Rajasthan Board RBSE Class 11 Economics Chapter 21 बेरोजगारी
RBSE Class 11 Economics Chapter 21 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
RBSE Class 11 Economics Chapter 21 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
बेरोजगारी से संबधित आँकड़े भारत में एकत्रित करता है
(अ) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया
(ब) स्टेट बैंक आफ इण्डिया
(स) नाबार्ड
(द) राष्ट्रीय सेम्पल सर्वेक्षण संगठन
उत्तर:
(द) राष्ट्रीय सेम्पल सर्वेक्षण संगठन
प्रश्न 2.
निम्न में से बेरोजगारी का सबसे व्यापक मापन कौन-सा है?
(अ) सामान्य स्थिति बेरोजगारी
(ब) साप्ताहिक स्थिति बेरोजगारी
(स) दैनिक स्थिति बेरोजगारी
(द) खुली बेरोजगारी
उत्तर:
(स) दैनिक स्थिति बेरोजगारी
प्रश्न 3.
एक मानक रोजगार वर्ष में समाहित है?
(अ) प्रतिदिन 6 घण्टे वर्ष में 275 दिन
(ब) प्रतिदिन 8 घण्टे वर्ष में 273 दिन
(स) प्रतिदिन 8 घण्टे वर्ष में 275 दिन
(द) प्रतिदिन 8 घण्टे वर्ष में 280 दिन
उत्तर:
(ब) प्रतिदिन 8 घण्टे वर्ष में 273 दिन
प्रश्न 4.
वर्ष 2011-12 में सी.डी.एस. (चाल दैनिक स्थिति) के अनुसार भारत में कितने व्यक्ति श्रम बल में शामिल थे?
(अ) 483.5 मिलियन
(ब) 440.2 मिलियन
(स) 472.9 मिलियन
(द) 415.7 मिलियन
उत्तर:
(ब) 440.2 मिलियन
प्रश्न 5.
वर्ष 2011-12 में सी.डी.एस. (चालू दैनिक स्थिति) के अनुसार बेरोजगारी का कितने प्रतिशत था?
(अ) 2.2 प्रतिशत
(ब) 5.6 प्रतिशत
(स) 7.2 प्रतिशत
(द) 1.2 प्रतिशत
उत्तर:
(ब) 5.6 प्रतिशत
प्रश्न 6.
वर्ष 2011-12 में भारत में कुल रोजगार का सर्वाधिक हिस्सा किसका था?
(अ) मजदूरी रोजगार
(ब) स्वरोजगार
(स) वेतन रोजगार
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) स्वरोजगार
प्रश्न 7.
कृषि में आवश्यकता से अधिक श्रम लगा रहता है इसके कारण श्रम की उत्पादकता कम होती है। इस अतिरिक्त श्रम को कृषि से प्रथक कर दिया जाये तो उत्पादन कम नहीं होगा। यह निम्न प्रकार की बेरोजगारी है
(अ) संरचनात्मक बेरोजगारी
(ब) छिपी बेरोजगारी
(स) चक्रीय बेरोजगारी
(द) मौसमी बेरोजगारी
उत्तर:
(ब) छिपी बेरोजगारी
प्रश्न 8.
व्यापार चक्र में मंदी के दौरान उत्पादन कम हो जाता है व श्रमिकों की छंटनी करनी पड़ती है। यह बेरोजगारी का कौन-सा प्रकार है?
(अ) मौसमी बेरोजगारी
(ब) चक्रीय बेरोजगारी
(स) छिपी बेरोजगारी
(द) संरचनात्मक बेरोजगारी
उत्तर:
(ब) चक्रीय बेरोजगारी
प्रश्न 9.
वर्ष 2011-12 में शिक्षित युवा (15 से 29 वर्ष आय व माध्यमिक से ऊपर शिक्षा स्तर) में बेरोजगारी दर सामान्य स्तर (प्रधान + अनुषंगी) निम्न में से किस वर्ग में सर्वाधिक थी?
(अ) ग्रामीण पुरुषों में
(ब) ग्रामीण महिलाओं में
(स) नगरीय पुरुषों में
(द) शहरी महिलाओं में
उत्तर:
(द) शहरी महिलाओं में
प्रश्न 10.
बेरोजगारी की समस्या के निदान के लिए कौन-सा उपाय प्रयोग में लाया जाना चाहिए?
(अ) निवेश में वृद्धि व निवेश की संरचना में परिवर्तन
(ब) छोटे व ग्रामीण उघोगों की स्थापना व विस्तार
(स) जन शक्ति आयोजन
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी
RBSE Class 11 Economics Chapter 21 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मानक व्यक्ति वर्ष क्या है?
उत्तर:
एक व्यक्ति को 8 घण्टे प्रतिदिन के हिसाब से यदि वर्ष में 273 दिन का रोजगार प्राप्त हो तो यह एक मानव-व्यक्ति वर्ष है
प्रश्न 2.
सामान्य स्थिति बेरोजगारी मापन का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
यह उन व्यक्तियों का मापन जो सर्वेक्षण अवधि के पूर्व के एक वर्ष में किसी भी प्रकार के रोजगार में नहीं होते हैं।
प्रश्न 3.
साप्ताहिक स्थिति बेरोजगारी मापन का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
इस मापन में पिछले एक सप्ताह में व्यक्ति को किसी भी दिन एक घण्टे का रोजगार प्राप्त नहीं होता तो उसे सप्ताह के लिए बेरोजगार माना जाता है।
प्रश्न 4.
चालू दैनिक स्थिति बेरोजगारी का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
इसमें व्यक्ति के रोजगार के बारे में देखा जाता है। यदि व्यक्ति किसी भी दिन एक घण्टे तक रोजगार में होता है तो उसे आधे दिन के लिए रोजगार में माना जाता है। चार घण्टों से अधिक रोजगार में होने पर उसे पूरे दिन के लिये रोजगार में माना जाता है।
प्रश्न 5.
वर्ष 2011-12 में भारत में सामान्य स्थिति तथा चालू दैनिक स्थिति के अनुसार बेरोजगारी की दर कितनी थी?
उत्तर:
वर्ष 2011-12 में भारत में सामान्य स्थिति के अनुसार 2.2% तथा चालू दैनिक स्थिति के अनुसार 56% बेरोजगारी दर थी।
प्रश्न 6.
वर्ष 2011-12 में भारत में नियुक्त व्यक्ति व व्यक्ति दिवस का आकार सामान्य स्थिति व चालू दैनिक स्थिति के अनुसार लिखिए।
उत्तर:
वर्ष 2011-12 में भारत में नियुक्त व्यक्ति व व्यक्ति दिवस का आकार सामान्य स्थिति के अनुसार 472.9 मिलियन तथा चालू दैनिक स्थिति के अनुसार 415.7 मिलियन था।
प्रश्न 7.
बेरोजगारी उन्मलन के लिए भारत में अपनाए गए स्वरोजगार कार्यक्रमों किन्हीं दो के नाम लिखो
उत्तर:
- एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम।
- ग्रामीण युवकों को प्रशिक्षण का राष्ट्रीय कार्यक्रम।
प्रश्न 8.
