Rajasthan Board RBSE Class 11 Biology Chapter 7 कोशिका भित्ति एवं कोशिका झिल्ली-संरचना एवं कार्य
RBSE Class 11 Biology Chapter 7 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
RBSE Class 11 Biology Chapter 7 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
मध्य पट्टलिका किसकी बनी होती है ?
(अ) लिग्निन
(ब) पेक्टिन
(स) कैल्शियम एवं मैग्नीशियम पेक्टेट
(द) सेलूलोस
प्रश्न 2.
कोशिका भित्ति के निर्माण में जो पदार्थ सर्वाधिक पाया जाता है, वह है –
(अ) प्रोटीन
(ब) वसा
(स) कार्बोहाइड्रेट्स
(द) न्यूक्लिक अम्ल
प्रश्न 3.
कोशिका झिल्ली द्वारा पदार्थों के अन्त: ग्रहण को कहते हैं –
(अ) साइक्लोसिस
(ब) एक्सोसाइटोसिस
(स) एंडोसाइटोसिस
(द) उपरोक्त तीनों
प्रश्न 4.
सेलूलोस के एक अणु का निर्माण होता है –
(अ) तीन हजार ग्लूकोज अणुओं से
(ब) तीस हजार ग्लूकोज अणुओं से
(स) तीस हजार फुक्टोज अणुओं से
(द) तीस हजार ग्लेक्टोस अणुओं से
प्रश्न 5.
सरल गर्त पाये जाते हैं –
(अ) दृढ़ोतक में
(ब) स्थूलकोण ऊतक में
(स) चालनी नलिका में
(द) वाहिकाओं में
उत्तरमाला:
1. (स), 2. (स), 3. (स), 4. (अ), 5. (स)
RBSE Class 11 Biology Chapter 7 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
एक कला सिद्धान्त किसने प्रस्तुत किया था ?
उत्तर:
एक कला सिद्धान्त रॉबर्टसन ने प्रस्तुत किया था।
प्रश्न 2.
कोशिका भित्ति किससे बनी होती है ?
उत्तर:
कोशिका भित्ति सेल्यूलोज, काइटिन, पेक्टिन आदि से बनी होती है।
प्रश्न 3.
लिग्निन कोशिका भित्ति में सर्वाधिक कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर:
लिग्निन द्वितीयक कोशिका भित्ति सर्वाधिक पाया जाता है।
प्रश्न 4.
कोशिका झिल्ली की मोटाई कितनी होती है ?
उत्तर:
कोशिका झिल्ली की मोटाई 75Å होती है।
प्रश्न 5.
एंडोसाइटोसिस किसे कहते हैं ?
उत्तर:
कोशिका झिल्ली द्वारा बाहरी पदार्थों को घेरकर पाचन करने को एंडोसाइटोसिस कहा जाता है।
RBSE Class 11 Biology Chapter 7 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
गर्त किसे कहते हैं ? ये कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर:
कोशिकाओं में स्थूलन सभी स्थानों पर समान मोटाई का होता है परन्तु किन्हीं स्थानों पर यह स्थूलन छूट जाता है। ऐसे स्थल जहाँ पर लिग्निन जमा नहीं हुई तो उसे गर्त (Pits) कहते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं –
- सरल गर्त (Simple Pits)
- निवेशित गर्त (Bordered Pits)
प्रश्न 2.
प्लाज्मोडेस्मैटा किसे कहते हैं ?
उत्तर:
प्लाज्मोडेस्मैटा (Plasmodesmata)-इसे जीवद्रव्य तंतु भी कहते हैं। इसकी खोज टैग्ली ने 1879 में की थी। इसका विस्तारपूर्वक अध्ययन स्ट्रासबर्गर (1901) द्वारा किया गया था। जीवद्रव्य तंतु या साइटोप्लामिक स्ट्रेण्ड गर्त में उपस्थित होते हैं। जिसके द्वारा एक कोशिका का कोशिकाद्रव्य दूसरी कोशिका के कोशिकाद्रव्य के सम्पर्क में रहता है।
जीवद्रव्य तन्तु (Plasmodesmata) की उत्पत्ति में अन्तःप्रदव्यी जालिका (Endoplasmic reticulum) महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्लाज्मोडेस्मेटा के द्वारा कोशिकाद्रव्य की निरन्तरता बनी रहती है। ऐसी स्थिति में कोशिकाद्रव्य को प्रायः संदव्य (Symplasm) कहते हैं। इसके विपरीत अन्तराकोशिकीय स्थल जिनमें अजैव पदार्थ विद्यमान होते हैं, अपद्रव्य (Apoplasm) कहलाता है।
प्रश्न 3.
पिनोसाइटोसिस एवं फेगोसाइटोसिस से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
- पिनोसाइटोसिस (Pinocytosis): कोशिका झिल्ली द्वारा तरल पदार्थों को ग्रहण करना पिनोसाइटोसिस कहलाता है।
- फेगोसाइटोसिस (Phagocytosis): कोशिका झिल्ली द्वारा ठोस पदार्थों को अन्दर ग्रहण करना फेगोसाइटोसिस कहलाता है।
प्रश्न 4.
कोशिका झिल्ली की संरचना को समझाने का एकक कला सिद्धान्त क्या है ?
उत्तर:
इकाई झिल्ली मत (Unit Membrane):
इस सिद्धान्त का प्रतिपादन राबर्टसन (1958) द्वारा किया गया। इस मत के अनुसार कोशिका कला से लेकर केन्द्रक कला (Nuclear membrane) तथा समस्त कोशिकांग रचनाएँ इस प्रकार की झिल्ली से घिरी होती हैं। इसी कारण इसे एकक या इकाई झिल्ली (Unit membrane) कहते हैं। एकक झिल्ली का रासायनिक संगठन प्रोटीन व लिपिड्स है।
इसमें 60% प्रोटीन्स, 40% लिपिड्स होते हैं। प्रोटीन अणुओं की एक परत, एक अणु की मोटाई की (Single molecular thick) इकाई झिल्ली के बाहर तथा दूसरी परत अन्दर की ओर होती है। इन दोनों प्रोटीन परतों के बीच में दो अणु मोटी एक फास्फोलिपिड्स की व्यवस्थित होती है। इस प्रकार इकाई झिल्ली की संरचना त्रिस्तरीय (Trilamellar) होती है। तीनों परतों की मोटाई 75Å से 90Å होती है। जिसमें फास्फोलिपिड्स के द्विआण्विक परत (Bimolecular Layer) की मोटाई 25 – 35Å तथा प्रत्येक प्रोटीन परत की 20 – 25Å मोटी होती है।
प्रश्न 5.
स्थूलन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
प्रारम्भिक भित्ति की आन्तरिक सतह पर द्वितीयक भित्ति बनती है तब स्थूलन (thickening) प्रारम्भ होता है। सभी कोशिकाओं में यह क्रिया नहीं पाई जाती है बल्कि केवल उन कोशिकाओं में ही होती। है जिनको या तो संवहन का कार्य करना होता है या पादप को दृढ़ता (mechanical strength) प्रदान करनी होती है। कोशिका भित्ति का स्थूलन सामान्यतया लिग्निन (Lignin), सेल्यूलोज, हेमीसेल्यूलोज, सुबेरिन आदि पदार्थों के जमाव के कारण होता है। स्थूलन के कारण कोशिकाएँ विभिन्न प्रकार के आकार बना लेती हैं, जैसे-सर्पिल, सीढ़ीनुमा, जालिकारूपी, छल्लेदार या वलयदार, सपाट गर्तमय आदि।
प्रश्न 6.
कोशिका भित्ति के दो कार्य बताइए।
उत्तर:
कोशिका भित्ति के कार्य –
- कोशिका को निश्चित आकृति एवं आकार प्रदान करती है।
- कोशिका को यांत्रिक शक्ति प्रदान करती है।
प्रश्न 7.
