Rajasthan Board RBSE Class 11 Home Science Chapter 7 शैशवावस्था से बाल्यावस्था तक विकास-II
RBSE Class 11 Home Science Chapter 7 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
निम्न प्रश्नों के सही उत्तर चुनें –
(i) शारीरिक विकास को कौन-सा कारक प्रभावित नहीं करता है?
(अ) कुपोषण
(ब) सुपोषण
(स) बीमारी
(द) भय
उत्तर:
(ब) सुपोषण।
(ii) निम्नलिखित में से कौन-सी बाल्यावस्था की संज्ञानात्मक योग्यता है?
(अ) परिपक्वता
(ब) ज्ञानेन्द्रियाँ
(स) तर्क योग्यता
(द) बुद्धि
उत्तर:
(स) तर्क योग्यता
(iii) द्विभाषी में कितनी भाषाओं का उपयोग किया जाता है?
(अ) दो
(ब) एक
(स) तीन
(द) पाँच
उत्तर:
(अ) दो।
(iv) निम्न में से वाणी विकार है –
(अ) उच्चारण में दोष
(ब) मूक-बधिर
(स) हकलाना
(द) वाक्य रचना में दोष
उत्तर:
(स) हकलाना।
(v) निम्न में से बाल्यावस्था का सामान्य संवेग नहीं है –
(अ) भय
(ब) मुस्कराना
(स) क्रोध
(द) शर्मिलापन
उत्तर:
(ब) मुस्कराना।
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करो
1. भाषा विकास का प्रतिमान ……… विकास की तरह ही होता है।
2. सामाजिक समूह के नैतिक संहिता के अनुसार व्यवहार करना ……… विकास है।
3. ……… में बालक समूह प्रेमी हो जाता है।
4. जिज्ञासा के बढ़ने से ……… का विकास होता है।
5. शब्दों के अर्थ सम्बन्धित दोष ……… विकार है।
उत्तर:
1. सामाजिक
2. नैतिक
3. बाल्यावस्था
4. तर्क शक्ति
5. वाणी दोष।
प्रश्न 3.
बाल्यावस्था में शारीरिक विकास.को समझाइए।
उत्तर:
बाल्यावस्था में शारीरिक विकास:
बाल्यावस्था जीवनकालिक विकास (Life span development) का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण चरण है। इस अवस्था में बच्चों में वृद्धि एवं विकास अत्यन्त त्वरित गति से होता है। बाल्यावस्था के अन्तिम पड़ाव में बालक की लम्बाई 57.5 इंच तथा वजन 48 किग्रा होता है। बालक के चेहरे पर थोड़े – बहुत परिवर्तन होते हैं और धीरे-धीरे शिशु जैसी आकृति का लोप हो जाता है। इस आयु को ‘कुरूपता की आयु’ भी कहा जाता है। इस आयु में बालक अनाकर्षक दिखता है। बालक अपनी पेशियों तथा स्नायु तन्त्र पर नियन्त्रण प्राप्त कर लेता है। सोद्देश्य प्रयास कौशल को सीखने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
पहचान सकने योग्य अक्षर लिखना, रंग भरना, मिट्टी की मूर्तियाँ बनाना सीख जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य शारीरिक कौशल जैसे दौड़ना, लांघना, कूदना, छलांग मारना आदि सीख लेता है। कभी-कभी माता-पिता द्वारा अति संरक्षण के कारण बच्चा कौशलों को अच्छी तरह नहीं सीख पाता जिसके कारण वह उत्तरोत्तर पिछड़ता जाता है।
बाल्यावस्था में बालक अद्भुत शक्ति से भरपूर होते हैं, उनमें असीम ऊर्जा होती है, जिसका उपयोग कौशल सीखने हेतु किया जाता है। किन्तु इन कौशलों को सीखने में लिंगगत अन्तर पाए जाते हैं। जैसे-लड़कियाँ सूक्ष्मपेशीय कौशल में आगे होती हैं वहीं लड़के बड़ी पेशियों के कौशल को अपनाते हैं। छठे वर्ष तक बालक में एक हाथ की प्रधानाता पक्की हो जाती है। पेशीय विकास यद्यपि अनुक्रम में होता है तथापि इसको अनेक कारण प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 4.
