Rajasthan Board RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 19 महासागर: उच्चावच, तापमान एवं लवणता
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 19 पाठ्य पुस्तक के अभ्यास प्रश्न
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 19 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
पृथ्वी के लगभग कितने प्रतिशत भाग पर जल मौजूद है?
(अ) 29
(ब) 67
(स) 71
(द) 81
उत्तर:
(स) 71
प्रश्न 2.
महाद्वीपों की औसत ऊँचाई है-
(अ) 10 मीटर
(ब) 400 मीटर
(स) 840 मीटर
(द) 1000 मीटर
उत्तर:
(स) 840 मीटर
प्रश्न 3.
समुद्र के एक किलोग्राम जल में लवणता पाई जाती है-
(अ) 35 ग्राम
(ब) 45 ग्राम
(स) 15 ग्राम
(द) 25 ग्राम
उत्तर:
(अ) 35 ग्राम
प्रश्न 4.
मेरियाना ट्रेन्च कहाँ पर स्थित है?
(अ) प्रशान्त महासागर
(ब) हिन्द महासागर
(स) अटलांटिक महासागर
(द) भूमध्य सागर
उत्तर:
(अ) प्रशान्त महासागर
प्रश्न 5.
महासागरीय जल को उष्मा प्राप्त होती है-
(अ) सूर्य से
(ब) चन्द्रमा से
(स) गर्म धाराओं से
(द) स्वयं से
उत्तर:
(अ) सूर्य से
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 19 अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 6.
मेरियाना ट्रेन्च किस महासागर में है?
उत्तर:
मेरियाना ट्रेन्च प्रशान्त महासागर में है। यह विश्व का सबसे गहरा गर्त है।
प्रश्न 7.
स्थलाकृति किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी स्थान पर जो धरातलीय उच्चावच मिलते हैं, उन्हें स्थलाकृतियाँ कहते हैं। स्थलाकृतियों में धरातलीय आकारों का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 8.
उच्चावच किसे कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी के धरातल की भौतिक आकृतियों-पर्वत, पठार, मैदान आदि धरातलीय भूदृश्यों को उच्चावच कहते हैं। उच्चावच शब्द का प्रयोग प्रायः पृथ्वी के धरातल के रूप में आकृति में असमानताओं व विभिन्नताओं को स्पष्ट करने के लिए प्रयुक्त किया जाती है।
प्रश्न 9.
महासागरीय जल की औसत लवणता कितनी होती है?
उत्तर:
महासागरीय जल की औसत लवणता 35 प्रति हजार (%) मिलती है, अर्थात् 1 किलोग्राम जल में लवणता की मात्रा 35 ग्राम मिलती है।
प्रश्न 10.
महासागरीय जल में लवणता कहाँ से प्राप्त होती है?
उत्तर:
महासागरीय जल में लवणता मुख्यतः नदियों से प्राप्त होती है, जो प्रतिवर्ष स्थलीय क्षेत्रों से 16 करोड़ टन लवण बहाकर सागरों में जमा करती हैं। इसके अलावा लहरें एवं पवनें तथा ज्वालामुखी उद्गार से भी लवणता प्राप्त होती है।
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 19 लघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 11.
प्रशान्त महासागर की स्थलाकृतियाँ बताइए।
उत्तर:
प्रशान्त महासागर विश्व का सबसे बड़ा महासागर है जो पृथ्वी के लगभग एक तिहाई भाग पर फैला हुआ है। इस महासागर का विस्तार पूर्व से पश्चिम में 18000 किमी चौड़ाई व उत्तर से दक्षिण में 16740 किमी लम्बाई में त्रिकोणात्मक आकृति में फैला हुआ है। इस महासागर में विविध प्रकार की स्थलाकृतियाँ मिलती हैं। यथा – इसके तटों पर ज्वालामुखी पर्वत श्रेणियाँ, भूकम्प प्रभावित क्षेत्र व द्वीप समूह पाए जाते हैं। इस महासागर के लगभग 20 हजार द्वीपों को मेलानेशिया, माइक्रोनेशिया व पोलिनेशिया में बाँटा गया है। इस महासागर में अनेक द्रोणियाँ, लम्बे कटक, पठार, कगार व चबूतरे मौजूद हैं।
प्रश्न 12.
महासागरीय तली को कितने उच्चावंचों में बाँटा गया है?
उत्तर:
महासागरीय तली के उच्चावचों को मुख्यतः निम्न चार भागों में बाँटा गया है-
- महाद्वीपीय मग्न तट,
- महाद्वीपीय ढाल,
- गहरे सागरीय मैदान,
- महासागरीय गर्त।
1. महाद्वीपीय मग्न तट – इसका अर्थ डूबे हुए तट से होता है अंत: महाद्वीपों के वे भाग जो समुद्र में डूबे रहते हैं। महाद्वीपीय मग्न तट कहलाते हैं जिनकी अधिकतम गहराई 100 फैदम मानी गयी है।
2. महाद्वीपीय मग्न तट के आगे महासागरीय नितल का ढाल,अचानक तीव्र हो जाता है। इन ढालों का विस्तार 3600 मीटर से 9100 मीटर की गहराई तक मिलता है।
3. गहरे सागरीय मैदान – महाद्वीपीय ढाल के समाप्त होते ही ढाल एकदम कम हो जाता है और गम्भीर सागरीय मैदान शुरू हो जाते हैं जिसे महासागरीय नितल या मैदान भी कहते हैं।
4. महासागरीय गर्त – इसका तात्पर्य महासागरों के नितल पर पाए जाने वाले सबसे अधिक गहरे गर्ते से है।
प्रश्न 13.
महाद्वीपीय मग्न ढाल क्या हैं?
उत्तर:
महाद्वीपीय मग्न तट के आगे महासागरीय नितल का ढाल अचानक तीव्र हो जाता है। इन ढालों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनका विस्तार 3600 मीटर से 9100 मीटर की गहराई तक होता है। यहाँ पर कॉप मिट्टी का निक्षेप बहुत कम पाया जाता है। प्रकाश की कमी तथा पोषक पदार्थों के अभाव में यहाँ वनस्पति व समुद्री जीवों की मात्रा कम पाई जाती है। महासागरों के कुल क्षेत्रफल के 8.5 प्रतिशत भाग पर ये ढाल पाए जाते हैं। इनका ढाल 2° से 5° तक होता है।
प्रश्न 14.
