Rajasthan Board RBSE Class 10 Physical Education Chapter 5 स्वास्थ्य शिक्षा: अर्थ एवं उद्देश्य
RBSE Class 10 Physical Education Chapter 5 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
RBSE Class 10 Physical Education Chapter 5 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
स्वास्थ्य के महत्त्वपूर्ण कारक लिखें।
उत्तर:
स्वास्थ्य के महत्त्वपूर्ण कारक निम्नलिखित हैंस्वच्छता, संचारी रोगों से बचाव, स्वच्छ अवस्था, बीमारियों को इलाज, पर्याप्त मात्रा में संतुलित भोजन, नियमित व्यायाम व रहन-सहन का स्तर अच्छा होना।
प्रश्न 2.
स्वास्थ्य शिक्षा की दो परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा की दो परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं –
- डॉ. थामस वुड के शब्दों में स्वास्थ्य शिक्षा उन अनुभवों को जोड़ है जो व्यक्ति, समुदाय एवं सामाजिक स्वास्थ्य के साथ सम्बन्धित आदतों, प्रवृत्तियों एवं ज्ञान को सही रूप में प्रभावित करता है।
- ग्राउंट के अनुसार – स्वास्थ्य शिक्षा का भाव यह है कि स्वास्थ्य के बारे में जो कुछ भी ज्ञान है उसको शिक्षा की विधि द्वारा उचित, व्यक्तिगत एवं सामुदायिक व्यवहार में बदलना
प्रश्न 3.
बालक के तन-मन को शुद्ध रखने के लिए स्वास्थ्य शिक्षा की क्या उपयोगिता है ?
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा के विषय में जानना एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता बन गई है। आधुनिक युग में स्कूलों में स्वास्थ्य शिक्षा को पढ़ाते समय ऐसे तरीकों को अपनाना चाहिये जिससे केवल स्वास्थ्य का ही विकास न हो बल्कि व्यक्तिगत रूप से अच्छी आदतों का भी निर्माण हो जो विद्यार्थी के अच्छे स्वास्थ्य के निर्माण में अपना सर्वोत्तम प्रभाव डाल सके।
प्रश्न 4.
बालक का समुचित विकास कौनसी शिक्षा पद्धति पर निर्भर करता है ?
उत्तर:
आधुनिक युग में स्कूलों में स्वास्थ्य शिक्षा को पढ़ाते समय ऐसे तरीकों को अपनाना चाहिए जिससे केवल स्वास्थ्य का ही विकास न हो बल्कि व्यक्तिगत रूप से अच्छी आदतों को भी निर्माण हो जो विद्यार्थी के अच्छे स्वास्थ्य के निर्माण में अपना सर्वोत्तम प्रभाव डाल सकें।
प्रश्न 5.
स्वास्थ्य शिक्षा के तीन उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
विद्यार्थियों का समुचित विकास स्वास्थ्य शिक्षा पर निर्भर करता है। उनके लिए स्वास्थ्य शिक्षा के तीन उद्देश्य निम्नलिखित हैं
- विद्यालय में स्वास्थ्यपूर्ण वातावरण बनाये रखना।
- बच्चों में ऐसी स्वाभाविक आदतों का विकास करना जो स्वास्थ्यप्रद हों।
- संक्रामक रोगों से बचने का उपाय करना।
RBSE Class 10 Physical Education Chapter 5 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थियों का समुचित विकास स्वास्थ्य शिक्षा पर निर्भर करता है। अतः उनके लिए स्वास्थ्य शिक्षा के निम्नलिखित उद्देश्य हैं –
- विद्यालय में स्वास्थ्यपूर्ण वातावरण बनाये रखना।
- बच्चों में ऐसी स्वाभाविक आदतों का विकास करना जो स्वास्थ्यप्रद हों।
- संक्रामक रोगों से बचने का उपाय करना।
- विद्यालय, घर और समाज में उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए आपसी सहयोग विकसित करना।
- शारीरिक रोगों की जाँच करना व सुधरने योग्य विद्यार्थियों को सुधारने की कोशिश करना।
- सभी विद्यार्थियों के स्वास्थ्य का निरीक्षण करना व निर्देश देना।
- सभी विद्यार्थियों में स्वास्थ्य सम्बन्धी ज्ञान तथा अभिव्यक्ति का विकास करना।
- व्यक्तिगत सफाई तथा स्वच्छता के बारे न केवल ज्ञान कराना बल्कि अनुपालना भी कराना।
- स्वास्थ्य सम्बन्धी आदतों का विकास करना।
- स्वास्थ्य के बारे में सजगता।
- रोगों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करना तथा प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी देना।
- बालक के स्वास्थ्य के लिए माता-पिता को निर्देश देना।
प्रश्न 2.
