• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • RBSE Model Papers
    • RBSE Class 12th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 10th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 8th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 5th Board Model Papers 2022
  • RBSE Books
  • RBSE Solutions for Class 10
    • RBSE Solutions for Class 10 Maths
    • RBSE Solutions for Class 10 Science
    • RBSE Solutions for Class 10 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 10 English First Flight & Footprints without Feet
    • RBSE Solutions for Class 10 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 10 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 10 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 10 Physical Education
  • RBSE Solutions for Class 9
    • RBSE Solutions for Class 9 Maths
    • RBSE Solutions for Class 9 Science
    • RBSE Solutions for Class 9 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 9 English
    • RBSE Solutions for Class 9 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 9 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 9 Physical Education
    • RBSE Solutions for Class 9 Information Technology
  • RBSE Solutions for Class 8
    • RBSE Solutions for Class 8 Maths
    • RBSE Solutions for Class 8 Science
    • RBSE Solutions for Class 8 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 8 English
    • RBSE Solutions for Class 8 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit
    • RBSE Solutions

RBSE Solutions

Rajasthan Board Textbook Solutions for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

  • RBSE Solutions for Class 7
    • RBSE Solutions for Class 7 Maths
    • RBSE Solutions for Class 7 Science
    • RBSE Solutions for Class 7 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 7 English
    • RBSE Solutions for Class 7 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 6
    • RBSE Solutions for Class 6 Maths
    • RBSE Solutions for Class 6 Science
    • RBSE Solutions for Class 6 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 6 English
    • RBSE Solutions for Class 6 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 5
    • RBSE Solutions for Class 5 Maths
    • RBSE Solutions for Class 5 Environmental Studies
    • RBSE Solutions for Class 5 English
    • RBSE Solutions for Class 5 Hindi
  • RBSE Solutions Class 12
    • RBSE Solutions for Class 12 Maths
    • RBSE Solutions for Class 12 Physics
    • RBSE Solutions for Class 12 Chemistry
    • RBSE Solutions for Class 12 Biology
    • RBSE Solutions for Class 12 English
    • RBSE Solutions for Class 12 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit
  • RBSE Class 11

RBSE Solutions for Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 4 शरणदाता

June 26, 2019 by Safia Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 4 शरणदाता

RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 4 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 4 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
देविन्दर लाल और रफीकुद्दीन घर में बैठकर किसकी आलोचना किया करते थे?
(क) मुसलमानों की
(ख) हिन्दुओं की
(ग) देश के भविष्य की
(घ) देश के वर्तमान की
उत्तर तालिका:
(ग) देश के भविष्य की

प्रश्न 2.
मरीज को देखते समय डॉक्टर की पीठ में छुरा भौंक दिया था
(क) दंगाइयों ने
(ख) मोहल्ले के आदमी ने
(ग) मरीज के भाई ने
(घ) मरीज के रिश्तेदार ने
उत्तर तालिका:
(घ) मरीज के रिश्तेदार ने

प्रश्न 3.
गैराज में रहने के दौरान देविन्दर लाल बाकी बचा खाना देते थे
(क) कुत्ते को
(ख) बिलार को
(ग) गाय को
(घ) किसी को नहीं
उत्तर तालिका:
(ख) बिलार को

RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 4 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
“नहीं साहब, हमारी नाक कट जायेगी।” ये शब्द किससे, किसने और कब कहे?
उत्तर:
ये शब्द देविन्दर लाल से रफीकुद्दीन ने तब कहे थे जब वे शहर में अपना घरबार छोड़कर अन्यत्र जाने की बात कह रहे थे।

प्रश्न 2.
उन्हें शिकार चाहिए-हल्ला करके न मिलेगा तो आग लगाकर लेंगे।” यहाँ शिकार कौन है और शिकारी कौन?
उत्तर:
यहाँ शिकार पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यक हिन्दू परिवार और शिकारी दंगा-फसाद करने वाले मुसलमान हैं।

प्रश्न 3.
देविन्दर लाल को मिली हुई लाहौर की मुहर वाली चिट्टी किसकी थी?
उत्तर:
देविन्दर लाल को मिली लाहौर की मुहर लगी हुई चिट्ठी अताउल्लाह की बेटी जैबुन्निसा की थी।

RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 4 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
रोटियों के बीच रखे कागज के पुर्जे पर क्या लिखा था? वह किसने लिखा और क्यों?
उत्तर:
रोटियों के बीच रखे कागज के पुर्जे पर लिखा था, “खाना कुत्ते को खिलाकर खाइयेगा।” वह कागज शेख अताउल्लाह की बेटी जैबुन्निसा ने लिखा था, क्योंकि उसको पता चल गया था कि शेख अताउल्लाह देविन्दर लाल को मारना चाहता है। उस दिन उसके खाने में जहर मिला दिया था।

प्रश्न 2.
रफीकुद्दीन अपनी आँखों में पराजय लिये चुपचाप क्या देखते रहे थे?
उत्तर:
देविन्दर लाल को रफीकुद्दीन ने ही अन्यत्र जाने से रोका था, परन्तु उनके मौहल्ले में भी दंगा करने वाले आ पहुँचे और शाम होते-होते उन्होंने देविन्दर लाल के घर का ताला तोड़कर सब कुछ लूट लिया था। रात को जहाँ-तहाँ लपटें उठती रहीं जिससे वातावरण बहुत दमघोंटू बन गया था। इस दृश्य को रफीकुद्दीन अपनी आँखों में पराजय लिए चुपचाप देखते रहे थे।

प्रश्न 3.
“…. धीरे-धीरे गुस्से का स्वर दर्द के स्वर में परिणत हुआ, फिर एक करुण रिरियाहट में, एक दुर्बल चीख में, एक बुझती हुई सी कराह…..” यह बुझती कराह किसकी थी? यह किस समय का वर्णन है?
उत्तर:
यह बुझती हुई कराह उस बिलार की थी जिसे देविन्दर लाल रोजाना बचा हुआ खाना खिलाते थे। यह वर्णन उस समय का है जब देविन्दर लाल ने रोटियों के बीच रखे कागज के पुर्जे में लिखे वाक्य के अनुसार स्वयं खाना खाने से पहले बिलार को खिलाया। खाने में जहर मिलाया हुआ था, जिसे खाने पर बिलार की करुण रिरियाहट, दुर्बल चीख और अन्त में बुझती हुई कराह सुनाई दी। आशय यह है कि जहरीला खाना खाने से बिलार की दर्दनाक मौत हो गई थी।

RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 4 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
शरणदाता कहानी की मूल संवेदना और उद्देश्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘शरणदाता’ कहानी भारत-पाक विभाजन के समय की घटनाओं को आधार बनाकर लिखी गई है। लाहौर के मौजंग इलाके में एक मुसलमान दोस्त रफीकुद्दीन अपने पड़ौसी देविन्दर लाल को घर छोड़कर जाने से रोकते हैं तथा उनकी हिफाजत की जिम्मेदारी लेते हैं। रफीकुद्दीन पर कट्टर विचारधारा के लोग दबाव बनाते हैं, जिससे वे देविन्दर लाल को अपने अन्य मुसलमान दोस्त के यहाँ छिपाकर रखने की व्यवस्था कर देते हैं । दंगाई देविन्दर लाल का मकान लूट लेते हैं और उसे आग के हवाले कर देते हैं। साम्प्रदायिकता की आग में सब कुछ जल रहा था। चारों ओर हैवानियत का साम्राज्य था।

