Rajasthan Board RBSE Class 11 Biology Chapter 10 केन्द्रक एवं गुणसूत्र
RBSE Class 11 Biology Chapter 10 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
RBSE Class 11 Biology Chapter 10 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
सोलेनायड किस संरचना से सम्बन्धित है –
(अ) केन्द्रक
(ब) केन्द्रिका
(स) क्रोमेटिन
(द) न्यूक्लिओइड
प्रश्न 2.
क्रोमेटिन का उपयुक्त अभिरंजक है –
(अ) सेफ्रेनीन
(ब) एसीटोकारमीन
(स) लाइट ग्रीन
(द) एनीलीन ब्ल्यू
प्रश्न 3.
जीवाणुओं में निम्न में से क्या अनुपस्थित होता है –
(अ) DNA
(ब) हिस्टोन
(स) RNA
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4.
संकोशिकी (Coenocyte) दशा का उदाहरण है –
(अ) वाउचेरिया शैवाल
(ब) रेखित पेशी की कोशिकाएँ
(स) एस्कैरिस की एपीथीलियल कोशिकाओं में
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5.
केन्द्रक झिल्ली का उद्भव किस कोशिकीय अवयव से होता है –
(अ) माइटोकॉन्ड्रिया
(ब) गाल्जीकाय
(स) अंतर्द्रव्यी जालिका
(द) लाइसोसोम
प्रश्न 6.
राइबोसोम की उत्पत्ति किससे होती है –
(अ) केन्द्रिक
(ब) गुणसूत्र
(स) केन्द्रक झिल्ली
(द) केन्द्रक द्रव्य
प्रश्न 7.
आनुवंशिक रूप से अधिक सक्रिय भाग को कहते हैं –
(अ) क्रोमेटिन
(ब) यूक्रोमेटिन
(स) हैटरोक्रोमेटिन
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
प्रश्न 8.
अर्धगुणसूत्रों का निर्माण कोशिका विभाजन की किस अवस्था में होता है –
(अ) अन्तरावस्था
(ब) पूर्वावस्था
(स) मध्यावस्था
(द) पश्चावस्था
प्रश्न 9.
गेहूं में आधारीय गुणसूत्र की संख्या है –
(अ) 42
(ब) 07
(स) 21
(द) 14
प्रश्न 10.
एक अर्धगुणसूत्र (Chromatid) में DNA के कितने अणु पाये जाते हैं –
(अ) एक
(ब) दो
(स) चार
(द) कई
उत्तरमाला:
1. (स), 2. (ब), 3. (ब), 4. (अ), 5. (स), 6. (अ), 7. (ब), 8. (अ), 9. (ब), 10. (अ)
RBSE Class 11 Biology Chapter 10 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
केन्द्रक की खोज किस वैज्ञानिक ने की ?
उत्तर:
केन्द्रक की खोज राबर्ट ब्राउन (1831) ने की।
प्रश्न 2.
गुणसूत्र के किस भाग से केन्द्रिक (Nucleolus) बनता है?
उत्तर:
गुणसूत्र के केन्द्रकीय संगठनी क्षेत्र (Nucleolar organizing region) से बनता है।
प्रश्न 3.
यूक्रोमेटिन एवं हेटरोक्रोमेटिन नाम किसने प्रतिपादित किये ?
उत्तर:
एमिल हिट्ज (Emil Heitz) ने यूक्रोमेटिन एवं हेटरोक्रोमेटिन नाम प्रतिपादित किये।
प्रश्न 4.
त्रिगुणित गुणसूत्र संख्या किस ऊतक में पायी जाती है ?
उत्तर:
आवृतबीजीय (Angiosperm) पादपों के भ्रूणपोष में गुणसूत्र संख्या त्रिगुणित (3n) होती है।
प्रश्न 5.
जीवों में सर्वाधिक अगुणित गुणसूत्र संख्या कितनी है ?
उत्तर:
आलोकैन्था में सर्वाधिक अगुणित गुणसूत्र संख्या 800 होती है।
प्रश्न 6.
मध्यकेन्द्री गुणसूत्र से किस आकृति के गुणसूत्र बनेंगे ?
