Rajasthan Board RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 5 महाद्वीप व महासागरों की उत्पत्ति
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 5 पाठ्य पुस्तक के अभ्यास प्रश्न
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 5 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
पैन्जिया के चारों ओर फैला हुआ महासागर था
(अ) अटलाण्टिक
(ब) पैन्थलासा
(द) टैथीस
(स) आर्कटिक
उत्तर:
(ब) पैन्थलासा
प्रश्न 2.
वैगनर के अनुसार महाद्वीपों का विस्थापन जिन दिशाओं की ओर हुआ, वे हैं
(अ) दक्षिण व उत्तर
(ब) पूर्व व भूमध्यरेखा
(द) उत्तर व पश्चिम
(स) पश्चिम व भूमध्य रेखा
उत्तर:
(स) पश्चिम व भूमध्य रेखा
प्रश्न 3.
केवल प्लेट विवर्तनिकी से सम्बन्धित तथ्य है
(अ) साम्यस्थापन
(ब) पेजिया
(द) टिथीस
(स) आर्कटिक
उत्तर:
(द) टिथीस
प्रश्न 4.
पेंजिया जिससे निर्मित था
(अ) सियाल
(ब) सीमा
(द) निफे
(स)सियाल एवं सीमा
उत्तर:
(अ) सियाल
प्रश्न 5.
प्लेट शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किया
(अ) फिन्च
(ब) टूजो विल्सन
(द) वेगनरे
(स) ग्रिफिथ टेलर
उत्तर:
(ब) टूजो विल्सन
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 5 अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 6.
पेंजिया किसे कहते हैं?
उत्तर:
वेगनर के अनुसार कार्बोनिफेरस युग में समस्त महाद्वीप एक स्थलखण्ड के रूप में स्थित थे। इस संयुक्त स्थलखण्ड को ही पेंजिया कहा गया है।
प्रश्न 7.
प्लेट किनारों के प्रकार बताइए।
उत्तर:
प्लेटों के किनारों के तीन प्रकार हैं-
- रचनात्मक प्लेट किनारा – इस प्लेट किनारे से लावा जमा होने के कारण क्षेत्रीय विस्तार होता है।
- विनाशात्मक किनारा – इस किनारे से प्लेटों में अवतलन होता है तथा अवतलित किनारा पिघलकर नष्ट हो जाता है।
- संरक्षी प्लेट किनारा – इस किनारे से न तो रचना होती है और नहीं विनाश।
प्रश्न 8.
अटलाण्टिक तटों के सामीप्य में कौनसी कटक बाधक है?
उत्तर:
अटलाण्टिक तटों के सामीप्य में मध्य अटलाण्टिक कटक बाधक है।
प्रश्न 9.
पेंथालासा से आपका क्या आशय है?
उत्तर:
कार्बोनिफेरस युग में समस्त महाद्वीप एक स्थलखण्ड के रूप में स्थित थे, इस संयुक्त स्थलखण्ड (पेंजिया) के चारों ओर विशाल महासागर था जिसे पेंथालासा कहा जाता है।
प्रश्न 10.
प्लेट की औसत मोटाई कितनी है?
उत्तर:
प्लेट की औसत मोटाई 100 किमी मानी गई है।
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 5 लघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 11.
महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धान्त के भौगोलिक प्रमाण लिखिए।
उत्तर:
वेगनर के द्वारा प्रतिपादित महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धान्त में निम्न भौगोलिक प्रमाण मिलते हैं-
- अटलांटिक तटों में साम्य स्थापन,
- पर्वतों का संरेखन,
- नवीन मोड़दार पर्वतों की उत्पत्ति।
1. अटलाण्टिक तटों में साम्य स्थापन – अटलांटिक महासागर के पूर्व व पश्चिमी तटों में अद्भत समानता मिलती है। इन दोनों तटों को परस्पर सटाया जा सकता है। वेगनर के अनुसार पश्चिमी अफ्रीकी उभार कैरेबियन सागर में तथा दक्षिण अमेरिका का उत्तरी-पूर्वी भाग गिनी की खाड़ी से सटाया जा सकता है।
2. पर्वतों का संरेखन – यदि विस्थापित महाद्वीपों को सटाकर रखा जाये तो सभी युग की पर्वतमालाओं के संरेखन में काफी समानता मिलती हैं। यह संरेखन केलोडियन, हर्सीनियन, अल्पाइन आदि पर्वतमालाओं में देखने को मिलता है।
3. नवीन मोड़दार पर्वतों की उत्पत्ति – वेगनर ने रॉकीज, एण्डीज, आल्प्स एवं हिमालय पर्वतों वाले स्थान पर भूसन्नतियों के विद्यमान होने की कल्पना की है। जिनमें जमे तलछट पर दबाव पड़ने से मोड़दार पर्वतों की उत्पत्ति मानी है।
प्रश्न 12.
JIG-SAW-FIT से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
वेगनर के द्वारा प्रतिपादित महाद्वीपीय सिद्धान्त में विभिन्न महाद्वीपों को प्राचीन काल में एक माना गया है। ये सभी एक-दूसरे से अलग हुए हैं। यदि इन महाद्वीपों को वापस एक-दूसरे से सटाया जाये तो ये पुनः एक-दूसरे से सट सकते हैं। महाद्वीपों के इस प्रकार एक-दूसरे से सट सकने की योग्य स्थिति को ही वेगनर ने JIG-SAW-FIT की संज्ञा दी थी। उदाहरण स्वरूप अटलांटिक महासागर के दोनों तटों को पुनः सटाया जा सकता है। पश्चिम अफ्रीकी उभार कैरीबियन सागर में तथा दक्षिणी अमेरिका का उत्तरी-पूर्वी भाग गिनी की खाड़ी में सटाया जा सकता है।
प्रश्न 13.
द्वीपीय चाप बनाने की क्रिया कौन से किनारों पर होती है?
उत्तर:
जब दो समान स्वभाव वाली प्लेटों का अभिसरण होता है तो एक प्लेट दूसरे पर चढ़ जाती है जबकि एक प्लेट का अवतलन होता है। अवतलन के पश्चात प्लेट का अग्रभाग टूटकर मैण्टिल में प्रवेश करने पर पिघल जाता है। इसे विनाशात्मक किनारा कहा जाता है। यह पिघला पदार्थ पुनः कमजोर भूपटल से बाहर निकलकर ज्वालामुखी एवं द्वीपीय चाप को जन्म देता है। प्रशान्त महासागर में महासागरीय प्लेटों के किनारों पर द्वीपीय चापों के रूप में पर्वतों की उत्पत्ति हुई है।
प्रश्न 14.
