Rajasthan Board RBSE Class 10 Hindi व्याकरण समास
‘समास’ का अर्थ है-शब्दों को पास-पास बिठाना, जिससे कम शब्दों प्रयोग करके अधिक अर्थ प्राप्त किया जा सके। ऐसा करने के लिए पदों में प्रयुक्त परसर्ग चिह्न हटा लिये जाते हैं तथा विग्रह करते समय उन्हीं परसर्ग चिहनों को पुनः लगा लिया जाता है। जैसे-‘पाठ के लिए शाला’ इस पद से परसर्ग चिहन के लिए हटा लेने पर ‘पाठशाला’ शेष बचता है। इसे समस्त पद कहते हैं। विग्रह करते समय इस समस्त पद में पुनः परसर्ग चिह्न लगा देते हैं। संक्षिप्तता की दृष्टि से ‘समास’ अत्यन्त उपयोगी है।
“दो या दो से अधिक शब्दों के विभक्ति चिह्नों आदि का लोप करके शब्दों के मेल से बना हुआ पद ‘समस्त पद’ कहलाता है।
“विभक्ति विहीन दो या दो से अधिक शब्दों के सार्थक योग को समास Samas कहते हैं।”
समास युक्त पद को समस्त पद’ कहते हैं। विग्रह करने पर समस्त पद के दो या दो से अधिक शब्द बन जाते हैं। इनमें विभक्ति-चिह्न लगाकर अर्थ ग्रहण किया जाता है। जैसे
समास के भेद
समास के निम्नलिखित भेद हैं
(1) अव्ययीभाव समास,
(2) तत्पुरुष समास,
(3) कर्मधारय समास,
(4) द्विगु समास,
(5) द्वन्द्व समास,
(6) बहुव्रीहि समास।
(1) अव्ययीभाव समास
जिस समस्त पद का पहला पद अव्यय हो तो जिससे समस्त पद भी अव्यय बन जाए, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं जैसे
(2) तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास में द्वितीय पद प्रधान होता है। तत्पुरुष समास के उपभेद, पूर्वपद में लगे हुए कारक चिह्नों के नाम से किये जाते हैं। जैसे-कर्म के कारक चिह्न ‘को’ का लोप करने से बने समास को कर्म तत्पुरुष कहा जाता है।
कर्म तत्पुरुष (को)
अपादान तत्पुरुष (‘से’ अलग होने के अर्थ में का लोप)
(3) कर्मधारय समास
इसे समास में भी दूसरा पद (उत्तर पद) प्रधान होता है, किन्तु पहला पद (पूर्वपद) विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य (संज्ञा) होता है। दूसरे शब्दों में, जिस समास के दोनों पदों में विशेषण और विशेष्य का सम्बन्ध रहता है, उसे कर्मधारय समास कहते हैं। जैसे
(4) द्विगु समास
जिस समास का एक पद संख्यावाचक विशेषण होता है तथा पूर्वपद प्रधान होता है, उसे द्विगु समास कहते हैं। यथा
(5) द्वन्द्व समास
जिस समस्त पद में दोनों पद प्रधान हों तथा विग्रह करते समय एवं, तथा, और आदि लगे, उसे द्वन्द्व समास कहते हैं। समस्त पद के मध्य योजक चिह्न रहता है।
(6) बहुव्रीहि समास
जिस समस्त पद में कोई पद प्रधान नहीं होता तथा जो अपने पदों से भिन्न किसी संज्ञा का विशेषण होता है, उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं। जैसे
समास के अन्य उदाहरण
सामस विग्रह
समास में विग्रह-महत्वपूर्ण है। विग्रह के अन्तर से एक ही समस्त पद में कई समास हो सकते हैं। यथा-पंचानन का विग्रह ‘पाँच आननों का समूह’ करने पर द्विगु समास होता है और ‘पाँच हैं आनेन जिसके ऐसा शिव’ विग्रह करने पर बहुव्रीहि समास होता है। इसी प्रकार
समास विग्रह की विधि – समास विग्रह करते समय निम्नलिखित ढंग से स्तम्भ बना लेने चाहिए
RBSE Class 10 Hindi व्याकरण समास परीक्षोपयोगी प्रजोत्तर
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
समास किसे कहते हैं?
