Rajasthan Board RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 2 भारत की विविधताओं में एकता
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 2 पाठ्य पुस्तक के अभ्यास प्रश्न
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 2 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
हमारे देश का प्राचीनतम स्थलाकृतिक स्वरूप है-
(अ) थार का मरुस्थल
(ब) तटीय मैदान
(स) दक्षिण का पठार
उत्तर:
(स) दक्षिण का पठार
प्रश्न 2.
भारत में प्रचलित विभिन्न प्रकार की कृषि में प्राथमिक रूप है-
(अ) स्थानान्तरित
(ब) बागाती
(स) व्यापारिक
(द) हिमालय
(द) मिश्रित
उत्तर:
(अ) स्थानान्तरित
प्रश्न 3.
भारत में शीतकालीन मानसून जिस दिशा में चलते हैं, वह है-
(अ) स्थल से जल की ओर
(ब) जल से स्थल की ओर
(स) पश्चिम से पूर्व
(द) दक्षिण से उत्तर
उत्तर:
(अ) स्थल से जल की ओर
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 2 अतिलघूतात्मक प्रश्न
प्रश्न 4.
हमारे देश में पाई जाने वाली किसी अवशिष्ट श्रेणी नाम बताइये।
उत्तर:
हमारे देश में मिलने वाली अवशिष्ट श्रेणियों में सबसे महत्त्वपूर्ण श्रेणी अरावली श्रेणी है।
प्रश्न 5.
भारत में नवीनतम निक्षेप जिन स्थालाकृतिक प्रदेशों में पाये जाते हैं उनके नाम बताइये।
उत्तर:
भारत में नवीनतम निक्षेप विशाल गंगा-सतलज के मैदान, नदियों के डेल्टाओं तथा बाढ़ निर्मित मैदानी क्षेत्रों में पाये जाते हैं।
प्रश्न 6.
हमारे देश में नवीन मोड़दार पर्वतीय क्रम से सम्बन्धित कौन-सी श्रृंखला है?
उत्तर:
भारत में नवीन मोड़दार पर्वतीय क्रम से सम्बन्धित हिमालय पर्वत श्रृंखला मिलती है।
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 2 लघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 7.
हमारे देश में ऋतु के अनुसार पवनों की दिशा में विपरीत परिवर्तन क्यों होता है?
उत्तर:
तापमान व वायुदाब में मिलने वाले विपरीत सम्बन्ध के कारण ग्रीष्म व शीतकालीन ऋतु में उच्चदाब व न्यूनदाब की स्थितियों में परिवर्तन होता रहता है। पवनें सदैव उच्च वायुदाब क्षेत्र से न्यून वायुदाब क्षेत्र की ओर परिसंचरित होती हैं। इसी कारण मौसम के अनुसार पवनों की दिशा में भी विपरीत परिवर्तन होता है। ग्रीष्मकाल में पवनें सागर से स्थल की ओर तथा शीतकाल में स्थल से सागर की ओर चलती हैं।
प्रश्न 8.
थार के मरुस्थल में ग्रीष्मऋतु में न्यून वायुदाब क्यों विकसित होता है?
उत्तर:
तापमान का वायुदाब से प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है। जहाँ तापमान अधिक होता है वहाँ न्यून वायुदाब जबकि जहाँ तापमान कम होता है वहाँ उच्च वायुदाब मिलता है। भारत के पश्चिमी भाग में स्थित थार का मरुस्थल रेतीली मृदा के विस्तार को दर्शाता है। ग्रीष्म ऋतु में इस मरुस्थलीय भाग में उच्च तापमान पाया जाता है क्योंकि दिन के समय स्थलीय भाग शीघ्रता से व अधिक गर्म हो जाता है तापमान की उच्च स्थिति के कारण विपरीत सम्बन्ध के रूप में थार के मरुस्थल में न्यून वायुदाब का केन्द्र विकसित हो जाता हैं।
प्रश्न 9.
भारत में संचार के साधनों से सम्बन्धित क्या विविधताएँ पाई जाती हैं?
उत्तर:
भारत एक विविधताओं से युक्त देश है। जहाँ अन्य विविधताओं के साथ-साथ संचार सम्बन्धी विविधताओं को मिलना : स्वाभाविक है। इन विविधताओं में पिछड़े क्षेत्र में मिलने वाली जनजातियों द्वारा प्रयुक्त ढोल बजाकर या विभिन्न तरह की आवाज निकालकर किये जाने वाले सम्प्रेषण से लेकर वर्तमान में विकसित क्षेत्रों में प्रयुक्त होने वाले टेलीफोन, मोबाइल फोन, टेलीग्राफ, फैक्स, रेडियो, टेलीविजन व इन्टरनेट का प्रारूप दिखाई देता है। इन सभी संचार माध्यमों के प्रयोग में भी प्रादेशिक आधार पर भिन्नताएँ देखने को मिलती हैं, जो संचार की विविधताओं को दर्शाती हैं।
प्रश्न 10.
भारत में जलीय आवश्यकताओं की विविधता से क्या आशय है?
उत्तर:
भारत एक कृषि प्रधान देश होने तथा मानसूनी जलवायु के कारण कृषि सम्बन्धी कार्यों हेतु सम्पूर्ण देश में पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध नहीं है। इसी कारण जलीय आवश्यकताओं में व्यापक भिन्नताएँ मिलती हैं। जलीय आवश्यकता वर्षा की विषमता पर निर्भर करती है। जिन क्षेत्रों में वर्षा की विषमतो सबसे अधिक होती है उन क्षेत्रों में जलीय आवश्यकता भी सबसे अधिक होती है। जिसका प्रमुख कारण वर्षा के औसत का कम मिलना है। इसके विपरीत जिन क्षेत्रों में वर्षा की विषमता कम मिलती है वहाँ उतनी ही कम जलीय आवश्यकता होती है। भारत के पर्वतीय, मैदानी, पठारी व मरुस्थलीय क्षेत्रों में वर्षा का वितरण असमान होने से इन सभी क्षेत्रों की जलीय आवश्यकताएँ भी भिन्न-भिन्न होती हैं।
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 2 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 11.
