Rajasthan Board RBSE Class 11 Accountancy Chapter 14 लेखांकन में कम्प्यूटर
RBSE Class 11 Accountancy Chapter 14 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
RBSE Class 11 Accountancy Chapter 14 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
MIS का पूरा नाम है
(अ) Manage Information System
(ब) Management Information System
(स) Merge Informatic System
(द) Management Interface System
उत्तर:
(अ) Manage Information System
प्रश्न 2.
डाटा प्रवाह चित्र को निम्न में से किस नाम से जाना जाता है ?
(अ) डाटा चित्र
(ब) बबल चित्र
(स) प्रवाह चित्र
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(ब) बबल चित्र
प्रश्न 3.
आठ बिट्स का समूह कहलाता है
(अ) फाइल
(ब) रिकार्ड
(स) बाइट
(द) कोई नहीं
उत्तर:
(स) बाइट
प्रश्न 4.
डिफेन्स इंजन का आविष्कार किसने किया ?
(अ) चार्ल्स बेबेज
(ब) पास्कल
(स) लेडी एडा लवलेस
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) चार्ल्स बेबेज
प्रश्न 5.
निम्न में से कौन-सा आउटपुट उपकरण है ?
(अ) मॉनीटर
(ब) माउस
(स) सीपीयू
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) मॉनीटर
प्रश्न 6.
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) का प्रयोग होता है।
(अ) व्यवहार प्रक्रियांकन प्रणाली में ।
(ब) प्रबन्ध सूचना प्रणाली में
(स) विशेषज्ञ प्रणाली में
(द) एक्सीक्यूटिव सूचना प्रणाली में।
उत्तर:
(स) विशेषज्ञ प्रणाली में
प्रश्न 7.
टैली सॉफ्टवेयर है
(अ) पूर्व निर्मित
(ब) टेलरमेड,
(स) कस्टमाइज्ड
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) पूर्व निर्मित
प्रश्न 8.
फ्लोचार्ट में प्रतिबन्ध (Condition) का प्रतीक है-
(अ) बॉक्स
(ब) डायमण्ड
(स) ऑवल
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) डायमण्ड
प्रश्न 9.
निर्णय तालिका में रूल की संख्या का सूत्र है
(अ) 2n
(ब) 3n
(स) 4n
(द) 5n
उत्तर:
(अ) 2n
प्रश्न 10.
डाटा प्रवाह चित्र में खुला आयत ⊂ या समानान्तर रेखाएँ = प्रतीक है
(अ) डाटा स्रोत
(ब) रूपान्तरण प्रक्रिया
(स) डाटा प्रवाह
(द) डाटा संग्रह
उत्तर:
(द) डाटा संग्रह
RBSE Class 11 Accountancy Chapter 14 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
कम्प्यूटर कार्य प्रणाली को ब्लॉक डायग्राम बनायें।
उत्तर-
प्रश्न 2.
लेखांकन सूचना प्रणाली का अर्थ बताइए।
उत्तर-
लेखांकन सूचना प्रणाली वित्तीय लेन-देनों का वर्गीकरण करती है तथा प्रत्येक आयगत, व्ययगत, सम्पत्ति व दायित्व पक्ष के व्यवहारों को संकेतन प्रदान करती है।
प्रश्न 3.
लेखांकन सूचना प्रणाली की उप प्रणालियों के नाम बताइए।
उत्तर-
लेखांकन सूचना प्रणाली की निम्न उप-प्रणालियाँ हैं-
- बाजार एवं विक्रय विश्लेषण प्रणाली,
- उत्पादन प्रबन्ध प्रणाली,
- जर्नल लेखा प्रणाली,
- प्राप्य देयता एवं भुगतान प्रणाली ।।
प्रश्न 4.
डाटा बेस से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सूचनाओं का ऐसा संकलन जिसमें डाटा को सारणी के रूप में व्यवस्थित किया जाए, डाटा बेस कहलाता है।
प्रश्न 5.
कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कम्प्यूटर से कार्य लेने हेतु आवश्यक क्रमादेशों (Programmes) के समूह को सॉफ्टवेयर कहते हैं।
प्रश्न 6.
कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली के विभिन्न तत्त्वों के नाम बताइए।
उत्तर-
- स्रोत प्रपत्रीकरण,
- सम्बन्धित फाइल,
- जर्नल लेजर मास्टर फाइल,
- सब्सिडायरी लेजर मास्टर फाइल,
- ओपन फाइल,
- ट्रांसलेशन फाइल।
प्रश्न 7.
