Rajasthan Board RBSE Class 11 Home Science Chapter 28 प्राथमिक चिकित्सा
RBSE Class 11 Home Science Chapter 28 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
निम्न प्रश्नों के सही उत्तर चुनें –
(i) एक प्राथमिक चिकित्सक का सर्वोत्तम गुण है –
(अ) दूरदर्शिता
(ब) कार्यकुशलता
(स) फुर्तीलापन
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी।
(ii) आकस्मिक घटना के समय प्राथमिक चिकित्सा दी जाती है –
(अ) दीर्घकालीन
(ब) निरुद्देश्य
(स) तत्काल
(द) अल्पकालीन
उत्तर:
(स) तत्काल।
(iii) प्राथमिक चिकित्सा का उद्देश्य है –
(अ) घायल व्यक्ति का जीवन बचाना
(ब) घायल को सांत्वना देना
(स) घायल को गंभीर होने से बचाना
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी।
(iv) किस प्रकार की जलन में त्वचा लाल हो जाती है, परन्तु फफोले नहीं पड़ते हैं?
(अ) साधारण जलन
(ब) विशेष जलन
(स) विषम जलन
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) साधारण जलन।
प्रश्न 2.
प्राथमिक चिकित्सा किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्राथमिक चिकित्सा-डॉक्टर के पहुंचने से पूर्व दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को जो चिकित्सीय सहायता दी जाती है, उसे प्राथमिक चिकित्सा कहते हैं।
प्रश्न 3.
प्राथमिक चिकित्सा क्यों करनी चाहिए?
उत्तर:
प्राथमिक चिकित्सा के दो उदेश्य होते हैं –
- जीवन की रक्षा करना – इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि रोगी के प्राणों की रक्षा करना, यदि समय पर प्राथमिक चिकित्सा मिल जाती है तो संबंधित व्यक्ति की प्राण रक्षा संभव हो जाती है।
- तुरंत चिकित्सा – प्राथमिक चिकित्सा दुर्घटना होने के तुरन्त बाद की जाती है ताकि स्थिति और अधिक गंभीर न हो।
प्रश्न 4.
एक आदर्श प्राथमिक चिकित्सक में कौन-कौन से गण होने चाहिए?
उत्तर:
प्राथमिक चिकित्सक के गुण:
एक आदर्श प्राथमिक चिकित्सक में अग्रलिखित गुण होने चाहिए –
1. आत्म विश्वास – चिकित्सक को स्वयं पर विश्वास होना चाहिए। उसके कार्य को कोई बाधित न करे तो उस पर ध्यान देकर अपना कार्य पूरे विश्वास से करते रहना चाहिए।
2. त्वरित निर्णय क्षमता प्राथमिक चिकित्सक दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की स्थिति को भली प्रकार जाँच कर शीघ्र निर्णय लेने वाला होना चाहिए।
3. शारीरिक संरचना का ज्ञान – उसे मानव की शारीरिक संरचना का ज्ञान होना चाहिए जिससे वह आसानी से समझ सके कि चोट कहाँ लगी है, रक्त स्राव कहाँ से हो रहा हैं, इसे कैसे रोका जा सकता है, हड्डी टूटी है अथवा नहीं, कृत्रिम श्वास देने की आवश्यकता है या नहीं आदि।
4. उपलब्ध साधनों का उपयोग – प्राथमिक चिकित्सक दुर्घटना स्थल पर मौजूद साधनों का उपयोग कर रोगी की दशा को और अधिक बिगड़ने से रोक सके। इस प्रकार की समझ होनी चाहिए।
5. धैर्यशील – चूँकि दुर्घटना होने पर सभी व्यक्ति घबरा जाते हैं। अतः रोगी कैसा भी गंभीर हो, उपचारक को स्वयं धैर्य रखते हुए, घायल को धैर्य दिलाने की शक्ति होनी चाहिए ताकि उसकी घबराहट कम हो और उसमें हिम्मत आ जाए।
6. दयावान – दूसरों के प्रति दयाभाव रखने वाला ही सच्ची सहायता कर सकता है। अत: दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति के प्रति दयाभाव दिखाकर सहानुभूति प्रकट करने की क्षमता होनी चाहिए।
7. मृदु व्यवहार – प्रायः चिकित्सक को मृदुभाषी व हँसमुख होना चाहिए ताकि अपने व्यवहार से दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति के मन में विश्वास पैदा कर सके।
8. स्वस्थ शरीर – चिकित्सक को स्वयं स्वस्थ एवं बलशाली होना चाहिए ताकि दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को उठा सके, और उसे सहायता देने का कार्य कुशलता एवं सफलतापूर्वक कर सके।
9. कर्तव्य परायण – सेवा कार्य को अपना धर्म समझते हुए कार्य करना चाहिए। उसे जाति धर्म, वर्गभेद आदि से ऊपर उठकर अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए।
प्रश्न 5.