बेरोजगारी उन्मूलन के लिए अपनाई गई मजदूरी रोजगार कार्यक्रमों में किन्हीं दो कार्यक्रमों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- ग्रामीण भूमिहीन रोजगार कार्यक्रम।
- सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना।
प्रश्न 9.
भारत में बेरोजगारी की समस्या के उत्तरदायी कोई दो कारण दीजिए।
उत्तर:
- जनसंख्या व श्रम दर में वृद्धि।
- अनुपयुक्त शिक्षा प्रणाली।
प्रश्न 10.
ग्रामीण क्षेत्र में पायी जाने वाली बेरोजगारी के कोई दो प्रकार लिखिए।
उत्तर:
- प्रच्छन्न बेरोजगारी।
- मौसमी बेरोजगारी।
RBSE Class 11 Economics Chapter 21 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
बेरोजगारी का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
बेरोजगारी वह स्थिति है जिसमें काम करने के योग्य व काम करने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को काम प्राप्त नहीं होता है। काम करने के अयोग्य (बालक, वृद्ध व अन्य जो श्रम बल में नहीं आते) व्यक्ति यदि बेरोजगार है तो उसे बेरोजगार नहीं माना जाता व यदि काम की इच्छा न रखने वाला व्यक्ति बेरोजगार है तो उसे बेरोजगार नहीं माना जाता है। अर्थात् काम करने में योग्य व इच्छा रखने वाले व्यक्ति को रोजगार नहीं मिलता है तो उसे बेरोजगारी कहते हैं।
प्रश्न 2.
छिपी हई बेरोजगारी से क्या आशय है?
उत्तर:
वह स्थिति जिसमें व्यक्ति स्पष्ट रूप से बेरोजगार दिखाई नहीं देता। विकासशील देशों में पारिवारिक कृषि में जितने लोगों की आवश्यकता होती है उससे अधिक लोग कृषि में लगे रहते हैं। दिखने में वे रोजगार में दिखते हैं पर उत्पादन में अपनी क्षमता के अनुसार योगदान नहीं देते। कई बार स्वरोजगार में लगे व्यक्तियों में यह देखी जा सकती है यह कम उत्पादकता व कम आमदनी के रूप में प्रकट होती है।
प्रश्न 3.
मौसमी बेरोजगारी का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
मौसमी व त्यौहारी मौसम वाले उद्योगों में कार्यरत श्रमिकों में यह बेरोजगारी पायी जाती है। कृषि कार्य की मौसमी प्रकृति व मानसून पर निर्भरता के कारण वर्ष भर कार्य नहीं मिलता अर्थात् वर्ष के कुछेक माह में रोजगार मिलता है बाकी समय बेरोजगारी होती है। यह बेरोजगारी अल्प रोजगार की दशा होती है।
प्रश्न 4.
भारत में बेरोजगारी मापन के तीन मानक लिखिए।
उत्तर:
- सामान्य स्थिति बेरोजगारी
- साप्ताहिक स्थिति बेरोजगारी
- दैनिक स्थिति बेरोजगारी
प्रश्न 5.
भारत में शिक्षित बेरोजगारी का स्तर बताइए।
उत्तर:
शिक्षा मानव विकास का महत्त्वपूर्ण उपकरण है। शिक्षा व प्रशिक्षण श्रम की दक्षता बढ़ाता है। शिक्षित बेरोजगारी का प्रारूप निम्न प्रकार है :
- शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में सैकण्डरी से कम शिक्षा की तुलना में सैकण्डरी व ऊपर की शिक्षा प्राप्त व्यक्तियों में बेरोजगारी अधिक है।
- शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षित महिलाओं में बेरोजगारी दर शिक्षित पुरुषों में बेरोजगारी दर से अधिक है। यह अन्तर सेकण्डरी से ऊपर के शिक्षा स्तरों में अधिक मात्रा में है।
प्रश्न 6.
भारत में शहरी क्षेत्र में प्रमुख रोजगार गतिविधियों के क्षेत्र लिखिए।
उत्तर:
भारत में शहरी क्षेत्रों में औद्योगिक इकाइयाँ, होटल, मोटल, कम्पनियाँ आदि क्षेत्रों में व्यक्ति रोजगार ढूँढ लेते हैं। जिससे वे बेरोजगारी की समस्या से बच जाते हैं।
प्रश्न 7.
अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों (यथा प्राथमिक क्षेत्र, द्वितीयक क्षेत्र, तृतीयक क्षेत्र) में रोजगार में हुए संरचनात्मक बदलाव को लिखिए।
उत्तर:
प्राथमिक क्षेत्र का हिस्सा 2004-05 में 58.5% से घटकर वर्ष 2011-12 में 489% हो गया। जबकि द्वितीयक क्षेत्र व तृतीयक क्षेत्र का हिस्सा 2004-05 में 18.2% व 23.4% से बड़कर 2011-12 क्रमश: 243% तथा 26.4% हो गई है। प्राथमिक क्षेत्र रोजगार की दृष्टि से अब भी सबसे बड़ा क्षेत्र है।
प्रश्न 8.
