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RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 14 आत्मावलोकनम्

June 28, 2019 by Safia Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 14 आत्मावलोकनम्

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 14 पाठ्य-पुस्तकस्य अभ्यास-प्रणोत्तराणि

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 14 वस्तुनिष्ठ प्रश्ना

प्रश्न 1
गङ्गायाः पर्यायवाचि शब्दः नास्ति- (गंगा का पर्यायवाची शब्द नहीं है।)
(अ) जाह्नवी
(ब) सरिता
(स) भागीरथी
(द) त्रिपथगा
उत्तर:
(ब) सरिता

प्रश्न 2.
प्रहरी शब्दस्य अर्थः अस्ति- (प्रहरी शब्द का अर्थ है-)
(अ) प्रहारकः
(ब) हारकः
(स) रक्षकः
(द) प्रदायकः
उत्तर:
(स) रक्षकः

प्रश्न 3.
सोऽहं पदे सन्धिः अस्ति- (सोऽहं पद की सन्धि है-)
(अ) दीर्घः
(ब) गुणः
(स) पूर्वरूपः
(द) पररूपः
उत्तर:
(स) पूर्वरूपः

प्रश्न 4.
ग्रीष्मस्य’ तापः कृते प्रयुक्त शब्दः अस्ति- (ग्रीष्म का ताप के लिए प्रयुक्त शब्द है-)
(अ) सन्तापः
(ब) विलापः
(स) आलापः
(द) आतपः
उत्तर:
(द) आतपः

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 14 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नाः

प्रश्न 1.
कविः भारतभुवि पर्यटन दक्षिणे कस्मिन् स्थाने गतः? (कवि भारतभूमि पर भ्रमण करता हुआ किस स्थान पर गया?)
उत्तरम्:
कविः भारतभुवि पर्यटन दक्षिणे जलधिम् गतः। (कवि भारतभूमि पर भ्रमण करता हुआ दक्षिण में सागर पर गया ।)

प्रश्न 2.
काशी नगरी कस्याः नद्याः तटे अस्ति? (काशी नगरी किस नदी के तट पर है?)
उत्तरम्:
काशी नगरी गंगा नद्याः तटे अस्ति। (काशी नगरी गंगा नदी के तट पर है।)

प्रश्न 3.
भारतस्य उत्तरस्यां दिशि कः पर्वतः अस्ति? (भारत की उत्तर दिशा में कौन-सा पर्वत है?)
उत्तरम्:
भारतस्य उत्तरस्यां दिशि हिमालय पर्वतः अस्ति। (भारत की उत्तर दिशा में हिमालय पर्वत है।)

प्रश्न 4.
कस्यां नद्यां स्नात्वा जनाः पापक्षयं मन्यन्ते? (किस नदी में स्नान करके मानव पापों का क्षय करते हैं?)
उत्तरम्:
गङ्गायां नद्यां स्नात्वा जनाः पापक्षयं मन्यन्ते। (गंगा में स्नान करके लोग पापों का क्षय मानते हैं।)

प्रश्न 5.
कः अहर्निशं आतपं सहते? (कौन दिन-रात धूप सहन करता है?)
उत्तरम्:
सूर्यः अहर्निशं आतपं सहते। (सूर्य दिन-रात धूप को सहन करता है।)

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 14 लघूत्तरात्मक प्रश्नाः

प्रश्न 1.
जलधिः कविं किं प्रश्नं पृच्छति? (सागर कवि से क्या प्रश्न पूछता है?)
उत्तरम्:
किं युष्माभिः इयं प्रकृति कदापि अनुसृता यत् विविध तरंगाकुलतायाम् विचलितैः स्थेयम् ? (क्या आपने प्रकृति का यह अनुसरण किया है कि विविध तरंगों में व्याकुल होने पर भी सदैव अविचलित रहना चाहिए।)

प्रश्न 2.
लघुनौकातः कवि कुत्र गतः? (लघु नौका से कवि कहाँ गया?)
उत्तरम्:
लघुनौकातः कविः गंगायाः प्रवाहमध्ये प्राप्तः। (लघु नौका में कवि गंगा के प्रवाह के मध्य पहुँचा।)