कोशिका झिल्ली के दो प्रमुख कार्य बताइए।
उत्तर:
कोशिका झिल्ली के कार्य –
(1) कोशिका झिल्ली चयनात्मक झिल्ली की तरह कार्य करती है, इसके द्वारा पदार्थों का संवहन दो विधियों से होता है –
- निष्क्रिय अभिगमन (Passive Transport):
जब विभिन्न प्रकार के आयन कोशिका कला के द्वारा अपने अधिक सान्द्रता के स्थान से कम सान्द्रता क्षेत्र की तरफ जाते हैं, परन्तु यह गति रासायनिक या विद्युत प्रवणता (Gradient) पर निर्भर होती है तथा इसमें ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती है। - सक्रिय अभिगमन (Active Transport):
जब अणु कोशिका झिल्ली द्वारा अपने कम सान्द्रता के क्षेत्र से अधिक सान्द्रता के क्षेत्र की दशा में जाते हैं, परन्तु इसमें रासायनिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है । इस क्रिया में वाहक प्रोटीन्स अथवा परमिरोजिज वाहक का कार्य करते हैं।
(2) कोशिकांगों की सुरक्षा करती है, प्लाज्मा झिल्ली से अन्त:प्रद्रव्यी जालिका का निर्माण होता है।
RBSE Class 11 Biology Chapter 7 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कोशिका भित्ति की संरचना का सचित्र वर्णन करो।
उत्तर:
कोशिका भित्ति की संरचना:
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखने पर सभी परतों की सूक्ष्मतम संरचना का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। इसके अनुसार कोशिका भित्ति में दो प्रमुख भाग पाये जाते हैं –
- तन्तुक या फाइब्रिल्स (Fibrils)
- मैट्रिक्स (Matrix)
(i) तन्तुक (Fibrils):
ये सेल्यूलोज से बने तन्तु होते हैं। एक सेल्यूलोज (C6H10O5) अणु का निर्माण तीन हजार ग्लूकोज अणुओं से मिलकर बना होता है। सेल्यूलोज के लगभग 100 अणु मिलकर एक माइसिली (Micelle) या मिसेल बनाते हैं। लगभग 20 माइसिली से एक सूक्ष्मतंतुक (Microfibril) तथा लगभग 250 सूक्ष्मतंतुओं से एक गुरुतंतुक (Macrofibril) बनता है। जिसका व्यास 250 Å होता है। इन तन्तुककों (Fibrils) के बीच मैट्रिक्स (Matrix) भरा होता है। ये तन्तुक प्राथमिक भित्ति (Primary Wall) में अनुप्रस्थ (Transverse) तथा द्वितीयक भित्ति (Secondary Wall) में अक्ष के समानान्तर होते है।
(ii) मैट्रिक्स (Matrix):
कोशिका भित्ति का यह आधारीय भाग है। इसमें हेमीसेल्यूलोज, पेक्टिन ग्लाइकोप्रोटीन्स लिपिड जल आदि पदार्थ पाये जाते हैं। यह प्राथमिक एवं द्वितीयक कोशिका भित्ति के मध्य पाया जाता है। यह अक्रिस्टलीय एवं जैली के समान होता है। इसके अतिरिक्त इसमें सिलिका, टैनिन, रेजिन, गोंद एवं मोम आदि भी हो सकते हैं।
पादप कोशिकाओं में स्थूलन सभी स्थानों पर समान मोटाई का होता है परन्तु किन्हीं स्थानों पर यह स्थूलन छूट जाता है। ऐसे स्थल जहाँ पर लिग्निन का जमाव नहीं होता है, उस स्थान पर सूक्ष्म गर्त बन जाते हैं। इन्हें प्राथमिक गर्त (Primary pits) कहते हैं। ये दो आसन्न कोशिकाओं में आमने-सामने होते हैं, इनमें से होकर सूक्ष्म जीवद्रव्यी तन्तु आर-पार पाये जाते हैं और आसन्न कोशिकाओं के जीवद्रव्य को परस्पर सम्बन्धित रखते हैं।
इनको जीवद्रव्यी तन्तु (Plasmodesmata) कहते हैं। इनमें प्लाज्मा झिल्ली का स्तर तथा डेस्मोट्यूब्यूल के रूप में अन्तःप्रद्रव्य जालिका (Endoplasmic reticulum) पाई जाती है। जीवद्रव्यी तन्तु (Plasmodesmata) के द्वारा कोशिका द्रव्य की निरन्तरता बनी रहती है। ऐसी स्थिति में कोशिकाद्रव्य को प्रायः संद्रव्य (Symplasm) कहते हैं। इसके विपरीत अन्तराकोशिकीय स्थल (Intra cellular space) जिनमें अजैव पदार्थ उपस्थित होते हैं उसे अपद्रव्य (apoplasm) कहते हैं। जीवद्रव्य तन्तु (Plasmodesmata) की खोज टैग्ली ने 1879 में की थी। इसका विस्तारपूर्वक अध्ययन स्ट्रासबर्गर द्वारा 1901 में किया गया था। जीवद्रव्य तन्तु की उत्पत्ति में अन्त:प्रदव्यी जालिका महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
प्रश्न 2.
तरल मोजेक मॉडल क्या है ? इससे कोशिका झिल्ली की संरचना को समझाइए।
उत्तर:
तरल मोजेक मॉडल (Fluid Mosaic Model):
इस मत का प्रतिपादन सिंगर तथा निकोल्सन (Singer and Nicolson, 1972) द्वारा किया गया। यह सर्वाधिक मान्य मत है। इस मत के अनुसार झिल्ली के मध्य में द्वि-आण्विक लिपिड की परत (Bimolecular Layer) होती है। लिपिड से निर्मित इस परत के बाहर परिधीय या बाह्य प्रोटीन्स (Extrinsic Proteins) होते हैं तथा लिपिड परत में धंसे हुए समाकल या आन्तरिक (Intrinsic or Integral) प्रोटीन होते हैं। समाकल प्रोटीन लिपिड की परतों में जलरागी (Hydrophilic) तथा जलविरागी (Hydrophobic) क्रियाओं के द्वारा अन्तर्भूत रहते हैं तथा लिपिड की द्विपरत में प्रवेश कर जाने के कारण ये सरलता से पृथक् नहीं होते। इसके विपरीत परिधीय प्रोटीन केवल बाहर होते हैं तथा सरलता से अलग किये जा सकते हैं।
इस प्रकार लिपिड तथा समाकल प्रोटीन मोजेक (Mosaic) अवस्था में रहते हैं। इसमें लिपिड एवं प्रोटीन दोनों के अणुओं को संचलन अर्थात् स्थानान्तरी गतियों की पर्याप्त स्वतंत्रता होती है। यह संचलन ऊपर व नीचे की ओर न होकर इधर-उधर पाश्र्व (Lateral) से होता है। इस प्रकार के व्यवस्थीकरण को अर्धतरल संरचना (Quasifluid structure) कहते हैं तथा यह समस्त जैविक झिल्लियों (प्लाज्मालेमा, टोनोप्लास्ट, अंत:प्रदयी जालिका, गॉल्जीकाय, प्लास्टिड्स, माइटोकोन्ड्रिया, लाइसोसोम व केन्द्रक आदि) में पायी जाती है।
कोशिका झिल्ली की संरचना:
प्रत्येक कोशिका एक महीन झिल्ली (membrane) द्वारा घिरी होती है जो कोशिकाद्रव्य को सीमित तथा बाह्य वातावरण को पृथक् करती है। यह कला अर्थात् झिल्ली जीव कला (Plasma membrane) कहलाती है। जीवकला एक अत्यन्त महीन, लचीली, पारगम्य तथा जीवित रचना होती है। जीवाणुओं एवं पादप कोशिकाओं में जीवकला (plasma membrane) कोशिका भित्ति तथा कोशिका द्रव्य के बीच स्थित होती है।सी. नैगली व सी. क्रेमर (C. Nageli and C. Cramer 1885) ने ही इसे कोशिका कला (Cell membrane) नाम दिया था। बाद में प्लोव (Plowe, 1931) ने इसे जीवद्रव्य कला (Plasma lemma) कहा था।
इसकी संरचना के सम्बन्ध में विभिन्न मत दिये जो इस प्रकार हैं –
(i) लाइपोप्रोटीन मॉडल (लैमेलर सिद्धान्त ) [Lipoprotein model (Lemellar Theory)]:
डेनियली तथा डेवसन ने लाइपोप्रोटीन मॉडल प्रस्तावित किया। उन्होंने कोशिका कलाओं के अध्ययन के दौरान पाया कि जब केवल लिपिड से बनी हुई कृत्रिम कलाओं के पृष्ठ तनाव की तुलना कोशिका कला के पृष्ठ तनाव से की जाती है, तो कोशिका कला के पृष्ठ तनाव कम होता है तथा इससे होकर विद्युत प्रवाह में प्रतिरोध भी अधिक होता है।
इससे यह आभास मिला कि कला संरचना में लिपिड के अतिरिक्त प्रोटीन भी उपस्थित होनी चाहिए। इस अध्ययन के आधार पर दोनों वैज्ञानिकों ने (1938) कोशिका कलाओं के संशोधित मॉडल में बताया कि फास्फोलिपिड की द्विआणविक परत (Bimolecular layer) प्रोटीन की दो परतों के बीच सैण्डविच के समान होती है।
अतः इस कारण इसे सैण्डविच मॉडल भी कहते हैं। प्रोटीन वलित बीटा श्रृंखला (Folded β Chain) के रूप में पाई जाती है। फास्फोलिपिड की दोनों परतों के अध्रुवीय जल विरोधी सिरे (nonpolar hydrophobic ends) एक-दूसरे के सम्मुख होते हैं जबकि इनके जलस्नेही (hydrophilic) शीर्ष पुच्छ अणुओं से विद्युत बलों (Electrostatic forces) द्वारा जुड़े रहते हैं। यह अभिक्रिया ध्रुवीय लिपिड (Polar lipids) और प्रोटीन के अमीनो अम्ल की आवेशित पाश्र्व श्रृंखला (charged side chain) के बीच हाइड्रोजन बंध (Hydrogen bond) या आयनी श्रृंखला (Ionic linkage) के कारण होती है। कला की बाह्य तथा आन्तरिक सतहों पर सूक्ष्म छिद्र पाये जाते हैं। ये छोटे आयनों तथा जल अणुओं के आवागमन में सहायक होते हैं।
(ii) इकाई झिल्ली मत (Unit Membrane):
इस मत का प्रतिपादन राबर्टसन (1958) द्वारा किया गया। इस मत के अनुसार कोशिका कला से लेकर केन्द्रक कला (Nuclear membrane) तथा समस्त कोशिकांग रचनाएँ इस प्रकार की झिल्ली से घिरी होती हैं। इसी कारण इसे एकक या इकाई झिल्ली (Unit membrane) कहते हैं। एकक झिल्ली का रासायनिक संगठन प्रोटीन व लिपिड्स है इसमें 60% प्रोटीन्स, 40% लिपिड्स होते हैं।
प्रोटीन अणुओं की एक परत, एक अणु की मोटाई की (Single molecular thick) इकाई झिल्ली के बाहर तथा दूसरी परत अन्दर की ओर होती है। इन दोनों प्रोटीन परतों के बीच में दो अणु मोटी एक परत फास्फोलिपिड्स (Phospholipids) की व्यवस्थित होती है। इस प्रकार इकाई झिल्ली की संरचना त्रिस्तरीय (Trilamellar) होती है। तीनों परतों की मोटाई 75° से 90° होती है जिसमें फास्फोलिपिड्स के द्विआण्विक परत (Bimolecular layer) की मोटाई 25 – 35 Å तथा प्रत्येक प्रोटीन परत की 20 – 25 Å मोटी होती है।
प्रश्न 3.
