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RBSE Solutions for Class 11 Hindi अपरा Chapter 12 निक्की, रोजी और रानी

July 11, 2019 by Safia Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 11 Hindi अपरा Chapter 12 निक्की, रोजी और रानी

RBSE Class 11 Hindi अपरा Chapter 12 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 Hindi अपरा Chapter 12 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
‘निक्की रोजी और रानी’ पाठ किस पुस्तक से लिया गया है –
(क) ‘पीड़ा’ से
(ख) ‘आँसू’ से
(ग) ‘माधुर्य’ से
(घ) ‘मेरा परिवार’ से
उत्तर:
(घ) ‘मेरा परिवार’ से

प्रश्न 2.
‘निक्की, रोजी और रानी’ क्रमशः थे –
(क) नेवला, कुत्ता, साँप
(ख) कुत्ता, घोड़ा, नेवला
(ग) नेवला, कुत्ता, घोड़ा
(घ) साँप, नेवला, कुत्ता
उत्तर:
(ग) नेवला, कुत्ता, घोड़ा

RBSE Class 11 Hindi अपरा Chapter 12 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
रोजी किस प्रजाति की कुतिया थी ?
उत्तर:
रोजी टैरियर प्रजाति की कुतिया थी।

प्रश्न 2.
लेखिका को ‘नकुल शिशु’ कहाँ मिला था ?
उत्तर:
लेखिका को नकुल शिशु आम के पेड़ के पास वाली सूखी पोखर में मिला था।

प्रश्न 3.
रामा ‘नकुल शिशु को दूध किससे पिलाता था?
उत्तर:
रामा नकुल शिशु को रूई की बत्ती से दूध पिलाता था।

प्रश्न 4.
रानी की देखभाल के लिए किसे रखा गया?
उत्तर:
रानी की देखभाल के लिए एक साईस रखा गया। उसका नाम छुट्टन था।

प्रश्न 5.
रानी के रहने का स्थान क्या था ?
उत्तर:
रानी के रहने का स्थान घर का बरामदा था।

RBSE Class 11 Hindi अपरा Chapter 12 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘निक्की और साँप की लड़ाई का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
निक्की महादेवी का पालतू नेवला था। एक दिन खिड़की से नीचे उतरते समय उसने गुलाब की क्यारी के पास घास में एक लम्बे काले साँप को देखा। वह कूदकर साँप के पास पहुँच गया और अपने पिछले दो पैरों पर खड़ा होकर उसे चुनौती देने लगी। साँप भी हवा में आधा उठा हुआ फुफकार रहा था। साँप हिलती हुई पेड़ की डाली की तरह था तो निक्की बिजली की तरह था। वह साँप के चारों ओर तेजी से घूम रहा था और भूरे रंग का घूमता हुआ धब्बा लग रहा था। साँप फन पटक रहा था, फुफकार रहा था और आगे-पीछे होकर निक्की को अपनी कुंडली में जकड़ना चाहता था। निक्की बिजली की तरह उस पर हमला करता था। साँप उसको पकड़ नहीं पा रहा था। वह तेजी से उछलता और साँप के फन के नीचे अपने पैने दाँतों से बार करता था। अन्त में उसने साँप को मारकर उसके कई टुकड़े कर दिए।

प्रश्न 2.
रोजी की सुन्दरता का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रोजी टैरियर प्रजाति की कुतिया थी। वह महादेवी को उनके पाँचवें जन्म दिवस पर भेंट की गई थी। उसका रंग सफेद था। उसके दोनों छोटे सुडौल कानों के किनारे, माथे को मध्य भाग, पूँछ का सिरा और पंजों का अगला हिस्सा कत्थई रंग का था। वह कत्थई किनारी वाली सफेद साड़ी के समान लगती थी। उसमें अनेक श्वान-दुर्लभ विशेषताएँ थीं।

प्रश्न 3.
निक्की के कारण मिशन स्कूल में क्या घटना घटी ?
उत्तर:
निक्की महादेवी का पालतू नेवला था। वह सदा उनके पास रहता था। जब महादेवी पहली बार प्रवेश के लिए मिशन स्कूल गई तो निक्की भी शिकरम (एक बंद प्रकार की गाड़ी) की छत पर बैठकर वहाँ पहुँच गया। महादेवी उसे कपड़ों में छिपाकर भीतर ले गई। परन्तु उसे देखकर सिस्टर्स और सहपाठिनियाँ रेप्टाइल कहकर चिल्लाने लगीं। अन्त में महादेवी को उसे बाहर गेट के पास एक लता में बैठाना पड़ा। उसके खो जाने के डर से उनका मन पढ़ाई में नहीं लगा। घर आते समय निक्की कूदकर उनके कंधे पर आ बैठा।

प्रश्न 4.
रामा ने टट्टुओं के सम्बन्ध में क्या कहानी बताई ?
उत्तर:
महादेवी अंग्रेजों के बच्चों को छोटे टट्टुओं पर बैठे घूमते देखती थी। रामा ने बताया था कि राजा अपराधियों को दण्ड देता था तो उनको गधे पर बैठाकर देश से निकाल देता था। अंग्रेजों के बच्चे गधों पर बैठकर खुश दिखाई देते थे अतः शंका होती थी कि उनको सजा दी गई है। रामा उनको समझाता था कि उन्हें विलायत में गधे पर बैठने का दण्ड देकर भारत भेजा गया था। क्योंकि वहाँ यह वाहन नहीं था।

प्रश्न 5.
मिशन स्कूल के वातावरण का चित्रण कीजिए।
उत्तर:
महादेवी पढ़ाई के लिए मिशन स्कूल में दाखिल की गई थी। वहाँ का वातावरण घर के वातावरण से एकदम अलग तरह का था। वहाँ की वेशभूषा भिन्न थी, प्रार्थना भिन्न थी। वहाँ की मूर्तियाँ और चित्र भी भिन्न थे तथा ईश्वर का नाम भी भिन्न था। इनमें सबसे बड़ी भिन्नता यह थी कि निक्की का वहाँ प्रवेश निषिद्ध था।

RBSE Class 11 Hindi अपरा Chapter 12 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘निक्की, रोजी और रानी’ रचना के आधार पर महादेवी वर्मा के पशु प्रेम का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
निक्की, रोजी और रानी ये तीन प्राणी महादेवी वर्मा के बचपन में उनके सम्पर्क में आए थे। निक्की नेवले का एक बच्चा था। उसे रूई की बत्ती से दूध पिलाकर पाला गया था। वह महादेवी के साथ रहता था। वह उनके दुपट्टे में या चोटी के पीछे कानों के पास छिपकर बैठता था जब महादेवी को मिशन स्कूल में भेजा गया तो उसे अपने से अलग करने के विचार से उनको बहुत कष्ट हुआ। निक्की हर दिने उनके साथ स्कूल जाता था। वहाँ महादेवी कक्षा में पढ़ती तब तक निक्की बगीचे में रहता और लौटते समय उनके कंधे पर कूदकर बैठ जाता।

रोजी टैरियर जाति की कुत्ती थी। महादेवी के पाँचवें जन्मदिन पर उसको उन्हें भेंट किया गया था। तब उसकी आँखें खुली ही थीं। वह उनके साथ ही दूध पीती तथा उनके खटोले पर ही सोती थी। वह उनके लकड़ी के घोड़े पर चढ़ती थी। दोपहर के उनके खेल में भी वह उनके साथ रहती थी। महादेवी उसको बहुत चाहती थी। रानी एक छोटे कद की घोड़ी थी। उसका रंग चाकलेटी था। महादेवी उसे भी बहुत चाहती थी। उसको बिस्कुट, मिठाई आदि खिलाई जाती थी तथा उसके कानों और अयाल में फल ठूसे जाते थे।

रानी भी उनको न देखकर पैर पटककर हिनहिनाने लगती थी। एक बार उसकी नंगी पीठ पर सवारी करने में महादेवी गिर गई थी। इससे रानी बहुत उदास थी। बहुत दिन बिस्तर पर आराम करने के बाद जब वह रानी के पास गई तो लगा जैसे वह अपने किए पर अफसोस प्रकट कर रही थी। महादेवी की आँखों में भी आँसू थे। निक्की, रोजी और रानी के साथ महादेवी के बचपन का जो समय बीता वह उनको सदा याद रहा। इन तीनों के प्रति उनके मन में बहुत प्रेम था।

प्रश्न 2.
रानी के आकार-प्रकार का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
महोदवी जी के पिता ने उनके तथा अन्य भाई-बहनों के घूमने और सवारी करने के लिए एक टट्टू खरीदा था। यह एक छोटे कद की घोड़ी थी। रामा ने उसका नाम ताजरानी बताया था किन्तु महादेवी और अन्य सभी उसको रानी कहकर बुलाते थे। रानी अत्यन्त सुन्दर घोड़ी थी। उसकी मनोहर छवि महादेवी की आँखों में वैसी की वैसी बनी हुई है। उसका रंग हल्का चाकलेटी और चमकदार था। उस पर निगाह टिकती नहीं थी। उसके छोटे और खड़े कान थे। उनके बीच में माथे पर अयाल का गुच्छा था। उसकी आँखें काली, बड़ी और पारदर्शी थीं। उसके नथुने लाल थे। उनको फुलाकर वह चारों तरफ की गंध लेती रहती थी। उसके दाँत चमकीले और जीभ लाल थी।