भारत में प्राकृतिक विविधताओं पर एक लेख लिखिये।
उत्तर:
भारत एक विशाल भौगोलिक क्षेत्रफल वाला देश है। इस सम्पूर्ण भारतीय क्षेत्र में प्राकृतिक दशाओं का जो स्वरूप दृष्टिगत होता है उसमें प्रादेशिक आधार पर विविधताओं का मिलना एक सहज एवं स्वाभाविक स्थिति है। सम्पूर्ण भारत में जो प्राकृतिक विविधताएँ पाई जाती हैं उनको अग्र तालिका के द्वारा दर्शाया गया है-
1. स्थलाकृतिक विविधता-भारत में मिलने वाली धरातलीय स्थलाकृतियाँ अलग-अलग स्वरूपों को दर्शाती हैं। भारत में कहीं गगनचुम्बी एवं उच्च हिमाच्छादित पर्वत श्रेणियाँ मिलती हैं तो कहीं नदी निर्मित मैदानी भाग, कही संकीर्ण घाटियाँ मिलती हैं तो कहीं पर अवशिष्ट पर्वतीय भाग, कहीं मरुस्थल तो कहीं द्वीपीय भाग। इन सभी स्वरूपों में भारत में स्थलाकृतिक भिन्नताएँ मिलती हैं।
2. संरचनात्मक विविधता- भारत के धरातलीय स्वरूपों का निर्माण भी विभिन्न युगों की शैल संरचनाओं को दर्शाता है। एक ओर दक्षिण का पठार विश्व के प्राचीनतम पठारों में से एक है वहीं अरावली विश्व की प्राचीनतम पर्वत श्रृंखलाओं में गिनी जाती है। हिमालय नवीन मोड़दार पर्वत क्रम को तो नदी निर्मित मैदानी भाग व डेल्टाई क्षेत्र नवीन निक्षेपों को दर्शाते हैं।
3. जल प्रवाह सम्बन्धी विविधता-धरातलीय ढाल व मानसूनी जलवायु के कारण जल प्रवाह भी विविधताओं को दर्शाता है, कहीं सतत् प्रवाह वाली तो कहीं मौसमी नदियाँ मिलती हैं। नदियों को जल की प्राप्ति भी कहीं वर्षा से तो कहीं हिम के पिघलने से होती है। झीलें भी कहीं मीठी तो कहीं खारे पानी के स्वरूप को दर्शाती हैं।
4. जलवायु सम्बन्धी विविधता- भारत में जलवायु सम्बन्धी विविधताओं में ऋतुगत परिवर्तन का होना, तापमान का कम या ज्यादा मिलना, वायुदाब वे पवनों में परिवर्तन का होना, वर्षा के क्षेत्रीय वितरण में असमानताओं को मिलना आदि मुख्य विविधताएँ हैं।
5. जलीय आवश्यकता की विविधता-वर्षा की प्रकृति के आधार पर वर्षा की विषमता से जलीय आवश्यकताएँ भी भिन्न-भिन्न मिलती हैं। कहीं सूखे तो कहीं पर बाढ़ की स्थिति दिखाई देती है।
6. मृदा सम्बन्धी विविधता-भारतीय मृदाओं के संगठन, उनकी संरचना व निर्माण की विविधताएँ मृदाओं के काले, लाल, पीले, काँप, भूरे, बलुई, चीका, लैटेराइट आदि स्वरूप हेतु उत्तरदायी हैं। मृदाओं को उपजाऊपन भी भिन्नताओं को दर्शाता है।
7. वनस्पति सम्बन्धी विविधता- भारत में कहीं सदाबहार तो कहीं पर्णपाती, कहीं शुष्क कंटीले वन तो कहीं ज्वारीय वन, कहीं पर्वतीय तो कहीं पर घास के रूप में मिलने वाले वनस्पति प्रारूप वनस्पति की प्रादेशिक विविधता को दर्शाते हैं।
प्रश्न 12.
भारत में आर्थिक विविधताएँ बताते हुए उनकी एकता का स्पष्टीकरण दीजिए।
उत्तर:
किसी राष्ट्र की आर्थिक दशा उसके विकास व पिछड़ेपन का मुख्य घटक होती है। आर्थिक दशाओं की सम्पन्नता विकास का आधार होती है। भारत में आर्थिक विविधताओं का जो स्वरूप दृष्टिगत होता है उसे निम्न भागों में वर्गीकृत किया गया है-
1. कृषि सम्बन्धी विविधता – भारत में अनेक कृषि प्रारूप मिलते हैं। जिनमें स्थानान्तरित कृषि, बागाती कृषि, व्यापारिक कृषिव जीवन निर्वाहक कृषि तथा मिश्रित कृषि प्रमुख है। कृषि प्रक्रिया में फसलें भी गेहूं, चावल, कपास, मक्का, चाय, कॉफी, जूट के रूप में अलग-अलग मिलती हैं। कृषि में कार्य करने के तरीकों में भी अन्तर मिलता है।
2. सिंचाई के साधन सम्बन्धी विविधता-सिंचाई की प्रक्रिया हेतु कहीं नहरों का प्रयोग होता है तो कहीं पर कुएँ, तालाब व नलकूप प्रयुक्त किये जाते हैं। वर्षा की प्रकृति के अनुसार ही सिंचाई की प्रक्रिया निर्धारित होती है।
3. ऊर्जा के संसाधनों की विविधता – भारत में ऊर्जा के स्रोतों व उनके प्रयोग में प्राच्यकालीन कोयले से लेकर जल विद्युत, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस, परमाणु ऊर्जा, सौर ऊर्जा आदि विविध स्वरूप दृष्टिगत होते हैं।
4. खनिज सम्बन्धी विविधता – भारत खनिजों के वितरण व उनके प्रयोग में विविधता मिलती है, कुछ खनिजों में भारत को एकाधिकार प्राप्त है तो कुछ खनिजों में पिछड़ा हुआ है। खनिजों का कहीं धात्विक तो कहीं अधात्विक व कहीं शक्ति के स्वरूप में वितरण मिलता है।
5. औद्योगिक विविधता-हमारे देश में उद्योगों के नियंत्रक कारकों के अनुसार उद्योगों का स्वरूप कुटीर, लघु व वृहद के रूप में मिलता है।
6. आवागमन साधनों सम्बन्धी विविधता–आवागमन के साधनों की यह विविधता साइकिल, रिक्शा, तांगे, बैलगाड़ी, बस, कार, रेल, वायुयानों के साथ-साथ आज भी ऊँटगाड़ी, बैलगाड़ी व टैक्सियों के स्वरूप को दर्शाती है।
7. संचार के साधन सम्बन्धी विविधता-संचार के पुरातन व नवीन विकसित दोनों प्रारूप देखने को मिलते हैं। एक ओर आज भी ढोल बजाकर या आवाज निकालकर सम्प्रेषण किया जाता है तो वहीं दूसरी ओर मोबाइल फोन, फैक्स, रेडियो, टेलीविजन, इन्टरनेट के रूप में आधुनिक साधनों का प्रयोग हो रहा है।
आर्थिक एकता का स्वरूप – भारत में इतनी अधिक आर्थिक विविधताएँ होते हुए भी आर्थिक एकता का स्वरूप दृष्टिगत होता है। यथा- अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए सभी लोग विभिन्न कार्यों में संलग्न मिलते हैं। सभी के द्वारा कृषि की प्रक्रिया जीवनयापन हेतु की जाती है। सभी लोग आर्थिक सुरक्षा को बनाये रखने हेतु प्रयत्नशील रहते हैं। लोगों द्वारा किये कार्यों से प्राप्त पूँजी से सभी का उद्देश्य अपना विकास करना होता है जो राष्ट्रीय विकास में सहायक सिद्ध होता है। सम्पूर्ण भारत में एक समान मुद्रा प्रारूप इसको एकता के सूत्र में बाँधता है।
आंकिक प्रश्न
प्रश्न 13.
जलीय आवश्यकताओं से सम्बन्धी विविधताओं को भारत के रूपरेखा मानचित्र में प्रदर्शित कीजिये।
उत्तर:
प्रश्न 14.
भारत के रूपरेखा मानचित्र में स्थानान्तरित कृषि एवं ज्वार, बाजरा की कृषि के क्षेत्र प्रदर्शित कीजिये।
उत्तर:
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 2 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 2 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत का सर्वोच्च स्थलाकृतिक स्वरूप कहाँ मिलता है?
(अ) उत्तरी सीमा पर
(ब) दक्षिण सीमा पर
(स) पूर्वी सीमा पर
(द) पश्चिमी सीमा पर
उत्तर:
(अ) उत्तरी सीमा पर
प्रश्न 2.
ग्रीष्म ऋतु में उच्चतम वायुदाब कहाँ मिलता है?
