RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 14 पादप एवं जन्तुओं के आर्थिक महत्त्व are part of RBSE Solutions for Class 10 Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 14 पादप एवं जन्तुओं के आर्थिक महत्त्व.
Board | RBSE |
Textbook | SIERT, Rajasthan |
Class | Class 10 |
Subject | Science |
Chapter | Chapter 14 |
Chapter Name | पादप एवं जन्तुओं के आर्थिक महत्त्व |
Number of Questions Solved | 78 |
Category | RBSE Solutions |
Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 14 पादप एवं जन्तुओं के आर्थिक महत्त्व
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
बहुचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्न में से कौनसा पादप अनाज नहीं है
(क) गेहूँ।
(ख) चावल
(ग) जौ
(घ) चना
प्रश्न 2.
इमारती लकड़ी (काष्ठ) पादप का कौनसा भाग है
(क) प्राथमिक फ्लोएम
(ख) द्वितीयक फ्लोएम
(ग) प्राथमिक जाइलम
(घ) द्वितीयक जाइलम
प्रश्न 3.
अफीम का कौनसा भाग औषधीय महत्त्व का है?
(क) जड़
(ख) तना
(ग) पुष्प
(घ) फल
प्रश्न 4.
राजस्थान का राज्य वृक्ष है
(क) प्रोसोपिस सिनेरेरिया
(ख) प्रोसोपिस चाइलेन्सिस
(ग) एकेशिया सेनेगल
(घ) टेकोमेला अन्डूलेटा
प्रश्न 5.
पुष्पक्रम से प्राप्त सब्जी है
(क) आलू
(ख) फूलगोभी
(ग) भिण्डी
(घ) टमाटर
प्रश्न 6.
मधुमक्खी पालन कहलाता है
(क) सेरिकल्चर
(ख) सिल्विकल्चर
(ग) एपिकल्चर
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 7.
मधुमक्खी के छत्ते में कितने प्रकार की मक्खियाँ पाई जाती हैं ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार
प्रश्न 8.
रेशम प्राप्त किया जाता है
(क) वयस्क कीट
(ख) प्यूपा
(ग) कोकून
(घ) अण्डा
प्रश्न 9.
मुर्गीपालन का प्रमुख उत्पाद है
(क) अण्डा
(ख) ऊन
(ग) दूध
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला-
1. (घ)
2. (घ)
3. (घ)
4. (क)
5. (ख)
6. (ग)
7. (ग)
8. (ग)
9. (क)।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 10.
रबी फसलों के रूप में बोये जाने वाले एक अनाज का नाम लिखिये।
उत्तर-
गेहूँ।
प्रश्न 11.
गेहूँ की दो उन्नत किस्मों के नाम लिखिए।
उत्तर-
सोनालिका एवं कल्याण सोना।।
प्रश्न 12.
सर्वाधिक प्रोटीन युक्त दाल का नाम लिखिए।
उत्तर-
सोयाबीन।
प्रश्न 13.
जड़ व तने से प्राप्त दो-दो सब्जियों के नाम लिखिये।
उत्तर-
जड़ों से प्राप्त-
- गाजर-डॉकस कैरोटा (Daucas Carrota)
- मूली-रेफेनस सेटाइवस (Raphanus sativus)
तने से प्राप्त
- आलू-सोलेनम ट्यूबरोसम (Solanuni tuberoStum)
- अरबी-कोलोकेसिया एस्कलेन्टा (Colocasia esculenta)
प्रश्न 14.
इमारती काष्ठ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
वह काष्ठ जिससे फर्नीचर, दरवाजे, खिड़कियाँ आदि बनाई जाती हैं, उसे इमारती काष्ठ कहते हैं।
प्रश्न 15.
दो औषधीय पादपों के वैज्ञानिक नाम लिखिये।
उत्तर-
- हल्दी-कुरकुमा लौंगा (Curcuma tonga)
- सर्पगन्धा-रॉवल्फिया सर्पेन्टाइना (Rauwolfia Serpentina)
प्रश्न 16.
राजस्थान का राज्य पुष्प कौनसा है ?
उत्तर-
रोहिड़ा या मारवाड़ सागवान–टेकोमेला अन्डुलेटा (Tecomella undulata)
प्रश्न 17.
भैंस की दो देशी अच्छी नस्लों के नाम लिखिये ।
उत्तर-
जाफराबादी, मेहसाना।।
प्रश्न 18.
मधुमक्खी पालन के दो उत्पाद कौन से हैं?
उत्तर-
शहद तथा मधुमोम।।
प्रश्न 19.
रेशमकीट किस वृक्ष की पत्तियों पर पाले जाते हैं ?
उत्तर-
शहतूत की पत्तियों पर पाले जाते हैं।
प्रश्न 20.
मछली पालन के लिए कौनसा जल अधिक उपयुक्त माना जाता है?
उत्तर-
मीठा जल।।
प्रश्न 21.
मुर्गीपालन को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
कुक्कुट पालन
प्रश्न 22.
भेड़ की एक देशी अच्छी नस्ल का नाम लिखिये।
उत्तर-
लोही। लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 23.
अनाज उत्पादक दो पादपों के वानस्पतिक नाम लिखिये।
उत्तर-
- गेहूँ-ट्रिटिकम एस्टाइवम (Triticum aestivum)
- चावल-ओराइजी सेटाइवा (Oryza sativa)
प्रश्न 24.
चार मसाला उत्पादक पादपों का नाम लिखिये।
उत्तर-
- जीरा,
- लाल मिर्च,
- सौंफ,
- धनिया इत्यादि।
प्रश्न 25.
काष्ठ किसे कहते हैं? एक इमरती काष्ठ उत्पादक पादप का नाम लिखिये।
उत्तर-
बहुवर्षीय द्विबीजपत्री एवं अनावृत्तबीजी वृक्षों से बनने वाले द्वितीयक जाइलम को काष्ठ कहते हैं । सागवान (Tectona grandis) की काष्ठ का उपयोग इमारती काष्ठ के रूप में किया जाता है।
प्रश्न 26.
