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RBSE Solutions for Class 10 Physical Education Chapter 11 योग: आसन और प्राणायाम

June 20, 2019 by Safia Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 10 Physical Education Chapter 11 योग: आसन और प्राणायाम

RBSE Class 10 Physical Education Chapter 11 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

RBSE Class 10 Physical Education Chapter 11 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
योग से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
तन, मन, प्राण का अधिकतम परिवर्तन एवं उच्चतम संतुलित नियंत्रण ही योग है।

प्रश्न 2.
मेरुदण्ड को कौनसा आसन प्रभावित करता
उत्तर:
मेरुदण्ड को मत्स्यासन आसन प्रभावित करता है।

प्रश्न 3.
धनुरासन करने की विधि बताइये।
उत्तर:
धनुरासन करने की विधि – पेट के बल लेट जायें। ललाट को जमीन से लगायें। ठुड्डी को जमीन पर लगाकर व हाथों को जांघों के पास रखें पैर खुले हुए व आराम की स्थिति में रहें। दोनों पैरों को मिलाकर घुटनों से मोड़ते हुए पंजों को कूल्हों की ओर ले आयें, दोनों हाथों को पीछे ले जाते हुए पैरों के अंगूठे, पंजे व टखने जो सुविधानुसार पकड़ सकें पकड़ लें आगे से धड़ को व पीछे से टाँगों को उठायें। नाभि वाली जगह पूरा वजन रहना चाहिये। श्वास सामान्य रहे।

प्रश्न 4.
कुम्भक किसे कहते हैं ?
उत्तर:
श्वास को रोकने की क्रिया कुम्भक कहलाती है। श्वास को अन्दर लेकर रोकना आन्तरिक कुम्भक कहलाता है। और श्वास बाहर फेंककर श्वास रोकना बाह्य कुम्भक कहलाता

प्रश्न 5.
सूर्य भेदी प्राणायाम के लाभ बताइये।
उत्तर:
सूर्य भेदी प्राणायाम के लाभ-इस प्राणायाम से शरीर को गर्मी मिलती है तथा इच्छाशक्ति बढ़ती है। सामर्थ्य बढ़ता है।

RBSE Class 10 Physical Education Chapter 11 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
योग आसनों का मनुष्य के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है ? समझाइये।
उत्तर:
योग आसनों को मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रभाव –

  1. योगासन शरीर के भीतरी अंगों की पर्याप्त कसरत कराते हैं। इसे करने से व्यक्ति को अच्छी सेहत व दीर्घायु मिलती
  2. योगासन करने के लिए छोटा-सा हवादार स्थान तथा कुछ उपकरणों की आवश्यकता होती है।
  3. योग एकल कसरत है जबकि अन्य खेलों में दो या दो से अधिक व्यक्तियों की आवश्यकता होती है।
  4. योगासन खर्चीला नहीं है।
  5. योगासन द्वारा कब्ज, गैस, मधुमेह, रक्तचाप, सिर दर्द आदि ठीक हो जाते हैं।
  6. योगासन से शारीरिक, मानसिक विकास के साथ बौधिक व आध्यात्मिक विकास होता है।
  7. योगासन के लिये आयु व लिंग की कोई सीमा नहीं है। उससे लम्बे समय तक अच्छी सेहत पायी जा सकती है।
  8. योगासन थकावट घटाता है तथा मन को शान्ति मिलती
  9. योगासन से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है।
  10. शरीर अधिक लचीला बनता है।
  11. मन को शांत करने तथा इन्द्रियों को काबू करने के लिये योगासन शारीरिक व मानसिक शक्तियों का विकास करता
  12. विभिन्न योगासनों द्वारा रक्त धमनियों में खून शुद्ध होता है।
  13. योगासन से एकाग्रता बढ़ती है।
  14. योगासन ‘अहिंसक गतिविधि’ है। इससे व्यक्ति नैतिक स्तर पर अच्छा बनता है।
  15. योगासन शरीर की ग्रंथियों को उत्कृष्ट करता है। जिससे शरीर का संतुलित विकास होता है।

