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RBSE Class 10 Sanskrit रचनात्मक कार्यम् संकेताधारितसंवाद-लेखनम्

May 9, 2019 by Fazal Leave a Comment

RBSE Class 10 Sanskrit रचनात्मक कार्यम् संकेताधारितसंवाद-लेखनम् is part of RBSE Solutions for Class 10 Sanskrit. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 10 Sanskrit रचनात्मक कार्यम् संकेताधारितसंवाद-लेखनम्.

Rajasthan Board RBSE Class 10 Sanskrit रचनात्मक कार्यम् संकेताधारितसंवाद-लेखनम्

निर्देश – कक्षा 10 के पाठ्यक्रम में संस्कृत में संवाद/वार्तालाप निर्धारित हैं । प्रश्न-पत्र में वार्तालाप सम्बन्धी एक प्रश्न पूछा जायेगा । वार्तालाप पूर्ण रूप से विद्यार्थी के मानसिक स्तर पर निर्भर होगा । इस प्रश्न का उद्देश्य विद्यार्थियों को संस्कृत में सम्भाषण क्षमता को प्रेरित करना एवं मूल्यांकन करना है । ताकि विद्यार्थी संस्कृत के माध्यम से वार्तालाप करने में सक्षम | हो सकें और अपने भावों को संस्कृत में व्यक्त कर सकें । वार्तालाप का प्रश्न पूर्णरूपेण संस्कृत में ही पूछा जाएगा तथा उत्तर ” भी संस्कृत में ही अपेक्षित है अर्थात् वार्तालाप को संस्कृत में ही लिखना है । यहाँ उत्तर में वाक्यों का हिन्दी अर्थ दिया गया है । वह केवल समझने के लिए है, उत्तर-पुस्तिका में नहीं लिखना है ।

संवाद अथवा वार्तालाप दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य होता है । इसकी दो प्रमुख शैलियाँ हैं – (i) प्रश्नात्मक संवाद (ii) आदेशात्मक संवाद । संवाद में उत्तर सदैव ही प्रश्नानुसार होने चाहिए। जिस शैली और वाच्य में प्रश्न पूछा गया हो, उसी शैली और वाच्य में उत्तर दिया जाना चाहिए । संवाद में निपुणता प्राप्त करने के लिए प्रश्नोत्तर निर्माण का अच्छा अभ्यास होना चाहिए । साथ ही परस्पर सम्भाषण का अभ्यास भी करना चाहिए । इस प्रश्न को अच्छी तरह हल करने के लिए विद्यार्थियों को निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिए

  1. पूरे संवाद को ध्यान से पढ़ना चाहिए ।
  2. प्रथम प्रश्न का उत्तर लिखने से पहले दूसरे प्रश्न को अवश्य पढ़ लेना चाहिए, क्योंकि संवाद में प्रश्नों के उत्तर प्रायः । अगले प्रश्न के अन्दर ही मिल जाते हैं ।
  3. उत्तर देते समय वाक्य को लम्बा नहीं रखना चाहिए ।
  4. उत्तर प्रश्न के अनुसार ही होना चाहिए अर्थात् अपेक्षित उत्तर ही होना चाहिए ।
  5. संवाद-लेखन में लिंग-वचन का ध्यान रखना अत्यन्त आवश्यक है।
  6. यदि संवाद बड़े और छोटे व्यक्ति के मध्य हों तो छोटे व्यक्ति का संवाद आज्ञात्मक नहीं होना चाहिए ।
  7. वार्तालाप के काल का ध्यान भी रखना आवश्यक है ।
  8. मजूषा में दिए गये शब्दों के चयन के समय कर्ता-क्रिया, संज्ञा-सर्वनाम तथा विशेषण-विशेष्य आदि के समुचित समन्वय को भी ध्यान में अवश्य रखना चाहिए ।
  9. मंजूषा के शब्दों को ध्यानपूर्वक पढ़कर ही प्रयोग करना चाहिए ।
  10. आदेशात्मक-संवाद में उत्तर प्रायः वर्तमान काल या भूतकाल में होते हैं, अत: तदनुसार ही उत्तर देना चाहिए ।

पाठ्यपुस्तक में प्रदत्त संवाद

(1) मञ्जूषात: उपयुक्तपदानि गृहीत्वा अध्ययनविषये पितापुत्रयोः संवादं पूरयतु
मञ्जूषा- अध्यापकः, विषये, गणिते, व्यवस्था, स्थानान्तरणम्, अध्ययनं, समीचीनं, काठिन्यम्।

पिता    –   रमेश ! तव …………….कथं प्रचलति ?
रमेशः  –   हे पितः! अध्ययनं तु…………….प्रचलति ।।
पिता    –   कोऽपि विषयः एतादृशः अस्ति यस्मिन् त्वं …………….अनुभवसि ?
रमेशः  –   आम्! …………..मम स्थितिः सम्यक् नास्ति । यतोहि अस्माकं विद्यालये इदानीं गणितस्य …….. नास्ति।
पिता    –   त्वं पूर्वं तु माम् अस्मिन्…………….न उक्तवान् !
रमेशः  –   पूर्वं तु अध्यापक-महोदयः आसीत् परं एकमासात् पूर्वमेव तस्य……………अन्यत्र अभवत् ।
पिता    –   अस्तु । अहं तव कृते गृहे एव गणिताध्यापकस्य …………….करिष्यामि।
रमेशः  –   धन्यवादाः।

उदाहरणार्थ-समाधानमः –
पिता   –  रमेश! तव अध्ययनं कथं प्रचलति ? (रमेश ! तेरा अध्ययन (पढ़ाई) कैसा चल रहा है ?)
रमेशः – हे पितः। अध्ययनं तु समीचीनं प्रचलति। (पिताजी ! अध्ययन तो ठीक चल रहा है ।)
पिता   –  कोऽपि विषयः एतादृशः अस्ति यस्मिन् त्वं काठिन्यम् अनुभवसि ?
(कोई भी विषय ऐसा है, जिसमें तुम्हें कठिनाई अनुभव हो रही हो?)
रमेशः  –  आम्! गणिते मम स्थितिः सम्यक् नास्ति। यतोहि अस्माकं विद्यालये इदानीं गणितस्य अध्यापकः नास्ति।
(हाँ! गणित में मेरी स्थिति ठीक नहीं है। क्योंकि हमारे विद्यालय में इस समय गणित का अध्यापक नहीं है।)
पिता  –  त्वं पूर्वं तु माम् अस्मिन विषये न उक्तवान् !
(तुमने पहले तो मुझसे इस विषय के बारे में नहीं कही ।)
रमेशः  –  पूर्वं तु अध्यापक-महोदयः आसीत् परं एकमासात् पूर्वमेव तस्य स्थानान्तरणम् अन्यत्र अभवत् ।
(पहले तो अध्यापक महोदय थे, लेकिन एक महीने पूर्व ही उनका स्थानान्तरण दूसरी जगह हो गया ।)
पिता  –  अस्तु । अहं तव कृते गृहे एव गणिताध्यापकस्य व्यवस्था करिष्यामि।।
(हो! मैं तुम्हारे लिए घर पर ही गणित अध्यापक की व्यवस्था करूंगा।)
रमेशः  –  धन्यवादाः। ( धन्यवाद ।)

(2) मञ्जूषायां प्रदत्तपदैः ‘जयपुरभ्रमणम्’ इति विषये मित्रयोः परस्परं वार्तालापं पूरयतु।

मजूषा- मित्रैः, जयपुरं, कार्यक्रमः, दर्शनीयम्, यात्रानुभवविषये, द्रक्ष्यामः

विनोदः – अंकित ! श्वः भवान् कुत्र गमिष्यति ?
अंकितः – अहं ……………..गमिष्यामि ।
विनोदः – तत्र किमपि कार्यं वर्तते ? अथवा …………… एव गच्छति ?
अंकितः – कार्यं नास्ति, अहं तु …………….. सह भ्रमणार्थं गच्छामि।
विनोदः – जयपुरे कुत्र-कुत्र भ्रमणस्य …………….. अस्ति?
अंकितः – वयं तत्र आमेर-दुर्गं, जयगढ़दुर्ग, गोविन्ददेव-मन्दिरं च ….. ।
विनोदः – तत्र नाहरगढ़-दुर्गमपि पश्यतु । तदपि ……………. अस्ति ।
अंकितः – यदि समयः.अवशिष्टः भविष्यति तर्हि निश्चयेन तत्र गमिष्यामः ।
विनोदः – बाढ़ मित्र ! नमस्ते! इदानीम् अहं गच्छामि। सोमवासरे आवां पुन: मिलिष्याव:। तदा ……… वार्तालापं करिष्यावः।

