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RBSE Solutions for Class 11 Indian Geography Chapter 7 भारत का मानसून तंत्र

July 19, 2019 by Fazal Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 7 भारत का मानसून तंत्र

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 7 पाठ्य पुस्तक के अभ्यास प्रश्न

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 7 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
जैट स्ट्रीम जिसका अंग है, वह है-
(अ) विभिन्न वायुपुंज
(ब) वाताग्र
(स) चक्रवात
(द) उच्चस्तरीय वायु संचरण
उत्तर:
(द) उच्चस्तरीय वायु संचरण

प्रश्न 2.
मानसून की उत्पत्ति के विषय में पारम्परिक अवधारणा है-
(अ) जैट स्ट्रीम परिकल्पना
(ब) अन्तर-उष्ण कटिबंधीय अभिसरण परिकल्पना
(स) संस्थापित परिकल्पना
(द) अल नीनो- ला नीना प्रभाव
उत्तर:
(स) संस्थापित परिकल्पना

प्रश्न 3.
विभिन्न वायुपुंजो के मिलने से बने वाताग्रों के कारण मानसून की उत्पत्ति जिस विद्वान ने मानी है वह है-
(अ) स्पेट
(ब) फ्लोन
(स) हैमिल्टन
(द) कोटेश्वरम्
उत्तर:
(अ) स्पेट

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 7 अतिलघूत्तात्मक प्रश्न

प्रश्न 4.
अन्तर-उष्ण कटिबन्धीय अभिसरण किन पवनों के मिलने से बनता है?
उत्तर:
उत्तरी-पूर्वी व्यापारिक पवनों व दक्षिणी-पश्चिमी व्यापारिक पवनों के भूमध्यरेखीय पछुवा पवनों से मिलने के कारण अन्तर-उष्ण कटिबन्धीय अभिसरण बनता है।

प्रश्न 5.
जैट स्ट्रीम किस संचरण का अंग माना गया है?
उत्तर:
जैट-स्ट्रीम हिमालय व तिब्बत क्षेत्र में संचरित होने वाले उच्च स्तरीय वायु संचरण का प्रमुख अंग है।

प्रश्न 6.
क्राइस्ट शिशु किसे कहते हैं?
उत्तर:
अलनीनो एवं ला नीना की असामान्य परिस्थितियाँ क्रिसमस के आसपास उत्पन्न होती है; अतएव मौसम वैज्ञानिकों ने इन्हें क्राइस्ट शिशु की संज्ञा दी है।

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 7 लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 7.
विभिन्न वायुपुंजों के मिलने से क्या बनता है?
उत्तर:
विभिन्न वायुपुंजों के मिश्रण से वाताग्रों को निर्माण होता है। ये लहरदार एवं विशेष ढाल वाला तल होता है जो आमने-सामने से दो भिन्न-भिन्न भौतिक लक्षणों वाली वायुराशियों में मिलकर बनते हैं।

प्रश्न 8.
शीत ऋतु में जैट स्ट्रीम दो शाखाओं में क्यों विभाजित हो जाती है?
उत्तर:
जैट स्ट्रीम पवनें मौसम के अनुसार परिवर्तित होती रहती हैं। जैसे ही सूर्य दक्षिणायन हो जाता है सभी वायुदाब पेटियाँ एवं सभी पवनें भी इस के अनुसार दक्षिण की ओर खिसक जाती हैं। इसी प्रक्रिया के अन्तर्गत जैट स्ट्रीम का प्रवाह भी दक्षिण की ओर खिसक जाता है। दक्षिण की ओर खिसकने पर तिब्बत के पठार की स्थिति के कारण जैट स्ट्रीम पवनें दो शाखाओं में बँट जाती हैं। इसकी उत्तरी शाखा तिब्बत के पठार के उत्तर व दक्षिणी शाखा तिब्बत के पठार के दक्षिण की ओर चली जाती है।

प्रश्न 9.
ला नीना प्रभाव किसे कहते हैं?
उत्तर:
ला नीना एक नवीन मानसूनी अवधारणा है जिसकी उत्पत्ति दक्षिणी प्रशान्त महासागर में पीरू तट के निकट महासागरीय तापमान की प्रकृति में परिवर्तन से होती है। क्रिसमस के आसपास दक्षिणी प्रशान्त महासागर में पीरू तट के निकट महासागरीय जल के तापमान में सामान्य से 2° या 4°C तक कमी हो जाती है। तापमान के कम होने की इस परिस्थिति को ही ला नीना प्रभाव कहा जाता।

