• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • RBSE Model Papers
    • RBSE Class 12th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 10th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 8th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 5th Board Model Papers 2022
  • RBSE Books
  • RBSE Solutions for Class 10
    • RBSE Solutions for Class 10 Maths
    • RBSE Solutions for Class 10 Science
    • RBSE Solutions for Class 10 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 10 English First Flight & Footprints without Feet
    • RBSE Solutions for Class 10 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 10 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 10 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 10 Physical Education
  • RBSE Solutions for Class 9
    • RBSE Solutions for Class 9 Maths
    • RBSE Solutions for Class 9 Science
    • RBSE Solutions for Class 9 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 9 English
    • RBSE Solutions for Class 9 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 9 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 9 Physical Education
    • RBSE Solutions for Class 9 Information Technology
  • RBSE Solutions for Class 8
    • RBSE Solutions for Class 8 Maths
    • RBSE Solutions for Class 8 Science
    • RBSE Solutions for Class 8 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 8 English
    • RBSE Solutions for Class 8 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit
    • RBSE Solutions

RBSE Solutions

Rajasthan Board Textbook Solutions for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

  • RBSE Solutions for Class 7
    • RBSE Solutions for Class 7 Maths
    • RBSE Solutions for Class 7 Science
    • RBSE Solutions for Class 7 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 7 English
    • RBSE Solutions for Class 7 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 6
    • RBSE Solutions for Class 6 Maths
    • RBSE Solutions for Class 6 Science
    • RBSE Solutions for Class 6 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 6 English
    • RBSE Solutions for Class 6 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 5
    • RBSE Solutions for Class 5 Maths
    • RBSE Solutions for Class 5 Environmental Studies
    • RBSE Solutions for Class 5 English
    • RBSE Solutions for Class 5 Hindi
  • RBSE Solutions Class 12
    • RBSE Solutions for Class 12 Maths
    • RBSE Solutions for Class 12 Physics
    • RBSE Solutions for Class 12 Chemistry
    • RBSE Solutions for Class 12 Biology
    • RBSE Solutions for Class 12 English
    • RBSE Solutions for Class 12 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit
  • RBSE Class 11

RBSE Solution for Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 4 देव

May 20, 2019 by Prasanna Leave a Comment

RBSE Solution for Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 4 देव are part of RBSE Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given Rajasthan Board RBSE Solution for Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 4 देव.

Rajasthan Board RBSE Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 4 देव

RBSE Class 10 Hindi Chapter 4 पाठ्य-पुस्तकं के प्रश्नोत्तर

RBSE Class 10 Hindi Chapter 4 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. कवि देव का जन्मस्थान है
(क) इटावा
(ख) सौरों
(ग) रुनुकता
(घ) अज्ञात ।

2. ‘घहरी-घहरी घटा’ में कौन-सा शब्दालंकार है
(क) रूपक
(ख) उपमा
(ग) अनुप्रास
(घ) यमक।
उत्तर:
1. (क),
2. (ग)।

RBSE Class 10 Hindi Chapter 4 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 3.
‘श्री ब्रजदूलह’ की संज्ञा किसे प्रदान की गई है?
उत्तर:
यह संज्ञा सुन्दर वस्त्राभूषणों से सजे श्रीकृष्ण को प्रदान की गई है।

प्रश्न 4.
रस की लालची और दासी कौन हो गई हैं?
उत्तर:
गोपी की कृष्ण-प्रेम में डूबी आँखें रूप-रस की लालची और उनकी दासी जैसी हो गई हैं।

प्रश्न 5.
श्याम ने किसे झूला झूलने के लिए आमंत्रित किया?
उत्तर:
श्याम ने मिलन के लिए उत्सुक गोपी को झूला झूलने के लिए आमंत्रित किया।

RBSE Class 10 Hindi Chapter 4 लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 6.
नेत्रों को मधुमक्खी के समान क्यों बताया गया है?
उत्तर:
मधुमक्खी को मधु (शहद) से बड़ा प्रेम होता है। उस मधु में यदि वह फंस जाए तो फिर निकल नहीं पाती। पंखों के मधु में सन जाने पर वह उड़ने में असमर्थ हो जाती है। नायिका अथवा गोपी की आँखें भी कृष्ण के मनमोहक रूप से आकर्षित होकर उनके प्रेमरूपी मधु में मग्न हो गई हैं। अब उन्हें प्रेम से इस मधु से विमुख करना उसके बस की बात नहीं रही। इसीलिए वह अपने नेत्रों को मधुमक्खी के समान बता रही है।

RBSE Solution for Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 4 देव

प्रश्न 7.
नायिका के भाग क्यों सो गए?
उत्तर:
एक रात नायिका ने सपने में देखा कि वर्षा का बड़ा सुहावना वातावरण था। झीनी-झीनी बूंदें झर रही थीं। आकाश में घटाएँ उमड़ रही थीं। उसी समय कृष्ण आ गए और उन्होंने नायिका के साथ-साथ झूलने चलने को कहा। यह सुनते ही नायिका भाव-विभोर हो गई किन्तु वह जैसे ही कृष्ण के साथ चलने को उठी, उसकी नींद टूट गई। संपना विलीन हो गया। न वहाँ घन थे न घनश्याम। यह देख नायिका ने अपने भाग्य को धिक्कारा। उस जागने ने उसको भाग्यहीना बना दिया। वह सपने में भी कृष्ण मिलन के सुख से वंचित रह गई।

