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RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 3 मानव वृद्धि एवं विकास की अवधारणा

August 20, 2019 by Prasanna Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 11 Home Science Chapter 3 मानव वृद्धि एवं विकास की अवधारणा

RBSE Class 11 Home Science Chapter 3 बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न प्रश्नों के सही उत्तर चुनें –
(i) गुणात्मक होती हैं –
(अ) वृद्धि
(ब) विकास
(स) प्रत्यय
(द) ‘अ’ व ‘ब’ दोनों
उत्तर:
(ब) विकास।

(ii) 3 -12 वर्ष की आयु कहलाती है –
(अ) गर्भावस्था
(ब) शैशवावस्था
(स) बाल्यावस्था
(द) किशोरावस्था
उत्तर:
(स) बाल्यावस्था।

(iii) विकास का परिणाम है –
(अ) आयु
(ब) अधिगम
(स) परिपक्वता
(द) ‘ब’ व ‘स’ दोनों
उत्तर:
(द) ‘ब’ व ‘स’ दोनों।

(iv) विकासात्मक स्वरूपों की अवधि होती हैं –
(अ) निश्चित
(ब) अनिश्चित
(स) अनन्त
(द) कोई नहीं
उत्तर:
(अ) निश्चित।

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 3 मानव वृद्धि एवं विकास की अवधारणा

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करो –
1. विकास में ……… पायी जाती है।
2. विकास की प्रक्रिया ……… से लेकर ………तक चलती रहती है।
3. ……… जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है।
4. गर्भाधान से जन्म तक की अवस्था को ……… अवस्था कहते हैं।
उत्तर:
1. वैयक्तिक भिन्नता
2. गर्भधारण, मृत्यु
3. विकास
4. गर्भकालीन।

प्रश्न 3.
विकासात्मक कार्य किसे कहते हैं?
उत्तर:
विकासात्मक कृत्य वे कार्य होते हैं, जो व्यक्ति के जीवन की निश्चित अवधि में उत्पन्न होते हैं, इनकी सुलभ उपलब्धि इनके लिए प्रसन्नता दायक होती है एवं बाद में कार्यों की सफलता की ओर ले जाती है।

प्रश्न 4.
वृद्धि एवं विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वृद्धि एवं विकास में अन्तर:
RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 3 मानव वृद्धि एवं विकास की अवधारणा-1

वृद्धि (Growth) विकास fachty (Development)
1. वृद्धि में मात्रात्मक परिवर्तन होते हैं, अर्थात् वृद्धि ऊर्ध्वाधर  बढ़वार को दर्शाती है। 1. विकास में गुणात्मक परिवर्तन होते हैं।
2. वृद्धि मूर्त होती है। इसे देखा जा सकता है। 2. विकास अमूर्त होता है।
3. वृद्धि को मापा जा सकता है। 3. विकास को मापा नहीं जा सकता। इसका केवल अनुभव किया जा सकता है।
4. वृद्धि में केवल आन्तरिक एवं बाहय शारीरिक परिवर्तन होते हैं। 4. विकास व्यक्ति के विभिन्न क्षेत्रों में होता है; जैसे-शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, बौद्धिक, संवेगात्मक, संज्ञानात्मक इत्यादि।
5. वृद्धि भ्रूणावस्था से प्रारम्भ होती है तथा परिपक्वावस्था प्राप्त करते-करते रुक जाती है। 5. विकास भ्रूणावस्था से प्रारम्भ होकर जीवन पर्यन्त चलता है।

प्रश्न 5.
विकास के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मानव विकास के अन्तर्गत गर्भाधान से लेकर मृत्युपर्यन्त तक व्यक्ति के विकास का ‘अन्तरअनुशासनात्मक परिप्रेक्ष्प’ से अध्ययन किया जाता है। विकास से केवल शारीरिक वृद्धि में होने वाले परिवर्तनों का ही संकेत नहीं मिलता बल्कि इसके अन्तर्गत वे सभी शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, बौद्धिक मनोवैज्ञानिक और संवेगात्मक परिवर्तन भी सम्मिलित रहते हैं जो गर्भाकाल से लेकर मृत्युपर्यन्त तक व्यक्ति में प्रकट होते रहते हैं।