लेखांकन सॉफ्टवेयर के प्रकार बताइए।
उत्तर-
- पूर्वनिर्मित सॉफ्टवेयर,
- टेलर मेड सॉफ्टवेयर,
- स्प्रेडशीट सॉफ्टवेयर।
प्रश्न 8.
मानवकृत व कम्प्यूटरीकृत लेखांकन में दो अन्तर बताइए ।
उत्तर-
मानवकृत लेखांकन | कम्प्यूटरीकृत लेखांकन |
1. इसमें वित्तीय विवरण बनाने के लिए तलपट तैयार करना अनिवार्य है। | इसमें सॉफ्टवेयर के द्वारा वित्तीय विवरण स्वयं ही तैयार हो। जाते हैं। |
2. इसमें वर्गीकरण या खाताबही के खातों में खतौनी मानव द्वारा हस्तलिखित की जाती है। | इस प्रणाली में डाटाबेस में संग्रहीत किये हुए डाटा से स्वयं सॉफ्टवेयर द्वारा प्रोसेस होकर खाताबही के खाते तैयार हो जाते हैं। |
प्रश्न 9.
फ्लोचार्ट के विभिन्न प्रतीक बताइए।
उत्तर-
फ्लोचार्ट के प्रतीक
(बॉक्स) कार्य करने का प्रतीक
(डाइमंड) प्रश्नवाचक प्रतीक
(ऑवल) किसी कार्य के आरम्भ तथा अन्त होने का प्रतीक
प्रश्न 10.
निर्णय तालिका में मुख्य भाग कौन-कौन-से होते हैं ?
उत्तर-
निम्न मुख्य भाग हैं-
- प्रतिबन्ध परिचायक,
- कार्यवाही परिचायक,
- हैडिंग,
- प्रतिबन्ध विवरण,
- क्रिया विवरण,
- कार्यवाही प्रविष्टियाँ,
- प्रतिबन्ध प्रविष्टियाँ,
- नियम
प्रश्न 11.
कम्प्यूटर के इनपुट-आउटपुट डिवाइस के नाम बताइए।
उत्तर-
इनपुट डिवाइस OCR, OMR, MICR, Touch Pad, Touch Screen. Scanner, Mouse आउटपुट डिवाइस-Monitor, Printer, Plotter
प्रश्न 12.
सिस्टम प्रपत्रीकरण का अर्थ बताइए।
उत्तर-
प्रणाली विकास जीवन चक्र में प्रत्येक चरण पर प्रलेख निर्दिष्ट होते हैं जिसे सिस्टम प्रपत्रीकरण कहा जाता है।
प्रश्न 13.
डाटा प्रवाह चित्र को किस नाम से जाना जाता है ? इसे सर्वप्रथम किसने बनाया ?
उत्तर-
डाटा प्रवाह चित्र (DFD) को बबल चार्ट के नाम से जाना जाता है । इसे सर्वप्रथम लैरी कान्सटेन्टाइन ने बनाया था।
प्रश्न 14.
कम्प्यूटर की प्राथमिक एवं द्वितीयक स्मृतियों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
प्राथमिक स्मृति-RAM द्वितीयक स्मृति-सी. डी; डी.वी. डी, हार्डडिस्क आदि ।
प्रश्न 15.
माइक्रोप्रोसेसर के मुख्य भाग बताइए।
उत्तर-
माइक्रो प्रोसेसर के तीन मुख्य भाग होते हैं
- कन्ट्रॉल यूनिट,
- अर्थमेटिक एण्ड लॉजिकल यूनिट,
- मेमोरी यूनिट।
RBSE Class 11 Accountancy Chapter 14 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
प्रबन्धन सूचना प्रणाली से क्या अभिप्राय है ? इसकी व्याख्या करें ।
उत्तर-
यह एक ऐसी सूचना प्रणाली है जो प्रबन्ध को उचित निर्णय लेने हेतु सम्पूर्ण सूचनाएँ विभिन्न विकल्पों के साथ प्रदान करती है। यह प्रणाली ऐसी सूचनाएँ एकत्रित करती है जो समयानुकूल, सटीक तथा व्यक्तिगत होती हैं। इनके आधार पर प्रबन्धकों को नियन्त्रण करने, मुश्किलों से छुटकारा पाने, व्यापारिक गतिविधियों को जाँचने, विकास की गति मापने तथा निर्णय लेने में आसानी रहती है। इसमें डाटा स्रोत आन्तरिक तथा बाह्य दोनों होते हैं । शुरू-शुरू में प्रबन्धकीय सूचना प्रणाली को वित्तीय सूचनाओं को प्रदान करने की एक प्रणाली समझा जाता था । लेकिन व्यवसाय और प्रबन्धकीय ज्ञान का विकास होने के साथ-साथ इसका क्षेत्र बढ़ाया गया और लेखांकन सूचना प्रणाली भी इसके अंग के रूप में कार्य करती है।
प्रश्न 2.
