा सक्रिय प्रतिरक्षा (एक्टिव इम्यूनिटी) कहलाती है। सक्रिय प्रतिरक्षा धीमी होती है और अपनी पूरी प्रभावशाली अनुक्रिया प्रदर्शित करने में समय लेती है।

प्रतिरक्षीकरण (इम्यूनाइजेशन) के दौरान जानबूझकर रोगाणुओं का टीका देना अथवा प्राकृतिक संक्रमण के दौरान संक्रामक जीवों का शरीर में पहुँचना सक्रिय प्रतिरक्षा को प्रेरित करता है। जब शरीर की रक्षा के लिए बने बनाए प्रतिरक्षी सीधे ही

शरीर को दिए जाते हैं तो यह निष्क्रिय प्रतिरक्षा (पैसव इम्यूनिटी) कहलाती है। दुग्धस्रवण (लैक्टेशन) के प्रारम्भिक दिनों के दौरान माँ द्वारा स्रावित पीले से तरल पीयूष (कोलोस्ट्रम) में प्रतिरक्षियों (IgA) की प्रचुरता होती है तो शिशु की रक्षा करता है। सगर्भता (प्रेग्नेंसी) के दौरान भ्रूण को भी अपरा (प्लेसेंटा) द्वारा माँ से कुछ प्रतिरक्षी मिलते हैं। ये निष्क्रिय प्रतिरक्षा के कुछ उदाहरण हैं।

प्रश्न 6.
प्रतिरक्षी कितने प्रकार के होते हैं? इनमें उपस्थित भारी श्रृंखला को यूनानी भाषा में किन अक्षरों से दर्शाया जाता है?
उत्तर-
प्रतिरक्षी पाँच प्रकार के होते हैं। इनमें उपस्थित भारी पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला को यूनानी भाषा के अक्षरों α (एल्फा), γ (गामा), δ (डेल्टा), ε (एपसीलन) तथा µ (म्यू) द्वारा दर्शाया जाता है, जो निम्न हैं
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प्रश्न 7.
रक्त क्या है? प्लाज्मा के कार्य लिखिए। इसमें पाई जाने वाली कणिकाओं का कार्य लिखें।
उत्तर-
रक्त (Blood)-रक्त एक तरल जीवित संयोजक ऊतक है जो गाढ़ा, चिपचिपा व लाल रंग का होता है। रक्त रक्त-वाहिनियों में बहता है। यह प्लाज्मा व रक्त-कणिकाओं से मिलकर बना होता है।
प्लाज्मा के कार्य

  • प्लाज्मा आँतों से शोषित पोषक तत्वों को शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुँचाने का कार्य करता है।
  • विभिन्न अंगों से हानिकारक पदार्थों को उत्सर्जी अंगों तक लाने का कार्य करता है।

प्लाज्मा में तीन प्रकार की कणिकाएँ पाई जाती हैं

  1. लाल रक्त कणिकाएँ (RBC) -इनका कार्य गैसों का परिवहन तथा विनिमय है।
  2. श्वेत रक्त कणिकाएँ (WBC)- इनका कार्य शरीर की रोगाणुओं से रक्षा करना है।
  3. बिम्बाणु (Platelets)- इनका कार्य रक्त स्राव को रोकना अर्थात् रुधिर के थक्का बनने में सहायक एवं रक्त वाहिनियों की सुरक्षा करना।

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प्रश्न 8.
प्रतिरक्षी की संरचना का केवल नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर-
प्रतिरक्षी की संरचना का नामांकित चित्र
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प्रश्न 9.
एक दम्पती में पुरुष A तथा स्त्री B रुधिर वर्ग की है तो उनकी संतानों के रुधिर वर्ग की क्यो सम्भावना होगी?
उत्तर-
मेण्डल वंशागति के नियमानुसार पुरुष A तथा स्त्री B रुधिर वर्ग की है, तो संतान के रुधिर वर्ग की उपर्युक्त सम्भावनाएँ हैं।
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स्पष्ट है कि उनकी संतान AB रुधिर वर्ग या A रुधिर वर्ग की होगी ।

प्रश्न 10.
आर एच कारक (Rh factor) क्या है? मानव में कितने प्रकार के आरं एच कारक पाये जाते हैं तथा इन कारकों की आवृत्ति बताइए।
उत्तर-
आर एच कारक-आर एच कारक करीब 417 अमीनो अम्लों का एक प्रोटीन है जिसकी खोज मकाका रीसस नाम के बंदर में की गई थी। यह प्रोटीन मनुष्य की रक्त कणिकाओं की सतह पर पाया जाता है।
मानव जाति में पाँच प्रकार के आर एच कारक पाये जाते हैं

  1. Rh.D.
  2. Rh.E
  3. Rh.e
  4. Rh.C
  5. Rh.c

मानव जाति में आर एच कारकों की आवृत्ति निम्नानुसार है

Rh.D (85%), Rh.E (30%), Rh.e (78%), Rh.C (80%) तथा Rh.c (80%)। सभी Rh कारकों में Rh.D सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह सर्वाधिक (Immunogenic) है।

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प्रश्न 11.
अंगदान किसे कहते हैं? अंगदान व देहदान कौन कर सकता है? समझाइए।
उत्तर-
अंगदान (Organ Donation)-जीवित या मृत व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को कोई ऊतक या अंग का दान करना अंगदान कहलाता है।

देहदान व अंगदान कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या लिंग का हो, कर सकता है। यदि किसी व्यक्ति की उम्र 18 वर्ष से कम है तो कानूनी तौर पर उसके माता-पिता की या अभिभावक की सहमति लेना जरूरी है। अंगदान करने वाले व्यक्ति को दो गवाहों की उपस्थिति में लिखित सहमति लेनी होगी। यदि मृत्यु पूर्व ऐसा नहीं किया गया है तो अंगदान व देहदान का अधिकार उस व्यक्ति के पास होता है, जिसके पास शव (Dead Body) का विधिवत आधिपत्य है।

भारत में अंगदान व देहदान कानूनी रूप से मान्य है।

प्रश्न 12.
प्रतिरक्षी संरचना के आधार पर अस्थिर भाग व स्थिर भाग में क्या अन्तर है?
उत्तर-
अस्थिर भाग व स्थिर भाग में अन्तरअस्थिर भाग
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प्रश्न 13.
रक्ताधान क्या है? रक्ताधान के दौरान बरती गई असावधानियों के कारण होने वाले रोगों के नाम लिखिए।
उत्तर-
रक्ताधान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा रक्त आधारित उत्पादों जैसे प्लाज्मा, प्लेटलेट्स आदि को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के परिसंचरण तंत्र में स्थानान्तरित किया जाता है।
आधान के दौरान बरती गई असावधानियों के कारण निम्न रोग हो सकते हैं

  1. एच.आई.वी.-1 (HIV-1)
  2. एच.आई.वी.-2 (HIV-2)
  3. एच.टी.एल.वी.-1 (HTLV-1)
  4. एच.टी.एल.वी.-2 (HTLV-2)
  5. हैपेटाइटिस-बी (Hepatitis-B)
  6. हैपेटाइटिस-सी (Hepatitis-C)
  7. क्रुएटफेल्ड्ट्ट -जेकब रोग (Creutzfeldt-Jakob disease) आदि।

प्रश्न 14.
प्रतिजन व प्रतिरक्षी में कोई चार अन्तर लिखिए।
उत्तर-
प्रतिजन व प्रतिरक्षी में अन्तर
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 4 प्रतिरक्षा एवं रक्तसमूह image - 12

प्रश्न 15.
किन परिस्थितियों में रक्ताधान की परम आवश्यकता होती है?
उत्तर-
निम्नांकित परिस्थितियों में रक्ताधान की परम आवश्यकता होती है

  1. चोट लगने या अत्यधिक रक्तस्राव होने पर।
  2. शरीर में गंभीर रक्तहीनता होने पर।
  3. शल्य चिकित्सा के दौरान।।
  4. रक्त में बिंबाणु (Platelets) अल्पता की स्थिति में।
  5. हीमोफीलिया (Hemophilia) के रोगियों को।
  6. दात्र कोशिका अरक्तता (Sickle cell anemia) के रोगियों को।

प्रश्न 16.
भौतिक अवरोधक और रासायनिक अवरोधक में विभेद कीजिए।
उत्तर-
भौतिक अवरोधक व रासायनिक अवरोधक में विभेद
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 4 प्रतिरक्षा एवं रक्तसमूह image - 13