(अ) थार के मरुस्थल में
(ब) सागरीय क्षेत्र में
(स) पर्वतीय भागो में
(द) दक्षिण के पठारे पर
उत्तर:
(ब) सागरीय क्षेत्र में
प्रश्न 3.
ग्रीष्म ऋतु में पवनें कहाँ की ओर चलती हैं?
(अ) स्थल से सागर की ओर
(ब) सागर से स्थल की ओर
(स) उत्तर से दक्षिण की ओर
(द) पश्चिम से पूर्व की ओर
उत्तर:
(ब) सागर से स्थल की ओर
प्रश्न 4.
भारत में सर्वाधिक वर्षा कहाँ होती है?
(अ) लद्दाख में
(ब) राजस्थान में
(स) मॉसिनराम में
(द) चेन्नई में
उत्तर:
(स) मॉसिनराम में
प्रश्न 5.
यदि किसी क्षेत्र में वर्षा का औसत 10 सेमी है तथा वहाँ किसी वर्ष यदि 15 सेमी वर्षा हो जाती है तो वर्षा की विषमता क्या होगी?
(अ) 4 प्रतिशत
(ब) 5 प्रतिशत
(स) 6 प्रतिशत
(द) 8 प्रतिशत
उत्तर:
(ब) 5 प्रतिशत
प्रश्न 6.
सबसे उपजाऊ मिट्टी कौन-सी है?
(अ) लैटराइट मिट्टी
(ब) चीका मिट्टी
(स) बलुई मिट्टी
(द) काँप व काली मिट्टी
उत्तर:
(द) काँप व काली मिट्टी
प्रश्न 7.
भारत में उष्ण-आर्दै सदाबहार वन कहाँ पाये जाते हैं?
(अ) उत्तरी पर्वतीय प्रदेशों में
(ब) पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढालों पर
(स) शुष्क मरुस्थलीय भाग में।
(द) पूर्वी घाट समूह में
उत्तर:
(ब) पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढालों पर
प्रश्न 8.
भारत में स्थानान्तरित कृषि को अन्य किस प्रमुख नाम से जाना जाता है?
(अ) बागाती कृषि
(ब) मिश्रित कृषि
(स) शूमिंग कृषि
(द) सोपानी कृषि
उत्तर:
(स) शूमिंग कृषि
प्रश्न 9.
निम्न में से जो उष्णकटिबन्धीय फसल है, वह है
(अ) गेहूँ
(ब) ज्वार
(स) मक्का
(द) चावल
उत्तर:
(द) चावल
सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न
स्तम्भ अको स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए
स्तम्भ अ | स्तम्भ ब |
(i) ज्वार-नदमुख | (अ) ईसाइयों का प्रमुख |
(ii) त्यौहार सांभर | (ब) शुष्क प्रदेशीय फसल |
(iii) काल बैशाखी | (स) खारे पानी की झील |
(iv) ज्वार | (द) नर्मदा व ताप्ती नदियाँ |
(v) क्रिसमस | य पश्चिमी बंगाल |
उत्तर:
(i) द (ii) स (iii) य (iv) ब (v) अ
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 2 अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत की विलक्षणता क्या है?
उत्तर:
अनेक विविधताओं से युक्त होते हुए भी विविधताओं में एकता भारत की मुख्य विलक्षणता है।
प्रश्न 2.
भारतीय विविधताओं को मुख्यतः कितने वर्गों में बाँटा गया है?
उत्तर:
भारतीय विविधताओं को मुख्यत: तीन वर्गों के रूप में प्राकृतिक विविधताओं, आर्थिक विविधताओं तथा जनसांख्यिकीय विविधताओं में बाँटा गया है।
प्रश्न 3.
भारत में विशाल मैदानी भाग कहाँ फैला हुआ मिलता है?
उत्तर:
भारत में विशाल मैदानी भाग उत्तरी पर्वतीय प्रदेश के गिरिपदीय क्षेत्र व दक्षिण के पठार के मध्य फैला हुआ मिलता है।
प्रश्न 4.
भारत में मिलने वाली अवशिष्ट पर्वत श्रेणियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत की प्रमुख अवशिष्ट पर्वत श्रेणियों में अरावली, विन्ध्याचल और सतपुड़ा पर्वत श्रेणियाँ प्रमुख हैं।
प्रश्न 5.
मौसमी नदियों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
ऐसी नदियाँ जो केवल वर्षाकाल में वर्षा से प्राप्त जल से ही प्रवाहित होती हैं, उन्हें मौसमी नदियाँ कहा जाता है।
प्रश्न 6.
सदानीरा नदियाँ क्या हैं?
अथवा
बारहमासी व नित्यवाही नदियाँ क्या होती हैं?
उत्तर:
ऐसी नदियाँ जो हिमालय पर्वतीय क्षेत्र से निकलती हैं, जिन्हें हिम के पिघलने से वर्ष भर पानी प्राप्त होता रहता है। ऐसी वर्ष भर बहने वाली नदियाँ सदानीरा/बारहमासी/नित्यवाही नदियाँ कहलाती हैं।
प्रश्न 7.
राजस्थान की प्रमुख खारे पानी की झीलें कौन-सी हैं?
उत्तर:
राजस्थान की प्रमुख खारे पानी की झीलों में सांभर, डीडवाना, लूणकरणसर, पंचपद्रा, डेगाना, फलौदी व परबतसर प्रमुख हैं।
प्रश्न 8.
तापमान व वायुदाब में कैसा सम्बन्ध मिलता है?
उत्तर:
तापमान व वायुदाब में सदैव विपरीत सम्बन्ध पाया जाता है यदि तापमान अधिक मिलता है तो वायुदाब कम और यदि तापमान कम मिलता है तो वायुदाब अधिक पाया जाता है।
प्रश्न 9.
भारत में ग्रीष्म कालीन मानसून से कितनी वर्षा होती है?
उत्तर:
भारत में ग्रीष्म कालीन मानसून से कुल वर्षा का 90 प्रतिशत भाग प्राप्त होता है।
प्रश्न 10.
वर्षा की विषमता से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
किसी क्षेत्र में औसत वार्षिक वर्षा से कम या अधिक होने वाली वर्षा की मात्रा को वर्षा की विषमता कहते हैं।
प्रश्न 11.
जलीय आवश्यकता सबसे अधिक कहाँ मिलती है?
उत्तर:
चिन क्षेत्रों में वर्षा की विषमता सबसे अधिक होती है वहाँ पर जलीय आवश्यकता सर्वाधिक मिलती है।
प्रश्न 12.
हमारे देश में मिलने वाली मुख्य मृदाएँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
हमारे देश में मिलने वाली मुख्य मृदाओं में काँप, काली, लाल, पीली, भूरी, बलूई, चीका व लैटेराइट मृदाओं को शामिल किया गया है।
प्रश्न 13.
औसत वार्षिक वर्षा से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
किसी क्षेत्र में बारहमाह के दौरान होने वाली कुल वर्षा की मात्रा को महीनों की संख्या से विभाजित करने पर प्राप्त मात्रा औसत वार्षिक वर्षा कहलाती है।
प्रश्न 14.
काल बैशाखी क्या है?
उत्तर:
ग्रीष्म ऋतु के दौरान असम व बंगाल में तीव्र हवाओं के साथ होने वाली वर्षा को काल बैशाखी कहते हैं।
प्रश्न 15.
आम्र बौछार (Mango showers) से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
ग्रीष्म ऋतु के दौरान दक्षिण भारत में होने वाली वर्षा को आम्र वर्षा या आम्र बौछारों के नाम से जाना जाता है। यह वर्षा आम की फसल हेतु लाभकारी होती है।
प्रश्न 16.