पृथ्वी की प्रमुख प्लेटों के नाम बताइए।
उत्तर:
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त में पृथ्वी को छ: मुख्य प्लेटों में बाँटा गया है, जो निम्न हैं-
- भारतीय प्लेट – इस प्लेट में भारतीय उपमहाद्वीप व आस्ट्रेलिया की स्थलीय पर्पटी, हिन्द सहासागर व प्रशान्त का दक्षिण-पश्चिमी भाग शामिल है।
- यूरेशियन प्लेट – यह प्लेट आलप्स से हिमालय क्रम तक फैली है।
- अफ्रीकी प्लेट – यह दक्षिण में अंटार्कटिका, पश्चिम में मध्य अटलांटिक कटक व उत्तर में यूरेशियन प्लेट तक विस्तृत है।
- अमेरिकन प्लेट – यह उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप के रूप में विस्तृत है।
- प्रशान्त प्लेट – यह पूर्वी प्रशान्त कटक से पश्चिम की ओर सम्पूर्ण प्रशान्त महासागर के रूप में मिलती है।
- अण्टार्कटिका प्लेट – यह अण्टार्कटिका महाद्वीप के चारों ओर महासागरीय कटकों तक विस्तृत है।
प्रश्न 15.
वेगनर के अनुसार महाद्वीपों के प्रवाह के लिए कौन से बल उत्तरदायी हैं?
उत्तर:
वेगनर के अनुसार महाद्वीपों के प्रवाह हेतु निम्न दो बल उत्तरदायी हैं
- गुरुत्वाकर्षण या प्लवनशीलता का बल तथा
- ज्वारीय बल।
1. गुरुत्वाकर्षण या प्लवनशीलता बल – इस बल के कारण भू-भागों का प्रवाह भूमध्यरेखा की ओर हुआ है। यथा भारत, आस्ट्रेलिया का प्रवाह।
2. ज्वारीय बल – इस बल के कारण भू – भागों का प्रवाह पश्चिम की ओर हुआ है। यथा-उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका का प्रवाह। यह प्रवाह सूर्य एवं चन्द्रमा की सम्मिलित ज्वारीय शक्ति से हुआ। इसमें भूखण्डों को सूर्य व चन्द्रमा द्वारा पश्चिम की और खींचना माना है।
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 5 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 16.
वैगनर के महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त का आलोचनात्मक विवरण दीजिए।
उत्तर:
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त का प्रतिपादन 1912 में जर्मन जलवायुवेत्ता अल्फ्रेड वेगनर ने किया था। इन्होंने अपने सिद्धान्त के प्रतिपादन हेतु दो विकल्पों को मुख्य माना था। पहला यदि जलवायु कटिबन्ध परिवर्तनशील है, तो स्थल स्थिर हैं। दूसरा यदि जलवायु कटिबन्ध स्थिर है तो स्थलीय भाग परिवर्तनशील है। इनमें से दूसरे विकल्प को आधार मानकर इन्होंने सिद्धान्त प्रतिपादित किया था।
महाद्वीपों का विस्थापन – वेगनर के अनुसार पहले समस्त भूखण्ड एक संयुक्त भूखण्ड के रूप में था जिसे पैंजिया कहा गया। इसके चारों और विशाल जल का जो महासागर था उसे पैंथालासा कहा गया। पैंजिया का कार्बोनिफेरस युग में विभाजन हुआ। विभाजन के कारण टैथिस भूसन्नति का निर्माण हुआ जिसके उत्तर में स्थित भाग को अंगारालैण्ड (लारेशिया) व दक्षिण में स्थित भाग को गौंडवाना लैण्ड कहा गया। कालान्तर में इनके क्रमश: विखण्डन के कारण विखण्डित भाग विषुवत रेखा व पश्चिम की ओर प्रवाहित हुए।
प्रवाह के कारण – वेगनर के अनुसार महाद्वीपों का प्रवाह दो बलों गुरुत्वाकर्षण या प्लवनशीलता तथा ज्वारीय बल के कारण क्रमशः भूमध्यरेखा व पश्चिम की ओर प्रवाहित हुए।
महाद्वीपों का निर्माण – अंगारालैण्ड व गोंडवाना लैण्ड के विभाजन के पश्चात इनका पुन: विभाजन हुआ। अंगारालैण्ड के विभक्त होने से उत्तरी अमेरिका तथा शेष भाग यूरोप व एशिया के रूप में बच गया। गौण्डवाना लैण्ड विभाजित होकर दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया व अण्टार्कटिका महाद्वीप में बदल गया। महासागरों का निर्माण-महाद्वीपों के प्रवाहन से महासागरों का निर्माण हुआ। उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका के पश्चिम की ओर सरकने से अन्धमहासागर, आस्ट्रेलिया व अण्टार्कटिका के अलग होने से हिन्द महासागर तथा शेष बचे पैंथालासा से प्रशान्त महासागर का निर्माण हुआ। पैंजिया के इस विभाजन प्रारूप व महाद्वीप महासागरों के निर्माण को अग्र चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया हैं।
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त की आलोचनाएँ – वेगनर के द्वारा प्रतिपादित महाद्वीपीय विस्थापन, सिद्धान्त में अनेक भौगोलिक, जैविक, भूगर्भिक, ज्यामितीय व जलवायु सम्बन्धी कमियाँ मिलती हैं। इन सभी कमियों को निम्न बिन्दुओं के रूप में प्रदर्शित किया गया है
- अटलांटिक तटों में साम्य स्थापन दोषपूर्ण है क्योंकि ब्राजील तट व गिनी की खाड़ी पूरी तरह नहीं मिल सकते हैं।
- मध्य अटलांटिक कटक दोनों तटों को सटाने में बाधक है। जिसका वेगनर ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया।
- वेगनर ने सियाल को सीमा पर तैरता माना था जबकि दूसरी ओर उन्होंने बताया कि जमा हुई तलछट में विस्थापन के फलस्वरूप बढ़ते दबाव के कारण वलन पड़ने से वलित पर्वतों का निर्माण हुआ।
- भूगर्भशास्त्रियों के अनुसार अटलांटिक तट पर संरचनात्मक व स्तर विन्यास की केवल आंशिक समानताएँ हैं। इन्हें पूर्ण प्रमाण नहीं माना जा सकता है।
- समकालीन जीवाश्म के प्रमाण भी आंशिक हैं।
- वेगनर द्वारा वर्णित गुरुत्वाकर्षण बल से यह सम्भव नहीं है कि महाद्वीपों का प्रवाह हो सके।
- विभिन्न क्षेत्रों के पुराजलवायु प्रमाण पूर्णतः समान नहीं मिलते हैं।
प्रश्न 17.
