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RBSE Solutions for Class 11 Indian Geography Chapter 12 राजस्थान: परिचय, भौतिक स्वरूप एवं अपवाह तंत्र

July 20, 2019 by Fazal Leave a Comment

NRajasthan Board RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 12 राजस्थान: परिचय, भौतिक स्वरूप एवं अपवाह तंत्र

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 12 पाठ्य पुस्तक के अभ्यास प्रश्न

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 12 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
आहड़ जिस जिले में स्थित है, वह है।
(अ) बाड़मेर
(ब) उदयपुर
(स) बीकानेर
(द) सीकर
उत्तर:
(ब) उदयपुर

प्रश्न 2.
स्वर्णगिरी जिस क्षेत्र का पुराना नाम है, वह है-
(अ) नागौर
(ब) सांभर
(स) जालौर
(द) गंगानगर
उत्तर:
(स) जालौर

प्रश्न 3.
निम्न में से जो नदी अरब सागरीय प्रवाह प्रणाली की है, वह है।
(अ) बनास
(ब) बाणगंगा
(स) पार्वती
(द) माही
उत्तर:
(द) माही

प्रश्न 4.
राजस्थान की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है।
(अ) कोयलाना
(ब) नक्की
(स) जयसममन्द
(द) पुष्कर
उत्तर:
(स) जयसममन्द

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 12 अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 5.
वर्तमान राजस्थान कब बना?
उत्तर:
वर्तमान राजस्थान का स्वरूप 1 नवम्बर 1956 को अस्तित्व में आया जब इसे ब श्रेणी के राज्य से अ श्रेणी का राज्य बना दिया गया।

प्रश्न 6.
मत्स्य संघ में कौन-कौन-सी रियासतें शामिल हुई थीं?
उत्तर:
मत्स्य संघ में अलवर, भरतपुर, धौलपुर व करौली नामक रियासतें शामिल हुई थीं।

प्रश्न 7.
राजस्थान का कुल क्षेत्रफल कितना है?
उत्तर:
राजस्थान का कुल क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग किमी है।

प्रश्न 8.
राजस्थान की अपवाह प्रणाली को कौन-सा पर्वत दो भागों में बाँटता है?
उत्तर:
राजस्थान की अपवाह प्रणाली को अरावली पर्वत दो भागों में बाँटता है।

प्रश्न 9.
साबरमती नदी कहाँ से निकलती है?
उत्तर:
साबरमती नदी उदयपुर के पश्चिम में स्थित पहाड़ियों से निकलती है।

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 12 लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 10.
राजस्थान की अवस्थिति बताइये।
उत्तर:
राजस्थान राज्य भारत के उत्तरी-पश्चिमी भाग में स्थित है। इसका अक्षांशीय एवं देशान्तरीय विस्तार क्रमश: 23°3′ से 30° 12′ उत्तरी अक्षांश व 69° 30 से 78°17′ पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है।

प्रश्न 11.
राजस्थान के मुख्य भौतिक विभाग कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
राजस्थान के मुख्य भौतिक विभाग निम्नानुसार हैं-
RBSE Solutions for Class 11 Indian Geography Chapter 12 राजस्थान परिचय, भौतिक स्वरूप एवं अपवाह तंत्र 1

प्रश्न 12.
दक्षिणी अरावली क्षेत्र की धरातलीय विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
दक्षिणी अरावली क्षेत्र में निम्न धरातलीय विशेषताएँ मिलती हैं-

  1. अरावली की इस श्रेणी में अत्यधिक विषम वे ऊँची चोटियाँ पायी जाती हैं।
  2. यह क्षेत्र पूर्व दिशा में बहने वाली नदियों का उद्गम स्थल है।
  3. इस भाग में शिस्ट, नीस, डोलोमाइट वे क्वार्टजाइट चट्टानों की प्रधानता मिलती है।
  4. पूर्वी सिरोही की समीपवर्ती भाग में मिलने वाली इन पहाड़ियों के उबड़-खाबड़ अंग को भावर प्रदेश कहते हैं।
  5. अरावली के इस भाग में सदाबहार वन पाये जाते हैं।
  6. अरावली के इसी भाग में सर्वाधिक वर्षा की प्राप्ति होती है।
  7. दक्षिणी अरावली क्षेत्र में ही देसूरी की नाल, सादड़ी नाले व हाथीनाल तथा सोमदेव हाथीगुदा नामक दरें मिलते हैं।

प्रश्न 13.
पूर्वी मैदान का विस्तार बताइये।
उत्तर:
राजस्थान के इस मुख्य भौतिक क्षेत्र का विस्तार अरावली पर्वतमाला व दक्षिणी-पूर्वी पठारी क्षेत्र के मध्य मिलता है। यह प्रदेश राजस्थान के 23.9 प्रतिशत भाग पर फैला हुआ है। इसका निर्माण बनास व माही तथा चम्बल नदी एवं इनकी सहायक नदियों द्वारा किया गया है। इस भौतिक क्षेत्र का विस्तार भरतपुर, अलवर, सवाईमाधोपुर, करौली, जयपुर, टोंक, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ तथा डूंगरपुर व बाँसवाड़ा के कुछ क्षेत्रों में फैला हुआ मिलता है।

प्रश्न 14.
राजस्थान की बंगाल की खाड़ी प्रवाह प्रणाली को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
राजस्थान के पूर्वी मैदानी भाग एवं दक्षिणी पठारी भाग में प्रवाहित होने वाली अधिकांश नदियाँ बंगाल की खाड़ी प्रवाह प्रणाली का अंग हैं। इस प्रवाह क्षेत्र में मुख्यत: चम्बल, बनास, बाणगंगा, पार्वती वं काली सिन्ध नदियाँ शामिल की गयी हैं। चम्बल का उद्गम मध्य प्रदेश के मऊ जिले की जानापाव पहाड़ियों से होता है। यह नदी अन्त में उत्तर प्रदेश में यमुना में मिल जाती है। बनोस नदी खमनौर की पहाड़ियों से निकलकर प्रवाहित होती हुई अन्त में सवाई माधोपुर के रामेश्वर नामक स्थान पर चम्बल में मिल जाती हैं। बाणगंगा नदी बैराठ की पहाड़ियों से निकलकर अन्त में चम्बल में मिल जाती है। पार्वती नदी विन्ध्ययन पर्वत से निकलकर बारां में बहने के बाद पाली नामक स्थान पर चम्बल में मिल जाती है।

प्रश्न 15.
राजस्थान की खारे पानी की झीलें बताइये।
उत्तर:
राजस्थान में अनेक खारे पानी की झीलें पायी जाती हैं जिनमें सांभर (जयपुर), डीडवाना (नागौर), पचपद्रा (बाड़मेर), लूणकरणसर (बीकानेर), कुचामन (नागौर), फलौदी (जोधपुर), कावोद (जैसलमेर), तालछापर (चुरू), डेगाना (नागौर) आदि प्रमुख हैं। इन सभी खारे पानी की झीलों में से सांभर झील राजस्थान की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है जो जयपुर जिले में 145 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है। यह 32 किलोमीटर लम्बी व 12 किलोमीटर चौड़ी है।

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 12 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 16.
राजपूताना से राजस्थान का निर्माण कितने चरणों में हुआ? सारणीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
राजपूताना से राजस्थान बनने की प्रक्रिया कुल सात चरणों में पूरी हुई। राजस्थान निर्माण की यह प्रक्रिया 17 मार्च 1948 से प्रारम्भ होकर 1 नवम्बर 1956 तक चली। राजपूताना से राजस्थान बनने की यह प्रक्रिया निम्नवत् सारणी में चरणानुसार दर्शायी गयी है-
RBSE Solutions for Class 11 Indian Geography Chapter 12 राजस्थान परिचय, भौतिक स्वरूप एवं अपवाह तंत्र 2

प्रश्न 17.
राजस्थान को भौतिक विभागों में विभक्त कीजिए तथा पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान भारत का सबसे बड़े क्षेत्रफल वाला राज्य है जिसके कारण यहाँ धरातलीय विविधताओं का मिलना स्वाभाविक है। इसमें मिलने वाली इन्हीं धरातलीय विविधताओं को आधार मानकर राजस्थान को मुख्यत: निम्न भौतिक भागों व उपभागों में बाँटा गया है।
RBSE Solutions for Class 11 Indian Geography Chapter 12 राजस्थान परिचय, भौतिक स्वरूप एवं अपवाह तंत्र 3
पठारी क्षेत्र पश्चिमी मरुस्थलीय क्षेत्र – यह भौतिक विभाग राजस्थान का सबसे बड़ा भौतिक विभाग है, जो अरावली पर्वतमाला के उत्तर-पश्चिम और पश्चिम में विस्तृत है। यह भू-भाग समुद्र तल से 60 से 360 मीटर तक ऊँचा है।

