Rajasthan Board RBSE Class 11 Pratical Geography Chapter 3 प्रक्षेप
RBSE Class 11 Pratical Geography Chapter 3 प्रायोगिक पुस्तक के अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1.
प्रक्षेप को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी के गोलाभ अथवा उसके किसी भाग के अक्षांश व देशान्तर रेखाओं के जाल का समतल कागज या समतल सतह पर निरूपण प्रक्षेप कहलाता है।
प्रश्न 2.
संदर्श प्रक्षेप किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसे प्रक्षेप जो प्रकाश की सहायता से बनाये जाते हैं उन्हें संदर्श प्रक्षेप कहते हैं। इन प्रक्षेपों को ग्लोब पर बने अक्षांश व देशान्तर रेखाओं के जाल पर किसी निश्चित स्थान से प्रकाश डालने पर समतल कागज पर अक्षांश व देशान्तर रेखाओं की पड़ने वाली छायाओं के अनुसार बनाया जाता है।
प्रश्न 3.
प्रक्षेप बनाने में किस प्रकार की तीन विकृतियाँ हो सकती हैं?
उत्तर:
प्रक्षेप बनाने में निम्न तीन विकृतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं-
- दिशा,
- आकृति,
- क्षेत्रफल।
1. दिशा – समतल कागज पर प्रक्षेपण के दौरान दो स्थानों की सापेक्षिक स्थिति व दिशा में विकृति आ जाती है।
2. आकृति-यदि किसी विधि के द्वारा दिशा शुद्ध रखने का प्रयास किया जाता है, तो आकार में विकृति आ जाती है।
3. क्षेत्रफल-यदि किसी विधि द्वारा प्रक्षेप में दिशा व आकार में से कोई एक गुण बनाए रखा जाता है, तो क्षेत्रफल अशुद्ध हो जाता है।
प्रश्न 4.
प्रक्षेप बनाने के लिए कौन-से तीन आवश्यक तथ्यों का ज्ञान होना चाहिए?
उत्तर:
प्रक्षेपों की रचना के लिए निम्न तीन आवश्यक तथ्यों का ज्ञान होना आवश्यक है-
- मापक,
- अक्षांश व देशान्तर रेखाओं का अन्तर,
- विस्तार।
1. मापक – किसी भी प्रक्षेप की रचना के लिए मापक सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है। प्रत्येक प्रक्षेप की रचना का आधार एक वृत्त होता है। यह वृत्त पृथ्वी का प्रतिरूप होता है। प्रक्षेप की रचना हेतु मापक के अनुसार पृथ्वी के घटाये गये वृत्त को आधार मानकर प्रक्षेप की रचना की जाती है।
2. अक्षांश व देशान्तर रेखाओं का अन्तर – प्रत्येक प्रक्षेप में अक्षांश-देशान्तर रेखाओं का जाल बनाने हेतु उनका अन्तर जानना आवश्यक है। इसी अन्तर के आधार पर अक्षांश-देशान्तर तैयार किये जाते हैं।
3. विस्तार – प्रत्येक प्रक्षेप किसी-न-किसी भू-भाग को प्रदर्शित करने के लिए बनाया जाता है। अतः प्रक्षेप की रचना करते समय यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि प्रक्षेप का विस्तार कितना दिया गया है।
प्रश्न 5.
गुण के आधार पर प्रक्षेप कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
गुण के आधार पर प्रक्षेप तीन प्रकार के होते हैं-
- शुद्ध आकृति प्रक्षेप,
- समक्षेत्रफल प्रक्षेप,
- शुद्ध दिशा प्रक्षेप।
1. शुद्ध आकृति प्रक्षेप-जब किसी क्षेत्र की जो आकृति ग्लोब पर है और वही आकृति समान रूप से किसी प्रक्षेप पर बनती है तो वह प्रक्षेप शुद्ध आकृति प्रक्षेप कहा जाता है।
2. समक्षेत्रफल प्रक्षेप-जब किसी प्रक्षेप पर दो अक्षांश व देशान्तर रेखाओं के बीच स्थित क्षेत्र व ग्लोब पर उन्हीं अक्षांशों व देशान्तरों के मध्य वाले क्षेत्र का क्षेत्रफल समान हो, तो उसे समक्षेत्र प्रक्षेप कहते हैं।
3. शुद्ध दिशा प्रक्षेप-जब किसी प्रक्षेप पर दो बिन्दुओं को मिलाने वाली सरल रेखा की दिशा ग्लोब पर उन्हीं दो स्थानों को मिलाने वाले वृहत् वृत्त के समान हो, तो ऐसे प्रक्षेप को शुद्ध दिशा प्रक्षेप कहते हैं।
प्रश्न 6.