ऐसे में कुछ लोग ऐसे भी थे जो अपने प्राण गंवाकर भी शरणागत की रक्षा कर रहे थे। इस प्रकार लाहौर में हैवानियत के साथ-साथ इन्सानियत के दर्शन भी एक साथ होते थे। अताउल्लाह की बेटी जैबुन्निसा ने पहले तो देविन्दर लाल को सावधान किया, फिर उसे पत्र लिखा कि त्रासदी के शिकार व्यक्ति की सहायता कर मानव-धर्म का आचरण करना चाहिए। इस तरह प्रस्तुत कहानी की मूल संवेदना मानवतावादी आचरण करने की प्रेरणा देना तथा इसका उद्देश्य मानव-धर्म का सन्देश देना है। कहानीकार उद्देश्य की व्यंजना में सफल रहा है।

प्रश्न 2.
“देश के बँटवारे के समय लाहौर में हैवानियत और इन्सानियत दोनों के दृश्य एक ही छत के नीचे दृष्टिगत होते हैं।” इस कथन के संबंध में अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
समाज में अच्छे-बुरे दोनों प्रकार के लोग रहते हैं। देश की आजादी के समय देश को बँटवारा हुआ तब करोड़ों लोग अपना सब कुछ छोड़कर इधर से उधर हुए। भयंकर साम्प्रदायिक दंगों में लाखों लोगों को निर्दयतापूर्वक मौत के घाट उतार दिया गया। ऐसे समय में रफीकुद्दीन जैसे भले लोग भी थे, जिन्होंने अपने प्राण संकट में डालकर भी शरणागत दूसरे सम्प्रदाय के लोगों की रक्षा करके श्रेष्ठ मानवता की मिसाल पेश की थी।

लाहौर जो पाकिस्तान का सीमावर्ती बड़ा शहर है, उसके मौजंग इलाके की घटना को आधार बनाकर लेखक ने देविन्दर लाल, रफीकुद्दीन, शेख अताउल्लाह, उसकी पुत्री जैबुन्निसा आदि के चरित्र से यह सिद्ध किया है कि बँटवारे के समय एक ही छत के नीचे इन्सानियत और हैवानियत दोनों के दृश्य देखे जा सकते थे। जहाँ अताउल्लाह जैसे लोग शरणागत के प्राण लेने को उतारू थे, तो उसकी पुत्री जैबुन्निसा जैसे इन्सान भी थे जो विपरीत कठिन परिस्थितियों में भी मानव-धर्म का आचरण कर अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में तत्पर थे।

प्रश्न 3.
यदि आप शेख अताउल्लाह के स्थान पर होते तो देविन्दर लाल के साथ कैसा व्यवहार करते? अपनी कल्पना के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
यदि मैं शेख अताउल्लाह के स्थान पर होता तो देविन्दर लाल और उस जैसे अन्य पीड़ित व्यक्तियों की भरसक सेवा और सहायता करता। जो कोई अल्पसंख्यक और मजलूम मेरे देश में देविन्दर लाल की परिस्थितियों में पहुँच जाता, मैं उसे शरणागत के विश्वास पर खरा उतरता। उसे किसी प्रकार की असुविधा, आशंका या भय का शिकार नहीं होने देता। मैं शरणदाता बनकर किसी बेबस इन्सान के साथ ऐसा दगा कदापि नहीं करता जो अताउल्लाह ने देविन्दर लाल को खाने में जहर देकर करने का प्रयास किया। शरणागत की प्राण देकर भी रक्षा करना हमारी संस्कृति रही है और इतिहास में ऐसे अनेक उदाहरण मौजूद हैं। अतः देविन्दर लाल के साथ हमारा व्यवहार एक अतिथि के समान होता जो देवतुल्य होता है।

RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 4 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 4 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
“हम पडौसी की हिफाजत न कर सके तो मुल्क की हिफाजत क्या खाक करेंगे।” यह कथन है –
(क) जैबुन्निसा का
(ख) अताउल्लाह का
(ग) रफीकुद्दीन का
(घ) देविन्दर लाल का
उत्तर तालिका:
(ग) रफीकुद्दीन का

प्रश्न 2.
“आप खुशी से न जाने देंगे तो मैं चुपचाप खिसक जाऊँगा।” यह कथन किसका
(क) शेख अताउल्लाह का
(ख) देविन्दर लाल का
(ग) रफीकुद्दीन का।
(घ) देविन्दर लाल के नौकर सन्तू का
उत्तर तालिका:
(ख) देविन्दर लाल का

प्रश्न 3.
“उन्होंने फिर दो फुलके उठाये और फिर रख दिये। हठात् वे चौंके”- देविन्दर लाल क्यों चौके –
(क) अचानक दंगाई आ गये थे।
(ख) उन्हें अचानक कुछ याद आ गया था।
(ग) बढ़िया खाना देखकर।
(घ) फुलकों की तह के बीच में कागज की पुड़िया देखकर।
उत्तर तालिका:
(घ) फुलकों की तह के बीच में कागज की पुड़िया देखकर।

प्रश्न 4.
देविन्दर लाल को मन ग्लानि से उमड़ गया।” इसका क्या कारण था
(क) देश की बदतर स्थिति देखकर।
(ख) रफ़ीकुद्दीन की मजबूरी को समझकर।
(ग) अताउल्लाह द्वारा भोजन में विष मिला दिये जाने के कारण।
(घ) अपने परिजनों के बारे में सोचकर।
उत्तर तालिका:
(ग) अताउल्लाह द्वारा भोजन में विष मिला दिये जाने के कारण।

RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 4 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
रफीकुद्दीन का आग्रह स्वीकार करने पर भी देविन्दर लाल ने वहाँ रुकने में लाचारी बताते हुए क्या कहा?
उत्तर:
देविन्दर लाल ने रफीकुद्दीन से कहा कि सब लोग तो चले गये। आपके आग्रह पर मैं रुक गया। मुझे आप से डर नहीं है, किन्तु वातावरण भय, आशंका और संदेह का बन गया है। अब यहाँ की फिजाँ बदल गई है। हर कोई एक-दूसरे को शंका और संदेह की दृष्टि से देखता है। लोगों का विश्वास डगमगा गया है। अकारण ही कोई भी किसी का दुश्मन बन जाता है। अतः वहाँ रुकना उनके लिए मुनासिब नहीं है।

प्रश्न 2.
अन्य हिन्दू परिवारों के मौजंग, लाहौर से पलायन कर जाने पर भी देविन्दर लाल वहाँ क्यों रुक गये थे?
उत्तर:
देविन्दर लाल अपने मुसलमान पड़ौसी रफीकुद्दीन, जो उनका दोस्त भी था, उसका आश्वासन पाकर मौजंग में ही रुक गया था। उसने यह तय कर लिया था कि खतरे की कोई बात होगी तो रफीकुद्दीन उन्हें पहले खबर कर देगा और हिफाजत का। इन्तजाम कर देंगे, चाहे कैसे भी हो । देविन्दर लाल की पत्नी तो पहले ही मायके जालंधर गई हुई थी। अतः वह और उनका पहाड़ी नौकर सन्तु मौजंग में ही रुक गये थे।