पश्चिमी मरुस्थलीय क्षेत्र की उत्पत्ति – राजस्थान के इस भौतिक विभाग की उत्पत्ति टेथीज भूसन्नति में जमे हुए अवसादों के कारण मानी गयी है। इन अवसादों पर अधिक तापमान व शुष्क देशाओं के कारण यह मरुस्थलीय क्षेत्र के रूप में बंदल गया।

मरुस्थलीय क्षेत्र का विस्तार – राजस्थान के इस भौतिक प्रदेश का विस्तार गंगानगर, हनुमानगढ़, झुन्झुनू, सीकर, चूरू, बीकानेर, नागौर, जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, जालौर एवं सिरोही जिलों में मुख्य रूप से मिलता है। मरुस्थलीय क्षेत्र का विभाजन-धरातलीय स्वरूप के आधार पर पश्चिमी मरुस्थलीय क्षेत्र को निम्न भागों में बाँटा गया है-
RBSE Solutions for Class 11 Indian Geography Chapter 12 राजस्थान परिचय, भौतिक स्वरूप एवं अपवाह तंत्र 4

1. बालूमय शुष्क मैदान – यह मैदान शुष्क मरुस्थलीय प्रदेश है जो राज्य की 25 सेमी समवर्षा रेखा के पश्चिम में स्थित है। इसमें जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर तथा जोधपुर, नागौर वे चूरू जिलों के पश्चिमी भाग शामिल हैं।
2. लूनी बेसिन – यह बेसिन 25 सेण्टीमीटर से 50 सेण्टीमीटर की समवर्षा रेखा के बीच अरावली के दक्षिण-पश्चिम में अवस्थित है। इस प्रदेश का विस्तार दक्षिणी जोधपुर, पाली, जालौर व पश्चिमी सिरोही जिलों में है। इस क्षेत्र में पचभद्रा मुख्य खारे पानी का क्षेत्र है।
3. अन्तःस्थलीय प्रवाह का मैदान – इसे शेखावटी प्रदेश के नाम से भी जाना जाता है। इस अर्द्ध-शुष्क मैदान का विस्तार झुन्झुनू, सीकर तथा नागौर के उत्तरी भाग में है। यहाँ बरखान टीले अधिक मिलते हैं। यह अन्त:स्थलीय प्रवाह का क्षेत्र है। इस क्षेत्र में नदियाँ व नाले थोड़ी दूर बहने के बाद विलुप्त हो जाते हैं।
4. घग्घर का मैदान – यह क्षेत्र मरुस्थल का उत्तरी भाग है जो गंगानगर व हनुमानगढ़ जिलों में फैला है। घग्घर इस क्षेत्र की अन्त:स्थलीय प्रवाह वाली नदी है। घग्घर की सूखी हुई सरिताओं को पुराणों में वर्णित हिमालय से निकली सरस्वती नदी का हिस्सा माना जाता है। इन्दिरा गाँधी नहर व गंग नहर से उपलब्ध सिंचाई सुविधा के कारण इस क्षेत्र में गहन कृषि की जाती है।

पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश को निम्न रेखाचित्र की सहायता से दर्शाया गया है-
RBSE Solutions for Class 11 Indian Geography Chapter 12 राजस्थान परिचय, भौतिक स्वरूप एवं अपवाह तंत्र 5

प्रश्न 18.
अरावली पहाड़ी क्षेत्र के भौतिक स्वरूप को समझाइये।
उत्तर:
राजस्थान के मध्यवर्ती भाग में मिलने वाली अरावली पर्वत श्रृंखला विश्व की प्राचीनतम पर्वत श्रृंखला है जो वर्तमान में अनाच्छादन की प्रक्रियाओं के कारण अवशिष्ट पर्वत के रूप में परिवर्तित हो गई है। यह पर्वतीय श्रृंखला 692 किमी लम्बी है जिसमें से 500 किमी की लम्बाई में यह राजस्थान में पाई जाती है। अरावली पहाड़ी का विस्तार-अरावली पर्वतीय प्रदेश राज़स्थान में मुख्यत: सिरोही, उदयपुर, राजसमंद, अज़मेर, जयपुर, दौसा, अलवर, सीकर व झुन्झुनू में फैला हुआ है। यह सिरोही से खेतड़ी तक तो शृंखलाबद्ध है परन्तु इसके पश्चात् यह छोटी-छोटी . पहाड़ियों के रूप में दिल्ली तक फैली है। अरावली का विभाजन-अरावली पहाड़ी क्षेत्र को तीन भागों में विभाजित किया गया है-

  1. उत्तरी अरावली,
  2. मध्य अरावली,
  3. दक्षिणी अरावली।

1. उत्तरी अरावली – यह अरावली पहाड़ी प्रदेश का सबसे उत्तरी भाग है, जो जयपुर से खेतड़ी तक फैला मिलता है। यह उप–भाग मुख्यतः दौसा, अलवर, सीकर व झुन्झुनू में फैला हुआ है। अरावली के इस भाग में तोरावाटी, शेखावाटी, जयपुर व अलवर की पहाड़ियाँ शामिल हैं। इस भाग की पहाड़ियाँ औसतन 450 मीटर से 700 मीटर ऊँची मिलती हैं। इसमें रघुनाथगढ़ | (1055 मीटर) सबसे ऊँची चोटी है।

2. मध्य अरावली – अरावली का यह विभाग जयपुर से अजमेर तक फैला हुआ मिलता है। इस क्षेत्र में पर्वत श्रेणियाँ, संकीर्ण घाटियाँ व मैदान एकान्तर क्रम में पाए जाते हैं। तारागढ़ (885 मीटर) इस क्षेत्र की प्रमुख चोटी है। लूनी नदी अरावली के इसी खंड से निकलती है।

3. दक्षिणी अरावली – अरावली कां यह खण्ड मुख्यत: अजमेर से आबू तक फैला हुआ है। अरावली के इस खण्ड में चोटियाँ सर्वाधिक ऊँचाई में मिलती हैं। सिरोही के आबू क्षेत्र में अरावली की सर्वोच्च चोटी गुरुशिखर (1722 मीटर) मिलती है। इसके साथ ही अचलगढ़, देलवाड़ा, कुम्भलगढ़ आदि अन्य प्रमुख चोटियाँ हैं। उदयपुर के उत्तर में कुम्भलगढ़ व गोगुन्दा के बीच भोराठ का पठार मिलता है जो पूर्व की ओर बहने वाली नदियों का उद्गम स्थल है।

प्रश्न 19.
राजस्थान की प्रवाह प्रणाली का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान अपने विशाल भौगोलिक क्षेत्रफल के कारण अपवाह के स्वरूप में भी प्रादेशिक आधार पर भिन्नताओं को दर्शाता है। इसके मध्यवर्ती भाग में मिलने वाली अरावली पर्वत श्रृंखला राजस्थान की प्रवाह प्रणाली को दो भागों में विभाजित करती है। यह जल विभाजक रेखा उत्तर में अरावली अक्ष के साथ सांभर झील के दक्षिण तक है। इसी जल विभाजक के दोनों ओर से नदियाँ निकलती हैं। राजस्थान में बहने वाली नदियों के स्वरूप के आधार पर राजस्थान के अपवाह स्वरूप को मुख्यतः निम्न भागों में बाँटा गया है-

(i) बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियाँ,
(ii) अरब सागर में गिरने वाली नदियाँ,
(ii) अन्तः स्थलीय प्रवाह।

(i) बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियाँ

  1. चम्बल नदी – यह नदी मध्य प्रदेश में जानापांव पहाड़ी से निकलकर अन्त में उत्तर प्रदेश में यमुना में मिलती है। यह इस तन्त्र की प्रमुख नदी है। बनास, पार्वती, काली सिन्ध आदि इसकी मुख्य सहायक नदियाँ हैं।
  2. बनास नदी – यह भोराठे पठार की खमनौर पहाड़ी से निकलकर अन्त में सवाई माधोपुर के रामेश्वर स्थान पर चम्बल में मिल जाती है। बेड़च, कोठारी, खारी, मैनाल, बाण्डी, माँसी, ढूंढ व मोरेल इसकी मुख्य सहायक नदियाँ हैं।
  3. बाणगंगा नदी – यह जयपुर जिले के विराटनगर से निकलकर चम्बल में मिलती है।
  4. पार्वती नदी – मध्य प्रदेश में विन्ध्ययन श्रेणी से निकलकर बारां जिले में बहती हुई पाली स्थान पर चम्बल में मिलती है।
  5. काली सिन्ध नदी – यह भी विन्ध्ययन पर्वत से निकलकर झालावाड़ में बहती हुई चम्बल में मिल जाती है। परवन इसकी सहायक नदी है।

