• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • RBSE Model Papers
    • RBSE Class 12th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 10th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 8th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 5th Board Model Papers 2022
  • RBSE Books
  • RBSE Solutions for Class 10
    • RBSE Solutions for Class 10 Maths
    • RBSE Solutions for Class 10 Science
    • RBSE Solutions for Class 10 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 10 English First Flight & Footprints without Feet
    • RBSE Solutions for Class 10 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 10 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 10 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 10 Physical Education
  • RBSE Solutions for Class 9
    • RBSE Solutions for Class 9 Maths
    • RBSE Solutions for Class 9 Science
    • RBSE Solutions for Class 9 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 9 English
    • RBSE Solutions for Class 9 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 9 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 9 Physical Education
    • RBSE Solutions for Class 9 Information Technology
  • RBSE Solutions for Class 8
    • RBSE Solutions for Class 8 Maths
    • RBSE Solutions for Class 8 Science
    • RBSE Solutions for Class 8 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 8 English
    • RBSE Solutions for Class 8 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit
    • RBSE Solutions

RBSE Solutions

Rajasthan Board Textbook Solutions for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

  • RBSE Solutions for Class 7
    • RBSE Solutions for Class 7 Maths
    • RBSE Solutions for Class 7 Science
    • RBSE Solutions for Class 7 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 7 English
    • RBSE Solutions for Class 7 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 6
    • RBSE Solutions for Class 6 Maths
    • RBSE Solutions for Class 6 Science
    • RBSE Solutions for Class 6 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 6 English
    • RBSE Solutions for Class 6 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 5
    • RBSE Solutions for Class 5 Maths
    • RBSE Solutions for Class 5 Environmental Studies
    • RBSE Solutions for Class 5 English
    • RBSE Solutions for Class 5 Hindi
  • RBSE Solutions Class 12
    • RBSE Solutions for Class 12 Maths
    • RBSE Solutions for Class 12 Physics
    • RBSE Solutions for Class 12 Chemistry
    • RBSE Solutions for Class 12 Biology
    • RBSE Solutions for Class 12 English
    • RBSE Solutions for Class 12 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit
  • RBSE Class 11

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 15 पृथ्वी की संरचना

March 6, 2019 by Fazal Leave a Comment

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 15 पृथ्वी की संरचना are part of RBSE Solutions for Class 10 Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 15 पृथ्वी की संरचना.

 

Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 10
Subject Science
Chapter Chapter 15
Chapter Name पृथ्वी की संरचना
Number of Questions Solved 66
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 15 पृथ्वी की संरचना

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

बहुचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
पृथ्वी का नाम नहीं है–
(क) भूमि
(ख) गैय
(ग) भानु
(घ) टेरा

प्रश्न 2.
वर्तमान में भूपर्पटी का कितना प्रतिशत भाग जल से ढंका है?
(क) 70 प्रतिशत
(ख) 30 प्रतिशत
(ग) 50 प्रतिशत
(घ) अनिश्चित

प्रश्न 3.
पृथ्वी में सर्वाधिक मात्रा में पाए जाने वाला तत्व है
(क) सीलिकन
(ख) सोना
(ग) ऑक्सीजन
(घ) लोहा

प्रश्न 4.
हड़प्पा संस्कृति का सबसे बड़ा बन्दरगाह शहर किस स्थान पर खोजा गया है?
(क) द्वारका
(ख) धौलावीरा
(ग) सूरत
(घ) कर्णावती

प्रश्न 5.
ज्वार-भाटा आने का कारण है
(क) सूर्य
(ख) चन्द्रमा
(ग) दोनों
(घ) सूर्य व चन्द्रमा के एक सीध में होना

उत्तरमाला-
1. (ग)
2. (क)
3. (घ)
4. (ख)
5. (घ)।।

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 15 पृथ्वी की संरचना

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 6.
पृथ्वी पर सूर्य के उत्तरायण-दक्षिणायन का क्या कारण है?
उत्तर-
पृथ्वी अपनी धुरी पर सीधी न होकर 23.5 अंश झुकी रहती है, इस कारण सूर्य उत्तरायण-दक्षिणायन होता है।

प्रश्न 7.
भूकम्प नापने की इकाई क्या है?
उत्तर-रिएक्टर।।

प्रश्न 8.
विवर्तनिक प्लेटें कहाँ पाई जाती हैं?
उत्तर-
पृथ्वी की ऊपरी परत या भूपर्पटी पर पाई जाती हैं।

प्रश्न 9.
सुनामी का कारण क्या होता है?
उत्तर-
सागर तल में 7 इकाई से अधिक भूकम्प होने के कारण सुनामी होती है।

प्रश्न 10.
केन्द्र पर वायुदाब कम हो जाने का कारण कैसी हवाएं उत्पन्न होती हैं ?
उत्तर-
चक्रवात हवायें।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 11.
किसी स्थान पर 7 रेक्टर के भूकम्प आने के बाद की स्थिति कैसी होगी?
उत्तर-
7 रेक्टर के भूकम्प सर्वनाशी होते हैं। किसी स्थान पर ऐसे भूकम्प आने पर पूरा क्षेत्र तबाह हो जाता है। पेड़ गिर जाते हैं, भवन धराशायी हो जाते हैं, पुल टूट जाते हैं, जमीन धंस जाती है, भू-स्खलन हो जाता है, बिजली के खम्भे गिर जाते हैं। इस प्रकार जान-माल का बहुत नाश हो जाता है।

प्रश्न 12.
समुद्री धाराएँ क्या होती हैं?
उत्तर-
समुद्री धाराएँ जल में शक्ति का दूसरा रूप हैं। समुद्री धाराओं को समुद्र में बहने वाली नदी भी कहा जाता है। इनमें एक निश्चित दिशा में जल निरन्तर बहता रहता है। कहीं गर्म जल तो कहीं ठण्डा जल बहता है। समुद्री धाराओं के बहने का कारण ढाल नहीं होकर तापक्रम अन्तर, घनत्व में अन्तर होता है। ये धारायें हरीकेन व टाईफून जैसे तूफानों को जन्म देती हैं।

प्रश्न 13.
अपक्षयण की शक्तियों को कृषि में क्या लाभ है?
उत्तर-
अपक्षयण की शक्तियाँ चट्टानों को तोड़कर मिट्टी में बदल देती हैं। सूर्य की गर्मी, वर्षा, पाला व वायु भौतक रूप से चट्टानों को तोड़ती रहती हैं। दिन में सूर्य की गर्मी पाकर चट्टानें फैलती हैं तो रात में ठण्डी होकर सिकुड़ती हैं। बारबार फैलने व सिकुड़ने से चट्टानें कमजोर होकर टूटने लगती हैं। वर्षा जल, चट्टानों की दरारों में जमा पानी पाला बनने पर बर्फ में बदल जाता है तथा चट्टानों के टुकड़े करते हैं। वायु में उड़ते धूल के कण भी चट्टानों से टकराकर चूर्ण बन जाते हैं।