उत्तर:
दो या दो से अधिक शब्दों का, कारक चिहन आदि का लोप होकर जब एक ही पद की भाँति प्रयोग होता है, तो उसे समास कहते हैं।
प्रश्न 2.
अव्ययीभाव समास का लक्षण क्या है?
उत्तर:
जिस समस्त पद का एक भाग अव्यय होता है, वह अव्ययीभाव समास कहा जाता है।
प्रश्न 3.
अव्ययीभाव समास का एक उदाहरण विग्रह सहित दीजिए।
उत्तर:
अव्ययीभाव समास का उदाहरण-यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार।
प्रश्न 4.
तत्पुरुष समास की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
जिस समस्त पद का निर्माण किसी कारक चिह्न के लोप होने से होता है और जिसका उत्तर-पद प्रधान होता है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।
प्रश्न 5.
कर्मधारय समास की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
जिस समास के दोनों पदों में विशेषण और विशेष्य का सम्बन्ध होता है, वह कर्मधारय समास कहलाता है।
प्रश्न 6.
द्विगु समास की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
जिस समस्त पद का एक अंश संख्यावाचक विशेषण होता है, उसे द्विगु समास कहते हैं।
प्रश्न 7.
बहुव्रीहि समास की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
जिस समस्त पद का पूर्व या उत्तर पद प्रधान न हो, अपितु कोई अन्य अर्थ ग्रहण करना पड़े, वहाँ बहुव्रीहि समास होता है।
प्रश्न 8.
द्वन्द्व समास की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
जिस समस्त पद में दोनों पदों की प्रधानता हो, तो वहाँ द्वन्द्व समास होता है।
प्रश्न 9.
‘धर्माधर्म’ सामासिक पद का विग्रह कीजिए और समास का नाम बताइए।
उत्तर:
(क) समास का विग्रह = धर्म और अधर्म ।
(ख) समास का नाम = द्वन्द्व समास।
प्रश्न 10.
‘नीलकण्ठ’ सामासिक पद का विग्रह कर समास का नाम लिखिए।
उत्तर:
नीला है कण्ठ जिसका वह (शंकर); बहुव्रीहि समास।
प्रश्न 11.
‘नवरात्र’ सामासिक पद में समास का नाम बताइए व समास-विग्रह भी कीजिए।
उत्तर:
(क) समास का नाम = द्विगु ।
(ख) समास का विग्रह = नव (नौ) रात्रियों का समूह।
प्रश्न 12.
‘त्रिभुवन’ सामासिक पद में समास का नाम बताइए तथा समास-विग्रह भी कीजिए।
उत्तर:
(क) समास का नाम = द्विगु ।
(ख) समास-विग्रह = तीनों भुवनों का समूह।
प्रश्न 13.
‘दशानन’ सामासिक पद में समास का नाम बताइए तथा समास-विग्रह भी कीजिए।
उत्तर:
(क) समास का नाम = बहुव्रीहि समास।
(ख) समास-विग्रह = दस हैं आनन जिसके (रावण) ।
परश्न 14.
निम्नलिखित वाक्य में जिन पदों में समास हुआ है, उन्हें लिखकर विग्रह करते हुए प्रयुक्त समासों के नाम लिखिए
महात्मा गाँधी आजन्म देश की सेवा में लीन रहे।
उत्तर:
प्रश्न 15.
निम्नलिखित वाक्य में जिन पदों में समास प्रयुक्त हुआ है, उन्हें लिखकर उनमें प्रयुक्त समासों के नाम लिखिए|
हमें यथाशक्ति दानपुण्य करना चाहिए।
उत्तर:
समस्त पद विग्रह समास
(क) यथाशक्ति शक्ति के अनुसार अव्ययीभाव समास ।
(ख) दानपुण्य दान और पुण्य द्वन्द्व समास।
प्रश्न 16.