लेखांकन सूचना प्रणाली के अन्तर्गत समंक संसाधन चक्र को बताइए।
उत्तर-
लेखांकन सूचना प्रणाली के अन्तर्गत समंक संसाधन चक्र इस प्रकार है
- मूल विपत्र-डाटा प्रोसेसिंग के प्रथम चरण में मूल विपत्र तैयार किये जाते हैं जो प्रमाणक कहलाते हैं।
- निवेश इस चरण में लेखांकन आँकड़ों को कम्प्यूटर में इनपुट किया जाता है । यह दोहरी प्रविष्टि विधि पर कार्य करता है ।।
- संचयन-इस चरण में रिक्त डाटा रिकॉर्ड में समंकों को संचित किया जाता है । लेखांकन का डाटा बेस प्रारूप तैयार करने के लिए समंक संचयन ढाँचे का निर्माण किया जाता है।
- रूपान्तरण-वार्षिक रिपोर्ट तैयार करने के लिए समंकों का रूपान्तरण आवश्यक होता है ।।
- निर्गम-रूपान्तरित समंकों की सहायता से रोकड़ बही, खाताबही, तलपट, अन्तिम खातों आदि वित्तीय विवरणों को पूर्व तैयार प्रारूप के अनुसार प्राप्त किया जाता है।
प्रश्न 3.
लेखांकन सूचना प्रणाली को लागू करने में प्रणाली डिजाइन चरण को समझाइए।
उत्तर-
लेखांकन सूचना प्रणाली का ढाँचा इस प्रकार तैयार किया जाता है कि सही सूचना सही व्यक्ति के पास पहुँचे।
प्रस्तुतीकरण स्तर यह निर्धारित करता है कि उपयोगकर्ता को दी जाने वाली सूचना का प्रस्तुतीकरण किस प्रकार किया जाये । वर्तमान में सूचना एवं समंकों को देखने हेतु उपयोगकर्ता विभिन्न प्रकार की डिजिट डिवाइसों का प्रयोग करता है।
केन्द्रीय डाटा बेस में व्यवसाय से सम्बन्धित सभी लेन-देन संग्रहीत रहते हैं। इसमें व्यवसाय की व्यापारिक क्रियाओं; जैसे क्रय, विक्रय, स्टॉक, खर्चे का भुगतान आदि व्यवहारों से उत्पन्न सभी प्रकार के समंक एक निश्चित प्रारूप में रखे जाते हैं। व्यवसाय के प्रबन्धकों को निर्णय लेने हेतु जब भी किसी समंक की आवश्यकता होती है तो डांटा बेस में से समंकों को प्राप्त करके उन पर आवश्यक प्रक्रियांकन कर सूचना प्राप्त कर ली जाती है। समंकों को पुनः प्राप्त करना एवं उन पर प्रक्रियांकन कर सूचना निर्माण करने का कार्य एप्लीकेशन लेयर पर किया जाता है तथा एप्लीकेशन लेयर तार्किक रूप से प्रक्रियांकन किए गए समंकों को प्रस्तुतीकरण लेयर पर भेजता
प्रश्न 4.
डाटा बेस में डाटा सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं ? विभिन्न सम्बन्धों को बताइए।
उत्तर-
डाटाबेस तकनीकी का सबसे बड़ा लाभ है—डाटा बेस के रिकॉड के मध्य सम्बन्ध । विभिन्न फाइलों के रिकॉर्डों के मध्य तीन तरह के सम्बन्ध स्थापित किये जा सकते हैं –
एक-से-एक (One to One)—प्रथम फाइल का एक रिकॉर्ड यदि दूसरे फाइल के एक और सिर्फ एक रिकॉर्ड से सम्बन्धित होता है तो यह एक-से-एक सम्बन्ध कहलाता है । जैसे
एक-से-अधिक (One to Many)-प्रथम फाइल का एक रिकॉर्ड यदि दूसरे फाइल के एक से अधिक रिकॉर्डों से सम्बन्धित होता है तो प्रथम फाइल को दूसरी फाइल से सम्बन्ध एक से अधिक कहलाता है, जैसे
अधिक-से-अधिक (Many-to Many)-प्रथम फाइल के एक से अधिक रिकॉर्ड दूसरे फाइल के एक से अधिक रिकों से सम्बन्धित होते हैं तो अधिक से अधिक सम्बन्ध कहलाता है।
प्रश्न 5.