स्थूलन से क्या अभिप्राय है ? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जब कोशिका अपना पूरा आकार व परिमाप प्राप्त कर चुकी होती है तब कोशिका भित्ति का स्थूलन (Thickening) प्रारम्भ होता है। सभी कोशिकाओं में यह क्रिया नहीं पाई जाती है बल्कि केवल उन कोशिकाओं में ही होती है जिनको या तो संवहन का कार्य करना होता है। या पादप को दृढ़ता (Mechanical Strength) प्रदान करनी होती है।
कोशिका भित्ति का स्थूलन सामान्यतया लिग्निन (Lignin), सेल्यूलोज, हेमीसेल्यूलोज, सुबेरिन आदि पदार्थों के जमाव के कारण होता है। वाहिनी और वाहिकाओं में लिग्निन की पर्ते कई-कई प्रकार के आकार बनाती हैं, जो निम्न हैं-सर्पिल (Spiral), सीढ़ीनुमा (Scalariform), जालिकारूपी (Reticulate), छल्लेदार या वलयाकार (Annular), सपाट (Uniform Smooth) एवं गर्तमय (Pitted)।
(i) जालिकावत (Reticulate):
इसमें स्थूलन की प्लेट्स कोशिका भित्ति की भीतरी स्तर पर जालीदार व्यवस्था बनाती है और बीच-बीच में अस्फूलित स्थानों पर अनियमित गड्ढे पाये जाते हैं।
(ii) सर्पिल (Spiral):
इसमें स्थूलन की एक या अधिक पट्टी कोशिका भित्ति की भीतरी सतह पर सर्पिल ढंग से नीचे से ऊपर तक चढ़ती है। कोशिका में अन्य स्थानों पर स्थूलन नहीं पाया जाता है। यह आदिदास (Protoxylem) की कोशिकाओं में पाया जाता है।
(iii) सोपानवत् (Scalariform):
इसमें स्थूलन सीढ़ी के डण्डों की तरह अनुप्रस्थ दिशा में होता है। यह जाइलम दो वाहिकाओं एवं वाहिनिकाओं में पाया जाता है।
(iv) छल्लेदार (Annular):
इसमें लिग्निन का जमाव छल्ले या वलय के रूप में होता है, यह स्थूलन प्रोटोजाइलम की वाहिनिकाओं एवं वाहिकाओं में पाया जाता है।
(v) सपाट (Uniform Smooth):
इस प्रकार का स्थूलन सभी स्थानों पर समान मोटाई का होता है। कोशिकाओं में स्थूलन सभी स्थानों पर समान मोटाई का होता है। परन्तु किन्हीं स्थानों पर यह स्थूलन छूट जाता है। ऐसे स्थल जहाँ लिग्निन जमा नहीं हुई तो उसे गर्त (Pit) कहते हैं। ये गर्त (Pits)
दो प्रकार के होते हैं –
(अ) सरल गर्त (Simple Pits):
ये किसी कोशिका भित्ति पर देखने में गोल एवं लम्बाई में बेलनाकार दिखाई देते हैं। ये जिस भित्ति पर बनते हैं उसके साथ की कोशिका की भित्ति पर भी बनते हैं अर्थात् ये जोड़ों (pairs) के रूप में होते हैं। दोनों कोशिकाओं की कोशिका भित्तियों। पर उपस्थित् इन गर्त युग्मों (Pits pairs) को केवल मध्य पटलिका (middle laminella) तथा प्राथमिक भित्ति (primary wall) को ही अलग-अलग करती है। अतः इन दोनों को यहाँ सम्मिलित रूप में गर्त कला (pit membrane) कहते हैं। इस गर्त कला के माध्यम से जल एवं घुलित पदार्थों का आवागमन होता है। उदाहरण – मृदूतक, चालनी नलिका, सहकोशिकाओं में इस प्रकार के गर्त पाये जाते हैं।
(ब) परिवेशित गर्त (Bordered Pits):
इस प्रकार के गर्गों में पास वाली कोशिकाओं की द्वितीयक भित्ति फूलंकर गर्त के चारों ओर गोल गुम्बद या फनल के समान उठी रहती है। इस उठे हुए भाग को बार्डर (border) कहते हैं। इसके केन्द्रक में गोल या लैन्स के आकार का छिद्र होता है, जिसे गर्त छिद्र (pits pore) कहते हैं। आमने-सामने से गर्तों के बीच एक गर्त-झिल्ली (pit membrane) होती है। इसका केन्द्रीय भाग कुछ स्थूलता लिए हुए होता है, इसे टोरस (torus) कहते हैं। सतही दृश्य में इस गर्त के दो घेरे दिखाई देते हैं।
छोटा घेरा गर्त को प्रदर्शित करता है और बड़ा घेरा गर्त के चारों ओर के स्थान को प्रदर्शित करता है। टोरस (torus) द्रव्यों के विसरण को नियंत्रित करता है। जब द्रव का दबाव टोरस के दोनों ओर समान होता है तब दोनों छिद्र खुले रहते हैं परन्तु दबाव में परिवर्तन होने पर यह टोरस खिसक कर एक ओर से छिद्र को ढककर बंद कर देता है। इस तरह टोरस एक कपाट (valve) का कार्य करता है।
प्रश्न 4.
कोशिका झिल्ली के विभिन्न कार्यों का विस्तार से उल्लेख करो।
उत्तर:
- कोशिका झिल्ली, कोशिका को निश्चित आकृति एवं आकार प्रदान करती है।
- कोशिकांगों की सुरक्षा करती है, प्लाज्मा झिल्ली से ER का निर्माण होता है।
- परासरण क्रिया को नियंत्रित करती है।
- जीवाणु कोशिकाओं में कोशिका झिल्ली पर श्वसन एंजाइम पाये जाते हैं।
- यह कोशिका आसंजन में सहायता करती है।
- एंडोसाइटोसिस (Endocytosis): जब बाहरी पदार्थ को कोशिका द्वारा अन्तर्ग्रहण किया जाता है तो इसे पिनेकोसाइटोसिस (Pinacocytosis) तथा ठोस पदार्थों का अन्तर्ग्रहण हो तो फेगोसाइटोसिस (Phagocytosis) कहते हैं।
- एक्सोसाइटोसिस (Exocytosis): कोशिका द्वारा अनावश्यक पदार्थों को कोशिका झिल्ली से बाहर निकालना एक्सोसाइटोसिस कहलाता है। यह क्रिया स्रावी कोशिकाओं (Secretory cells) में पायी जाती है।
कोशिका झिल्ली चयनात्मक झिल्ली की तरह कार्य करती है। इसके द्वारा पदार्थों का संवहन निम्न दो विधियों से होता है –
(i) निष्क्रिय अभिगमन (Passive Transport):
जब विभिन्न प्रकार के आयन कोशिका कला के द्वारा अपने अधिक सान्द्रता के स्थान से कम सान्द्रता क्षेत्र की तरफ जाते हैं, परन्तु यह गति रासायनिक या विद्युत प्रवणता (Gradient) पर निर्भर होती है तथा इसमें ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती है। जैसे-परासरण और विसरण।
(ii) सक्रिय अभिगमन (Active Transport):
जब अणु कोशिका झिल्ली द्वारा अपने कम सान्द्रता के क्षेत्र से अधिक सान्द्रता के क्षेत्र की दशा में जाते हैं, परन्तु इसमें रासायनिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इस क्रिया में वाहक प्रोटीन्स अथवा परमिरोजेज वाहक का कार्य करते हैं।
RBSE Class 11 Biology Chapter 7 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
RBSE Class 11 Biology Chapter 7 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
कोशिका झिल्ली को प्लाज्मालेमा नाम किसने दिया ?
(अ) पोर्टर
(ब) नागेली
(स) क्रोमर
(द) जे.क्यू. प्लोव
प्रश्न 2.
कोशिका झिल्ली में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला लिपिड है –
(अ) फास्फोलिपिड
(ब) स्टार्च
(स) तेल
(द) सल्फोलिपिड
प्रश्न 3.
पादप कोशिकाओं में प्लाज्मा झिल्ली की निकटतम परत है –
(अ) द्वितीयक भित्ति
(ब) मध्य पटलिका
(स) प्राथमिक भित्ति
(द) टोनोप्लास्ट
प्रश्न 4.
डेस्मोसोम्स का किससे सम्बन्ध है –
(अ) कोशिका विभाजन
(ब) कोशिकीय उत्सर्जन
(स) साइटोलाइसिस
(द) कोशिका आसंजन
प्रश्न 5.
जब एक कोशिका किसी कण को घेर लेती है तथा उसके चारों ओर एक वेसीकल बना लेती है तब यह घटना कहलाती है –
(अ) एक्सोसाइटोसिस
(ब) फेगोसाइटोसिस
(स) एण्डोसाइटोसिस
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
प्रश्न 6.
कोशिका द्वारा भारी मात्रा में तरल द्रव्य के पीने को कहते हैं –
अथवा
कोशिकीय सतह द्वारा तरल द्रव्य के चूसने की प्रक्रिया को कहते हैं –
(अ) फेगोसाइटोसिस
(ब) पीनोसाइटोसिस
(स) सायक्लोसिस
(द) परासरण
प्रश्न 7.
प्लाज्मा झिल्ली की रचना प्रदर्शित करने के लिए सबसे बाद में कौनसा मॉडल प्रदर्शित किया गया –
(अ) तरल मोजाइक मॉडल
(ब) पॉलीम्यूलर मॉडल
(स) एक कला मॉडल
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
प्रश्न 8.
निम्न में से कौन पारगम्यता नियंत्रक है –
(अ) कोशिका झिल्ली
(ब) कोशिका भित्ति
(स) जीवद्रव्य
(द) कोशिका द्रव्य
प्रश्न 9.
