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RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 15 वीर बालकः अभिमन्यु

June 29, 2019 by Safia Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 15 वीर बालकः अभिमन्यु

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 15 पाठ्य-पुस्तकस्य अभ्यास-प्रणोत्तराणि

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 15 वस्तुनिष्ठ प्रश्ना

प्रश्न 1.
महाभारतस्य युद्धे कस्मात् कारणात् कौरवाणां पराजयः सुनिश्चितः- (महाभारत के युद्ध में किसके कारण कौरवों की पराजय निश्चित थी)
(अ) युधिष्ठिरः
(ब) अभिमन्युः
(स) अर्जुनः
(द) द्रोणः
उत्तर:
(स) अर्जुनः

प्रश्न 2.
चक्रव्यूहम् अरचयत् ? (चक्रव्यूह की रचना की)
(अ) द्रोणः
(ब) अर्जुनः
(स) कृपाचार्यः
(द) अश्वत्थामाः
उत्तर:
(अ) द्रोणः

प्रश्न 3.
चक्रव्यूह-भेदने पाण्डवेषु कः समर्थः अस्ति – (चक्रव्यूह भेदन में पांडवों में कौन समर्थ था)(अ) युधिष्ठरः
(ब) भीमः
(स) अर्जुनः
(द) सहदेवः
उत्तर:
(स) अर्जुनः

प्रश्न 4.
विजयी भव वत्स! युद्धे पाण्डवपराक्रमं प्रदर्शय। इति वाक्यं कः उक्तवान् – (विजयी हो बेटे! युद्ध में पांडवों का पराक्रम दिखाओ यह वाक्य किसने कहा)
(अ) अभिमन्युः
(ब) युधिष्ठिरः
(स) सुभद्राः
(द) उत्तराः
उत्तर:
(ब) युधिष्ठिरः

प्रश्न 5.
अभिमन्वोः माता का अस्ति – (अभिमन्यु की माता कौन है)
(अ) उत्तरा
(ब) सुभद्रा
(स) कुन्ती
(द) गान्धारी
उत्तर:
(ब) सुभद्रा

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 15 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नाः

प्रश्न 1.
अर्जुनः कैः सह युद्धरतः अतिदूरं जगाम? (अर्जुन किनके साथ युद्धरत दूर चला गया?)
उत्तरम्:
संशप्तकैः सह युद्धरतः अतिदूरं जगाम। (संशप्तकों के साथ युद्धरत अति दूर चला गया।)

प्रश्न 2.
कः युधिष्ठिरं चिन्तामग्नं दृष्टवान् ? (किसने युधिष्ठिर को चिन्तामग्न देखा?)
उत्तरम्:
अभिमन्युः युधिष्ठिरं चिन्तामग्नं दृष्टवान्। (अभिमन्यु ने युधिष्ठिर को चिन्तामग्न देखा।)

प्रश्न 3.
“क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तपः” इति वाक्यं कस्मात् ग्रन्थात् उद्धृतम्? (‘क्षुद्रं…परन्तप:’ यह वाक्य किस ग्रन्थ से लिया गया है?)
उत्तरम्:
इदम् वाक्यम् श्रीमद्भगवत् गीतायाः उद्धृतम्। (यह वाक्य श्रीमद्भगवत् गीता से लिया गया है।)

प्रश्न 4.
“भवान् अनुभवरहितोऽनुभवी च गुरुद्रोणः” इति वाक्यं कः कम् उक्तवान् ? (‘भवान् ……….. द्रोण: वाक्य किसने कहा है?)।
उत्तरम्:
सारथिः अभिमन्यु कथयति। (सारथि ने अभिमन्यु से कहा।)

प्रश्न 5.
अभिमन्युः राजप्रासादं प्रति किमर्थं गच्छति? (अभिमन्यु राजमहल की ओर किसलिए जाता है?)
उत्तरम्:
अभिमन्युः राजप्रासादं मातुः आशीर्वादाय गच्छति। (अभिमन्यु महल को माता के आशीर्वाद के लिए जाता है।)

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 15 लघूत्तरात्मक प्रश्नाः

प्रश्न 1.
के अर्जुनं युद्धात् दूरीकर्तुं प्रयतन्ते? (अर्जुन को युद्ध से दूर करने का प्रयत्न कौन कर रहे हैं?)
उत्तरम्:
संशप्तकाः अर्जुनं युद्धात् दूरीकर्तुं प्रयतन्ते। (महान योद्धा अर्जुन को युद्ध से दूर करने का प्रयत्न कर रहे हैं।)

प्रश्न 2.
अर्जुनः कस्य भेदने समर्थः अस्ति? (अर्जुन किसके भेदने में समर्थ हैं?)
उत्तरम्:
अर्जुनः चक्रव्यूहस्य भेदने समर्थः अस्ति। (अर्जुन चक्रव्यूह भेदने में समर्थ है।)