उत्तरम् –

विनोदः – अंकित ! श्वः भवान् कुत्र गमिष्यति? (अंकित कल आप कहाँ जाओगे?)
अंकितः – अहं जयपुरं गमिष्यामि। (मैं जयपुर जाऊँगा।)
विनोदः – तत्र किमपि कार्यं वर्तते ? अथवा भ्रमणार्थम् एव गच्छति ?
(वहाँ कोई भी कार्य है अथवा घूमने के लिए ही जाना है।)
अंकितः – कार्यं नास्ति, अहं तु मित्रैः सह भ्रमणार्थं गच्छामि।
(कार्य नहीं है, मैं तो मित्रों के साथ घूमने के लिए जाता हूँ ।)
विनोदः – जयपुरे कुत्र-कुत्र भ्रमणस्य कार्यक्रमः अस्ति?
(जयपुर में कहाँ-कहाँ घूमने का कार्यक्रम है?)
अंकित: – वयं तत्र आमेर-दुर्गं, जयगढ़दुर्ग, गोविन्ददेव-मन्दिरं च दक्ष्यामः ।
(हम सब वहाँ आमेर किला, जयगढ़ किला और गोविन्द मन्दिर देखेंगे।)
विनोदः – तत्र नाहरगढ़-दुर्गमपि पश्यतु । तदपि दर्शनीयम् अस्ति।
(वहाँ नाहरगढ़ किला भी देखो, वह भी देखने योग्य है।)
अंकितः – यदि समय: अवशिष्टः भविष्यति तर्हि निश्चयेन तत्र गमिष्यामः।
(यदि समय शेष रहेगा तो निश्चित रूप से वहाँ जायेंगे।)

विनोदः – बाढ़ मित्र ! नमस्ते! इदानीम् अहं गच्छामि। सोमवासरे आवां पुन: मिलिष्यावः। तदा यात्रानुभवविषये वार्तालापं करिष्याव:। (ठीक ! मित्र नमस्ते। इस समय मैं जाता हूँ । सोमवार को हम दोनों फिर मिलेंगे। तब यात्रा विषय के बारे में बातचीत करेंगे।)

(3) मञ्जूषायाः उपयुक्तपदानि गृहीत्वा गुरुशिष्ययोः मध्ये क्रीडायाः विषये संवादं पूरयत।

मजूषाः अध्ययनम्, क्रीडने बहुलाभम्, आवश्यकता, अधुना, करोषि, क्रीडाङ्गणे, क्रीडायै

अध्यापकः  –    प्रवीण ! त्वम् अत्र किं ………….. ?
प्रवीणः       –   हे गुरो ! अहम् ………….. किमपि न करोमि।
अध्यापकः  –   तर्हि गच्छ। तव मित्राणि तत्र ………….. क्रीडन्तिं, तैः सह क्रीड।
प्रवीणः       –   मम………….. रुचिः नास्ति । अतः अहं न क्रीडामि ।
अध्यापकः  –   स्वस्थशरीरस्य स्वस्थमनसः च कृते क्रीडायाः अस्माकं जीवने महती…………..भवति ।
प्रवीणः       –   यदि अहं क्रीडायां ध्यानं दास्यामि तर्हि मम ………….. बाधितं भविष्यति।
अध्यापकः  –   एतद् समीचीनं नास्ति। क्रीडायै स्वल्पसमयम् एव प्रयच्छ। अल्पसमयः अपि शरीराय………….. प्रदास्यति ।
प्रवीणः      –   बाढ़म् श्रीमन् ! इतः आरभ्य अहं कञ्चित् समयं …………. अपि दास्यामि।
उत्तरम्:
अध्यापकः  –  प्रवीण! त्वम् अत्र किं करोषि ? (प्रवीण! तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?)
प्रवीणः       –  हे गुरो ! अहम् अधुना किमपि न करोमि। (हे गुरु ! मैं अब कुछ भी नहीं कर रहा हूँ।)
अध्यापकः  –  तर्हि गच्छ। तव मित्राणि तत्र क्रीडाङ्गणे क्रीडन्ति, तैः सह क्रीड।
(तो जाओ! तुम्हारे मित्र वहाँ खेल के मैदान में खेल रहे हैं। उनके साथ खेलो।)
प्रवीणः       –  मम क्रीडते रुचिः नास्ति। अतः अहं न क्रीडामि।
(मेरी खेलने में रुचि नहीं है। इसलिए मैं नहीं खेलता हूँ।)
अध्यापकः  –  स्वस्थशरीरस्य स्वस्थमनसः च कृते क्रीडायाः अस्माकं जीवनं महती आवश्यकता भवति ।
(स्वस्थ शरीर का स्वस्थ मन और खेल को हमारे जीवन के लिए बहुत महत्व है।)
प्रवीणः       –  यदि अहं क्रीडायां ध्यानं दास्यामि तर्हि मम अध्ययनं बाधितं भविष्यति ।
(यदि मैं खेल में ध्यान देंगा, तो मेरी पढ़ाई (अध्ययन) में बाधा होगी।)
अध्यापकः  –  एतद् समीचीनं नास्ति। क्रीडायै स्वल्पसमयम् एव प्रयच्छ। अल्पसमयः अपि शरीरस्य बहुलाभम् प्रदास्यति ।
(यह ठीक नहीं है। खेलने के लिए थोड़ा समय ही दो। थोड़ा समय भी शरीर को बहुत लाभ देगा।)
प्रवीणः       –  बाढ़म् श्रीमान् ! इतः आरभ्य अहं कञ्चित् समयं क्रीडायै अपि दास्यामि।
(श्रीमान् जी ठीक है! अब प्रारम्भ करके मैं कुछ समय खेलने के लिए भी दूंगा।)

(4) मञ्जूषायां प्रदत्तशब्दानां सहायतया मातापुत्रयोः मध्ये वार्तालापं पूरयतु।
मञ्जूषाः- वस्तूनि, आपणं, सायंकाले, विद्यालयस्य, मातुल:, भोजनं, त्वं

माता – राघव! ……………किं करोषि ?
राघवः – अहं मम …………… गृहकार्यं करोमि।
माता – पुत्र! गृहकार्यानन्तरम् …………… गत्वा तत: दुग्धं शाकफलानि च आनय।
राघवः – अहं …………… पुस्तकं क्रेतुम् आपणं गमिष्यामि तदा दुग्धं शाकफलानि च आनेष्यामि।
माता – सायंकाले न, त्वं तु पूर्वमेव गत्वा आनय। राघवः – शीघ्रं किमर्थम् ?
माता – अद्य तव …………… आगमिष्यति, अतः …………….. समयात् पूर्वमेव पक्ष्यामि ।
राघवः – मातुलः आगमिष्यति चेत् अहम् इदानीम् एव गत्वा …………… क्रीत्वा आगच्छामि।
उत्तरम्:
माता – राघव! त्वं किं करोषि? (राघव! तुम क्या कर रहे हो ?)
राघवः – अहं मम विद्यालयस्य गृहकार्यं करोमि। (मैं अपने विद्यालय का गृहकार्य कर रहा हूँ।)
माता – पुत्र! गृहकार्यानन्तरम् आपणं गत्वा ततः दुग्धं शाकफलानि च आनय।
(पुत्र! गृहकार्य के बाद बाजार जाकर वहाँ से दूध, सब्जी और फल ले आओ।)
राघवः – अहं सायंकाले पुस्तकं क्रेतुम् आपणं गमिष्यामि तदा दुग्धं शाकफलानि च आनेष्यामि।
(मैं सायं के समय पुस्तक खरीदने बाजार जाऊँगा, तब दूध, सब्जी और फल ले आऊँगा।)
माता – सायंकाले न, त्वं तु पूर्वमेव गत्वा आनय। (सायं के समय नहीं, तुम तो पहले ही जाकर लाओ।)
राघवः – शीघ्रं किमर्थम्? (जल्दी किसलिए?) ।
माता – अद्य तव मातुलः आगमिष्यति, अतः भोजनं समयात् पूर्वमेव पक्ष्यामि।
(आज तुम्हारे मामा आयेंगे, इसलिए खाना समय से पहले पकाऊँगी।)
राघवः – मातुल: आगमिष्यति चेत् अहम् इदानीम् एव गत्वा वस्तूनि क्रीत्वा आगच्छामि।
(मामाजी आयेंगे ठीक, मैं इस समय ही जाकरे वस्तुएँ खरीदकर आता हूँ ।)

अन्य महत्वपूर्ण संवाद

(1) मञ्जूषातः उचितानि पदानि चित्वा अधोलिखितं संवादं पूरयत ।
(मंजूषा से उचित पद चुनकर अधोलिखित संवाद पूरा कीजिए ।)

