• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • RBSE Model Papers
    • RBSE Class 12th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 10th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 8th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 5th Board Model Papers 2022
  • RBSE Books
  • RBSE Solutions for Class 10
    • RBSE Solutions for Class 10 Maths
    • RBSE Solutions for Class 10 Science
    • RBSE Solutions for Class 10 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 10 English First Flight & Footprints without Feet
    • RBSE Solutions for Class 10 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 10 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 10 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 10 Physical Education
  • RBSE Solutions for Class 9
    • RBSE Solutions for Class 9 Maths
    • RBSE Solutions for Class 9 Science
    • RBSE Solutions for Class 9 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 9 English
    • RBSE Solutions for Class 9 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 9 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 9 Physical Education
    • RBSE Solutions for Class 9 Information Technology
  • RBSE Solutions for Class 8
    • RBSE Solutions for Class 8 Maths
    • RBSE Solutions for Class 8 Science
    • RBSE Solutions for Class 8 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 8 English
    • RBSE Solutions for Class 8 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit
    • RBSE Solutions

RBSE Solutions

Rajasthan Board Textbook Solutions for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

  • RBSE Solutions for Class 7
    • RBSE Solutions for Class 7 Maths
    • RBSE Solutions for Class 7 Science
    • RBSE Solutions for Class 7 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 7 English
    • RBSE Solutions for Class 7 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 6
    • RBSE Solutions for Class 6 Maths
    • RBSE Solutions for Class 6 Science
    • RBSE Solutions for Class 6 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 6 English
    • RBSE Solutions for Class 6 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 5
    • RBSE Solutions for Class 5 Maths
    • RBSE Solutions for Class 5 Environmental Studies
    • RBSE Solutions for Class 5 English
    • RBSE Solutions for Class 5 Hindi
  • RBSE Solutions Class 12
    • RBSE Solutions for Class 12 Maths
    • RBSE Solutions for Class 12 Physics
    • RBSE Solutions for Class 12 Chemistry
    • RBSE Solutions for Class 12 Biology
    • RBSE Solutions for Class 12 English
    • RBSE Solutions for Class 12 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit
  • RBSE Class 11

RBSE Solution for Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 6 जयशंकर प्रसाद

May 20, 2019 by Prasanna Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 6 जयशंकर प्रसाद

RBSE Class 10 Hindi Chapter 6 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

RBSE Class 10 Hindi Chapter 6 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. जयशंकर प्रसाद का जन्म हुआ
(क) 1880 ई.
(ख) 1889 ई.
(ग) 1888 ई.
(घ) 1890 ई.

2. जयशंकर प्रसाद द्वारा संपादित पत्रिका का नाम
(क) प्रभा
(ख) माधुरी
(ग) सरस्वती
(घ) इन्दु
उत्तर:
1. (ख), 2. (घ)

RBSE Class 10 Hindi Chapter 6 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 3.
जयशंकर प्रसाद के किन्हीं तीन काव्य संग्रहों के नाम बताइए?
उत्तर:
कवि जयशंकर प्रसाद के तीन काव्य संग्रह हैं 1. लहर 2. झरना तथा 3. चित्राधार।

प्रश्न 4.
ईश्वर की प्रशंसा का राग कौन गा रहा है?
उत्तर:
ईश्वर की प्रशंसा का राग तरंगमालाएँ गा रही हैं।

प्रश्न 5.
मनुष्य के मनोरथ कबे पूर्ण होते हैं?
उत्तर:
मनुष्य के मनोरथ दयामय ईश्वर की दया होने पर ही पूर्ण होते हैं।

प्रश्न 6.
अंशुमाली का क्या अर्थ है?
उत्तर:
अंशुमाली का अर्थ सूर्य है।

RBSE Solution for Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 6 जयशंकर प्रसाद

RBSE Class 10 Hindi Chapter 6 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 7.
‘प्रकृति-पद्मिनी के अंशुमाली’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर:
सूर्य के उदय होने पर ही कमलिनी खिला करती है। खिलना.प्रसन्नता का द्योतक होता है। कवि ने ईश्वर को प्रकृति के चराचर सभी पदार्थों को प्रसन्न करने वाला बताया है। यही उस कथन का आशय है।

प्रश्न 8.
कवि ने ईश्वर को अनादि क्यों कहा है?
उत्तर:
ईश्वर को ही इस संपूर्ण ब्रह्माण्ड का सृजनकर्ता माना जाता है। अत: इस सृष्टि से पहले भी ईश्वर विद्यमान था। इसी कारण कवि ने ईश्वर को ‘अनादि’ अर्थात् जिसका प्रारम्भ या उपस्थिति किसी को ज्ञात न हो, ऐसा बताया है।