प्रश्न 3.
कविः हिमगिरेः कुत्र विश्रामम् ऐच्छत्? (कवि हिमालय के किस स्थान पर विश्राम करना चाहता था ?)
उत्तरम्:
कविः हिमगिरे देवदारोः वृक्षस्य शीतल छायायां विश्रामम् ऐच्छत्। (कवि हिमालय पर देवदारु के वृक्ष की शीतल छाया में विश्राम करना चाहता था।)

प्रश्न 4.
प्रत्यब्दं सहस्र किरण सन्तापं कः सहते? (प्रतिवर्ष सूर्य के सन्ताप को कौन सहन करता है?)
उत्तरम्:
प्रतिवर्ष हिमालयः सहस्र किरणस्य सूर्यस्य सन्तापं सहते। (प्रतिवर्ष हिमालय सूर्य की हजारों किरणों के सन्ताप को सहता है।)

प्रश्न 5.
सरणी शब्दस्य कः अर्थः? (सरणी शब्द का क्या अर्थ है?)
उत्तरम्:
सरणी शब्दस्य द्वौ अर्थों-नदी, निश्रेणी च। (सरणी शब्द के दो अर्थ होते हैं-नदी और नसैनी)

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 14 निबन्धात्मक प्रश्नाः

प्रश्न 1.
सागरः कविम् किं प्रश्नं पृच्छति? (सागर कवि को क्या प्रश्न पूछता है?)
उत्तरम्:
सागरः कविम् पृच्छति किं युष्माभिः कदाप्यनुसृता इयं प्रकृतिः यत् विविध तरङ्गाकुलतायामविचिलितैः स्थेयम्। (समुद्र कवि से पूछता है कि तुमने कभी इस प्रकृति स्वभाव का अनुसरण किया है? जो अनेक तरंगों से आकुल होते हुए भी अविचलित रहना चाहिए।)

प्रश्न 2.
कस्य गङ्गायां स्नानस्य अधिकारः? (गंगा में स्नान का किसका अधिकार है?)
उत्तरम्:
यः मुक्त-हस्तं ददाति किञ्चित् न गृह्णाति। निजस्य परस्य वा भेदं न करोति तस्य गंगायां स्नानस्य अधिकारः। (जो मुक्त हस्त दान करे, कुछ न ले, अपने-पराये का भेद नहीं करे, उसका गंगा में स्नान करने का अधिकार

प्रश्न 3.
हिमालयपर्वतस्य महत्वं लिखत? (हिमालय पर्वत का महत्व लिखिए?)
उत्तरम्:
निदाघे शीतलतां ददाति। सदैव ऊष्णत्वं सन्तापम् वापि न विगणयन् वैक्लव्यम् उग्रत्वं वा न प्राप्नोति। तस्य वृक्षाः अपि सूर्यतापं सहन्ते। सः गुरुदुरितेभ्यः सर्वान् जनान् पशून् च रक्षति तेभ्यः शीतलतामपि वितरति। (ग्रीष्म में शीतलता देता है। सदैव उष्णता या सन्ताप को न गिनता हुआ व्याकुलता तथा उग्रता प्राप्त नहीं करता। उसके वृक्ष भी सूर्य के ताप को सहन करते हैं। वह महान् उत्तरदायित्व के साथ लोगों और पशुओं की रक्षा करता है, उन्हें शीतलता वितरित करता है।)

प्रश्न 4.
कविः किमर्थम् आत्मग्लानिम् अनुभवति? (कवि किसलिए आत्मग्लानि अनुभव करता है?)
उत्तरम्:
यतः कविः सागरात् गाम्भीर्यं गङ्गायाः निस्वार्थदान भावं हिमालयात् च सहनशक्तिं ना गृह्णात् न सः प्रकृत्याः किंचिदपि गुणं गृह्णाति अतः आत्मग्लानिम् अनुभवति। (क्योंकि कवि सागर से गांभीर्य, गंगा से नि:स्वार्थदान की भावना और हिमालय से सहनशीलता जैसे गुणों को बिल्कुल ग्रहण नहीं किया है। अतः आत्मग्लानि का अनुभव करता है।)