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 7 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 10.
मानसून की उत्पत्ति के विषय में जैट स्ट्रीम परिकल्पना को विस्तार से समझाइये।
उत्तर:
मानूसन की उत्पत्ति के सम्बन्ध में जैट स्ट्रीम परिकल्पना का महत्वपूर्ण स्थान है। इस परिकल्पना में मानसून की उत्पत्ति में केवल धरातलीय जलवायु दशाओं को उत्तरदायी न मानकर क्षोभमंडल में संचरित होने वाले वायु के प्रवाह को भी उत्तरदायी माना गया है। क्षोभमण्डल में चलने वाली इन पवनों को उच्च स्तरीय वायु संचरण कहा जाता है। इस संचरण में वायु की एक तीव्र प्रवाह वाली धारा चलती है, जिसे जैट स्ट्रीम के नाम से जाना जाता है। इस पवन में मौसमी परिवर्तन के साथ खिसकाव होता है जिससे शीतकालीन वै ग्रीष्म कालीन मानसून की उत्पत्ति होती है जिनका वर्णन निम्नानुसार है-

जैट स्ट्रीम व शीतकालीन मानसून – शीत ऋतु में सूर्य के दक्षिणायन होने के साथ ही वायुदाब पेटियाँ व उनके अनुरूप पवनों की पेटियों को दक्षिण की ओर खिसकाव हो जाता है। इस समय जैट स्ट्रीम भी दक्षिण की ओर खिसक जाती है। तिब्बत का पठार अपनी स्थिति के कारण जैट स्ट्रीम को दो भागों में बाँट देता है। इसकी एक शाखा तिब्बत के पठार के दक्षिण में चलने लगती है। पवनों की पेटियों के दक्षिण की ओर खिसकने के कारण जैट स्ट्रीम का दक्षिणी प्रवाह 20° से 25° उत्तरी अक्षांश के मध्य हो जाता है। इसी कारण भारत में शरद्कालीन मानसून की उत्पत्ति होती है। भारत में उत्तर-पश्चिम की ओर से आने वाले चक्रवातीय विक्षोभों का प्रवेश भी जैट स्ट्रीम की इसी धारा की देन है।

जैट स्ट्रीम व ग्रीष्मकालीन मानसून – सूर्य जैसे ही उत्तरायण की ओर होता है तो वायुदाब की पेटियाँ व उनके अनुरूप सभी पवनों की पेटियाँ भी उत्तर की ओर खिसक जाती हैं। इस अवधि में जैट स्ट्रीम का प्रवाह भी तिब्बत के पठार के उत्तर की ओर प्रवाहित होने लगता है। ऐसी स्थिति के कारण पवने हिन्द महासागरीय क्षेत्र से उत्तर की ओर चलने लगती हैं। इन सागरीय हवाओं में आर्द्रता की अधिकता के कारण वर्षा होती है जो भारत में ग्रीष्म कालीन मानसून के लिए उत्तरदायी होती है।

प्रश्न 11.
अल नीनो और ला नीना प्रभाव की मानसून की उत्पत्ति में योगदान की विस्तृत व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
भारतीय मानसून की उत्पत्ति में अल नीनो और ला नीना का महत्वपूर्ण प्रभाव मिलता है। इन दोनों की उत्पत्ति दक्षिणी प्रशान्त महासागर में पीरू तट के निकट महासागरीय तापमान की परिस्थितियों में परिवर्तन के कारण होती है। दक्षिणी प्रशान्त महासागर में तापमान का सामान्य स्तर से 2°C या 4°C अधिक या कम होना क्रमश: अल नीनो व ला नीना के नाम से जाना जाता है। अल नीनो की स्थिति में भारत में मानसून कमजोर जबकि ला नीना की स्थिति में भारतीय मानसून अधिक सक्रिय हो जाता है। दोनों दशाओं के प्रभावों को निम्नानुसार स्पष्ट किया गया है