भूमण्डलीय प्लेटों का वर्णन करते हुए प्लेट विवर्तनिकी के साक्ष्य बताइए।
उत्तर:
भूमण्डलीय प्लेटों की संख्या के बारे में विद्वानों का एक मत नहीं है, फिर भी मार्गन महोदय ने सम्पूर्ण स्थल मंडल को 6 बड़ी व 20 गौण प्लेटों में विभाजित किया है। इन प्रमुख प्लेटों का वर्णन निम्नानुसार है-
- भारतीय प्लेट (Indian Plate) – इस प्लेट के अन्तर्गत भारतीय उपमहाद्वीप व आस्ट्रेलिया की स्थलीय पर्पटी तथा हिन्द महासागर एवं प्रशान्त महासागर की दक्षिणी-पश्चिमी महासागरीय पर्पटी सम्मिलित है।
- यूरेशियन प्लेट (Eurasian Plate) – यह एकमात्र ऐसी प्लेट है जो अधिकांशतः महाद्वीपीय पर्पटी से निर्मित है। यह प्लेट पश्चिम में मध्य अटलाण्टिक कटक, दक्षिण में आल्पस – हिमालय पर्वतीय क्रम एवं पूर्व में द्वीपीय चापों तक फैली हुई है।
- अफ्रीकी प्लेट (African Plate) – यह एक मिश्रित महाद्वीपीय व महासागरीय प्लेट है। इसका विस्तार पूर्व में भारतीय दक्षिण में अण्टार्कटिका, पश्चिम में मध्य अटलाण्टिक कटक व उत्तर में यूरेशियन प्लेट तक है।
- अमेरिकन प्लेट (American Plate) – इसके अन्तर्गत उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका की महाद्वीपीय पर्पटी एवं पूर्व की ओर मध्य अटलाण्टिक कटक तक फैली महासागरीय पर्पटी सम्मिलित है। यह प्लेट अमेरिका महाद्वीपों के पश्चिमी तट तक विस्तृत है एवं प्रशान्त महासागरीय प्लेटों से मिलती है। यह प्लेट एक इकाई के रूप में पश्चिम की ओर गतिमान है, इसके
परिणामस्वरूप अमेरिकी महाद्वीपों के पूर्वी किनारों पर कोई विवर्तनिकी हलचलें नहीं होतीं।। - प्रशान्त प्लेट (Pacific Plate) – पूर्वी प्रशान्त कटक (East Pacific Ridge) से पश्चिम की ओर सम्पूर्ण प्रशान्त महासागर पर फैली यह एकमात्र ऐसी प्लेट है जो पूर्णरूप से महासागरीय पर्पटी से निर्मित है।
- अण्टार्कटिका प्लेट (Antarctica Plate) – अण्टार्कटिका प्लेट का अधिकांश भाग हिमाच्छादित है। यह प्लेट अण्टार्कटिका महाद्वीप के चारों ओर मध्य महासागरीय कटकों तक विस्तृत है।
प्लेट विवर्तनिकी के साक्ष्य – प्लेट विवर्तनिकी के साक्ष्यों में सागर नितल प्रसरण, महाद्वीपीय विस्थापन, दरार घाटियों का चौड़ा होना व अन्य साक्ष्यों के रूप में भूकम्पीय घटनाओं, ज्वालामुखी क्रिया, पर्वत निर्माण प्रक्रिया, द्वीपीय चापों को शामिल किया गया है। इनमें से कुछ का संक्षिप्त वर्णन निम्नानुसार है
- सागर नितल प्रसरण – अपसारी किनारों पर दो प्लेटों के विपरीत दिशा में प्रवाह से रिक्त स्थान बनते हैं। इन रिक्त स्थानों में नीचे से संवहन क्रिया द्वारा मैग्मा ऊपर उठता है, एवं यह लावा ऊपर जमा हो जाता है जिससे नई शैलों की उत्पत्ति होती है। इस प्रक्रिया के निरन्तर चलने से नई शैल पर्पटी का निर्माण क्रम चलता रहता है। परिणामस्वरूप महासागरीय तली का विस्तार
होता है। - महाद्वीपीय विस्थापन – पुराचुम्बकत्व व सागर तलीय प्रसारण से सम्बन्धित नवीन खोजों से इस तथ्य को बल मिला है कि महाद्वीप व महासागरीय बेसिन कभी भी स्थिर व स्थायी नहीं रहे हैं जो प्लेटों के प्रवाह को स्पष्ट करता है।
- दरारी घाटियों का चौड़ा होना – जिन प्लेट किनारों पर दरार घाटियाँ हैं वे चौड़ी होती जा रही हैं। लाल सागर व अदन की खाड़ी में विस्तारण की दर 1 सेमी प्रतिवर्ष है।
- अन्य साक्ष्यों में भूकम्पीय घटनाएँ, ज्वालामुखी क्रिया, पर्वत निर्माण, द्वीपीय चापों का निर्माण भी प्लेट विर्वतनिकी के साक्ष्य हैं।
प्रश्न 18.
प्लेट विवर्तनिक सिद्धान्त पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त पुराचुम्बकत्व, भूकम्पीय सर्वेक्षणों, व सागर नितल प्रसरण पर आधारित सिद्धान्त है। इस सिद्धान्त का श्रेय हैरी हैस को दिया जाता है। प्लेट शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग टूजो विल्सन ने किया था।
प्लेट विवर्तनिकी – प्लेट विर्वतनिकी सिद्धान्त के अनुसार समस्त स्थलमंडल को 6 बड़ी व 20 छोटी परतों में बाँटा गया है। ये प्लेटें सतत् रूप से एक-दूसरे के संदर्भ में गतिशील होते हुए अभिसरित, अपसरित व रगड़ खाती हैं जिससे विवर्तनिकी क्रियाएँ होती हैं। प्लेटों के सम्पूर्ण गतिक्रम को प्लेट विवर्तनिकी कहते हैं।
प्रमुख प्लेटें व गौण प्लेटें – सम्पूर्ण स्थल मंडल को छ: मुख्ने प्लेटों-भारतीय प्लेट, यूरेशियन प्लेट, अमेरिकन प्लेट, अफ्रीकन प्लेट, अण्टार्कटिक प्लेट व प्रशान्त प्लेट में बाँटा गया है। गौण प्लेटों में ज्वान-डी-फुका प्लेट, कोकोस प्लेट, नाज्का प्लेट, कैरेबियन प्लेट, स्कोशिया प्लेट, अरेबियन प्लेट, फिलिपाइन प्लेट, उत्तरी अमेरिकन प्लेट, दक्षिणी अमेरिकन प्लेट, इन्डो-आस्ट्रेलियन प्लेट आदि को मुख्य रूप से शामिल किया गया है।
विश्व में मिलने वाली इन मुख्य व गौण प्लेटों को निम्न रेखाचित्र के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है –
प्लेटों के प्रकार – संरचना के आधार पर प्लेटें तीन प्रकार की होती हैं-
- महाद्वीपीय प्लेट,
- महासागरीय प्लेट,
- महासागरीय-महाद्वीपीय प्लेट।
प्लेट किनारे – भू-गर्भ की सारी विवर्तनिक क्रियाएँ इन प्लेट किनारों के सहारे सम्पन्न होती हैं। ये प्लेट किनारे तीन प्रकार के होते हैं-
- रचनात्मक प्लेट किनारे,
- विनाशात्मक प्लेट किनारे,
- संरक्षी प्लेट किनारे।
1. रचनात्मक प्लेट किनारे- जब दो प्लेटों का अपसरण होता है तो रिक्त स्थान उत्पन्न होने से मैग्मा बाहर निकलकर लावा के रूप में जम जाता है जिससे क्षेत्रीय विस्तार होता है। ऐसे किनारे रचनात्मक प्लेट किनारे होते हैं।
2. विनाशी प्लेट किनारे – जब दो प्लेटों का अभिसरण होता है तो एक प्लेट दूसरी के ऊपर चढ़ जाती है एवं दूसरी प्लेट का अवतलन होता है। अवतलित प्लेट का अग्रभाग टूटकर मैण्टिल में प्रवेश करने पर पिघल जाता है। अतः इन्हें विनाशी प्लेट किनारा कहते हैं।
3. संरक्षी प्लेट किनारे – जब दो प्लेटें अगल-बगल से सरकती हैं तो न तो किसी प्लेट का क्षरण होता है और न ही वहाँ नये पदार्थों का सृजन होता है अतः इन्हें संरक्षी किनारा कहते हैं।
प्लेट विवर्तनिकी के साक्ष्य – प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त के पक्ष में सागर नितल प्रसरण, महाद्वीपीय विस्थापन, दरारी घाटियों का चौड़ा होना, भूकम्पीय घटनाएँ, ज्वालामुखी क्रिया, पर्वत निर्माण व द्वीपीय चाप के रूप में प्रमुख प्रमाण मिलते हैं। सारांशत: यह कहा जा सकता है कि प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त महाद्वीप व महासागरों की उत्पत्ति के सन्दर्भ में एक महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त होने से सर्वमान्य सिद्धान्त बन चुका है।
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 5 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 5 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त के प्रतिपादक कौन हैं?