तापमान को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
महासागरीय तापमान को प्रभावित करने वाले कारक निम्न हैं-
- अक्षांश,
- जल व स्थल के वितरण में असमानता,
- दिन की अवधि,
- वायुमंडल की स्वच्छता,
- सूर्य से पृथ्वी की दूरी,
- सौर्यकलंकों की संख्या,
- समुद्री धाराएँ।
इन सभी क्रारकों में से अक्षांशीय स्थिति में भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर बढ़ने पर तापमान कम होता जाता है। जल व स्थल के वितरण में मिलने वाली भिन्नता भी तापमान को प्रभावित करती है। दिन का छोटा या बड़ा होना भी तापमान का नियंत्रक होता है। वायुमंडल में धूलिकणों व जलवाष्प की स्थिति का कम या ज्यादा होना भी ताप वितरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सूर्य से पृथ्वी का कम व अधिक दूर होना, सौर्य कलंकों को संख्या का कम व ज्यादा होना तथा समुद्री धाराओं का गर्म व ठण्डा होना भी सागरीय जल के तापमान पर प्रभाव डालता है।
प्रश्न 15.
लवणता को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।
उत्तर:
सागरीय लवणता को प्रभावित करने वाले कारक निम्न हैं:
- वाष्पीकरण,
- वर्षा द्वारा जल की आपूर्ति,
- नदी के जल का आगमन,
- प्रचलित पवने,
- महासागरीय धाराएँ,
- महासागरीय जल का संचरण।
वाष्पीकरण की मात्रा के कम ज्यादा होने से लवणता नियंत्रित होती है। वर्षा का पानी जितना अधिक आता है लवणता कम हो जाती है। जबकि कम स्वच्छ पानी आने पर लवणता अधिक मिलती है। इसी प्रकार नदियों के पानी का कम व ज्यादा मात्रा में सागर में आकर मिलना भी लवणता का नियंत्रक होता है। इसी प्रकार प्रचलित पवनें व महासागरीय धाराओं की स्थितियाँ लवणता को कम ज्यादा करने में भूमिका अदा करती हैं। महासागरीय जल में होने वाला संचरण भी लवणता के निर्धारण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 19 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 16.
उच्चावच को समझाते हुए महासागरीय तली के उच्चावचों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी के धरातल की भौतिक आकृतियाँ–पर्वत, पठार और मैदान अर्थात् धरातलीय भूदृश्य को उच्चावच कहते हैं। यह शब्द प्रायः पृथ्वी के धरातल के रूप में आकृति में असमानताएँ और भिन्नताओं को स्पष्ट करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है। महासागरीय तली के उच्चावच–महासागर भी महाद्वीपों की तरह प्रथम श्रेणी के उच्चावच हैं। इन महासागरीय क्षेत्रों में मिलने वाले उच्चावचों को निम्नानुसार वर्णित किया गया है –
- महाद्वीपीय मग्न तट,
- महाद्वीपीय ढाल,
- गहरे सागरीय मैदान,
- महासागरीय गर्त।
1. महाद्वीपीय मग्न तट – इसका अर्थ डूबे हुए तट से होता है। अत: महाद्वीपों के वे भाग जो समुद्र में डूबे हैं, महाद्वीपीय मग्न तट कहलाते हैं। इनकी अधिकतम गहराई सामान्यत: 100 फैदम और ढलान 1° से 3° तक होती है। कम ढाल वाले मग्न तट की चौड़ाई अधिक तथा अधिक ढाल वाले मग्न तट की चौड़ाई कम होती है। इसकी औसत चौड़ाई 75 किमी होती है। ये तट महासागरों के कुल क्षेत्रफल के 7.6 प्रतिशत भाग में फैले हुए हैं। इस भाग में सूर्य की किरणें प्रवेश कर जाने से वनस्पति व जीव जन्तुओं की वृद्धि होती है। नदियों द्वारा लाई गई तलछट यहीं पर जमती है। इसलिए समुद्र का यह भाग मानव के लिए। काफी लाभदायक है। यहाँ पर अनेक खनिज, खाद्य पदार्थ, मत्स्य आखेट, खनिज तेल, गैस प्रमुख रूप से पाए जाते हैं।
2. महाद्वीपीय ढाल – महाद्वीपीय मग्न तट के आगे महासागरीय नितल पर ढाल अचानक तीव्र हो जाता है। इन ढालों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनका विस्तार 3600 मीटर से 9100 मीटर की गहराई तक होता है। यहाँ पर कॉप मिट्टी का निक्षेप बहुत कम पाया जाता है। प्रकाश की कमी तथा पोषक पदार्थों के अभाव में यहाँ वनस्पति व समुद्री जीवों की मात्रा कम पाई
जाती है। महासागरों के कुल क्षेत्रफल के 8.5 प्रतिशत भाग पर ये ढाल पाए जाते हैं। इनका ढाल 2° से 5° तक होता है।
3. गहरे सागरीय मैदान – महाद्वीपीय ढ़ाल के समाप्त होते ही ढाल एकदम कम हो जाता है और गम्भीरं सागरीय मैदान शुरू हो जाते हैं, जिसे महासागरीय नितल या मैदान भी कहते हैं। महासागरों का यह एक विस्तृत समतल क्षेत्र होता है, जिसका ढाल बहुत कम होता है। यहाँ पर अपरदन प्रक्रमों का अभाव पाया जाता है।
4. महासागरीय गर्त – इसका तात्पर्य महासागरों के नितल पर पाए जाने वाले सबसे अधिक गहरे गर्यो से है। आकार के आधार पर इनको दो वर्गों में विभाजित किया जाता है-
- खाइयाँ तथा
- द्रोणियाँ।
महासागरीय नितल पर स्थित तीव्र ढाल वाले लम्बे, पतले तथा गहरे अवनमन को खाई या गर्त कहते हैं। इनकी उत्पत्ति वलन अथवा भ्रंश से होती है। इनकी औसत गहराई 5500 मीटर होती है। ये सागरीय केनियन भी कहलाते हैं।
प्रश्न 17.