स्वास्थ्य शिक्षा के क्या-क्या लाभ हैं ? विस्तार से लिखिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा के लाभ-बालक के स्वस्थ जीवन को सम्पूर्णता की ओर अग्रसर करने तथा स्वास्थ्य की दृष्टि से परिपूर्ण बनाने में स्वास्थ्य शिक्षा के निम्नलिखित लाभ हैं।
(1) सन्तुलित भोजन – संसार में प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ जीवन व्यतीत करना चाहता है और स्वस्थ जीवन के लिए भोजन ही मुख्य आधार होता है। वास्तव में हमें भोजन की आवश्यकता न केवल ऊर्जा की पूर्ति के लिए बल्कि शरीर की वृद्धि एवं उसकी क्षतिपूर्ति के लिए भी होती है। यदि व्यक्ति सन्तुलित भोजन नहीं लेता है तो उसको अनेक प्रकार के रोग हो सकते हैं। जैसे – विटामिन ए की कमी से रतौन्धी, विटामिन डी की कमी से रिकेट्स तथा विटामिन सी की कमी से स्कर्वी रोग हो सकते हैं। अत: स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए सन्तुलित भोजन आवश्यक है।
(2) शारीरिक व्यायाम – स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा व्यक्ति अपने शरीर को कसरत द्वारा लचीला एवं सुदृढ़ बनाता है। शारीरिक व्यायाम की क्रिया द्वारा पूरे शरीर को तन्दुरुस्त बनाया जा सकता है और कौनसे व्यायाम कब करने चाहिये तथा कब नहीं करने चाहिये का ज्ञान स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा प्राप्त होता है।
(3) स्वास्थ्यप्रद आदतों का विकास – बचपन में बालक जैसी आदतों का शिकार हो जाता है वो आदतें बालक के साथ जीवनपर्यन्त चलती हैं। अत: बालक को स्वास्थ्यप्रद आदतों को अपनाने की कोशिश करनी चाहिये। उदाहरण के तौर पर साफसफाई का ध्यान, सुबह जल्दी उठना, रात को जल्दी सोना, खाने-पीने तथा शौच का समय निश्चित होना ऐसी स्वास्थ्यप्रद आदतों को अपनाने से व्यक्ति स्वस्थ तथा दीघार्यु रह सकता है। यह स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा ही सम्भव है।
(4) प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी प्रदान करना – स्वास्थ्य शिक्षा के द्वारा व्यक्ति को प्राथमिक चिकित्सा प्रदान की जा सकती है। जिसके अन्तर्गत व्यक्तियों को प्राथमिक चिकित्सा के सामान्य सिद्धान्तों की तथा विभिन्न परिस्थितियों में जैसेसाँप के काटने पर, डूबने पर, जलने पर, अस्थि टूटने आदि पर प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी प्रदान की जाती है क्योंकि इस प्रकार की दुर्घटनाएँ कहीं, कभी भी तथा किसी के साथ घट सकती हैं तथा व्यक्ति का जीवन खतरे में पड़ सकता है। ऐसी जानकारी स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा ही दी जा सकती है।
(5) जागरूकता एवं सजगता का विकास – स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा एक स्वस्थ व्यक्ति सजग एवं जागरूक रह सकता है। उसके चारों तरफ क्या घटित हो रहा है उसके प्रति वह हमेशा सचेत रहता है। ऐसा व्यक्ति अपने कर्तव्यों एवं अधिकारों के प्रति सजग एवं जागरूक रहता है।
(6) बीमारियों से मुक्ति मिलती है – स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा एक स्वस्थ व्यक्ति प्रायः बीमारियों से मुक्त रहता है। हालाँकि ऐसा नहीं है कि एक स्वस्थ व्यक्ति कभी बीमार नहीं होता है। वह बीमार हो सकता है लेकिन उसमें एक सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा रोग निवारक या रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। स्वस्थ व्यक्ति बीमारियों से लड़ने में सक्षम होता है।
RBSE Class 10 Physical Education Chapter 5 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 10 Physical Education Chapter 5 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
विटामिन ‘ए’ की कमी से रोग होता है –
(अ) रतौन्धी
(ब) रिकेट्स
(स) स्कर्वी
(द) बेरी-बेरी
उत्तरमाला:
(अ) रतौन्धी
प्रश्न 2.