प्लाज्मा झिल्ली का प्रमुख कार्य है –
(अ) कोशिका में आने-जाने वाले पदार्थों का नियमन
(ब) खाद्य पदार्थों का संग्रह
(स) कोशिका की आकृति व अमाप बनाना
(द) कोशिका की क्रिया विधि पर नियंत्रण
प्रश्न 10.
250 माइक्रो फाइब्रिल से बना होता है –
(अ) मिसेल
(ब) सूक्ष्मतन्तुक
(स) माइसिली
(द) गुरुतन्तुक
प्रश्न 11.
निम्नलिखित में कौन सी एक संरचना है जो दो संलग्न कोशिकाओं के बीच प्रभावी परिवहन मार्ग का कार्य करती है –
(अ) प्लाज्मालेमा
(ब) प्लाज्मोडेसमेटा
(स) प्लास्टोक्यूनोन्स
(द) एंडोप्लामिक रेटीकुलम
प्रश्न 12.
कोशिका भित्ति की सामर्थ्य और दृढ़ता जिस पदार्थ के कारण होती है, उसे कहते हैं –
(अ) सुबेरिन
(ब) सेल्यूलोज
(स) लिग्निन
(द) पैक्टिन
प्रश्न 13.
कार्क कोशिकाओं क़ी भित्ति पर जमा हुआ पदार्थ होता है –
(अ) सेल्यूलोज
(ब) सुबेरिन
(स) क्यूटिन
(द) लिग्निन
प्रश्न 14.
सेल्यूलोज अणुओं की …………… संख्या की श्रृंखलाओं के बंडल को माइसेली कहते हैं। …………… माइसेली मिलकर एक माइक्रोफाइब्रिल बनाते हैं।
(अ) 200, 10
(ब) 20, 100
(स) 10, 100
(द) 100, 20
प्रश्न 15.
डेस्मोसोम किसका रूपान्तरण है –
(अ) प्लाज्मा झिल्ली का
(ब) केन्द्रक का
(स) गॉल्जीकाय का ।
(द) ER – न्यूक्लियस काम्पलेक्स का
प्रश्न 16.
सक्रिय अभिगमन (Active Transport) में –
(अ) ऊर्जा खर्च होती है
(ब) ऊर्जा उत्पन्न होती है
(स) ATP उत्पन्न होती है
(द) विष पदार्थ उत्पन्न होता है
प्रश्न 17.
अधिचर्म पर किसके जमाव के कारण यह जल के लिए अपारगम्य हो जाती है।
(अ) सुबेरिन
(ब) क्यूटिन
(स) सिलिका
(द) कैल्सियम कार्बोनेट
प्रश्न 18.
कोशिका के बाह्यतम आवरण को “प्लाज्मा कला” नाम देने वाले वैज्ञानिक थे –
(अ) नोगली
(ब) सिंगर
(स) ओवरटोन
(द) जे.क्यू. एलोव
प्रश्न 19.
राबर्टसन द्वारा प्रस्तुत अवधारणा कहलाती है –
(अ) जालक मॉडल
(ब) तरल मोजेक मॉडल
(स) मिलेसर मॉडल
(द) एकल कला सिद्धान्त
प्रश्न 20.
सूक्ष्मांकुर किन कोशिकाओं में पाये जाते हैं –
(अ) पादप कोशिकाएँ
(ब) प्राणि कोशिकाएँ
(स) पादप व प्राणि कोशिकाएँ
(द) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 21.
सिंगर व निकॉल्सन द्वारा प्रस्तुत मॉडल में कौन से अणु अर्द्धतरल में पाये जाते हैं –
(अ) वसा
(ब) शर्करा
(स) प्रोटीन
(द) किण्वक
प्रश्न 22.
पादप कोशिकाओं में कोशिका भित्ति निर्मित होती है –
(अ) सेलोबायोज
(ब) हेमीसेल्युलोज
(स) लिग्निन व क्यूटिन
(द) उपरोक्त सभी में
RBSE Class 11 Biology Chapter 7 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
द्रव मोजेक मत का प्रतिपादन किस वैज्ञानिक ने किया ?
उत्तर:
द्रव मोजेक मत का प्रतिपादन सिंगर व निकोल्सन नामक वैज्ञानिक ने किया।
प्रश्न 2.
निष्क्रिय अभिगमन के कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
(i) विसरण
(ii) परासरण
प्रश्न 3.
शैवालों की कोशिका भित्ति किसकी बनी होती है ?
उत्तर:
शैवालों की कोशिका भित्ति सेल्यूलोज एवं पेक्टिन से बनी होती है।
प्रश्न 4.
प्राथमिक कोशिका भित्ति की मोटाई क्या होती है ?
उत्तर:
प्राथमिक कोशिका भित्ति की मोटाई 3 से 15 µ होती है।
प्रश्न 5.
जिम्नोस्पर्ल्स की वाहिनियाँ किससे बनी होती हैं ?
उत्तर:
जिम्नोस्पर्ल्स की वाहिनियाँ जाइलान से बनी होती हैं।
प्रश्न 6.
कोशिका भित्ति के कितने प्रमुख भाग होते हैं ? नाम लिखिए।
उत्तर:
कोशिका भित्ति के दो प्रमुख भाग होते हैं –
- फाइब्रिल्स
- मैट्रिक्स
प्रश्न 7.
एक मिसेल या माइसिली कितने सेल्यूलोज अणुओं से मिलकर बनाते हैं ?
उत्तर:
100 सेल्यूलोज अणु मिलकर एक मिसेल या माइसिली बनाते हैं।
प्रश्न 8.
रेशक या फाइब्रिल्स प्राथमिक भित्ति तथा द्वितीयक भित्ति में किस प्रकार व्यवस्थित होते हैं ?
उत्तर:
प्राथमिक भित्ति में ये रेशे अनुप्रस्थ तथा द्वितीयक भित्ति में अक्ष के समानान्तर होते हैं।
प्रश्न 9.
टोरस का कार्य लिखिए।
उत्तर:
टोरस द्रव्यों के वितरण पर नियंत्रण रखता है।
प्रश्न 10.
कोशिका भित्ति की वृद्धि कितने प्रकार से होती है ? नाम लिखिए।
उत्तर:
कोशिका भित्ति की वृद्धि दो प्रकार से होती है –
- कणाधान
- स्तराधान
प्रश्न 11.
इन्टरडीजीटेशन से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
कोशिकाओं में निकटतम सम्पर्क बनाने के लिए कभीकभी कोशिका झिल्ली पर प्रवर्ध समान रचनाएँ बन जाती हैं जिसे इन्टरडीजीटेशन कहते हैं।
प्रश्न 12.
कवकों में कोशिका भित्ति किसकी बनी होती है ?
उत्तर:
कवकों में कोशिका भित्ति पोलिसैकेराइड काइटिन या कवक सेल्यूलोज से बनी होती है।
प्रश्न 13.
क्या कारण है कि पके फल कोमल होते हैं ?
उत्तर:
मध्य पटलिका में पाया जाने वाला पदार्थ कैल्सियम व मैग्नीशियम के पेक्टेट फल पकने के समय घुल जाते हैं जिससे पके फल कोमल हो जाते हैं।
प्रश्न 14.
प्राथमिक गर्त क्या है ?
उत्तर:
पादप कोशिकाओं की स्थूल भित्ति में जगह-जगह पर सेल्यूलोज की परत का अभाव होता है। वहाँ भित्ति में सूक्ष्म गर्त बन जाते हैं। इन्हें प्राथमिक गर्त कहते हैं।
प्रश्न 15.
सरल गर्त (Simple Pits) किस आकार के होते हैं ?
उत्तर:
सरल गर्त लम्बाई में बेलनाकार एवं गोल होते हैं।
प्रश्न 16.
कणाधान (Intususseption) किसे कहते हैं ?
उत्तर:
प्राथमिक कोशिका भित्ति पर तन्तुओं के बीच-बीच में नये पदार्थों का जमना कणाधान कहते हैं।
प्रश्न 17.
कोशिका भित्ति में होने वाला कोई एक रासायनिक परिवर्तन लिखिए।
उत्तर:
स्थूल कोण ऊतक कोशिकाओं की भित्ति पर सेल्यूलोज एवं पेक्टिन का जमाव होना।
प्रश्न 18.
प्लाज्मा झिल्ली के रूपान्तरण के कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
(i) माइक्रोविलाई
(ii) डेस्मोसोम
प्रश्न 19.
डेस्मोसोम में पाये जाने वाले तन्तुओं को क्या कहते हैं?
उत्तर:
डेस्मोसोम में पाये जाने वाले तन्तुओं को टोनोफाइब्रिल कहते हैं।
प्रश्न 20.
प्लाजमोडेस्मैटा या जीवद्रव्य तन्तुओं का कार्य लिखिए।
उत्तर:
पादपों में प्लाज्मोडेस्मेटा या जीवद्रव्य तन्तुओं के द्वारा आसन्न कोशिकाओं में पदार्थों का आदान-प्रदान होता है।
प्रश्न 21.
कोशिका झिल्ली किसकी बनी होती है ?
उत्तर:
कोशिका झिल्ली फास्फोलिपिड्स एवं प्रोटीन की बनी होती है।
प्रश्न 22.
कोशिका झिल्ली द्वारा तरल पदार्थ को ग्रहण करना क्या कहलाता है ?
उत्तर:
कोशिका झिल्ली द्वारा तरल पदार्थ को ग्रहण करना पिनोसाइटोसिस कहलाता है।
प्रश्न 23.