महासागरीय जल के तापमान को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन करें।
उत्तर:
महासागरीय जल का तापमान स्थिर न होकर अनेक कारकों से नियंत्रित मिलता है। सागरीय जल के तापमान को प्रभावित करने वाले कारक निम्न हैं-
- अक्षांश,
- जल एवं स्थल के वितरण में असमानता,
- दिन की अवधि,
- वायुमंडल की स्वच्छता,
- सूर्य से पृथ्वी की दूरी,
- सौर्य कलंकों की संख्या,
- समुद्री धाराएँ।
सागरीय तापमान के नियंत्रक-इन सभी कारकों का वर्णन निम्नानुसार है-
1. अक्षांश – भूमध्यरेखा से उत्तर या दक्षिण अर्थात् ध्रुवों की ओर जाने पर सतही जल का तापक्रम घटता जाता है, क्योंकि सूर्य की किरणें ध्रुवों की ओर तिरछी होती जाती हैं, परिणामस्वरूप सूर्यातप की मात्रा भी ध्रुवों की ओर घटती जाती है। भूमध्यरेखा से 40° से उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांशों के मध्य महासागरीय जल को तापक्रम वायु के तापक्रम से कम किन्तु 40° से ध्रुवों के
बीच अधिक रहता है।
2. जल एवम् स्थल के वितरण में असमानता – उत्तरी गोलार्द्ध में स्थल की अधिकता तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में जल की अधिकता के कारण तापक्रम के वितरण में असमानता पाई जाती है।
3. दिन की अवधि – दिन की लम्बाई अधिक होने पर सूर्यातप की मात्रा अधिक प्राप्त होने के कारण महासागरीय जल अपेक्षाकृत अधिक गरम होता है। इसके विपरीत दिन की अवधि छोटी होने पर महासागरीय जल में सूर्यातप की मात्रा कम ग्रहण हो पाती है।
4. वायुमण्डल की स्वच्छता – वायुमण्डल स्वच्छ होने पर सूर्यातप अधिक मात्रा में जल तल तक पहुँचने के कारण महासागरीय जल को अधिक गरम करता है। वायुमण्डल के उथलेपन के कारण सूर्यातप कम प्राप्त होने से महासागरीय जल कम गरम होता है क्योंकि सूर्यातप की काफी मात्रा वायुमण्डल के उथलेपन को बढ़ाने वाले धूलकण अवशोषित कर लेते हैं।
5. सूर्य से पृथ्वी की दूरी – जब पृथ्वी सूर्य के निकटतम होती है तो सूर्यातप अधिक प्राप्त होने से महासागरीय जल अधिक गरम होता है।
6. सौर्य कलंकों की संख्या – पृथ्वी की ओर सौर्य कलंकों की संख्या अधिक होने पर सूर्यातप अधिक व इनकी संख्या कम होने पर सूर्यातप कम प्राप्त होता है। कलंकों का सम्बन्ध सूर्य की चुम्बकीय शक्ति से होता है।
7. समुद्री धाराएँ – समुद्री धाराएँ अपने प्रवाह क्षेत्र के सागरीय तापमान को प्रभावित करती हैं। ठण्डी धाराएँ अपने प्रवाहित क्षेत्र में सागरीय जल के तापमान को कम तथा गरम धाराएँ तापमान को बढ़ाती हैं।
प्रश्न 18.
लवणता को समझाते हुए महासागरीय जल में लवणता को प्रभावित करने वाले कारकों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सागरीय जल के भार एवं उसमें घुले हुए पदार्थों के भार के अनुपात को सागरीय लवणता कहते हैं। इसे एक किलोग्राम सागरीय जल में घुले हुए ठोस पदार्थों की कुल मात्रा के रूप में भी अभिव्यक्त किया जाता है। सागरीय लवणता को प्रति हजार ग्राम जल में स्थित लवण की मात्रा (%) में व्यक्त किया जाता है। सागरीय लवणता में सर्वाधिक मात्रा में सोडियम क्लोराइड मिलता है। लवणता को प्रभावित करने वाले कारक – सागरीय लवणता विश्व के सभी सागरों में समान न मिलकर उपलब्ध दशाओं के अनुसार भिन्न मिलती है। इस सागरीय लवणता की स्थिति को नियंत्रित करने वाले कारक निम्न हैं-
- वाष्पीकरण,
- वर्षा द्वारा जल की आपूर्ति,
- नदी के जल का आगमन,
- प्रचलित पवने,
- महासागरीय धाराएँ,
- महासागरीय जल का संचरण।
इन सभी कारकों का वर्णन निम्नानुसार है-
1. वाष्पीकरण – वाष्पीकरण तथा लवण की मात्रा में सीधा सम्बन्ध होता है, अर्थात् जितना ही वाष्पीकरण तीव्र तथा अधिक होता है, लवणता उतनी ही बढ़ती जाती है। वाष्पीकरण के साथ पवन में आर्द्रता की न्यूनता का होना अनिवार्य होता है। जहाँ पर तापक्रम ऊँचा रहता है और वाष्पीकरण अधिक होता है, वहाँ पर लवणता अधिक होती है, जैसे कि कर्क तथा मकर रेखाओं के पास।
2. वर्षा द्वारा जल की आपूर्ति – स्वच्छ जल की अधिक मात्रा के कारण लवणता कम हो जाती है। जिन भागों में अत्यधिक जल वर्षा होती है, वहाँ पर लवणता कम हो जाती है। भूमध्यरेखीय प्रदेशों में उच्च तापक्रम के होते हुए भी घनघोर वृष्टि के कारण लवणता कम पाई जाती है, जबकि अयनवर्ती भागों में न्यून वर्षा होते हुए भी उच्च तापक्रम के कारण अधिक लवणता पाई जाती है। ध्रुवीय तथा उप ‘ध्रुवीय भागों में अत्यधिक हिम वर्षा के कारण निर्मित हिमनद सागरों में हिम पहुँचाते रहते हैं, जोकि शीतोष्ण प्रदेशों में पहुँचने पर पिघलकर सागर की लवणता को कम कर देते हैं।
3. नदी के जल का आगमन – यद्यपि नदियाँ सागर में अपने साथ लवण लाती हैं, तथापि उनके साथ स्वच्छ जल की मात्रा इतनी अधिक होती है कि उनके मुहाने के पास लवणता में कमी आ जाती है। उदाहरण के लिए गंगा, कांगो, नाइजर, अमेजन, सेण्ट लारेन्स आदि नदियों के मुहाने वाले भागों में कम लवणता पाई जाती है।
4. प्रचलित पवनें – उष्ण व शुष्क क्षेत्रों में महासागरों की ओर चलने वाली तथा तीव्रगामी पवनों से वाष्पीकरण अधिक होता है। अत: महासागरों के ऐसे भागों में लवणता अधिक पाई जाती है। इसके विपरीत शीत व आर्द्र तथा मन्दगामी पवनों से वाष्पीकरण कम होता है।
5. महासागरीय धाराएँ – कम लवणता वाले क्षेत्रों से बहने वाली धाराएँ अपने साथ न्यून लवणता युक्त जल लाती हैं और प्रवाह मार्ग पर लवणता की मात्रा को कम करती हैं। इसके विपरीत अधिक लवणता वाले महासागरीय क्षेत्रों से चलने वाली धाराओं के मार्ग पर लवणता अधिक रहती है।
6. महासागरीय जल का संचरण – खुले महासागरों में लवणता का वितरण महासागरीय जल के संचरण से सामान्य होता रहता है। अधिक खारा जल भारी होकर नीचे बैठता है तथा कम खारे जल की ओर गहराई में गति करता है। इसका स्थान लेने के लिए कम खारा जल सतही प्रवाह के रूप में गति करता है। इस प्रकार इस संचरण से महासागरीय जल के खारेपन का संतुलन बना रहता है।
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 19 अव्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 19 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
सौरमंडल का एक मात्र ग्रह जिस पर जल मौजूद है।
(अ) पृथ्वी
(ब) बुध
(स) बृहस्पति
(द) शनि
उत्तर:
(अ) पृथ्वी
प्रश्न 2.
माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई कितनी है?
(अ) 6000 मीटर
(ब) 7000 मीटर
(स) 8200 मीटर
(द) 8850 मीटर
उत्तर:
(द) 8850 मीटर
प्रश्न 3.
मेरियाना ड्रेन्च की गहराई कितनी है?
(अ) 9990 मीटर
(ब) 10430 मीटर
(स) 11035 मीटर
(द) 12315 मीटर
उत्तर:
(स) 11035 मीटर
प्रश्न 4.
महासागरों की औसत गहराई कितनी है?
(अ) 2808 मीटर
(ब) 3808 मीटर
(स) 4808 मीटर
(द) 5808 मीटर
उत्तर:
(ब) 3808 मीटर
प्रश्न 5.
विश्व का सबसे बड़ा महासागर कौन-सा है?
(अ) प्रशान्त महासागर
(ब) आन्ध्र महासागर
(स) हिन्द महासागर
(द) आर्कटिक महासागर
उत्तर:
(अ)प्रशान्त महासागर
प्रश्न 6.
समुद्र की गहराई को मापा जाता है-
(अ) नॉटिकल मील में
(ब) फैदम में
(स) मीटर में
(द) बैरल में
उत्तर:
(ब) फैदम में
प्रश्न 7.
सागरीय जल में सर्वाधिक मात्रा में कौन-सा लवणीय पदार्थ मिलता है।
(अ) मैग्नेशियम सल्फेट
(ब) कैल्शियम सल्फेट
(स) सोडियम क्लोराइड
(द) मैग्नेशियम क्लोराइड
उत्तर:
(स) सोडियम क्लोराइड
प्रश्न 8.
विश्व में सर्वाधिक लवणता कहाँ मिलती है?
(अ) भूमध्य सागर में
(ब) मृत सागर में
(स) वॉन झील में
(द) बाल्टिक सागर में
उत्तर:
(स) वॉन झील में
प्रश्न 9.
विश्व में सर्वाधिक लवणता मिलती है-
(अ) 0° – 20° उत्तरी अक्षांश के मध्य
(ब) 20° – 40° उत्तरी अक्षांश के मध्य
(स) 60°- 80° दक्षिण अक्षांश के मध्य
(द) 70° – 90° उत्तरी अक्षांश के मध्य
उत्तर:
(ब) 20° – 40° उत्तरी अक्षांश के मध्य
प्रश्न 10.
अटलांटिक महासागर में सतही लवणता कितनी मिलती है?
(अ) 33‰
(ब) 35‰
(स) 37‰
(द) 40‰
उत्तर:
(अ) 33‰
सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए-
(क)
स्तम्भ-अ (उच्चावच का नाम) |
स्तम्भ-ब (महासागर) |
(i) मेरियाना | (अ) अटलांटिक महासागर |
(i) रोमांशे | (ब) हिन्द महासागर |
(iii) सुण्डा | (स) आर्कटिक महासागर |
(iv) नार्वे सागर | (द) प्रशान्त महासागर |
उत्तर:
(i) द, (i) अ, (iii) ब, (iv) स।
(ख)
स्तम्भ – अ (सागर का नाम) |
स्तम्भ – ब (लवणता %, में) |
(i) काला सागर | (अ) 37.5% |
(ii) बाल्टिक सागर | (ब) 40% |
(iii) लाल सागर | (स) 238% |
(iv) मृत सागर | (द) 15% |
(v) भूमध्य सागर | (य) 18% |
उत्तर:
(i) य, (ii) द, (iii) अ, (iv) स, (v) ब।
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 19 अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जलमंडल किसे कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वीतल के लगभग 71 प्रतिशत भाग पर जल का भंडार मिलता है। जल का यह भंडार सागरों, महासागरों, झीलों, नदियों के रूप में दृष्टिगत होता है। पृथ्वी पर मिलने वाले इस विशाल जल भंडार के स्वरूप को ही जलमंडल कहा जाता है।
प्रश्न 2.
जलीय ग्रह किसे व क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
पृथ्वी को जलीय ग्रह कहा जाता है क्योंकि यह सौरमंडल का एकमात्र ऐसा ग्रह है जिस पर अब तक जल के ज्ञात भंडार मिले हैं।
प्रश्न 3.
पृथ्वीतल पर सबसे ऊँचा व सबसे नीचा स्थान कौन-सा है?
उत्तर:
पृथ्वी पर सबसे ऊँचा स्थान माउंट एवरेस्ट (8850 मीटर) एवं सबसे नीचा स्थान मेरियाना ट्रेन्च (11035 मीटर) है।
प्रश्न 4.
क्षेत्रफल के अनुसार महासागरों के बड़े-से-छोटे क्रम में नाम लिखिए।
उत्तर:
क्षेत्रफल के अनुसार सबसे बड़े से छोटे महासागरों में क्रमशः प्रशान्त महासागर, अटलांटिक महासागर, हिन्द महासागर व आर्कटिक महासागर का स्थान आता है।
प्रश्न 5.
प्रशान्त महासागर की लम्बाई-चौडाई कितनी है?
उत्तर:
प्रशान्त महासागर पूर्व से पश्चिम में 18000 किमी चौड़ा एवं उत्तर से दक्षिण में 16740 किमी लम्बाई में फैला हुआ है।
प्रश्न 6.
प्रशान्त महासागर के द्वीपों को किन भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
प्रशान्त महासागर में मिलने वाले लगभग 20000 द्वीपों को तीन भागों-मेलानेशिया, माइक्रोनेशिया एवं पोलिनेशिया में विभाजित किया गया है।
प्रश्न 7.
अटलांटिक महासागर की मुख्य विशेषता क्या है?
उत्तर:
अटलांटिक महासागर विश्व का सबसे अधिक व्यस्त महासागर है जिसके दोनों ओर विश्व के सम्पन्न देश स्थित हैं।
प्रश्न 8.
अटलांटिक महासागर में शामिल सागर व खाड़ियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
अटलांटिक महासागर में भूमध्य सागर, उत्तरी सागर, बाल्टिक सागर, कैरेबियन सागर, काला सागर, मैक्सिको की खाड़ी, बिस्के की खाड़ी आदि शामिल हैं।
प्रश्न 9.
अटलांटिक महासागर का उत्तरी व दक्षिणी भाग कितना चौड़ा है?