औषधीय महत्त्व के दो पादपों के वैज्ञानिक नाम लिखिये।
उत्तर-
- सर्पगन्धा-रॉवल्फिया सर्पेन्टाइना (Rauwolfia serpentina)
- सफेद मूसली-क्लोरोफाइटम ट्यूबरोसम (Chlorophytum tuberostum)
प्रश्न 27.
तेल उत्पादक दो पौधों के नाम लिखिये।
उत्तर-
- नारियल तथा
- सोयाबीन
प्रश्न 28.
पशुपालन क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
पशुपालन का अर्थव्यवस्था में बहुत महत्त्व है। भारत में तो यह और भी अधिक है। पशुओं से हमें अनेक उपयोगी पदार्थ प्राप्त होते हैं। पशुपालन से हमें दूध, अण्डे, मांस, ऊन आदि प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 29.
रेशम प्राप्त करने की विधि समझाइये।
उत्तर-
रेशम कीट के अण्डज उत्पत्ति के बाद अण्डे से लार्वा बाहर आ जाता है, जिसे कैटरपिलर कहते हैं । लार्वा में एक जोड़ी लार ग्रन्थियाँ होती हैं, जिन्हें रेशम ग्रन्थियाँ कहते हैं। जब ये पूर्ण विकसित हो जाते हैं, तब यह रेशम का स्रवण द्रव के रूप में करते हैं जो हवा के सम्पर्क में आने पर कठोर हो जाता है। कुछ समय बाद लार्वा भोजन करना बन्द कर देता है व इससे फिर कोकून बनता है जो चारों ओर रेशम का स्रावण कर स्वयं उसमें पूर्णतः बन्द हो जाता है।
प्रश्न 30.
मुर्गियों में होने वाले रोगों के नाम लिखिये।।
उत्तर-
मुर्गियों में एक वायरसजनित रानीखेत नामक प्रमुख रोग हो जाता है। चेचक, हैजा आदि भी मुर्गियों में होता है।
प्रश्न 31.
भैंस एवं गाय की दो-दो देशी नस्लों के नाम लिखिये।
उत्तर-
भैंस-मुर्रा, मेहसाना। गाय-गिर, साहिवाल।
प्रश्न 32.
मधुमक्खी के छत्ते में पाई जाने वाली मक्खियों के नाम लिखिये।
उत्तर-
मधुमक्खी के छत्ते में श्रमिक, नर तथा रानी मक्खियाँ मिलती हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 33.
भोज्य सम्बन्धी पादपों पर एक लेख लिखिये।
उत्तर-
सभी सजीवों को विभिन्न जैविक क्रियाओं को सम्पन्न करने के लिए। ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा उन्हें भोजन से प्राप्त होती है। पौधे सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण क्रिया कर खाद्य पदार्थों का निर्माण करते हैं। सजीव इन खाद्य पदार्थों को पौधों से प्राप्त करते हैं। खाद्य सम्बन्धी कुछ महत्त्वपूर्ण पादप निम्न प्रकार से हैं
(अ) अनाज (Cereals)-
खाद्य पदार्थों का यह सबसे महत्त्वपूर्ण समूह है। तथा ये पौधे ग्रेमेनी या पोयेसी कुल के सदस्य हैं। सभी अनाज स्टार्च के प्रमुख स्रोत होते हैं जो मानव के श्वसन क्रिया के आधारीय पदार्थ के रूप में उपयोग लिये जाते हैं। कुछ मुख्य अनाज देने वाले पौधे निम्न प्रकार से हैं
- गेहूँ (Wheat)-इसका वानस्पतिक नाम ट्रिटिकम एस्टाइवम (Triticum uestivum) है। इसे रबी की फसल के रूप में उगाया जाता है तथा अधिकांशतः भोज्य पदार्थ के रूप में इसका उपयोग किया जाता है। इसकी उन्नत किस्मेंसोनालिका, कल्याण सोना, शर्बती, सोनारा इत्यादि हैं।
- चावल (Rice)-इसका वानस्पतिक नाम ओराइजा सेटाइवा (Oryza sativa) है। इसका सबसे अधिक उपयोग भोजन के लिए किया जाता है। उत्पादन की दृष्टि से भारत का विश्व में प्रथम स्थान है, इसे खरीफ फसल के रूप में उगाया जाता है। इसकी उन्नत किस्में-बासमती, स्वर्णदाना, जया, रत्ना, सोना आदि हैं।
- मक्का (Maize)-इसका वानस्पतिक नाम जीआ मेज (Zed mas) है। इसे मोटे अनाज के रूप में जाना जाता है व खरीफ फसल के रूप में उगाया जाता है। इसकी उन्नत किस्में-विजय, शक्ति, रतन आदि हैं।
- बाजरी (Pearl millet)-यह भी मोटा अनाज है। इसका वानस्पतिक नाम पेनिसिटम टाईफॉइडिस (Penisetum typhoides) है। इसे खरीफ फसल के रूप में उगाया जाता है।
(ब) दालें (Pulses)-दालें प्रोटीन का सबसे उत्तम स्रोत हैं। सभी दाल देने वाले पौधे लेग्यूमिनोसी (Leguminoceael) कुल के सदस्य हैं। कुछ मुख्य दाल प्रदान करने वाले पौधे निम्नलिखित हैं
- चना (Gram)-यह रबी की फसल है तथा इसका वानस्पतिक नाम साइसर ऐरीटिनम (Cicer arietinum) है। उत्पादन की दृष्टि से भारत का विश्व में प्रथम स्थान है। चने को दालों का राजा भी कहते हैं।
- अरहर (Red gram)-इसका वानस्पतिक नाम केजेनस केजान (Cajanus cajan) है। यह भी रबी की फसल है।
- मटर (Pea)-यह रबी की फसल है। इसका वानस्पतिक नाम पाइसम सेटाइवम (Pisum sativum) है।
- मूंगफली (Ground nut)-भारत विश्व में मूंगफली का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसका वानस्पतिक नाम एरेकिस हाइपोजिया (Arachis hypogea) है।
- सोयाबीन (Soyabean)-यह सर्वाधिक प्रोटीनयुक्त दाल है। सोयाबीन से तेल भी प्राप्त होता है। इसका वानस्पतिक नाम ग्लाईसीन मैक्स (Glycine max) है।
प्रश्न 34.