पृथ्वी के घटाये गये बृत्त का अर्द्धव्यास ज्ञात करने का सूत्र लिखिये।
उत्तर:
पृथ्वी के घटाये वृत्त का अर्द्धव्यास निम्न सूत्र से ज्ञात करते हैं-
प्रश्न 7.
एक प्रधान अक्षांशीय शंक्वाकार प्रक्षेप में कौन-सा अक्षांश प्रधान होता है । क्यों?
उत्तर:
एक प्रधान अक्षांशीय शंक्वाकार प्रक्षेप में दिया गया मानक अक्षांश प्रधान अक्षांश होता है क्योंकि इसी अक्षांश के आधार पर अन्य अक्षांशों की स्थिति निर्धारित होती है साथ ही इस मानक अक्षांश पर ही देशान्तरों के मध्य की दूरियाँ निर्धारित की जाती हैं।
प्रश्न 8.
बेलनाकार समक्षेत्रफल प्रक्षेप में भूमध्य रेखा की लम्बाई ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
बेलनाकार समक्षेत्रफल प्रक्षेप में भूमध्य रेखा की लम्बाई निम्न सूत्र से ज्ञात करते हैं-
भूमध्य रेखा की लम्बाई = 2πr
प्रश्न 9.
बेलनाकार समक्षेत्रफल प्रक्षेप की पहचान बताइये।
उत्तर:
बेलनाकार समक्षेत्रफल प्रक्षेप की पहचान निम्नलिखित हैं-
- इस प्रक्षेप में अक्षांश रेखाओं के मध्य की दूरी भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर क्रमशः कम होती जाती है।
- इसे प्रक्षेत्र में प्रत्येक अक्षांश रेखा की लम्बाई भूमध्य रेखां के बराबर होती है।
- सभी देशान्तर रेखाएँ सीधी, समान लम्बाई की व समानान्तर दूरी पर होती हैं।
- अक्षांश व देशान्तर रेखाएँ एक-दूसरे को समकोण पर काटती हैं।
- ध्रुव एक बिन्दु के रूप में ग्लोब पर होते हैं तथा इस प्रक्षेप में भूमध्य रेखा की लम्बाई के बराबर अक्षांश रेखा होती है।
प्रश्न 10.
बेलनाकार समक्षेत्रफल प्रक्षेप के गुण व दोष बताइये।
उत्तर:
बेलनाकार समक्षेत्रफल प्रक्षेप के गुण व दोष निम्नानुसार हैं-
गुण – (i) मापक के अनुसार, भूमध्य रेखा अपनी वास्तविक लम्बाई के बराबर होती है। अत: भूमध्य रेखा पर मापनी शुद्ध होती है।
(ii) यह एक शुद्ध क्षेत्रफल प्रक्षेप है।
दोष – (i) इस प्रक्षेप में आकृति व दिशा दोनों अशुद्ध होती हैं।
(ii) सभी अक्षांश रेखाएँ भूमध्य रेखा के बराबर लम्बी होती हैं अतः इन पर मापनी अशुद्ध होती है।
(iii) सभी देशान्तर रेखाएँ अपनी वास्तविक लम्बाई से छोटी होती हैं, अतः इन पर भी मापक अशुद्ध होता है।
प्रश्न 11.
गॉल प्रक्षेप में अक्षांश रेखाओं की लम्बाई किस अक्षांश रेखा की लम्बाई के बराबर होती है व क्यों? चित्र सहित समझाइये।
उत्तर:
गॉल प्रक्षेप में सभी अक्षांश रेखाओं की लम्बाई 45° अक्षांश रेखा के बराबर होती है। सभी अक्षांश रेखाओं के 45° अक्षांश वृत्त के बराबर होने का मुख्य कारण 45° अक्षांश वृत्त का आधार अक्षांश वृत्त होना है। 45° अक्षांश वृत्त को इस प्रक्षेप में अर्द्धव्यास का मान माना जाता है इसी कारण इसे मुख्य अक्षांश वृत्त मानते हैं।
प्रश्न 12.
