Rajasthan Board RBSE Class 11 History Chapter 6 1919-1945 के मध्य का विश्व
RBSE Class 11 History Chapter 6 पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर
RBSE Class 11 History Chapter 6 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
राष्ट्र संघ की स्थापना में किस अमेरिकी राष्ट्रपति का सर्वाधिक योगदान रहा?
उत्तर:
राष्ट्र संघ की स्थापना में अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन का सर्वाधिक योगदान रहा।
प्रश्न 2.
आर्थिक मंदी से उबरने के लिए न्यूडील की नीति किसने अपनाई?
उत्तर:
आर्थिक मंदी से उबरने के लिए सन् 1933 ई. में अमेरिका में राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने न्यू डील की नीति अपनाई।
प्रश्न 3.
इटली में फॉसीवाद का नेता कौन था?
उत्तर:
इटली में फॉसीवाद का नेता बेनिटो मुसोलिनी था।
प्रश्न 4.
लोसाने की सन्धि कब एवं किन देशों के मध्य हुई थी?
उत्तर:
लोसाने की सन्धि 1923 ई. में यूनान एवं इटली के मध्य हुई।
प्रश्न 5.
स्वास्तिक किस दल का प्रतीक चिन्ह था?
उत्तर:
स्वास्तिक नाजीदल का प्रतीक चिन्ह था।
प्रश्न 6.
हिटलर द्वारा लिखी पुस्तक का क्या नाम है?
उत्तर:
हिटलर द्वारा लिखी पुस्तक का नाम ‘मीन काम्फ’ है।
प्रश्न 7.
द्वितीय विश्व युद्ध कब आरम्भ हुआ था?
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध सन् 1939 ई. से आरम्भ हुआ था।
प्रश्न 8.
परमाणु बम का प्रयोग सर्वप्रथम किस राष्ट्र द्वारा किया गया?
उत्तर:
परमाणु बम का प्रयोग सर्वप्रथम संयुक्त राज्य अमेरिका के द्वारा किया गया।
प्रश्न 9.
सुरक्षा परिषद में कुल कितने सदस्य होते हैं?
उत्तर:
सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य होते हैं। 5 स्थायी और 10 अस्थायी।
प्रश्न 10.
‘निषेधाधिकार’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
यदि कोई स्थायी सदस्यं नकारात्मक मत देता है तो उसे निषेधाधिकार (वीटो) कहते हैं।
RBSE Class 11 History Chapter 6 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मेण्डेट व्यवस्था’ क्या थी ?
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध के अन्त में जर्मनी और टर्की से प्राप्त उपनिवेशों के प्रशासन का उत्तरदायित्व राष्ट्र संघ को मिला। राष्ट्र संघ ने जिस व्यवस्था के अन्तर्गत जापान, फ्रांस, बेल्जियम, इंग्लैण्ड आदि देशों के संरक्षण में प्रशासन के लिए जिन उपनिवेशों को दिया, वह व्यवस्था मेण्डेट व्यवस्था या संरक्षण व्यवस्था या प्रादेश पद्धति कहलाती है।
प्रश्न 2.
आर्थिक मंदी के प्रभाव लिखिए।
उत्तर:
1929 से 1934 ई. तक सम्पूर्ण विश्व में आर्थिक मंदी का दौर रहा। इसके प्रभाव निम्नलिखित थे –
- आर्थिक मंदी से सैन्यवाद का प्रसार हुआ।
- लोकतांत्रिक सरकार बेरोजगारी, मॅहगाई, अस्थिरता और असुरक्षा से निपटने में असमर्थ रही, अत: लोगों का लोकतान्त्रिक पद्धति से मोह भंग हो गया।
- लोकतांत्रिक सरकार की असफलता ने अधिनायकवाद को बढ़ावा दिया।
- मंदी के फलस्वरूप आर्थिक क्रियाकलापों पर राज्य का नियंत्रण कठोर हो गया।
- आर्थिक व्यवस्थाओं से असन्तुष्ट जनता साम्यवाद की ओर आकर्षित हुई।
- असुरक्षा की भावना से पीड़ित राष्ट्रों ने सैन्य शक्ति का विकास प्रारम्भ कर दिया।
- आर्थिक मंदी से राष्ट्र संघ के उद्देश्यों को गहरी क्षति पहुँची। राष्ट्रों का ध्यान वैश्विक सुरक्षा से हटकर राष्ट्रीय सुरक्षा पर केन्द्रित हो गया।
प्रश्न 3.
इटली में फासीवाद के उदय के प्रमुख कारण क्या थे?
उत्तर:
मुसोलिनी द्वारा गठित संगठन और उसके शासन की विचारधारा को फासीवाद कहा जाता है। इसके उदय के निम्न कारण थे –
- वर्साय की सन्धि के अनुसार मित्र राष्ट्रों द्वारा जो क्षेत्र इटली को देने का वचन दिया गया था, वे क्षेत्र न मिलने के कारण इटली की जनता रुष्ट हो गई जिससे फासीवाद को बल मिला।
- प्रथम विश्वयुद्ध में उद्योग, व्यापार, कृषि आदि को बहुत हानि हुई। इस आर्थिक संकट से न उबर पाने के कारण इटली की जनता तत्कालीन सरकार के विरुद्ध हो गयी। यह स्थिति भी फासीवाद के उदय का कारण बनी।
- साम्यवादी दल ने इटली को सशक्त बनाने का वचन दिया लेकिन इसका लाभ मुसोलिनी ने ले लिया। परिणामस्वरूप जनता उसके पक्ष में हो गई।
- दार्शनिक हीगल की विचारधारा के प्रभाव के कारण इटली की जनता ने मुसोलिनी के प्रति अपनी सहमति जताई।
- मुसोलिनी ने इटली को स्थिर सरकार देने का विश्वास दिलाया जिससे जनता फासीवाद के पक्ष में हो गयी।
प्रश्न 4.
रोम-बर्लिन-टोक्यो धुरी से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
हिटलर ने अबीसीनिया युद्ध में इटली को विजयी बनाकर अपना मित्र बना लिया। इसके पश्चात जर्मनी ने जापान से मित्रता स्थापित करने के लिए 21 नवम्बर, 1936 ई. को एण्टी कॉमिन्टर्न पैक्ट पर हस्ताक्षर किये जिससे जर्मनी और जापान ने रूस के साथ किसी भी प्रकार का राजनीतिक समझौता न करने का विश्वास दिलाया क्योंकि रूस दोनों के साम्राज्य विस्तार में बाधक था। 6 नवम्बर, 1937 को इटली ने भी इस पैक्ट पर हस्ताक्षर कर दिये और इस प्रकार रोम-बर्लिन-टोक्यो धुरी का निर्माण हुआ।
प्रश्न 5.
नाजीवाद के प्रमुख विचार लिखिए।
उत्तर:
जर्मनी में हिटलर के नेतृत्व में नाजी दल सत्तारूढ़ हुआ। इस दल की विचारधारा को नाजीवाद की संज्ञा दी जाती है। इसके विचार निम्नलिखित थे –
- राज्य और राज्य के प्रतीक स्वरूप अधिनायक को सर्वोच्च समझना।
- अधिनायक का समर्थन व अनुकरण करना तथा अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को तत्पर रहना।
- शासन सत्ता के समस्त सूत्रों की बागडोर नेता के हाथ में होना।
- दल में सैनिक अनुशासन और पदक्रम का निर्वहन।
- अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर अंकुश।
- देशभक्ति और युद्ध का उन्माद उत्पन्न करना तथा आतंक का सहारा लेना।
प्रश्न 6.
तुष्टीकरण की नीति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
ऐसी राजनयिक नीति जो किसी दूसरी शक्ति को इसलिए छूट देती है ताकि युद्ध की स्थिति से बचा जा सके, तुष्टीकरण की नीति कहलाती है। उदाहरणार्थ- हिटलर साम्यवादियों का विरोधी था इसलिए अमेरिका व ब्रिटेन को इसमें सोवियत रूस के विरुद्ध अपने उद्देश्यों की प्राप्ति प्रतीत हो रही थी। इस कारण उन्होंने जर्मनी के प्रति तुष्टीकरण की नीति अपनाई।
प्रश्न 7.
गुट निरपेक्षता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
उत्तर:
गुटनिरपेक्षता का अर्थ है। किसी भी गुट की नीतियों का समर्थन न करके तटस्थ रहना। विश्वयुद्ध के उपरान्त नए सम्प्रभु राष्ट्रों ने शीतयुद्ध से पृथक रहने के लिए गुटनिरपेक्षता की नीति का अनुसरण किया। गुटनिरपेक्षता का प्रमुख ध्येय महाशक्तियों से समान दूरी बनाये रखते हुए अपने विकास में उनसे सहयोग प्राप्त करके अपने को विकासशील राष्ट्रों की श्रेणी में लाना है।
प्रश्न 8.
संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता ग्रहण करने के लिए आवश्यक शर्ते लिखिये।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता ग्रहण करने के लिए चार्टर के अनुच्छेद 4 के अनुसार आवश्यक शर्ते निम्नलिखित हैं –
- सदस्यता ग्रहण करने वाला राष्ट्र शांतिप्रिय हो।
- चार्टर के उत्तरदायित्व को स्वीकारने के योग्य एवं इच्छुक हो।
- सदस्य राष्ट्र किसी भी प्रकार का प्रभाव संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी पर नहीं डालेगा।
उपरोक्त शर्तों को मानने वाला विश्व का कोई भी देश संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता ग्रहण कर सकता हैं।
प्रश्न 9.
संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव के कार्य लिखिए।
उत्तर:
महासचिव संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्य प्रशासनिक अधिकारी होता है। इसके कार्य निम्नलिखित हैं –
- महासचिव संस्था की सभी बैठकों में भाग लेता है तथा इसके कार्यों की रिपोर्ट महासभा को देता है।
- महासचिव सुरक्षा परिषद, आर्थिक एवं सामाजिक परिषद तथा न्यासधारिता परिषद द्वारा सौंपे गये कार्य भी करता
- सचिवालय प्रशासन का सम्पूर्ण उत्तरदायित्व महासचिव पर होता है।
- बजट तैयार करवाना, सदस्य राष्ट्रों से अनुदान एकत्र करना तथा व्यय पर नियंत्रण करना इसके वित्तीय कार्य हैं।
- अन्तर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए सुरक्षा परिषद को सुझाव देना।
- महासचिव संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रतिनिधित्व करता है।
प्रश्न 10.
मानव अधिकार घोषणा पत्र क्या है?