प्रश्न 5.
अधोलिखितपद्यांशानां सप्रसंग व्याख्यां कुरुत – (निम्न पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या लिखिए-)
(i) लक्षाब्दैरपि सोऽहं वेलामेनुलङघयन्।
प्रहरी वस्तिष्ठामि सर्वदा विश्रममभजन्।
प्रसङ्गः- पद्यांशोऽयम् अस्माकं पाठ्य-पुस्तकस्य ‘आत्मावलोकनम्’ इति पाठात् उद्धृतः। पाठोऽयं देवर्षि कलानाथशास्त्रि महाभागेन विरचितात् ‘काव्यसंग्रहात्’ संकलितः। अंशेऽस्मिन् सागरः कविं कथयति। (यह पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘आत्मावलोकनम्’ पाठ से लिया गया है। यह पाठ देवर्षि कलानाथ शास्त्री महोदय द्वारा रचित ‘काव्यसंग्रह’ से संकलित है। इस पद्यांश में समुद्र कवि से कहता है।)

व्याख्याः – सागरः कविं कथयति यत् अहं लक्षवर्षकालात् अत्र स्वतटं (मर्यादाम्) अनतिक्रम्य अत्रे रक्षक इव सर्वदा तिष्ठामि, विश्रामम् अपि न करोमि। (सागर कवि से कहता है कि मैं लाखों वर्षों से यहाँ अपनी सीमा का उल्लंघन किए। बिना डटा हुआ हूँ, विश्राम भी नहीं करता हूँ।)

(ii) गङ्गाशिशिरतरङ्गा मां पप्रच्छुर्निभृतम्।
किं युष्माभिर्भागीरथ्याः किमपि शिक्षितम्॥
प्रसङ्गः- पद्यांशोऽयम् अस्माकं पाठ्य-पुस्तकस्य ‘आत्मावलोकनम्’ इति पाठात् उद्धृतः। पाठोऽयं देवर्षि कलानाथशास्त्रि महाभागेन विरचितात् ‘काव्यसंग्रहात्’ संकलितः। अंशेऽस्मिन् गङ्गा कविं पृच्छति। (यह पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘आत्मावलोकनम्’ पाठ से उद्धृत है। यह पाठ देवर्षि कलानाथ शास्त्री महोदय द्वारा रचित ‘काव्यसंग्रह’ से संकलित है। इस अंश में गंगा कवि से पूछती है।)

व्याख्याः – शीतलतरङ्ग युती गङ्गा शान्ता सती माम् अपृच्छत् यतः अपि गङ्गायाः भवभिः को अपि शिक्षा गृहीता? अत्र गंगाया वाक्येऽतिवेदना वर्तते। मानवः प्रकृत्याः किमपि न शिक्षितुम् इच्छति। (शीतल लहरीं से युक्त गंगा शान्त हुई मुझसे पूछने लगी क्या गंगा से आपने कोई शिक्षा ग्रहण की? यहाँ गंगा के वाक्य में वेदना है। मानव प्रकृति से कुछ भी सीखना नहीं चाहता है।)

(iii) किमपि गुणं गृह्णीथ कणं वा मम संयोगात्?
एतदुपरि मादृशः कथये कस्मै किं ब्रूयात्?
प्रसङ्गः- पद्यांशोऽयम् अस्माकं पाठ्य-पुस्तकस्य ‘आत्मावलोकनम्’ इति पाठात् उद्धृतः। पाठोऽयं देवर्षि कलानाथशास्त्रि महाभागेन विरचितात् ‘काव्यसंग्रहात्’ संकलितः। अंशेऽस्मिन् हिमालयः कविं पृच्छति। (यह पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘आत्मावलोकनम्’ पाठ से लिया गया है। यह पाठ देवर्षि कलानाथ शास्त्री महोदय द्वारा रचित ‘काव्यसंग्रह’ से संकलित है। इस अंश में हिमालय कवि से पूछता है।)

व्याख्याः- अयि मानव! अयि कविः! शतं परेभ्यः वर्षेभ्यः त्वं मां पश्यसि अपि किमपि गुणं वैशिष्ट्यं वा मे सङ्गत्या शिक्षितम्। कि मे आचरणेन त्वं प्रभावितो अभवः? परञ्च एतस्योपरि मे सदृशाः पुरुषाः किं वक्तुं शक्नुवन्ति अर्थात्। आत्मग्लान्या अहमपि लज्जितोऽस्मि। (अरे मानव! अरे कवि! सैकड़ों वर्षों से भी अधिक समय से तुम मुझे (मेरे आचरण को) देख रहे हो। क्यों कोई गुण या विशेषता आपने मेरी संगति से सीखी। क्या मेरे आचरण से तुम प्रभावित हुए। परन्तु इसके ऊपर मेरे जैसा व्यक्ति क्या कह सकता है। अर्थात् मैं आत्माग्लानि से लज्जित भी हूँ।)