शिक्षित बेरोजगारी को समाप्त करने के लिए शिक्षा प्रणाली में किस प्रकार के परिवर्तन आवश्यक है? बताइये
उत्तर:
शिक्षा के स्वरूप को विकास की आवश्यकता के अनुसार ढालने की आवश्यकता है ताकि शिक्षित व्यक्ति को बेरोजगारी का सामना न करना पड़े। इसमें यह भी आवश्यक कि शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर हो। देश के सभी क्षेत्रों में अशिक्षित श्रम को शिक्षित श्रम में प्रतिस्थापन करना आवश्यक है। ऐसा करके ही देश विकास प्रक्रिया में तेजी ला सकता है।
RBSE Class 11 Economics Chapter 21 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
बेरोजगारी के विभिन्न प्रकार लिखिए व बताइये कि विकासशील देशों में बेरोजगारी की समस्या विकसित देशों में बेरोजगारी की समस्या से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
बेरोजगारी के स्वरूप व कारणों के आधार पर बेरोजगारी के निम्नलिखित प्रकार हैं :
- संरचनात्मक बेरोजगारी :
यह दीर्घकालीन होती है तथा पिछड़े आर्थिक वर्ग के कारण होती है। यह देश की विकास प्रक्रिया के साथ जुड़ी होती है। जब श्रम की तुलना में पूँजी निर्माण की दर धीमी होती है। अर्थात् श्रम की तुलना पूँजी या अन्य पूरक साधनों की कमी होती है। यह अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक असाम्य के कारण होती है। - प्रच्छन्न बेरोजगारी :
यह वह स्थिति होती है जिसमें व्यक्ति स्पष्ट रूप से बेरोजगार दिखाई नहीं देता। विकासशील देश में पारिवारिक कृषि में जितने लोगों की आवश्यकता होती है उससे अधिक लोग कृषि में लगे रहते हैं। दिखने में वे रोजगार में दिखते हैं पर उत्पादन में अपनी क्षमता के अनुसार योगदान नहीं देते। - मौसमी बेरोजगारी :
कृषि कार्य की मौसमी प्रकृति व मानसून पर निर्भरता के कारण वर्ष भर कार्य नहीं मिलता है अर्थात् वर्ष के कुछेक माह में रोजगार मिलता है, बाकी समय बेरोजगारी होती है। मौसमी व त्यौहारी मौसम वाले उद्योगों में कार्यरत श्रमिकों में भी यह बेरोजगारी पायी जाती हैं। - खुली बेरोजगारी :
यह वह बेरोजगारी की स्थिति है जिसमें काम करने का इच्छुक व काम करने की क्षमता व योग्यता रखने वाले व्यक्ति को कोई काम नहीं मिलता। काम न मिलने के कारण व्यक्ति पूरी तरह बेरोजगार हो जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों में रोजगार की तलाश में श्रमिक आते हैं व उसे वहाँ कोई रोजगार नहीं मिलता तो उस स्थिति में खुली बेरोजगारी कही जाती है। - चक्रीय बेरोजगारी :
बेरोजगारी की यह समस्या पूँजीवादी या बाजार तंत्र अर्थव्यवस्था में व्यापार चक्र के कारण उत्पन्न होती है। मंदी की स्थिति में समग्र मांग की कमी के कारण उत्पादन कम हो जाता है व बेरोजगारी हो जाती है। पुन: मंदी दूर होने पर रोजगार बढ़ जाता है। विकसित देशों में व्यापार चक्र से जुड़ी इस तरह की बेरोजगारी होती है। - घर्षणात्मक बेरोजगारी :
पूर्ण रोजगार की स्थिति में भी अर्थव्यवस्था में कुछ बेरोजगारी रहती है। अर्थव्यवस्था की आंगिक संरचना में सदैव परिवर्तन होते हैं। कुछ उद्योग बन्द होते हैं तो कुछ नये खुलते हैं। बन्द उद्योगों से बेरोजगार हुए श्रमिकों को दूसरा कार्य खोजने व उसके लिए आवश्यक प्रशिक्षण में समय लगता है। इस दौरान वह बेरोजगार रहता है। नये कार्य को आरम्भ करने तक की बेरोजगारी घर्षणात्मक होती है।
विकासशील देशों में बेरोजगारी की समस्या :
विकासशील देश कृषि पर निर्भर होते हैं जो कि कम लोगों की आवश्यकता पर भी अधिक लोग लगे रहते हैं। विकसित देशों में औद्योगिक इकाइयाँ अधिक होती हैं जो कृषि के साथ-साथ उनमें भी कार्य करते हैं। जिससे वहाँ बेरोजगारी की समस्या कम रहती है तथा लोगों को रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ता है। विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था अभी भी विकसित देशों से पीछे है जिसके कारण विकासशील देशों में अब भी बेरोजगारी की समस्या व्याप्त है।
प्रश्न 2.
भारत में रोजगार व बेरोजगारी की स्थिति पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारत में रोजगार व बेरोजगारी की स्थिति :
भारत में बेरोजगारी के आँकड़ों के चार स्रोत हैं। भारत की जनगणना रिपोर्ट, राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन की रोजगार व बेरोजगारी की अवस्था संबंधी रिपोर्ट, रोजगार और प्रशिक्षण निदेशालय के रोजगार कार्यालय में पंजीकृत ऑकड़ों तथा श्रम ब्यूरो द्वारा वार्षिक आधार पर पारिवारिक रोजगार-बेरोजगारी संबंधी सर्वेक्षण। इन सभी स्रोतों के आँकड़ों में अन्तर होता है। क्योंकि इनका उद्देश्य व कार्य पद्धति भिन्न-भिन्न है। शहरी क्षेत्रों में प्रमुख रूप से औद्योगिक व शिक्षित बेरोजगारी होती है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में अल्प बेरोजगारी (छिपी बेरोजगारी तथा मौसमी बेरोजगारी) तथा खुली बेरोजगारी होती है। इसका तात्पर्य यह नहीं है कि ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षित बेरोजगारी बिल्कुल नहीं होती लेकिन प्रमुख रूप से शहरी क्षेत्रों में शारीरिक श्रम करने वाले बेरोजगार कहे जाते हैं।
NSSO के अनुसार चालू दैनिक स्थिति (CDS) के अनुसार वर्ष 1999-2000 में 336.9 मिलियन व्यक्ति तथा व्यक्ति दिवस रोजगार की स्थिति में थे जो 2004-05 में बढ़कर 382.8 मिलियन तथा वर्ष 2011-12 में 415.7 मिलियन हो गए।
भारत में चिरकालीन सामान्य बेरोजगारी 2% के आस 2011-12 में 5.2% थी। यह वर्ष 1999-2000 में 7.3 से पास रही है। जबकि सी.डी.एस. (चिरकाल व अदृश्य) बेरोजगारी 1999-2000 में 73% से वर्ष 2004-05 में 8.2% तक बढ़ गई थी। जो पुन: वर्ष 2011-12 में घटकर 5.6% हो गई। 2004-05 से 2011-12 के मध्य रोजगार में कम वृद्धि के बावजूद बेरोजगारी में कमी देखी गयी।
भारत में बेरोजगारी का क्षेत्रीय वितरण देखने पर ज्ञात होता है कि वर्ष 2011-12 में सामान्य स्थिति के अनुसार बेरोजगारी केरल (9.1%) थी। उसके पश्चात् पश्चिम बंगाल में 4.4% थी। कुल रोजगार में स्वरोजगार का हिस्सा 52.2% है लेकिन इसमें कामगारों का एक बड़ा हिस्सा अभी भी कम आय सृजन वाली गतिविधियों से जुड़ा है।
प्रश्न 3.
भारत में श्रम बल व रोजगार की दशा के संबंध में राष्ट्रीय क्षेत्र सर्वेक्षण संगठन के प्रमुख निष्कर्षों को रेखांकित कीजिए।
उत्तर:
भारत में सामान्य स्थिति (U.S) के अनुसार वर्ष 1999-2000 में 407 मिलियन व्यक्ति श्रम में शामिल थे जो वर्ष 2004-05 में बढ़कर 409 मिलियन हो गए व वर्ष 2011-12 में 483.7 मिलियन हो गए। चालू दैनिक स्थिति के अनुसार वर्ष 1999-2000 में 363.3 मिलियन व्यक्ति श्रम बल में शामिल थे। जो 2004-05 में बढ़कर 417 मिलियन हो गए तथा वर्ष 2011-12 में 440.2 मिलियन हो गए। अर्थात् दोनों मानकों के अनुसार श्रम बल में शामिल व्यक्तियों की संख्या में 1999-2000 से 2011-12 के मध्य निरन्तर वृद्धि हुई है।
इसी प्रकार राष्ट्रीय सेम्पल सर्वेक्षण संगठन के विभिन्न दौर के अध्ययनों के अनुसार सामान्य स्थिति (यू.एस.) में वर्ष 1999-2000 में 368 मिलियन व्यक्ति तथा व्यक्ति दिवस रोजगार में थे। जो वर्ष 2004-05 में बढ़कर 457.9 मिलियन हो गए तथा वर्ष 2011-12 में 472.9 मिलियन हो गए। चालू दैनिक स्थिति (सी.डी.एस.) के अनुसार वर्ष 1999-2000 में 336.9 मिलियन व्यक्ति तथा व्यक्ति दिवस रोजगार की स्थिति में थे जो 2004-05 में बढ़कर 382.8 मिलियन तथा वर्ष 2011-12 में 415.7 मिलियन हो गए।
रोजगार की वार्षिक वृद्धि में गिरावट हो रही है। 1999-2000 से 2004-05 के दौरान 28% के मुकाबले गिरकर वर्ष 2004-05 से 2011-12 के दौरान 0.5% रह गई है। जबकि इन्हीं अवधियों में श्रम शक्ति में वार्षिक वृद्धि दर क्रमश: 29% तथा 0.4% रही। रोजगार की यह वृद्धि दर बढ़ी हुई श्रम शक्ति के अनुरूप नहीं है।
प्रश्न 4.