(ii) अरब सागर में गिरने वाली नदियाँ

  1. लूनी नदी-यह अजमेर में नाग पहाड़ से निकलकर कच्छ के रन में मिरती है। बालोतरा तक इस नदी का पानी मीठा है। जोजरी, लिलड़ी, सूकड़ी, जवाई व बाण्डी इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।
  2. माही नदी – यह मध्य प्रदेश में अमझोर से निकलती है। यह राज्य में डूंगरपुर व बाँसवाड़ा में बहती है जो आगे चलकर गुजरात में खंभात की खाड़ी में मिलती है। माही व उसकी सहायक सोम व जाखम नदियाँ बेणेश्वर धाम में त्रिवेणी संगम बनाती हैं। यह धाम आदिवासियों को प्रमुख धार्मिक स्थल है। माही नदी पर बाँसवाड़ा के निकट माही बजाज सागर बाँध का निर्माण किया गया है।
  3. साबरमती नदी-यह नदी उदयपुर की पश्चिमी पहाड़ियों से निकलकर राजस्थान में 44 किलोमीटर बहकर गुजरात में खंभात की खाड़ी में गिरती है।

(iii) अन्तः स्थलीय प्रवाह वाली नदियाँ
राजस्थान राज्य में अनेक छोटी-छोटी नदियाँ इस प्रकार की हैं जो कुछ दूरी तक बहकर रेत में विलीन हो जाती हैं। कातली, साबी, कांकनी, घग्घर आदि इस प्रकार की प्रमुख नदियाँ हैं। इन नदियों में अधिक बरसात आने पर कभी-कभी बाढ़ भी आ जाती है।

आंकिक प्रश्न

प्रश्न 20.
राजस्थान के रूपरेखा मानचित्र पर निम्नलिखित को दर्शाइये-
(i) कर्क रेखा
(ii) अरावली पर्वत
(iii) पड़ोसी राज्य
(vi) अन्तर्राष्ट्रीय सीमा
RBSE Solutions for Class 11 Indian Geography Chapter 12 राजस्थान परिचय, भौतिक स्वरूप एवं अपवाह तंत्र 6

प्रश्न 21.
राजस्थान के रूपरेखा मानचित्र पर भौतिक विभाग दर्शाइये।
उत्तर:
राजस्थान के भौतिक विभाग निम्नानुसार हैं
RBSE Solutions for Class 11 Indian Geography Chapter 12 राजस्थान परिचय, भौतिक स्वरूप एवं अपवाह तंत्र 7

प्रश्न 22.
राजस्थान के रूपरेखा मानचित्र पर जल विभाजक सहित प्रमुख नदियों को दर्शाइये।
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 11 Indian Geography Chapter 12 राजस्थान परिचय, भौतिक स्वरूप एवं अपवाह तंत्र 8

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 12 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 12 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
गिलुण्ड सभ्यता कहाँ स्थित है?
(अ) बाड़मेर
(ब) सीकर
(स) उदयपुर
(द) गंगानगर
उत्तर:
(स) उदयपुर

प्रश्न 2.
कालीबंगा सभ्यता कहाँ स्थित है?
(अ) उदयपुर
(ब) गंगानगर
(स) बाड़मेर
(द) सीकर
उत्तर:
(ब) गंगानगर

प्रश्न 3.
कुरू क्षेत्र किसे कहा जाता था?
(अ) जोधपुर
(ब) आबू
(स) अलवर
(द) बीकानेर
उत्तर:
(स) अलवर

प्रश्न 4.
ढूंढाड क्षेत्र कहलाता था।
(अ) जोधपुर-पाली
(ब) बून्दी – कोटा
(स) बीकानेर-जोधपुर
(द) जयपुर-टोंक
उत्तर:
(द) जयपुर-टोंक

प्रश्न 5.
ब्रिटिशकाल में राजस्थान को किस नाम से जाना जाता था?
(अ) राजपूताना
(ब) मेरवाड़ा
(स) रायथान
(द) राजस्थान
उत्तर:
(अ) राजपूताना

प्रश्न 6.
राजस्थान में कितनी पंचायत समितियाँ हैं?
(अ) 290
(ब) 292
(स) 295
(द) 300
उत्तर:
(स) 295

प्रश्न 7.
राजस्थान की पाकिस्तान के साथ जो अन्तर्राष्ट्रीय सीमा है, उसे कहते हैं
(अ) मैकमोहन रेखा
(ब) रैडक्लिफ रेखा
(स) डूरण्ड रेखा
(द) पिरेनीज रेखा
उत्तर:
(ब) रैडक्लिफ रेखा

प्रश्न 8.
राजस्थान में अरावली की कुल लम्बाई कितनी है?
(अ) 450 किमी
(ब) 550 किमी
(स) 650 किमी
(द) 750 किमी
उत्तर:
(ब) 550 किमी

प्रश्न 9.
राजस्थान में सर्वोच्च पर्वत चोटी अरावली के किस खण्ड में मिलती है?
(अ) उत्तरी खण्ड
(ब) मध्यवर्ती खण्ड
(स) दक्षिणी खण्ड
(द) किसी में नहीं
उत्तर:
(स) दक्षिणी खण्ड

प्रश्न 10.
बनास नदी का उद्गम कहाँ से होता है?
(अ) बैराठ से
(ब) खमनौर पहाड़ियों से
(स) जानापाव से
(द) नाग पहाड़ से
उत्तर:
(ब) खमनौर पहाड़ियों से

सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ में से सुमेलित कीजिए-
(क)

स्तम्भ अ स्तम्भ ब
(i) गणेश्वर (अ) बीकानेर-जोधपुर
(ii) तिलवाड़ा (ब) अलवर-जयपुर
(iii) बैराठ (स) बाड़मेर
(iv) जंगल (द) डूंगरपुर-बॉसवाड़ा
(v) बागड़. (य) सीकर

उत्तर:
(i) (य), (ii) (स), (iii) (ब), (iv)(अ), (v) (द)।

(ख)

स्तम्भ अ
(देश का नाम)
स्तम्भ ब
(राजस्थान से छोटा)
(i) ग्रेट ब्रिटेन (अ) थोड़ा छोटा
(ii) श्रीलंका (ब) डेढ़ गुना
(iii) इजराइल (स) पाँच गुना
(iv) जापान (द) सतरह गुना

उत्तर:
(i) (ब), (ii) (स), (iii) (द), (iv) (अ)

(ग)

स्तम्भ अ
(नदियाँ)
स्तम्भ ब
(उद्गम क्षेत्र)
(i) चम्बल (अ) गोगुन्दा की पहाड़ियाँ
(ii) लूनी (ब) सादड़ी की पहाड़ियाँ
(iii) साबरमती (स) नाग पहाड़ियाँ
(iv) जाखम (द) जानापाव पहाड़ी
(v) बेड़च (य) कोटड़ी तहसील में अरावली पहाड़ियों से।

उत्तर:
(i) (द), (ii) (स), (iii) (य), (iv) (ब), (v) (अ)

(घ)

स्तम्भ अ
(झीलों के नाम)
स्तम्भ ब
(झीलों की स्थिति वाला जिला)
(i) जयसमंद (अ) राजसमंद
(ii) राजसमंद (ब) माउंट आबू (सिरोही)
(iii) पुष्कर (स) अलवर
(iv) सिलीसेढ़ (द) अजमेर
(v) नक्की (य) उदयपुर

उत्तर:
(i) (य), (i) (अ), (iii) (द), (iv) (स), (v) (ब)।

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 12 अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राचीनकाल में कौन-सी नदियाँ राजस्थान को सरसब्ज़ करती थीं?
उत्तर:
प्राचीनकाल में सरस्वती व दृषद्धती नदियाँ राजस्थान को सरसब्ज़ करती थीं।

प्रश्न 2.
गुर्जरत्री क्षेत्र किसे कहा जाता था?
उत्तर:
राजस्थान में मारवाड़ के अंग जोधपुर व पाली के समीपवर्ती क्षेत्र को संयुक्त रूप से गुर्जरत्रा. कहा जाता था।

प्रश्न 3.
उदयपुर के समीपवर्ती भाग को किस नाम से जाना जाता था?
उत्तर:
उदयपुर के समीपवर्ती भाग को शिव/भेदपाट व मेवाड़ क्षेत्र के नाम से जाना जाता था।

प्रश्न 4.
स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय राजस्थान किन प्रशासनिक इकाइयों में बँटा हुआ था?
उत्तर:
स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय राजस्थान में 19 रियासतें, 3 चीफशीप व अजमेर-मेरवाड़ा के रूप में केन्द्र शासित प्रदेश था।

प्रश्न 5.
मत्स्य संघ की स्थापना कब हुई थी?
उत्तर:
मत्स्य संघ की स्थापना 17 मार्च 1948 को हुई थी।

प्रश्न 6.
राजस्थान संघ में किस-किस को शामिल किया गया था?
उत्तर:
राजस्थान संघ में बांसवाड़ा, कुशलगढ़, बून्दी, डूंगरपुर, झालावाड़, किशनगढ़, कोटा, प्रतापगढ़, शाहपुरा एवं टोंक आदि रियासतों को एकीकृत कर राजस्थान संघ बनाया गया था।