(अ) स्नाइडर
(ब) वेगनर
(स) हैरी हैस
(द) डट्टन
उत्तर:
(ब) वेगनर
प्रश्न 2.
वेगनर ने संयुक्त स्थलखंड को क्या कहा था?
(अ) पैन्जिया
(ब) पैन्थालासा
(स) गौंडवाना लैण्ड
(द) टेथिस
उत्तर:
(अ) पैन्जिया
प्रश्न 3.
गुरुत्वाकर्षण और प्लवनशीलता बल किससे सम्बन्धित है?
(अ) पृथ्वी के परिक्रमण
(ब) पृथ्वी का घूर्णन
(स) गुरुत्वाकर्षण
(द) ज्वारीय बल
उत्तर:
(ब) पृथ्वी का घूर्णन
प्रश्न 4.
भूमध्यरेखा की ओर प्रवाह किस बल की देन है?
(अ) गुरुत्वाकर्षण बल की
(ब) ज्वारीय बल की
(स) केन्द्रोन्मुखी बल की
(द) घर्षण बल की
उत्तर:
(अ) गुरुत्वाकर्षण बल की
प्रश्न 5.
पेंथालासा के शेष बचे हुए भाग को क्या कहा गया है?
(अ) अन्ध महासागर
(ब) हिन्द महासागर
(स) प्रशान्त महासागर
(द) आर्कटिक महासागर
उत्तर:
(स) प्रशान्त महासागर
प्रश्न 6.
विश्व में कितनी मुख्य प्लेटें हैं?
(अ) 10
(ब) 6
(स) 30
(द) 40
उत्तर:
(ब) 6
प्रश्न 7.
इनमें से कौन-सी लघु प्लेट नहीं है?
(अ) नाज्का
(ब) फिलीपीन
(स) अरेबियन
(द) अण्टार्कटिका
उत्तर:
(द) अण्टार्कटिका
प्रश्न 8.
सरंक्षी प्लेट किनारों से किस भ्रंश का निर्माण होता है?
(अ) सोपानी भ्रंश
(ब) रूपान्तरण भ्रंश
(स) उत्क्रम भ्रंश
(द) सामान्य भ्रंश
उत्तर:
(ब) रूपान्तरण भ्रंश
प्रश्न 9.
हिमालय पर्वत का सम्बन्ध निम्न में से किससे है?
(अ) टेथिस सागर से
(ब) आर्कटिक सागर से
(स) अरब सागर से
(द) भूमध्य सागर से
उत्तर:
(अ) टेथिस सागर से
प्रश्न 10.
प्लेटों में गति का कारण है?
(अ) दबाव
(ब) घनत्व
(स) रेडियोधर्मिता
(द) भूकम्प
उत्तर:
(स) रेडियोधर्मिता
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 5 सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न
निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए।
(क) | स्तम्भ अ (महाद्वीपीय विस्थापन सम्बन्धी विचारक) | स्तम्भ ब (वर्ष) |
1. | बेकन | (अ) 1912 |
2. | स्नाइडर | (ब) 1620 |
3. | टेलर | (स) 1910 |
4. | वेगनर | (द) 1885 |
1885
उत्तर:
(i) ब (ii) द (iii) स (iv) अ
स्तम्भ अ (दशाएँ) | स्तम्भ ब (सम्बन्ध) | |
1. | (i) पश्चिम की ओर महाद्वीपों का प्रवाह | (अ) मुख्य प्लेट |
2. | (ii) भूमध्य रेखा की ओर महाद्वीपों का प्रवाह | (ब) रूपान्तरण भ्रंश |
3. | अफ्रीकन प्लेट | (स) विनाशी किनारा |
4. | नाज्का प्लेट | (द) ज्वारीय बल |
5. | द्वीपीय चापीय पर्वत | (य) गौण प्लेट |
6. | सैन एण्ड्रियास भ्रंश | (र) गुरुत्वाकर्षण बल |
उत्तर:
(i) द (ii) र (iii) अ (iv) य (v) स (vi) ब.
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 5 अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
प्रथम श्रेणी के उच्चावच क्या हैं?
उत्तर:
पृथ्वी तल पर मिलने वाले महाद्वीप व महासागरों को प्रथम श्रेणी के उच्चावच माना जाता है क्योंकि इनकी रचना सबसे पहले हुई।
प्रश्न 2.
महाद्वीप व महासागरों की उत्पत्ति के सर्वमान्य सिद्धान्त कौन-से हैं?
उत्तर:
महाद्वीप व महासागरों की उत्पत्ति के सन्दर्भ में महाद्वीपीय विस्थापन एवं विवर्तनिकी नामक सिद्धान्त सर्वमान्य हैं।
प्रश्न 3.
महाद्वीपीय विस्थापन के सन्दर्भ में किस-किस ने विचार व्यक्त किये हैं?
उत्तर:
महाद्वीपीय विस्थापन के सन्दर्भ में फ्रांसिस बेकन में 1620, स्नाइडर ने 1885, एफ. जी. टेलर ने 1910 में अपने विचार प्रस्तुत किये थे किन्तु सिद्धान्त रूप में इसका प्रतिपादन 1912 में वेगनर ने किया था।
प्रश्न 4.
वेगनर कौन थे?
उत्तर:
वेगनर जर्मनी के एक प्रसिद्ध जलवायुवेत्ता एवं भूगर्भशास्त्री थे।
प्रश्न 5.
वेगनर क्या चाहते थे?
उत्तर:
वेगनर महोदय भूतकाल में हुए जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान चाहते थे।
प्रश्न 6.
वेगनर के समक्ष कौन-कौन से विकल्प थे?
उत्तर:
वेगनर के समक्ष दो विकल्प थे-
- यदि जलवायु कटिबन्ध का स्थानान्तरण हुआ है तो स्थलीय भाग स्थिर रहे हैं।
- यदि जलवायु कटिबन्ध स्थिर रहे हैं तो स्थलीय भागों का स्थानान्तरण हुआ है।
प्रश्न 7.
वेगनर ने सियाल व सीमा में क्या सम्बन्ध माना था?
उत्तर:
वेगनर के अनुसार सियाल निर्मित पेजिया अगाध सागरीय तली के रूप में मौजूद सीमा पर निर्बाध रूप से तैर रहा है।
प्रश्न 8.