किसी व्यक्ति को लू लगने पर आप किस प्रकार उपचार करेंगी?
उत्तर:
लू लगने पर उपचार:
- रोगी को ठंडे स्थान पर लिटाएँ और उसके वस्त्र उतार दें।
- रोगी के सिर पर बर्फ की थैली रखें व रोगी को गीली चादर में लपेट कर पंखा करें।
- तापमान कम हो जाने पर सूखी चादर में लपेट दें।
- रोगी को ठंडे पानी में थोड़ा नमक मिलाकर पीने को दें।
- लू से बचने के लिए कच्चे आम का नमकीन पानी पिलाना चाहिए।
प्रश्न 6.
नाक एवं आँख में बाहरी वस्तु गिरने पर आप क्या उपचार करेंगी?
उत्तर:
नाक में बाहरी चीज जाने पर उपचार:
- तंबाकू पीसकर सुंघाने से तुरंत छीकें आती हैं और वस्तु बाहर निकल जाती है।
- नाक का दूसरा छिद्र बन्द कर प्रभावित छिद्र से श्वास झटके से छोड़ने पर वस्तु निकल सकती है।
- नाक में चिमटी या पानी न डालें। ऐसा करने से वस्तु और ऊपर चढ़ जाती है।
- फिर भी वस्तु नहीं निकले तो तुरन्त डाक्टर को दिखाना चाहिए।
आँख में बाहरी चीज जाने पर उपचार:
- आँख को मलना नहीं चाहिए। मलने से आँख की कोमल त्वचा में रगड़ पड़ जाती है।
- आँख के नीचे की पलक को खींचकर देखें, अगर कोई सूक्ष्म कण दिखाई दे तो स्वच्छ रूमाल के एक कोने – को ऐंठकर या साफ रूई की बत्ती बनाकर पानी में गीली कर उसकी नोंक से कण को बाहर निकालें।
- अगर कण ऊपर की पलक में चिपक गया हो तो पानी में भीतर आँख को खोलना व बन्द करना चाहिए।
- आँख में चूना या तेजाब पड़ने पर जल के छौंटों से आँख को धोना चाहिए व शीघ्र ही डॉक्टर को दिखाएँ।
- आँख में एक बूंद अरंडी या जैतून का तेल डालने से भी किरकिटी आंसुओं के साथ निकल जाती है।
RBSE Class 11 Home Science Chapter 28 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 11 Home Science Chapter 28 बहुविकल्पीय प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प का चयन कीजिए –
प्रश्न 1.
प्राथमिक चिकित्सा का सिद्धान्त नहीं है –
(अ) भीड़ को हटाना
(ब) रक्तस्राव को बंद करना
(स) भीड़ इकट्ठा करना
(द) कपड़े ढीले करना
उत्तर:
(स) भीड़ इकट्ठा करना
प्रश्न 2.
प्राथमिक उपचार करने वाला हो सकता है –
(अ) डॉक्टर
(ब) अध्यापक
(स) स्काउट
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी
प्रश्न 3.
प्राथमिक चिकित्सक में होना चाहिए –
(अ) आत्मविश्वास
(ब) कर्त्तव्य परायणता
(स) मृदु व्यवहार
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी
प्रश्न 4.
अधिक लू लगने पर शरीर का तापमान हो सकता है –
(अ) 100°F तक
(ब) 50°C तक
(स) 105°F तक
(द) 110°F तक
उत्तर:
(स) 105°F तक
प्रश्न 5.
