Rajasthan Board RBSE Class 11 Hindi संवाद सेतु Chapter 3 जनसंचार के आधुनिक माध्यम
जनसंचार के आधुनिक माध्यम पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1.
सोशल मीडिया के विविध प्रकार लिखिए।
उत्तर:
वर्तमान में सोशल मीडिया या सामाजिक नेटवर्किंग सेवा का प्रसार अनेक तरह से हो रहा है। यह ऑनलाइन सेवा के रूप में सामाजिक सम्बन्धों को बनाने में केन्द्रित होती है। इसका आदान-प्रदान वर्ल्ड वाइड नेटवर्क के सिद्धान्त पर चलता है। इसमें इन्टरनेट माध्यम प्रमुख है तथा उसके सहयोग से ब्लाग्स, फेसबुक, ह्वाट्सएप, ट्विटर, इन्स्ट्राग्राम आदि का संचालन होता है। ब्लाग्स में कोई सन्देश लिखकर या किसी विषय पर अपने विचार प्रकट कर आप तक पहुँचाये जाते हैं। इसमें सन्देश के साथ फोटो और वीडियो भी भेज सकते हैं।
फेसबुक भी इन्टरनेट के माध्यम से संचालित होता है। इसके पृष्ठों पर किसी के भी नाम, ईमेल आदि की खोज कर सकते हैं। ह्वाट्सएप स्मार्टफोन पर चलने वाला माध्यम है, जिससे कोई सूचना या सन्देश या फोटो आदि को तत्काल दूसरों तक भेजा जाता है। ट्विटर तो विचाराभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। इसमें ट्विट करने वाले वे कई फॉलोअर होते हैं। यह भी इन्टरनेट द्वारा संचालित होता है। इन्स्टाग्राम भी इसी तरह का माध्यम है। इससे एकसाथ कई व्यक्तियों को सूचना भेजी जा सकती है। इस प्रकारे वर्तमान में सोशल मीडिया का द्रुतगति से प्रसार हो रहा है। इसके अन्य प्रकारों के उपयोगों की सम्भावना बढ़ रही है।
प्रश्न 2.
सोशल मीडिया की शक्तियों और खतरों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सोशल मीडिया के केन्द्र में इन्टरनेट रहता है, अर्थात् इन्टरनेट के माध्यम से सामाजिक नेटवर्किंग सेवा का संचालन होता है। इस कारण सोशल मीडिया की शक्तियों का पार पाना कठिन है।
यथा–
- सोशल मीडिया से समान विचारों . एवं रुचियों को तत्काल ‘परस्पर साझा करने का अवसर मिलता है।
- इनसे भौगोलिक दूरियों को व्यवधान बाधक नहीं बनता है तथा दूरस्थ स्थानों के चित्रों, कार्यक्रमों, वीडियो, फोटो एवं सन्देश को तत्काल ग्रहण किया जा सकता है या मित्रों व परिचितों को भेजा जा सकता है। (3) विविध विषयों पर विश्व भर में हमें न्यूज ग्रुप्स से सीधा सम्बन्ध स्थापित हो जाता है।
- इनसे डाटाबेस एवं आँकड़ों की खोज भी तत्काल हो जाती है।
- विचारों एवं प्रतिक्रियाओं को तत्काल व्यक्त कर सम्प्रेषित करने का सोशल मीडिया श्रेष्ठ माध्यम है।
- सोशल मीडिया की प्रसार क्षमता असीमित है।
सोशल मीडिया में खतरे भी काफी हैं। वर्तमान में साइबर अपराध बढ़ रहे हैं, विद्वेष फैलाने वाले ट्विट किये जाते हैं, इन्स्टाग्राम पर चरित्र-हनन के दृश्य प्रसारित किये जाते हैं, ठगी की जाती है तथा ब्लैकमेकिंग के द्वारा दूसरों को हानि पहुँचायी जाती है। इस प्रकार सोशल मीडिया के सभी माध्यमों से साइबर अपराध के खतरे बढ़ रहे हैं। इनसे खतरनाक वायरस भेजकर संगृहीत मेमोरी को विलुप्त करने की घटनाएँ भी बढ़ रही हैं। इस कारण साइबर खतरों को रोकने के उपाय भी किये जाने लगे हैं। तथा सरकारी तन्त्र इसकी रोकथाम में सक्रिय है।
जनसंचार के आधुनिक माध्यम अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1.
सूचना-संचार क्रान्ति के युग में सम्प्रेषण का सशक्त माध्यम किसे . माना जाता है? बताइये।
उत्तर:
वर्तमान में हम जिस समय और परिवेश में साँस ले रहे हैं, वह संचार क्रान्ति का युग है। आज सूचनाएँ, उनका प्रचार-प्रसार समाज व्यवस्था का महत्त्वपूर्ण अंग बन गया है। नित्यप्रति नये-नये आविष्कार हो रहे हैं और परिणामस्वरूप सूचना लेने और देने के क्षेत्र में एक नयी क्रान्ति उत्पन्न हो गयी है। वैज्ञानिक आविष्कारों के परिणामस्वरूप रेडियो, टेलीविजन, फैक्स, टेलेक्स, वायरलैस, इण्टरनेट, टेलीफोन, टेलीप्रिंटर आदि के द्वारा हम संसार भर में घटित घटनाओं को पलभर में प्राप्त कर लेते हैं। कम-से-कम समय में आज दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक घटनाओं का सम्प्रेषण हो जाता है। इन घटनाओं को देख-सुनकर या पढ़कर हमें यदि इसमें हानि की सम्भावना दिखाई देती है, तो हम उससे बचने का उपाय भी कर लेते हैं। सूचनाक्रान्ति के इस युग में त्वरित सम्प्रेषण की दृष्टि से सभी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम और सोशल मीडिया के सभी माध्यम अतीव सशक्त माने जा रहे हैं।
प्रश्न 2.