कोशिका भित्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
पादप कोशिका की सबसे बाहरी दृढ़, सुरक्षात्मक, अजीवित तथा सहारा देने वाली सतह को कोशिका भित्ति (cell wall) कहते हैं।
RBSE Class 11 Biology Chapter 7 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जीवद्रव्य कला के कोई तीन रूपान्तरण लिखिए।
उत्तर:
जीवद्रव्य कला के तीन रूपान्तरण निम्नलिखित हैं –
(i) डेस्मोसोम्स (Desmosomes):
कोशिकाओं के सम्पर्कित स्थलों पर प्लाज्मा झिल्ली से अनेक परतों वाली कुछ धागेनुमा संरचनाएँ बनती हैं। इस प्रकार के क्षेत्र को डेस्मोसोम्स कहते हैं और धागेनुमा तन्तुओं को टोनोफाइब्रिल कहा जाता है। डेस्मोसोम का प्रमुख कार्य कोशिका को आन्तरिक रूप से यांत्रिक सहायता (Mechanical support) देना होता है। साथ ही कोशिकाओं को परस्पर जोड़े रखने में भी सहायक होते हैं।
(ii) माइक्रोविलाई (Microvilli):
प्राणी कोशिकाओं में प्लाज्मा झिल्ली पर अंगुलियों के समान सूक्ष्म उभार निकल आते हैं, जिन्हें माइक्रोविलाई कहते हैं। जिनका व्यास 0.1 um होता है। इनका कार्य अवशोषण होता है। उदाहरण-आंत्र कोशिकाएँ हिपेटिक कोशिका, मीसोथीलियल कोशिकाएँ। जिस सतह पर माइक्रोविलाई पाई जाती है। उसे ब्रुश बार्डर कहते हैं।
(iii) इन्टरडीजीटेशन (Interdigitation):
कभी-कभी प्राणी कोशिकाओं में सम्पर्कित कोशिकाओं की प्लाज्मा झिल्ली कई स्थानों पर प्रवर्ध समान बन जाती है, इसे इन्टरडीजीटेशन कहते हैं। इनके द्वारा सम्पर्कित कोशिकाएँ निकटतम बनी रहती हैं।
प्रश्न 2.
कोशिका कला-सेण्डविच संरचना का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
प्रश्न 3.
सरल गर्त तथा परिवेशित गर्त में चार अन्तर लिखिए।
उत्तर:
सरल गर्त तथा परिवेशित गर्त में अन्तर (Differences between Simple Pits and Bordered Pits)
सरल गर्त (Simple Pits) | परिवेशित गर्त (Bordered Pits) |
1. टोरस नहीं पाया जाता है। | 1. टोरस पाया जाता है जो कपाट (Valve) की तरह कार्य करता है। |
2. गर्त की गुहा साधारण होती है। | 2. गर्त की गुहा परिवेशित (Bordered) होती है। |
3. गर्त साधारण होते हैं। | 3. जबकि गर्त ढकी होती है। |
4. ये प्रायः मृदूतक, मेड्यूलरी के जाइलम वाहिनिकाओं, आदि में मिलते हैं। | 4. ये आवृत्तबीजियों की जाइलम वाहिकाओं तथा अनावृतबीजियों की वाहिनिकाओं पर मिलते हैं। |
प्रश्न 4.
कोशिका भित्ति किसे कहते हैं ? मध्य पट्टलिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कोशिका भित्ति (Cell Wall):
पादप कोशिका की सबसे बाहरी, दृढ़, सुरक्षात्मक, अजीवित तथा सहारा देने वाली सतह को कोशिका भित्ति कहते हैं। यह सभी पादप कोशिकाओं, जीवाणुओं, सायनो जीवाणुओं तथा कुछ प्रोटिस्ट्स में पाई जाती है।
मध्य पट्टलिका (Middle Layer):
यह सबसे बाहरी स्तर (क्षेत्र) होता है जो दो कोशिकाओं के बीच एक सीमेन्ट परत के रूप में कार्य करती है। बाहरी स्वतंत्र सतह पर यह अनुपस्थित होती है। यह टूटकर अन्तराकोशिकीय स्थान बनाती है। मध्य पट्टलिका कैल्सियम तथा मैग्नीशियम पेक्ट्रेट के द्वारा निर्मित होती है। कैल्सियम पेक्टेट मध्य पट्टलिका का मुख्य घटक होता है। मध्य पटलिका के पेक्टिक यौगिकों के घुलने के कारण फल मुलायम हो जाते हैं। पेक्टिन का उपयोग व्यावसायिक रूप से जैली के एजेन्ट के रूप में। किया जाता है जो कि प्राथमिक भित्ति के बाहर की ओर स्थित होती है।
प्रश्न 5.
एण्डोसाइटोसिस को परिभाषित कीजिए तथा पिनोसाइटोसिस को समझाइए।
उत्तर:
एण्डोसाइटोसिस (Endocytosis):
कोशिका कला द्वारा बाहरी पदार्थों को घेरकर पायन करने को एण्डोसाइटोसिस कहते हैं। जब अन्तर्गहित पदार्थ तरल अवस्था में होते हैं। उदाहरणतः प्रोटीन अमीनो अम्ल आदि जिनका अणुभार अधिक होता है जो कोशिको कला से सामान्य विसरण द्वारा प्रवेश नहीं कर पाते हैं। ये कोशिका कला द्वारा अन्तर्वलन बनाकर कोशिका कला के भीतर ग्रहण किये जाते हैं। यह विधि कोशिका पायन/पिनोसाइटोसिस (Pinocytosis or cell drinking) कहलाती है।
इस क्रिया के दौरान बने आशय जो छिटक कर अलग हो जाते हों, पिनोसोम (Pinosome) कहलाते हैं जो 1 mm से कम व्यास के होते हैं तथा ये सूक्ष्मधानियों के रूप में कोशिका द्रव्य में विद्यमान रहते हैं जिनमें तरल ग्रहण किया हुआ पदार्थ भरा रहता है। पहली बार यह क्रिया सन् 1931 में लेविस द्वारा अमीबा में देखी गयी। इस प्रकार की क्रिया श्वेत रक्ताणुओं, वृक्क कोशिकाओं तथा आंत्र उपकला कोशिकाओं में नियमित रूप से कुछ अन्तराल बाद सम्पन्न होती रहती है।
प्रश्न 6.
एण्डोसाइटोसिस और एक्सोसाइटोसिस में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एण्डोसाइटोसिस और एक्सोसाइटोसिस में अन्तर (Differences between Endocytosis and Exocytosis)
एण्डोसाइटोसिस (Endocytosis) | एक्सोसाइटोसिस (Exocytosis) |
1. यह बाह्य कोशिकीय पदार्थों के भीतर ग्रहण करने की विधि है। | 1. यह अन्त:कोशिकीय पदार्थों को बाहर निकालने की विधि है। |
2. यह बाहर से उपयोगी पदार्थों को ग्रहण करने की विधि है। | 2. यह उत्सर्जन, स्रवण एवं अपशिष्ट पदार्थों के कोशिका से बाहर निकालने की विधि है। |
3. एन्डोसाइटिक आशय कोशिका कला से बनाये जाते हैं। | 3. एक्सोसाइटिक आशय कोशिका में भीतर अधिकतर गाल्जीकाय या भोजन रिक्तिका से बनाये जाते हैं। |
4. एन्डोसाइटिक आशय फट कर या कोशिका की अन्त:कला से जुड़कर अपने घटक मुक्त करते हैं। | 4. एक्सोसाइटिक आशय कोशिका कला से संलग्न होकर अपने घटकों को बाहर निकाल देते हैं। |
प्रश्न 7.
कोशिका भित्ति की उत्पत्ति पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
कोशिका भित्ति की उत्पत्ति (Origin of Cell Wall):
कोशिका भित्ति कोशिका विभाजन की टीलोफेज अवस्था पर उत्पन्न होती है। कोशिका भित्ति के तल (Plane) तथा स्थान का निर्धारण सूक्ष्म नलिकाओं (Microtubules) द्वारा होता है। इसमें अन्त:प्रद्रव्यी जालिका के खण्ड तथा गॉल्जीबॉडी के वेसाइकिल मध्य रेखा (Equator) पर जुड़ते हैं। इसे फ्रेग्मोप्लास्ट कहते हैं जो बाद में कोशिका प्लेट का निर्माण करते हैं। सेल्यूलोज का संश्लेषण प्लाज्मा झिल्ली में उपस्थित एन्जाइम सेल्यूलोज सिन्थेटेज की सहायता से होता है। कोशिका प्लेट, कोशिका भित्ति का निर्माण करती है।
प्रश्न 8.
कोशिका भित्ति के कोई चार कार्य लिखिए।
उत्तर:
कोशिका भित्ति के कार्य (Functions of Cell Wall):
- यह पादप कोशिका के आकार को नियंत्रित करती है और यह यांत्रिक क्षति से कोशिकाओं की रक्षा करती है।
- यह रोगजनकों (वायरस, जीवाणु, कवक, फंजाई, प्रोटोजोअन्स) के आक्रमण से कोशिका की रखवाली करती है।
- यह गुरुत्व के विपरीत यांत्रिक शक्ति प्रदान करती है। कोशिका भित्ति के कठोर होने के कारण यह पादपों के वायवीय भागों को सीधे रखने तथा सूर्य के प्रकाश में अपनी पत्तियों को अनावृत करती है।
- कोशिका भित्ति कोशिका के अधिक विस्तार को रोकती है। जब जल परासरण के द्वारा इसके अंदर प्रवेश करता है, यह संकुचनशील रिक्तिका की अनुपस्थिति की भरपाई करती है। यह कोशिका को फटने से रोकती है।
- कोशिका भित्ति पारगम्यता द्वारा कोशिका में कुछ पदार्थों को अन्दर लेने तथा कुछ पदार्थों को बाहर निकालने में नियमनकारी भूमिका निभाती है।
- कोशिका भित्तियों के छिद्र सम्पूर्ण प्रोटोप्लास्ट से जीवद्रव्यतंतु (Plasmodesmata) को एक तंत्र के रूप में जुड़ने देते हैं। इसे सिमप्लास्ट कहते हैं।
- कोशिका भित्ति तथा अंतराकोशिकीय स्थान मिलकर पादप शरीर के एक अजीवित घटक को बनाते हैं। जिसे एपोप्लाज्माज्म के रूप में जाना जाता है।
प्रश्न 9.