उत्तर:
10 दिसम्बर, 1948 ई. को मानव अधिकार घोषणा पत्र संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा स्वीकार किया गया। यह घोषणा पत्र एक विस्तृत और विषम दस्तावेज है। अपने 30 अनुच्छेदों में यह घोषणा मूल मानवाधिकारों तथा स्वतन्त्रताओं का विस्तृत विवरण है। इसमें प्रावधान है कि किसी भी व्यक्ति के साथ मूलवंश, वर्ण,लिंग,भाषा,धर्म, राजनीतिक विचार, राष्ट्रीय उद्भव, सम्पत्ति, जन्म या अन्य परिस्थितियों के आधार पर कोई विभेद नहीं किया जायेगा। मानवाधिकार मनुष्य को भयमुक्त और भूखमुक्त जीवन सुनिश्चित करने में सहायता देता है।
RBSE Class 11 History Chapter 6 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
राष्ट्र संघ के प्रमुख उद्देश्य, अंगों का वर्णन करते हुए उसकी असफलता के कारण लिखिये।
उत्तर:
10 जनवरी 1920 ई. को अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन के अथक प्रयासों के फलस्वरूप विश्व शांति के लिए राष्ट्र संघ की स्थापना हुई। इस संघ का मुख्य कार्यालय स्विट्जरलैण्ड की राजधानी जेनेवा में था।
राष्ट्र संघ के प्रमुख उद्देश्य:
राष्ट्र संघ के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित थे –
- विश्व में शांति व सुरक्षा कायम करना।
- भावी युद्धों को रोकना।
- नि:शस्त्रीकरण।
- पेरिस शांति सम्मेलन की संधियों का पालन करवाना।
- राष्ट्रों के मध्य विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाना।
- मानव कल्याण के कार्य करना।
- सभी राष्ट्रों के हितों का ध्यान रखना।
राष्ट्र संघ के अंग:
राष्ट्र संघ के निम्नलिखित अंग थे –
1. साधारण सभा:
यह राष्ट्र संघ का अत्यन्त महत्वपूर्ण अंग था। राष्ट्र संघ का बजट पारित करना, अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति करना, परिषद के अस्थायी सदस्यों को चुनना तथा नये सदस्य बनाना इसके प्रमुख कार्य थे।
2. परिषद:
इस शक्तिसम्पन्न अंग में पाँच स्थायी सदस्य थे ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जापान, और अमेरिका। परिषद् के प्रमुख कार्य थे-बाह्य आक्रमणों से सदस्य राष्ट्रों की सुरक्षा करना तथा अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का प्रबन्ध करना।
3. सचिवालय:
सचिवालय का प्रधान, महासचिव कहलाता था। सचिवालय का कार्य साधारण सभा और परिषद के लिए चिन्तनीय मुद्दों की सूचना बनाना, बैठकों की व्यवस्था करना, संधियों का रिकॉर्ड रखना आदि थे।
4. अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय:
इसका मुख्यालय हेग में स्थापित हुआ। इसमें न्यायाधीशों की संख्या 15 थी। राष्ट्रों के बीच विवादों को सुलझाना, नियमों का स्पष्टीकरण एवं साधारण सभा व परिषद को कानूनी परामर्श देना इसके कार्य थे।
5. अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन:
अन्तर्राष्ट्रीय प्रयासों द्वारा मजदूरों की दशा और उनके जीवन स्तर में सुधार लाना इसका मुख्य उद्देश्य था। इस संगठन का मुख्यालय जेनेवा में है।
राष्ट्र संघ की असफलता के कारण:
- महाशक्तियों द्वारा राष्ट्र संघ के नियमों का पालन न करने, उनके निजी स्वार्थों और साम्राज्यवादी लिप्सा ने राष्ट्र संघ के सिद्धान्तों को महत्वहीन बना दिया।
- सदस्य राष्ट्रों की अपनी सम्प्रभुता एवं राष्ट्रीयता सम्बन्धी विचारधारा ने अन्तराष्ट्रीय एकता व सद्भाव को नष्ट कर दिया।
- सैन्यवाद, साम्यवाद, पूँजीवाद के प्रसार से राष्ट्र संघ के सुरक्षा व शांति के सिद्धान्त उपेक्षित हुए।
- राष्ट्र संघ के पास अपनी कोई सेना नहीं थी अपने निर्णयों का पालन करवाने के लिए उसे सदस्य राष्ट्रों की सेना पर निर्भर रहना पड़ता था।
- इटली, जर्मनी, स्पेन, पुर्तगाल आदि देशों में निरंकुश सरकारों ने राष्ट्र संघ के सिद्धान्तों को नहीं माना।
- महाशक्तियों के असहयोग के कारण भी राष्ट्र संघ अपने उद्देश्यों में सफल नहीं हो सका।
प्रश्न 2.
आर्थिक मंदी के प्रमुख कारण एवं परिणाम लिखिए।
उत्तर:
1929 ई. में विश्व में आर्थिक मंदी का दौर प्रारंभ हो गया। मुद्रा का अवमूल्यन हो गया, कृषि उत्पादों के मूल्यों में भारी गिरावट आ गई। बेरोजगारी व महँगाई से कृषकों व मजदूरों की स्थिति दयनीय हो गई। यह आर्थिक संकट 1929 से प्रारंभ होकर 1934 ई. तक व्याप्त रहा। इस आर्थिक मंदी के निम्नलिखित कारण थे –
1. प्रथम विश्व युद्ध का प्रभाव:
प्रथम विश्व युद्ध में सेना के लिए उत्पादों की पूर्ति औद्योगीकरण द्वारा की गई जिससे आय, रोजगार के अवसर तथा क्रयशक्ति बढ़ी। परन्तु युद्ध समाप्ति के पश्चात इस बढ़ोत्तरी ने आर्थिक मंदी का रूप ले लिया।
2. उद्योगों का मशीनीकरण:
उद्योगों में मशीनीकरण के लागू होने से बड़ी संख्या में श्रमिक बेरोजगार हो गये। श्रमिकों का स्थान मशीनों ने ले लिया। फलस्वरूप, बेरोजगारी ने आर्थिक मंदी को आमंत्रित किया।
3. उत्पादन की अधिकता:
मशीनीकरण के कारण उत्पादन क्षमता में वृद्धि हुई। परन्तु बेरोजगारी के कारण खरीददारों का अभाव हो गया। इस कारण धीरे-धीरे कारखाने बन्द होने लगे तथा बेरोजगारी और अधिक बढ़ गई।
4. आर्थिक राष्ट्रवाद:
युद्ध के बाद विश्व अर्थव्यवस्था की चिन्ता न करके अधिकांश राष्ट्र अपनी स्वार्थपूर्ण आर्थिक नीति का अनुसरण करने लगे। इन्होंने आयात में कटौती की, विदेशी वस्तुओं पर कर बढ़ा दिया, जिससे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को हानि पहुँची।
5. सोने का असमान विभाजन:
महायुद्ध के पश्चात अमेरिका अपने ऋण की वसूली सोने के रूप में करने लगा जिससे अन्य देशों में सोने का अभाव उत्पन्न हो गया। यूरोपीय देशों को स्वर्ण निर्यात पर प्रतिबन्ध लगाना पड़ा जिससे आर्थिक मंदी की स्थिति आयी।
6. अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट:
अक्टूबर 1929 ई. में अमेरिकी शेयर बाजार में शेयरों का मूल्य 50 अरब डॉलर तक गिर गया। इसका प्रभाव सम्पूर्ण विश्व पर पड़ा। अनेक बैंक दिवालिया हो गये।
आर्थिक मंदी के परिणाम:
आर्थिक मंदी ने छोटे बड़े सभी देशों को प्रभावित किया। आर्थिक मंदी के निम्नलिखित परिणाम हुए –
- आर्थिक मंदी से उत्पन्न परिस्थितियों से जापान की साम्राज्यवादी आकांक्षाएँ बढ़ने लगीं। परिणामस्वरूप जापान ने मंचूरिया पर आक्रमण कर दिया।
- आर्थिक मंदी के दौर में लोकतांत्रिक सरकार बेरोजगारी, महँगाई,अस्थिरता और असुरक्षा से निपटने में असमर्थ रही। इसका परिणाम यह हुआ कि इस पद्धति से लोगों का मोह भंग हो गया।
- आर्थिक मंदी के फलस्वरूप यूरोप के अधिकांश देशों की बागडोर तानाशाहों के हाथ में आ गई।
- मंदी के फलस्वरूप आर्थिक क्षेत्र में सरकारी नियंत्रण बढ़ने लगा।
- आर्थिक व्यवस्थाओं से असंतुष्ट जनता साम्यवाद की ओर आकर्षित हुई।
- असुरक्षा की भावना से पीड़ित राष्ट्रों ने अपनी-अपनी सैन्य शक्ति का विकास प्रारम्भ कर दिया।
- आर्थिक मंदी ने राष्ट्रों का ध्यान वैश्विक सुरक्षा से हटाकर राष्ट्रीय सुरक्षा पर केन्द्रित कर दिया, जिससे राष्ट्र संघ के उद्देश्य को क्षति पहुँची।।
प्रश्न 3.
नाजीवाद के उदय के कारण एवं उसके परिणाम लिखिये।
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात जर्मनी में हिटलर के नेतृत्व में नाजी दल उभरा और सत्तारूढ़ हुआ। इस दल की विचारधारा को नाजीवाद के नाम से जाना जाता है। नाजीवाद के उदय के निम्नलिखित कारण थे –
1. वर्साय की अपमानजनक संधि:
वर्साय की संधि से जर्मनी का आर्थिक ढाँचा बिखर गया एवं जर्मनी ने अपने सभी उपनिवेश खो दिए। हिटलर ने जर्मनी को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने का विश्वास दिलाया, जिससे जनमत का झुकाव हिटलर की ओर होने लगा।
2. वाइमर गणतंत्र की असफलता:
जर्मनी में कुशल एवं स्थिर सरकार स्थापित न कर पाने के कारण जनता में वाइमर गणतंत्र के प्रति रोष उत्पन्न हो गया। इस स्थिति का लाभ नाजीवाद को मिला।
3. जनतांत्रिक प्रणाली से मोहभंग:
जनतांत्रिक प्रणाली के कार्यों से जर्मनी की जनता संतुष्ट नहीं थी। जनता को ऐसे शासक की आवश्यकता थी जो उसे दयनीय दशा से मुक्त कर सके। अतः उसने हिटलर को समर्थन दिया।
4. साम्यवाद का खौफ:
हिटलर ने जर्मनी की जनता के मन में साम्यवाद के प्रति खौफ की भावना उत्पन्न की उसने स्पष्ट किया कि साम्यवाद जर्मनी के राष्ट्रवाद के लिए बड़ा खतरा है।
5. यहूदी विरोधी भावना:
हिटलर ने जर्मनी की जनता को आश्वस्त किया कि वह जर्मन जनता पर यहूदियों के ऋण को माफ कर यहूदियों को देश से बाहर निकाल देगा।
6. हिटलर के प्रभावशाली कार्यक्रम:
हिटलर जर्मन जनता के मन में अपने प्रति विश्वास जगाकर ही जर्मनी में नाजीवाद को स्थापित कर सकता था। इसलिए वह वहाँ की जनता की आकांक्षाओं, मनोभावों, विचारों तथा स्थानीय सांस्कृति आदि के अनुसार ही कार्य करता था। अत: वहाँ की जनता हिटलर को वीर नायकों की तरह मानने लगी।
7. जर्मन नवयुवकों, सैनिकों तथा राजकर्मचारियों का साथ:
नाजीवाद के कार्यक्रमों को सफल बनाने तथा नि:शस्त्रीकरण का विरोध करने में सैनिकों, राजकर्मचारियों, जर्मन नवयुवकों आदि सभी ने हिटलर का सहयोग किया जिससे नाजीवादी विचारधारा को बल मिला।
8. पारंपरिक राजनीतिक विचारधारा:
जर्मनी के इतिहास का प्रारम्भ राष्ट्रीय नायक से ही हुआ था। जनता शक्ति के शासन में विश्वास रखती थी। यह सब कुछ जर्मनी की जनता को हिटलर में दिखायी दिया अतः जनता ने उसका समर्थन किया।
नाजीवाद के परिणाम:
नाजीवाद के निम्नलिखित परिणाम हुए –
- चेकोस्लोवाकिया, यूगोस्लाविया, रूमानिया आदि देशों ने हिटलर के भय से जेनेवा में नि:शस्त्रीकरण सम्मेलन में एकता समझौता किया।
- वर्साय की संधि से उपेक्षित हंगरी ने जर्मनी को सहयोग देने का निश्चय किया।
- नाजीवाद की सफलता के भय से पोलैण्ड ने 1934 ई. में हुए एक समझौते के तहत् जर्मनी से मित्रता कर ली।
- साम्यवादी रूस ने जर्मनी के अधिनायक तंत्र से भयभीत होकर राष्ट्र संघ की सदस्यता ग्रहण कर ली।
- हिटलर के उत्कर्ष से फ्रांस को अपनी सुरक्षा का भय सताने लगा। फलस्वरूप उसने इटली, चेकोस्लोवाकिया व रूस से मित्रता कर ली।
- ब्रिटेन ने जर्मनी के प्रति तुष्टिकरण की नीति अपनाई क्योंकि हिटलर साम्यवाद का विरोधी था। ब्रिटेन व अमेरिका को रूस के विरुद्ध अपने उद्देश्यों की प्राप्ति हो रही थी।
- हिटलर की सफलता से यूरोपीय राष्ट्रों में असुरक्षा की भावना बढ़ गयी।
- हिटलर के आक्रामक व्यक्तित्व में आगामी युद्ध के चिन्ह स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होने लगे।
- हिटलर ने आस्ट्रिया, डेंजिंग, स्विट्जरलैण्ड, चेकोस्लोवाकिया और बाल्टिक राज्यों में रहने वाली जर्मन जातियों का जर्मनी में एकीकरण कर लिया।
- वर्साय की संधि की शर्तों को रद्द कर हिटलर ने पुनः शस्त्रीकरण को अपना लिया।
- हिटलर ने इटली व जापान के साथ एन्टी कॉमिन्टर्न पैक्ट पर हस्ताक्षर कर रोम-बर्लिन-टोकियो धुरी का निर्माण किया।
- वर्साय की संधि का बदला लेने के लिए जर्मनी ने पोलैण्ड के साथ हुई संधि को तोड़कर पोलैण्ड पर आक्रमण कर दिया जिससे द्वितीय विश्वयुद्ध आरम्भ हो गया।
प्रश्न 4.