(i) अल नीनो प्रभाव व मानसून- दक्षिण प्रशान्त महासागर में पीरू तट के निकट तापमान में सामान्य से अधिक वृद्धि होने पर वायुदाब की परिस्थितियाँ प्रभावित होती हैं। तापमान में वृद्धि के प्रभाव के कारण इस क्षेत्र में वायुदाब सामान्य से कम हो जाता है। भूमण्डलीय वायुदाब तंत्र व वायुप्रवाह तन्त्र पर इसके प्रभाव पड़ने की कल्पना की गई है। इसी कारण पीरू तट के निकट सामान्य से कम वायुदाब हो जाने के कारण यहाँ से दक्षिणी-पूर्वी व्यापारिक पवनों को धकेलने वाला बल कमजोर पड़ जाता है तथा यहाँ व्यापारिक पवनों को आकर्षित करने वाला बल विकसित हो जाता है जिसके कारण इन व्यापारिक पवनों का एशिया की ओर प्रवाह कमजोर पड़ जाता है जिससे भारत में ग्रीष्म कालीन मानसून के देरी से आने व कमजोर होने की सम्भावनाएँ व्यक्त की जाती हैं। अल नीनो के इस स्वरूप को निम्न रेखाचित्र में दर्शाया गया है-
RBSE Solutions for Class 11 Indian Geography Chapter 7 भारत का मानसून तंत्र 1

ला नीना प्रभाव व मानसून – दक्षिणी प्रशान्त महासागर में पीरू तट के निकट जब तापमान में सामान्य की तुलना में कमी आती है तो वायुदाब सामान्य से अधिक विकसित हो जाता है। इसके कारण दक्षिणी-पूर्वी व्यापारिक पवनों को धकेलने वाला बल शक्तिशाली हो जाता है। इस प्रवृति के कारण भारत में मानसून के शीघ्र आने व इसके अधिक सक्रिय होने की सम्भावनाएँ व्यक्त की जाती हैं। इस प्रभाव को निम्न रेखचित्र में दर्शाया गया है-
RBSE Solutions for Class 11 Indian Geography Chapter 7 भारत का मानसून तंत्र 2

आंकिक प्रश्न

प्रश्न 12.
विभिन्न ऋतुओं में जैट स्ट्रीम की स्थितियों को दर्शाने हेतु रूपरेखा चित्र बनाइये।
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 11 Indian Geography Chapter 7 भारत का मानसून तंत्र 3

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 7 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 7 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत की जलवायु को कहा जाता है?
(अ) मानसूनी
(ब) उष्ण कटिबन्धीय
(स) शीतोष्ण कटिबन्धीय
(द) टैगा।
उत्तर:
(अ) मानसूनी

प्रश्न 2.
मौसिम किस भाषा का शब्द है?
(अ) यूनानी
(ब) लैटिन
(स) अरबी
(द) हिब्रु
उत्तर:
(स) अरबी

प्रश्न 3.
ग्रीष्म ऋतु में पवनें चलती हैं-
(अ) जल से स्थल की ओर
(ब) स्थल से जल की ओर
(स) जल से जल की ओर
(द) स्थल से स्थल की ओर
उत्तर:
(अ) जल से स्थल की ओर

प्रश्न 4.
अन्त: उष्णकटिबन्धीय अभिसरण परिकल्पना को यह भी कहते हैं।
(अ) फ्लोन अवधारणा
(ब) हैली अवधारणा
(स) कोटेश्वरम् अवधारणा
(द) कोई नहीं
उत्तर:
(अ) फ्लोन अवधारणा

प्रश्न 5.
जैट स्ट्रीम पवनें चलती हैं।
(अ) क्षोभमण्डल में
(ब) समताप मण्डल में
(स) मध्यमण्डल में
(द) आयन मण्डल में
उत्तर:
(अ) क्षोभमण्डल में

प्रश्न 6.
शीत ऋतु में जैट स्ट्रीम पवनें खिसक जाती हैं
(अ) उत्तर की ओर
(ब) दक्षिण की ओर
(स) पूर्व की ओर
(द) पश्चिम की ओर
उत्तर:
(ब) दक्षिण की ओर

प्रश्न 7.
अलनीनो प्रभाव कहाँ उत्पन्न होता है?
(अ) प्रशान्त महासागर के उत्तरी भाग में
(ब) अटलांटिक महासागर के दक्षिणी भाग में
(स) प्रशान्त महासागर के दक्षिणी भाग में
(द) हिन्द महासागर के उत्तरी भाग में
उत्तर:
(स) प्रशान्त महासागर के दक्षिणी भाग में

प्रश्न 8.
ला नीना की स्थिति में ताप में जो परिवर्तन होता है, वह है-
(अ) तापमान में सामान्य वृद्धि
(ब) तापमान में सामान्य गिरावट
(स) तापमान में तीव्र वृद्धि
(द) तापमान में तीव्र गिरावट
उत्तर:
(ब) तापमान में सामान्य गिरावट

