Rajasthan Board RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 6 भारत की जलवायु
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 6 पाठ्य पुस्तक के अभ्यास प्रश्न
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 6 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
यदि भूमध्य रेखा भारत के मध्य से गुजरती तो भारत की जलवायु होती-
(अ) उष्ण एवं आई
(ब) उष्ण व शुष्क
(स) शीत व आर्द्र
(द) शीत व शुष्क
उत्तर:
(अ) उष्ण एवं आई
प्रश्न 2.
यदि पश्चिमी घाट नहीं होते तो पश्चिमी तटीय भाग में वर्षा होती-
(अ) अधिक
(ब) कम
(स) बिल्कुल नहीं
(द) अनिश्चित
उत्तर:
(ब) कम
प्रश्न 3.
निम्नांकित में से किस समुच्चय के राज्यों में वार्षिक वर्षा 200 सेमी से अधिक होती है?
(अ) नागालैण्ड, मेघालय, मणिपुर एवं अरुणाचल प्रदेश
(ब) मेघालय, मणिपुर, उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश
(स) नागालैण्ड, तमिलनाडु, अरुणाचल प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल
(द) मध्य प्रदेश, मणिपुर, उत्तर प्रदेश एवं मेघालय
उत्तर:
(अ) नागालैण्ड, मेघालय, मणिपुर एवं अरुणाचल प्रदेश
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 6 अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 4.
ग्रीष्म काल में भारत में निम्न दाब कहाँ होता है?
उत्तर:
ग्रीष्म काल में भारत में निम्न दाब थार के मरुस्थल में पाया जाता है।
प्रश्न 5.
मावट किन पवनों से होती है?
उत्तर:
भूमध्य सागरीय चक्रवाती पवनों से मावट होती है जो भारत में स्थल से जल की ओर चलती हैं।
प्रश्न 6.
लू किसे कहते हैं?
उत्तर:
ग्रीष्म काल में उत्तरी-पश्चिमी भारत में चलने वाली धूलभरी, गर्म और शुष्क हवाओं को लू कहा जाता है।
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 6 लघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 7.
भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं?
उत्तर:
भारत की जलवायु विविधता को दर्शाती है। भारत की जलवायु को नियंत्रित एवं प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्न हैं-
- समुद्र तल से ऊचाई
- समुद्र से दूरी
- भूमध्य रेखा से दूरी
- पर्वतों की स्थिति
- पर्वतों की दिशा
- पवनों की दिशा
- उच्च स्तरीय वायु संचरण
- मेघाच्छादन की मात्रा
- वनस्पति आवरण
- समुद्री धाराएँ
प्रश्न 8.
भूमध्य सागरीय चक्रवातों की उत्पत्ति कैसे होती है?
उत्तर:
पछुआ वायुराशि की पेटी के शीतकाल में विषुवत् रेखा की ओर खिसकने से भूमध्य सागरीय क्षेत्र में विशेष वाताग्र प्रदेश का विकास होता है। इसमें यूरोप व मध्य एशियाई कठोर, ठण्डी व शुष्क वायुराशि तथा भूमध्य सागरीय पट्टी की उत्तरी सीमा एवं फारस की खाड़ी के निकट की आर्द्र व उष्ण वायुराशि आपस में प्राय: आमने-सामने मिलती हैं। इन भिन्न स्वभाव वाली वायुराशियों के मिलने से भूमध्य सागरीय चक्रवातों की उत्पत्ति होती है।
प्रश्न 9.
तमिलनाडु में शीतकालीन वर्षा किस प्रकार होती है?
उत्तर:
उत्तरी – पूर्वी मानसून से थोड़ी वर्षा उत्तरी – पूर्वी भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में होती है। जैसे-जैसे ये पवनें आगे बढ़ती हैं; वैसे-वैसे ये शुष्क होती जाती हैं, किन्तु बंगाल की खाड़ी के ऊपर चलते समय ये पवनें पुन: आर्द्रता ग्रहण कर लेती हैं जब ये आर्द्रता युक्त हवाएँ तमिलनाडु में पहुँचती हैं तो वहाँ वर्षा करती हैं। इन पवनों से ही तमिलनाडु अपनी अधिकांश वार्षिक वर्षा प्राप्त करता है।
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 6 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 10.
भारत की ग्रीष्मकालीन तथा शीतकालीन ऋतुओं की तुलना तापमान, वायुदाब, पवनों व वर्षा के आधार पर कीजिए।
उत्तर:
भारत में मिलने वाली ऋतुओं की स्थिति सूर्य की स्थिति (पृथ्वी के परिक्रमण) का परिणाम होती है। भारत में मिलने वाली ग्रीष्म एवं शीत ऋतु का तुलनात्मक विवरण निम्न बिन्दुओं के आधार पर किया गया है-
प्रश्न 11.