जलन के मुख्य प्रकार हैं।
(अ) दो
(ब) तीन
(स) चार
(द) पाँच
उत्तर:
(ब) तीन
रिक्त स्थान
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. ………सिर्फ घटना के समय की गई देखभाल होती है।
2. घायल व्यक्ति की ………… से भी रक्षा करनी चाहिए।
3. प्राय: चिकित्सक को स्वयं पर ……… होना चाहिए।
4. गर्मी के दिनों में धूप में अधिक घूमने-फिरने से …….. लगने की संभावना रहती है।
5. कभी भी ……… प्रवाह को नंगे हाथों से नहीं छूना चाहिए।
उत्तर:
1. प्राथमिक चिकित्सा
2. मौसम
3. विश्वास
4. लू
5. विद्युत।
सुमेलन स्तम्भ A तथा स्तम्भ B का मिलान कीजिए
स्तम्भ A स्तम्भ B
1. तुरन्त चिकित्सा (a) प्राथमिक चिकित्सा का सिद्धान्त
2. विष पीने की आशंका (b) विषम जलना
3. जाँच करना (c) प्राथमिक चिकित्सा का उद्देश्य
4. तन्तुओं का जलना (d) साधारण जलन
5. त्वचा लाल पड़ना (e) वमन कराना
उत्तर:
1. (c) प्राथमिक चिकित्सा का उद्देश्य
2. (e) वमन कराना
3. (a) प्राथमिक चिकित्सा का सिद्धान्त
4. (b) विषम जलना
5. (d) साधारण जलन
RBSE Class 11 Home Science Chapter 28 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
प्राथमिक चिकित्सा कहाँ दी जाती है?
उत्तर:
प्राथमिक चिकित्सा दुर्घटना स्थल या उसके आसपास दी जाती है।
प्रश्न 2.
प्राथमिक चिकित्सा का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
प्राथमिक चिकित्सा का मुख्य उद्देश्य दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की जान बचाना है।
प्रश्न 3.
प्रथमिक चिकित्सक का उत्तरदायित्व कब समाप्त हो जाता है?
उत्तर:
दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को चिकित्सक तक पहुँचाने के बाद।
प्रश्न 4.
प्राथमिक चिकित्सक को दयावान होने की क्या आवश्यकता है?
उत्तर:
दूसरों के प्रति दयाभाव रखने वाला ही दूसरे की सेवा कर सकता है अत: प्राथमिक चिकित्सक दयावान होना चाहिए।
प्रश्न 5.
विद्युत आघात लगने का क्या कारण है?
उत्तर:
नंगे तार छू लेने या विद्युत उपकरण में खराबी के कारण धारा प्रभावित होना और उसे छू लेना।
प्रश्न 6.
प्राथमिक चिकित्सक को कैसा होना चाहिए?
उत्तर:
प्राथमिक चिकित्सक को आत्मविश्वासी, निर्णय क्षमता वाला, धैर्यशील, दयावान तथा कर्तव्य-परायण होना चाहिए।
प्रश्न 7.
बिजली कार्य करते समय क्या सावधानी रखनी चाहिए?
उत्तर:
बिजली संबंधित कार्य करते समय रबड़ की चप्पलें एवं हाथों में रबड़ के दस्ताने पहनने चाहिए।
RBSE Class 11 Home Science Chapter 28 लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
लू कैसे लग जाती है? इसके लक्षण बताइए।
उत्तर:
लू-लगना (Sun stroke):
गर्मी के दिनों में धूप में अधिक घूमने-फिरने से लू लगने की संभावना रहती है। गर्म वायु में अधिक देर तक तथा खुले सिर काम करने से भी गर्मी के दिनों में लू लग जाती है।
लक्षण:
- मामूली लू लगने पर सिर में तेज दर्द होता है और चक्कर आने लगते हैं। कभी-कभी वमन भी हो जाता है।
- प्यास अधिक लगती है, श्वास तेजी से चलती है तथा नाड़ी की गति भी तेज हो जाती है।
- अधिक लू लगने पर मनुष्य अचेत हो जाता है, तेज बुखार, त्वचा गर्म व सूखी हो जाती है।
- शरीर का तापमान शीघ्र ही बढ़कर 105°F तक हो जाता है। अगर कम करने का प्रबन्धन नहीं किया गया तो रोगी की मृत्यु भी हो जाती है।
प्रश्न 2.
आँख में बाहरी चीज का प्रवेश तथा इसके लक्षण बताइए।
उत्तर:
आँख में बाहरी चीज का प्रवेश-आखों में रेत कण, कोयला, मिट्टी या लोहे के कण, कीड़े व कभी-कभी पलक का बाल भी टूटकर गिर जाता है। आँख शरीर का महत्त्वपूर्ण तथा बहुत ही नाजुक अंग होती है अत: शीघ्र इसका उपचार करना चाहिए। लक्षण – आँख में बेचैनी तथा पीड़ा होने लगती है। आँख लाल हो जाती है, पानी निकलने लगता है तथा आँख में मिटमिटाहट होने लगती है। कभी-कभी आँख पर सूजन आ जाती है।
प्रश्न 3.