उसका मुँह लम्बा था तथा होंठ गुलाबी थे। लगातार लोहा चबाने पर भी उसका मुँह घायल नहीं होता था। उसकी ऊँचाई अधिक नहीं थी। ऊँचाई के अनुपात में उसकी पीठ चौड़ी थी। उसके पैर मजबूत और पुष्ट थे। उसकी पूँछ पर घने बाल थे। इस पूँछ को वह मोरपंख की तरह हिलाकर मक्खियाँ उड़ाती थी। अपने शारीरिक सौन्दर्य के समान ही रानी मन से स्नेही और समझदार थी और बच्चों के साथ घुल-मिल गई थी।

RBSE Class 11 Hindi अपरा Chapter 12 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 Hindi अपरा Chapter 12 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
महादेवी की गद्य-रचना ‘निक्की, रोजी और रानी’ है –
(क) निबन्ध
(ख) कहानी
(ग) संस्मरणात्मक रेखाचित्र
(घ) रिपोर्ताज
उत्तर:
(ग) संस्मरणात्मक रेखाचित्र

प्रश्न 2.
‘निक्की, रोजी और रानी’ से पता चलता है –
(क) पशुओं के प्रति महादेवी का प्रेम
(ख) पशुओं के बारे में लिखने की इच्छा
(ग) पशुपालन का विज्ञान
(घ) पशु और मनुष्य दोनों में जीवन है।
उत्तर:
(क) पशुओं के प्रति महादेवी का प्रेम

प्रश्न 3.
महादेवी और उनके भाई-बहिनें दोपहर में घोंसले तोड़ते थे –
(क) गौरैया के
(ख) बया के
(ग) कोयल के
(घ) कौओं के
उत्तर:
(ख) बया के

प्रश्न 4.
गर्मी के दिनों में आम के पेड़ से गिरती थी –
(क) पत्तियाँ
(ख) बौर
(ग) रस
(घ) अँबिया
उत्तर:
(घ) अँबिया

प्रश्न 5.
‘कुछ दूर मैंने अपने आपको उस उड़नखटोले पर समझा’। यहाँ उड़नखटोला कहा गया है –
(क) हवाई जहाज
(ख) झूला
(ग) रानी घोड़ी
(घ) रोजी कुतिया
उत्तर:
(ग) रानी घोड़ी

RBSE Class 11 Hindi अपरा Chapter 12 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
रोजी कौन थी?
उत्तर:
रोजी टैरियर प्रजाति की एक कुतिया थी।

प्रश्न 2.
रोजी महादेवी के साथ कितने समय तक रही?
उत्तर:
रोजी महादेवी के साथ तेरह वर्ष की लम्बी अवधि तक रही।

प्रश्न 3.
रोजी में श्वान दुर्लभ विशेषताएँ होने का क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
तात्पर्य यह है कि रोजी में ऐसी विशेषताएँ थीं जो प्राय: कुत्तों में नहीं होती।

प्रश्न 4.
महादेवी वर्मा के पिता क्या काम करते थे ?
उत्तर:
महादेवी वर्मा के पिता इंदौर के डेली कॉलेज (राजकुमारों का विद्यालय) में वाइस प्रिंसिपल थे।

प्रश्न 5.
महादेवी वर्मा के कितने भाई-बहन थे ?
उत्तर:
महादेवी वर्मा के दो भाई तथा दो बहनें थीं।

प्रश्न 6.
दोपहर के समय महादेवी और उनके भाई-बहन क्या करते थे ?
उत्तर:
दोपहर के समय महादेवी और उनके भाई-बहन रोजी को लेकर घर की खिड़की के सहारे बाहर चले जाते थे और बया चिड़िया के घोंसले तोड़ते और बबूल की सूखी छमियाँ एकत्र करते थे।

प्रश्न 7.
घूमते-घूमते थक जाने पर वे क्या करते थे ?
उत्तर:
घूमते-घूमते थक जाने पर वे आम के पेड़ से घिरे एक सूखे पोखर में विश्राम करते थे।

प्रश्न 8.
महादेवी ने ‘निर्बन्ध सम्प्रदाय’ किसको कहा है ?
उत्तर:
दोपहर को बन्धन मुक्त होकर घर से बाहर घूमने वाले अपने भाई-बहनों तथा रोजी को महादेवी ने निर्बन्ध सम्प्रदाय कहा है।

प्रश्न 9.
महादेवी तथा उनके भाई-बहनों के घर से बाहर जाने का पता किसी को भी क्यों नहीं चल पाता था?
उत्तर:
दोपहर के समय पिता स्कूल में होते थे तथा माँ घर के काम और छोटे भाई की देखभाल में लगी रहती थी। रामा बाजार जाता था और कल्लू की माँ सो जाती थी।

प्रश्न 10.
उत्कोच का क्या अर्थ है?
उत्तर:
उत्कोच का अर्थ है-रिश्वत बर्फी, पेड़ा, बिस्कुट आदि महादेवी के अनुसार उत्कोच के विविध रूप हैं।

प्रश्न 11.
निक्की कौन था?
उत्तर:
निक्की नेवले का एक छोटा बच्चा था जिसको महादेवी ने पाल लिया था।

प्रश्न 12.
महादेवी मिशन स्कूल में पढ़ती थी तब निक्की कहाँ रहता था ?
उत्तर:
जब महादेवी स्कूल में पढ़ाई करती थी उस समय निक्की बाहर गेट की लता में मिशन स्कूल के बगीचे में रहता था।

प्रश्न 13.
पालने के लिहाज से नेवला कैसा जीव है ?
उत्तर:
पालने के लिहाज से नेवला अत्यन्त स्नेही और अनुशासित जीव है।

प्रश्न 14.
रानी कौन थी?
उत्तर:
रानी चाकलेटी रंग की एक छोटे कद की घोड़ी थी।

प्रश्न 15.
महादेवी के पिताजी ने रानी को क्यों खरीदा था ?
उत्तर:
महादेवी जी के पिताजी ने अपने बच्चों की माँग पर उनको घुमाने और सैर कराने के लिए रानी को खरीदा था।

प्रश्न 16.
रानी कैसी घोड़ी थी ?
उत्तर:
रानी बहुत समझदार थी तथा वह बच्चों से बहुत प्रेम करती थी।

प्रश्न 17.
छुट्टन कौन था ? उसका क्या काम था ?
उत्तर:
छुट्टन साईस था। रानी की देखभाल, मालिश आदि करना उसका काम था।

प्रश्न 18.
फिर अचानक हमारे अराजक राज्य पर क्रान्ति का बवंडर बह गया और हमें समझदारों के देश में निर्वासित होना पड़ा’-वाक्य का क्या आशय है?
उत्तर:
महादेवी और भाई-बहनों को मुक्त भाव से दोपहर में घर से बाहर घूमना बन्द कर दिया गया और उनको पढ़ाई के लिहाज से बाहर भेज दिया गया।

RBSE Class 11 Hindi अपरा Chapter 12 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
रोजी महादेवी के साथ कैसे पली-बढ़ी ?
उत्तर:
रोजी महादेवी के पाँचवें जन्मदिन पर उनको भेट दी गई थी तब उसकी आँखें खुली ही थीं। वह और महादेवी के साथ ही दूध पीती थी तथा उनके साथ ही खटोले पर सोती थी। वह उनके लकड़ी के घोड़े पर चढ़कर घूमती थी और खेलकूद में साथ रहती थी।

प्रश्न 2.
दोपहर के स्वच्छन्द भ्रमण में रोजी का क्या योगदान था?
उत्तर:
दोपहर को स्वच्छन्द भ्रमण में रोज़ी महादेवी के साथ रहती थी। वह आदेश पर पोखर की पत्तियों के ढेर पर कूदती थी। घूमते समय आगे-आगे चलकर रास्ता दिखाती थी, मकई और करोंदे एकत्र करते समय शान्तभाव से किसी झाड़ी की छाया में बैठी रहती थी। पेड़ से कच्चा आम गिरने पर उसको जाकर उठा लाती थी।

प्रश्न 3.
महादेवी के घर पर दोपहर के समय घर के सदस्य क्या करते थे ?
उत्तर:
दोपहर के समय महादेवी के पिता स्कूल में होते थे। उनकी माँ घर का काम देखती या महादेवी के सबसे छोटे भाई की देखरेख करती थी। रामा बाजार चला जाता था। कल्लू की माँ सोती थी या बर्तन माँज-माँजकर चमकाती रहती थी।

प्रश्न 4.
महादेवी और उनके भाई-बहन दोपहर को क्या करते थे ? घरवालों को उनके बारे में क्या भ्रम था ?
उत्तर:
दोपहर के समय महादेवी और उनके भाई-बहन सबकी आँख बचाकर खिड़की के सहारे छिपते-छिपाते बाहर चले जाते थे। घरवाले समझते थे कि वे सो गए हैं। अथवा अफ्ने कमरे में पढ़ाई कर रहे हैं।