“एक कमजोर आदमी जिसका शरीर या मन कमजोर है वह कभी भी मजबूत काया का मालिक नहीं बन सकता है।” यह कथन है
(अ) डॉ. थॉमस वुड का
(ब) ग्राउंट का
(स) स्वामी विवेकानन्द का
(द) सोफी का
उत्तरमाला:
(स) स्वामी विवेकानन्द का
RBSE Class 10 Physical Education Chapter 5 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रमों में किसका बड़ा योगदान है ?
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रमों में स्वास्थ्य का बड़ा योगदान है।
प्रश्न 2.
सुखी जीवन के लिए किसका होना अनिवार्य
उत्तर:
सुखी जीवन के लिए उत्तम स्वास्थ्य का होना अनिवार्य है।
प्रश्न 3.
स्वास्थ्य शिक्षा से व्यक्ति में किसका विकास होता है ?
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा से व्यक्ति में ऊर्जा, जोश व जीवन्तता का विकास होता है।
प्रश्न 4.
स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए क्या आवश्यक है ?
उत्तर:
स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए संतुलित भोजन आवश्यक है।
RBSE Class 10 Physical Education Chapter 5 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
‘संतुलित भोजन व्यक्ति के स्वास्थ्य को किस प्रकार प्रभावित करता है ?
उत्तर:
संसार में प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ जीवन व्यतीत करना चाहता है और स्वस्थ जीवन के लिए भोजन ही मुख्य आधार होता है। हमें भोजन की आवश्यकता न केवल ऊर्जा की पूर्ति के लिए बल्कि शरीर की वृद्धि एवं उसकी क्षतिपूर्ति के लिए भी होती है। यदि व्यक्ति सन्तुलित भोजन नहीं लेता है तो उसको अनेक प्रकार के रोग हो सकते हैं। जैसे – विटामिन ए की कमी से रतौन्धी, विटामिन डी की कमी से रिकेट्स तथा विटामिन सी की कमी से स्कर्वी रोग हो सकते हैं। अतः स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए सन्तुलित भोजन आवश्यक है।
प्रश्न 2.
स्वास्थ्यप्रद आदतों के विकास के लिए स्वास्थ्य शिक्षा किस प्रकार उपयोगी है ?
उत्तर:
बचपन में बालक जैसी आदतों को अपनाता है वो आदतें बालक के जीवन पर्यन्त चलती हैं। अतः बालकों को स्वास्थ्यप्रद आदतों को अपनाने की कोशिश करनी चाहिए।उदाहरण के लिए साफ-सफाई का ध्यान, सुबह जल्दी उठना, रात को जल्दी सोना, खाने-पीने तथा शौच का समय निश्चित होना ऐसी स्वास्थ्यप्रद आदतों को अपनाने से व्यक्ति स्वस्थ तथा दीर्घायु रह सकता है। यह स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा ही सम्भव है।
RBSE Class 10 Physical Education Chapter 5 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
स्वास्थ्य शिक्षा की परिभाषाओं को लिखिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित है।
डॉ. थॉमस वुड के शब्दों में – स्वास्थ्य शिक्षा उन अनुभवों का जोड़ है जो व्यक्ति, समुदाय एवं सामाजिक स्वास्थ्य के साथ सम्बन्धित आदतों, प्रवृत्तियों एवं ज्ञान को सही रूप में प्रभावित करता है।
जे.एफ. विलियम्स के अनुसार – स्वास्थ्य जीवन का वह गुण है जो व्यक्ति को अधिक समय तक जीवित रहने तथा सर्वोत्तम प्रकार से सेवा करने योग्य बनाता है।
ग्राउंट के अनुसार स्वास्थ्य शिक्षा का भाव यह है कि स्वास्थ्य के बारे में जो कुछ भी ज्ञान है उसको शिक्षा की विधि द्वारा उचित, व्यक्तिगत एवं सामुदायिक व्यवहार में बदलना है।”
स्वामी विवेकानन्द ने कहा है कि “एक कमजोर आदमी जिसका शरीर या मन कमजोर है वह कभी भी मजबूत काया को मालिक नहीं बन सकता है।”
सोफी के अनुसार स्वास्थ्य शिक्षा लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े हुये व्यवहार से सम्बन्धित है।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा – केवल बीमारी या कमजोरी का होना ही पूर्ण स्वास्थ्य नहीं है अपितु पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति ही उत्तम स्वास्थ्य वास्तव में स्वास्थ्य शिक्षा में वे सब क्रियाएँ सम्मिलित। होती हैं जिनसे व्यक्ति में स्वास्थ्य के प्रति सजगता बढ़ती है। जिसके फलस्वरूप बालक का स्वास्थ्य तन्दुरुस्त रहता है।
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