प्रश्न 2.
प्राणायाम कितने प्रकार के होते हैं ? उनको विस्तार से वर्णन करें।
उत्तर:
प्राणायाम मुख्य रूप से आठ प्रकार के होते हैं। जिनका वर्णन निम्नलिखित है –
(1) सूर्य भेदी प्राणायाम (अनुलोम-विलोम प्राणायाम) – पद्मासन में बैठकर, सीना, कमर तथा रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुये दायें हाथ की अगुँली से नाक का बायाँ छेद बंद करके दायें छेद से श्वास खींचा जाता है। श्वास खींचकर आंतरिक कुम्भक कर दायें अगूंठे से दायें छेद को बंद कर, बायें छेद से आवाज के साथ श्वास बाहर निकाली जाती है। यह अभ्यास पुनः लगातार तीन से पन्द्रह बार बढ़ाना चाहिए। लाभ-इस प्राणायाम से शरीर को गर्मी मिलती है तथा इच्छाशक्ति बढ़ती है। सामर्थ्य बढ़ता है।

(2) उज्जयी प्राणायाम – पद्मासन में श्वास को शक्ति से बाहर निकालना तथा अन्दर खींचना, श्वास लेते समय खर्राटे जैसी आवाज निकालनी चाहिए। लाभ-नाक, गले में टॉन्सिल तथा कान के रोगों में लाभ होता है। आवाज में मिठास आती है।

(3) आमरी प्राणायाम – किसी भी आसन में बैठकर कुहनियों को कंधे के समान करके श्वास लेकर कुछ समय तक श्वास रोकें तथा श्वास बाहर निकालें तथा मँवरे जैसी आवाज गले से निकालें। दो सैकण्ड तक पूरी श्वास निकाल कर रोकें। फिर इसी आवाज के साथ श्वास को लेवें। ऐसा करते समय अपनी आँखें अर्गुलियों से तथा कान अगूंठ से बंद कर लें। इसका अभ्यास दस बार करें तथा रेचक लम्बा करें। लाभ-गले के रोग दूर होते हैं एवं आवाज साफ होती

(4) भस्त्रिका प्राणायाम – इसमें श्वास लुहार की धौंकनी की तरह चलनी चाहिये। इसे आरम्भ में धीरे तथा बाद में तेज किया जा सकता है। श्वास के प्रेशर की आवाज आनी चाहिये। लाभ-मोटापा घटता है, मन के विकार दूर होते हैं, सिर दर्द ठीक होता है, विचार शुद्ध होते हैं।

(5) कपालभाती प्राणायाम – इसमें श्वास लेने के लिये कोई प्रयास नहीं करें। प्रेशर के साथ दोनों नथुनों से श्वास को बाहर फेंकें व पेट को अन्दर दबायें। जैसे ही पेट को ढीला छोड़ते हैं श्वास अपने आप अन्दर चली जाती है। हमें सिर्फ झटके से श्वास को बाहर फेंकने का अभ्यास करना चाहिये। प्रारम्भ में इसकी गति धीमी रखें तथा बाद में बढ़ा लेनी चाहिये। इसका अभ्यास सामर्थ्यानुसार 10-15 बार से 1/2 घंटे तक बढ़ाया जा सकता है। पूर्ण करने पर धीरे-धीरे लम्बी श्वास लें तथा आंतरिक कुम्भक कर लम्बी श्वास छोड़ें। लाभ-इस प्राणायाम से मस्तिष्क के शरीर की आन्तरिक वायु का विसर्जन होता है। सकारात्मक ऊर्जा का संचरण होता है। मस्तिष्क व स्नायु सम्बन्धी रोग ठीक होते हैं। मधुमेह व अन्य कई रोगियों के लिए लाभकारी है।