प्रश्न 5.
दोपहर को सभी का जाना अनिवार्य क्यों था ?
उत्तर:
छोटा भाई तो बहुत छोटा था परन्तु उससे बड़े तीनों भाई-बहनों का दोपहर घर से बाहर जाना अनिवार्य था। रोजी भी साथ जाती थी। किसी एक के छोड़ने पर पोल खुलने का डर था तथा बिस्कुट, पेड़ा, बर्फी आदि की रिश्वत पाकर उसके मुखबर बनने का डर था।

प्रश्न 6.
रोजी किस बात को नियम-विरुद्ध मानती थी ?
उत्तर:
रोजी भी दोपहर को महादेवी के साथ घर से बाहर जाती थी। दोपहर होते ही वह खिड़की से बाहर कूदने को व्याकुल रहती थी। पहले उसको खिड़की से उतारा जाता था फिर अन्य भाई-बहन उतरते थे। रोजी चुपचाप सब देखती रहती थी। उतरने में असावधानी के कारण यदि कोई रोजी के ऊपर गिर जाता था तो वह चीं करना भी नियम विरुद्ध मानती थी।

प्रश्न 7.
ऐसी ही कोई अप्रिय स्थिति बिल में रही होगी नहीं तो यह इतना छोटा बच्चा भागता ही क्यों ? महादेवी के इस कथन में क्या भाव निहित है ?
उत्तर:
महादेवी के इस कथन में यह भाव निहित है कि माता-पिता को अपनी इच्छाएँ अपनी संतान पर नहीं लादनी चाहिए। उसकी सामर्थ्य के अनुसार ही उसको पढ़ाई-लिखाई करने देना चाहिए। वह कहती हैं, “यदि एक छोटे कमरे में हमें सामने बैठाकर बाबू जी रात-दिन पढ़ाते रहें और माँ सिलाई-बुनाई में लगी रहें, तो हमारा क्या हाल होगा।” ‘माँ द्वारा सिलाई बुनाई में लगे रहना’ बच्चों की उपेक्षा तथा ‘बाबू जी द्वारा दिन-रात पढ़ाना’ उन पर अपनी इच्छाएँ आरोपित करने का सूचक है।

प्रश्न 8.
निक्की की देखभाल की व्यवस्था किस प्रकार हुई ?
उत्तर:
महादेवी के भाई-बहनों ने प्रसन्नता के साथ अपने खिलौनों के छोटे बाक्स को खाली किया और उसमें रूई तथा रेशमी रूमाल बिछाया गया। फिर बहुत निवेदन करके रामा को रूई की बत्ती से निक्की को दूध पिलाने के लिए तैयार किया गया। इस तरह निक्की उनके परिवार का सदस्य बन गया।

प्रश्न 9.
महादेवी के परिवार में छोटी लड़कियों की वेशभूषा कैसी थी ? उनको देखकर क्या भ्रम उत्पन्न होता था ?
उत्तर:
उन दिनों महादेवी के परिवार की छोटी लड़कियाँ गोटे-पट्टे से सजा गरारा, कुर्ता और दुपट्टा पहनती थीं। इन वस्त्रों से वे मध्यकाल की बेगमों का छोटा रूप प्रतीत होती थीं। कभी-कभी स्वयं को प्रगतिशील दर्शाने के लिए उनको फ्राक भी पहनाए जाते थे। ये फ्राक कालर, झालर, लेस आदि से सजे रहते थे। इसे पहनकर वो रानी विक्टोरिया की संगिनी प्रतीत होती र्थी। इससे उनमें दोनों का भ्रम उत्पन्न होता था।

प्रश्न 10.
‘यदि हमारा कोलाहल सुनकर रामा न आता तो परिणाम दुखदायी हो सकता था।’ कोलाहल क्यों हो रहा था तथा उसका परिणाम दुखद क्यों होता ?
उत्तर:
निक्की ने साँप पर हमला किया था और बच्चों ने समझा कि साँप मर गया। वे कोलाहल करने लगे और साँप को ईंट-पत्थर मारने लगे। कोलाहल सुनकर रामा आ गया। यदि वह न आता तो साँप बच्चे को काट भी सकता था।

प्रश्न 11.
उसे मेरे पास देखकर जो कोहराम मचा, उसने मुझे स्थम्भित और अवाक् कर दिया। महादेवी के स्तम्भित या और अवाक होने का क्या कारण था ?
उत्तर:
महादेवी निक्की को छिपाकर अपने साथ अपनी कक्षा में ले गई थी। वहाँ सिस्टर्स तथा साथी छात्राओं ने उसको देख लिया और शोर मचा दिया कि इसके पास एक (REPTILE) सरीसृप है। कोई निक्की के साथ क्लास में बैठना नहीं चाहता था। महादेवी ने समझाया कि निक्की किसी को काटता नहीं, परन्तु उनकी बात नहीं मानी गई। उस कोहराम को देख-सुनकर महादेवी स्थम्भित और अवाक रह गई।

प्रश्न 12.
“उन्हीं में हमारा स्वेच्छ्या विस्थापित और शरणार्थी खिलौनों का परिवार स्थापित होने लगा।” इस पंक्ति का आशय क्या है ?
उत्तर:
महादेवी के पिता ने जो छोटी घोड़ी खरीदी थी, उसको अस्तबल के अभाव में घर के बरामदे में रखा गया था। उसे बरामदे में अलमारी और ताक तथा आले भी बने थे। घर के बच्चे वहाँ आने-जाने लगे थे। निक्की के रहने की व्यवस्था करने के लिए उन्होंने अपना खिलौनों वाला सन्दूक दे दिया था। उनके खिलौने इस प्रकार स्वेच्छा से वहाँ से विस्थापित होकर बरामदे की अलमारी-आलों आदि में स्थापित हो गए थे।

प्रश्न 13.
रानी के साथ महादेवी के भाई-बहनों की मित्रता कैसे हुई ?
उत्तर:
पहले महादेवी तथा उनके भाई-बहनों ने रानी को पसन्द नहीं किया था। रामा ने घोड़ी का नाम ताजरानी बताया था। बच्चों ने कहानियों में रानियों की पीड़ा के बारे में सुना था। ताजमहल की रानी भी ताज से निकाल दी गई है। यह कल्पना करके वे रानी के प्रति दया से भर उठे। वे उसकी गर्दन में झूलते थे। उसके कानों तथा अयाल में फल घुसा देते थे और उसको बिस्कुट, मिठाई आदि खिलाते थे। इस तरह रानी उनकी ऐसी मित्र बन गई कि उनको न देखने पर अस्थिर होकर अपने पैर पटकती थी और हिनहिनाती थी।

प्रश्न 14.
‘रामा को तो नौकर कहा नहीं जा सकता’-कथन का तात्पर्य क्या है?
उत्तर:
रामा महादेवी के घर में नौकर था परन्तु उसका बड़ा सम्मान था। वह घर के सदस्य की तरह ही था। उसको महादेवी तथा अन्य बच्चों का डाटने-फटकारने का अधिकार था। जरूरत पड़ने पर वह उनके कान भी खींच सकता था। वह बच्चों की सहायता भी करता था। उनके कहने पर निक्की को बत्ती से दूध-पिलाता था। उसने साँप को देखकर उनको वहाँ से भगा दिया था। इस तरह उसके अधिकार और कर्तव्य इतने अधिक थे कि उसको नौकर नहीं कहा जा सकता था।

प्रश्न 15.
किस घटना के कारण रानी सबके हृदय में स्थान पा गई?
उत्तर:
एक बार महादेवी के भाई ने अपने हाथों के सोने के कड़े उतारकर रानी के कानों में पहना दिए। खेलकूद में वह यह भूल गया। शाम को माँ के पूछने पर खोजबीन शुरू हुई मगर कड़ों का पता नहीं चला। रानी बार-बार टाप से जमीन खोदती थी और हिनहिनाती थी। बाबू जी ने यह देखा तो छुट्टन को कोने की मिट्टी हटाने का आदेश दिया। किसी ने कुछ गड्ढा खोदकर दोनों कड़े गाड़ दिये थे। इस घटना के बाद रानी सबके हृदय में स्थान पा गई।

RBSE Class 11 Hindi अपरा Chapter 12 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
“तीन ऐसे जीवनी हैं, जो मानव समष्टि के सदस्य न होने पर भी मेरी स्मृति में छपे हैं।” इस कथन के आधार पर महादेवी की स्मृति में छपे तीनों जीवों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
महादेवी वर्मा ने निक्की रोजी और रानी’ शीर्षक संस्मरणात्मक रेखाचित्र में स्वीकार किया है कि इन तीन प्राणियों ने बचपन में महादेवी के जीवन में प्रवेश किया था किन्तु उनकी छाप उनके मन में सदा के लिए बन गई। ये तीन प्राणी हैं-निक्की नामक नेवले का बच्चा, रोजी नामक कुतिया तथा रानी नामक घोड़ी। ये तीनों ही अलग-अलग जातियों के जीव हैं तथा मानव समाज के सदस्य नहीं हैं। तब भी उनका प्रभाव लेखिका के मन पर स्थायी है।