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 3 मानव वृद्धि एवं विकास की अवधारणा

प्रश्न 6.
विकास की अवस्थाओं को समझाइए।
उत्तर:
बालक का विकास जन्म से पहले गर्भधारण से ही प्रारम्भ हो जाता है।
गर्भधारण से लेकर मृत्युपर्यन्त तक की विकास अवस्थाएँ निम्न प्रकार हैं –

1. गर्भकालीन अवस्था (Prenatal period):
यह गर्भाधान से लेकर शिशु के जन्म तक की अवस्था है। इस अवस्था में शिशु की वृद्धि एवं विकास अत्यन्त तीव्र गति से होता है। गर्भकालीन विकास को निम्न तीन भागों में बाँटा जा सकता है –

(i) बीजावस्था (Germinal period):
यह गर्भधारण से 14 दिन के बीच की अवस्था है। इस समय डिम्ब के आकार में तो कोई परिवर्तन नहीं होता किन्तु इसमें तीव्रगति से विभाजन होते हैं जिससे अनेक कोशिकाओं का
झुण्ड बन जाता है।

(ii) भ्रूणावस्था (Embryonic period):
यह गर्भधारण से 14 दिन से 2 माह के बीच की अवस्था है। इस अवस्था का जीव भ्रूण (Embryo) कहलाता है। इस अवस्था में शरीर के अंगों का निर्माण प्रारम्भ हो जाता है।

(iii) गर्भस्थ शिशु अवस्था (Foetus period):
यह 2 माह से शिशु-जन्म तक की अवस्था है। इस अवस्था में अंगों का विकास होता है।

2. नवजात अवस्था (Neonatal period):
यह अवस्था शिशु के जन्म से प्रारम्भ होती है तथा 1 माह तक चलती है। इस अवस्था में शिशु का कोई विशेष विकास नहीं होता है।

3. शैशवावस्था (Infancy):
यह अवस्था 1 माह से प्रारम्भ होकर 2 वर्ष तक चलती है। इस समय शिशु पूर्णत: असहाय होता है। वह अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दूसरों पर निर्भर होता है। धीरे-धीरे विकास के साथ-साथ उसकी मांसपेशियों पर उसका नियन्त्रण बढ़ता जाता है एवं शनै-शनै वह आत्मनिर्भर होता जाता है। विकास के साथ-साथ शिशु खेलना, खाना-पीना, बोलना आदि क्रियाएँ करने लगता है।

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 3 मानव वृद्धि एवं विकास की अवधारणा

4. पूर्व बाल्यावस्था (Early childhood):
यह 2 से 6 वर्ष की अवस्था है। इस समय बालक वातावरणीय स्थिति से तालमेल बनाना तथा सामाजिक समायोजन को सीखता है।

5. उत्तर बाल्यावस्था (Late childhood):
यह 6 से 11-12 वर्ष की अवस्था है। इस समय बालक समूह बनाकर खेलना पसन्द करता है।

6. किशोरावस्था (Adolescence):
यह 12 से 21 वर्ष की अवस्था मानी जाती है। इस अवस्था में अनेक शारीरिक एवं मानसिक परिवर्तन होते हैं। इस अवस्था में बालक में सामाजिकता एवं कामुकता का विकास होता है। किशोरों में इस समय समस्याओं की अधिकता एवं संवेगात्मक अस्थिरता जैसे लक्षण भी पाए जाते हैं।

7. युवावस्था (Adulthood):
यह 21 से 40 वर्ष की अवस्था है। यह अवस्था उत्तरदायित्वों, कर्तव्यों तथा उपलब्धियों की अवस्था मानी जाती है।

8. प्रौढ़ावस्था (Middle age):
यह 40 वर्ष से 60 वर्ष की अवस्था होती है। इस अवस्था का व्यक्ति पूर्ण रूप से मानसिक परिपक्वता लिए हुए स्थिर तथा शान्त मनोवृत्ति वाला होता है।

9. वृद्धावस्था (Old age):
यह 60 वर्ष से मृत्यु होने तक की अवस्था है। इस अवस्था में व्यक्ति शारीरिक एवं मानसिक रूप से शिथिल होने लगता है। वृद्धों के लिए यह अवस्था शारीरिक, सामाजिक, आर्थिक एवं भावनात्मक असुरक्षा की अवस्था होती है।