भारत में वर्षा का वितरण दर्शाते हुए उसकी विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
भारत एक विशाल भौगोलिक क्षेत्रफल वाला राष्ट्र है जिसके कारण सम्पूर्ण भारत में वर्षा का वितरण असमान पाया जाता है। वर्षा के इस वितरण को वर्षा की मात्रा के आधार पर निम्न भागों में बाँटा गया है-
- अधिक वर्षा वाले क्षेत्र
- साधारण वर्षा वाले क्षेत्र
- न्यून वर्षा वाले क्षेत्र
- अपर्याप्त वर्षा वाले क्षेत्र
1. अधिक वर्षा वाले क्षेत्र – इसमें 200 सेमी से अधिक वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों को शामिल किया जाता है। जो पश्चिमी तटीय मैदान, पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पूर्वी बिहार व झारखंड, पश्चिमी बंगाल का उत्तरी भाग असम व मेघालय के रूप में मिलते हैं।
2. साधारण वर्षा वाले क्षेत्र – ऐसे क्षेत्रों में 100-200 सेमी वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों को शामिल किया जाता है। इसमें पश्चिमी घाट के पूर्वी भाग, पश्चिमी बंगाल के दक्षिणी पश्चिमी भाग, उड़ीसा, बिहार के आन्तरिक भाग, छत्तीसगढ़, दक्षिणी पूर्वी उत्तरे प्रदेश, हरियाणा व हिमाचल प्रदेश को शामिल किया जाता है।
3. न्यून वर्षा वाले क्षेत्र – जहाँ वार्षिक वर्षा का औसत 50-100 सेमी मिलता है उन्हें इस वर्ग में शामिल करते हैं। इसके अन्तर्गत मध्य प्रदेश, उत्तरी-पश्चिमी आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, पूर्वी राजस्थान, दक्षिणी पंजाब, हरियाणा व दक्षिणी-पश्चिमी उत्तर प्रदेश शामिल हैं।
4. अपर्याप्त वर्षा के क्षेत्र-जिन क्षेत्रों में वार्षिक वर्षा का औसत 50 सेमी से कम मिलता है उन्हें इस वर्ग में शामिल करते हैं। इसमें पश्चिमी राजस्थान, पश्चिमी पंजाब, तमिलनाडु का रायल सीमा क्षेत्र, कच्छ व लद्दाख क्षेत्र शामिल हैं।
भारतीय वर्षा की विशेषताएँ
- भारतीय वर्षा का वितरण असमान मिलता है। यह कहीं ज्यादा होती है तो कहीं पर बहुत ही कम।
- वर्षा का काल भी अनिश्चित है यह कभी जल्दी तो कभी देर से प्रारम्भ होती है।
- वर्षा का स्वरूप अनियमित है। यह रुक-रुक कर होती है जिससे फसलें सूख जाती हैं।
- भारत की कुल वर्षा के दिनों का वितरण भी अलग-अलग क्षेत्रों में अलग मिलता है। यथा-कोलकाता में 118 दिन, चेन्नई में 55 दिन, मुम्बई में 75 दिन।
- वर्षा का स्वरूप कहीं मूसलाधार तो कहीं बौछारों के रूप में होती है।
- भारतीय वर्षा भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है।
आंकिक प्रश्न
प्रश्न 12.
भारत का रूपरेखा मानचित्र बनाकर उसमें वार्षिक वर्षा का वितरण दर्शाइये।
उत्तर:
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 6 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 6 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत की जलवायु को क्या कहा जाता है?
(अ) उष्ण कटिबंधीय जलवायु
(ब) मानसूनी जलवायु
(स) उपोष्ण जलवायु
(द) शीतोष्ण जलवायु
उत्तर:
(ब) मानसूनी जलवायु
प्रश्न 2.
सामान्य ताप पतन दर कितनी होती है?
(अ) 100 मीटर पर 1 सेण्टीग्रेड
(ब) 150 मीटर पर 1 सेण्टीग्रेड
(स) 165 मीटर पर 1 सेण्टीग्रेड
(द) 195 मीटर पर 1 सेण्टीग्रेड
उत्तर:
(स) 165 मीटर पर 1 सेण्टीग्रेड
प्रश्न 3.
न्यूनतम तापान्तर कहाँ मिलता है?
(अ) मरुस्थलों में
(ब) मैदानों में
(स) पठारी भागों में
(द) समुद्र तटीय भागों में
उत्तर:
(द) समुद्र तटीय भागों में
प्रश्न 4.
भारत के लगभग मध्य से कौन-सी रेखा गुजरती है?
(अ) कर्क रेखा
(ब) मकर रेखा
(स) भूमध्य रेखा
(द) ग्रीनविच रेखा
उत्तर:
(अ) कर्क रेखा
प्रश्न 5.
ग्रीष्म ऋतु का समय है।
(अ) दिसम्बर से फरवरी तक
(ब) मार्च से मध्य जून तक
(स) मध्य जून से मध्य सितम्बर तक
(द) मध्य सितम्बर से दिसम्बर तक
उत्तर:
(ब) मार्च से मध्य जून तक
प्रश्न 6.
शीत ऋतु में पवनें चलती हैं
(अ) सागर से स्थल की ओर
(ब) स्थल से जल की ओर
(स) सागर से सागर की ओर
(द) स्थल से स्थल की ओर
उत्तर:
(ब) स्थल से जल की ओर
प्रश्न 7.
लू कब चलती है?
(अ) मैत ऋतु में
(ब) शरद ऋतु में
(स) ग्रीष्म ऋतु में
(द) वर्षा ऋतु में
उत्तर:
(स) ग्रीष्म ऋतु में
प्रश्न 8.
आम्र वर्षा कहाँ होती है?
(अ) उत्तरी भारत में
(ब) पूर्वी भारत में
(स) दक्षिणी भारत में
(द) पश्चिमी भारत में
उत्तर:
(स) दक्षिणी भारत में
प्रश्न 9.
भारत में सर्वाधिक वर्षा कहाँ होती है?
(अ) लद्दाख में
(ब) देहरादून में
(स) मॉसिनराम में
(द) कोच्चि में
उत्तर:
(स) मॉसिनराम में
प्रश्न 10.
