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RBSE Solutions for Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 5 हमारी काश्मीर यात्रा

June 25, 2019 by Safia Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 5 हमारी काश्मीर यात्रा

RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 5 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 5 वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

प्रश्न 1.
गणपतिचन्द्र भण्डारी का चर्चित कविता संग्रह है –
(क) आकाशदीप
(ख) रक्तदीप
(ग) राजदीप
(घ) गगनदीप
उत्तर:
(ख) रक्तदीप

प्रश्न 2.
जोधपुर से पठानकोट की यात्रा लेखक ने किससे की?
(क) बस से
(ख) हवाई जहाज से
(ग) ट्रक से
(घ) रेल से
उत्तर:
(घ) रेल से

प्रश्न 3.
श्रीनगर बसा हुआ है –
(क) सतलज के तट पर
(ख) रावी के तट पर
(ग) व्यास के तट पर
(घ) झेलम के दोनों ओर
उत्तर:
(घ) झेलम के दोनों ओर

प्रश्न 4.
झेलम पर बने पुलों को कश्मीरी लोग कहते हैं –
(क) बादल
(ख) मादल
(ग) कांदल
(घ) शादल
उत्तर:
(ग) कांदल

RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 5 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
लेखक की यात्रा कहाँ से प्रारम्भ हुई?
उत्तर:
लेखक की यात्रा जोधपुर से प्रारम्भ हुई।

प्रश्न 2.
लेखक के साथ यात्रा में और कौन थे?
उत्तर:
लेखक के साथ यात्रा में कुछ रोवर स्काउट थे।

प्रश्न 3.
कुद नामक स्थान की समुद्र तल से ऊँचाई कितनी है?
उत्तर:
कुद नामक स्थान की ऊँचाई समुद्र तल से पाँच हजार नौ सौ फुट है।

प्रश्न 4.
शंकराचार्य का मंन्दिर किसने बनवाया था?
उत्तर:
शंकराचार्य का मन्दिर काश्मीर के शासक गोपादित्य ने बनवाया था।

RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 5 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जम्मू नगर की स्थिति (बसावट) के विषय में लिखिए।
उत्तर:
जम्मू नगर टावी नदी के पार हिमालय की छोटी पर्वतमालाओं से घिरा हुआ है। यह नगर पर्वत की ढाल पर बसा हुआ है। यहाँ संकड़े किन्तु स्वच्छ बाजार हैं, शानदार होटल हैं। बस स्टैण्ड के निकट ही रघुनाथजी का प्रसिद्ध मन्दिर है। अधिकांश बस्ती हिन्दुओं की है तथा यहाँ पर यात्रियों के लिए खाने-पीने की अच्छीसुविधा है। यहीं से काश्मीर घाटी के लिए बस बदलनी पड़ती है। जम्मू नगर सांस्कृतिक दृष्टि से सम्पन्न है तथा यहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य आकर्षक है।

प्रश्न 2.
श्रीनगर में कितने प्रकार की नावें होती हैं? उनके नाम लिखिए।
उत्तर:
श्रीनगर में कुल तीन प्रकार की नावें होती हैं – एक, विशालकाय नावघर (हाउस बोट) जो आधुनिक सभी सुविधाओं से सुसज्जित होते हैं। दूसरी छोटी नुकीली डोगियाँ होती हैं, जिन्हें शिकारा कहते हैं, जो हाउस बोटों के लिए सामान लाने-ले जाने आदि काम में आते हैं और खूब सजे-सजाये होते हैं। तीसरी प्रकार की नावे डोंगा’ कहलाती हैं, जो नाव-घरों से छोटी होती हैं। इनमें सजावट नहीं होती है, इनमें लकड़ी की फर्श, तीन कमरे व एक रसोई होती है और जहाँ चाहो वहाँ ले जाई जा सकती हैं। हाउस बोटों की अपेक्षा डोंगा सस्ते होते हैं।