बेलनाकार समक्षेत्रफल व गॉल प्रक्षेप के एक प्रमुख अन्तर को बताइए।
उत्तर:
बेलनाकार समक्षेत्रफल व गॉल प्रक्षेप के एक प्रमुख अन्तर निम्न है-
- बेलनाकार समक्षेत्रफल प्रक्षेप में भूमध्य रेखा का निर्धारण वृत्त की परिधि हेतु निर्धारित सूत्र के माध्यम से किया जाता हैं। जबकि गॉल्स प्रक्षेप में भूमध्य रेखा का निर्धारण 45° अक्षांश के माध्यम से किया जाता है।
- बेलानाकार समक्षेत्रफल प्रक्षेप में भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर अक्षांशों के बीच की दूरी कम होती है, जबकि गॉल प्रक्षेप में भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर अक्षांशों के बीच की दूरी बढ़ती जाती है।
प्रश्न 13.
केन्द्रक ध्रुवीय खमध्य प्रक्षेप में भूमध्य रेखा क्यों नहीं दर्शायी जा सकती? ।
उत्तर:
केन्द्रक ध्रुवीय खमध्य प्रक्षेप में अक्षांशों का निर्धारण पृथ्वी के केन्द्र माने गये बिन्दु से किया जाता है। इस दौरान पृथ्वी के केन्द्र से 0° से डाला गया प्रकाश कभी भी प्रतिच्छेदन रेखा को प्रतिच्छेदित नहीं कर सकता है क्योंकि 0° के सहारे डाला गया प्रकाश सदैव सीधी दिशा में जाता है। इसी कारण इस प्रक्षेप में भूमध्य रेखा को नहीं दर्शाया जा सकता है।
प्रश्न 14.
त्रिविम ध्रुवीय खमध्य प्रक्षेप के गुण व दोष बताइये।
उत्तर:
त्रिविम ध्रुवीय खमध्य प्रक्षेप के गुण व दोष निम्नानुसार हैंगुण-
- इस प्रक्षेप पर उत्तरी या दक्षिणी किसी एक गोलार्द्ध को पूर्णत: प्रदर्शित किया जा सकता है।
- प्रक्षेप केन्द्र से सभी ओर दिशा शुद्ध होती है।
- यह एक यथाकृतिक प्रक्षेप है। दोष-इस प्रक्षेप में क्षेत्रफल शुद्ध नहीं होता है।
प्रश्न 15.
लम्बकोणीय ध्रुवीय खमध्य प्रक्षेप किन मानचित्रों के लिए उपयोगी है?
उत्तर:
लम्बकोणीय ध्रुवीय खमध्य प्रक्षेप खगोलीय मानचित्रों के लिये बहुत उपयोगी है। आकाशीय गोलों एवं आकाशीय पिण्डों की स्थिति को समझने के लिए नक्षत्र शास्त्री इस प्रक्षेप का विशेष उपयोग करते हैं।
प्रश्न 16.
प्रदर्शक भिन्न 1: 640,000,000 पर विश्व के लिये बेलनाकार सूमक्षेत्रफल प्रक्षेप की रचना कीजिए। प्रक्षेप पर अक्षांश व देशान्तर रेखाओं के जाल का अन्तराल 15° रखिये।
उत्तर:
प्रक्षेप की रचना – कागज पर बायीं ओर केन्द्र लेकर । सेमी. अर्द्धव्यास का एक वृत्त खींचेंगे। वृत्त में अन्तराल के आधार पर रेखाएँ खींचेंगे इन कोणीय रेखाओं के सहारे ही अक्षांश निर्धारित किये जायेंगे। प्रश्न में दिये गये 15° अन्तराल के आधार पर चाँदे की सहायता से भूमध्य रेखा के दोनों ओर (0°) 15°, 30°, 45, 60°, 75° व 90° के कोण लगाकर इनके वृत्त के स्पर्श करने वाले स्थान से अक्षांश रेखाएँ खींचेंगे। सभी अक्षांश रेखाएँ भूमध्य रेखा के बराबर होंगी। अब भूमध्य रेखा को 26 सेमी के 24 भागों में बाँटकर देशान्तर बनायेंगे। सबसे बीच के देशान्तर को ग्रीनविच रेखा व सबसे मध्य के अक्षांश को भूमध्य रेखा के रूप में प्रदर्शित करेंगे।
ग्रीनविच रेखा से दोनों ओर 15° के अन्तराल पर मान लिखेंगे, जो 180 पूर्वी देशान्तर व 180° पश्चिम देशान्तर तक होंगे। इसी प्रकार भूमध्य रेखा के दोनों ओर भी 15° के अन्तराल पर दोनों ओर 90° उत्तरी व 90° दक्षिणी अक्षांश तक मान लिखेंगे।
प्रश्न 17.