प्रश्न 8.
जै जग मन्दिर दीपक सुन्दर’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
कवि ने श्रीकृष्ण को ‘ब्रज दूलह’ बताया है। उनका सुन्दर रूप वस्त्रों और आभूषणों से सुसज्जित है। उनकी यह जग-मग छवि आनन्द का दिव्य प्रकाश बिखेरने वाली है। इसी कारण कवि ने उन्हें ‘जग-मन्दिर-दीपक’ कहा है। जैसे जलता हुआ दीपक भवन अथवा मन्दिर को प्रकाशित करता है, उसी प्रकार श्रीकृष्ण भी अपने दिव्य सौन्दर्य से सारे जग को प्रकाशित करने वाले हैं। कवि इसी कारण उनकी जय-जयकार कर रहा है।

RBSE Class 10 Hindi Chapter 4 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 9.
काव्यांश के आधार पर कृष्ण के सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संकलित छंदों में से प्रथम छंद कवि ने श्रीकृष्ण की दिव्य सौन्दर्यमयी, चित्ताकर्षक छवि को समर्पित किया है। आभूषणों और वस्त्रों ने उनके सौन्दर्य को और अधिक आकर्षक बना दिया है। उनके पैरों में सुन्दर नूपुर बज रहे हैं और कटि में पहनी हुई करधनी के मुँघुरू मधुर ध्वनि से कानों में अमृत घोल रहे हैं। कृष्ण के श्यामवर्ण शरीर पर पीताम्बर बहुत ही सुशोभित हो रहा है। वक्ष पर उन्होंने वन-फूलों की माला धारण कर रखी है। उनके सिर पर मुकुट सजा हुआ है। उनके बड़े-बड़े नेत्र अपनी चंचलती से मन को मुग्ध कर रहे हैं। उनकी जादूभरी मंद-मंद मुस्कान उनके मुखरूपी चन्द्रमा से छिटक रही चाँदनी के समान लग रही है। यदि जगत को एक भवन (मन्दिर) मान लिया जाये तो श्रीकृष्ण का परम सौन्दर्यमय स्वरूप उसमें जलते एक उज्ज्वल दीपक के समान है जो उसे दिव्य सौन्दर्य से प्रकाशित कर रहा है।

प्रश्न 10.
पठितांश के आधार पर देव की काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
कवि देव की कविता के कलापक्ष और भावपक्ष दोनों ही समृद्ध हैं। उनकी प्रमुख काव्यगत विशेषताएँ निम्नलिखित भाषा-कवि देव की कविता की भाषा सरस, मधुर, प्रवाहपूर्ण, सरल ब्रजभाषा है। इनकी भाषा में ब्रज क्षेत्र के ठेठ शब्द, संस्कृत के तत्सम शब्द तथा प्राकृत भाषा के प्रयोग भी प्राप्त होते हैं। शब्दों की पुनरुक्ति द्वारा कवि ने भाषा में आकर्षण और चमत्कार उत्पन्न किया है। ‘झहरि झहरि’ तथा ‘घहरि घहरि’ ऐसे ही प्रयोग हैं।
काव्य शैली-कवि ने मुक्तक शैली में ही अधिकांश काव्य-रचना की है। देव ने रीतिकालीन आलंकारिक और चमत्कारपूर्ण शैली को भी अपनाया है। शब्द-चित्रों के अंकन में देव परम कुशल हैं। ‘पाँयनि नूपुर……..।’ तथा ‘झहरि-झहरि’ छंदों में कवि की इस विशेषता के दर्शन होते हैं।

छंद – कवि को कवित्त छंद पर असाधारण अधिकार प्राप्त है। सवैया छंद को भी कवि ने सहजता से अपनाया है।
अलंकार – कवि देव ने अनुप्रास, यमक, श्लेष, रूपक, उपमा आदि अलंकारों को सहज भाव से प्रयोग किया है। ‘घहरि घहरि घटा घेरी है’ में अनुप्रास, ‘जागि वा जगन’ में श्लेष, ‘जग-मन्दिर’ में रूपक, ‘मंद हँसी मुख चंद जुन्हाई’ में रूपक और उपमा की संयुक्त छटा देव की अलंकारप्रियता के उदाहरण हैं।

रस – देव प्रधानतः श्रृंगार रस के कवि हैं। श्रृंगार रस के संयोग और वियोग, दोनों पक्षों की मार्मिक उपस्थिति देव की कविता में देखी जा सकती है। पाठ्य-पुस्तक में संकलित छंदों में से द्वितीय छंद ‘ धार में धाय ………’ में संयोग श्रृंगार का और ‘झहरि-झहरि………..’ छंद में वियोग श्रृंगार के हृदयस्पर्शी शब्द-चित्र अंकित हुए हैं।

भाव विभूति – ‘हृदयगत भावनाओं को सटीक शब्दावली द्वारा पाठकों को अनुभव कराने में देव अत्यन्त कुशल हैं। “धार में धाय धंसी ……….’छन्द में नायिकी की नायक के प्रति प्रीति का कवि ने बड़ी सहजता से अनुभव कराया है। नेत्रों की विवशता में नायिका की प्रेम-विवशता ही साकार हो रही है। इसी प्रकार ‘झहरि झहरि……….। छंद में नायिका बेचारी स्वप्न में भी अपने प्रिय के मिलन-सुख से वंचित रह जाती है और पाठकों के मन में अपने प्रति सहानुभूति जंगाने में सफल हुई है।
इस प्रकार देव की कविता में वे सभी अपेक्षित विशेषताएँ विद्यमान हैं जो काव्य प्रेमियों को काव्य रस का आनन्द प्रदान करती हैं।

RBSE Solution for Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 4 देव

प्रश्न 11.
निम्नलिखित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए
(क) पाँयनि नूपुर मंजु बजें, कटि-किकिनि में धुनि की मधुराई …………………… जै जग-मंदिर-दीपक सुंदर, श्री ब्रज-दूलह देव-सुहाई।।
उत्तर:
उपर्युक्त पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या के लिए व्याख्या भाग में पद्यांश 1 का अवलोकन करें।