प्रश्न 3.
डल झील के तट की पर्वत श्रेणियों में कौन-कौन-से दर्शनीय स्थान हैं?
उत्तर:
डल झील के तट की पर्वत-श्रेणियों के आँचल में अनेक दर्शनीय स्थान हैं, जिनमें चश्मेशाही, शालीमार बाग और निशात बाग बहुत प्रसिद्ध हैं। इन दोनों बागों में कृत्रिम नाले एवं प्रपात, हौज एवं फव्वारे भी काफी आकर्षक हैं। चिनार बाग की समीपस्थे पहाड़ी पर बना शंकराचार्य का मन्दिर प्रसिद्ध दर्शनीय स्थान है। इसके पास ही नेहरू पार्क है। डल झील से जुड़ी नागिन झील है, वह छोटी है, परन्तु प्राकृतिक सौन्दर्य से आकर्षक है।

प्रश्न 4.
तीसरी प्रकार की नावें ‘डोंगा’ की क्या विशेषता है? लिखिए।
उत्तर:
श्रीनगर में तीसरी प्रकार की नावें ‘डोंगा’ कहलाती हैं। ये हाउस बोट अर्थात् नावघरों से कुछ छोटी होती हैं, लगभग 40-50 फीट लम्बी होती हैं, परन्तु इनमें सजावट नहीं होती है। इनमें लकड़ी की फर्श तथा तीन कमरे व एक रसोई और कुछ खुला आँगन होता है। इनका किराया कम होता है और ये नावें जहाँ चाहे वहाँ ले जाई जा सकती हैं। इनके मालिक प्रायः ईमानदार और विश्वसनीय होते हैं। आवास के साथ ही परिवहन की दृष्टि से ये काफी उपयोगी रहती हैं।

RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 5 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
“कहलाने एकत बसत अहि मयूर मृग बाघ।
जगत तपोवन सो कियो दीरघ दाघ निदाघ”।।
उक्त दोहे का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कवि बिहारी कहते हैं कि प्रचण्ड ताप या उष्णता वाली ग्रीष्म ऋतु ने सारे जगत् या सारी वनस्थली को तपोवन-सा कर दिया है। इसी कारण स्वभाव से परस्पर भयंकर शत्रु सर्प और मोर, वन्य पशु मृग आदि एवं बाघ गर्मी के मारे व्याकुल होकर एक ही स्थान पर बैठे हुए हैं। अर्थात् तपोवन में जीवों में शत्रुता का भाव नहीं रहता है। ग्रीष्म ऋतु के प्रभाव से वन के सभी जीव वैर-भाव भूलकर एक ही छायादार स्थान पर बैठे हुए हैं। गर्मी से व्याकुल होने से वे परस्पर शत्रुता।

भूल गये हैं। मोर सर्प को मार डालता है, अतः वह सर्प का शत्रु है। बाघ हिंस्र स्वभाव का होने से वन के मृग आदि पशुओं को मार डालता है, वह भी पशुओं का शत्रु होता है। परस्पर शत्रुता इन सभी का स्वभाव है। लेकिन गर्मी की अधिकता से व्याकुल होने के कारण ये सभी जीव एक ही छायादार स्थान पर बैठे रहते हैं। यह सब ग्रीष्म ऋतु का प्रभाव है और उसने संसार को तपोवन जैसा अर्थात् हिंसा एवं शत्रुता रहित स्थान बना दिया है।

प्रश्न 2.
लेखक की लेखनी यात्रा-वर्णन में स्थान-स्थान पर काव्यमयी हो उठी है।” पठित यात्रा-वृत्त में आये स्थलों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रस्तुत यात्रा-वृत्त में लेखक ने कुछ स्थलों का काव्यमय वर्णन किया है। इस दृष्टि से ये वर्णन दृष्टव्य हैं| जम्मू नगर का वर्णन-लेखक वर्णन करता है कि टावी नदी के उस पार पर्वतराज हिमालय की प्रारम्भिक पर्वतमालाओं की गोद में जम्मू शहर छिपा हुआ है और ऐसा लगता है कि पार्वती ने अपने हरे-भरे आँचल में अपने पुत्र को छिपा रखा हो। टावी की जलधारा उसके चरण-कमलों से कल्लोल कर रही हो। रामवन से आगे का वर्णन-रामवन चिनाब के तट पर स्थित है।