मानूसन प्रत्यावर्तन काल प्रारम्भ होता है-
(अ) मध्य जून से
(ब) मध्य सितम्बर से
(स) मध्य अक्टूबर से
(द) मध्य दिसम्बर से
उत्तर:
(ब) मध्य सितम्बर से
सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न
स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए-
(क)
स्तम्भ अ (क्षेत्रों के नाम) |
स्तम्भ ब (विशिष्ट लक्षण) |
(i) पश्चिमी घाट का पश्चिमी भाग | (अ) शीतकालीन वर्षा का क्षेत्र |
(i) पश्चिमी घाट का पूर्वी भाग | (ब) सर्वाधिक वर्षा का क्षेत्र |
थार का मरुस्थल | (स) अति वृष्टि क्षेत्र |
(iv) मॉसिनराम | (द) न्यूनतम वर्षा का क्षेत्र |
(v) तमिलनाडु | (य) अनावृष्टि क्षेत्र |
उत्तर:
(i) (स), (ii) (य), (iii) (द), (iv) (ब), (v) (अ)।
(ख)
स्तम्भ अ (राज्य क्षेत्र का नाम) |
स्तम्भ ब (वर्षा वर्ग) |
(i) मेघालय | (अ)साधारण वर्षा |
(ii) छत्तीसगढ़ | (ब) अपर्याप्त वर्षा |
(ii) हरियाणा | (स) अधिक वर्षा |
(iv) पश्चिमी राजस्थान | (द) कम वर्षा |
उत्तर:
(i) (स), (ii) (अ, (iii) (द), (iv) (ब)।
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 6 अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत की जलवायु को मानसूनी जलवायु क्यों कहते हैं?
उत्तर:
भारत में होने वाली अधिकांश वर्षा मानसूनी हवाओं से होती है। इसलिए भारत की जलवायु को मानसूनी जलवायु कहते हैं।
प्रश्न 2.
सामान्य ताप पतन दर से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
धरातल से ऊँचाई बढ़ने पर प्रति 165 मीटर की ऊँचाई पर 1°C तापमान कम हो जाता है। तापमान के इस प्रकार से कम होने की प्रवृत्ति को ही सामान्य ताप पतन दर कहते हैं।
प्रश्न 3.
हिमालय के उच्च ढालों पर सदैव बर्फ क्यों जमी रहती है?
उत्तर:
हिमालय के उच्च ढाल धरातल से अधिक ऊँचे मिलते हैं। अधिक ऊँचाई पर होने के कारण सामान्य ताप पतन दर की प्रवृत्ति से इन ढालों पर तापमान 0°C से कम मिलता है इसी कारण इन पर सदैव बर्फ जमी रहती है।
प्रश्न 4.
एक ही अक्षांश पर स्थित दो स्थानों का तापमान भिन्न-भिन्न हो सकता है। क्यों? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एक ही अक्षांश पर स्थित दो स्थानों के तापमान में समुद्रतल से उनकी ऊँचाई में मिलने वाले अन्तर के कारण भिन्नता मिलती है।
प्रश्न 5.
समुद्र तटीय क्षेत्रों में तापान्तर कम क्यों मिलता है?
उत्तर:
समुद्र के समीपवर्ती भागों में समुद्र के जल का प्रभाव पड़ने से सदैव सम व नम जलवायु मिलने के कारण तापान्तर कम पाया जाता है।
प्रश्न 6.
तापान्तर से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
किसी क्षेत्र में मिलने वाले उच्चतम एवं न्यूनतम ताप के अन्तर को ही तापान्तर कहा जाता है। इसे दैनिक, मासिक, वार्षिक आदि स्वरूपों में व्यक्त किया जाता है।
प्रश्न 7.
सूर्यातप/सौर्यतप से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सूर्य से प्राप्त होने वाली सौर्मिक ऊर्जा को ही सूर्याताप कहते हैं। यह हमेशा लघु तरंगों के रूप में प्राप्त होती है।
प्रश्न 8.
हिमालय के दक्षिणी ढालों की अपेक्षा उत्तरी ढालों पर हिमरेखा की ऊँचाई कम क्यों मिलती है?
उत्तर:
सूर्य की किरणों का तिरछापन हिमरेखा को नियंत्रित करता है। हिमालय के दक्षिणी ढालों पर सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती है जबकि उत्तरी ढालों पर सीधी पड़ती हैं इसी कारण उत्तरी ढालों पर हिम पिघलने की प्रक्रिया अधिक व दक्षिणी ढालों पर कम होने से यह अन्तर पाया जाता है।
प्रश्न 9.
कर्क रेखा भारत को किन प्रदेशों में विभक्त करती है?
उत्तर:
कर्क रेखा भारत को दो प्रदेशों उत्तर में शीतोष्ण प्रदेश व दक्षिण में उष्ण प्रदेश के रूप में विभक्त करती है।
प्रश्न 10.
उच्च स्तरीय वायु संचरण कहाँ पाया जाता है?
उत्तर:
उच्च स्तरीय वायु संचरण मुख्यतः क्षोभ मंडल में पाया जाता है।
प्रश्न 11.
भारतीय मौसम विभाग ने भारतीय मानसून काल को कितने भागों में बाँटा है?
उत्तर:
भारतीय मौसम विभाग ने भारतीय मानसून काल को दो भागों-उत्तरी-पूर्वी या शीतकालीन मानसून काल तथा दक्षिणी-पश्चिमी या ग्रीष्मकालीन मानसून काले के रूप में बाँटा है।
प्रश्न 12.