टेथीस भूसन्नति के दोनों ओर के भूखण्डों के नाम लिखिए।
उत्तर:
टेथोस भूसन्नति के दोनों ओर के भागों के लिए क्रमश: उत्तर में स्थित भाग के लिए अंगारालैण्ड (लारेशिया) व दक्षिणी भाग के लिए गौंडवाना लैण्ड शब्द का प्रयोग किया गया था।
प्रश्न 9.
विखण्डित भूखण्डों का प्रवाह किस-किस दिशा में हुआ?
उत्तर:
विखण्डित भूखण्डों का प्रवाह उत्तर में विषुवत रेखा की ओर एवं पश्चिम की ओर हुआ था।
प्रश्न 10.
भूमध्य रेखा की ओर किसका प्रवाहन हुआ था?
उत्तर:
भारत, आस्ट्रेलिया, मेडागास्कर व अण्टार्कटिका का प्रवाहन भूमध्य रेखा की ओर हुआ था।
प्रश्न 11.
किन भू-भागों का पश्चिम की ओर प्रवाह हुआ है?
उत्तर:
उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, ग्रीनलैण्ड का प्रवाहन पश्चिम की ओर हुआ है।
प्रश्न 12.
वेगनर के अनुसार किन-किन भागों को सटाया जा सकता है?
उत्तर:
वेगनर के अनुसार पश्चिम अफ्रीकी उभार कैरीबियन सागर में तथा दक्षिणी अमेरिका का उत्तरी-पूर्वी भाग गिनी की खाड़ी से सटाया जा सकता है।
प्रश्न 13.
वेगनर ने वलित पर्वतों की उत्पत्ति कैसे मानी है?
उत्तर:
वेगनर के अनुसार आज जहाँ वलित पर्वत हैं वहाँ पहले भूसन्नतियाँ थीं। इन भूसन्नतियों में जमा हुए मलबे पर दबाव पड़ने से ही वलित पर्वतों की उत्पत्ति हुई है।
प्रश्न 14.
वेगनर के सिद्धान्त के पक्ष में भू-ज्यामितीय प्रमाण क्या है?
उत्तर:
वेगनर के सिद्धान्त के पक्ष में मुख्य भू-ज्यामितीय प्रमाण ग्रीनलैण्ड का धीरे-धीरे कनाडा की ओर विस्थापित होना है।
प्रश्न 15.
वेगनर के सिद्धान्त के पक्ष में जैविक स्वभाव रूपी क्या प्रमाण मिलता है?
उत्तर:
नार्वे में लैमिंग नामक जन्तु पश्चिम की ओर चलते-चलते अटलांटिक महासागर में डूबकर मर जाते हैं। यह उनकी आदत के कारण माना जाता है जो इस बात का प्रमाण है कि पहले उत्तरी अमेरिका यूरोप से सटा हुआ था।
प्रश्न 16.
कार्बोनिफेरस युग के हिमानीकरण का प्रभाव कहाँ-कहाँ मिलता है?
उत्तर:
कार्बोनिफेरस युग के हिमानीकरण का प्रभाव भारत, दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका एवं आस्ट्रेलिया में देखने को मिलता हैं।
प्रश्न 17.
अटलांटिक तटों में साम्य स्थापन दोष पूर्ण क्यों है?
उत्तर:
क्योंकि ब्राजील के तट को गिनी की खाड़ी से मिलाने पर 15° का अन्तरं शेष रह जाता है। अत: अटलांटिक तटों में साम्य स्थापन दोषपूर्ण है।
प्रश्न 18.
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त किन आधारों पर प्रतिपादित किया गया था?
उत्तर:
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त के प्रतिपादन हेतु पुराचुम्बकीयता, भूकम्पीय सर्वेक्षणों एवं सागर नितल प्रसरण सम्बन्धी अनुसंधानों को आधार मानकर प्रतिपादित किया गया था।
प्रश्न 19.
स्थलमंडल से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
क्रस्ट एवं ऊपरी मैण्टिल के सम्मिलित परत को स्थलमंडल कहा गया है।
प्रशन 20.
विवर्तनिकी प्रक्रियाएँ क्यों घटित होती हैं?
उत्तर:
निर्बलतामंडल पर सतत् रूप से प्लेटों के एक-दूसरे के सन्दर्भ में गतिशील होते हुए अभिसरित, अपसरित एवं रगड़ खाने की प्रक्रिया से विवर्तनिक प्रक्रिया घटित होती है।
प्रश्न 21.
विश्व की कुछ गौण प्लेटों के नाम लिखिए।
उत्तर:
विश्व की गौण प्लेटों में मुख्यतः नाज्का प्लेट, कोकोस प्लेट, अरेबियन प्लेट, जुआन-डी-फुका प्लेट, कैरेबियन प्लेट, स्कोशिया प्लेट, फिलीपाइन प्लेट, इण्डो-आस्ट्रेलियन प्लेट, उत्तरी अमेरिकन व दक्षिणी अमेरिकन प्लेटों को शामिल किया गया है।
प्रश्न 22.
कैरोलिन प्लेट की स्थिति बताइए।
उत्तर:
कैरोलिन प्लेट न्यूगिनी के उत्तर में फिलीपीन व इंडियन प्लेट के मध्य स्थित है।
प्रश्न 23.
कोकोस प्लेट कहाँ स्थित है?
उत्तर:
कोकोस प्लेट मध्यवर्ती अमेरिका एवं प्रशान्त महासागरीय प्लेट के मध्य स्थित है।
प्रश्न 24.
नजका प्लेट की स्थिति बताइए।
उत्तर:
नजका प्लेट दक्षिण अमेरिका व प्रशान्त महासागरीय प्लेट के बीच स्थित है।
प्रश्न 25.
फिलीपीन प्लेट कहाँ स्थित है?
उत्तर:
फिलीपीन प्लेट एशिया महाद्वीप एवं प्रशान्त महासागरीय प्लेट के मध्य स्थित है।
प्रश्न 26.
महाद्वीपीय प्लेट किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस प्लेट का सम्पूर्ण या अधिकांश भाग स्थल हो वह महाद्वीपीय प्लेट कहलाती है।
प्रश्न 27.
महासागरीय प्लेट क्या होती है?
उत्तर:
जिस प्लेट का सम्पूर्ण या अधिकांश भाग महासागरीय तली के अन्तर्गत आता है वह महासागरीय प्लेट कहलाती है।
प्रश्न 28.
प्लेट किनारे किसे कहते हैं?
उत्तर:
स्थलीय दृढ़ भूखण्डों को प्लेट कहते हैं। स्थलमण्डल के किनारों को प्लेट किनारा कहते हैं।
प्रश्न 29.
प्लेट विवर्तनिकी क्या है?
उत्तर:
स्थलीय दृढ़ भूखण्डों को प्लेट कहते हैं। इन प्लेटों के स्वभाव तथा प्रवाह से सम्बन्धित अध्ययन को प्लेट विवर्तनिकी कहते हैं।
प्रश्न 30.
भारतीय प्लेट में कौन-सा क्षेत्र शामिल किया गया है?
उत्तर:
भारतीय क्षेत्र में भारतीय उपमहाद्वीप, आस्ट्रेलिया की स्थलीय पर्पटी, हिन्द महासागर एवं प्रशान्त महासागर के दक्षिणी-पश्चिमी भाग को शामिल किया गया है।
प्रश्न 31.