प्रश्न 7.
विकास के नियमों का संक्षिप्त में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विकास के नियम –
1. विकास में परिवर्तन होते है –
विकास जीवन पर्यन्त तक होने वाली प्रक्रिया है। विकास के क्रम में शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, सामाजिक एवं संवेगात्मक परिवर्तन होते हैं।

2. विकास एक निश्चित क्रम में होता हैं:
व्यक्ति का विकास दो निश्चित दिशाओं में होता है –

  • मस्तकाधोमुखी दिशा (क्रम):
    विकास के इस क्रम में शारीरिक विकास “सिर से पैर की ओर” होता है। अर्थात् विकास पहले सिर वाले भाग में होता है फिर धड़, पेट, पीठ की ओर सबसे अन्त में पैर वाला भाग विकसित होता है।
  •  निकट-दूर दिशा (क्रम):
    विकास का क्रम सुषुम्ना नाड़ी के पास के क्षेत्रों में पहले और सुषुम्ना नाड़ी से दूर के क्षेत्रों में देर में होता है। उदाहरण के लिए, हाथों का विकास पहले और हाथों की उगलियों का विकास देर से होता है।

3. विकास, परिपक्वता एवं अधिगम का परिणाम है:
बालक का शारीरिक एवं मानसिक विकास अधिगम (सीखना) एवं परिपक्वता, दोनों ही कारणों से होता है। परिपक्वता सीखने की नींव तैयार करती है।

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 3 मानव वृद्धि एवं विकास की अवधारणा

4. आरम्भिक विकास, पश्चात् विकास की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण होता है:
विकासात्मक अध्ययनों के आधार पर यह पूर्णतया स्थापित तथ्य है कि बाद में होने वाले विकास की तुलना में, जीवन के आरम्भिक काल के
विकास अत्यधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं।

5. विकास सामान्य से विशिष्ट की ओर अग्रसर होता है:
विकासात्मक अनुक्रियाएँ सामान्य से विशिष्ट की ओर अग्रसर होती हैं।

6. विकास में निरन्तरता होती है:
विकास गर्भाधान से लेकर मृत्युपर्यन्त तक निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है जिसमें कभी तीव्र तो कभी धीमी गति से परिवर्तन आते हैं।

7. विकासक्रम में विभिन्न अंग भिन्न भिन्न गति से विकसित होते हैं:
शरीर के अंगों का विकास एक समान गति से एवं समान समय में नहीं होता है। कुछ अंग पहले तो कुछ बाद में विकसित होते हैं।

8. विकास के विविध प्रकार्य में सह सम्बन्ध पाया जाता है:
विकास के एक पक्ष की कमी की क्षतिपूर्ति स्वाभाविक . रूप से अन्य क्षमता के उच्चतर विकास द्वारा होती है। जैसे कुशाग्र बुद्धि का बालक शारीरिक रूप से कमजोर हो सकता है। जब शारीरिक विकास तीव्रगति से होता है तो मानसिक विकास भी तीव्रगति से होता है।

9. विकास में वैयक्तिक भिन्नताएँ पायी जाती हैं:
प्रत्येक बालक या व्यक्ति के विकास में भिन्नताएँ पायी जाती हैं। किसी में विकास तीव्र दर से तो किसी में मन्द दर से होता है।

10. विकासात्मक स्वरूपों की निश्चित अवधि होती है:
यद्यपि विकास सतत् रूप से होता है तथापि किसी अवधि में यह तीव्र तो किसी अवधि में धीमी गति से पाया जाता है। विजॉय का सुझाव है कि इन अवधियों को न केवल आयु के आधार पर बल्कि अन्य जैविकीय घटनाओं एवं व्यक्ति के व्यवहार में होने वाले परिवर्तनों के आधार पर रेखांकित किया जा सकता है।

11. विकास की प्रत्येक अवधि से कुछ सामाजिक अपेक्षाएँ होती हैं:
समाज व्यक्ति से एक समय सारिणी के अनुसार उपयुक्त विकास की प्रत्याशा रखता है। इन सामाजिक अपेक्षाओं को विकासात्मक कार्य कहा जाता है।