मजूषा- गातुम्, इच्छन्ति, वयं, महोदये, परन्तु, यदि, शोभनम्, आवश्यकता ।

अध्यापिका – बालाः ! किं भवन्तः किञ्चित् प्रष्टुम् (i) ……………… ?
बोलाः        – महोदये ! (ii) ………… तु गातुम् इच्छामः ।
अध्यापिका – गातुम् इच्छन्ति ! (iii) …………. अहं तु (iv) …………. न समर्था ।
बालाः        – (v) ………… ! वयं गास्यामः समूहगानम् । (vi) ………… भवती अपि ।
अध्यापिका – (vii) …………. ! अहम् अपि गास्यामि । गीतं किम् अस्ति ? किं वाद्ययन्त्राणाम् अपि (viii) ……….. अस्ति ।
बालाः        – वाद्ययन्त्राणि यदि सन्ति, शोभनम् । अन्यथा एतानि विना एव गास्याम: । गीतं तु ‘पोङ्गल’ इति उत्सवेन सम्बद्धम् अस्ति ।
अध्यापिका – एवं ! तदा गायामः ।
बालाः        – (सस्वरं गायन्ति)
उत्तरम्:
अध्यापिका – बालाः ! किं भवन्तः किञ्चित् प्रष्टुम् इच्छन्ति ? (बच्चो ! क्या आप कुछ पूछना चाहती हैं ?)
बालाः        – महोदये ! वयं तु गातुम् इच्छामः । (महोदया ! हम तो गाना चाहती हैं ।)
अध्यापिका – गातुम् इच्छन्ति ! परन्तु अहं तु गातुम् न समर्था ।
(गाना चाहती हैं ! लेकिन मैं तो गाने में समर्थ नहीं हूँ ।)
बालाः        – महोदये ! वयं गास्यामः समूहगीनम् । यदि भवती अपि ।
(महोदया ! हम गायेंगे समूहगान । यदि आप भी ।)
अध्यापिका – शोभनम् ! अहम् अपि गास्यामि । गीतं किम् अस्ति ? किं वाद्ययन्त्राणाम् अपि आवश्यकता अस्ति ?
(अच्छा ! मैं भी गाऊँगी । गीत क्या है ? क्या वाद्य यन्त्रों की भी आवश्यकता है ?)
बालाः        – वाद्ययन्त्राणि यदि सन्ति, शोभनम् । अन्यथा एतानि विना एव गास्यामः । गीतं तु ‘पोङ्गलः’ इति उत्सवेन सम्बद्धम् अस्ति । (वाद्ययन्त्र (बाजे) यदि हैं तो अच्छा है । अन्यथा इनके बिना ही गायेंगे (सही) । गीत तो ‘पोंगल’ उत्सव से सम्बद्ध है ।)
अध्यापिका – एवम् ! तदा गायामः । (यह बात है ! तो गाते हैं ।)
बालाः        – (सस्वरं गायन्ति) (सस्वर गाते हैं ।)

(2) मञ्जूषातः उचितानि पदानि चित्वा अधोलिखितं संवादं पूरयत ।
(मंजूषा से उचित पद चुनकर निम्नलिखित संवाद पूरा करो ।)
मञ्जूषा – अवश्यमेव, आचारः, पाठशालाम्, एका, पञ्चदश, स्नेहशीलः, तव, अध्येतुम्, पाठशालायाम्, गच्छसि ।

कृष्णः – त्वं कुत्र (i) …………… ?
राधा  – अहम् (ii) …………… गच्छामि ।
कृष्णः – (iii) …………. पाठशालायां कति शिक्षकाः ?
राधा  – मम पाठशालायाम् (iv) …………… शिक्षकाः ।
कृष्णः – तव (v) …………… शिक्षिका न अस्ति ?
राधा  – (vi) ……………. शिक्षिका अस्ति ।
कृष्णः – शिक्षकाणां (vii) ……………… कीदृशः अस्ति ?
राधा  – (viii) ……………. ।
उत्तरम्:
कृष्णः – त्वं कुत्र गच्छसि ? (तुम कहाँ जा रही हो ?)
राधा  – अहं पाठशाला गच्छामि । (मैं पाठशाली जा रही हूँ ।)
कृष्णः – तव पाठशालायां कति शिक्षका: ? (तुम्हारी पाठशाला में कितने शिक्षक हैं ?)
राधा  – मम पाठशालायां पञ्चदश शिक्षकाः । (मेरी पाठशाला में पन्द्रह शिक्षक हैं ।)
कृष्णः – तव पाठशालायां शिक्षिका न अस्ति ? (तुम्हारी पाठशाला में शिक्षिका नहीं है ?)
राधा  – एका शिक्षिका अस्ति । (एक शिक्षिका है ।)
कृष्णः – शिक्षकाणां आचारः कीदृशः अस्ति ? (शिक्षकों का व्यवहार कैसा है ?)
राधा  – स्नेहशीलः । (प्रेमपूर्ण:)

(3) मञ्जूषातः उचितानि पदानि चित्वा अधोलिखितं सख्योः संवादं पूरयत ।
(मंजूषा से उचित शब्द चुनकर निम्न दो सखियों के संवाद को पूरा कीजिए ।)
मञ्जूषा – वार्ती, भोजनं, चिकित्सकः, ईच्छामि, सेवार्थं, गृहे, चिकित्सालये, व्याकुला, श्रोष्यति, तत्र ।

रमा – प्रिय सखि लते ! किमर्थं (i) ………….. असि ?
लता – मम पिता अतीव रुग्णः । राजकीय (ii) ……………. प्रवेशितः ।
रमा – एवम् ! ? किं तव माता (iii) ……………. नास्ति?
लता – मम माता अपि (iv) ……………. चिकित्सालयं गता ।
रमा – तर्हि त्वं मया सह चल । मम गृहे (v) ……………. कुरु ।
लता – भोजनं न (vi) …………….।
रमा – शृणु मम पिता अपि तस्मिन्नेव चिकित्सालये (vii) ……………. अस्ति ।
लता – अहं चिकित्सालये तेन सह (viii) ……………. करिष्यामि ।।

उत्तरम्र:
रमा – प्रिय सखि लते ! किमर्थं व्याकुला असि ? (प्यारी सखी लता, किसलिए व्याकुल है ?)
लता – मम पिता अतीव रुग्णः । राजकीय चिकित्सालये प्रवेशितः ।
(मेरे प्रिताजी बहुत बीमार हैं । सरकारी अस्पताल में भर्ती कराए हैं ।)
रमा – एवम् ! किं तव माता गृहे नास्ति ? (क्या तुम्हारी माँ घर पर नहीं है ?)
लता – मम माता अपि सेवार्थं चिकित्सालयं गता । (मेरी माताजी भी सेवा के लिए अस्पताल गईं ।)
रमा – तर्हि त्वं मया सह चल । मम गृहे भोजनं कुरु । (तो तुम मेरे साथ चलो । मेरे घर पर भोजन करो ।)
लता – भोजनं न इच्छामि । ( भोजन की इच्छा नहीं है ।)
रमा – शृणु मम पिता अपि तस्मिन्नेव चिकित्सालये चिकित्सकः अस्ति ।
(सुन, मेरे पिताजी भी उसी अस्पताल में डॉक्टर हैं ।)
लता – अहं चिकित्सालये तेन सह वार्ता करिष्यामि । (मैं अस्पताल में उनसे बात करूंगी ।)

(4) मञ्जूषातः उचितानि पदानि चित्वा अधोलिखितं ‘नागरिकनाविकयोः संवादं पूरयत ।
(मंजूषा से उचित शब्द चुनकर निम्नलिखित ‘नागरिक-नाविक संवाद’ की पूर्ति कीजिए ।)
मञ्जूषा – तारकानि, नौका, नक्षत्र-विद्याम्, त्रिचतुर्थांशः, चतुर्थांशः, गणना, जीवनस्य, उदरं, सम्पूर्णमेव, तरणम् ।

नागरिकः – भो: नाविक ! (i) …………… जानासि ?
नाविकः – नहि नहि अहं तु प्रतिदिनं (ii) ……………. दृष्ट्वा नमामि ।
नागरिकः – (हसन्) भो मूर्ख ! तव जीवनस्य (iii) …………. नष्ट: । गणितं पठितवान् किम् ?
नाविकः – (iv) ………….. जानामि न तु गणितम् ।
नागरिकः – अरे तव (v) ……………. अर्धं व्यर्थ: गतः । वृक्षविज्ञानं जानासि ?
नाविकः – न जानामि । कथमपि (vi) ……………. चालयामि (vii) ……………. च पालयामि ।
नागरिकः – हा हन्त ! तव जीवनस्य (viii) …………… व्यर्थः गतः ।
नाविकः – श्रीमान् वायु प्रकोपः उत्पन्नः । अहं तु कुर्दित्वा तरामि । किं त्वं तरणं जानासि ?
उत्तरम्:
नागरिकः – भो नाविक! नक्षत्रविद्यां जानासि ? (अरे नाविक ! क्या तुम नक्षत्र विद्या को जानते हो ?)
नाविकः – नहि नहि अहं तु प्रतिदिनं तारकानि दृष्ट्वा नमामि ।।
(नहीं नहीं मैं तो नित्ये तारों को देखकर नमस्कार करता हूँ ।)
नागरिकः – (हसन्) भो मूर्ख ! तव जीवनस्य चतुर्थांशः नष्टः । गणितं पठितवान् किम् ? [(हँसकर) अरे मूर्ख तेरे जीवन का चौथाई भाग नष्ट हो गया। क्या गणित पढ़ा है?]
नाविकः – गणनां जानामि न तु गणितम् । (गिनती तो जानता हूँ गणित नहीं।)
नागरिकः – अरे तव जीवनस्य अर्धः व्यर्थः गतः। वृक्षविज्ञानं जानासि ? (अरे तेरे जीवन का आधा बेकार गया। वृक्ष विज्ञान जानते हो?)
नाविकः – न जानामि । कथमपि नौकां चालयामि उदरं च पालयामि ।
(नहीं जानता ! जैसे तैसे नौका चलाता हूँ और पेट पालता हूँ ।)
नागरिकः – हा हन्त ! तव जीवनस्य त्रिचतुर्थांशः व्यर्थः गतः ।।
(अरे खेद है ! तेरे जीवन का तीन-चौथाई भाग व्यर्थ गया ।)
नाविकः – श्रीमान्, वायु प्रकोपः उत्पन्नः । अहं तु कूर्दयित्वा तरामि । किं त्वं तरणं जानासि ?
(श्रीमान् तूफान आ गया है । मैं तो कूद कर तैर जाता हूँ । क्या तुम तैरना जानते हो ?)