प्रश्न 3.
“आखिर तो लाचारी होती है-अकेले इन्सान को झुकना ही पड़ता है।” रफीकुद्दीन के इस कथन में जो व्यथा छिपी है, उसे समझाइये।
उत्तर:
रफीकुद्दीन का यह कहना बिल्कुल सही है कि अकेले व्यक्ति को तो भीड़ के सामने झुकना ही पड़ता है। वह अकेला उनसे अपनी बात नहीं मनवा सकता। जब समुदाय के बहुत से लोग दबाव बनाते हैं या दंगाई. लोग धमकी देते हैं तो देविन्दर लाल जैसे शरणागत के शरणदाता रफीकुद्दीन जैसे इन्सान लाचार हो जाते हैं और वे अकेले पड़ जाते हैं, ऐसे में उनका झुकना स्वाभाविक ही है। यह उनकी इच्छा नहीं विवशता है।

प्रश्न 4.
अपने शरणदाता रफीकुद्दीन को उनके समुदाय के लोगों से मिली धमकी के बाद धर्मसंकट की स्थिति में देखकर देविन्दर लाल की क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर:
देविन्दर लाल ने हालात की नजाकत को भाँपते हुए स्पष्ट शब्दों में रफीकुद्दीन से कहा कि मेरी वजह से आपको जलील होना पड़ रहा है और खतरा उठाना पड़ रहा है सो अलग। इसलिए अब आप मुझे जाने दीजिए। मेरी वज़ह से आप जोखिम में न पड़े। आपने जो कुछ किया है उसके लिए मैं आपका शुक्रगुजार एवं अहसानमन्द हूँ। मैं तो अकेला हूँ, कहीं भी निकल जाऊँगा, परन्तु आप घर-परिवार वाले हैं, लोग तबाह करने पर तुले हैं। अतः मुझे जाने दीजिए।

प्रश्न 5.
देविन्दर लाल को घर में रखने की वजह से धमकी मिलने के बाद रफीकुद्दीन ने देविन्दर लाल के प्रति कैसा व्यवहार किया?
उत्तर:
रफीकुद्दीन को धमकी मिलने के बाद वे धर्मसंकट की स्थिति में था। वह स्वयं बहुत लज्जित हो रहा था। देविन्दर लाल के समक्ष नजरें भी नहीं उठा पा रहा था। देविन्दर लाल के यह पूछे जाने पर कि उन लोगों ने क्या कहा, तब जवाब में रफीकुद्दीन ने फिर आँखें झुका लीं। वह देविन्दर लाल को अपने घर में रख भी नहीं सकता था और जाने के लिए भी नहीं कह सकता था, क्योंकि उसने ही देविन्दर लाल को आग्रहपूर्वक जबरदस्ती रोका था। अब वह उनकी हिफाजत भी नहीं कर पा रहा था, इस बात का उसे बड़ा दु:ख था।

प्रश्न 6.
रफीकुद्दीन और देविन्दर लाल ने परस्पर बहस के पश्चात् क्या तय किया था?
उत्तर:
बहस के पश्चात् यह तय हुआ कि देविन्दर लाल वहाँ से कुछ समय के लिए चले जायेंगे। स्वयं रफीकुद्दीन और कहीं पड़ौस में किसी मुसलमान दोस्त के यहाँ छिपकर रहने का प्रबन्ध कर देंगे। उन्हें वहाँ कुछ तकलीफ तो होगी, पर खतरा नहीं। होगा। वहाँ पर रहने से जान तो बचेगी। उसके बाद वहाँ से सुरक्षित निकलने की कोई और उपाय सोचा जायेगा।

प्रश्न 7.
देविन्दर लाल का नया ठिकाना कौनसा था तथा कैसा था?
उत्तर:
रफीकुद्दीन ने अपने मुसलमान दोस्त शेख अताउल्लाह के गैराज के पास बनी कोठरी में देविन्दर लाल के रहने की व्यवस्था करवा दी थी। इस कोठरी के आगे दीवारों से घिरा एक छोटा सा आँगन था। कोठरी में दरवाजे के अलावा खिड़की वगैरह नहीं थी। फर्श कच्चा था, मगर लीपा हुआ था। कोठरी में एक खाट थी और एक लोटा रखा हुआ था। इस प्रकार वह स्थान एक कैदखाने से भी बदतर था।

प्रश्न 8.
“जहाँ बिलार आता है, वहाँ अकेलापन नहीं है।” इस कथन का आशय समझाइयें।
उत्तर:
देविन्दर लाल को शेख अताउल्लाह के गैराज के पास की कोठरी में अकेले रहना था। वहाँ उनका कोई दूसरा साथी नहीं था। उन्हें छिपकर दिन गुजारने थे। ऐसे में जब एक बिलार (बिलाव) उनके पास आया तो उन्होंने अपने मन को समझाते हुए कहा कि जहाँ बिलार आता है, वहाँ अकेलापन नहीं होता है। उन्होंने उसे अपने पास बुलाया और उसी से दोस्ती कर ली। अर्थात् वह परिस्थितियों से समझौता कर रहने लगा।

प्रश्न 9.
यह जानकर कि खाने में जहर मिला हो सकता है, देविन्दर लाल की मनःस्थिति कैसी थी?
उत्तर:
रोटियों के बीच रखे पुर्जे को पढ़कर देविन्दर लाल ने जब यह जाना कि इस खाने में जहर मिला हो सकती है, तो उनका मन और मस्तिष्क सन्न रह गया। वह बेचैन होकर आँगन में टहलने लगा। उसका मन जानता था कि जहर मिलाने का काम पिता ने और सावधान करने का फर्ज पुत्री ने निभाया है। उनके हृदय में केवल जैबू…जैबू…जैबू, यही नाम घूमता रहा। अताउल्लाह की पुत्री जैबुन्निसा के प्रति देविन्दर लाल का लगाव उसकी आवाज सुन-सुन कर पहले से ही हो गया था और अब तो उसने बहुत बड़ा अहसान भी कर दिया था।

प्रश्न 10.
बिलार को जहरीला खाना खिलाने से पूर्व देविन्दर लाल ने उसके प्रति कैसा व्यवहार किया? अपने शब्दों में समझाइये।
उत्तर:
देविन्दर लाल ने बिलार को जहर मिश्रित खाना खिलाने से पूर्व हृदय में क्षमा-याचना को भाव लेकर बहुत अधिक प्यार करते हुए उसे गोद में लेकर पुचकारा तथा उसकी पीठ सहलाता रहा। फिर धीरे-धीरे बोला कि देख बेटा, तुम मेरे मेहमान हो और मैं शेख साहब का मेहमान हूँ। वे जो मेरे साथ करने जा रहे हैं, वही मैं न चाहते हुए भी तुम्हारे साथ करने जा रहा हूँ। इस प्रकार देविन्दर लाल व्यथित मन से मजबूरी में यह सब करने जा रहा था, उससे पहले बड़े प्यार-दुलार से उस मूक प्राणी को पुचकारते रहा तथा मन ही मन क्षमा भी माँगता रहा।