“वर्तमान में जनसंचार के माध्यम इतने विकसित हो गये हैं कि हम विश्व से जुड़ गये हैं।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वर्तमान युग में विज्ञान ने वरदान बनकर हमारे सामने एक नयी दुनिया खोलकर रख दी है। विज्ञान ने नयी तकनीक प्रदान करके संचार के नये रूपों से हमारा परिचय करा दिया है। आज नया जमाना है, इसलिए जनसंचार के माध्यम निरन्तर विकसित होते जा रहे हैं। जनसंचार के नये-नये माध्यमों में मुद्रण माध्यम के अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक माध्यम और नव इलेक्ट्रॉनिक माध्यम या सोशल नेटवर्किंग माध्यम हमारे सामने हैं। परिणाम यह निकल रहा है कि मनुष्य बहुत कुछ नया सीख रहा है, नया ज्ञान प्राप्त कर रहा है और पुरानी पद्धतियों को छोड़ता हुआ अपनी नयी मानसिकता के अनुरूप जीने भी लगा है और आगे बढ़ने के लिए निरन्तर प्रयत्न करता दिखाई दे रहा है। किन्तु एक दुष्परिणाम यह भी सामने आ रहा है कि जैसे-जैसे जनसंचार के नये माध्यम सामने आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे व्यक्ति की कर्मठता भी कम होती जा रही है। अब वह मशीनों के सहारे या जनसंचार के माध्यमों के सहारे ही जीने लगा है। परिणामस्वरूप उसकी मानसिक शक्तियाँ बढ़ने लगी हैं।
प्रश्न 3.
जनसंचार माध्यमों की आवश्यकता किन कारणों से रहती है? संक्षेप में बताइये।।
उत्तर:
समाज में जनसंचार माध्यमों की सदैव आवश्यकता रहती है, इसके प्रमुख चार कारण माने जाते हैं
- परिवेश का निरीक्षण-समाज में निहित सामाजिक मूल्यों को प्रभावित करने वाले खतरों और अवसरों का पता लगाने की जरूरत रहती है।
- सामाजिक घटकों का सम्बन्ध-जनसंचार समाज के विभिन्न घटकों के बीच वैचारिक आदान-प्रदान और परस्पर सम्बन्ध स्थापित करता है। परिवेश के अनुसार सही प्रतिक्रिया हो, इसका पता लगाने की जरूरत पड़ती है।
- अगली पीढ़ी में स्थानान्तरण-जो सामाजिक विकास हुआ है, उसकी धारा निरन्तर चलती रहे, उसका अगली पीढ़ी में स्थानान्तरण हो। इसलिए समाज के विकास में जनसंचार की भूमिका महत्त्वपूर्ण रहती है।
- मनोरंजन-समाज में जनसंचार का एक विशेष कार्य यह है कि वह समाज के लिए मनोरंजन के कारण उपस्थित करता है। इस निमित्त भी उसकी आवश्यकता रहती है।
प्रश्न 4.
जनसंचार के कितने प्रकार या कितने रूप प्रचलित हैं? बताइए।
उत्तर:
आधुनिक काल में विविध यन्त्रों एवं इलेक्टॅनिक उपकरणों के आविष्कार से जनसंचार की आशातीत प्रगति हुई है। इस समय सूचना क्रान्ति अथवा सूचना प्रौद्योगिकी के रूप में रेडियो, फोन, दूरदर्शन, फैक्स, टेलेक्स, टेलीप्रिंटर, कम्प्यूटर, इंटरनेट, ई-मेल, मोबाइल, सेलुलर फोन, साइबर स्पेस, लेपॉप, टेलीटैक्स, मोडम, ईकॉमर्स आदि उपकरणों का प्रयोग हो रहा है तथा इनसे गाँव और शहरों की ही नहीं, सारे राज्यों एवं देशों की दूरियाँ एकदम समाप्त हो गई हैं। अब तोता, कौआ, दूत-दूती, कुट्टनी, कबूतर आदि प्राचीन संचार-साधन एकदम लुप्त हो गये हैं। जनसंचार के साधनों एवं उपकरणों का वर्गीकरण करने पर उसके पाँच-छः प्रकारों अथवा रूपों को निर्धारित किया जा सकता है, वे रूप इस प्रकार हैं—
- अन्तर्वैयक्तिक संचार
- अन्तर्वैयक्तिक संचार
- समूह संचार
- जन-संचार तथा
- पारस्परिक जनसंचार अथवा शाब्दिक संचार।
- अब इन्टरनेट एवं स्मार्टफोन से सोशल नेटवर्किंग सेवा को बढ़ावा दिया जा रहा है तथा इसके कई नये रूप सामने आ रहे हैं।
प्रश्न 5.
जनसंचार के आधुनिक माध्यम कौनसे हैं? संक्षेप में लिखिए। .