उत्तर:
मध्यकेन्द्री गुणसूत्र से ‘V’ आकृति के गुणसूत्र बनेंगे।
प्रश्न 7.
गुणसूत्रों में पाये जाने वाले अम्लीय प्रकृति के प्रोटीन का नाम बताइये।
उत्तर:
गुणसूत्रों में पाये जाने वाले अम्लीय प्रकृति के प्रोटीन का नाम नॉन-हिस्टोन्स (nonhistones) है।
प्रश्न 8.
कोड कण (core particle) में कौनसी हिस्टोन प्रोटीन अनुपस्थित होती है ?
उत्तर:
कोड कण (core particle) में H1 हिस्टोन प्रोटीन अनुपस्थित होती है।
प्रश्न 9.
एक सोलेनाइड में कितने न्यूक्लिओसोम उपस्थित होते हैं?
उत्तर:
एक सोलेनाइड में 6 न्यूक्लिओसोम उपस्थित होते हैं।
प्रश्न 10.
पोलिटीन गुणसूत्रों का निर्माण किस कोशिका विभाजन के द्वारा होता है ?
उत्तर:
अंतः पुनः द्विगुणन विभाजन द्वारा पोलीटीन गुणसूत्रों का निर्माण होता है।
RBSE Class 11 Biology Chapter 10 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
गुणसूत्र की आकारिकी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
गुणसूत्रों की लम्बाई 1µ से 20µ तक तथा चौड़ाई 0.2µ से 30µ तक होती है। गुणसूत्रों में निम्न भाग पाये जाते हैं
- अर्धगुणसूत्र (Chromatid): मेटाफेज में प्रत्येक गुणसूत्र के दो लम्बवत् भाग दिखाई देते हैं जिसे अर्धगुणसूत्र कहते हैं। दोनों अर्धगुणसूत्र एक ही गुणसूत्र बिन्दु से जुड़े रहते हैं।
- क्रोमोमीयर (Chromomere): प्रोफेज अवस्था में क्रोमेनिमेय पर बिन्दुनुमा संरचनाएँ पाई जाती हैं जिन्हें क्रोमोमीयर कहते हैं। ये जीन के समान होते हैं। इसलिए गुणसूत्रों को आनुवंशिकता का वाहक कहा जाता है।
- गुणसूत्र बिन्दु (Centromere): किसी गुणसूत्र की लम्बाई में किसी एक स्थान पर दबा हुआ भाग अर्थात् प्राथमिक संकीर्णन (Primary constriction) पाया जाता है जिसे गुणसूत्र बिन्दु कहते हैं।
- farieich Hantuft (Secondary Constriction): केन्द्रक में केवल एक जोड़ी गुणसूत्र पर प्राथमिक संकीर्णन के अतिरिक्त द्वितीयक संकीर्णन पाया जाता है।
- अनुषंग या सेटेलाइट (Satellite): गुणसूत्र का द्वितीयक संकीर्णन से ऊपर का भाग सेटेलाइट कहलाता है। सेटेलाइट का स्थान और आकार निश्चित होने के कारण यह भी गुणसूत्र का विशिष्ट लक्षण माना जाता है।
- टीलोमीटर (Telomere): गुणसूत्र के दोनों छोर टीलोमीयर कहलाते हैं। इनमें ध्रुवता पाई जाती है।
प्रश्न 2.
केन्द्रक के प्रमुख कार्य क्या हैं ?
उत्तर:
केन्द्रक के कार्य (Functions of Nucleus):
- केन्द्रक कोशिका का मात्र सामान्य अंग नहीं है बल्कि यह कोशिका का नियन्त्रण केन्द्र है।
- सम्पूर्ण आनुवंशिकी का केन्द्र केन्द्रक ही है, जिसमें गुणसूत्र, जीन्स व डीएनए पाये जाते हैं।
- कोशिकाद्रव्य की सामान्य क्रियाओं के संचालन।
- आनुवंशिक सूचनाओं के स्थानान्तरण।
- पूरे समय में जीव को जीवित रहने हेतु केन्द्रक आवश्यक
- समसूत्री विभाजन में सक्रिय योगदान।
- राइबोसोम को जीवित जनन।
- rRNA (राइबोसोमल आर.एन.ए.) एवं प्रोटीन का निर्माण।
- कोशिका की समस्त उपापचयी क्रियाओं का नियन्त्रण केन्द्रक द्वारा किया जाता है।
- DNA की पुनरावृत्ति एवं अनुलेखन क्रियाएँ केन्द्रक में ही होती हैं।
प्रश्न 3.
