Rajasthan Board RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 7 एटम बम
RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 7 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 7 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
“मुझे क्यों मारा? मुझे क्यों मारा?”वह जोर-जोर से चीख रहा था। वह कौन था –
(क) नर्स।
(ख) सुजुकी
(ग) कोबायाशी
(घ) कोई नहीं
उत्तरं तालिका:
(घ) कोई नहीं
प्रश्न 2.
‘एटम बम’ किस शहर पर गिराया गया था –
(क) हिरोशिमा
(ख) नागासाकी
(ग) क व ख दोनों
(घ) येक्यो
उत्तरं तालिका:
(ग) क व ख दोनों
प्रश्न 3.
“यह वक्त इन बातों का नहीं है …… हमें जिन्दगी को बचाना है। यह हमारी पेशा है, फर्ज है।” यह किसने कहा
(क) नर्स ने।
(ख) डॉक्टर ने
(ग) कोबायाशी ने
(घ) मरीज ने।
उत्तरं तालिका:
(क) नर्स ने।
RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 7 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
एटम बम कहानी का मुख्य पात्र कौन है?
उत्तर:
एटम बम कहानी का मुख्य पात्र कोबायाशी है।
प्रश्न 2.
कोबायाशी हठ के साथ अपनी आँखें क्यों खोले रहा?
उत्तर:
कोबायाशी का दम घुटने लगा था, वह एटमबम से हुई विनाशलीला को देखना चाहता था, इसीलिए वह हठ के साथ अपनी आँखें खोले रहा।
प्रश्न 3.
अस्पताल के इंचार्ज डॉक्टर का क्या नाम था? वे क्यों हार चुके थे?
उत्तर:
अस्पताल के इंचार्ज डॉक्टर का नाम सुजुकी था। दो दिन से बिना खायेपिये, बिना आराम किये वे घायलों की चीख, पुकार, कराह और शोर के बीच उनका इलाज करते हुए थक चुके थे।
प्रश्न 4.
कोबायाशी ने शहजादे की तरह पाल-पोस कर किसे बड़ा किया था?
उत्तर:
कोबायाशी ने अपने छोटे भाई को शहजादे की तरह पाल-पोस कर बड़ा किया था।
प्रश्न 5.
कोबायाशी ने अपनी प्यास बुझाने के लिए क्या किया?
उत्तर:
कोबायाशी ने प्यास बुझाने के लिए अपने आँसुओं से गीली अंगुलियों को जीभ से चाट लिया।
RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 7 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
चेतना लौटने के बाद कोबायाशी ने अपने चारों ओर किस प्रकार का वातावरण देखा?
उत्तर:
कोबायाशी ने चेतना लौटने के बाद साँस में गंधक की तरह तेज बदबूदार और दम घुटने वाली हवा को महसूस किया। जब उसने आँखें खोली तो गहरे कुहासे की तरह दम घुटने वाला जहरीला धुआँ हर तरफ छाया हुआ था। हवा में काले-काले ज़रे भरे हुए थे। अस्पताल की दीवार, दरवाजे का फाटक टूट कर गिर चुके थे। सब तरफ खण्डहर और मिट्टी तथा दूर तक वीरान दुनिया दिखाई दे रही थी।
प्रश्न 2.
युद्ध के संबंध में कोबायाशी के विचार लिखिए।
उत्तर:
कोबायाशी सोच रहा था कि ये भयानक युद्ध क्यों लड़ा जा रहा है। अमीरों और अफसरों के अतिरिक्त कौन ऐसा आदमी था जो यह युद्ध चाहता था। वह विचार करता है कि मैंने ऐसा कौन सा अपराध किया था जिसकी यह सजा मुझको मिल रही है। शक्तिशाली देश कमजोर राष्ट्रों को तबाह करने पर तुले हुए हैं। दुनिया में जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। ये युद्ध दुनिया को तबाह कर देंगे।
प्रश्न 3.
सुजुकी ने युद्ध के विरुद्ध अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए क्या कहा?
उत्तर:
डॉ. सुजुकी ने एटम बम के शिकार लोगों की दशा देखकर अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि बादशाह और वजीर हार क्यों नहीं मान लेते। क्या अपनी झूठी शान के लिए जापान को तबाह कर देंगे। उन्हें शत्रुओं पर क्रोध आ रहा था कि इन निर्दोष लोगों को क्यों मारा। इन पर एटम बम क्यों गिराये गये । विज्ञान की शक्ति को आजमाने के लिए लाखों बेगुनाह लोगों की जान क्यों ली गई। क्या यही धर्म युद्ध है। ये इन्सानियत के दुश्मन अपनी जिद के लिए इन्सान को तबाह करके छोड़ेंगे।
प्रश्न 4.
अस्पताल की ध्वस्त दीवार के साथ कोबायाशी की कौनसी स्मृति जुड़ी थी?