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 15 पृथ्वी की संरचना

प्रश्न 14.
अपक्षयण में मदद करने वाले चार कारण लिखिए।
उत्तर-

  • सूर्य की गर्मी, पाला व वायु चट्टानों को तोड़ती है।
  • बहता हुआ जल, पत्थरों की दरारों में उपस्थित जल पाले के समय में बर्फ में बदलकर चट्टानों को तोड़ते हैं।
  • रासायनिक क्रियायें जैसे ऑक्सीकरण, कार्बोनेटीकरण, जल के अणुओं का जुड़ना, विलेयीकरण चट्टानों को कमजोर कर उनका अपक्षयण करते हैं।
  • पेड़ों की जड़ें, बिल बनाने वाले जन्तु भी इस कार्य में सहायक होते हैं।

प्रश्न 15.
चन्द्रमा की उत्पत्ति कैसे हुई होगी?
उत्तर-
लगभग 4.40 अरब वर्ष पूर्व मंगल ग्रह के आकार के किसी पिण्ड के पृथ्वी से टकराने पर चन्द्रमा की उत्पत्ति हुई चन्द्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है। यह अपनी आकर्षण शक्ति द्वारा समुद्री ज्वार पैदा करता है। निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 16.
पृथ्वी की आन्तरिक संरचना को समझाइए। नामांकित चित्र भी बनाइए।
उत्तर-
पृथ्वी की संरचना परतों के (प्याज के छिलकों की भाँति) रूप में है। पृथ्वी के केन्द्र से सतह की दूरी लगभग 3900 कि.मी. है। पृथ्वी तीन प्रकार की परतों से बनी होती है। इन परतों की मोटाई का सीमांकन रासायनिक व यांत्रिक विशेषताओं के आधार पर किया जाता है।

ऊपरी परत-पृथ्वी की सबसे ऊपरी पर्त ठोस भूपर्पटी होती है। इसे पृथ्वी की त्वचा भी कहा जा सकता है। इसकी मोटाई सभी स्थानों पर एक समान नहीं होती है। इसी अन्तर के कारण कहीं पर पहाड़ तो कहीं समुद्र होते हैं। इस भूतल को दो भागों जलमण्डल व स्थलमण्डल में विभक्त कर सकते हैं। स्थलमण्डल का अधिकांश भाग मिट्टी से बना होता है। जल, थल व वायुमण्डल का वह भाग जिसमें जीवन पाया जाता है उसे जैवमण्डल कहते हैं। पृथ्वी के अतिरिक्त अन्य किसी ग्रह पर जैवमण्डल अभी तक नहीं पाया गया है। भूपर्पटी का 70 प्रतिशत भाग जल से ढका है, जो समतल होता है। शेष 30 प्रतिशत भाग स्थल है, जिस पर कहीं मैदान तो कहीं पर्वत व घाटियाँ व कहीं मरुस्थल होता है।

पृथ्वी के ठण्डे होने के साथ भूपर्पटी विशाल चट्टान खण्डों में बदल गई। इन विशाल चट्टान खण्डों को विवर्तनिक प्लेटें कहते हैं। इन विवर्तनिक प्लेटों पर ही महाद्वीप स्थित हैं। ये प्लेटें धीरेधीरे खिसकती रहती हैं। पृथ्वी की सतह पर 29 विवर्तनिक प्लेटें हैं। तथा इनकी गति बहुत ही धीमी
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 15 पृथ्वी की संरचना image - 1
द्वितीय परतपृथ्वी की द्वितीय पर्त को मेंटल कहते हैं। इसका निर्माण पिघली चट्टानों से हुआ है। इन सिलिकेट चट्टानों में लोहे व मैग्नेशियम की। मात्रा भूपर्पटी की तुलना में अधिक होती है, इसमें बुलबुले उठते रहते हैं। मेंटल पृथ्वी के मध्य भाग पर ऊपर-नीचे होती रहती है।

केन्द्रीय भाग-पृथ्वी का केन्द्रीय भाग क्रोड होता है, जो सबसे गहरा होने के कारण अधिक गर्म होता है (7000°C तापमान) । क्रोड के गर्म होने का कारण पृथ्वी के बनते समय अन्दर रह गई ऊष्मा है। क्रोड के भी दो भाग होते हैं। अन्दर का क्रोड ठोस व शुद्ध लोहे का बना होता है। इसमें सोने व प्लेटिनियम होने की सम्भावना भी बताई गई है। बाहरी क्रोड तरल व मुख्य रूप से इसमें निकिल व लोहा होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि क्रोड स्थिर नहीं होता वरन् पृथ्वी से भी तेज गति से चक्कर लगाता रहता है। क्रोड ही पृथ्वी का सबसे सघन भाग है व पृथ्वी के चुम्बकत्व का कारण भी क्रोड है। पृथ्वी की रासायनिक संरचना उल्काओं। के समान होने के कारण इसे बड़ी उल्का भी कहा जाता है।

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 15 पृथ्वी की संरचना

प्रश्न 17.
पृथ्वी की आन्तरिक विवर्तनिक शक्तियों का क्या अर्थ है? किन्हीं दो का वर्णन करिए।
उत्तर-
आन्तरिक विवर्तनिक शक्तियाँ-पृथ्वी की आन्तरिक विवर्तनिक शक्तियाँ पृथ्वी के अन्दर रहकर कार्य करती हैं व बाहर से दिखाई नहीं देतीं। इन शक्तियों की उत्पत्ति पृथ्वी के नीचे गहराई में उपस्थित ताप से चट्टानों के फैलने व सिकुड़ने तथा पृथ्वी के अन्दर गर्म तरल पदार्थ मैग्मा के स्थानान्तरण के कारण होती है। इस प्रकार की शक्तियों के निम्न उदाहरण दिये जा रहे हैं

ज्वालामुखी (Volcano)-इसमें पृथ्वी के अन्दर होने वाली हलचल के कारण धरती हिलने लगती है तथा भूपटल को फोड़कर धुआं, राख, वाष्प व गैसें । बाहर निकलने लगती हैं। अनेक बार अधिक गर्म चट्टानें पिघलकर लावा के रूप में बाहर बहने लगती हैं। पृथ्वी की सतह पर बने मुख से ज्वालाएँ निकलने के कारण इनका हिन्दी नाम ज्वालामुखी पड़ा। अंग्रेजी में वोल्केनो नाम वेल्केनो द्वीप के नाम पर पड़ा है। इस द्वीप पर उपस्थित पुराने ज्वालामुखी को रोमवासी पातालपुरी का मार्ग