गर्त किसे कहते हैं ? परिवेशित गर्त का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गर्त (Pits): द्वितीयक भित्ति पर कुछ स्थानों पर अनियमित स्थूलन पाये जाते हैं। ये स्थान गर्त (Pits) कहलाते हैं।
परिवेशित गर्त (Bordered Pits):
इस प्रकार के गर्तों में पास वाली कोशिकाओं की द्वितीयक भित्ति फूलकर गर्त के चारों ओर गोल गुम्बद या फनल के समान उठी रहती है। इस उठे हुए भाग को बार्डर (Border) कहते हैं। इसके केन्द्रक में गोल या लैंस के आकार का छिद्र होता है, जिसे गर्त छिद्र (Pits pore) कहते हैं। आमने-सामने से गर्तों के बीच एक गर्त झिल्ली (Pit membrane) होती है। इसका केन्द्रीय भाग कुछ स्थूलता लिए हुए होता है। इसे टोरस कहते हैं।
सतही दृश्य में इस गर्त के दो घेरे दिखाई देते हैं। छोटा घेरा गर्त को प्रदर्शित करता है और बड़ा घेरा गर्त के चारों ओर के स्थान को प्रदर्शित करता है। टोरस (Torus) द्रव्यों के विसरण को नियंत्रित करता है। जब द्रव का दबाव टोरस के दोनों ओर समान होता है तब दोनों छिद्र खुले रहते हैं परन्तु दबाव में परिवर्तन होने पर यह टोरस खिसककर एक ओर छिद्र को ढककर बंद कर देता है। इस तरह टोरस एक कपाट (Valve) का कार्य करता है।
प्रश्न 10.
पिनोसाइटोसिस व फेगोसाइटोसिस में कोई चार अन्तर लिखिए।
उत्तर:
पिनोसाइटोसिस तथा फेगोसाइटोसिस में अन्तर (Differences between Pinocytosis and Phagocytosis)
पिनोसाइटोसिस (Pinocytosis) | फेगोसाइटोसिस (Phagocytosis) |
1. यह बाह्य कोशिकीय तरल एवं इसके विलेयों को आशयों द्वारा ग्रहण करने की क्रिया है। | 1. यह दीर्घ आमाप के ठोस कणों को आशयों या फेगोसोम द्वारा अन्तर्ग्रहण करने की क्रिया है। |
2. ग्राही या अधिशोषण स्थल उपस्थित या अनुपस्थित हो सकते हैं। | 2.कोशिका पर ग्राही स्थलों का कणों को पहचानना आवश्यक होता है। |
3. तरल बूंद के चारों ओर या। अधिशोषित अणुओं के चारों ओर बहिर्वलन नहीं बनाये जाते हैं। | 3. कोशिका कला कूटपाद जैसे–बहिर्वलन बनाकर ठोस अणुओं को निगल लेती है। |
4. कोशिका सतह पर गर्त बाह्य तरलों को ग्रहण करने या पहचानने हेतु अक्सर पाये जाते हैं। | 4. गर्त सामान्यतः अनुपस्थित रहते हैं। |
प्रश्न 11.
द्वितीयक कोशिका भित्ति व तृतीयक कोशिका भित्ति में कोई चार विभेद कीजिए।
उत्तर:
द्वितीयक कोशिका भित्ति व तृतीयक कोशिका भित्ति में विभेद (Differences between Secondary Cell Wall and Tertiary Cell Wall)
द्वितीयक कोशिका भित्ति (Secondary Cell Wall) | तृतीयक कोशिका भित्ति (Tertiary Cell Wall) |
1. इसमें लिग्निन पाया जाता है। | 1. इसमें जाइलीन पाया जाता है। |
2. इसमें हेमीसेल्यूलोज की 25% मात्रा मिलती है। | 2. इसमें हेमीसेल्यूलोज का अभाव होता है। |
3. यह सरल होती है। | 3. इसमें विभिन्न प्रकार के स्थूलन या उभार पाये जाते हैं। |
4. इसमें सेल्यूलोज 50 – 94% पाया जाता है। | 4. इसमें सेल्यूलोज नहीं पाया जाता है। |
5. इसमें माइक्रोफाइब्रिल अक्ष के समानान्तर व्यवस्थित रहते हैं। | 5. इसमें माइक्रोफाइब्रिल का अभाव होता है। |
6. यह भित्ति कुछ मोटी, सख्त तथा अपारगम्य होती है। | 6. यह भित्ति द्वितीयक भित्ति से अधिक मोटी तथा अपारगम्य होती है। |
प्रश्न 12.
सेन्डविच मॉडल क्या है ? समझाइए।
उत्तर:
सेन्डविच मॉडल-इसे डेवसन तथा डेनियली (1935) ने प्रस्तावित किया था। इस मॉडल के अनुसार दो घनी प्रोटीन परतों के बीच एक हल्की द्विआण्विक लिपिड परत सेन्डविच के समान होती है। इसलिए इसे सेन्डविच मॉडल कहते हैं। सेन्डविच मॉडल के चित्र हेतु अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न के लघूत्तरात्मक प्रश्न क्रमांक 2 का अवलोकन करें।
प्रश्न 13.
कोशिका भित्ति का गठन कितने प्रकार से होता है ? नाम लिखिए एवं तृतीयक भित्ति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कोशिका भित्ति का गठन चार प्रकार से होता है –
- मध्य पटलिका
- प्राथमिक भित्ति
- द्वितीयक भित्ति
- तृतीयक भित्ति
तृतीयक भित्ति (Tertiary):
द्वितीयक भित्ति के अन्दर की ओर पाई जाने वाली भित्ति को तृतीयक भित्ति कहते हैं। यह जाइलन से बनी होती है। उदाहरण-जिम्नोस्पर्म की वाहिनिकाएँ (ट्रेकिड्र्स)। तृतीयक भित्ति कोशिकाओं में बहुत ही कम पाई जाती है। यह जीवद्रव्य के सूखे स्तर को प्रदर्शित करते हैं।
प्रश्न 14.
सक्रिय परिवहन व निष्क्रिय परिवहन में विभेद कीजिए।
उत्तर:
सक्रिय परिवहन व निष्क्रिय परिवहन में विभेद (Differences between Active Transport and Passive Transport)
सक्रिय परिवहन (Active Transport) | निष्क्रिय परिवहन (Passive Transport) |
1. इस परिवहन में ऊर्जा व्यय होती है। | 1. इ स परिवहन में ऊर्जा की आवश्यकता नहीं पड़ती। |
2. यह वैद्युत रासायनिक सांद्रता प्रवणता के विपरीत क्रियाशील होता है। | 2. यह वैद्युत रासायनिक सांद्रता प्रवणता के अनुरूप क्रियाशील होता है। |
3. यह सजीव या जैव रासायनिक क्रिया है। | 3. यह एक प्रकार से भौतिक क्रिया है। |
4. यह क्रिया वाहकों की सहायता से सम्पन्न होती है। | 4. निष्क्रिय परिवहन में वाहक भाग नहीं लेते। |
5. यह तीव्र गति से होने वाली क्रिया है। | 5. यह अपेक्षाकृत धीमी गति से होने वाली क्रिया है। |
6. यह विधि चयनित पदार्थों हेतु प्रयुक्त की जाने वाली चयनित क्रिया है। | 6. सामान्यत: यह अचयनित क्रिया है। |
7. यह एकदिशीय क्रिया होती है। | 7. जबकि यह द्विदिशीय क्रिया है। |
8. इस विधि के कारण ही कोशिका के भीतर एवं बाह्य तरल में निश्चित परासरणी सांद्रता को बनाये रखा जाता है। | 8. यह कोशिका के भीतर एवं बाह्य तरल में परासरणी सांद्रता को बनाये रखने में सहायक नहीं होता। |
RBSE Class 11 Biology Chapter 7 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कोशिका भित्ति किसे कहते हैं ? कोशिका भित्ति के गठन का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सर्वप्रथम राबर्टहुक ने 1665 में कोशिका भित्ति का अध्ययन किया। पादप कोशिका एक कठोर, मोटी तथा दृढ़ भित्ति से घिरी होती है। जिसे कोशिका भित्ति (Cell Wall) कहते हैं। यह जीवद्रव्य के बाहर स्थित होती है। यह जीवद्रव्य का स्रावित भाग है, जो कोशिका की रक्षा करता है। यह निर्जीव संरचना होती है। कवकों में कोशिका भित्ति पोलिसैकेराइड काइटिन या कवक सेल्यूलोज से बनी होती है जबकि शैवाल कोशिका भित्ति सेल्यूलोज एवं पेक्टिन की बनी होती है। यह जन्तु कोशिकाओं में नहीं पायी जाती है। कोशिका भित्ति मध्य पटलिका (Middle lamella) प्राथमिक भित्ति (Primary wall); द्वितीयक भित्ति (Secondary wall) तथा तृतीयक भित्ति (Tertiary wall) से मिलकर बनी होती है।
(i) मध्य पटलिका (Middle Lamella):
यह सबसे बाहरी स्तर होता है जो दो कोशिकाओं के बीच एक सीमेन्ट परत के रूप में कार्य करती है। बाहरी स्वतंत्र सतह पर यह अनुपस्थित होती है। यह टूटकर अंतराकोशिकीय स्थान बनाती है। मध्य पटलिका कैल्सियम तथा मैग्नीशियम ऐक्टेट के द्वारा निर्मित होती है। कैल्सियम पेक्ट्रेट मध्य पटलिका का मुख्य घटक होता है। मध्य पटलिका के पेक्टिट यौगिकों के घुलने के कारण फल मुलायम हो जाते हैं।पेक्टिन का उपयोग व्यावसायिक रूप से जैली के एजेण्ट के रूप में किया जाता है, जो कि प्राथमिक भित्ति के बाहर की ओर स्थित होती है।
(ii) प्राथमिक भित्ति (Primary Wall):
तरुण पादप कोशिका, भित्ति पदार्थ की एक परत (layer) को बनाती है। इस परत को प्राथमिक कोशिका भित्ति के रूप में जानते हैं। यह प्राथमिक भित्ति पतली, लचीली तथा वृद्धि करने वाली कोशिका के विस्तार में सक्षम होती है। यह कणाधान (Intussuception) द्वारा वृद्धि करती है। विभज्योतक तथा पेरनकाइमेटस कोशिकाओं में केवल प्राथमिक कोशिका भित्ति होती है। पत्तियों तथा फलों की कोशिकाओं में भी केवल प्राथमिक भित्ति होती है। इसमें सेल्यूलोज कम तथा हेमीसेल्यूलोज अधिक होता है। इसकी मोटाई 4 से 15 µ होती है।
(iii) द्वितीयक भित्ति (Secondary Wall):
परिपक्व कोशिकाओं में, प्राथमिक भित्ति के अन्दर की ओर भित्ति पदार्थों की परतें जुड़ जाती हैं। इन परतों को द्वितीयक कोशिका भित्ति (Secondary Wall) कहते हैं। इसमें लिग्निन, सुबेरिन एवं अन्य कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा अधिक होती है। सेल्यूलोज एवं पेक्टीन कम मात्रा में पाये जाते हैं। इसमें अकार्बनिक लवण, टैनिन, गोंद, मोम, कैल्शियम लवण, सिलिका, क्यूटिन आदि पदार्थ भी पाये जाते हैं। द्वितीय भित्ति मोटी तथा दृढ़ होती है जो सुदृढ़ता प्रदान करती है। यह वाहिका, वाहिनिका एवं दृढ़ोतकों में लिग्निन युक्त होती है।
(iv) तृतीयक भित्ति (Tertiary Wall):
द्वितीयक भित्ति के अन्दर की ओर पाई जाने वाली भित्ति को तृतीयक भित्ति कहते हैं जो जाइलन (Xylon) से बनी होती है। उदाहरण – जिम्नोस्पर्ल्स की वाहिनिकायें ( ट्रेकिड्स )। तृतीय भित्ति कोशिकाओं में बहुत कम पाई जाती है। यह जीवद्रव्य के सूखे स्तर को प्रदर्शित करती है।
प्रश्न 2.