उत्तर:
जनसंचार के आधुनिक माध्यमों में ये प्रमुख माध्यम हैं—
- प्रिन्ट मीडिया
- इलेक्ट्रोनिक मीडिया तथा
- सोशल मीडिया।
प्रिन्ट माध्यम के अन्तर्गत समाचार-पत्र तथा सभी तरह की पत्रिकाएँ-पत्रादि आते हैं। इनमें समाचारों की मुद्रित माध्यम से प्रस्तुति रहती है। रेडियो श्रव्य तथा टेलीविजन श्रव्य-दृश्य माध्यम है। ये इलेक्ट्रोनिक माध्यम हैं। फिल्म भी इसी के अन्तर्गत आती है। सोशल मीडिया में इन्टरनेट पर पढ़ने, सुनने और देखने–तीनों की सुविधा है। इस विशेषता से वर्तमान में इन्टरनेट सर्वाधिक उपयोगी माना जाता है। लेकिन इस माध्यम की सुविधा सभी के पास नहीं रहती है। इस दृष्टि से समाचार-पत्र तथा पत्रिकाएँ सबसे सहज-प्राप्य जनसंचार माध्यम है। मनोरंजन की दृष्टि से रेडियो एवं टेलीविजन का अपना अलग महत्त्व है। इन सभी माध्यमों की लेखन-शैली एवं प्रस्तुति भिन्न है।
प्रश्न 6.
जनसंचार के विभिन्न माध्यमों की खूबियाँ और कमियाँ बताइए।
उत्तर:
जनसंचार के विभिन्न माध्यमों में से व्यक्ति अपनी रुचि एवं जरूरत के अनुसार किसी एक माध्यमे को अधिक पसन्द करता है और किसी दूसरे को कम। जैसे एक व्यक्ति समाचार-पत्र को पढ़ने से आनन्दित होता है तो दूसरा व्यक्ति रेडियो सुनने अथवा टेलीविजन पर घटनाओं की जीवन्त तस्वीरें देखने से आनन्दित होता है। इसी प्रकार कुछ लोग इन्टरनेट से चिपके रहते हैं। अतः इन सभी माध्यमों में रुचि-पूर्ति के कारण खूबियाँ या विशेषताएँ हैं, तो समय-साध्य या धन-व्ययादि के कारण कुछ कमियाँ भी हैं। वास्तविक रूप में देखा जाये तो जनसंचार के ये साधन एक-दूसरे से कमतर अथवा बेहतर न होकर परस्पर पूरक और सहयोगी हैं। इसी से इनकी उपयोगिता का निर्धारण होता है। उदाहरण के लिए इन्टरनेट से सोशल मीडिया के सभी साधन जुड़े हुए। हैं और इन्टरनेट के सहयोग से ही इनका संचालन या परिचालन होता है।
प्रश्न 7.
प्रिन्ट मीडिया या मुद्रित माध्यम का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
जनसंचार के माध्यमों में प्रिन्ट मीडिया अर्थात् मुद्रित माध्यम सबसे पुराना माध्यम है। आधुनिक युग में मुद्रण यानी छपाई के आविष्कार से मुद्रित माध्यम का प्रचलन हुआ। मुद्रण-कला का आविष्कार सर्वप्रथम चीन में हुआ, लेकिन आधुनिक छापेखाना का आविष्कार जर्मनी के गुटेनबर्ग ने किया। यूरोप में पुनर्जागरण रेनेसाँ’ का आरम्भ छापेखाना द्वारा ही माना जाता है। वहाँ पर प्रिन्ट माध्यम के द्वारा धर्म-प्रचार की पुस्तकों के साथ समाचार-पत्रों का प्रचलन हुआ। भारत में ईसाई मिशनरियों ने धर्म-प्रचार की पुस्तकें छापने के लिए पहला छापाखाना सन् 1556 में गोवा में खोला था। तब से अब तक मुद्रण-कला में काफी परिवर्तन आया है। अब मुद्रित माध्यम का व्यापक विकास एवं विस्तार हो गया है तथा हजारों पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन हो रहा है।
प्रश्न 8.
मुद्रित माध्यमों की विशेषताएँ एवं कमियाँ लिखिए।
उत्तर:
मुद्रित माध्यमों की विशेषताएँ ये हैं—
- छपे हुए शब्दों में स्थायित्व होता है जो लम्बे समय तक सुरक्षित रहता है।
- लिखित भाषा का विस्तार होता है।
- मुद्रित माध्यम चिन्तन, विचार और विश्लेषण का श्रेष्ठ माध्यम है।
- इसे बार-बार या कहीं से भी पढ़ा जा सकता है।
- इस माध्यम का पाठक साक्षर और विशेष योग्यताधारी होता है।
मुद्रित माध्यमों की कमियाँ ये हैं—
- यह निरक्षरों के लिए अनुपयोगी है।
- इसमें रेडियो, टेलीविजन एवं इन्टरनेट की तरह घटित-घटनाओं का तुरन्त प्रकाशन नहीं होता है।
- इसमें प्रकाशन की समय-सीमा ‘डेडलाइन’ निश्चित रहती है।
- इसमें पाठकों की रुचि, भाषा-ज्ञान आदि का ध्यान रखना पड़ता है।
- इसमें मुद्रण को लेकर काफी सावधानी रखनी पड़ती है।
प्रश्न 9.
मुदित माध्यमों में लेखन के लिए ध्यान रखने योग्य बातें स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मुद्रित माध्यमों में लेखन के लिए ध्यान रखने योग्य बातें ये हैं
- लेखन में भाषा, व्याकरण, वर्तनी और शैली का ध्यान रखना जरूरी है। इसमें प्रचलित भाषा पर जोर दिया जाता है।
- समय-सीमा (डेडलाइन) और आवण्टित जगह के अनुशासन का पालन करना हर हालत में जरूरी है।
- लेखन और प्रकाशन के बीच गलतियों एवं अशुद्धियों का संशोधन करना जरूरी होता है।
- लेखन में प्रयुक्त भाषा एवं विषय-सामग्री में तारतम्य बनाये रखने पर पूरा ध्यान देना पड़ता है।
- मुद्रित माध्यम में लेखकों को स्पेस का, विराम-चिह्नों एवं भावानुरूप शब्द-प्रयोग। का ध्यान रखना पड़ता है। इन सभी बातों पर ध्यान रखने से माध्यम सम्प्रेष्य बन जाता है।
प्रश्न 10.