पूर्णतः महासागरीय प्लेट कौन-सी है? इसका विस्तार कहाँ है?
उत्तर:
प्रशान्त महसागरीय प्लेट पूर्णत: महासागरीय है। यह पूर्वी प्रशान्त कटक से पश्चिम की ओर सम्पूर्ण प्रशान्त महासागर पर फैली है।
प्रश्न 32.
प्लेट अभिसरण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जब दो प्लेट भिन्न-भिन्न दिशाओं से आमने-सामने की ओर गति करती हैं तो उनमें से एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे पॅस जाती है। जिससे पर्पटी का विनाश होता है। ऐसी प्रक्रिया अभिसरण कहलाती है।
प्रश्न 33.
प्लेटों के अपसरण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जब दो प्लेट एक-दूसरे से विपरीत दिशा में अलग हटती हैं जिसके कारण नई पर्पटी की रचना होती है ऐसी प्रक्रिया अपसरण कहलाती है।
प्रश्न 34.
ज्वालामुखी श्रृंखला कहाँ विस्तृत मिलती है?
उत्तर:
प्रशान्त महासागरीय प्लेट के किनारे पर द्वीपीय व ज्वालामुखी श्रृंखला विस्तृत मिलती है।
प्रश्न 35.
प्लेटों में गति क्यों उत्पन्न होती है?
उत्तर:
पृथ्बी में स्थित हॉट-स्पॉट अर्थात् रेडियो धर्मत्व से उत्पन्न भूतापीय ऊर्जा संवहनीय तरंगों के रूप में ऊपर उठकर प्लेटों में गति उत्पन्न करते हैं।
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 5 लघुत्तरात्मक प्रश्न Type I
प्रश्न 1.
पैजिया को परिभाषित करते हुए इसके विभाजन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
पैजिया-वेगनर के अनुसार पैंजिया संयुक्त स्थलखण्ड के लिए प्रयुक्त शब्द है जो विशाल संयुक्त महाद्वीपीय भाग का प्रतिनिधित्व करता है।
पैजिया का विभाजन – वेगनर के अनुसार पेन्जिया का विभाजन कार्बोनिफेरस युग में प्रारम्भ हुआ था। यह सबसे पहले दो भागों में बाँटा था जिसके उत्तरी भाग को अंगारालैण्ड (लारेशिया) व दक्षिणी भाग को गौंडवाना लैण्ड कहा गया। जुरेसिक युग के लगभग अंगारालैण्ड व गौंडवाना लैण्ड का पुनः विभाजन हुआ जिससे ये छोटे-छोटे भागों में बँट गये। इयोसीन युग में अमेरिका का विभाजन हुआ। प्लीस्टोसीन युग तक यह विभाजन पूर्ण हुआ था।
प्रश्न 2.
महाद्वीपों के प्रवाह हेतु उत्तरदायी बलों का वर्णन कीजिए।
अथवा
महाद्वीपों का उत्तर एवं पश्चिम की ओर प्रवाह क्यों हुआ?
उत्तर:
वेगनर ने महाद्वीपों के प्रवाह के लिए निम्न दो बलों को उत्तरदायी माना था
- गुरुत्वाकर्षण और प्लवनशीलता बल,
- ज्वारीय बल।
1. गुरुत्वाकर्षण और प्लवनशीलता बल – इस बल के कारण भू-भागों का प्रवाहन भूमध्य रेखा की ओर (उत्तर की ओर) हुआ। इस बल से भारत, आस्ट्रेलिया, मेडागास्कर एवं अण्टार्कटिका का निर्माण हुआ।
2. ज्वारीय बल-इस बल के कारण भू-भागों का पश्चिम की ओर प्रवाहन हुआ जिससे उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका का अस्तित्व सामने आया।
प्रश्न 3.
पर्वतों के संरेखन को चित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वेगनर के सिद्धान्त के भौगोलिक प्रमाण में शामिल पर्वतों के संरेखन को निम्नानुसार दर्शाया गया है-
प्रश्न 4.
महाद्वीपीय विस्थापन के भूगर्भिक प्रमाणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वेगनर द्वारा प्रस्तुत महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त के भूगर्भिक प्रमाण निम्न हैं-
- संरचनात्मक समानता,
- स्तर विन्यास की समानता।
1. संरचनात्मक समानता (Structural Similarities) – अटलाण्टिक महासागर के दोनों ओर के तटीय क्षेत्रों की शैल संरचना में समानता से प्रमाणित होता है कि ये दोनों तट कभी आपस में सटे हुए थे।
2. स्तर विन्यास की समानता (Stratigraphical Similarities) – अटलाण्टिक महासागर के दोनों तटों की चट्टानों की विभिन्न परतों के क्रम में पाई जाने वाली समानता इनके कभी सटे हुए होने के प्रमाण हैं।
प्रश्न 5.
वेगनर द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त की भूज्यामितीय आलोचनाओं को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त की भूज्यामितीय आलोचनाएँ बताइये।
उत्तर:
वैगनर के अनुसार पश्चिम की ओर विस्थापन सूर्य व चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण होता है। जबकि गणितज्ञों ने सिद्ध किया है कि अमेरिका को पश्चिम की ओर विस्थापित करने के लिए जितने गुरुत्वाकर्षण बल की आवश्यकता होगी वर्तमान बल से दस अरब गुना अधिक होना चाहिए। गणितज्ञ आलोचकों का मानना है कि इतने बल का होना असम्भव है, तथापि यदि इसे सभव मान भी लिया जावे तो उतने अधिक बल के कारण पृथ्वी की परिभ्रमण गति ही बाधित हो जायेगी।
प्रश्न 6.
प्लेटों के प्रकार स्पष्ट कीजिए।
अथवा
प्लेट कितने प्रकार की होती हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संरचना के आधार पर प्लेटों को निम्न भागों में बाँटा गया है
- महाद्वीपीय प्लेट,
- महासागरीय प्लेट,
- महासागरीय – महाद्वीपीय प्लेट।
1. महाद्वीपीय प्लेट – जिस प्लेट का सम्पूर्ण या अधिकांश भाग स्थलीय हो, वह महाद्वीपीय प्लेट कहलाती है।
2. महासागरीय प्लेट – जिस प्लेट का सम्पूर्ण या अधिकांश भाग महासागरीय तली के अन्तर्गत होता है वह महासागरीय प्लेट कहलाती है।
3. महसागरीय – महाद्वीपीय प्लेट-जिस प्लेट पर महाद्वीप व महासागरीय तली दोनों का विस्तार होता है।
प्रश्न 7.
प्लेट संचरण की अपसारी सीमा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब दो प्लेट एक-दूसरे से विपरीत दिशा में अलग हटती हैं और नई पर्पटी का निर्माण होता है, उन्हें अपसारी सीमा या अपसारी प्लेट कहते हैं। इसे रचनात्मक प्लेट भी कहते हैं। इन प्लेट किनारों के सहारे पदार्थों का निर्माण होता है। मध्य अटलांटिक कटक अपसारी सीमा का एक प्रमुख उदाहरण है। यहाँ से अमेरिकी प्लेटें (उत्तरी अमेरिकी व दक्षिण अमेरिकी प्लेटें) तथा यूरेशिया व अफ्रीकी प्लेटें अलग हो रही हैं।
प्रश्न 8.