सेटेलाइट गुणसूत्र क्या है ?
उत्तर:
गुणसूत्र के सिरे पर स्थित लगभग गोलाकार संरचना पाई जाती है जिसे सेटेलाइट (Satellite) कहते हैं। यह गुणसूत्र के अन्य भागों से द्वितीयक संकीर्णन (Secondary constriction) के द्वारा अलग होता है। जिन गुणसूत्रों में सेटेलाइट पाया जाता है उसे सेटेलाइट गुणसूत्र (Satellite Chromosome) अथवा सैट-गुणसूत्र (SATChromosome) कहते हैं। सैटेलाइट का स्थान और आकार निश्चित होने के कारण यह भी गुणसूत्र (Chromosome) का विशिष्ट लक्षण माना जाता है।
प्रश्न 4.
अर्धगुणसूत्र क्या होते हैं ?
उत्तर:
मध्यावस्था में प्रत्येक गुणसूत्र में दो लम्बवत् भाग दिखाई देते हैं जिन्हें अर्धगुणसूत्र (Chromatids) कहा जाता है। ये दोनों अर्धगुणसूत्र एक ही गुणसूत्र बिन्दु (Centromere) से जुड़े रहते हैं। एनाफेज में सेन्ट्रोमीयर के विभाजन होने से दोनों अर्धगुणसूत्र अलग हो जाते हैं। इन्हें पुत्री गुणसूत्र कहते हैं। अन्तरावस्था में प्रत्येक अर्ध गुणसूत्र अत्यन्त कुंडलित होकर क्रोमोनीमेटा का निर्माण करते हैं।
प्रश्न 5.
दो विशाल गुणसूत्रों के नाम एवं उनके कार्य बताओ।
उत्तर:
- पोलीटीन गुणसूत्र (Polytene Chromosome)
- लैम्पब्रुश गुणसूत्र (Lampbrush Chromosome)
(1) पोलीटीन गुणसूत्र के कार्य (Functions of Polytene Chromosome):
- इन गुणसूत्रों का स्थान निर्धारण करने वाले गुणसूत्र के संरचनात्मक परिवर्तनों को पहचानने में है।
- m RNA का निर्माण।
(2) लैम्पब्रुश गुणसूत्र के कार्य (Functions of Lampbrush Chromosome):
- इनका मुख्य कार्य पीतक (Yolk) के निर्माण में।
- प्रोटीन तथा RNA का संश्लेषण करना है।
प्रश्न 6.
संकोशिका (Coenocyte) एवं सिनसियम (Syncytium) में अन्तर बताइये।
उत्तर:
प्रत्येक कोशिका में सामान्यतः एक ही केन्द्रक होता है। परन्तु कुछ कोशिकाओं में अनेक केन्द्रक पाये जाते हैं, इसे बहुकेन्द्रकीयं (Multinucleated) अवस्था कहते हैं। जन्तुओं में बहुकेन्द्रकीय अवस्था को सिनसियम (Syncytium) अवस्था कहते हैं। उदाहरण-रेखित पेशी कोशिका, उपास्थि कोशिका आदि। पादपों में बहुकेन्द्रकीय अवस्था को सीनोसाइट (Coenocyte) अवस्था कहते हैं। उदाहरण-नारियल का भ्रूणपोष, वाउचेरिया (Vaucheria) आदि।
प्रश्न 7.