लेखक वर्णन करता है कि रामवन से चिनाब की एक धारा से ऊपर चढ़ने पर बेनिहाल दरी आता है। वहाँ पर भीमकाय पर्वत अपना गर्वोन्नत मस्तक उठाये खड़े थे। वहीं से पीरपंचाल पर्वत श्रेणी की चढ़ाई प्रारम्भ होती है। सामने बर्फ से ढकी चोटियाँ ऐसी लगती हैं कि मानो किसी योगीराज के सिर पर श्वेत-जटाएँ बिखर रही हों। बेनिहाल दर्रा पार करते ही काश्मीर घाटी प्रारम्भ होती है। तबे आस-पास की सारी पर्वतश्रेणियाँ लुप्त हो जाती हैं, मानो विश्वभर के मौन, गौरव एवं महत्त्व के प्रतिनिधियों की सभा समाप्त हो गई हो तथा उस शिखर सम्मेलन के सभी सदस्य अपने-अपने देश लौट गये हों। इसी प्रकार लेखक ने काश्मीर घाटी तथा श्रीनगर के प्राकृतिक दृश्यों का अलंकृत वर्णन किया है।

प्रश्न 3.
शंकराचार्य मन्दिर के आस-पास के कश्मीर व श्रीनगर के प्राकृतिक दृश्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
श्रीनगर में शंकराचार्य का मन्दिर चिनारबाग के समीप की पहाड़ी पर बना हुआ है। इस मन्दिर को निर्माण भारी भरकम पाषाण-शिलाओं से हुआ है और उसमें एक विशाल शिवलिंग है। शंकराचार्य मन्दिर कुछ ऊँचे स्थान पर होने से वहाँ से घाटी के चारों ओर का दृश्य मनमोहक दिखाई देता है। वहाँ से सुदूर स्थित पर्वतश्रेणियाँ दिखाई देती हैं, जिनकी चोटियों पर सफेद बर्फ बिछी रहती है तथा तलहटी के भू-भागों में बादल सरकते रहते हैं।

शंकराचार्य मन्दिर से नीचे की ओर चारों तरफ देवदार, सफेदा, अखरोट और चिनार के वृक्षों की हरीतिमा फैली रहती है, साथ ही वर्तुलाकार रूप से श्रीनगर से लिपटी हुई झेलम नदी की रजत-धाराएँ, डल झील और उस पर तैरते हुए हरेभरे खेत, नावघरों की पंक्तियाँ आदि सारा दृश्य अद्भुत सुन्दर दिखाई देता है। वहीं से सुदूर चश्मेशाही, शालीमार और निशात बाग का सुन्दर प्राकृतिक परिवेश देखा जा सकता है। इस तरह श्रीनगर तथा आसपास का प्राकृतिक सौन्दर्य शंकराचार्य मन्दिर से स्पष्ट दिखाई देता है।

प्रश्न 4.
आपके जीवन की कोई ऐसी यात्रा जो आपने की है जो आपके लिए अविस्मरणीय रह गयी है, उसका अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
इस प्रश्न का उत्तर अपने अनुभवों के आधार पर देना चाहिए। आपने कोई यात्रा किसी प्राकृतिक स्थान से सम्बन्धित की हो, उसे लिखिए। यहाँ एक यात्रा का विवरण दिया जा रहा है गत वर्ष हमारे परिवार के सभी लोग हरिद्वार यात्रा पर गये थे। मैं भी उनके साथ गया। जयपुर से हम लोग रात्रि-बस में रवाना हुए। शाहपुरा, कोटपूतली, दिल्ली, मेरठ होती हुई हमारी बस सुबह हरिद्वार पहुँची। हरिद्वार को पुराने लोग हरद्वार कहते हैं। वहाँ पर गंगा नदी का शीतल प्रवाह अतीव मनोरम लगता है।