प्रश्न 9.
उत्तरी गोलार्द्ध में व्यापारिक पवनें चलती हैं।
(अ) उत्तर से दक्षिण
(ब) दक्षिण से उत्तर
(स) उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम
(द) दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पश्चिम
उत्तर:
(स) उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम

सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए

स्तम्भ अ स्तम्भ ब
(i) दक्षिणी-पश्चिमी मानसून (अ) उच्च स्तरीय वायु संचरण
(i) उत्तरी-पूर्वी मानसून (ब) स्पोट
(iii) अन्त: उष्ण कटिबन्धीय अभिसरण परिकल्पना (स) ग्रीष्म कालीन मानसून
(iv) चक्रवातीय परिकल्पना (द) शीतकालीन मानसून
(v) जैट स्ट्रीम परिकल्पना (य) फ्लोन

उत्तर:
(i) (स) (ii) (द) (iii) (य) (iv) (ब) (v) (अ)।

स्तम्भ अ स्तम्भ ब
(i) मानसून का जुआ (अ) भारत में प्रबल मानसून
(ii) विभिन्न वायु पुंजों का मिश्रण (ब) जैट स्ट्रीम उत्तर की ओर
(iii) शीत ऋतु (स) भारतीय अर्थव्यस्था
(iv) ग्रीष्म ऋतु (द) जैट स्ट्रीम दक्षिण की ओर
(v) ला नीना की स्थिति (य) वाताग्र निर्माण

उत्तर:
(i) (स), (ii) (य), (iii) (द), (iv) (ब), (v) (अ)

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 7 अतिलघूत्तात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत की जलवायु को मानसूनी जलवायु क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
भारत की जलवायु में मानसूनी हवाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। इनकी सर्वाधिक भूमिका के कारण ही भारत की जलवायु को मानसूनी जलवायु कहा जाता है।

प्रश्न 2.
भारतीय अर्थव्यवस्था मानसून पर निर्भर क्यों रहती है?
उत्तर:
भारतीय अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर निर्भर हैं और कृषि की प्रक्रिया मुख्यतः मानसून पर निर्भर करती है इसी कारण भारतीय अर्थव्यवस्था मानसून पर निर्भर रहती है।

प्रश्न 3.
मानसून का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के मौसिम शब्द से हुई है जिसका अर्थ होता है- मौसम या ऋतु। इस प्रकार मौसम या ऋतु की अवस्था ही मानसून है।

प्रश्न 4.
भारतीय अर्थव्यवस्था को मानसून का जुआ क्यों कहते हैं?
उत्तर:
भारत में मानसून हवाओं की स्थिति अनियमितओं से युक्त है जिसके कारण वर्षा का प्रभाव कृषि पर मुख्य रूप से दृष्टिगत होता है। जिसे वर्ष वर्षा का अभाव मिलता है उस वर्ष कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने से अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है। जबकि जिस वर्ष वर्षा अच्छी होती है उस वर्ष कृषि उत्पादन अच्छा होने से अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसी कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को मानसून का जुआ कहते हैं।

प्रश्न 5.
संस्थापित परिकल्पना किससे सम्बन्धित है?
उत्तर:
संस्थापित परिकल्पना स्थल व जल के वितरण तथा इनकी तापग्रहण व ताप मुक्ति के सन्दर्भ में भिन्न गुणों के सम्बन्धित है।

प्रश्न 6.
ताप व दाब में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
किसी भी क्षेत्र में तापमान व वायुदाब के बीच विपरीत स्थिति देखने को मिलती है। यदि तापमान अधिक मिलता है तो वायुदाब कम और यदि वायुदाब अधिक मिलता है तो तापमान कम पाया जाता है।

प्रश्न 7.
ग्रीष्म काल में हवाएँ कहाँ से कहाँ की ओर चलती हैं और क्यों?
उत्तर:
ग्रीष्म काल में हवाएँ सागर से स्थल की ओर चलती हैं। इसके लिये तापमान व वायुदाब की स्थिति उत्तरदायी होती है। इस अवधि में सागरीय भागों में उच्च वायुदाब व स्थलीय भागों में न्यून दाब मिलने से हवायें सागर से स्थल की ओर चलती हैं।

प्रश्न 8.
ग्रीष्म कालीन मानसूनी पवनों से वर्षा क्यों होती है?
उत्तर:
ग्रीष्मकाल में मानसूनी पवनों की उत्पत्ति महासागरीय क्षेत्रों में होती है। महासागरीय क्षेत्रों में उत्पन्न होने के कारण ये आर्द्रता युक्त होती हैं और सम्बन्धित क्षेत्र में वर्षा करती हैं।