केन्द्रिका (Nucleolus) की संरचना का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
केन्द्रिका (Nucleolus)
इसकी खोज फोन्टाना (1781) ने की। यह झिल्ली रहित संरचना है। केन्द्रक में एक या अनेक केन्द्रिक हो सकती हैं। केन्द्रिक का निर्माण गुणसूत्रों के द्वितीयक संकीर्णन क्षेत्र से होता है। अतः ये संकीर्णन केन्द्रिक संघटक कही जाती हैं। केन्द्रिक में मुख्यतः प्रोटीन्स DNA व RNA पाये जाते हैं। केन्द्रिक में कम महत्त्व वाला तरल होता है जो रवाहीन आधात्री या पार्स एमोफ कहलाता है। केन्द्रिक निम्न चार अवयवों का बना होता है –
- तन्तुकी भाग (Fibrillar Part): इसमें DNA व RNA के तन्तुक होते हैं। DNA के तन्तुक समूह में पाये जाते हैं। DNA से rRNA का निर्माण होता है।
- कणिकीय भाग (Granular Part): ये राइबोन्यूक्लिओप्रोटीन के कण होते हैं।
- रवाहीन मैट्रिक्स (Amorphous Matrix): यह प्रोटीन से बना होता है तथा इसमें ही तन्तुकी व कणिकीय भाग अन्त:स्थापित रहते हैं, इसे पार्स एमोफ भी कहते हैं।
- क्रोमेटिन (Chromatin): केन्द्रिका को घेरे रहने वाले भाग को बाह्य केन्द्रकीय क्रोमेटिन तथा केन्द्रिक के अन्दर की ओर स्थित रहने वाले को अंत:केन्द्रकीय क्रोमेटिन कहते हैं। केन्द्रिक को राइबोसोम की फैक्ट्री (Factory) कहते हैं। इसका मुख्य कार्य rRNA का संश्लेषण करना व राइबोसोम बनाने का है।
प्रश्न 8.
न्यूक्लिओसोम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
गुणसूत्र न्यूक्लिओप्रोटीन से बने होते हैं। इनमें DNA, RNA, हिस्टोन प्रोटीन व अन्य प्रोटीन होते हैं। नवीनतम खोज के आधार पर वुडकोक (Woodcock, 1973) के अनुसार क्रोमेटिन में माला के समान गोल दाने की जैसे रचनाएँ होती हैं, जो एक-दूसरे से दूरी पर होती हैं, इन्हें न्यूक्लिओसोम (nucleosome = Nu body) कहा। न्यूक्लिओसोम अर्धबेलनाकार (quasi-cylindrical) हिस्टोन प्रोटीन (कुल 8 प्रोटीन अणु) के बने होते हैं, इन प्रोटीन्स अणुओं के चारों तरफ DNA कुण्डली (दो कुण्डलियाँ) के रूप में व्यवस्थित रहता है। न्यूक्लिओसोम का मध्य या क्रोड (core) चार हिस्टोन – H2A, H3B, H3 तथा H4 (प्रत्येक हिस्टोन के दो अणु इस प्रकार कुल आठ प्रोटीन अणु) का बना होता है।
अतः क्रोड पर द्विरज्जुक DNA (140 क्षारक युग्म लगभग \(\frac { 3 }{ 4 }\) चक्कर (turns) बनाता हुआ लिपटा रहता है। जब इस प्रकार के छ: न्यूक्लिओसोम कुंडलित होकर पास-पास में व्यवस्थित होते हैं, तब इस इकाई को सोलेनाइड (Solanoid) कहते हैं। दो न्यूक्लिओसोम को ज़ोड़ने वाले DNA को linker DNA या spacer DNA कहते हैं। लिंकर DNA में लगभग 80 क्षारक जोड़ियाँ (Base pairs) होते हैं। ए. क्लुग (A. Klug) को न्यूक्लियक अम्ल तथा प्रोटीन की जटिल संरचना के इस आविष्कार हेतु 1982 में नोबल पुरस्कार प्राप्त हुआ था।
प्रश्न 9.
विषमपिक्नोसिस (Heteropycnosis) क्या है ? इसके प्रकार बताइये।
उत्तर:
विषमपिक्नोसिस (Heteropycnosis):
पादपों तथा जन्तुओं का अधिकतर जातियों में कोशिका विभाजन के समय कुछ गुणसूत्रों के कुछ खण्ड अधिक अथवा कम संघनित दिखाई देते हैं। यह घटना विषमपिक्नोसिस (Hetcropycnosis) कहलाती है। विषमपिक्नोसिस दो प्रकार के हो
सकते हैं – धनात्मक विषमपिक्नोसिस व ऋणात्मक विषमपिक्नोसिस। धनात्मक विषमपिक्नोसिस अधिक संघनन के तथा ऋणात्मक विषमपिक्नोसिस अल्प संघनन के कारण होता है। यदि क्रोमेटिन पदार्थ पूरे कोशिका विभाजन चक्र के दौरान बहुत अधिक संघनित रहता है। तो इसे हेटरोक्रोमेटिन (Heterochromatin) कहते हैं और यदि कम संघनित क्रम कुण्डलित अथवा फैला हुआ रहता है, तो यूक्रोमेटिन (Euchromatin) कहलाता है।
प्रश्न 10.