निम्नलिखित वाक्य में जिन पदों में समास प्रयुक्त हुआ है, उन्हें क्रमवार लिखकर उनके सामने उन समासों के नाम लिखिए
ऋषि-मुनि वन में ध्यानमग्न रहते थे।
उत्तर:
समस्त पद समास
(क) ऋषि-मुनि = द्वन्द्व समास ।
(ख) दानपुण्य = तत्पुरुष समास।
प्रश्न 17.
निम्नलिखित वाक्य में विद्यमान सामासिक पदों को क्रमानुसार लिखकर समासों के नाम लिखिए
महाकवि तुलसी को लोकनायक कहा जाता है।
उत्तर:
समस्त पद समास
(क) महाकवि कर्मधारय समास।
(ख) लोकनायक तत्पुरुष समास।
प्रश्न 18.
निम्नलिखित वाक्य में विद्यमान सामासिक पदों को पहचान कर उनमें निहित समासों के नाम लिखिए
सप्तर्षि सदैव नीलाकाश में प्रकाशित होते हैं।
उत्तर:
समस्त पद समास
(क) सप्तर्षि द्विगु समास ।
(ख) नीलाकाश कर्मधारय समास।
प्रश्न 19.
निम्न सामासिक पदों का विग्रह पर उनमें प्रयुक्त समास का नाम बताइए।
प्रश्न 20.
(i) त्रिफला, (ii) सभापति।
उत्तर:
(i) त्रिफला – तीन फलों का समूह = द्विगु समास।
(ii) सभापति – सभा का पति = तत्पुरुष समास ।
प्रश्न 21.
(i) प्रतिदिन, (ii) दशमुख।
उत्तर:
(i) दिन-दिन = अव्ययीभाव समास।
(ii) दश हैं मुख जिसके (रावण) = बहुव्रीहि समास।
प्रश्न 22.
(i) जन्म-मरण, (ii) कमलनयन।
उत्तर:
(i) जन्म और मरण = द्वन्द्व समास।
(ii) कमल और नयन = कर्मधारय।
प्रश्न 23.
(i) राजभवन, (ii) नवरल।।
उत्तर:
(i) राजा का भवन = तत्पुरुष समास ।
(ii) नौ रत्नों का समूह = कर्मधारय समास।
प्रश्न 24.
(i) प्रत्येक, (ii) चन्द्रशेखर।
उत्तर:
(i) एक-एक = अव्ययीभाव समास।
(ii) चन्द्रमा है शिखर पर जिसके = बहुव्रीहि समास ।
वह (शिव) :
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित समस्त-पदों का विग्रह करते हुए समास का नाम लिखिए
धनुषबाण, देवकीनन्दन, डाकघर, विचारमग्न, वज्रपाणि, शुभागमन, दिनभर।
उत्तर:
प्रश्न 2.
निम्नांकित सामासिक पदों का समास विग्रह करते हुए समास का नाम लिखिए
(क) षट्कोण, (ख) निर्धन, (ग) धर्मात्मा।
उत्तर:
(क) षट्कोण = छह कोणों का समूह
समास का नाम = द्विगु समास
(ख) निर्धन = नहीं है धन जिसके पास, वह (कोई व्यक्ति)
समास का नाम = बहुव्रीहि समास
(ग) धर्मात्मा = धर्म में है आत्मा जिसकी, वह
समास का नाम = बहुव्रीहि समास।
प्रश्न 3.
तत्पुरुष और कर्मधारय समास का अन्तर स्पष्ट करते हुए दोनों के दो-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
तत्पुरुष और कर्मधारय दोनों ही समास में उत्तर पद प्रधान होते हैं। दोनों में अन्तर यह है कि तत्पुरुष समास में पहला पद कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध या अधिकरण इनमें से किसी भी कारक में हो सकता है और उत्तर पद के कारक से उसका कोई सम्बन्ध नहीं होता। इसके विपरीत कर्मधारय समास में पहले और दूसरे पद में विशेषण-विशेष्य-भाव सम्बन्ध रहता है और इसलिए प्रथम पद की कारक-विभक्ति, लिंग, वचन आदि वही होते हैं, जो दूसरे पद के होते हैं। वास्तव में कर्मधारय को तत्पुरुष का ही एक भेद माना जाता है, इसीलिए इसे समानाधिकरण तत्पुरुष भी कहते हैं, जबकि वास्तविक तत्पुरुष को व्यधिकरण तत्पुरुष कहा जाता है। दोनों के उदाहरण देखिए
(i) तत्पुरुष समास = राजभवन, धनहीन।
(ii) कर्मधारय समास = नीलाम्बर, सज्जन।
प्रश्न 4.