प्रश्न 9.
यामिनी में अनूठा पता कौन बता रही है?
उत्तर:
यामिनी अर्थात् रात्रि में आकाश में जगमगाते असंख्य तारों की ज्योति ईश्वर के अनूठे (अद्भुत) स्वरूप का संकेत कर रही है। भाव यह है कि रात्रि में तारों से भरा आकाश यह संकेत करता है कि उस परम प्रभु का दीपकों की पंक्तियों से प्रकाशित विशाल मंदिर कैसा होगी।

प्रश्न 10.
दयानिधि से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
दयानिधि से तात्पर्य ऐसे ईश्वर से है जिसके हृदय में सृष्टि के सारे जीवों के लिए अपार करुणा भरी हुई है। जो किसी को भी अपनी दया से वंचित नहीं रखता। सभी प्राणियों के सभी मनोरथों को पूर्ण किया करता है।

RBSE Class 10 Hindi Chapter 6 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 11.
‘प्रभो’ कविता का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
‘प्रभो’ कविता में कवि जयशंकर प्रसाद ने अपनी भावुक वाणी में परमेश्वर के विराट और परम उदार स्वरूप के दर्शन कराए हैं। कविता में कवि ईश्वर को चन्द्रमा की निर्मल किरणों के समान प्रकाशमान बता रहा है। सारी सृष्टि उसी की मनोहारिणी लीला है। सागर उसकी अपार दया का और तरंगमालाएँ उसकी महानता का दर्शन करा रही हैं। कवि ने उसकी मुस्कान चाँदनी जैसी और हँसी की ध्वनि को नदियों की कल-कल ध्वनि के समान बताया है।
आकाश में रात को दमकते असंख्य तारे उस ईश्वर के रात में दीपों से जगमगाते विशाल मंदिर का आभास कराते हैं। कवि ने ईश्वर को संपूर्ण प्रकृति को आनंदमय बनाने वाला तथा संपूर्ण सृष्टि का संरक्षक बताया है। कवि का दृढ़ विश्वास है कि ईश्वर की दया से जीव की सारी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं।

प्रश्न 12.
‘प्रभो’ कविता की भाषा की विशेषताएँ बताइए?
उत्तर:
‘प्रभो’ कविता की भाषा कवि जयशंकर प्रसाद की प्रतिनिधि भाषा तो नहीं कही जा सकती, किन्तु यह तत्सम तथा तद्भव शब्दावली का बड़ा सहज सम्मिलने प्रस्तुत करती है। | कविता की भाषा में जहाँ विमल, इन्दुप्रसार, तरंग, स्मित, निनाद, अंशुमाली आदि तत्सम शब्दों का प्रयोग हुआ है, वहीं इनके साथ कवि ने ‘बता रही’, देखे, प्यारे, निरखना, धुन, अनूठा, माली, होने आदि तद्भव शब्दों का भी बिना किसी संकोच के प्रयोग किया है।
भाषा में सहज प्रवाह और अर्थ-गाम्भीर्य है। कवि ने अपने मनोभावों के प्रकाशन के लिए ‘लोक गान’ जैसे शैली अपना कर भाषा के प्रवाह को गति प्रदान की है।

भाषा में ‘जिसे देखना हो दीपमाला’ जैसे वाक्य भाव को समझ पाने में सामान्य पाठक के व्याकरण के ज्ञान की परीक्षा ले रहे हैं। ‘होवे’ क्रियो हिन्दी के पुराने स्वरूप का स्मरण कराती है। संक्षेप में प्रभो कविता की भाषा कुछ अलग ही छटा लिए हुए है। इस भाषा से, प्रसाद जी की हर प्रकार की भाषा के प्रयोग में दक्षता भी प्रमाणित हो रही है।

RBSE Solution for Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 6 जयशंकर प्रसाद

प्रश्न 13.
निम्नलिखित पंक्तियों की संप्रसंग व्याख्या कीजिए
(क) विशाल मंदिर की यामिनी में ……… पता अनूठा बता रही है।
(ख) ‘प्रभो!’ प्रेममय प्रकाश तुम हो ……………. असीम उपवन के तुम हो माली।
(संकेत- छात्र ‘सप्रसंग व्याख्याएँ’ नामक प्रकरण में इन पंक्तियों की व्याख्याओं का अवलोवन करके स्वयं उत्तर लिखें।)

RBSE Class 10 Hindi Chapter 6 अन्य महत्वपूर्ण प्रणोत्तर

RBSE Class 10 Hindi Chapter 6 वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

1. ईश्वर के प्रकाश का आभास हो रहा है
(क) सूर्य की किरणों से
(ख) चन्द्रमा की किरणों से
(ग) तारागणों से।
(घ) दीपमालाओं से।

2. ईश्वर की दया के विस्तार का अनुमान होता है
(क) सागर को देखकर
(ख) आकाश को देखकर
(ग) पृथ्वी को देखकर
(घ) समस्त जीव-सृष्टि को देखकर।