उत्तर:
अस्पताल की ध्वस्त दीवार से उसे याद आया कि वह अभी-अभी अपनी पत्नी को भर्ती करा कर आया था। उसके बच्चा होने वाला था। नयी जिन्दगी आने वाली थी। आज सवेरे से उसके दर्द उठ रहे थे। डॉक्टर ने कहा था कि बाहर जाकर इन्तजार करो और वह बाहर सड़क पर सिगरेट पीते हुए टहलने लगा था। आज उसने काम से छुट्टी ले रखी थी और वह बहुत खुश था।
प्रश्न 5.
एटम बम कहानी का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
अमृत लाल नागर ने ‘एटम बम’ कहानी के माध्यम से दुनिया को यह संदेश दिया है कि विज्ञान की शक्ति को विनाशकारी कार्यों में न लगाकर मानव कल्याण के लिए निर्माणकारी बनाना चाहिए। युद्धों की भयानकता को देखते हुए दुनिया के देशों को युद्ध का मार्ग त्याग कर आपसी बातचीत से समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए। विज्ञान की विनाशक शक्ति को अपनी जिद को पूरा करने या नाक ऊँची रखने के लिए कदापि नहीं करना चाहिए।
RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 7 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
‘हिरोशिमा दिवस’ पर आप एक युद्ध विरोधी सभा की अध्यक्षता करते हुए किन विचारों को प्रकट करेंगे?
उत्तर:
‘हिरोशिमा दिवस’ पर आयोजित सभा में अध्यक्ष के रूप में अपने विचार रखते हुए मैं यही कहना चाहूंगा कि सर्वप्रथम तो विज्ञान के आविष्कारों की दिशा केवल सकारात्मक होनी चाहिए। विज्ञान को धरती पर सुख-सुविधाएँ देने के साथ-साथ नयी से नयी तकनीकों को सृजनात्मक बनाना चाहिए। दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह कहूँगा कि विश्व के देशों में आपसी सहयोग, सद्भाव और मैत्री भावों की स्थापना की जानी चाहिए ताकि भविष्य में युद्ध ही न हो । यदि कोई राष्ट्र युद्ध की घोषणा करता है या युद्ध के लिए उकसाने की कार्यवाही करता है तो विश्व समुदाय द्वारा उसका बहिष्कार किया जाना चाहिए। सभी को मिलकर विश्व शान्ति के लिए कटिबद्ध रहना चाहिए। मैं यही कहना चाहूंगा कि विज्ञान हमारे लिए वरदान बने, अभिशाप नहीं।
प्रश्न 2.
कहानी के आधार पर कोबायाशी का जीवन वृत्तान्त लिखिए।
उत्तर:
कोबायाशी एक ऐसा अभागा इंसान था कि जीवन में खुशियाँ उससे दूर ही रहीं। उसके माता-पिता उसे बचपन में ही छोड़कर चल बसे थे। एक छोटा भाई था जिसके भरण-पोषण के लिए कोबायाशी को दस वर्ष की उम्र में ही बुजुर्गों की तरह मर्द बनना पड़ा। रात और दिन कठोर मेहनत करके उसने भाई को शहजादे की तरह पालपोसकर बड़ा किया।
तीन वर्ष पूर्व वह सेना में भर्ती होकर चीन गया था, जहाँ से फिर कभी न लौटा। अपने भाई को खोने के बाद वह जीवन से ऊबकर निराश हो गया था। तब एक दिन उसकी विधवा मकान मालकिन की बेटी उसके जीवन में नया रस लेकर आयी। उसका विवाह हो गया था और आज उसके घर में एक नयी जिन्दगी आने वाली थी। आज सुबह से ही वह बड़े जोश और उल्लास में था, जिस पर यह गाज गिरी।
प्रश्न 3.
कहानी की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘एटम बम’ कहानी विज्ञान के नित नये विनाशकारी आविष्कारों के निर्मम और पीड़ादायक पक्ष को उजागर करने वाली कहानी है। ये आविष्कार युद्ध के अनिवार्य कारण बनकर मानवता को नष्ट करने पर उतारू हैं। शासकों और राष्ट्राध्यक्षों का अहम् विज्ञान की विनाशक शक्ति को सीढ़ी बनाकर स्वार्थ साधना चाहता है। ये युद्ध विश्व के करोड़ों प्राणियों के लिए विनाशक सिद्ध होते हैं। अमेरिका द्वारा 1945 में हिरोशिमा और . नागासाकी पर गिराये गये बम इसके प्रमाण हैं।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कोरिया के तानाशाह की सनक और उसके हाइड्रोजन बम विश्व मानवता के लिए खतरा बने हुए हैं। नागर जी की यह कहानी हमें ऐसे युद्धों से बचने के लिए सावधान करती है। दूसरी ओर डॉ. सुजुकी और नर्स के चरित्र से मानवता की सेवा करने और कठिन परिस्थितियों में भी अपना कर्तव्य करते रहने की प्रेरणा मिलती है। इस प्रकार प्रस्तुत कहानी की मूल संवेदना मानवता की रक्षा करने तथा विज्ञान के सदुपयोग के सन्देश रूप में व्यंजित हुई है।
RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 7 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 7 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
‘आज वह बहुत खुश था।’ कोबायाशी क्यों खुश था
(क) आज त्यौहार का दिन था।
(ख) आज उसके घर में नई जिन्दगी आने वाली थी।
(ग) आज छुट्टी का दिन था।
(घ) आज उसे तनख्वाह मिलने वाली थी।
उत्तर तालिका:
(ख) आज उसके घर में नई जिन्दगी आने वाली थी।
प्रश्न 2.