प्रश्न 11.
बिलार की साँसें थम जाने के पश्चात् देविन्दर लाल के मन में उठे विचारों को व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
देविन्दर लाल बिलार का हश्र देखकरे स्तब्ध रह गया था। वह निष्पंदित नेत्रों से अब खाने को देखे जा रहा था। उसके मन में अनेक भावों का उत्थान-पतन चल रहा था। आजादी, भाईचारा, देश-राष्ट्र आदि शब्द उन्हें बेमानी लग रहे थे। ये सब एक छलावा था, धोखा था। उसका आज हकीकत से सामना हो रहा था। एक दोस्त ने जबरदस्ती रोका, कहा था रक्षा करेंगे, पर घर से निकाल दिया। दूसरे ने आश्रय दिया और विष दे दिया। वह सोच रहा था कि क्या यही सब उनके वादे और दोस्ती के मायने थे।

प्रश्न 12.
देविन्दर लाल ने जाना कि दुनिया में खतरा बुरे की ताकत के कारण नहीं, अच्छे की दुर्बलता के कारण है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संसार में बुरे लोगों का जो आतंक या भय व्याप्त है उसका कारण यह नहीं है कि वे शक्तिशाली हैं या बलशाली संगठन वाले हैं, बल्कि इसलिए है कि जो अच्छे लोग हैं, सज्जन या सभ्य नागरिक हैं, वे दुर्बल हैं। उन्होंने अपने आप को सहनशीलता, क्षमा, धैर्य आदि सद्गुणों की ओट में कमजोर बना रखा है। इसी का फायदा असामाजिक तत्त्व उठाते हैं। यही दर्शन देविन्दर लाल के दिलोदिमाग में व्याप्त था। आज वह इस सत्य को अच्छी तरह अनुभव कर रहा था। यही कारण प्रत्यक्ष रूप में मौजूद था कि रफीकुद्दीन जैसे भले लोग लाचार और मजबूर थे।

प्रश्न 13.
देविन्दर लाल अताउल्लाह द्वारा रची गई साजिश से कैसे बच निकले?
उत्तर:
देविन्दर लाल को शरण देने वाले अताउल्लाह स्वयं ही साम्प्रदायिक उन्माद में अन्धे होकर उन्हें खाने में जहर मिलाकर मार देना चाहता था। परन्तु उसकी बेटी जैबुन्निसा ने ही इसकी काट कर दी थी। उसने एक कागज के टुकड़े में लिखकर देविन्दर लाल को सावधान करके जहर मिश्रित खाना खाने से बचा लिया था। जैबुन्निसा की सलाह के अनुसार उसने खाना पहले बिलार को खिलाया। जहर के असर से बिलार ने तुरन्त प्राण त्याग दिये और देविन्दर लाल प्राण बचाकर वहाँ से बच निकली।

प्रश्न 14.
देविन्दर लाल लाहौर छोड़ते समय अपने साथ क्या लेकर गया?
उत्तर:
देविन्दर लाल लाहौर छोड़ते समय अपने सामान में से तो केवल दो-एक कागज, दो-एक फोटो, एक सेविंग बैंक की पासबुक और एक बड़ा सा लिफाफा निकालकर एक शेरवानीनुमा कोट पहनकर गया, परन्तु दिल में गहरे जख्म लेकर गया जो उनके शरणदाता कहलाने वाले लोगों ने दिये। जिन पर उन्होंने विश्वास किया था उन्होंने विष दिया। इस प्रकार वह अपने हृदय में कभी न मिटने वाले घाव लेकर लाहौर से गये।

प्रश्न 15.
“…… घटनाएँ सब अधूरी होती हैं, पूरी तो कहानी होती है।” अज्ञेय के इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अज्ञेय का यह मानना है कि घटनाएँ प्रायः पूर्ण नहीं हुआ करतीं। उनका वांछित परिणाम नहीं निकलता। वे तो कोई देवयोग या काल और प्रकृति के संयोग से घटित हुआ करती हैं, जबकि कहानी पूर्णता लिए होती है। वे तर्क, विवेक और सौंदर्यबोध से युक्त संगति लिए हुए होती हैं। उनमें मानवीय भावनाओं पर आधारित पूर्णता का आनन्द होता है। कहानीकार अपनी एवं पाठकों की भावनाओं के अनुकूल कहानी को अन्त तक पहुँचाता है । देविन्दर लाल के जीवन की लाहौर छोड़ने के बाद की घटना को लेखक ने इसी आधार पर बताना जरूरी नहीं समझा है।

RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 4 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
“यह कभी हो ही नहीं सकता, देविन्दर लाल जी।” यह कथन किसका है? इसमें निहित भावों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यह कथन देविन्दर लाल के पड़ौसी और मित्र रफीकुद्दीन का है। वह अपने मित्र को लाहौर का मौजंग इलाका छोड़कर जाने की बात सुनकर पूर्ण आत्मविश्वास और आग्रह का भाव लिए हुए यह कहता है कि हमारे होते हुए आपको अपना घर-बार छोड़कर जाना पड़े, ऐसा हो ही नहीं सकता। यद्यपि उसके आग्रह करने में कुछ चिन्ता और व्यथा का भाव भी मिश्रित था, फिर भी वह पूर्ण विश्वास के साथ कहता है कि आप अपने ही शहर में पनाहगर्जी (शरणार्थी) बनकर नहीं रह सकते। हम आपको जाने न देंगे, जबरदस्ती रोक लेंगे। आपकी सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी है। इस प्रकार अल्पसंख्यक वर्ग के देविन्दर लाल को रफीकुद्दीन पूरा भरोसा दिलाकर मौजंग का अपना घर छोड़कर जाने से रोक लेता है तथा उसकी रक्षा का पूरा प्रयास भी करता है। रफीकुद्दीन के इस कथन में निष्कपट मित्रता एवं मानवतावादी भावों का समावेश है।

प्रश्न 2.
बँटवारे के समय देविन्दर लाल के पड़ौस के हिन्दू परिवारों की मानसिक स्थिति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर;
बँटवारे के समय बहुत ही अविश्वास, अनिश्चय और असमंजसपूर्ण माहौल था। भारत और पाकिस्तान दोनों तरफ ही अल्पसंख्यकों की स्थिति एक जैसी थी। लाहौर में मौगंज में देविन्दर लाल के पड़ौस के हिन्दू परिवारों के लोगों से जब उनका साक्षात् होता है तो वह पूछते’कहो लालाजी (या बाऊजी या पंडज्जी) क्या सलाह बणायी है आपने?” और वह उत्तर देते, “जी सलाह क्या बणाणी है। यहीं रह रहे हैं, देखी जायेगी।” पर शाम को या अगले दिन सवेरे देविन्दर लाल देखते हैं कि वही चुपचाप जरूरी सामान लेकर कहीं खिसक गये हैं, कोई लाहौर से बाहर और कोई लाहौर में ही हिन्दुओं के मोहल्ले में। इस प्रकार अल्पसंख्यक हिन्दू लोग असमंजस में, अनिश्चय में, आशंका से ग्रस्त और अविश्वास से भरे हुए थे। वे सभी असुरक्षा से ग्रस्त एवं आत्मरक्षा के लिए सचेष्ट थे।