भारतीय ऋतुओं को बाँटते हुए उनकी समयावधि बताइये।
अथवा
शीतकालीन व ग्रीष्म कालीन मानसून काल की ऋतुओं के नाम अवधि सहित लिखिए।
उत्तर:
शीतकालीन मानसून काल की ऋतु (i) शीत ऋतु (दिसम्बर से फरवरी) (ii) ग्रीष्म ऋतु (मार्च से मध्य जून)। ग्रीष्मकालीन मानूसन काल की ऋतु (i) वर्षा ऋतु (मध्य जून से मध्य सितम्बर) (ii) शरद् ऋतु (मध्य सितम्बर से मध्य दिसम्बर तक)
प्रश्न 13.
हिमांक से क्या तात्पर्य है?
अथवा
हिमांक बिन्दु किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब किसी क्षेत्र में तापमान 0°C या इससे कम हो जाता है तो जल तरल अवस्था से ठोस अवस्था में बदल जाता है। इस जमने की स्थिति हेतु आदर्श न्यून ताप की दशा हिमांक/हिमांक बिन्दु कहलाती है।
प्रश्न 14.
उत्तरी-पूर्वी मानसून से क्या तात्पर्य है?
अथवा
शीतकालीन मानूसन किसे कहते हैं?
उत्तर:
शीत ऋतु के दौरान पवनें स्थल से जल की ओर चलने लगती हैं। ये पवनें भारत में उत्तर-पश्चिम से गंगा के मैदान में प्रवेश करती हैं। मैदानी भाग को पार करने के बाद ये पवनें उत्तर-पूर्व दिशा में चलने लगती हैं। इसी कारण इन्हें उत्तरी-पूर्वी मानसून के नाम से जाना जाता है। यह क्रम शीत ऋतु में विकसित होता है इसी कारण इन्हें शीतकालीन मानसून कहते हैं।
प्रश्न 15.
मावट से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
शीतकालीन अवधि में भूमध्य सागरीय चक्रवातों से होने वाली वर्षा को स्थानीय भाषा में ‘मावट’ कहा जाता है।
प्रश्न 16.
काल बैशाखी से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
ग्रीष्मकाल में पश्चिम बंगाल में चलने वाले वर्षायुक्त आँधी तूफानों को काल बैशाखी कहा जाता है।
प्रश्न 17.
आम्र वर्षा कहाँ होती है?
उत्तर:
दक्षिणी भारत में मालाबार तट के पास होने वाली वर्षा को आम्र वर्षा कहते हैं।
प्रश्न 18.
फूलों की बौछार से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
ग्रीष्मकालीन अवधि में कहवा उत्पादन वाले क्षेत्रों (कर्नाटक, केरल) में होने वाली वर्षा को फूलों की बौछार कहते हैं।
प्रश्न 19.
वायुदाब किसे कहते हैं?
उत्तर:
धरातल पर एक निश्चित क्षेत्रफल पर पड़ने वाले वायुमंडल की समस्त वायु परतों के दबाव को वायुदाब कहते हैं।
प्रश्न 20.
ग्रीष्म ऋतु में थार का मरूस्थल न्यून दाब का केन्द्र क्यों बन जाता है?
उत्तर:
तापमान व वायुदाब में प्रायः विपरीत सम्बन्ध मिलता है। ग्रीष्म काल में थार के मरुस्थल में भारत का सर्वाधिक तापमान मिलता है। इसी कारण इस अवधि में उच्च ताप के कारण यह क्षेत्र न्यून वायुदाब का केन्द्र बन जाता है।
प्रश्न 21.
मानसून का फूटना क्या अभिव्यक्त करता है?
अथवा
मानसून प्रस्फोट से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
अरब सागरीय शाखा के द्वारा पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढालों पर तीव्रता से की जाने वाली प्रथम घनघोर वर्षा को मानसून का फटना कहते हैं।
प्रश्न 22.
मासिनराम नामक क्षेत्र में सर्वाधिक वर्षा क्यों होती है?
उत्तर:
बंगाल की खाड़ी के मानसून की अरुणाचल व असम उपशाखाएँ जब गारो, जयन्तिया व खासी नामक कीपाकार पहाड़ियों से टकराती हैं, तो पहाड़ियों की तलहटी में स्थित ऊपर उठकर संतृप्त होकर मासिनराम नामक स्थान पर सर्वाधिक वर्षा करती है।
प्रश्न 23.
मानसून प्रत्यावर्तन काल से क्या तात्पर्य है?
अथवा
लौटते हुए मानसून से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सूर्य के धीरे-धीरे दक्षिणायन में जाने पर भारत में मानसूनी पवनें ताप व दाब की स्थिति के अनुसार प्रत्यावर्तित होने लगती हैं। मध्य सितम्बर से दिसम्बर तक की इस अवधि को ही मानसून प्रत्यावर्तन काल कहा जाता है।
प्रश्न 24.
वर्षा के वितरण के दृष्टिकोण से भारत को कितने भागों में बाँटा है?
उत्तर:
वर्षा के वितरण के दृष्टिकोण से भारत को चार भागों- अधिक वर्षा वाले क्षेत्र, साधारण वर्षा वाले क्षेत्र, न्यून वर्षा वाले क्षेत्र व अपर्याप्त वर्षा वाले क्षेत्रों में बाँटा गया है।
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 6 लघुत्तरात्मक प्रश्न Type I
प्रश्न 1.
पर्वतों की स्थिति जलवायु को कैसे प्रभावित करती है?