सिस्टम प्रपत्रीकरण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
अर्थ (Meaning)-प्रणाली विकास जीवन चक्र में प्रत्येक चरण पर प्रलेख निर्दिष्ट होते हैं, जिसे सिस्टम प्रपत्रीकरण कहा जाता है। बड़े संगठनों में औपचारिक प्रणाली विकास प्रमाण होते हैं। सामान्यतः प्रपत्रीकरण की विशिष्ट रूपरेखा संगठन के प्रणाली विकास के प्रलेख प्रमापों में परिभाषित की जाती है।
आवश्यकता (Need)-संगठन को पुनः प्राप्ति के उद्देश्य से सभी प्रलेखों की बेकअप कॉपी रखनी चाहिए ताकि किसी मामले में मूल के नष्ट हो जाने या उद्देश्य विहीन हो जाने पर इनका उपयोग किया जा सके । प्रणाली प्रलेखों की सामयिक जाँच होनी चाहिए ताकि यह प्रमाणित किया जा सके कि वे पूर्णरूप से चालू और पर्याप्त हैं।
सामान्यतः प्रोग्रामर अपने क्लाइन्ट की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रोग्राम बनाता है जिसे क्लाइन्ट को स्वयं प्रयोग में लेना होता है । क्लाइन्ट चूंकि अन्त प्रयोक्ता होता है, अत: उसके लिए प्रोग्राम को समझना कठिन होता है। अतः यह उचित होगा कि वह अपने प्रोग्राम लेने के सभी आवश्यक निर्देश एक पुस्तिका में लिखकर प्रयोक्ता को दें, यह पुस्तिका प्रोग्राम दस्तावेज कहलाती है।
प्रश्न 6.
फ्लो चार्ट का अर्थ बताते हुए उसके लाभ व सीमाएँ बताइए।
उत्तर-
अर्थ (Meaning)-फ्लो चार्ट एक रेखाचित्र होता है जो प्रोग्रामर द्वारा बनाया जाता है। इसमें किसी समस्या के समाधान के लिए की जाने वाली प्रक्रिया के विभिन्न चरणों को क्रमबद्ध रूप से प्रदर्शित किया जाता है। यह ऐसे परस्पर सम्बन्धों को दर्शाता है। जो तुरन्त स्पष्ट नहीं होते क्योंकि फ्लोचार्ट प्रत्येक चरण एवं उसके कार्यों को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है।
लाभ-
- फ्लो चार्ट की सहायता से लम्बी विधियाँ अधिक सरलता एवं शीघ्रता से समझ में आ सकती हैं।
- किसी भी समस्या के लिए बनाया गया फ्लो चार्ट उसकी विस्तृत रूपरेखा होता है।
- किसी व्यावसायिक डाटा की समस्या की जानकारी कुशल व्यक्तियों को दी जा सकती है।
- फ्लो चार्ट प्रोग्राम को पुनः लिखने या उसमें परिवर्तन करने के लिए एक उत्तम प्रलेख का काम करता है।
सीमाएँ-
- यदि समस्या का तर्क जटिल हो तो फ्लो चार्ट भी जटिल हो सकता है।
- यदि फ्लो चार्ट में कोई संशोधन करना होता है तो पूरा फ्लो चार्ट दोबारा बनाना पड़ता है।
- प्रत्येक प्रोग्रामर समस्या का समाधान अपने तरीके से करता है तथा उसी के अनुसार फ्लो चार्ट बनाता है।
प्रश्न 7.
