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RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 9 बच्चों के सामान्य रोग

August 21, 2019 by Prasanna Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 11 Home Science Chapter 9 बच्चों के सामान्य रोग

RBSE Class 11 Home Science Chapter 9 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्न प्रश्नों के सही उत्तर चुनें –
(i) शरीर के तापमान में वृद्धि होती है –
(अ) बुखार होने से
(ब) खाना नहीं पचने से
(स) स्नान नहीं करने से
(द) स्वच्छ नहीं रहने से
उत्तर:
(अ) बुखार होने से।

(ii) रोग की अवस्था में बालक –
(अ) खेलता है
(ब) सुस्त व थका हुआ होता है
(स) खुश रहता है
(द) अधिक भोजन करता है
उत्तर:
(ब) सुस्त व थका हुआ होता है।

(iii) यदि शिशु को दिन में चार बार से अधिक मल लगे तो लक्षण हैं –
(अ) कब्ज
(ब) उल्टी
(स) अतिसार
(द) पेट में कीड़े होना
उत्तर:
(स) अतिसार।

(iv) संक्रमण से होने वाला रोग है –
(अ) जुकाम
(ब) कब्ज
(स) पीलिया
(द) पोलियो
उत्तर:
(अ) जुकाम

(v) गलतुण्डिका में शरीर का कौन-सा भाग प्रभावित होता है?
(अ) कान
(ब) गला
(स) आँख
(द) मुँह
उत्तर:
(ब) गला।

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 9 बच्चों के सामान्य रोग

प्रश्न 2.
रिक्त स्थान भरो –
1. ज्वर में शरीर का तापमान सामान्य………से अधिक हो जाता है।
2. ………में गले के दोनों ओर की ग्रन्थियों में सूजन आ जाती है।
3. अत्यधिक जुकाम से………व………होने की सम्भावना रहती है।
4. ………बीमारी में कृमि आँतों की दीवार से चिपककर खून चूसते हैं।
5. शिशु का पाचन संस्थान कमजोर होना………होने का संकेत है।
उत्तर:
1. 984° फारेनहाइट
2. गलमुण्डिका
3. निमोनिया, ब्रोंकाइटिस
4. पेट में कीड़े
5. रोग।

प्रश्न 3.
पेट में कीड़े की बीमारी के बारे में बताइए।
उत्तर:
पेट में कीड़े होना-बच्चे के पेट मे निम्न तीन प्रकार के कीड़े हो सकते हैं –
1. गोल कृमि:
ये कीड़े सामान्यत: 8 इंच तक लम्बे होते हैं जो आँतों में रहते हैं। ये भोजन, जल तथा कच्ची साग-सब्जी के माध्यम से आँतों में पहुँच जाते हैं। इसके कारण बच्चों में अपच, पेट दर्द और पेट का फूलना जैसे लक्षण परिलक्षित होते हैं।

2. सूत्र कृमि:
ये कीड़े सामान्यत: बच्चों में ही पाए जाते हैं। इनका आकार छोटा तथा रंग सफेद होता है। बच्चों में इनके कारण गुदामार्ग में खुजली बिस्तर में पेशाब करना, बार-बार मल त्याग की इच्छा होना जैसे लक्षण पाए जाते हैं।

3. अंकुश कृमि:
ये छोटे आकार के कृमि हैं जो आँतों में पाये जाते हैं। ये आँतों की दीवार से चिपक जाते हैं और रक्त चूसते हैं। इसके कारण बच्चों के रक्ताल्पता, कमजोरी, बच्चे का विकास रुकना, पाचन शक्ति क्षीण होना, भूख न लगना आदि लक्षण पाये जाते हैं।

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 9 बच्चों के सामान्य रोग

प्रश्न 4.
रोगों के प्रारम्भिक लक्षण क्या हैं?
उत्तर:
रोगों के प्रारम्भिक लक्षण:
बच्चो में रोगों के कुछ प्रारम्भिक लक्षण निम्न प्रकार हैं –