भारत में बेरोजगारी की समस्या के लिए उत्तरदायी कारणों को रेखांकित कीजिए।
उत्तर:
भारत में बेरोजगारी की समस्या के निम्न कारण हैं :
- अल्पविकास व विकास प्रारूप का रोजगार वृद्धि से असंगत होना :
विकास के साथ संरचनात्मक परिवर्तन होता है कि कृषि से श्रम शक्ति मुक्त होकर गैर कृषि कार्यों में जाती है। भारत में गैर कृषि क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में रोजगार सृजित नहीं हो पाए। जिससे कृषि में अतिरिक्त लगा श्रम मुक्त हो सके व उसका गैर कृषि कार्यों में नियोजन हो सके। इसके कारण कृषि क्षेत्र में छिपी बेरोजगारी विद्यमान है तथा ग्रामीण आबादी रोजगार की तलाश में शहरों में पलायन करती है व उसे यहाँ भी बेरोजगारी व बदतर जीवन स्तर का सामना करना होता है। - जनसंख्या व श्रम पूर्ति में वृद्धि :
स्वतंत्रता के बाद मृत्यु दर में तेजी से गिरावट आयी है व जन्म दर ऊँची बनी रहने के कारण तेजी से जनसंख्या वृद्धि हुई है। 1951 में जनसंख्या 36 करोड़ से बढ़कर 2011 में 121 करोड़ हो गई। जनसंख्या विस्तार से श्रम बल में विस्तार होता है। शिक्षा का प्रसार तथा स्त्रियों में रोजगार पाने की इच्छा ने श्रम बल में अधिक वृद्धि की। विकास की दर इतनी पर्याप्त नहीं थी कि इस बढ़ती श्रम शक्ति को लाभदायक रोजगार उपलब्ध करा सके। - दोषपूर्ण आयोजन :
आयोजन के प्रारम्भ में केवल यह सोचा गया कि विकास के साथ रोजगार के अवसर स्वत: उत्पन्न होगे तथा बेरोजगारी की समस्या को विकास प्रयास के साथ जोड़ा गया। औद्योगिक बेरोजगारी गाँव से शहरों की ओर बढ़ते पलायन, औद्योगिक विकास का अभाव तथा औद्योगिक विकास धीमी गति के कारण है जब शिक्षित बेरोजगारी दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली व रोजगार उन्मुख शिक्षा के अभाव के कारण उत्पन्न होती है। - अनुपयुक्त शिक्षा प्रणाली:
शिक्षा प्रणाली को आर्थिक विकास की जरूरत के अनुरूप तैयार किया जाना चाहिए। गुन्नर मिर्डल के अनुसार भारतीय शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य मानव स्रोतों का विकास करना नहीं रहा। यहाँ कि शिक्षा प्रणाली विकास और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए क्लर्क और नीचे दर्जे के प्रशासनिक अधिकारी पैदा कर सकती है।
प्रश्न 5.
बेरोजगारी निवारण के लिए सरकार द्वारा अपनाई गई नीतियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आयोजन के प्रारम्भ में यह सोचा गया कि विकास के स्वतः पर्याप्त मात्रा में रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे जो विद्यमान व बढ़ते श्रम बल को रोजगार उपलब्ध कर सकेगा। रोजगार उपलब्ध कराने के परिप्रेक्ष्य में सरकार ने विभिन्न योजनाएँ चलायीं। पांचवीं पंचवर्षीय योजना में यह विचार आया कि रोजगार वृद्धि के लिए केवल विकास दर पर निर्भरता पर्याप्त नहीं है। रोजगार वृद्धि के लिए सरकार व निजी संगठित क्षेत्रों में रोजगार देने के अतिरिक्त पृथक कार्यक्रम अपनाये जाने आवश्यक हैं। छठी पंचवर्षीय योजना में अल्प रोजगार को कम करने तथा बेरोजगारी की समस्या को हल करने के उद्देश्य के रूप में स्वीकार किया गया।
कृषि, लघु व कुटीर उद्योगों तथा सहायक गतिविधियों में स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने के प्रयास किये गये। सातवीं पंचवर्षीय योजना में विकास आयोजन की रणनीति से उत्पादक रोजगार सृजित करने को उच्च प्राथमिकता दी गई। श्रम बल की वृद्धि दर रोजगार वृद्धि से अधिक होने के कारण प्रतिवर्ष बेरोजगार श्रम शक्ति का आकार बढ़ता चला गया। आठवीं योजना में समृद्धि की उत्पादन संरचना में परिवर्तन द्वारा प्रतिवर्ष रोजगार वृद्धि लक्ष्य 2.6 से 2.8 प्रतिशत रखा गया ताकि अगले दस वर्षों में बेरोजगारी को पूर्णतः समाप्त किया जा सके।
नवीं पंचवर्षीय योजना में श्रम गहन क्षेत्रों तथा उन क्षेत्रों पर बल देने का लक्ष्य रखा गया। जहाँ बेरोजगारी अधिक मात्रा में थी। यह माना गया कि रोजगार के अवसर उत्पन्न करने व उनका लाभ उठाने के लिए सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता है। दसवीं योजना में रोजगार के अधिक अवसर उत्पन्न करने वाले क्षेत्रों (कृषि व संबद्ध व्यवसाय, लघु व मध्यम उद्योग, शिक्षा व स्वास्थ्य, निर्माण, पर्यटन आदि) के विकास पर बल देने का लक्ष्य रखा गया। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत रोजगार में तेजी से विस्तार व रोजगार की गुणवत्ता में सुधार लाने वाली रोजगार युक्ति अपनाने पर बल दिया गया व 5.8 लाख रोजगार अवसर सृजित करने की बात कही गई। बारहवीं योजना में विनिर्माण क्षेत्र को विकास का महत्त्वपूर्ण माध्यम बनाने पर बल दिया गया।
प्रश्न 6.