द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण एवं परिणाम लिखिये।
उत्तर:
प्रथम महायुद्ध की समाप्ति के 20 वर्ष पश्चात् सन् 1939 ई. में द्वितीय विश्वयुद्ध आरम्भ हुआ। यह महाविनाशकारी युद्ध था, जिसने मानवता को विनाश के गर्त में धकेल दिया। द्वितीय विश्वयुद्ध के निम्नलिखित कारण थे –
1. वर्साय की संधि की अपमानजनक शर्तों ने जर्मनी को उपनिवेशों से वंचित कर दिया एवं उसके व्यापार तथा वाणिज्य, को बहुत हानि पहुँचायी। इस अपमान का बदला लेने के लिए जर्मनी ने अवसर मिलते ही मित्रराष्ट्रों के विरुद्ध हथियार उठा लिये और महायुद्ध आरम्भ हो गया।
2. इटली में मुसोलिनी, जर्मनी में हिटलर जैसे अधिनायकों की सत्ता स्थापित होने से विश्वयुद्ध की परिस्थितियों को बल मिला।
3. राष्ट्र संघ अपने उद्देश्यों में सफल न हो सका इस कारण अन्तर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा खण्डित हुई एवं युद्ध की परिस्थिति का निर्माण हुआ।
4. जापान, इटली व जर्मनी की बढ़ती हुई साम्राज्यवादी आकांक्षाओं ने द्वितीय महायुद्ध के परिवेश को जन्म दिया।
5. राष्ट्रों की परस्पर घृणा के कारण अमेरिका, सोवियत रूस तथा अनेक राष्ट्रों द्वारा नि:शस्त्रीकरण के किसी पहलू पर कोई संधि न हो सकी। फलस्वरूप पुनः शस्त्रीकरण का आरम्भ हो गया।
6. अन्तर्राष्ट्रीय हित के स्थान पर अधिकांश देशों ने राष्ट्रवाद को अपनाया, जिससे अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा भंग हो गयी एवं युद्ध की परिस्थितियों ने जन्म लिया।
7. ब्रिटेन द्वारा जर्मनी के प्रति तुष्टिकरण की नीति से तानाशाहों का आत्मविश्वास बढ़ता गया और इस नीति के चलते ऑस्ट्रिया के. अपहरण, चेकोस्लोवाकिया के अंग-भंग, राईनलैण्ड में सैन्यकरण आदि ने द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए भूमिका बनाई।
8. वर्साय की संधि के प्रति अल्पसंख्यक जातियों के असंतोष का हिटलर ने लाभ उठाया। उसने पश्चिमी शक्तियों से सौदेबाजी कर ऑस्ट्रिया तथा सुडेटनलैण्ड पर कब्जा कर लिया तथा पोलैण्ड पर आक्रमण कर दिया जिससे द्वितीय विश्वयुद्ध आरम्भ हो गया।
9. विश्व की आर्थिक मंदी के परिणामस्वरूप राष्ट्रों में नि:शस्त्रीकरण की भावना समाप्त हो गयी और वे शस्त्रों की होड़ में लग गये।
10. विश्व का दो गुटों में विभाजन हो जाना भी द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए उत्तरदायी सिद्ध हुआ। एक तरफ जर्मनी, इटली और जापान जैसे कभी सन्तुष्ट न होने वाले देश थे तो दूसरी तरफ ब्रिटेन, फ्रांस, सोवियत संघ और अमेरिका जैसे मित्रराष्ट्रों ने मिलकर एक संगठन का निर्माण किया।
द्वितीय विश्व युद्ध के परिणाम:
यह महायुद्ध 1939 से आरम्भ होकर 6 वर्षों तक चला। इस महायुद्ध के निम्नलिखित परिणाम हुए –
- 6 अगस्त, 1945 ई. को हिरोशिमा तथा 9 अगस्त, 1945 ई. को नागासाकी पर अमेरिका ने अणु बम गिराया इसी महासंहार के साथ ही परमाणु युग का सूत्रपात हुआ।
- द्वितीय महायुद्ध के पश्चात् विश्व दो विचारधाराओं में बँट गया-प्रथम साम्यवाद, दूसरा लोकतंत्रवाद।
- जर्मनी दो भागों में विभक्त हो गया। पूर्वी जर्मनी में प्रजातंत्रात्मक गणराज्य के साथ साम्यवादी अर्थव्यवस्था की स्थापना की गयी। पश्चिमी जर्मनी में संघीय गणतंत्र के साथ पूँजीवादी अर्थव्यवस्था स्थापित हुई।
- जनता की शक्तियों पर नियन्त्रण व राज्य के हित में कार्यवाही की आवश्यकता ने सच्चे लोकशासन का लोप कर सर्व सत्तावादी शासन की स्थापना आरम्भ कर दी।
- विश्व का नेतृत्व दो महाशक्तियों संयुक्त राज्य अमेरिका तथा सोवियत रूस के हाथों में चला गया। सोवियत रूस साम्यवादी व्यवस्था का तथा अमेरिका पूँजीवादी व लोकतांत्रिक व्यवस्था का पोषण करने लगा।
- दो महाशक्तियों (अमेरिका व सोवियत रूस) से बने गुटों के एक-दूसरे पर आरोप तथा विरोधी राजनैतिक प्रचार से शीतयुद्ध आरम्भ हो गया।
- अफ्रीकी-एशियाई राष्ट्रों ने गुटनिरपेक्षता की नीति का अनुसरण कर स्वयं को महाशक्तियों से पृथक् रखा।
- राष्ट्रीयता की भावना प्रज्ज्वलित होने से अनेक देश ब्रिटेन के आधिपत्य से स्वतन्त्र हुए तथा औपनिवेशिक राज्य का अंत हुआ।
- मानव जाति की रक्षा के लिए 24 अक्टूबर, 1945 को अन्तर्राष्ट्रीय संगठन संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई।
- वैज्ञानिक क्षेत्र में हुई प्रगति से समान विचारधारा वाले राष्ट्र विभिन्न संगठन बनाकर विकास के लिए प्रयत्नशील हुए।
प्रश्न 5.
संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख अंगों एवं उसके विशिष्ट निकायों के कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
24 अक्टूबर, 1945 ई. को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई। इस संगठन की स्थापना का मुख्य उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा को कायम रखना तथा आक्रामक प्रवृत्तियों को नियंत्रण में रखना है।
संयुक्त राष्ट्र संघ के अंग:
संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुच्छेद 7 के अनुसार इसके 6 प्रमुख अंग हैं –
1. महासभा:
यह संयुक्त राष्ट्र संघ की मुख्य व्यवस्थापिका है जिसमें सभी सदस्य राष्ट्रों के प्रतिनिधि सम्मिलित रहते हैं। इसके प्रमुख कार्य हैं-
- बजट पारित करना।
- सदस्यों का निर्वाचन।
- अन्य अंगों से रिपोर्ट प्राप्त करना।
- मानव कल्याण के लिए सहयोग करना।
- अन्तर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा हेतु प्रयास करना।
- सदस्य देशों के प्रवेश, निष्कासन आदि पर विचार करना।
2. सुरक्षा परिषद:
यह संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्यपालिका है इसमें 5 स्थायी एवं 10 अस्थायी कुल 15 सदस्य हैं। इसका प्रमुख कार्य ऐसे विवाद के कारणों का पता लगाना है जिससे विश्व शान्ति को खतरा हो। साथ ही साथ इसका कार्य शस्त्रास्त्रों के नियमन की योजना भी बनाना है। यह किसी भी राष्ट्र के आक्रमण के विरुद्ध सैनिक कार्यवाही करती है।
3. आर्थिक और सामाजिक परिषद्:
यह संस्था विश्व को अभाव से मुक्ति प्रदान करती है। इसके प्रमुख कार्य हैं –
- आर्थिक व सामाजिक विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न करना।
- मौलिक स्वतन्त्रताओं को लागू करने के लिए संस्तुति देना।
- विषयों से सम्बन्धित अभिसमयों के अभिलेख महासभा को प्रेषित करना।
- सुरक्षा परिषद को सूचनाएँ प्रेषित करना।
- महासभा द्वारा सौंपे गये कार्यों को सम्पादित करना।
4. न्यास परिषद्:
इसके प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं –
- न्यासीय प्रदेशों की जनता की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक तथा शिक्षा सम्बन्धी प्रगति की सूची तैयार करना।
- प्रशासनिक सत्ताओं से प्राप्त रिपोर्टों की जाँच करना।
- निरीक्षण के लिए न्यासीय प्रदेशों का दौरा करना।
5. अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय:
यह संयुक्त राष्ट्र संघ की न्यायपालिका है। इसका मुख्यालय हेग में है। इसमें कुल 15 न्यायाधीश हैं। न्यायाधीशों को तीन प्रकार के क्षेत्राधिकार प्राप्त हैं –
- ऐच्छिक क्षेत्राधिकार।
- अनिवार्य क्षेत्राधिकार।
- परामर्शात्मक क्षेत्राधिकार।
6. सचिवालय:
संयुक्त राष्ट्र संघ का महासचिव इसका मुख्य प्रशासनिक अधिकारी होता है। महासचिव सचिवालय के प्रशासन की देख-रेख करता है तथा कर्मचारियों की नियुक्ति करता है। त्रिग्वेली संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रथम महासचिव थे। वर्तमान में बान की मून इसके महासचिव हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ के विशिष्ट निकाय:
संयुक्त राष्ट्र संघ के विशिष्ट निकाय निम्नलिखित हैं –
1. यूनेस्को:
इराकी स्थापना 4 नवम्बर, 1946 ई. को हुई। विश्व में विज्ञान के क्षेत्र में नये प्रयोग, ज्ञान को सर्वत्र उपयोगी और उपलब्ध कराना इसका कार्य है। इसका मुख्यालय पेरिस में है।
2. अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन:
इसकी स्थापना 11 अप्रैल, 1919 ई. को वर्साय की सन्धि के आधार पर हुई थी। इसका मुख्यालय जेनेवा में है। यह विश्व के मजदूरों से सम्बन्धित सूचनाओं का संग्रह करता है और रिपोर्ट प्रकाशित करता है।
3. खाद्य एवं कृषि संगठन:
इस संगठन की स्थापना 16 अक्टूबर, 1945 ई. को हुई। इसका कार्य खाद्य पदार्थों के उत्पादन तथा वितरण की क्षमता में वृद्धि करना एवं ग्रामीण जनसंख्या के रहन-सहन के स्तर को सुधारना है।
4. विश्व स्वास्थ्य संगठन:
इसकी स्थापना 7 अप्रैल, 1948 को हुई। यह सदस्य देशों को स्वास्थ्य के स्तर को सुधारने के लिए सहायता देता है।
5. अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष:
इस संगठन की स्थापना दिसम्बर, 1945 में की गई। इसका मुख्यालय वाशिंगटन में है। सदस्य देशों की आर्थिक उन्नति करना इसका प्रमुख कार्य है।
6. अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निमाण एवं विकास बैंक:
इसे विश्व बैंक भी कहा जाता है। विश्व बैंक का कार्य जून 1946 से प्रारम्भ हुआ। इसका मुख्यालय वाशिंगटन में है। यह सदस्य देशों की आर्थिक सुविधाओं के विकास के लिए धन उधार देता है।
7. यूनीसेफ:
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद शिशुओं को राहत पहुँचाने के उद्देश्य से इसकी स्थापना 1946 में की गई। इसका मुख्यालय न्यूयार्क में है।
8. विश्व व्यापार संगठन:
इसकी स्थापना 1 जनवरी, 1995 ई. में की गई। इसका मुख्यालय जेनेवा में है यह व्यापार एवं प्रशुल्क से सम्बन्धित किसी भी भावी मसले पर विचार विमर्श हेतु एक मंच के रूप में कार्य करता है।
9. मानव अधिकार घोषणा-पत्र:
10 दिसम्बर सन् 1948 को स्वीकार किये गये इस घोषणा पत्र में यह सुनिश्चित हुआ कि किसी भी व्यक्ति के साथ मूलवंश, वर्ण, लिंग, धर्म, भाषा, सम्पत्ति, जन्म आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा।
RBSE Class 11 History Chapter 6 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 11 History Chapter 6 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
राष्ट्र संघ की स्थापना कब हुई?