प्रश्न 7.
संयुक्त राजस्थान राज्य का निर्माण कब व कैसे हुआ?
उत्तर:
संयुक्त राजस्थान राज्य का निर्माण 18 अप्रैल 1948 को पूर्व राजस्थान संघ में उदयपुर रियासत को मिलाकर किया गया।

प्रश्न 8.
वृहत राजस्थान संघ की स्थापना कब व कैसे हुई?
उत्तर:
वृहत राजस्थान संघ की स्थापना 30 मार्च 1949 को संयुक्त राजस्थान में बीकानेर, जयपुर, जैसलमेर व जोधपुर रियासतों को मिलाकर की गयी।

प्रश्न 9.
संयुक्त वृहत्तर राजस्थान की स्थापना कब व कैसे हुई?
उत्तर:
संयुक्त वृहत्तर राजस्थान की स्थापना 15 मई 1949 को वृहत राजस्थान संघ में मत्स्य संघ को मिलाकर की गई।

प्रश्न 10.
राजस्थान को अ श्रेणी का राज्य कब घोषित किया गया?
उत्तर:
राजस्थान को 1 नवम्बर 1956 को अ श्रेणी का राज्य घोषित किया गया।

प्रश्न 11.
वर्तमान में राजस्थान को किन प्रशासनिक इकाइयों में बाँटा गया है?
उत्तर:
वर्तमान में राजस्थान को प्रशासनिक दृष्टि से सात सम्भागों, 33 जिलों, 9 उप-जिलों, 314 तहसीलों, 295 पंचायत समितियों, 222 नगर पालिकाओं एवं 990 ग्राम पंचायतों में विभाजित किया गया है।

प्रश्न 12.
राजस्थान की सीमाएँ किन-किन के द्वारा निर्धारित की गई हैं?
उत्तर:
राजस्थान की सीमाओं का निर्धारण उत्तर में पंजाब द्वारा, उत्तर-पूर्व में हरियाणा द्वारा, पूर्व में उत्तर प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में मध्य प्रदेश एवं दक्षिण-पश्चिम में गुजरात राज्य के द्वारा निर्धारित किया गया है। जबकि पश्चिमी भाग में पाकिस्तान द्वारा इसकी अन्तर्राष्ट्रीय सीमा निर्धारित होती है।

प्रश्न 13.
राजस्थान का उत्तर से दक्षिण में विस्तार कितना है?
उत्तर:
राजस्थान का उत्तर से दक्षिण में विस्तार 826 किलोमीटर है।

प्रश्न 14.
राजस्थान का पूर्व से पश्चिम में विस्तार कितना है?
उत्तर:
राजस्थान का पूर्व से पश्चिम में विस्तार 869 किलोमीटर है।

प्रश्न 15.
टेथीज सागर के प्रमाण आज भी किस रूप में मिलते हैं?
उत्तर:
टेथीज सागर के अवशेषों के रूप में राजस्थान में सांभर, डीडवाना, पंचपद्रा, लूणकरणसर आदि खारे पानी की झीलें पायी जाती हैं।

प्रश्न 16.
राजस्थान का मुख्य जल विभाजक किसे माना जाता है?
उत्तर:
राजस्थान की मुख्य जल विभाजक अरावली पर्वत श्रृंखला को माना जाता है।

प्रश्न 17.
राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र का परिदृश्य क्यों बदल रहा है?
उत्तर:
मानवीय प्रभाव एवं इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना के विकास से उपलब्ध सिंचाई की सुविधा के कारण मरुस्थलीय क्षेत्र का परिदृश्य परिवर्तित हो रहा है।

प्रश्न 18.
राजस्थान में कितने प्रकार के मिट्टी के टीले मिलते हैं?
उत्तर:
राजस्थान में मुख्यत: तीन प्रकार के-

  1. अनुदैर्घ्य,
  2. अनुप्रस्थ,
  3. बरखान के रूप में टीले पाये जाते हैं।

प्रश्न 19.
अनुदैर्घ्य बालुका स्तूपों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
ऐसे बालुका स्तूप जो प्रचलित पवनों के समानान्तर टीलों के रूप में निर्मित होते हैं उन्हें अनुदैर्घ्य बालुका स्तूप कहते हैं।

प्रश्न 20.
अनुप्रस्थ बालुका स्तूप से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
ऐसे बालूका स्तूप जो वायु की दिशा के लम्बवत् टीलों के रूप में निर्मित होते हैं।

प्रश्न 21.
रन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
बालुकामय शुष्क मैदानी भाग में खारे पानी के जो छिछले क्षेत्र मिलते हैं उन्हें रन कहा जाता है।

प्रश्न 22.
लूनी बेसिन के निर्माण में कौन-कौन सी नदियाँ सहायक हैं?
उत्तर:
लूनी बेसिन के निर्माण में लूनी, लीलड़ी, सूकड़ी, जबाई, जोजरी तथा बाण्डी नदियाँ शामिल हैं।

प्रश्न 23.
अन्तःस्थलीय प्रवाह क्षेत्र में कौन-कौन सी झीलें मिलती हैं?
उत्तर:
अन्त:स्थलीय प्रवाह क्षेत्र में सांभर, डीडवाना, कुचामन, सुजानगढ़, तालछापर व परिहारा नामक प्रमुख खारे पानी की झीलें हैं।

प्रश्न 24.
अरावली का विस्तार राजस्थान में कहाँ से कहाँ तक मिलता है?
उत्तर:
अरावली का विस्तार राजस्थान में झुन्झुनू के खेतड़ी से गुजरात की सीमा पर स्थित राजस्थान के खेडब्रह्मा गाँव तक फैली हुई मिलती है।

प्रश्न 25.
अरावली राजस्थान के किन-किन जिलों में फैली मिलती है?
उत्तर:
अरावली राजस्थान के नौ जिलों सिरोही, उदयपुर, राजसमंद, अजमेर, जयपुर, दौसा, अलवर, सीकर वे झुन्झुनू में फैली हुई है।

प्रश्न 26.
भोराठ का पठार कहाँ मिलता है?
उत्तर:
उदयपुर के उत्तर में कुम्भलगढ़ व गोगुन्दा के बीच भोराठ का पठार पाया जाता है।

प्रश्न 27.
उत्तरी अरावली का विस्तार किन जिलों में मिलता है?
उत्तर:
उत्तरी अरावली का विस्तार मुख्यत: जयपुर, दौसा, अलवर, सीकर व झुन्झनू जिलों में मिलता है।

प्रश्न 28.
छप्पन का मैदान कहाँ मिलता है?
उत्तर:
बाँसवाड़ा व चितौड़गढ़ के बीच मिलने वाले छप्पन गाँवों के समूह वाले भाग को छप्पन का मैदान कहते हैं।

प्रश्न 29.
मालपुरा का मैदान कहाँ मिलता है?
उत्तर:
बनास व उसकी सहायक नदियों द्वारा निर्मित मैदानी भाग के उत्तरी भाग को मालपुरा-करौली का मैदान कहते हैं।

प्रश्न 30.
वालरा कृषि क्या है?
उत्तर:
राजस्थान के दक्षिणी भाग में डूंगरपुर व बांसवाड़ा में आदिवासियों द्वारा की जाने वाली स्थानान्तरित कृषि को वालरा कृषि कहते हैं।

प्रश्न 31.
हाड़ौती का पठार कहाँ फैला हुआ है?
उत्तर:
राजस्थान के दक्षिणी-पूर्वी भागों में स्थित कोटा, बून्दी, बारां, झालावाड़ एवं चित्तौड़गढ़ जिले के पूर्वी भाग में हाड़ौती का पठार फैला हुआ है।

प्रश्न 32.
त्रिकोणीय जलोढ़ मैदान की रचना किसके द्वारा की गई है?
उत्तर:
दक्कन के लावा पठार में बहने वाली चम्बल एवं उसकी सहायक काली, सिन्ध व पार्वती नदियों द्वारा कोटा में एक त्रिकोणीय जलोढ़ मैदान की रचना की गई है।

प्रश्न 33.
पार्वती नदी कहाँ प्रवाहित होती है?
उत्तर:
पार्वती नदी मध्य प्रदेश में विन्ध्ययन श्रेणी से निकलकर बारां जिले में बहती हुई पाली नामक स्थान पर चम्बल में मिल जाती है।

प्रश्न 34.
अन्तःस्थलीय प्रवाह से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
राजस्थान में प्रवाहित होने वाली ऐसी मौसमी नदियाँ जो किसी समुद्र में न गिरकर मरुस्थलीय क्षेत्र में ही विलीन हो जाती हैं या किसी आन्तरिक झील में गिर जाती हैं। नदियों के ऐसे प्रवाहन को अन्त:स्थलीय प्रवाह कहते हैं।