  1. निक्की-निक्की नेवले का एक छोटा सध: जात शिशु था। महादेवी की बालमण्डली दोपहर को घरवालों की निगाह बचाकर चुपके से निकल जाती थी। वहाँ आम के पेड़ की छाया में एक पोखर थी जो सूखी थी और सूखी पत्तियों से पटी थी। उसी में से एक दिन डाल से टूटी अँबिया की खोज में गई रोजी को निक्की मिला था। बालमण्डली उसे घर ले आई। रामा ने रूई की बत्ती से दूध पिलाकर उसको पोषण किया। बड़ा होकर वह नकुल अर्थात् निक्की कहलाया और सबका प्रिय बन गया।
  2. रोजी-रोजी टैरियर जाति की सफेद कुतिय थी। उसके कानों और पंजों का अगला हिस्सा, माथे का मध्य भाग तथा पूँछ के पीछे के बाल कत्थई थे। वह छोटी और सुन्दर थी। महादेवी के पाँचवें जन्मदिन पर किसी ने उसे उनको भेंट किया था। वह महादेवी के साथ ही पली-बढ़ी थी। वह उनकी परम प्रिय थी तथा बालमण्डली की सक्रिय सदस्य भी थी।
  3. रानी-रानी एक चाकलेटी चमकीले रंग की सुन्दर छोटे कद की घोड़ी थी। महादेवी के पिता ने उसको अपने बच्चों को सैर कराने के लिए खरीदा था। पहले तो बच्चों ने उसको पसन्द नहीं किया परन्तु फिर धीरे-धीरे वह उनकी प्रिय बन गई। वे सुबह-शाम उस पर सवारी करते थे और बाहर घूमने जाते थे। रानी भी उनको चाहती थी, उनको अपने पास न देखकर वह पैर पटकती और हिनहिनाती थी।

प्रश्न 2.
‘निक्की, रोजी और रानी’ पाठ से महादेवी ने मानव तथा पशु स्वभाव की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है ?
उत्तर:
‘निक्की, रोजी और रानी’ महादेवी जी का एक संस्मरणात्मक रेखाचित्र है। इसमें बचपन में महादेवी के सम्पर्क में आए तीन प्राणियों का रेखांकन स्मृति के सहारे किया गया है। ‘निक्की’ नेवला शिशु, रोजी टैरियर जाति की कुतिया तथा ‘रानी’ छोटे कद की घोड़ी है। इस रेखांचित्र से हमें मनुष्य तथा पशुओं के स्वभाव तथा जीवन की निम्नलिखित विशेषताओं का परिचय मिलता है

  1. इसमें महादेवी के पशुओं के प्रति प्रेम का सजीव तथा सरस वर्णन है। महादेवी के मन में अपने इन पालतू जीवों के प्रति गहरी सहानुभूति तथा प्रेम है। इससे उनकी मानवीयता प्रकट हुई है।
  2. पशु आपस में प्रेम करते हैं। साथ रहने से और अनुकूल वातावरण मिलने पर उनमें मनुष्य के समान ही एक दूसरे के प्रति सहानुभूति और मित्रता उत्पन्न हो जाती है। रोजी निक्की को हानि नहीं पहुँचाती। रानी उसको अपने ऊपर चढ़ने-कूदने से नहीं रोकती।
  3. इस संस्मरण से पता चलता है कि पशु भी मानव के समान समझदार होते हैं। वे विपत्ति के समय अन्य पशुओं का साथ देते हैं। रोजी निक्की तथा रानी को कोई हानि नहीं पहुँचाती। तीनों में परस्पर घनी मित्रता है।
  4. इस संस्मरण से पता चलता है कि बच्चों में पशु-पक्षियों के प्रति जिज्ञासा अधिक होती है। जब वे बड़े होते हैं तो उनकी जिज्ञासा भाव तथा पशुओं-पक्षियों के प्रति प्रेम-सहानुभूति का भाव भी घट जाता है तथा धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है।
  5. महादेवी ने इस संस्मरण द्वारा यह संदेश देने का प्रयास किया है कि पशु-पक्षी भी मनुष्य के समान ही जीवधारी होते हैं, वे उसके सहायक होते हैं तथा उससे प्रेम भी करते हैं। मनुष्य को भी उनसे प्रेम तथा सहानुभूति रखनी चाहिए तथा उनकी समस्याओं को समझना चाहिए। उनकी सुरक्षा तथा संरक्षण के लिए उसे प्रयत्नशील होनी चाहिए।

प्रश्न 3.
नकुल शिशु के अपने बिल से भाग आने के प्रसंग में महादेवी ने बच्चों और उनके अभिभावकों के बीच समन्वय की कमी की जिस समस्या का संकेत दिया है, उस पर विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
नकुल-शिशु अपने बिल से बाहर निकल आया था और रोजी उसको पकड़कर महादेवी के पास ले आई थी। इस प्रसंग में महादेवी ने लिखा है – “ छोटे से बिल में रात-दिन पड़े माता-पिता के सामने बैठे रहने से जो कष्ट बच्चे को हो सकता है, उसका हम अनुमान कर सकते थे। यदि एक छोटे कमरे में हमें सामने बैठाकर बाबूजी रात-दिन पढ़ाते रहें और माँ सिलाई-बुनाई में लगी रहे, तो हमारा क्या हाल होगा। ऐसी ही कोई अप्रिय स्थिति बिल में रही होगी, नहीं तो यह इतना छोटा बच्चा भागता ही क्यों ?” महादेवी जी की उपर्युक्त टिप्पणी से वर्तमान समाज में उत्पन्न हुई तथा व्याप्त समस्या का पता चलता है।

आज अभिभावकों की धनोपार्जन में व्यस्तता ने उनके तथा उनके बच्चों के बीच की निकटता समाप्त कर दी है। इससे बच्चों को पारिवारिक वातावरण प्राप्त नहीं होता और उनके व्यक्तित्व का स्वाभाविक और उचित विकास नहीं होता। वे परिवार तथा समाज के स्नेही और जिम्मेदार सदस्य नहीं बन पाते। दूसरी समस्या जो समाज में व्याप्त होती जा रही है, वह यह है कि माता-पिता अपनी अतृप्त इच्छाओं को बच्चों के द्वारा पूरा करना चाहते हैं।

इसमें वे बच्चों की क्षमता, सामर्थ्य, लगन, झुकाव, भावना आदि किसी बात पर ध्यान नहीं देते। बड़े नामधारी और लम्बी-चौड़ी फीस वसूल करने वाले कोचिंग सेन्टरों में उनको भेज देते हैं। ऐसे सेन्टरों के अनेक बच्चे आत्महत्या कर चुके हैं। अनेक बच्चे असफल होने पर गहरे विषाद से भर उठते हैं। उनकी जीवन में स्वाभाविक रुचि समाप्त हो जाती है। वे घर से पलायन भी करते नकुल शिशु की कथा द्वारा महादेवी ने इसी मनोवैज्ञानिक समस्या का उद्घाटन किया है।

प्रश्न 4.
साँप और नेवला की किन विशेषताओं का उल्लेख महादेवी जी ने किया है ? दोनों में क्या असमानता है ?
उत्तर:
साँप एक लम्बा और रेंगने वाला जीव है। वह विषैला होता है। जिस विषरहित जीव को वह हँस लेता है, उसकी मृत्यु हो जाती है। वह अपने शत्रु के सामने हवा में आधा खड़ा होकर उस पर फन से प्रहार करता है। साँप अपने शत्रु को डराने के लिए जोर से फुफकारता है। नेवला सर्प का जन्मजात शत्रु है। वह उसको खण्ड-खण्ड करने की शक्ति रखता है। नेवला विषरहित जीव है। वह साँप के विष से अप्रभावित रहता है। विषरहित होने पर भी वह विषधर सर्प को परास्त कर देता है और साँप के विष से मरता नहीं है। साँप की तुलना में नेवला कोमल और हल्का होता है वह अत्यन्त फुर्तीला होता है।

अपने हल्केपन और बिजली जैसी तेजी से वह साँप के आक्रमण से बचाव करता है और साँप को बार-बार चोट पहुँचाता है। हमला करने से पूर्व वह अपने पिछले पैरों पर खड़ा हो जाता है। अपने छोटे शरीर के कारण उसको आक्रमण करने के लिए विशेष अवसर की जरूरत नहीं होती। पालने की दृष्टि से नेवला अत्यन्त स्नेही और अनुशासित जीव है। वह कीट-पतंग, फल-फल आदि खा सकता है तथा जेब, आस्तीन, कन्धा आदि स्थानों पर बैठा रहकर सतर्क दृष्टि से देखता रहता है। साँप को पालने की बात तो सोची भी नहीं जा सकती। साँप लम्बा, भारी, विषैला होता है तो नेवला छोटा, हल्का, फुर्तीला और विषहीन होता है।