(क) 1919 ई.
(ख) 1920 ई.
(ग) 1921 ई.
(घ) 1922 ई.
उत्तर:
(ख) 1920 ई.
प्रश्न 2.
“संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्यों सिद्धान्तों, संस्थाओं और पद्धतियों पर तथा उसकी प्रत्येक बात पर राष्ट्र संघ की स्पष्ट छाप है।” यह कथन है –
(क) मुसोलिनी को
(ख) विल्सन का
(ग) वाल्टर का
(घ) रूजवेल्ट का
उत्तर:
(ग) वाल्टर का
प्रश्न 3.
आर्थिक मंदी के लिए प्रमुख रूप से कौन-सा कारण उत्तरदायी था?
(क) प्रथम विश्व युद्ध
(ख) औद्योगीकरण
(ग) राष्ट्रवाद
(घ) द्वितीय महायुद्ध
उत्तर:
(क) प्रथम विश्व युद्ध
प्रश्न 4.
किस वर्ष हिटलर जर्मनी का चांसलर नियुक्त हुआ ?
(क) 1940 ई.
(ख) 1935 ई.
(ग) 1920 ई.
(घ) 1932 ई.
उत्तर:
(घ) 1932 ई.
प्रश्न 5.
समाजवादी पत्रिका अवंती को सम्पादन किसने प्रारम्भ किया?
(क) रूजवेल्ट ने
(ख) हिटलर ने
(ग) मुसोलिनी ने
(घ) विल्सन ने
उत्तर:
(ग) मुसोलिनी ने
प्रश्न 6.
एण्टी कॉमिन्टर्न पैक्ट किन-किन देशों के मध्य हुआ?
(क) यूनान व इटली
(ख) जर्मनी व रूस
(ग) इटली व जर्मनी
(घ) ब्रिटेन व फ्रांस
उत्तर:
(ग) इटली व जर्मनी
प्रश्न 7.
“तृतीय विश्व युद्ध के बारे में तो मैं नहीं कह सकता परन्तु चौथा विश्व युद्ध पाषाण अस्त्रों से लड़ा जाएगा।” यह कथन है?
(क) विल्सन का
(ख) आइंसटाइन का
(ग) वाल्टर का
(घ) लैंगसम का
उत्तर:
(ख) आइंसटाइन का
प्रश्न 8.
संयुक्त राष्ट्र संघ में वर्तमान में सदस्य राष्ट्रों की संख्या कितनी है?
(क) 187
(ख) 190
(ग) 193
(घ) 194
उत्तर:
(ग) 193
प्रश्न 9.
संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रथम बैठक किस स्थान पर हुई?
(क) जेनेवा में
(ख) न्यूयार्क में
(ग) पेरिस में
(घ) लन्दन में
उत्तर:
(घ) लन्दन में
प्रश्न 10.
वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव हैं?
(क) बान की मून
(ख) कोफी अन्नान
(ग) त्रिग्वेली
(घ) रूजवेल्ट
उत्तर:
(क) बान की मून
सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न
प्रश्न 1.
मिलान कीजिए –
उत्तरमाला:
1. (ग) 2. (घ) 3. (क) 4. (ख) 5. (छ) 6. (ङ) 7. (च)।
प्रश्न 2.
मिलान कीजिए –
उत्तरमाला:
1. (ग) 2. (क) 3. (ख) 4. (च) 5. (घ) 6. (ङ)।
RBSE Class 11 History Chapter 6 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
राष्ट्र संघ का मुख्य कार्यालय किस स्थान पर था?
उत्तर:
राष्ट्र संघ का मुख्य कार्यालय स्विट्जरलैण्ड की राजधानी जेनेवा में था।
प्रश्न 2.
राष्ट्र संघ के महासचिव की नियुक्ति किसके द्वारा की जाती थी?
उत्तर:
राष्ट्र संघ के महासचिव की नियुक्ति साधारण सभा की अनुमति से परिषद द्वारा की जाती थी।
प्रश्न 3.
राष्ट्र संघ का सर्वाधिक शक्ति सम्पन्न अंग कौन सा था?
उत्तर:
राष्ट्र संघ का सर्वाधिक शक्ति सम्पन्न अंग परिषद था।
प्रश्न 4.
‘स्थायी प्रादेश आयोग’ की स्थापना कब और किसने की?
उत्तर:
राष्ट्र संघ ने 1920 में स्थायी प्रादेश आयोग’ की स्थापना की।
प्रश्न 5.
विश्वव्यापी आर्थिक मंदी का तात्कालिक कारण क्या था?
उत्तर:
विश्वव्यापी आर्थिक मंदी का तात्कालिक कारण अमेरिकी शेयर बाजार पर आया आर्थिक संकट था।
प्रश्न 6.
आर्थिक मंदी में लोगों को लोकतंत्रात्मक पद्धति से मोह भंग क्यों हुआ?
उत्तर:
आर्थिक मंदी में लोकतांत्रिक सरकार बेरोजगारी, महँगाई, अस्थिरता और असुरक्षा से निपटने में असमर्थ रही। अतः लोगों का विश्वास इस पद्धति से उठ गयो।।
प्रश्न 7.
फासीवाद का प्रतीक चिन्ह क्या था?
उत्तर:
फासीवाद का प्रतीक चिन्ह ‘कुल्हाड़ी सहित लकड़ियों का गठ्ठर’ था।
प्रश्न 8.
मुसोलिनी का जन्म कहाँ और कब हुआ था?
उत्तर:
मुसोलिनी का जन्म इटली के रोमाग्ना शहर में 29 जुलाई, 1883 ई. को हुआ था।
प्रश्न 9.
मुसोलिनी ने सन् 1912 ई. में किस समाजवादी पत्रिका का सम्पादन प्रारम्भ किया?
उत्तर:
मुसोलिनी ने 1912 में समाजवादी पत्रिका अवती का सम्पादन प्रारम्भ किया।
प्रश्न 10.
मुसोलिनी को किसने और कब प्रधानमंत्री नियुक्त किया?
उत्तर:
राजा विक्टर इमेनुअल तृतीय ने 31 अक्टूबर, 1922 को मुसोलिनी को प्रधानमंत्री नियुक्त किया।
प्रश्न 11.
इटली ने अबीसीनिया का अधिग्रहण कब किया।
उत्तर:
3 अक्टूबर, 1935 को इटली ने अबीसीनिया पर आक्रमण कर उसका अधिग्रहण कर लिया।
प्रश्न 12.
नाजीवादी विचारधारा का जनक कौन था?
उत्तर:
नाजीवादी विचारधारा का जनक जर्मनी का तानाशाह एडोल्फ हिटलर था।
प्रश्न 13.
हिटलर का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
हिटलर का जन्म 20 अप्रैल, 1889 ई. को ऑस्ट्रिया के बौनी नामक एक छोटे से गाँव में हुआ था।
प्रश्न 14.
एन्टी कॉमिन्टर्न पैक्ट क्या था?
उत्तर:
एन्टी कॉमिन्टर्न पैक्ट एक समझौता था जिस पर जापान, इटली व जर्मनी ने हस्ताक्षर किये। इसमें यह तय हुआ कि ये देश रूस के साथ किसी भी प्रकार का राजनीतिक समझौता नहीं करेंगे।
प्रश्न 15.
द्वितीय विश्व युद्ध का आरम्भ किस घटना के साथ हुआ?
उत्तर:
1 सितम्बर, 1939 ई. को जर्मनी ने पोलैण्ड पर आक्रमण कर दिया इस घटना के साथ द्वितीय विश्व युद्ध आरम्भ हो गया।
प्रश्न 16.
निःशस्त्रीकरण सम्मेलन कब आरम्भ हुआ?
उत्तर:
1932 ई. में राष्ट्र संघ के तत्वधान में जेनेवा में नि:शस्त्रीकरण सम्मेलन आरम्भ हुआ।
प्रश्न 17.
ब्रिटेन ने जर्मनी के प्रति तुष्टिकरण की नीति क्यों अपनाई ?
उत्तर:
ब्रिटेन ने जर्मनी के प्रति तुष्टिकरण की नीति इसलिए अपनाई ताकि आवश्यकता पड़ने पर शक्तिशाली जर्मन साम्यवादी रूस का मुकाबला कर सके।
प्रश्न 18.
संयुक्त राज्य अमेरिका ने जापान के किन दो शहरों पर अणु बम गिराया?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा तथा नागासाकी शहरों पर अणु बम गिराया।
प्रश्न 19.
साम्यवादी विचारधारा की प्रमुख विशेषता क्या है?
उत्तर:
साम्यवादी विचारधारा के अनुसार उत्पादन के साधनों पर समाज का अधिकार है एवं समाज वर्गविहीन है।
प्रश्न 20.
जर्मनी में संघीय गणतंत्र की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
21 सितम्बर, 1949 ई. को जर्मनी में संघीय गणतंत्र की स्थापना हुई।
प्रश्न 21.
द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात् विश्व का नेतृत्व किन दो महाशक्तियों के हाथों में चला गया?