मानते थे। ज्वालामुखी का सम्बन्ध भूगर्भ से होता है। दाब के कारण लावा एक नली के रूप में सतह की ओर ऊपर उठता जाता है और फिर बाहर निकलकर फैलने लगता है।
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 15 पृथ्वी की संरचना image - 2
कुछ ज्वालामुखी निरन्तर सक्रिय रहते हैं तो कुछ रुक-रुककर सक्रिय होते रहते हैं। कई बार सक्रिय रहकर सदी के । लिए बंद हो जाते हैं। वैसे तो ज्वालामुखी संसार के हर भाग में पाए जाते हैं किन्तु प्रायः ये नियमबद्ध मेखलाओं पर उपस्थित रहते हैं। उदाहरण के तौर पर प्रशान्त महासागर के द्वीपों और उनके चारों ओर तटीय भागों में ज्वालामुखी अधिक पाये जाते हैं। ज्वालामुखी से भयावह दृश्य उपस्थित हो जाता है व जानमाल की भारी हानि होती है परन्तु इसके द्वारा बनी मिट्टी उपजाऊ होती है। अनेक उपयोगी पदार्थ जैसे-गंधक, बोरिक अम्ल इत्यादि कीमती धातुएँ लावा के साथ बाहर आ जाती हैं। गर्म पानी के झरने भी इनके कारण बनते हैं।

भूकम्प (Earthquake)-आन्तरिक विवर्तनिक शक्तियों का एक प्रभाव भूकम्प है। भूकम्प शब्द का अर्थ भू-सतह के कम्पन से है। भूगर्भ में होने वाली हलचल से कम्पन होता है। जहाँ की हलचल से कंपन प्रारम्भ होते हैं उसे कम्प-केन्द्र (एपीसेन्टर) कहते हैं। कम्प-केन्द्र से प्रारम्भ होकर तरंगें चारों ओर फैलती जाती हैं। ये तरंगें जब गहराई से भूमि की सतह पर पहुँचती हैं तो सतह कभी आगे-पीछे तो कभी ऊपर-नीचे होती है। भूकम्प का महत्त्व उसकी तीव्रता पर निर्भर करता है। कभी-कभी भूकम्प की तीव्रता इतनी कम होती है कि भूकम्प आने का पता ही नहीं चलता। किसी स्थान की भूकम्प की तीव्रता, भूगर्भ हलचल की तीव्रता तथा कम्प-केन्द्र से दूरी पर निर्भर करती है। समुद्र के पानी के नीचे होने वाले भूकम्प को सागरीय कम्प कहते हैं।
भूकम्प की तीव्रता को रिक्टर पैमाने पर व्यक्त करते हैं । 4 इकाई तक भूकम्प हल्के, 5.5 तक प्रबल, 6 इकाई से ऊपर के भूकम्प विनाशकारी तथा 7 के ऊपर वाले सर्वनाशी होते हैं। इससे सम्पूर्ण क्षेत्र पूर्ण रूप से तबाह हो जाता है।

भूकम्पों की उत्पत्ति का कारण पृथ्वी के अन्दर की बनावट में उत्पन्न असंतुलन होता है। वर्तमान में भूकम्प को प्लेट विवर्तन सिद्धान्त के आधार पर समझा जा सकता है। पृथ्वी की सतह 29 प्लेटों में बंटी है, जिनमें 6 मुख्य हैं। प्लेटें धीरे-धीरे गति करती हैं तथा समस्त घटनाएँ प्लेटों के किनारे पर होती हैं। प्लेटों के किनारे रचनात्मक, विनाशी व संरक्षी तीन प्रकार के होते हैं। विनाशी किनारों पर ही अधिक परिमाण के विनाशक भूकम्प आते हैं। उत्तरी भारत, तिब्बत तथा नेपाल में भूकम्प का कारण प्लेटों के टकराव को माना जाता है। भारत को 5 भागों में बाँटा है जो भूकम्प जोखिम में होते हैं-जम्मू-कश्मीर, हिमालय, उत्तराखण्ड के कुछ भाग अधिक जोखिम के हैं। पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश के कुछ भाग कम जोखिम वाले हैं। इस विभाजन की अवहेलना भी होती देखी गई है। कोलकाता न्यूनतम जोखिम का क्षेत्र होने पर भी वहाँ 1737 में भयानक भूकम्प आया था, जिसमें 3 लाख के लगभग लोग मारे गये थे।

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 15 पृथ्वी की संरचना

प्रश्न 18.
अपरदन का क्या अर्थ है? दो प्रकार की अपरदन शक्तियों का मानव जीवन में महत्त्व बताइए।
उत्तर-
अपरदन-मृदा के निर्माण में अपक्षयण व अपरदन दोनों क्रियायें होती हैं। अपक्षयण में कारकों के द्वारा चट्टानों के टुकड़े, टुकड़ों का चूर्ण इत्यादि होता है परन्तु अपक्षय के कारण एक स्थान पर जमा हुए पदार्थों या कणों को बहाकर या उड़ाकर दूसरे स्थान तक ले जाने के कार्य को या हटाने को अपरदन कहते हैं, जैसे-वायु द्वारा इन कणों को जहाँ उनका निर्माण हुआ है, वहाँ से उड़ाकर दूसरे स्थान पर ले जाने की क्रिया को अपरदन कहा जाता है। इस कार्य हेतु पृथ्वी पर पाये जाने वाले वायु, जल व बर्फ तीनों ऐसे पदार्थ हैं जो बहुत बड़ी मात्रा में इन कणों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते हैं।
अपरदन शक्तियों का मानव जीवन में महत्त्व

बहती वायु की शक्ति-वायु गर्मी पाकर फैलती है और हल्की हो जाने पर ऊपर उठती है। उस स्थान पर वायुदाब कम हो जाता है। वायु अधिक दाब वाले स्थान से कम दाब वाले स्थान की ओर बहती है। बहती हवा को पवन कहते हैं। यदि अन्तर दोनों स्थान पर अधिक होगा तो पवन वेग उतना ही अधिक होगा।

भूमि पर हवाओं की दिशायें समान नहीं होतीं। ऋतुओं के अनुसार इनकी दिशा बदलती रहती है। गर्मियों में हवाएँ 6 महीने तक समुद्र से धरती की ओर चलती हैं जो ग्रीष्मकालीन मानसून का कारण बनती हैं। सर्दियों में 6 महीने धरती से समुद्र की ओर चलती हैं और शीतकालीन मानसून का कारण बनती हैं। मानसून की वर्षा से हमें जल प्राप्त होता है। वर्षा के बहते जल में शक्ति होती है, तेजी से बहता पानी मार्ग में आने वाली रचनाओं को नष्ट करता हुआ अपने साथ बहा ले जाता है। अर्थात् मृदा के कणों को बहा ले जाता है जिससे मृदा अपरदन होता है। असमान वेग की हवाएँ चक्रवात लाती हैं । चक्रवात से उस क्षेत्र के मौसम में परिवर्तन आ जाता है, पेड़ टूटते हैं व छप्पर उड़ जाते हैं तथा बिजली गुल होकर सामान्य जीवन प्रभावित होता है। स्थानीय स्तर पर उत्पन्न दाबान्तर के कारण शक्तिशाली तूफान आ जाते हैं। जिससे भारी तबाही होती है।