(5) निम्नलिखितं संवादं मञ्जूषाप्रदत्तपदसहायतया पूरयित्वा पुनः लिखत ।
(निम्नलिखित संवाद को मंजूषा में दिए शब्दों की सहायता से पूरा करके पुनः लिखिए ।)

मञ्जूषाः अस्माभिः, नावगच्छामि, हीरकं, तेन, उपहारः प्रत्यागताः कर्त्तव्यं, कर्तव्यबोधः, मूल्यवान्, तदर्थम् ।

गौरवः – निधे ! मम पितृमहोदया: ह्यः विदेशात् (i) ……………।
निधिः – शोभनम् ! ततः (ii) ……………. किम् आनीतम् ?
गौरवः – एक: अतीव मूल्यवान् (iii) …………. ।
निधिः – किमपि स्वर्ण (iv) ……………. वा ?
गौरवः – नहि ततोऽपि अधिक मूल्यवान् (v) …………….।
निधिः – कर्त्तव्यबोधः इति ? किम् (vi) ……………. ।
गौरवः – एष बोधः यत् (vii) ……………. देशनिन्दां त्यक्त्वा तदर्थं (viii) ……………. पालनीयम् ।
निधिः – सत्यम् । वयं भारतीयाः केवलं निन्दामः ।।
उत्तरम्:
गौरवः – निधे ! मम पितृमहोदया: ह्यः विदेशात् प्रत्यागताः। (निधि, मेरे पिताजी कल विदेश से लौट आये ।)
निधिः – शोभनम् ! ततः तेन किम् आनीतम् ? (अच्छा, वहाँ से वे क्या लाये ?)
गौरवः – एकः अतीव मूल्यवान् उपहारः । (एक बेशकीमती उपहार ।)
निधिः – किमपि स्वर्णं हीरकं वा ? (क्या कोई सोना या हीरा ?)
गौरवः – नहि, ततोऽपि अधिक मूल्यवान् कर्त्तव्यबोधः । (नहीं, उससे भी अधिक कीमती ‘कर्तव्यबोध’ ।
निधिः – कर्त्तव्यबोधः इति किम् ? नावगच्छामि । (कर्तव्यबोध क्या है ? नहीं जानता ।)
गौरवः – एष बोधः यत् अस्माभिः देशनिन्दां त्यक्त्वा तदर्थं कर्त्तव्यं पालनीयम् ।
(यह बोध कि हमें देश की निन्दा त्यागकर उसके लिए कर्त्तव्य-पालन करना चाहिए ।)
निधिः – सत्यम्, वयं भारतीयाः केवलं निन्दामः । (सच, हम भारतीय केवल निन्दा करते हैं ।)

(6) मञ्जूषातः चितानि पदानि चित्वा अधोलिखितं ‘मातापुत्रयोः संवाद’ पूरयत ।
(मंजूषा से उचित शब्द चुनकर निम्नलिखित ‘माता और पुत्र के संवाद’ की पूर्ति कीजिए ।)

मञ्जूषा – धनं, शर्करा, विना, पीतवान्, अम्ब, द्विदलं चे, करोषि, दुग्धं, प्रक्षालयामि, आनयामि ।

माता   – कनक ! किं (i) …………. त्वम् ?
कनक – पाठं पठामि (ii) …………….।
माता   – दुग्धं पीतवान् ?
कनक – (iii) ……………. नैव पीतम् ।
माता   – तर्हि दुग्धं (iv) …………… आपणं गच्छसि किम् ?
कनक – अम्ब ! किम् (v) ……………. ततः ?
माता   – आपणं गत्वा लवणं (vi) ……………. तण्डुलान् गुडे (vii) ……………. आनय ।
कनक – तर्हि शीघ्रं (viii) ……………. स्यूतं च ददातु अम्बे !
उत्तरम्:
माता   – कनक! किं करोषि त्वम् ? (कनक! तुम क्या कर रहे हो ?)
कनक – पाठं पंठामि अम्ब ! (माँ! पाठ पढ़ रहा हूँ ।)
माता   – दुग्धं पीतवान् ? (दूध पिया?)
कनक – दुग्धं नैव पीतम् । (दूध नहीं पिया ।)
माता   – तर्हि दुग्धं पीत्वा आपणं गच्छसि किम् ? (तो दूध पीकर बाजार जा रहे हो क्या ?)
कनक – अम्ब ! किम् आनयामि तत:? (माँ! वहाँ से क्या लाऊँ ?)
माता   – आपणं गत्वा लवणं, शर्करा, तण्डुलान्, गुडे, द्विदलं च आनय ।
(बाजार जाकर नमक, चीनी, चावल, गुड़ और दाल ले आओ ।)
कनक – तर्हि शीघ्रं धनं स्यूतं च ददातु, अम्ब ! (तो जल्दी ही धन और थैला दे दो माँ ।)

(7) अधोलिखितं संवादं मजूषाप्रदत्तपदसहायतया पूरयित्वा पुनः लिखत ।
(निम्नलिखित संवाद को मंजूषा में प्रदत्त पदों की सहायता से पूरा करके पुन: लिखिए ।)

मञ्जूषा – अद्य, प्रदर्शनी, भवत्याः, अनुजः, कलानिकेतने, जानामि, सौभाग्यम्, करिष्यामः, एकाकी, स्वागतम् ।

प्रभा     – शोभने ! कुत्र गच्छसि ?
शोभना – चित्र (i) …………… द्रष्टुम् (ii) ……………।
प्रभा     – (iii) ………….. कलानिकेतनस्य प्राङ्गणे चित्र प्रदर्शनी प्रदर्शिता ।
शोभना – अहं (iv) ……………. । अद्य अहमपि (v) ……………. गृहम् आगमिष्यामि ।
प्रभा     – मम (vi) ……………. । भवत्याः स्वागतम् । किम् एकाकी एव आगमिष्यसि ?
शोभना – न न ! मम माता (vii) …………… च अपि भविष्यतः ।
प्रभा     – एवम् । प्रथमं मम गृहम् आगच्छतु । ततः मिलित्वा चलिष्यामः ।
शोभना – एवमेव (viii) ……………. ।
उत्तरम्:
प्रभा     – शोभने ! कुत्र गच्छसि ? (शोभना, कहाँ जा रही हो ?)
शोभना – चित्रप्रदर्शन द्रष्टुं कलाकेन्द्रे । (चित्र प्रदर्शनी देखने कला केन्द्र में ।)
प्रभा     – अद्य कलानिकेतनस्य प्राङ्गणे चित्रप्रदर्शनी प्रदर्शिता ।
(आज कलानिकेतन के प्राङ्गण में चित्र प्रदर्शनी दिखाई गई ।)
शोभना – अहं जानामि । अद्य अहमपि भवत्याः गृहम् आगमिष्यामि ।
(मैं जानती हूँ । आज मैं भी आपके घर आऊँगी ।)
प्रभा     – मम सौभाग्यम् । भवत्याः स्वागतम् । किम् एकाकी एव आगमिष्यसि ।
(मेरा सौभाग्य । आपका स्वागत । क्या अकेली ही आओगी ?)
शोभना – न, न ! मम माता अनुजः च अपि भविष्यतः ।
(न, न ! मेरी माताजी और छोटा भाई भी (दोनों) होंगे ।)
प्रभा     – एवम् । प्रथमं मम गृहम् आगच्छतु । तत: मिलित्वा चलिष्यामः ।
(ऐसा है । पहले मेरे घर आओ । वहाँ से मिलकर चलेंगे ।)
शोभना – एवमेव करिष्यामः । (ऐसा ही करेंगे ।)

(8) मञ्जूषातः उचितानि पदानि चित्वा अधोलिखितं गौरवसौरभयोः संवादं पूरयत ।
(मंजूषा से उचित शब्दों को चुनकर निम्न गौरव और सौरभ दोनों के संवाद को पूरा कीजिए ।)
मञ्जूषा – त्वया, भविष्यति, उत्सवः, अवश्यमेव, विद्यालयम्, बालकाः, करिष्यसि, किम्, पितृजनाः, मङ्गलाचरणम् ।