निर्णय तालिका का अर्थ बताते हुए इसके लाभ वे दोष बताइए।
उत्तर-
अर्थ (Meaning)-
निर्णय तालिका एक सारणी की तरह है जिसमें पंक्तियों तथा कॉलमों का प्रयोग प्रोग्राम के लिए दी। गई सभी शर्तों की जाँच करने तथा उन्हें सही या गलत होने की स्थिति में लिए जाने वाले निर्णयों को दर्शाने के लिए किया जाता है। यह किसी फ्लोचार्ट के साथ संलग्न रहती है जो किसी भी संभाव्ये घटना को परिभाषित करती है।
लाभ-
- यह निर्णय, तर्क या प्रोसेसिंग के यथार्थ एवं पूरे विवरण के लिए ढाँचा प्रस्तुत करती है।
- यह प्रोग्रामर पर सभी सम्भाव्य परिस्थितियों के माध्यम से सोचने के लिए एक अनुशासन लागू करती है।
- निर्णय तालिका फ्लोचार्ट की अपेक्षा बनाने में सरल होती है।
हानि-
- समस्या के हल का समस्त अनुक्रम स्पष्ट रूप से प्रदर्शित नहीं होता।
- फ्लोचार्ट में समस्या के हल का समग्र दृश्य उपस्थित होता है उस प्रकार का निर्णय तालिका में सम्भव नहीं।
प्रश्न 8.
डाटा प्रवाह चित्र को उदाहरण के द्वारा समझाइए।
उत्तर-
डाटा प्रवाह चित्र (DFD) जिसे बबल चार्ट के रूप में जाना जाता है । DFID का मुख्य उद्देश्य तन्त्र आवश्यकताओं को स्पष्ट करना है जिन्हें तन्त्र के उन रूपान्तरों को पहचानना है जिन्हें तन्त्र को डिजाइन करते समय प्रोग्रामों के रूप में बदला जाएगा । अर्थात् DFD को तन्त्र की डिजाइन प्रक्रिया का प्रारम्भिक बिन्दु माना जा सकता है । DFID बहुत से बबल का समूह होता है जिसे रेखाओं की सहायता से जोड़ा जाता है।
चित्र-वेतन गणना के तंत्र का DFD.
यहाँ प्रत्येक बबल डाटा के रूपान्तर को दर्शाता है तथा रेखाएँ डाटा के प्रवाह को प्रदर्शित करती हैं।
प्रश्न 9.
कम्प्यूटर की कार्य प्रणाली को ब्लॉक डायग्राम के माध्यम से समझाइए ।
उत्तर-
कम्प्यूटर इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोसेसिंग के द्वारा तीव्रगति एवं परिशुद्धता से निर्गम उपलब्ध कराने में सक्षम है । कम्प्यूटर । की संरचना में स्विच तार, मोटरें, ट्रांजिस्टर, एकीकृत परिपथ इत्यादि होते हैं।
कम्प्यूटर की कार्य प्रणाली
RBSE Class 11 Accountancy Chapter 14 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मान लें आपका 1.1.2015 को स्थानीय बैंक में बचत खाता है। वार्षिक ब्याज दर 5% है। ब्याज को प्रत्येक माह के अन्त पर चक्रवृद्धि किया जाता है। यह मानकर कि आपका आरम्भिक जमा Rs x है। दो वर्षों के लिए प्रत्येक माह के अन्त पर आपके खाते के शेष के प्रिण्ट आउट का फ्लोचार्ट बनायें ।
उत्तर-
प्रश्न 2.
Rs 10,000 के एक निवेश पर 3% pa. की दर से 10, 11, 12, 13 तथा 14 वर्षों के लिए साधारण ब्याज की गणना तथा मुद्रण के लिए फ्लोचार्ट बनायें।
उत्तर-
प्रश्न 3.
ABC कम्पनी से खरीदे गए सामान के विवरण शुल्क के लिए नियम निम्नलिखित है
वितरण शुल्क की गणना करने के लिए ग्राहकों को दो वर्गों में बाँटा गया है। प्रथम जिनका क्षेत्र कोड 10 या अधिक है तथा दूसरे जिनका कोड 10 से कम है।
यदि कोड 10 से कम है तथा बीजक राशि Rs 10,000 से कम है तब वितरण शुल्क Rs 200 बीजक राशि में जोड़ा जाएगा। परन्तु यदि बीजक राशि Rs 10,000 या अधिक है तब वितरण शुल्क Rs 100 होगा।
कोड 10 या अधिक होने पर उसके संगत वितरण शुल्क क्रमशः Rs 250 तथा Rs 150 हैं।
उत्तर-
Decision Table
प्रश्न 4.