प्रदर्शक भिन्न 1: 125,000,000 पर एक प्रधान अक्षांशीय प्रक्षेप की रचना कीजिए। प्रक्षेप पर प्रधान अक्षांश 45° उत्तरी अक्षांश है व प्रक्षेप का विस्तार 75° पूर्वी देशान्तर से 75° पश्चिमी देशान्तर व 0° उत्तरी अक्षांश से 90° उत्तरी अक्षांश तक है। अक्षांश व देशान्तर रेखाओं का अन्तराल 15° रखिये।
उत्तर:
गणन कार्यप्रक्षेप बनाने के लिए सबसे पहले मापक के अनुसार पृथ्वी के घटाये गये वृत्त का अर्द्धव्यास ज्ञात करेंगे-
प्रक्षेप की रचना – प्रक्षेप की रचना करने के लिए सर्वप्रथम 5.12 सेमी. अर्द्धव्यास का एक अर्द्धवृत्त अ, ब बनायेंगे। इस अर्द्धवृत्त में मानक अक्षांश 45° हेतु चाँद की सहायता से प, द रेखा कोण निश्चित करेंगे। जो प च के रूप में प्रदर्शित होगा। अब इस लम्ब को अ ब रेखा को आगे बढ़ाते हुए काटिये यह छ बिन्दु होगा। यहाँ च छ रेखा अर्द्धवृत्त अ द ब पर एक स्पर्श रेखा है। प्रश्नानुसार 15° अन्तराल के लिए पे को केन्द्र मानकर 15° का कोण फ, प, द बनायेंगे। अब परकार पर द फ दूरी लेकर प को केन्द्र मानकर एक वृतांश य र खींचेंगे। यह वृतांश प च रेखा को ख बिन्दु पर काटेगा। अ ख बिन्दु से प द के समान्तर क ख रेखा खींचेंगे। यह क ख दूरी प्रधान अक्षांश पर देशान्तरों की दूरी होगी।
अब एक लम्बवत् रेखा खींचकर प्रक्षेप बनायेंगे। छ च दूरी लेते हुए लम्बवत् रेखा के छः केन्द्र से नीचे की ओर एक चाप चिये। यह चाप प्रक्षेप पर 45° प्रधान अक्षांश को प्रदर्शित करेगा। अन्य अक्षांश वृत्त बनाने के लिए द फ दूरी लेकर लम्बवत् रेखा पर बनी प्रधान अक्षांश रेखा से ऊपर की ओर क्रमशः 60° व 75° अक्षांश के तथा नीचे की ओर 30°, 15° व 0° अक्षांश के चिन्ह लगायेंगे। छ को केन्द्र मानकर इन निशानों पर विभिन्न अक्षांश रेखाओं के लिए चाप बनायेंगे।
देशान्तर बनाने के लिए क, ख दूरी लेकर केन्द्रीय मध्यान्ह रेखा के दोनों ओर प्रधान अक्षांश रेखा पर दोनों ओर क्रमशः 5-5 निशान लगायेंगे ये निशान 15०, 30°, 45०, 60° व 75° पश्चिमी देशान्तर व 15°, 30°, 45°, 60°, 75° पूर्वी देशान्तर को दर्शायेंगे। इन सभी निशानों को छ को केन्द्र मानकर क्रमशः सीधी रेखा से मिलाते हुए 0° अक्षांश वृत्त तक खींचेंगे। इस प्रकार एक प्रधान अक्षांशीय शंक्वाकार प्रक्षेप तैयार हो जायेगा।
प्रश्न 18.