अभिसरणं सीमा किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार से हो सकता है?
उत्तर:
जब दो प्लेटें आमने-सामने सरकती हैं तो एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे धंसती है तथा वहाँ भूपर्पटी नष्ट होती है उसे अभिसरण सीमा या विनाशात्मक प्लेट किनारा भी कहते हैं। अभिसरण तीन प्रकार से हो सकता है-
- महासागरीय व महाद्वीपीय प्लेट के मध्य,
- दो महासागरीय प्लेटों के मध्य,
- दो महाद्वीपीय प्लेटों के मध्य।
प्रश्न 9.
रूपांतर भ्रंश क्या है? यह मध्य महासागरीय कटकों से लम्बवत स्थिति में क्यों पाये जाते हैं?
उत्तर:
रूपांतर भ्रंश – दो प्लेटों को अलग करने वाला तल रूपांतर भ्रंश कहलाता है।
रूपांतर भ्रंश सामान्यतः मध्य महासागरीय कटकों से लम्बवत् स्थिति में पाये जाते हैं क्योंकि कटकों के शीर्ष पर एक ही समय में समस्त स्थानों पर ज्वालामुखी उद्गार नहीं होता है। ऐसी स्थिति में पृथ्वी के अक्ष से दूर प्लेट के हिस्से भिन्न प्रकार से गति करने लगते हैं। इसके अतिरिक्त पृथ्वी के घूर्णन का भी प्लेट के अलग खण्डों पर भिन्न प्रभाव पड़ता है।
प्रश्न 10.
प्लेटों में गति के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
प्लेटों में संचरण क्यों होता है?
उत्तर:
पृथ्वी में स्थित हॉट-स्पॉट अर्थात् रेडियो धर्मत्व से उत्पन्न भूतापीय ऊर्जा संवहनीय तंरगों के रूप में उठकर प्लेटों में गति उत्पन्न करते हैं। प्लेटो के एकदम नीचे संवहन तरंगों का प्रवाह उन्हें क्षैतिजीय गति देता है। मध्य महासागरीय कटकों के क्षेत्र में भीतर से मैग्मा को ऊपर आना एवं अभिसारी पार्श्व पर प्लेट का नीचे फँसकर मैण्टिल में पहुँचना संवहन तरंग की मुख्य गतिविधियाँ हैं।
प्रश्न 11.
भारतीय प्लेट की अवस्थिति एवं विस्तार का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय प्लेट के अन्तर्गत प्रायद्वीपीय भारत एवं ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप सम्मिलित हैं। इसकी उत्तरी सीमा को निर्धारण हिमालय पर्वत श्रेणियों के साथ पाया जाने वाला क्षेत्र जो महाद्वीपीय-महाद्वीपीय अभिसरण के रूप में मिलती है। यह पूर्व में अराकानयोमा पर्वत (म्यांमार) से होती हुई जावा द्वीप तक फैली है। इसकी पूर्वी सीमा विस्तारित तल है जो ऑस्ट्रेलिया के पूर्व से दक्षिण-पश्चिमी प्रशान्त महासागर में महासागरीय कटक के रूप में है। इसकी पश्चिमी सीमा पाकिस्तान की किरथर श्रेणियों का अनुसरण करती हुई मकरान तट के साथ-साथ दक्षिणी-पूर्वी चैगोस द्वीप समूह के साथ लालसागर द्रोणी में जा मिलती है।
प्रश्न 12.
प्लेट विवर्तनिकी का महत्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त का अत्यधिक महत्व है। यह सिद्धान्त महाद्वीप एवं महासागरों की उत्पत्ति को स्पष्ट करने के साथ-साथ भूकम्प की उत्पत्ति उसके वितरण, ज्वालामुखी क्रिया तथा इसका विश्व वितरण, द्वीपीय चाप की उत्पत्ति तथा पर्वतों के निर्माण व उनके प्रकारों को स्पष्ट करने में सर्वाधिक सार्थक सिद्ध हुआ है।
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 5 लघुत्तरात्मक प्रश्न Type II
प्रश्न 1.
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त के जैविक प्रमाणों को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
वेगनर के सिद्धान्त के सन्दर्भ में मिलने वाले जैविक प्रमाण बताइये।
उत्तर:
अल्फ्रेड वेगनर के द्वारा प्रतिपादित महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त के जैविक प्रमाणों में मुख्यत: निम्न प्रमाणों को शामिल किया गया है
- पुराजीवाश्मीय प्रमाण,
- जैविक स्वभाव।
1. पुराजीवाश्मीय प्रमाण – अटलांटिक महासागर के दोनों तट पर समान प्रजाति एवं समान प्रकार के जीवाश्म मिलते हैं। इन प्रमाणों से स्पष्ट होता है कि ये दोनों भाग कभी सटे हुए थे।
2. जैविक स्वभाव – जीवशास्त्रियों के शोध के अनुसार नार्वे में लैमिंग नामक जन्तु पश्चिम की ओर चलते-चलते अटलांटिक महासागर में डूबकर मर जाते हैं। इसका कारण यह माना गया है कि उनकी यह आदत उस काल की है जब उत्तरी अमेरिका यूरोप से सटा हुआ था और वही आदत आज भी है। जैविक प्रमाणों की यह साम्यता निम्न चित्र के माध्यम से दर्शायी गयी है
प्रश्न 2.
स्थलमण्डल की महत्वपूर्ण छोटी प्लेटों को संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त के अनुसार स्थलमण्डल छ: प्रमुख प्लेटों व बीस लघु प्लेटों में विभक्त है। प्रमुख लघु प्लेटें निम्नलिखित हैं-
- कोकोस प्लेट – इसकी स्थिति मध्य अमेरिका व प्रशान्त महासागरीय प्लेट के मध्य है।
- नजका प्लेट – यह दक्षिणी अमेरिका एवं प्रशान्त महासागरीय प्लेट के मध्य है।
- अरेबियन प्लेट – इसमें सामान्य रूप से अधिकांशत: अरब के प्रायद्वीपीय भाग सम्मिलित हैं।
- फिलीपीन्स प्लेट – यह एशिया महाद्वीप एवं प्रशान्त महासागरीय प्लेट के मध्य स्थित है।
- कैरोलिन प्लेट – यह न्यूगिनी के उत्तर में फिलीपाइन्स तथा इण्डियन प्लेट के मध्य स्थित है।
- फ्यूजी प्लेट – इसकी स्थिति ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के उत्तर-पूर्व में है।
प्रश्न 3.