भीमघोड़ा नामक स्थान पर बैराज बना हुआ है जो अंग्रेजों के शासन-काल का है। वहीं से गंगा की एक धारा ब्रह्मकुण्ड में आती है। वहीं पर हर की पौड़ी है जहाँ सभी यात्री स्नान करते हैं। हमने भी वहीं पर स्नान किया। वहाँ पर सुन्दर ढंग से बने हुए कई घाट हैं, कई छोटे-छोटे मन्दिर और आर-पार जाने के लिए पुल बने हुए हैं। सन्ध्या के समय गंगा की आरती होती है, जिसमें हजारों लोग भाग लेते हैं और छोटे-छोटे दोनों में दीपक जलाकर धारा में प्रवाहित करते हैं। हरिद्वार के आस-पास मनसा देवी, चण्डी देवी, चाँदी घाट, कनखल, दक्ष प्रजापति का मन्दिर, ज्वालापुर, पतंजलि योगपीठ एवं विशाल भेल कारखाना है। गंगा की मुख्य धारा पर बड़ा-सा पावर हाउस बना हुआ है। इस तरह वहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य अतीव मनमोहक है।

व्याख्यात्मक प्रश्न

1. नगिन झील से …….. यत्र-तत्र ही दिखाई दे रहे थे।
2. सुरंग से पार ……….. धरती पर स्वर्ग है।
उत्तर:
सप्रसंग व्याख्या आगे दी जा रही है, उसे देखकर लिखिए।

RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 5 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 5 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
जम्मू के पास कौन-सी नदी बहती है?
(क) चिनाब
(ख) झेलम
(ग) टाबी
(घ) रावी।
उत्तर:
(ग) टाबी

प्रश्न 2.
बेनिहाल नामक स्थान पर कौन-सी पर्वत श्रेणी की चढ़ाई आरम्भ होती है?
(क) पीर-पंचाल की
(ख) हिमाचल की।
(ग) शिवालिक की
(घ) हाजी पीर की।
उत्तर:
(क) पीर-पंचाल की

प्रश्न 3.
बेनिहाल सुरंग पार करते ही कौन-सा कस्बा पड़ता है?
(क) रामवन
(ख) काजीकुण्ड
(ग) पामपुर
(घ) पहलगाँव
उत्तर:
(ख) काजीकुण्ड

प्रश्न 4.
शालीमार बाग का निर्माण किस बादशाह ने कराया था?
(क) शाहजहाँ
(ख) हुमायूँ
(ग) जहाँगीर
(घ) अकबर
उत्तर:
(ग) जहाँगीर

प्रश्न 5.
पहलगाँव से चन्दनवाड़ी तक किसकी दुग्ध-धवल धारा दिखाई देती है?
(क) झेलम की
(ख) चिनाब की
(ग) शेषनाग नाले की
(घ) नगिन झील की।
उत्तर:
(ग) शेषनाग नाले की

RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 5 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कुद नामक स्थान की ऊँचाई राजस्थान के किस पर्वत के बराबर है?
उत्तर:
कुद नामक स्थान की ऊँचाई राजस्थान के माउण्ट आबू की सबसे ऊँची चोटी गुरु-शिखर के बराबर है।

प्रश्न 2.
काश्मीर में सभी पुलों पर सख्त पहरा किस कारण लगा रहता है?
उत्तर:
काश्मीर में एकाध पुल जवाब दे दे या कोई शत्रु उसे नष्ट कर दे तो भारत से उसका सम्बन्ध टूट जायेगा, यातायात ठप्प हो जायेगा, इसी कारण वहाँ पर सख्त पहरा लगा रहता है।

प्रश्न 3.
किस पर्वत श्रेणी के पीछे काश्मीर घाटी स्थित है?
उत्तर:
पीरपंचाल पर्वत श्रेणी के पीछे काश्मीर की स्वर्गोपम सुरम्य घाटी स्थित

प्रश्न 4.
किस सुरंग को पार करने पर काश्मीर घाटी के दर्शन होते हैं?
उत्तर:
बेनिहाल सुरंग को पार करने पर काश्मीर घाटी के दर्शन होते हैं।