प्रश्न 9.
फ्लोन ने मानसून की जननी किसे माना है?
उत्तर:
जर्मन मौसम विज्ञान शास्त्री फ्लोन ने बताया था कि भूमध्यरेखीय निम्न दाब की ओर चलने वाली दोनों व्यापारिक पवनों के मिलने से वाताग्र उत्पन्न होते हैं। इन वाताग्रों को ही मानसून की जननी माना था।

प्रश्न 10.
भारत में उत्तर-पूर्वी मानसून कैसे गतिशील होते हैं?
उत्तर:
व्यापारिक पवनों से निर्मित वाताग्र, शीत ऋतु के दौरान दक्षिण की ओर खिसक जाता है। साथ ही वायुदाब पेटियों के दक्षिण की ओर खिसक जाने से भारत में इस समय उपोष्ण उच्च दाब का प्रभाव बढ़ जाता है। अत: प्रतिचक्रवातीय दशा उत्पन्न होने से उत्तरी-पूर्वी मानसून गतिशील होते हैं।

प्रश्न 11.
फ्लोन की अवधारणा का नाम लिखिए।
उत्तर:
फ्लोन ने पवनों के अभिसरण से सम्बन्धित अन्त: उष्ण कटिबन्धीय अभिसरण परिकल्पना का प्रतिपादन किया था। जिसमें पवन पेटियों के खिसकने व वाताग्रों से मानसून की उत्पत्ति मानी गई है।

प्रश्न 12.
स्पेट के अनुसार मौसमी परिवर्तन का वाताग्रों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
स्पेट के अनुसार ग्रीष्म ऋतु में वाताग्र बनने की प्रक्रिया शक्तिशाली होती है जबकि शीत ऋतु के दौरान वाताग्र अत्यन्त दुर्बल व छिछले हो जाते हैं।

प्रश्न 13.
जैट स्ट्रीम से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
क्षोभमण्डल के ऊपरी भाग में उच्च स्तरीय वायु संचरण की स्थिति मिलती है। इस संचरण में वायु की एक तीव्र प्रवाह वाली धारा चलती रहती है, जिसे जैट स्ट्रीम के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 14.
जैट स्ट्रीम के सम्बन्ध में किस-किस विद्वान ने इनका मानसून से सम्बन्ध माना है?
उत्तर:
जैट स्ट्रीम व मानसून में घनिष्ठ सम्बन्ध मानने वाले विद्वानों में कोटेश्वरम, पन्त, रामामूर्ति, रामास्वामी, फ्लोन, हैमिल्टन नामक विद्वान शामिल हैं।

प्रश्न 15.
शीत ऋतु में जैट स्ट्रीम की स्थिति कहाँ होती है?
उत्तर:
शीत ऋतु में सूर्य की स्थिति दक्षिणायन हो जाती है अर्थात् सूर्य मकर रेखा पर सीधा चमकता है। इसके परिणामस्वरूप वायुदाब की पेटियाँ एवं उनके अनुरूप सभी पवनों की पेटियों के साथ जैट स्ट्रीम का प्रवाह भी दक्षिण की ओर खिसक जाता है।

प्रश्न 16.
चक्रवातीय विक्षोभ किसकी देन है?
उत्तर:
तिब्बत के पठार के दक्षिण में चलने वाली जैट स्ट्रीम की शाखा शीत ऋतु में 20-25° उत्तरी अक्षांश तक पहुँच जाती है। जैट स्ट्रीम की यह शाखा ही चक्रवातीय विक्षोभों के प्रवेश का कारण बनती है।

प्रश्न 17.
अल नीनो व ला नीना का भारतीय मानसून पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
अल नीनो की स्थिति में भारतीय मानसून की प्रक्रिया कमजोर हो जाती है जबकि ला नीना की स्थिति में भारतीय मानसून की सक्रियता बढ़ जाती है।

प्रश्न 18.
व्यापारिक पवनों से क्या आशय है?
उत्तर:
दोनों गोलार्थों में उपोष्ण कटिबंधीय उच्च वायुदाब पेटी से भूमध्य रेखीय निम्न वायुदाब पेटी की ओर चलने वाली हवाओं को व्यापारिक पवनें कहते हैं। प्राचीन काल में इन हवाओं से व्यापार में काफी सुविधा होती थी। अतएव इनका नाम व्यापारिक पवनें पड़ा।