‘कोबायाशी का दिल तड़प उठा। उसका दिल क्यों तड़प उठा –
(क) अपनी पत्नी को देखने के लिए।
(ख) अपने बच्चे का मुख देखने के लिए।
(ग) घर जाने के लिए।
(घ) भोजन करने के लिए।
उत्तर तालिका:
(क) अपनी पत्नी को देखने के लिए।
प्रश्न 3.
‘कोबायाशी को दस वर्ष की उम्र में ही बुजुर्गों की तरह मर्द बनना पड़ा था।’ क्यों –
(क) अपने माता-पिता का इलाज कराने के लिए
(ख) खुद की पढ़ाई के लिए धन कमाने के लिए
(ग) अपने विवाह के लिए धन इकट्ठा करने के लिए।
(घ) छोटे भाई के पालन-पोषण के लिए।
उत्तर तालिका:
(घ) छोटे भाई के पालन-पोषण के लिए।
प्रश्न 4.
क्यों नहीं बादशाह और वजीर हार मान लेते? क्या अपनी झूठी शान के लिए वे जापान को तबाह कर देंगे?” यह कथन है –
(क) कोबायांशी को।
(ख) डॉ. सुजुकी का
(ग) नर्स का
(घ) घायल मरीज का
उत्तर तालिका:
(ख) डॉ. सुजुकी का
RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 7 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
पहली बार चेतना लौटने पर कोबायाशी ने कैसा महसूस किया?
उत्तर:
चेतना लौटने पर कोबायाशी ने महसूस किया कि बम के उस धमाके की पूँज अब भी उसके दिल में धंस रही है। साँस में गंधक की तेज बदबूदार और दम घुटाने वाली हवा भरी हुई है। उसके मन-मस्तिष्क पर भय व्याप्त है। उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा है। साँस लेने में भी उसे तकलीफ हो रही है। उसकी साँस बहुत भारी और धीमी चल रही है।
प्रश्न 2.
“हारे हुए कोबायाशी का जर्जर मन इन दोनों अनुभवों से खीजकर कराह उठा।” ये दोनों अनुभव कौन से थे?
उत्तर:
होश में आने के बाद कोबायाशी को मौत के पंजे से छूटकर निकल जाने पर जो अनुभव हुए, वे दोनों ही अनुभव उसे निराश कर देने वाले थे। एक तो मौत से बच जाने पर उसके तन को जीवनदायिनी स्फूर्ति मिलनी चाहिए थी, दूसरी मन को शान्ति मिलनी चाहिए थी, परन्तु इसके विपरीत उसका दिल फिर गफलत में डूबने लगा था। इससे परेशान होकर वह तन और मन की कमजोरी के साथ चिढ़ उठा।
प्रश्न 3.
“…. मन कहीं खोया। अपने अन्दर उसे किसी जबरदस्त कमी का एहसास हुआ।” यह उसे किस कमी का एहसास हुआ?
उत्तर:
एटम बम के धमाके के कुछ मिनट पहले ही कोबायाशी अपनी पत्नी को अस्पताल में भर्ती कराकर आया था। उसके बच्चा होने वाला था। वह उत्साह और आनन्द का भाव लिए अस्पताल के नीचे सड़क पर सिगरेट पीता हुआ टहल रहा था। तभी यह भयानक धमाका हुआ। वह होश में आने के पश्चात् उसी स्मृति को मानस-पटल पर लाना चाहता था। अपनी पत्नी और होने वाले बच्चे की कमी का अहसास उसके मन को झकझोर रहा था। परन्तु इस समय उसे पूरी बातें याद नहीं आ रही थीं। उसकी स्मृति झकोले खाने लगी थी।
प्रश्न 4.
‘एटम बम’ के धमाके की भयावहता को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
एटम बम का धमाका प्रलयकाल की विकरालता को उपस्थित करने वाला था। उसके धमाके के साथ जुड़ी बुखार की तरह धरती काँप उठी थी। हजारों लोग अपने प्राणों की पूरी शक्ति लगाकर चीख उठे थे। वे प्राणान्तक चीखें और वह आर्तनाद बम के धमाके से भी ऊँचा था। चारों ओर तबाही के दृश्य व्याप्त हो गये थे। सब जगह गंधक धुआँ और उसकी बदबू एवं जलन का वातावरण था।
प्रश्न 5.
‘करुणा सोते की तरह दिल से फूट निकली।’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कहानीकार नागर जी ने एटम बम के हमले से बर्बाद हुए लोगों के क्रोध और आक्रोश के साथ-साथ उनकी बेबसी और करुणाजनक स्थिति को भी व्यक्त किया है। लोगों के हृदय में पराजय की भावना आँसुओं के रूप में बहकर निकल रही थी। कोबायाशी की आँखों में जहरीले धुएँ से भरे हुए पानी के साथ-साथ करुणा के आँसू भी ढुलकते जा रहे थे। ये आँसू हिरोशिमा के लाखों लोगों के मन की दैन्यावस्था को प्रकट कर रहे थे।
प्रश्न 6.