निम्नांकित समस्त-पदों का विग्रह करके समास का नाम लिखिएकानोंकान, देशकाल, तिराहा, मन्दबुद्धि।
उत्तर:
प्रश्न 5.
कर्म तत्पुरुष की परिभाषा देते हुए उसके चार उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर:
कर्मकारक के चिह्न ‘को’ का लोप जिस समस्त पद में रहता है, उसे कर्मतत्पुरुष समास कहा जाता है
उदाहरण-
(1) वनगमन = वन को गमन
(2) गृहागमन = गृह को आगमन
(3) व्रतधारण = व्रत को धारण करना
(4) गोचारण = गो को चराना।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित समस्त पदों में विग्रह सहित समास बताइए
धर्मातरण, सीताहरण, शक्तिवर्धक, देशप्रेम।
उत्तर:
धर्मांतरण = धर्म से अन्तरण (दूर होना, बदलना) अपादान तत्पुरुष समास ।
सीता हरण = सीता का हरण, सम्बन्ध तरुपुरुष/अपदान तत्पुरुष।
शक्तिवर्धक = शक्ति का वर्धन करने वाला, बहुव्रीहि समास ।
देशप्रेम = देश के लिए प्रेम, सम्प्रदान तत्पुरुष।
प्रश्न 7.
द्वन्द्व तथा कर्मधारय समास की परिभाषा सहित दो-दो उदाहरण देकर उनका विग्रह भी कीजिए।
उत्तर:
द्वन्द्व समास-जिस समस्त पद में पूर्वपद तथा उत्तरपद दोनों प्रधान होते हैं, उसमें द्वन्द्व समास होता है।
उदाहरण
(1) पशु-पक्षी – पशु और पक्षी।
(2) वाद-विवाद – वाद और विवाद।
कर्मधारय समास-जिस समास में उत्तर पद प्रधान होता है तथा पहला (पूर्व) पद विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य होता है; वह कर्मधारय समास होता है
उदाहरण-
(1) उत्तरभारत = उत्तर दिशा में स्थित है जो भारतीय भू-भाग।
(2) भ्रष्टाचार = भ्रष्ट है जो आचरण।
प्रश्न 8.
कर्मधारय तथा बहुव्रीहि समास में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कर्मधारय तथा बहुव्रीहि समास का पूर्वपद विशेषण तथा उत्तरपद विशेष्य होता है किन्तु दोनों के विग्रह में अन्तर होने से अलग-अलग समास है, जैसे
‘पीताम्बर’ समस्त पद का विग्रह यदि ‘पीत है जो अम्बर’ किया जायेगा तो वह कर्मधारय समास होगा और यदि ‘पीत है अम्बर खिसका वह (विष्णु)’ किया जाएगा तो वह बहुव्रीहि समास होगा।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित विग्रहों के आधार पर उनसे समास बनाइए और उनके नाम लिखिए
(1) बिहार के लिए वन
(2) विदेश को गमन
(3) नगर का उद्यान
(4) बाण से आहत
(5) शत्रुओं द्वारा पीड़ित
(6) पक्ष-और विपक्ष
(7) धरणी को धारण करने वाला।
उत्तर:
(1) विहारवन = सम्प्रदान तत्पुरुष समास
(2) विदेश गमन = कर्म तत्पुरुष समास
(3) नगरोद्यान = सम्बन्ध तत्पुरुष समास
(4) बाणाहत = करण तत्पुरुष समास
(5) शत्रु पीड़ित = करण तत्पुरुष समास
(6) पक्ष-विपक्ष = द्वन्द्व समास
(7) धरणीधर = बहुव्रीहि समास।
प्रश्न 10.