लेखांकन सॉफ्टवेयर के प्रकार बताइए एवं एक पूर्व निर्मित सॉफ्टवेयर की कार्यप्रणाली को बताइए।
उत्तर-
लेखांकन सॉफ्टवेयर के प्रकार (Types of Accounting Software)
लेखांकन सॉफ्टवेयर के प्रमुख तीन प्रकार निम्नलिखित हैं
- पूर्वनिर्मित सॉफ्टवेयर
- टेलरमेड सॉफ्टवेयर
- स्प्रेडशीट पैकेज
व्यापार में पूर्व निर्मित बहुत से सॉफ्टवेयर हैं जो छोटे एवं मध्यम व्यवसायियों द्वारा उपयोग में लिए जाते हैं, इन्हें पूर्व निर्मित लेखांकन सॉफ्टवेयर कहा जाता है। किन्तु यदि व्यवसाय बड़ा हो तथा उसकी आवश्यकता एवं सौदों की प्रकृति अलग-अलग हो तो लेखांकन सॉफ्टवेयर विकसित भी कराया जा सकता है, जिन्हें टेलर मेड सॉफ्टवेयर कहते हैं। यदि पूर्व निर्मित लेखांकन सॉफ्टवेयर में व्यवसाय की आवश्यकतानुसार परिवर्तन कर दिया जाए तो वह कस्टमाइज्ड सॉफ्टवेयर बन जाता है । कम्प्यूटरीकृत वातावरण में बनाई गई स्प्रेडशीट को भी व्यावसायिक लेखांकन में प्रयोग किया जा सकता है। सामान्यतः बड़े संस्थान ERP (Enterprise Resource Planning) पैकेज को प्राथमिकता देते हैं, जहाँ संस्थान के अलग-अलग भागों में कार्यों के लिए अलग-अलग मॉड्युल्स बने होते हैं।
एक पूर्व निर्मित सॉफ्टवेयर की कार्यप्रणाली को इस प्रकार समझा जा सकता है इसमें प्रत्येक ग्राहक मास्टर फाइल का बाप होता है जो ग्राहक के व्यावसायिक संस्थान के लेखे निर्माण हेतु उस संस्थान का नाम, पता, फोन नम्बर तथा अन्य विवरण, पेन नम्बर, टिन नम्बर आदि की सूचना दर्ज करता है । इसके अलावा लेखांकन अवधि वित्तीय वर्ष की प्रथम एवं अन्तिम तिथि प्रवेशित कराकर लेखांकन वर्ष का निर्धारण करता है। कुछ लेखांकन सॉफ्टवेयर सुविधा हेतु पासवर्ड की सुविधा उपलब्ध कराते हैं।
इस समय बाजार में Tally, E.X. Busy, The Professional Accountant आदि सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं।
प्रत्येक खाते की प्रकृति के अनुसार सम्पत्ति, दायित्व, आय एवं व्यय वर्ग में बाँटकर उनके संकेतकों को मास्टर फाइल में जोड़ दिया जाता है । यदि खाते पहले से चलते आ रहे हैं तो पिछले वर्ष के शेष इस वर्ष के आरम्भ में सीधे मास्टर फाइलों से सम्बन्धित खातों में प्रविष्ट करा दिये जाते हैं। प्रत्येक कम्पनी द्वारा अपने मापदण्ड निर्धारण किये जाने चाहिए ताकि नकद, बैंक, विभिन्न देनदार एवं लेनदार के बारे में सिस्टम को जानकारी दी जा सके। उत्पाद का विवरण, माप की इकाई,प्रारम्भिक स्टॉक व मूल्य की जानकारी उत्पाद मास्टर फाइल में इन्द्राज की जानी चाहिए तथा स्टॉक के मूल्यांकन का आधार प्रथम आगमन प्रथम निर्गमन (FIFO), अन्तिम आगमन प्रथम निर्गमन (LIFO), भारित औसत आदि की सूचना भी उत्पाद मास्टर फाइल में दी जानी चाहिए।
सामान्यतया एक प्रमापित पूर्व निर्मित लेखांकन सॉफ्टवेयर में निम्न मास्टर फाइल्स् काम में ली जाती हैं
कम्पनी मास्टर फाइल, लेखा मास्टर फाइल, उप-लेखा मास्टर फाइले, ग्राहक मास्टर फाइल, विक्रेता मास्टर फाइल, विभाग मास्टर फाइल आदि ।
सामान्यतः लेखों की प्रविष्टि वाउचर के द्वारा की जाती है। सामान्यतया पूर्व निर्मित लेखांकन सॉफ्टवेयरों में निम्न आधारभूत कार्यों की स्क्रीन उपलब्ध होती है
- नकद प्राप्ति एवं भुगतान प्रविष्टि हेतु
- बैंक से प्राप्ति एवं भुगतान प्रविष्टि हेतु
- सामान्य प्रविष्टि
- छोटे-छोटे नकद भुगतान हेतु
- क्रय आदेश,क्रय वापसी हेतु
- विक्रय आदेश, चालान, बीजक एवं विक्रय वापसी हेतु
- डेबिट एवं क्रेडिट नोट
- नकद बिक्री एवं क्रय मीमो।
सामान्यत: कैश बुक, बैंक बुक, क्रय-पुस्तिका,विक्रय पुस्तिका आदि सॉफ्टवेयर में रखी जाती है जिनसे रिपोर्ट प्राप्त की जा सकती है
प्रश्न 5.