गौरवः  – किं त्वं श्वः (i) ……………. गमिष्यसि ?
सौरभः – मर्म विद्यालये श्वः (ii) …………… अस्ति । अत: (iii) …………… अहं विद्यालयं गमिष्यामि ।
गौरवः  – किम् अन्येऽपि (iv) ……………. आगमिष्यन्ति ?
सौरभः – न केवलं बालकाः अपितु तेषां (v) ……………. अपि आगमिष्यन्ति ।
गौरवः  – त्वम् उत्सवे किं किं (vi) ……………. ।
सौरभः – अहं (vii) …………….. पठिष्यामि ।
गौरवः  – (viii) ………….. तत्र क्रीडाः अपि भविष्यन्ति ?
सौरभः – आम् । तत्र अनेकाः क्रीडाः भविष्यन्ति ।
उत्तरम्:
गौरवः  – किं त्वं श्व: विद्यालयं गमिष्यसि ? (क्या तुम कल स्कूल जाओगे ?)
सौरभः – मम विद्यालये श्वः उत्सवः अस्ति । अतः अवश्यमेव अहं विद्यालयं गमिष्यामि ।
(मेरे विद्यालय में कल उत्सव है । अतः अवश्य ही मैं विद्यालय को जाऊँगा ।)
गौरवः  – किम् अन्येऽपि बालकाः आगमिष्यन्ति ? (क्या अन्य बालक भी आयेंगे ?)
सौरभः – न केवलं बालकाः अपितु तेषां पितृजनाः अपि आगमिष्यन्ति ।
(न केवल बालक अपितु उनके पितृजन भी आयेंगे ।)
गौरवः  – त्वम् उत्सवे किं किं करिष्यसि ? (तुम उत्सव में क्या-क्या करोगे ?)
सौरभः – अहं मङ्गलाचरणं पठिष्यामि । (मैं मंगलाचरण पहूँगा ।)
गौरवः  – किं तत्र क्रीडाः अपि भविष्यन्ति ? (क्या वहाँ खेलकूद होंगे ?)
सौरभः – आम्, तत्र अनेकाः क्रीडाः भविष्यन्ति । (हाँ, वहाँ अनेक खेल होंगे ।)

(9) मञ्जूषातः उचितानि पदानि चित्वा अधोलिखितं ‘मातापुत्रयोः संवाद’ पूरयत ।
(मंजूषा से उचित शब्द चुनकर निम्नलिखित ‘माता और पुत्र दोनों के संवाद’ को पूरा कीजिए ।)

मञ्जूषा – नैव, दीपावली, स्वयमेव, रचयसि, तिमिराच्छन्नं, सन्ध्यासमयः, तान् अत्रानय, दीपकाः, स्वस्ति ।

पुत्रः   – मातः किं त्वमद्य पक्वान्नं मिष्ठान्नं च (i) ……………. ?
माता – पुत्र किं त्वं न जानासि यत् अद्य (ii) ……………. उत्सवः अस्ति ?
पुत्रः   – (iii) …………… तु । कथय, दीपमालिकाया: उत्सवः कीदृशः भवति ?
माता – अस्तु, त्वं (iv) ……………. ज्ञास्यसि । अधुना (V) ……………. सञ्जातः नभ: च (vi) ……………. अस्ति ।
पुत्रः   – ततः किम् ?
माता  –  गृहे (vii) ……………. सन्ति । त्वं तान् (viii) ……………. । अहं तान् प्रज्वालयामि ।
पुत्रः   – यदाज्ञापयति माता ।
माता – स्वस्ति अस्तु ते ।
उत्तरम्:
पुत्रः   – मातः किं त्वम् अद्य पक्वान्नं मिष्ठान्नं च रचयसि ?
(माताजी क्या तुम आज पकवान और मिष्ठान्न बना रही हो ?)
माता  – पुत्र किं त्वं न जानासि यत् अद्य दीपावली उत्सवः अस्ति ?
(बेटा क्या तुम नहीं जानते कि आज दीपावली उत्सव है ?)
पुत्रः  – नैव तु । कथय, दीपमालिकायाः उत्सवः कीदृशः भवति ?
(नहीं तो ! कहो, दीपावली का उत्सव कैसा होता है ?)
माता  – अस्तु, त्वं स्वयमेव ज्ञास्यसि । अधुना सन्ध्यासमयः सञ्जातः नभ: च तिमिराच्छन्नं अस्ति ।
(खैर, तुम स्वयं ही जान जाओगे । अब संध्या समय हो गया और आकाश अँधेरे से ढक गया है ।)
पुत्रः  – ततः किम् ? (तब क्या ?)
माता  – गृहे दीपका: सन्ति । त्वं तान् अत्र आनय । अहं तान् प्रज्वालयामि ।
(घर में दीपक हैं । तुम उन्हें यहाँ ले आओ । मैं उन्हें जलाती हूँ ।)
पुत्रः  – यथाज्ञापयति माता । (जो आज्ञा माँ)
माता – स्वस्ति अस्तु ते । (तेरा कल्याण हो ।)

(10) अधोलिखितं संवादं मञ्जूषाप्रदत्तपदसहायतया पूरयित्वा पुनः लिखत ।
(निम्नलिखित संवाद को मंजूषा में दिये गए शब्दों की सहायता से पूर्ण करके पुनः लिखिए ।)
[धनेश: नीरेशः च विद्यालयस्य अल्पाहारगृहे उपविष्टौ, दशवर्षीय: रामेश्वर: आगम्य चायपात्राणि स्थापयति ।]
(धनेश और नीरेश विद्यालय के अल्पाहारगृह में बैठे हुए थे । दसवर्षीय रामेश्वर आकर चाय-पात्रों को रखता है।)

मञ्जूषा  – सफलतां, अवश्यम्, इच्छामि, पटनातः, सप्ताहः, दिवङ्गता, त्यक्त्वा, करवाणि, पठितुं, दुष्टः, भवता ।

धनेशः – अरे ! कदा प्रभृति अत्र कार्यं करोषि ? पूर्वं तु न अवलोकितः ।
रामेश्वरः – (i) ……………… एव जातः ।
धनेशः   – एवं सप्ताहः अभवत् । कुतः आगतः त्वम् ?
रामेश्वरः – (ii) ……………… ।
धनेशः   – त्वं मध्ये एव पठनं (iii) ……………… कथं पटनातः इह आगतः ?
रामेश्वरः – किं (iv) ……………… ? मम अभागिनो जनकः पूर्वं (v) ……………… हतः । अधुना मम माता अपि (vi). …………… । अनाथः अहं कथं निर्वाहं कुर्याम् ?
धनेशः   – किं त्वं (vii) ……………… नेच्छसि ?
रामेश्वरः – (viii) ……………… परं विद्या नास्ति मम भाग्ये ।
उत्तरम्:
धनेशः   – अरे ! कदा प्रभृति अत्र कार्यं करोषि ? पूर्वं तु न अवलोकितः ।
(अरे ! कब से यहाँ कार्य कर रहे हो ? पहले तो नहीं देखा ।)
रामेश्वरः – सप्ताहः एव जातः । (सप्ताह ही हुआ है ।)
धनेशः   – एवं सप्ताहः अभवत् । कुतः आगतः त्वम् ?
(इस प्रकार एक सप्ताह हो गया । कहाँ से आये हो तुम ?)
रामेश्वरः – पटनात: (पटना से)।
धनेशः   – त्वं मध्ये एव पठनं त्यक्त्वा कथं पटनात: इह आगतः ?
(तुम बीच में ही पढ़ाई छोड़कर क्यों पटना से यहाँ आ गये ?)
रामेश्वरः – किं करवाणि ? मम अभागिनो जनकः पूर्वं दुष्टै: हतः । अधुना मम माता अपि दिवंगता । अनाथ: अहं कथं निर्वाहं कुर्याम् ?
(क्या करूं? मुझ अभागे के पिताजी पहले दुष्टों द्वारा मार दिये गये । अब मेरी माताजी भी दिवंगत हो गर्थी । मैं अनाथ कैसे निर्वाह करू ?)
धनेशः  – किं त्वं पठितुं नेच्छसि ? (क्या तू पढ़ना नहीं चाहता ?) ।
रामेश्वरः – अवश्यम् इच्छामि, परं विद्या नास्ति मम भाग्ये । (अवश्य चाहता हूँ, परन्तु विद्या मेरे भाग्य में नहीं है ।)

(11) मञ्जूषातः उचितानि पदानि चित्वा अधोलिखितं संवादं पूरयत ।
(मंजूषा से उचित पदों को चुनकर निम्नलिखित संवाद को पूरा करो ।)

मञ्जूषा : कृषकाः, तदा, प्रष्टुम्, आम्, भानुः, जानीमः, यदा, नृत्यन्ति, कदा, महोदये !