निबन्धात्मक प्रश्न–
प्रश्न 1.
व्युत्क्रम संकरण क्या है? जब F1 पीढ़ी का संकरण प्रभावी समयुग्मजी जनक से कराया जाता है, तो प्राप्त संतति में लक्षण-प्ररूप व जीनीप्ररूप अनुपात को समझाइए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
उत्तर-
वह संकरण जिसमें ‘A’ पादप (TT) को नर व ‘B’ पादप (tt) को मादा जनक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है तथा दूसरे संकरण में ‘A’ पादप (TT) को मादा व ‘B’ (tt) पादप को नर जनक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है, उसे व्युत्क्रम संकरण (Reciprocal Cross) कहते हैं।

लक्षणप्ररूप (Phenotype) अनुपात-100% लम्बे
जीनीप्ररूप (Genotype) अनुपात–1 : 1, 50% TT : 50%Tt

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प्रश्न 2.
प्रतिरक्षा किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार की होती है एवं प्रत्येक का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
प्रतिरक्षा (Immunity)-शरीर में रोग या रोगाणुओं से लड़कर स्वयं को रोग से सुरक्षित बनाये रखने की क्षमता को प्रतिरक्षा कहते हैं। प्रतिरक्षा दो। प्रकार की होती है

  • स्वाभाविक प्रतिरक्षा विधि
  • उपार्जित प्रतिरक्षा विधि।

(1) स्वाभाविक प्रतिरक्षा विधि (Innate defense mechanism) –
यह प्रतिरक्षा जन्म के साथ ही प्राप्त होती है अर्थात् यह माता-पिता से संतान में आती है। इसलिए इसे अविशिष्ट या जन्मजात प्रतिरक्षा भी कहते हैं। इस प्रतिरक्षा में हमारे शरीर में कुछ अंग अवरोधक का कार्य करते हैं और रोगाणुओं को शरीर में प्रवेश नहीं करने देते हैं और यदि प्रवेश कर भी जाते हैं तो विशिष्ट क्रियाएँ इन्हें मृत कर देती हैं। स्वाभाविक प्रतिरक्षा चार प्रकार के अवरोधकों से बनी होती है–

  • भौतिक अवरोधक।
  • रासायनिक अवरोधक
  • कोशिका अवरोधक
  • ज्वर, सूजन (Inflammation)

(i) भौतिक अवरोधक- हमारे शरीर पर त्वचा मुख्य रोध है जो सूक्ष्म जीवों के प्रवेश को रोकता है। नासा मार्ग, नासिका छिद्रों तथा अन्य अंगों में पाये जाने वाले पक्ष्माभ (cilia) व कशाभ रोगाणुओं को रोकते हैं तथा इनमें उपस्थित श्लेष्मा ग्रन्थियाँ श्लेष्मा स्रावण करती हैं जो रोगाणुओं को अपने ऊपर चिपकाकर उन्हें अन्दर पहुँचने से रोकती हैं।

(ii) रासायनिक अवरोधक-आमाशय में पाये जाने वाले एन्जाइम, आमाशय व योनि का अम्लीय वातावरण, जीवाणुओं व अन्य रोगाणुओं को नष्ट कर देता है। त्वचा पर पाये जाने वाले रासायनिक तत्व (सीवम) व कर्ण मोम (सेरुमन) आदि रोगाणुओं के लिए अवरोधक का कार्य करते हैं।

(iii) कोशिकीय अवरोधक ( पेल्युलर बैरियर)-हमारे शरीर के रक्त में बहुरूप केन्द्रक श्वेताणु उदासीनरंजी (पीएमएनएल-न्यूट्रोफिल्स) जैसे कुछ प्रकार के श्वेताणु और एककेन्द्रकाणु (मोनासाइट्स) तथा प्राकृतिक, मारक लिंफोसाइट्स के प्रकार एवं ऊतकों में वृहत् भक्षकाणु (मैक्रोफेजेज) रोगाणुओं का भक्षण करते और नष्ट करते हैं।

(iv) ज्वर, सूजन आदि।

(2) उपार्जित प्रतिरक्षा विधि (Acquired defence mechanism)
इसे विशिष्ट प्रतिरक्षा भी कहते हैं। यह प्रतिरक्षा जन्म के पश्चात् व्यक्ति द्वारा अर्जित की जाती है तथा इसके द्वारा किसी भी जीवाणु के शरीर में प्रवेश करने पर पहचान कर विशिष्ट क्रिया द्वारा नष्ट किया जाता है। विशिष्ट प्रतिरक्षा अथवा उपार्जित प्रतिरक्षा दो प्रकार की होती है–

  • सक्रिय प्रतिरक्षा
  • निष्क्रिय प्रतिरक्षा

(i) सक्रिय प्रतिरक्षा (Active Immunity)-इस प्रकार की प्रतिरक्षा में शरीर प्रतिजन के विरुद्ध स्वयं प्रतिरक्षियों का निर्माण करता है। सक्रिय प्रतिरक्षा केवल उस विशेष प्रतिजन (Antigen) के लिए होती है जिसके विरुद्ध प्रतिरक्षी (Antibody) का निर्माण होता है।

(ii) निष्क्रिय प्रतिरक्षा (Passive Immunity)-निष्क्रिय प्रतिरक्षा में शरीर में किसी विशेष प्रतिजन के विरुद्ध बाहर से विशिष्ट प्रतिरक्षी प्रविष्ट करवाये जाते हैं। इस प्रतिरक्षा में शरीर द्वारा प्रतिरक्षी (Antibody) का निर्माण नहीं किया जाता है। उदाहरण-टिटेनस, हिपेटाइटिस एवं डिप्थीरिया आदि।

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 4 प्रतिरक्षा एवं रक्तसमूह

प्रश्न 3.
देहदान किसे कहते हैं? उन दो प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए जिनसे देहदान आवश्यक है?
उत्तर-
देहदान-अपनी देह को अंग प्रत्यारोपण तथा चिकित्सकीय प्रशिक्षण के लिए दान करना देहदान कहलाती है।

देहदान निम्न दो प्रमुख कारणों से आवश्यक है|

  • मृत देह से अंग निकालकर जरूरतमंद लोगों को प्रत्यारोपित किये जा सकते हैं। प्रायः अंगदान ऐसे मृत व्यक्ति से किया जाता है, जिसकी दिमागी मृत्यु हुई हो। ऐसे मामलों में मृत व्यक्ति का दिमाग पूर्ण रूप से कार्य करना बन्द कर देता है। परन्तु शरीर के अन्य अंग कार्य करते रहते हैं। ऐसी देह से हृदय, यकृत, गुर्दे आदि अंग व्यक्तियों में प्रत्यारोपित किये जा सकते हैं। हालांकि आँकड़े बताते हैं कि एक हजार में से केवल एक व्यक्ति की मौत ही इस प्रकार से होती है। मृत्यु के 6 से 8 घण्टों के भीतर देह को नेत्रदान हेतु काम में लिया जा सकता है।
  • चिकित्सीय शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थी मृत देह पर प्रशिक्षण प्राप्त कर बेहतरीन चिकित्सक बनते हैं। मृत मानव की देह पर प्रायोगिक कार्य संपादन करने के बाद ही मेडिकल के विद्यार्थी मानव देह की रचना को भली प्रकार से समझ पाते हैं। इस हेतु मानव द्वारा देहदान की परम आवश्यकता है। यह मानव देह की अन्तिम उपयोगिता है।

प्रश्न 4.
विभिन्न रक्त समूह (एबीओ तथा आरएच समूहीकरण) को सारणी द्वारा समझाइए।
उत्तर-
विभिन्न समूह (एबीओ तथा आरएच समूहीकरण)
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 4 प्रतिरक्षा एवं रक्तसमूह image - 14

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RBSE Solutions for Class 10 Maths Chapter 2 वास्तविक संख्याएँ Ex 2.1

September 22, 2024 by Veer Leave a Comment

RBSE Solutions for Class 10 Maths Chapter 2 वास्तविक संख्याएँ Ex 2.1 is part of RBSE Solutions for Class 10 Maths. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 10 Maths Chapter 2 वास्तविक संख्याएँ Exercise 2.1.

Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 10
Subject Maths
Chapter Chapter 2
Chapter Name वास्तविक संख्याएँ
Exercise Exercise 2.1
Number of Questions Solved 5
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 10 Maths Chapter 2 वास्तविक संख्याएँ Ex 2.1

प्रश्न 1.
दर्शाइये कि एक विषम धनात्मक पूर्णांक(RBSESolutions.com) संख्या को वर्ग 8q+1 के रूप का होता है जहाँ q एक धनात्मक पूर्णाक है।
हल:
माना a कोई धनात्मक विषम पूर्णाक है।
हम जानते हैं कि धनात्मक विषम पूर्णांक a = 2n + 1 के रूप को होगा
अतः विषम धनात्मक पूर्णांक संख्या 4 = 2n + 1 होगी।
जहाँ n= 1, 2, 3, ….
प्रश्नानुसार (a)2 = (2n + 1)2
= 4n2 + 4n + 1
= 4m (1 + 1) + 1
संख्या n(n + 1) सदैव धनात्मक सम पूर्णांक ही प्राप्त होगा।
जहाँ n = 1, 2, 3, …..
अतःn (n + 1) = 29 जहाँ q एक धनात्मक पूर्णाक है।
अतः (a)2= 4 x 2q + 1
= 8q + 1
अतः विषम धनात्मक पूर्णांक संख्या का वर्ग 8q + 1 के रूप का होता है।

RBSE Solutions

इति सिद्धम्

प्रश्न 2.
यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका द्वारा दर्शाइये कि(RBSESolutions.com) किसी भी धनात्मक पूर्णाक संख्या का घन 9q या 9q +1 या 9q + 8 के रूप का होता है, जहाँ q एक पूर्णांक संख्या है।
हल:
माना कि कोई धनात्मक पूर्णांक है। तब यह 3m, 3m + 1 या 3m + 2 के रूप में होगा।
सिद्ध करना है-इनमें से प्रत्येक का घन 9q, 9q + 1 या 9q + 8 के रूप में लिखा जा सकता है।
(3m)3 = 27m3 = 9(3m3)
= 9q जहाँ q= 3m3 है।
तथा (3m + 1)3= (3m)3 + 3(3m)2 . 1 + 3(3m) . 12 + 1
= 27m3 + 27m2 + 9m + 1
= 9(3m3 + 3m2 + m) + 1
= 9q + 1 जहाँ q = 3m + 3m2 + m है।
तथा (3m + 2)3 = (3m)3 + 3(3m)2. 2 + 3(3m). 22 + 8
= 27m3 + 54m2 + 36m + 8
= 9(3m + 6m2 + 4m) + 8
= 9q + 8 जहाँ q= 3m3 + 6m2 +4m है।
अतः स्पष्ट है कि किसी भी धनात्मक पूर्णांक संख्या का धन 9q या 9q + 1 या 9q + 8 के रूप का होता है।

प्रश्न 3.
दर्शाइए कि किसी भी धनात्मक (RBSESolutions.com) विषम पूर्णांक संख्या को 6q + 1 या 6q + 3 या 6q + 5 के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ q एक धनात्मक पूर्णाक है।
हल:
माना कि a एक धनात्मक विषम पूर्णाक है अब a और b = 6 के लिए यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म के प्रयोग से- a = 6q +r
∵ 0 ≤ r ≤ 6 अतः सम्भावित शेषफल 0, 1, 2, 3, 4 और 5 होंगे। अर्थात् a के मान 6q या 6q + 1 या 6q + 2 या 6q + 3 या 6q +4 या 6q + 5 हो सकते हैं, जहाँ q कोई भाज्य है। अब चूँकि a एक विषम धनात्मक पूर्णांक है अतः यह 6q, 6q + 2 या 6q + 4 के रूप का नहीं हो सकती क्योंकि ये सभी 2 से भाज्य होने के कारण सम धनात्मक पूर्णांक हैं । अतः कोई भी धनात्मक विषम पूर्णांक 6q + 1 या 60 + 3 या 6q + 5 के रूप का होता है जहाँ q कोई पूर्णाक है।

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित संख्या-युग्मों का यूक्लिड विभाजन(RBSESolutions.com) विधि द्वारा महत्तम समापवर्तक (HCF) ज्ञात कीजिए—
(i) 210, 55
(ii) 420, 130
(iii) 75, 243
(iv) 135, 225
(v) 196, 38220
(vi) 867, 255
हल:
(i) 210 और 55
यूक्लिड विभाजन(RBSESolutions.com) एल्गोरिथ्म के प्रयोग से-
चरण I— ∵ 210 > 55 अतः यूक्लिड प्रमेयिका के अनुसार
210 = 55 x 3 + 45
चरण II— ∵ शेषफल 45 ≠ 0 है अतः अब 55 और 45 पर यूक्लिड प्रमेयिका प्रयुक्त करने पर
55 = 45 x 1 + 10
चरण III— ∵ शेषफल 10 ≠ 0 है अतः अब 45 व 10 पर यूक्लिड प्रमेयिका प्रयुक्त करने पर
45 = 10 x 4 + 5
चरण IV— ∵ शेषफल 5 ≠ 0 है अतः अब 10 व 5 पर यूक्लिड प्रमेयिका प्रयुक्त करने पर।
10 = 5 x 2 + 0
अब शून्य प्राप्त हो जाने पर यह प्रक्रिया समाप्त (RBSESolutions.com) हो जायेगी। चरण IV में भाजक 5 है अतः 210 और 55 का HCF 5 है। उत्तर

(ii) 420 और 130
यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म के प्रयोग से-
चरण I— ∵ 420 > 130 अतः यूक्लिड प्रमेयिका के अनुसार
420 = 130 x 3 + 30
चरण II— ∵ शेषफल 30 ≠ 0 है अतः अब 130 और 30 पर यूक्लिड प्रमेयिका प्रयुक्त करने पर
130 = 30 x 4 + 10
चरण III— ∵ शेषफल 10 ≠ 0 है अतः अब 30 व 10 पर यूक्लिड प्रमेयिका प्रयुक्त करने पर
30 = 10 x 3 + 0
अब शून्य प्राप्त हो जाने पर यह प्रक्रिया समाप्त हो जायेगी। (RBSESolutions.com) चरण III में भाजक 10 है अतः 420 और 130 का HCF 10 है। उत्तर

(iii) 75 और 243
यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म के प्रयोग से-
चरण I— ∵ 243 > 75 अतः यूक्लिड प्रमेयिका के अनुसार
243 = 75 x 3 + 8
चरण II— ∵ शेषफल 18 ≠ 0 है अतः अब 75 और 18 पर यूक्लिड प्रमेयिका प्रयुक्त करने पर।
75 = 18 x 4 + 3
चरण III— ∵ शेषफल 3 ≠ 0 है अतः अब 18 और 3 पर यूक्लिड प्रमेयिका प्रयुक्त करने पर।
18 = 3 x 6 + 0
अब शून्य प्राप्त हो जाने पर यह प्रक्रिया समाप्त हो जायेगी। चरण III में। भाजक 3 है अतः 75 और 243 का HCF 3 है। उत्तर

(iv) 135 और 225
यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म के प्रयोग से-
चरण I— ∵ 225 > 135 अतः यूक्लिड प्रमेयिका के अनुसार
225 = 135 x 1 + 90
चरण II— ∵ शेषफल 90 ≠ 0 है अतः अब 135 और 90 पर यूक्लिड प्रमेयिका प्रयुक्त करने पर
135 = 90 x 1 + 45
चरण III— ∵ शेषफल 45 ≠ 0 अतः अब 90 व 45 पर यूक्लिड प्रमेयिका प्रयुक्त करने पर।
90 = 45 x 2 + 0
अब शून्य प्राप्त हो जाने पर यह प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी। (RBSESolutions.com) चरण III में भाजक 45 है अतः 135 और 225 का HCF 45 है। उत्तर

(v) 196 और 38220
यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म के प्रयोग से
चरण I— ∵ 38220 > 196 अतः यूक्लिड प्रमेयिका के अनुसार
38220 = 196 x 195 + 0
चूँकि शून्य प्राप्त हो गया है अतः प्रक्रिया यहीं समाप्त हो जाएगी। इस चरण में भाजक 196 है। अतः 38220 और 196 का HCF 196 है। उत्तर

(vi) 867 और 255
यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म के प्रयोग से
चरण I— ∵ 867> 255 अतः यूक्लिड प्रमेयिका के अनुसार
867 = 255 x 3 + 102
चरण II— ∵ शेषफल 102 ≠ 0 अतः अब 255 और 102 पर (RBSESolutions.com) यूक्लिड प्रमेयिका प्रयुक्त करने पर
255 = 102 x 2 + 51
चरण III— ∵ शेषफल 51 ≠ 0 अतः अब 102 और 51 पर यूक्लिड प्रमेयिका प्रयुक्त करने पर
102 = 51 x 2 + 0
अब शून्य प्राप्त हो जाने पर यह प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी। चरण III में भाजक 51 है अतः 867 और 255 का HCF 51 है। उत्तर

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प्रश्न 5.
यदि संख्या 408 तथा 1032 के महत्तम समापवर्तक (HCF) को 1032x – 408 × 5 के रूप में व्यक्त किया जाता है, तो x का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
408 और 1032 को HCF ज्ञात करने पर यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म के प्रयोग से-
चरण I— ∵ 1032 > 408 अत: यूक्लिड प्रमेयिका के अनुसार
1032 = 408 x 2 + 216
चरण II— ∵ शेषफल 216 ≠ 0 है अतः अब 408 और 216 पर यूक्लिड प्रमेयिका प्रयुक्त करने पर
408 = 216 x 1 + 192
चरण III— ∵ शेषफल 192 ≠ 0 अतः अब 216 व 192 पर यूक्लिड प्रमेयिका प्रयुक्त करने पर
216 = 192 x 1 + 24
चरण IV— ∵ शेषफल 24 ≠ 0 अतः अब 192 व 24 पर यूक्लिड प्रमेयिका प्रयुक्त करने पर
192 = 24 x 8 + 0
अब शून्य प्राप्त हो जाने पर यह प्रक्रिया समाप्त हो (RBSESolutions.com) जायेगी। चरण IV में भाजक 24 है अतः 408 और 1032 का HCF 24 है।
प्रश्नानुसार HCF (24) को 1032x – 408 x 5 के रूप में व्यक्त किया जाता है।
अतः 24 = 1032x – 408 x 5
⇒ 24 = 1032 – 2040
या 1032x = 2040 + 24
या 1032x = 2064
∴ \(x=\frac { 2064 }{ 1032 } =2\)
अतः x = 2 उत्तर

RBSE Solutions

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RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 1 भोजन एवं मानव स्वास्थ्य

September 22, 2024 by Fazal Leave a Comment

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RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 1 भोजन एवं मानव स्वास्थ्य are part of RBSE Solutions for Class 10 Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 1 भोजन एवं मानव स्वास्थ्य.

Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 10
Subject Science
Chapter Chapter 1
Chapter Name भोजन एवं मानव स्वास्थ्य
Number of Questions Solved 65
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 1 भोजन एवं मानव स्वास्थ्य

( पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर )

बहुचयनात्मक प्रश्न
1. नारु रोग का रोगजनक है
(क) जीवाणु
(ख) कृमि,
(ग) विषाणु
(घ) प्रोटोजोआ

2. स्वस्थ शरीर का सामान्य रक्तचाप होता है
(क) 120/80
(ख) 100/60
(ग) 140/100
(घ) इनमें से कोई नहीं

3. तम्बाकू किस कुल का पादप है
(क) मालवेसी
(ख) लिलीएसी
(ग) सोलेनेसी
(घ) फेबेसी ।

4. मदिरा का मुख्य घटक है
(क) C2H5OH
(ख) CH3OH
(ग) CH3COOH
(घ) C6H12O6

5. आयोडीन की कमी से रोग होता है
(क) रतौंधी
(ख) रिकेटस
(ग) बांझपन
(घ) घेघा

उत्तरमाला-
1. (ख)
2. (क)
3. (ग)
4. (क)
5. (घ)

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 1 भोजन एवं मानव स्वास्थ्य

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 6.
अफीम के पादप का वैज्ञानिक नाम क्या है?
उत्तर-
अफीम के पादप का वैज्ञानिक नाम पैपेवर सोमनिफेरम है।

प्रश्न 7.
वसीय यकृत रोग का कारण क्या है?
उत्तर-
मदिरा (Alcohol) के प्रभाव से वसीय यकृत रोग हो जाता है।

प्रश्न 8.
तम्बाकू में कौन सा हानिकारक तत्व पाया जाता है?
उत्तर-
तम्बाकू में निकोटिन नामक हानिकारक तत्व पाया जाता है।

प्रश्न 9.
रक्तचाप मापने वाले यंत्र का नाम क्या है?
उत्तर-
रक्तचाप मापने वाले यंत्र का नाम रक्तचापमापी (स्फाइग्नो मैनोमीटर) है।

प्रश्न 10.
नारु रोग के रोगजनक का नाम लिखो।
उत्तर-
नारु रोग के रोगजनक का नाम ड्रेकनकुलस मेडीनेन्सिस (Dracunculus medinensis) है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 11.
संतुलित भोजन व कुपोषण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
संतुलित भोजन-वह भोजन जिसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध हों, उसे संतुलित भोजन कहते हैं।
इसमें कार्बोहाइड्रेट्स, वसा, प्रोटीन, विटामिन्स, खनिज जैसे पोषकों के साथसाथ रेशों व जल जैसे घटकों का होना आवश्यक है।
कुपोषण-लम्बे समय तक जब पोषण में किसी एक या अधिक पोषक तत्त्व की कमी हो तो उसे कुपोषण कहते हैं।

प्रश्न 12.
प्रोटीन की कमी से होने वाले रोगों का मानव शरीर में क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
प्रोटीन की कमी से होने वाले रोगों के मानव शरीर में निम्न प्रभाव पड़ते हैं

  1. बच्चों का शरीर सूजकर फूल जाता है।
  2. उसे भूख कम लगती है।
  3. स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है।
  4. त्वचा पीली, शुष्क, काली, धब्बेदार होकर फटने लगती है।
  5. शरीर सूखकर दुर्बल हो जाता है।
  6. आँखें कांतिहीन हो जाती हैं एवं अंदर धंस जाती हैं।

प्रश्न 13.
पीने योग्य जल के क्या गुण होने चाहिए?
उत्तर-
पीने योग्य जल के गुण

  1. जल में हानिकारक सूक्ष्म जीव नहीं होने चाहिए।
  2. जल का pH संतुलित हो।।
  3. जल में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन घुली हो।
  4. जल में आँखों से दिखने वाले कण और वनस्पति नहीं हों।

प्रश्न 14.
दूषित जल के दुष्प्रभाव लिखिए।
उत्तर-
दूषित जल के दुष्प्रभाव निम्न हैं

  1. यदि दूषित जल का उपयोग पीने के काम में लेते हैं तो हम विभिन्न बीमारियों से ग्रसित हो जायेंगे।
  2. दूषित जल में विषाणु, जीवाणु प्रोटोजोआ, कृमि आदि पाये जाते हैं, जिनकी वजह से हैजा, पेचिस जैसी बीमारियों के शिकार हो जाते हैं।
  3. गंदे पानी से वायरल संक्रमण भी होता है, वायरल संक्रमण के कारण हिपेटाइटिस, फ्लू, कोलेरा, टाइफाइड और पीलिया जैसी खतरनाक बीमारियाँ हो जाती हैं।
  4. बाला नारु रोग कभी राजस्थान में गम्भीर समस्या था। इसका रोगजनक ड्रेकनकुलस मेडीनेसिस नामक कृमि है, इसकी मादा कृमि अपने अण्डे हमेशा परपोषी के शरीर के बाहर जल में देती है, ऐसे दूषित जल के उपयोग से यह रोग दूसरे लोगों में फैल जाता है।

प्रश्न 15.
अफीम के दूध में कौन से एल्केलॉयड पाए जाते हैं?
उत्तर-
अफीम के दूध में लगभग 30 प्रकार के एल्केलॉयड पाये जाते हैं। इनमें से प्रमुख निम्न हैं

  1. मार्फीन
  2. कोडिन
  3. निकोटिन
  4. सोमनिफेरिन
  5. पैपेवरिन।

प्रश्न 16.
तम्बाकू से होने वाली हानियाँ लिखिए।
उत्तर-
तम्बाकू से हानियाँ

  1. तम्बाकू के लगातार सेवन से मुँह, जीभ, गले व फेफड़ों आदि का कैंसर होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
  2. गर्भवती महिलाओं द्वारा तम्बाकू का सेवन करने पर भ्रूण विकास की गति मंद पड़ जाती है।
  3. तम्बाकू में पाये जाने वाला निकोटिन धमनियों की दीवारों को मोटा कर देता है जिससे रक्तदाब (B.P.) व हृदय स्पंदन (Heart beat) की दर बढ़ जाती
  4. सिगरेट के धुएँ में उपस्थित कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) लाल रुधिर कणिकाओं (RBC) को नष्ट कर रुधिर की ऑक्सीजन परिवहन की क्षमता कम कर देती है।

प्रश्न 17.
सबम्युकस फाइब्रोसिस रोग के लक्षण व कारण लिखिए।
उत्तर-
लक्षण-सबम्युकस फाइब्रोसिस रोग में जबड़े की मांसपेशियाँ कठोर हो जाती हैं, जिसके फलस्वरूप जबड़ा ठीक से नहीं खुलता है। मुँह में घाव या छाले व सूजन आ जाती है जो कैंसर में परिवर्तित हो सकते हैं।
कारण-गुटका के उपयोग करने से इस प्रकार का रोग होता है।

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 1 भोजन एवं मानव स्वास्थ्य

निबन्धात्मक प्रश्न-
प्रश्न 18.
क्वाशिओरकोर रोग क्या है? इसके लक्षण व रोकथाम के उपाय लिखिए।
उत्तर-
क्वाशिओरकोर (Kwashiorkor)-प्रोटीन की कमी से होने वाले रोग को क्वाशिओरकोर कहते हैं। गरीबी के कारण लोग भोजन में प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में नहीं ले पाते हैं, जिसके कारण कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। अधिकांशतः छोटे बच्चे इस रोग से ग्रसित होते हैं। किशोरावस्था में और गर्भवती महिलाओं को प्रोटीनयुक्त भोजन की अतिआवश्यकता है।
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 1 भोजन एवं मानव स्वास्थ्य image - 1
क्वाशिओरकोर रोग के लक्षण निम्नलिखित हैं