(6) शीतकारी प्राणायाम सिंह आसन में बैठकर दोनों हाथों को घुटने पर रखकर आँखें बंद करके दाँतों को आपस में जोड़कर जीभ का अग्र भाग दाँतों के साथ लगाकर दूसरे भाग को तालु के साथ लगाकर होठों को खुला छोड़कर शी-शी की ध्वनि के साथ मुँह से श्वास खींचकर आंतरिक कुम्भक कर नाक से श्वास निकालकर यह क्रिया 15 बार तक दोहराई जा सकती है। लाभ-शरीर को ठंडक मिलती है, गुस्से पर नियंत्रण रहता है, गले के रोग ठीक होते हैं, मुँह के छाले ठीक होते हैं।

(7) शीतली प्राणायाम – पद्मासन में बैठकर नाक के दोनों छेदों से श्वास बाहर निकाला जाता है। जीभ को मुँह के बाहर निकालकर गोलाई में नली के रूप में मोड़कर उससे श्वास अन्दर खींची जाती है तथा फिर जीभ अन्दर कर नाक से श्वास निकाली जाती है। लाभ – प्यास लगने पर इस प्राणायाम से प्यास बुझती है, शरीर के गले को ठंडक मिलती है।

(8) मूच्र्छा (नाड़ीशोधन) प्राणायाम – इससे नाड़ियाँ साफ होती हैं। सिंह आसन में बैठकर नाक के बायें छेद से श्वास लेना फिर कुम्भक करना। फिर नाक के दूसरी (दायीं) ओर से धीरे-धीरे निकालना फिर दायीं से लेना। कुम्भक करना और धीरे-धीरे बायीं से निकालना। श्वास रोकने में 10 सैकण्ड तथा निकालने के 10 सैकण्ड। लेने में 4 सैकण्ड यानि श्वास तेजी के साथ लेनी है।
लाभ – फेंफड़े मजबूत होते हैं, दिल की कमजोरी दूर होती है।

RBSE Class 10 Physical Education Chapter 11 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 10 Physical Education Chapter 11 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
मन में स्थिरता पैदा करता है –
(अ) विचार
(ब) भावना
(स) योग
(द) कपालभाँति
उत्तरमाला:
(स) योग

प्रश्न 2.
श्वसन मार्ग की शुद्धि करता है –
(अ) नैलिक्रिया
(ब) अनुलोम-विलोम
(स) शलभासन
(द) कपालभाँति
उत्तरमाला:
(द) कपालभाँति

RBSE Class 10 Physical Education Chapter 11 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राणायाम क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
श्वास-प्रश्वास को नियंत्रित करने के लिए प्राणायाम आवश्यक है।

प्रश्न 2.
योगासन क्या है ?
उत्तर:
योगासन व्यायाम की एक सरल विधि है जिसे छोटे-बड़े किशोर, युवक-युवतियाँ प्रौढ़ और वृद्ध सभी अपनी रुचि से अपनाकर ताजगी महसूस कर सकते हैं।

प्रश्न 3.
सर्वांगासन से क्या लाभ है ?
उत्तर:
शरीर के नीचे के भाग से शुद्ध रक्त का हृदय की ओर एवं रक्त संचरण में भी सुधार होता है।

RBSE Class 10 Physical Education Chapter 11 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सर्वांगासन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सर्वांगासन इस आसन से शरीर के सभी अंगों का समान रूप से व्यायाम हो जाता है। इसीलिए इसे सर्वांगासन कहा गया है। इसे किसी भी आयु वर्ग में किया जा सकता है। यह समस्त आसनों का सिरमौर है।