  • व्यवहार में परिवर्तन – रोगग्रस्त बालक का व्यवहार चिड़चिड़ा व जिद्दी हो जाता है और वह अधिक रोता है।
  • भूख कम लगना – बीमार होने पर बच्चे की भूख कम हो जाती है और वह ठीक से दूध नहीं पीता है।
  • शौच में अनियमितता – बीमार होने पर बच्चे को या तो पतला मल त्याग होता है या कब्ज होने पर सख्त मल होता है या फिर पूरा दिन मल त्याग नहीं होता है।
  • शरीर के तापमान में परिवर्तन – बुखार होने या सर्दी-जुकाम आदि होने से शरीर का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है।
  •  क्रियाशीलता में परिवर्तन – रोगी बालक सुस्त, थका हुआ तथा बेचैनी अनुभव करता है।
  • त्वचा में परिवर्तन – अलग – अलग रोगों के कारण त्वचा में अलग-अलग परिवर्तन दिखाई देते हैं। त्वचा सूखी, खरदरी, लाल या दानेदार दिखाई देती है। कभी-कभी पीलापन भी आ जाता है।
  • भार में कमी – रोगी बालक आयु के अनुसार भार में समुचित वृद्धि नहीं करता है।
  • निद्रा में परिवर्तन – शिशु को नींद कम आती है और सोते-सोते जाग जाता है।
  • गोद न छोड़ना – बच्चा अन्य दिनों की अपेक्षा माता की गोद से अलग नहीं होता।

प्रश्न 5.
अतिसार के क्या कारण हैं?
उत्तर:
अतिसार के कारण –

  • बच्चे को आहार देने के समय में अनियमितता।
  • बच्चे द्वारा आवश्यकता से अधिक दूध पी लेना।
  • बच्चे को दिया जाने वाला ऊपरी दूध अधिक वसायुक्त होना।
  • बच्चे को ठण्डा व बासी दूध देना।
  • स्तनपान कराने वाली माताओं के द्वारा अधिक गरिष्ठ तथा मिर्च मसाले युक्त भोजन करना।
  • शिशु के दाँत निकलना।
  • मौसम में अधिक सर्दी व गर्मी का होना।
  • शिशु को बुखार, सर्दी, जुकाम होना।

प्रश्न 6.
कब्ज के कारण व उपचार बतलाइए।
उत्तर:
कब्ज के कारण –

  • तरल पदार्थों का कम मात्रा में सेवन करना।
  • रेशायुक्त पदार्थों का कम मात्रा में ग्रहण करना।
  • आँतों का कमजोर होना।
  • शिशु को ऊपरी दूध द्वारा पोषित करना।

उपचार:

  • बच्चे के भोजन में नियमितता रखनी चाहिए।
  • बच्चे को नियमित रूप से समय पर मल त्याग के लिए प्रेरित करना चाहिए।
  • बच्चे के आहार में तरल पदार्थों; जैसे – फलों का रस तथा सब्जियों के सूप की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए।
  • यदि दो दिन तक मल त्याग न हो तो ग्लिसरीन की बत्ती या एनीमा देना चाहिए, परन्तु यह चिकित्सक के परामर्श से
    करना चाहिए।

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 9 बच्चों के सामान्य रोग

प्रश्न 7.
बच्चों में भूख न लगना व दूध उलटने की बीमारी को संक्षिप्त में बताइए।
उत्तर:
भूख न लगना-भूख न लगने से तात्पर्य है कि बच्चा भोजन के निर्धारित समय पर अपनी भूख की आवश्यकता को प्रकट न करे। भूख न लगने के कारण –

  • बच्चे को कोई पाचन विकार; जैसे – कब्ज, अपच आदि होना।
  • यकृत के रोग और आँतों के संक्रमण से भी भूख कम हो जाती है।
  • बच्चा अत्यधिक थका हुआ हो।

उपचार:
सर्वप्रथम भूख न लगने का कारण ज्ञात करना चाहिए। यदि कारण ज्ञात न हो तो चिकित्सक को दिखाकर उपयुक्त दवा देनी चाहिए।