प्रश्न 5.
मुगल बादशाह शाहजहाँ ने कहाँ पर कौन-सा वाक्य लिखवाया था?
उत्तर:
मुगल बादशाह शाहजहाँ ने संगमरमर से बने अपने दीवान-ए-खास पर ‘गर फिरदौस बर रूए’ वाला वाक्य लिखवाया था।

प्रश्न 6.
श्रीनगर में झेलम पर कुल कितने पुल बने हुए हैं और लोग उन्हें किस नाम से पुकारते हैं?
उत्तर:
श्रीनगर में झेलम पर कुलं सात पुल बने हुए हैं और कश्मीरी लोग उन्हें ‘कादल’ नाम से पुकारते हैं।

प्रश्न 7.
श्रीनगर में सबसे महत्त्वपूर्ण दर्शनीय स्थान कौन-से हैं?
उत्तर:
श्रीनगर में सबसे महत्त्वपूर्ण दर्शनीय स्थान ये हैं-शंकराचार्य का मन्दिर, काश्मीरी कला-कृतियों का एम्पोरियम और डल झील।

प्रश्न 8.
निशात बाग का निर्माण किसने करवाया था?
उत्तर:
निशात बाग का निर्माण नूरजहाँ के भाई आसफ अली द्वारा करवाया गया था।

प्रश्न 9.
नगिन झील के पानी की क्या विशेषता है?
उत्तर:
नगिन झील का पानी इतना स्वच्छ है कि इसके अन्दर दस-पन्द्रह फीट की गहराई पर उगे हुए पौधे साफ देखे जा सकते हैं।

प्रश्न 10.
लेखक ने श्रीनगर में ‘स्वतन्त्र भारत की देन’ किसे बताया है?
उत्तर:
लेखक ने शंकराचार्य की पहाड़ी के समीप एक छोटे-से द्वीप पर निर्मित नेहरू पार्क को स्वतन्त्र भारत की देन बताया है।

RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 5 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
लेखक को सहयात्रियों की किस बात पर सहसा विश्वास नहीं हुआ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रामवन से आगे चढ़ाई थी, पीरपंचाल पर्वत-माला के शिखर दिखाई दे रहे थे। बेनिहाल नामक स्थान से आगे बढ़ने पर काफी ऊँचाई पर वृक्षावली समाप्त हो गई थी और चारों ओर भीमकाय पर्वत दिखाई दे रहे थे। उन पर्वतों की चोटियों पर कुछ सफेद रेखाएँ दिखाई देने लगीं, तो लेखक ने सहयात्रियों से उनके बारे में जानना चाहा। सहयात्रियों ने बताया कि वह बर्फ है। तब लेखक को सहसा विश्वास नहीं हुआ कि श्रीनगर पहुंचने से पहले हिम से ढके पर्वत-शिखरों के दर्शन होंगे। उसने कभी ऐसी कल्पना भी नहीं की थी।

प्रश्न 2.
बेनिहाल सुरंग को लेकर लेखक ने क्या उल्लेख किया है? बताइए।
उत्तर:
लेखक ने उल्लेख किया है कि सर्दियों में जब हिमपात होने से पर्वतीय मार्ग दुर्गम हो जाते हैं, तो उस समय आवागमन होता रहे, इस निमित्त सुरंग बनायी गयी। बेनिहाल दर्रा की पहली सुरंग छोटी है। उसके पास ही दो और सुरंगें बनाई। गई हैं, जिनमें एक जाने वाले वाहनों के लिए तथा एक आने वाले वाहनों के लिए निर्धारित है। इन सुरंगों के बन जाने से काश्मीर घाटी में आना-जाना सुविधाजनक हो गया है। इनसे पीरपंचाल पर्वत श्रेणी पर चढ़ाई-उतराई के मार्ग में लगभग 1718 मील की कटौती हो गई है तथा दुर्घटना का खतरा भी मिट गया है।