औषधीय पादपों का वर्णन कीजिये।
उत्तर-
औषधीय पादप (Medicinal plants)-पादप के विभिन्न भागों जैसे-जड़, तना, पर्ण, पुष्प, फल, बीज आदि में औषधीय महत्त्व के रासायनिक पदार्थ पाये जाते हैं। इनमें से कुछ औषधीय पादप इस प्रकार हैं
(1) स्तम्भ से प्राप्त-
- हल्दी-कुरकुमा लौंगा (Curcuma longa)
- अदरक-जिन्जिबर ऑफिसिनेल (Zingiber officinale)
- लहसुन-एलियम सेटाइवम (Allium sativum)
- गूगल-कोमिफोरा वाइटाई (Connnniphora wightii) आदि।
(2) मूल से प्राप्त-
- सर्पगन्धा-रॉवल्फिया सर्पेन्टाइना (Rauwolfia serpentina)
- सफेद मूसली-क्लोरोफाइटम ट्यूबरोसम (Chlorophytum tuberoStum)
- अश्वगंधा-विथानिया सोम्नीफेरा (Withania somnifera) आदि।
(3) छाल से प्राप्त
- कुनैन-सिनकोना ऑफिसिनेलिस (Cinchona officinalis)
- अर्जुन-टर्मिनेलिया अर्जुना (Terminalia arjuna) आदि।
(4) पर्ण से प्राप्त
- ग्वारपाठा-एलोय वेरा (Aloe vera)
- तुलसी-ओसिमम सेन्कटम (Ocimum sanctum)
- ब्राह्मी-सेन्टेला एशियाटिका (Centella asiatica) आदि।
(5) फल से प्राप्त
- अफीम-पेपेवर सोम्निफेरम (Papaver somniferum)
- आँवला-एम्बलिका ऑफिसिनेलिस (Emblica officinalis) आदि।
प्रश्न 35.
रेशे उत्पादक व इमारती काष्ठ उत्पादक पादपों का वर्णन कीजिये।
उत्तर-
वस्त्र, रस्सी, झाडू, गद्दे, फर्नीचर, खिड़की, दरवाजे आदि के निर्माण में पौधों के विभिन्न भागों का उपयोग किया जाता है। रेशे एवं काष्ठ से सम्बन्धित कुछ उपयोगी पौधे इस प्रकार हैं
रेशे उत्पादक पौधे (Fibre yielding plants)-पादपों के विभिन्न भागों जैसे तना, पर्ण, बीज आदि में मोटी भितियुक्त कोशिकीय संरचनाएँ बनती हैं, जिससे वस्त्र, बोरे, रस्सी इत्यादि बनाये जाते हैं, इन्हें रेशे कहते हैं। कुछ रेशे उत्पादक पादप निम्न प्रकार से हैं
- जट-कोरकोरस कैप्सूलेरिस (Corchorus capsularis)-यह टीलियेसी (Tiliaceae) कुल का सदस्य है। इसमें रेशे साम्य से प्राप्त होते हैं। तथा इसकी खेती रबी में की जाती है। जूट से रस्से, दरी, चटाई, पायदान आदि बनाये जाते हैं।
- कपास या रुई-गोसिपियम जातियाँ (Gossypium spp.)-यह मालवेसी (Malvaceae) कुल का सदस्य है। इसमें कपास के रेशे बीज के बाह्य चोल के अधिचर्म से प्राप्त किये जाते हैं। इसकी बुवाई अप्रेल से जुलाई के बीच करते हैं तथा इसे काली मिट्टी में उगाया जाता है। इससे कपड़ा, रजाई, तकिये, अस्पताल में ड्रेसिंग में उपयोग करते हैं।
- सन या सनई-क्रोटोलेरिया जुन्शिया (Crotolaria junced)-यह लेग्यूमिनोसी (Leguminoceae) कुल का सदस्य है। यह खरीफ की फसल है। तथा इसके रेशे स्तम्भ से प्राप्त होते हैं। इसका उपयोग रस्से, सूतली बनाने में किया जाता है।
- नारियल-कोकोस न्यूसिफेरा (Cocos nucifera)-यह पामी (Palmae) कुल का सदस्य है। इसके फलों के बाहरी आवरण से रेशे प्राप्त किये जाते हैं। केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आन्ध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा व प. बंगाल में उगाया जाता है। इसके रेशे ‘कोयर’ कहलाते हैं, जिनसे गद्दे, रंस्सियाँ बनाई जाती हैं।
इमारती काष्ठ (Timber)-बहुवर्षीय द्विबीजपत्री एवं अनावृतबीजी वृक्षों में बनने वाले द्वितीयक जाइलम को काष्ठ (Wood) कहते हैं। वह काष्ठ जिससे फर्नीचर, दरवाजे, खिड़कियाँ आदि बनायी जाती हैं, उसे इमारती काष्ठ कहते हैं। कुछ प्रमुख इमारती काष्ठ उत्पादक वृक्ष निम्न प्रकार से हैं
- सागवान-टेक्टोना ग्रेन्डिस (Tectona grandis)
- साल-सोरिया रोबस्टा (Shorea robusta)
- शीशम-डल्वर्जिया सिस्सू (Dalbergia sisso0)
- रोहिड़ा या मारवाड़ सागवान-टेकोमेला अन्डुलेटा (Tecomella undulata)
- खेजड़ी (राज्य वृक्ष)-प्रोसोपिस सिनेरेरिया (Prosopis Cineraria)
- देवदार-सिडूस देवदारा (Cedrus deodara)
प्रश्न 36.