भारत में मानसून के आगमन व निर्वतन का समय क्या है?
उत्तर:
भारत में मानसून का आगमन मुख्यत: जून के प्रथम सप्ताह में होता है जबकि निवर्तन 1-15 दिसम्बर तक होता है।
प्रश्न 17.
भारत में उत्तरी पर्वतीय प्रदेश में किस प्रकार की वनस्पति मिलती है?
उत्तर:
भारत के उत्तरी पर्वतीय प्रदेशों में ऊँचाई पर नुकीली पत्ती वाले वन एवं निचले ढालों पर चौड़ी पत्ती वाले वन पाये जाते हैं।
प्रश्न 18.
भारत का कौन सा उष्ण-शुष्क क्षेत्र पूर्णतः वनस्पति रहित है?
उत्तर:
भारत के पश्चिमी भाग में स्थित राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित सम नामक क्षेत्र पूर्णत: वनस्पति विहीन क्षेत्र है।
प्रश्न 19.
झूमिंग कृषि क्या है?
उत्तर:
भारत में स्थानान्तरित कृषि को ही पूर्वी राज्यों विशेषतः आसाम में झुमिंग कृषि के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 20.
भारत में उत्पादित उष्णकटिबंधीय फसलों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत में उत्पादित की जाने वाली उष्ण कटिबंधीय फसलों में मुख्यत: चावल, चाय, कॉफी, जूट एवं गन्ना प्रमुख हैं।
प्रश्न 21.
भारत में तीन कौन-से ऊर्जा के स्रोतों के विकसित होने की विपुल सम्भावनाएँ हैं?
उत्तर:
भारत में परमाणु ऊर्जा, सौर ऊर्जा, बायो ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा स्रोतों के विकास की विपुल सम्भावनाएँ हैं।
प्रश्न 22.
प्रकृति ने हमारे देश को कौन-सा अनुपम उपहार दिया है?
उत्तर:
प्रकृति ने हमारे देश को सबसे अधिक अनुपम उपहार विविधता में एकता के रूप में दिया है।
प्रश्न 23.
हमारी राष्ट्रीय शक्ति किसमें निहित है?
उत्तर:
हमारी राष्ट्रीय शक्ति हमारी एकता में ही निहित है।
प्रश्न 24.
एकता से हमें क्या-क्या लाभ हैं?
उत्तर:
एकता से ही हमें हमारी शक्ति, सामर्थ्य, राजनैतिक स्वतन्त्रता एवं आर्थिक सम्पन्नता, सामाजिक आर्थिक सुरक्षा व राष्ट्रीय गौरव जैसे लाभ प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 25.
अनुपम एकता को सदैव बनाए रखना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
यदि हमें सम्पन्नता एवं गौरव के साथ रहना है और अपने देश को सशक्त और सम्पन्न बनाना है तो इस अनुपम एकता को बनाये रखना आवश्यक है।
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 2 लघूत्तात्मक प्रश्न Types I
प्रश्न 1.
भारत विश्व में सांस्कृतिक दृष्टि से विशिष्ट स्थान क्यों रखता है?
उत्तर:
भास्त एक विविधताओं वाला राष्ट्र है जिसमें मानव उससे जुड़ी हुई अनेक सांस्कृतिक दशाएँ; यथा- लोगो का जीवन स्तर, वेशभूषा, भाषा, बोली, गीत-संगीत, रीति-रिवाज, भोजन, सामाजिक व्यवहार, धार्मिक आस्थाएँ, पूजा-पाठ की विधियाँ आदि विविधता युक्त पक्षों को प्रदर्शित करते हैं। लोगों की अभिव्यक्तियाँ व उच्चारण शैली भी प्रादेशिक आधार पर भिन्न-भिन्न स्वरूपों को दर्शाती हैं। इन सभी विविधताओं से भारत में एक रंग-बिरंगे स्वरूप का निर्माण होता है जो इसे विशिष्ट स्थान प्रदान करने में मुख्य भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 2.
स्थलाकृतिक विविधताएँ प्राचीन काल से ही भारत के लिए महत्वपूर्ण रही हैं, कैसे?
अथवा
उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र का भारत में अहम् स्थान क्यों रहा है?
उत्तर:
स्थलाकृतिक विविधताओं के प्राचीन काल से ही महत्वपूर्ण होने के निम्नवत् कारण रहे हैं-
- प्राचीन काल से ही हिमालय पर्वत एकान्त स्थल होने के कारण सन्त-महात्माओं का साधना स्थल रहा है।
- हिमालय से निकलने वाली नदियाँ जल प्राप्ति का एक मुख्य स्रोत हैं।
- उच्च हिमाच्छादित एवं चित्ताकर्षक पर्वत श्रेणियाँ पर्यटकों को मनोरम दृश्य उपलब्ध कराती हैं।
- ये हिमाच्छादित चोटियों वाले भाग ग्रीष्म ऋतु की झुलसती गर्मी में आनन्द एवं सुख की अनुभूति कराते हैं।
प्रश्न 3.
भारत में जल प्रवाह की विविधता के लिए उत्तरदायी कारक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
भारत में जल प्रवाह की विविधता हेतु निम्नलिखित कारक उत्तरदायी हैं-
- भारत की जलवायु का मानसूनी स्वरूप मिलना।
- वर्षाकाल की अवधि का छोटा होना।
- वर्षा का अनियमित वितरण प्रारूप।
- धरातलीय ढाल की स्थिति।
- प्राकृतिक व मानवीय घटकों द्वारा होने वाला अवरोधन।
- जल प्राप्ति स्रोतों की स्थाई एवं अस्थाई प्रवृति।
प्रश्न 4.
भारत में ग्रीष्म व शीत ऋतु में तापमान के वितरण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में तापमान का वितरण शीत एवं ग्रीष्म ऋतु में असमान मिलता है। ग्रीष्म में तापमान सर्वाधिक थार के मरुस्थल में पाया जाता है जहाँ कई स्थानों पर तापमान 45° सेल्शियस तक पहुँच जाता है। इस ऋतु में सामान्यत: दक्षिण की ओर तथा तटीय क्षेत्रों की ओर तापमान कम होता जाता है जहाँ तापमान 28 से 30° सेल्शियस तक मिलता है। इसके विपरीत शीत ऋतु में उत्तरी भारत में तापमान कई स्थानों पर शून्य से नीचे चला जाता है तथा दक्षिण व तटीय भागों में यह 25 से 30 तक मिलता है।
प्रश्न 5.
सूखा प्रवृत व बाढ़ प्रवृत क्षेत्र में क्या अन्तर है?
उत्तर:
सूखा प्रवृत व बान्ह प्रवृत क्षेत्र में निम्नलिखित अन्तर है-
सूखा प्रवृत क्षेत्र | बाढ़ प्रवृत क्षेत्र |
(i) ऐसे क्षेत्र वर्षा के अभाव को दर्शाते हैं। | (i) ऐसे क्षेत्रों में वर्षा की अधिकता का स्वरूप दृष्टिगत होता है। |
(ii) इस प्रकार के क्षेत्र प्रायः ताप की अधिकता व नमी के। | (ii) इस प्रकार के क्षेत्र धरातलीय ढाल की प्रबलता के पूर्ण अभाव के कारण वनस्पति विहीन हो जाते हैं। कारण तीव्र जल प्रवाहन क्षेत्र में परिवर्तित हो जाते हैं। |
(iii) ऐसे क्षेत्र मुख्यत: राजस्थान, महाराष्ट्र व कर्नाटक के शुष्क क्षेत्रों में मिलते हैं। | (iii) ऐसे क्षेत्र मुख्यत: बिहार, पश्चिमी बंगाल व असम में दृष्टिगत होते हैं। |
प्रश्न 6.