  1. बच्चों का पेट फूल जाता है।
  2. इन्हें भूख कम लगती है।
  3. स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है।
  4. त्वचा पीली व शुष्क हो जाती है एवं काली धब्बेदार होकर फटने लगती है।
  5. शरीर सूखकर दुर्बल हो जाता है।
  6. आँखें कांतिहीन एवं अन्दर धंस जाती हैं, इस स्थिति को मेरसमस (Marasmus) रोग कहते हैं।

रोकथाम के उपाय-

  • इस रोग से ग्रसित बच्चों, किशोरों, गर्भवती महिलाओं आदि को प्रचुर मात्रा में प्रोटीनयुक्त भोजन का सेवन करना चाहिए।
  • चिकित्सक से परामर्श लेवें।।

प्रश्न 19.
समाज में अफीम चलन की प्रथा को आप कैसे रोक सकते हैं?
उत्तर-
समाज में अफीम चलने की प्रथा को रोकने के लिए हम निम्न कार्य करेंगे

  1. हम लोगों को अफीम के नशे से होने वाले दुष्प्रभावों की जानकारी देंगे।
  2. गम या खुशी के अवसर पर की जाने वाली अफीम की मनुहार की प्रथा का विरोध करेंगे।
  3. जो माताएँ अपने छोटे बच्चों को सुलाने के लिए अफीम खिलाती हैं, उन्हें ऐसा न करने के लिए समझायेंगे तथा उन्हें बतलायेंगे कि इससे बच्चों को अफीम की लत लग जाती है।
  4. हम अपने विद्यालय तथा अन्य विद्यालयों में अफीम के सेवन से होने वाले दुष्प्रभाव विषय पर कार्यशाला का आयोजन करेंगे।
  5. हम नुक्कड़ नाटक द्वारा तथा रैलियाँ निकालकर भी समाज में अफीम चलन के विरुद्ध जनजागृति उत्पन्न करेंगे।

प्रश्न 20.
विटामिन कुपोषण से होने वाले रोग एवं उनके लक्षण लिखिए।
उत्तर-
विटामिन कुपोषण से होने वाले रोग एवं उनके लक्षण
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प्रश्न 21.
कोल्डड्रिंक्स से हमारे शरीर में पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों का वर्णन कीजिये।
उत्तर-
कोल्डड्रिंक्स से हमारे शरीर पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभाव निम्नलिखित हैं

  1. कोल्डड्रिंक्स में उपस्थित लीडेन, डीडीटी, मेलेथियन और क्लोरपाइरीफॉस कैंसर, स्नायु, प्रजनन सम्बन्धी बीमारी और प्रतिरक्षा तंत्र में खराबी के लिए उत्तरदायी हैं।
  2. कोल्डड्रिंक्स के निर्माण के समय इसमें फास्फोरिक अम्ल डाला जाता है। जो दाँतों पर सीधा प्रभाव डालता है। उसमें लोहे तक को गलाने की क्षमता होती है।
  3. इसमें उपस्थित एथीलिन ग्लाइकोल रसायन पानी को शून्य डिग्री तक जमने नहीं देता है। इसे आम भाषा में मीठा जहर कहा जाता है।
  4. बोरिक, एरिथोरबिक और बैंजोइल अम्ल मिलकर कोल्डड्रिंक्स को अतिअम्लता प्रदान करते हैं, जिससे पेट में जलन, खट्टी डकारें, दिमाग में सनसनी, चिड़चिड़ापन, एसिडिटी और हड्डियों के विकास में बाधा आती है।
  5. कोल्डड्रिंक्स में 0.4 पी.पी.एस. सीसा डाला जाता है जो स्नायु, मस्तिष्क, गुर्दा, लिवर और मांसपेशियों के लिए घातक है।
  6. कोल्डड्रिंक्स में मिली केफीन की मात्रा अनिद्रा और सिरदर्द की समस्या उत्पन्न करती है।

प्रश्न 22.
खाद्य पदार्थों में मिलावट पर लेख लिखिए।
उत्तर-
बाजार में मिलने वाले अनेक खाद्य पदार्थों में कुछ न कुछ मिलावट होती है। मिलावट का प्रहार सबसे ज्यादा हमारे प्रतिदिन के आवश्यक खाद्य पदार्थों पर हो रहा है। देश में मिलावटी खाद्य पदार्थों की भरमार हो गई है।

आजकल नकली आटा, बेसन, तेल, चाय, धनिया, घी, दूध, मिर्च, मसाले आदि खुलेआम बिक रहे हैं। इनका उपयोग कर कोई बीमार हो जाये तो हालत और भी ज्यादा खराब हो जाती है, क्योंकि दवाइयाँ भी नकली बिक रही हैं।

आजकल लोग दूध के नाम पर यूरिया, डिटर्जेंट, सोडा, पोस्टर कलर और रिफाइण्ड तेल पी रहे हैं। यू.पी. में स्वास्थ्य विभाग के अनुसार राज्य के 25 प्रतिशत लोग मिलावटी घटिया दूध पी रहे हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। बाजार में मिलने वाले खाद्य तेल व घी की स्थिति खराब है। सरसों के तेल में सत्यानासी के बीज और सस्ता पाम ऑयल मिलाया जाता है। देशी घी में वनस्पति घी मिलाया जाता है।

इसी प्रकार मिर्ची पाउडर में ईंट का चूरा, सौंफ पर कृत्रिम हरा रंग, हल्दी में लेड क्रोमेट व पीली मिट्टी, धनिया और मिर्च में गंधक, काली मिर्च में पपीते के बीज मिलाये जा रहे हैं।

फल व सब्जियों में रंग के लिए रासायनिक इंजेक्शन (chemical injection), ताजा दिखाने के लिए लेड व कॉपर विलियन का छिड़काव, गोभी की सफेदी के लिए सिल्वर नाइट्रेट (AgNO3) का छिड़काव किया जा रहा है। बेसन में मक्के का आटा, दाल व चावल पर बनावटी रंगों की पॉलिश की जा रही है।

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मिठाइयों में ऐसे रंगों का प्रयोग हो रहा है जो कैंसर के लिए उत्तरदायी हैं और इसके कारण DNA में विकृति आ सकती है।

नकली दवाओं की समस्या और औषधि विनियम पर गठित माशेलकर समिति ने नकली दवाओं का धंधा करने वालों को मृत्यु दण्ड देने की सिफारिश की है।

इसी प्रकार सुरक्षित भोजन के बारे में भारत में मुख्य कानून है-1954 का खाद्य पदार्थ अल्प मिश्रण निषेध अधिनियम (पी.एफ.ए.)। इस कानून का नियम 65 खाद्य पदार्थों में कीटनाशकों या मिलावट का नियमन करता है परन्तु यह नियम दोषी लोगों को सजा दिलाने में नाकाम हो रहे हैं, जिसके फलस्वरूप लोग पकड़े जाने के बाद छूटकर वापस उसी व्यवसाय में लग जाते हैं। सरकार द्वारा नियमों का कठोरता से पालन किया जावे एवं धीमी चलने वाली न्याय प्रक्रिया, जानबूझकर जाँच कार्य को कमजोर करना, मुकदमों का सही ढंग से न चलना, कामचोरी, धनशक्ति और राजनीतिक प्रभावों का इस्तेमाल पर अंकुश लगा दिया जाये तो इसमें कोई दो । राय नहीं कि इस पर रोक न लग सके।

प्रश्न 23.
खनिज कुपोषण से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिये।
उत्तर-
विभिन्न प्रकार के खनिज भी हमारे शरीर के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। इनकी कमी से शरीर में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं।

  1. आयोडीन तत्त्व-थायराइड ग्रन्थि में थाइरोक्सिन हार्मोन के निर्माण हेतु आयोडीन की आवश्यकता होती है। आयोडीन की कमी से थायरोक्सिन हार्मोन का निर्माण कम होता है, जिसके परिणामस्वरूप गलगंड ( घेघा) रोग उत्पन्न हो जाता है।
  2. कैल्शियम तत्त्व-कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसकी कमी से हड्डियाँ कमजोर व भंगुर प्रकृति की हो जाती हैं।
  3. लौह तत्त्व-यह रुधिर के हीमोग्लोबिन का भाग होता है। इसकी कमी से रक्तहीनता के कारण चेहरा पीला पड़ जाता है।
  4. फास्फोरस तत्त्व-फास्फोरस कैल्शियम से मिलकर हड्डियाँ तथा दाँतों को मजबूती प्रदान करता है। इसकी कमी से हड्डियाँ तथा दाँत कमजोर हो जाते हैं।
  5. सोडियम तत्त्व-सोडियम तत्त्व की कमी से मांसपेशी संकुचन, तंत्रिकीय आवेश संचरण, शरीर का विद्युत अपघटन, संतुलन बनाना आदि कार्य प्रभावित होंगे।
  6. पोटेशियम तत्त्व-पोटेशियम तत्त्व की कमी से मांसपेशी संकुचन, तंत्रिकीय आवेश संचरण, शरीर का विद्युत अपघटन, संतुलन बनाना, विभिन्न कोशिकीय क्रियाओं के संचालन में बाधा उत्पन्न होगी।

( अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर )

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. विटामिनों की कमी से हम रोगग्रसित हो जाते हैं। एसकोर्बिक अम्ल (C) की कमी से होने वाला रोग है
(अ) रतौंधी
(ब) स्कर्वी
(स) पेलेग्रा
(द) बेरीबेरी

2. आयोडीन की कमी से किस ग्रन्थि की क्रिया मंद पड़ जाती है?
(अ) थायराइड ग्रन्थि
(ब) पीयूष ग्रन्थि
(स) एड्रीनल ग्रन्थि
(द) जनन ग्रन्थि

3. जल कितनी अवस्थाओं में पाया जाता है?
(अ) एक
(ब) दो
(स) तीन
(द) चार

4. मदिरा (शराब) के प्रभाव से होने वाला मुख्य रोग है
(अ) वसीय यकृत
(ब) नारु रोग
(स) रिकेट्स
(द) मधुमेह

5. निम्न में से जंक फूड है
(अ) बर्गर
(ब) पिज्जा
(स) चिप्स
(द) उपर्युक्त सभी

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6. स्टीफन हेल्स ने पहली बार निम्न में से किस जन्तु का रक्तचाप मापा
(अ) गाय
(ब) शेर
(स) घोड़ा
(द) हाथी

7. सिगरेट के धुएँ में उपस्थित गैस होती है
(अ) ऑक्सीजन
(ब) कार्बन डाईऑक्साइड
(स) कार्बन मोनो ऑक्साइड
(द) उपर्युक्त सभी

8. कोल्डड्रिंक्स के निर्माण के समय कौनसे अम्ल का उपयोग किया जाती है, जो दाँतों पर सीधा प्रभाव डालता है?
(अ) गंधक का अम्ल
(ब) फास्फोरिक अम्ल
(स) नाइट्रिक अम्ल
(द) टारट्रिक अम्ल

9. सफेदी के लिए गोभी पर निम्न में से छिड़काव किया जाता है
(अ) सिल्वर नाइट्रेट
(ब) लेड व कॉपर विलयन
(स) लेड क्रोमेट
(द) फास्फोरस का विलयन

10. नकली दवाओं का धंधा करने वालों को मृत्युदण्ड देने की सिफारिश किस समिति ने की?
(अ) आशेलकर समिति
(ब) माशेलकर समिति
(स) राशेलकर समिति
(द) काशेलकर समिति

उत्तरमाला-
1. (ब)
2. (अ)
3. (स)
4. (अ)
5. (द)
6. (स)
7. (स)
8. (ब)
9. (अ)
10. (ब)

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
रक्तचाप मापने वाले यंत्र का नाम लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
उत्तर-
रक्तचाप मापने वाले यंत्र का नाम रक्तचापमापी (स्पाइग्नोमैनोमीटर) है।

प्रश्न 2.
पैरों की हड्डियाँ मुड़ जाना एवं घुटने पास-पास आ जाना, विटामिन की कमी से होने वाले किस रोग के लक्षण हैं? (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18 )
उत्तर-
ये विटामिन D की कमी से होने वाले रिकेट्स रोग के लक्षण हैं।

प्रश्न 3.
संतुलित भोजन किसे कहते हैं?
उत्तर-
वह भोजन जिसमें सभी आवश्यक पोषक उपलब्ध हों, उसे संतुलित भोजन कहते हैं।

प्रश्न 4.
कुपोषण को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
लम्बे समय तक जब पोषण में किसी एक या अधिक पोषक तत्त्व की कमी हो तो उसे कुपोषण कहते हैं।

प्रश्न 5.
नियासिन (B3) की कमी से होने वाले रोग का एक लक्षण लिखिए।
उत्तर-
नियासिन (B3) की कमी से होने वाले रोग का लक्षण-जीभ व त्वचा पर पपड़ियाँ आना।

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प्रश्न 6.
मांसपेशी संकुचन एवं तंत्रिकीय आवेग का संचरण किस तत्व द्वारा सम्पन्न होता है?
उत्तर-
मांसपेशी संकुचन एवं तंत्रिकीय आवेग का संचरण सोडियम तत्व द्वारा सम्पन्न किया जाता है।

प्रश्न 7.
बाला या नारु रोग के रोगजनक कृमि का नाम लिखिए।
उत्तर-
बाला या नारु रोग के रोगजनक कृमि का नाम ड्रेकनकुलस मेडीनेंसिस है।

प्रश्न 8.
BMI का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर-
शरीर भार सूचकांक (Body Mass Index) ।

प्रश्न 9.
रक्तचाप किसे कहते हैं ?
उत्तर-
रक्तवाहिनियों में बहते रक्त द्वारा वाहिनियों की दीवारों पर डाले गये दबाव को रक्तचाप कहते हैं।

प्रश्न 10.
किन मरीजों को पोटेशियम युक्त भोजन करना चाहिए?
उत्तर-
उच्च रक्तचाप वाले मरीजों को पोटेशियम युक्त भोजन करना चाहिए।

प्रश्न 11.
रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़कर 140 मि.ग्रा./डे.ली. से अधिक होने वाला व्यक्ति किस रोग से ग्रसित होता है?
उत्तर-
ऐसा व्यक्ति मधुमेह रोग से ग्रसित होता है।

प्रश्न 12.
सत्यानासी के बीजों को किस खाद्य तेल में मिलावट के रूप में काम लिया जाता है?
उत्तरे-
सरसों के तेल में।

प्रश्न 13.
नशीले पदार्थ हेरोइन को किस पादप से प्राप्त किया जाता है?
उत्तर-
नशीले पदार्थ हेरोइन को पेपेवर सोम्नीफेरम नामक पादप से प्राप्त किया जाता है।

प्रश्न 14.
सामान्य स्वस्थ मनुष्य के रुधिर में भोजन पूर्व ग्लूकोज का स्तर कितना होता है?
उत्तर-
सामान्य स्वस्थ मनुष्य के रुधिर में भोजन पूर्व ग्लूकोज का स्तर 70-100 मिग्रा/डे.ली. होता है।

प्रश्न 15.
पीने योग्य जल का pH मान कितना होता है?
उत्तर-
पीने योग्य जल का pH मान 7 होता है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
(अ) विषाणुजनित कोई दो रोगों के नाम लिखिए।
(ब) तम्बाकू में पाये जाने वाले एल्केलॉयड का नाम लिखिए।
(स) तम्बाकू चबाने से होने वाली दो हानियाँ लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
उत्तर-
(अ)

  • हिपेटाइटिस
  • टायफाइड
  • पीलिया।।

(ब) निकोटिन एल्केलायड
(स)

  • तम्बाकू के लगातार सेवन से मुँह, जीभ, गले व फेफड़ों आदि का कैंसर होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
  • सिगरेट के धुएँ में उपस्थित कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) लाल रुधिर कणिकाओं (RBC) को नष्ट कर रुधिर की ऑक्सीजन परिवहन की क्षमता कम कर देती है।

प्रश्न 2.
तम्बाकू, मदिरा व अफीम के सेवन से मानव स्वास्थ्य पर होने वाले कुप्रभावों को समझाइये (प्रत्येक के दो-दो)। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18)
उत्तर-
तम्बाकू के कुप्रभाव

  • तम्बाकू के लगातार सेवन से मुँह, जीभ, गले व फेफड़ों आदि का कैंसर होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
  • गर्भवती महिलाओं द्वारा तम्बाकू का सेवन करने पर भ्रूण विकास की गति मंद पड़ जाती है।

मदिरा के कुप्रभाव

  • मदिरा के सेवन से व्यक्ति की स्मरण क्षमता में कमी आ जाती है एवं तंत्रिका तंत्र (Nervous System) प्रभावित होता है।
  • इसके अधिक सेवन से वसीय यकृत रोग हो जाता है, जिससे प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट के निर्माण पर प्रभाव पड़ता है।

अफीम के कुप्रभाव

  • अफीम का सेवन व्यक्ति को उसका आदी बना देता है।
  • अफीम के सेवन से प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाने से व्यक्ति बार-बार बीमार रहने लगता है तथा अन्त में उसकी असामयिक मृत्यु हो जाती है।