बहते पानी की शक्ति-बहते पानी में शक्ति होती है। नदियों में जल बहता है। पहाड़ों से निकलकर झील या समुद्र में समाप्त होने तक नदी घाटी से डेल्टा तक अनेक संरचनाओं का निर्माण करती है। नदी का महत्त्व उसमें बहने वाले पानी पर निर्भर करता है। कुछ नदियाँ केवल वर्षा ऋतु में बहती हैं तो कुछ सम्पूर्ण वर्ष बहती हैं, जैसे-गंगा, यमुना, चम्बल 12 महीनों बहती हैं। मानव सभ्यता के विकास में नदियों का महत्त्व रहा है। बहता जल अपरदन में महत्त्वपूर्ण कार्य करता है व इस शक्ति को जल विद्युत शक्ति में बदला जाता है। ठण्डे क्षेत्रों में बड़े-बड़े बर्फ के शिलाखण्ड पिघलकर बहते हैं जिसे हिमनद या ग्लेशियर कहते हैं। यद्यपि हिमनद की गति धीमी होती है परन्तु विशाल आकार के कारण शक्ति अधिक होती। है। मार्ग में रुकावट बनने वाली चट्टानों को टुकड़े कर देती हैं। ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमनदों का जल पिघलकर समुद्र में आ जाने से समुद्र का तल बढ़ रहा है व आसपास के शहरों का जल में डूबने का खतरा होता जा रहा है।

जल का अधिकांश भाग समुद्रों में होता है। इनमें नदी की जैसे बाढ़ या सूखे जैसी स्थिति देखने को नहीं मिलती। इस कारण समुद्र को शान्त कहा जाता है। किन्तु समुद्री धाराओं में भी अपार शक्ति होती है। वायु के प्रभाव से समुद्र के जल में लहरें उठती हैं। भूकम्प या ज्वालामुखी के फूटने या तूफान आने पर समुद्री लहरें घातक हो जाती हैं। समुद्रों में एक निश्चित दिशा में जल निरन्तर बहता रहता है, कहीं पर गर्म जल तो कहीं पर ठण्डा जल बहता है। इन धाराओं का मानव जीवन पर प्रभाव होता है। गर्म धाराएँ क्षेत्र को गरम तो ठण्डी धाराएँ शीतल कर देती हैं। गर्म धाराओं पर से गुजरने वाली हवाएँ अपने साथ बहुत नमी ले जाती हैं जो ऊँचे स्थानों पर वर्षा करती हैं। जहाँ गर्म व ठण्डी धारायें मिलती हैं, वहाँ तापान्तर के कारण हरीकेन व टाईफून तूफान आते हैं। ज्वार भाटे के रूप में बड़ी मात्रा में शक्ति का संचार होता है।

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 15 पृथ्वी की संरचना

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
पृथ्वी अपनी धुरी पर सीधी न होकर कितने अक्षांश पर झुकी होती है
(अ) 22.5 अंश
(ब) 23.5 अंश
(स) 23.0 अंश
(द) 24.5 अंश

प्रश्न 2.
पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है
(अ) मंगल ग्रह
(ब) उल्का
(स) सूर्य
(द) चन्द्रमा

प्रश्न 3.
पृथ्वी की सतह पर कुल विवर्तनिक प्लेटें पाई गई हैं
(अ) 27
(ब) 28
(स) 29
(द) 39

प्रश्न 4.
पृथ्वी की सबसे मोटी परत को कहते हैं
(अ) क्रोड
(ब) मेंटल।
(स) भूपर्पटी
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं

प्रश्न 5.
पृथ्वी के चुम्बकत्व का कारण है
(अ) क्रोड
(ब) मेंटल।
(स) भूपर्पटी
(द) विवर्तनिक चट्टानें

प्रश्न 6.
वोल्केनो द्वीप पर उपस्थित पुराने ज्वालामुखी को रोमवासी कहते थे
(अ) द्वारकापुरी का मार्ग
(ब) जगन्नाथपुरी का मार्ग
(स) पातालपुरी का मार्ग
(द) उपर्युक्त सभी

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 15 पृथ्वी की संरचना

प्रश्न 7.
सर्वनाशी भूकम्प किस रिएक्टर के होते हैं ?
(अ) 4
(ब) 5
(स) 6
(द) 7

प्रश्न 8.
सर्वाधिक भूकम्प जोखिम के क्षेत्र हैं
(अ) जम्मू-कश्मीर
(ब) हिमाचल
(स) उत्तराखण्ड
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 9.
भारत का वह शहर जो प्राचीनकाल में कई बार जल में डूब चुका है
(अ) मथुरा
(ब) द्वारका
(स) त्रिवेन्द्रम।
(द) कोलकाता

प्रश्न 10.
पृथ्वी का जन्म हुआ था
(अ) सौर केनुला
(ब) सौर जेबुला
(स) सौर नेबुला।
(द) सौर हेम्पर्ड

उत्तरमाला-
1. (ब)
2. (द)
3. (स)
4. (ब)
5. (अ)
6. (स)
7. (द)
8. (द)
9. (ब)
10. (स)

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 15 पृथ्वी की संरचना

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
प्रकृति का सुरक्षा वाल्व किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ज्वालामुखी को कहते हैं।

प्रश्न 2.
ज्वार-भाटा कब होता है?
उत्तर-
सूर्य व चन्द्रमी के सीध में होने पर ज्वार-भाटा होता है।

प्रश्न 3.
बर्फ परत के बहने को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
हिमनद या ग्लेशियर।।

प्रश्न 4.
पृथ्वी पर ऋतुएँ व सूर्य दक्षिणायन-उत्तरायण किस कारण होता है ?
उत्तर-
पृथ्वी अपनी धुरी पर सीधी नहीं होकर 23.5 अंश झुकी रहने के कारण ऋतुएँ व सूर्य उत्तरायण व दक्षिणायन होता है।

प्रश्न 5.
प्रमाणों के अनुसार पृथ्वी का जन्म कब व कहाँ हुआ?
उत्तर-
लगभग 4.5 अरब वर्ष पूर्व सौर नेबुला से हुआ था।

प्रश्न 6.
पृथ्वी का सौरमण्डल में क्या विशेष स्थान है?
उत्तर-
यह सौरमण्डल में व्यास, द्रव्यमान और घनत्व की दृष्टि से सबसे बड़ा ठोस ग्रह है।

प्रश्न 7.
चन्द्रमा की उत्पत्ति किस प्रकार हुई?
उत्तर-
मंगल ग्रह के आकार के एक पिण्ड के पृथ्वी से टकराने से चन्द्रमा की उत्पत्ति हुई।

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 15 पृथ्वी की संरचना

प्रश्न 8.
पृथ्वी के केन्द्र से सतह की कितनी दूरी है?
उत्तर-
लगभग 3000 किलोमीटर।

प्रश्न 9.
पृथ्वी में कितनी गहराई तक छिद्र करना सम्भव है?
उत्तर-
लगभग 15 किलोमीटर की गहराई तक।