नाक में बाहरी चीजों के प्रवेश तथा लक्षण लिखिए।
उत्तर:
नाक में बाहरी चीज का प्रवेश:
प्राय: बच्चों की नाक में चना, मटर मोती या अन्य चीजें खेलते समय प्रवेश कर जाती हैं। नाक में गीलाफ रहने के कारण अनाज का दाना फूल जाता है और बुरी तरह फँस जाता है।
लक्षण:
- श्वास लेने में कष्ट होता है।
- नाक पर सूजन हो जाती है।
- नाक के अन्दर दर्द एवं सूजन हो जाती है।
- नाक लाल हो जाती है।
RBSE Class 11 Home Science Chapter 28 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
प्राथमिक चिकित्सा के सिद्धान्त बताइए।
उत्तर:
प्राथमिक चिकित्सा के सिद्धान्त-प्राथमिक चिकित्सा सिर्फ घटना के समय की गई देखभाल होती है। प्राथमिक उपचार करने वाला कोई भी हो सकता है। जैसे-आप, हम, छात्र-छात्राएँ, शिक्षक, स्काउट आदि। दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को चिकित्सक तक पहुँचाने के बाद प्राथमिक उपचार करने वाले का उत्तरदायित्व समाप्त हो जाता है। एक अच्छे प्रायः उपचार करने वाले को निम्नलिखित सिद्धान्त अपनाने चाहिए –
- भीड़ को हटाना।
- रोगी की स्थिति की जाँच करना।
- श्वसन क्रिया चालू करना।
- कपड़े ढीले करना।
- नाड़ी व श्वसन क्रिया देखना।
- रक्त स्राव को बन्द करना।
- शान्त रहकर स्पष्ट सोचना।
- रोगी को तुरन्त चिकित्सक तक पहुँचाना।
- तत्काल निर्णय लेना।
प्रश्न 2.
प्राथमिक चिकित्सक के कर्त्तव्य लिखिए।
उत्तर:
प्राथमिक चिकित्सक के कर्तव्य –
- स्थाई चिकित्सक के कर्तव्य – प्राथमिकी का प्रमुख कर्त्तव्य है कि दुर्घटना की प्रारम्भिक जानकारी प्राप्त कर किसी अन्य योग्य व्यक्ति को भेजकर डॉक्टर बुलाने का प्रबन्ध करें, ताकि डॉक्टर अपनी पूरी तैयारी के साथ घायल की स्थाई चिकित्सा हेतु आ सके।
- सुरक्षित स्थान पर लिटाना – घायल व्यक्ति को सुरक्षित स्थान पर लिटाकर, धूप आदि से बचाव करें एवं अनावश्यक भीड़ को हटा दें।
- कृत्रिम श्वास दिलाना – यदि घायल को श्वास नहीं आ रही हो तो उसे तुरन्त कृत्रिम श्वास दिलाना चाहिए।
- वमन कराना – यदि रोगी द्वारा विष पी लिए जाने की आशंका हो तो उसे तुरन्त वमन कराना चाहिए।
- हड्डी टूटना – यदि घायल के किसी अंग के टूटने की आशंका हो तो उस अंग को हिलाना-डुलाना नहीं चाहिए।
- पानी में डूबे व्यक्ति की चिकित्सा – पानी में डूबने से व्यक्ति के पेट में पानी भर जाता है, अत: उसके मुँह से कीचड़ आदि निकालकर उसे उल्टा करके पेट का पानी निकालने का प्रयास करना चाहिए।
- मौसम की तीव्रता से बचाना – घायल व्यक्ति की मौसम से भी रक्षा करनी चाहिए। गर्मी में धूप से बचाने के लिए उसे छायादार, हवादार स्थान पर लिटाना चाहिए तथा सर्दी से बचाने के लिए उसे कम्बल, रजाई आदि से उसके शरीर को गर्म रखना चाहिए। होश आने पर मौसम के अनुसार गर्म या ठंडा पेय पिलाना चाहिए।
प्रश्न 3.