प्रश्न 19.
व्यापारिक पवनों का एशिया की ओर प्रवाह कमजोर क्यों पड़ता है?
उत्तर:
पीरू तट के निकट सामान्य से कम वायुदाब होने से दक्षिणी-पूर्वी व्यापारिक पवनों को धकेलने वाला बल कमजोर हो जाता है जबकि यहाँ व्यापारिक पवनों को आकर्षित करने वाला बल प्रभावी हो जाता है। इसके कारण ही व्यापारिक पवनों का एशिया की ओर प्रवाह कमजोर हो जाता है।

प्रश्न 20.
भारत में मानसून का अधिक महत्व क्यों है?
उत्तर:
भारत एक कृषि प्रधान राष्ट्र है। इस कृषि का स्वरूप, इससे सम्बन्धित उद्योगों की स्थिति प्रत्यक्ष रूप से मानसून से जुड़ी हुई है। इसी कारण मानसून का भारत में अधिक महत्व है।

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 7 लघुत्तरात्मक प्रश्न Type I

प्रश्न 1.
मानसून की अवधारणा से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
मानूसन शब्द अरबी भाषा के मौसिम शब्द से बना है, जिसका अर्थ है- मौसम या ऋतु। मानसूनी पवने वस्तुत: मौसमी हवाएँ ही हैं। ये वर्ष के छ: माह स्थल से जल की ओर तथा छ: माह जल से स्थल की ओर से चलती हैं। हमारा देश वर्ष भर मानसूनी हवाओं के प्रभाव में रहता है। अतः यहाँ की जलवायु इन हवाओं द्वारा निर्धारित होती है। जलवायु पर ही हमारे देश की कृषि, कृषि आधारित उद्योग एवं अन्य अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित पहलू निर्भर करते हैं।

प्रश्न 2.
संस्थापित परिकल्पना के अनुसार ग्रीष्मकालीन मानसून की उत्पत्ति कैसे होती है?
उत्तर:
संस्थापित परिकल्पना के अनुसार ग्रीष्मकालीन मानसून की उत्पत्ति के लिये जल व स्थल का विपरीत स्वभाव उत्तरदायी होता है। इस परिकल्पना के अनुसार स्थलीय भाग शीघ्र गर्म व शीघ्र ठण्डे होते हैं, जबकि जल देर से गर्म व देर से ठण्डा होता है। ग्रीष्म ऋतु में स्थल के शीघ्र गर्म हो जाने से न्यून वायुदाब बन जाता है, जबकि जल शीघ्र ताप ग्रहण न कर पाने के कारण ठण्डा रहता है तथा वहाँ उच्च दाब बन जाता है। अतः इस ऋतु में जल से स्थल की ओर पवनें चलने लगती हैं। जलीय क्षेत्र से उद्गम होने के कारण ये पवनें आर्द्र होती हैं इसलिये इन पवनों से व्यापक वर्षा होती है।

प्रश्न 3.
स्पेट की चक्रवातीय परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आस्ट्रेलियाई भूगोलवेत्ता स्पेट का मानना है कि मानसून पवनें चक्रवातों की उत्पत्ति का परिणाम हैं। ये चक्रवात विभिन्न वायुपुंजों के मिलने पर बने वाताग्रों के कारण उत्पन्न होते हैं। इनकी मान्यता है कि ग्रीष्म ऋतु में वाताग्र बनने की प्रक्रिया अत्यन्त शक्तिशाली होती है। अत: ये वाताग्र महासागर से आर्द्रताभरी पवनों को आकर्षित करते हैं। इसके विपरीत शीत ऋतु में स्पेट के अनुसार ये वाताग्र अत्यन्त दुर्बल व छिछले हो जाते हैं। जिसके कारण ये अधिक वर्षा को आकर्षित नहीं कर पाते हैं।

प्रश्न 4.
ग्रीष्मकालीन जैट स्ट्रीम की स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ग्रीष्मकाल में सूर्य उत्तरायण में आ जाता है। अर्थात् सूर्य कर्क रेखा पर सीधा चमकता है। इसके परिणामस्वरूप सभी वायुदाब की पेटियाँ तथा उनके अनुरूप पवनों की पेटियाँ उत्तर की ओर खिसक जाती हैं। अत: जैट स्ट्रीम का सम्पूर्ण प्रवाह मुख्य धारा के रूप में तिब्बत के पठार के उत्तर में प्रवाहित होने लगता है। इस प्रवाह के उत्तर की ओर खिसकने के फलस्वरूप बने स्थान के कारण हिन्द महासागरीय क्षेत्र से पवनें उत्तर की ओर चलने लगती हैं। यही ग्रीष्मकालीन मानसून के बनने की प्रक्रिया है।