भारत में कौन-कौन सी कृषि पद्धतियाँ दृष्टिगत होती हैं?
उत्तर:
भारत में अलग-अलग भू-आकृतिक प्रदेशों, भिन्न-भिन्न जलवायु व वर्षा के असमान वितरण के कारण अलग-अलग प्रकार की कृषि पद्धतियाँ देखने को मिलती हैं। यथा- भारत के उत्तरी-पूर्वी भागों में झूमिंग कृषि, पर्वतीय ढालों पर सोपानी प्रारूप में बागाती कृषि, छोटे कृषकों द्वारा की जाने वाली आत्मनिर्भरता मूलक मिश्रित कृषि, सम्पन्न एवं विकसित क्षेत्रों के रूप में पंजाब व हरियाणा में की जाने वाली व्यापारिक कृषि, समुद्र तटीय स्थित वाले राज्यों व सिंचाई प्रचुरता वाले क्षेत्रो में की जाने वाली चावल प्रधान गहन, जीवन निर्वाहन कृषि, कम वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाने वाली शुष्क कृषि पद्धतियाँ प्रमुख हैं।
प्रश्न 7.
भारत में ऋतुगत आधार पर फसलों के उत्पादन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में मिलने वाली फसलें विभिन्न ऋतुओं में विविध प्रकार से उगाई जाती हैं। हमारे देश में उष्ण कटिबन्धीय फसलों के रूप में चावल, चाय, कॉफी, जूट, गन्ना उत्पादित किया जाता है जबकि शीतोष्ण कटिबन्धीय फसलों के रूप में गेहूँ, कपास, मक्का, तम्बाकू तथा शुष्क प्रदेशीय फसलों के रूप में ज्वार, बाजरा आदि का उत्पादन किया जाता है। इन सबके अलावा भी विभिन्न प्रकार की दालें, तिलहन एवं बाग-बगीचों के रूप में कृषि की जाती है।
प्रश्न 8.
सामाजिक एवं सांस्कृतिक पक्षों का विस्तृत अध्ययन क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
हमारे देश की सांस्कृतिक एवं जनसांख्यिकीय विविधताएँ इतनी अधिक हैं कि उन सबको केवल एक बिन्दु में समाविष्ट करना सम्भव नहीं है। इन विविधताओं का प्रत्यक्ष सम्बन्ध देश के सांस्कृतिक ही नहीं बल्कि सामाजिक पहलुओं से भी है। अत: सामाजिक एवं सांस्कृतिक पक्ष से सम्बन्धित विविधता का विस्तार से अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।
प्रश्न 9.
विदेशी शक्तियाँ विविधताओं को अपकेन्द्रीय शक्ति के रूप में प्रक्षेपित करने का प्रयास क्यों करती हैं?
उत्तर:
विदेशी शक्तियाँ अपनी स्वार्थी भावनाओं के कारण तथा हमारे देश में मिलने वाली विविधताओं का फायदा उठाना चाहती हैं। ये ताकतें एवं स्वार्थी तत्व हमारे देश की प्रगति एवं निरन्तर बढ़ती हुई शक्ति से ईर्ष्या रखते हैं। इसलिये हमारे देश को विभाजित करना, कमजोर करना अथवा आर्थिक दृष्टि से नुकसान पहुँचाना ही इनका उद्देश्य होता हैं। इस प्रक्रिया के माध्यम से ये भारत की अखण्ड शक्ति में सेंध लगाकर उसे नष्ट करना चाहते हैं, किन्तु भारत अपनी अनुपम एकता की भावना के कारण इनकी इस भावना को कभी भी सार्थक नहीं होने देता है।
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 2 लघूत्तात्मक प्रश्न Types II
प्रश्न 1.
भारत में वायुदाब का वितरण असमान मिलता है। क्यों? इसे स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में वायुदाब के वितरण का प्रत्यक्ष सम्बन्ध तापमान के वितरण से जुड़ा हुआ है। जनवरी एवं जुलाई माह के दौरान तापमान की स्थिति भिन्न-भिन्न मिलती है। इसी कारण वायुदाब भी इन दोनों ही स्थितियों में अलग-अलग मिलता है। जनवरी माह में भारत के दक्षिणी पश्चिमी तटीय क्षेत्र और अंडमान निकोबार द्वीप समूह के पास निम्न दाब का केन्द्र विकसित होता है। जबकि उत्तरी भारत में पर्वतीय भागों व उत्तरी-पश्चिमी राजस्थान में उच्च दाब की स्थिति देखने को मिलती है। जुलाई माह में स्थिति इसके विपरीत होती हैं। उत्तरी-पश्चिमी राजस्थान, पश्चिमी हरियाणा व पंजाब उच्च तापमान के कारण निम्न दाब के केन्द्र बन जाते हैं जबकि दक्षिण में सागर तटीय भाग व अंडमान निकोबार क्षेत्र सागर के प्रभाव से कम उष्ण होने से अधिक दाब की स्थिति को प्रदर्शित करते हैं।
प्रश्न 2.
भारत में अप्रैल व अक्टूबर में मिलने वाले तापमान व वायुदाब के स्वरूप को वर्णित कीजिए।
उत्तर:
भारत में अप्रैल में मुख्यतः ग्रीष्मकाल की स्थिति पाई जाती है जिसके कारण इस समयावधि में उत्तरी भारतीय भाग में अधिक तापमान की प्राप्ति होती है जिसके कारण उत्तरी भारतीय क्षेत्र में निम्न वायुदाब का केन्द्र विकसित हो जाता है। इस अवधि में सामान्यत: ऊपरी गंगा के मैदान एवं पश्चिमी राजस्थान, पश्चिमी पंजाब व पश्चिमी कश्मीर न्यून वायुदाब के केन्द्र बन जाते हैं। जबकि दक्षिणी भारत में लक्षद्वीप समूह, अरब सागर व अंडमान निकोबार में कम ताप के कारण उच्च वायुदाब मिलता है। अक्टूबर माह में स्थितियाँ विपरीत हो जाती हैं। सूर्य दक्षिणायन को जाने लगता है जिससे उत्तरी भारत, राजस्थान, उत्तरी पश्चिमी पंजाब वे हरियाणा में निम्न ताप प्राप्ति के कारण उच्च वायुदाब मिलता है जबकि दक्षिण सागरीय भागों में प्राय: अधिक तापीय स्थिति के कारण निम्न वायुदाब का केन्द्र विकसित हो जाता है।
प्रश्न 3.
भारत में मृदाओं का स्वरूप भू-आकृतिक प्रदेशों का अनुसरण करता हुआ प्रतीत होता है। कैसे?