उत्तर:
जलवायु नियंत्रण में पर्वतों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। किसी स्थान पर पाये जाने वाले पर्वतों की स्थिति वर्षण के साथ-साथ तापमान, पवन की दिशाओं को भी नियंत्रित करती है। यथा- भारत में पश्चिमी घाट की स्थिति के कारण इसके पश्चिमी ढालों पर अधिक वर्षा होती है। जबकि इसके पूर्वी भाग में पहुँचने तक बादलों में से नमी समाप्त हो जाने के कारण वर्षा का अभाव दृष्टिगत होता है। वर्षा की यह स्थिति पश्चिमी घाट के पश्चिमी भाग पर नम जलवायु जबकि पूर्वी भाग पर शुष्क जलवायु के स्वरूप को प्रदर्शित करती है। ठीक इसी प्रकार पर्वतों की समानान्तर व अवरोधक स्थिति जलवायु के निर्धारण में मुख्य भूमिका निभाती है।
प्रश्न 2.
अतिवृष्टि व अनावृष्टि क्षेत्र से क्या तात्पर्य है?
अथवा
अतिवृष्टि व अनावृष्टि पर्वतों की स्थिति का परिणाम होती है। कैसे?
उत्तर:
अतिवृष्टि व अनावृष्टि क्रमश: वर्षा की अधिक व न्यून प्राप्ति के क्षेत्र होते हैं। इनके स्वरूप को निम्नानुसार स्पष्ट किया गया है-
अतिवृष्टि क्षेत्र – ये ऐसे क्षेत्र होते हैं जो आर्द्र हवाओं के सामने वाले भाग के रूप में मिलते हैं। ये पवनाभिमुखी ढाल के रूप में पाये जाते हैं। इनकी इसी स्थिति के कारण इन ढालों पर आई वं नम हवाओं द्वारा अत्यधिक वर्षा होती है। इसी कारण इन्हें अतिवृष्टि क्षेत्रों के नाम से जाना जाता है। यथा- भारत के पश्चिमी घाटों का पश्चिमी ढाल।
अनावृष्टि क्षेत्र – इस प्रकार के क्षेत्र हवाओं के परिसंचरण के दृष्टिकोण से पर्वतों के पश्च भाग होते हैं। पर्वतों की ऊँचाई के कारण नम एवं आर्द हवाएँ जब तक इन क्षेत्रों तक पहुँचती हैं इनमें से आर्द्रता लगभग समाप्त हो जाती है। इस प्रक्रिया के कारण ये पवनाविमुखी ढाल प्रायः वर्षा की प्राप्ति नहीं कर पाते। इसी कारण वर्षा अभाव वाले ऐसे क्षेत्रों को अनावृष्टि क्षेत्र कहते हैं। यथा-पश्चिमी घाट का पूर्वी ढाल।
प्रश्न 3.
पर्वतों की दिशा का भारतीय जलवायु पर क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर:
भारतीय जलवायु परं पर्वतों की दिशा का जो प्रभाव दृष्टिगत होता है उसे निम्न बिन्दुओं के द्वारा स्पष्ट किया गया है-
- उत्तरी भारत में हिमालय की स्थिति व दिशा के कारण ही भारत की जलवायु सौम्य मिलती है।
- हिमालय पर्वत की दिशा में कारण ही साइबेरियाई भाग से ठण्डी पवनें भारत में प्रवेश नहीं कर पाती हैं। जिसके कारण भारत की जलवायु मुख्यतः मानसूनी दशाओं को प्रदर्शित करती है।
- पर्वतों की स्थिति के कारण ही ग्रीष्मकालीन मानसून को रोककर ये पर्वत वर्षा कराने में सहायक सिद्ध हुए हैं।
- राजस्थान में अरावली श्रेणियाँ मानसूनी हवाओं के समानान्तर स्थित होने के कारण आर्द्र हवाओं को नहीं रोक पातीं जो कम वर्षाका कारण बनती हैं। इसकी स्थिति के कारण यहाँ शुष्क जलवायु का स्वरूप देखने को मिलता है।
- पश्चिमी घाटों की स्थिति पश्चिमी ढाल की ओर नम जबकि पूर्वी ढाल की ओर शुष्क जलवायु के लिए उत्तरदायी है।
प्रश्न 4.
पवनों की दिशा का जलवायु पर क्या प्रभाव पड़ता है?
अथवा
पवनें जलवायु को कैसे नियंत्रित करती हैं?
उत्तर:
पवनों की दिशा जलवायु की सबसे बड़ी नियंत्रक होती है। पवनें अपनी उत्पत्ति के स्थान एवं मार्ग के गुण लाती हैं। पवनों के प्रवाहन की दिशा जलवायु का निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यथा- ग्रीष्मकालीन मानसून हिन्द महासागर से चलने के कारण उष्ण व आर्द्र होते हैं। इसी कारण इनसे वर्षा होती है। जबकि शरदकालीन मानसून स्थलीय व शीत क्षेत्रों से चलते हैं। अत: सामान्यत: शीत व शुष्कता लाते हैं। ग्रीष्म काल में पवनें जल से स्थल की ओर जबकि शीत काल में स्थल से जल की ओर चलती हैं। पवनों की यह गति जलवायु पर प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डालती है।
प्रश्न 5.
भारत में शीत ऋतु की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
भारत के संदर्भ में शीत ऋतु की निम्न विशेषताएँ हैं-
- यह ऋतु सूर्य के दक्षिणायन में जाने से उत्पन्न होती है।
- इस अवधि में हवाएँ स्थल से सागर की ओर चलती हैं।
- शीतकाल में ताप की स्थिति के कारण वायुदाब उत्तर से दक्षिण की ओर कम होता है।
- इस ऋतु में अनेक स्थानों पर ताप हिमांक बिन्दु से नीचे चला जाता है।
- इस अवधि में उत्तर भारत में शीत लहर व पाले की स्थिति दृष्टिगत होती है।
- इस ऋतु के दौरान कभी-कभी पश्चिमी विक्षोभों से होने वाली वर्षा मावट कहलाती है।
- शीत ऋतु में उत्तरी भारत में तापमान कम. जबकि समुद्रतटीय क्षेत्रों में तापमान प्रायः अधिक मिलता है।
- भारत के दक्षिण में तमिलनाडु शीतकाल में वर्षा प्राप्त करने वाला मुख्य राज्य है।
प्रश्न 6.