प्रश्न 3.
संतुलित भोजन किसे कहते हैं? संतुलित भोजन के लाभ लिखिए।
उत्तर-
संतुलित भोजन-वह भोजन जिसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध हों, उसे हम संतुलित भोजन कहते हैं।

संतुलित भोजन के लाभ–

  • अच्छे स्वास्थ्य के लिए संतुलित भोजन खाने की आवश्यकता है।
  • स्वस्थ संतुलित भोजन शरीर को मजबूत बनाता है।
  • रोगों से लड़ने के लिए उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
  • संतुलित भोजन दिमाग को तेज तथा स्वस्थ बनाता है।
  • संतुलित भोजन से शरीर में थकान नहीं होगी व शरीर निरोगी रहेगा।

प्रश्न 4.
कुपोषण किसे कहते हैं? प्रोटीन कुपोषण का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
कुपोषण-लम्बे समय तक जब पोषण में किसी एक या अधिक पोषक तत्त्वों की कमी हो तो उसे हम कुपोषण कहते हैं।

प्रोटीन कुपोषण- भोजन में प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा न होने पर होने वाला कुपोषण, प्रोटीन कुपोषण कहलाता है। प्रोटीन की कमी से होने वाले रोग को क्वाशिओरकोर (Kwashiorkor) रोग कहते हैं। मुख्यतः छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएँ एवं किशोर इससे प्रभावित होते हैं । इस रोग से बच्चों का शरीर सूजकर फूल जाता है, स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है, भूख कम लगती है, त्वचा पीली, शुष्क, काली, धब्बेदार होकर फटने लगती है।

जब प्रोटीन के साथ पोषण में पर्याप्त ऊर्जा की कमी होती है, तो शरीर सूखकर छोटा हो जाता है, आँखें कांतिहीन एवं अंदर धंस जाती हैं। इस स्थिति को मेरस्मस रोग (Marasmus) कहते हैं।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित खनिज तत्वों के कार्यं लिखिए

  • फास्फोरस
  • लौह तत्व
  • पोटेशियम।।

उत्तर-

  • फास्फोरस-यह कैल्शियम से मिलकर हड्डियाँ तथा दाँतों को मजबूती प्रदान करता है।
  • लौह तत्व-यह रुधिर में हीमोग्लोबिन के निर्माण में सहायक एवं ऊतक ऑक्सीकरण में सहायक है।
  • पोटेशियम-यह मांसपेशी संकुचन, तंत्रिकीय आवेश संचरण, शरीर का विद्युत अपघटन, संतुलन बनाना, विभिन्न कोशिकीय क्रियाओं के संचालन में सहायक है।

प्रश्न 6.
कृत्रिम संश्लेषित खाद्य पदार्थ हमारे शरीर के लिए बहुत घातक हैं? समझाइए।
उत्तर-
जंक फूड (Junk Food) के समान कृत्रिम संश्लेषित खाद्य पदार्थ भी हमारे शरीर के लिए हानिकारक हैं। ऐसे पदार्थ आकर्षक, खुशबूदार व स्वादिष्ट होते हैं, जिन्हें देखते ही खाने की प्रबल इच्छा होती है, परन्तु इन्हें विभिन्न प्रकार के कृत्रिम रासायनिक पदार्थों के मिश्रण से बनाया जाता है। इनमें प्राकृतिक एवं पौष्टिक पदार्थों का अभाव होता है, जो हमारे शरीर के लिए बहुत घातक है तथा इनके उपभोग से हम विभिन्न बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं।

प्रश्न 7.
मोटापा (Obesity) से जुड़े रोगों के नाम लिखिए तथा मोटापे के प्रमुख कारण लिखिए।
उत्तर-
मोटापा से जुड़े प्रमुख रोग निम्न हैं

  • हृदय रोग ।
  • मधुमेह
  • निद्राकालीन श्वास समस्या
  • कैंसर व अस्थिसंध्यार्थी।

मोटापे के कारण-

  • अधिक चर्बीयुक्त भोजन करना।
  • शारीरिक क्रियाओं के सही ढंग से नहीं होने पर भी शरीर पर चर्बी जमा हो जाती है।
  • जंक फूड व कृत्रिम भोजन का उपयोग करना।
  • कम व्यायाम और स्थिर जीवनयापन।
  • मोटापा व शरीर का वजन बढ़ना, ऊर्जा के सेवन और ऊर्जा के उपयोग के बीच असंतुलन के कारण होता है।
  • अवटु अल्पक्रियता (हाइपोथाईरायडिज्म)।

प्रश्न 8.
रक्तचाप (Blood Pressure) किसे कहते हैं? निम्न रक्तचाप को समझाइए।
उत्तर-
रक्तचाप (Blood Pressure)-रक्तवाहिनियों में बहते हुए रक्त द्वारा वाहिनियों की दीवारों पर डाले गए दबाव को रक्तचाप कहते हैं।

निम्न रक्तचाप (Low Blood Pressure)-वह दाब जिसमें धमनियों और नसों में रक्त का प्रवाह कम होने के लक्षण दिखाई देते हैं, तो इसे हम निम्न रक्तचाप कहते हैं। इसमें रक्त का प्रवाह काफी कम होता है, जिसके कारण मस्तिष्क, हृदय तथा वृक्कों जैसे महत्त्वपूर्ण अंगों में ऑक्सीजन व पौष्टिक आहार नहीं पहुँच पाता है, जिसके फलस्वरूप ये अंग सामान्य रूप से कार्य नहीं कर पाते हैं। और स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।

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प्रश्न 9.
अन्य नशीले पदार्थ कौन-कौनसे हैं? इनके प्रयोग से होने वाले दुष्प्रभाव लिखिए।
उत्तर-
एलएसडी (लायसर्जिक एसिड डाईएथाइल एमाइड), भांग, हशीश, चरस, गांजा, कोकीन आदि नशीले पदार्थ हैं। इनके प्रयोग के दुष्प्रभाव निम्न हैं

  • परिवार से विच्छेदन
  • अपराध प्रवृत्ति की वृद्धि
  • शारीरिक एवं मानसिक कमजोरी आना।

प्रश्न 10.
वायरल संक्रमण के कारण होने वाले पाँच रोगों के नाम लिखिए एवं नारु रोग को रोकने एवं जल जनित रोगों से बचाव के उपाय लिखिए।
उत्तर-
वायरल संक्रमण के कारण होने वाले रोग निम्न हैं

  • हिपेटाइटिस
  • फ्लू
  • कोलेरा
  • टायफाइड
  • पीलिया।।

नारु रोग को रोकने एवं जल जनित रोगों से बचाव हेतु पानी को छानकर, उबालकर एवं ठण्डा कर पीना चाहिए। नदी, तालाब इत्यादि में नहाना एवं कपड़े धोना मना हो और समय-समय पर इनकी सफाई होनी चाहिए क्योंकि ”स्वच्छ जल है तो स्वस्थ कल है।”

प्रश्न 11.
मदिरा सेवन से मानव स्वास्थ्य पर होने वाले कोई चार कुप्रभाव लिखिए।
उत्तर-
मदिरा सेवन से मानव स्वास्थ्य पर होने वाले चार कुप्रभाव निम्न

  • मदिरा सेवन करने वाले व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा खत्म हो जाती है। एवं इसके साथ ही आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो जाती है।
  • मदिरा के सेवन से व्यक्ति की स्मरण क्षमता में कमी आ जाती है एवं तंत्रिका तंत्र (Nervous System) प्रभावित होता है।
  • इसके अधिक सेवन से वसीय यकृत रोग हो जाता है, जिससे प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट के निर्माण पर प्रभाव पड़ता है।
  • मदिरा (Alcohol) रुधिर प्रवाह द्वारा यकृत में पहुँचता है। तत्पश्चात् यकृत इसे एसीटल्डिहाइड (CH3CHO) में परिवर्तित कर देता है, जो एक विषैला पदार्थ होता है।
  • मदिरा के सेवन से व्यक्ति के शरीर का सामंजस्य एवं नियंत्रण कमजोर हो जाता है, जिससे कार्यक्षमता क्षीण हो जाती है, दुर्घटना की सम्भावना बढ़ जाती है।

प्रश्न 12.
सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर रोक क्यों लगाई गई तथा तम्बाकू का प्रयोग किस प्रकार से किया जाता है? समझाइए।
उत्तर-
सिगरेट, बीड़ी आदि का दुष्प्रभाव उसका सेवन करने वाले के पास में बैठने वाले पर भी पड़ता है क्योंकि वातावरण में फैली निकोटिन युक्त धुआँ हवा के साथ उनके फेफड़ों में भी पहुँच जाता है। यही कारण है कि कानून द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर रोक लगाई गई।