(ख) चाहति उठयोई, उड़ि गई सो निगोड़ी नींद…………….वेई छायी बूंदें मेरे, आँसु ह्वै दृगन में।।
उत्तर:
उपर्युक्त पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या के लिए व्याख्या भाग में पद्यांश 3 का अवलोकन करें।

RBSE Class 10 Hindi Chapter 4 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 10 Hindi Chapter 4 वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

1. श्रीकृष्ण द्वारा पहना हुआ, मधुर ध्वनि करने वाला आभूषण है
(क) नूपुर
(ख) कंगन
(ग) भुजबंध
(घ) किंकिणी।

2. श्रीकृष्ण के वक्ष पर सुशोभित है
(क) मणिमाला।
(ख) हीरों का हार
(ग) वनमाला
(घ) हँसली।

3. नायिको की आँखें नायक के प्रेम में हो गई हैं
(क) मतवाली
(ख) मधुमक्खियाँ
(ग) चकोरियाँ
(घ) कमलनियाँ।

4. सपने में श्याम ने नायिका से कहा
(क) घूमने चलो
(ख) वन में चलो,
(ग) नृत्य करने चलो
(घ) झूलने चलो।

5. नींद से जागने पर नायिका ने देखा
(क) काले बादलों को
(ख) श्रीकृष्ण को
(ग) बरसती बूंदों को
(घ) इनमें से किसी को नहीं।
उत्तर:
i. (घ), 2. (ग), 3. (ख), 4. (घ), 5. (क)।

RBSE Solution for Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 4 देव

RBSE Class 10 Hindi Chapter 4 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
श्रीकृष्ण ने अपने चरणों और कटि में कौन-से आभूषण पहन रखे हैं?
उत्तर:
श्रीकृष्ण ने चरणों में नूपुर और कटि में किंकणी पहन रखी है।

प्रश्न 2.
श्रीकृष्ण के श्याम शरीर पर क्या शोभा पा रहा है?
उत्तर:
श्रीकृष्ण के श्याम शरीर पर पीताम्बर शोभा पा रहा है।

प्रश्न 3.
श्रीकृष्ण के नेत्रों की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर:
श्रीकृष्ण के नेत्र बड़े और चंचल हैं।

प्रश्न 4.
कवि देव ने श्रीकृष्ण की मंद हँसी को क्या बताया है?
उत्तर:
कवि ने श्रीकृष्ण की मंद हँसी को मुखरूपी चन्द्रमा की चाँदनी के समान बताया है।

प्रश्न 5.
नायिका की आँखें कहाँ जा धंसी हैं?
उत्तर:
नायिका की आँखें श्रीकृष्ण के सुन्दर स्वरूप और प्रेम-रस की धारा में धंस गई हैं।

प्रश्न 6.
आँखों के प्रेम रस की धारा में गहरे चले जाने पर नायिका ने क्या चेष्टा की?
उत्तर:
नायिका ने अपनी आँखों को लौटा लाने और रोकने का प्रयास किया पर वह असफल रही।

प्रश्न 7.
नायिका अपने आपको विवश क्यों मान रही है?
उत्तर:
नायिका का अपनी आँखों पर कोई बस नहीं चल रहा है। अत: वह स्वयं को विवश मान रही है।

प्रश्न 8.
रस की लोभी नायिका की आँखों की क्या दशा हो गई है?
उत्तर:
आँखें श्रीकृष्ण के रूप पर मुग्ध होकर एक दासी के समान उनके अधीन हो गई हैं।

प्रश्न 9.
नायिका की आँखें किसके समान हो गई हैं?
उत्तर:
नायिका की आँखें मधु में फंसी मधुमक्खियों के समान हो गई हैं।

प्रश्न 10.
सपने में नायिका को कैसे वातावरण का अनुभव हो रहा था?
उत्तर:
नायिका को लग रहा था मानो आकाश में घटाएँ घुमड़ रही थीं और झीनी-झीनी बूंदें पड़ रही थीं।

RBSE Solution for Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 4 देव

प्रश्न 11.
श्याम ने आकर नायिका से क्या कहा?
उत्तर:
श्याम ने नायिका से कहा चलो आज झूलने चलते हैं।

प्रश्न 12.
कृष्ण के प्रस्ताव को सुनकर नायिका की क्या मनोदशा हो गई?
उत्तर:
नायिका कृष्ण के साथ झूलने चलने की बात सुनकर फूली नहीं समा रही थी।

प्रश्न 13.
जब सपने में नायिका ने कृष्ण के साथ चलने को उठना चाहा तो क्या हुआ?
उत्तर:
ऐसा करने का प्रयास करते ही उसकी नींद खुल गई और वह मधुर स्वप्न अधूरा ही रह गया।

प्रश्न 14.
‘सोय गए भाग मेरे’ नायिका ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर:
नायिका कृष्ण का प्रस्ताव सुनकर स्वयं को भाग्यशालिनी मान रही थी किन्तु सपना टूट जाने से वह अभागी-सी हो गई।

प्रश्न 15.
आँखें खुल जाने पर नायिका ने क्या देखा?
उत्तर:
नायिका ने देखा कि वहाँ न बादल थे और न श्रीकृष्ण ही थे।

प्रश्न 16.
‘वेई छायी बँर्दै’ से नायिका का क्या आशय है?
उत्तर:
आशय यह है कि सपने में नायिका जिन बूंदों को रिमझिम बरसते देख प्रसन्न हो रही थी, मानो वे ही बूंदें सपना टूटने पर उसकी आँखों से आँसू बनकर टपक रही थीं।