डेयरी उद्योग पर लेख लिखिये।
उत्तर-
भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुपालन का विशेष महत्त्व है। कृषि विज्ञान की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत पालतू पशुओं के भोजन, आवास, स्वास्थ्य, प्रजनन आदि का अध्ययन किया जाता है, उसे पशुपालन (Animal husbandry) कहते हैं। अर्थव्यवस्था में दुग्ध उत्पादन का विशेष योगदान है। देश के कुल दुग्ध उत्पादन का 53 प्रतिशत भैसों व 43 प्रतिशत गायों से प्राप्त होता है। दुग्ध उत्पादन की दृष्टि से भारत विश्व में प्रथम स्थान पर है।
प्राचीन काल से मानव कुछ पशुओं को पालतू कर उनका दूध अपने पोषण हेतु उपयोग करता रहा है। वर्तमान में दुग्ध उत्पादन डेयरी उद्योग का एक प्रमुख व लाभकारी व्यवसाय बन गया है। दुग्ध उत्पादन की दृष्टि से भैंस अधिक महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। जाफराबादी, मुर्रा, सूखी, भदावरी व मेहसाना आदि भैंस की अच्छी नस्लें हैं। इसी प्रकार गाय की कुछ अच्छी नस्लें इस प्रकार हैं-गिर, साहिवाल, सिन्ध, देवकी, हरियाणा आदि। कुछ स्थानों पर बकरी का पालन भी दुग्ध उत्पादन के लिए किया जाता है। सिरोही, बारबरी, कश्मीरी पश्मीना, जमनापरी आदि बकरी की अच्छी नस्लें हैं।
इन पशुओं में भी रोग हो जाने से दुग्ध उत्पादन कम हो जाता है। अतः समय पर टीकाकरण के द्वारा पशुओं में होने वाले विभिन्न रोगों जैसे-चेचक, तपेदिक, गलघोंटू, खुरपका, गिल्टी रोग आदि से मुक्ति पाई जा सकती है। पशु आवास एवं पशुओं की साफ-सफाई रखकर उन्हें रोग मुक्त रख सकते हैं।
प्रश्न 37.
मधुमक्खी पालन में मक्खियों के श्रम विभाजन को समझाइये तथा इनका महत्त्व लिखिये।
उत्तर-
मधुमक्खी पादपों में परागण की क्रिया के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कीट है। इसके पालन से मनुष्य को दोहरा लाभ होता है। मधुमक्खी के पालन से परागण की क्रिया आसानी से होने के कारण फसल की पैदावार में बढ़ोतरी होती है। मधुमक्खियों से हमें शहद प्राप्त होता है। वैसे शहद का उपयोग मानव प्राचीन काल से करता आ रहा है। यह उच्च ऊर्जा युक्त भोज्य पदार्थ होने के साथ-साथ औषधि के रूप में भी उपयोग में लिया जाता है। शुद्ध शहद लम्बे समय तक नष्ट नहीं होने के कारण इसे परिरक्षक के रूप में उपयोग किया जाता है।
प्राचीन समय से प्रकृति में मिलने वाले मधुमक्खी के छत्तों से शहद तथा मधुमोम प्राप्त किया जाता रहा है। वर्तमान समय में कृत्रिम रूप से छत्तों में मधुमक्खी को पालकर बड़ी मात्रा में शहद प्राप्त किया जा रहा है।
मधुमक्खी का जीवन परिचय-यह आर्थोपोडा संघ के कीट वर्ग अपोइडिया (Apoidea) गण का सदस्य है। मधुमक्खी की चार जातियों जैसे-एपिस इन्डिका (Apis indica), एपिस फ्लोरी (A. flored), एपिस डोरसेटा (A. dorseta) व एपिस मैलिफेरा (A. mellifera) में से सामान्यतः एपिस मैलिफेरा को मधुमक्खी पालन के लिए चयन किया जाता है। इस मधुमक्खी के बड़े छत्ते में मधुमक्खियों की संख्या अधिक होने के कारण अधिक शहद प्राप्त किया जाता है।
मधुमक्खी के एक छत्ते में तीन प्रकार की मक्खियाँ जैसे-श्रमिक, नर तथा रानी पाई जाती हैं। इसमें श्रमिक हजारों की संख्या में, नर कुछ संख्या में तथा रानी मधुमक्खी एक होती है। नर मधुमक्खी को बड़ी-बड़ी आँखों से तथा मादा मधुमक्खी को लम्बे उदर के कारण श्रमिक मक्खियों से अलग पहचाना जा सकता है। गन्धयुक्त पदार्थ स्रावण के कारण छत्ते पर नर मधुमक्खी का नियन्त्रण बना रहता है। इस नियंत्रण के कारण ही श्रमिक मक्खियाँ छत्ते में बनी रह कर कार्य करती रहती हैं।
वर्तमान समय में बन्द बक्सों के आकार के कृत्रिम छत्तों का उपयोग करके मधुमक्खियों का पालन किया जाता है।
कृत्रिम छत्तों में बड़े अण्डेकक्ष (Broad chamber) व मोम की परत युक्त प्लास्टिक की प्लेटें या धातु होती हैं। इस बक्से पर कई • छिद्र बने होते हैं। जिसमें से मधुमक्खियाँ आ-जा सकती है। रानी मक्खी छत्ते से बाहर नहीं आती। है। नर मक्खियाँ रानी मक्खी को सम्पूर्ण जीवनकाल के लिए शुक्राणु प्रदान कर देती हैं, इसके पश्चात् नर मक्खियाँ या तो स्वतः ही मर जाती हैं या उन्हें छत्ते से बाहर कर दिया जाता है। रानी मक्खी दो प्रकार के अण्डे देती है। निषेचित अण्डों से श्रमिक या रानी मक्खियाँ बनती हैं। वे निषेचित अण्डे जिनके लार्वा को रॉयल जैली नामक पोषक पदार्थ निरन्तर खिलाया जाता है, वे रानी मक्खी में परिवर्धित हो जाती हैं, शेष लार्वा श्रमिक मक्खियों में परिवर्धित हो जाते हैं। श्रमिक मक्खियों में विषयुक्त डंक होता है जिसका उपयोग वे शत्रु से बचाव हेतु करती हैं।
श्रमिक मधुमक्खियाँ पुष्पों से मकरन्द एकत्रित कर उसे शहद में बदलकर छत्ते के कोष्ठकों में एकत्रित करती रहती हैं। छत्ते से प्लेटों को निकालकर शहद व मोम पृथक् कर लिया जाता है। छत्ते से प्राप्त मोम को मधुमोम (Bee wax) कहते हैं। शहद में ग्लूकोज, फ्रक्टोज, सुक्रोज, खनिज लवण तथा कुछ अन्य पदार्थ उपस्थित होते हैं।
प्रश्न 38.