तम्बाकू का प्रयोग कई प्रकार से किया जाता है, जैसे अधिकांश लोग पान, गुटका या चूने के साथ इसे चबाते हैं। कुछ लोग इसके पाउडर को सूंघने या मंजन की तरह दाँतों व मसूढ़ों पर मलने में उपयोग करते हैं। तम्बाकू का उपयोग बीड़ी, सिगरेट, चिलम, सिगार, हुक्का आदि के रूप में भी किया जाता है।

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प्रश्न 13.
बाला या नारू रोग के रोगजनक का नाम बताइए एवं इस रोग का संचरण एवं बचाव लिखिए।
उत्तर-
बाला या नारू रोग का रोगजनक ड्रेकनकुलस मेडीनेसिस नामक कृमि है। इसकी मादा कृमि अपने अण्डे हमेशा परपोषी अर्थात् मानव के शरीर के बाहर जल में देती है, ऐसे संदूषित जल के उपयोग से यह रोग दूसरे लोगों में फैल जाता है।
रोग से बचाव निम्न हैं

  • पानी को छानकर, उबालकर एवं ठण्डा करके पीना चाहिए।
  • तालाब, नदी इत्यादि में नहाना वे कपड़े धोने पर पाबंदी होनी चाहिए।
  • समय-समय पर इनकी सफाई भी हो।

प्रश्न 14.
लोग अफीम का उपयोग क्यों करते हैं? अफीम के डोडे (फल भित्ति) उबालकर पीने से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
शांति व आनन्द की अनुभूति प्राप्त करने के लिए लोग अफीम का उपयोग करते हैं।
डोडे (फल भित्ति) उबालकर पीने से शरीर पर निम्न प्रभाव पड़ते हैं

  • प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।
  • इससे व्यक्ति बार-बार बीमार रहने लगता है।
  • अन्त में असामयिक मृत्यु हो जाती है।

प्रश्न 15.
डॉक्टर के पर्चे पर लिखी जाने वाली निद्राकारी व दर्द निवारक नशीली दवाओं का नाम लिखिए एवं इनके दुरुपयोग से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
डॉक्टर के पर्चे पर लिखी जाने वाली निद्राकारी व दर्द निवारक नशीली दवाओं के नाम अग्र हैं

  1. मार्फीन
  2. पेथेडीन
  3. ब्यूप्रीनोफ्रिन
  4. डाईजिपाम
  5. नाइट्राजिपाम
  6. प्रोपोक्सिफिन

इन दवाओं के दुरुपयोग से शरीर पर प्रभाव निम्न हैं

  1. यकृत व गुर्दो (Kidneys) की कार्यक्षमता प्रभावित होगी।
  2. मानसिक एकाग्रता में कमी।
  3. भूख न लगना, वजन में कमी आना।
  4. प्रतिरोधक क्षमता में कमी एवं बार-बार बीमार पड़ना।।
  5. शरीर की कार्यक्षमता व बुद्धिकौशल पर प्रतिकूल प्रभाव।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यसन किसे कहते हैं? नशीले पदार्थों को मानव पर क्या प्रभाव पड़ता है? विस्तार से समझाइए।
उत्तर-
व्यसन (Addiction)-व्यक्ति की किसी भी पदार्थ पर जैसे कि तम्बाकू, एल्कोहॉल तथा ड्रग्स पर शारीरिक तथा मानसिक निर्भरता व्यसन कहलाती है।

नशीले पदार्थों का मानव पर प्रभाव-नशीले पदार्थों में गुटका, तम्बाकू, शराब, अफीम, कोकीन, भांग, चरस, गांजा, हशीश, एलएसडी तथा दवाओं का दुरुपयोग शामिल है। इनके उपयोग से मानव पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं

  1. सभी नशीले पदार्थों के उपयोग का मनुष्य पर बहुत दुष्प्रभाव पड़ता है। लगातार उपयोग से मनुष्य स्थायी रूप से रोगी हो जाता है।
  2. नशा करने वाला व्यक्ति धीरे-धीरे नशीले पदार्थों का आदी हो जाता है। तथा और अधिक नशीले पदार्थों का उपयोग करने लगता है।
  3. विभिन्न नशीले पदार्थों के उपयोग से कैंसर, वसीय यकृत, गुर्दो की खराबी आदि अनेक घातक रोग हो जाते हैं।
  4. नशीले पदार्थों के उपयोग से आर्थिक हानि एवं शारीरिक हानि दोनों होती है।
  5. नशीले पदार्थों के उपयोग से शारीरिक सामंजस्य तथा नियंत्रण में कमी आती है, जिससे कार्यक्षमता घटती है तथा दुर्घटनाओं की भी सम्भावनाएँ बढ़ जाती हैं।
  6. परिवार में विच्छेदन बढ़ता है तथा अपराध प्रवृत्ति में भी बढ़ोतरी होती है।
  7. इससे व्यक्ति की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के साथ-साथ उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुँचती है।
  8. व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाने से वह बार-बार बीमार रहने लगता है तथा उसकी असामयिक मृत्यु भी हो सकती है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित खनिज तत्त्वों के प्रमुख स्रोतों एवं इन तत्त्वों के प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए

  1. सोडियम
  2. पोटेशियम
  3. कैल्शियम
  4. फॉस्फोरस
  5. लौह तत्व
  6. आयोडीन।।

उत्तर-
प्रमुख खनिज तत्त्व, स्रोत एवं कार्य
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 1 भोजन एवं मानव स्वास्थ्य image - 3
प्रश्न 3.
डॉक्टर का मशवरा है कि हमें प्रतिदिन कम से कम 8 गिलास पानी पीना चाहिए। सही मात्रा में पानी पीने के क्या लाभ हैं?
उत्तर-
हमें प्रतिदिन सही मात्रा में पानी अवश्य पीना चाहिए। अधिक शारीरिक श्रम करने वाले व्यक्तियों को और अधिक पानी पीना चाहिए। सही मात्रा में पानी पीने के निम्न लाभ हैं

  1. सही मात्रा में पानी पीने से शरीर का उपापचय सही तरीके से काम करता है।
  2. प्रत्येक दिन 8-10 गिलास पानी पीने से शरीर में रहने वाले जहरीले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं, जिससे शरीर रोग मुक्त रहता है।
  3. शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी रहने से शरीर में चुस्ती और ऊर्जा बनी रहती है, थकान का अहसास नहीं होता है।
  4. पानी से शरीर में रेशे (फाइबर) की पर्याप्त मात्रा कायम रहती है, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और बीमारियाँ होने का खतरा कम रहता है।
  5. प्रचुर मात्रा में पानी पीने से शरीर में अनावश्यक चर्बी जमा नहीं होती है।
  6. उचित मात्रा में पानी पीने से शरीर में किसी प्रकार की एलर्जी होने की आशंका कम हो जाती है, साथ ही फेफड़ों में संक्रमण, अस्थमा और आंत की बीमारियाँ आदि भी नहीं होती हैं।
  7. नियमित भरपूर पानी पीने से पथरी होने का खतरा भी कम रहता है।
  8. पर्याप्त मात्रा में पानी पीने वाले को सर्दी जुकाम जैसे रोग नहीं घेरते हैं।

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प्रश्न 4.
उच्च रक्तचाप क्या है? इसके कारण तथा बचाव के उपाय बतलाइये।
उत्तर-
उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure)-वह दबाव जिसमें धमनियों और नसों में रक्त का दबाव अधिक होता है, उच्च रक्तचाप कहलाता है।

कारण-उच्च रक्तचाप चिंता, क्रोध, ईष्र्या, भ्रम, कई बार बार-बार आवश्यकता से अधिक भोजन खाने से, मैदे से बने खाद्य पदार्थ, चीनी, मसाले, तेल, घी, अचार, मिठाइयाँ, मांस, चाय, सिगरेट व शराब के सेवन से, श्रमहीन जीवन व व्यायाम के अभाव से हो सकता है।

बचाव के उपाय

  1. ऐसे मरीजों को पोटेशियम युक्त भोजन करना चाहिए जैसे ताजे फल आदि।
  2. डिब्बे में बंद सामग्री का प्रयोग बंद कर दें।
  3. भोजन में कैल्शियम (दूध) और मैग्निशियम की मात्रा संतुलित करनी चाहिए।
  4. रेशे युक्त पदार्थ खूब खाएं।
  5. संतृप्त वसा (मांस, वनस्पति घी) की मात्रा कम करनी चाहिए।
  6. इसके साथ ही नियमित व्यायाम करना चाहिए। खूब तेज लगातार 30 मिनट पैदल चलना सर्वोत्तम व्यायाम है।
  7. योग, ध्यान, प्राणायाम रोज करना चाहिए।
  8. धूम्रपान व मदिरापान नहीं करना चाहिए।

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