RBSE Class 10 Hindi Chapter 4 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सुन्दर वस्त्रों और आभूषणों से सजे-धजे श्रीकृष्ण की शोभा का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्त:
श्रीकृष्ण ने पैरों में पायलें पहनी हुई हैं जो चलते समय बजती हैं। उनकी कमर में सोने की करधनी सुशोभित है। जिसके मुँघुरुओं से बड़ी मधुर ध्वनि उत्पन्न होती है। कृष्ण ने अपने साँवले शरीर पर पीताम्बर धारण कर रखा है और उनके वक्ष पर वन-फूलों की माला महक रही है। इस साज-सज्जा ने उनके स्वरूप को बड़ा आकर्षक बना दिया है।

प्रश्न 2.
कवि देव ने श्रीकृष्ण को ‘ब्रज दूलह’ क्यों कहा है? अपना मत लिखिए।
उत्तर:
कवि द्वारा श्रीकृष्ण को ‘ब्रज दूलह’ कहने का कारण उनको ब्रज संस्कृति का भव्य प्रतीक बताना है। ब्रज में श्रीकृष्ण सभी ब्रजवासियों के स्नेह और सम्मान के पात्र रहे हैं। वह ब्रज के पुरुष सौन्दर्य के अद्वितीय प्रतीक हैं। इसके अतिरिक्त कवि ने अपने छंद में श्रीकृष्ण की जो साज-सज्जा और अंग-सौन्दर्य चित्रित किया है वह एक दूल्हे जैसा ही है। ब्रजवासी बाराती हैं और श्रीकृष्ण उनके दूल्हे हैं।

प्रश्न 3.
श्रीकृष्ण को ‘जग-मन्दिर-दीपक’ कहने का आशय क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कवि देव ने श्रीकृष्ण को ‘जग-मन्दिर-दीपक’ बताकर उन्हें सम्पूर्ण विश्व को आनंदित करने वाला अनुपम प्रतीक बना दिया है। जिस प्रकार मन्दिर में जलने वाला दीपक उसके अंधकार को दूर करके उसकी शोभा को प्रकाशित करता है, उसी प्रकार श्रीकृष्ण का सौन्दर्य और उनके संदेश सारे जगत के प्राणियों के जीवन को आनन्द के प्रकाश से भर देने वाले हैं।

प्रश्न 4.
नायक अथवा श्रीकृष्ण के सौन्दर्य से आकर्षित नायिका की आँखों ने क्या व्यवहार किया? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
श्रीकृष्ण की शोभा और उनके प्रति प्रेम से मोहित नायिका की आँखें सुध-बुध खोकर उनके प्रेमरस की धारा में फंस गईं। नायिका के प्रयत्न करने पर भी वे उससे बाहर नहीं निकलीं। नायिका ने जितना उन्हें लौखने का प्रयास किया, वे उतनी ही अधि कि गहराई में मग्न होती चली गईं। आशय यह है कि नायिका नायक श्रीकृष्ण के सुन्दर स्वरूप से आकर्षित होकर उनके प्रति प्रेम के वशीभूत हो गई।

RBSE Solution for Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 4 देव

प्रश्न 5.
नायिका में ‘कछू अपनो बस ना’ ऐसा क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नायिका ने अपनी आँखों को श्रीकृष्ण से हटाने की बहुत चेष्टा की किन्तु वह सफल नहीं हुई। सच तो यह था कि श्रीकृष्ण के अनुपम सौन्दर्य के दर्शन से उसका मन उनके वश में हो चुका था। जब मन श्रीकृष्ण को दास हो गया तो फिर तन (आँखें) बेचारा क्या कर सकता था। आशय यही है कि नायिका अपने रस लोभी मन से हार चुकी थी। ‘आँखों को वश में न रहना’, तो एक बहाना मात्र था।

प्रश्न 6.
सपने में नायिका अथवा गोपिका फूली क्यों नहीं समा रही थी? संकलित छंद के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
नायिका श्रीकृष्ण से मिलन के लिए तरस रही थी किन्तु उसकी इच्छा पूरी नहीं हो पा रही थी। सपने में वर्षा ऋतु के सुन्दर वातावरण में जब स्वयं कृष्ण ने उससे झूलने के लिए चलने को कहा तो उसकी प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। उसकी मनोकामना पूरी होने जा रही थी। अतः उसका ‘फूले न समाना’ स्वाभाविक था।

प्रश्न 7.
नायिका की आँखों में आँसू क्यों भर आए? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
श्रीकृष्ण ने जब गोपिका के सामने झूलने चलने का प्रस्ताव रखा तो वह आनन्द से गद्गद् हो गई। वह श्रीकृष्ण के साथ चलने के लिए उठना ही चाहती थी कि उसकी नींद खुल गई। सुखद स्वप्न भंग हो गया। आँखें खुली तो सामने न कृष्ण थे और न वह वर्षा का मनभावन वातावरण। यह देखकर गोपिका का हृदय व्याकुल हो गया। उसने स्वयं को अत्यन्त अभागी माना और उसकी आँखों में आँसू आ गए।

RBSE Class 10 Hindi Chapter 4 निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
“झहरि झहरि झीनी………….वै दृगन में॥” कवित्त के भाव-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
इस कवित्त में कवि देव ने नायिका द्वारा देखे गए सपने का वर्णन किया है। कवि ने नायिका के मनोभावों का हृदय को छू जाने वाला मनोहारी चित्रण किया है। इस छंद की विशेषता यह है कि इसमें श्रृंगार रस के संयोग और वियोग पक्षों को एक साथ संजोया गया है। वर्षा ऋतु का मनोरम वातावरण है। बादल छा रहे हैं, रिमझिम बूंदें बरस रही हैं। ऐसे वातावरण में नायिका के मन में प्रियमिलन की इच्छा तीव्र हो रही है। इसी समय उसके प्रिय (श्रीकृष्ण) आ पहुँचते हैं और साथ-साथ झूलने के लिए चलने का प्रस्ताव रखते हैं। यह देख नायिका का मन फूला नहीं समाता। यहाँ तक छंद में श्रृंगार के संयोग पक्ष का चित्रण है।