उत्तर:
द्वितीय महायुद्ध के पश्चात् विश्व का नेतृत्व दो महाशक्तियों-संयुक्त राज्य अमेरिका तथा सोवियत रूस के हाथों में चला गया।
प्रश्न 22.
गुट निरपेक्षता का प्रमुख उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
गुट निरपेक्षता का प्रमुख उद्देश्य महाशक्तियों से समान दूरी बनाए रखते हुए अपने विकास में उनसे सहयोग प्राप्त करना था।
प्रश्न 23.
संयुक्त राष्ट्र संघ का जन्मदाता किसे कहा जाता है?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ का जन्मदाता अटलाण्टिक घोषणा पत्र को कहा जाता है।
प्रश्न 24.
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा अधिकृत भाषायें कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा अधिकृत भाषायें-अँग्रेजी, फ्रेंच, चीनी, अरबी, रूसी तथा स्पेनिश हैं।
प्रश्न 25.
संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्यालय कहाँ है?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्यालय न्यूयार्क शहर के मैनहटन द्वीप में है।
प्रश्न 26.
वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव कौन हैं?
उत्तर:
वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान की मून (द कोरिया) हैं।
प्रश्न 27.
1969 में शान्ति का नोबेल पुरस्कार किस संगठन को मिला था?
उत्तर:
1969 में शान्ति का नोबेल पुरस्कार अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन को मिला था।
प्रश्न 28.
भारत कितनी बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य निर्वाचित हुआ है?
उत्तर:
भारत छः बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य निर्वाचित हुआ है।
प्रश्न 29.
गौतम काजी कौन हैं?
उत्तर:
गौतम काजी पहले भारतीय हैं जिन्हें विश्व बैंक का प्रबन्ध निदेशक नियुक्त किया गया है।
प्रश्न 30.
भारत की कौन-सी महिला विश्व स्वास्थ्य संगठन की अध्यक्षा रहीं?
उत्तर:
भारत की राजकुमारी अमृत कौर विश्व स्वास्थ्य संगठन की अध्यक्षा रहीं।
RBSE Class 11 History Chapter 6 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
राष्ट्र संघ के प्रमुख उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:
राष्ट्र संघ के उद्देश्य –
- विश्व में सुरक्षा और शान्ति की स्थापना करना तथा भावी युद्धों को रोकना।
- नि:शस्त्रीकरण की नीति का पालन करवाना।
- यह सुनिश्चित करना कि सदस्य राष्ट्र पेरिस शान्ति सम्मेलन की संधियों का उचित ढंग से पालन करें।
- राष्ट्रों के मध्य होने वाले विवादों को शान्तिपूर्ण ढंग से सुलझाना।
- मानव मात्र के कल्याण के लिए विविध उपाय करना तथा प्रत्येक कार्य में सभी राष्ट्रों के समान हितों का ध्यान रखना।
प्रश्न 2.
राष्ट्र संघ ने सामाजिक तथा आर्थिक क्षेत्र में क्या कार्य किए?
उत्तर:
राष्ट्र संघ ने सामाजिक तथा आर्थिक क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किये –
- राष्ट्र संघ ने कई आर्थिक और वित्तीय समितियों की स्थापना की जिन्होंने सम्पूर्ण विश्व से आँकड़ों का संकलन किया।
- राष्ट्र संघ ने सभी देशों को स्वस्थ आर्थिक नीतियाँ अपनाने को प्रेरित किया।
- राष्ट्र संघ की परिषद ने बौद्धिक सहयोग के लिए एक अन्तर्राष्ट्रीय समिति बनाई। इस समिति में प्रसिद्ध बुद्धिजीवी प्रो. आइन्सटाइन, मैडम क्यूरी आदि सम्मिलित थे।
- इस समिति का उद्देश्य राष्ट्रों के आपसी सहयोग द्वारा सभ्यता एवं संस्कृति की उन्नति करना था।
- राष्ट्र संघ ने चिकित्सा, नारी एवं बाल कल्याण के क्षेत्र में तथा मादक द्रव्यों पर नियंत्रण के लिए भी प्रयास किए।
प्रश्न 3.
आर्थिक मंदी के कारणों में मशीनीकरण ने क्या भूमिका निभाई?
उत्तर:
- मशीनीकरण के युग में उद्योगों में नये-नये उपकरणों का आविष्कार हुआ।
- धीरे-धीरे श्रमिकों का स्थान मशीनों ने ले लिया।
- नई मशीनों ने भारी मात्रा में उत्पादन किया।
- मशीनों के प्रयोग के कारण अधिकांश मजदूर बेरोजगार हो गये। इस बेरोजगारी ने आर्थिक मंदी को आमंत्रित किया।
- दूसरी ओर उत्पादन अधिक होने के कारण तथा बेरोजगारी बढ़ने से ग्राहकों का अभाव होने के कारण आर्थिक मंदी की परिस्थितियों ने जन्म लिया।
प्रश्न 4.
फासीवाद का प्रसार कैसे हुआ?
उत्तर:
फासीवाद के प्रसार को हम निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत समझ सकते हैं –
- प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात् 1919 ई. में मुसोलिनी ने फासिस्ट काम्बाटिमेटो नामक संगठन बनाया।
- मुसोलिनी ने अपने संगटन के लिए कुल्हाड़ी सहित लकड़ियों का गठ्ठर’ को प्रतीक चिह्न बनाया।
- फासिस्ट दल में लोगों की संख्या जो 1919 ई. में 22000 थी उसमें वृद्धि हुई और 1921 ई. में वह 5 लाख हो गई।
- मई 1921 ई. के चुनाव में फासिस्ट दल ने 35 सीटें जीतीं तथा नवम्बर 1921 ई. में उसने एक राजनीतिक दल को स्थापित कर लिया। तत्पश्चात उसने रोम पर आक्रमण की चुनौती दी।
- गृह युद्ध से बचने के लिए राजा विक्ट, इमेनुअल तृतीय ने 31 अक्टूबर, 1922 ई. को मुसोलिनी को प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया।
- 1924 ई. के चुनाव में उसकी फासिस्ट पार्टी ने पूर्ण बहुमत प्राप्त कर लिया। ऐसी स्थिति में मुसोलिनी ने स्वयं को अधिनायक घोषित कर दिया।
प्रश्न 5.
इटली ने अबीसीनिया पर आक्रमण क्यों किया?
उत्तर:
अधिनायक बनने के पश्चात् मुसोलिनी ने इटली की जनता के मन में साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा जागृत कर दी। सन् 1935 ई. तक अफ्रीका में अबीसीनिया, मिस्र, लाइबेरिया और दक्षिण अफ्रीका को छोड़कर पूरा महाद्वीप यूरोपीय शक्तियों के साम्राज्य का अंग था। इटली की 1896 ई. में एडोवा में हुई हार का प्रतिशोध लेने के लिए वह अबिसीनिया पर आक्रमण करना चाहता था। अतः उसने 3 अक्टूबर, 1935 को अबीसीनिया पर आक्रमण कर उसे अधिकार में ले लिया।
प्रश्न 6.
हिटलर का उदय किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
हिटलर जर्मन जाति को श्रेष्ठ मानता था वह यहूदियों से घृणा करता था। उसने प्रथम विश्व युद्ध में वीरता का परिचय दिया। इस कारण उसे वीरता पुरस्कार ‘‘आयरन क्रॉस’ मिला। युद्ध समाप्ति के पश्चात् 1918 ई. में वह म्यूनिख पहुँचा तथा 1920 ई. में जर्मन श्रमिक दल का सदस्य बन गया। धीरे-धीरे वह इस दल का नेता बन गया। उसने इस दल का नाप परिवर्तित करके राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन श्रमिक दल रख दिया जो बाद में नाजीदल के नाम से विख्यात हुआ। उसने स्वास्तिक को अपने दल का चिन्ह बनाया। आर्थिक मंदी के फलस्वरूप पूर्व सरकार से असन्तुष्ट जनता ने हिटलर के नाजीदल पर विश्वास व्यक्त किया। सन् 1932 ई. में हिटलर जर्मनी का चांसलर नियुक्त हुआ।
प्रश्न 7.
एकता समझौता क्या था?
उत्तर:
हिटलर की शक्ति के भय से जर्मनी के पड़ोसी राष्ट्रों चेकोस्लोवाकिया, यूगोस्लाविया, रूमानिया ने जेनेवा में नि:शस्त्रीकरण सम्मेलन में भाग लेकर एकता समझौता किया जिसमें यह निश्चित हुआ कि तीनों देशों के विदेश मंत्रियों ने एक परिषद् गठित की जाए जिसमें वे अपने हितों को ध्यान में रखते हुए विचार संगोष्ठी कर सकें क्योंकि जर्मनी इन राष्ट्रों के प्रति घृणा का भाव रखती था।
प्रश्न 8.
फौलादी समझौता कब और किनके बीच हुआ?
उत्तर:
जर्मनी व इटली के मध्य 22 मई, 1939 ई. को एक सैनिक समझौता हुआ जो फौलादी समझौता कहलाया। इस समझौते की प्रमुख बातें निम्नलिखित थीं –
- दोनों राष्ट्र पारस्परिक विचार विमर्श करेंगे।
- दोनों राष्ट्र एक-दूसरे के सामान्य हितों को ध्यान में रखते हुए कार्य करेंगे।
- पारस्परिक राजनीतिक एवं कूटनीतिक समर्थन जारी रखेंगे।
- सैनिक तथा आर्थिक क्षेत्रों में पारस्परिक सहयोग करेंगे।
- एक पक्ष के किसी अन्य देश के साथ युद्ध की कठिनाइयों में पारस्परिक सहयोग किया जायेगा।
प्रश्न 9.
वर्साय की सन्धि जर्मनी के लिए अपमानजनक क्यों थी?
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध में प्राप्त हार के कारण जर्मनी को वर्साय की सन्धि पर हस्ताक्षर करने पड़े। इस सन्धि ने जर्मनी को राजनीतिक, आर्थिक व सैनिक रूप से पंगु बना दिया। इस सन्धि के अनुसार –
- जर्मनी के सारे उपनिवेश, 15% कृषि योग्य भूमि, 12% पशु, 10% कारखाने छीन लिए गए।
- जर्मनी के व्यापारिक जहाज 57 लाख टन से घटाकर केवल 5 लाख टन तक सीमित कर दिये गये।
- उसकी नौ सैनिक शक्ति को नष्ट कर दिया गया और स्थल सेना की संख्या एक लाख निश्चित कर दी गयी।
- जर्मनी को अपने कोयले के 2/3 भाग, लोहे के 2/3 भाग, जस्ते के 7/10 भाग और सीसे के आधे क्षेत्र से हाथ धोना पड़ा।
- उपनिवेश छीन लिए जाने से उसे रबड़ और तेल की कमी का सामना करना पड़ा।
- वर्साय की प्रादेशिक व्यवस्थाओं ने उसके उद्योग-धन्धों और व्यापार को पूर्णतः चौपट कर दिया।
प्रश्न 10.
द्वितीय विश्व युद्ध को जर्मनी पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
मित्र राष्ट्र जर्मनी को द्वितीय विश्व युद्ध का उत्तरदायी मानते थे। अतः जर्मनी को शक्तिहीन कर उसे पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी में विभक्त कर दिया गया। फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा अधिकृत पश्चिमी जर्मनी के क्षेत्रों का एकीकरण कर 21 सितम्बर, 1949 ई. को जर्मन संघीय गणतन्त्र तथा पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की स्थापना हुई। पूर्वी जर्मनी में 7 अक्टूबर, 1949 को प्रजातंत्रात्मक गणराज्य तथा साम्यवादी अर्थव्यवस्था की स्थापना की गई। लम्बे समय बाद सन् 1990 ई. में पूर्वी व पश्चिमी जर्मनी का पुनः एकीकरण हो गया।
प्रश्न 11.