उत्तर:
अटलांटिक महासागर का उत्तरी भाग 5400 किमी चौड़ा जबकि दक्षिणी भाग 9600 किमी चौड़ा है।
प्रश्न 10.
हिन्द महासागर किन स्थलीय भागों से घिरा है?
उत्तर:
हिन्द महासागर के उत्तर में भारत, पश्चिम में अफ्रीका एवं दक्षिण-पूर्व में आस्ट्रेलिया के रूप में स्थलीय भाग मिलते हैं।
प्रश्न 11.
आर्कटिक महासागर के बारे में अधिक जानकारी क्यों नहीं मिल पाई है?
उत्तर:
उत्तरी ध्रुव पर स्थित इस महासागर के बारे में अभी विस्तृत जानकारी प्राप्त नहीं हुई है, क्योंकि इसका अधिकांश भाग वर्ष के अधिकांश समय बर्फ से ढका रहता है।
प्रश्न 12.
आर्कटिक महासागर में मिलने वाले द्वीपों व सागरों के नाम लिखिए।
उत्तर:
आर्कटिक महासागर में मिलने वाले द्वीपों में बेरेन्टस, होप, स्पीट्स बर्जन, नोवाया तथा सागरों में नार्वे सागर, लेपटेव सागर, पूर्वी साइबेरिया सागर व ग्रीनलैण्ड सागर शामिल हैं।
प्रश्न 13.
महासागरीय नितल में मिलने वाले उच्चावचों के लिए कौन-सी क्रियाएँ उत्तरदायी हैं?
उत्तर:
महासागरीय नितलों पर मिलने वाले उच्चावचों के लिए विवर्तनिक क्रिया, ज्वालामुखी क्रिया, अपरदनकारी एवं निक्षेपणकारी क्रियाओं का पारस्परिक स्वरूप उत्तरदायी है।
प्रश्न 14.
महासागरीय तली से क्या आशय है?
उत्तर:
महासागरीय तली से अभिप्राय महासागरों में जल के नीचे के भू-पृष्ठ की रचना से है अर्थात् समुद्रों के पेंदे पर ऊँचाइयों एवं गहराइयों का विस्तार कितना-कितना है।
प्रश्न 15.
महाद्वीपीय मग्न तटों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
महाद्वीपों के वे भाग जो समुद्र में डूबे होते हैं, महाद्वीपीय मग्न तट कहलाते हैं। इनकी अधिकतम गहराई 100 फैदम तक होती है और ढाल 1° से 3° तक होता है।
प्रश्न 16.
महाद्वीपीय मग्न तट कितने भाग पर फैले हैं?
उत्तर:
महाद्वीपीय मग्न तट महासागरों के कुल क्षेत्रफल के 7.6 प्रतिशत भाग पर फैले हुए हैं।
प्रश्न 17.
महाद्वीपीय ढाल कितने क्षेत्र पर फैले हुए हैं?
उत्तर:
महाद्वीपीय ढाल महासागरों के कुल क्षेत्रफल के 8.5 प्रतिशत क्षेत्र पर फैले हुए हैं।
प्रश्न 18.
सागरीय मैदान किसे कहते हैं?
अथवा
नितल मैदान से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
महाद्वीपीय ढाल के समाप्त होते ही ढाले एकदम कम हो जाता है और गंभीर सागरीय मैदान शुरू हो जाते हैं, जिसे महासागरीय नितल या मैदान भी कहते हैं।
प्रश्न 19.
महासागरीय गर्त किसे कहते हैं?
उत्तर:
महासागरों के नितल पर पाए जाने वाले सबसे अधिक गहरे भागों को सागरीय गर्तों के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 20.
भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर सतही जल का ताप कम क्यों हो जाता है?
उत्तर:
भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर सतही जल का ताप कम हो जाता है, क्योंकि सूर्य की किरणें ध्रुवों की ओर तिरछी होती जाती हैं।
प्रशन 21.
सूर्यातप से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊष्मा या ऊर्जा को ही सूर्यातप कहते हैं।
प्रश्न 22.
समुद्री धाराएँ महासागरीय जल के ताप को कैसे प्रभावित करती हैं?
उत्तर:
समुद्री धाराएँ अपने प्रवाह क्षेत्र के सागरीय तापमान को प्रभावित करती हैं। ठण्डी धाराएँ अपने प्रवाहित क्षेत्र में सागरीय जल के तापमान को कम तथा गर्म धाराएँ तापमान को बढ़ा देती हैं।
प्रश्न 23.
महासागरीय जल के क्षैतिज ताप वितरण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
महासागरीय जल के तापमान का जब अक्षांशीय आधार पर अध्ययन किया जाता है तो उसे सागरीय जल के ताप का क्षैतिज वितरण माना जाता है।
प्रश्न 24.
महासागरीय जल के ताप का लम्बवत वितरण किस पर निर्भर करता है?
उत्तर:
महासागरीय जल के तापमान का लम्बवत् वितरण ताप अवशोषण की मात्रा, जल धारा द्वारा उसके क्षैतिज विस्थापन एवं जल की लम्बवत् गति पर निर्भर करता है।
प्रश्न 25.
एक घन किलोमीटर समुद्री जल में कितना नमक होता है?
उत्तर:
एक घन किलोमीटर समुद्री जल में लगभग 4.10 करोड़ टन नमक होता है।
प्रश्न 26.
सागरीय जल में मिलने वाले मुख्य लवणों के नाम लिखिए।
उत्तर:
सागरीय जल में मिलने वाले प्रमुख लवणीय पदार्थों में सोडियम क्लोराइड, मैग्नेशियम क्लोराइड, मैग्नेशियम सल्फेट, कैल्शियम सल्फेट, पोटेशियम सल्फेट, कैल्शियम कार्बोनेट वे मैग्नेशियम ब्रोमाइड शामिल हैं।
प्रश्न 27.
भूमध्य रेखीय क्षेत्रों में अधिक ताप होते हुए भी लवणता कम मिलती है। क्यों?
उत्तर:
भूमध्य रेखीय क्षेत्रों में अधिक ताप होते हुए भी लवणता कम होने का प्रमुख कारण इन क्षेत्रों में प्रतिदिन संवहनीय वर्षा का होना है। अधिक वर्षा के कारण सागरीय लवणता कम हो जाती है।
प्रश्न 28.
प्रचलित पवनें लवणता को कैसे प्रभावित करती हैं?
उत्तर:
उष्ण एवं शुष्क क्षेत्रों में महासागरों की ओर चलने वाली तथा तीव्रगामी पवनों से वाष्पीकरण अधिक होता है। अतः महासागरों के ऐसे भागों में लवणता अधिक मिलती है। इसके विपरीत शीत व आर्द्र तथा मन्दगामी पवनों से वाष्पीकरण कम होता है। जिससे ऐसे क्षेत्रों में लवणता कम मिलती है।
प्रश्न 29.