3. परमेश्वर की मुस्कान की कुछ समानता दिखती है
(क) कमलों में
(ख) मोतियों में
(ग) चाँदनी में
(घ) हीरों में।

4. असंख्य तारों को देखकर पता चलता है
(क) ईश्वर का
(ख) प्रकृति की विराटता का
(ग) दीपमाला से प्रकाशित ईश्वर के विशाल मंदिर का
(घ) ब्रह्माण्ड के रहस्यमय स्वरूप का।

5. प्रकृति-पद्मिनी का अंशमाली कहा गया है
(क) सूर्य को
(ख) चन्द्रमा को
(ग) ईश्वर को
(घ) जल को।

6. मनुष्य का मनोरथ अवश्य पूरा होता है
(क) जब वह कठिन श्रम करता है।
(ख) जबे भाग्य अनुकूल होता है।
(ग) जब मित्र सहयोग करते हैं।
(घ) जब दयानिधि ईश्वर की दया हो जाती है।
उत्तर:
1. (ख), 2. (क), 3. (ग), 4. (ग), 5. (ग), 6. (घ)।

RBSE Class 10 Hindi Chapter 6 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
इन्दु की विमल किरणें क्या बता रही हैं?
उत्तर:
इन्दु की विमल किरणें ईश्वर के प्रकाशमय स्वरूप का ज्ञान करा रही है।

प्रश्न 2.
जगत को लीला कौन दिखा रहा है?
उत्तर:
जगत को अनादि परमात्मा की माया लीला दिखा रही है।

प्रश्न 3.
सागर को देखकर क्या ज्ञात होता है?
उत्तर:
सागर को देखकर ईश्वर की दया के विस्तृत प्रसार का अनुमान होता है।

प्रश्न 4.
ईश्वर की प्रशंसा के गीत कौन गा रही हैं?
उत्तर:
सागर और नदियों की तरंगें ईश्वर की प्रशंसा के गीत गा रही हैं।

प्रश्न 5.
ईश्वर की मुस्कान का स्वरूप जानने के लिए कवि किसे देखने को कह रहा है?
उत्तर:
कवि ईश्वर की मुस्कान का स्वरूप मानने के लिए चाँदनी को देखने के लिए कह रहा है।

RBSE Solution for Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 6 जयशंकर प्रसाद

प्रश्न 6.
ईश्वर की हँसी की ध्वनि कहाँ सुनने को मिल रही है?
उत्तर:
ईश्वर की हँसी की ध्वनि नदियों के प्रवाहों की कलकल में सुनाई दे रही है।

प्रश्न 7.
ईश्वर के विशाल मंदिर में रात्रि में जलती दीपमालाओं के दृश्य का अनुमान क्या देखकर लगाया जा सकता है?
उत्तर:
आकाश में दमकते तारों के समूहों को देखकर ईश्वर के मंदिर में रात्रि में जगमगाती दीपमाला के दृश्य का अनुमान लगाया जा सकता है।

प्रश्न 8.
कवि ने प्रकृति को और ईश्वर को क्या-क्या बताया है?
उत्तर:
कवि ने प्रकृति को कमलिनी और ईश्वर को सूर्य बताया है।

प्रश्न 9.
कवि ने ईश्वर को किस असीम उपवन का माली बताया है?
उत्तर:
कवि ने ईश्वर को सृष्टिरूपी असीम उपवन का माली बताया है।

प्रश्न 10.
दयानिधि परमात्मा की दया हो जाने पर मनुष्य को क्या लाभ होता है?
उत्तर:
ईश्वर की दया होने पर मनुष्य के सारे मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं।

प्रश्न 11.
‘प्रभो’ कविता का विषय क्या है?
उत्तर:
‘प्रभो’ कविता ईश्वर को संबोधित रचना है। इसमें ईश्वर के स्वरूप तथा उसकी प्रेममयी दया की व्यापकता का दर्शन कराया गया है।

RBSE Class 10 Hindi Chapter 6 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कवि जयशंकर प्रसाद ने ईश्वर के प्रकाशमय स्वरूप तथा उनकी लीला के विषय में क्या कहा है? ‘प्रभो’ रचना के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
कवि जयशंकर प्रसाद ने कहा है कि ईश्वर प्रकाशमय स्वरूप वाला है। उसके स्वरूप का कुछ अनुमान चन्द्रमा की निर्मल तथा विशाल पृथ्वी को शीतल करने वाली किरणों को देखकर किया जा सकता है। कवि का मानना है कि उस अनादि ईश्वर की माया ही सारे जगत को मोहित करके नाना प्रकार के भ्रमपूर्ण दृश्य दिखाया करती है।