अटलाण्टिक चार्टर पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
14 अगस्त, 1941 ई. को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चर्चिल व अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने एक संयुक्त घोषणा की। यह घोषणा अटलाण्टिक महासागर में एक युद्ध पोत पर की गई थी अतः इसे अटलाण्टिक घोषणा कहा गया। इस अटलाण्टिक घोषणा को ही संयुक्त राष्ट्र संघ का जन्मदाता माना जाता है। इस घोषणा पर 26 राष्ट्रों ने जनवरी 1942 में हस्ताक्षर किए और सोवियत रूस के हस्ताक्षर करते ही इस संगठन के अस्तित्व में जान आ गयी।
प्रश्न 12.
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के क्षेत्राधिकार के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र संघ की न्यायपालिका है। इसमें पन्द्रह न्यायाधीश कार्यरत हैं। इसके क्षेत्राधिकार निम्नलिखित हैं –
1. ऐच्छिक क्षेत्राधिकार:
ऐसे विवाद जिन्हें दोनों पक्ष सहमत होकर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करते हैं।
2. अनिवार्य क्षेत्राधिकार:
इसके अन्तर्गत-संधि की व्याख्या, अन्तर्राष्ट्रीय कानून के क्षेत्र से सम्बन्धित सभी मसले, किसी अन्तर्राष्ट्रीय विधि के उल्लंघन पर क्षतिपूर्ति का रूप और परिणाम आते हैं।
3. परामर्शात्मक क्षेत्राधिकार:
महासभा अथवा सुरक्षा परिषद् किसी भी कानूनी प्रश्न पर अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय का परामर्श माँग सकती है।
प्रश्न 13.
यूनीसेफ की स्थापना किस उद्देश्य से और कब की गई ?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र बाल संकट कोष (यूनीसेफ) की स्थापना द्वितीय महायुद्ध के बाद शिशुओं को राहत पहुँचाने के उद्देश्य से 1946 ई. में की गई। इसका प्रमुख उद्देश्य स्वास्थ्य और पोषण आदि कार्यक्रमों के माध्यम से बाल-कल्याण से सम्बन्धित कार्यों को प्रोत्साहन देना है। यह व्यक्तियों तथा सरकारों से धन दान में लेकर एक कोष का निर्माण करता है, जिससे विश्व के बालकों की सहायता की जाती है। इसके अतिरिक्त यह प्राकृतिक आपदाओं में भी बालकों और उनके अभिभावकों की अपेक्षित सहायता करता है। 1965 ई. में इस संगठन को नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
प्रश्न 14.
संयुक्त राष्ट्र संघ की असफलताओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
अथवा
संयुक्त राष्ट्र संघ किन संघ उद्देश्यों को पूरा करने में सफल नहीं हुआ है ?
उत्तर:
हालाँकि संयुक्त राष्ट्र का उद्देश्य नि:शस्त्रीकरण की नीति का पालन करवाते हुए अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा की स्थापना करना है, परन्तु आज भी कई ऐसे मसले हैं। जिनका समाधान करने में वह असफल रहा है –
- आण्विक शक्ति व हथियारों एवं परम्परागत सेनाओं में कमी करने पर कोई समझौता नहीं हुआ।
- कश्मीर विवाद अभी तक बना हुआ है।
- कोरिया अभी तक विभक्त है।
- युद्धों को रोकने में सफल नहीं हुआ।
- सी.टी.बी.टी. को अभी तक प्रभावी नहीं बनाया जा सका है।
- आतंकवाद को रोकने में विफल रहा है।
प्रश्न 15.
भारत की किन महान विभूतियों ने संयुक्त राष्ट्र संघ के महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित किया है?
उत्तर:
भारत, संयुक्त राष्ट्र संघ का संस्थापक सदस्य है। आजादी के पश्चात् भारत छः बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् का अस्थायी सदस्य निर्वाचित हुआ है तथा इसकी स्थायी सदस्यता का सशक्त दावा कर रहा है। अनेक भारतीय संयुक्त राष्ट्र संघ के महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं –
- श्रीमती विजय लक्ष्मी पण्डित – इनको संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा के आठवें अधिवेशन की अध्यक्षा चुना गया।
- डॉ. राधाकृष्णन – इन्होंने यूनेस्को के प्रधान पद को सुशोभित किया।
- मौलाना अब्दुल कलाम आजाद – ये भी यूनेस्को के प्रधान पद पर कार्यरत रह चुके हैं।
- डॉ. नगेन्द्र सिंह – इन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पद का उत्तरदायित्व सम्भाला।
- डॉ. एच. जे. भाभा – ये अणुशक्ति के शान्ति पूर्ण उपयोग हेतु गठित कमीशन के पद पर नियुक्त हुए।
- राजकुमारी अमृत कौर – विश्व स्वास्थ्य संगठन की अध्यक्षा नियुक्त हुईं।
- श्री गौतम काजी – ये पहले भारतीय हैं जिन्हें विश्व बैंक का प्रबन्ध निदेशक नियुक्त किया गया।
RBSE Class 11 History Chapter 6 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
राष्ट्र संघ की स्थापना किस प्रकार हुई एवं इसके क्या कार्य थे?
उत्तर:
अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विल्सन के अथक प्रयासों से राष्ट्र संघ की स्थापना हुई। जनवरी 1918 ई. में विल्सन ने अपना प्रसिद्ध चौदह सूत्री कार्यक्रम प्रकाशित किया। इसके अन्तिम सूत्र में राष्ट्र संघ की स्थापना पर विशेष बले दिया गया था। 28 अप्रैल, 1919 को पेरिस शान्ति सम्मेलन में राष्ट्र संघ के प्रारूप को स्वीकारा गया। इस प्रकार 10 जनवरी, 1920 को राष्ट्र संघ वैधानिक रूप से अस्तित्व में आ गया।
राष्ट्र संघ के कार्य:
राष्ट्र संघ के कार्यों को निम्न बिन्दुओं में स्पष्ट किया जा सकता है –
1. विश्व में शान्ति व सुरक्षा स्थापित करना:
प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् विश्व में शान्ति व सुरक्षा की स्थापना के लिए राष्ट्र संघ की स्थापना की गई थी। अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग के द्वारा दुनिया में होने वाले भावी युद्धों को रोकना इसका महत्वपूर्ण कार्य था।
2. प्रशासनिक कार्य:
वर्साय की शान्ति संधि में विश्व के अनेक विवादित भू-भागों के प्रशासन की व्यवस्था का दायित्व राष्ट्र संघ को दिया गया था। राष्ट्र संघ को अस्थाई रूप से सार घाटी तथा डेंजिंग का प्रशासन भी सौंपा गया था।
3. मेण्डेट अथवा संरक्षण व्यवस्था:
प्रथम विश्व युद्ध के अन्त में जर्मनी और टर्की से प्राप्त उपनिवेशों को राष्ट्र संघ ने मेण्डेट व्यवस्था के अन्तर्गत जापान, फ्रांस, बेल्जियम, इंग्लैण्ड आदि देशों के संरक्षण में प्रशासन के लिए दे दिया। राष्ट्र संघ ने 1920 में एक स्थायी प्रादेश आयोग’ की स्थापना की। यह आयोग मेण्डेट व्यवस्था के अन्तर्गत आने वाले भू-भागों के प्रशासन की निगरानी करता था।
4. सामाजिक, आर्थिक और मानवता सम्बन्धी कार्य:
राष्ट्र संघ ने कई आर्थिक और वित्तीय समितियों की स्थापना की जिन्होंने सम्पूर्ण विश्व से आँकड़ों का संकलन किया। इसके अतिरिक्त चिकित्सा, नारी एवं बाल कल्याण के क्षेत्र में भी अनेक प्रशंसनीय कार्य किये। इनके अतिरिक्त अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा तथा मानव कल्याण सम्बन्धी कार्य भी राष्ट्र संघ के दायित्वों में सम्मिलित थे।
प्रश्न 2.
फासीवाद के उदय के प्रमुख कारण एवं परिणाम लिखिए।
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात् इटलीवासियों को निराशा से निकालने हेतु मुसोलिनी ने ‘फासिस्ट काम्बाटिमेटो’ नामक संगठन बनाया। इसकी विचारधारा को फासीवाद की संज्ञा दी जाती है।
फासीवाद के उदय के कारण:
फासीवाद के उदय के निम्न कारण थे –
1. वर्साय की सन्धि से उत्पन्न निराशा:
इस सन्धि में इटली को मित्र राष्ट्रों द्वारा जो क्षेत्र देने का वचन दिया गया था वह पूर्ण नहीं हो पाने का प्रमुख कारण जनता ने इटली में एक कमजोर जनतन्त्र को बताया। इसका सर्वाधिक लाभ मुसोलिनी के फासिस्ट दल को प्राप्त हुआ।
2. शिथिल अर्थव्यवस्था:
प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात मिली निराशा के फलस्वरूप इटली की आर्थिक स्थिति में गिरावट आने लगी। उद्योग, व्यापार, कृषि आदि को बहुत हानि हुई तथा आम लोगों का जीवन निर्वाह मुश्किल हो गया। इस कारण इटली की जनता तत्कालीन सरकार के विरुद्ध हो गई।
3. साम्यवाद से प्रभावित इटली:
साम्यवादी दल ने वहाँ की जनता को यह विश्वास दिलाया था कि वह इटली को सशक्त बनाएगा परन्तु इसका लाभ मुसोलिनी ने लिया और जनता को अपने पक्ष में कर लिया।
4. दार्शनिक हीगल की विचारधारा का प्रभाव:
हीगल की विचारधारा थी कि व्यक्ति राज्य के अनुशासन में रहकर ही अपनी श्रेष्ठता की ओर अग्रसर हो सकता है। इस विचारधारा के जनता पर पड़े प्रभाव का लाभ मुसोलिनी को मिला।
5. शक्तिशाली शासक की आवश्यकता:
इटली की जनता ऐसा शासक चाहती थी जिसका व्यक्तित्व उनके राष्ट्र की स्थिति में सुधारात्मक साबित हो। यह गुण उनको मुसोलिनी के व्यक्तित्व में दिखाई दिया।
6. इटली में स्थिर सरकार न होना:
तात्कालिक परिस्थितियों में इटली का मंत्रिमण्डल अपनी स्थिर सरकार बनाने में असमर्थ रहा। ऐसी स्थिति में मुसोलिनी ने जनता को स्थिर सरकार देने का वचन देकर अपने पक्ष में कर लिया।
7. इटली की साम्राज्यवादी लिप्सा:
इटली भूमध्यसागर में रोमन झील का निर्माण करना चाहता था तथा 1896 ई. में उसने अबीसीनिया पर जो हमला किया उसमें भी वह परास्त हुआ। मुसोलिनी ने इटली को उसकी साम्राज्यवादी आकांक्षा पूर्ण करने के लिए आश्वस्त किया।
8. मुसोलिनी का राजनीति में प्रवेश:
आक्रोश व अराजकता व्याप्त इटली की राजनीति में जब मुसोलिनी को प्रवेश हुआ तो उसके सम्मोहक उद्बोधन ने लोगों को बहुत अधिक प्रभावित किया। इस कारण इटली ने मुसोलिनी को अपने शासक के रूप में स्वीकार किया।
फासीवाद के परिणाम:
फासीवाद के निम्नलिखित परिणाम हुए –
- फासीवाद के उदय के परिणामस्वरूप विश्व के अधिकांश देशों में तानाशाही शासन को प्रारम्भ हुआ।
- साम्यवाद के बढ़ते प्रभाव से लाभ उठाकर मुसोलिनी रूस व साम्यवाद का ही विरोधी हो गया।
- अधिनायक तंत्र की स्थापना के पश्चात् इटली में प्रजातंत्र विरोधी विचारों का प्रसार किया जाने लगा।
- मुसोलिनी के बढ़ते हुए प्रभाव को देखकर पूँजीवादी राष्ट्रों ने इटली के प्रति तुष्टिकरण की नीति अपनाई।
- मुसोलिनी वैश्विक जगत् में इटली की प्रतिष्ठा को पुनः कायम करना चाहता था। अतः उसने शक्तिशाली सेना का गठन किया।
- इटली को सबल राष्ट्र बनाने तथा साम्राज्यवाद के प्रसार हेतु मुसोलिनी ने अन्य राष्ट्रों के प्रति कूटनीति अपनाई।
- 1923 ई. में हुई यूनान व इटली के मध्य लोसाने की संधि द्वारा इटली ने रोड्स व डोडेकमीज द्वीप क्षेत्र पुनः प्राप्त कर लिए।
- मुसोलिनी के सत्ता में आने के पश्चात् इटली व फ्रांस में मतभेद गहरे हो गये।
- मुसोलिनी ने 1896 में एडोवा में हुई हार का प्रतिशोध लेने के लिए 1935 में अबीसीनिया पर आक्रमण कर उसे अधिग्रहीत कर लिया।
- मुसोलिनी ने जर्मनी की सैन्य शक्ति का सहयोग प्राप्त करने के लिए 1939 ई. में जर्मनी के साथ फौलादी समझौता किया।
प्रश्न 3.