प्रश्न 5.
“इसके उपरान्त हमारे परिवार में एक सबसे बड़ा जीव सम्मिलित हुआ।” महादेवी के परिवार में कौन-सा जीव सम्मिलित हुआ ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
महादेवी के परिवार में रोजी और निक्की तो पहले से ही थे। दोनों की महादेवी से विशेष निकटता थी। इसके बाद एक तीसरा बड़ा जीव उनके परिवार में आया। वह एक छोटी कद की घोड़ी थी। उसका नाम रानी था। निक्की और रोजी छोटे जीव थे। उनकी तुलना में रानी बड़े शरीर की थी। महादेवी की बाल मण्डली ने एक दिन अपने पिता को मौखिक स्मृतिपत्र देकर कहा-सभी बच्चे टट्टू पर बैठते हैं। यह अधिकार उनको भी मिलना चाहिए। उनके पिता ने अपने बच्चों के आग्रह पर एक टट्टू खरीदा। यह चमकीले चाकलेटी रंग की एक छोटे कद की घोड़ी थी। रामा ने उसका नाम ताजरानी बताया था किन्तु बच्चे इसको रानी कहते थे। उसको आँगन के पश्चिम वाले बरामदे में बाँधा गया। उसकी मालिश के लिए खाने, पीने, घूमने आदि के लिए एक साईस रखा गया। उसका नाम छुट्टन था।

आरम्भ में कुछ दिन महादेवी और उनके भाई-बहन उससे दूर ही रहे परन्तु धीरे-धीरे उसकी निकटता प्राप्त कर ली। वे उस बरामदे में ही बने रहते जहाँ रानी बाँधी गई थी। अपने खिलौने भी उन्होंने वहाँ पर ही रख दिए थे। रानी भी उनको अपने पास न पाकर पैर जमीन पर पटक कर हिनहिनाती थी। उसकी पीठ पर रखने के लिए जीन बनवाई गई। सबेरे भाई-बहन तथा स्कूल से लौटने के बाद महादेवी उस पर बैठकर घूमने जाते थे। छुट्टन-साथ दौड़ता हुआ उनको घुमाता था। रानी एक सुन्दर घोड़ी थी। उसका रंग चमकीला चाकलेटी था। उसके कान छोटे, आँखें काली, पारदर्शी और चमकीली थीं। दाँत उजले, जीभ लाल और गुलाबी और नथुने लाल थे। उसके माथे पर आयल का गुच्छा झूलता था। उसके पैर मजबूत थे तथा पूँछ घनी थी, जिससे वह मक्खियाँ भगाती थी।

प्रश्न 6.
“वस्तुतः मेरे पशु प्रेम का आरम्भ रोजी के साहचर्य से माना जा सकता है।” महादेवी के इस कथन पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
महादेवी को बचपन में ही जब वह पाँचवें वर्ष में प्रदेश कर रही थी, रोजी नामक कुतिया उपहार में दी गई थी। रोजी सफेद रंग की समझदार कुतिया थी। जब वह आई थी उसकी आँखें खुली ही र्थी। परिणाम यह हुआ कि महादेवी और रोजी दोनों साथ-साथ पले और बड़े हुए। रोजी महादेवी के साथ ही दूध पीती थी। वह उनके खटोले पर सोती थी तथा उनके लकड़ी के घोड़े पर सवारी भी करती थी। वह निरन्तर महादेवी के साथ रहती थी। वह उनको बहुत चाहती थी।

उनके संकेत पर काम करने को तैयार रहती थी। बचपन में महादेवी और रोजी का साथ तेरह वर्ष तक रहा। महादेवी पशुओं के प्रति बहुत स्नेहशील तथा दयालु र्थी। बाद में भी सोना हिरनी, नीलू कुत्ता, गिल्लू आदि पशु उनके पालतू रहे। थे। पशुओं के स्वभाव को वह बहुत अच्छी तरह जानती र्थी निक्की सदा महादेवी के निकट ही रहता था। वह स्कूल भी उनके साथ जाता था। गिल्लू उनकी थाली के समीप बैठकर ही भोजन करता था। पशुओं को सिखाने में भी महादेवी प्रयत्नशील रहती थी।

महादेवी के मन में पशुओं के प्रति जो प्रेम और सहानुभूति थी, उसका आरम्भ रोजी और उनके साथ से ही हो गया था। रोजी के क्रियाकलाप उनको प्रिय थे तथा उसके साथ ने उनको पशुओं के प्रति संवेदनशील बना दिया था। बचपन में रोजी के प्रति उत्पन्न हुई प्रीति ही उनके बड़े होने पर पशुओं के प्रति उनकी सहानुभूति और संवेदनशीलता में बदल गई थी। गिल्लू के घायल होने पर पेंसलीन का मरहम लगाना उनकी इसी सावधानीपूर्ण संवेदनशीलता का प्रमाण है।

निक्की, रोजी और रानी लेखिका-परिचय

जीवन-परिचय-

महादेवी का जन्म सन् 1907 ई० उत्तर प्रदेश फर्रुखाबाद में एक शिक्षित कायस्थ परिवार में हुआ था। आपके पिताजी गोविन्द प्रसाद भागलपुर में प्रधानाचार्य थे। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा इंदौर में हुई। प्रयाग के क्रास्थवेट कॉलेज से हिन्दी तथा संस्कृत में एम.ए. करने के बाद आप महिला विद्यापीठ प्रयाग में प्रधानाध्यापिका रहीं, 19 सितम्बर 1987 को आपको देहावसान हो। गया।

साहित्यिक परिचय-महादेवी जी ने काव्य और गद्य के क्षेत्र में समान अधिकार के साथ साहित्य सृजन किया है। आप छायावाद की स्तम्भ हैं। गद्य के क्षेत्र में आपके संस्मरणात्मक रेखाचित्र प्रसिद्ध हैं। आप चाँद’ नामक पत्रिका की सम्पादिका रही हैं। आपको अपनी काव्य-रचना ‘नीरजा’ पर मंगला प्रसाद तथा सेकसरिया पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। भारत सरकार ने आपकी साहित्य सेवा के लिए आपको ‘पद्मश्री’ से अलंकृत किया है। गद्य के क्षेत्र में आपने निबन्ध तथा समालोचना पर लेखन किया है। आपके संस्मरण और रेखाचित्र विशेष प्रसिद्ध हैं।

महादेवी की भाषा परिष्कृत, संस्कृतनिष्ठ, तत्सम शब्दावली युक्त खड़ी बोली है। उसमें सुकुमारता तथा प्रवाह है। महादेवी ने वर्णनात्मक, विचार-विवेचनात्मक तथा चित्रात्मक शैलियों का प्रयोग किया है। कहीं-कहीं व्यग्य का पुट भी है।

कृतियाँ-महादेवी की प्रमुख कृतियाँ निम्नलिखित हैं

  1. संस्मरण और रेखाचित्र-अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ, मेरा परिवार, पथ के साथी, संचयन आदि।
  2. निबन्ध- श्रृंखला की कड़ियाँ, साहित्यकार की आस्था आदि।
  3. समालोचना-हिन्दी का विवेचनात्मक गद्य, विविध आलोचनात्मक निबन्ध इत्यादि।
  4. काव्य-नीहार, रश्मि, यामा, नीरजा, दीपशिखा, सांध्य गीत इत्यादि।

पाठ-सार

निक्की, रोजी और रानी, एक संस्मरणात्मक रेखाचित्र है। यह महादेवी की ‘मेरा परिवार’ नामक रचना से लिया गया है। इसमें महादेवी जी के पशुओं के प्रति प्रेम तथा उनके स्वभाव आदि के सम्बन्ध में गहन ज्ञान का पता चलता है।

महादेवी जब छोटी थीं तब उनकी पाँचवीं सालगिरह पर उनके पिता के किसी राजकुमार शिष्य ने उनको एक कुतिया भेट दी थी। तब उसकी आँखें खुली ही थीं। वह महादेवी के साथ ही दूध पीती, उनके खटोले पर सोती और साथ खेलती थी। उसका नाम रोजी था। रोजी सफेद रंग की थी जिसका कुछ भाग कत्थई था। वह टैरियर जाति की थी। वह सबकी प्रिय थी। वह तेरह साल महादेवी के साथ रही। महादेवी के पिता इंदौर के डेली कालेज के वाइस प्रिंसीपल थे। वह छावनी में रहते थे। महादेवी भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी। उनके बाद छोटी बहन तथा उससे छोटे दो भाई थे। तीनों बड़े भाई-बहन दोपहर में चुपचाप निकल जाते थे और दोपहर भर बया चिड़ियों के घोंसले तोड़ते, बबूल की सूखी छमियाँ बीनते थे, जो कि बीजों के कारण बजती थीं। घूमते-घूमते थक जाते तो आम के पेड़ों से घिरी सूखी पोखर पर विश्राम करते थे। तीनों डाली पर बैठकर झूला झूलते थे। मकई के पौधे और करोंदे इकट्टे करते थे। जब आम के पेड़ से टूटकर छोटी अँमिया गिरती तो रोजी उसे उठा लाती थी। यह कार्यक्रम गर्मी, वर्षा और जाड़े भर चलता था।

अपने इस कार्यक्रम को महादेवी ने अराजकतावाद और स्वयं को अराजकतावादी कहा है। दोपहर को पिताजी कालेज में रहते, माँ घर के काम और छोटे भाई की देखभाल में लगी होती, रामा बाजार चला जाता, कल्लू सोती रहती या बर्तनों को रंगड़कर चमकाती रहती। तभी मौका पाकर तीनों भाई-बहन खिड़की के सहारे घर से बाहर निकल जाते, सबसे पहले वे रोजी को उतार देते। घरवाले समझते थे कि वे सो रहे हैं या पढ़-लिख रहे हैं।