लेखांकन सूचना प्रणाली को लागू करने के विभिन्न चरणों को समझाइए।
उत्तर-
लेखांकन सूचना प्रणाली सबसे पुरानी और अत्यधिक लोकप्रिय सूचना प्रणाली है। इसका प्रयोग लाभ कमाने वाले तथा लाभ न कमाने वाले दोनों प्रकार के संगठनों द्वारा किया जाता है। यह प्रणाली लेखा विभाग के साथ-साथ विक्रय बिभाग, उत्पादन विभाग तथा मानव संसाधन विभाग आदि विभागों के लिए भी उपयोगी है।
एक लेखांकन सूचना प्रणाली एक संगठन की क्रियाओं की व्याख्या करती है तथा संस्था के संचालन हेतु वित्तीय रिकॉर्डों को बनाये रखती है। आँकड़ों को सूचना के रूप में परिवर्तित करती है तथा सूचनाओं को संगठन के अन्दर-बाहर के लोगों को उपलब्ध कराती है।
लेखांकन सूचना प्रणाली को लागू करने के चरण
1. योजना (Planning) – एक लेखा प्रणाली को लागू करने के पहले चरण में परियोजना के उद्देश्य एवं क्षेत्र, परियोजना की जिम्मेदारियाँ, नियन्त्रण, परियोजना के चरण, बजट, प्रत्येक चरण का अनुमानित समय एवं अन्तिम आउटपुट आदि का निर्धारण किया जाता है।
2. आवश्यकता विश्लेषण (Requirement Analysis) – वर्तमान प्रणाली की कमियों को समझने के लिए प्रणाली के लेन-देन, व्यवहारों, रिपोर्टों तथा प्रश्नों को जिनका उत्तर दिया जाना है, का संकलन किया जाता है।
3. प्रणाली डिजाइन (System Design) – सूचना का इनपुट डिजाइन तथा आउटपुट प्रारूप का निर्धारण करके प्रणाली संकेतक तैयार किये जाते हैं। डिजाइन चरण में यह ध्यान रखा जाता है कि डिजाइन प्रबन्धकों के द्वारा आवश्यकता विश्लेषण के समयं दी गई सहमति के अनुसार है।
4. प्रलेख एवं जाँच (Documentation and Testing) – किसी भी प्रणाली के तैयार होने के बाद में प्रणाली की प्रक्रिया तथा प्रणाली को प्रयोग में लेने से सम्बन्धित निर्देश पुस्तिका तैयार की जाती है जो प्रणाली के साथ क्रेता को दी जाती है। किसी भी प्रणाली को लागू करने से पूर्व समंकों के इनपुट एवं आउटपुट द्वारा यह जाँच कर लेनी चाहिए कि प्रणाली का निर्माण उपयोगकर्ता की आवश्यकता के अनुरूप है।
5. क्रियान्वयन एवं रख-रखाव (Implementation and Maintenance) – जॉच के दौरान जब सूचना तन्त्र सही पाया जाता है तो उसे प्रयोक्ता के कार्य स्थल पर क्रियान्वित कर उन्हें प्रयोग तथा जाँच के लिए दे दिया जाता है। परिपालन के लिए सर्वप्रथम कम्प्यूटर हार्डवेयर को इन्सटाल किया जाता है। उसके बाद उसमें तन्त्र के सभी प्रोग्राम एक-एक करके डाल दिये जाते हैं।
प्रश्न 6.