जीवन के पच्चीस वर्ष जिस वातावरण से आत्मवत् परिचित और घनिष्ठ रहे थे, वे दृश्य आज कोबायाशी के दिमाग में कैसे उभर रहे थे? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
कोबायाशी पच्चीस वर्ष से हिरोशिमा नगर के वातावरण और जीवनचर्या से बहुत ही घनिष्ठता और अपनेपन के साथ जुड़ा हुआ था। आज वह सब उसके दिमाग की स्क्रीन पर चलती-फिरती तस्वीरों की तरह प्रकट हो रहा था। उस भरे-पूरे समृद्ध शहर की इमारतें, जनसमूह से भरी हुई सड़कें, आती-जाती सवारियाँ, मोटरे, गाड़ियाँ, साइकिलें आदि सब दृश्य उसकी आँखों में उभर रहे थे।
प्रश्न 7.
‘उसने जिन्दगी की एक और निशानी देखी।’ कोबायाशी ने कौनसी एक और जिन्दगी की निशानी देखी?
उत्तर:
कोबायाशी ने अपनी जिन्दगी बच जाने के पश्चात् पूरी ताकत लगाकर अपने तन-मन को संभाला तो उसने पाया कि वह मौत से बंच गया है। उसने अपनी पूरी शक्ति समेटकर सिर उठाकर देखा कि उसके पीछे दीवार है। उसे यह देखकर लगा कि ईश्वर ने यहाँ भी उसकी रक्षा की है, जो यह दीवार उसके ऊपर नहीं गिरी। यही उसके लिए जिन्दगी की एक और निशानी थी।
प्रश्न 8.
बम धमाके के पश्चात् अस्पताल की क्या स्थिति थी?
उत्तर:
अस्पताल की दीवार गिर गयी थी। उसको फाटक टूट कर गिर गया था। सब कुछ मिट्टी और खण्डहर में परिवर्तित हो गया था। दूर-दूर तक सब वीरान नजर आता था। कोबायाशी की दुनिया उजड़ चुकी थी। उसका सब कुछ एक सपने की तरह काफूर हो चुका था। उन असंख्य लोगों के साथ उसकी पत्नी भी उस महाविनाश की शिकार हो गई थी।
प्रश्न 9.
कोबायाशी को चेतना लौटने पर पहली बार पत्नी को ध्यान आया तो क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की?
उत्तर:
पत्नी का ध्यान आते ही कोबायाशी को उसे देखने की उत्कण्ठा हुई। उसे याद आया कि साल भर पहले ही उसका विवाह हुआ था । एक वर्ष का यह सुख उसके जीवन की अनमोल निधि बन गया था। अब कोबायाशी सब कुछ खोकर भी पत्नी से मिलने के लिए तड़प रहा था। कमजोर और डगमगाते कदमों से वह अपनी पत्नी को देखने के लिए अस्पताल की ओर बढ़ रहा था।
प्रश्न 10.
जब डॉक्टर सुजुकी को यह खबर मिली कि नागासाकी पर भी एटम बम गिराया गया है, तो उनकी क्या प्रतिक्रिया थी ?
उत्तर:
पहले से ही हिरोशिमा के घायलों का इलाज करते हुए थके-हारे डॉ. सुजुकी यह खबर सुनकर चिढ़ उठे। वे बोले कि हमारे बादशाह और वजीर हार क्यों नहीं मान लेते हैं। क्या अपनी नाक के सवाल के लिए जापान को पूर्णतः बर्बाद कर देना चाहते हैं। आक्रमणकारियों के प्रति अपना क्रोध प्रकट करते हुए डॉक्टर ने कहा कि वे निर्दोष लोगों को क्यों मार रहे हैं। ये सामान्य लोग तो किसी के दुश्मन नहीं थे। इन्हें कोई साम्राज्य की चाह नहीं थी।
प्रश्न 11.
‘फेंक दो उन जिन्दा लाशों को, हिरोशिमा की वीरान धरती पर…।’ डॉक्टर सुजुकी के इस कथन में निहित पीड़ा को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
डॉ. सुजुकी असंख्य घायलों और पीड़ितों का इलाज करते हुए बहुत अधिक थके-हारे और परेशान थे। तभी नागासाकी पर भी परमाणु बम डाले जाने की बात सुनकर उनका संवेदनशील हृदय पीड़ा से तड़प उठा। तब वे अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहने लगे कि विज्ञान की शक्ति ही जब विनाश में लगी है तो डॉक्टरों और अस्पतालों का इस दुनिया में कोई काम नहीं रहा। इसीलिए वे अपने पेशे की गरिमा और प्रकृति के विपरीत यह कहने को विवश हो जाते हैं कि इन जिन्दा लाशों को हिरोशिमा की वीरान धरती पर फेंक दो या उन्हें जहर दे दो।
RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 7 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
स्पष्ट कीजिए कि कोबायाशी के मन में मातृभूमि के प्रति गहरी आस्था और ममत्व का भाव था?