व्याकरणात्मक प्रश्नोत्तराणि –

प्रश्न 6.
अधोलिखितपदानां मूलशब्दं लिङ्ग विभक्तिं वचनं च लिखत – (निम्नलिखित पदों के मूल शब्द, लिंग, विभक्ति और वचन लिखिए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 14 आत्मावलोकनम् 1

प्रश्न 7.
निम्नलिखित क्रियापदानां धातुः लकारः पुरुषः वचनम् च लिखत – (निम्नलिखित क्रियापदों के धातु, लकार, पुरुष और वचन बताइए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 14 आत्मावलोकनम् 2

प्रश्न 8.
अधोलिखितेषु पदेषु उपसर्ग, धातु-प्रत्ययाः लेख्या- (निम्न पदों में उपसर्ग, धातु व प्रत्यय लिखिए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 14 आत्मावलोकनम् 3
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 14 आत्मावलोकनम् 4

प्रश्न 9.
निम्नाङ्कितानां पदानां सन्धि-विच्छेदं कृत्वा सन्धिनाम निर्देशं कुरुत-(निम्न पदों का सन्धि-विच्छेद करके सन्धि का नाम भी बताइए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 14 आत्मावलोकनम् 5

प्रश्न 10.
निम्नाङ्कितानां पदानां समास-विग्रहं कृत्वा समासनामापि लिखत – (निम्न पदों के समास-विग्रह करके समास का नाम भी लिखिए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 14 आत्मावलोकनम् 6

प्रश्न 11.
निम्नलिखितानां पदानां पर्यायवाचिशब्दाः लेख्याः- (निम्न पदों का पर्यायवाची शब्द लिखिए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 14 आत्मावलोकनम् 7

प्रश्न 12.
अधोलिखित पदानां प्रयोगं कृत्वा वाक्य निर्माणं कुरुत- (निम्न पदों का प्रयोग करके वाक्य बनाइए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 14 आत्मावलोकनम् 8

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 14 अन्य महत्वपूर्ण प्रोत्तराणि

प्रश्न 1.
‘आत्मावलोकनम्’ इति पाठः कुतः सङ्कलितः? (‘आत्मावलोकनम्’ पाठ कहाँ से संकलित है?)
उत्तरम्:
आत्मावलोकनम् इति पाठः देवर्षि कलानाथ शास्त्रिणः काव्यसंग्रहात्’ सङ्कलितः। (आत्मावलोकनम् पाठ देवर्षि कला नाथशास्त्री के काव्यसंग्रह से संकलित है।)

प्रश्न 2.
‘काव्य-संग्रहः’ इति पुस्तक केन रचितम्? (काव्यसंग्रह पुस्तक किसने लिखी ?)
उत्तरम्:
काव्य-संग्रहः इति पुस्तके देवर्षि कलानाथ शास्त्रि महोदयेन रचितम्। (काव्य-संग्रह पुस्तक की रचना देवर्षि कलानाथ शास्त्रि महोदय ने की।)

प्रश्न 3.
कविः सागरस्य कान् गुणान् अवलोकयति? (कवि सागर के किन गुणों को देखता है?)
उत्तरम्:
कविः सागरस्य धैर्यं गाम्भीर्यं चावलोकयति। (कवि सागर के धैर्य और गम्भीरता को देखता है।)

प्रश्न 4.
कविः गङ्गायाः तटे किं पश्यति? (कवि गङ्गा के तट पर क्या देखता है?)
उत्तरम्:
कविः गंगायाः तटे गंगायाः शैत्यं, पावनत्वं परोपकारं च स्व जीवने पश्यति। (कवि गंगा के किनारे पर गंगा की शीतलता, पवित्रता और परोपकार को अपने जीवन में देखता है।)

प्रश्न 5.
हिमालयं गत्वा कविः किमनुभवति? (हिमालय जाकर कवि क्या अनुभव करता है?)
उत्तरंम्:
कविः हिमालयं गत्वा तस्य शीतोष्ण द्वन्द्व सहिष्णुत्वं शरणागतवत्सलत्वं चानुभवति। (कवि हिमालय पर जाकर उसकी सर्दी-गर्मी को सहन करने की सामर्थ्य और शरणागतवत्सलता को अनुभव करता है।)