ग्रीष्मकालीन ऋतु की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
भारत के संदर्भ में ग्रीष्म ऋतु की निम्न विशेषताएँ हैं-
- यह ऋतु सूर्य के उत्तरायण में आने से उत्पन्न होती है।
- इस ऋतु में हवाएँ मुख्यतः जल से स्थल की ओर चलने लगती हैं।
- इस समयावधि में तापमान उत्तरी भारत में अधिक जबकि समुद्रतटीय क्षेत्रों व हिन्द महासागरीय क्षेत्रों में कम मिलता है।
- इस समय उत्तरी भारत में निम्न वायुदाब जबकि दक्षिणी भारत में उच्च वायुदाब की स्थिति देखने को मिलती है।
- इस अवधि के दौरान उत्तरी – पश्चिमी भारत में धूलभरी, शुष्क व गर्म हवाएँ चलती हैं जिन्हें लू कहा जाता है।
- इस ऋतु में कभी-कभी तीव्र बौछारों व तीव्र हवा के साथ वर्षा होती है।
- बंगाल में ऐसी वर्षा को काल बैशाखी, दक्षिणी भारत में फूलों की बौछार व आम्र वर्षा के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 7.
अरावली पर्वत श्रृंखला का वर्षा के सन्दर्भ में महत्व क्यों नहीं है?
अथवा
राजस्थान के मध्य में अरावली पर्वत श्रृंखला होते हुए भी राजस्थान को वर्षा का लाभ नहीं मिलता है। क्यों?
उत्तर:
राजस्थान में अरावली पर्वत श्रृंखला के होते हुए भी वर्षा ऋतु में इसका लाभ नहीं मिलने के लिए निम्न कारण उत्तरदायी हैं-
- अरावली पर्वत श्रृंखला की औसत ऊँचाई (930मीटर) कम है जो बादलों को रोकने में असमर्थ है।
- राजस्थान में अरावली पर्वत दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर मानसूनी हवाओं के समानान्तर रूप से फैला हुआ है। जिसके कारण यह वर्षण में सहायक नहीं है।
- अरब सागरीय शाखा अरावली की समानान्तर स्थिति के कारण इसके सहारे-सहारे हिमालय तक पहुँच जाती है। किन्तु इससे वर्षण नहीं हो पाता है।
- इस पर्वतमाला का अधिकांश भाग अवैध खनन के कारण वनहीन हो चुका है जिसके कारण भी यह वर्षा को आकर्षित करने में सक्षम नहीं है।
प्रश्न 8.
वर्षा कालीन वर्षा के वितरण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वर्षा कालीन वर्षा का वितरण भारत में असमान स्वरूप को प्रदर्शित करता है। वर्षा के इस वितरणको मुख्यतः निम्न तीन भागों में विभाजित किया गया है-
- 75 सेमी से अधिक वर्षा
- 25-75 सेमी वर्षा
- 25 सेमी से कम वर्षा
1. 75 सेमी से अधिक वर्षा वाले क्षेत्र – इस ऋतु के दौरान पश्चिमी घाट के पश्चिमी भाग व भारत के पूर्वी राज्यों; यथा सिक्किम, अरुणाचल, असम के मेघालय में इस प्रकार का स्वरूप देखने को मिलता है।
2. 25 – 75 सेमी वर्षा – इस प्रकार के क्षेत्रों में मध्यक्र्ती भारत, प्रायद्वीपीय पठारी भाग, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, नागालैण्ड, त्रिपुरा, मिजोरम में पायी जाती है।
3. 25 सेमी से कम वर्षा-वर्षा की यह स्वरूप मुख्यत: जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान के पश्चिमी भाग, गुजरात के अधिकांश भाग, तमिलनाडु व आन्ध्र प्रदेश के तटीय भागों में देखने को मिलता है।
प्रश्न 9.
भारतीय वर्षा की प्रमुख पाँच विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
भारतीय वर्षा की प्रमुख पाँच विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- भारतीय वर्षा का 90 प्रतिशत भाग ग्रीष्मकालीन मानसून के द्वारा प्राप्त होता है।
- भारतीय वर्षा अनियमित वितरण को दर्शाती है यह कहीं ज्यादा तो कहीं कम पायी जाती है।
- भारत में शीत ऋतु प्रायः शुष्क होती है। इस काल में कभी-कभी चक्रवातों से वर्षा होती है।
- वर्षा का प्रतिशत भी भिन्नताओं को दर्शाता है। राजस्थान में वर्षा की अनियमितता 3 प्रतिशत, कानपुर में 2 प्रतिशत व कलकत्ता में 11 प्रतिशत अनियमितता मिलती है।
- वर्षा कहीं मूसलाधार तो कहीं बहुत कम होती है।
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 6 लघुत्तरात्मक प्रश्न Type I
प्रश्न 1.