अथवा
भू-आकृतिक प्रदेश मृदाओं के प्रकारों को कैसे नियंत्रित किए हुए हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मृदाओं के निर्माण में भू-आकृतिक प्रदेशों का मुख्य योगदान होता है। भारत में भी मृदाएँ इन भू-आकृतिक प्रदेशों के अनुसार ही पायी जाती हैं। उत्तरी पर्वतीय प्रदेश के समीपवर्ती भागों में मोटे कणों वाली पर्वतीय मृदा देखने को मिलती है जो कार्बनिक पदार्थों के अभाव के कारण कम उपजाऊ होती है। पश्चिम में मिलने वाला थार का मरुस्थल रेतीली बालू मृदा के स्वरूप को दर्शाता है जो अत्यधिक शुष्क एवं न्यून जल धारण क्षमता को दर्शाती है। भारत के मध्यवर्ती भागों में नदियों द्वारा निक्षेपित की गई कॉप व जलोढ़ मृदाएँ पायी जाती हैं जो विशिष्ट उपजाऊपन को दर्शाती हैं। दक्षिणी पठारी भाग में लावा जन्य जीवांश रहित काली मृदा का निर्माण हुआ है। भारत के समुद्रतटीय क्षेत्रों में लवणता युक्त क्षारीय व लवणीय मृदाएँ पायी जाती हैं। इस प्रकार भारतीय मृदाओं के निर्माण में भू-आकृतिक प्रदेशों का अहम् योगदान सिद्ध होता है।
प्रश्न 4.
भारतीय जल प्रवाह की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
भारतीय जल प्रवाह की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
- भारतीय जल प्रवाह भू-आकृतिक प्रदेशों का अनुसरण करता है।
- उत्तरी भारतीय जल-अपवाह हिम के पिघलने से पानी की प्राप्ति करता है।
- उत्तरी-भारतीय जल-प्रवाह वर्ष पर्यन्त प्रवाहन के स्वरूप को दर्शाता है।
- दक्षिणी भारतीय जल-प्रवाह मुख्यतः मौसमी प्रवाहन को दर्शाता है।
- भारतीय जल प्रवाह का विभाजन भारत के मध्यवर्ती भाग में मिलने वाली पर्वत श्रृंखलाओं के द्वारा किया गया है।
- उत्तरी जल प्रवाह में जल की मात्रा अधिंक एवं क्षेत्र विस्तृत है, जबकि दक्षिणी भारत का जल प्रवाह अपेक्षाकृत कम जल वाला एवं संकीर्ण है।
प्रश्न 5.
भारत में मिलने वाले वर्षा के वितरण को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारत में मिलने वाली वर्षा की असमान दशाओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत एक विशाल भौगोलिक क्षेत्रफल वाला राष्ट्र है जिसके कारण वर्षा के वितरण में प्रादेशिक आधार पर असमानताएँ पायी जाती हैं। वर्षा के इस वितरण प्रारूप को मुख्यत: अग्र भागों में बाँटा जा सकता है-
- अत्यधिक वर्षा वाले क्षेत्र (औसत वर्षा 2000 मिमी से ज्यादा)
- अधिक वर्षा वाले क्षेत्र (औसत वर्षा 1000 मिमी से 2000 मिमी तक)
- सामान्य वर्षा वाले क्षेत्र (औसत वर्षा 250 मिमी से 1000 मिमी तक)
- न्यून वर्षा वाले क्षेत्र (औसत वर्षा 250 मिमी से कम)
1. अत्यधिक वर्षा वाले क्षेत्र-ऐसे क्षेत्रों में भारत के पश्चिमी घाट के पश्चिमी भाग, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम आदि क्षेत्रों को शामिल किया जाता है।
2. अधिक वर्षा वाले क्षेत्र-ऐसे क्षेत्रों में बिहार, असम, मणिपुर, नागालैण्ड, त्रिपुरा, पश्चिमी बंगाल, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा व उत्तर प्रदेश के अधिकांश भाग को शामिल किया जाता है।
3. सामान्य क्र्षा वाले क्षेत्र-ऐसे क्षेत्रों में जम्मू-कश्मीर का दक्षिणी भाग, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान का अधिकांश भाग, कर्नाटक, महाराष्ट्र तमिलनाडु, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश, गुजरात को शामिल किया जाता है।
4. न्यून वर्षा वाले क्षेत्र-ऐसे क्षेत्रों में मुख्यतः राजस्थान के पश्चिमी भाग, उत्तरी जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक के शुष्क पठार को शामिल किया जाता है।
वर्षा के इस वितरण को निम्न रेखाचित्र के माध्यम से दर्शाया गया है-
प्रश्न 6.
भारत में पवनों के प्रवाहन में होने वाले परिवर्तन को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारत में हवाओं का चलना भिन्नताओं को दर्शाता है। कैसे? स्पष्ट करो।
अथवा
भारतीय पवनें ऋतुगत आधार पर परिवर्तित हो जाती हैं। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में पवनों का प्रवाहन मौसम परिवर्तन की एक प्रक्रिया है। जैसे-तापमान एवं वायुदाब की स्थिति बदलती है, हवाओं का चलना भी परिवर्तित होता रहता है। शीतकालीन एवं ग्रीष्मकालीन दोनों ही दशाओं में हवाओं का चलना व्यापक परिवर्तन दिखलाता है। शीतकालीन अवधि के दौरान हवाओं का प्रवाहन ताप व दाब के सम्बन्ध के कारण स्थल से सागर की ओर होने लगता है जबकि ग्रीष्म काल के दौरान स्थिति विपरीत हो जाती है। इस अवधि में हवाएँ सागर से स्थल की ओर चलने लगती हैं। हवाओं के इस प्रवाहन के लिए वायुदाब की स्थिति उत्तरदायी है; क्योंकि हवाओं का यह प्रवाहन सदैव उच्च वायुदाब क्षेत्र से निम्न वायुदाब वाले क्षेत्र की ओर ही होता है। भारत में बदलते हुए हवाओं के इस स्वरूप को निम्न रेखाचित्र में दर्शाया गया हैं।
प्रश्न 7.
भारत में वनस्पति की विविधता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वनस्पति का निर्धारण स्थलाकृति, तापमान, वर्षा की मात्रा एवं मृदा की संरचना के द्वारा होता है। भारत में ये सभी दशाएँ प्रादेशिक आधार पर भिन्नताओं को दर्शाती हैं। इसी कारण भारत में वनस्पति के वितरण में भी. भिन्नताएँ पायी जाती हैं। भारत में मुख्यत: निम्न प्रकार की वनस्पति देखने आती है-
- सदाबहार वनस्पति – भारत के पशि एवं उत्तरी-पूर्वी राज्यों में।
- पर्वतीय वनस्पति – भारत के मिलने उत्तरी पर्वत श्रेणियों में।
- शुष्क वनस्पति – राजस्थान में पश्चिमी मरुस्थल एवं कर्नाटक के शुष्क पठार पर।
- अर्द्धशुष्क वनस्पति – राजस्थान के अर्द्धशुष्क मरुस्थल, दक्षिणी हरियाणा, दक्षिणी-पश्चिमी पंजाब व उत्तरी गुजरात में।
- ज्वारीय वनस्पति – नदियों के डेल्टाई व ज्वारनद मुखीय क्षेत्रों में।
- पर्णपाती वनस्पति – मध्य भारत के अधिकांश राज्यों में।
प्रश्न 8.
भारत में कृषि के भिन्न स्वरूप के उत्तरदायी कारक कौन से हैं?
अथवा
भारत में प्रादेशिक आधार पर कृषि में भिन्नता देखने को मिलती है। क्यों?