प्रश्न 3.
”मैं तो इसे मेजारिटी का फर्ज मानता हूँ कि वह माइनारिटी की हिफाजत करे।”रफीकुद्दीन के इस कथन के संदर्भ में वस्तुस्थिति को स्पष्ट कीजिए कि क्या बहुसंख्यकों ने अल्पसंख्यकों की हिफाजत की थी?
उत्तर:
विभाजन के समय दोनों ही ओर ऐसी अनेक घटनाएँ हुई थीं जहाँ बहुसंख्यक समुदाय ने अल्पसंख्यकों की हिफाजत की थी। उन्होंने जी-जान से उनको सुरक्षित रखते हुए खाने-पीने व रहने का प्रबन्ध किया तथा उनकी सुरक्षित रवानगी की व्यवस्था भी की। कई लोगों ने अपने प्राण गंवाकर भी शरणार्थियों की रक्षा की थी। दूसरे वे लोग भी बहुत थे जिन्होंने दंगे फैलाएँ, लूट-पाट, मार-काट और आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया। असामाजिक दंगाइयों ने बेरहमी से अल्पसंख्यक पीड़ितों पर अत्याचार किये। दोनों तरफ ही ऐसी असंख्य घटनाएँ हुई थीं। इस साम्प्रदायिक हिंसा में लाखों की संख्या में निर्दोष लोग मारे गये थे। फिर भी करोड़ों अल्पसंख्यकों का सुरक्षित इधर से उधर आना-जाना बहुसंख्यकों की कर्तव्यपरायणता का ही परिणाम था कि उन्होंने अल्पसंख्यकों की हिफाजत की।

प्रश्न 4.
विभाजन के समय लाहौर के वातावरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
विभाजन के समय लाहौर शहर का वातावरण द्वेष, घृणा और हिंसा से विषाक्त हो गया था। साम्प्रदायिक संगठनों द्वारा वातावरण को भयानक बना दिया गया था। शहर तो लगभग वीरान हो गया था। जहाँ-तहाँ लाशें सड़ रही थीं, अल्पसंख्यकों के घर और दुकानें लुट चुकी थीं और उन्हें जला दिया गया था। सब जगह भय, आशंका और अनिश्चितता की स्थिति थी। गुण्डे, बदमाश और असामाजिक तत्त्वों के सामने शरीफ लोग लाचार और मजबूर थे। पुलिस और नौकरशाही भी अधिकतर नकारात्मक भूमिका में दिखाई देती थी। धोखे और विश्वासघात की घटनाएँ बढ़ती जा रही थीं। कहीं-कहीं । सद्भावना और सहयोग का माहौल भी दिखाई देता था, परन्तु वह भी डरा, सहमा और आशंकित-सा प्रतीत होता था।

प्रश्न 5.
लेकिन खुदा जिसे घर से निकालता है, उसे फिर गली में भी पनाह नहीं देता।”देविन्दर लाल पर यह कथन किस प्रकार घटित होता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लेखक का यह कहना यथार्थ ही है कि जिसे ईश्वर ही घर से निकाल देता है, उसे फिर कहीं शरण नसीब नहीं होती। देविन्दर लाल अपने दोस्त के आग्रह पर अकेले मौजंग में रुक गया था। जब वहाँ भी दंगाई आ पहुँचे तो उसे चुपचाप रफीकुद्दीन के घर शरण लेनी पड़ी। जब दोनों के बीच शहर और देश के बारे में बातचीत होती तों देविन्दर लाल को लगने लगा कि रफीकुद्दीन की बातों में कुछ चिन्ता, पीड़ा, लाचारी, पराजय आदि के भाव झलकने लगे हैं। आखिर लोगों के दबाव में आकर उसे दोस्त का घर छोड़ना पड़ा और दोस्त के दोस्त शेख अताउल्लाह के यहाँ छिपकर शरण लेनी पड़ी। वहाँ पर भी शरणदाता अताउल्लाह ने खाने में जहर देकर उन्हें मारने की कोशिश की और देविन्दर लाल को वहाँ से प्राण बचाकर भागना पड़ा। अतः कहा जा सकता है कि कहानीकार को उक्त कथन पूर्णत: सही है।

प्रश्न 6.
“द्वेष, घृणा और साम्प्रदायिकता की आग ने जहाँ लोगों के तन ही नहीं आत्मा को भी झुलसा दिया था, ऐसे में कुछ मन को सुकून देने वाले दृश्य भी देखने को मिले जिन्होंने मरहम लगाने का काम किया।” ऐसे किसी उदाहरण का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
हैवानियत की असंख्य घटनाओं के बीच कुछ ऐसे लोग और संगठन भी थे जो पीड़ित मानवता की सेवा और रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी लगाने को भी तैयार थे। मिसाल के तौर पर हिन्दुस्तान-पाकिस्तान की अनुमानित सीमा के पास एक गाँव में कई सौ मुसलमानों ने सिक्खों के गाँव में शरण पाई थी। अन्त में जब आस-पास के कई गाँवों और अमृतसर के लोगों के दबाव में उन लोगों के लिए संकट की स्थिति पैदा हो गई, तब गाँव के लोगों ने अपने मेहमानों को अमृतसर पहुँचाने का निर्णय किया, जहाँ से वे सुरक्षित मुसलमान इलाके में जा सकें। तब लगभग ढाई सौ लोगों ने कृपाणे निकालकर उन्हें घेरे में लेकर स्टेशन पहुँचाया। किसी भी व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुँची। यह इन्सानियत और सद्भाव का आनन्ददायी दृश्य था। इस घटना ने साम्प्रदायिक उन्माद रूपी आग से झुलसे लोगों पर मरहम लगाने का काम किया था और मानवता का श्रेष्ठ उदाहरण सामने पेश किया था।

प्रश्न 7.
रफीकुद्दीन और उसके घर मिलने आये छः-सात लोगों के बीच क्या बातचीत हुई होगी? कल्पना के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
रफीकुद्दीन और उन लोगों के बीच करीब दो घण्टे तक बन्द कमरे में बातचीत हुई। देविन्दर लाल को कुछ शब्द-बेवकूफी, गद्दारी, इस्लाम आदि सुनाई पड़े। इनके आधार पर तथा माहौल के अनुसार अनुमान लगाया जा सकता है कि उन लोगों ने रफीकुद्दीन से कहा होगा कि ”तुमने एक काफिर को अपने घर में पनाह देकर बड़ी बेवकूफी का काम किया है। तुम्हारी यह हरकतें पूरी मुसलमान कौम और अपने मुल्क के साथ गद्दारी है। तुम्हारा यह गैर-जिम्मेदाराना कदम इस्लाम के खिलाफ है।” रफीकुद्दीन ने भी अपने फर्ज, दोस्ती, इन्सानियत, पनाहगर्जी की हिफाजत आदि बातें कहकर अपना पक्ष मजबूती के साथ रखा होगा।