एक दिन कच्चा आम पोखर में सूखी पत्तियों के ढेर पर गिरा। रोजी तुरन्त दौड़ी और पत्तियों में खोजकर लौटी तो उसके मुँह में एक छोटा-सा जीव था। उसे लेकर वे सब भूलकर तुरन्त घर की ओर दौड़े। माँ ने यह नहीं पूछा कि वह कहाँ से मिला परन्तु उसे उसके बिल में छोड़ने का आदेश दिया। बहुत खोजने पर भी बिल नहीं मिला तो उसको घर वापस लाया गया। रामा से अनुनय करके उसे बत्ती से दूध पिलाया गया। धीरे-धीरे वह स्वस्थ और बड़ा हो गया और उस परिवार का सदस्य बन गया। यह एक नेवले का बच्चा था। माँ इसे नकुल और सभी बच्चे निक्की कहकर पुकारते थे। निक्की महादेवी के साथ ही रहता था। वह उनके दुपट्टे, गर्दन के पीछे चोटी में या कान के पास छिपा रहता था। एक बार आम की क्यारी के पास घास में एक साँप को देखकर निक्की ने उसे मार डाला था। जब महादेवी को शहर के मिशन स्कूल में भर्ती कराया गया तो निक्की भी उनके साथ गया। महादेवी कक्षा में पढ़ती थी, उस समय निक्की स्कूल के बगीचे में समय बिताता था, वह उनके साथ ही घर लौटता था।

इंदौर रियासत थी। वहाँ शानदार घोड़े थे। अंग्रेजों के बच्चे छोटे टट्टुओं या सफेद गधों पर बैठकर घूमते थे। अपने बच्चों के माँगने पर महादेवी के पिता ने उनको घुमाने के लिए एक छोटा चाकलेट रंग को टट्टू खरीदा। उसकी देखभाल और मालिश छुट्टन नामक साईस करता था। वह एक घोड़ी थी और उसका नाम ताजरानी था। सभी उसको रानी कहकर बुलाते थे। रानी बहुत खूबसूरत थी। महादेवी और उनके भाई-बहन उस पर सवार होकर घूमते थे। उनके लिए अलग-अलग जीनों का प्रबन्ध था। छुट्टन पैदल चलता था और बच्चे रानी की सवारी करते थे।

एक दिन महादेवी और उनके भाई-बहनों ने रानी को बाहर निकाला वे उसकी नंगी पीठ पर सवारी करने लगे। जब पहादेवी उस पर सवार थी तब उनके भाई ने रानी के पैरों में संटी मार दी। जिससे वह तेजी से दौड़ी। सँभल न पाने से महादेवी गिर पड़ी और बहुत समय तक विस्तर पर आराम करना पड़ा। रानी समझदार थी। एक बार महादेवी के भाई ने अपने सोने के कड़े उसके कानों में पहना दिए। खेल में वे इस बात को भूल गए। माँ के पूछने पर खोज हुई। कड़े कहीं नहीं मिले। रानी टाप से बार-बार भूमि खरोंचती और हिनहिनाती थे। महादेवी के पिताजी के कहने पर रानी के बताए वाले कोने की मिट्टी हटाई गई। वहाँ कुछ गहराई पर दबे हुए कड़े मिले। किसी ने वहाँ उनको गाढ़ दिया था, इससे रानी के प्रति सबका प्यारा बढ़ गया।

फिर महादेवी तथा उनके भाई-बहनों को पढ़ाई के लिए बाहर भेजा गया। अवकाश होने पर लौटे तो निक्की मर चुका था। रानी और उसका बच्चा पवन किसी को दे दिया गया था। रोजी कमजोर और अकेली उनके पैरों से लिपटकर रोने लगी।

शब्दार्थ-

(पृष्ठ सं. 61, 62)-
स्मृतियाँ = यादें। परिमाण = माप। अतीत = बीता हुआ। कोहरा = धुंध, विस्मृति। समष्टि = समाज। खटोला = छोटी चारपाई। साहचर्य = साथ। अविच्छिन्न = अटूट। सुडौल = पुष्प। अग्रांश = आगे का हिस्सा। शबल = टुकड़ा। श्वान = कुत्ता। वात्सल्य = प्रेम। छीमियाँ = फलियाँ। पोखर = पानी भरा हुआ गढ्ढा। कगार = किनारा। अँमिया = छोटा कच्चा आम।

(पृष्ठ सं. 63)-
सरसराहट = रगड़ से उत्पन्न आवाज। कैरी = अँमिया। चेपी = चिपकना पदार्थ। धबीला = दागदार। दत्तचित्त = तल्लीन। मुक्ति लोक = आजाद देश। उत्कोच = रिश्वत। मुखबिर = गुप्त सूचना देने वाला। निर्बन्ध = बन्धनहीन। दीक्षित होना। = सदस्य बनना। मनोयोगपूर्वक = ध्यानपूर्वक। कगार = किनारा। नकुल = नेवला। दम्पत्ति = पति-पत्नी। प्रजापति = ब्रह्मा। सृष्टि = रचना। लघु = छोटा। अराजकतावादी = व्यवस्था का पालन न करने वाला। सृजनकर्ता = माता-पिता। विवर = बिल। रोए = छोटे बाल। निश्चेष्ट = शांत, चेष्टाहीन।

(पृष्ठ सं. 64)-
आश्रय = सहारा। अनुनय-विनय = खुशामद-प्रार्थना। सतर्क = सावधानीपूर्ण। संक्षिप्तीकरण = छोटा रूप देना। गरारा = लड़कियों के पहनने का वस्त्र। घटाटोप = सुसज्जित, जड़े हुए। तस्मा = फीता। पदत्राण = जूते। गातिविधि = घटनाएँ।

(पृष्ठ सं. 65)-
फुफकार = साँप की आवाज। बालिश्त भर = एक माप, छोटा। विषधर = विषैला। निर्विष = विषहीन। फण = फन। दंशन = डसना, काटना। व्यूह = घेरा। लाघवता = छोटापन। ध्वस्त = नष्ट। विवशता = बस में न होना।

(पृष्ठसं. 66)-
कोहराम = शोरगुल। अवाक् = मूक। विरक्त = दूर। पालक = पालन करने वाला। सदय = दयालु। हेरफेर = अन्तर। निषिद्ध = मना। आधिक्य = अधिकता। जिज्ञासा = जानने की इच्छा। वाहन = सवारी। ठेलमठाल = धकेलना। अगुआ = आगे चलने या बोलने वाला। अजस्र = अक्षय। साईस = घोड़ों की देखभाल करने वाला।

(पृष्ठ सं.67)-
आतंकित = भयभीत। रुष्ट = रूठा हुआ। रोष = क्रोध। करुणा = दया। अयाल = गर्दन के बाल। पारदर्शी = जिसके आर-पार देखा जा सके। क्षत-विक्षत = घायल, चोटिल। सुडौल = पुष्ठ। सघन = घनी। मोरछल = मोरपंख। प्रत्यक्ष = स्पष्ट। अस्तबल = घुड़साले। विस्थापित = किसी स्थान से हटाया गया। पैर पटकना = व्याकुलता प्रदर्शित करना। हिनहिनाना = घोड़े की आवाज। जीन = घोड़े की पीठ की गद्दी।

(पृष्ठ सं. 68, 69)-
आरूढ़ होते = सवारी करते। संटी = छड़ी। प्रस्तर = पत्थर। बिछौना = बिस्तर। खुर = टाप। बवंडर = तूफान।।

महत्वपूर्ण गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्याएँ।

1. बाल्यकाल की स्मृतियों में अनुभूति की वैसी ही स्थिति रहती है, जैसी भीगे वस्त्र में जल की। वह प्रत्यक्ष नहीं दिखाई देता किन्तु वस्त्र के शीतल स्पर्श में उसकी उपस्थिति व्यक्त होती रहती है। इन स्मृतियों में और भी विचित्रता है। समय के माप से वे जितनी दूर होती जाती हैं, आत्मीयता के परिमाण में उतनी ही निकट आती जाती हैं।

(पृष्ठ सं. 61)
सन्दर्भ एवं प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक अपरा में संकलित महादेवी वर्मा लिखित निक्की, रोजी और रानी शीर्षक पाठ से लिया गया है। लेखिका ने बचपन की स्मृतियों की विशेषताओं का उल्लेख किया है।

व्याख्या-महादेवी जी कहती हैं कि जिस प्रकार भीगे कपड़ों में पानी रहता है, उसी प्रकार बचपन की स्मृतियाँ भी मनुष्य के मन में रहती हैं। पानी दिखाई नहीं देता परन्तु वस्त्र को स्पर्श करने पर उसकी शीतलता से पानी की उपस्थिति का पता चलता है। बचपन की स्मृतियों की अनुभूति भी इसी प्रकार किसी बात से जुड़कर ताजा हो जाती है। इसके अतिरिक्त एक और विचित्र विशेषता भी इनमें होती है। ये यादें जितनी अधिक पुरानी होती जाती हैं। निकट आती जाती हैं अर्थात् जो जितना अधिक अपना होता है, उसकी स्मृतियाँ मन के उतनी ही अधिक निकट होती हैं।