रेशमकीट की विभिन्न अवस्थाओं के बारे में बताते हुए समझाइये कि रेशम कैसे बनता है?
उत्तर-
रेशम प्राप्त करने के लिए रेशमकीट का पालन करते हैं। सर्वप्रथम रेशम कीट व रेशम निर्माण की खोज चीन में की गई वर्तमान में अब यह कुटीर उद्योग बन चुका है।
रेशमकीट का जीवन परिचय-ऐसे कीट जो रेशम जैसा धागा उत्पन्न करते। हैं, उन्हें रेशम कीट कहते हैं। इनमें से शहतूत की पत्तियों पर वृद्धि करने वाली रेशमकीट की जाति बॉम्बिक्स मोराई (Boilabir mori) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त भी अन्य पौधों की पत्तियों पर पाए जाने वाले रेशमकीट होते हैं। वर्तमान में चीन व जापान के बाद भारत रेशम उत्पादन के क्षेत्र में तीसरे स्थान पर है। यह आर्थोपोडा संध के इन्सेक्टा वर्ग के लैपीडोप्टेरा गण का सदस्य है। यह अच्छी गुणवत्ता की रेशम का उत्पादन करता है। यह कीट ‘शहतूत (Mulberry) की पत्तियों से भोजन प्राप्त करता है, इस कारण इस मक्रीट (Silk moth) को इन सिल्क शलभ (Mulberry silk moth) कहते हैं। भारत में इसकी एक वर्ष में 2 से 7 तक पीढ़ियाँ तैयार कर ली जाती हैं।
अण्डज उत्पत्ति के बाद अण्डे से लार्वा बाहर आ जाता है, जिसे कैटरपिलर (Caterpillar) कहते हैं। लार्वा अवस्था इसके जीवनचक्र की सर्वाधिक सक्रिय अवस्था होती है। कैटरपिलर बेलनाकार, चिकने तथा लगभग 7.5 सेमी. लम्बे होते हैं। इनमें एक जोड़ी रेशम ग्रन्थियाँ (silk glands) विकसित हो जाती हैं, जो लार ग्रन्थियों का रूपान्तरण होती हैं। लार्वा अवस्था में यह सक्रिय रूप से शहतूत की पत्तियों को खाता है तथा पूर्ण विकसित होने पर यह लार्वा की लम्बाई से पाँच गुना अधिक लम्बा हो जाता है। तथा भोजन ग्रहण करना बन्द कर देता है। इस समय यह अपने ऊपर रेशम के धागे को लपेटकर कोकून (Cocoon) नामक आवरण बना लेता है व स्वयं प्यूपा में बदल जाता है। प्यूपा 10-12 दिन के बाद कोकून को गलाकर वयस्क शलभ या कीट की भाँति बाहर आता है।
जब परिपक्व कैटरपिलर भोजन करना बन्द कर देता है तो इसके शीर्ष भाग में स्थित रेशम ग्रन्थियाँ तरल रूप में रेशम का स्राव करने लगती हैं। यह तरल वायु के सम्पर्क में आकर सूखने पर धागे में बदल जाता है। यह धागा सिर के लगातार घूमते रहने से कैटरपिलर के चारों ओर लिपट जाता है जिससे यह कोकून (Cocoon) का निर्माण करता है। यह कैटरपिलर 3 दिन में 1000-1200 मीटर लम्बे धागे का निर्माण करता है। कोकून का पूर्ण निर्माण होने पर इसमें बन्द कैटरपिलर प्यूपा में बदल चुका होता है। एक कोकून का भार 1.8 से 2.2 ग्राम होता है। रेशम प्रोटीन का बना होता है। इसका भीतरी भाग फाइब्रोइन का एवं बाहरी भाग सेरीसिन प्रोटीन का बना होता है।
प्रश्न 39.