प्रश्न 10.
जैवमण्डल किसे कहते हैं?
उत्तर-
जल, थल व वायुमण्डल का वह भाग जिसमें जीवन पाया जाता है, उसे जैवमण्डल कहते हैं।

प्रश्न 11.
विवर्तनिक प्लेटें किसे कहते हैं ?
उत्तर-
भूपर्पटी की विशाल चट्टान खण्डों को विवर्तनिक प्लेटें कहते हैं।

प्रश्न 12.
मेंटल में कौनसे तत्व अधिकता में पाये जाते हैं ?
उत्तर-
मेंटल की सिलिकेट चट्टानों में लोहा व मैग्नीशियम अधिक पाया जाता है।

प्रश्न 13.
पृथ्वी के केन्द्रीय भाग को क्या कहते हैं ? इसका तापमान कितना होता है?
उत्तर-
क्रोड कहते हैं व इसका तापमान 7000°C होने का अनुमान है।

प्रश्न 14.
टेथिस नाम का समुद्र कहाँ था?
उत्तर-
जहाँ आज हिमालय है वहाँ किसी समय टेथिस नाम का समुद्र था।

प्रश्न 15.
विवर्तक शक्तियाँ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
विवर्तक शक्तियाँ वे होती हैं जो पृथ्वी की सतह को बदलने के लिए निरन्तर कार्य करती हैं।

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 15 पृथ्वी की संरचना

प्रश्न 16.
विवर्तक शक्तियाँ कितने प्रकार की होती हैं ?
उत्तर-
दो प्रकार की-आन्तरिक व बाह्य विवर्तक शक्तियाँ।

प्रश्न 17.
तरंगें कब उत्पन्न होती हैं?
उत्तर-
जब आन्तरिक विवर्तनिक शक्तियाँ क्षितिज दिशा में कार्यशील होती हैं तो तरंगें उत्पन्न होती हैं।

प्रश्न 18.
हरीकेन व टाईफून कब बनते हैं ?
उत्तर-
समुद्र के जिन स्थानों पर गर्म व ठण्डी धाराएँ मिलती हैं वहाँ.. तापान्तर पैदा होने से हरीकेन व टाईफून बनते हैं।

प्रश्न 19.
भारत में कौनसा मानसून सर्वत्र वर्षा करता है?
उत्तर-
दक्षिणी-पश्चिमी मानसून सर्वत्र वर्षा करता है।

प्रश्न 20.
सूर्य से किस कारण अनन्त ऊर्जा मिलती है ?
उत्तर-
सूर्य पर होने वाली नाभिकीय अभिक्रिया के कारण अनन्त मात्रा में ऊर्जा प्राप्त होती है।

प्रश्न 21.
उत्तरी भारत, तिब्बत तथा नेपाल में भूकम्प का क्या कारण था?
उत्तर-
विवर्तनिक प्लेटों के टकराव के कारण भूकम्प आया था।

प्रश्न 22.
कम्प केन्द्र (एपीसेन्टर) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
भूगर्भ में जहाँ से हलचल प्रारम्भ होती है, उसे कम्प केन्द्र कहते हैं।

प्रश्न 23.
पृथ्वी की आन्तरिक विवर्तनिक शक्तियों के प्रभाव के उदाहरण बताइए।
उत्तर-
ज्वालामुखी, भूकम्प, सुनामी आदि ।

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 15 पृथ्वी की संरचना

प्रश्न 24.
बाह्य विवर्तनिक शक्तियाँ कितने प्रकार की होती हैं ?
उत्तर-
दो प्रकार की-अपक्षय या अपक्षयण तथा अपरदन।

प्रश्न 25.
हिमनदी से निकलने वाली नदियों के नाम बताइए।
उत्तर-
गंगा व यमुना।

लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह कौनसा है व इसके कार्य लिखिए।
उत्तर-
पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चन्द्रमा है, जिसकी उत्पत्ति एक पिण्ड के पृथ्वी से टकराने पर हुई है। यह अपनी आकर्षण शक्ति द्वारा समुद्री ज्वार पैदा करता है, पृथ्वी के अपनी धुरी पर ठीक से झुके रहने में मदद करता है। पृथ्वी के घूर्णन को धीमा करता है। रात्रि के समय प्रकाश व शीतलता प्रदान करता है।

प्रश्न 2.
पृथ्वी के क्रोड की विशेषता बतलाइए।
उत्तर-
यह पृथ्वी का केन्द्रीय गहरा व अधिक गर्म (7000°C) भाग है। क्रोड के गर्म होने का कारण पृथ्वी के बनते समय अन्दर रह गई ऊष्मा है। पृथ्वी के क्रोड को दो भागों में बाँटा गया है। अन्दर को क्रोड ठोस तथा शुद्ध लोहे का बना है, इसमें सोना व प्लेटिनम भी होता है। बाह्य क्रोड तरल है, इसमें लोहा व निकिल प्रमुखता से विद्यमान होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि क्रोड स्थिर न होकर पृथ्वी से भी तेज गति से चक्कर लगाता रहता है। यह पृथ्वी का सबसे सघन भाग व अधिक घनत्व वाला होता है। पृथ्वी के चुम्बकत्व का कारण क्रोड ही है।

प्रश्न 3.
आन्तरिक विवर्तनिक शक्तियों को समझाइए।
उत्तर-
पृथ्वी के अन्दर रहकर कार्य करने वाली शक्तियों को आन्तरिक विवर्तनिक शक्तियाँ कहते हैं तथा ये बाहर से दिखाई नहीं देती हैं। इनकी उत्पत्ति पृथ्वी की सतह के नीचे गहराई में उपस्थित ताप से चट्टानों के फैलने व सिकुड़ने व पृथ्वी के अन्दर उपस्थित गर्म तरल पदार्थ मैग्मा के स्थानान्तरण के कारण होती है। जब आन्तरिक विवर्तनिक शक्तियाँ भूगर्भ के लम्बवत् कार्य करती हैं तो भूमि की सतह के कुछ भाग ऊपर उठ जाते हैं तो कुछ नीचे दब जाते हैं। इससे सतह पर महाद्वीप, द्वीप, पठार, मैदान, समुद्र आदि का निर्माण होता है। समुद्र में बनने वाली अवसादी चट्टानें उठकर महाद्वीपों के भीतरी भागों में पहुँच जाती हैं।

जब आन्तरिक विवर्तनिक शक्तियाँ क्षितिज दिशा में कार्यशील होती हैं तो तरंगें उत्पन्न होती हैं । इन तरंगों के कारण भू-पृष्ठ की चट्टानों में भारी उथल-पुथल होती है। धरातल पर वलन, भ्रंशन व चटकन पैदा हो जाते हैं। घाटी व पर्वत भी बन जाते हैं।