प्रश्न 3.
डल झील का लेखक ने क्या विवरण दिया है? लिखिए।
उत्तर:
लेखक ने वर्णन किया है कि झेलम नदी के उत्तर-पूर्व में विशाल डल झील है। चिनार बाग के निकट ही एक नहर निकाल रखी है जो डलगेट से डल झील में जुड़ती है। डलगेट डल झील और झेलम के जल की सतह का नियन्त्रण करता है तथा झेलम से नावों का डल झील में आना-जाना होता है। डल झील में तीन तरह की नावें चलती हैं। डल झील के अनेक स्थानों का पानी इतना स्वच्छ है कि नीचे धरातल स्पष्ट दिखाई देता है। इस झील के किनारे उगी हुई सेवार के घना हो जाने पर, उसकी तह बनाकर अनेक छोटे-बड़े खेत बनाये गये हैं, इनमें खेती होती है और कमल उगते हैं।

प्रश्न 4.
निशात एवं शालीमार बाग की कृत्रिम प्रपात-व्यवस्था का पठितांश के आधार पर वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रस्तुत यात्रा-वृत्त में लेखक ने वर्णन किया है कि श्रीनगर में निशात एवं शालीमार बाग में एक कृत्रिम नाले के जल को अनेक स्थानों पर प्रपात के रूप में गिराया गया है। उस नाले के प्रवाह के बीच-बीच में हौज और फव्वारे हैं। इस नाले का पानी जब रंग-बिरंगे फूलों की कतारों के मध्य में कलकल निनाद करता हुआ बहता है, तो बहुत ही आकर्षक लगता है। इसी प्रकार वहाँ पर अनेक प्रपातों से गिरती हुई जलधारा की कल्लोलें और बीच-बीच में छूटने वाले फव्वारों की जल-कणे सारे उपवन की शोभा को नन्दन-कानन की शोभा के समान रमणीय बना देती हैं।

प्रश्न 5.
श्रीनगर के अतिरिक्त काश्मीर घाटी में प्राकृतिक सौन्दर्य के अन्य स्थान कौन-से हैं?
उत्तर:
श्रीनगर के अलावा काश्मीर घाटी में प्राकृतिक सौन्दर्य के अनेक स्थान हैं। वहाँ पर जगह-जगह पर प्राकृतिक वैभव बिखरा पड़ा है। इस दृष्टि से वहाँ पर अमरनाथ, शेषनाग झील व उसके मार्ग में पड़ने वाले पहलगाँव की शोभा अद्वितीय है। चीड़ के घने जंगलों से व्याप्त गुलमर्ग, किलनमर्ग, बर्फ से ढका एफरवाट पर्वत तथा चन्दनवाड़ी आदि स्थान बहुत ही आकर्षक हैं। वहाँ पर शेषनाग नाले के प्रवाह से बिखरने वाली दुग्ध-धवल धाराएँ तथा हिम-क्रीड़ाओं की सुषमा अनोखी हैं। इस तरह काश्मीर घाटी का सारा क्षेत्र अतीव सुरम्य है और धरती का स्वर्ग है।

RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 5 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘हमारी काश्मीर यात्रा’ शीर्षक यात्रा-वृत्त में राजस्थान और कश्मीर के प्राकृतिक परिवेश में क्या अन्तर बताया गया है?
उत्तर:
प्रस्तुत यात्रा-वृत्त के प्रारम्भ में लेखक ने राजस्थान के परिवेश का चित्रण किया है तथा अन्य स्थलों पर भी संकेत रूप में राजस्थान और कश्मीर के प्राकृतिक परिवेश में अन्तर बताया है। लेखक ने सहज रूप में स्पष्ट किया है कि ग्रीष्म काल में सूर्य की किरणें राजस्थान की धरती को और यहाँ के निवासियों को अतिशय सन्तप्त करती हैं। इस कारण सभी लोग शीतल स्थानों पर शरण लेते हैं और वन्य जीव भी छायादार स्थानों पर विश्राम करते हैं। राजस्थान में नदियाँ-नाले कम हैं, पानी का अभाव-सा है, इस कारण धरती में आर्द्रता एवं सरसता नहीं रहती है और ग्रीष्म ऋतु में तो चारों ओर शुष्क हवा लू बनकर चलती है।