प्रश्न 35.
राजस्थान में मीठे पानी की झीलों के नाम लिखिये।
उत्तर:
राजस्थान में मिलने वाली मीठे पानी की झीलों में जयसमंद, राजसमंद, पुष्कर, सिलीसेढ़, रामगढ़, कोलायत, नक्की, कायलाना, आनासागर, फायसागर व पिछोला झीलें प्रमुख हैं।

प्रश्न 36.
ब्रिटिश काल में राजस्थान की प्रमुख रियासतों के नाम बताइये।
उत्तर:
ब्रिटिशकाल में जयपुर-अजमेर, मारवाड़, मेवाड़, कोटा, बूंदी, भरतपुर आदि प्रमुख राजस्थान की रियासतें थीं ।

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 12 लघुत्तरात्मक प्रश्न Type I

प्रश्न 1.
राजस्थान सभ्यताओं की शरण स्थली है। कैसे? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
राजस्थान अनेक सभ्यताओं का घर है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं का केन्द्र रहा है। ये सभ्यताएँ अपने गौरवपूर्ण इतिहास को दर्शाती हैं जिसके कारण राजस्थान का भारत में विशेष महत्व है। यहाँ अनेक सभ्यताएँ मिली हैं जिनमें तिलवाड़ा (बाड़मेर), आहड़ (उदयपुर) गिलुण्ड (उदयपुर), कालीबंगा (गंगानगर) तथा गणेश्वर नामक सभ्यताओं के मिले अवशेष इस तथ्य को प्रमाणित करते हैं कि राजस्थान प्राचीन सभ्यताओं की शरणस्थली है।

प्रश्न 2.
राजस्थान की भूमि का भारत में एक विशिष्ट स्थान है। कैसे?
उत्तर:
राजस्थान की भूमि वीरों व बलिदानियों की भूमि है। इस प्रदेश ने बार-बार ‘भारतीय अस्मिता की रक्षा की है। प्रदेश वासियों ने प्रतिकूल एवं विषम परिस्थितियों में भी अनुकूलन कर अपनी क्षमताओं व सूझबूझ का परिचय दिया है। यहाँ के वीर पुरुषों व युवतियों ने अपने अदम्य साहस की जो मिसाल पेश की है, इसके कारण इसका एक विशिष्ट स्थान है।

प्रश्न 3.
राजस्थान का नामकरण कैसे हुआ?
उत्तर:
राजस्थान नाम एक लम्बी प्रक्रिया का प्रतिफल है। इस क्षेत्र में राजपूतों की लम्बे समय तक आधिपत्य की स्थिति के कारण अंग्रेजों ने इसे राजपूताना क्षेत्र कहा था। इसे रजवाड़ा भी कहा जाता था। राजाओं को उनके राज्य के आधार पर राय कहने के कारण इसका नाम रायथान पड़ा तथा कालान्तर में रायथान से इसका नाम राजस्थान हो गया।

प्रश्न 4.
राजस्थान की भौतिक विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान की निम्नलिखित भौतिक विशेषताएँ हैं-

  1. इसके पश्चिमी व उत्तरी पश्चिमी भाग में टेथीज भूसन्नति के अवशेष के रूप में मरुस्थल मिलता है।
  2. राजस्थान की अरावली पर्वतमाला तथा दक्षिणी पठारी भाग प्राचीन कालीन गौंडवाना लैंड के भू-भाग हैं।
  3. यहाँ मिलने वाली अरावली पर्वतमाला विश्व की प्राचीनतम पर्वतमाला है।
  4. यहाँ भूगर्भिक हलचलों, अनाच्छादन व जल प्रवाह के प्रभाव का परिणाम विविध प्रारूपों में देखने को मिलता है।

प्रश्न 5.
कुछ दशकों पूर्व तक अभिशाप सिद्ध हो रहा मरुस्थल वर्तमान में राजस्थान के लिए वरदान सिद्ध हो रहा है। कैसे?
उत्तर:
राजस्थान में मिलने वाली भौतिक दशाओं की प्रतिकूलता के रूप में उच्च तापमान, कम वर्षा, बालू के स्थानान्तरण व नमी के अभाव के कारण राजस्थान का यह भाग एक अनुपजाऊ व बंजर क्षेत्र के रूप में पड़ा रहने के कारण अभिशाप बना हुआ था किन्तु नवीन खनिज तेल, गैस व कोयले के भंडारों की खोज व इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना के कारण फसलोत्पादन होने से यह एक समृद्ध क्षेत्र बनकर राजस्थान के लिए वरदान सिद्ध हो रहा है।

प्रश्न 6.
उत्तरी अरावली क्षेत्र की विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
उत्तरी अरावली खण्ड की निम्न विशेषताएँ हैं-

  1. इस क्षेत्र में अरावली पर्वतमाला श्रृंखलाबद्ध न होकर छितरी हुई पहाड़ियों के रूप में पाई जाती है।
  2. इस भाग में चोटियों की ऊँचाई दक्षिणी खण्ड की तुलना में कम मिलती है।
  3. इस खण्ड में अरावली पर्वतमाला ताँबे के प्रचुर भंडारों को दर्शाती है।

प्रश्न 7.
पूर्वी मैदानी क्षेत्र की उत्पत्ति कैसे हुई है?
अथवा
राजस्थान का पूर्वी मैदान यहाँ की नदियों की देन है। कैसे?
उत्तर:
राजस्थान के पूर्वी भाग में मिलने वाले मैदान की उत्पति इस भाग में बहने वाली चम्बल, बनास, माही एवं इनकी सहायक नदियों के कारण हुई है। इस क्षेत्र की नदियों द्वारा प्रवाहन के दौरान लाये जा रहे विविध प्रकार के अवसादों का अपने जलग्रहण क्षेत्रों में जमाव किया है। नदियों के द्वारा जमे हुए इस अवसाद के कारण ही इस मैदानी भाग की उत्पत्ति हुई है। जो काँप व जलोढ़ का मुख्य जमाव स्थल बन गया है।

प्रश्न 8.
दक्षिणी-पूर्वी पठारी भाग की उत्पत्ति कैसे हुई है?
उत्तर:
राज़स्थान को दक्षिणी-पूर्वी पठारी भाग प्राचीन गौंडवांना लैण्ड का अंग है जो मुख्यत: प्राचीनकाल में हुई विर्वतनिकी प्रक्रियाओं का परिणाम है। यहाँ मिलने वाली काली मृदा की प्रधानता इस क्षेत्र के लावा जन्य होने के प्रमाण को स्पष्ट करती है।

प्रश्न 9.
राजस्थान के पठारी क्षेत्र की विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:

  1. यह पठारी भाग प्राचीन गौंडवाना लैण्ड का अंग है।
  2. इस पठारी क्षेत्र में लावा मिश्रित शैल व विन्ध्ययन शैलों को सम्मिश्रण मिलता है।
  3. इस पठारी भाग को नदियों ने अपने प्रवाहन जाले के कारण काट दिया है।
  4. इस पठारी भाग में परतदार चट्टानों के रूप में कोटा स्टोन मिलता है। जो विश्व स्तर पर अपनी ख्याति बनाये हुए है।
  5. इस पठारी भाग का ढाल दक्षिण से उत्तर-पूर्व की ओर है।

प्रश्न 10.
अपवाह तंत्र से क्या तात्पर्य है? राज़स्थान के अपवाह तंत्र को नियंत्रित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
धरातलीय भाग पर जल का बहना जल प्रवाह कहलाता है किन्तु जब जल किसी निश्चित सुव्यवस्थित प्रारूप का निर्माण करता है तो ऐसे जल प्रवाह के जाल को ही जल प्रवाह तंत्र कहते हैं। राजस्थान में जल प्रवाह का जो स्वरूप मिलता है. वह धरातल के ढाल, पर्वत, मानवीय घटकों वे वनस्पति के द्वारा नियंत्रित मिलता है।

प्रश्न 11.
राजस्थान में खारे पानी की झीलों का क्या महत्व है?
उत्तर:
खारे पानी की झीलें लवणता युक्त जल होते हुए भी उपयोगी सिद्ध हो रही हैं। इनके इस महत्व को निम्नानुसार वर्णित । किया गया है-

  1. खारे पानी की झीलें नमक उत्पादन के कारण आर्थिक रूप से लाभकारी सिद्ध हो रही हैं।
  2. राजस्थान के पश्चिमी भाग में इन झीलों के कारण इनके समीपवर्ती भागों में नमी बनी रहती है जो मृदा को सम्पृक्त रखती है।
  3. इन झीलों में समीपवर्ती क्षेत्र के लोगों को रोजगार की प्राप्ति होती है।
  4. इन झीलों के कारण ही राजस्थान के इस मरुस्थलीय भाग में सड़क मार्गों का जाल विकसित हो पाया है।

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 12 लघुत्तरात्मक प्रश्न Type II