अथवा
भारतीय कृषि अनेक पद्धतियों का स्वरूप है। कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार रही है। इसने लोगों के जीवन-यापन को सुलभ बनाया है किन्तु सम्पूर्ण भारत में कृषि का स्वरूप एक समान न मिलकर भिन्न-भिन्न पाया जाता है। इसके लिए निम्नलिखित कारक उत्तरदायी हैं-
- स्थलाकृतिक संरचना – सम्पूर्ण भारत में मिलने वाली स्थलाकृतिक संरचना ने कृषि के स्वरूप को नियंत्रित किया है यथा- पहाड़ी भागों में सोपानी कृषि, मैदानों में जीवन निर्वाहन कृषि, मरुस्थलीय क्षेत्र में पशुचारणता देखने को मिलती है।
- जल उपलब्धता – भारतीय कृषि में वर्षा या सिंचाई द्वारा जल की उपलब्धता एक महत्वपूर्ण कारक सिद्ध हुआ है। जल उपलब्धता के अनुसार ही चावल प्रधान गहन जीवन निर्वाहन, चावल विहीन गहन जीवन निर्वाहन एवं व्यापारिक कृषि का स्वरूप मिलता है।
- मृदा का उपजाऊपन – भारतीय कृषि में मिलने वाली भिन्नता के लिए मृदा के उपजाऊपन का मुख्य योगदान है। मैदानी भागों में मिलने वाली काँप व जलोढ़ मृदा के कारण गहन कृषि का स्वरूप विकसित हुआ है।
- किसानों की जागरूकता – किसानों को कृषि के प्रति जानकारी होने या न होने से कृषि के स्वरूप निर्धारित हुए हैं; यथा आदिम सभ्यता वाले लोग आज भी स्थानान्तरित कृषि करते हैं। जबकि सामान्य जानकारी वाले किसान परम्परागत जीवन निर्वाहन या मिश्रित कृषि करते हैं। कृषि में विशिष्ट जानकारी रखने वालों के द्वारा अधिक लाभकारी बागाती या टूक फार्मिग
कृषि की जाने लगी है।
प्रश्न 9.
भारत को खनिजों का अजायबघर कहा जाता है। क्यों?
अथवा
भारत में खनिजों का वितरण विविधता को दर्शाता है। कैसे?
उत्तर:
भारत में मिलने वाली संरचनात्मक विविधताओं के कारण भारत में खनिजों का वितरण भी असमानं व संगठनात्मक रूप से भिन्नताओं को दर्शाता है। भारत में कहीं खनिजों के अधिक निक्षेप पाये जाते हैं तो कहीं खनिजों का वितरण मिलता ही नहीं है। भारत में खनिजों की संरचना व संगठन भी अलग-अलग पाया जाता है। भारत में धात्विक, अधात्विक तथा ऊर्जा वे शक्ति के संसाधनों में तरल, ठोस व गैसीय स्वरूप देखने को मिलता है। भारत कुछ खनिजों के दृष्टिकोण से विश्व में एकाधिकार रखता है तो कुछ खनिजों का भारत में अभाव देखने को मिलता है। वर्तमान में गैर-परम्परागत संसाधनों ने तो इस विविधता को और बढ़ा दिया है। कहीं सौर ऊर्जा की आदर्श स्थिति मिलती है तो कहीं पर भूतापीय ऊर्जा की, कहीं ज्वारीय ऊर्जा तो कहीं पवन ऊर्जा हेतु दशाएँ अनुकूल पायी जाती हैं। इन सभी विविधताओं ने भारत को खनिजों का अजायबघर कहने का अधिकार प्रदान किया है।
प्रश्न 10.
भारत की धार्मिक विविधता को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारत विभिन्न धर्मों की भूमि है-इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत में मिलने वाली विशाल जनसंख्या के कारण यहाँ अनेक धर्मों के लोग निवास करते हैं। भारत विविध धर्मों की भूमि ही नहीं अपितु अनेक धर्मों का जन्म स्थल भी रहा है। इसी कारण भारत में किसी धर्म को विशेष स्थान नहीं मिल पाया है। वर्तमान में भी भारत एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है जहाँ सभी धर्मों को समान महत्व दिया जाता है। भारत में मुख्यतः हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन एवं बौद्ध धर्म के अनुयायी निवास करते हैं। हिन्दू धर्म के अनुयायी मुख्यतः हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उड़ीसा, गुजरात, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, दादरा नगर हवेली, तमिलनाडु सहित अन्य राज्यों में मिलते हैं। मुस्लिम धर्म के अनुयायी मुख्यत; लक्षद्वीप, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, केरल, महाराष्ट्र, झारखंड व उत्तराखंड के साथ बिखरे हुए रूप से अन्य राज्यों में मिलते हैं। ईसाई धर्म के लोग मुख्यत: नागालैण्ड, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, गोआ और केरल में मिलते हैं। बौद्ध धर्म के अनुयायी मुख्यत: सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, महाराष्ट्र में पाए जाते हैं। सिक्ख धर्म के अनुयायी पंजाब, हरियाणा, दिल्ली व उत्तरी राजस्थान में मिलते हैं। इस प्रकार भारत में विविध धर्मों का स्वरूप दृष्टिगत होता है।
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 2 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ट्रिवार्था के अनुसार भारत के जलवायु प्रदेशों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में मिलने वाली जलवायु सम्बन्धी विविधताओं को ध्यान में रखकर ट्विार्था ने भारत को निम्न जलवायु प्रदेशों में विभाजित किया है-
- मरुस्थलीय जलवायु प्रदेश
- पर्वतीय जलवायु प्रदेश
- अर्द्ध शुष्क/स्टेपी जलवायु प्रदेश
- अधो-उष्ण कटिबंधीय आर्द्र जलवायु
- उष्ण कटिबंधीय सवाना
- उष्ण कटिबंधीय नम
- उष्ण कटिबंधीय सवाना (शीत शुष्क)
1. मरुस्थलीय जलवायु प्रदेश-यह जलवायु क्षेत्र राजस्थान के पश्चिमी भाग व गुजरात के उत्तरी भाग में मिलता है।
2. पर्वतीय जलवायु प्रदेश-यह जलवायु क्षेत्र जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड के पूर्वी भाग, सिक्किम व अरुणाचल प्रदेश में मिलता है।
3.अर्द्धशुष्क/स्टेपी जलवायु प्रदेश-यह जलवायु क्षेत्र दक्षिणी-पश्चिमी पंजाब, गुजरात, पश्चिमी मध्य प्रदेश, मध्यवर्ती महाराष्ट्र व कर्नाटक के शुष्क पठारी क्षेत्रों के समीपवर्ती भागों में फैला हुआ है।
4. अधो-उष्ण कटिबंधीय आर्द्र जलवायु प्रदेश – यह जलवायु मुख्यत: उत्तर के विशाल मैदानी क्षेत्रों में पाई जाती है।
5. उष्ण कटिबंधीय सवाना (ग्रीष्म शुष्क) जलवायु प्रदेश-यह जलवायु प्रदेश मुख्यत: भारत के पश्चिमी घाट व मिजोरम, नागालैण्ड में फैला हुआ है।
6. उष्ण कटिबंधीय नम जलवायु प्रदेश – यह जलवायु प्रदेश मुख्यत: भारत के पश्चिमी घाट व मिजोरम, मणिपुर, नागालैण्ड में फैला हुआ है।
7. उष्ण कटिबंधीय सवाना (शीत शुष्क) जलवायु प्रदेश–यह जलवायु प्रदेश मुख्यत: प्रायद्वीपीय भारत के पठारी भाग में फैला हुआ है।
ट्विार्था द्वारा वर्णित जलवायु क्षेत्रों को निम्न रेखाचित्र के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है-
प्रश्न 2.