बाल्यावस्था में शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक समाझाइए।
उत्तर:
शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक-बाल्यावस्था में निम्नलिखित कारक शिशु के शारीरिक विकास को प्रभावित करते हैं –
1. कुपोषण:
उचित पोषण शरीर की सबसे पहली आवश्यकता है। यदि बालक को सन्तुलित एवं पौष्टिक भोजन नहीं मिल पाता है तो उसका शारीरिक विकास अवरुद्ध हो जाता है। बाल्यावस्था में बालक को प्रोटीन एवं ऊर्जा की अत्यधिक आवश्यकता होती है। अत: कुपोषण शारीरिक विकास में बाधा बन जाता है।
2. शारीरिक भार तथा आकार:
बालक का वजन अधिक होने तथा शारीरिक बनावट के बेडोल होने पर शारीरिक विकास पर बुरा प्रभाव होता है।
3. बीमारी:
बालक के किसी बीमारी से ग्रस्त होने पर उसका शारीरिक विकास अवरुद्ध हो जाता है। यह बीमारी की तीव्रता एवं अवधि पर भी निर्भर करता है।
4. भय:
बालक को किसी भी प्रकार का भय होने पर उसका शारीरिक विकास अवरुद्ध होता है।
5. प्रोत्साहन का अभाव:
बालकों को सही समय पर उचित प्रोत्साहन न मिल पाने पर भी शारीरिक विकास प्रभावित होता है।
6. शील गुण एवं मन्द बुद्धि:
मन्द बुद्धि बालक विभिन्न शारीरिक क्रियाएँ करने में स्वयं को असहज महसूस करते . हैं अत: इनका शारीरिक विकास पिछड़ जाता है।
7. सीखने के अवसर में कमी:
बालक को सही समय पर अवसर प्राप्त न होने पर भी विकास में बाधा उत्पन्न होती
प्रश्न 5.
बाल्यावस्था की विभिन्न संज्ञानात्मक योग्यताएँ बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 6.
बाल्यावस्था के सामाजिक व्यवहार के विशिष्ट प्रतिमान कौन-से हैं?
उत्तर:
बाल्यावस्था में सामाजिक व्यवहार के कुछ विशिष्ट प्रतिमान निम्नलिखित हैं –
- अति संवेदनशीलता
- सामाजिक स्वीकृति
- सुझाव ग्रहणशीलता
- उत्तरदायित्व
- प्रतियोगिता
- एक अच्छे खिलाड़ी के रूप में
- सामाजिक अर्न्तदृष्टि सामाजिक विभेदीकरण
- पूर्वाग्रह
- यौन विरोधी भाव।
प्रश्न 7.
बालकों के जीवन में नैतिक विकास के महत्त्व को समझाते हुए बाल्यावस्था को प्रभावित करने वाले कारक समझाइए।
उत्तर:
बालकों के जीवन में नैतिक विकास का महत्त्व-बालकों के जीवन में नैतिक विकास का महत्त्व निम्न प्रकार्यो में महत्त्वपूर्ण है –
- जागरूकता के विकास में
- सही निर्णय लेने की क्षमता के विकास में
- आचरणों के निर्धारण में सहायक
- समाजीकरण में सहायक
- अभिवृत्तियों के विकास में
- सुरक्षा की भावना के विकास में
- व्यक्तित्व के विकास में सहायक
- चरित्र निर्माण में सहायक।
बाल्यावस्था तक विकास बाल्यावस्था को प्रभावित करने वाले कारक
RBSE Class 11 Home Science Chapter 7 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
RBSE Class 11 Home Science Chapter 7 बहुविकल्पीय प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प का चयन कीजिए –
प्रश्न 1.
‘कुरूपता की आयु’ कहा जाता है –
(अ) शैशवावस्था को
(ब) उत्तर-बाल्यावस्था को
(स) किशोरावस्था को
(द) नवजात शिशु अवस्था को
उत्तर:
(ब) उत्तर-बाल्यावस्था को
प्रश्न 2.
बौद्धिक विकास को प्रभावित करने वाला कारक है –
(अ) शारीरिक स्वास्थ्य
(ब) मानसिक परिपक्वता
(स) आनुवांशिकता
(द) ये सभी।
उत्तर:
(द) ये सभी।
प्रश्न 3.
संप्रेषण का लोकप्रिय माध्यम है –
(अ) विचार
(ब) भाव
(स) भाषा
(द) लेखन
उत्तर:
(स) भाषा
प्रश्न 4.
वाणी विकार की श्रेणी में आता है –
(अ) भ्रष्ट उच्चारण
(ब) तुतलाना
(स) हकलाना
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी
प्रश्न 5.