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 15 पृथ्वी की संरचना

प्रश्न 4.
ज्वालामुखी की घटनाएँ अधिकतर कहाँ होती हैं व इसका प्रभाव बताइए।
उत्तर-
प्रशान्त महासागर के द्वीपों और उनके चारों ओर तटीय भागों में ज्वालामुखी अधिक पाये जाते हैं। वैसे ज्वालामुखी संसार के हर भाग में पाये जाते हैं। ज्वालामुखी से हानि भी होती है परन्तु अनेक लाभ भी होते हैं। इनके द्वारा बनी मिट्टी उपजाऊ होती है और इसमें अनेक उपयोगी रासायनिक पदार्थ जैसे-गंधक, बोरिक अम्ल आदि कीमती धातुएँ लावा के साथ बाहर आ जाती हैं। गर्म पानी के झरने भी इसके कारण ही बनते हैं। ।

प्रश्न 5.
भारत के भूकम्प जोखिम क्षेत्रों के विषय में बताइए।
उत्तर-
भारत में भूकम्प जोखिम क्षेत्रों को 5 भागों में बाँटा गया है। जम्मूकश्मीर, हिमालय, उत्तराखण्ड के कुछ भाग सबसे अधिक जोखिम वाले माने गये हैं। पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश के कुछ भागों को सबसे कम जोखिम का माना जाता है। किन्तु इस विभाजन की अवहेलना भी होती देखी गई है। कोलकाता सबसे कम जोखिम का क्षेत्र है फिर भी वहाँ 1737 में भयानक भूकम्प आया था जिसमें 3 लाख के लगभग लोग मारे गये थे।

प्रश्न 6.
सुनामी किसे कहते हैं? इस पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
आन्तरिक विवर्तनिक शक्तियों के कारण समुद्र में उच्च ऊर्जा वाली लहरें उठती हैं, जिसे सुनामी कहते हैं। ये लहरें तटीय क्षेत्रों में भारी नुकसान पहुँचाती हैं। यह शब्द जापानी भाषा का है जिसका अर्थ भूकंपीय सागरीय लहर से है। जब सागर के तल पर 7 इकाई से अधिक का भूकम्प आता है तब सुनामी होती है। उत्पत्ति केन्द्र से सुनामी दो दिशाओं, गहरे समुद्र की ओर तथा किनारे की ओर चलती है। किनारे की ओर चलने वाली सुनामी ही विनाश करती है। सुनामी के कारण बहकर आने वाला मलबा आदि तट के बहुत अन्दर तक मार करता है। इससे भवनों, मानव व जानवरों आदि को अधिक नुकसान पहुँचता है।

प्रश्न 7.
अपक्षयण की शक्तियाँ क्या कार्य करती हैं?
उत्तर-
अपक्षयण की शक्तियाँ चट्टानों को तोड़कर मिट्टी में बदलने का कार्य करती हैं। सूर्य की गर्मी, वर्षा, पाला व वायु भौतिक रूप से चट्टानों को तोड़ती रहती हैं। दिन में सूर्य की गर्मी पाकर चट्टानें फैलती हैं और रात में ठण्डी होकर सिकुड़ती हैं। बार-बार फैलने व सिकुड़ने से चट्टानें कमजोर होकर टूटने लगती हैं। गर्म चट्टानों पर वर्षा की मार भी उनके टूटने की गति को तेज करती है। वर्षा जल चट्टानों को काटता है। चट्टानों की दरारों में जमा पानी पाला पड़ने पर जमकर बर्फ बनकर फैलता है इससे चट्टानें चटक जाती हैं। वायु के साथ उड़ते धूल के कण भी चट्टानों से टकराकर और बारीक होते जाते हैं।

प्रश्न 8.
असमान वेग की हवाओं का क्या प्रभाव होता है? समझाइए।
उत्तर-
असमान वेग की हवाएँ चक्रवात लाती हैं । चक्रवात में हवाएँ सीधी न चलकर एक वृत्ताकार पथ पर केन्द्रीय बिन्दु की ओर बढ़ती जाती हैं। चक्रवात हवाएँ केन्द्र पर वायुदाब कम हो जाने के कारण उत्पन्न होती हैं। इनका घेरा 400 किलोमीटर से 3000 किलोमीटर तक का होता है। शीतोष्ण कटिबन्ध में चक्रवातों का विस्तार व हवा की गति उष्ण कटिबन्धों की तुलना में अधिक होती है।

चक्रवात के कारण क्षेत्र में मौसम में एकदम परिवर्तन आ जाता है। तेज हवा के साथ घनघोर वर्षा होती है। बादलों के तेज गरज व बिजली की चमक भय उत्पन्न करती है। पेड़ टूटते हैं, छप्पर उड़ जाते हैं। बिजली गुल होकर सामान्य जीवन बाधित होता है।

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 15 पृथ्वी की संरचना

प्रश्न 9.
सृजनात्मक एवं विनाशक प्राकृतिक बल क्या है ? समझाइये।
उत्तर-
पृथ्वी के धरातल पर सदैव दो प्रकार की शक्तियाँ कार्य करती रहती हैं। शक्तियों का एक समूह धरातल पर नये रूपों जैसे पर्वत आदि को बनाने में सहयोग करता है किन्तु दूसरा समूह नये रूप पर्वत आदि का विनाश करना प्रारम्भ कर देता है। धरातल के अन्दर की शक्तियाँ धरातल पर नया निर्माण करती हैं तो बाह्य शक्तियाँ धरातल पर आने वाले रूपों का विनाश करती हैं। जैसे ही कोई स्थल भाग जल के बाहर निकलने लगता है, वैसे ही बाह्य विवर्तनिक शक्तियाँ उस पर अपना प्रहार करने लगती हैं। इनका प्रयास उस ऊपर उठती संरचना को समतल करने का रहता है।

प्रश्न 10.
विवर्तनिक शक्तियाँ किसे कहते हैं? किन्हीं दो आन्तरिक विवर्तनिक शक्तियों का वर्णन कीजिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18 )
उत्तर-
विवर्तनिक शक्तियाँ-कई प्रकार की शक्तियाँ पृथ्वी की सतह को बदलने के लिए निरन्तर कार्य करती हैं, इन्हें ही विवर्तनिक शक्तियाँ कहते हैं। ये दो
प्रकार की होती हैं–

  1. आन्तरिक विवर्तनिक शक्तियाँ
  2. बाह्य विवर्तनिक शक्तियाँ।

दो प्रमुख आन्तरिक विवर्तनिक शक्तियाँ इस प्रकार हैं|

1. ज्वालामुखी (Volcano)- इसमें पृथ्वी के अन्दर होने वाली हलचल के कारण धरती हिलने लगती है तथा भूपटल को फोड़कर धुआं, राख, वाष्प व गैसें बाहर निकलने लगती हैं। अनेक बार अधिक गर्म चट्टानें पिघलकर लावा के रूप में बाहर बहने लगती हैं। पृथ्वी की सतह पर बने मुख से ज्वालाएँ निकलने के कारण इनका हिन्दी नाम ज्वालामुखी पड़ा।