प्रश्न 8.
देविन्दर लाल शेख अताउल्लाह के गैराज के पास बनी कोठरी में सामान रखकर उसके आँगन में हतबुद्धि क्यों खड़े हो गये?
उत्तर:
देश की आजादी के साथ ही विभाजन की विनाशलीला ने लोगों को फिर एक बार बुरे हालात में डाल दिया था। देविन्दर लाल जैसे करोड़ों लोग बेघर होकर अपने ही इलाकों में छिपकर या कैद होकर रहने को मजबूर हो गये थे। देविन्दर लाल को अताउल्लाह के यहाँ कोठरी में छिपाकर रखा गया। ऊँची दीवारें, बन्द ताले, चुपचाप रहना, यह सब देखकर देविन्दर लाल हतबुद्धि खड़े रहे। सोचने लगे क्या यही आजादी है। पहले विदेशी अंग्रेज सरकार आजादी की लड़ाई लड़ने वालों को कैद कर रखना चाहती थी। अब अपने ही भाई, अपने लोगों को तनहाई (एकान्त) की कैद दे रहे हैं। इस प्रकार साम्प्रदायिक कट्टरता और बड़े नेता लोगों के राजनीतिक स्वार्थों के कारण पैदा हुए इन हालातों से देविन्दर लाल जैसे करोड़ों लोगों का यही हाल हुआ था।

प्रश्न 9.
देविन्दर लाल को अताउल्लाह की कोठरी में रहना सरकारी कैद से भी बदतर क्यों लगा?
उत्तर:
देविन्दर लाल ने सुन रखा था तथा कुछ पढ़ भी रखा था कि सरकारी कैद में कैदियों को कुछ सुविधाएँ भी मुहैया करायी जाती हैं। परन्तु वे जिस कोठरी में ठहरे हुए थे उसके हालात तो बिल्कुल खराब थे। वे एक ताला लगी चारदीवारी और दुर्गन्ध से भरी कोठरी में लगभग अँधेरे में रहने को विवश थे। नहाने को पानी नहीं था, शौच के लिए केवल एक छोटा गड्ढा और चूना मिली मिट्टी का ढेर था। रोशनी नहीं थी, पढ़ने को किताबें नहीं थीं वहाँ बातचीत करने के लिए कोई साथी नहीं था। गाना-चिल्लाना भी। नहीं हो सकता था, क्योंकि चुपचाप छिपकर रहना पड़ रहा था। सरकारी जेलों की तरह वहाँ चिड़िया, कबूतर, गिलहरी, बिल्ली आदि भी दोस्ती करने के लिए पर्याप्त नहीं थे। अँधेरी कोठरी में मच्छरों का बाहुल्य था । दिन छिपने के वक्त केवल एक बार दोनों समय के लिए खाना आता था और पानी के लोटे भर दिये जाते थे। इस प्रकार यह कैद तो सरकारी कैद से भी बदतर थी।

प्रश्न 10.
अताउल्लाह की कोठरी में देविन्दर लाल किस प्रकार समय व्यतीत करते थे? .
अथवा
शेख अताउल्लाह की शरण में रह रहे देविन्दर लाल की दिनचर्या का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
देविन्दर लाल को शाम के समय दोनों वक्त का खाना दे दिया जाता था, जिसे वे एक ही वक्त में डटकर खा लेते थे और बचा हुआ खाना बिलार को खिला देते थे। बिलार उनसे हिल गया था, वह वहीं इधर-उधर मँडराता-खेलता रहता था। रात अधिक हो जाने पर देविन्दर काल कोठरी में पड़ी खाट परं सो जाते थे। सुबह उठकर आँगन में कुछ वर्जिश कर लेते थे, ताकि शरीर ठीक रहे। शेष दिन कोठरी में बैठे कभी कंकड़ों से खेलते, कभी आँगन की दीवार पर बैठी गौरेया को देखते, कभी दूर से आती कबूतरों की गुटरगूं सुनते तो कभी शेख साहब के घर के लोगों की बातचीत भी सुनाई पड़ जाती थी। उनकी अलग-अलग आवाज को भी वह पहचानने लगे थे। इस प्रकार देविन्दर लाल अपना पूरा वक्त व्यतीत करते थे।

प्रश्न 11.
शेख अताउल्लाह के यहाँ शरणार्थी रहते हुए देविन्दर लाल को किस चीज से और क्यों लगाव हो गया था?
उत्तर:
देविन्दर लाल को शेख अताउल्लाह की बेटी जैबुन्निसा की आवाज से लगाव हो गया था। वह घर की जवान लड़की थी। उसकी आवाज मन्द एवं मधुर सुनाई देती थी। उसकी आवाज से अन्दाज लग गया था कि वह विनीत एवं कोमल स्वभाव की है। इसीलिए देविन्दरलाल अपने मन में उठने वाली रोमानी भावनाओं के लिए अपने आप को झिड़क भी लेता था। वह खाना खाते वक्त यह भी सोचता कि खाने में कौनसी चीज किसके हाथ से बनी होगी तथा किसने परोसा होगा। परोसना शायद जैबुन्निसा के जिम्मे था। यही सब सोचते-सोचते देविन्दर लाल खाना खाता और कुछ ज्यादा ही खा लेता था। इस प्रकार कहा जा सकता है कि देविन्दर लाल को घर की विनम्र स्वभाव वाली युवती जैबुन्निसा की आवाज से लगाव हो गया था। जैबुन्निसा भी केवल विनीत ही नहीं, इन्सानियत के अनेक गुणों से युक्त युवती थी, जो कहानी के घटनाक्रमों से स्पष्ट हो जाता है।

प्रश्न 12.
“घने बादल से रात नहीं होती, सूरज के निस्तेज हो जाने से होती है।”? इस पंक्ति में निहित भाव को समझाइये।
उत्तर:
लेखक का मन्तव्य है कि समाज में बुराई की व्यापकता सिर्फ इसलिए नहीं है कि वही घनीभूत है या संगठित और शक्तिसम्पन्न है, बल्कि इसलिए है कि भलाई साहसहीन है। संसार में रात्रि केवल घने बादलों के छा जाने से नहीं होती, बल्कि सूर्य के तेजहीन हो जाने के कारण होती है। भाव यह है कि जब अच्छे विचारवान लोग कमजोर पड़ जाते हैं या उनमें बुराइयों का सामना करने की शक्ति नहीं रहती है, तभी ये विनाशकारी बुराइयाँ परिवेश पर हावी हो जाती हैं। कहानी के पात्र देविन्दर लाल और रफीकुद्दीन भले और समझदार व्यक्ति होते हुए भी बुरी ताकतों से मुकाबला करने में अक्षम साबित होते हैं। इसी प्रकार जैबुन्निसा अच्छाई की पक्षधर है, परन्तु बुराई के प्रतीक अपने पिता अताउल्लाह के षड्यन्त्र का खुलेआम विरोध करने का उसमें साहस नहीं है।