अयनरेखीय क्षेत्रों में लवणता की मात्रा सर्वाधिक क्यों मिलती है?
उत्तर:
अयनरेखीय क्षेत्रों में मिलने वाली उच्च तापमान, प्रचलित उष्ण व शुष्क पवनों, वाष्पीकरण की अधिकता, वर्षा का अभाव एवं स्वच्छ जल की कम आपूर्ति के कारण लवणता सर्वाधिक मिलती है।
प्रश्न 30.
सारगैसो सागर में उच्च लवणता क्यों मिलती है?
उत्तर:
सारगैसो सागर में मिलने वाली उच्च लवणता का मुख्य कारण यहाँ मिलने वाली महासागरीय धाराओं के चक्रीय प्रवाह से मध्यवर्ती जल का मिश्रण अन्य क्षेत्रों के जल से नहीं हो पाना है।
प्रश्न 31.
समलवण रेखाएँ क्या हैं?
अथवा
समलवणता रेखा किसे कहते हैं?
उत्तर:
महासागरीय क्षेत्रों में समान लवणता वाले स्थानों को मिलने वाली रेखाएँ समलवण रेखाएँ कहलाती हैं।
प्रश्न 32.
फारस की खाड़ी में उच्च लवणता क्यों मिलती है?
उत्तर:
यहाँ मिलने वाले वर्षा के अभाव, स्वच्छ जल की कम आपूर्ति, उच्च तापमान, वाष्पीकरण की अधिकता आदि कारणों से उच्च लवणता मिलती है।
प्रश्न 33.
ध्रुवीय क्षेत्रों में सतह पर लवणता कम क्यों मिलती है?
उत्तर:
हिंम के पिघले हुए स्वच्छ जल की आपूर्ति होते रहने से सतह पर लवणता कम मिलती है।
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 19 लघुत्तरात्मक प्रश्न Type I
प्रश्न 1.
अटलांटिक महासागर की स्थलाकृतियों का वर्णन कीजिए।
अथवा
आन्ध्र महासागर में कौन-कौन-सी स्थलाकृतियाँ मिलती हैं?
उत्तर:
अटलांटिक महासागर अंग्रेजी वर्णमाला के S अक्षर के समान फैला हुआ है। इस सागर में अनेक सागर व खाड़ियाँ मिलती हैं। इनमें मैक्सिको की खाड़ी, भूमध्य सागर, उत्तरी सागर, बिस्के की खाड़ी, बाल्टिक सागर, कैरेबियन सागर, काला सागर आदि मिलते हैं। यह महासागर भूमध्य रेखा के द्वारा दो भागों में बाँटा गया है। इस महासागर के उत्तर में 5400 किमी व दक्षिण में 9600 किमी चौड़ा होने के कारण इसमें अनेक द्रोणियाँ भी मिलती हैं जिनमें ब्राजील द्रोणी; कनारी द्रोणी, गिनी द्रोणी व उत्तरी अमेरिका द्रोणी प्रमुख हैं। इसके अलावा इस महासागर में गर्त भी मिलते हैं जिनमें प्यूटोरिको, रोमांशे गर्त, नरेश गर्त, भोसले गर्त, चुन व बुचानन गर्त प्रमुख हैं। इसी महासागर में वालविस कटक, दक्षिण मध्य अटलांटिक कटक, उत्तरी मध्य अटलांटिक कटक, विविल टोमसन कटक भी मिलते हैं।
प्रश्न 2.
हिन्द महासागर की स्थलाकृतियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हिन्द महासागर के उत्तर में गौंडवाना लैण्ड के भाग प्रायद्वीपीय भारत, अफ्रीका का पठार, आस्ट्रेलिया का पश्चिमी भाग, महाद्वीपीय मग्न स्थल मिलते हैं। इस महासागर में अनेक द्रोणियाँ मिलती हैं जिनमें सोडमाली द्रोणी, अरेबियन द्रोणी, मॉरीशस द्रोणी, अण्डमान द्रोणी, ओमान द्रोणी, नैटाल द्रोणी आदि मिलती हैं। इस महासागर में जो कटक मिलते हैं उनमें सोकोत्रा चैगोस कटक, चैगोस कटक, सेचलीस कटक, सेण्ट पाल कटक, एमस्टरडम कटक, मैडागास्कर कटक व भारत अण्टार्कटिका कटक मिलते हैं। इस महासागर में मिलने वाली खाड़ियों में बंगाल की खाड़ी, अंदन की खाड़ी, फारस की खाड़ी व थाईलैंड की खाड़ी प्रमुख हैं। इस महासागरीय भाग में अनेक द्वीप मिलते हैं जिनमें लक्षद्वीप समूह, अण्डमान निकोबार द्वीप समूह, मैडागास्कर द्वीप, जंजीबार व रियूनीयन नामक द्वीप मिलते हैं। सुण्डा इस महासागर की प्रमुख गर्त है।
प्रश्न 3.
आर्कटिक महासागर की स्थलाकृतियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उत्तरी ध्रुव पर स्थित इस महासागर के बारे में अभी विस्तृत जानकारी प्राप्त नहीं हुई है, क्योंकि इसका अधिकांश भाग वर्ष के अधिकांश समय बर्फ से ढका रहता है। इसका निमग्न स्थल काफी चौड़ा है। इस महासागर पर कई द्वीप हैं, जिनमें बैरन्टस, होप, स्पीट्स बर्जन, नोवाया आदि प्रमुख हैं। नार्वे सागर, लेपटेव सागर, पूर्वी साइबेरिया सागर व ग्रीनलैण्ड सागर प्रमुख हैं। यहाँ पर अनेक जलमग्न कटक मौजूद हैं। प्रश्न 4. महाद्वीपीय मग्न तट हमारे लिए किस प्रकार उपयोगी सिद्ध होते हैं? उत्तटे महाद्वीपीय मग्न तट की उपयोगिता निम्न बिन्दुओं के रूप में दृष्टिगत होती है-
- महाद्वीपीय मग्न तटों पर सूर्य की किरणें प्रवेश कर जाने से यहाँ वनस्पति एवं जीव-जन्तुओं की वृद्धि होती है।
- नदियों द्वारा लाई गई तलछट यहीं पर जमती है इसलिए समुद्र का यह भाग मानव के लिए काफी लाभदायक है।
- महाद्वीपीय मग्न तटों पर अनेक प्रकार के खाद्य पदार्थ, मत्स्य व जीव प्राप्त होते हैं।
- इन महाद्वीपीय मग्न तटों पर अनेक प्रकार के खनिज, खनिज तेल व गैस आदि पाए जाते हैं।
प्रश्न 5.