जनसंचार माध्यम के रूप में रेडियो का परिचय दीजिए।
उत्तर:
रेडियो जनसंचार का श्रव्य माध्यम है। इसमें कुछ ध्वनि, स्वर और शब्दों का प्रयोग होता है। इसे श्रोताओं से संचालित माध्यम माना जाता है। रेडियो से जब समाचार-बुलेटिन का प्रसारण होता है, तभी श्रोता उसे सुन पाता है। अतः यह समाचार-पत्र की तरह स्वतन्त्र साधन या इच्छानुसार बार-बार लौटकर पढ़ने-सुनने का साधन नहीं है। रेडियो-प्रसारण के समय ही श्रोता को सब कुछ समझना, सुनना एवं जान लेना पड़ता है।
रेडियो मूल एकरेखीय (लीनियर) माध्यम है। रेडियो समाचार का स्वरूप, ढाँचा और शैली एकरेखीय आधार पर ही तय होता है। इसमें सब कुछ शब्दों और ध्वनियों पर आधारित होता है। रेडियो से प्रसारण या बुलेटिन के लिए निर्धारित समय पर ही समाचार सुना जा सकता है।
प्रश्न 11.
रेडियो-समाचार की संरचना का स्वरूप कैसा होता है?
उत्तर:
रेडियो के लिए समाचार की संरचना समाचार-पत्रों से भिन्न होती है। टेलीविजन में दृश्यों और तरवीरों के साथ ही शब्दों या ध्वनियों का प्रयोग होता है, परन्तु रेडियो में शब्द और ध्वनि का ही प्रयोग होता है। रेडियो के लिए समाचार की संरचना एकरेखीय तथा उलय पिरामिड (इन्वर्टेड पिरामिड) शैली पर आधारित होती है। चाहे किसी भी प्रकार का समाचार हो, उसकी संरचना उलय पिरामिड शैली में लिखने से ही वह प्रभावी होती है और यही शैली इसमें सर्वाधिक प्रचलित रहती है। इसमें शब्द सरल, सुश्रव्य, भाव-सम्प्रेषण में सक्षम और समाचारानुरूप प्रयुक्त होते हैं। समाचार-संरचना या खबरें, स्टोरीज आदि इसी शैली में लिखी जाती हैं तथा प्रसारित होती हैं।
प्रश्न 12.
समाचार-संरचना की उलटा पिरामिड शैली का स्वरूप बताइए।
उत्तर:
उलटा पिरामिड शैली में ये बिन्दु होते हैं—
- इसमें सबसे पहले समाचार का महत्त्वपूर्ण तथ्य लिखा जाता है।
- उसके बाद घटते हुए अन्य तथ्यों एवं सूचनाओं को लिखा जाता है।
- उलटा पिरामिड शैली में कहानी का क्लाइमेक्स अन्त में नहीं, बल्कि खबर के प्रारम्भ में आ जाता है।
- इस शैली में कोई निष्कर्ष नहीं होता है।
- उलटा पिरामिड शैली के तीन हिस्से होते हैं
- इंट्रो या लीड, इसे हिन्दी में मुखड़ा भी कहते हैं। इसमें मूल तत्त्व को शुरू की। दो-तीन पंक्तियों में बताया जाता है।
- बॉडी में समाचार के विस्तृत ब्योरे को घटते हुए महत्त्वक्रम में लिखा जाता है।
- समापन वाला हिस्सा बॉडी से जुड़ा रहता है। इसमें प्रासंगिक सूचनाएँ दी जा सकती हैं।
प्रश्न 13.
जनसंचार माध्यमों में टेलीविजन का महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
टेलीविजन देखने और सुनने का अर्थात् दृश्य-श्रव्य माध्यम है। इसमें दृश्यों को विशेष महत्त्व दिया जाता है। टेलीविजन के परदे पर जो दृश्य दिखाये जाते हैं, समाचारों की स्क्रिप्ट या आलेख भी तदनुसार ही होता है। इस माध्यम में समाचारलेखन हेतु कम-से-कम शब्दों में ज्यादा-से-ज्यादा समाचार प्रसारित करने की कला का इस्तेमाल होता है। समाचार-पत्र तथा रेडियो एकांगी माध्यम हैं, परन्तु टेलीविजन इनसे काफी भिन्न है तथा यह वर्तमान में सर्वाधिक लोकप्रिय एवं विश्वस्त जनसंचार माध्यम है। इससे समाचारों के साथ ही मनोरंजन एवं शिक्षा का कार्य भी सम्पन्न होता है।
प्रश्न 14.
टेलीविजन के लिए समाचार-लेखन में फार्मेट के अतिरिक्त किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है?
उत्तर:
टेलीविजन के लिए समाचार-लेखन में प्रारम्भिक सूचना तथा दृश्यों के आधार पर खबरें लिखने से की जाती हैं। इसमें कुछ अन्य बातें भी ध्यान में रखनी। पड़ती हैं, यथा–
- टेलीविजन समाचार-लेखन में शब्दों के द्वारा दृश्यों को आगे किया जाता है।
- टी.वी. लेखन में केवल शब्द और दृश्य नहीं होते हैं, अपितु बीच में ध्वनियाँ भी होती हैं।
- इसमें दृश्य और शब्द यानी विजुअल और वॉयस ओवर के साथ दो तरह की आवाजें होती हैं-एक तो बाइट तथा दूसरी दृश्य के अनुरूप नेट साउण्ट यानी प्राकृतिक आवाजें।
- टी.वी. पर ध्वनियों से भी खबर। बनती है या दृश्य का मिजाज बनता है।
- टी.वी. समाचार-लेखन में भाषा संयत होनी चाहिए, वाक्य छोटे और सुगठित होने चाहिए।
प्रश्न 15.