नायिका जैसे ही प्रिय के साथ चलने को उठती है कि नींद टूट जाती है। सपना, सपना ही रह जाता है। आँखें खुलते ही वह स्तब्ध रह जाती है। न वहाँ ‘घन है न घनश्याम’। नायिका अपने भाग्य को कोसने लगती हैं। उसका मिलन फिर वियोग में बदल जाता है।
इस प्रकार कवि ने अपनी कल्पना के कौशल से विरह-मिलन का चमत्कारपूर्ण संयोजन प्रस्तुत कर दिया है।

प्रश्न 2.
पाठ्यपुस्तक में संकलित छंदों का सार संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
हमारी पाठ्यपुस्तक में कवि देव द्वारा रचित तीन छंद संकलित हैं। प्रथम छंद में कवि ने श्रीकृष्ण के मन मोहन स्वरूप का शब्द-चित्र अंकित किया है। श्रीकृष्ण के चरणों में नूपूरों का शब्द हो रहा है और कमर में पहनी हुई कोंधनी से भी मधुर ध्वनि उत्पन्न हो रही है। उनके साँवले शरीर पर पीताम्बर है। मस्तक पर मुकुट सुशोभित है। नेत्र विशाल और चंचल हैं और उनकी मंद-मंद मुस्कान, उनके मुख रूपी चंद्रमा से छिटकनी चाँदनी जैसी प्रतीत हो रही है। कवि ने श्रीकृष्ण को जगत रूपी मंदिर में प्रकाशित दीपक और ब्रजभूमि का ‘दूलह’ बताते हुए, कृपा कामना की है।

द्वितीय छंद में कोई गोपिका अथवा नायिका श्रीकृष्ण के रूप दर्शन से ललचाई अपनी आँखों की विचित्र दशा का वर्णन कर रही है। उसकी आखें रूप-रस का आनंद लेने के लिए कृष्ण की चेरी बन गईं हैं। इस प्रकार नायिका ने आँखों की आड़ लेकर श्रीकृष्ण पर मुग्ध अपने मन की दशा का वर्णन किया है।

तीसरे छंद में श्याम मिलन के लिए तरस रही, एक गोपिका के सपने का वर्णन है। सपने में वह स्वयं को वर्षाऋतु के सुहावने वातावरण में पाती है। बादल घुमड़े रहे। भीनी-भीनी बूंदें झर रही हैं। इसी समय उसके परमप्रिय श्याम आ जाते हैं और उससे झूलने को चलने के लिए कहते हैं। गोंपिका गद्गद् हो जाती है। फूली नहीं समाती है, किन्तु जैसे ही वह कृष्ण के साथ चलने को उठती है, उसकी नींद खुल जाती है। उसका सपना बीच ही में टूट जाता है। वह आँखों में आँसू भरे हुए, अपने भाग्य को कोसने लगती है।

RBSE Solution for Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 4 देव

प्रश्न 3.
देव के सौंदर्य वर्णन की विशेषताएँ पाठ्य-पुस्तक में संकलित छन्दों के आधार पर बताइए।
उत्तर:
कवि देव के आराध्य देव श्रीकृष्ण हैं। पाठ्य-पुस्तक में कवि का छंद “पाँयन नूपुर………… देव-सहाई।” संकलित है। इस छंद में कवि ने श्रीकृष्ण के अंगों की सुन्दरता का बड़ा मनोहारी वर्णन किया है। इस सौन्दर्य वर्णन को ‘नख-शिख’ (चरणों से शिखा पर्यन्त) वर्णन भी कहा जाता है।
श्रीकृष्ण के चरणों से कवि अपना व॑र्णन प्रारम्भ करता है। उनके चरणों में स्थित सुन्दर नूपुर शब्द कर रहे हैं और कमर में पहनी हुई किंकणी (कौंधनी) भी बड़े स्वर में बज रही है। अपने साँवले शरीर पर उन्होंने पीताम्बर धारण कर रखा है। जो बड़ा फब रहा है। श्रीकृष्ण पर स्थित वन-फूलों की माला शोभा पा रही है। श्रीकृष्ण के मुख की सुन्दरता का वर्णन करते हुए कवि कहता है-श्रीकृष्ण के मस्तक पर स्वर्ण-मुकुट दमक रहा है। उनके बड़े-बड़े नेत्र अपनी चंचलता से सभी का मन मोह रहे हैं।

कवि मुख-वर्णन में श्रीकृष्ण की मंद-मंद मुस्कान को भी नहीं भूला है। वह कहता है कि कृष्ण का मुख चन्द्रमा है और उनकी मंद हँसी, उस मुख चंद्र से छिटकती चाँदनी है। इस प्रकार कवि ने श्रीकृष्ण नख-शिख शोभा का बड़ा मनोहारी वर्णन किया। कवि देव रूप-वर्णन में अलंकारों के अनावश्यक प्रयोग से दूर रहे हैं। सहज भाव से आने वाले अलंकार उनके सौन्दर्यवर्णन को प्रभावशाली बनाते हैं। कवि श्रीकृष्ण को ‘जग-दीपक-सुन्दर’ और ‘ब्रज-दूलह’ बताकर एक नई उद्भावना प्रस्तुत कर रहा है।