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 3 मानव वृद्धि एवं विकास की अवधारणा

RBSE Class 11 Home Science Chapter 3 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 Home Science Chapter 3 बहुविकल्पीय प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प का चयन कीजिए –
प्रश्न 1.
विकास के अन्तर्गत अध्ययन किया जाता है –
(अ) शारीरिक विकास का
(ब) मानसिक विकास का
(स) व्यवहारपरक विकास का
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी

प्रश्न 2.
किशोरावस्था है –
(अ) 4 से 10 वर्ष की आयु
(ब) 13 से 17 वर्ष की आयु
(स) 21 से 40 वर्ष की आयु
(द) 40 से अधिक की आयु
उत्तर:
(ब) 13 से 17 वर्ष की आयु

प्रश्न 3.
विकास में होती है –
(अ) निरन्तरता
(ब) असत्ता
(स) कल्पनाशीलता
(द) मूर्तता
उत्तर:
(अ) निरन्तरता

प्रश्न 4.
किसने कहा कि “विकास सदैव एक-सा नहीं होता, बल्कि इस प्रक्रिया में कभी तीव्र असन्तुलन तो कभी सन्तुलन की अवधि पायी जाती है” –
(अ) विजॉय ने
(ब) रिचर्ड ने
(स) पीकोवस्की ने
(द) माल्थस ने
उत्तर:
(स) पीकोवस्की ने

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 3 मानव वृद्धि एवं विकास की अवधारणा

प्रश्न 5.
विकास की प्रमुखतः अवस्थाएं होती हैं –
(अ) तीन
(ब) पाँच
(स) आठ
(द) दस
उत्तर:
(स) आठ

रिक्त स्थान
निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थान भरिए –
1. विकास में ………परिवर्तन होते हैं।
2. विकास ……… से ……… की ओर अग्रसर होता है।
3. विकास के विविध प्रकार्यों में ……… पाया जाता है।
4. वृद्धि ………होती है, जिसे हम देख सकते हैं।
5. विकास में ……… भिन्नताएँ पायी जाती हैं।
उत्तर:
1. गुणात्मक
2. सामान्य, विशिष्ट
3. सह सम्बन्ध
4. मूर्त
5. वैयक्तिक।

सुमेलन:
स्तम्भ A तथा स्तम्भ B के शब्दों को सुमेलित कीजिए –
स्तम्भ A                                        स्तम्भ B
1. वृद्धि                                      (a) 13 से 17 वर्ष
2. विकास                                  (b) 40 से 60 वर्ष
3. मध्यावस्था                              (c) मात्रात्मक
4. किशोरावस्था                          (d) 7 से 12 वर्ष
5. उत्तर बाल्यावस्था                     (e) गुणात्मक
उत्तर:
1. (c) मात्रात्मक
2. (e) गुणात्मक
3. (b) 40 से 60 वर्ष
4. (a) 13 से 17 वर्ष
5. (d) 7 से 12 वर्ष

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 3 मानव वृद्धि एवं विकास की अवधारणा

RBSE Class 11 Home Science Chapter 3 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव विकास के अन्तर्गत किन परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है?
उत्तर:
मानव विकास के अन्तर्गत गर्भाधान से लेकर मृत्युपर्यन्त होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 2.
साधारण भाषा में विकास का क्या अर्थ है?
उत्तर:
साधारण भाषा में विकास का अर्थ शरीर में होने वाले गुणात्मक परिवर्तनों से है।

प्रश्न 3.
वृद्धि का क्या अर्थ है?
उत्तर:
वृद्धि का सामान्य अर्थ होता है बढ़ना या फैलना।

प्रश्न 4.
वृद्धि तथा विकास में एक प्रमुख अन्तर बताइए।
उत्तर:
वृद्धि में मात्रात्मक परिवर्तन होता है जबकि विकास में गुणात्मक परिवर्तन होता है।

प्रश्न 5.
वृद्धि प्रारम्भ होने तथा रुकने की क्या अवधि होती है?
उत्तर:
वृद्धि भ्रूणावस्था से प्रारम्भ होती है तथा परिपक्वावस्था प्राप्त करते-करते रुक जाती है।