मानवकृत एवं कम्प्यूटरीकृत लेखांकन में तुलना के विभिन्न आधारों से स्पष्ट करते हुए वर्तमान में व्यवसाय में कम्प्यूटर के अनुप्रयोग पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
हस्तचलित (मानवीय) एवं कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली में अन्तर (Difference between Manual and Computerized Accounting)
अन्तर का आधार (Basis of Difference) |
हस्तचलित (मानवीय) लेखांकन (Manual Accounting) | कम्प्यूटरीकृत लेखांकन (Computerized Accounting) |
1. लेखांकन | इसमें प्रारम्भिक प्रविष्टि की पुस्तकों में लेन-देनों का लेखांकन एवं अन्य गणनाएँ; जैसे-जोड़ना, घटाना आदि हस्तलिखित ही की जाती हैं। | इसमें लेन-देनों का लेखांकन अर्थात् डाटा बेस में डाटा को संग्रह करने का कार्य तो हाथ से कम्प्यूटर में टाइप करके किया जाता है तथा शेष सभी क्रियाएँ कम्प्यूटर द्वारा की जाती हैं। |
2. वर्गीकरण | इसमें वर्गीकरण अथवा खाताबही के खातों में खतौनी मानव द्वारा हस्तलिखित की जाती है। | इस प्रणाली में डाटा बेस में संग्रहित किये हुए डाटा से स्वयं सॉफ्टवेयर द्वारा प्रोसेस होकर खाताबही के खाते तैयार हो जाते हैं। |
3. सारांश तैयार करना | इसमें सारांश तैयार करना अर्थात् खाताबही के खातों के शेष निकालना एवं तलपट तैयार करना हस्तलिखित होता है। | इसमें डाटा बेस में एक बार डाटा को संग्रह करने के बाद तलपट स्वयं ही तैयार हो जाता है। |
4. समायोजन प्रविष्टियाँ | इसमें समायोजन प्रविष्टियों की पहचान, लेखांकन एवं उनकी खतौनी आदि मानव द्वारा हस्तलिखित की जाती है। | इसमें समायोजन प्रविष्टियों की पहचान तथा लेखांकन तो हाथ से कम्प्यूटर में टाइप करके किया जाता है तथा खतौनी आदि शेष सभी कार्य सॉफ्टवेयर द्वारा किये जाते हैं। |
5. वित्तीय विवरण | इसमें वित्तीय विवरण बनाने के लिए तलपट तैयार करना अनिवार्य है। | इसमें सॉफ्टवेयर के द्वारा वित्तीय विवरण स्वयं ही तैयार हो जाते हैं। |
6. पुस्तकें बन्द करना | इसमें लेखा पुस्तकों को बन्द करने और इनके शेषों को हस्तान्तरित करने के लिए प्रारम्भिक व अन्तिम प्रविष्टि बनाने का कार्य मानव द्वारा हस्तलिखित रूप में किया जाता है। | इसमें लेखा’ पुस्तकों को बन्द करने का कार्य सॉफ्टवेयर द्वारा किया जाता है तथा प्रारम्भिक शेष डाटा बेस में संग्रहित रहते हैं। |
7. गति | इसमें लेखांकन कार्य की गति धीमी होती है। | इसमें लेखांकन कार्य की गति बहुत तेज होती है। |
8. परिशुद्धता | इसके द्वारा किये गये लेखांकन कार्य में परिशुद्धता ठीक-ठाक होती है। | इसमें परिशुद्धता बहुत अधिक होती है। |
9. मर्जयन | इसके द्वारा निर्णयन बहुत अधिक किये जाते हैं। | इसके द्वारा निर्णयन बहुत कम किये जाते हैं। |
10. निर्देशों की अनुपाक्ना | इसमें निर्देशों की अनुपालना बहुत कम होती है। | इसमें निर्देशों की अनुपालना बहुत अच्छी होती है। |
कण्यूटर के व्यावसायिक अनुप्रयोग –
कम्प्यूटर का प्रयोग संचार, परिवहन, बैंकिंग, बीमा, अन्तरिक्ष विज्ञान, रक्षा, व्यवसाय आदि में प्रभावशाली तरीके से किया जाता है। ई-कॉमर्स, ई-बिजनेस, ई-रिटेलिंग, ई-पेमेन्ट, ई-गर्वनेन्स, ई-फाइलिंग इत्यादि कम्प्यूटर सूचना प्रणाली पर आधारित हैं। व्यवसाय के आन्तरिक एवं बाह्य पक्षकार इंटरनेट, इंट्रानेट या एक्ट्रानेट के माध्यम से जुड़े रहते हैं।
प्रायोगिक कार्य :
- विद्यार्थी किसी व्यावसायिक संस्थान की लेखांकन सूचना प्रणाली को प्रायोगिक अध्ययन करें।
- विद्यार्थी लेखांकन सॉफ्टवेयर जैसे टैली आदि पर प्रायोगिक कार्य करें।
Leave a Reply