भारत में भाषागत विविधताओं को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारत में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारत एक बहुभाषी राष्ट्र है। कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत की विशाल जनसंख्या, यहाँ मिलने वाले विभिन्न धर्मों एवं सम्प्रदायों के कारण भारत में भाषाओं का स्वरूप भी प्रादेशिक आधार पर भिन्न-भिन्न पाया जाता है। हालांकि सभी राज्यों में अनेक भाषाओं का मिश्रण मिलता है किन्तु भाषा की प्रधानता के आधार पर भारत के राज्यों का वर्गीकरण किया गया है। भारत की मुख्य भाषाओं में हिन्दी, असमियाँ, बंगाली, गुजराती, कन्नड, उर्दू, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, मिजो, ओडिया, पंजाबी, तमिल, तेलगू, लेपचा, अंगामी, खासी, अंग्रेजी एवं जसेरी भाषाएँ मुख्य हैं।
इनमें से विस्तृत क्षेत्र के आधार पर भाषाओं व उनके क्षेत्रों को निम्नानुसार वर्णित किया गया है-
- हिन्दी – हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ आदि।
- तेलगु – आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना।
- पंजाबी – पंजाब।
- गुजराती – गुजरात
- मराठी -महाराष्ट्र
- तमिल – तमिलनाडु
- कन्नड – कर्नाटक
- उड़िया- उड़ीसा
- असमिया – असम
- बांग्ला -पश्चिम बंगाल व त्रिपुरा
- हिन्दी व अंग्रेजी – अरुणाचल प्रदेश
- अंगामी व अंग्रेजी – नागालैण्ड
- मणिपुरी – मणिपुर
- मिजो – मिजोरम
- खासी व गारो – मेघालय
- लेपचा – सिक्किम
- कोंकणी – गोवा
- उर्दू व कश्मीरी – जम्मू-कश्मीर
- मलयालम – केरल
भारत में मिलने वाले भाषाओं की इस विविधता को निम्न चित्र के माध्यम से दर्शाया गया है-
प्रश्न 3.
भारत की जनसांख्यिकीय विविधताओं को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारत की जनसंख्या भिन्नताओं के स्वरूप को दर्शाती है। कैसे? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
जनसांख्यिकीय विविधता में एकता के दर्शन कैसे होते हैं?
उत्तर:
भारत जनसांख्यिकीय दृष्टि से विश्व का दूसरा बड़ा देश है। यहाँ लगभग 125 करोड़ लोग निवास करते हैं। इतने विशाल जनसमूह में विविधताओं का मिलना एक स्वाभाविक स्थिति है। इस दृष्टि से भारत विश्व में एक अनूठा देश है। विश्व के किसी भी देश में इतनी अधिक जनसांख्यिकीय विविधताएँ नहीं पाई जाती हैं जितनी अकेले भारत में मिलती हैं। यहाँ न केवल विभिन्न प्रजातियों, जातियों, जनजातियों, धर्मों व सम्प्रदायों के लोग एक साथ अनूठी एकता के सूत्र में बंधे हुए हैं बल्कि यहाँ के निवासियों की विविध भाषाएँ, उत्सव, कला, संगीत, नृत्य, वेशभूषा, रीति-रिवाज आदि में भी विविधता देखने को मिलती है।
इस सबके साथ-साथ लिंगानुपात, आयु-वर्ग संगठन, शिक्षा के स्तर, लोगों के क्रियाकलापों, ग्रामीण-नगरीय संगठन, त्यौहारों, मेलों व सांस्कृतिक आयोजनों, लोक कलाओं, लोक गीतों व लोक नृत्यों में भी भिन्नताएँ देखने को मिलती हैं। इन सबके बावजूद विविध धर्मों के लोग यहाँ शान्ति, सहयोग व सद्भाव के साथ मिलकर रहते हैं। विभिन्न भागों में आयोजित होने वाले विविध प्रकार के मेले, उत्सव, नृत्य, संगीत हमारे देश की सांस्कृतिक समृद्धि के प्रतीक हैं। होली, दीपावली, लोहड़ी, ईद, क्रिसमस आदि उत्सवों में आपसी भाईचारा देखते ही बनता है।
हमारे देश में मिलने वाली जनसंख्या की विविधताएँ इतनी अधिक हैं कि उनका संक्षिप्त में वर्णन करना सम्भव नहीं है। इन विविधताओं का प्रत्यक्ष सम्बन्ध देश के सामाजिक व सांस्कृतिक पहलुओं से है। इतनी अधिक भिन्नताएँ होते हुए भी प्राचीन काल से वर्तमान काल तक भारतीयों में सार्वभौमिक एकता का स्वरूप देखने को मिलता है जो इस राष्ट्र की अद्वितीय व अतुलनीय पहचान बन चुकी है।
प्रश्न 4.
भारत में विविधता में एकता कैसे दृष्टिगत होती है?
अथवा
भारत को विविधताओं में एकता का देश क्यों कहा जाता है?
अथवा
विविधताओं में एकता भारत की मुख्य विशेषता है। कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में मिलने वाली अनेकानेक प्राकृतिक, आर्थिक एवं जनसांख्यिकीय विविधताएँ हमारे देश के लिए उपहार के समान हैं। प्रकृति ने इससे भी बड़ा एवं अनुपम उपहार भारत को विविधता में एकता के रूप में दिया है। हमारे दैनिक जीवन के अनुभवों से यह पक्ष हमें अत्यधिक सरल एवं सहज लगता है। इतनी विविधताएँ होते हुए भी व्यवहार में ये हमें एकरूपता व समरसता का प्रतीक लगती हैं। इसीलिये हम सारी विविधताओं के बावजूद भारतीय के रूप में सदैव एक रहे हैं। हमारी राष्ट्रीय शक्ति हमारी एकता में ही निहित है। एकता के इसी सद्भाव व समरस भाव में हम सबका कल्याण एवं हमारी सम्पन्नता निहित है। इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब-जब विदेशियों एवं स्वार्थी तत्वों ने हमारी इस एकता में सेंध लगाने में आंशिक सफलता प्राप्त की है तब-तब हमारा देश कमजोर, राजनैतिक दासता व आर्थिक शोषण का शिकार हुआ है, किन्तु जब-जब हमारे देशे पर किसी भी प्रकार का खतरा आया है।
तब-तब हमारे देशवासियों ने अद्भुत एकता का परिचय दिया है। भारत में सम्पन्न हुई इन सभी घटनाओं ने हमें यह सीखने की प्रेरणा दी है कि सभी विविधताओं के बावजूद एकता में ही हमारी शक्ति, सामर्थ्य, राजनैतिक स्वतन्त्रता एवं आर्थिक सम्पन्नता निहित है। हमारी सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा एवं राष्ट्रीय गौरव इसी एकता को बनाये रखने से सम्भव है। वहीं दूसरी ओर भारतीय विविधता को मानसूनी जलवायु ने भी एकता में बाँधा है। भारतीय संस्कृतियों का मिश्रित स्वरूप भी भारतीयता के रूप में मिलता है। भारतीय संस्कृति की अनेक संस्कृतियों को आत्मसात करने की विलक्षणता इसे विश्व में अनोखा राष्ट्र बनाती है। भारत में मिलने वाले सत्य, अहिंसा, प्रेम, सदाचार, समानता, सत्कार, सह-अस्तित्व आदि विविध मूल्य भारत को सशक्त बनाते हैं। भारत इन सभी विविधताओं, के बावजूद मानवता का एक मंच है।
Leave a Reply