लेखक बताता है कि कश्मीर में जम्मू नगर को पार करते ही ग्रीष्म काल में भी सर्दी रहती है। वहाँ पर कुद नामक स्थान की ऊँचाई माउण्ट आबू के गुरुशिखर के बराबर है, परन्तु सर्दी अधिक है। बेनिहाल दर्रा की पर्वत चोटियों पर गर्मियों में भी बर्फ जमी रहती है। काश्मीर घाटी में नदी-नाले एवं झीलें काफी हैं, हरे-भरे वन एवं पर्वत हैं। पर्वतों के वृक्षरहित शीर्ष भागों में भी हरी घास उगी रहती है, जबकि राजस्थान की अरावली पर्वत-माला के ऊपरी भाग एकदम नंगेनीरस हैं। इस प्रकार राजस्थान और काश्मीर के प्राकृतिक परिवेश में काफी अन्तर बताया गया है।

रचनाकार का परिचय सम्बन्धी प्रश्न –

प्रश्न 1.
गणपतिचन्द्र भण्डारी के साहित्यिक व्यक्तित्व का परिचय दीजिए।
उत्तर:
राजस्थान के कवियों ने बीसवीं शती में पहले छायावादी, फिर प्रगतिवादी भावबोध को आत्मसात् किया। उन प्रगतिवादी चेतना के कवियों में गणपतिचन्द्र भण्डारी का नाम विशेष उल्लेखनीय है। ये मूल रूप से कवि हैं, तथापि ये निबन्धकार, आलोचक एवं यात्रा-वृत्त आदि के सुबुद्ध रचनाशील भी हैं। हास्य एवं व्यंग्य इनकी रचनाओं में पाथेय है, इनके निबन्धों में शिष्ट हास्य की सुन्दर अभिव्यक्ति हुई है। साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय रहने वाले गणपतिचन्द्र भण्डारी राजस्थान साहित्य अकादमी के मानद सदस्य रहे। प्राध्यापक होने से इनकी अभिव्यक्ति सरल, निष्कपट, निरावरण व्यक्तित्व से ओत-प्रोत है।

आत्मीयता इनके व्यक्तित्व का अन्यतम गुण है। भाषा की स्वच्छता, विचारों की स्पष्टता और भावों की संवेद्यता इनके साहित्यकार व्यक्तित्व की पहचान है। उनकी रचनाओं में उल्लेखनीय हैं‘रक्त-दीप’ कविता संग्रह, ‘परीक्षक के प्रति’, ‘बेवकूफ कौन?’ तथा ‘भगवान से भेंट’ आदि निबन्ध, विविध यात्रा-वृत्त एवं समीक्षाएँ। इनके निबन्धों में व्यक्तित्व की पहचान हो जाती है।

हमारी काश्मीर यात्रा लेखक परिचय-

राजस्थान के अत्यन्त लोकप्रिय कवियों में गणपति चन्द्र भण्डारी का विशेषतः उल्लेख किया जाता है। ये सामाजिक, साहित्यिक एवं शिक्षण संस्थाओं को संरक्षण एवं मार्ग-निर्देशन देकर अपनी सजगता व्यक्त करते रहते हैं। भण्डारीजी का व्यक्तित्व कवि, पर्यटक, निबन्धकार तथा आलोचक रूप में प्रखर दिखाई देता है। इनका ‘रक्त-दीप’ कविता-संग्रह काफी चर्चित है। इनकी कविताओं में इनके व्यक्तित्व की सरलता, निष्कपटता एवं सहजता के दर्शन हो जाते हैं। प्राध्यापक होने के नाते इनकी रुचि विषय-विश्लेषण की ओर
अधिक है, जिसमें शिष्ट हास्य-व्यंग्य का समावेश हुआ है। ‘परीक्षक के प्रति’, ‘बेवकूफ कौन’ तथा ‘भगवान् से भेंट’ आदि इनके चर्चित निबन्ध हैं।