भारत में बेरोजगारी की समस्या के समाधान के लिए सुझाव दीजिए।
उत्तर:
अल्प रोजगारी, खुली बेरोजगारी, ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी व शिक्षित वर्ग में बेरोजगारी की स्थिति में उसके समाधान के लिए व्यापक रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जाने आवश्यक हैं। इस हेतु निम्न प्रयास किये जा सकते हैं।
- निवेश में वृद्धि व निवेश की संरचना परिवर्तन :
अर्थव्यवस्था में निवेश या पूँजी निर्माण स्तर ऊँचा बना रहना आवश्यक है ताकि उत्पादन क्षमता ऊँची बनी रहे व रोजगार के अवसर भी तदनुरूप ढाँचे बने रहें। निवेश वृद्धि के साथ उत्पादन विस्तार होता है व रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है। निवेश संरचना श्रम गहन परियोजनाओं में अधिक होना चाहिए। - छोटे व ग्रामीण उद्योग की स्थापना का विस्तार :
हस्तशिल्प दस्तकारी व ग्रामीण क्षेत्रों में अन्य छोटे उद्योगों का विस्तार व उनकी दक्षता में वृद्धि की जाये। इनमें कम पूँजी की आवश्यकता होती है व रोजगार लोग अधिक होते हैं। ग्रामीण क्षेत्र ‘में इनकी स्थापना कर काम की तलाश में ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में पलायन को रोका जा सकता है तथा ग्रामीण क्षेत्रों में अल्प रोजगार व मौसमी बेरोजगारी की स्थिति में रोजगार के अवसरों का विस्तार किया जाता है। - जन शक्ति आयोजन :
देश में उपलब्ध श्रम, बल व उत्पादन में श्रम बल की आवश्यकता के मध्य उपयुक्त आयोजन की आवश्यकता है। एक ओर श्रम, बल बेरोजगार है व दूसरी ओर कुशल व दक्ष श्रम बल का अभाव है। श्रम, बल को दक्ष व कुशल बनाकर आवश्यकतानुसार श्रमबल में कौशल का निर्माण कर बेरोजगारी व कौशल श्रम का अभाव दोनों समस्याओं का समाधान संभव है। - शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन :
शिक्षा प्रणाली स्थानीय रोजगार आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित की जाए। सरकार नियोजन व बल व श्रम बल को उस तरह से शिक्षा व प्रशिक्षण का सामूहिक प्रयास करना चाहिए। ताकि उच्च शिक्षा के बावजूद बेरोजगारी का सामना न करना पड़े। देश का बेशकीमती श्रम बल बेकार न रहे। - जनसंख्या नियन्त्रण :
इसमें आर्थिक क्रियाओं के विस्तार के अनुरूप श्रम बल की आवश्यकता व श्रम बल की पूर्ति के दीर्घकालीन नियोजन के भारत जैसे विकासशील देश में जनसंख्या नियंत्रण की आवश्यकता है। आज की जनसंख्या वृद्धि कुछ वर्षों बाद श्रम में शामिल हो जाती है। उसके अनुरूप यदि स्थिति आर्थिक सेवाओं का विस्तार नहीं होता तो बेरोजगारी की समस्या का सामना करना होगा।
RBSE Class 11 Economics Chapter 21 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 11 Economics Chapter 21 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
राष्ट्रीय सेम्पल सर्वेक्षण ने बेरोजगारी मापन की कितनी विधि दी हैं?
(अ) दो
(ब) चार
(स) तीन
(द) पाँच
उत्तर:
(स) तीन
प्रश्न 2.
1999-2000 में भारत में श्रम बल में शामिल व्यक्ति (मिलियन में) थे (चालू स्थिति के अनुसार)
(अ) 407.0
(ब) 469.0
(स) 483.7
(द) 501:10
उत्तर:
(अ) 407.0
प्रश्न 3.
2011-12 में चालू दैनिक स्थिति के आधार पर श्रम बल में शामिल व्यक्ति (मिलियन में) थे.
(अ) 363.3
(ब) 417.2
(स) 440.2
(द) 483.7
उत्तर:
(स) 440.2
प्रश्न 4.
2011-12 में यू.एस. के आधार पर नियुक्त व्यक्ति तथा व्यक्ति दिवस (मिलियन में) थे
(अ) 398.0
(ब) 457.9
(स) 472.9
(द) 415.7
उत्तर:
(स) 472.9
प्रश्न 5.
प्राथमिक क्षेत्र में 2004-05 में रोजगार वितरण कितने प्रतिशत था?
(अ) 58.4
(ब) 18.2
(स) 23.4
(द) 24.3
उत्तर:
(अ) 58.4
प्रश्न 6.
कुल रोजगार में स्वरोजगार का हिस्सा कितना प्रतिशत है?
(अ) 52.2
(ब) 50.0
(स) 48.3
(द) 45.1
उत्तर:
(अ) 52.2
प्रश्न 7.
सामान्य स्थिति के अनुसार वर्ष 2011-12 में गुजरात में कितने प्रतिशत बेरोजगारी थी?
(अ) 0.10
(ब) 1.10
(स) 0.7
(द) शून्य
उत्तर:
(स) 0.7
RBSE Class 11 Economics Chapter 21 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कीन्स के अनुसार बेरोजगारी क्या होती है?
उत्तर:
समग्र मांग के अभाव के कारण।
प्रश्न 2.
दीर्घकालीन बेरोजगारी कौन-सी होती है?
उत्तर:
संरचनात्मक बेरोजगारी।
प्रश्न 3.
अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक असाम्य के कारण कौन-सी बेरोजगारी होती है?
उत्तर:
संरचनात्मक बेरोजगारी।
प्रश्न 4.
वह बेरोजगारी जिसमें व्यक्ति स्पष्ट रूप से बेरोजगार दिखाई नहीं देता, कौन-सी है?
उत्तर:
प्रच्छन्न बेरोजगारी।
प्रश्न 5.
अल्प रोजगार की दशा में कौन-कौन सी .. बेरोजगारी होती है?
उत्तर:
प्रच्छन्न बेरोजगारी व मौसमी बेरोजगारी। प्रश्न 6. सी.डी.एस. किसको मापता है? उत्तर-सी.डी.एस. व्यक्ति दिवसों को मापता है।
प्रश्न 7.
भारत में रोजगार व बेरोजगारी के आँकड़े संचय कौन करता है?
उत्तर:
N.S.S.O.
प्रश्न 8.
2011-12 में प्राथमिक क्षेत्र में रोजगार प्रतिशत कितना था?
उत्तर:
48.9
प्रश्न 9.
2004-05 में द्वितीयक क्षेत्र में रोजगार प्रतिशत कितना था?
उत्तर:
18.2%
प्रश्न 10.
2011-12 में द्वितीयक क्षेत्र में रोजगार का कितना प्रतिशत था?
उत्तर:
24.3%
प्रश्न 11.
2011-12 में तृतीयक क्षेत्र में रोजगार वितरण कितना प्रतिशत था?
उत्तर:
26.8%
प्रश्न 12.
रोजगार की दृष्टि से सबसे बड़ा क्षेत्र है?
उत्तर:
प्राथमिक क्षेत्र।
प्रश्न 13.
रोजगार दृष्टि दूसरा महत्त्वपूर्ण क्षेत्र कौन-सा है?
उत्तर:
तृतीयक क्षेत्र।
प्रश्न 14.