प्रश्न 2.
सागर और लहरों को देखकर मनुष्य को ईश्वर के विषय में क्या ज्ञान प्राप्त हो सकता है? ‘प्रभो’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
‘प्रभो’ कविता में कवि जयशंकर प्रसाद बताते हैं कि ईश्वर बड़ा दयावान है। उसकी दया के विस्तार की कोई सीमा नहीं है। समुद्र को देखकर मनुष्य उसकी दया की अनंतता की एक झलक पा सकता है। लहरें भी मनुष्य को कुछ बताना चाहती हैं। लहरों के बहने से उत्पन्न कल-कल ध्वनि और कुछ नहीं उसी सर्ववंदनीय ईश्वर की प्रशंसा के गान हैं। कवि का संकेत है कि प्रकृति के सभी अंग ईश्वर की महत्ता के बारे में कुछ न कुछ बताते आ रहे हैं।

RBSE Solution for Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 6 जयशंकर प्रसाद

प्रश्न 3.
ईश्वर की मुस्कान और ईश्वर की हँसी के विषय में कवि जयशंकर प्रसाद ने ‘प्रभो’ कविता में क्या कहा है? लिखिए।
उत्तर:
ईश्वर मुस्कराता है और हँसता भी है। कवि का यह विश्वास उसकी ‘प्रभो’ कविता में सामने आता है। कवि कहता है कि यदि ईश्वर की मुस्कान देखनी है तो तनिक चन्द्रमा की चाँदनी को देख लो और यदि ईश्वर की मंद-मधुर हँसी सुननी है तो नदियों की लोल लहरों की मंद-मंद ध्वनि को सुनो। ईश्वर तो सर्वव्यापी है। उसे जानने और समझने के लिए विश्वासी और भावुक हृदय चाहिए।

प्रश्न 4.
तारकामण्डल की ज्योति किसका पता बता रही है?
उत्तर:
अनंत आकाश में रात्रि को प्रकाशित करने वाले असंख्य तारे जब ज्योति बिखेरते हैं तो एक अद्भुत दृश्य उपस्थित होता है। यह दृश्य दर्शकों के हृदयों में एक अनूठी कल्पना को जन्म देता है। उनको ऐसा आभास होता है कि यह अनंत आकाश उस अनंत परमेश्वर का दिव्य मन्दिर है जिसमें रात्रि के समय दीपमाला सजाई गई है। इस प्रकार तारागणों की ज्योति उस परमेश्वर का पता बताया करती है।

प्रश्न 5.
‘प्रभो’ कविता में कवि ने ईश्वर के किन-किन विशेष नामों से संबोधित किया है? लिखिए।
उत्तर:
कवि ने ईश्वर को अनेक उपनामों से पुकारा है। कवि कहता है कि ईश्वर ‘प्रेममय प्रकाश’ है। प्रेम और प्रकाश दोनों ही ईश्वर के प्रसिद्ध लक्षण माने जाते हैं। वह ज्योतिस्वरूप है और परमपिता के रूप में समस्त जीवों पर अपने प्रेम की वर्षा करता रहता है। इसी प्रकार कवि ईश्वर को ‘प्रकृति-पद्मिनी का अंशुमाली’ कहता है। प्रकृति यदि कमलिनी है तो ईश्वर उसे अपने प्रकाश से प्रफुल्लित करने वाला सूर्य है। कवि उसे ‘असीम उपवन का माली’ कहता है। यह सृष्टि रंग-बिरंगे पुष्पों और वृक्षों से पूर्ण महा उपवन है और प्रभु उसके रक्षक माली के समान हैं। इस प्रकार कवि ने ईश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा प्रदर्शित की है।

प्रश्न 6.
कवि जयशंकर प्रसाद को कौन-सी आशा लगी हुई थी? ‘प्रभो’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
कवि जयशंकर प्रसाद ईश्वर को दयानिधि मानते हैं। जो दया का अनंत भण्डार है, उससे सभी को दया पाने की आशा लगी रहती है। सभी कहते हैं कि यदि मनुष्य पर ईश्वर की दया दृष्टि हो जाय, उसके किसी भी शुभ मनोरथ के पूर्ण होने में शंका नहीं रहती। कवि भी इसी कथन के सहारे ईश्वर की दया निहारने की आशा लगाए हुए है। उसे आशा है कि ईश्वरीय कृपा से उसका मनोरथ भी अवश्य पूरा होगा।

RBSE Solution for Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 6 जयशंकर प्रसाद