प्रश्न 4.
“कवि देव के श्रृंगार वर्णन की विशेषता, उसका भाव प्रधान होना है।” इस कथन पर संकलित छंदों के आधार पर अपना मत प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
हमारी पाठ्य-पुस्तक में कवि देव के दो छंदों में श्रृंगार रस की मार्मिक व्यंजना हुई है। छंदों में संयोग तथा वियोग श्रृंगार की संयोजना है।
छंद ‘‘ धार में धाय ……… …. भय मेरी।” में कवि ने श्रीकृष्ण के प्रेम-प्रवाह में बह रही नायिका की भावनाओं का मार्मिक दृश्य प्रस्तुत किया है। नायिका अपनी प्रेम-विवशता को व्यक्त कर रही है। उसकी आँखें उसके वश में नहीं हैं। वे बिना सोचे-समझे श्रीकृष्ण प्रेम की धारा में जा धंसी हैं। नायिका ने उन्हें रोकने का प्रयत्न किया किन्तु वह असफल रही। जितना-जितनी उसने आँखों को रोकने और बाहर लाने का प्रयास किया वे उतनी ही और गहरी डूबती चली गईं।
नायिक कहती है कि उसका अपनी आँखों पर कोई वश नहीं रहा। वे तो कृष्ण प्रेम के रस के लालच में उनके रूप की दासी जैसी हो गई है। वे मधुमक्खी की भाँति प्रेम रस में मग्न हो गई हैं।
संयोग श्रृंगार के इस चित्र में, शिल्प की सजावट से अधिक कवि का ध्यान नायिका की भावनाओं के प्रकाशन पर रहा है। छंद पाठकों को भी रस मग्न करने में सफल रहा है।
इसी प्रकार ”झहरि-झहरि……………… ह्वै दृगन में।” पद में भी कवि का ध्यान विरहिणी की व्यथा के प्रकाशन पर केन्द्रित है। यह वियोग श्रृंगार की सुन्दर रचना है। सरल सीधी भाषा में कवि ने वियोगिनी की व्यथा को पाठकों तक पहुँचाने में सफलता प्राप्त की है।

कवि परिचय

जीवन परिचय-
कवि देव का जन्म संवत् 1730 (1673 ई.) में उत्तर प्रदेश के इटावा नगर में हुआ था। इनके पिता का नाम कुछ लोग बिहारीलाल दूबे मानते हैं। देव के गुरु वृंदावन निवासी संत हितहरिवंश माने जाते हैं। देव अन्य रीतिकालीन कवियों की भाँति दरबारी कवि थे। उन्होंने अनेक राजाओं और सम्पन्न लोगों के यहाँ समय बिताया था। इनको दर्शन शास्त्र, ज्योतिष, आयुर्वेद और तंत्र आदि विषयों का भी ज्ञान था। कवि देव की मृत्यु संवत् 1824 (1767 ई.) के आस-पास मानी जाती है।

साहित्यिक परिचय-देव ने अन्य रीतिकालीन कवियों की भाँति काव्य रीति और काव्य रचना दोनों क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। कवि के रूप में देव सौन्दर्य और प्रेम के चितेरे हैं। इनको काव्य सरस और भावोत्तेजक है। रूपवर्णन, मिलन, विरह आदि का हृदयस्पर्शी शब्दचित्र देव ने अंकित किया है। इसके साथ ही उन्होंने संस्कृत शब्दयुक्त सरस और सशक्त ब्रजभाषा का प्रयोग भी किया है। इनकी कविता में अनुप्रास, अक्षरमित्रता और चमत्कार प्रदर्शन भी मिलता है। देव आचार्यत्व और कवित्व दोनों ही दृष्टियों से रीतिकाल के एक प्रमुख कवि माने जाते हैं। रचनाएँ-माना जाता है कि देव ने लगभग 62 ग्रन्थों की रचना की थी। अब केवल 15 ग्रन्थ ही मिलते हैं। ये ग्रन्थ हैं

भावविलास, अष्टयाम, भवानीविलास, कुशलविलास, प्रेमतरंग, जातिविलास, देवचरित्र, रसविलास, प्रेमचन्द्रिका, शब्दरसायन, सुजानविनोद, सुखसागर तरंग, राग रत्नाकर, देवशतक तथा देवमायाप्रपंच।

RBSE Solution for Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 4 देव

पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्याएँ।

(1) पाँरन नूपुर मंजु बजें, कटि-किंकिनि में धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बन-माल सुहाई॥
माथे किरीट, बड़े दूग चंचल, मंद हँसी मुख चंद जुन्हाई।
जै जग-मन्दिर-दीपक सुंदर, श्री ब्रज-दूलह देव-सहाई॥

शब्दार्थ-पाँयनि = पैरों में। नूपुर = पायजेब, पायल। मंजु = सुन्दर। कटि = कमर। किंकिनि = किंकिणी, कौंधनी, कमर का आभूषण। धुनि = ध्वनि, शब्द। मधुराई = मधुरता। साँवरे = साँवले, श्याम रंग के। अंग = शरीर। लस = शोभित है। पट पीत = पीताम्बर, पीला वस्त्र। हिये = हृदय पर। हुलसै = शोभित है, आनन्द प्रकट कर रही है। बन-माल = वन के फूलों की माला। सुहाई = सुहावनी, सुन्दर। किरीट = मुकुट। दृग = नेत्र। चंचल = स्थिर न रहने वाले। मंद = हलकी, तनिक। मुख चंद = मुखरूपी चन्द्रमा। जुन्हाई = चाँदनी, आभा, कांति। जै = जय (हो)। जग-मन्दिर-दीपक = जगतरूपी भवन में दीपक के समान। ब्रज-दूलह = ब्रजभूमि के दूलह, ब्रज के एकमात्र सुंदर पुरुष। देव-सहाई = कवि देव के सहायक, देव पर कृपालु।