अध्यापिका – वसन्त ! किं त्वं किञ्चित् (i) ……………… इच्छसि ?
वसन्तः – (ii) ……………… महोदये ! अहं प्रष्टुम् इच्छामि यत् कोकिलः कदा गायति ?
अध्यापिका – कोकिल: (iii) ……………… गायति (iv) …………… वसन्तागमनं भवति । सुमेधे ! कथय तमः (v) ……………… नश्यति ?
सुमेधा – (vi) ……………… ! यदा (vii) ……………… उदयति, तमः तदा नश्यति ।
अध्यापिका – अति शोभनम् । मयूराः कदा (viii) …………?
भास्करः – अहं वदामि । यदा मेघाः गर्जन्ति तदा ।
अध्यापिका – शोभनम् ! कथयत, कृषकाः कदा नृत्यन्ति ?
सर्वेः – वयं जानीमः । यदा वृष्टिः भवति, कृषकाः नृत्यन्ति ।
उत्तरम्:
अध्यापिका – वसन्त ! किं त्वं किञ्चित् प्रष्टुम् इच्छसि ? (वसन्त ! क्या तुम कुछ पूछना चाहते हो ?)
वसन्तः – आम् महोदये ! अहं प्रष्टुम् इच्छामि यत् कोकिलाः कदा गायति ?
(हाँ महोदया ! मैं पूछना चाहता हूँ कि कोयल कब गाती है ?)
अध्यापिका – कोकिला: यदा गायति, तदा वसन्तागमनं भवति । सुमेधे ! कथय, तमः कदा नश्यति ?
(कोयल जब गाती है, तब वसन्त का आगमन होता है । सुमेधा ! कहो, अँधेरा कब नष्ट होता है ?)
सुमेधा – महोदये ! यदा भानुः उदयति, तमः तदा नश्यति ।
(महोदया ! जब सूर्य उदय होता है, तब अँधेरा नष्ट होता है ।) ।
अध्यापिका – अति शोभनम् । मयूराः कदा नृत्यन्ति ? (बहुत अच्छा । मोर कब नाचते हैं ?)
भास्करः – अहं वदामि । यदा मेघाः गर्जन्ति तदा । (मैं बताता हूँ । जब मेघ गर्जते हैं तब ।)
अध्यापिका – शोभनम् ! कथयत, कृषकाः कदा नृत्यन्ति ? (सुन्दर, कहो किसान कब नाचते हैं ?)
सर्वेः – वयं जानीमः । यदा वृष्टिः भवति, कृषकाः नृत्यन्ति ।
(हम जानते हैं । जब वर्षा होती है, किसान नाचते हैं ।)

(12) मञ्जूषातः उचितानि पदानि चित्वा अधोलिखितं संवादं पूरयते ।
(मंजूषा से उचित शब्द चुनेकर निम्नलिखित संवाद को पूरा करें ।)
मञ्जूषा – शोभनम्, अगच्छ:, छात्राणाम्, ज्ञातम्, अकरोत्, अनिवार्यः, अहम्, अस्तु, प्रार्थनाम्, पुन: परीक्षाम् ।

स्वातिः – सखि ! किं त्वं यः विद्यालयं (i) ……………… ?
शोणम् – स्वाते ! (ii) ……………… तु ह्यः भ्रातुः विवाहम् अगच्छम् ।
स्वातिः – किं न अजानाः त्वं यत् संस्कृताध्यापिका ह्य: (iii) ……………… लघुपरीक्षाम् (iv) ………. ।
शोणम् – मया (v) ……………… आसीत्, परं भ्रातुः विवाह: अपि (vi) ……………… आसीत् ।
स्वातिः – (vii) ……………. त्वं श्वः अवश्यम् अध्यापिकां क्षमा याचस्व (viii) ……………. च कुरु यत् सा पुनः परीक्षां नयतु ।
शोणम् – शोभनम् इदं मया अवश्यं कर्त्तव्यम् ।
उत्तरम्:
स्वातिः – सखि ! किं त्वं यः विद्यालयं अगच्छः ? (सखि ! क्या तुम कल विद्यालय गयी थीं ?)
शोणम् – स्वाते ! अहं तु ह्यः भ्रातुः विवाहे अगच्छम् । (स्वाति ! मैं तो कल भाई के विवाह में गयी थी ।)
स्वातिः – किं न अजानी: त्वं यत् संस्कृताध्यापिका ह्यः छात्राणाम् लघुपरीक्षाम् अकरोत् ।
(क्या तुम नहीं जानतीं कि संस्कृत अध्यापिका ने कल छात्राओं की लघु परीक्षा की ।)
शोणम् – मया ज्ञातम् आसीत्, परं भ्रातुः विवाह: अपि अनिवार्यः आसीत् ।
(मुझे ज्ञात था, परन्तु भाई का विवाह भी अनिवार्य था ।)
स्वातिः – अस्तु, त्वं श्व: अवश्यम् अध्यापिकां क्षमा याचस्व प्रार्थनां च कुरु यत् सा पुनः परीक्षां नयतु ।
(खैर, तुम कल अवश्य अध्यापिका से क्षमा माँग लो और प्रार्थना करो कि वह पुनः परीक्षा ले लें ।)
शोणम् – शोभनम्, इदं मया अवश्यं कर्त्तव्यम् । (सुन्दर, यह मुझे अवश्य करना चाहिए ।)

(13) मञ्जूषातः पदानि विचित्य अधोलिखितं संवादं पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत ।
(मंजूषा से शब्दों को चुनकर निम्नलिखित संवाद को पूरा करके उत्तर-पुस्तिका में लिखिए ।)
मञ्जूषा – बान्धवेभ्यः, दीपावली, नवीनानि, शाटिकाम्, वितरिष्यामः, लक्ष्मीपूजनम्, गत्वा, मिष्टान्नम्, क्रीत्वा, दास्यसि ।

सुखदा – सखि, किं जानासि, अद्य कः उत्सवः अस्ति ?
नम्रता – अद्य (i) …………….. अस्ति ।
सुखदा – तदा तु अद्य वयं (ii) ……………… वस्त्राणि धारयामः ।
नम्रता – मम माता अपि नवीनां (iii) ……………… धारयिष्यन्ति ।
सुखदा – अहं पित्रा सह विपणि (iv) ……………… क्रीडनकानि (v) ……………… च क्रेष्यामि ।
नम्रता – त्वं मिष्टान्नं (vi) ……………… किं करिष्यसि ?
सुखदा – वयं मिष्टान्न परिवाराय (vii) ……………य दास्यामः ।
नम्रता – किं मित्रेभ्यः किञ्चित् न (viii) ……………… ?
उत्तरम्:
सुखदा – सखि, किं जानासि, अद्य कः उत्सवः अस्ति ? (सखि ! जानती हो, आज क्या त्योहार है ?)
नम्रता – अद्य दीपावली अस्ति । (आज दीपावली है ।)
सुखदा – तदा तु अद्य वयं नवीनानि वस्त्राणि धारयामः । (तब तो आज हम नये वस्त्र पहनते हैं ।)
नम्रता – मम माता अपि नवीनां शाटिकां धारयिष्यति । (मेरी माताजी भी नयी साड़ी पहनेंगी ।)
सुखदा – अहं पित्रा सह विपणिं गत्वा क्रीडनकानि मिष्टान्नं च क्रेष्यामि ।
(मैं पिताजी के साथ बाजार जाकर खिलौने और मिठाई खरीदेंगी ।) ।
नम्रता – त्वं मिष्टान्नं क्रीत्वा किं करिष्यसि ? (तुम मिठाई खरीदकर क्या करोगी ?)
सुखदा – वयं मिष्टान्नं परिवाराय बान्धवेभ्य: च दास्यामः ।
(हम मिठाई परिवार के लिए और बान्धवों को देंगे ।)
नम्रता – किं मित्रेभ्यः किञ्चित् न दास्यसि ? (क्या मित्रों के लिए कुछ नहीं दोगी ?)

(14) अधोलिखितं संवादं मञ्जूषा प्रदत्तपदसहायतया पूरयित्वां पुनः उत्तरपुस्तिकायां लिखत ।
(निम्नलिखित संवाद को मंजूषा में दिए गए पदों की सहायता से पूरा करके पुनः उत्तर-पुस्तिका में लिखिए ।)