तृतीयक क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद में | कितना प्रतिशत था?
उत्तर:
61%
प्रश्न 15.
वर्तमान में कितने प्रतिशत श्रम बेरोजगार में कार्यरत है?
उत्तर:
52%
प्रश्न 16.
वेतन रोजगार में कितने प्रतिशत कार्यरत है?
उत्तर:
18%
प्रश्न 17.
CWS का क्या अर्थ है?
उत्तर:
Current Weekly Status (चालू साप्ताहिक स्थिति) .
प्रश्न 18.
CDS से क्या आशय है?
उत्तर:
Current Daily Status (चालू दैनिक स्थिति)
प्रश्न 19.
वर्ष 2011-12 में सामान्य स्थिति के अनुसार केरल में बेरोजगारी कितने प्रतिशत थी?
उत्तर:
91%
प्रश्न 20.
वर्ष 2011-12 में सामान्य स्थिति के अनुसार प. बंगाल में बेरोजगारी कितने प्रतिशत था?
उत्तर:
4.4%
प्रश्न 21.
1951 में भारत की जनसंख्या कितनी थी?
उत्तर:
36 करोड़।
प्रश्न 22.
2011 में भारत की जनसंख्या कितनी थी?
उत्तर:
121 करोड़।
प्रश्न 23.
बेरोजगारी के प्रकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- संरचनात्मक बेरोजगारी
- प्रच्छन्न बेरोजगारी
- मौसमी बेरोजगारी
- खुली बेरोजगार
- चक्रीय बेरोजगारी
- घर्षणात्मक बेरोजगारी।।
प्रश्न 24.
बेरोजगारी मापन की तीन अवधारणाएँ लिखो।
उत्तर:
- सामान्य स्थिति बेरोजगारी
- साप्ताहिक स्थिति बेरोजगारी
- दैनिक स्थिति बेरोजगारी।
प्रश्न 25.
शिक्षित बेरोजगारी कब उत्पन्न होती है?
उत्तर:
शिक्षित बेरोजगारी दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली व रोजगार उन्मुख शिक्षा के अभाव के कारण उत्पन्न होती है।
प्रश्न 26.
किस योजना में अल्प रोजगार को कम करने तथा बेरोजगारी की समस्या को हल करने उद्देश्य से स्वीकार किया? .
उत्तर:
छठी पंचवर्षीय योजना को।
प्रश्न 27.
प्रतिवर्ष बेरोजगार श्रम शक्ति का आकार क्यों बढ़ता चला गया?
उत्तर:
श्रम बल की वृद्धि दर रोजगार की वृद्धि दर से अधिक होने के कारण बेरोजगार श्रम शक्ति का आकार बढ़ता चला गया।
प्रश्न 28.
आठवीं पंचवर्षीय योजना में प्रतिवर्ष रोजगार वृद्धि का लक्ष्य कितना रखा गया?
उत्तर:
2.6 से 2.8 प्रतिशत रखा गया।
प्रश्न 29.
किस योजना में रोजगार के अधिक अवसर उत्पन्न करने वाले क्षेत्रों के विकास पर बल देने का लक्ष्य रखा?
उत्तर:
दसवीं योजना में।
प्रश्न 30.
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना का क्या लक्ष्य रखा गया?
उत्तर:
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में रोजगार में तेजी से विस्तार व रोजगार की गुणवत्ता में सुधार लाने वाली रोजगार युक्ति अपनाने पर बल दिया।
प्रश्न 31.
1999-2000 की तुलना में 2011-12 में शिक्षित बेरोजगारी पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
1999-2000 की तुलना में 2011-12 में शिक्षित बेरोजगारी दर कम हुई है और यह कमी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक हुई है।
प्रश्न 32.
बेरोजगारी के कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर:
- अल्पविकास व विकास प्रारूप का रोजगार वृद्धि से असंगत होना।
- जनसंख्या व श्रम पूर्ति में वृद्धि।
प्रश्न 33.
खेतिहर मजदूर रोजगार गारन्टी कार्यक्रम कब शुरू किया गया?
उत्तर:
यह कार्यक्रम 1983 में आरम्भ किया गया।
प्रश्न 34.
TRYSEM कब शुरू किया गया?
उत्तर:
यह कार्यक्रम 1979 में प्रारम्भ किया गया।
प्रश्न 35.
TRYSEM में 1991 से 1999 के मध्य कितने लोगों को प्रशिक्षण दिया?
उत्तर:
23.3 लाख लोगों को प्रशिक्षण दिया गया।
प्रश्न 36.
TRYSEM को 1999 में किस योजना में मिला दिया गया?
उत्तर:
इसे स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना में विलय किया गया।
प्रश्न 37.
जवाहर रोजगार योजना कब प्रारंभ की गई?
उत्तर:
1989-90 में आरंभ किया गया।
प्रश्न 38.
जवाहर रोजगार योजना को 1999 में किसमें मिला दिया गया?
उत्तर:
जवाहर ग्राम समृद्धि योजना में।
प्रश्न 39.
NREGA कार्यक्रम की शुरुआत कब की गई?
उत्तर:
2006 में।
प्रश्न 40.
बेरोजगारी समस्या के समाधान हेतु दो सुझाव बताइये।
उत्तर:
- निवेश में वृद्धि व निवेश संरचना में परिवर्तन।
- शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन।
RBSE Class 11 Economics Chapter 21 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
संरचनात्मक बेरोजगारी से क्या आशय है?
उत्तर:
संरचनात्मक बेरोजगारी दीर्घकालीन होती है तथा पिछड़े आर्थिक ढांचे के कारण होती है। यह देश की विकास प्रक्रिया के साथ जुड़ी होती है। जब श्रम की तुलना में पूँजी निर्माण की दर धीमी होती है अर्थात् श्रम की तुलना पूँजी या अन्य पूरक साधनों की कमी होती है। यह अर्थव्यवस्था में असाम्य कारण होती है।
प्रश्न 2.
खुली बेरोजगारी से क्या आशय है?
उत्तर:
यह वह बेरोजगारी की स्थिति है जिसमें काम करने का इच्छुक व काम करने की क्षमता व योग्यता रखने वाले व्यक्ति को कोई काम नहीं मिलता। काम न मिलने के कारण व्यक्ति पूरी तरह बेरोजगार रहता है। ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों में रोजगार की तलाश में श्रमिक आता है व उसे वहाँ कोई रोजगार नहीं मिलता तो उस स्थिति में खुली बेरोजगारी कही जाती है।
प्रश्न 3.
चक्रीय बेरोजगारी से क्या आशय है?
उत्तर:
बेरोजगारी की यह समस्या पूँजीवादी या बाजार तंत्र अर्थव्यवस्था में व्यापार चक्र के कारण उत्पन्न होती है। मंदी की स्थिति में समग्र मांग की कमी के कारण उत्पादन कम हो जाता है व बेरोजगारी हो जाती है। कीन्स के अनुसार समग्र माँग में वृद्धि कर इस तरह की बेरोजगारी को समाप्त किया जा सकता है। विकसित देशों में मूलत: बेरोजगारी समस्त माँग की कमी के कारण पैदा होती है।
प्रश्न 4.