2. भूकम्प (Earthquake)- भूकम्प शब्द का अर्थ भू-सतह के कम्पन से है। भूगर्भ में होने वाली हलचल से कम्पन होता है। जहाँ की हलचल से कंपन प्रारम्भ होते हैं उसे कम्प-केन्द्र (एपीसेन्टर) कहते हैं। कम्प-केन्द्र से प्रारम्भ होकर तरंगें चारों ओर फैलती जाती हैं। ये तरंगें जब गहराई से भूमि की सतह पर पहुँचती हैं तो सतह कभी आगे-पीछे तो कभी ऊपर-नीचे होती है । भूकम्प अपनी तीव्रता के अनुसार पृथ्वी की सतह पर परिवर्तन लाता है।

प्रश्न 11.
पृथ्वी की आन्तरिक विवर्तनिक शक्तियाँ किसे कहते हैं? किन्हीं दो शक्तियों को समझाइए। ( माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
उत्तर-
पृथ्वी की आन्तरिक विवर्तनिक शक्तियाँ पृथ्वी के अन्दर रहकर कार्य करती हैं, बाहर से दिखाई नहीं देतीं । इनकी उत्पत्ति पृथ्वी की सतह के नीचे गहराई में उपस्थित ताप से चट्टानों के फैलने-सिकुड़ने व पृथ्वी के भीतर उपस्थित गर्म तरल पदार्थ मैग्मा के स्थानान्तरण आदि के कारण होती है।

किन्हीं दो शक्तियों के सम्बन्ध में अन्य महत्त्वपूर्ण लघूत्तरात्मक प्रश्न संख्या 10 को देखिये।

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 15 पृथ्वी की संरचना

निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
हिमनद व समुद्री धाराओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
हिमनद (Glaciers)–ठण्डे क्षेत्रों में वर्षा हिमकणों के रूप में होती है, जिसे हिमपात कहते हैं। प्रायः हिमालय जैसे ऊँचे पर्वतों तथा ध्रुवीय क्षेत्रों में हिमपात की स्थिति बनी रहती है। हिमपात के कारण उन क्षेत्रों में बर्फ मोटी परतों में जमी रहती है, किन्तु बाद में गुरुत्वाकर्षण बल के कारण बर्फ की पूरी की पूरी पर्त धीरे-धीरे नीचे की ओर खिसकने लगती है। बर्फ की परतों के बहने को हिमनद या ग्लेशियर कहते हैं। ये बर्फ की शिलाएँ विशाल आकार की होने से इनमें अधिक शक्ति होती है व जो भी मार्ग में बाधा आती है, उसके टुकड़े कर देती है। गंगा व यमुना हिमनदी से निकलने वाली नदियाँ हैं। वर्तमान में ग्लोबल वार्मिंग के कारण पर्वतों व ध्रुवों की बर्फ पिघलती जा रही है तथा पिघला जल समुद्र के तल को बढ़ा रहा है जिसके कारण समुद्र के आसपास के नगर जल में डूबने की स्थिति में हैं। भारत का ही द्वारका शहर अनेक बार जल में डूब चुका है व हर बार नया बसाया जाता रहा है।

समुद्री धाराएँ (Oceanic Currents)-विश्व में सबसे अधिक जल की मात्रा समुद्र में होती है और इसी कारण समुद्र विशाल दिखते हैं। प्रायः समुद्र शान्त होते हैं क्योंकि इनमें बाढ़ व सूखे की स्थिति देखने को नहीं मिलती परन्तु गहराई में देखने पर समुद्री जल में शक्ति देखने को मिलती है। वायु के प्रभाव से समुद्र जल की लहरें ऊपर-नीचे होती रहती हैं। ये समुद्र की लहरें भूकम्प या ज्वालामुखी फूटने या तूफान आने पर घातक हो जाती हैं। इन समुद्री लहरों को समुद्र में बहने वाली। नदी भी कहते हैं।

इन समुद्री लहरों में एक निश्चित दिशा में जल निरन्तर बहता रहता है। कहीं समुद्री धाराओं में गर्म जल बहता है तो कहीं ठण्डा जल बहता है। तापक्रम अन्तर व घनत्व अन्तर के कारण समुद्री धारायें बहती हैं। इन धाराओं का मानव जीवन पर प्रभाव पड़ता है। गर्म धाराएँ क्षेत्र को गर्म तो ठण्डी धाराएँ शीतल कर देती हैं। गर्म धाराओं पर से गुजरने वाली हवाएँ अपने साथ बहुत नमी ले जाती हैं जो ऊँचे स्थानों पर वर्षा का कारण होता है। जिन स्थानों पर गर्म व ठण्डी धाराएँ मिलती हैं वहाँ बहुत तापान्तर पैदा होता है जो हरीकेन व टाईफून जैसे तूफानों को जन्म देता है। जहाजों के संचालन व समुद्री जीवों के जीवन पर धाराओं का प्रभाव पड़ता है।

ज्वार-भाटे के रूप में भी समुद्र जल में बड़ी मात्रा में शक्ति का संचार होता है। ज्वार-भाटा सूर्य व चन्द्रमा के एक सीध में होने पर होता है। ऐसा होने पर समुद्री जल पर गुरुत्वाकर्षण बल बहुत बढ़ जाता है। इसके खिंचाव के कारण ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है।

प्रश्न 2.
बाह्य विवर्तनिक शक्तियों से क्या अभिप्राय है? विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर-
वे शक्तियाँ जो पृथ्वी के बाहर रहकर कार्य करती हैं, उन्हें बाह्य विवर्तनिक शक्तियाँ कहते हैं। कार्य करने की विधि के आधार पर इन शक्तियों को दो भागों में बाँट सकते हैं। प्रथम समूह में वे शक्तियाँ हैं जो अपने स्थान पर रहकर ही कार्य करती हैं। इनमें गति नहीं होती परन्तु ये प्रारम्भिक तैयारी कर, बाह्य विवर्तनिक शक्तियों के दूसरे समूह की सहायता करती हैं। प्रथम प्रकार की बाह्य विवर्तनिक शक्तियों को अपक्षय या अपक्षयण की शक्तियाँ (Weathering forces) कहते हैं तथा दूसरे प्रकार की अर्थात् गति से कार्य करने वाली शक्तियों को अपरदन की शक्तियाँ (Erosion forces) कहते हैं।

अपक्षयण की शक्तियाँ (Weathering forces)-इस प्रकार की शक्तियाँ चट्टानों को तोड़कर मिट्टी में बदलने के लिए प्रयासशील रहती हैं। सूर्य की गर्मी, वर्षा, पाला व वायु भौतिक रूप से चट्टानों को तोड़ती रहती हैं। दिन में सूर्य की गर्मी पाकर चट्टानें फैलती हैं और रात में ठण्डी होकर सिकुड़ती हैं। बार-बार फैलने व सिकुड़ने से चट्टानें कमजोर होकर टूटने लगती हैं। गर्म चट्टानों पर वर्षा की मार भी उनके टूटने की गति को तेज करती है। वर्षा जल चट्टानों को काटता भी है। चट्टानों की दरारों में जमा पानी पाला पड़ने पर जम कर बर्फ बनकर फैलता है। इससे उत्पन्न बल चट्टानों को चटका देता है। वायु के साथ उड़ते धूल के कण जब चट्टानों से टकराते हैं तो रेगमाल की भाँति चट्टानों को घिसते हैं । निरन्तर अनेक वर्षों तक इन शक्तियों का व्यापक प्रभाव चलता रहता है। यही कारण है कि रेगिस्तान में पहाड़ नहीं होते, ‘इसका मुख्य कारण वायु की अपक्षयण शक्ति को माना जाता है। अपक्षयण शक्ति ने रेगिस्तान के पहाड़ों को रगड़कर रेत बना डाला है।