दूध उलटना:
सामान्यतः दूध उलटना कोई रोग नहीं हैं। शिशुओं को दूध पीने के बाद जब उठाया जाता है, या डकार दिलाने के लिए कन्धे से लगाया जाता है तो ये दूध उलट देते हैं।

कारण:

  • शिशु का पाचन संस्थान कमजोर होना।
  • दूध पीते समय अधिक मात्रा में वायु का पेट में चले जाना।
  • शिशु का दूध अधिक प्रोटीन व वसायुक्त होना।
  • दूध पिलाने के बाद शिशु को पेट के बल लिटा देना।
  • शिशु द्वारा अधिक मात्रा में दूध पी लेना।

उपचार:

  • शिशु को स्तनपान या बोतल का दूध सही तरीके से पिलाएँ जिससे वायु पेट में न जाए।
  • दूध पिलाने के बाद कन्धे से लगाकर डकार अवश्य दिलाएँ।
  • दूध पिलाने के बाद बच्चे को पेट के बल न लिटाएँ।

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 9 बच्चों के सामान्य रोग

प्रश्न 8.
बच्चों के पेट में कितने प्रकार के कीड़े पाये जाते हैं?
उत्तर:
बच्चों के पेट में तीन प्रकार के कीड़े पाए जाते हैं –

  • गोलकृमि
  • सूत्रकृमि
  • अंकुशकृमि।

प्रश्न 9.
सर्दी-खाँसी होने के प्रमुख कारण व इसके उपचार लिखो।
उत्तर:
सर्दी-खांसी के कारण –

  • मौसम का अत्यधिक ठण्डा होना।
  • बच्चों का शीत ऋतु में पानी के साथ खेलना।
  • शिशुओं व बालकों का जुकाम से संक्रमित व्यक्ति के संर्पक में आना।
  • तापमान में एकाएक परिवर्तन होना।
  • शिशुओं को गर्म पानी से नहलाने के बाद हवायुक्त स्थान पर वस्त्र पहनाने से।

उपचार:

  • रोगी को सर्दी से बचाएँ।
  • रोगी को नहलाएँ नहीं बल्कि स्पंज करें।
  • ठण्डी चीजें खाने को नहीं देनी चाहिए।
  • जाड़े के मौसम में बच्चों को पर्याप्त ऊनी वस्त्र पहनाएँ।
  • मालिश के तुरन्त बाद स्नान न कराएँ।
  • बच्चे को पर्याप्त आराम करने दें।
  • रोगी के रूमाल तथा वस्त्रों को अलग रखें।
  • यदि तीन-चार दिन में जुकाम की तीव्रता कम न हो तो चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 9 बच्चों के सामान्य रोग

प्रश्न 10.
आँख दुखने के कारण व इससे बचाव के उपायों का वर्णन करो।
उत्तर:
आँख का दुखना:
आँख का दुखना शिशुओं का प्रमुख नेत्र रोग है जो प्राय: स्वच्छता के अभाव में हो जाता है।

कारण:

  • आस-पास का वातावरण अस्वच्छ व गंदा होना।
  • कम रोशनी में कार्य करना।
  • धूल, मिट्टी, गन्दगी आदि का आँख में प्रवेश कर जाना।
  • आँख साफ करने के लिए गंदे हाथों एवं गन्दे वस्त्रों का प्रयोग करना।

उपचार:

  • रोगी को तेज धूप व प्रकाश से बचाना चाहिए।
  • बोरिक लोशन से आँखों की सफाई करनी चाहिए।
  • आँख साफ करने के लिए स्वच्छ जल, साफ हाथ और साफ रूई या कपड़े का उपयोग करना चाहिए।
  • नेत्रों की धूल, मिट्टी, आदि से सुरक्षा करनी चाहिए।
  • नेत्र चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।