प्रश्न 13.
”तब उन्हें एक दिन लाहौर की मुहर वाली एक छोटी सी चिट्ठी मिली थी।” यह चिट्टी किसकी थी तथा इसमें क्या लिखा था?
उत्तर:
यह चिट्टी जैबुन्निसा ने देविन्दर लाल को लिखी थी। उसमें लिखा था कि आप बचकर चले गये, इसके लिए खुदा का लाख-लाख शुक्र है। मैं मानती हैं कि रेडियो पर जिनके नाम की अपील की है, वे सब सलामती से आपके पास पहुँच जायें। वह अपने पिता की करतूत के लिए क्षमा याचना करती हुई यह याद भी दिलाती है कि उसकी काट भी उसी ने रोटियों के बीच कागज में सन्देश भेजकर कर दी थी। वह आगे कहती है कि मैं आप पर कोई अहसान जताना नहीं चाहती, केवल एक प्रार्थना करती हूँ। कि आपके मुल्क में कोई मजलूम अल्पसंख्यक हो तो आप याद कर लीजिएगा। इसलिए नहीं कि वह मुसलमान है, बल्कि इसलिए कि आप एक इन्सान हैं। यह मानवता और सद्भाव से भरी चिट्टी जैबुन्निसा के चरित्र की महानता को भी प्रकट करती है, साथ ही अपने मानवतावादी संदेश द्वारा कहानी के उद्देश्य को भी प्रकट करती है।

प्रश्न 14.
कहानी के तत्त्वों के आधार पर ‘शरणदाता’ कहानी की समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
‘शरणदाता’ कहानी देश की आजादी के साथ मिली विभाजन की भयानक त्रासदी पर आधारित है। इसमें कथा-तत्त्वों का भलीभाँति समावेश और सामञ्जस्य हुआ है जो इस प्रकार है

  1. कथानक – ‘शरणदाता’ कहानी का कथानक देश के विभाजन की घटना पर आधारित सुसंगठित एवं कौतूहलपूर्ण है।
  2. पात्र या चरित्र इस कहानी के प्रमुख पात्र देविन्दर लाल, रफीकुद्दीन, जैबुन्निसा, अताउल्लाह आदि हैं जो कथानक के अनुसार चित्रित किये गये हैं।
  3. संवाद या कथोपकथन – संवाद इस कहानी में परिस्थिति एवं घटना के अनुकूल एवं प्रभावपूर्ण है।
  4. भाषा – शैलीशरणदाता’ कहानी की भाषा पात्रानुकूल उर्दू शब्दावली से युक्त है एवं शैली रोचकता, सजीवता और संकेतात्मकता से युक्त है।
  5. वातावरण वातावरण – सृष्टि की दृष्टि से प्रस्तुत कहानी को पूर्णत: सफल कहा जा सकता है। इसमें विभाजन के समय के हालातों का सूक्ष्म अंकन हुआ है।
  6. उद्देश्य ‘शरणदाता’ कहानी अपनी मूल संवेदना विभाजन के भयावह दृश्यों एवं घटनाओं को प्रस्तुत करते हुए शरणागत की रक्षा, साम्प्रदायिक सद्भाव, मानवता की सेवा आदि का संदेश देने में पूर्णरूपेण सफल रही है।

प्रश्न 15.
देविन्दर लाल के चरित्र की प्रमुख विशेषताओं को संक्षेप में बताइये।
उत्तर:
देविन्दर लाल शरणदाता’ कहानी का प्रमुख पात्र या नायक है। वह लाहौर के मौजंग इलाके में रहता है। उसके चरित्र की प्रमुख विशेषताओं को निम्नांकित बिन्दुओं में समझा जा सकता है

  1. आदर्श मित्र – देविन्दर लाल और रफीकुद्दीन अच्छे मित्र हैं जो एक-दूसरे की बात मानते हैं तथा सुख-दु:ख के साथी हैं।
  2. सहज विश्वासी एवं सरल हृदय देविन्दर लाल अपने मित्र एवं अन्य व्यक्तियों की बातों को सहज ही मानता है तथा तदनुकूल आचरण भी करता है।
  3. मातृभूमि से प्रेम – देविन्दर लाल अपनी जन्मभूमि लाहौर से बहुत प्रेम करता है। सब लोगों के चले जाने पर भी वह वहीं रहने का प्रयास करता है।
  4. वह शिष्ट – शालीन और समझदार व्यक्ति है।
  5. वह संवेदनशील और कोमल हृदय वाले हैं।
  6. देविन्दर लाल के चरित्र में निडरता का गुण भी बहुत अधिक रूप में परिलक्षित होता है।
  7. वह साम्प्रदायिक सद्भाव का पक्षधर एवं स्नेही व्यक्ति है।

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि देविन्दर लाल का चरित्र अनेक गुणों का भण्डार है, हम उन्हें एक आदर्श व्यक्ति कह सकते हैं।

प्रश्न 16.
रफीकुद्दीन एक वफादार मित्र और जिम्मेदार नागरिक हैं।” इस कथन की समीक्षा करते हुए रफीकुद्दीन के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
अथवा
रफीकुद्दीन के चरित्र के महत्त्वपूर्ण गुणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
अज्ञेय जी की शरणदाता कहानी के दूसरे प्रमुख पात्र रफीकुद्दीन पेशे से वकील हैं। वे देविन्दर लाल के मित्र हैं। इनके चरित्र की महत्त्वपूर्ण विशेषताओं को निम्नलिखित बिन्दुओं में अभिव्यक्त किया जा सकता है

  1. वफादार मित्र रफीकुद्दीन देविन्दर लाल का घनिष्ठ एवं वफादार मित्र है। आत्मीयता के कारण ही वह उसे उन्हें वहाँ से जाने से रोकते हैं तथा उसकी हिफाजत तथा रहने का पूर्ण प्रबन्ध करता है।
  2. जिम्मेदार नागरिक – वह एक प्रतिष्ठित एवं जिम्मेदार शहरी है। लाहौर में उनका मान-सम्मान है।
  3. साम्प्रदायिक सद्भाव के प्रतीक रफीकुद्दीन अपने हिन्दू मित्र को अपने घर में शरण देकर साम्प्रदायिक सद्भाव की मिसाल पेश करता है।
  4. वह संघर्षशील, विचारशील एवं दृढ़निश्चयी व्यक्ति है।
  5. रफीकुद्दीन का व्यक्तित्व आत्मविश्वास से परिपूर्ण है।
  6. उसका हृदय संवेदनशील तथा वक्त की नजाकत को समझने वाला है।

संक्षिप्त में यही कहा जा सकता है कि रफीकुद्दीन एक प्रभावशाली एवं प्रेरणादायी व्यक्तित्व के धनी हैं।

प्रश्न 17.
“जैबुन्निसा का चरित्र ‘शरणदाता’ कहानी के कथ्य या उद्देश्य को साकार करने वाला है।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जैबुन्निसा एक विनम्र स्वभाव और कोमल चित्त वाली युवती है। वह देविन्दर लाल के मित्र रफीकुद्दीन के दोस्त अताउल्लाह की बेटी है। उसके चरित्र की प्रमुख विशेषता मानव-धर्म का पालन करते हुए साम्प्रदायिक सद्भाव को बनाये रखना तथा शरणागत की रक्षा करना है। प्रस्तुत कहानी में देविन्दर लाल के शरणदाता उसके पिता जब षड्यन्त्रपूर्वक उसके प्राण लेना चाहते हैं, तब वही जैबुन्निसा उनकी रक्षा करने के लिए कागज में संदेश लिखकर भेजती है।