महासागरीय जल में तापमान का क्या महत्व होता है?
उत्तर:
महासागरीय जल का तापमान वनस्पति जगत तथा जीव जगत दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। महासागरीय जल का तापमान न केवल महासागरों में रहने वाले जीवों तथा वनस्पतियों को प्रभावित करता है, अपितु तटवर्ती स्थलीय भागों की जलवायु को (परिणामस्वरूप जीव तथा वनस्पति को) भी प्रभावित करता है। इसी कारण सागरीय जल के तापमान का अध्ययन महत्वपूर्ण हो जाता है। सागरीय जल के तापमान का सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्रोत सूर्य है। सूर्य के अलावा तापमान की कुछ मात्रा सागर तली के नीचे पृथ्वी के आन्तरिक भाग तथा जल की दबाव प्रक्रिया से प्राप्त होती है, परन्तु यह मात्रा नगण्य होती है।
प्रश्न 6.
महासागरीय जल के तापमान का संचरण कैसे होता है?
उत्तर:
महासागरीय जल में सूर्य की किरणें 25 मीटर तक प्रवेश करके उष्णता प्रदान करती हैं। इस गहराई के बाद सूर्य विकिरण का प्रभाव नगण्य हो जाता है। अतः सूर्यातप के कारण महासागरीय सतही जल अधिक गरम होता है। ध्रुवीय क्षेत्रों में ठण्डा जल भारी होने के कारण नीचे बैठता है और भूमध्य रेखीय क्षेत्रों का उष्ण जल हल्का होने के कारण सतही धाराओं से ध्रुवीय क्षेत्रों की ओर प्रवाहित होता रहता है। इस प्रकार महासागरीय जल के तापमान का संचरण होता रहता है।
प्रश्न 7.
सागरीय जल में मिलने वाले लवणीय पदार्थों व उनकी मात्रा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
महासागरीय जल में अनेक लवणीय पदार्थ पाए जाते हैं। इन लवणीय पदार्थों, उनकी मात्रा तथा प्रतिशत को निम्न तालिका के द्वारा दर्शाया गया है-
प्रश्न 8.
वर्षा द्वारा जल की आपूर्ति किस प्रकार लवणता को प्रभावित करती है? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
वर्षा की मात्रा लवणता का नियंत्रक कारक होती है। कैसे?
उत्तर:
स्वच्छ जल की अधिक मात्रा के कारण लवणता कम हो जाती है। जिन भागों में अत्यधिक वर्षा होती है वहाँ अधिक जल, के कारण लवणता कम हो जाती है। भूमध्य रेखीय प्रदेशों में उच्च तापक्रम के होते हुए भी घनघोर वर्षा के कारण लवणता कम पायी जाती है, जबकि अयनवर्ती भागों में न्यून वर्षा होते हुए भी उच्च तापक्रम के कारण अधिक लवणता पाई जाती है। ध्रुवीय तथा उपध्रुवीय भागों में अत्यधिक हिम वर्षा के कारण निर्मित हिमनद सागरों में हिम पहुँचाते रहते हैं, जोकि शीतोष्ण प्रदेशों में पहुँचने पर पिघलकर सागर की लवणता को कम कर देते हैं।
प्रश्न 9.
आंतरिक सागरों में लवणता के वितरण को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
लवणता का स्वरूप आंतरिक सागरों में किस प्रकार भिन्न मिलता है?
उत्तर:
आन्तरिक सागर एवं झील पूर्णत: स्थल से घिरे रहते हैं। उच्च तापमान, अत्यधिक गर्म एवं शुष्क पवने, वाष्पीकरण की अधिकता, वर्षा का अभाव आदि कारणों से मृत सागर में लवणता की मात्रा 238 प्रति हजार पायी जाती है। कैस्पियन सागर के दक्षिणी भाग में लवणता की मात्रा 170 प्रति हजार एवं उत्तरी भाग में केवल 14 प्रति हजार पायी जाती है। कैस्पियन सागर के उत्तरी भाग में यूराल, वोल्गा आदि नदियाँ स्वच्छ जल की आपूर्ति करती हैं। विश्व में सर्वाधिक लवणती टर्की की वॉने झील में 330 प्रति हजार मिलती है।
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 19 लघुत्तरात्मक प्रश्न Type I
प्रश्न 1.
महाद्वीपीय मग्न तटों व महाद्वीपीय ढालों में क्या अन्तर मिलता है?
उत्तर:
महाद्वीपीय मग्न तटों व महाद्वीपीय ढालों में निम्न अन्तर मिलते हैं-
प्रश्न 2.
महासागरीय लवणता के स्वरूप को समझाइए।
उत्तर:
महासागरीय जल में उपस्थित लवणता के कारण समुद्र का जल खारा होता है। एक घन किलोमीटर समुद्री जल में लगभग 4.10 करोड़ टन नमक होता है। इस आधार पर यदि सारे जलमण्डल के नमक को पृथ्वी पर समान रूप से बिछाया जाए तो सम्पूर्ण पृथ्वी पर 150 मीटर मोटी नमक की पर्त बिछ जाएगी। सामान्य रूप से सागरीय लवणता को प्रति हजार ग्राम् जल में स्थित लवण की मात्रा (%) में व्यक्त किया जाता है। समुद्री जल की लवणता लगभग 35 प्रति हजार (%) है, अर्थात् समुद्र के एक हजार ग्राम जल में लगभग 35 ग्राम लवण होता है। महासागरीय लवणता का मुख्य स्रोत पृथ्वी ही है। मुख्य रूप से लवण इकट्ठा करने के साधनों में नदियाँ, सामुद्रिक लहरें, हवाएँ, ज्वालामुखी विस्फोट प्रमुख हैं। डिटमार (1884) के अनुसार समुद्र के जल में 47 विभिन्न प्रकार के लवण हैं। यद्यपि महासागरीय जल में लवणों की मात्रा में भिन्नता पायी जाती है तो भी लवणों का सापेक्षिक अनुपात लगभग एक सा ही रहता है।
प्रश्न 3.