सन्दर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत छन्द हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कवि देव के छन्दों से लिया गया है। इस छन्द में कवि श्रीकृष्ण के दूल्हे की भाँति सजे-धजे सुन्दर रूप का शब्द-चित्र प्रस्तुत कर रहा है।

व्याख्या-कवि देव कहते हैं-जिनके चरणों में सुन्दर नूपुर बज रहे हैं, जिनकी कमर में पहनी हुई कौंधनी का मधुर शब्द हो रहा है, जिनके साँवले शरीर पर पीताम्बर शोभा पा रहा है तथा कंठ में वनफूलों की सुहावनी माला पड़ी हुई है, जिनके मस्तक पर मुकुट सुशोभित है, जिनके नेत्र बड़े चंचल हैं और जिनकी मंद-मंद हँसी, मुखरूपी चन्द्रमा की चाँदनी जैसी प्रतीत हो रही है, ऐसे श्रीकृष्ण जगतरूपी भव्य भवन को अपने दिव्य सौन्दर्य से दीपक के समान प्रकाशित कर रहे हैं। उनकी सदा जय हो। ब्रजभूमि के दूलह जैसे वस्त्राभूषणों से सजे-धजे श्रीकृष्ण सदा सबके सहायक हों, सब पर कृपा करें।

विशेष-
1. ब्रजभाषा का सरस, परिमार्जित, प्रवाहपूर्ण गेय स्वरूप प्रस्तुत हुआ है।
2. श्रीकृष्ण के दूलह जैसे वस्त्राभूषणों से सुसज्जित सुन्दर स्वरूप का शब्दचित्र साकार किया गया है।
3. ‘कटि-किंकिनि’, ‘पट पीत’, ‘हिए हुलसै’, में अनुप्रास अलंकार है। ‘मंद हँसी मुख चंद जुन्हाई’ में उपमा तथा ‘मुख चन्द’ में रूपक अलंकार है।
4. ‘जंग-मंदिर-दीपक’ में कवि की नई कल्पना का परिचय मिल रहा है।

2. धार में धाय धंसी निरधार हवै, जाय फँसी, उकसीं न अबेरी॥
री अंगराय गिरीं गहरी, गहि, फेरे फिरीं औ घिरी नहीं घेरी॥
देव कछु अपनो बस ना, रस-लालच लाल चितै भयीं चेरी।
बेगि ही बूड़ि गयी पखियाँ, अखियाँ मधु की मखियाँ भयीं मेरी॥

शब्दार्थ-धार = धारा, श्रीकृष्ण के प्रेम की धारा। धाय = दौड़कर, शीघ्रता से। धंसी = प्रवेश कर गई, घुस गई। निरधार = बिना किसी आधार या सहारे के। उकसी = निकली। अबेरी = निकाले जाने पर। अंगराय = अँगड़ाई लेकर, मस्ती से। गहि = पकड़ने पर। फेरे = लौटाने पर। फिरीं = लौटीं। घिरी = पकड़ में आईं। घेरी = घेरे जाने पर। रस-लालच = प्रेमरूपी रस के लालच में आकर। लाल = श्रीकृष्ण। चितै = देखकर। चेरी = दासी, वशीभूत। बेगि = शीघ्र ही। बूड़ि गयी = डूब गईं। पखियाँ = पंख। अखियाँ = आँखें। मधु = शहद। मखियाँ = मक्खियाँ। भयी = हो गई।

सन्दर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत छन्द हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कवि देव के छन्दों से लिया गया है। इस छन्द में कवि ने श्रीकृष्ण के प्रेमरस में डूबी गोपी का एक मधुमक्खी के रूप में वर्णन किया है जो शहद में डूबने पर फिर निकल नहीं पाती है।

व्याख्या-श्रीकृष्ण के प्रेम-रस में पगी अपनी आँखों की दशा का वर्णन करते हुए कोई गोपी या नायिका कह रही है कि उसकी आँखें बिना सोचे-समझे प्रिय कृष्ण के प्रेम-रस की धारा में शीघ्रता से प्रवेश कर गईं और प्रिय कृष्ण के प्रेम-प्रवाह में प्रवाहित होने लगीं। उस रस धारा में वे ऐसी फंस गईं कि निकालने का यत्न करने पर भी नहीं निकल पाईं। अरी सखि! निकलना तो दूर वे तो अँगड़ाई लेकर उस रस धारा में और गहरी जा गिरीं, आनन्द-विभोर होकर प्रेम में और अधिक मग्न हो गईं। मैंने इन आँखों को पकड़कर लौटाना चाहा परन्तु वे नहीं लौटीं। इन्हें घेरकर रोकना चाहा पर ये नहीं रुकीं। अब इन आँखों पर मेरा कोई वश नहीं रह गया है। ये तो प्रिय कृष्ण के रूप रस को चखने के लालच में, उन्हें देखते ही उनकी दासी जैसी हो गई हैं। जैसे शहद में पंखों के डूब जाने पर मधुमक्खी उड़कर बाहर निकलने में असमर्थ हो जाती है, उसी प्रकार मेरी आँखें भी श्रीकृष्ण के मनमोहक स्वरूप के मधु में फंसकर लौटने में असमर्थ हो गई हैं। भाव यह है कि अब गोपी का कृष्ण के प्रेम-पाश से मुक्त हो पाना सम्भव नहीं रहा।