प्रश्न 1.
राजस्थान के क्षेत्रों का प्रादेशिक आधार पर नामकरण किया गया था। स्पष्ट कीजिये।
अथवा
राजस्थान के अलग-अलग क्षेत्रों के विविध नामकरण मिलते हैं। कैसे?
अथवा
राजस्थान विविध नाम वाले क्षेत्रों का एकीकृत स्वरूप है। कैसे?
उत्तर:
राजस्थान अपनी भौगोलिक विशालता के साथ अपने प्रादेशिक नामों के लिये भी जाना जाता है। प्राचीन व मध्यकाल में राजस्थान के भिन्न-भिन्न क्षेत्र अपनी विशिष्ट प्रादेशिक पहचान बनाए हुए थे; यथा- गंगानगर एवं उसके आस-पास के क्षेत्र को यौद्धेय, नागौर के समीपवर्ती भाग को अहिच्छत्रपुर, जोधपुर-पाली वाले भाग को गुर्जरत्रा, जैसलमेर वाला भाग वल्ल/दंगल/माड के नाम से, जालौर के समीपवर्ती भाग को स्वर्णगिरी, आबू का समीपवर्ती भाग चन्द्रावती, उदयपुर व चित्तौड़गढ़ के क्षेत्र को शिव/मेदपोट/मेवाड़, डूंगरपुर व. बाँसवाड़ा के क्षेत्र को वागड़, अलवर के क्षेत्र को कुरू, भरतपुर, धौलपुर व करौली के क्षेत्र को शूरसेन या बृजभूमि, कोटा-बून्दी के क्षेत्र को हाड़ौती क्षेत्र, अलवर व जयपुर के क्षेत्र को बैराठ क्षेत्र, बीकानेर व जोधपुर के क्षेत्र को जांगले क्षेत्र, सांभर के आस-पास के क्षेत्र को शाकम्भरी क्षेत्र तथा जयपुर, दौसा व टोंक के क्षेत्र को ढूंढाड़ क्षेत्र के नाम से जाना जाता था।

प्रश्न 2.
राजस्थान की भारत के सन्दर्भ में स्थिति स्पष्ट कीजिए।
अथवा
राजस्थान का भारत के सन्दर्भ में अवस्थितिजन्य स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य है। कर्क रेखा इसके दक्षिणी छोर पर बाँसवाड़ा के पास से : गुजरती है। इसके उत्तर में पंजाब, उत्तर-पूर्व में हरियाणा, पूर्व में उत्तर प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में मध्य प्रदेश एवं दक्षिण-पश्चिम में गुजरात स्थित है। राजस्थान व पाकिस्तान के बीच 1070 किलोमीटर लम्बी अन्तर्राष्ट्रीय सीमा है जो रैडक्लिफ के नाम से जानी जाती है। गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर व बाड़मेर सीमावर्ती जिले हैं। यह पतंग के आकार में पूर्व से पश्चिम में 869 किलोमीटर लम्बा एवं उत्तर से दक्षिण में 826 किलोमीटर चौड़ा है। राजस्थान का कुल क्षेत्रफल 3.4 लाख वर्ग किलोमीटर है जो भारत के कुल क्षेत्रफल का 10.43 प्रतिशत है। यह राज्य क्षेत्रफल की दृष्टि से जर्मनी के बराबर, जापान से थोड़ा बड़ा, ग्रेट ब्रिटेन से डेढ़ गुना, श्रीलंका से 5 गुना व इजराइल से 17 गुना से भी अधिक बड़ा है।

प्रश्न 3.
राजस्थान के मरुस्थलीय प्रदेश की विशेषताएँ बताइये।
अथवा
मरुस्थल की दशाएँ विलक्षणताओं को दर्शाती हैं। कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान के पश्चिमी भाग में फैले हुए मरुस्थलीय क्षेत्र की निम्न विशेषताएँ मिलती हैं-

  1. यह टेथीज भू-सन्नति का अवशेष माना गया है।
  2. राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र में बालुका स्तूपों का स्थानान्तरण होता रहता है।
  3. इस मरुस्थलीय भाग में अनुदैर्घ्य, अनुप्रस्थ एवं बरखान बालू के टीले मिलते हैं।
  4. इस मरुस्थलीय भाग में अनेक खारे पानी की झीलें मिलती हैं।
  5. यहाँ उच्च तापमान, न्यून वर्षा व वनस्पति के अभाव की स्थिति देखने को मिलती है।
  6. यहाँ मिलने वाली अधिकांश वनस्पति घास व कंटीली झाड़ियों के रूप में पाई जाती है।
  7. राजस्थान के इस मरुस्थलीय क्षेत्र में आन्तरिक जल प्रवाह क्षेत्र व गुम्फित नदियों का स्वरूप दृष्टिगत होता है।
  8. इस क्षेत्र में रेतीली बालू मृदा का विस्तार पाया जाता है।

प्रश्न 4.
राजस्थान में मिलने वाले उच्चावचीय स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
राजस्थान में किस प्रकार उच्चावच सम्बन्धी भिन्नता देखने को मिलती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान की भौगोलिक विशालता के कारण यहाँ का उच्चावचीय स्वरूप भी भिन्न-भिन्न मिलता है। कहीं पर्वत तो कहीं पठार, कहीं मैदान तो कहीं मरुस्थल। राजस्थान में मिलने वाले इन उच्चावचीय.स्वरूपों को निम्नानुसार बाँटा गया है-

  1. अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्र,
  2. मध्यम ऊँचाई वाले क्षेत्र,
  3. कम ऊँचाई वाले क्षेत्र।

1. अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्र – राजस्थान के ऐसे क्षेत्र जिनकी ऊँचाई 600 मीटर से अधिक पायी जाती है उन्हें अधिक ऊँचे क्षेत्र कहा जाता है। राजस्थान में ऐसे क्षेत्र मुख्यतः अरावली पर्वत श्रृंखला के रूप में मिलते हैं। सबसे ऊँचा क्षेत्र अरावली के दक्षिण खण्ड में गुरु शिखर के रूप में मिलता है। इसके अलावा चम्बल के सहारे भी ऐसी स्थिति मिलती है।

2. मध्यम ऊँचाई वाले क्षेत्र – ऐसे क्षेत्र जिनकी ऊँचाई 150 मीटर से 600 मीटर तक मिलती है उन्हें इस श्रेणी में शामिल किया गया है। ऐसे क्षेत्रों में मुख्यत: गंगानगर, हनुमानगढ़, चुरू, झुन्झुनू, बीकानेर, नागौर, अधिकांश जैसलमेर, जोधपुर, बाड़मेर का अधिकांश भाग, सिरोही, डूंगरपुर, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, दौसा, टोंक, बून्दी व कोटा, जयपुर, पाली, राजसमंद, भीलवाड़ा, उदयपुर, बारां, झालावाड़, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, बाँसवाड़ा आदि जिलों के रूप में मिलता है।

3. कम ऊँचाई वाले क्षेत्र – जिन क्षेत्रों की ऊँचाई 150 मीटर से कम मिलती हैं उन्हें इस वर्ग में शामिल किया गया है।
राजस्थान में जैसलमेर जिले का पश्चिमी भाग, बाड़मेर को दक्षिणी-पश्चिमी भाग व जालौर जिला इस क्षेत्र के अन्तर्गत शामिल किय गये हैं।
राजस्थान के उच्चावचीय स्वरूप को निम्न रेखाचित्र में दर्शाया गया है।
RBSE Solutions for Class 11 Indian Geography Chapter 12 राजस्थान परिचय, भौतिक स्वरूप एवं अपवाह तंत्र 9

प्रश्न 5.
राजस्थान में मिलने वाले मैदानी भाग का महत्व स्पष्ट कीजिए।
अथवा
मैदानी भाग राजस्थान के लिए किस प्रकार उपयोगी सिद्ध हो रहा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  1. यह मैदान काँप मिट्टी से बना है अत: यह अत्यन्त उपजाऊ है।
  2. प्रतिवर्ष मिट्टी की नई परत बिछ जाने से मिट्टी की उर्वरता का प्राकृतिक रूप से नवीनीकरण होता रहता है।
  3. इस मैदान में नदियों का जाल-सा बिछा है। इनके पानी का उपयोग सिंचाई, जल परिवहन, जल-विद्युत उत्पादन तथा उद्योगों में किया जाता है।
  4. समतल मैदान होने के कारण नहरों के निर्माण एवं कुओं की खुदाई पर अधिक व्यय नहीं होता है। अत: सिंचाई के साधन सस्ते व सुलभ हैं।
  5. यह मैदान गेहूँ का प्रमुख उत्पादक क्षेत्र है।
  6. यहाँ राज्य की लगभग 39 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।
  7. समतल होने के कारण यहाँ सभी प्रकार के आवागमन के सानों का सघन जाल है।
  8. राजस्थान के अधिकांश बड़े-नगर, व्यापारिक व औद्योगिक कन्द्र इसी मैदान में स्थित हैं।
  9. इस मैदान में प्रचुर जीवनोपयोगी सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
  10. यहाँ व्यापार की सुविधाएँ सुलभ हैं।
  11. विभिन्न सुविधाओं के कारण इस क्षेत्र में औद्योगिक प्रगति को प्रोत्साहन मिला है।
  12. यहाँ कई दर्शनीय स्थल हैं।