जब उसे दिल्ली रेडियो से सूचना प्राप्त होती है कि देविन्दर लाल बचकर सकुशल दिल्ली पहुँच गया है तो वह खुशी जाहिर करते हुए ईश्वर का धन्यवाद करती है। तत्पश्चात् चिट्टी द्वारा देविन्दरं लाल के सकुशल होने की खुशी व्यक्त करती हुई वह उनसे बहुत महत्त्वपूर्ण अपील करती है कि यदि आपके मुल्क में कोई पीड़ित अल्पसंख्यक हो तो आप इन्सान होने के नाते उसकी हिफाजत करना। इस प्रकार जैबुन्निसा का चरित्र मानवीय मूल्यों से युक्त, कोमल, संवेदनशील, पवित्र एवं साम्प्रदायिक सद्भावों का पोषक है। कहानी में जैबुन्निसा को एक आदर्श पात्र के रूप में चित्रित किया गया है।

शरणदाता लेखक परिचय

सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ का जन्म सन् 1911 में कसियाँ, जिला देवरिया में हुआ था। हिन्दी गद्य की नवीन विधाओं के लेखन में इनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। ये विशाल भारत, सैनिक और प्रतीक के सम्पादक रहे। हिन्दी में प्रयोगवादी काव्यधारा के प्रवर्तक रहे। उन्होंने आकाशवाणी और सेना में भी नौकरी की। इन्होंने देश-विदेश की अनेक यात्राएँ कीं। इन्होंने उपन्यास, कहानी, यात्रा वर्णन, रिपोर्ताज, संस्मरण, रेखाचित्र, डायरी, निबन्ध, कविता आदि अनेक विधाओं में रचना की।

प्रसिद्ध रचनाएँ ‘शेखर एक जीवनी’ (दो भाग), ‘नदी के द्वीप’, ‘अपनेअपने अजनबी’ (उपन्यास), ‘अरे यायावर रहेगा याद’, ‘एक बूंद सहसा उछली’ व ‘आत्मनेपद’ (निबन्ध संग्रह)।’ हरि घास पर क्षण भर’, ‘बावरा अहेरी’, ‘आँगन के पार द्वार’ (कविता संग्रह), ‘विपथगा’ ‘कोठरी की बात’, ‘जयदोल’, ‘ये तेरे प्रतिरूप’, ‘शरणार्थी’, ‘परम्परा’ (कहानी संग्रह) प्रकाशित हुए हैं।

पाठ-सार

अज्ञेय की ‘शरणदाता’ कहानी आजादी के साथ देश के विभाजन की त्रासदी से जुड़ी कहानी है। इसमें लेखक ने साम्प्रदायिक सद्भाव और आपसी भाईचारा बनाये रखने की प्रेरणा दी। कहानी का सार इस प्रकार है रफीकुद्दीन द्वारा देविन्दर लाल को रोकना-लाहौर में देविन्दर लाल और रफीकुद्दीन अच्छे दोस्त और पड़ौसी थे। देश के बंटवारे के कारण लोग अपना घर-बार छोड़कर इधर से उधर जाने को विवश थे और दंगे, हिंसा, आगजनी आदि की घटनाएँ हो रही थीं। ऐसे में रफीकुद्दीन ने आग्रह करके देविन्दर लाल को अपना कीमती सामान लेकर अपने घर में रहने के लिए बुला लिया था।

मौजंग में हुड़दंग फैलना-लाहौर में उस दिन तीसरे प्रहर दंगाइयों ने मौजंग में भी हुड़दंग मचा दिया। देविन्दर लाल के घर को ताले तोड़ कर लूटा गया और आग लगा दी गई। कहीं अल्पसंख्यक शरणार्थियों को मौत के घाट उतारा जा रहा था तो कई जगह शरणदाता अपने प्राण गंवाकर भी शरणार्थियों की हिफाजत कर रहे थे।

रफीकुद्दीन पर देविन्दर लाल को घर से निकालने का दबाव-देविन्दर लाल को घर में रखने की बात से खफा लोगों ने रफीकुद्दीन को भी मजबूर कर दिया। उसे धमकाया गया कि उसे घर में न रखे वरना उसके घर को आग लगा दी जायेगी। तब रफीकुद्दीन ने दोस्ती का फर्ज निभाते हुए उनको अपने दोस्त शेख अताउल्लाह के गैराज के पास एक कोठरी में ठहरा दिया।

देविन्दर लाल को जहर देकर मारने की कोशिश—देविन्दर लाल को अंधेरी और एकान्त कोठरी में चुपचाप रहना पड़ रहा था। उसे अताउल्लाह के घर से खाना मिलता था। एक खाना आया तो जैबुन्निसा द्वारा भेजा गया एक कागज का टुकड़ा निकला जिस पर लिखा था, ‘खाना कुत्ते को खिलाकर खाना।’ देविन्दर लाल ने बिलार को खाना खिलाया तो जहर के प्रभाव से वह तुरन्त मर गया।

देविन्दर लाल का दिल्ली में रेडियो पर अपील कराना–खाने में जहर की घटना से व्यथित देविन्दर लाल अपने कुछ कागजात, फोटो आदि लेकर रात में वहाँ से चुपचाप भाग गया और डेढ़ महीने बाद दिल्ली पहुँचकर उसने रेडियो पर अपने परिजनों के लिए नाम, पते सहित घोषणा करवायी। यह सुनकर जैबुन्निसा ने देविन्दर लाल को चिट्ठी लिखी। उनके सुरक्षित दिल्ली पहुँचने की खुशी जाहिर की और पिता द्वारा जहर दिये जाने के लिए माफी माँगी। साथ में उसने देविन्दर लाल से प्रार्थना की कि आपके मुल्क में भी कोई अल्पसंख्यक पीड़ित हो तो आप इन्सानियत की खातिर उसकी हिफाजत करना।

RBSE Solutions for Class 11 Hindi

Share this:

  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window)
  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on Facebook (Opens in new window)

Related

Filed Under: Class 11 Tagged With: RBSE Solutions for Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 4 शरणदाता

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Rajasthan Board Questions and Answers

Recent Posts

  • RBSE Solutions for Class 11 Drawing in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 11 Hindi Sahitya कक्षा 11 हिंदी साहित्य अन्तरा, अन्तराल
  • RBSE Solutions for Class 11 English Literature Woven Words, Julius Caesar & The Guide
  • RBSE Solutions for Class 11 English Compulsory (English Course) Hornbill & Snapshots
  • RBSE Solutions for Class 11 Geography in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 12 Accountancy in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 11 Home Science in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 8 Our Rajasthan in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 7 Our Rajasthan in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 6 Our Rajasthan in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 11 History in Hindi Medium & English Medium

Footer

RBSE Solutions for Class 12
RBSE Solutions for Class 11
RBSE Solutions for Class 10
RBSE Solutions for Class 9
RBSE Solutions for Class 8
RBSE Solutions for Class 7
RBSE Solutions for Class 6
RBSE Solutions for Class 5
RBSE Solutions for Class 12 Maths
RBSE Solutions for Class 11 Maths
RBSE Solutions for Class 10 Maths
RBSE Solutions for Class 9 Maths
RBSE Solutions for Class 8 Maths
RBSE Solutions for Class 7 Maths
RBSE Solutions for Class 6 Maths
RBSE Solutions for Class 5 Maths
Target Batch
RBSE Class 11 Political Science Notes
RBSE Class 11 Geography Notes
RBSE Class 11 History Notes

Copyright © 2022 RBSE Solutions