RBSE Solution for Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 4 देव

विशेष-
(1) सरस, प्रवाहपूर्ण और शब्द चयन के चमत्कार से युक्त ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ है।
(2) हृदयस्पर्शी शैली में गोपिका के मनोभावों को व्यक्त कराया गया है।
(3) धार में धाय हँसी निरधार हवै,” अंगराय गिरीं गहरी गहि, फेरे फिरीं उरौ घिरीं नहीं घेरी’, तथा ‘बेगि ही बूड़ि…..भयीं मेरी’ में अनुप्रास की सरस छटा है।’ अखियाँ मधु की मखियाँ भय मेरी’ में उपमा अलंकार है। पूरे छंद में अंखियों को ‘मधु की मखियाँ’ सिद्ध करने से सांगरूपक अलंकार भी है।
(4) संयोग श्रृंगार रस की अनूठी योजना है।

(3) झहरि झहरि झीनी बूंद हैं परति मानो,
घहरि घहरि घटा घेरी है गगन में।
आनि कह्यो स्याम मो सों, चलौ झूलिबे को आजु,
फूली ना समानी, भई ऐसी हौं मगन मैं॥
चाहति उठयोई, उड़ि गई सो निगोड़ी नींद,
सोय गए भाग मेरे जागि वा जगन में।
आँखि खोलि देख तो, घन है न घनस्याम,।
वेई छायी बूंदें मेरे, आँसु है दृगन में॥

शब्दार्थ-झहरि झहरि = झकोरों के साथ। झीनी = नन्हीं, पारदर्शी। घरि-घरि = गहरा-गहराकर, घुमड़-घुमड़करे। घेरी है = घिरी हुई है। आनि = आकर। फूली ना समानी = अत्यन्त प्रसन्न हुई। हौं = मैं। मगन = भाव-विभोर, आनंदमग्न। उठयोई = उठना। उड़ि गई = खुल गई। निगोड़ी = गोड़ (अंग) रहित, विकलांग (ब्रज प्रदेश की एक गाली)। सोय गए भाग = अभागी होना। जगन = जागना, जागरण। घन = बादल। घनस्याम = श्रीकृष्ण। वे = वे ही। दृगन में = आँखों में॥

सन्दर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत छंद हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित कवि देव के छंदों में से लिया गया है। इस छंद में एक गोपी अपनी सखी को कृष्ण मिलन के सपने के बारे में बता रही है जो सपना ही बनकर रह गया।

व्याख्या-कोई गोपी अपनी अंतरंग सखी को अपने सपने के बारे में बताती हुई कहती है-सखि! रात को मैंने देखा कि वर्षा ऋतु है। झकोरों के साथ नन्हीं-नन्हीं बूंदें बरस रही हैं और आकाश में घुमड़-घुमड़कर काली घटाएँ घिर रही हैं। ऐसे सुहावने दृश्य के बीच मेरे परम प्रिय कृष्ण ने आकर मुझसे कहा–‘चलो आज झूलने चलते हैं। यह सुनकर मैं फूली नहीं समाई। कृष्ण का यह प्रस्ताव सुनकर मैं भाव-विभोर हो गई। मैं उनके साथ चलने को उठ ही रही थी कि मेरी अभागी नींद ही खुल गई। उस जाग जाने ने तो जैसे मेरे भाग्य को ही सुला दिया। मैं अभागी बन गई। आँखें खोलकर जैसे ही मैंने देखा, तो वहाँ न कहीं बादल थे न प्रिय कृष्ण। सपने में झरती बूंदें ही अब मेरे नेत्रों से आँसू बनकर झर रही थीं। मैं अपने दुर्भाग्य पर आँसू बहा रही थी।

विशेष-
(1) भाषा भावानुकूल, सरस शब्दावली युक्त तथा प्रवाहपूर्ण है।
(2) भावात्मक शैली में कवि ने हृदय को छू लेने वाला शब्द-चित्र अंकित किया है।
(3) ‘झहरि झहरि झीनी’ और ‘घहरि-घहरि’ में अनुप्रास के साथ पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है ‘घहरि घहरि घटा होरी’ में भी अनुप्रास है। ‘उड़ि गई सो निगोड़ी नींद’ में मानवीकरण है, ‘सोय गए भाग और मेरे जागि वा जगन में’ विरोधाभास अलंकार है।
(4) ‘फूली ना समानी’, ‘हौं मगन में’ मुहावरों के प्रयोग से भाव प्रकाशन को बल मिल रहा है।

RBSE Solution for Class 10 Hindi

Share this:

  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window)
  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on Facebook (Opens in new window)

Related

Filed Under: Class 10

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Recent Posts

  • RBSE Solutions for Class 6 Maths Chapter 6 Decimal Numbers Additional Questions
  • RBSE Solutions for Class 11 Psychology in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 11 Geography in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Hindi
  • RBSE Solutions for Class 3 English Let’s Learn English
  • RBSE Solutions for Class 3 EVS पर्यावरण अध्ययन अपना परिवेश in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Maths in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 4 Hindi
  • RBSE Solutions for Class 4 English Let’s Learn English
  • RBSE Solutions for Class 4 EVS पर्यावरण अध्ययन अपना परिवेश in Hindi Medium & English Medium

Footer

RBSE Solutions for Class 12
RBSE Solutions for Class 11
RBSE Solutions for Class 10
RBSE Solutions for Class 9
RBSE Solutions for Class 8
RBSE Solutions for Class 7
RBSE Solutions for Class 6
RBSE Solutions for Class 5
RBSE Solutions for Class 12 Maths
RBSE Solutions for Class 11 Maths
RBSE Solutions for Class 10 Maths
RBSE Solutions for Class 9 Maths
RBSE Solutions for Class 8 Maths
RBSE Solutions for Class 7 Maths
RBSE Solutions for Class 6 Maths
RBSE Solutions for Class 5 Maths
RBSE Class 11 Political Science Notes
RBSE Class 11 Geography Notes
RBSE Class 11 History Notes

Copyright © 2023 RBSE Solutions