प्रश्न 6.
राजस्थान के दक्षिणी-पूर्वी पठारी क्षेत्र के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
पठारी भाग की राजस्थान के लिए क्या उपयोगिता है?
उत्तर:
(i) गौण्डवानालैण्ड से सम्बन्धित प्राचीन कठोर पिण्ड होने के कारण यह एक स्थिर भू-भाग है जो आकस्मिक भूगर्भिक घटनाओं; जैसे- भूकम्प, ज्वालामुखी आदि से सुरक्षित है।
(i) यह क्षेत्र प्राचीन चट्टानों से बना होने के कारण खनिज पदार्थों में धनी है।
(iii) इसमें उपजाऊ काली मिट्टी मिलती है। यह मिट्टी कपास वे मूंगफली की कृषि के लिये सर्वाधिक उपयुक्त है।
(iv) जहाँ साल, सागवान तथा शीशम के बहुमूल्य वन मिलते हैं।

प्रश्न 7.
राजस्थान की जल विभाजक रेखा को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
राजस्थान का अपवाह जल विभाजक रेखा द्वारा नियंत्रित किया गया है। कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान का जल अपवाह इसके मध्यवर्ती भाग में मिलने वाली जल विभाजक रेखा द्वारा नियंत्रित मिलता है। यह जल विभाजक रेखा उत्तर में अरावली अक्ष के साथ सांभर झील के दक्षिण तक है। यहाँ से यह दक्षिण-पश्चिम की ओर ब्यावर से कुछ किलोमीटर पूर्व में होती हुई देवगढ़, कुम्भलगढ़ व उदयपुर के दक्षिण में हल्दीघाटी होते हुए उदयसागर तक आती है। आगे दक्षिण-पूर्व में बड़ी सादड़ी, छोटी सादड़ी से निकलती हुई प्रतापगढ़ तक चली जाती है। इस जल विभाजक के पश्चिम और दक्षिण भाग की नदियाँ अरब सागर में गिरती हैं। इन नदियों में लूनी, पश्चिमी बनास, साबरमती व माही मुख्य हैं। जल विभाजक के पूर्वी भाग में बनास व उसकी सहायक नदियाँ चम्बल में मिलती है। बाणगंगा नदी भी चम्बल में जाकर मिल जाती हैं। यहाँ से बनास वे चम्बल का पानी यमुना व गंगा नदियों में बहता हुआ बंगाल की खाड़ी में चला जाता है। इस प्रकार जलविभाजक राजस्थान के अपवाह को दो भागो में बाँट देता है। जो पूर्वी भाग में बंगाल की खाड़ी के अपवाह व दक्षिण-पश्चिमी भाग में अरब सागरीय अपवाह के रूप में मिलता है।

प्रश्न 8.
अरब सागरीय एवं बंगाल की खाड़ी के अपवाह की तुलना कीजिए।
अथवा
अरब सागरीय अपवाह, बंगाल की खाड़ी के अपवाह से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
अरब सागरीय एवं बंगाल की खाड़ी के अपवाह की तुलना निम्नवत् बिन्दुओं के आधार पर की गई है-

क्र.सं. तुलना का आधार अरब सागरीय अपवाह बंगाल की खाड़ी का अपवाह
1. नदियों की संख्या इस अपवाह प्रारूप में नदियों की संख्या कम है। इस अपवाह प्रारूप में नदियों की संख्या अधिक है।
2. अपवाह क्षेत्र इस अपवाह की नदियों का अपवाह क्षेत्र कम मिलता है। इस अपवाह की नदियों का अपवाह क्षेत्र अधिक मिलता है।
3. लम्बाई इस अपवाह की अधिकांश नदियों की लम्बाई कम है। इस अपवाह में अधिकांश नदियों की लम्बाई अधिक मिलती है।
4. प्रवाहन इस अपवाह की सभी नदियाँ मौसमी हैं। इस अपवाह की मुख्य नदी चम्बल वर्ष भर बहती रहती है।
5. नदियों का गिरना इस अपवाह की मुख्य नदियाँ सीधे समुद्री भाग में जाकर गिरती हैं। इस अपवाह की मुख्य नदियाँ चम्बल में मिलकर यमुना में मिल जाती हैं। यमुना गंगा में मिलकर बहती हुई अन्तत: बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं।
6. उपयोग इस अपवाह की नदियाँ कम उपयोगी सिद्ध हुई हैं। इस अपवाह की नदियों द्वारा मैदानी भाग का निर्माण करने के कारण ये अधिक उपयोगी सिद्ध हुई हैं।

प्रश्न 9.
मीठे पानी की झीलों के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
मीठे पानी की झीलों की राजस्थान के सन्दर्भ में क्या उपयोगिता है?
उत्तर:
मीठे पानी की झीलें अपने स्वच्छ व पीने योग्य पानी की स्थिति के कारण निम्न महत्वों को दर्शाती हैं-

  1. इन झीलों के पानी से पेयजल की आपूर्ति की जाती है।
  2. इन झीलों के जल का सिंचाई हेतु प्रयोग किया जाता है।
  3. ये झीलें प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण सैलानियों को आकर्षित करती हैं।
  4. इन झीलों पर नौकायन करने की स्थिति के कारण ये लाभप्रद सिद्ध हो रही हैं।
  5. इन झीलों के मध्य मिलने वाले टायूं जनसंख्या बसाव का केन्द्र बने हैं।
  6. इन झीलों के मत्स्य संसाधन की उपलब्धता ने इन्हें मानव हेतु उपयोगी बना दिया है।
  7. ये झीलें अनेक समुद्री जीवों की शरणस्थली होने के कारण जैव विविधता को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हुई हैं।

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 12 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
राजस्थान को भू-आकृतिक प्रदेशों में विभाजित करते हुए पूर्वी मैदानी भाग का विस्तृत वर्णन कीजिए।
अथवा
राजस्थान का पूर्वी मैदानी भाग अनेक नदियों के प्रवाहन की देन है, कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान एक विशाल भौगोलिक क्षेत्रफल वाला राज्य है। जिसके कारण यहाँ की भू-आकृतिक स्थिति भिन्न-भिन्न मिलती है। राजस्थान में मिलने वाली उच्चावचीय दशाओं के आधार पर राजस्थान को निम्न भू-आकृतिक प्रदेशों में बाँटा गया है-

  1. पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश,
  2. अरावली पहाड़ी प्रदेश,
  3. पूर्वी मैदानी प्रदेश,
  4. दक्षिणी-पूर्वी पठारी प्रदेश।

पूर्वी मैदानी प्रदेश का वर्णन
उत्त्पत्ति – राजस्थान के पूर्वी मैदानी भाग की उत्पत्ति इस क्षेत्र में बहने वाली नदियों के द्वारा अपने साथ बहाकर लाये गए अवसादों के जमने से हुई है।

विस्तार – राजस्थान में पूर्वी मैदानी भाग का विस्तार राज्य के कुल क्षेत्रफल के 23.9% भाग पर मिलता है। यह मैदानी क्षेत्र मुख्यत: जयपुर, दौसा, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर, टोंक, अजमेर, बूंदी, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़ व बाँसवाड़ा जिलों में फैला हुआ है। यह एक समतल मैदानी भाग है जो कॉप मृदा के जमाव के कारण उपजाऊ है।
राजस्थान के इस पूर्वी मैदानी भाग को मुख्यत: निम्न भागों में बाँटा गया है-

1. बनास बाणगंगा बेसिन – बनास व उसकी सहायक नदियों का यह मैदान दक्षिण में मेवाड़ का मैदान तथा उत्तर में मालपुरा करौली के मैदान के नाम से जाना जाता है। बेड़च, खारी, मांसी, मोरेल व बाणगंगा इत्यादि इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं। मैदान का ढाल पूर्व व उत्तर-पूर्व की ओर है। यहाँ एकल पहाड़ियाँ ऊँचाई पर टेकरीनुमा हो जाती है। इस मैदान की औसत ऊँचाई 280 मीटर से 500 मीटर के बीच है।

2. मध्य माही- छप्पन बेसिन-यह मैदान उदयुपर के दक्षिणी-पूर्वी भाग, डूंगरपुर, बाँसवाड़ा एवं चित्तौड़गढ़ के दक्षिणी भाग में 7056 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। इस मैदान की औसत ऊँचाई 200 से 400 मीटर है। सलूम्बर-सराड़ा क्षेत्र को स्थानीय भाषा में छप्पन तथा डूंगरपुर या बाँसवाड़ा क्षेत्र को बागड़ क्षेत्र कहते हैं। नदियों की अधिकता के कारण बाँसवाड़ा को सौ टापुओं का क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। माही की मुख्य सहायक नदियाँ सोम, जाखम, कागदर, झामरी आदि हैं। इस क्षेत्र में आदिवासी भील व गरासिया वालरा नामक स्थानान्तरित कृषि करते हैं।