यह शान्ति सन्धि नहीं यह तो बीस वर्ष के लिए युद्ध विराम सन्धि है।” मार्शल फौच का यह कथन कहाँ तक सत्य सिद्ध हुआ?
अथवा
वे कौन सी परिस्थितियाँ थीं जिन्होंने द्वितीय महायुद्ध को जन्म दिया ?
उत्तर:
1919 ई. में प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति पर हुई वर्साय की सन्धि के सम्बन्ध में मार्शल फौच ने यह कहा था कि “यह शान्ति संधि नहीं यह तो बीस वर्ष के लिए युद्ध विराम संधि है।” उनकी यह भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई। प्रथम महायुद्ध की समाप्ति के ठीक 20 वर्ष बाद 1939 ई. में द्वितीय महायुद्ध आरम्भ हुआ। वर्साय में हुई संधि से जर्मनी इटली आदि राष्ट्र संतुष्ट नहीं थे क्योंकि –
- इस संधि के अनुसार जर्मनी को अपने सारे उपनिवेश, 15% कृषि योग्य भूमि, 12% पशु, 10% कारखाने, प्रदेश का आठवाँ भाग, कोयले व सीसा के क्षेत्र खोने पड़े थे।
- इस संधि में मित्र राष्ट्रों ने इटली को जो क्षेत्र देने का वचन दिया था वह उसे मित्र राष्ट्रों के विश्वासघात के कारण नहीं मिले।
- इसके अतिरिक्त इटली व जर्मनी के तानाशाहों ने वर्साय की संधियों को रद्द कर दिया एवं नि:शस्त्रीकरण सम्मेलन में जाकर स्पष्ट कर दिया कि सभी राष्ट्रों को समानता दी जानी चाहिए।
- राष्ट्र संघ भी अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा के प्रयासों में असफल रहा और राष्ट्रों द्वारा उसके लक्ष्यों की अवमानना की गई।
- यूरोप के सभी छोटे बड़े साम्राज्यवादी राष्ट्र; जैसे-इंग्लैण्ड, इटली, जर्मनी, रूस, पोलैण्ड आदि अन्तर्राष्ट्रीय न्याय तथा संधि की शर्तों के विपरीत शस्त्रीकरण की विनाशकारी होड़ में लग गये।
इन सभी परिस्थितियों का स्वाभाविक परिणाम द्वितीय विश्वयुद्ध था। प्रथम विश्वयुद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित था किन्तु द्वितीय विश्व युद्ध ने सम्पूर्ण विश्व को अपने घातक परिणामों से प्रभावित किया। द्वितीय विश्वयुद्ध की भयंकरता ने राजनीतिज्ञों और वैज्ञानिकों के हृदय में यह आशंका पैदा कर दी कि यदि तृतीय विश्वयुद्ध हुआ तो सम्पूर्ण मानव सभ्यता ही नष्ट हो जाएगी।
प्रश्न 4.
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना किस प्रकार हुई इसके उद्देश्य एवं सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना:
द्वितीय विश्वयुद्ध का शंखनाद होते ही मित्रराष्ट्रों ने एक नये अंतर्राष्ट्रीय संगठन की स्थापना के लिए प्रयास शुरू किये, जो इस प्रकार हैं –
1. अटलाण्टिक चार्टर:
14 अगस्त, 1941 ई. को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चर्चिल व अमरीकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने संयुक्त घोषणा की। इस अटलाण्टिक घोषणा को ही संयुक्त राष्ट्र संघ का जन्मदाता माना जाता है। अटलाण्टिक घोषणा पर 26 राष्ट्रों ने जनवरी 1942 ई. में हस्ताक्षर किए। सोवियत रूस के हस्ताक्षर करते ही यह संगठन अस्तित्व में आ गया।
2. सेन फ्रांसिस्को सम्मेलन, 1945 ई.:
संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर को अन्तिम रूप देने के लिए अमेरिका के सेनफ्रांसिस्को में एक सम्मेलन आयोजित हुआ। इसमें चार्टर को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया। चार्टर पर राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए। अन्ततोगत्वा 24 अक्टूबर, 1945 ई. को संयुक्त राष्ट्र संघ का चार्टर लागू हुआ। 10 फरवरी, 1946 ई. को लन्दन के वेस्टमिन्सटर हाल में संघ की प्रथम बैठक हुई।
3. संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य:
चार्टर के अनुसार संयुक्त राष्ट्र संघ के चार प्रमुख उद्देश्य हैं –
- सामूहिक व्यवस्था द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा कायम रखना और आक्रामक प्रवृत्तियों को नियन्त्रण में रखना।
- अन्तर्राष्ट्रीय विवादों का शान्तिपूर्ण समाधान करना।
- राष्ट्रों के आत्मनिर्णय और उपनिवेशवाद विघटन की प्रक्रिया को गति देना।
- सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं मानवीय क्षेत्रों में अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करना।
संघ ने इन उद्देश्यों से जुड़े हुए दो और लक्ष्य भी निर्धारित किए, वे हैं – नि:शस्त्रीकरण और नई अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की स्थापना।
संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धान्त:
संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुसार इसके निम्नांकित सिद्धान्त बनाए गये हैं –
- समान सम्प्रभुता पर आधारित संगठन।
- दायित्वों का निष्ठापूर्वक पालन किये जाने की आशा।
- शान्तिपूर्ण साधनों से अन्तर्राष्ट्रीय विवादों का निपटारा।
- चार्टर के प्रतिकूल कार्य करने वाले राष्ट्र को असहयोग।
- गैर सदस्य राष्ट्रों से भी अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा बनाए रखने वाले सिद्धान्तों का पालन करवाना।
- राष्ट्रों के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना।
- अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में अन्य राज्यों के विरुद्ध धमकी या बल का प्रयोग निषेध।
प्रश्न 5.
दक्षिण अफ्रीका के राजनीतिक सुधारों में नेल्सन मण्डेला का क्या योगदान रहा?
उत्तर:
नेल्सन मण्डेला दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति थे। इनका जन्म 18 जुलाई, 1918 को दक्षिण अफ्रीका के नेल्सन नामक स्थान पर हुआ था। अपने समाज में गोरे लोगों के अत्याचारों को इन्होंने निकटता से अनुभव किया तथा बचपन में ही रंगभेद की नीति को समाप्त करने का दृढ़ संकल्प ले लिया। स्कूल शिक्षा पूर्ण करने पर 1939 में उन्हें कॉलेज में प्रवेश मिल गया परन्तु जातिगत भेदभाव का विरोध करने पर उन्हें संस्था से निष्कासित कर दिया गया।
मण्डेला मण्डेला का रंगभेद विरोधी संघर्ष:
अपने विचारों को गति प्रदान करने के लिए उन्होंने सन् 1944 में अफ्रीकन राष्ट्रीय काँग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। इसके माध्यम से असहयोग, बहिष्कार जैसे कदम उठाये जाने लगे। मण्डेला की गतिविधियाँ प्रशासन से छिपी नहीं रहीं। 1961 में मण्डेला को पाँच वर्ष की सजा दी गई। सजा के दो वर्ष पश्चात् पुनः इन पर मुकदमा चलाया गया और आजन्म कैद की सजा सुनाई गई।
नीति परिवर्तन को सरकार विवश:
जेल में रहते हुए भी मण्डेला ने रंगभेद नीति के विरोध में कई प्रयास किये। फलस्वरूप चारों ओर से रंगभेद की आलोचना होने लगी। अन्तर्राष्ट्रीय विरोध और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति डि क्लार्क की समझौतावादी नीति से सरकार तथा अश्वेत प्रतिनिधियों के मध्य वार्ता का वातावरण बना। 27 वर्ष के कारागार के पश्चात् नेल्सन मण्डेला को रिहा कर दिया गया।
लोकतांत्रिक संविधान का निर्माण:
राष्ट्रपति डि क्लार्क तथा मंडेला की बातचीत का सकारात्मक परिणाम निकला। लोकतांत्रिक संविधान का निर्माण हुआ जिसके अन्तर्गत 1994 ई. में दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद रहित चुनाव हुए। इन चुनावों में अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस ने 62% मत प्राप्त किये और बहुमत के साथ उसकी सरकार बनी। 1994 ई. में नेल्सन मण्डेला दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति चुने गये।
मण्डेला ने पूर्व मतभेद विस्मरण कर समानता की नीति का पालन किया और पुनः राष्ट्रपति बनने के आग्रह को अस्वीकार कर राजनीति से संन्यास ले लिया। बहुमुखी प्रतिभा के धनी नेल्सन मण्डेला की जीवन लीला 2013 ई. में समाप्त हो गयी परन्तु अपने उत्कृष्ट कार्यों के बल पर वे आज भी अन्याय व अत्याचारों के विरुद्ध संघर्षरत लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं।
प्रश्न 6.
राष्ट्र संघ के उद्देश्यों का वर्णन करते हुए यह बताइये कि इन उद्देश्यों को पूर्ण करने में वह कहाँ तक सफल हुआ?