टेलीविजन के लिए समाचार-लेखन की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
टेलीविजन आम आदमी को माध्यम है। हमारे देश में श्रोता-दर्शक प्रायः निरक्षर से लेकर मध्यम वर्ग के अधिक हैं। अतः इसके लिए भाषा आसानी से समझने योग्य होनी चाहिए। टेलीविजन के समाचारों की भाषा आपसी बोलचाल की, स्तर एवं गरिमा के अनुरूप, सरल तथा सम्प्रेषणीय होने चाहिए। इसमें वाक्य छोटे एवं स्पष्ट-सरल, सुवाच्य और उच्चारण-योग्य होने चाहिए। टेलीविजन समाचारों में एवं, तथा, किन्तु, परन्तु आदि अव्यय-शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, इनकी जगह और, या, लेकिन आदि शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। इसी प्रकार गैर-जरूरी विशेषणों, समस्त-पदों और अतिरंजित उपमाओं के प्रयोग से बचना चाहिए। भाषाशैली आम बोलचाल एवं बातचीत की तरह होनी चाहिए।
प्रश्न 16.
रेडियो और टेलीविजन समाचार की भाषा और शैली की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
रेडियो और टेलीविजन आम आदमी के माध्यम हैं। इन्हें सुनने-देखने वाले लोगों में निरक्षर एवं किसान-मजदूर भी होते हैं तो पढ़े-लिखे भी होते हैं। अतः रेडियो एवं टेलीविजन की भाषा आसानी से सभी की समझ में आनी चाहिए, परन्तु इसमें भाषा का स्तर एकदम गिरा हुआ नहीं होना चाहिए। भाषा आम बोल-चाल की, वाक्य छोटे, सीधे एवं स्पष्ट, सम्प्रेषणीय तथा प्रवाहपूर्ण होनी चाहिए। भाषा में विशेषणों, समस्त पदों एवं अतिरंजित उपमाओं का प्रयोग नहीं होना चाहिए। उपर्युक्त, निम्नलिखित, क्रमांक आदि का प्रयोग नहीं होना चाहिए। इसमें मुहावरों का प्रयोग स्वाभाविक रूप से तथा आवश्यकता होने पर ही किया जाना चाहिए। किन्तु, परन्तु, या, अथवा आदि शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। भाषा-शैली स्वाभाविक, प्रवाहयुक्त, रोचक और सम्प्रेषणीय होनी चाहिए।
प्रश्न 17.
जनसंचार माध्यम के रूप में इन्टरनेट का उपयोग एवं महत्त्व बताइये।।
उत्तर:
इन्टरनेट जनसंचार का तीव्र प्रोसेसिंग माध्यम है। इसे इन्टरनेट पत्रकारिता, ऑनलाइन पत्रकारिता, साइबर पत्रकारिता या वेब पत्रकारिता कहा जाता है। वर्तमान में इन्टरनेट अत्यधिक लोकप्रिय एवं उपयोगी माध्यम है। इन्टरनेट के अभ्यस्त लोगों को चौबीसों घण्टे इसकी सुविधा उपलब्ध है और इन्हें अखबारों में छपे समाचार उतने ताजे और मनभावन नहीं लगते हैं। व्यक्तिगत कम्प्यूटर रखने वाले तथा उच्च क्षमता के सेलफोन रखने वाले इन्टरनेट का कनेक्शन लेते हैं। इन्टरनेट पर एक ही झटके में सभी खबरें पढ़ सकते हैं, दुनिया भर की चर्चाओं-परिचर्चाओं में भाग ले सकते हैं और अखबारों की पुरानी फाइलें खंगाल सकते हैं। इन्टरनेट समाचार पढ़ने, भेजने एवं सूचना प्राप्त करने का और ज्ञानवर्धन का सर्वश्रेष्ठ माध्यम होने से अतीव महत्त्व रखता है।
प्रश्न 18.
इन्टरनेट का स्वरूप एवं उपयोगिता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इन्टरनेट अन्तरक्रियात्मकता (इन्टर-एक्टिविटी) और विश्व के करोड़ों : कम्प्यूटरों को जोड़ने वाला ऐसा संजाल है जो केवल एक टूल अर्थात् औजार से सूचनाओं के विशाल भण्डार का माध्यम है। यह सूचना, मनोरंजन, ज्ञान, व्यक्तिगत तथा सार्वजनिक संवादों के आदान-प्रदान का त्वरित माध्यम है। इन्टरनेट का प्रयोग रिसर्च या शोध के काम में भी किया जाता है। टेलीविजन या अन्य समाचार माध्यमों में खबरों के बैकग्राउण्ड तैयार करने या तत्काल पृष्ठभूमि खोजने का यह उपयोगी साधन है।
इन्टरनेट की उपयोगिता यह है कि यह एक जगह से दूसरी जगह एक सेकेण्ड में 56 किलो बाइट अर्थात् लगभग सत्तर हजार शब्द भेज सकता है। यह कम्प्यूटरों और सेलफोनों से सन्देश आदान-प्रदान का एक सशक्त एवं तीव्रतम माध्यम है।
प्रश्न 19.