प्रश्न 5.
ला नीना के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारतीय मानसून के लिये ला नीना की स्थिति अत्यधिक महत्वपूर्ण सिद्ध होती है जिन्हें निम्न बिन्दुओं के रूप में समझा जा सकता है-

  1. ला नीना प्रभाव से मानसून सक्रिय बनता है।
  2. इस प्रक्रिया से पीरू तट से उच्चदाबीय स्थिति के कारण धकेलने वाला तीव्र बल उत्पन्न होता है।
  3. यह प्रक्रिया भारतीय मानसून को शीघ्रता से लाने में सहायता देती है।

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 7 लघुत्तरात्मक प्रश्न Type II

प्रश्न 1.
संस्थापित परिकल्पना की ग्रीष्मकालीन एवं शीतकालीन मानसून शाखाओं में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संस्थापित परिकल्पना की ग्रीष्मकालीन वे शीतकालीन मानसून शाखाओं में मिलने वाले अन्तर को निम्न बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट किया गया है।

क्र.सं. तुलना का आधार शीतकालीन मानसून ग्रीष्म कालीन मानसून
1. तापमान इस काल में उच्च तापमान सागरीय सतह पर देखने को मिलता है। इस काल में उच्च तापमान स्थलीय भाग में देखने को मिलता है।
2. उच्च ताप क्षेत्र उच्च ताप की स्थिति मुख्यतः हिन्द महासागर में मिलती है। उच्च ताप की स्थिति प्राय: थार के मरुस्थलीय क्षेत्र में देखने को मिलती है।
3. वायुदाब इस काल में उत्तरी भारत में कम तापमान मिलने से उच्च वायुदाब मिलता है। इस काल में दक्षिणी भारत में कम तापमान मिलने से उच्च वायु दाब मिलता है।
4. हवाओं का प्रवाहन इस काल में हवायें स्थल से जल की ओर चलने लगती हैं। इस काल में हवायें जल से स्थल की ओर चलने लगती हैं।
5. आर्द्रता इस काल की पवनों में स्थल से जल की ओर चलने के कारण आर्द्रता कम होती है। इस काल की पवनों में जल से स्थल की ओर चलने के कारण आर्द्रता अधिक मिलती है।

प्रश्न 2.
अन्तः उष्ण कटिबन्धीय अभिसरण परिकल्पना का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अन्त: उष्ण कटिबन्धीय अभिसरण परिकल्पना का प्रतिपादन जर्मन मौसम विज्ञान शास्त्री फ्लोन ने किया था। इसमें भूमध्यरेखीय निम्नदाब की ओर चलने वाली व्यापारिक पवनों के मिलने से वाताग्र बनने की प्रक्रिया बताई गई है। इन वाताग्रों से ही मानसून की उत्पत्ति होती है। ग्रीष्म ऋतु में यह वाताग्र उत्तर की ओर खिसक जाता है। अतः इनसे उत्पन्न चक्रवात भारत में ग्रीष्म कालीन मानसून के रूप में वर्षा करते हैं। शीत ऋतु में यह वाताग्र दक्षिण की ओर खिसक जाता है जिसके कारण प्रतिचक्रवातीय दशा उत्पन्न होने से उत्तर-पूर्वी मानसून चलते हैं। इस प्रकार फ्लोन के अनुसार मानसूनी पवनों की दिशा में मौसमी परिवर्तन तापीय कारणों से न होकर ग्रहीय वायुक्रम में व्यापारिक पवनों के पुनस्थापन का प्रतीक है।

प्रश्न 3.
जैट स्ट्रीम की शीतकालीन व ग्रीष्मकालीन स्थितियों में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
जैट स्ट्रीम की शीतकालीन व ग्रीष्मकालीन स्थितियों में मिलने वाले अन्तर को निम्न बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट किया, गया है-