अव्ययीभाव समास की परिभाषा दीजिए तथा चार वाक्यों में अव्ययी भाव समासों का प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
जिस समस्त पद का पूर्वपद अव्यय हो तथा समस्त पद का अव्यय की भाँति|प्रयोग हो, उसे अव्ययी भाव समास कहते हैं।
प्रयोग:
(1) इस कार्य को यथाशीघ्र पूरा करो।
(2) वह दिन-दिन दुर्बल होता जा रहा है।
(3) धीरे-धीरे वह सारे साम्राज्य का स्वामी बन गया।
(4) विद्यालय में प्रतिवर्ष वसंतोत्सव मनाया जाता है।
पाठ्यपुस्तक के पाठों में प्रयुक्त समस्तपदों एवं समासों का परिचय
पाठ 10.
एक अद्भुत अपूर्व स्वप्न
पाठ 11.
ईदगाह
पाठ 12.
स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्को का खंडन
पाठ 13.
अमर शरीद
पाठ 14.
आखिरी चट्टान
पाठ 15.
ईष्र्या, तू न गई मेरे मन स
पाठ 16.
गौरा
पाठ 17.
लोक संत दादू दयाल
पाठ 18.
लोक संत पीपा
RBSE Class 10 Hindi व्याकरण समास अभ्यास प्रत
प्रश्न 1. समास के लक्षण बताते हुए दो उदाहरण दीजिए।
प्रश्न 2. समास के कितने भेद हैं? लिखिए।
प्रश्न 3. तत्पुरुष समास की परिभाषा लिखिए।
प्रश्न 4. तत्पुरुष समास के भेदों का उल्लेख कीजिए।
प्रश्न 5. अधिकरण तत्पुरुष के दो उदाहरण लिखिए।
प्रश्न 6. कर्मधारय समास की परिभाषा लिखिए।
प्रश्न 7. कर्मधारय समास के तीन उदाहरण दीजिए।
प्रश्न 8. अव्ययीभाव समास की परिभाषा लिखिए।
प्रश्न 9. अव्ययीभाव समास के तीन उदाहरण लिखिए।
प्रश्न 10. द्विगु समास की परिभाषा तथा तीन उदाहरण लिखिए।
प्रश्न 11. द्विगु और बहुव्रीहि समास का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न 12. यथासम्भव, शुभ आचरण, पंचपात्र तथा भारतवासी समस्त पदों में विग्रह सहित समास का नामोल्लेख कीजिए।
प्रश्न 13. पथदर्शक, उत्थान-पतन, आरोग्यशाला तथा चतुर्मुख समस्त पदों में विग्रह सहित समास बताइए।
प्रश्न 14. अपादान तत्पुरुष, द्वन्द्व, द्विगु, बहुव्रीहि समासों के दो-दो उदाहरण दीजिए तथा उनका विग्रह भी कीजिए।
प्रश्न 15. किस समास में एक पद विशेषण तथा दूसरा विशेष्य होता है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। |
प्रश्न 16. “एक ही समस्त पद विग्रह के अन्तर से भिन्न-भिन्न समास हो जाता है।” इस कथन को उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न 17.
(1) “अधखुली पंखुड़ियों-जैसे कान”।
(2) “जिन्नात बहुत बड़े-बड़े होते हैं।”
(3) “पुराने ग्रन्थों में अनेक प्रगल्भ पंडिताओं के नामोल्लेख देखकर।” उपर्युक्त वाक्यांशों में आए समासों का नाम लिखते हुए उनका विग्रह कीजिए।
प्रश्न 18.
निम्नलिखित समस्त पदों में विग्रह के आधार पर कौन-कौन से समास हो सकते हैं? लिखिए।
चतुर्भुज, कमलनयन, रत्नाकर, जनक सुता, श्याम सुन्दर ।
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