मछली पालन तथा मुर्गीपालन के महत्त्व को समझाइये।
अथवा
निम्न पर लेख लिखिए
(1) मछली पालन
(2) मुर्गीपालन।।
उत्तर-
मछली पालन (Fishery)-मछली सरलता से प्राप्त होने वाली प्रोटीनयुक्त, उच्च पोषकयुक्त व सरलता से पचने वाला भोज्य स्रोत है। मछलियों के जलस्रोत समुद्री जल तथा ताजा जल (अलवणीय जल) हैं। अलवणीय जल तालाबों, झीलों व नदियों में होता है। इसलिए मछली पकड़ना तथा मछली पालन समुद्र तथा ताजे जल के पारिस्थितिक तंत्र में होता है । वर्तमान में भारत का विश्व में समुद्रीय भोजन उत्पादन की दृष्टि से छठा स्थान है। पश्चिम बंगाल, बिहार व उड़ीसा में पुरानी मछली उद्योग है।
मछलियों का उत्पादन खारे जल की तुलना में मीठे जल में अधिक होता है। अलवणीय (मीठा) जल में मछली पालन के लिए रोहू (Labeo rohita), कतला (Catla), मृगल (Cirrhinus moigla) आदि देशी मछलियों का उत्पादन किया जाता है। कुछ उद्योगों में विदेशी मछलियों जैसे—कॉमन कार्प (Cyprinus carpio) का उत्पादन भी किया जाने लगा है। जलाशय निर्माण की दृष्टि से चिकनी मिट्टी वाले स्थान को जलाशय निर्माण की दृष्टि से अच्छा माना जाता है। इस जलाशय का तापक्रम, प्रकाश, ऑक्सीजन, जल प्रवाह आदि नियंत्रित करके मछलियों का अधिक उत्पादन किया जा रहा है। प्राकृतिक भोजन जैसे-सूक्ष्मजलीय पादप व जन्तु एवं कृत्रिम जैसेचावल की भूसी, गेहूँ की चापड़, अनाज के टुकड़े आदि का भोजन दिया जाता है।
विभिन्न प्रजनन स्थलों जैसे-गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र आदि से विशेष प्रकार के जाल की सहायता से अण्डों को एकत्रित किया जाता है। अण्डे से निकलने वाली छोटी मछलियों को जीरा कहते हैं। जीरा को नर्सरी जलाशयों में डाला जाता है, कुछ समय पश्चात् ये जीरा अंगुलिकाओं में बदल जाता है। इन अंगुलिकाओं को बड़े पात्रों में भरकर मछली पालन के जलाशयों में स्थानान्तरित कर दिया जाता है। संक्रमण से बचाव के लिए अंगुलिकाओं को कॉपर सल्फेट, पोटेशियम परमॅग्नेट, मैथिल ब्लू आदि से उपचारित किया जाता है। जलाशय से मछलियों को पकड़ने के लिए जालों का उपयोग किया जाता है।
मुर्गीपालन (Poultry)-प्राचीनकाल से अण्डे व मांस (चिकन) खाने के लिए मुर्गीपालन की परम्परा रही है। यह उद्योग खाने के रूप में प्रोटीन आवश्यकता के एक बड़े अंश की पूर्ति करता है। विश्व में अण्डा उत्पादन की दृष्टि से भारत का पाँचवाँ स्थान है। मुर्गियों की अच्छी वृद्धि एवं स्वस्थ्य रखने के लिए उन्हें सुरक्षित आवास तथा पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना अत्यन्त आवश्यक है। उनके भोजन में मक्का, जौ, बाजरा, गेहूँ, ज्वार आदि सम्मिलित किए जाते हैं।
मुर्गियों से उत्पाद अच्छा प्राप्त करने के लिए अच्छी नस्लों की देशी एवं विदेशी मुर्गियाँ पाली जाती हैं। देशी नस्लों की तुलना में विदेशी नस्लों को अधिक पसन्द किया जाता है, क्योंकि विदेशी नस्लों से कम समय में अधिक अण्डे एवं माँस प्राप्त किया जा सकता है।
मुर्गी की कुछ देशी अच्छी नस्लें इस प्रकार हैं जैसे-असील, करमंथ, बसरा, चटगाँव आदि तथा विदेशी अच्छी नस्लें जैसे—व्हाइट लेग हॉर्न (White leg horn), रोडे आइलैण्ड रेड (Rhode Island Red), प्लाईमाउथ रॉक (Phymouth rock) आदि हैं।
मुर्गियों में एक वायरस जनित रानीखेत नामक प्रमुख रोग हो जाता है, जिससे इनकी मृत्यु दर अधिक होती है। चेचक, हैजा आदि रोगों से भी मुर्गियों के बचाव का पूरा ध्यान रखना होता है।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्न में से खरीफ फसल नहीं है-
(अ) गेहूँ।
(ब) चावल
(स) मक्का
(द) बाजरा
प्रश्न 2.
चावल की उन्नत किस्में हैं
(अ) बासमती
(ब) रत्ना
(स) सोना
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 3.
निम्न में से मोटा अनाज है
(अ) गेहूँ।
(ब) जौ
(स) बाजरा
(द) चावल
प्रश्न 4.
दालों के उत्पादन में विश्व में भारत का प्रथम स्थान है
(अ) चने में।
(ब) अरहर में।
(स) सोयाबीन में।
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 5.
अरबी व आलू पौधे के किस भाग से प्राप्त होते हैं?
(अ) मूल
(ब) स्तम्भ
(स) पर्ण
(द) फल
प्रश्न 6.
किस पौधे के भुने हुए बीजों का पेय पदार्थों में उपयोग किया जाता है?
(अ) कॉफी
(ब) चाय
(स) अदरक
(द) अजवाइन
प्रश्न 7.
रेशे जो बीजों के चोल से प्राप्त होते हैं
(अ) जूट
(ब) कपास
(स) सनई।
(द) नारियल
प्रश्न 8.
सामान्यतः किस जाति की मधुमक्खी को मधुपालन में उपयोग किया जाता है
(अ) एपिस इन्डिका
(ब) एपिस फ्लोरी
(स) एपिस डोरसेटा
(द) एपिस मैलिफेरा
प्रश्न 9.
मछली पालन उद्योग में प्रायः किन देशी मछलियों का उत्पादन किया जाता
(अ) रोहू
(ब) कतला
(स) मृगल
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 10.
खुरपका रोग किनमें होता है ?
(अ) मुर्गियों में
(ब) मछलियों में
(स) पशुओं में
(द) रेशमकीट में
उत्तरमाला-
1. (अ)
2. (द)
3. (स)
4. (अ)
5. (ब)
6. (अ)
7. (ब)
8. (द)
9. (द)
10. (स)
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
खरीफ की एक फसल का नाम लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
उत्तर-
- चावल
- बाजरा
- मक्का
प्रश्न 2.