आंशिक रूप से घिरे सागरों में लवणता के वितरण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आंशिक रूप से घिरे, सागरों में लवणता का वितरण स्थानिक परिस्थितियों पर निर्भर करता है। भूमध्य सागर में लवणता का वितरण काफी भिन्न पाया जाता है। इसके उत्तरी-पूर्वी भाग में लवणता 39 प्रति हजार ग्राम जबकि दक्षिणी-पूर्वी भाग में 41 प्रति हजार ग्राम मिलती है। लाल सागर के उत्तरी भाग में लवणता की मात्रा 41 प्रति हजार ग्राम एवं दक्षिणी भाग में 36 प्रति हजार ग्राम मिलती है। फारस की खाड़ी में लवणता की मात्रा 48 प्रति हजार ग्राम मिलती है। वर्षा का अभाव, स्वच्छ जल की कम आपूर्ति, उच्च तापमान, वाष्पीकरण की अधिकता आदि कारणों से यहाँ उच्च लवणता मिलती है। काला सागर में लवणता की मात्रा 18 प्रति हजार ग्राम, बाल्टिक सागर में 15 प्रति हजार, बोथानिया की खाड़ी में 8 प्रति हजार तथा फिनलैण्ड की खाड़ी में केवल 2 प्रति हजार ही मिलती है जिसका प्रमुख कारण नदियों द्वारा प्रचुर स्वच्छ जल की आपूर्ति, हिम से पिघले हुए जल की आपूर्ति, निम्न तापमान, निम्न वाष्पीकरण दर आदि हैं।
प्रश्न 4.
महासागरीय जल में लवणता के ऊर्ध्वाधर वितरण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
गहराई की ओर लवणता के वितरण में कोई निश्चित प्रवृत्ति देखने को नहीं मिलती फिर भी लवणता के गहराई की ओर वितरण से कुछ प्रवृत्तियाँ उभरकर आती हैं-
- ध्रुवीय क्षेत्रों में सतह पर लवणता कम तथा गहराई की ओर बढ़ती है। हिम के पिघले हुए स्वच्छ जल की आपूर्ति होते रहने से लवणता सतह पर कम रहती है।
- मध्य अक्षांशों में 400 मीटर की गहराई तक लवणता बढ़ती है, तत्पश्चात् गहराई के साथ इसकी मात्रा कम होती जाती है। सतह पर स्वच्छ जल की आपूर्ति कम व वाष्पीकरण अधिक होने से ऐसा होता है।
- भूमध्यरेखीय क्षेत्रों में सतह पर लवणता कम, एक हजार मीटर तक वृद्धि तथा तत्पश्चात् पुनः कम होती जाती है।
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 19 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
महासागरीय जल के तापमान के क्षैतिज व लम्बवत वितरण को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
सागरीय जल का तापमान क्षैतिज एवं लम्बवंत रूप में किस प्रकार मिलता है?
उत्तर:
महासागरीय जल में तापमान सामान्यत: बढ़ते अक्षाशों के साथ-साथ घटता जाता है। महासागरीय जल के तापमान के क्षैतिज वितरण का विस्तृत रूप निम्नानुसार दर्शाया गया हैं-
उपरोक्त तालिका से स्पष्ट है कि तापमान सामान्यतः ध्रुवों की ओर घटता जाता है। केवल अटलाण्टिक महासागर में 20° से 30° उत्तरी अक्षांशों के मध्य तापमान में थोड़ी वृद्धि होकर पुन: गिरावट का क्रम जारी रहता है। हिन्द महासागर में बीस से तीस डिग्री अक्षांशों तक विस्तार कम होने के कारण तापमान की गिरावट की दर काफी कम रहती है। मोटे रूप में ध्रुवों की ओर तापमान के कम होने की दर आधा डिग्री सैल्सियस प्रति अक्षांश है।
तापमान का लम्बवत् वितरण महासागरीय जल में तापमान का लम्बवत् वितरण ताप अवशोषण की मात्रा, जल धारा द्वारा उसके क्षैतिज विस्थापन तथा जल की लम्बवत् गति पर निर्भर करता है।
महासागरीय जल में सूर्य की किरणें 25 मीटर तक प्रवेश करके उष्णता प्रदान करती हैं। इस गहराई के बाद सूर्य विकिरण का प्रभाव नगण्य हो जाता है। अतः सूर्यातप के कारण महासागरीय सतही जल अधिक गरम होता है। ध्रुवीय क्षेत्रों में ठण्डा जल भारी होने के कारण नीचे बैठता है और भूमध्य रेखीय क्षेत्रों का उष्ण जल हल्का होने के कारण सतही धाराओं के रूप में ध्रुवों की ओर प्रवाहित होता रहता है। इस प्रकार महासागरीय जल के तापमान का संचरण होता रहता है। महासागरीय जल की सतह से गहराई की ओर तापमान 2000 मीटर की गहराई तक तीव्र गति से गिरता है। उस गहराई के पश्चात् तापमान की गिरावट दर काफी कम हो जाती है। यह तथ्य खुले महासागरों में देखने को मिलता है। आंशिक रूप से घिरे हुए महासागरों में जैसे भूमध्य सागर व लाल सागर आदि में तापमान की गिरावट निकटवर्ती खुले महासागरों की अपेक्षा कम होती है।
प्रश्न 2.
खुले क्षेत्रों में लवणता के क्षैतिज वितरण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अयनरेखीय क्षेत्रों में लवणता की मात्रा सर्वाधिक (36 प्रति हजार) पायी जाती है। उच्च तापमान, प्रचलित उष्ण व शुष्क पवने, वाष्पीकरण की अधिकता, वर्षा का अभाव एवं स्वच्छ जल की कम आपूर्ति के कारण इस क्षेत्र में लवणता अधिक पायी जाती है। अयनरेखीय क्षेत्रों से दोनों ओर अर्थात् भूमध्य रेखा एवं ध्रुवों की ओर लवणता की मात्रा कम होती जाती है। किन्तु लवणता की मात्रा भूमध्यरेखीय क्षेत्रों की अपेक्षा ध्रुवीय क्षेत्रों में कम पाई जाती है। इसका कारण यह है कि ध्रुवीय प्रदेशों में हिम से पिघले हुए जल की आपूर्ति अधिक एवं वाष्पीकरण कम होता है। भूमध्यरेखीय क्षेत्रों में स्वच्छ जल की आपूर्ति एवं वाष्पीकरण दोनों ही अधिक रहते हैं। महासागर के तटीय क्षेत्र में लवणता के वितरण में भी स्थानीय भिन्नताएँ मिलती हैं। उदाहरण के लिए अमेजन, कांगो, नाइजर, सिन्धु आदि नदियों के मुहानों पर स्वच्छ जल की आपूर्ति होते रहने के कारण लवणता कम पाई जाती है।
उत्तरी अटलाण्टिक महासागर के सारगैसो क्षेत्र में लवणता 38 प्रति हजार मिलती है। इस उच्च लवणता का कारण यह है कि यहाँ महासागरीय धाराओं के चक्रीय प्रवाह में मध्यवर्ती जल का मिश्रण अन्य क्षेत्रों के जल से नहीं हो पाता।
महासागरीय क्षेत्रों में समान लवणता वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखाएँ समलवणता (Isohaline) रेखाएँ कहलाती हैं।
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