शीतऋतु के दौरान मिलने वाली वायुदाब की दशाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
शीतकालीन अवधि में मिलने वाली वायुदाब की स्थिति का प्रादेशिक वर्णन निम्नानुसार है- इस ऋतु के दौरान उच्च वायुदाब की स्थिति उत्तरी भारत में राजस्थान, पंजाब, हरियाणा व उत्तराखण्ड में 1018 मिली बार मिलता है। यही स्थिति असम, मेघालय एवं मणिपुर के साथ-साथ, छोटा नागपुर के पठारी क्षेत्र के आस-पास मिलती है। मध्यवर्ती भारतीय भाग में वायुदाब 1016 मिलीबार मिलता है जो दक्षिणी गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश में दृष्टिगत होता है। दक्षिणी भारतीय भाग के पश्चिमी तटीय क्षेत्र के सहारे वायुदाब न्यूनमत 1014 मिलीबार मिलता है। जो कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु के दक्षिणी तट व अंडमान निकोबार में देखने को मिलता है।
प्रश्न 2.
अरब सागरीय मानसून शाखा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
दक्षिणी-पश्चिमी मानसून की यह शाखा अत्यन्त वेगवती होती है। इस शाखा से पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढालों पर तीव्र वर्षा होती है। इस प्रथम वर्षा को मानूसन का प्रस्फोट कहते हैं। इसका वेग पश्चिमी घाट व पश्चिमी तटीय मैदान में ही समाप्त हो जाता है। पश्चिमी घाट को पार कर पूर्वी ढालों पर उतरते समय गर्म होकर ये पवनें शुष्क हो जाती हैं। अतः वृष्टिछाया प्रभाव के कारण पश्चिमी घाट के पूर्वी ढालों पर कम वर्षा होती है। दक्षिण के पठार का पूर्वी भाग वृष्टि छाया प्रभाव में रहता हैं, इस मानसून की शाखाओं को मुख्यत: तीन भागों में बाँटा गया है- (i) चेन्नई शाखा (ii) विन्ध्याचल शाखा जो सतपुड़ा होती हुई छोटा नागपुर के पठार तक जाती है। (iii) राजस्थान शाखा- यह शाखा कच्छ, राजस्थान, हरियाणा व पंजाब होते हुए हिमालय तक जाती है किन्तु अरावली की समानान्तर स्थिति के कारण राजस्थान को इसका अधिक फायदा नहीं मिलता है। खम्भात की खाड़ी से दूरी बढ़ने के साथ-साथ वर्षा की मात्रा भी कम होती जाती है।
प्रश्न 3.
बंगाल की खाड़ी के मानसून का वर्णन कीजिए।
अथवा
बंगाल की खाड़ी की शाखा भारत में कहाँ-कहाँ वर्षण करती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
दक्षिणी-पश्चिमी मानसून की यह एक प्रमुख शाखा है। जो बंगाल की खाड़ी से प्रारम्भ होकर पूर्वी व मध्यवर्ती भारत में वर्षा का कार्य करती है। भारतीय मानसून की इस शाखा को निम्न भागों में बाँटा गया है
- पूर्वी शाखा – बंगाल की खाड़ी की यह शाखा पूर्व में असम की ओर जाती है जो ब्रह्मपुत्र नदी की घाटी में वर्षा करती है। यहाँ वर्षा का औसत 200 सेमी से अधिक होता है।
- मध्य-पूर्वी शाखा – यह शाखा पश्चिमी बंगाल होते हुए हिमालय के पूर्वी भाग में वर्षा करती है। इसी शाखा के द्वारा खासी की पहाड़ियों में स्थित मासिनराम नामक स्थान पर 1300 सेमी से भी अधिक वर्षा होती है। वर्षा का यह औसत विश्व में सर्वाधिक है।
- पश्चिमी शाखा – यह बंगाल की खाड़ी के मानसून की पश्चिमी शाखा है जो हिमालय पर्वत के समानान्तर पश्चिम की ओर क्रमश: बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पंजाब, हरियाणा व राजस्थान तक जाती है। इसकी एक उपशाखा छोटा – नागपुर के पठार की ओर चली जाती है।
प्रश्न 4.