प्रश्न 6.
विकास की प्रारम्भिक अवस्था का नाम बताइए।
उत्तर:
विकास की प्रारम्भिक अवस्था गर्भकालीन अवस्था है।

प्रश्न 7.
विकास में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं?
उत्तर:
विकास में शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, सामाजिक एवं संवेगात्मक परिवर्तन होते हैं।

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 3 मानव वृद्धि एवं विकास की अवधारणा

प्रश्न 8.
विकास किसका परिणाम है?
उत्तर:
विकास, परिपक्वता एवं अधिगम का परिणाम है।

प्रश्न 9.
विकासात्मक अनुक्रियाएँ किस प्रकार होती हैं?
उत्तर:
विकासात्मक अनुक्रियाएँ सामान्य से विशिष्ट की ओर अग्रसर होती हैं।

प्रश्न 10.
मानव विकास में कौन-सी विरोधी प्रक्रियाएँ साथ-साथ चलती हैं?
उत्तर:
क्रम-विकास एवं क्रम ह्रास प्रक्रियाएँ विकास में आजीवन साथ-साथ चलती हैं।

प्रश्न 11.
वृद्धावस्था को दूसरी बाल्यावस्था क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
वृद्धावस्था में व्यक्ति को बालकों के समान ही दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है इसलिए वृद्धावस्था को दूसरी बाल्यावस्था कहा जाता है।

प्रश्न 12.
विकास के एक पक्ष की कमी की पूर्ति किस प्रकार होती है?
उत्तर:
विकास के एक पक्ष की कमी अन्य क्षमता के उच्चतर विकास द्वारा पूर्ण होती है।

प्रश्न 13.
विकासात्मक स्वरूपों की अवधि किस प्रकार की होती है?
उत्तर:
विकासात्मक स्वरूपों की अवधि निश्चित होती है।

प्रश्न 14.
सामाजिक अपेक्षाओं को क्या कहते हैं?
उत्तर:
सामाजिक अपेक्षाओं को विकासात्मक कृत्य कहते हैं।

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 3 मानव वृद्धि एवं विकास की अवधारणा

RBSE Class 11 Home Science Chapter 3 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वृद्धि को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
वृद्धि (Growth):
वृद्धि का सामान्य अर्थ होता है, ‘बढ़ना’ या ‘फैलना। वृद्धि का तात्पर्य उन संरचनात्मक शारीरिक परिवर्तनों से है जो एक व्यक्ति में परिवक्वता के दौरान चलने वाले क्रम में भी होते हैं। अर्थात् जिनमें ऊर्ध्वामुखी बढ़वार होती है, उसे ‘वृद्धि’ कहते हैं। अत: यह व्यक्ति की लम्बाई, आकार एवं वजन में वृद्धि को दर्शाती हैं।

प्रश्न 2.
विकास को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
विकास (Development):
मानव विकास के अन्तर्गत गर्भाधान से लेकर मृत्युपर्यन्त व्यक्ति के विकास का अन्तर अनुशासनात्मक परिप्रेक्ष्य से अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार मानव विकास की उपरोक्त परिभाषा में तीन तत्त्व महत्त्वपूर्ण हैं –

  • मानव विकास एक वैयक्तिक अनुभव है।
  • यह जीवन पर्यन्त निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है।
  • यह अन्तर-अनुशासनात्मक अध्ययन है।

प्रश्न 3.
विकास में किस प्रकार के परिवर्तन सम्मिलित होते हैं? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
विकास से केवल शारीरिक वृद्धि में होने वाले परिवर्तनों का ही संकेत नहीं मिलता बल्कि इसके अन्तर्गत वे सभी शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, बौद्धिक, मनोवैज्ञानिक और संवेगात्मक परिवर्तन भी सम्मिलित रहते हैं जो गर्भकाल से लेकर मृत्युपर्यन्त तक व्यक्ति में प्रकट होते रहते हैं। उदाहरणार्थ-शैशवावस्था में वजन में वृद्धि, तन्त्रिकाओं, ग्रन्थियों (Glands) और पेशियों (Muscles) के ऊतकों में वृद्धि के कारण होती है।