मधुमक्खी पालन के दो उत्पादों के नाम लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18)
उत्तर-
- शहद
- मधुमोम
प्रश्न 3.
भैंस की अच्छी नस्लें कौन-कौनसी हैं?
उत्तर-
जाफराबादी, मुर्रा, सूखी, भदावरी, मेहसाना आदि।
प्रश्न 4.
गाय की कुछ अच्छी नस्लें बताइए।
उत्तर-
साहिवाल, गिर, सिन्ध, देवकी, हरियाणा आदि।
प्रश्न 5.
पशुओं में होने वाले क्या-क्या रोग हैं?
उत्तर-
चेचक, तपेदिक, गलघोंटू, खुरपका, गिल्टी रोग इत्यादि।
प्रश्न 6.
मुर्गीपालन में किन विदेशी नस्लों का उपयोग होता है?
उत्तर-
व्हाइट लेग हॉर्न, रोडे आइलैण्ड रेड, प्लाईमाउथ रॉक आदि।।
प्रश्न 7.
किस अनाज के उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है?
उत्तर-
चावल।
प्रश्न 8.
मक्का की उन्नत किस्मों के नाम लिखिए।
उत्तर-
विजय, शक्ति एवं रतन आदि।
प्रश्न 9.
सोयाबीन का वानस्पतिक नाम लिखिए।
उत्तर-
ग्लाईसीन मैक्स (Glycine max)
प्रश्न 10.
खाने योग्य तेल कौन-कौनसे हैं ?
उत्तर-
मूंगफली, तिल, नारियल, सोयाबीन, अलसी व सूरजमुखी का तेल।
प्रश्न 11.
फल से प्राप्त की जाने वाली कौन-कौनसी सब्जियाँ हैं?
उत्तर-
टमाटर, बैंगन, भिण्डी, ग्वारफली आदि।
प्रश्न 12.
मूल से प्राप्त होने वाली औषध के दो पौधों के नाम लिखिए।
उत्तर-
सर्पगन्धा व सफेद मूसली ।
प्रश्न 13.
अफीम पौधे के किस भाग से प्राप्त होता है?
उत्तर-
अफीम पौधे के फल से प्राप्त होता है।
प्रश्न 14.
कुछ प्रमुख इमारती काष्ठ उत्पादक वृक्षों के नाम बताइए।
उत्तर-
सागवान, साल, शीशम, रोहिड़ा, खेजड़ी आदि।
प्रश्न 15.
मारवाड़ सागवान किसे कहा जाता है?
उत्तर-
रोहिड़ा-टेकोमेला अन्डुलेटा (Tecometla undulata) वृक्ष को मारवाड़ सागवान कहते हैं।
प्रश्न 16.
राजस्थान का राज्य वृक्ष क्या है ?
उत्तर-
खेजड़ी-प्रोसोपिस सिनेरेरिया (Prosopis cineraria) राजस्थान का राज्य वृक्ष है।
प्रश्न 17.
चाय का वानस्पतिक नाम बताइए।
उत्तर-
केमेलिया साइनेन्सिस (Camellia sinensis) ।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
किन्हीं चार औषधीय पादपों के सामान्य एवं वानस्पतिक नाम लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18 )
उत्तर-
औषधीय पादप का सामान्य नाम | वानस्पतिक नाम |
1. हल्दी | कुरकुमा लगा |
2. अदरक | जिन्जिबर आफिसिनेल |
3. लहसुन | एलियम सेटाइवम |
4. ग्वारपाठा | एलोय वेरा |
प्रश्न 2.
काष्ठ व इमारती काष्ठ क्या होती है?
उत्तर-
बहुवर्षीय द्विबीजपत्री एवं अनावृतबीजी वृक्षों में बनने वाले द्वितीयक जाइलम को काष्ठ (Wood) कहते हैं। वह काष्ठ जिससे फर्नीचर, दरवाजे, खिड़कियाँ आदि बनाई जाती हैं, उसे इमारती काष्ठ (Timber) कहते हैं।
प्रश्न 3.
मधुमक्खी के एक छत्ते में कितनी प्रकार की मक्खियाँ होती हैं? उनका कार्य बताइए।
उत्तर-
मधुमक्खी के एक छत्ते में तीन प्रकार की मक्खियाँ जैसे-श्रमिक, नर तथा रानी पाई जाती हैं। इसमें श्रमिक हजारों की संख्या में, नर कुछ संख्या में तथा रानी मधुमक्खी एक होती है। नर मधुमक्खी को बड़ी-बड़ी आँखों से तथा मादा मधुमक्खी को लम्बे उदर के कारण श्रमिक मक्खियों से अलग पहचाना जा सकता है। गन्धयुक्त पदार्थ स्रावण के कारण छत्ते पर नर मधुमक्खी का नियन्त्रण बना रहता है। इस नियंत्रण के कारण ही श्रमिक मक्खियाँ छत्ते में बनी रह कर कार्य करती रहती हैं।
प्रश्न 4.
ऊन उद्योग पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
उत्तरी भारत में ऊन प्राप्त करने के लिए बड़ी संख्या में भेड़ पाली जाती हैं। भेड़ के बालों से ऊन तैयार की जाती है। ऊन का रंग भेड़ की प्रजाति तथा उस क्षेत्र की जलवायु पर निर्भर करता है। भेड़ की कुछ देशी नस्लें जैसे-लोही, नली, मारवाड़ी, पाटनवाड़ी आदि पाली जाती हैं। ऊन उत्पादन की दृष्टि से । राजस्थान देश का एक महत्त्वपूर्ण राज्य है।
प्रश्न 5.