प्रश्न 11.
आक्षेप व ज्वर के बारे में विस्तार पूर्वक समझाओ।
उत्तर:
आक्षेप:
आक्षेप शिशुओं में होने वाली एक भयंकर बीमारी है। इसमें पहले बच्चे का शरीर काँपता है फिर ऐंठने लगता है, दाँत भिंच जाते हैं, चेहरा पीला हो जाता है, बालक की मुट्ठियाँ भिंच जाती है और बालक बेहोश हो जाता है।

आक्षेप के कारण:

  • मस्तिष्क को संक्रमण द्वारा क्षति पहुँचने पर।
  • बच्चों को मेनिन्जाइटिस रोग होने पर।
  • तीव्र ज्वर; जैसे-मलेरिया, निमोनिया आदि होने पर।
  • मिरगी रोग होने पर।
  • मस्तिष्क में जन्मजात रोग होने पर।
  • आमाश्य में आन्त्रशोथ होने पर।

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 9 बच्चों के सामान्य रोग

ज्वर:
ज्वर शरीर की वह अवस्था है जब शरीर का तापमान सामान्य (984° फारेनहाइट) से अधिक हो जाता है जिसका अहसास शरीर को छूने मात्र में ही हो जाता है।

ज्वर के कारण:

  • शारीरिक रूप से कमजोर होने पर।
  • जुकाम – खाँसी होने पर।
  •  मलेरिया – टायफाइड आदि रोग होने पर।
  • टॉन्सिल बढ़ने पर।

प्रश्न 12.
गलतुण्डिका व आँखों का दुखना बीमारी के लक्षण बताइए।
उत्तर:
गलतुण्डिका के लक्षण:

  • गले के दोनों ओर की ग्रन्थियों में सूजन आ जाती है।
  • गले के अन्दर का भाग लाल तथा दोनों ओर की ग्रन्थियाँ बढ़ी हुई दिखाई देती हैं।
  • कान में भारीपन तथा दर्द रहता है।
  • तेज बुखार व उल्टियाँ होती हैं।

आँख का दुखना:

  • आँखे लाल एवं सूजी हुई दिखाई देती हैं।
  • आँखों में चिपचिपापन, जलन एवं दर्द महसूस होता है।
  • आँखों से कीचड़ निकलती दिखाई देती है।
  • सोने के बाद आँखों की पलकें चिपक जाती हैं।

प्रश्न 13.
कब्ज व अतिसार बीमारी के उपचार लिखिए।
उत्तर:
उपचार:

  • बच्चे के भोजन में नियमितता रखनी चाहिए।
  • बच्चे को नियमित रूप से समय पर मल त्याग के लिए प्रेरित करना चाहिए।
  • बच्चे के आहार में तरल पदार्थों; जैसे – फलों का रस तथा सब्जियों के सूप की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए।
  • यदि दो दिन तक मल त्याग न हो तो ग्लिसरीन की बत्ती या एनीमा देना चाहिए, परन्तु यह चिकित्सक के परामर्श से
    करना चाहिए।

अतिसार के उपचार:

  • ऊपर का दूध बन्द कर देना चाहिए।
  • बच्चे को ठोस आहार नहीं देना चाहिए।
  • दूध के बर्तन, बोतल, निपिल आदि की स्वच्छता पर ध्यान दें।
  • चावल का मांड व जौ का पानी दिया जा सकता है।
  • जल और लवणों की पूर्ति के लिए 1 लीटर उबले पानी में एक चुटकी नमक तथा एक मुट्ठी चीनी डालकर घोल – बना लें और थोड़ी-थोड़ी देर बाद शिशु को पिलाएँ।
  • शिशु की व्यक्तिगत स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  • बच्चे को तुरन्त चिकित्सक के पास ले जाकर समुचित उपचार कराना चाहिए।