प्रश्न 6.
भारतभुवि पर्यटन् कविः सर्वप्रथम कुत्रं गच्छति? (भारतभूमि पर भ्रमण करता हुआ कवि सबसे पहले कहाँ जाता है?)
उत्तरम्:
भारत भुवि पर्यटन् कविः दक्षिण जलधिं गच्छति। (भारतभूमि का भ्रमण करता हुआ कवि दक्षिण सागर पर जाता है।)

प्रश्न 7.
जलधिः कीदृशं कोषं धारयति? (सागर कैसे कोष को धारण करता है?)
उत्तरम्:
जलधि विद्रुममुक्तामयं कोषं धारयति। (सागर प्रवाल-मोती आदि से युक्त कोष को धारण करता है।)

प्रश्न 8.
सागरः कविं कैः स्पृशति? (सागर कवि को किनसे स्पर्श करता है?)
उत्तरम्:
सागरः तरङ्गैः पृषभिः च कविं स्पृशति। (सागर लहरों और फुहारों से स्पर्श करता है।)

प्रश्न 9.
सागरः कीदृशः अस्ति? (सागर कैसा है?)
उत्तरम्:
सागरः धीरः गभीरः वर्षीयान् चास्ति। (सागर धीर, गंभीर और वृद्ध है।)

प्रश्न 10.
सागरः कविं कथं पश्यति? (सागर कवि को कैसे देखता है?)
उत्तरम्:
सागर कविं स्मयमानः पश्यति। (सागर कवि को मुस्कराता हुआ देखता है।)

प्रश्न 11.
सागरः कविं किं पृच्छति? (सागर कवि से क्या पूछता है?)
उत्तरम्:
सागर: कविं पृच्छति-लक्षाब्दैरपि वेलाम् अनुल्लङ्घयन् अहम् अविश्रमः सर्वदा युष्माकं प्रहरीव स्थितोऽस्मि। कि कादपि त्वं एतां प्रकृतिं स्वीकृतवन्तः? (सागर कवि से पूछता है-लाखों वर्षों से भी सीमा का उल्लंघन न करते हुए मैं यहाँ बिना विश्राम किये आपके पहरेदार की तरह स्थित हैं। क्या तुमने कभी इस स्वभाव (प्रकृति) को स्वीकृत किया ?)

प्रश्न 12.
सागरे प्रश्नं पृष्ठे कवि आत्मनि कथं निमग्नः? (सागर के प्रश्न पूछे जाने पर कवि अपने में कैसे डूब जाता है?)
उत्तरम्:
तद्वधि मानसमूहापोहतरङ्गमग्नः आत्मनि अकृति भावनासु निमग्नः। (तभी से मन में ऊहापोह की तरंगों से टूटा हुआ अपने में न किये जाने की भावनाओं में डूबा हुआ हूँ।)

प्रश्न 13.
कस्मिन् प्रदेशेऽटन् कविः जाह्नवीतटमनुयातः? (किस प्रदेश में भ्रमण करता हुआ कवि गंगा के किनारे आया?)
उत्तरम्:
काशिकाधरणीम् अटन् जाह्नवीतटमनुयातः कविः। (कवि काशी के प्रदेश में घूमता हुआ गंगा के किनारे आ पहुँचा।)

प्रश्न 14.
गंगायाः प्रवाहे कविः कुतः प्राप्तः? (गंगा के प्रवाह में कवि कहाँ से आया?)
उत्तरम्:
गंगाया: प्रवाहे कविः नौकातः प्राप्तः। (गंगा के प्रवाह में कवि नौका से आया ।)

प्रश्न 15.
कीदृशी गंगा कविम् अपृच्छत्? (कैसी गंगा ने कवि से पूछा?)
उत्तरम्:
शिशिरतरङ्गा गंगा कविम् अपृच्छत् ? (ठण्डी लहरों से युक्त गंगा ने कवि से पूछा ?)