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 3 मानव वृद्धि एवं विकास की अवधारणा

प्रश्न 4.
“आरम्भिक विकास, पश्चात् विकास की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण होता है”। इस तथ्य की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
विकासात्मक अध्ययनों के आधार पर यह पूर्णतया स्थापित तथ्य है कि बाद में होने वाले विकास की तुलना में, जीवन के आरम्भिक काल के विकास अत्यधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं। आरम्भिक दशाएँ, विकास की नींव को प्रभावित करती हैं। बच्चा जिस परिवेश में रहता है, उसका प्रभाव उसकी आनुवंशिक क्षमताओं के विकास पर पड़ता है। ये प्रमुख दशाएँ हैं – अनुकूल अन्तर्वैयक्तिक सम्बन्ध, धनात्मक सांवेगिक दशाएँ, बालक को प्रशिक्षित करने का तरीका, भूमिका निर्वहन का अवसर, पारिवारिक संरचना एवं परिवेशीय उद्दीपन इत्यादि।

प्रश्न 5.
“विकास सामान्य से विशिष्ट की ओर अग्रसर होता है”। समझाइए।
उत्तर:
विकास सामान्य से विशिष्ट की ओर अग्रसर होता है। विकासात्मक अनुक्रियाएँ सामान्य से विशिष्ट की ओर अग्रसर होती हैं। गर्भस्थ शिशु का पूरा शरीर तो गतिशील होता है, परन्तु वह किसी एक अंग को गतिशील नहीं कर सकता है। शिशु किसी वस्तु को पकड़ने की अनुक्रिया के पूर्व अपनी भुजाओं को ऊपर उठाने या गतिमान करने की अनेक अनुक्रियाएँ करता है।

प्रश्न 6.
समझाइए कि विकास में निरन्तरता होती है।
उत्तर:
विकास गर्भाधान से लेकर मृत्युपर्यन्त निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है जिसमें कभी तीव्र तो कभी धीमी गति से परिवर्तन आते रहते हैं। पीकोवस्की (1968) के अनुसार, विकास सदैव एक – सा नहीं होता बल्कि इसमें कभी तीव्र असन्तुलन की अवधि तो कभी सन्तुलन की अवधि पायी जाती हैं। विकास में स्थिरता या पड़ाव भी आता है। ये स्वरूप किसी एक स्तर पर या विभिन्न स्तरों पर भी पाये जाते हैं।

प्रश्न 7.
विकास क्रम में अंगों का विकास किस प्रकार होता है? समझाइए।
उत्तर:
विकास क्रम में विभिन्न अंग भिन्न:
भिन्न गति से विकसित होते हैं। यद्यपि विभिन्न शारीरिक एवं मानसिक विशेषताओं का विकास निरन्तर जारी रहता है, तथापि सभी अंगों का विकास एक समान गति से कभी नहीं होता है। शरीर के विभिन्न अंगों के विकास में परिपक्वता अलग-अलग अवधि में आती हैं। जैसे-किशोरावस्था के प्रारम्भ तक हाथ-पैर एवं नाक पूर्णत: विकसित हो जाते हैं परन्तु चेहरे के नीचे का भाग एवं कन्धे का विकास धीमी गति से होता है।

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 3 मानव वृद्धि एवं विकास की अवधारणा

RBSE Class 11 Home Science Chapter 3 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव विकास की विभिन्न अवस्थाओं की अवधि तालिका बनाइए।
उत्तर:
विकास की अवस्थाएँ (Stages of Development):
जीवन कालिक उपागम के अन्तर्गत मानव विकास की विस्तृत व्याख्या के उद्देश्य से विकास को विविध चरणों में विभाजित किया गया है जो निम्न तालिका में दर्शाए गए हैं –
तालिका-विकास की अवस्थाएँ