RBSE Class 10 Hindi Chapter 6 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘प्रभो’ कविता के शीर्षक की उपयुक्तता पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
‘प्रभो’ एक संबोधनात्मक शीर्षक है। ‘प्रभो’ अर्थात् हे प्रभो ! शीर्षक द्वारा कवि जयशंकर प्रसाद ने परमेश्वर को संबोधित करते हुए अपनी भावनायें व्यक्त की हैं। ईश्वर सभी का प्रभु अर्थात् स्वामी है। उसको संबोधित करते हुए कवि ने जो-जो बातें कही हैं, वे सभी इस संबोधन के प्रसंग में उचित प्रतीत होती हैं। कवि ईश्वर की महिमा का गान करते हुए सारी प्रकृति में उसके स्वरूप को प्रतिविंबित देख रहा है। चन्द्रमा की किरणों में उसका ज्योतिर्मय स्वरूप है। जनत में उसी की लीला प्रतिबिंबित हो रही है। उसकी दया समुद्र की विशालता में व्यक्त है। उसकी कीर्ति लहरों के कल-कल गान में गूंज रही है। इसी प्रकार कवि चाँदनी में उसकी मुस्कान देखता है। नदियों के प्रवाह में उसकी हँसी सुनता है। तारों भरे आकाश में उसका महामंदिर आभाषित है और वही सारी प्रकृति में उल्लास भरा करता है। इस प्रकार पूरी कविता में उस महाप्रभु की कीर्तिमय विशेषताओं का ही वर्णन हुआ है। अतः इस रचना का शीर्षक ‘प्रभो’ के अतिरिक्त और क्या हो सकता है? मेरे मत से ‘प्रभो’ शीर्षक सर्वथा उपयुक्त है।

RBSE Solution for Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 6 जयशंकर प्रसाद

प्रश्न 3.
‘प्रभो’ कविता के कलापक्ष और भावपक्ष पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
उत्तर:
‘प्रभो’ कविता जयशंकर प्रसाद जी की एक भाव प्रधान रचना है तथापि उसका कला पक्ष भी ध्यान आकर्षित करता है। कला या काव्य शिल्प की दृष्टि से इस रचना की भाषा-शैली असाधारण प्रतीत होती है। कविता में तत्सम तथा तद्भव दो प्रकार के शब्दों का सहज प्रयोग हुआ है। भाषा में प्रवाह है और गांभीर्य भी है। कवि ने संबोधन शैली में अपनी भावनाएँ व्यक्त की हैं। ईश्वर के गुणों के लिए कवि ने बड़ी अनूठी शैली में सटीक उपमानों का चुनाव किया है। दया के लिए सागर, मुस्कान के लिए चाँदनी तथा हँसी के लिए नदियों के निनाद को चयन पाठकों को आनंदित करता है। कवि अनुप्रास, रूपक, उपमा तथा मानवीकरण अलंकारों को सहज भाव से प्रयोग किया है।

प्रभो कविता एक भाव प्रधान रंचना है। कविता में कवि ने प्रभु परमेश्वर के प्रति अपनी अटूट आस्था, दृढ़ विश्वास तथा श्रद्धा-भावना को व्यक्त करने में पूर्ण सफलता पाई है। वह दयामय प्रभु से दया की और मनोरथों की पूर्ति की आशा लगाए है। इस प्रकार कवि की इस रचना का मूल्य उद्देश्य ईश्वर की महत्ता का विविध रूपों में गुणगान करना है। कविता के दोनों ही पक्ष संतुलित और प्रभावशाली हैं।

कवि परिचय

जीवन परिचय-

हिन्दी की अनेक विधाओं को अपनी बहुमुखी प्रतिभा से समृद्ध बनाने वाले, छायावादी कविता के प्रमुख कवि जयशंकर प्रसाद का जन्म सन् 1889 ई. में काशी नगर में हुआ था। इनके पिता बाबू देवी प्रसाद थे। वह एक विद्याप्रेमी व्यवसायी थे। काशी में वह ‘सँघनी साहू’ नाम से प्रसिद्ध थे। प्रसाद जी की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई। क्वीन्स कॉलेज में अध्ययन के बाद आपने स्वाध्याय से ही हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, उर्दू तथा फारसी भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया। साहित्य में आपकी बचपन से ही रुचि थी। आपने ‘इन्दु’ नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन भी किया। 15 नवम्बर 1937 को आपका स्वर्गवास हो गया।

साहित्यिक परिचय-जयशंकर प्रसाद बहुमुखी प्रतिभा से सम्पन्न साहित्यकार थे। आपने काव्य, नाटक, उपन्यास, कहानी तथा निबन्ध आदि विधाओं के माध्यम से हिन्दी साहित्य को समृद्धि प्रदान की। हिन्दी कविता के छायावादी कवियों में आपका विशिष्ट स्थान है। ‘कामायनी’ महाकाव्य आपकी अक्षय कीर्ति की पताका है। इस काव्य द्वारा आपने भारतीय संस्कृति के ‘सत्यं, शिवं, सुंदरम्’ के आदर्श को साकार करने का स्मरणीय प्रयास किया है।

रचनाएँ-प्रसाद जी की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं
काव्य रचनाएँ-कामायनी, आँसू, झरना, लहर, चित्राधार, प्रेम पथिक।

नाटक-चन्द्रगुप्त, स्कन्दगुप्त, ध्रुवस्वामिनी, विशाखा, राज्यश्री, अजातशत्रु, जनमेजय का नागयज्ञ, कामना, एक पैंट, प्रायश्चित्।