उत्तर:
कोबायाशी हिरोशिमा में पल-बढ़कर पच्चीस वर्ष का हो गया था। उसे , अपने नगर की हर चीज से प्रेम और आत्मीयतापूर्ण लगाव था। वह अपने. नगर की इमारतों, सड़कों, गाड़ियों, सवारियों आदि का घायल अवस्था में स्मरण करता है तथा आँखे खोलकर देखने का प्रयत्न करता है। जीवन के पच्चीस वर्षों से ये सब उसे आत्मवत् परिचित और घनिष्ठ लगते थे। जहरीला धुआँ लाल मिर्च के पाउडर की तरह उसकी आँखों को जला रहा था, फिर भी वह दृढ़पूर्वक आँखें खोलकर अपनी मातृभूमि को देख रहा था।
उसे तसल्ली हो रही थी कि बम गिरने के बाद भी उसका जीवन नष्ट नहीं हुआ था। वह हिरोशिमा की मिट्टी को अपने कमजोर हाथों से स्पर्श करके सुख का अनुभव कर रहा था। अपनी धरती के प्रति उसके हृदय में ममत्व जाग उठा था। उसे आस-पास दिखाई दे रही सभी वस्तुओं, लोगों, आम रास्तों आदि से गहरा अपनापन लग रहा था।
प्रश्न 2.
“मैंने ऐसा कौनसा अपराध किया था जिसकी यह.सजा मुझे मिल रही है।” कोबायाशी के इस कथन में निहित उसकी मनोव्यथा को अभिव्यक्त कीजिए।
उत्तर:
कोबायाशी हिरोशिमा का एक आम नागरिक था। आज वह अपनी पत्नी को अस्पताल में भर्ती कराकर घर में नई जिन्दगी आने की खुशी में बाहर टहल रहा था। तभी आसमान से मौत बरसी थी और सब कुछ तबाह हो गया था। उस धमाके से बेहोश कोबायाशी की जब चेतना लौटी तो वह यही पुकार रहा था कि मैंने किसी का क्या बिगाड़ा था जो मेरा सब कुछ नष्ट कर दिया गया । हमारी किसी से दुश्मनी नहीं थी । हम आम नागरिक यह युद्ध नहीं चाहते थे। अमीरों, अफसरों और नेताओं को छोड़कर कौन था जो यह युद्ध चाहता था।
अगर दुश्मनी निकालनी थी तो उन लोगों से निकालते जो युद्ध के पक्षधर थे । हमें क्यों मारा गया। हमें हमें ऐसी बुरी मौत क्यों मारा गया कि हमें प्यास लग रही है और मरते हुए को पानी भी नहीं मिल रहा। इस प्रकार कोबायाशी बेबस और मजबूर व्यक्ति था और उस जैसे अन्य लाखों लोग थे जिनकी पीड़ा और मन की तड़फ कोबायाशी के शब्दों में अभिव्यक्त हुई है।
प्रश्न 3.
हिरोशिमा नगर में मीलों तक फैली हुई वीरानी को देखकर कोबायाशी की मनोदशा कैसी हो गयी थी? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
ऐटम बम के धमाके ने हिरोशिमा नगर की खुशहाल जिन्दगी को पलक झपकते ही वीरान-खण्डहरों में बदल दिया था। कोबायाशी की पच्चीस वर्षों से देखी, समझी और बरती हुई दुनिया आज एक स्वप्न के भंग हो जाने की तरह समाप्त हो चुकी थी। कोबायाशी मीलों तक फैली वीरानी को देखकर अपने को, अपनी पत्नी को और सब कुछ को भूल गया। उसको अपनापन, उसका ज्ञान, उसकी शक्ति, जीवन के प्रति उसकी आंस्था आदि सब कुछ उस महाविनाश में विलीन हो गया था।
वह अपनी सारी शक्ति को बटोर कर एक पागल की तरह बेतहासा दौड़ पड़ा। मीलों तक उजड़े हुए, खण्डहर हुए हिरोशिमा नगर में लाखों निर्दोष प्राणियों की आत्मा बनकर पागल कोबायाशी चीख रहा था-“मुझे क्यों मारा? मुझे क्यों मारा?” इस प्रकार कोबायाशी की मनोदशा एक पागल जैसी हो गयी थी।
प्रश्न 4.
‘अस्पताल के बरामदे में एक मरीज दहन फाड़कर चिल्ला उठा- मुझे क्यों मारा? मुझे क्यों मारा?”यह दृश्य देखकर डॉक्टर सुजुकी ने क्या प्रतिक्रिया की?