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 9 बच्चों के सामान्य रोग

प्रश्न 14.
टीकाकरण के महत्त्व को लिखिए।
उत्तर:
टीकाकरण का महत्त्व:
टीकाकरण द्वारा अनेक संक्रामक बीमारियों की रोकथाम की जाती है। टीका (Vaccine) कमजोर रोगाणु, मृत रोगाणु या रोगाणुओं के जीवविष (Toxin) होते हैं। इन्हें शरीर में प्रवेश कराकर प्रतिजन तैयार कराए जाते हैं। जिससे शरीर में किसी विशिष्ट रोग के प्रति प्रतिरोधकता उत्पन्न हो जाती है। भविष्य में उस रोग का संक्रमण होने पर शरीर रोग ग्रस्त होने से बच जाता है।

RBSE Class 11 Home Science Chapter 9 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

RBSE Class 11 Home Science Chapter 9 बहुविकल्पीय प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प चुनिए –
प्रश्न 1.
कौन-सा किसी रोग का लक्षण नहीं है –
(अ) भूख कम लगना
(ब) गोद न छोड़ना
(स) अच्छी नींद सोना
(द) उदास रहना
उत्तर:
(स) अच्छी नींद सोना

प्रश्न 2.
अतिसार की स्थिति में –
(अ) बच्चे को ऊपरी दूध पिलाना चाहिए।
(ब) बच्चे को ठोस आहार देना चाहिए।
(स) चावल का मांड व जौ का पानी देना चाहिए।
(द) ये सभी।
उत्तर:
(स) चावल का मांड व जौ का पानी देना चाहिए।

प्रश्न 3.
बच्चे द्वारा दूध पलटने का कारण हो सकता है –
(अ) पाचन संस्थान कमजोर होना
(ब) शिशु द्वारा अधिक मात्रा में दूध पी लेना
(स) दूध में अधिक प्रोटीन व वसा होना
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 9 बच्चों के सामान्य रोग

प्रश्न 4.
अंकुश कृमि से बच्चों में हो सकता है –
(अ) रक्ताल्पता
(ब) कमजोरी
(स) भूख में कमी
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी

प्रश्न 5.
बच्चों के शरीर में कीड़ों के प्रवेश का कारण हो सकता है –
(अ) दूषित भोजन
(ब) दूषित पानी
(स) गन्दी आदतें
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी

रिक्त स्थान भरिए
निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थान भरिए –
1. रोगग्रस्त बालक का व्यवहार………व ………हो जाता है।
2. ………से तात्पर्य नियमित रूप से मल त्याग न होना, कम होना तथा कड़ा होना है।
3. ………कृमि छोटे आकार का कृमि है जो आँतों में पाया जाता है।
4. ………गले से सम्बन्धित रोग है।
5. ………में बच्चे का शरीर काँपता है, ऐंठने लगता हैं, दाँत भिंच जाते हैं।
उत्तर:
1. चिड़चिड़ा, जिद्दी
2. कब्ज
3. अंकुश
4. गलतुण्डिका
5. आक्षेप

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 9 बच्चों के सामान्य रोग

सुमेलन
स्तम्भ A को स्तम्भ B से मिलान कीजिए
स्तम्भ A                                     स्तम्भ B.
1. गलतुण्डिका रोग                  (a) फेफड़ा
2. निमोनिया रोग                      (b) मस्तिष्क
3. आक्षेप रोग                          (c) पाचन संस्थान
4. कब्ज                                  (d) आँख का रोग
5. आँख दुखना                         (e) गला
उत्तर:
1. (e) गला
2. (a) फेफड़ा
3. (b) मस्तिष्क
4. (c) पाचन संस्थान
5. (d) आँख का रोग

RBSE Class 11 Home Science Chapter 9 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बच्चों के स्वास्थ्य के सम्बन्ध में कैसे जागरूक रहा जा सकता है?
उत्तर:
बच्चों को होने वाले सामान्य रोगों के लक्षणों की जानकारी रखकर।

प्रश्न 2.
किसी रोग के दो प्रारम्भिक लक्षण बताइए।
उत्तर:

  •  चिड़चिड़ा स्वभाव
  • दूध न पीना।

प्रश्न 3.
अतिसार रोग के दो कारण लिखिए।
उत्तर:

  •  बच्चे को आहार देने के समय में अनियमितता,
  • बच्चे को ठण्डा व बासी दूध देना।

प्रश्न 4.
अतिसार की स्थिति में बच्चे में जल की कमी को रोकने के लिए क्या उपाय करना चाहिए?
उत्तर:
जल और लवणों की पूर्ति के लिए 1 लीटर उबले पानी में चुटकी भर नमक एवं मुट्ठी भर चीनी मिलाकर घोल बना लेना चाहिए और बच्चे को थोड़ी-थोड़ी देर बाद पिलाना चाहिए।

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 9 बच्चों के सामान्य रोग

प्रश्न 5.
अतिसार रोग के दो प्रारम्भिक बचत बताइए।
उत्तर:

  •  ऊपर का दूध पिलाना बन्द कर देना चाहिए
  • चावल का मांड व जौ का पानी देना चाहिए।

प्रश्न 6.
कब्ज के दो कारण लिखिए।
उत्तर:

  • तरल पदार्थों का कम मात्रा में लेना,
  •  शिशु का ऊपरी दूध द्वारा पोषित होना।

प्रश्न 7.
कब्ज में बच्चे को किस प्रकार का आहार देना चाहिए?
उत्तर:
बच्चे के आहार में तरल पदार्थों जैसे-जल, फलों का रस तथा सब्जियों के सूप की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए।

प्रश्न 8.
बच्चे को भूख न लगने के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:

  • बच्चे में कोई पाचन विकार होना
  • बच्चा अत्यधिक थका हुआ हो।

प्रश्न 9.
बच्चे द्वारा दूध उलटने का कोई एक कारण लिखिए।
उत्तर:
बच्चे द्वारा दूध पीते समय अधिक मात्रा में पेट के अन्दर वायु चली जाना।

प्रश्न 10.
गोल कृमि किस प्रकार बच्चे के पेट में पहुंच जाते हैं?
उत्तर:
गोलकृमि बच्चे के पेट में दूषित भोजन, जल, साग-सब्जी के माध्यम से प्रवेश कर जाते हैं।

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 9 बच्चों के सामान्य रोग

प्रश्न 11.
बच्चे में सूत्र कृमि के संक्रमण के क्या लक्षण हैं?
उत्तर:
गुदा मार्ग में खुजली होना, बिस्तर में पेशाब करना, बार-बार मल त्याग की इच्छा करना आदि।

प्रश्न 12.
ज्वर का अनुमान कैसे लगाया जाता है?
उत्तर:
ज्वर का अनुमान ग्रस्त बच्चे के शरीर को छूकर ही लगाया जा सकता है।

RBSE Class 11 Home Science Chapter 9 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रवाहिका रोग क्या है?
उत्तर:
यदि शिशु दिन में चार से अधिक बार मल त्याग हेतु जाए तथा उसका मल ढीला, जलयुक्त, हरा, झागदार एवं दुर्गन्धपूर्ण हो, गुदा लाल हो जाए तथा उसमें पीड़ा होने लगे तो चिकित्सकों के मतानुसार यह प्रवाहिका रोग है।

प्रश्न 2.
कब्ज से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
कब्ब से तात्पर्य नियमित रूप से मल त्याग न होना, कम होना तथा कड़ा होना है। कभी-कभी मल इतना कड़ा होता है कि बच्चे को अत्यधिक जोर लगाना पड़ता है जिससे मल त्याग के समय बच्चा रोता-चिल्लाता है।

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 9 बच्चों के सामान्य रोग

प्रश्न 3.
सर्दी-खांसी क्यों हानिकारक हैं?
उत्तर:
बच्चों के सामान्य रोगों में सर्दी:
खाँसी प्रमुख रोग है। बदलते मौसम में, विशेष रूप से जाड़ों में सर्दी-खाँसी के विकार हो जाते हैं। अगर इसमें लापरवाही बरती जाती है तो ये उग्ररूप धारण कर निमोनिया और ब्रोंकाइटिस आदि रोगों को जन्म देते हैं। अत: इसे साधारण रोग समझकर इसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए अपितु इसका समुचित उपचार कराना चाहिए।