भले बुरे का ज्ञान आता है –
(अ) सामाजिक विकास में
(ब) संज्ञानात्मक विकास में
(स) नैतिक विकास में
(द) संवेगात्मक विकास में
उत्तर:
(स) नैतिक विकास में
रिक्त स्थान
निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थान भरिए –
1. ……… एक ऐसी योग्यता है जिसकी सहायता से व्यक्ति किसी वस्तु का स्वरूप, महत्त्व तथा विश्लेषण की क्षमता अर्जित करता है।
2. ……… एक ऐसी शक्ति है जो व्यक्ति को नित्य परिवर्तित परिस्थितियों में भी समायोजित होने की क्षमता प्रदान करती है।
3. ……… एवं ……… विकास के कारण बालक तर्क, चिन्तन, विश्लेषण, स्मरण करना सीख जाता है।
4. ……… जीवन कालिक विकास का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण चरण है।
5. प्रत्येक बालक में ……… विकास एक समान होता है।
उत्तर:
1. संज्ञान
2. वृद्धि
3. बौद्धिक, मानसिक
4. बाल्यावस्था
5. भाषा।
सुमेलन
स्तम्भ A तथा स्तम्भ B के शब्दों को सुमेलित कीजिए –
स्तम्भ A स्तम्भ B
1. संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करता है (a) बबलाना
2. बौद्धिक विकास को प्रभावित करता है (b) सीखने के अवसर
3. वास्तविक भाषा के पूर्व की अभिव्यक्ति (c) व्यक्तित्व
4. सांवेगिक विकास (d) प्रतियोगिता
5. बाल्यावस्था में सामाजिक व्यवहार का प्रतिमान (e) क्षणिक होना
उत्तर:
1. (b) सीखने के अवसर
2. (c) व्यक्तित्व
3. (a) बबलाना
4. (e) क्षणिक होना
5. (d) प्रतियोगिता
RBSE Class 11 Home Science Chapter 7 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
बाल्यावस्था का प्रमुख लक्षण बताइए।
उत्तर:
बाल्यावस्था में बच्चों में वृद्धि एवं विकास अत्यन्त त्वरित गति से होते हैं।
प्रश्न 2.
बाल्यावस्था के अन्तिम पड़ाव में बालक की लम्बाई व वजन बताइए।
उत्तर:
बाल्यावस्था के अन्तिम पड़ाव में बालक की लम्बाई 57.5 इंच तथा वजन 48 किग्रा होता है।
प्रश्न 3.
बालक के सीखने में पिछड़ने का एक महत्त्वपूर्ण कारण बताइए।
उत्तर:
माता – पिता का अतिसंरक्षण।
प्रश्न 4.
बालक अपनी असीम ऊर्जा एवं शक्ति का प्रयोग कहाँ करता है?
उत्तर:
बालक अपनी असीम ऊर्जा एवं शक्ति का प्रयोग सीखने में करता है।
प्रश्न 5.
लड़कियाँ किस प्रकार के कौशल को अपनाती हैं?
उत्तर:
लड़कियाँ सूक्ष्मपेशीय कौशल को अपनाती हैं।
प्रश्न 6.
‘संज्ञान’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
‘संज्ञान’ एक ऐसी योग्यता है जिसकी सहायता से व्यक्ति किसी वस्तु का स्वरूप, महत्त्व तथा विश्लेषण की क्षमता अर्जित करता है तथा उसके बारे में विचार निर्मित करता है।
प्रश्न 7.
संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करने वाले किन्हीं दो कारकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- आनुवांशिकता
- ज्ञानेन्द्रियाँ।
प्रश्न 8.
बुद्धि क्या है?
उत्तर:
बुद्धि एक ऐसी शक्ति है जो व्यक्ति को नित्य परिवर्तित स्थितियों में भी समायोजित होने की क्षमता प्रदान करती है।
प्रश्न 9.
बौद्धिक विकास को प्रभावित करने वाले दो कारक लिखिए।
उत्तर:
- शारीरिक स्वास्थ्य,
- मानसिक परिपक्वता।
प्रश्न 10.
भाषा विकास की अवस्थाएँ कौन-कौन सी होती हैं?
उत्तर:
भाषा विकास की दो अवस्थाएँ या अभिव्यक्तियाँ होती हैं –
- वास्तविक भाषा के पूर्व की अवस्थाएँ तथा
- वास्तविक भाषा की अवस्थाएँ।
प्रश्न 11.