मञ्जूषा – प्राणरक्षा, उपायः, बृहदाकारः शुष्कं, गमिष्यामः, त्वम्, व्याकुलाः, बकः, शनैः शनैः, आपदि ।
बकः – अयि भो मण्डूकाः ! शृणुत । अस्य जलाशयस्य जलं शीघ्रमेव (i) ……………… भविष्यति ।
मण्डूकाधिपतिः – हा हन्त ! कथम् अस्माकं (ii) ……………… भविष्यति ?
बकः – इदानीं भवत: प्राणरक्षार्थम् एक एव (iii) ……………… ।
मण्डूकाधिपतिः – शीघ्रं कथय । अस्माकं प्राणा: (iv) ……………… भवन्ति ।
बकः – अत्र समीपे एव एकः (v) ………… जलाशयः । तस्य जलं कदापि न शुष्यति । तत्र गन्तव्यम् ।
मण्डूकाधिपतिः – भो मित्र ! कथं वयं तत्र (vi) ………………. ।
बकः -मित्रस्य कर्त्तव्यं (vii) ……………… मित्ररक्षा । अतः अहम् एव युष्मान् तत्र नेष्यामिः ।
मण्डूकाधिपतिः – ननु सत्यं किम् । वयं तु बहवः (viii) ……………… एक एव ।
उत्तरम्:
बकः – अयि भो मण्डूकाः ! शृणुत । अस्य जलाशयस्य जलं शीघ्रमेव शुष्कं भविष्यति ।
(अरे मेढको ! सुनो । इस तालाब का पानी शीघ्र ही सूख जाएगा ।)
मण्डूकाधिपतिः – हा हन्त ! कथम् अस्माकं प्राणरक्षा भविष्यति ? (अरे खेद है ! हमारे प्राणों की रक्षा कैसे होगी ?)
बकः – इदानीं भवत: प्राणरक्षार्थम् एक एव उपाय: । (अब आपकी प्राण-रक्षा के लिए एक ही उपाय है।)
मण्डूकाधिपतिः – शीघ्रं कथय। अस्माकं प्राणा: व्याकुलाः भवन्ति। (जल्दी कहो। हमारे प्राण व्याकुल हो रहे हैं।)
बकः – अत्र समीपे एव एकः बृहदाकारः जलाशयः । तस्य जलं कदापि न शुष्यति । तत्र गन्तव्यम् ।
(यहाँ समीप ही एक विशाल जलाशय है । उसका जल कभी नहीं सूखता । वहाँ जानी चाहिए ।)
मण्डुकाधिपतिः – भो मित्र ! कथं वयं तत्र गमिष्यामः ? (हे मित्र ? हम वहाँ कैसे जाएँगे ?)
बकः – मित्रस्य कर्तव्यम् आपदि मित्ररक्षा । अत: अहमेव युष्मान् तत्र नेष्यामि ।
(मित्र का कर्तव्य है- आपत्ति में मित्र की रक्षा । अतः मैं ही तुम्हें वहाँ ले जाऊँगा ।)
मण्डूकाधिपति – ननु सत्यं किम् ? वयं तु बहवः त्वम् एक एव ।
(अरे सच क्या ? हम तो बहुत हैं और तुम एक ही हो ।)

(15) निम्नलिखितं संवादं मजूषाप्रदत्तपदसहायतया पूरयित्वा पुनः उत्तरपुस्तिकायां लिखत ।
(निम्नलिखित संवाद को मंजूषा में दिए गए पदों की सहायता से पूरा करके पुनः उत्तर-पुस्तिका में लिखें ।)
मञ्जूषा – मूर्खाणां, कार्याणि, अनु वात्, परस्य, आत्मनः, महान्, बुद्धिमान्, शिक्षते, मूर्खः, मूर्खतमः ।

राघवः – भो रमणीक ! भवान् कथम् ईदृश: (i) ………………….. जातः ?
रमणीकः – (ii) ………………….. कृपया एव ।
राघवः – भोः कथं मूर्खाणां कृपया भवान् (iii) ………. जातः ?
रमणीकः – आम् ! अहं मूर्खः कृतानि (iv) …….. …. अपश्यं तानि अत्यजेत् ।
राघवः – एवम् । परेषाम् (v) ………………….. शिक्षा गृहीत्वा भवान् बुद्धिमान् जात: किम् ?
रमणीकः – सत्यम् ! यः परेषां अनुभवात् (vi) ………………….. सः एव बुद्धिमान् ।
राघवः – कः तावत् (vii) ………………….. ?
रमणीकः – यः (viii) ………………… अनुभवात् न शिक्षते, पुन: आमूलात् प्रयत्नं करोति ।
उत्तरम्:
राघवः – भो रमणीक ! भवान् कथम् ईदृशः महान् जातः ? (अरे रमणीक ! आप कैसे ऐसे महान् हो गये ?)
रमणीकः – मूर्खाणां कृपया एव । (मूर्खा की कृपा से ही ।)
राघवः – भोः ! कथं मूर्खाणां कृपया भवान् बुद्धिमान् जातः। (अरे ! मूर्खा की कृपा से आप कैसे बुद्धिमान् हो गये ।)
रमणीकः – आम् । अहं मूर्खः कृतानि कार्याणि अपश्यं तानि अत्यजत् ।
(हाँ ! मैंने मूर्खा द्वारा किये गये कार्यों को देखा, उन्हें त्याग दिया ।)
राघवः – एवम् । परेषाम् अनुभवात् शिक्षां गृहीत्वा भवान् बुद्धिमान् जातः किम् ?
(यह बात है/ऐसा । आप दूसरों के अनुभव से सीख ग्रहण करके बुद्धिमान् हुए हो क्या ?)
रमणीकः – सत्यम् । यः परेषाम् अनुभवात् शिक्षते सः एव बुद्धिमान् ।
(सच ! जो दूसरों के अनुभव से सीखता है वह ही बुद्धिमान् है ।)
राघवः – कः तावत् मूर्खः ? (तो मूर्ख कौन है ?)
रमणीकः – यः परस्य अनुभवात् न शिक्षते, पुनः आमूलात् प्रयत्नं करोति ।
(जो दूसरे के अनुभव से नहीं शिक्षा लेता है और आरम्भ से प्रयत्न करता है ।)

(16) निम्नलिखितं संवादं मजूषाप्रदत्तपदेसहायतया पूरयित्वा पुनः लिखत ।
(निम्नलिखित संवाद को मञ्जूषा में दिये हुए पदों की सहायता से पूर्ण करके पुनः लिखिए ।)

मञ्जूषा – कासरोगी, सत्यम्, कासति, कुक्कुराः, चौराणां, गुणाः, दधिसेवनम्, गुणः, सम्यक्, तत्कथम् ।

रुग्णः – भो वैद्य ! औषधं यच्छ, परन्तु अहं (i) ………………….. न त्यक्ष्यामि ।
वैद्यः – चिन्ता मा अस्तु । दधिसेवने बहवः (ii) ……………… ।
रुग्णः – किं (iii) ………………….. इदम् ? के च ते गुणाः ?
वैद्यः – (iv) ………………. यदि दधि सेवते, तस्य गृहं चौरा: न प्रविशन्ति ।
रुग्णः – दधिसेवनेन सह (v) … ……… कः सम्बन्धः ?
वैद्यः – दधिसेवी कासरोगी सर्वां रात्रिं (vi) ………………….. एव, जागर्ति कुत: चौरभयम्।
रुग्णः – कस्तावत् अन्यः (vii) ………. ……….. ?
वैद्यः – (viii) ………………… तं न दशन्ति ।
उत्तरम्:
रुग्ण – भो वैद्य ! औषधं यच्छ, परन्तु अहं दधिसेवनं न त्यक्ष्यामि ।
(अरे वैद्य जी ! दवाई दीजिये, परन्तु मैं दही खाना नहीं छोड़ेंगी ।)
वैद्यः – चिन्ता मा अस्तु । दधिसेवने बहवः गुणाः ।
(चिन्ता मत करो । दही सेवन करने में बहुत से गुण हैं ।)
रुग्णः – किं सत्यम् इदम् ? के च ते गुणाः ? (क्या यह सच है ? वे गुण कौन से हैं ?)
वैद्यः – कासरोगी यदि दधि सेवते, तस्य गृहं चौरा: न प्रविशन्ति ।
(खाँसी का रोगी यदि दही सेवन करता है तो उसके घर में चोर नहीं प्रवेश करते ।)
रुग्णः – दधिसेवनेन सह चौराणां कः सम्बन्धः ? ।
(दही के सेवन के साथ चोरों का क्या सम्बन्ध है ?)
वैद्यः – दधिसेवी कासरोगी सर्वां रात्रिं कासति एव, जागर्ति कुत: चौरभयम् ।
(दही-सेवन करने वाला खाँसी को रोगी सारी रात खाँसता है, जागता है, फिर चोर का डर कहाँ से ।)
रुग्णः – कस्तावत् अन्यः गुणः ? (तो और कौन-सा गुण है ?)
वैद्यः – कुक्कुराः तं न दशन्ति । (कुत्ते उसको नहीं खाते ।)

(17) मञ्जूषातः उचितानि पदानि चित्वा अधोलिखितं संवादं पूरयत ।
(मञ्जूषा से उचित पद चुनकर निम्नलिखित संवाद को पूरा कीजिए ।)
मञ्जूषा – शोभनम्, गच्छामि, ह्यः, जनकः, पीडितः, प्रतिश्यायेन, अधुना, इदानीम्, मुग्धे !, श्वः ।