निम्न में अन्तर बताइये –
(क) यूकैरियोटिक एवं प्रोकैरियोटिक कोशिका का केन्द्रक
(ख) हेटरोक्रोमेटिन एवं युक्रोमेटिन
(ग) गुणसूत्र एवं अर्धगुणसूत्र
(घ) प्राथमिक संकीर्णन एवं द्वितीयक संकीर्णन।
उत्तर:
(क) यूकैरियोटिक एवं प्रोकैरियोटिक कोशिका का। केन्द्रक में अन्तर –
यूकैरियोटिक कोशिका का केन्द्रक | प्रोकैरियोटिक कोशिका को केन्द्रक |
1. केन्द्रीय पदार्थ, केन्द्रीय आवरण द्वारा घिरा होता है। | केन्द्रकीय पदार्थ, केन्द्रकीय आवरण द्वारा घिरा नहीं होता है। |
2. केन्द्रक कोशिकाद्रव्य से पृथक् होता है। | यह कोशिकाद्रव्य में पड़ा रहता है। इन्हें केन्द्रकाभ (Nucleoid) कहते हैं। |
3. केन्द्रिका उपस्थित। | केन्द्रिका अनुपस्थित । |
(ख) हेटरोक्रोमेटिन एवं यूक्रोमेटिन में अन्तर –
हेटरोक्रोमेटिन (Heterochromatin) | यूक्रोमेटिन (Euchromatin) |
1. यह गहरा अभिरंजित (Stained) होता है। | हल्का अभिरंजित होता है। |
2. यह अधिक संघनित एवं कुण्डलित होता है। | यह कम संघनित एवं कुण्डलित होता है। |
3. ये भाग आनुवंशिक रूप से निष्क्रिय होते हैं। | ये सक्रिय होते हैं। |
4. अन्तरावस्था में इनके DNA की प्रतिकृतिकरण विलम्ब से होती है। | इनमें पाये जाने वाले DNA का प्रतिकृतिकरण पहले होता है। |
(ग) गुणसूत्र एवं अर्धगुणसूत्र में अन्तर –
गुणसूत्र (Chromosome) | अर्धगुणसूत्र (Chromatid) |
1. एक अणुसूत्र में चार भुजाएँ होती हैं। | जबकि इसमें दो भुजायें होती हैं । |
2. चारों भुजायें एक ही सेन्ट्रोमीटर से जुड़ी होती हैं। | जबकि इसमें दोनों भुजायें एक ही सेन्ट्रोमीटर से जुड़ी होती हैं। |
3. मध्यावस्था में स्पष्ट नजर आते हैं। | जबकि ये एनाफेज अवस्था में स्पष्ट नजर आते हैं। |
(घ) प्राथमिक संकीर्णन एवं द्वितीयक संकीर्णन में अन्तर –
प्राथमिक संकीर्णन (Primary Constriction) | द्वितीयक संकीर्णन (Secondary Constriction) |
1. गुणसूत्रों की लम्बाई में किसी एक स्थान पर दबा हुआ भाग प्राथमिक संकीर्णन कहलाता है। | प्राथमिक संकीर्णन के अतिरिक्त पाया जाने वाला संकीर्णन द्वितीयक संकीर्णन कहलाता है। |
2. इसे सेन्येमीयर कहते हैं। कोशिका विभाजन के साथ तर्क तन्तु इससे जुड़ते हैं। | ये केन्द्रिका से सम्बन्धित हैं इसलिए इन्हें केन्द्रिक संघटक क्षेत्र कहते हैं। |
3. सेन्ट्रोमीयर के दोनों पाश्र्वो पर प्रोटीन की तश्तरीनुमा रचनाएँ पाई जाती हैं जिन्हें काईनोफोम कहते हैं। | इसमें ऐसी कोई रचना नहीं पायी जाती है। |
RBSE Class 11 Biology Chapter 10 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