प्रश्न 4.
गलतुलिण्डका रोग के लक्षण लिखिए।
उत्तर:
गलतुण्डिका रोग के लक्षण:

  • गले के दोनो ओर की ग्रन्थियों में सूजन आ जाती है।
  • गले के अन्दर का भाग लाल तथा दोनों ग्रन्थियाँ बढ़ी हुई दिखाई देती हैं।
  • कान में भारीपन तथा दर्द रहता है।
  • खाने पीने में कठिनाई होती है।
  • तेज बुखार व उल्टियाँ होती है।

RBSE Class 11 Home Science Chapter 9 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
यदि कोई बच्चा रोगों के प्रारम्भिक लक्षणों में से कुछ का प्रदर्शन करता है तो क्या करना चाहिए?
उत्तर:
यदि कोई बच्चा रोगों के प्रारम्भिक लक्षणों में से कुछ को प्रकट करे तो उसकी क्रियाओं के परिवर्तन को नोट करना चाहिए तथा चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
जब तक शिशु को चिकित्सक के पास न ले जाएँ तब तक निम्न उपाय करने चाहिए –

  • बुखार होने पर समय-समय पर शिशु का तापमान नोट करें।
  • यदि शिशु को कहीं पीड़ा है तो इस बात का पता लगाएँ कि पीड़ा पेट में, कान में, आँख, पैर, हाथ कहाँ पर है, छू कर देखें।
  • यदि शिशु दूध पीने के प्रति अरुचि दिखाता है तो जबरदस्ती मत कीजिए।
  • रोगी शिशु को पानी उबालकर पिलाएँ।
  • रोगी शिशु की व्यक्तिगत स्वच्छता तथा भोजन की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
  • सर्दी, खाँसी या अन्य रोग में घरेलू उपचार पर अधिक समय तक निर्भर न रहकर चिकित्सक को दिखाना चाहिए।

प्रश्न 2.
बच्चों के शरीर में कीड़ों के प्रवेश के कारण तथा उपचार बताइए।
उत्तर:
बच्चों के शरीर में कीड़ों के प्रवेश के कारण:

  •  गन्दे हाथों से भोजन करने, बनाने और परोसने से।
  • दूषित जल व भोजन के सेवन करने से।
  • बच्चों के मिट्टी में खेलने से।
  • बच्चो द्वारा मिट्टी खाने से।
  •  मल त्याग के बाद हाथ न धोने से।

उपचार:

  • घर में तथा घर के आस-पास के वातावरण की स्वच्छता बनाए रखें।
  • बच्चों को मिट्टी न खाने दें।
  • पानी उबालकर पिलाएँ।
  • बच्चों को अधिक मीठा खाने को न दें।
  • मल परीक्षण करवाएँ और चिकित्सक के परामर्शनुसार दवा दें।

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 9 बच्चों के सामान्य रोग

प्रश्न 3.
बच्चों में ज्वर एवं आक्षेप के उपचार के उपाय बताइए।
उत्तर:
ज्वर का उपचार:

  • बच्चे को शांत व आरामदायक वातावरण में अधिक से अधिक आराम करने दें।
  • हल्का व सुपाच्य भोजन दें।
  • यदि ज्वर ठण्ड लगने के साथ आता है तो बच्चे को पर्याप्त कपड़े पहना कर रखना चाहिए।
  • चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
  • ज्वर तीव्र होने पर माथे पर ठण्डे पानी की पट्टी रखें।

आक्षेप का उपचार:

  • आक्षेप आने पर सबसे पहले बच्चे को पीठ के बल लिटाएँ।
  • उसके कपड़े ढीले कर दें।
  • दाँतों के बीच कपड़े की गद्दी रख दें ताकि जीभ न कटे।
  • यदि कम्पन अधिक हो तो हाथ-पाँव की मालिश करें और कम्बल ओढ़ा दें।
  • तुरन्त चिकित्सक के पास ले जाएँ।

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