सागर नितल प्रसरण को स्पष्ट कीजिए। अथवा सागर नितल प्रसरण की संकल्पना को संक्षिप्त रूप में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अपसारी पार्श्व पर दो प्लेटों के विपरीत दिशा में प्रवाह से रिक्त स्थान बनते हैं। इन रिक्त स्थानों में नीचे से संवहन क्रिया द्वारा मैग्मा ऊपर उठता है एवं यह लावा ऊपर जमा हो जाता है जिससे नई शैलों की उत्पत्ति होती है। इस प्रक्रिया के निरन्तर चलने से नई शैल पर्पटी बनने का क्रम चलता रहता है। परिणामस्वरूप महासागरीय तली का विस्तारण होता रहा है। जैसे मध्य अटलाण्टिक कटक के दोनों ओर लावा बाहर निकलकर नवीन पर्पटी का निर्माण कर रहा है जिससे अटलाण्टिक महासागर का फैलाव हो रहा है। महासागरीय तली के विस्तारण से महाद्वीप व महासागरों की अस्थिरता की संकल्पना भी प्रमाणित होती है।
प्रश्न 4.
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त ने किस प्रकार संवहनीय धाराओं की संकल्पना को बल दिया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त एक सर्वमान्य सिद्धान्त है जो भूकम्प की घटनाओं, ज्वालामुखी क्रिया, पर्वत निर्माण, द्वीपीय चापों आदि के निर्माण से सम्बन्धित है। इसी सिद्धान्त के कारण आज अधिकांश भूगोलवेत्ता, भूगर्भशास्त्री व भूवैज्ञानिक महाद्वीपीय विस्थापन की सच्चाई को अब पुनः मानने लगे हैं। वर्तमान में विस्थापन के लिए केवल नोदकबल को छोड़कर अन्य सभी मुद्दों पर विद्वान एकमत हैं। नवीनतम शोध अध्ययनों ने तापीय संवाहनिक धाराओं की संकल्पना की विश्वसनीयता को प्लेट विवर्तनिकी के सन्दर्भ में पुनर्जीवित किया है।
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 5 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
प्लेट किनारों को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
प्लेट किनारे कितने प्रकार के होते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त प्लेट किनारों के ऊपर निर्भर है क्योंकि अधिकांश विवर्तनिकी घटनाएँ प्लेट किनारों के सहारे ही घटित होती हैं। इन प्लेट किनारों को निम्न भागों में बाँटा गया है-
- रचनात्मक प्लेट किनारा,
- विनाशात्मक प्लेट किनारा,
- संरक्षी किनारा।
1. रचनात्मक प्लेट किनारा (Constructive Plate Margins) – इन किनारों के सहारे दो प्लेटों का अपसरण होता है, जिससे जो रिक्त स्थान बनता है उससे मैग्मा बाहर निकलकर लावा के रूप में जमा होते रहने से वहाँ क्षेत्रीय विस्तार होता है। इसलिए इन्हें रचनात्मक किनारे कहते हैं। अटलाण्टिक कटक पर ऐसे ही पाश्र्व मिलते हैं।
2. विनाशात्मक प्लेट किनारा (Destructive Plate Margins) – इन किनारों के सहारे दो प्लेटों के अभिसरण के कारण एक प्लेट दूसरी के ऊपर चढ़ जाती है एवं दूसरी प्लेट का अवतलन होता है। अवतलित प्लेट का अग्रभाग टूटकर मैण्टिल में प्रवेश करने पर पिघल जाता है। अत: इसे विनाशात्मक किनारा कहा जाता है। यह पिघला पदार्थ पुन: कमजोर भूपटल से बाहर निकलकर ज्वालामुखी एवं द्वीपीय चाप को जन्म देता है। प्रशान्त महासागरीय प्लेट के किनारों पर द्वीपीय व ज्वालामुखी श्रृंखला विस्तृत है।
3. संरक्षी किनारा (Conservative Plate Margins) – इन किनारों के सहारे दो प्लेटें अगल-बगल में सरकती हैं। जिसमें न तो किसी प्लेट का क्षरण होता है और न ही वहाँ नये पदार्थों का सृजन होता है। केवल रूपान्तर भ्रंश का निर्माण होता है। अतः इसे संरक्षी किनारा कहते हैं। उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी भाग में सैन एण्ड्रियास भ्रंश के सहारे दो उप प्लेटों का संरक्षी किनारा ही है। प्लेट किनारों के इस स्वरूप को उपर्युक्त चित्र की सहायता से दर्शाया गया है।
प्रश्न 2.
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त एवं प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त में मूलभूत अन्तर बताइए।
अथवा
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त और प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त के बीच अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
महाद्वीपीय विस्थापन एवं प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त में प्रमुख अन्तर निम्न हैं
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त | प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त | |
1. | इस सिद्धान्त का प्रतिपादन अल्फ्रेड वेगनर ने सन् 1912 में किया। | यह सिद्धान्त मैकेन्जी, पारकर एवं मोरगन ने सन् 1967 में प्रतिपादित किया। |
2. | महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त महाद्वीप एवं महासागरों की उत्पत्ति व वितरण की व्याख्या करता है। | प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त का सम्बन्ध विभिन्न भूगर्भिक घटनाओं से है। इस सिद्धान्त के द्वारा महाद्वीप एवं महासागरों की उत्पत्ति, पर्वत-निर्माण, भूकम्प एवं ज्वालामुखी की उत्पत्ति आदि की विस्तृत व्याख्या की जाती है। |
3. | महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त के अनुसार आरम्भिक काल में सभी महाद्वीप एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। इस जुड़े स्थल रूप को वेगनर ने ‘पैन्जिया’ कहा है। | इस सिद्धान्त के अनुसार महाद्वीप एवं महासागर अनियमित एवं भिन्न आकार वाले प्लेटों पर स्थित हैं और गतिशील हैं। |
4. | इस सिद्धान्त के अनुसार सभी स्थलखण्ड पैन्जिया के रूप में सम्बद्ध थे। बाद में पैन्जिया का विखण्डन हुआ। इसका उत्तरी भाग लारेशिया और दक्षिणी भाग गौण्डवानालैण्ड कहलाया। यह घटना आज से लगभग 20 करोड़ वर्ष पहले हुई। | इस सिद्धान्त के अनुसार पृथ्वी का स्थलमण्डल छः मुख्य प्लेटों और 20 छोटी प्लेटों में विभक्त है। नवीन वलित पर्वत श्रेणियाँ, खाइयाँ और भ्रंश इन मुख्य प्लेटों को सीमांकित करते हैं। |
5. | इस सिद्धान्त के अनुसार स्थलखण्ड सियाल के बने हैं जो अधिक घनत्व वाले सीमा पर तैर रहे हैं। अर्थात् केवल स्थलखण्ड गतिशील हैं। | इस सिद्धान्त के अनुसार एक विवर्तनिक प्लेट जो महाद्वीपीय एवं महासागरीय स्थलखण्डों से मिलकर बनी है, एक दृढ़ इकाई के रूप में क्षैतिज अवस्था में गतिशील है। |
6. | वेगनर के अनुसार महाद्वीपों का प्रवाह ध्रुवीय फ्लाइंग बल एवं सूर्य तथा चन्द्रमा के ज्वारीय बल के कारण हुआ। | इस सिद्धान्त के अनुसार प्लेट दुर्बलता मण्डल पर एक दृढ़ इकाई के रूप में क्षैतिज अवस्था में चलायमान है। इनकी गति का प्रमुख कारण मैण्टिल में उत्पन्न होने वाली संवहनीय धाराएँ हैं। |
RBSE Solutions for Class 11 Geography
Leave a Reply