सोशल मीडिया में फेसबुक का परिचय एवं महत्त्व बताइये।
उत्तर:
सामाजिक नेटवर्किंग साइट (सोशल मीडिया) में फेसबुक इन्टरनेट के माध्यम से संचालित होता है। इसके द्वारा सदस्य अपने परिवार, मित्र और परिचितों के साथ सम्पर्क में रहते हैं। इससे एक-दूसरे के साथ अपने विचारों का आदान-प्रदान भी करते हैं। यह नेटवर्किंग सेवा सन् 2004 से मार्क जुकरबर्ग द्वारा प्रारम्भ की गई है। इसकी अनेक विशेषताएँ हैं। यह सामाजिक नेटवर्किंग होते हुए भी पूर्णतया व्यक्तिगत
माध्यम भी है। इस माध्यम से किसी भी कार्यक्रम, संगोष्ठी या किसी अन्य अवसर के लिए आमन्त्रण की सूचना भी दी जा सकती है। फेसबुक के पृष्ठ पर किसी को भी उसके नाम, ई-मेल आदि से खोज सकते हैं और उस तक अपना सन्देश पहुँचा सकते हैं। इन्टरनेट के माध्यम से संचालित होने से इसे भौगोलिक सीमाओं में नहीं बाँधा जा सकता है। इससे सन्देश के साथ ही ऑडियो-वीडियो, चित्र आदि को साझा कर सकते हैं।
प्रश्न 20.
व्हाट्सएप को सोशल मीडिया में महत्त्व बताइए।
उत्तर:
सामाजिक नेटवर्किंग साइट में व्हाट्सएप का विशेष महत्त्व है। यह इन्टरनेट की सहायता से तत्काल सूचना प्रेषित करने का माध्यम है तथा स्मार्टफोन से संचालित होता है। इसकी विशेषता एवं उपयोगिता यह है कि—
- इसके द्वारा अपने परिचितों, मित्रों या व्यक्ति विशेष को तत्काल सन्देश एवं चित्र भेजा जा सकता है।
- इससे व्यक्तिगत सूचना, निमन्त्रण, शुभ-कमना एवं बधाई-सन्देश आदि तत्काल भेजा जा सकता है।
- व्हाट्सएप के द्वारा एक ही सन्देश या फोटो आदि को एकसाथ कई लोगों तक पहुँचाया जा सकता है।
- यह सन्देश एवं सूचना प्रेषण का:गोपनीय माध्यम भी है अर्थात् जिसे सन्देश भेजा जावे, वही इसे अपने स्मार्टफोन पर पढ़-देख सकता है।
- इन्टरनेट, वाई-फाई, एप आदि सभी ऐसे माध्यम हैं जो स्मार्टफोन से संचालित होते हैं। इसका सोशल मीडिया में सर्वाधिक महत्त्व है।
प्रश्न 21.
ट्विटर की उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
सामाजिक नेटवर्किंग सेवा में ट्विटर की उपयोगिता अनेक प्रकार से है। इसमें ट्विटर का एक पृष्ठ होता है, उस पर वह शब्दों के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करता है, इसे ही ट्वीट करना कहते हैं। ट्विटर के मुखपृष्ठ के सन्देश या सूचना को दूसरे उपयोगकर्ता अथवा उसके फोलोअर पढ़ सकते हैं। इसे चाहें तो अपने मित्रों तक सीमित कर सकते हैं। ट्विटर सेवा इन्टरनेट पर निःशुल्क होती है। इसकी सबसे बड़ी उपयोगिता यह है कि इसके माध्यम से कोई निश्चित व्यक्ति किस समय क्या कर रहा है, इसका पता लगाया जा सकता है। ट्विटर का आरम्भ सन् 2006 में हुआ था, यह सेवा अब अत्यधिक लोकप्रिय हो रही है। विचाराभिव्यक्ति, सूचना सम्प्रेषण एवं संचार सेवा की दृष्टि से ट्विटर सेवा को एक मुक्त सेवा माना जाता है। संचार क्रान्ति में इसका विशेष महत्त्व है।
प्रश्न 22.