अवस्थाएँ अवधि
1. गर्भकालीन अवस्था गर्भाधान से जन्म तक
2. शैशवावस्था
(अ) नवजात शैशवावस्था
(ब) शैशवावस्था
जन्म से दो वर्ष तक
जन्म से 1 माह तक
तीसरे सप्ताह से 2 वर्ष तक
3. बाल्यावस्था
(अ) पूर्व बाल्यावस्था
(ब) उत्तर बाल्यावास्था
3 से 12 वर्ष तक
3 से 6 वर्ष तक
7 से 12 वर्ष तक
4. किशोरावस्था
(अ) वयःसन्धि (नव किशोरावस्था) 11-12 से 13-14 वर्ष तक
(ब) किशोरावस्था 13 से 17 वर्ष तक
(स) उत्तर किशोरावस्था 18 से 21 वर्ष तक
5. प्रौढ़ावस्था (पूर्व प्रौढ़ावस्था) 21 से 40 वर्ष तक
6. मध्यावस्था 40 से 60 वर्ष तक
7. उत्तर प्रौढ़ावस्था या वृद्धावस्था 60 वर्ष के बाद
8. मृत्यु एवं वियोग जीवन का अन्त

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 3 मानव वृद्धि एवं विकास की अवधारणा-2

प्रश्न 2.
“मानव विकास में वैयक्तिक भिन्नताएँ पायी जाती हैं”, इस कथन को समझाइए।
उत्तर:
मानव विकास में वैयक्तिक भिन्नताएँ पायी जाती हैं। यद्यपि विकास सभी बच्चों में समान पाया जाता है फिर भी प्रत्येक बच्चे का विकास अपने तरीके एवं गति से होता है। कुछ बच्चों का विकास धीरे-धीरे एवं एक चरण से दूसरे चरण की ओर अग्रसर होता है तथा कुछ बच्चों में विकास तीव्रगति से होता है। इस प्रकार सभी बच्चे विकास की उत्कृष्टता को एक ही आयु में प्राप्त नहीं कर पाते। विकास में होने वाली ये भिन्नताएँ कई कारणों से पायी जाती हैं।

जैसे – शारीरिक विकास आंशिक रूप से आनुवंशिक क्षमताओं एवं कुछ अंशतक अन्य परिवेशीय कारकों; जैसे – भोजन, स्वास्थ्य, शुद्ध हवा व प्रकाश, जलवायु, संवेग एवं शारीरिक थकान इत्यादि द्वारा निर्धारित होता है। इसी प्रकार बौद्धिक विकास आन्तरिक क्षमताओं के अतिरिक्त सांवेगिक दशाओं, प्रोत्साहन, सीखने का अवसर, तीव्र अभिप्रेरणा इत्यादि से निर्धारित होता है।

प्रश्न 3.
विकास की प्रत्येक अवधि से कुछ सामाजिक अपेक्षाएँ होती हैं। स्पष्ट कीजिए।
अथवा
विकासात्मक कार्य हैं? हेपिंगहस्ट द्वारा दी गयी विकासात्मक कार्य की परिभाषा समझाइए।
उत्तर:
विकास की प्रत्येक अवधि से कुछ सामाजिक अपेक्षाएँ होती हैं। प्राय: यह देखा जाता है कि कुछ सामाजिक व्यवहार एवं कौशल आयु की किसी एक अवधि में दूसरी अवधि की अपेक्षा अधिक सफलतापूर्वक सीखे जाते हैं। अतः समाज व्यक्ति से इसी समय सारणी के अनुसार विकास की प्रत्याशा रखता है। इन सामाजिक अपेक्षाओं को विकासात्मक कार्य (Developmental task) भी कहा जाता है।

हेपिंगहस्ट (1995) ने विकासात्मक कार्यों को इस प्रकार परिभाषित किया है, ‘विकासात्मक कार्य वे कार्य हैं जो व्यक्ति के जीवन की किसी निश्चित अवधि में उत्पन्न होते हैं। इनकी सुलभ उपलब्धि उनके लिए प्रसन्नतादायक होती है एवं बाद में कार्यों की सफलता की ओर ले जाती है। इसके विपरीत, इन कार्यों में जटिलता एवं कठिनाई उत्पन्न करती हैं। इनमें से कुछ कार्य परिपक्वता के कारण होते हैं, तो अन्य प्रकार के कार्यों का विकास सामाजिक, सांस्कृतिक दबाव से होता है; जैसे – उपयुक्त यौन भूमिकाओं को सीखना या पढ़ने-लिखने की शैली को सीखना।

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 3 मानव वृद्धि एवं विकास की अवधारणा

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