(पाठ-सार)
‘हमारी काश्मीर यात्रा’ यात्रा-वृत्त में गणपति चन्द्र भण्डारी ने अपनी काश्मीर यात्रा का जो विवरण दिया है, उसका सार इस प्रकार है ग्रीष्म काल का आरम्भ-वृष राशि पर सूर्य के आते ही राजस्थान में भयंकर गर्मी पड़ने लगती है। उस काल में यहाँ के सैलानियों का मन पर्वतीय स्थानों की यात्रा के लिए लालायित रहता है। लेखक भी कुछ रोवर स्काउरों के साथ जोधपुर से काश्मीर के लिए रवाना हुआ। जोधपुर से जम्मू-लेखक का दल जोधपुर से दिल्ली, अमृतसर, पठानकोट होता हुआ जम्मू पहुँचा। राबी नदी से आगे जाने पर टावी नदी के पार जम्मू शहर पर्वतों की गोद में बसा हुआ है। यह सुन्दर पर्वतीय नगर है। जम्मू से आगे की यात्रा-लेखक का दल सन्ध्या को नौ बजे बस में सवार हुआ और कुद नामक स्थान पर पहुँचे। वहाँ पर रात में विश्राम किया। फिर सुबह वहाँ से प्रस्थान किया। मार्ग में राम वन के समीप चिनाब की धारा पार की। वहाँ से पहाड़ी सर्पाकार सड़क से बेनिहाल सुरंग को पार कर काश्मीर घाटी में प्रवेश किया।

बेनिहाले सुरंग की स्थिति-यह सुरंग काफी लम्बी है। इसमें एक ओर से मोटरों या अन्य वाहनों को प्रवेश दिया जाता है। सर्दियों में यह बर्फ से ढक जाती है। यह काफी ऊँचाई पर है तथा काश्मीर घाटी का प्रवेश द्वार है। घाटी में प्रवेश-बेनिहाल सुरंग पार करने पर काजीकुण्ड और पामपुर होते हुए लेखक का दल प्राकृतिक सौन्दर्य का आनन्द लेते हुए आगे बढ़ता रहा।

श्रीनगर की दर्शनीयता-श्रीनगर पहुँचकर लेखक का दल चिनारबाग में स्थित एक डोंगे में ठहरा। हाउस बोट या नावघर श्रीनगर की प्रमुख विशेषता है। चिनारबाग के निकट झेलम से निकली डलगेट नहर डल झील में जाती है। श्रीनगर के दर्शनीय स्थानों में एम्पोरियम, शंकराचार्य का मन्दिर और डल झील हैं।। अन्य दर्शनीय स्थल-श्रीनगर तथा काश्मीर घाटी प्राकृतिक सौन्दर्य को भण्डार तथा धरती का स्वर्ग है। वहाँ पर चश्मेशाही, शालीमार व निशात बाग बहुत आकर्षक हैं। डल झील से आगे नागिन झील एवं नेहरू पार्क हैं। श्रीनगर से आगे अमरनाथ, शेषनाग, गुलमर्ग, किलनमर्ग, एफरपाट पर्वत, पहलगाँव, चन्दनबाड़ी आदि अनेक दर्शनीय स्थान हैं। काश्मीर घाटी के प्राकृतिक सौन्दर्य को देखकर लेखक भावाभिभूत हो जाता है।

कठिन शब्दार्थ-
अहि = सर्प। दाघ = तपन। निदाघ == ग्रीष्म ऋतु। क्रोड = गोद। गिरिराज-कुमारी = पार्वती। पाद-पद्म = चरण-कमल। कल्लोले = कलरव। शीर्षस्थ = सबसे ऊपर स्थित। अर्बुद-गिरि = आबू पर्वत। हिमाच्छादित = बर्फ से ढका हुआ। भीमकाय = विशाल आकार। गिरिबालाओं = पहाड़ी युवतियों। रजत-कगार = चाँदी का किनारा। कल-पल्लव = कोमल हाथ। नवनीत-धवल = मक्खन जैसा सफेद। उपत्यका = पर्वत के नीचे की समतल भूमि। प्रस्तर = पत्थर। ईषत् धवल = थोड़ा सफेद। वर्तुलाकार = गोलाकार। प्रपात = झरना। निनाद = मधुर स्वर। गिरा = वाणी। छेटी = दूर। अनुकृति = नकल। कृति = रचना। यान = वाहन। कल = मधुर।

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