वर्तमान युग में संचार क्रान्ति के प्रभाव का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संचार का सामान्य अभिप्राय लोगों का आपस में विचार-विनिमय, ज्ञान, सूचना तथा भावनाओं का संकेतों के द्वारा आदान-प्रदान करना है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति या व्यक्तियों से सार्थक प्रतीकों या संकेत-चिह्नों से सम्प्रेषणात्मक व्यवहार करना ही संचार है। पहले परम्परागत संचार माध्यम प्रचलित रहे, फिर मुद्रित। माध्यमों का विकास हुआ और फिर इलेक्ट्रोनिक माध्यमों का उपयोग होने लगा। इस – प्रकार समाचार-पत्र, रेडियो, टेलीविजन, स्मार्टफोन के साथ वेब मीडिया का युग आया। वर्तमान में कम्प्यूटर एवं इन्टरनेट के साथ वेब मीडिया के नये माध्यमों का आविष्कार हुआ। सोशल मीडिया के ब्लाग्स, फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर तथा इन्स्यग्राम आदि नये माध्यमों ने अब संचार के पारम्परिक माध्यमों का स्थान ले लिया। इन सब नये माध्यमों के रूप में संचार क्रान्ति का प्रभाव स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
जनसंचार के आधुनिक माध्यम अध्याय-सार
वर्तमान वैज्ञानिक आविष्कारों के युग में जनसंचार के नये माध्यमों का प्रचलन उत्तरोत्तर बढ़ रहा है। यहाँ ऐसे आधुनिक माध्यमों का संक्षिप्त परिचय दिया जा रहा-
1. मुद्रित माध्यम-जनसंचार के आधुनिक माध्यमों में मुद्रित माध्यम की गणना सर्वप्रथम की जाती है। इसके अन्तर्गत समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ एवं पम्फलेट आते हैं। जनसंचार के मुद्रित माध्यम से इस क्षेत्र में एक नयी क्रान्ति आ गई है। समाचार-पत्र एवं पम्फलेट के द्वारा कोई भी सूचना या सन्देश विशाल जन-समूह तक पहुँचाना आसान हो गया है। स्वतन्त्रता आन्दोलन में मुद्रित माध्यम समाचार
पत्र, पम्फलेट, पत्रिकाओं ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मुद्रित माध्यम की विशेषता यह है कि इन्हें कई बार पढ़ सकते हैं और साक्ष्य के लिए सुरक्षित रख सकते हैं। इनका प्रसार शिक्षित वर्ग में होता है। इसमें भाषा की शुद्धता, सुगमता एवं सार्थकता का पूरा ध्यान रखा जाता है।
2. इलेक्ट्रोनिक माध्यम-वर्तमान में अनेक नये आविष्कारों से इलेक्ट्रोनिक माध्यम का प्रचलन उत्तरोत्तर बढ़ता जा रहा है। इस माध्यम में श्रव्य, दृश्य और श्रव्य-दृश्य माध्यम आते हैं, जो इस प्रकार हैं
(क) रेडियो-यह जनसंचार का श्रव्य माध्यम है। इससे जन-समूह तक सन्देश एवं सूचनाओं का प्रसारण होता है। यह शिक्षित वर्ग के साथ ही अशिक्षित लोगों के लिए संचार का सशक्त माध्यम है। इससे दूर-दराज के क्षेत्रों में भी तत्काल सन्देश का प्रसारण हो जाता है। रेडियो-ट्रांजिस्टर कहीं भी साथ में ले जाया जा सकता है।
(ख) टेलीविजन-यह जनसंचार का दृश्य एवं श्रव्य माध्यम है। इससे जो सन्देश प्राप्त होता है, उससे सम्बन्धित दृश्य या घटना भी दिखाई देती है। वर्तमान में यह माध्यम अत्यधिक लोकप्रिय है, परन्तु यह बिजली के बिना नहीं चल पाता है। इससे सूचना-सन्देश के साथ ही मनोरंजन के अनेक कार्यक्रम, विज्ञापन तथा ज्ञान-विज्ञान की बातों का सम्प्रेषण होता है। वर्तमान में साक्षर एवं निरक्षर सभी लोगों में यह संचार का प्रभावशाली सशक्त माध्यम है।
(ग) फिल्म-यह भी दृश्य-श्रव्य माध्यम है। फिल्मों का जनमानस पर काफी प्रभाव पड़ता है। फिल्मों की घटनाओं की जनता पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है और वे उसी के अनुसार आचरण या नकल करने लगते हैं। फिल्म मनोरंजन का माध्यम होने के साथ समाज-सुधार का माध्यम भी है। इससे सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के प्रयास किये जाते हैं, परन्तु साथ ही इससे कुछ गलत प्रभाव भी पड़ता है।
3. सोशल मीडिया-सामाजिक नेटवर्किंग सेवा एक ऐसी ऑनलाइन साइट या सेवा है जो सामाजिक सम्बन्धों पर केन्द्रित होती है। अधिकतर सामाजिक नेटवर्किंग सेवाएँ वेब पर आधारित होती हैं। इन सेवाओं का प्रयोग करने वालों को इन्टरनेट का प्रयोग करते हुए एक-दूसरे से सम्पर्क करना पड़ता है। इन्टरनेट सूचनाओं, दस्तावेजों तथा तमाम जानकारियों के आदान-प्रदान के लिए बनाया गया है। यह नेटवर्क वल्र्ड वाइड नेटवर्क के सिद्धान्त पर कार्य करता है। यह समस्त सूचनाओं एवं दूरभाष यन्त्रों के अन्तर्गत होता है। इन्टरनेट के माध्यम से कहीं से भी और विश्व के किसी भाग की भी जानकारी प्राप्त हो जाती है तथा सन्देशों का त्वरित गति से प्रसारण हो जाता है। इन्टरनेट ने भौगोलिक दूरियों को समाप्त कर सबको एक धरातल पर खड़ा कर दिया है। यह सामाजिक सद्भाव बढ़ाने वाला तथा ज्ञान-विज्ञान व सूचना–संवाद का सशक्त सामाजिक सम्पर्क माध्यम माना जाता है। सोशल मीडिया के इसी प्रकार अन्य माध्यम भी हैं, जो इस प्रकार हैंब्लॉग-इसे ऑन लाइन डायरी कह सकते हैं, जिसमें हमें जो अच्छा लगता है वह लिख सकते हैं। अगर कोई सन्देश या किसी विषय पर अपने विचारों को सब तक पहुँचाना चाहते हैं, तो वह भी ब्लॉग के माध्यम से किया जा सकता है। इसकी ये विशेषताएँ हैं