इन दोनों प्रमुख क्षेत्रों के अलावा चम्बल नदी के द्वारा चम्बल बेसिन के रूप में भी मैदानी भाग का निर्माण हुआ है। यह मैदानी भाग मुख्यत: कोटा, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर जिलों में मुख्य रूप से फैला हुआ है। यह मैदानी क्षेत्र उत्तरी-पूर्वी राजस्थान का मुख्य उपजाऊ मैदानी क्षेत्र है।

प्रश्न 2.
राजस्थान को भौतिक प्रदेशों में बाँटते हुए दक्षिणी-पूर्वी पठारी प्रदेश का वर्णन कीजिए।
अथवा
दक्षिणी-पूर्वी पठारी क्षेत्र राजस्थान में मिलने वाला एक प्राचीनतम भूखण्ड है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
राज्ञस्थान की क्षेत्रफल सम्बन्धी विशालता के कारण यहाँ धरातलीय स्वरूप अलग-अलग रूपों में देखने को मिलते हैं। राजस्थान में मिलने वाले इन धरातलीय स्वरूपों को निम्न भागों में बाँटा गया है।

  1. पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश,
  2. अरावली पहाड़ी प्रदेश,
  3. पूर्वी मैदानी प्रदेश,
  4. दक्षिणी-पूर्वी पठारी प्रदेश।

दक्षिण – पूर्वी पठारी प्रदेश का वर्णन
उत्पत्ति – दक्षिणी-पूर्वी पठारी क्षेत्र की उत्पति प्राचीन विवर्तनिकी प्रक्रियाओं से ज्वालामुखी के उद्गार व उससे निकले लावा के कारण हुई है। राजस्थान का यह भू-आकृतिक प्रदेश प्राचीन गौंडवानालैण्ड का अंग है।

विस्तार – यह भौतिक प्रदेश राजस्थान के दक्षिणी-पूर्वी भाग में फैला हुआ है। इस पठारी क्षेत्र के द्वारा राजस्थान का लगभग 9 प्रतिशत क्षेत्र घेरा गया है। इस क्षेत्र में मुख्यत: कोटा, बून्दी, झालावाड़ एवं चित्तौड़गढ़ जिले के पूर्वी भाग को शामिल किया जाता है। इस पठारी भाग में लावा मिश्रित शैल वे विन्ध्ययन शैलों को सम्मिश्रण मिलता है। इस पठारी भाग की समुद्र तल से औसत ऊँचाई 500 मीटर मिलती है। इस पठारी भाग में चम्बल, पार्वती, कालीसिन्ध, परवन आदि नदियाँ प्रवाहित होती हैं। राजस्थान के इस पठारी क्षेत्र को चट्टानों की संरचना के आधार पर निम्न भागों में बाँटा गया है-

  1. विन्ध्ययन कगार भूमि क्षेत्र,
  2. दक्कन का लावा पठार।

1. विन्ध्ययन कगार – यह कगार मुख्य रूप से बलुआ व चूना पत्थरों से बना है। इसकी औसत ऊँचाई 350 से 550 मीटर के बीच है। कगारों का मुख बनास व चम्बल नदी के बीच क्रमबद्ध दक्षिण-पूर्व एवं पूर्व दिशा की ओर है। उत्तर में चम्बल के सहारे-सहारे ये सवाई माधोपुर, करौली व धौलपुर क्षेत्र में फैले हुए हैं।

2. दक्कन लावा पठार – यह दक्षिणी पूर्वी राजस्थान का चौड़ा व ऊपर उठा पथरीला भू-भाग है। यह बलुआ पत्थर व चूना पत्थर चट्टानों से निर्मित है। इसका पूर्वी व दक्षिणी भाग लावा से ढका है। यहाँ पर उपजाऊ काली मिट्टी पाई जाती है। चम्बल व उसकी सहायक काली सिन्ध व पार्वती नदियों ने कोटा में एक त्रिकोणीय जलोढ़ मैदान की रचना की है। इस क्षेत्र में पत्थरों के जमाव दृष्टिगत होते हैं जिनमें कोटा स्टोन का मुख्य स्थान है। यह पत्थर वर्तमान में वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है।

प्रश्न 3.
राजस्थान में मिलने वाली झीलों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान में मिलने वाली झीलें खारे व मीठे पानी के रूप में मिलती हैं। इन झीलों का संक्षिप्त वर्णन निम्नानुसार है-

  1. खारे पानी की झीलें
  2. मीठे पानी की झीलें

1. खारे पानी की झीलें – खारे पानी की झीलों का वितरण राजस्थान के पश्चिमी मरुस्थलीय क्षेत्र व अन्त:स्थलीय प्रवाह वाले क्षेत्रों में मिलता है। ये झीलें प्राकृतिक एवं छिछली हैं।

(क) सांभर झील – सांभर नामक झील भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। यह झील जयपुर, अजमेर व नागौर जिलों के बीच स्थित है। जयपुर जिले में शामिल की जाने वाली यह झील 145 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है। यह झील 32 किलोमीटर लम्बी व 12 किलोमीटर चौड़ी है। इस झील से हिन्दुस्तान साल्ट लिमिटेड नामक कम्पनी द्वारा नमक का उत्पादन किया जाता है। यह कम्पनी भारत सरकार का एक उपक्रम है।

(ख) डीडवाना झील-यह नागौर जिले के डीडवाना नगर के समीप 4 किमी लम्बी झील है।
(ग) पंचपद्रा झील-यह झील बाड़मेर जिले के पंचपद्रा नामक स्थान पर है। यह लग्भग 25 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है।
(घ) लूणकरणसर झील-यह झील बीकानेर के लूणकरणसर नामक स्थान पर है। इन प्रमुख झीलों के अलावा अन्य खारे पानी की झीलों में फलौदी (जोधपुर), कावोद (जैसलमेर), कुचामन (नागौर),
तालछापर (चूरू) आदि प्रमुख झीलें हैं।

2. मीठे पानी की झीलें-राजस्थान में मीठे पानी की झीलें मुख्यत: पेयजल व सिंचाई के काम आती हैं। राजस्थान में मिलने वाली मीठे पानी की झीलों में मुख्यतः जयसमंद (उदयपुर), राजसमंद (राजसमंद), पुष्कर (अजमेर), सिलीसेढ़ (अलवर), रामगढ़ (जयपुर), कोलायत (बीकानेर), नक्की (माउंट आबू), कायलाना (जोधपुर), पिछौला, आनासागर आदि प्रमुख हैं। इनमें से कुछ मुख्य झीलों का वर्णन निम्नानुसार है-

(क) जयसमंद झील – राणा जयसिंह द्वारा 1685-1691 में गोमती नदी पर बाँध बनाकर इस झील का निर्माण किया गया। यह उदयपुर जिले में स्थित है। इसकी लम्बाई 15 किलोमीटर व चौड़ाई 2.8 किलोमीटर है। इसका कुल क्षेत्रफल 55 वर्ग किलोमीटर है। इसे ढेबर झील भी कहते हैं।
(ख) राजसमंद झील-महाराणा राजसिंह द्वारा 1662 में निर्मित यह झील कांकरोली रेलवे स्टेशन के समीप है। यह झील लगभग 6.5 किमी लम्बी व 3 किमी चौड़ी है।
(ग) पिछौला झील-राणा लाखा के शासन काल में एक बनजोर द्वारा इस झील का निर्माण कराया गया था। यह उदयपुर के पश्चिमी भाग में पिछौली नामक गाँव में स्थित है। यह 7 किमी चौड़ी है।
(घ) आनासागर झील – अजमेर में दो पहाड़ियों के मध्य स्थित है। यह एक सुन्दर कृत्रिम झील है। इसे 1137 में आनाजी ने बनवाया था।
(ङ) सिलीसेढ झील – यह झील अलवर जिले में स्थित है। यह 10 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली हुई है।
(च) कोलायत झील – बीकानेर से लगभग 48 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यहाँ कपिल मुनि का आश्रम था।
(छ) पुष्कर झील – अजमेर से 11 किमी दूर स्थित यह झील पुष्कर नामक स्थान पर है। यहाँ ब्रह्मा जी का सबसे प्राचीन मन्दिर है। इस झील के चारों ओर घाट बने हुए हैं।

राजस्थान की प्रमुख झीलों को निम्न रेखाचित्र के माध्यम से दर्शाया गया है-
RBSE Solutions for Class 11 Indian Geography Chapter 12 राजस्थान परिचय, भौतिक स्वरूप एवं अपवाह तंत्र 10

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