प्रश्न 3.
“भवतामाशीर्वादेन सह लब्धबलो युद्धे जेष्यामि’ अत्र भवताम् इति पदं कस्य कृते प्रयुक्तम्?
उत्तरम्:
वाक्येऽस्मिन् ‘भवताम्’ इति पदम् युधिष्ठिराय प्रयुक्तम्। (वाक्य में ‘भवताम्’ पद युधिष्ठिर के लिए प्रयुक्त है।)

प्रश्न 4.
सारथिः अभिमन्यु प्रति किं कथयति? (सारथि अभिमन्यु से क्या कहता है?)
उत्तरम्:
सारथिः कथयति यत् ‘वीर! सम्यक् विचिन्त्यैवकर्तव्यम्। भवता यो भारः स्वीकृतः सः तु कथमूह्यो भविष्यति’ भवान् अनुभव रहितो द्रोणाचार्यः च अनुभवी। (सारथि कहता है कि वीर ! अच्छी तरह सोच-समझकर करना चाहिए। आपने जो भार स्वीकार किया है वह कैसे वहन योग्य होगा। आप अनुभवरहित हो और द्रोणाचार्य अनुभवी है।)

प्रश्न 5.
का अभिमन्योः आरार्तिकं करोति? (अभिमन्यु की आरती कौन करती है?)
उत्तरम्:
उत्तरा, अभिमन्यो: पत्नी तस्यारार्तिकं करोति। (उत्तरा अभिमन्यु की पत्नी उसकी आरती करती है।)

प्रश्न 6.
श्रीरामस्य पुत्रस्य किम् अभिधानम्? (श्रीराम के पुत्र का क्या नाम है?)
उत्तरम्:
श्रीरामस्य पुत्रस्य अभिधानम् लवः आसीत्। (श्रीराम के पुत्र का नाम लव था।)

प्रश्न 7.
अभिमन्योः जनकः कः? (अभिमन्यु का पिता कौन है?)
उत्तरम्:
अभिमन्यो: जनकः अर्जुनः अस्ति? (अभिमन्यु के पिता का नाम अर्जुन है।)

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 15 निबन्धात्मक प्रश्ना:

प्रश्न 1.
अभिमन्यु युधिष्ठिरं प्रति किं कथयति? (अभिमन्यु युधिष्ठिर से क्या कहता है?)
उत्तरम्:
व्यूह भेदने का चिन्ता ? सति च मयि भवतां सेवके। भवतामोशीर्भि: व्यूहमुच्छिद्य कौरव-दर्प-दलनञ्च विधाय दर्शयिष्यामि पूज्याचा स्वात्मानं धनञ्जयस्यैवापरां मूर्तिम्। (मेरे आपके सेवक के होते हुए व्यूहभेदन में क्या चिन्ता)। आपके आशीर्वाद से व्यूह को तोड़कर कौरवों के गर्व को नष्ट करके पूज्य आचार्य को अपने आपको अर्जुन की दूसरी मूर्ति (रूप) दिखा दूंगा।)

प्रश्न 2.
अभिमन्युः सारथिनः वचनं श्रुत्वा किं कथयति? (अभिमन्यु सारथी के वचन सुनकर क्या कहता है?)
उत्तरम्:
अभिमन्युः सारथिनं श्रुत्वी हेसन्नेव कथयति- भो:! कि पवनोऽपि स्वेदकणैः सह विलोकित:? हिमात् त्रस्तोऽग्निः किं दृष्टः? यद्येवं न तत्कथमहमेव द्रोणाचार्यात् विभेमि? किं पुरा श्रीरामो न जितो लवेन। अहमपि युद्धेऽतिरथि जनान् ज्येष्ठान् श्रेष्ठञ्च सर्वान् हनिष्यामि। (अभिमन्यु सारथी की बात सुनकर हँसते हुए कहता है-अरे! क्या पवन को पसीने के कणों से युक्त देखा है ? क्या आग को बर्फ से भयभीत देखा है? यदि यह बात नहीं है तो मैं द्रोणाचार्य से क्यों डरू? क्या पहले लव ने श्रीराम को नहीं जीत लिया था? मैं भी युद्ध में महारथियों, बड़ों और श्रेष्ठ लोगों को सभी को मार दूंगा।)