उपन्यास-तितली, कंकाल, इरावती (अपूर्ण)।
कहानी संग्रह-प्रतिध्वनि, आकाशदीप, छाया, आँधी, इन्द्रजाल।
निबन्ध-काव्यकला तथा अन्य निबन्ध।।

RBSE Solution for Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 6 जयशंकर प्रसाद

पाठ परिचय

प्रस्तुत कविता ‘प्रभो’ प्रसाद जी के भावुक हृदय से निकली, प्रकृति के हास-विलास में प्रतिविम्बित हो रहे परमेश की मधुर स्तुति है। प्रकृति के प्रत्येक अंग और प्रत्येक चेष्टा में कवि परमात्मा के मनोहारी अस्तित्व के दर्शन कर रहा है। चन्द्रमा की किरणों में उसका प्रकाश, सागर की तरंगों में लहराती उसकी दया और चाँदनी में उसकी मधुर मुस्कान व्यक्त हो रही है। नदियों का कल-कल उसकी मंद हँसी है और आकाश में दमकते तारों में, उसके विशाल मंदिर में सजी दीपमाला का दर्शन हो रहा है। कवि कहता है कि ईश्वर, प्रकृतिरूपिणी कमलिनी को खिलाने वाला सूर्य है। उसका प्रकाश ही प्रेम बनकर सारी सृष्टि में व्याप्त है। वह सभी के मनोरथों को पूर्ण करने वाला है।

पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्याएँ।

(1) विमल इन्दु की विशाल किरणें,
प्रकाश तेरा बता रही हैं।
अनादि तेरी अनन्त माया,
जगत को लीला दिखा रही है।

कठिन शब्दार्थ- विमल = स्वच्छ, निर्मल। इन्दु = चन्द्रमा। अनादि = जिसका आरम्भ ज्ञात न हो, ईश्वर। अनन्त = जिसको अन्त शात न हो। लीला = खेल, नाना प्रकार की घटनाएँ।

संदर्भ तथा प्रसंग- प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित कवि जयशंकर प्रसाद की कविता ‘प्रभो’ से लिया गया है। कवि प्रकृति के दृश्यों में ईश्वर के दर्शन करा रहा है।

व्याख्या- कवि कहता है-हे प्रभु कोई नहीं जानता कि आपका आविर्भाव कब हुआ? ये चन्द्रमा से छिटक रहीं स्वच्छ किरणें तुम्हारे ही प्रकाश की प्रतीक हैं। ये प्रकृति में घट रही सारी घटनाएँ, और कुछ नहीं, तुम्हारी ही सर्वव्यापिनी माया की मनोहारिणी क्रीड़ाएँ हैं, जिन्हें देखकर सारा जगत मुग्ध हुआ करता है।

विशेष-
(1) कवि का विश्वास है कि ज्योतिस्वरूप ईश्वर की अनुभूति चन्द्रमा की स्वच्छ और शीतल किरणों को देखकर की जा सकती है।
(2) ईश्वर के आदि अथवा अंत को कोई नहीं जानता, यह बताया गया है।
(3) यह संपूर्ण सृष्टि उस मनमौजी परमेश्वर की लीला समझनी चाहिए और आनंद से जीवन बिताना चाहिए, यह संदेश कवि ने दिया है।

(2) प्रसार तेरी दया का कितना,
ये देखना है तो देखे सागर।
तेरी प्रशंसा का राग प्यारे,
तरंग मालाएँ गा रही हैं।

कठिन शब्दार्थ- प्रसार = विस्तार। सागर = समुद्र (का विस्तार)। राग = गीत। तरंग मालाएँ = निरंतर उठ रही लहरें।

संदर्भ तथा प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित जयशंकर प्रसाद की रचना ‘प्रभो’ से लिया गया है। इस अंश में कवि ईश्वर को परम दयावान बताते हुए कह रहा है कि समुद्र में निरंतर उठती लहरों का शब्द उसी परमेश्वर की प्रशंसा का गीत है।

व्याख्या- ईश्वर का हृदय जीव-मात्र के लिए अपार करुणा से भरा है। कोई भी उसकी दया से वंचित नहीं होता।

यदि कोई ईश्वर की दया की व्यापकता को जानना चाहता है तो उसे सागर के विस्तार को देख लेना चाहिए। कवि कहता है, जन-जन के प्रिय परमपिता ! ये समुद्रों में निरंतर उठ रही लहरें अपनी ध्वनि में तेरी ही प्रशंसा के गीत गाती रहती हैं।

RBSE Solution for Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 6 जयशंकर प्रसाद

विशेष-
(1) कवि ने परमात्मा को अत्यन्त दयावान बताया है। उसकी दया का विस्तार विस्तृत सागर के विस्तार के समान है।
(2) कवि सागर की तरंगों में ईश्वर की प्रशंसा के स्वर सुन रहा है।
(3) दया को सागर के समान बताए जाने से पंक्ति में उपमा अलंकार है।
(4) वर्णन शैली छायावाद की झलक लिए है।