जलन कितने प्रकार की होती है? प्रत्येक प्रकार की जलन के लिए प्राथमिक उपचार लिखिए।
उत्तर:
जलन मुख्यत: तीन प्रकार की होती है –
1. साधारण जलन-इसमें त्वचा लाल हो जाती है परन्तु फफोले नहीं पड़ते हैं।
उपचार:
ऐसी जलन में जले हुए अंग को तुरन्त पानी में डालना चाहिए। कच्चा आलू पीसकर लगाना चाहिए। जले हुए भाग पर नारियल या तिल के तेल में चूने का पानी मिलाकर लगाने से भी लाभ होता है।
2. विशेष जलन – इस प्रकार की जलन में त्वचा लाल हो जाती है और फफोले भी पड़ जाते हैं।
उपचार:
- फफोलों को फोड़ना नहीं चाहिए।
- घाव पर बरनॉल लगानी चाहिए।
- फफोलों पर चिकना पदार्थ (घी, तेल) नहीं लगाना चाहिए।
3. विषम जलन:
इस प्रकार की जलन में अंग विशेष के तंतु जल जाते हैं। इससे अधिक पीड़ा तथा जलन होती है।
उपचार:
- तुरन्त डॉक्टरी व्यवस्था करनी चाहिए।
- ठंडे पानी से धोना चाहिए।
- बरनॉल लगानी चाहिए।
प्रश्न 4.
विद्युत आघात लगने, इसके लक्षण तथा उपचार बताइए।
उत्तर:
विद्युत आघात (Electric shock):
कभी-कभी असावधानी के कारण बिजली के नंगे तारों से या किसी विद्युत उपकरण में खराबी आने के कारण विद्युत आघात लग जाता है। यदि व्यक्ति को शीघ्र ही तार से दूर नहीं किया जाए तो उसकी मृत्यु भी हो जाती है।
लक्षण:
करंट लगने से प्रभावित अंग प्राय: जल भी जाता है। हाथों तथा बाजुओं से बिजली प्रवाह छू जाने से विद्युत धारा वक्ष से निकल जाती है, फलस्वरूप हृदय शक्तिहीन हो जाता है।
उपचार:
- विद्युत प्रवाह को बटन दबाकर बंद कर दें, यदि प्लग लगा हो तो उसे निकाल दें।
- घायल व्यक्ति को विद्युत प्रवाह के सम्पर्क से हटाएँ। कभी भी प्रभावित व्यक्ति को नंगे हाथ से न पकड़ें। किसी सूखी लकड़ी, सूखे कपड़े, सूखी रस्सी, रबर के दस्ताने आदि को हाथ में लपेटकर हटाना चाहिए। पैरों में रबर के तले वाले जूते, लकड़ी का ढेर या समाचार पत्रों के ढेर पर खड़े होकर छुड़ाएँ। ।
- घायल व्यक्ति श्वास नहीं ले रहा हो तो उसे कृत्रिम श्वास दें।
- आहत व्यक्ति के तलवों में मालिश करें ताकि रक्त संचार शीघ्रता से हो सके। 5. रोगी होश में आ जाए तो उसे गर्म चाय देनी चाहिए।
प्रश्न 5.
कान में बाहरी चीज के प्रवेश इसके लक्षण तथा उपचार लिखिए।
उत्तर:
कान में बाहरी चीज का प्रवेश-प्रायः खेलते समय बच्चों के कान में, बीज, मोटी अनाज के दाने आदि प्रवेश कर जाते हैं। कभी-कभी मच्छर या अन्य कीड़े भी प्रवेश कर जाते हैं।
लक्षण:
- कान में कीड़ा प्रवेश करने पर कान के पर्दे पर भनभनाहट, दर्द तथा सिर में दर्द होने लगता है।
- कान में दाने, बीज या मोती प्रवेश करने पर कान में दर्द तथा सूजन हो जाती है, कान का बाहरी भाग लाल हो जाता है।
उपचार:
यदि कान में कीड़ा प्रवेश कर गया हो तो निम्न उपाय करें –
- कान में ग्लिसरीन, सरसों या जैतून के तेल की कुछ बूंदे डालें।
- ऊपर से कान में 2-3 ओंस हल्का गर्म पानी डालें।
- कभी-कभी टॉर्च की रोशनी कान में दिखाने से कीड़ा बाहर निकल जाता है। यदि अन्य वस्तु प्रवेश कर गई हो तो
- कान में सरसों का तेल डालें।
- उपर्युक्त विधि से यदि वस्तु बाहर न निकले तो डॉक्टर से परामर्श लें।
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