प्रश्न 3.
युद्धाय सज्जितम् अभिमन्युं दृष्ट्वा उत्तरायाः का प्रतिक्रिया? (युद्ध के लिए सजे अभिमन्यु को देखकर उत्तरा की क्या प्रतिक्रिया थी ?)
उत्तरम्:
युद्धाय सज्जितम् अभिमन्युम् अवलोक्य उत्तरा तं ‘नाथ ! तिष्ठतु पूजयिष्यामि त्वाम्’ इति उक्त्वा तस्य ललाटे तिलकं कृत्वा आरार्तिकञ्च कृत्वा पुनः कथयति-‘विजित्य शत्रून् सत्वरमेवागच्छतु, भवान्, पन्थानं पश्यामि। (युद्ध के लिए सज्जित अभिमन्यु को देखकर उत्तरा ने उसको – ‘नाथ ! ठहरो, तुम्हारी पूजा करूंगी’ ऐसा कहकर उसके मस्तक पर तिलक करके और आरती करके पुनः कहती है-‘शत्रुओं को जीतकर जल्दी ही आओ, आप, मैं आपकी राह देखती हूँ।)

प्रश्न 4.
सप्रसङ्गम् अनुवादं कुरुत- (प्रसंग सहित अनुवाद कीजिए-)
(i) पूज्य ! कस्माद् भीतिः? ‘ क्षुद हृदयं दौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तप’ इति भगवद्वाक्यं विस्मृतं किल पूज्यैः। अस्तु भीतिः दूरे तिष्ठतु। युद्धाय कामये आशिषा सह आज्ञा श्रीमतां तातपादानाम्।
उत्तरम्:
प्रसङ्गः- प्रस्तुत अंश पाठ्य-पुस्तक के ‘वीरबालकः अभिमन्युः’ पाठ से उधृत है। यह पाठ वेदव्यास कृत महाभारत से संकलित है इन पंक्तियों में अर्जुन पुत्र अभिमन्यु अपने ताऊ युधिष्ठिर की चिन्ता को दूर करने के लिए हिम्मत। दिलाने का काम करता है

अनुवाद – पूजनीय! भय किससे (किस कारण से) ‘हे परंतप (अर्जुन) हृदय की क्षुद्र दुर्बलता (कमजोरी) को त्यागकर उठ खड़ा हो’ क्या पूज्य भगवान के इस वाक्य को भूल ही गये। खैर भय दूर रहे। श्रीमान् तात श्री की आशीष के साथ युद्ध की आज्ञा चाहता हूँ।

(ii) भोः ! किं पवनोऽपि स्वेदकणैः संह विलोकित:? हिमात् त्रस्तोऽग्निः किं दृष्ट:? यद्येवं न तत्कथमहमेव द्रोणाचार्यात् बिभेमि ? किं पुरा श्रीरामो न जितो लवेन। अहमपि युद्धेऽतिरथिजनान् ज्येष्ठान्, श्रेष्ठाञ्च सर्वान् हनिष्यामि। चल प्रचल।
उत्तरम्:
प्रसङ्ग – आलोच्य गद्यांश पाठ्य-पुस्तक के ‘वीरबालकः अभिमन्युः पाठ से लिया गया है। यह पाठ वेदव्यास कृत महाभारत से संकलित है इसमें सारथी अभिमन्यु को यह कहकर कि ‘द्रोण अनुभवी हैं और तुम अनुभवहीन हो’ तो निर्भीक बालकः अभिमन्यु सतर्क गर्वोक्ति करता है।

अनुवाद –
अरे! हवा के भी पसीने देखे हैं? क्या आग को बर्फ से त्रस्त देखा है? यदि ऐसा नहीं है तो मैं ही द्रोणाचार्य से क्यों डरूँ? क्या पहले श्रीराम लव के द्वारा नहीं जीते गए? मैं भी युद्ध में महारथी लोगों को, बड़ों और सभी श्रेष्ठ लोगों को मार दूंगा। चल जल्द चल।

(iii) नाथ तिष्ठतु पूजयिष्यामि त्वाम् (ललाटे तिलकं कृत्वा आरतिञ्चकृत्वा वदति) विजित्य शत्रून् सत्वरमेवागच्छतु। भवान्, पन्थानं पश्यामि।
उत्तरम्:
प्रसङ्ग – यह गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘वीरबालकः अभिमन्युः’ पाठ से उद्धृत है। यह पाठ वेदव्यास कृत महाभारत से संकलित है इन पंक्तियों में युद्ध के लिए सुसज्जित अभिमन्यु को देखकर उसकी पत्नी उत्तरी एक वीरांगना की तरह अपने पति को सादर पूजा करके सहर्ष युद्ध के लिए विदा करती है तथा उसके लिए मंगलकामना करती है और उस दिन की प्रतीक्षा करती है जिस दिन उसका वीर पति युद्ध जीत कर उसके पास आये। वह राह में अपने पलक पांवडे बिछाती दृष्टिगत होती है।

अनुवाद –
स्वामी, ठहरो, आपकी पूजा करूंगी (माथे पर तिलक करके आरती उतार कर कहती है)। शत्रुओं को जीतकर आप जल्दी ही आना, मैं आपकी राह देखती हूँ।