(3) तुम्हारा स्मित हो जिसे देखना,
वो देख सकता है चंद्रिका को।
तुम्हारे हँसने की धुन में नदियाँ,
निनाद करती ही जा रही हैं।

कठिन शब्दार्थ- स्मित = मुस्करानी। निरखना = देखना। चंद्रिका = चाँदनी। निनाद = ध्वनि।

संदर्भ तथा प्रसंग- प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित जयशंकर प्रसाद की रचना ‘प्रभो’ से लिया गया है। कवि को चाँदनी में ईश्वर की मुस्कान के दर्शन हो रहे हैं और नदियों के प्रवाह में उस परमसत्ता की मधुर हँसी सुनाई दे रही है।

व्याख्या- कवि कहता है जो व्यक्ति उस परमेश्वर की मधुर मुस्कान का अनुमान करना चाहता है उसे चाँदनी की मधुर शुभ्रता को ध्यान में लाना चाहिए। उसकी स्नेह और कृपामयी हँसी की ध्वनि नदियों के कल-कल प्रवाह में सुनी जा सकती है।

RBSE Solution for Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 6 जयशंकर प्रसाद

विशेष-
(1) कवि प्रसाद प्रसिद्ध छायावादी कवि रहे हैं। प्रस्तुत काव्यांश उनकी इसी शैली का परिचायक है।
(2) छायावादी कवि प्रकृति के प्रत्येक क्रियाकलाप में उस अज्ञात सत्ता की छाया का अनुभव करता है।
(3) कवि ने मुस्कान और हँसी के लिए सटीक उपमानों का चयन किया है।
(4) भाषा में तत्सम तथा तद्भव शब्दावली को सहज सम्मिश्रण है।
(5) काव्यांश में उपमा तथा मानवीकरण अलंकार है।

4. विशाल मंदिर की यामिनी में,
जिसे देखना हो दीपमाला।
तो तारकागण की ज्योति उसका,
पता अनूठा बता रही है।

कठिन शब्दार्थ– यामिनी = रात। दीपमाला = दीपकों की पंक्तियाँ। तारकागण = तारों के समूह। अनूठा = अनोखा, अद्भुत।।

संदर्भ तथा प्रसंग- प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कवि जयशंकर प्रसाद की रचना ‘प्रभो’ से लिया गया है। पद्यांश में कवि नूतन कल्पनाओं के माध्यम से परमप्रभु के अद्भुत व्यक्तित्व की झलक दिखा रहा है।

व्याख्या- कवि कहता है- क्या तुम उस अज्ञात परमप्रभु के रात्रि में दीपमालाओं से दमकते विशाल मंदिर की झलक पाना चाहते हो? तो फिर उस विशाल नीलाकाश में झिलमिलाते, असंख्य तारागणों को निहारो। वह प्रभु कैसा अनोखा और प्रकाशमय है, इसे ऐसी विराट कल्पना से ही कुछ-कुछ समझा जा सकता है।

विशेष-
(1) कवि प्रसाद के कल्पना-कौशल का यह काव्यांश अद्भुत नमूना है।
(2) रात्रि में दीपमालाओं से जगमगाता एक विशालकाय मंदिर और असंख्य तारागणों से भरा रात का आकाश; दोनों को एक साथ कल्पना में लाना कवि ने पाठकों के लिए सुगम बना दिया है।
(3) ‘जिसे देखना हो’ ‘देखना है’ देखे शब्द कवि की वर्णन शैली के अनूठेपन को दर्शा रहे हैं।
(4) विशाल मंदिर में, रात्रि के समय प्रकाशित दीपमाला का अनुमान और फिर रात्रि में तारों भरे विशाल आकाश की कल्पना उपमा और उदाहरण अलंकारों का सुन्दर गुलदस्ता सजा रही है।
(5) काव्यांश प्रसाद जी की सरल भाषा और अनूठी वर्णन शैली का दुर्लभ उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है।

(5)
प्रभो! प्रेममय प्रकाश तुम हो,
प्रकृति-पद्मिनी के अंशुमाली।
असीम उपवन के तुम हो माली,
धरा बराबर बता रही है।

कठिन शब्दार्थ- प्रकृति-पद्मिनी = प्रकृतिरूपी कमलिनी। अंशुमाली = सूर्य। असीम = जिसकी कोई सीमा या अंत न हो। धरा = पृथ्वी।।

संदर्भ तथा प्रसंग- प्रस्तुति काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित कवि जयशंकर प्रसाद की कविता ‘प्रभो’ से लिया गया है। इस अंश में कवि ईश्वर को प्रेम से परिपूर्ण प्रकाश बता रहा है। कवि के अनुसार परमात्मा प्रकृति को प्रसन्नता और सुरक्षा प्रदान करने वाला है।