ईशा – त्वं (i) ………………….. विद्यालयं कथं ने अगच्छः ?
मुग्धा – ह्यः मम (ii) …. ………………. अस्वस्थः आसीत् ।
ईशा – तव जनक: केन रोगेण (iii) ………………….. आसीत् ?
मुग्धा – सः (iv) ………………….. पीडितः आसीत् ।
ईशा – (v) ………………….. सः स्वस्थः अस्ति न वा ?
मुग्धा – (vi) …………………. स: स्वस्थः अस्ति ।
ईशा – (vii) ………………….. किं त्वं श्वः विद्यालयम् आगमिष्यसि ?
मुग्धा – अहम् (viii) ………….. अवश्यं विद्यालयम् आगमिष्यामि ।
उत्तरम्:
ईशा – त्वं ह्यः विद्यालयं कथं ने अगच्छः ? (तू कल विद्यालय क्यों नहीं गयी ?)
मुग्धा – ह्यः मम जनकः अस्वस्थः आसीत् । (कल मेरे पिताजी बीमार थे ।)
ईशा – तव जनकः केन रोगेण पीडितः आसीत् ? (तुम्हारे पिताजी किस रोग से पीडित थे ?)
मुग्धी – सः प्रतिश्यायेन पीडितः आसीत् । (वे प्रतिश्याय (सर्दी-जुकाम) से पीड़ित थे ।)
ईशा – इदानीं सः स्वस्थः अस्ति न वा ? (अब वे स्वस्थ हैं या नहीं ?)
मुग्धा – अधुना सः स्वस्थः अस्ति । (अब वे स्वस्थ हैं ।)
ईशा – मुग्धे ! किं त्वं श्व: विद्यालयम् आगमिष्यसि ? (मुग्धे ! क्या तुम कल विद्यालय आओगी ?)
मुग्धा – अहम् श्वः अवश्यं विद्यालयम् आगमिष्यामि । (कल मैं अवश्य विद्यालय आऊँगी ।)

(18) मञ्जूषातः उचितानि पदानि चित्वा द्वयोः सख्योः संवादं पूरयत ।
(मंजूषा से उचित शब्दों को चुनकर दो सखियों के वार्तालाप को पूरा कीजिए।)
मञ्जूषा – स्थानान्तरणवशात्, कक्षायाम्, तव, विद्यालयात्, वससि, आगता, अहं, नवमकक्षा ।

मेघाः – स्वागतं ते अस्यां (i) ………………….. ।
सुधाः – धन्यवादाः ।
मेघाः – प्रियसखि ! किं (ii) …………………… नाम ?
सुधाः – मम नाम सुधा अस्ति ।
मेघाः – सुधे ! कस्मात् (iii) ………………….. आगता अस्मि ?
सुधाः – अहं जयपुरनगरस्य केन्द्रीय विद्यालयात् आगता अस्मि ।
मेघाः – अहमपि (iv) ………………….. पर्यन्तं तत्रैव अपठम् । पितु (iv) ………………….. अत्र आगता ।
सुधाः – अहमपि अननैव कारणेन अत्र (vi) …………. ।
मेघाः – अधुना त्वं कुत्र (vii) ………… ।
सुधाः – अधुना (viii) …………. जवाहरनगरे वसामि।
उत्तरम्:
मेघाः – स्वागतं ते अस्यां कक्षायाम् । (तुम्हारा इस कक्षा में स्वागत है ।)
सुधाः – धन्यवादाः । ( धन्यवाद)
मेघाः – प्रिय सखि ! किं तव नाम ? (प्रिय सखी ! तुम्हारा क्या नाम है ?)
सुधाः – मम नाम सुधा अस्ति । (मेरा नाम सुधा है ।)
मेघाः – सुधे ! कस्मात् विद्यालयात् आगता अस्मि ? (सुधा ! किस विद्यालय से आई हो ?)
सुधाः – अहं जयपुरनगरस्य केन्द्रीय विद्यालयात् आगता अस्मि । (मैं जयपुर नगर के केन्द्रीय विद्यालय से आई हूँ ।)
मेघाः – अहमपि नवमकक्षा पर्यन्त तत्रैव अपठम् । पितुः स्थानान्तरणवशात् अत्र आगता ।
(मैं भी नवीं कक्षा तक वहाँ ही पढ़ी। पिताजी के स्थानान्तरण के कारण यहाँ आई ।)
सुधाः – अहमपि अनेनैव कारणेन अत्र आगता । (मैं भी इसी कारण से यहाँ आई हूँ । )
मेघाः – अधुना त्वं कुत्र वससि ? (अब तुम कहाँ रहती हो ?)
सुधाः – अधुना अहम् जवाहरनगरे वसामि। (अब मैं जवाहरनगर में रहती हूँ)

(19) मञ्जूषातः उचितानि पदानि गृहीत्वा ‘मित्र संभाषणम्’ इति विषय रिक्तस्थानानि पूरयित्वा लिखत
(मंजूषा से उचित पदों को लेकर ‘मित्र संभाषण’ इस विषय पर रिक्त स्थान को पूरा करके लिखिए ।)
मञ्जूषा – विद्यालयम्, भवतः, गोविन्दः, कुतः, आगच्छामि, अहम्, सप्तवादने, पठति ।

(i) ………………….. नाम किम् ?
(ii) मम नाम ………………….. ।
(iii) भवान् ………………….. आगच्छति ?
(iv) अहं गृहतः ………………….. ।
(v) भवान् कदा ………………….. गच्छति ।
(vi) अहं प्रात: ………………. विद्यालयं गच्छामि।
(vii) विद्यालये किं किं ………………….. ।
(viii) ……………… गणित, विज्ञानं, संस्कृतमित्यादिविषयान् पठामि।
उत्तरम्:
(i) भवतः नाम किम् ? (आपका नाम क्या है ?)
(ii) मम नाम गोविन्दः । (मेरा नाम गोविन्द है ।)
(iii) भवान् कुतः आगच्छति ? (आप कहाँ से आए हो?)
(iv) अहं गृहतः आगच्छामि । (मैं धर से आ रहा हूँ ।)
(v) भवान् कदा विद्यालयम् गच्छति । (आप कब विद्यालय जाते हो?)
(vi) अहं प्रातः सप्तवादने विद्यालयं गच्छामि। (मैं प्रात: सात बजे विद्यालय को जाता हूँ ।)
(vii) विद्यालये किं किं पठति । (विद्यालय में क्या-क्या पढ़ते हो ?)
(viii) अहं गणित, विज्ञानं, संस्कृतमित्यादिविषयान् पठामि।।
(मैं गणित, विज्ञान, संस्कृत आदि विषयों को पढ़ता हूँ ।)

(20) मञ्जूषातः उचितानि पदानि गृहीत्वा ‘धूम्रपान निवारणाय’ इति विषये गुरुशिष्ययोः संवादं पूरयत
(मंजूषा से उचित पदों को लेकर ‘धूम्रपान निवारणाय’ इस विषय पर गुरु-शिष्य के संवाद को पूरा करो।)
मञ्जूषा – गन्तुम्, अस्य, तुभ्यं, धूम्रपानं, स्वास्थ्य, प्रेरणीया, मया, दुर्व्यसनस्य ।

सोहनः – गुरुवर ! अहं पश्यामि विद्यालये केचन छात्रा ………………….. कुर्वन्ति ।
गुरुः    – वत्स ! धूम्रपानं ……………… विनाशकमस्ति।
सोहनः – गुरुवर ! कोऽस्य …………………. निवारणोपायः ।
गुरुः    – पुत्र ! जन-जागर्तिरेवे ………………. दुर्व्यसनस्य निवारणोपायः ।
सोहनः – गुरुवर ! ……… किं करणीयम् ?
गुरुः    – त्वया छात्राः ………… यत् अस्माभिः धूम्रपान न करणीयम् ।
सोहनः – गुरुवर ! ………… किं करणीयम् ।
गुरुः    – वत्स ! महत्वपूर्ण विषयोपरि वार्ता कर्तुं ………… धन्यवादं ददामि ।
उत्तरम्:
सोहनः – गुरुवर ! अहं पश्यामि विद्यालये केचन छात्रा धूम्रपानं कुर्वन्ति।
(गुरुजी ! मैं विद्यालय के कुछ छात्रों को धूम्रपान करते देखता हूँ ।)
गुरुः    – वत्स ! धूम्रपानं स्वास्थ्य विनाशकमस्ति । (बेटा ! धूम्रपान स्वास्थ्य का विनाश करने वाला है ।)
सोहनः – गुरुवर ! कोऽस्य दुर्व्यसनस्य निवारणोपायः । (गुरुजी ! कोई इस दुर्व्यसन को दूर करने का उपाय है ।)
गुरुः    – पुत्र ! जन-जागतिरेव अस्य दुर्व्यसनस्य निवारणोपायः ।
(पुत्र! जन-जाग्रति ही इसके निवारण का उपाय है ।)
सोहनः – गुरुवर ! मया किं करणीयम् ? (गुरुवर ! मुझे क्या करना चाहिए ?)
गुरुः    – त्वया छात्रा: प्रेरणीयाः यत् अस्माभिः धूम्रपान न करणीयम् ।
(तुम छात्रों को प्रेरणा दो कि उन्हें धूम्रपान नहीं करना चाहिए।)
सोहनः – गुरुवर ! एवमेव करोमि ! अधुना अहं गन्तुम् इच्छामि ।
(गुरुजी ! ऐसा ही करता हूँ । अब मैं जाना चाहता हूँ ।)
गुरुः    – वत्स ! महत्वपूर्ण विषयोपरि वार्ता कर्तुं तुभ्यं धन्यवादं ददामि ।
(बेटे ! महत्वपूर्ण विषय पर वार्तालाप करने के लिए तुम्हें धन्यवाद देता हूँ ।)

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