निम्न पर टिप्पणी लिखिए –
(i) कोशिका भित्ति की उत्पत्ति
(ii) कोशिका भित्ति की वृद्धि
(iii) कोशिका भित्ति का रासायनिक परिवर्तन।
उत्तर:
(i) कोशिका भित्ति की उत्पत्ति:
कोशिका भित्ति कोशिका विभाजन की टीलोफेज अवस्था पर उत्पन्न होती है। कोशिका भित्ति के तल (plane) तथा स्थान का निर्धारण सूक्ष्म नलिकाओं (microtubules) द्वारा होता है। इसमें अन्त: प्रदयी जालिका (Endoplasmic reticulum) के खण्ड तथा गॉल्जी बॉडी के वेसीकल्स मध्य रेखा पर जुड़ते हैं। इसे फ्रेग्मोप्लास्ट (Phragmoplast) कहते हैं। जो बाद में कोशिका प्लेट का निर्माण करते हैं। सूल्यूलोज का संश्लेषण प्लाज्मा झिल्ली में उपस्थित एन्जाइम सेल्यूलेज सिन्थेटेज (Cellulase synthetase) की सहायता से होता है। कोशिका प्लेट कोशिका भित्ति का निर्माण करती है।
(ii) कोशिका भित्ति की वृद्धि:
कोशिका भित्ति की वृद्धि दो प्रकार से होती है –
- कणाधान (Intususseption)
- स्तराधान (by apposition)
कणाधान द्वारा वृद्धि से तात्पर्य है कि पहले से उपस्थित पदार्थ के बीच-बीच के स्थानों में कणों का जमा होना तथा स्तराधान से तात्पर्य है कि पहले से उपस्थित स्तर के ऊपर नये स्तरों का जमा होना। प्राथमिक कोशिका भित्ति का निर्माण मुख्य रूप से कणाधान द्वारा तथा द्वितीयक व तृतीयक भित्तियों की वृद्धि दोनों प्रकार से होती है। उदाहरणस्वरूप जब प्राथमिक भित्ति का निर्माण होता है उस समय पेक्टोज व सेल्यूलोज के कण कैल्सियम पैक्टेट के कणों के बीच-बीच में कणाधान विधि द्वारा जमा होते जाते हैं। अतः जब भी एक स्तर पर नया स्तर जमा होता है तो यह स्तराधान। (apposition) द्वारा होता है परन्तु जब एक ही स्तर का निर्माण होता है। तो उसकी वृद्धि कणाधान द्वारा होती है।
(iii) कोशिका भित्ति का रासायनिक परिवर्तन:प्रायः सभी पादप कोशिकाओं में कोशिका भित्ति मूल रूप से सेल्यूलोज की बनी होती है। इस प्रकार प्राथमिक और द्वितीयक भित्तियाँ और कभी-कभी तृतीयक भी सेल्यूलोज या सेल्यूलोज और पैक्टिन पदार्थों की बनी होती हैं किन्तु कोशिका के पुराने होने या यांत्रिक मदद करने (Mechanical support) के लिए कोशिका भित्ति पर अनेक प्रकार के पदार्थ जैसे लिग्निन (Lignin), क्यूटिन (Cutin), सुबेरिन (Suberin), पैक्टिन (Pectin), खनिज लवण (Mineral salts) इत्यादि जमा होने लगते हैं। इस प्रकार प्राथमिक अवस्था के बाद की अवस्थाओं में कोशिका
भित्ति में अनेक प्रकार के रासायनिक परिवर्तन हो सकते हैं –
- सुबेरिन (Suberin): वसीय अम्ल का जटिल मिश्रण होता है जो कॉर्क कोशिकाओं में जमा होने पर यह जल के लिए पूर्ण रूप से अपारगम्य हो जाती है।
- क्यूटिन (Cutin): वसीय पदार्थ के समान मोम है। यह उपत्वचा (Cuticle) के रूप में अधिचर्म कोशिकाओं पर जमा होने के फलस्वरूप जल की हानि को रोकता है। मरुद्भिद पादपों में उपत्वचा अधिक मोटी होती है।
- कोशिका भित्ति में सिलिका, कैल्शियम कार्बोनेट, कैल्सियम आक्जलेट आदि खनिज लवण जमा होते रहते हैं जो कोशिका भित्ति को दृढ़ता प्रदान करते हैं। घास की पत्तियों में सिलिका काफी मात्रा में जमा रहता है।
- लिग्निन (Lignin): विशिष्ट प्रकार का पॉलिसेकेराड होता है जो विशिष्ट रूप से जाइलम कोशिकाओं में जमा होता है तथा इनको कठोर तथा लिग्निफाइड बनाता है। इसके जमाव के कारण जाइलम ट्रेकीडस विभिन्न रूप ले लेते हैं।
- कुछ विशेष अवस्थाओं में सेल्यूलोज एक लसलसे पदार्थ में विघटित (decompose) हो जाता है। यह पदार्थ म्यूसीलेज (Mucilage), जल की काफी मात्रा अपने अंदर एकत्रित रख सकता है और इस प्रकार गाढ़ा तरल बनाता है। गुडहल के फूलों, भिण्डी के फलों, ईसबगोल के बीजों की कोशिका भित्तियाँ काफी मात्रा में म्यूसिलेज बनाती हैं।
- स्थूलकोण ऊतक कोशिकाओं की भित्ति पर सेल्यूलोज एवं पेक्टिन का जमाव होता है।
प्रश्न 3.
कोशिका झिल्ली क्या है ? सेंडविच मॉडल का चित्र बनाकर वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रत्येक कोशिका एक महीन झिल्ली (membrane) द्वारा घिरी होती है जो कोशिकाद्रव्य को सीमित तथा बाह्य वातावरण को पृथक् करती है। यह कला अर्थात् झिल्ली जीव कला (Plasma membrane) कहलाती है। जीवकला एक अत्यन्त महीन, लचीली, पारगम्य तथा जीवित रचना होती है। जीवाणुओं एवं पादप कोशिकाओं में जीवकला (plasma membrane) कोशिका भित्ति तथा कोशिका द्रव्य के बीच स्थित होती है।
सी. नैगली व सी. क्रेमर (C. Nageli and C. Cramer 1885) ने ही इसे कोशिका कला (Cell membrane) नाम दिया था। बाद में प्लोव (Plowe, 1931) ने इसे जीवद्रव्य कला (Plasma lemma) कहा था। इसकी संरचना के सम्बन्ध में विभिन्न मत दिये जो इस प्रकार हैं –
1. लाइपोप्रोटीन मॉडल ( लैमेलर सिद्धान्त ) [Lipoprotein model (Lemellar Theory)]:
डेनियली तथा डेवसन ने लाइपोप्रोटीन मॉडल प्रस्तावित किया। उन्होंने कोशिका कलाओं के अध्ययन के दौरान पाया कि जब केवल लिपिड से बनी हुई कृत्रिम कलाओं के पृष्ठ तनाव की तुलना कोशिका कला के पृष्ठ तनाव से की जाती है, तो कोशिका कला के पृष्ठ तनाव कम होता है तथा इससे होकर विद्युत प्रवाह में प्रतिरोध भी अधिक होता है।
इससे यह आभास मिला कि कला संरचना में लिपिड के अतिरिक्त प्रोटीन भी उपस्थित होनी चाहिए। इस अध्ययन के आधार पर दोनों वैज्ञानिकों ने (1938) कोशिका कलाओं के संशोधित मॉडल में बताया कि फास्फोलिपिड की द्विआणविक परत (Bimolecular layer) प्रोटीन की दो परतों के बीच सैण्डविच के समान होती है।
अतः इस कारण इसे सैण्डविच मॉडल भी कहते हैं। प्रोटीन वलित बीटा श्रृंखला (Folded B Chain) के रूप में पाई जाती है। फास्फोलिपिड की दोनों परतों के अध्रुवीय जल विरोधी सिरे (non – polar hydrophobic ends) एक-दूसरे के सम्मुख होते हैं जबकि इनके जलस्नेही (hydrophilic) शीर्ष पुच्छ अणुओं से विद्युत बलों (Electrostatic forces) द्वारा जुड़े रहते हैं।
यह अभिक्रिया ध्रुवीय लिपिड (Polar lipids) और प्रोटीन के अमीनो अम्ल की आवेशित पार्श्व श्रृंखला (charged side chain) के बीच हाइड्रोजन बंध (Hydrogen bond) या आयनी श्रृंखला (Ionic linkage) के कारण होती है। कला की बाह्य तथा आन्तरिक सतहों पर सूक्ष्म छिद्र पाये जाते हैं। ये छोटे आयनों तथा जल अणुओं के आवागमन में सहायक होते हैं।
प्रश्न 4.