प्रदर्शक भिन्न 1 : 200,000,000 पर उत्तरी गोलार्द्ध के लिये त्रिविम ध्रुवीय खमध्य प्रक्षेप की रचना कीजिए। प्रक्षेप पर अक्षांश व देशान्तर रेखाओं का अन्तराल 15° रखिये (अथवा आपको पढ़ाने वाले व्याख्याता द्वारा निर्धारित की गई प्रदर्शक भिन्न व अन्तराल पर प्रक्षेप की रचना कीजिए)।
उत्तर:
गणन कार्य
r = 3.2 सेमी.
- सर्वप्रथम कागज पर बांयी ओर के कोने में एक लम्बवत् रेखा खींचिये। पृथ्वी के घटाये गये वृत्त के अर्द्धव्यास की दूरी 3.2 सेण्टीमीटर लेकर इस लम्बवत् रेखा पर प को केन्द्र मानकर एक अर्द्धवृत्त खचिये। अर्द्धवृत्त लम्बवत् रेखा को अ एवं ब पर काटेगा। अ एवं ब की दूरी पृथ्वी का ध्रुवीय व्यास है। अ एवं ब क्रमशः उत्तरी व दक्षिणी ध्रुव हैं। प पृथ्वी का केन्द्र है। प, द रेखा 0° अक्षांश रेखा है एवं वृत्त का अर्द्धव्यास प्रदर्शित करती है।
- प्रक्षेप में अन्तराल 15° का रखा गया है अतः प द रेखा को आधार मानते हुए प केन्द्र से रेखा के ऊपर की ओर अर्थात् उत्तरी गोलार्द्ध में 15° के अन्तर से कोण डालिये। ये कोण वृत्त के प केन्द्र से क्रमशः क ख ग घ ङ एवं अ बिन्दुओं तक सरल रेखा के रूप में खींचे गये हैं। ये कोण अथवा बिन्दु वृत्त पर क्रमशः 15°, 30°, 45°, 60°, 75° तथा 90° उत्तरी अक्षांशीय वृत्त हैं। द 0° अक्षांश है।
- इस प्रक्षेप में यह कल्पना की गयी है कि कागज ध्रुव को स्पर्श करते हुए उत्तरी ध्रुव के ऊपर रखा गया है अतः इसे स्पष्ट करने के लिए अ अर्थात् उत्तरी ध्रुव पर प द रेखा के समानान्तर अ आ रेखा खींचिये।
- प्रक्षेप बनाने के लिए यह कल्पना की गई है कि प्रकाश ग्लोब के विपरीत केन्द्र से अर्थात् दक्षिणी ध्रुव से आ रहा है। अतः ब केन्द्र से प्रकाश किरणें डाली जायेंगी। (ये प्रकाश किरणें विभिन्न अक्षांश वृत्तों को कागज पर अ आ रेखा पर प्रक्षेपित करेंगी) अत: ब केन्द्र से दे क ख ग घ ङ एवं अ को मिलाते हुए प्रकाश किरणें चिये। ये किरणें आगे जाकर कागज पर क्रमशःद’, ख, ग, घ, ङ’ एवं अ’ को स्पर्श करेंगी। ये बिन्दु क्रमश:0°, 15°, 30°, 45, 60°, 75° एवं 90° उत्तरी अक्षांश वृत्तों को अर्द्धव्यास हैं।
तृतीय चरण : प्रक्षेप की रचना
आधार चित्र का उपयोग करते हुए निम्नानुसार प्रक्षेप की रचना की जायेगी-
- सर्वप्रथम कागज पर एक लम्बवत् रेखा खींचिये। रेखा के मध्य में अ केन्द्र निश्चित कीजिये। यह अ केन्द्र प्रक्षेप पर उत्तरी ध्रुव है। अब चित्र के अ केन्द्र से अ द’, अ क’, अ ख’, अ ग’, अ घ’ एवं अ ङ’, अर्द्धव्यास की दूरी लेकर चित्रके अ केन्द्र से पूर्ण वृत्त खचिये। ये वृत्त प्रक्षेप पर क्रमश: 0°, 15°, 30°, 45°, 60° एवं 75° उत्तरी अक्षांश वृत्त हैं। अ केन्द्र 90° उत्तरी अक्षांश उत्तरी ध्रुव है।
- देशान्तर रेखाएँ खींचने के लिए पूर्व में खींची गई लम्बवत् रेखा को आधार मानिये। अ केन्द्र के ऊपर की रेखा 180° देशान्तर रेखा है। अ केन्द्र के नीचे वाली लम्बवत् रेखा 0° ग्रीनविच रेखा है। अब अ को केन्द्र मानते हुए 0° ग्रीनविच रेखा के दोनों ओर अर्थात् पूर्व एवं पश्चिम की ओर 15-15° के अन्तर से 180° तक कोण डालिये। इन कोणों के आधार पर अ केन्द्र से अन्तिम वृत्त तक सरल रेखाएँ खचिये। ये सरल रेखाएँ प्रक्षेप पर देशान्तर रेखाएँ हैं।
प्रश्न 19.