उत्तर:
दो दिन से थके हारे डॉक्टर सुजुकी पागलों का शोर, दर्द, चीख, कराह, इन तमाम आवाजों के बीच खोये हुए खड़े थे। तभी नागासाकी पर भी एटम बम गिराये जाने की खबर सुनकर वे चिढ़ उठे थे। वे अपने हृदय का आक्रोश व्यक्त करते हुए बोले कि ये बादशाह और वजीर लोग हार क्यों नहीं मान लेते? क्या अपनी झूठी शान के लिए पूरे जापान को बर्बाद कर देंगे। वे दुश्मनों पर भी बरसते हुए बोले कि इन निर्दोष नागरिकों को क्यों मारा? इनका कोई अपराध नहीं था। इन्हें साम्राज्य नहीं चाहिए था। वे आगे कहते हैं कि ये आम जनता तो बादशाह के बनाये हुए गुलाम हैं, व्यक्ति की सत्ता के शिकार हैं और संस्कारों के गुलाम हैं ।
दुश्मन देश भी जापान की निर्दोष और मूक जनता को मारकर खुश हैं। विज्ञान की शक्ति को परखने के लिए लाखों बेगुनाहों की जान लेना क्या धर्म युद्ध होता है। थक-हारकर डॉक्टर सुजुकी कहते हैं कि ‘इन नये मरीजों के लिए नयी जिन्दगी कहाँ से लाऊँगा, नर्स।’ इस प्रकार वे अपने को विवश और असहाय भी महसूस कर रहे थे।
प्रश्न 5.
एटम बम के विस्फोट के पश्चात् हिरोशिमा के कैम्प अस्पताल के दृश्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
एटम बम के गिराये जाने के पश्चात् हिरोशिमा के कैम्प अस्पताल को दृश्य बड़ा भयावह और करुणा से भरा हुआ था। घायलों, पागलों और मरीजों का शोर, चीख, कराह आदि से वातावरण बहुत ही भयावह बन गया था। कोई घायल पूरी शक्ति के साथ गला फाड़कर चिल्ला उठता था – ‘मुझे क्यों मारा? मुझे क्यों मारा?’ घायलों की संख्या निरन्तर बढ़ती जा रही थी। डॉक्टर, नर्स, कम्पाउण्डर आदि बिना खाये-पीये, बिना आराम किये दो-दो दिन से लगातार इलाज करने में लगे थे। बड़ा हृदयविदारक और करुणाजनक दृश्य देखकर किसी को भी कलेजा पसीज कर आँखों के रास्ते बह निकलता था। अस्पताल में चारों ओर चीख-चिल्लाहट, दर्द, हंगामा, शोर-शराबा व्याप्त था। सब ओर परिवार और बच्चों के लिए सवाल था और दुश्मन के प्रति नफरत और क्रोध का भाव था।
प्रश्न 6.
”एटम की शक्ति से हारकर क्या हम इन्सान की इन्सानियत को मरते हुए देखते रहेंगे?”नर्स के इस कथन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर:
नर्स का यह कथन हमारे लिए बहुत ही प्रेरणास्पद है। इसमें उच्च मानवता का आदर्श, नि:स्वार्थ सेवा-भाव, अथक परिश्रम द्वारा पीड़ित मानवता की सेवासुश्रूषा का संकल्प आदि निहित है। दो-दिन से लगातार अथक परिश्रम द्वारा घायलों का इलाज और सेवा-सुश्रूषा करती हुई नर्स हिम्मत नहीं हारती है और डॉक्टर सुजुकी की भी अपने कर्तव्य का स्मरण कराते हुए हाथ पकड़ ले जाती है कि आइये हमें जिन्दगी को बचाना है। यह हमारा पेशा है और फर्ज है। सैकड़ों मरीज अस्पताल में पड़े हैं और नये मरीज आ रहे हैं।
चलिए इन्जेक्शन लगाना है और आगे का काम करना है। इस प्रकार नर्स स्पष्ट शब्दों में कहती है कि एटम की शक्ति से हारकर हम मानवता की सेवा करना नहीं छोड़ सकते हैं। नर्स का कथन हमारे समाज और देश के लिए नवजीवन, नई शक्ति और नये उत्साह के साथ संकटों से जूझते हुए अपने कर्तव्य का निर्वाह करने की प्रेरणा देता है।
प्रश्न 7.
“नागर जी की ‘एटम बम’ कहानी में देश-काल और वातावरण की यथार्थता और चित्रात्मकता ध्यान आकर्षित करने वाली है।” इस कथन की समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
देश-काल और वातावरण कहानी का महत्त्वपूर्ण तत्व है जो उसमें विश्वसनीयता और प्रभावशीलता उत्पन्न कर देता है।’एटम बम’ कहानी में नागर जी ने द्वितीय विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि में 1945 में अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा और नागासाकी नगरों पर गिराये गए एटम बम की घटना को आधार बनाया है। देश-काल का वर्णन तो पूर्ण यथार्थता लिए हुए है ही, अमृत लाल नागर ने वातावरण की सृष्टि भी इतनी सूक्ष्मता और कुशलता के साथ की है कि आँखों के समक्ष उन दृश्यों के भयानक चित्र उपस्थित हो जाते हैं। बम विस्फोट के बाद की विनाश लीला, खण्डहर और वीरान शहर, धुआँ और गन्धक की बदबू के साथ जलन आदि उस युद्ध की तस्वीरों को साकार कर देती है। अस्पताल के शोरगुल, ‘भयावह और करुणाजनक दृश्यों का अंकन कहानी के वातावरण को साकार कर देते हैं। अतः यह कहानी वातावरण सृष्टि की दृष्टि से अनुपम एवं अद्वितीय है।
प्रश्न 8.