तरल मोजेक प्रतिरूप का नामांकित चित्र बनाइए तथा प्लाज्मा झिल्ली के रूपान्तरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
तरल मोजेक मॉडल (Fluid Mosaic Model):
इस मत का प्रतिपादन सिंगर तथा निकोल्सन (Singer and Nicolson, 1972) द्वारा किया गया। यह सर्वाधिक मान्य मत है। इस मत के अनुसार झिल्ली के मध्य में द्वि-आण्विक लिपिड की परत (Bimolecular Layer) होती है। लिपिड से निर्मित इस परत के बाहर परिधीय या बाह्य प्रोटीन्स (Extrinsic Proteins) होते हैं तथा लिपिड परत में धंसे हुए समाकल या आन्तरिक (Intrinsic or Integral) प्रोटीन होते हैं। समाकल प्रोटीन लिपिड की परतों में जलरागी (Hydrophilic) तथा जलविरागी (Hydrophobic) क्रियाओं के द्वारा अन्तर्भूत रहते हैं तथा लिपिड की द्विपरत में प्रवेश कर जाने के कारण ये सरलता से पृथक् नहीं होते।
इसके विपरीत परिधीय प्रोटीन केवल बाहर होते हैं तथा सरलता से अलग किये जा सकते हैं। इस प्रकार लिपिड तथा समाकल प्रोटीन मोजेक (Mosaic) अवस्था में रहते हैं। इसमें लिपिड एवं प्रोटीन दोनों के अणुओं को संचलन अर्थात् स्थानान्तरी गतियों की पर्याप्त स्वतंत्रता होती है। यह संचलन ऊपर व नीचे की ओर न होकर इधर-उधर पार्श्व (Lateral) से होता है। इस प्रकार के व्यवस्थीकरण को अर्धतरल संरचना (Quasifluid structure) कहते हैं तथा यह समस्त जैविक झिल्लियों (प्लाज्मालेमा, टोनोप्लास्ट, अंत:प्रदव्यी जालिका, गॉल्जीकाय, प्लास्टिड्स, माइटोकोन्ड्रिया, लाइसोसोम व केन्द्रक आदि) में पायी जाती है।
प्लाज्मा झिल्ली के रूपान्तरण:
जन्तु कोशिकाओं में कभी-कभी कुछ विशेष कार्य हेतु संरचनाओं का निर्माण होता है जिनमें से प्रमुख निम्न हैं –
- डेस्मोसोम्स (Desmosomes): कोशिकाओं के सम्पर्कित स्थलों पर प्लाज्मा झिल्ली से अनेक परतों वाली कुछ धागेनुमा संरचनाएँ बनती हैं। इस प्रकार के क्षेत्र को डेस्मोसोम कहते हैं और धागेनुमा तंतुओं को टोनोफाइब्रिल्स कहा जाता है। डेस्मोसोम्स का प्रमुख कार्य कोशिका को आन्तरिक रूप से यांत्रिक सहायता (Mechanical माइक्रोविलाई support) देना होता है। साथ ही कोशिकाओं को परस्पर जोडे -प्लाज्मा झिल्ली रखने में भी सहायक होते हैं।
- माइक्रोविलाई (Microvilli): प्राणी कोशिकाओं में प्लाज्मा झिल्ली पर अंगुलियों के समान सूक्ष्म उभार निकल आते हैं जिन्हें माइक्रोविलाई कहते हैं। जिनका व्यास 0.1 µm होता है। इनका कार्य अवशोषण होता है। उदाहरण – आंत्र कोशिकाएँ, हिपेटिक कोशिका, मीसोथीलियल कोशिकाएँ। जिस सतह पर माइक्रोविलाई पायी जाती है उसे ब्रुश बार्डर कहते हैं।
- इन्टरडीजीटेशन (Interdigitation): कभी-कभी प्राणी कोशिकाओं में सम्पर्कित कोशिकाओं की प्लाज्मा झिल्ली कई स्थानों पर प्रवर्ध समान रचनाएँ बन जाती हैं, इन्हें इन्टरडीजीटेशन कहते हैं। इनके द्वारा सम्पर्कित कोशिकाएँ निकटतम बनी रहती हैं।
- मीजोसोम्स (MesoSomes): यह प्रोकैरियोटिस में कोशिका श्वसन के स्थान के रूप में कार्य करते हैं।
- लोमोसोम्स (Lomosomes): ये कवक कोशिकाओं में पाये जाने वाले प्लाज्मालेमा के वलय हैं। इसको मूरे तथा मैक्लिन के द्वारा बताया गया।
- ट्रान्सोसोम्स (TransOSomes): यह पक्षियों के अण्डाशय की फालिक्यूलर कोशिका में पाई जाती है जो त्रिस्तरीय होती है। इसको सबसे पहले प्रेस (1964) द्वारा खोजा गया।
- टाइट जंक्शन तथा जोन्यूली आकल्यूडेन्ट्स: दो समीप स्थित कोशिकाओं की जीवद्रव्य कला बिन्दुओं की श्रृंखला के रूप में जुड़कर खुरदरे स्ट्रेण्ड का एक जाल बनाती है। उदाहरण-कैपिलरीज, मस्तिष्क कोशिकाएँ, संग्राही नलिकाएँ आदि।
प्रश्न 5.
निम्न पर टिप्पणी लिखिए –
(i) कोशिका झिल्ली के कार्य
(ii) कोशिका भित्ति के कार्य
(iii) निष्क्रिय व सक्रिय परिवहन।
उत्तर:
(i) कोशिका झिल्ली के कार्य:
- कोशिका झिल्ली, कोशिका को निश्चित आकृति एव आकार प्रदान करती है।
- कोशिकांगों की सुरक्षा करती है, प्लाज्मा झिल्ली से ER का निर्माण होता है।
- परासरण क्रिया को नियंत्रित करती है।
- जीवाणु कोशिकाओं में कोशिका झिल्ली पर श्वसन एंजाइम पाये जाते हैं।
- यह कोशिका आसंजन में सहायता करती है।
- एंडोसाइटोसिस (Endocytosis): जब बाहरी पदार्थ को कोशिका द्वारा अन्तर्ग्रहण किया जाता है तो इसे पिनेकोसाइटोसिस (Pinacocytosis) तथा ठोस पदार्थों का अन्तर्ग्रहण हो तो फेगोसाइटोसिस (Phagocytosis) कहते हैं।
- एक्सोसाइटोसिस (Exocytosis): कोशिका द्वारा अनावश्यक पदार्थों को कोशिका झिल्ली से बाहर निकालना एक्सोसाइटोसिस कहलाता है। यह क्रिया स्रावी कोशिकाओं (Secretory cells) में पायी जाती है।
- कोशिका झिल्ली चयनात्मक झिल्ली की तरह कार्य करती है।
(ii) कोशिका भित्ति के कार्य:
- यह कोशिका की प्रतिकूल वातावरण से रक्षा करती है।
- कोशिका को निश्चित आकृति एवं आकार प्रदान करती है।
- कोशिका में यांत्रिक शक्ति प्रदान करती है।
- अन्तरकोशिकीय पदार्थों का संवहन प्लाज्मोडेस्मेटा द्वारा होता है।
- यह कोशिका के भीतर तथा इसके चारों ओर के वातावरण के मध्य परासरणी एवं संतुलन रखती है।
- पादपों में किसी प्रकार का कंकाल नहीं होता है अतः कोशिका भित्ति पादपों को दृढ़ता प्रदान कर सीधा खड़ा रखने में सहायक होती है।
(iii) निष्क्रिय व सक्रिय परिवहन:
- निष्क्रिय अभिगमन (Passive Transport):
जब विभिन्न प्रकार के आयन कोशिका कला के द्वारा अपने अधिक सान्द्रता के स्थान से कम सान्द्रता क्षेत्र की तरफ जाते हैं, परन्तु यह गति रासायनिक या विद्युत प्रवणता (Gradient) पर निर्भर होती है तथा इसमें ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती है। जैसे-परासरण और विसरण। - सक्रिय अभिगमन (Active Transport):
जब अणु कोशिका झिल्ली द्वारा अपने कम सान्द्रता के क्षेत्र से अधिक सान्द्रता के क्षेत्र की दशा में जाते हैं, परन्तु इसमें रासायनिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इस क्रिया में वाहक प्रोटीन्स अथवा परमिरोजेज वाहक का कार्य करते हैं।
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