व्याख्या- कवि भावुक होकर कहता है- हे मेरे प्रभु! आप ऐसे प्रकाश हैं जिससे सारी सृष्टि पर निरंतर आपके सहज प्रेम की वर्षा-सी होती रहती है। यह सारी प्रकृतिरूपी कमलिनी को खिलाने वाले, परेम प्रसन्नतामय बनाने वाले आप ही हैं। इस सृष्टिरूपी अनंत उपवन के रक्षक आप ही हैं। इस सत्य को यह सारी पृथ्वी निरंतर बताती आ रही है। पृथ्वी को प्राकृतिक सौन्दर्य, प्रसन्नता देने वाला स्वरूप और इसके प्राणियों में उपस्थिते परस्पर प्रेमभाव आपकी कृपा का प्रत्यक्ष प्रमाण है।।

RBSE Solution for Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 6 जयशंकर प्रसाद

विशेष-
(1) कवि ने प्रभु-परमात्मा को अनेकानेक स्वरूपों में प्रस्तुत किया है।
(2) ईश्वर प्रेममय है, प्रसन्नतादायक है और सारी सृष्टि का संरक्षक है। कवि ने अपने इस दृढ़ विश्वास को इस अंश में प्रकाशित किया है।
(3) प्रसाद जी की आलंकारिक वर्णन-शैली का यह काव्यांश सुन्दर उदाहरण है।
(4) ‘प्रभो ! प्रेममय प्रकाश’, ‘प्रकृति पद्मिनी’ के तथा ‘धरा बराबर बता’ में अनुप्रास अलंकार है। ‘प्रेममय-प्रकाश’ तथा ‘प्रकृति-पद्मिनी’ में रूपक अलंकार तथा प्रकृति-पद्मिनी के अंशुमाली’ में उपमा अलंकार है।

(6) जो तेरी होवे दया दयनिधि,
तो पूर्ण होता ही है मनोरथ।
सभी ये कहते पुकार करके,
यही तो आशा दिला रही है।

कठिन शब्दार्थ- दयानिधि = दया का भण्डार। मनोरथ = मन की इच्छा।

संदर्भ तथा प्रसंग- प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित जयशंकर प्रसाद की रचना ‘प्रभो’ से उद्धृत है। कवि ने बड़ी सरल भाषा शैली में परमेश्वर को परम दयावान और सारी इच्छाओं को पूर्ण करने वाला घोषित किया है।

व्याख्या- कवि जयशंकर प्रसाद कहते हैं- हे दया के भण्डार परमप्रभु! सारा संसार सदा से पुकार-पुकार कर कहता आ रहा है कि यदि आपकी जीव पर दया दृष्टि हो जाये, तो उसके मन की सारी इच्छाएँ पूर्ण हो जाती हैं। हे स्वामी इसी को देखकर तो मुझ जैसे निरासों को भी आशा हो रही है कि आप मेरे मनोरथों को भी पूरा करेंगे।

विशेष-
(1) कवि ने बड़ी सहज-सरल भाषा में अपनी आशा व्यक्त की है।
(2) कवि को परमेश्वर की दयाभावना पर पूर्ण विश्वास है, यह काव्यांश से व्यक्त हो रहा है।
(3) ‘दया दयानिधि’ में अनुप्रासं अलंकार है।

RBSE Solution for Class 10 Hindi

Share this:

  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window)
  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on Facebook (Opens in new window)

Related

Filed Under: Class 10

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Recent Posts

  • RBSE Solutions for Class 6 Maths Chapter 6 Decimal Numbers Additional Questions
  • RBSE Solutions for Class 11 Psychology in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 11 Geography in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Hindi
  • RBSE Solutions for Class 3 English Let’s Learn English
  • RBSE Solutions for Class 3 EVS पर्यावरण अध्ययन अपना परिवेश in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Maths in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 4 Hindi
  • RBSE Solutions for Class 4 English Let’s Learn English
  • RBSE Solutions for Class 4 EVS पर्यावरण अध्ययन अपना परिवेश in Hindi Medium & English Medium

Footer

RBSE Solutions for Class 12
RBSE Solutions for Class 11
RBSE Solutions for Class 10
RBSE Solutions for Class 9
RBSE Solutions for Class 8
RBSE Solutions for Class 7
RBSE Solutions for Class 6
RBSE Solutions for Class 5
RBSE Solutions for Class 12 Maths
RBSE Solutions for Class 11 Maths
RBSE Solutions for Class 10 Maths
RBSE Solutions for Class 9 Maths
RBSE Solutions for Class 8 Maths
RBSE Solutions for Class 7 Maths
RBSE Solutions for Class 6 Maths
RBSE Solutions for Class 5 Maths
RBSE Class 11 Political Science Notes
RBSE Class 11 Geography Notes
RBSE Class 11 History Notes

Copyright © 2023 RBSE Solutions