‘एटम बम’ कहानी के कथानक पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
अमृत लाल नागर द्वारा लिखित ‘एटम बम’ कहानी का कथानक संक्षिप्त, सुगठित, मर्मस्पर्शी और मूल संवेदना के संप्रेषण में पूर्णतः सफल है। यह द्वितीय विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि पर लिखी गयी कहानी है जो उस युद्ध की सबसे प्रमुख घटना जापान पर अमेरिका द्वारा गिराये गये एटम बम की विनाश लीला का स्मरण करा देती है। युद्ध की विभीषिका और महाविनाश के विरुद्ध मानव जाति को सचेत एकजुट होने की प्रेरणा देते हुए. यह कहानी इन्सानियत की सेवा और अपने कर्तव्य निर्वाह का संदेश देती है।
कहानी का प्रमुख पात्र कोबायाशी उस दिन अपनी पत्नी को अस्पताल में भर्ती कराकर बाहर इन्तजार कर रहा था। उसके घर में नई जिन्दगी आने वाली थी कि उसी समय यह धमाका हुआ और उसकी दुनिया उजड़ गई। हिरोशिमा की वीरान धरती पर चारों ओर विनाश के दृश्य दिखाई दे रहे थे। कैम्प अस्पताल में घायलों और पागलों की चीख-पुकार के बीच थके-हारे डॉक्टर सुजुकी और सेवा-सुश्रूषा में जुटी नर्स श्रेष्ठ मानवता और अडिग आत्म-विश्वास से भरी अपना कर्तव्य निर्वाह करती है।
प्रश्न 9.
कोबायाशी के चरित्र की प्रमुख विशेषताओं को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
कोबायाशी अमृतलाल नागर की कहानी ‘एटम बम’ का प्रमुख पात्र है। इसके चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नांकित हैं –
- मातृभूमि से प्रेम – कोबायाशी हिरोशिमा में ही पला-बढ़ा ऐसा युवा है जो अपनी धरती से प्रेम करता है। वह मातृभूमि की विनाशलीला देखकर दु:खी होकर स्मृतियों में खो जाता है।
- संघर्षशील – कोबायाशी एक संघर्षशील और परिश्रमी -युवक है। वह बचपन से ही कठोर संघर्ष कर अपने परिवार की जीविका चलाता है। एटमबम के विनाश के बाद भी घायल दशा में वह उठ खड़ा होता है और अपनी सकारात्मक सोच प्रकट करता है।
- भावुक हृदय – कोबायाशी संवेदनशील करुणापूर्ण हृदय वाला तथा भावुक व्यक्ति है। वह हिरोशिमा के विनाश और अपनी प्रसववती पत्नी की अकाल मौत से व्यथित हो जाता है।
- मानवतावादी दृष्टि-एटम बम के विनाश से वह मानवता की रक्षा एवं जीवन के प्रति आस्था आदि का चिन्तन करता है। वह मानवीय संवेदना से भरा रहता है। और एटम बम के प्रयोग को मानवता को गुलाम बनाने वाला मानता है।
- अन्य – कोबायाशी साहसी है। वह त्रासदी का प्रत्यक्ष द्रष्टा और उसका शिकार है। फिर भी वह हिम्मत और उदात्तता रखता है।
इस प्रकार कोबायाशी का चरित्र आदर्श मानव के रूप में चित्रित हुआ है।
प्रश्न 10.