प्रदर्शक भिन्न 1: 200,000,000 पर दक्षिणी गोलार्द्ध के लिये लम्बकोणीय ध्रुवीय खमध्य प्रक्षेप की रचना कीजिए। प्रक्षेप पर अक्षांश व देशान्तर रेखाओं का अन्तराल 15° रखिये। (अथवा आपको पढ़ाने वाले व्याख्याता द्वारा निर्धारित की गई प्रदर्शक भिन्न अन्तराल पर प्रक्षेप की रचना कीजिए।)
उत्तर:
पृथ्वी के घटाये गये वृत्त का अर्द्धव्यास = \(\frac { 640,000,000 }{ 200,000,000 }\)
r = 3.2 सेमी.
प्रक्षेप की रचना – सर्वप्रथम कागज पर बांयी ओर कोने में एक लम्बवत् रेखा खींचेंगे। अब घटाये गये वृत्त के अर्द्धव्यास की दूरी 3.2 सेमी. लेकर इस लम्बवत् रेखा पर प को केन्द्र मानक एक अर्द्धवृत्त खींचेंगे। अर्द्धवृत्त लम्बवत् रेखा को अ व ब पर काटेगा । अ उत्तरी ध्रुव व ब दक्षिणी ध्रुव है। अ व ब बिन्दुओं की दूरी पृथ्वी का ध्रुवीय व्यास है। प पृथ्वी का केन्द्र है। प द रेखा 0° अक्षांश रेखा है एवं वृत्त का अर्द्धव्यास प्रदर्शित करती है। प्रक्षेप में दिये गये 15° अन्तराल के आधार पर प द रेखा को आधार मानकर प केन्द्र से प द रेखा के नीचे अर्थात् दक्षिणी गोलार्द्ध में 15° के अन्तर से कोण बनायेंगे। इन कोणों को वृत्त के प केन्द्र से क्रमशः क, ख, ग, घ, ङ एवं बे तक सरल रेखाओं के रूप में खींचेंगे। ये कोण क्रमशः 15०, 30°, 45°, 60°, 75° व 90° दक्षिणी अक्षांशीय वृत्त है। प.° अक्षांश है। समतल कागज ध्रुव को स्पर्श करते हुए दक्षिणी ध्रुव के नीचे रखा गया है ब अर्थात् दक्षिणी ध्रुव पर प द रेखा के समानान्तर ब-ब रेखा खींचेंगे।
अब प द रेखा से नीचे की ओर डाले गये लम्ब बे बा रेखा को काटेंगे जो अब कागज पर एक लम्बवत् रेखा खींचकर इस रेखा के मध्य में ब केन्द्र निश्चित करेंगे। अब ब केन्द्र से ब द, क, ब ख, ब ग, ब घ, व ब ङ अर्द्धव्यास की दूरी लेकर केन्द्र से पूर्व वृत्त खींचेगे ये वृत्त प्रक्षेप पर क्रमश: 0°, 15°, 30°. 45°, 60°, 75° दक्षिणी अक्षांश वृत्त है व केन्द्र दक्षिणी ध्रुव है।
देशान्तर खींचने के लिए पूर्व में खींची गई लम्बवत् रेखा को आधार मानकर चाँद की सहायता से 15° के अन्तराल पर देशान्तर निर्मित करेंगे।
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