आर्थिक वनस्पति विज्ञान क्या है? आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण पादपों को कितने वर्गों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर-
आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण पादपों तथा उनके उत्पादों का अध्ययन आर्थिक वनस्पति विज्ञान (Economic botany) कहलाता है। आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण पादपों को निम्न वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-
- खाद्य पादप-अनाज, दालें, तेल, मसाले, पेय पदार्थ, सब्ज़ियाँ फल आदि।
- औषधीय पादप-अश्वगंधा, अफीम, सर्पगंधा, गुग्गल, सफेद मूसली आदि।
- इमारती काष्ठ एवं रेशे सम्बन्धी पादप-सागवान, शीशम, रोहिड़ा, खेजड़ी, कपास, जूट आदि।
प्रश्न 6.
दाल प्राप्त किये जाने वाले पादपों के नाम बताइए।
उत्तर-
दालें प्रोटीन का उत्तम स्रोत होती हैं। प्रायः ये लेग्युमिनोसी कुल के पादपों से प्राप्त की जाती हैं। कुछ प्रमुख दाल वाले पौधे निम्न प्रकार से हैं
- चना-साइसर ऐराइटिनम (Gram—Cicer arietinum)
- अरहर-केजेनस केजान (Red gram-Cajantus cajan)
- मटर-पाइसम सेटाइवम (Pea-Pisum sativum)
- मूंगफली-एरेकिस हाइपोजिया (Ground nut-Arachis hypogea)
- सोयाबीन-ग्लाईसीन मैक्स (Soyabean-Glycine max)
प्रश्न 7.
फल किसे कहते हैं? प्रमुख फलों के नाम लिखिए।
उत्तर-
पुष्प के अण्डाशय के निषेचन से बनी शर्करा युक्त खट्टी-मीठी, माँसल रसीली संरचना को फल कहते हैं। कुछ प्रमुख फल इस प्रकार हैं
- आम-मैंजीफेरा इण्डिका (Mangifera indica)
- केला-म्युजा पेराडिसियेका (Musa paradisiaca)
- संतरा-सिट्रस रेटिकुलेटा (Citrus reticulata)
- अमरूद-सीडियम गुआजावा (Psidium guajava)
- पपीता-केरिका पपाया (Carica papaya)
- सीताफल-एनोना स्क्यु मोसा (Annona squamosa) आदि।
प्रश्न 8.
जड़ों से प्राप्त होने वाली सब्जियों के नाम बताइए।
उत्तर-
जड़ों से प्राप्त होने वाली सब्जियाँ निम्न प्रकार से हैं
- गाजर-डॉकस कैरोटा (Daucas carrota)
- मूली-रेफेनस सेटाइवस (Raphanus sativus)
- शलजम-ब्रेसिका रापा (Brassica rapa)
- शकरकन्द-आइपोमिया बटाटासे (Imponloea batatas) आदि।
प्रश्न 9.
स्तम्भ व पर्ण से प्राप्त होने वाले औषधीय पौधों के नाम लिखिए।
उत्तर-
स्तम्भ से प्राप्त
- हल्दी-कुरकुमा लौंगा (Curcuma longa)
- अदरक-जिन्जिबर ऑफिसिनेल (Zingiber officinale)
- लहसुन-एलियम सेटाइवम (Allium sativum)
- गूगल-कोमिफोरा वाइटाई (Commiphora wightti) आदि।
पर्ण से प्राप्त
- ग्वारपाठा-एलोय वेरा (Aloe vera)
- तुलसी-ओसिमम सेन्कटम (Ocimum sanctum)
- ब्राह्यी-सेन्टेला एशियाटिका (Centella asiatica) आदि।
प्रश्न 10.
सर्पगन्धा, सफेद मूसली व अफीम किन औषध पौधों के किस भाग से प्राप्त किये जाते हैं ?
उत्तर-
सर्पगन्धा-
रॉवल्फिया सर्पेन्टाइना (Rauwolfia serpentina) पौधे की मूल से प्राप्त किया जाता है।
सफेद मूसली-
क्लोरोफाइटम ट्यूबरोसम (Chlorophytum tuberosum) पौधे की मूल से प्राप्त की जाती है।
अफीम-
पेपेवर सोम्निफेरम (Papaver somniferum) के फल से प्राप्त किया जाता है।
प्रश्न 11.
डेयरी उद्योग की भैंस, गाय व बकरी की अच्छी नस्लों के नाम बताइए।
उत्तर-
भैंस-जाफराबादी, मुर्रा, सूखी, भदावरी, मेहसाना आदि। गाय-गिर, साहिवाल, सिन्ध, देवकी, हरियाणा आदि।
बकरी-सिरोही, बारबरी, कश्मीरी पश्मीना, जमनापरी आदि।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
(अ) रेशम कीट के लार्वा का नाम लिखिए।
(ब) मधुमक्खी-पालन से प्राप्त दो उत्पादों को लिखिए।
(स) रेशम कीट द्वारा रेशम का धागा कैसे बनाया जाता है? (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
उत्तर-
(अ) कैटरपिलर लार्वा
(ब) (i) शहद (ii) मधुमोम।
(स) रेशम कीट के अण्डज उत्पत्ति के बाद अण्डे से लार्वा बाहर आ जाता है, जिसे कैटरपिलर कहते हैं। लार्वा में एक जोड़ी लार ग्रन्थियाँ होती हैं, जिन्हें रेशम ग्रन्थियाँ कहते हैं। जब ये पूर्ण विकसित हो जाते हैं, तब यह रेशम का स्रवण द्रव के रूप में करते हैं जो हवा के सम्पर्क में आने पर कठोर हो जाता है। कुछ समय बाद लार्वा भोजन करना बन्द कर देता है व इससे फिर कोकून बनता है जो चारों ओर रेशम का स्रावण कर स्वयं उसमें पूर्णतः बन्द हो जाता है।
कोकून लगभग 1000-1200 मीटर लम्बे रेशम के धागे का बना होता है।
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