- ब्लॉग सन्देश-प्रेषक पोस्टकार्ड जैसा है।
- इसमें सन्देश का प्रेषण व्यक्तिगत होते हुए भी सामाजिक होता है।
- इसके माध्यम से सन्देश के साथ फोटो भी दी जा सकती है।
- ब्लॉग के माध्यम से वीडियो भी भेजा जा सकता है।
- अपने अनुभव दूसरों से साझा करने का यह श्रेष्ठ माध्यम है।
फेसबुक-यह इन्टरनेट के माध्यम से संचालित होने वाली सामाजिक नेटवर्किंग सेवा है, इसके द्वारा इसके सदस्य अपने मित्रों, अपने परिवार के लोगों तथा परिचितों या सम्बन्धियों के साथ सम्पर्क में रहते हैं। इससे एक-दूसरे के साथ अपने विचारों का आदान-प्रदान भी करते हैं। फेसबुक का आरम्भ सन् 2004 में मार्क जुकरबर्ग ने किया था। उस समय इसका नाम ‘द फेसबुक’ था, जिसे बदलकर सन् 2005 में ‘फेसबुक’ कर दिया गया। इसकी ये विशेषताएँ हैं—
- फेसबुक में हिन्दी के अलावा अन्य भाषाओं की सुविधा भी है।
- इसके पृष्ठ पर किसी को भी उसके नाम, ईमेल आदि से भी खोज सकते हैं।
- इससे किसी कार्यक्रम, संगोष्ठी या अन्य किसी अवसर के लिए आमन्त्रण की सूचना भी दे सकते हैं।
- इसके माध्यम से.फोटो, ऑडियो-वीडियो के साथ सन्देश-प्रेषण किया जा सकता है।
- इससे सन्देश सूचना या संवाद सुविधा को भौगोलिक दूरियों में नहीं बाँधा जा सकता है।
- यह सामाजिक नेटवर्किंग होते हुए भी नितान्त व्यक्तिगत माध्यम भी है। तथा सीमित लोगों तक नियन्त्रित किया जा सकता है।
व्हाट्सएप-यह स्मार्टफोन पर चलने वाला तत्काल सूचना प्रेषित करने वाला लोकप्रिय माध्यम है। इसका संचालन इन्टरनेट के माध्यम से होता है। इसकी विशेषताएँ ये हैं।
- इसके द्वारा अपने परिचित, मित्र या व्यक्ति विशेष को लिखित सन्देश भेजा जा सकता है।
- इससे व्यक्तिगत सूचना, निमन्त्रण, शुभकामना एवं बधाई सन्देश भेजा जा सकता है।
- केवल फोटो, ऑडियो-वीडियो का प्रेषण किया जा सकता है।
- एक साथ कई लोगों तक अपनी बात को पहुँचाया जा सकता है।
- इसके लिए दोनों ओर स्मार्टफोन को उपयोग जरूरी रहता है।
- वर्तमान में तत्काल सन्देश-प्रेषण का यह श्रेष्ठ माध्यम है।
ट्विटर-यह सामाजिक नेटवर्किंग सेवा की एक मुक्त सेवा है। इसमें ट्विट करने वाला व्यक्ति शब्दों के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करता है। इसे ही |’ट्वीट करन’ कहते हैं। ट्विटर का एक पृष्ठ होता है, उस पर जो कुछ लिखा।
जाता है, उसे फालोअर या उपयोगकर्ता के अनुयायी व समर्थक पढ़ सकते हैं। इसकी ये विशेषताएँ हैं
- ट्वीट किये गये सन्देश या विचार को सब पढ़ सकते हैं।
- इसे अपने मित्रों एवं परिचितों तक सीमित किया जा सकता है।
- यह इन्टरनेट पर निःशुल्क उपलब्ध रहता है।
- ट्विटर सेवा इन्टरनेट पर सन् 2006 से आरम्भ हुई थी, जो अब अत्यधिक लोकप्रिय सेवा है।
- इसके माध्यम से हम यह पता लगा सकते हैं कि कोई निश्चित व्यक्ति किस समय क्या कर रहा है या कहाँ जा रहा है।
इन्स्टाग्राम-यह इन्टरनेट से चलने वाला माध्यम है। यह लोकप्रिय सोशल नेटवर्किंग एप है। इसके माध्यम से अपनी टिप्पणी के साथ फोटो अपलोड की जाती है तथा अपने परिचित व्यक्तियों के साथ उसे साझा किया जा सकता है। इस माध्यम से कम समय में एक साथ कई व्यक्तियों अर्थात् परिचितों-अपरिचितों सभी को सूचना-सन्देश पहुँचाया जा सकता है। संचार-क्रान्ति का प्रभाव वर्तमान युग संचार-क्रान्ति का युग है। इस युग में कम्प्यूटर और इन्टरनेट के साथ संचार के अनेक क्षेत्र विकसित हो रहे हैं।
संचार का सामान्य अभिप्राय लोगों को आपस में विचार, आचार, ज्ञान तथा मनोभावों का सांकेतिक आदान-प्रदान की सुविधा देना है। प्राचीन समय में जनसंचार के जो परम्परागत माध्यम थे, वे सीमित और पूरी तरह गतिशील नहीं थे। वर्तमान में पहले मुद्रित माध्यमों का प्रसार हुआ, अर्थात् समाचारपत्र-पत्रिकाओं का बड़ी मात्रा में प्रकाशन होने लगा। फिर श्रव्यदृश्य माध्यम के रूप में रेडियो एवं टेलीविजन का प्रसार हुआ। अब वेब मीडिया का युग आ गया है। इस प्रकार परम्परागत जनसंचार माध्यमों का स्थान नगण्य रह गया है। मुद्रित माध्यम के अलावा इलेक्ट्रोनिक माध्यम पूरी प्रगति पर है। संचार क्रान्ति में अब वेब मीडिया का प्रभुत्व बढ़ रहा है, जिसे नये संचार माध्यमों का उपयोग अधिकाधिक होने लगा है।
सारांश यह है कि जनसंचार का मौजूदा स्वरूप तकनीकी तौर पर समृद्ध और सर्वव्यापक हो गया है। आज इन्टरनेट तथा सोशल मीडिया ने पूरे विश्व पर अधिकार कर लिया है।
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