वाणी विकास के दो संकट लिखिए।
उत्तर:
- उच्चारण में दोष
- भ्रष्ट उच्चारण।
प्रश्न 12.
बाल्यावस्था के दो सामान्य संवेग बताइए।
उत्तर:
- भय
- क्रोध।
प्रश्न 13.
नैतिक विकास से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
सामाजिक समूह की नैतिक संहिता के अनुसार व्यवहार करना ही नैतिक विकास है।
प्रश्न 14.
बालकों के जीवन में नैतिक विकास का एक महत्त्व बताइए।
उत्तर:
नैतिक विकास बालकों के सामाजीकरण में सहायता करता है।
RBSE Class 11 Home Science Chapter 7 लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारक लिखिए।
उत्तर:
संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारक –
- आनुवांशिकता
- ज्ञानेन्द्रियाँ
- परिपक्वता
- मानसिक योग्यता
- सीखने के अवसर
- मस्तिष्क में चोट / दोष / विकार
- शारीरिक स्वास्थ्य
- बृद्धि
- वातावरण
- समायोजन क्षमता
- शिक्षण प्रशिक्षण की उचित व्यवस्था
- आयु विभेद
प्रश्न 2.
बालकों की भाषा सामग्री की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
बालकों की भाषा सामग्री की विशेषताएँ –
प्रश्न 3.
बालकों में वाणी विकास के संकट लिखिए।
उत्तर:
बालकों में वाणी विकास के संकट:
प्रश्न 4.
दो भाषाओं का प्रयोग क्या है?
उत्तर:
दो भाषाओं का प्रयोग:
द्विभाषी का सामान्य अर्थ है, दो भाषाओं का प्रयोग करना या दो भाषाएँ बोलना। यह मात्र बोलने अथवा लिखने में ही प्रयोग नहीं होता है, बल्कि इसका तात्पर्य समझने से भी है, कि दूसरे लोग क्या बोल रहे हैं।
प्रश्न 5.
बाल्यावस्था के सामान्य संवेग बताइए।
उत्तर:
बाल्यावस्था के सामान्य संवेग
प्रश्न 6.
नैतिक विकास के अधिगम बताइए।
उत्तर:
नैतिक विकास का अधिगम
प्रश्न 7.
बालकों के संवेग की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
बालकों के संवेग की विशषताएँ –
- संवेगों का तीव्र एवं उग्र होना
- संवेगों का बार-बार होना
- संवेगात्मक व्यवहार में वैयक्तिक भिन्नता दिखना
- आसानी से पहचाना जाना और प्रत्यक्ष रूप से दिखना
- क्षणिक होना
- शारीरिक क्रियाओं से सम्बन्धित होना
- संवेगों की शक्ति में परिवर्तन होना
- मूर्त वस्तुओं तथा परिस्थिति से सम्बन्धित होना।
प्रश्न 8.
बालकों के सामाजिक विकास का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
प्रत्येक बालक में अपने हमउम्र बालकों के साथ रहने, खाने-पीने, घूमने, बातें करने की उत्कृष्ट लालसा होती है। वे यही चाहते हैं कि टोली के बालक उसे पसंद करें और उसकी बात का सम्मान करें। इसी कारण बालक के व्यवहार, पहनावे, बोलचाल व रहन-सहन में भी व्यापक परिवर्तन देखने को मिलते हैं। यही बालकों का सामाजिक विकास है।
RBSE Class 11 Home Science Chapter 7 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
बाल्यावस्था में संज्ञानात्मक विकास का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संज्ञानात्मक विकास:
‘संज्ञान’ (Cognition) एक ऐसी योग्यता है जिसकी सहायता से व्यक्ति किसी वस्तु का स्वरूप, महत्त्व तथा विश्लेषण की क्षमता अथवा योग्यता अर्जित करता है और उस वस्तु के बारे में स्पष्ट विचार निर्मित करता है। बालक का संज्ञानात्मक विकास उसकी अभिवृत्ति, अनुकूलन क्षमता, परिवेशीय परिवर्तनों से उत्पन्न होने वाले भय व चिन्ता से सुरक्षा की योग्यता के विकास को निर्धारित करता है।
इस आयु में बालक अपनी ज्ञानेन्द्रियों के माध्यम से विभिन्न चीजों, घटनाओं, सूचनाओं आदि को समझने लगता है। बौद्धिक एवं मानसिक विकास के कारण बालक तर्क, चिन्तन, स्मरण करना सीख जाता है तथा कई चीजों के बारे में विस्तार व गहराई से जानना चाहता है।
इस अवस्था का बालक खोजी व जिज्ञासु प्रवृत्ति का होता है। यही कारण है कि बालक अपनी जिज्ञासाओं को शान्त करने के लिए अपने माता-पिता , संगी-साथी एवं गुरुजनों से तरह – तरह के प्रश्न पूछता है। इस अवस्था का बालक समूह प्रेमी (Gregarious) हो जाता है और अपने संगी-साथियों के साथ अधिकांश समय बिताना चाहता है।
वह अपने सामान एवं खिलौनों को भी शेयर करता है। अब उसे भली – भाँति ज्ञात हो जाता है कि दूध का विभिन्न प्रकारों में परिवर्तन हो जाता है किन्तु उसकी मात्रा एवं आयतन (Volume) समान ही रहता है। इसी प्रकार वह भार, लम्बाई, क्षेत्रफल, त्रिज्या, व्यास, गहराई, ऊँचाई आदि सूक्ष्म प्रत्ययों को समझने लगता है।
प्रश्न 2.