विशेष-
(i) प्रस्तुत रचना एक संस्मरणात्मक रेखाचित्र है। इसमें महादेवी के बचपन के साथी तीन जीवों का वर्णन है।
(ii) महादेवी जी ने बचपन की स्मृतियों की विशेषताओं का परिचय दिया है।
(iii) भाषा संस्कृतनिष्ठ साहित्यिक खड़ी बोली है।
(iv) गद्य शैली में काव्यात्मकता का पुट है।

2. रोजी सफेद थी, किंतु उसके छोट-सुडौल कानों के कोने, पूँछ का सिरा, माथे का मध्यभाग और पंजों का अग्रांश कत्थई रंग का होने के कारण उसमें कत्थई किनारी वाली सफेद साड़ी की शबल रंगीनी का आभास मिलता है। वह छोटी पर तेज टैरियर जाति की कुत्ती थी, और कुछ प्रकृति से और कुछ हमारे साहचर्य से श्वान-दुर्लभ विशेषताएँ उत्पन्न हो जाने के कारण घर में उसे बच्चों के समान ही वात्सल्य मिलता था। हम सबने तो उसे ऐसा साथी मान लिया था, जिसके बिना न कहीं जा सकते थे और न कुछ खा सकते थे।

(पृष्ठसं. 62)
संदर्भ एवं प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक अपरा में संकलित ‘निक्की, रोजी और रानी’ शीर्षक रेखाचित्र से लिया गया है। लेखिका ने अपनी बाल-स्मृतियों के सहारे अपने साथ पले-बढ़े तीन जीवों का वर्णन किया है। इनमें रोजी नामक एक कुत्ती थी जो उनके पाँचवें जन्मदिन पर उनको उपहार के रूप में प्राप्त हुई थी।

व्याख्या-रोजी सफेद रंग की कुतिया थी, उसके छोटे और पुष्ट कान थे। उसके कानों के कोने, पूँछ का सिरा, माथे के बीच का हिस्सा और पंजों के आगे वाला भाग कत्थई रंग का था। इस तरह उसके शरीर में सफेद के साथ कत्थई रंग इस प्रकार मिला था कि वह सफेद रंग की ऐसी साड़ी के समान लगती थी जिसकी किनारी कत्थई हो। वह छोटे शरीर की तथा टैरियर जाति की थी। उसमें स्वभाव से तथा महादेवी के परिवार के साथ रहने से कुछ ऐसी विशेषताएँ उत्पन्न हो गई थीं, जो कुत्तों में दुर्लभ होती है। घर में इस कारण उसको बच्चों के समान ही प्यार किया जाता था, वह सबकी ऐसी साथी बन गई थी कि उसके बिना कोई कुछ खाता-पीता नहीं था।

विशेष-
(i) महादेवी ने बचपन में पाली हुई. रोजी नामक कुतिया का वर्णन इस गद्यांश में किया है।
(ii) महादेवी के पशु-प्रेम तथा उनके स्वभाव के ज्ञान का परिचय मिलता है।
(iii) भाषा संस्कृतनिष्ठ साहित्यिक खड़ी बोली है।।
(iv) शैली काव्यात्मक है तथा उसमें वर्णनात्मकता है,

3. वस्तुतः उस सूखे पोखर के नीचे कगार में बिल बनाकर किसी नकुल दम्पत्ति ने प्रजापति के कार्य में सक्रिय सहयोग देना आरम्भ किया था। उनकी नकुल सृष्टि का कोई लघु, परंतु हमारे ही समान अराजकतावादी सदस्य, अपने सृजनकर्ताओं की दृष्टि बचाकर सूखी पत्तियों के समुद्र में ऊपर तैर आया था। पत्तियों से छोटा मुँह निकालकर उसने जैसे ही बाहर के संसार पर विस्मित दृष्टि डाली, वैसे ही अपने-आपको रोजी के छोटे और अंधेरे मुख-विवर में पाया। निरन्तर बिना दाँत चुभाये कच्ची अंबिया लाते-लाते रोजी इतनी अभ्यस्त हो गई थी कि उस कुलबुलाते जीव को भी सुरक्षित हम तक ले आई।

(पृष्ठ सं. 63)
संदर्भ-प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक अपरा में संकलित संस्मरणात्मक रेखाचित्र ‘निक्की, रोजी और रानी’ से लिया गया है।

महादेवी और उनके भाई-बहन दोपहर में घरवालों की आँख बचाकर आम के पास वाली पोखर पर खेलने निकल जाते थे। वहाँ डाल से आम गिरने पर रोजी उसे उठा लाती थी। एक बार आम गिरने की आवाज सुनकर रोजी दौड़ी, जब वह लौटी तो उसके मुँह में कोई छोटा जीव था।

व्याख्या-लेखिका कहती है कि वास्तविकता यह थी कि उस सूखे पोखर के तले में किनारों में नेवलों के किसी जोड़े ने अपना बिल बना लिया था। वहाँ उनके बच्चे हुए थे। बच्चे अभी छोटे थे। उनमें से एक बच्चा बिल से निकलकर सूखी पत्तियों के ढेर के ऊपर आ गया था। पोखर सूखी पत्तियों से पटी थी। जिस तरह महादेवी और उनके भाई-बहन घर से भागकर दोपहर में घर के नियम तोड़ते थे उसी प्रकार वह नेवले का बच्चा भी बिल से निकल आया था। पत्तियों के ढेर से अपना छोटा मुँह बाहर निकालकर वह आश्चर्य के साथ बाहरी दुनिया को देख रहा था तभी रोजी की निगाह उस पर पड़ गई और रोजी ने उसको धीरे-से अपने मुँह में दबा लिया। रोजी का मुँह छोटे और अँधेरे बिल के समान ही था। रोजी हर रोज पेड़ से गिरी अँबिया उठाकर लाती थी। अतः अभ्यास होने के कारण उसने उस नेवले के बच्चे को धीरे से पकड़ा और उसे बिना चोट पहुँचाये महादेवी के पास ले आई।।

विशेष-
(i) भाषा-प्रभावपूर्ण, संस्कृतनिष्ठ साहित्यिक खड़ी बोली है।
(ii) शैली- वर्णनात्मक है। उसमें काव्य- माधुर्य है।
(iii) नेवले के बच्चे का रोजी द्वारा पकड़ने और सुरक्षित ले आने का वर्णन हुआ है।

4. पालने की दृष्टि से नेवला बहुत स्नेही और अनुशासित जीव है। गिलहरी के खाने योग्य कीट, पतंग, फल-फूल आदि कोई भी खाद्य खाकर वह अपने पालने वाले के साथ चौबीसों घंटे रह सकता है। जेब में, कन्धे पर, आस्तीन में, बालों में, जहाँ कहीं भी उसे बैठा दिया जावे, वह शांत स्थिर भाव से बैठकर अपनी चंचल पर सतर्क आँखों से चारों ओर की स्थिति देखता-परखता रहता था।

(पृष्ठसं. 64)
सन्दर्भ एवं प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक अपरा के ‘निक्की, रोजी और रानी,’ शीर्षक संस्मरणात्मक रेखाचित्र से उद्धृत है। इसकी रचना महादेवी वर्मा ने की है।
महादेवी ने बचपन में नेवले का एक बच्चा पाला था। उसका नाम निक्की था। वह घर के सब लोगों का प्रिय था। महादेवी जी का उससे विशेष स्नेह था।

व्याख्या-लेखिका कहती हैं कि नेवला पालने में कोई परेशानी नहीं होती। वह बहुत अनुशासित प्राणी है तथा लोगों के प्रति स्नेहशील होता है। वह उन सभी खाद्य पदार्थों को खा लेता है जिनको गिलहरी खाती है। ये पदार्थ कीड़े, पतंगे, फल और फूल आदि होते हैं। वह अपने पालने वाले के साथ चौबीसों घंटे रह सकता है। उसको जेब में, कंधे पर, आस्तीन में अथवा बालों में कहीं पर भी बैठाया जा सकता है। उसे जहाँ भी बैठाया जाय, वहीं पर शांतभाव से बैठा रहता है तथा अपनी चंचल दष्टि घुमाकर सावधानीपूर्वक चारों तरफ की स्थिति को देखता तथा उसकी पड़ताल करता रहता है।

विशेष-
(i) जीव-जन्तुओं की प्रकृति के सम्बन्ध में लेखिका को गहरा ज्ञान है।
(ii) यहाँ नेवला के स्वभाव का वर्णन किया गया है।
(iii) भाषा प्रवाहपूर्ण, विषयानुकूल तत्सम शब्द प्रधान खड़ी बोली है।
(iv) शैली वर्णनात्मक है।

5. उस दिन प्रथम बार में ज्ञात हुआ कि हमारा बलिश्त भर का निक्की कई फुट लम्बे साँप से लड़ सकता है। उन दोनों की लड़ाई मानो पेड़ की हिलती डाल से बिजली का खेल थी। निक्की साँप के सब ओर इतनी तेजी से घूम रहा था कि वह एक भूरे और घूमते हुए धब्बे की तरह लग रहा था। साँप फन पटक रहा था, फुफकार रहा था, उसे अपनी कुण्डली में लपेट लेने के लिए आगे-पीछे हट-बढ़ रहा था। परन्तु बिजली की तरह तड़प उठने वाले निक्की को पकड़ने में असमर्थ था। वह तेजी से उछल-उछल कर साँप के फन के नीचे पैने दाँतों से आघात कर रहा था।