घर्षणात्मक बेरोजगारी से क्या आशय है?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था की आंगिक संरचना में सदैव परिवर्तन होते हैं। कुछ उद्योग बन्द होते हैं कुछ नये खुलते हैं। बन्द उद्योगों से बेरोजगार हुए श्रमिकों को दूसरा कार्य खोजने व इसके लिए आवश्यक प्रशिक्षण में समय लगता है। इस दौरान वह बेरोजगार रहता है। नये कार्य में कार्य करने आरम्भ करने तक की बेरोजगारी घर्षणात्मक रहती है।
प्रश्न 5.
सामान्य स्थिति बेरोजगारी से क्या आशय है?
उत्तर:
यह उन व्यक्तियों की संख्या है जो सर्वेक्षण अवधि से पूर्व के एक वर्ष में किसी प्रकार के रोजगार में नहीं होते। यह दीर्घकालीन बेरोजगारी या खुली बेरोजगारी दर्शाती है। इसमें यह देखा जाता है कि व्यक्ति सामान्यतया रोजगार में है, बेरोगार है अथवा श्रम-शक्ति से बाहर है।
प्रश्न 6.
साप्ताहिक स्थिति बेरोजगारी से क्या आशय है?
उत्तर:
इसमें सर्वेक्षण के पिछले एक सप्ताह में व्यक्ति का रोजगार देखा जाता है। यदि इन सात दिनों में किसी भी एक दिन एक घण्टे भी रोजगार प्राप्त नहीं होता तो उसे उस सप्ताह के लिए बेरोजगार माना जाता है।
प्रश्न 7.
दैनिक स्थिति बेरोजगारी से क्या आशय है?
उत्तर:
इसमें व्यक्ति के पिछले सात दिन के प्रतिदिन के रोजगार के बारे में देखा जाता है। यदि व्यक्ति किसी भी दिन चार घण्टे तक रोजगार में होता है तो उसे आधे दिन के लिए रोजगार माना जाता है। चार घण्टे से अधिक रोजगार में होने पर उसे पूरे दिन के लिये रोजगार माना जाता है, यह दैनिक स्थिति प्रति सप्ताह बेरोजगारी के श्रम दिनों का प्रति सप्ताह कुल श्रम दिनों से अनुपात है इसे बेरोजागारी की समय दर (Time Rate) में मापा जाता है।
प्रश्न 8.
भारत में बेरोजगार के स्रोत लिखो।
उत्तर:
भारत की जनगणना रिपोर्ट, राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन की रोजगार व बेरोजगारी की अवस्था संबंधी रिपोर्ट, रोजगार और प्रशिक्षण महानिदेशालय के रोजगार कार्यालय में पंजीकृत आँकड़ों तथा श्रम ब्यूरो द्वारा वार्षिक आधार पर पारिवारिक रोजगार-बेरोजगारी संबंधी सर्वेक्षण।
प्रश्न 9.
कुल रोजगार में स्वरोजगार के हिस्सा को समझाइए।
उत्तर:
कुल रोजगार में स्वरोजगार का हिस्सा 52.2% है। लेकिन इसमें कामगारों का एक बड़ा हिस्सा अभी भी कम आय सृजन वाली गतिविधियों से जुड़ा है। रोजगार की संरचना के अनुसार दो प्रकार से वर्गीकरण किया जाता है। एक के अनुसार स्वरोजगार नियमित वेतन रोजगार व आकस्मिक रोजगार। भारत में नियमित वेतन रोजगार व लगे श्रम की कार्यदशाएँ बेहतर होती हैं। रोजगार की सुरक्षा अधिक होती है तथा वेतन भी अधिक मिलता है।
प्रश्न 10.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम को समझाइये।
उत्तर:
यह मूलत: मजदूरी रोजगार कार्यक्रम था। इसके द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में उत्पादकता सामाजिक सम्पत्तियों का निर्माण किया गया। 1980 में यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी रोजगार पर निर्भर लोगों के लिए आरंभ किया गया ताकि ग्रामीण क्षेत्र में मजदूरी रोजगार के अवसर सृजित किये जा सकें। इस योजना में केन्द्र द्वारा राज्यों को राशि सीमान्त कृषक, खेतिहर, मजदूरों की संख्या से गरीबी के आधार पर उपलब्ध कराए गए।
प्रश्न 11.
ग्रामीण युवाओं के लिए स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम (TRYSEM) को बताइए।
उत्तर:
ग्रामीण युवकों में स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम 1974 में आरंभ किया गया। प्रति वर्ष 2 लाख लोगों के प्रशिक्षण ‘ के साथ यह कार्यक्रम आरंभ हुआ। प्रशिक्षण में एक तिहाई ग्रामीण युवतियों का होना आवश्यक था। कार्यक्रम के तहत सातवीं योजना में 88 लाख ग्रामीण लोगों को स्वरोजगार का प्रशिक्षण दिया गया।
प्रश्न 12.
रोजगार आश्वासन योजना (EAS) को समझाइये।
उत्तर:
यह कार्यक्रम 1993 में देश के पिछड़े विकास खण्डों में आरंभ किया गया। मूलत: ग्रामीण युवकों को रोजगार कार्यक्रम था। प्रमुख रूप से यह आदिवासी, रेगिस्तानी व सूखाग्रस्त क्षेत्रों में यह कार्यक्रम आरंभ किया गया। वर्ष 2001 में इसे जवाहर ग्राम समृद्धि योजना व बाद में सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना में विलय कर दिया गया।
प्रश्न 13.
एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम (IRDP) को समझाइये।
उत्तर:
यह 1978-79 में आरंभ किया गया। मूलत: गरीबी उन्मूलन का कार्यक्रम था। यह स्वरोजगार पर आधारित था। इसके अन्तर्गत उत्पादक सम्पत्ति प्रदान की गई ताकि उससे अर्जित आय से गरीबी से बाहर आ सके। इसके तहत पशुपालन, रेशम कीट पालन, बुनाई, हथकरघा, हस्तशिल्प आदि गतिविधियों को प्रोत्साहन दिया गया।
प्रश्न 14.