बौद्धिक विकास क्या है? बाल्यावस्था में बौद्धिक विकास को समझाते हुए बौद्धिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक लिखिए।
उत्तर:
बौद्धिक विकास:
बुद्धि एक ऐसी शक्ति है जो व्यक्ति को नित्य परिवर्तित स्थितियों में भी समायोजित होने की क्षमता प्रदान करती है। बुद्धि के आधार पर ही व्यक्ति की योग्यताओं का निर्धारण होता है और कुशाग्र बुद्धि, सामान्य बुद्धि या मन्द बुद्धि वाला व्यक्ति कहा जाता है। बुद्धि का विकास ही बौद्धिक विकास है।
बाल्यावस्था में बौद्धिक विकास –
- रुचि का विकास होता है।
- धारण क्षमता में विकास होता है।
- बालक की जिज्ञासु प्रवृत्ति देखने को मिलती है।
- बालक की अवलोकन क्षमता में तेजी से विकास होता है, जिससे उसकी ज्ञानेन्द्रियों में परिपक्वता आ जाती है।
- जिज्ञासा शक्ति के बढ़ने से तर्क शक्ति का विकास होता है।
- बालकों की निर्णय शक्ति का विकास होता है।
- चिन्तन, स्मरण, कल्पनाशक्ति व रचनात्मकता में विकास होता है।
- समस्या समाधान की क्षमता प्रबल रूप से बढ़ जाती है।
बौद्धिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक –
- शारीरिक स्वास्थ्य
- वातावरण
- लिंग विभेद
- आयु विभेद
- बालक का जन्मक्रम
- विद्यालय
- मानसिक परिपक्वता
- आनुवांशिकता
- ज्ञानेन्द्रिय दोष
- मस्तिष्क में दोष
- शिक्षा
- व्यक्तित्व
- आस – पड़ोस का वातावरण
प्रश्न 3.
भाषा विकास को समझाते हुए भाषा विकास की अवस्थाएँ तथा प्रतिमान बताइए।
उत्तर:
भाषा विकास:
भाषा, संप्रेषण (Communication) का एक लोकप्रिय माध्यम है, जिसकी सहायता से हम जो कुछ कहना चाहते हैं, कह पाते हैं। इससे विचारों में स्पष्टता आती है। यही कारण है कि बालक के सामाजिक, मानसिक, संवेगात्मक, व्यक्तित्व आदि में भाषा/वाणी विकास का अमूल्य योगदान है। इस लिए प्रत्येक बालक में वाणी विकास होना आवश्यक है।
भाषा विकास का प्रतिमान:
भाषा विकास का प्रतिमान क्रियात्मक विकास की तरह ही होता है और वे दोनों समानान्तर रूप से चलते रहते हैं। प्रत्येक बालक में भाषा विकास एक समान होता है, किन्तु जिन बालकों को उचित समय पर अभ्यास, प्रेरणा व प्रशिक्षण दिया जाता है वे जल्दी सीखते हैं और जिन्हें समय पर अभ्यास, प्रेरणा व प्रशिक्षण नहीं मिलता है वे देरी से सीखते हैं।
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