पात्र अथवा चरित्र-संयोजन की दृष्टि से ‘एटम बम’ कहानी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
‘एटम बम’ कहानी में प्रमुख पात्र कोबायाशी है। अन्य पात्रों में डॉ. सुजुकी, नर्स, मरीज आदि की भी संक्षिप्त भूमिका है। कहानी का नायक या प्रधान पात्र कोबायाशी एक मध्यमवर्गीय युवक है। वह कहानी का केन्द्रबिन्दु है जिसके माध्यम से कथानक गति प्राप्त करता है। दूसरा पात्र डॉक्टर सुजुकी है जो कहानी के उद्देश्य को प्रकट करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नर्स की भूमिका यद्यपि बहुत ही संक्षिप्त है, तथापि कहानी की मूल संवेदना की अभिव्यक्ति में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है। इस प्रकार नागर जी की ‘एटम बम’ कहानी में पात्र योजना बहुत ही संतुलित एवं कथानक की प्रस्तुति में सफल रही है। कहानी में पात्रों की सीमित संख्या है तथा उनका चरित्र एवं व्यक्तित्व कथानक के अनुरूप उभारा गया है। कहानी कला की दृष्टि से यह श्रेष्ठ कही जा सकती है।
एटम बम लेखक परिचय
हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध कहानीकार और उपन्यासकार अमृतलाल नागर का जन्म सन् 1916 ई. में गुजराती नागर परिवार में हुआ। पारिवारिक परिस्थितियों के कारण इनका नियमित शिक्षण बाधित हो गया था, परन्तु जीवन के अनुभवों से इन्होंने बहुत कुछ सीखा। साहित्य प्रेमी होने के कारण नौकरी इन्हें अपने साहित्य सेवा के कार्य में बाधा लगने लगी, तो इन्होंने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और साहित्य सृजन में पूरी तरह लग गये।
नागरजी की लोकनाट्य, पुरातत्व, विभिन्न बोलियों और भाषाओं में विशेष रुचि थी। ये बँगला, मराठी और तमिल भाषा के अच्छे ज्ञाता थे। इन भाषाओं की अनेक रचनाओं का नागरजी ने हिन्दी में अनुवाद करके साहित्य की सेवा की। अमृत लाल नागर प्रगतिशील विचारधारा के साहित्यकार रहे हैं। इन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन कार्य भी किया जिनमें उच्छृखल, चकल्लस, सनीचर आदि कई हास्यरस के मासिक-पाक्षिक-साप्ताहिक पत्र-पत्रिकाएँ उल्लेखनीय हैं।
प्रमुख रचनाएँ–
महाकाल, ये कोठेवालियाँ, बूंद और समुद्र, सुहाग के नूपुर, शतरंज के मोहरे, मानस का हंस आदि प्रमुख उपन्यास हैं। इन्हें ‘अमृत और विष’ पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है। एटम बम, पीपल की परी, वाटिका, अवशेष, नवाबी मसनद, तुलाराम शास्त्री आदि कहानी-संग्रह हैं।
पाठ-सार
‘एटम बम’ कहानी द्वितीय विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित मर्मस्पर्शी कहानी है जो मानव को विज्ञान के विध्वंसकारी रूप को सृजनात्मक बनाने की प्रेरणा देती है। इसका सार इस प्रकार है—
कोबायाशी की चेतना लौटना–सन् 1945 में अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा तथा नागाशाकी नगरों पर परमाणु बमों से हमला किया था। कहानी का मुख्य पात्र कोबायाशी भी इस हमले में बेहोश हो गया था। जब उसकी चेतना लौटी तो उसने अपने आपको बहुत ही असहाय और कमजोर स्थिति में पाया। चारों तरफ जहरीला धुआँ, घुटन, वीरानी और खण्डहर थे। कोबायाशी मौत के पंजे से बच गया था, किन्तु गहरे सदमे और हताशा की स्थिति में था।
हृदय में किसी कमी का अहसास होना-कोबायाशी को ज्यों-ज्यों चेतना और शक्ति का अहसास हो रहा था, त्यों-त्यों कुछ खो जाने का अहसास भी उसके हृदय में बार-बार हो रहा था। उसने सिर उठाकर देखा तो अस्पताल की दीवार दिखाई दी, जिसमें उसने अपनी पत्नी को भर्ती कराया था। उसके बच्चा होने वाला था। उसने देखा अस्पताल मलबे के ढेर में बदल चुका था। उसकी दुनिया उजड़ चुकी थी। उसकी आँखों से पराजय और करुणा के आँसू बह रहे थे।
पत्नी और छोटे भाई की स्मृति-कोबायाशी को अपनी पत्नी और अपने छोटे भाई की याद आयी तो दिल तड़प उठा। पत्नी आज ही दुनिया से विदा हो गई थी और छोटा भाई जिसे उसने शहजादे की तरह पाला था, तीन वर्ष पहले फौज में भर्ती होकर चीन गया था, जो फिर कभी नहीं लौटा। घायल तन और व्यथित मन कोबायाशी अपनी पूरी शक्ति समेट कर धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा। मीलों तक दूर-दूर वीरानी और खण्डहर देखकर उसे हिरोशिमा का वह खुशहाल जीवन याद आया।
कैम्प अस्पताल का दृश्य कैम्प अस्पताल में हजारों घायलों और पागलों की चीख, कराह, शोर, दर्द के बीच दो दिन से बिना खाये-पिये, बिना सोये और आराम किए डॉक्टर सुजुकी थका-हारा खोया हुआ-सा खड़ा था। इलाज करते-करते वह हार गया था और नये मरीजों के आने की सूचना से, वह विक्षोभ से भर गया था।
नर्स का कर्तव्य के लिए प्रेरित करना-नर्स ने आकर कहा है कि सेन्टर से खबर आई है कि और नये मरीज आ रहे हैं। यह सुनकर डॉक्टर ने कहा कि इन नये मरीजों के लिए जिन्दगी कहाँ से लाऊँगा नर्स। नर्स ने कहा कि डॉक्टर हमें जिन्दगियों को बचाना है, यह हमारा पेशा है, फर्ज है। एटम की शक्ति से हारकर क्या हम इन्सान की इन्सानियत को इस तरह मरते हुए देखते रहेंगे। यह कहते हुए वह डॉ. सुजुकी का हाथ पकड़ कर इंजेक्शन लगाने के लिए ले जाती है।
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