केन्द्रक की संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
केन्दक झिल्ली (Nuclear membrane):
केन्द्रक झिल्ली को केन्द्रक आवरण या न्यूक्लियोलेमा कहते हैं। सर्वप्रथम इरक्लेव ने 1845 में केन्द्रक झिल्ली की खोज की। केन्द्रक कला दोहरी इकाई झिल्ली (double unit membrane) द्वारा निर्मित होती है। जिसे क्रमशः बाह्य केन्द्रक झिल्ली (Outer nuclear membrane) व अन्तःकेन्द्रक झिल्ली (Inner Nuclear Membrane) कहते हैं। ये केन्द्रक को घेर कर रखती हैं।
दोनों झिल्लियों के बीच 75Å की दूरी होती है तथा इस स्थान को परिकेन्द्रकी अवकाश (Perinuclear Space) कहते हैं। बाह्य केन्द्रक झिल्ली पर राइबोसोम उपस्थित होते हैं इसलिए इसे एक्टोकेरियाथिक कहते हैं जबकि आन्तरिक पर राइबोसोम का अभाव होता है। अतः इसे एण्डोकोरियोथिका कहते हैं। केन्द्रक झिल्ली छिद्रयुक्त होती है। ये छिद्र 300 से 400 Å व्यास के वृत्ताकार या अष्टकोणीय केन्द्रक छिद्र (Nuclear pore) हैं। ये छिद्र एक-दूसरे से 1500 Å की दूरी पर पाये जाते हैं।
ये वृत्ताकार वलियाकाओं (circular annule) द्वारा आबद्ध रहते हैं। छिद्र तथा वलयिका (annulus) दोनों मिलकर रंध्र सम्मिश्र (pore complex) बनाते हैं। इन छिद्रों द्वारा अनेक पदार्थों का आदान-प्रदान कोशिका द्रव्य व केन्द्रकीय द्रव्य के मध्य होता रहता है। कोशिका विभाजन की टोलोफेज (Tolophase) अवस्था के दौरान। अन्तद्रव्यी जालिका (ER) के तत्त्वों के संयोजन द्वारा इनका निर्माण होता है।
प्रश्न 2.
गुणसूत्र की संरचना का नामांकित चित्र बनाकर वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अन्तरावस्था (Interphase) के दौरान, क्रोमेटिन धागे जाल (Network) के रूप में उपस्थित होते हैं। इसे क्रोमेटिन जालिका (Chromatin network) कहते हैं। कोशिका विभाजन के समय क्रोमेटिन की धागे के समान संरचनाएँ स्वतंत्र संरचनाओं के रूप में दिखाई देती हैं, इन्हें गुणसूत्र (Chromosome) कहते हैं। गुणसूत्र की खोज स्टॉसबरजर ने 1875 में की थी। डब्ल्यू. वाल्डेयर (W. Waldeyer, 1888) ने क्रोमोसोम नाम दिया।
बेन्डेन व बावेरी (Benden and Bovery, 1902) के अनुसार प्रत्येक जीव में गुणसूत्रों की संख्या निश्चित होती है। गुणसूत्र सदैव जोड़ों में होते हैं तथा प्रत्येक प्रकार के दो गुणसूत्र समान होते हैं, इनमें से एक माता से तथा दूसरा पिता से आता है। इस प्रकार मनुष्य के 46 गुणसूत्रों में 23 माता से तथा 23 पिता से प्राप्त गुणसूत्र होते हैं। अर्थात् मनुष्य में 23 जोड़ी गुणसूत्रों की होती है। गुणसूत्रों के इस अगुणित समुच्चय (23) को जीनोम कहते हैं।
प्रश्न 3.