विधि – जमीन पर कंबल या दरी बिछाकर लेट जाएँ. हाथ सीधे व लम्बे रखें। दोनों पैरों को घुटनों से मोड़े बिना पुटठों के साथ ऊपर की ओर उठाएँ। पैरों से सिर तक सीधा रहेगा। आँखें खुली रहें, श्वास सामान्य होगा। दोनों टाँगों को एक साथ धीरेधीरे 90 डिग्री के कोण तक उठाएँ।  टाँगों को ऊपर उठाते हुए शरीर को एक सीध में रखें। पीठ पर हाथों का सहारा दें। केवल कन्धे पर शरीर का भार होगा। ठुड्डी कण्ठकूप में लगी रहेगी। श्वास सामान्य होगा। इस स्थिति में रहने के पश्चात् उसी तरह धीरे-धीरे सामान्य हो जाएँ।

विशेष – टाँगों को नीचे लाते समय झटका ना दें।
समय – यथा शक्ति।
लाभ – शरीर के नीचे के भाग से शुद्ध रक्त का हृदय की ओर एवं रक्त संचरण में भी सुधार होता है।

प्रश्न 2.
मत्स्यासन को समझाइये।
उत्तर:
मत्स्यासन – मत्स्य का अर्थ है, मछली यानि मत्स्यासन के अन्तर्गत व्यक्ति की आकृति मछली के समान हो जाती है। इसलिये इस आसन का नाम मत्स्यासन है। यह सर्वांगासन का पूरक है क्योंकि सर्वांगासन में जो कमी रह जाती है, उसकी पूर्ति इस आसन से हो जाती है।

विधि – अपनी हथेलियों को नितंबों के नीचे ले जाएँ और कोहनियों को मोड़ लें सिर ऊपर उठाएँ और उसे जमीन की ओर झुकाएँ ताकि आप सिर के ऊपरी भाग को भूमि पर टिका सकें। हथेलियों से नितंबों को सहारा देते हुए सिर का ऊपरी तथा कमर के बीच धनुषाकर बनाने का प्रयास करें अपनी हथेलियों को पैरों पर ले आएँ और पैरों के अंगूठों को दृढ़ता से पकड़ लें यही मत्स्यासन की पूर्ण अवस्था है। इसे अधिकतम तीन बार ही करें। लाभन्मुख मंडल के तन्तुओं पर इसका प्रभाव पड़ता है यह मेरुदंड को ऊपर से लेकर नीचे तक प्रभावित करता है जिन लोगों की गर्दन में तनाव हो इस आसने से लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

प्रश्न 3.
हलासन को समझाइये।
उत्तर:
हलासन – यह कठिन आसन है और इसमें शरीर को बहुत मोड़ने की आवश्यकता पड़ती है। नये व्यक्ति के शरीर में लचीलापन कम होता है इसलिए आसन को पूर्ण करने की जल्दी में अंगों को आवश्यकता से अधिक और झटके से नहीं मोड़ना चाहिए।
विधि – भूमि पर दरी बिछाकर लेट जाएँ दोनों हाथों को पैरों के साथ मिलाकर जमीन पर रखें फिर धीरे-धीरे पाँवों को उठाकर अपने सिर के पीछे जमीन पर लगाएँ पाँव के अँगूठे और उँगलियाँ ही जमीन को स्पर्श करें हाथ भूमि से लगे रहे।
लाभ – यह आसन शारीरिक रूप से स्वस्थ व सुन्दर बनाता है प्रतिदिन इसका अभ्यास करते रहने से जुकाम की शिकायत नहीं होती यह बड़ा उपयोगी आसन है।

प्रश्न 4.
बजरंगोसन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
बजरंगासन – यह देखने और करने में बड़ा आसान है, स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत उत्तम है। सबसे पहले अपने घुटनों पर बैठ जाएँ पैरों की एडियाँ नितंबों पर टिका लें जमीन पर केवल घुटने और पंजे ही टिकेंगे बजरंगबली इसी अवस्था में बैठते थे इसलिये इसका नाम बजरंगासन पड़ा।
लाभ – इस आसन से वक्ष स्थल विकसित होकर प्राण सशक्त तथा फेंफड़े स्वस्थ होते हैं। मुख पर तेज आता है व पूरा शरीर स्वस्थ और बलवान हो जाता है।

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