उत्तर:
10 जनवरी, 1920 ई. को राष्ट्र संघ की स्थापना विश्व को युद्ध के विनाशकारी परिणामों से बचाने हेतु की गयी। इसकी स्थापना अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन के अथक प्रयासों का परिणाम थी। राष्ट्र संघ के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित थे –
- विश्व में शांति व सुरक्षा की स्थापना करना तथा विश्व में भावी युद्धों को रोकना।
- नि:शस्त्रीकरण की नीति का पालन करवाना।
- पेरिस शांति सम्मेलन की संधियों का पालन करवाना।
- राष्ट्रों के मध्य विवादों को सुलझाना।
- मानव कल्याण के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कल्याणकारी कार्य करना।
- प्रत्येक राष्ट्र के हित को ध्यान में रखते हुए कार्य करना।
राष्ट्र संघ की सफलताएँ:
राष्ट्र संघ की प्रमुख सफलताएँ निम्नलिखित हैं –
- राष्ट्र संघ ने राजनीतिक क्षेत्र में कई विवादों का निपटारा करने में सफलता अर्जित की जिनमें अल्बानिया का सीमा विवाद, ऑलैण्ड द्वीप विवाद, हंगेरियन विवाद, यावर्जनों विवाद, लौटेशिया विवाद और बल्गारिया तथा यूनान के विवाद प्रमुख थे।
- युद्धबन्दियों को रिहा कराकर उनको स्वदेश लौटाने की व्यवस्था करना भी राष्ट्र संघ की एक महान सफलता थी।
- राष्ट्र संघ ने कई आर्थिक व वित्तीय समितियों की स्थापना की जिन्होंने संपूर्ण विश्व से आँकड़ों एवं तथ्यों का संकलन किया तथा देशों को स्वस्थ आर्थिक नीति अपनाने की प्रेरणा दी।
- राष्ट्र संघ द्वारा चिकित्सा के क्षेत्र में, नारी व बाल कल्याण के क्षेत्र में तथा मादक द्रव्यों पर नियंत्रण के लिए सराहनीय प्रयास किए गए। इस प्रकार कहा जा सकता है कि राष्ट्र संघ अपने उद्देश्यों को पूर्ण करने में काफी हद तक सफल हुआ।
प्रश्न 7.
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् कौन से राष्ट्र स्वतंत्र हुए? इन राष्ट्रों ने स्वतंत्रता के पश्चात् किस नीति का अनुसरण किया और क्यों?
उत्तर:
द्वितीय महायुद्ध के पश्चात् राष्ट्रीयता के उदय ने यूरोपीय उपनिवेशों पर यूरोपीय राष्ट्रों के आधिपत्य को समाप्त कर दिया। राष्ट्रीयता की भावना से उत्पन्न परिस्थितियों ने ब्रिटिश सरकार को नीति परिवर्तन के लिए बाध्य किया फलस्वरूप भारत, बर्मा, मलाया, श्रीलंका, मिस्र आदि देश ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र हो गये। कम्बोडिया, लाओस, वियतनाम आदि देश फ्रांसीसी आधिपत्य से मुक्त हुए। हॉलैण्ड के उपनिवेशों-जावा, सुमात्रा व बोर्नियो ने हिन्देशिया नामक संघ राज्य का निर्माण किया और स्वतंत्रता प्राप्त की।
औपनिवेशिक साम्राज्य का अंत हो जाने के पश्चात् नवीन स्वतंत्र राष्ट्रों के समक्ष किसी महाशक्ति के गुट में सम्मिलित होना एक बड़ी चुनौती थी। प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र शीत युद्ध की स्थिति से स्वयं को तटस्थ रखना चाहता था। अत: इन नवीन स्वतंत्र राष्ट्रों ने भारत का अनुसरण करते हुए गुट निरपेक्षता को अपनी विदेश नीति के रूप में चुना।
गुट निरपेक्षता का प्रमुख उद्देश्य महाशिक्तयों से समान दूरी बनाए रखते हुए अपने विकास में उनसे सहयोग प्राप्त करना, स्वयं हो विकासशील राष्ट्रों की श्रेणी में लाना, परतंत्र राज्यों के स्वाधीनता संग्राम में सहयोग करना व उपनिवेशवाद के विरुद्ध आवाज उठाना था। इस प्रकार नवोदित स्वतंत्र राष्ट्रों ने अपनी सम्प्रभुता व राजनीतिक सांस्कृतिक परम्पराओं की रक्षा हेतु गुट निरपेक्षता की नीति को अपनाया।
प्रश्न 8.
संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव के कार्यों का विस्तार से वर्णन करो।
उत्तर:
महासचिव संयुक्त राष्ट्र संघ के महत्वपूर्ण अंग सचिवालय का मुख्य प्रशासनिक अधिकारी होता है। नियुक्ति सुरक्षा परिषद की संस्तुति पर महासभा द्वारा की जाती है। महासचिव का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है। महासचिव के प्रत्याशी के बारे में सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्यों की सकारात्मक सहमति आवश्यक है। महासचिव के कार्य निम्नलिखित हैं।
1. प्रशासनिक कार्य:
महासचिव संस्था के सभी बैठकों में भाग लेता है एवं सस्था के कार्यों की वार्षिक रिपोर्ट महासभा को देता है।
2. तकनीकी कार्य:
महासचिव महासभा सुरक्षा परिषद, आर्थिक एवं सामाजिक परिषद तथा न्यासधारिता परिषद द्वारा सौंपे जाने वाले कार्य भी करता है।
3. सचिवालय का दायित्व:
महासचिव सचिवालय का सर्वोच्च अधिकारी होता है। अतः सचिवालय का पूर्ण दायित्व इसका होता है। वह कर्मचारियों की नियुक्ति आदि समस्त प्रशासन से संबंधित कार्य करता है।
4. वित्तीय कार्य:
महासचिव संयुक्त राष्ट्र संघ का बजट तैयार करवाता है। सदस्य राष्ट्रों से अनुदान एकत्र करता है। एवं व्यय पर नियंत्रण रखता है।
5. राजनीतिक कार्य:
वे विषय जिनसे अन्तर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को खतरा हो, महासचिव सुरक्षा परिषद का ध्यान ऐसे विषय पर आकृष्ट करवाता है।
6. प्रतिनिध्यात्मक कार्य:
महासचिव संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रतिनिधित्व करता है।
प्रश्न 9.
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय पर एक लेख लिखो।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र संघ की न्यायकारिणी संस्था है। इसका एक पृथक संविधान है जिसे अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय की संविधि कहा गया है। इस संविधि में पाँच अध्याय एवं 70 अनुच्छेद हैं। इस न्यायालय का गठन 15 न्यायाधीशों के द्वारा होता है। जिनका कार्यकाल 9 वर्ष का होता है। इन न्यायाधीशों की नियुक्ति महासभा एवं सुरक्षा परिषद के सदस्यों द्वारा होती है। इस न्यायालय में न्यायाधीशों के बहुमत के आधार पर निर्णय होता है तथा एक कोरम में 9 सदस्यों की उपस्थिति आवश्यक है।
न्यायधीशों के पास विशेषाधिकार होते हैं। न्यायालय के सम्मुख परामर्शदाता एवं वकीलों को भी स्वतंत्रतापूर्वक कार्य करने की छूट दी जाती है। अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में व्यक्ति को दावा दायर करने का अधिकार नहीं है। केवल राज्य ही दावा प्रस्तुत कर सकता है। इस संगठन का कार्यालय हेग (नीदरलैण्ड) में स्थित है। अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय को जो क्षेत्राधिकार प्रदान किये गये हैं उनका वर्णन इस प्रकार है –
1. ऐच्छिक क्षेत्राधिकार:
ऐच्छिक क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत वे विवाद आते हैं जिन्हें दोनों सहमति के साथ न्यायालय में प्रस्तुत करते हैं।
2. अनिवार्य क्षेत्राधिकार:
राष्ट्र स्वयं घोषणा कर इन क्षेत्रों में न्यायालय के आवश्यक क्षेत्राधिकार को स्वीकार करता है, ये हैं – संधि की व्याख्या, अन्तर्राष्ट्रीय कानून के क्षेत्र से संबंधित सभी मुद्दे, किसी कानून के उल्लंघन पर क्षतिपूर्ति का रूप और परिणाम।
3. परामर्शात्मक क्षेत्राधिकार:
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय किसी भी मुद्दे पर महासभा एवं सुरक्षा परिषद को परामर्श दे सकता है। परन्तु राज्य को यह परामर्श देने को बाध्य नहीं किया जा सकता है। अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय ने अपने कार्यों की कुशलता के साथ अन्तर्राष्ट्रीय कानून के विकास में सराहनीय योगदान दिया है।
प्रश्न 10.
संयुक्त राष्ट्र संघ की उपलब्धियों का वर्णन करो।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना अन्तर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा की स्थापना के लिए की गई थी। संयुक्त राष्ट्र संघ ने राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक प्रत्येक क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता अर्जित की है। संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा प्रदान करने वाली संस्था की स्थापना के कारण ही मानवता को तृतीय महायुद्ध का भीषणा रूप देखने को नहीं मिला। इस संस्था ने कई बार युद्ध की स्थिति को उत्पन्न होने से रक्षा की है। विभिन्न क्षेत्रों में संयुक्त राष्ट्र संघ की उपलब्धियाँ निम्नांकित हैं –
1. इजरायल राज्य का निर्माण:
इजरायल-फिलिस्तीन विवाद में मध्यस्थता कर संयुक्त राष्ट्र संघ ने इजरायल राज्य का निर्माण करवाया।
2. कश्मीर का प्रश्न:
कश्मीर ने प्रश्न पर भारत-पाक के मध्य अनेक बार संयुक्त राष्ट्र संघ ने युद्ध की स्थिति को बनने से रोका है। .
3. इण्डोनेशिया विवाद:
संयुक्त राष्ट्र संघ की मध्यस्थता के कारण इण्डोनेशिया से नीदरलैण्ड की सेनाएँ वापस हुईं तथा इण्डोनेशिया एक स्वतंत्र गणराज्य बन सका।
4. दक्षिण कोरिया की रक्षा:
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा सैनिक कार्यवाही करने पर उत्तर कोरिया के आक्रमण से दक्षिण कोरिया की रक्षा की गई।
5. मानवाधिकार घोषणा पत्र:
10 दिसम्बर, 1948 ई. को महासभा द्वारा मानवाधिकार घोषणा पत्र पारित किया गया जिसमें विश्व के नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों को देने के लिए सदस्य राज्यों को निर्देश दिए गए।
6. मिस्र की सुरक्षा:
1956 ई. में फ्रांस, ब्रिटेन तथा इजरायल ने मिस्र पर आक्रमण किया। संयुक्त राष्ट्र संघ मिस्र में युद्ध बन्द कराने तथा वहाँ से विदेशी सेनाएँ हटाने में पूर्णरूपेण सफल रहा।
7. औपनिवेशिक साम्राज्य की समाप्ति:
संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रयासों द्वारा एशिया व अफ्रीका से उपनिवेशवाद की समाप्ति हुई।
8. क्यूबा संकट:
संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1962 ई. में क्यूबा के संकट को हल किया।
9. साइप्रस की समस्या:
1964 ई. में संयुक्त राष्ट्र संघ ने साइप्रस में कानून और व्यवस्था द्वारा शांति स्थापित की।
10. निःशस्त्रीकरण का प्रयोग:
नि:शस्त्रीकरण की नीति का पालन करवाकर संयुक्त राष्ट्र संघ ने हथियारों की दौड़, को रोकने का प्रयास किया।
11. कुवैत को मुक्त कराना:
फरवरी 1991 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर बहुराष्ट्रीय सेना के बल प्रयोग द्वारा कुवैत को इराक के अनाधिकृत कब्जे से मुक्ति दिलाई।
12. विस्थापितों के पुनर्वास की व्यवस्था में सहयोग प्रदान करना:
संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपने सराहनीय प्रयासों द्वारा विस्थापितों के पुनर्वास में सहयोग प्रदान किया।
13. रासायनिक हथियारों पर प्रतिबन्ध:
संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रयासों द्वारा रासायनिक हथियारों के प्रतिबन्ध में सफलता मिली।
14. संयुक्त राष्ट्र संघ ने पूर्वी तिमोर की स्वतंत्रता में अहम भूमिका निभाई। इस प्रकार संयुक्त राष्ट्र संघ ने न केवल राजनीतिक क्षेत्र में सराहनीय सफलता अर्जित की बल्कि पर्यावरण सुधार व मानव जीवन को उन्नत बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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