क्र.सं. तुलना का आधार शीत ऋतु ग्रीष्म ऋतु
1. सूर्य की स्थिति इस ऋतु में सूर्य की स्थिति दक्षिणायन होती है। इस ऋतु में सूर्य की स्थिति उत्तरायण होती है।
2. जैट स्ट्रीम की स्थिति इस ऋतु में जैट स्ट्रीम की स्थिति भी दक्षिण की ओर हो जाती है। इस ऋतु में जैट स्ट्रीम की स्थिति उत्तर की ओर हो जाती है।
3. जैट स्ट्रीम का प्रवाहन इस ऋतु में जैट स्ट्रीम दो शाखाओं में बँटकर प्रवाहित होती है। इस ऋतु में जैट स्ट्रीम एक ही मुख्य धारा के रूप में प्रवाहित होती है।
4. वर्षा जैट स्ट्रीम की दक्षिणी शाखा से भारत में प्रति चक्रवातीय दशाओं के कारण वर्षा होती है। इस ऋतु में हिन्द महासागरीय पवनों से वर्षा होती है।
5. पवनों की स्थिति इस ऋतु में पवने मुख्यतः उत्तर-पूर्व से दक्षिण की ओर चलती हैं। इस ऋतु में पवने दक्षिण-पश्चिम से उत्तर की ओर चलती हैं।

प्रश्न 4.
भारतीय मानसून के सन्दर्भ में तिब्बत के पठार भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारतीय मानसून की क्रियाविधि पर तिब्बत का पठार प्रभाव डालता है जिसे निम्न बिन्दुओं के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है।

  1. यह उच्च स्तरीय ऊष्मा स्रोत प्रदान करता है जो मानसून पर उल्लेखनीय प्रभाव डालते हैं।
  2. इस पठार के ऊपर, एक उच्च दबाव का प्रदेश है जो उपोष्ण कटिबन्धीय उच्च वायुदाब की पेटी का ही एक हिस्सा है।
  3. यह पठारी क्षेत्र एक अवरोधक का कार्य करता है।
  4. अपनी ऊँचाई के कारण यह अपने समीपवर्ती भाग की तुलना में अधिक ताप प्राप्त करता है जिसके कारण वायुमण्डलीय परिसंचरण को प्रथम भौतिक अवरोधक के रूप में तथा दूसरा उच्च स्तरीय ऊष्मा स्रोत के रूप में प्रभावित करता है।
  5. शीतकाल में तिब्बत के पठार के अत्यधिक ठण्डा होने से ही मध्य अक्टूबर में जैट स्ट्रीम दक्षिण की ओर बढ़ने लगती है।
  6. जैट स्ट्रीम के विभाजन में तिब्बत का पठार ही भूमिका निभाता है।
  7. ग्रीष्मकाल में तिब्बत के पठार के तापन के कारण यह एक उच्च स्तरीय ऊष्मा स्रोत बन जाता है जिस कारण यहाँ प्रतिचक्रवात उत्पन्न होते हैं।
  8. ग्रीष्मकाल में यह क्षेत्र एक उष्ण क्रोड के रूप में प्रति चक्रवात का निर्माण करता है।

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 7 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय मानसून की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
भारतीय मानसून की प्रमुख विशेषताएँ निम्नानुसार हैं-

  1. भारतीय मानसून छ: माह स्थल से सागर की ओर तथा छः माह सागर से स्थल की ओर संचरित होता है।
  2. भारतीय मानसून अत्यधिक अनियमित होता है यह कभी जल्दी आ जाता है तो कभी देरी से आता है।
  3. भारतीस मानसून से होने वाली वर्षा का वितरण भी असमान होता है।
  4. भारतीय मानसून के कारण ही भारत की जलवायु का निर्धारण होता है।
  5. भारतीय मानसून ही भारत को भिन्न-भिन्न मौसमों वाले राष्ट्र में अलग पहचान प्रदान करता है।
  6. भारतीय मानसून के द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था नियंत्रित होती है।
  7. भारत की मानसूनी स्थिति के कारण ही यहाँ सभी प्रकार की फसलें व कृषि उपजें पैदा की जा सकती हैं।
  8. भारतीय मानसून में सम्पूर्ण वर्षा का 80% भाग वर्षाकाल में प्राप्त होता है।
  9. भारतीय वर्षा कहीं बौछारों के रूप में तो कहीं मूसलाधार, तो कहीं छीटों के रूप में होती है।
  10. भारत में वर्षा के दिनों की संख्या में भिन्नता मिलती है। कहीं वर्षा 118 दिन (कोलकाता) तो कहीं 45 दिन (अजमेर) ही मिलती है।
  11. भारतीय मानसून अतिवृष्टि व. अनावृष्टियों के लिए भी पहचाना जाता है।

RBSE Solutions for Class 11 Geography

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