(पृष्ठसं. 65)
संदर्भ एवं प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक अपरा में संकलित ‘निक्की रोजी और रानी’ शीर्षक पाठ से लिया गया है। इसकी लेखिका महादेवी वर्मा हैं।

लेखिका ने बचपन में एक नेवला पाला था। एक दिन उसने बगीचे में घास में एक काला साँप देखा। वह तुरन्त वहाँ पहुँचा और साँप के साथ उसकी लड़ाई आरम्भ हो गई। लेखिका ने निक्की के साँप के साथ हुए संघर्ष का वर्णन किया है।

व्याख्या-लेखिका कहती है कि निक्की को साँप से लड़ते देखकर उनको उसकी इस विशेषता का पता चला। निक्की का शरीर छोटा था। वह एक बालिश्त लम्बा था। दूसरी ओर साँप की लम्बाई कई फुट थी। उस दिन लेखिका ने जाना कि छोटा-सा जीव निक्की अपने से बड़े साँप से लड़ सकता है। साँप पेड़ की हिलती हुई लम्बी डाली के समान था। उस पर निक्की बिजली की तरह फुर्ती से उछलकर हमला कर रहा था। वह बहुत फुर्ती और तेजी से साँप के चारों ओर घूम रहा था। तेजी से घूमने के कारण वह भूरे रंग के घूमते हुए एक धब्बे की तरह दिखाई दे रहा था। साँप गुस्से में जमीन पर अपना फेन पटक रहा था। वह फुफकार मार रहा था। वह आगे-पीछे हट रहा था और निक्की को अपनी कुंडली में जकड़ने की कोशिश में था परन्तु निक्की की फुर्ती बिजली जैसी थी। साँप उसको पकड़ नहीं पा रहा था। वह तेजी से उछलता था और साँप के फन के नीचे अपने पैने दाँतों से चोट करता था। इस तरह उसकी तेजी साँप पर भारी पड़ रही थी।

विशेष-
(i) भाषा प्रवाहपूर्ण, अपेक्षाकृत सरल और विषयानुकूल है।
(ii) शैली वर्णनात्मक-चित्रात्मक है।
(iii) साँप और लेखिका के पालतू नेवले निक्की की लड़ाई का वर्णन है।

6. साँप जैसे विषधर को खण्ड-खण्ड करने की शक्ति रखने पर भी नेवला नितांत निर्विष है। जीव-जगत में जो निर्विष है, वह विष से मर जाता है और जिसमें अधिक मारक विष है, वह कम मारक वाले को परास्त कर देता है। पर नेवला इसका अपवाद है। वह विषरहित होने पर भी न सर्प के विष से मरता है और न संघर्ष में विषधर से परास्त होता है। नेवला सर्प की तुलना में बहुत कोमल और हल्का है। यदि साँप चाहे तो उसे अपनी कुण्डली में लपेटकर चूर-चूर कर डाले। फण के फूत्कार से मूर्छित कर दे, परन्तु वह नेवले के फूल से हल्केपन और बिजली की गति से परास्त हो जाता है। नेवला न उसे दंशन का अवसर देता है, न व्यूह रचना का अवकाश। और अपनी लाघवता के कारण नेवले को न विशेष अवसर चाहिए न सुयोग।

(पृष्ठ सं. 65)
सन्दर्भ एवं प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक अपरा में संकलित ‘निक्की रोजी और रानी’ शीर्षक संस्मरणात्मक रेखाचित्र से उद्धृत है। इसकी रचना महादेवी की कुशल लेखनी से हुई है। लेखिका ने बचपन में अपने पालतू नेवले निक्की को भयानक काले साँप से लड़ते और उसको परास्त करते देखा था। इन पंक्तियों में लेखिका ने नेवले और सर्प की शक्तिमत्ता की तुलना प्रस्तुत की हैं।

व्याख्या-लेखिका कहती है कि नेवला विषहीन जीव है। परन्तु वह विषैले साँप के टुकड़े-टुकड़े कर सकता है। जीव संसार में विषैले और विषहीन-दोनों ही प्रकार के प्राणी होते हैं। जो विषरहित होता है वह विष के प्रभाव से मर जाता है। जिसमें दूसरों को नष्ट करने वाला विष अधिक मात्रा में होता है, वह उस जीव को लड़ाई में हरा देता है, जिसमें उस से कम विष होता है। प्रकृति का यह नियम नेवले पर लागू नहीं होता। नेवला पूर्णत: विषहीन जीव है परन्तु वह सर्प के विष से नहीं मरता। वह साँप को अवसर ही नहीं देता कि वह उसे हँस सके। वह साँप से लड़ाई में हारता नहीं है।

नेवला साँप की तुलना में बहुत हल्का और कोमल होता है। साँप चाहे तो उसको अपनी कुण्डली में लपेटकर चूर-चूर कर सकता है, वह अपने फन से फुफकार मारकर उसे मूर्छित कर सकता है, परन्तु नेवले के फूल के समान हल्के शरीर और बिजली के समान उसकी फुर्तीली गति से वह हार जाता है। नेवला साँप को स्वयं को हँसने तथा घेरने का मौका नहीं देता। नेवले का शरीर इतना छोटा होता है कि उसको साँप पर हमला करने के लिए किसी विशेष मौके और उचित समय की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती। वह बार-बार साँप पर हमला करता है।

विशेष-
(i) भाषा विषयानुकूल, प्रवाहपूर्ण तत्सम शब्द प्रधान खड़ी बोली है।
(i) शैली वर्णनात्मक है।
(iii) लेखिका को जीव-जन्तुओं के स्वभाव की विशेषताओं का ज्ञान है।
(iv) साँप और नेवले की प्रकृतिगत विशेषताओं का सजीव वर्णन किया गया है।

7. वह इतनी सुंदर थी कि अब तक उसकी छवि आँखों में बसी जैसी है। हल्का चाकलेटी चमकदार रंग, जिस पर दृष्टि फिसल जाती थी। खड़े छोटे कानों के बीच में माथे पर झूलता अयाल का गुच्छा, बड़ी, काली स्वच्छ और पारदर्शी जैसी आँखें, लाल नथुने जिन्हें फुला-फुलाकर वह चारों ओर की गंध लेती रहती। उजले दाँत और लाल जीभ की झलक देते हुए गुलाबी ओठों वाला लम्बा मुँह, जो लोहा चबाते रहने पर भी क्षत-विक्षत नहीं होता था। ऊँचाई के अनुपात से पीठ की चौड़ाई अधिक थी। सुडौल, मजबूत पैर और सघन पूँछ जो मक्खियाँ उड़ाने के क्रम में मोरछल के समान उठती-गिरती रहती थी।

(पृष्ठ सं. 67)
सन्दर्भ एवं प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक अपरा में संकलित संस्मरणात्मक रेखाचित्र ‘निक्की, रोजी और रानी’ से उद्धृत है। इसकी रचना महादेवी वर्मा ने की है।

महादेवी जी के पिताजी ने बचपन में महादेवी तथा उनके भाई-बहनों की सवारी के लिए एक छोटी घोड़ी खरीदी थी। वह चाकलेटी रंग की थी। उसका नाम ताजरानी था। संक्षेप में उसको रानी कहकर पुकारा जाता था।

व्याख्या-महादेवी कहती हैं कि रानी बहुत सुन्दर थी। अब जब महादेवी बड़ी हो गई है तब भी उसकी सुन्दर छवि उनकी आँखों के सामने बनी रहती है। उसका रंग हल्का चाकलेटी चमकदार था। उस पर देखने वाले की निगाह नहीं ठहरती थी। उसके छोटे कान खड़े रहते थे। कानों के बीच में उसके माथे पर बालों का एक गुच्छा झूलता था। उसकी आँखें बड़ी, काली, साफ और पारदर्शी थी। उसके नथुने लाल थे। उसके दाँत चमकीले और जीभ लाल थी। उसका मुँह लम्बा था तथा होंठ गुलाबी थे। दिन-रात लगाम का लोहा चबाने पर भी उसका मुँह घायल नहीं होता था। ऊँचाई की तुलना में उसकी पीठ अधिक चौड़ी थी। उसके पैर मजबूत और पुष्ट थे। उसकी पूँछ। पर घने बाल थे। इनका प्रयोग वह मोरपंख के समान करती थी और उनसे अपने शरीर पर बैठने वाली मक्खियों को भगाती थी। अपनी इन अनेक खूबियों के कारण रानी एक सुन्दर घोड़ी थी।

विशेष-
(i) रानी एक छोटे कद की घोड़ी थी। लेखिका के पिता ने बचपन में अपने बच्चों को घुमाने के लिए उसे खरीदा था।
(ii) लेखिका ने रानी के शरीर सौष्ठव का सजीव चित्रण किया है।
(iii) भाषा प्रवाहपूर्ण है। वह विषयानुकूल और सरल है।
(iv) शैली वर्णनात्मक और चित्रात्मक है।

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