बेरोजगारी की समस्या समाधान हेतु तीन सुझाव लिखिए।
उत्तर:
- अर्थव्यवस्था में निवेश या पूँजी निर्माण का स्तर ऊँचा रहना आवश्यक है ताकि उत्पादन क्षमता ऊँची बनी रहे व रोजगार के अवसर भी तदनुरूप ऊँचे बने रहें।
- शिक्षा प्रणाली स्थानीय रोजगार आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित की जाए। सरकार नियोजक व श्रम बल को इस तरह के शिक्षा व प्रशिक्षण का सामूहिक प्रयास करना चाहिए।
- छोटे एवं ग्रामीण उद्योगों की स्थापना व विस्तार किया जाये। इनमें कम पूँजी की आवश्यकता होती है व रोजगार लोच अधिक होती है।
RBSE Class 11 Economics Chapter 21 निबंधात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
NREGA कार्यक्रम पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
यह कार्यक्रम फरवरी 2006 में देश में 200 सबसे पिछड़े जिलों में लागू किया गया। 2008 में इसे देश के सभी जिलों में लागू कर दिया गया। 2 अक्टूबर 2009 को इस योजना का नाम महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम (MGNREGA) कर दिया गया। इस कार्यक्रम में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को निकटवर्ती क्षेत्र में 100 दिनों के अकुशल मजदूर रोजगार की गारन्टी दी गई। रोजगार में एक तिहाई आरक्षण महिलाओं के लिए रखा गया। परिवार को मजदूरी रोजगार उपलब्ध न करा सकने की स्थिति में बेरोजगारी भत्ते का प्रावधान है। कार्यक्रम का संचालन पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से किया जाता है। इसके अधीन जल संरक्षण, वानिकी, वृक्षारोपण, बाढ़ नियंत्रण, सड़कों का निर्माण आदि कार्य किये गए। 2012-13 में योजना में 39661 करोड़ रु. खर्च किये गए।
इस कार्यक्रम के द्वारा वर्ष 2012-13 से 230 करोड़ व्यक्ति दिवस रोजगार का सजन किया गया। योजना के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में श्रम की मांग में वृद्धि हुई व मजदूरी दर में वृद्धि हुई। योजना में महिलाओं की भागीदारी, अनुसूचित जाति व जनजाति की भागीदारी बहुत अधिक हुई। मजदूरी का भुगतान पोस्ट ऑफिस में खातों के माध्यम से होने के कारण वित्तीय समावेशन (Inclusion) हुआ तथा देश के प्राकृतिक संसाधनों के आधार में मजबूती बनी व ग्रामीण क्षेत्र में मजदूरी बढ़ी है लेकिन इसमें व्यापक भ्रष्टाचार व अनियमिततायें पायी गयी हैं। इस कार्यक्रम के लिये सितम्बर 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम पास किया गया था।
प्रश्न 2.
बेरोजगारी के आर्थिक एवं सामाजिक दुष्परिणाम बताते हुए रोजगार/बेरोजगारी की सामान्य साप्ताहिक तथा दैनिक स्थिति को समझाइए एवं स्पष्ट कीजिये कि सरकार रोजगार सृजन हेतु क्या कदम उठा रही है?
उत्तर:
बेरोजगारी के आर्थिक दुष्परिणाम-बेरोजगारी के आर्थिक दुष्परिणाम निम्नलिखित है
- उत्पादन क्षतिग्रस्त होता है।
- उत्पादकता बहुत कम होती है।
- पूँजी निर्माण की दर निम्न रहती है। अत: औद्योगिक निवेश नहीं हो पाता।
- मानव संसाधन पूर्ण रूप से निष्क्रिय हो जाते हैं, इन पर होने वाला व्यय एक तरह से अपव्यय है।
बेरोजगारी के सामाजिक दुष्परिणाम-बेरोजगारी के सामाजिक दुष्परिणाम निम्नलिखित हैं :
- लोगों के जीवन-स्तर में कमी आ जाती है।
- लोगों के सामाजिक स्तर में गिरावट आ जाती है।
- ऐसी स्थिति में समुदाय के लोगों के बीच आपसी मतभेद उत्पन्न हो जाता है।
बेरोजगारी के सामान्य, साप्ताहिक तथा दैनिक स्तर :
- सामान्य स्तर :
सामान्य स्तर के अन्तर्गत वह व्यक्ति आते हैं जो अपना अधिक समय काम करने में व्यतीत करते हैं। हमारे देश में सामान्य स्तर के कार्य या 183 दिन कार्य को मध्य बिन्दु कहा जाता है। वर्षभर में 183 दिन अथवा उससे अधिक दिनों में कार्य करने वाले व्यक्ति को, रोजगार प्राप्त श्रमिक कहते हैं। ऐसे श्रमिक सामान्य स्तर के अन्तर्गत आते हैं। इसके विपरीत जो व्यक्ति सामान्य स्तर में नहीं आते हैं उन्हें सामान्य रूप से बेरोजगार कहा जाता हैं। - साप्ताहिक स्तर :
यह वह स्तर है जब निर्धारित स्थिति के अनुसार एक सप्ताह का श्रमबल सुनियोजित किया जाता है यदि इस स्थिति में कोई व्यक्ति इस श्रमबल का हिस्सा बन जाए तो उसे साप्ताहिक स्तर से रोजगार प्राप्त कहा जाता है अन्यथा उसे साप्ताहिक स्तर पर बेरोजगार। - दैनिक स्तर :
इस स्तर के अन्तर्गत किसी व्यक्ति का श्रमबल दिनों के आधार पर अनुमानित किया जाता है। सामान्य स्तर से बेरोजगारी का निवारण सम्भव है, परन्तु साप्ताहिक स्तर से बेरोजगारी का ग्राफ दीर्घकालीन की ओर अग्रसरित होता है, जबकि दैनिक स्तर से बेरोजगारी का आँकड़ा दीर्घकालीन एवं छुपी बेरोजगारी की तरफ अग्रसरित होता है।
सरकार द्वारा रोजगार सृजन हेतु प्रयास :
केन्द्रीय एवं राज्य सरकारें बेरोजगारों के लिए अनेक कार्यक्रमों के माध्यम से रोजगार के नये-नये सुअवसर सुलभ कराती हैं। जिससे देश में व्याप्त बेरोजगारी जैसी सामान्य समस्या से मुक्ति मिल सके। केन्द्रीय एवं राज्य सरकारों द्वारा किये जा रहे प्रयासों को निम्नलिखित दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्षा
प्रत्यक्ष :
सरकार अपने विभिन्न विभागों में प्रशासकीय कार्यों हेतु प्रत्यक्ष रूप से नई नियुक्तियाँ करती है। जिससे रोजगार के सुअवसर प्राप्त होते हैं। उद्योगों, होटलों एवं परिवहन की सुविधा के लिए सरकार ने इस क्षेत्र में भी अपने कदम बढ़ाये हैं। इन सभी में सरकार बेरोजगारों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करती है। सरकारी उद्योगों में उत्पादन क्षमता की वृद्धि से अन्य उद्योगों के स्थापित होने की सम्भावना बढ़ती है, जिससे रोजगार के अधिक से अधिक अवसर सुलभ होते हैं।
अप्रत्यक्ष :
सरकार द्वारा देश में निर्धनता निवारण हेतु चलाये जा रहे कार्यक्रमों से भी अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के नवीनतम साधन सुलभ होते हैं। निर्धनता निवारण हेतु चलाये जा रहे कार्यक्रमों से रोजगार के साधन ही सुलभ नहीं होते, अपितु इनसे प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं, प्राथमिक शिक्षा, जलापूर्ति, गृह निर्माण हेतु सहायता, ग्रामीण सड़कों का निर्माण, बंजर भूमि का विकास, गृह एवं स्वच्छता सुविधाओं की व्यवस्था जैसे अनेक कार्य पूर्ण किये जाते हैं। जिनसे रोजगार के साथ-साथ गाँव का सम्पूर्ण विकास होने में भी सहायता मिलती है।
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