प्रकृति में अनेक रासायनिक क्रियाएँ जैसे ऑक्सीकरण, कार्बोनेटीकरण, जल के अणुओं का जुड़ना, विलेयीकरण आदि भी चट्टानों को कमजोर कर उनके अपक्षयण में सहायता करते हैं। पेड़-पौधे, जीव-जन्तु व मानव जैसी शक्तियाँ भी अपक्षयण में सहायता करते हैं। पेड़ों की जड़े चट्टानों में प्रवेश कर व वृद्धि कर उन्हें तोड़ने का कार्य करती हैं। जन्तु बिल बनाकर, मानव मशीन व बारूद की सहायता से चट्टानों को तोड़ता है। जीव भी रासायनिक पदार्थों को स्रावित कर अपक्षयण में मददगार होते हैं। मिट्टी का निर्माण अपक्षयण से ही होता है अतः कृषि की दृष्टि से अपक्षयण की शक्तियाँ बहुत उपयोगी हैं।

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 15 पृथ्वी की संरचना

अपरदन की शक्तियाँ (Erosion forces)-वायु, जल व बर्फ तीनों ही पदार्थ अधिक मात्रा में एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर बहते हैं । इनके बहाव में शक्ति होने के कारण मार्ग में आने वाली बड़ी संरचनाएँ टूटकर बहती चली जाती हैं। ये तीनों पदार्थ अपरदन के साथ-साथ अपक्षयण भी करते हैं।
बहती वायु में शक्ति होती है। पृथ्वी के हर भाग पर तथा वर्ष के विभिन्न महीनों में सूर्य की ऊर्जा समान मात्रा में नहीं पहुँचती है। ऊर्जा के इस असन्तुलन के कारण हवा कहीं गर्म तो कहीं अधिक गर्म होती है। हवा गर्मी पाकर फैलती है व हल्की होने के कारण ऊपर उठती है तथा उस स्थान पर वायु दाब कम हो जाता है। ऐसे में अधिक दाब वाले स्थान से वायु कम दाब वाले स्थान की ओर बहने लगती है। बहती हवा को पवन कहते हैं। पवन की गति दोनों स्थानों के वायुदाब के अन्तर पर निर्भर करती है। हवाओं की दिशा भी बदलती रहती है। हवायें ही वर्षा का कारण बनती हैं। असमान वेग की हवाएँ चक्रवात उत्पन्न करती हैं। चक्रवात से मौसम में परिवर्तन आ जाता है। चक्रवात व तूफान दोनों ही तबाही मचाते हैं। बहते जल में भी अपार शक्ति होती है। हिमपात व हिमनद में भी अधिक शक्ति होती है परन्तु हिमनदों के विशाल आकार के कारण इनकी शक्ति बहुत अधिक होती है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण बर्फ पिघल रही है व समुद्र की सतह ऊपर उठती जा रही है।

समुद्र वैसे शान्त होते हैं परन्तु गहराई से देखने पर समुद्र जल में शक्ति होती है तथा इनकी लहरों में भी शक्ति विद्यमान होती है। समुद्र में एक निश्चित दिशा में जल निरन्तर बहता रहता है। कहीं समुद्री धाराओं में गर्म जल बहता है तो कहीं ठण्डा जल। समुद्री धाराओं के बहने का कारण तापक्रम अन्तर घनत्व में अन्तर होता है। गर्म धाराएँ क्षेत्र को गर्म तो ठण्डी धाराएँ शीतल कर देती हैं। गर्म धाराओं पर से गुजरने वाली हवाएँ अपने साथ बहुत नमी ले जाती हैं तो ऊँचे स्थानों पर वर्षा करती हैं । जिन स्थानों पर गर्म व ठण्डी धाराएँ मिलती हैं, वहाँ बहुत तापान्तर पैदा हो जाता है जो हरीकेन व टाईफून जैसे तूफानों को जन्म देता है। ज्वार-भाटे के रूप में भी समुद्र जल में बड़ी मात्रा में शक्ति का संचार होता है। ये सभी शक्तियाँ अपरदन की क्रियायें करती हैं।

We hope the given RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 15 पृथ्वी की संरचना will help you. If you have any query regarding Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 15 पृथ्वी की संरचना, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

Share this:

  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window)
  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on Facebook (Opens in new window)

Related

Filed Under: Class 10

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Rajasthan Board Questions and Answers

Recent Posts

  • RBSE Solutions for Class 7 Maths Chapter 4 Rational Numbers Ex 4.1
  • RBSE Solutions for Class 10 Maths Chapter 17 Measures of Central Tendency Additional Questions
  • RBSE Solutions for Class 10 Maths Chapter 3 Polynomials Additional Questions
  • RBSE Solutions for Class 10 Maths Chapter 4 Linear Equation and Inequalities in Two Variables Ex 4.1
  • RBSE Class 9 Maths Notes Chapter 12 Heron’s Formula
  • RBSE Solutions for Class 7 Maths Chapter 2 Fractions and Decimal Numbers In Text Exercise
  • RBSE Solutions for Class 10 Maths Chapter 1 Vedic Mathematics Additional Questions
  • RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 9 Denudation
  • RBSE Solutions for Class 9 Social Science Chapter 12 Physical Features of India
  • RBSE Solutions for Class 5 Maths Chapter 5 Multiples and Factors Additional Questions
  • RBSE Solutions for Class 10 Social Science Geography Chapter 1 Resource and Development

Footer

RBSE Solutions for Class 12
RBSE Solutions for Class 11
RBSE Solutions for Class 10
RBSE Solutions for Class 9
RBSE Solutions for Class 8
RBSE Solutions for Class 7
RBSE Solutions for Class 6
RBSE Solutions for Class 5
RBSE Solutions for Class 12 Maths
RBSE Solutions for Class 11 Maths
RBSE Solutions for Class 10 Maths
RBSE Solutions for Class 9 Maths
RBSE Solutions for Class 8 Maths
RBSE Solutions for Class 7 Maths
RBSE Solutions for Class 6 Maths
RBSE Solutions for Class 5 Maths
Target Batch
RBSE Class 11 Political Science Notes
RBSE Class 11 Geography Notes
RBSE Class 11 History Notes

Copyright © 2022 RBSE Solutions

 

Loading Comments...