पोलीटीन गुणसूत्र क्या है ? इसकी संरचना एवं कार्य बताइये।
उत्तर:
पोलीटीन या लारग्रन्थि गुणसूत्र (Polytene or Salivary gland chromosome):
पॉलीटीन गुणसूत्र डिप्टेरॉन लार्वा (Dipteron Larvae) की लार ग्रन्थियों में पाये जाते हैं। इसी कारण इन्हें लार ग्रन्थि गुणसूत्र (Salivary gland chromosome) कहते हैं। लार ग्रन्थियों की कोशिकाएँ व केन्द्रक भी बड़े आकार के होते हैं। इनमें सामान्य गुणसूत्रों की अपेक्षा 50 से 200 गुना बड़े गुणसूत्र पाये जाते हैं। इन गुण सूत्रों को महागुणसूत्र (giant chromosomes) कहते हैं।
इस प्रकार के महागुणसूत्र लार ग्रन्थियों के अतिरिक्त गुहीय उपकला, मैलपीगी नलिकाओं की उपकला, आहारनाल व श्वासनाल की उपकला एवं वसा काय की कोशिकाओं में भी पाये जाते हैं। अनावृतबीजी पादपों के बीजाण्ड के भीतर भी महागुणसूत्र पाये जाते हैं। ये सामान्यतः अन्तरावस्था (Interphase) में दिखाई देते हैं। सर्वप्रथम सन् 1881 में ई.जी. बालबियानी (E.G. Balbiani) ने काइरोनोमॉस (Chironomaus) लार्वा की लार ग्रन्थियों में देखा तथा कोलर ने इसे पॉलीटीन गुणसूत्र (Polytene chromosome) नाम दिया।
संरचनात्मक दृष्टि से पॉलीटीन गुणसूत्र, सूत्रों द्वारा निर्मित एक गट्ठर (Bundle) के रूप में दिखाई देते हैं जिनका निर्माण बिना कोशिका विभाजन के, क्रोमेटिड सूत्र के बारम्बार अंत:द्विगुणन होने से होता है। परिणामस्वरूप प्रत्येक गुणसूत्र में क्रोमोनिमेटा की संख्या निरन्तर बढ़ती जाती है। इस बढ़ोतरी में क्रोमोनिमेटो की संख्या 2000 तक अथवा इससे भी अधिक हो सकती है। इसलिए ये गुणसूत्र पॉलीटीन गुणसूत्र कहलाते है।
इन गुणसूत्रों की परासंरचना के अध्ययन से ज्ञात होता है कि इनमें दो प्रकार के अनुप्रस्थ एकान्तरित बेन्ड्स (पट्टियाँ) –
(1) गहरे बैण्ड्स (Dark bands) हिटरोक्रोमेटिक भाग
(2) हल्के इन्टर बैण्ड्स (LightInterbands) यूक्रोमेटिक भाग पाये जाते हैं।
गहरे बैण्ड्स वाले भाग में RNA की मात्रा कम तथा DNA की मात्रा अधिक पाई जाती है। इसके विपरीत हल्के इन्टर बैण्ड्स वाले भाग में RNA की मात्रा अधिक मात्रा में तथा DNA बहुत कम मात्रा में पाया जाता है। गहरे बैण्ड्स वाले क्षेत्र में DNA सूत्र अत्यधिक कुण्डलित व संघनित होता है तथा क्रोमोमीयर्स कहलाता है। बाद में किये गये अध्ययनों से ज्ञात हुआ कि गहरे बैण्ड्स बहुजीनी (Polygenic) क्षेत्र हैं तथा ये औसतन 30,000 क्षारक जोड़ों द्वारा निर्मित होते हैं जबकि इन्टरबैण्ड वाले भाग में DNA सूत्र एकदूसरे से समानान्तर होते हैं।
कुछ स्थानों पर ये इन्टर बैण्ड्स फैलकर विशेष प्रकार की रिंग्स (Rings) बनाते हैं जिन्हें पफ (Puffs or Swellings) अथवा बालबियानी रिंग्स (Balbiani Rings) कहते हैं। पफ बनने की प्रक्रिया जीन अभिव्यक्ति से सम्बन्धित होती है। पफ mRNA संश्लेषण हेतु स्थल होते हैं। ये गुणसूत्र के अकुण्डलित भाग हैं जहाँ सक्रिय रूप से अनुलेखन की क्रिया होती रहती है।
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