शरद् ऋतु की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
मानसून प्रत्यावर्तन काल की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
शरद् ऋतु की निम्नलिखित विशेषताएँ मिलती है-
- यह ऋतु मध्य सितम्बर से दिसम्बर तक होती है।
- यह ऋतु सूर्य के दक्षिणायन होने के साथ-साथ प्रारम्भ हो जाती है।
- इस ऋतु में अधिकतम तापमान 30°-35° सेल्शियस पाया जाता है। जो दिसम्बर तक घटकर तटीय क्षेत्रों में 25° सेल्शियस तक पहुँच जाता है।
- इस ऋतु में वायुदाबीय स्थिति ग्रीष्म की तुलना में विपरीत होने लगती है।
- वायुदाब में परिवर्तन से मानसूनी पवनों में प्रत्यावर्तन होने लगता है।
- इस ऋतु में पीछे हटते हुए मानसून से तमिलनाडु एवं तटीय भागों में कुछ वर्षा होती है।
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 6 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारतीय जलवायु को प्रभावित करने वाले कारकों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
भारतीय जलवायु अनेक कारकों के नियंत्रण की देन है। कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत की जलवायु को अनेक कारक प्रभावित करते हैं। इन कारकों में मुख्य रूप से निम्नलिखित को शामिल किया गया है-
- समुद्र तल से ऊंचाई
- समुद्र से दूरी
- भूमध्य रेखा से दूरी
- पर्वतों की स्थिति
- पर्वतों की दिशा
- पवनों की दिशा
- उच्च स्तरीय पवन संचरण
1. समुद्र तल से ऊँचाई – ऊँचाई बढ़ने के साथ-साथ ताप कम होता जाता है। यही कारण है कि धरातल से जैसे-जैसे ऊँचाई पर जाते हैं, तापमान कम होता जाता है।
2. समुद्र से दूरी – समुद्र का नम व सम प्रभाव पड़ता है। समुद्र से दूरी बढ़ने के साथ-साथ तापान्तर एवं शुष्कता बढ़ती जाती है। समुद्रों के समीप प्रायः नम जलवायु दृष्टिगत होती है।
3. भूमध्य रेखा से दूरी – भूमध्य रेखा से बढ़ते अक्षांश के साथ तापमान में कमी आती जाती है। दूरी बढ़ने के साथ-साथ सूर्यातप की मात्रा प्रभावित होती है। किरणों के तिरछेपन के साथ-साथ ताप में परिवर्तन होता जाता है।
4. पर्वतों की स्थिति – पर्वतों की स्थिति जलवायु को वर्षा की प्राप्ति के अनुसार नियंत्रित करती है। पर्वतों के पवनाभिमुखी ढाल नम जलवायु जबकि पवनाविमुखी ढाल शुष्क जलवायु का निर्माण करने में सहायक हैं।
5. पर्वतों की दिशा – पर्वतों की अवरोधक या समानान्तर स्थिति जलवायु नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। समानान्तर स्थिति वर्षा में सहायक न होने के कारण शुष्क जलवायु को जबकि अवरोधक स्थिति वर्षा में सहायक होने के कारण नम जलवायु का निर्माण करने में सहायक होती है।
6. पवनों की दिशा – पवनों की दिशा मुख्यत: स्थल से सागर एवं सागर से स्थल की ओर मिलती है। ऐसी स्थिति में पवनों का शुष्क व नम होना जलवायविक दशाओं पर प्रभाव डालता है। प्रायः सागर से स्थल की ओर चलने वाली पवनें आर्द्रतायुक्त होती हैं। जो वर्षा करने में सहायक होती हैं जबकि स्थल से सागर ही ओर चलने वाली पवनें शुष्क होने के कारण ताप वृद्धि में सहायक होती हैं।
7. उच्च स्तरीय पवन संचरण – क्षोभमंडल में चलने वाली उच्च स्तरीय पवनें भी जलवायु परिवर्तन में प्रभाव डालती हैं। इन मुख्य कारकों के अलावा आकाश में बादलों की मात्रा का कम या अधिक होना, वनस्पति का कम या ज्यादा पाया जाना तथा समुद्री धाराओं के गर्म व ठण्डे स्वभाव के द्वारा भी सम्बन्धित क्षेत्र की जलवायु पर प्रभाव पड़ता है।
प्रश्न 2.
दक्षिणी-पश्चिमी मानसून शाखा का वर्णन कीजिए।
अथवा
ग्रीष्म कालीन मानसून का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
दक्षिणी-पश्चिमी मानसून को ही ग्रीष्म कालीन मानसून के नाम से जाना जाता है। इस मानसून काल में मुख्यतः दो ऋतुएँ। शामिल की जाती हैं-
- वर्षा ऋतु
- शरद ऋतु।
1. वर्षा ऋतु – इस ऋतु का समय मध्य जून से मध्य सितम्बर तक मिलता है। कृषि प्रधान देश होने के कारण इस ऋतु का भारत में सर्वाधिक महत्व है।
इस ऋतु में मिलने वाली वायुदाब, पवनों वे वर्षा की स्थिति का वर्णन निम्नानुसार है-
वायुदाब, पवनें व वर्षा – ग्रीष्मकालीन ऋतु का अंतिम चरण जल से स्थल की ओर पवनों के प्रवाहन हेतु उत्तरदायी होता है। इस ऋतु में भूमध्य रेखा के दक्षिण में चलने वाली दक्षिणी-पूर्वी व्यापारिक पवनें उत्तरी-पश्चिमी भारत में विकसित न्यून दाब की ओर आकर्षित होकर भूमध्य रेखा को पार करती हैं। भूमध्य रेखा को पार करने पर फैरल नियम के अनुसार ये पवनें दिशा बदलकर अपने दाहिनी ओर मुड़ जाती है। अत: इनकी दिशा दक्षिणी-पश्चिमी हो जाती है। इसलिए इन्हें दक्षिणी-पश्चिमी मानसून के नाम से जाना जाता हैं। भारत की कुल वर्षा को लगभग 90 प्रतिशत भाग इसी ऋतु में प्राप्त होता है। भारत की प्रायद्वीपीय स्थिति के कारण दक्षिणी-पश्चिमी मानसून दो भागों में बँट जाता है- 1. अरब सागरीय मानसून तथा 2. बगांल की खाड़ी का मानसून। इनमें से प्रत्येक शाखा को पुनः तीन-तीन भागों में बाँटा गया है।
2. शरद् ऋतु – इस ऋतु का समय मध्य सितम्बर से दिसम्बर तक होता है। इसे मानसून प्रत्यावर्तन काल के नाम से भी जाना जाता है। इसे ऋतु में वायुदाब, तापमान व वर्षा की स्थिति निम्नानुसार हैवायुदाब, पवनें व वर्षा-तापमान में परिवर्तन के कारण वायुदाब की स्थिति अनिश्चित सी मिलती है। वायुदाब ग्रीष्म ऋतु के विपरीत होने लगता है। जिससे मानसूनी पवनों का प्रत्यावर्तन होने लगता है। ऐसी स्थिति में पीछे हटते मानसून से तमिलनाडु एवं तटीय क्षेत्रों में वर्षा होती है।
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