प्रश्न 16.
गंगायाः दानं कीदृशं भवति? (गंगा का दान कैसा होता है?)
उत्तरम्:
गंगा मुक्तैः हस्तैः ददाति किञ्चिद् न गृह्णाति। (गंगा मुक्त (खुले) हाथों से दान करती है, कुछ नहीं लेती है।)

प्रश्न 17.
भेद-विभेदः केन न ज्ञातः? (भेद-विभेद किसने नहीं जाना?)
उत्तरम्:
गंगा भेद-विभेदं न अजानत्। (गंगा ने भेद-विभेद नहीं जाना।)

प्रश्न 18.
सामान्यतः मनुष्याः किं मत्वा ददाति? (सामान्यतः मनुष्य क्या मानकर देते हैं?)
उत्तरम्:
सामान्यतः मनुष्याः निजः परो वा अभिलक्ष्य प्रतिदानम् इच्छन्तः ददति। (सामान्यतः मनुष्य अपने-पराये को देखकर बदले की इच्छा से देते हैं।)

प्रश्न 19.
कः धिक्कारः कवेर्कर्णी भिनत्ति? (कौन-सा धिक्कार कवि के कानों को फोड़ रहा है?)
उत्तरम्:
‘कि गंगा-सलिले स्नातं जातु भवेत् अधिकार:?’ इति धिक्कारः कर्वेः कर्णो भिनत्ति। (‘क्या गंगा के जल में स्नान करने का कदाचित् अधिकार है’ ऐसा धिक्कार कवि के कानों को फोड़ रहा है।)

प्रश्न 20.
कविः हिमालयं कस्मिन् ऋतौ अगच्छत्? (कवि हिमालय पर किस ऋतु में गया?)
उत्तरम्:
कविः हिमालयं निदाधे (ग्रीष्म ऋतौ) अगच्छत्। (कवि हिमालय पर ग्रीष्म ऋतु में गया।)

प्रश्न 21.
कविः विश्रान्तुम् कुत्र स्थातुमैच्छत्? (कवि विश्राम करने के लिए कहाँ बैठना चाहता था?)
उत्तरम्:
कविः विश्रान्तुं देवदारुवृक्षस्य छायायाम् स्थातुम् ऐच्छत् । (कवि विश्राम करने के लिए देवदारु वृक्ष की छाया में बैठना चाहता था।)

प्रश्न 22.
हिमालयः कविं दृष्ट्वा किमपृच्छत्? (हिमालय ने कवि को देखकर क्या पूछा ?)
उत्तरम्:
भ्रात: प्रत्यब्दं सूर्यस्यायं मार्गः यदसौ ग्रीष्मे वहिनं वर्षयति तेन निखिला धरणी ताप्यति अहं सर्व सहे। एवं मां त्वं वर्षेभ्यः पश्यसि। किं त्वमनेन कदापि त्वम् मम संयोगात् इदं गुणं ग्रहीतवान् ? (भाई प्रत्येक वर्ष सूर्य का यह तरीका है। कि गर्मियों में आग बरसाता है। उससे सारी धरती तपती है। मैं सब सहन करता हूँ। इस प्रकार मुझे आप सैकड़ों वर्षों से देख रहे हो। क्या तुमने कभी मेरे संयोग से (सहिष्णुता की) यह गुण सीखा?)

प्रश्न 23.
हिमवान् केभ्यः शीतलतां वितरति? (हिमालय किन्हें शीतलता देता है?)
उत्तरम्:
हिमवान् पशुभ्यः पञ्चजनेभ्य च शीतलतां वितरति। (हिमालय पशुओं और पंचजनों को शीतलता प्रदान करता है।)

प्रश्न 24.
शीतोष्णद्वन्द्व सहिष्णुतां कस्य गुणम् अस्ति? (सर्दी-गर्मी की सहनशीलता का गुण किसका है?)
उत्तरम्:
शीतोष्णद्वन्द्वसहिष्णुतां गुणं हिमालयस्य अस्ति। (सर्दी-गर्मी को सहन करने का गुण हिमालय का है।)

प्रश्न 25.
आत्मावलोकनम् पाठः कीदृशः? (आत्मावलोकन पाठ कैसा है?)
उत्तरम्:
‘आत्मावलोकनम्’ आत्मसमीक्षणयुक्तः पाठः अस्ति। अस्मान् सन्मार्गे प्रेरयति। (‘आत्मवलोकनम्’ आत्मसमीक्षा युक्त पाठ है, हमको सन्मार्ण पर प्रेरित करता है।)

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