व्याकरणात्मक प्रश्नोत्तराणि –

प्रश्न 8.
अधोलिखितपदेषु शब्द-लिङ्ग-विभक्ति वचनानां निर्देशं कुरुत – (निम्नलिखित पदों में शब्द, लिंग, विभक्ति और वचन बताइए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 15 वीर बालकः अभिमन्यु 1

प्रश्न 9.
अधोलिखितपदेषु धातु-लकार-पुरुष-वचनानां निर्देशं कुरुत- (निम्न पदों में धातु, लकार, पुरुष और वचन बताइए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 15 वीर बालकः अभिमन्यु 2

प्रश्न 10.
अधोलिखित पदेषु उपसर्ग-धातु-प्रत्ययाः लेख्याः – (निम्न पदों में उपसर्ग, धातु, प्रत्यय लिखिए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 15 वीर बालकः अभिमन्यु 3

प्रश्न 11.
निम्नलिखित पदानां सन्धि-विच्छेदं कृत्वा सन्धिनामनिर्देशं कुरुत- (निम्न पदों का सन्धि-विच्छेद करके सन्धि का नाम बताइए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 15 वीर बालकः अभिमन्यु 4

प्रश्न 12.
निम्नाङ्कितानां पदानां समास-विग्रहं कृत्वा समासनामापि लिखत- (निम्न पदों का समास-विग्रह करके समास का नाम भी लिखिए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 15 वीर बालकः अभिमन्यु 5

प्रश्न 13.
निम्नांकितपदानां विलोम शब्दाः लेख्याः- (निम्न पदों के विलोम शब्द लिखिए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 15 वीर बालकः अभिमन्यु 6
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 15 वीर बालकः अभिमन्यु 8

14. रेखाङ्कितपदानां विभक्तिं कारणं च लिखत- (रेखांकित पदों में विभक्ति तथा कारण लिखिए-)

प्रश्न 1.
तैः सह योद्धमर्जुनः श्रीकृष्णेन सहातिदूर जगाम।
उत्तरम्:
तृतीया विभक्तिः। सह (साथ) के योग में तृतीया होती है।

प्रश्न 2.
तव पितरं विना नान्तं मे चिन्तायाः भविष्यति।
उत्तरम्:
द्वितीया विभक्ति। बिना के योग में द्वितीया, तृतीया या पंचमी होती है।

प्रश्न 3.
नमः सर्व-वृद्धाभ्यः
उत्तरंम्:
चतुर्थी विभक्तिः ‘नम:’ के योग में चतुर्थी होती है।

प्रश्न 4.
आत्मानं धिक् कुर्मः।
उत्तरम्:
द्वितीया विभक्तिः। ‘धिक्’ के योग में द्वितीया विभक्ति होती हैं।

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 15 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तराणि

प्रश्न 1.
कः ग्रन्थः भारतीय संस्कृतेः आधारभूतः कथ्यते? (कौन-सा ग्रन्थ भारतीय संस्कृति का आधारभूत कहलाता है।)
उत्तरम्:
महाभारतः भारतीय संस्कृतेः आधारभूतः कथ्यते। (महाभारत भारतीय संस्कृति का आधारभूत कहलाता है।)

प्रश्न 2.
कौरव-पाण्डवाः कुत्र युद्धरताः आसन्? (कौरव-पाण्डव कहाँ युद्धरत थे?)
उत्तरम्:
कौरव-पाण्डवाः धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे युद्धरता: रताः आसन्। (कौरव-पाण्डव धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र में युद्धरत थे।)

प्रश्न 3.
द्रोणाचार्यः कस्य रचना कृतवान्? (द्रोणाचार्य ने किसकी रचना की ?)
उत्तरम्:
द्रोणाचार्यः चक्रव्यूहं रचितवान्। (द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह की रचना की।)

प्रश्न 4.
पाण्डवाः कस्मात् चिन्तिताः अभवन्? (पाण्डव किस कारण से चिन्तित थे?)
उत्तरम्:
अर्जुनस्य अनुपस्थितौ द्रोणाचार्येण कृतं व्यूह रचनां दृष्ट्वा चिन्तिताः अभवन्। (अर्जुन की अनुपस्थिति में द्रोणाचार्य द्वारा की गई व्यूह रचना को देखकर चिन्तित हो गये।)

प्रश्न 5.
अभिमन्युः चक्रव्यूहभेदनं कुत्र शिक्षितवान्? (अभिमन्यु ने चक्रव्यूह भेदन कहाँ सीखा ?)
उत्तरम्:
अभिमन्युः चक्रव्यूहभेदनं मातुः गर्भे एव शिक्षितवान्। (अभिमन्यु ने चक्रव्यूह भेदन माँ के गर्भ में सीखा था।)

प्रश्न 6.
‘वीरबालकः अभिमन्युः’ इति पाठे अभिमन्योः कि वैशिष्टयं वर्णितम्? (‘वीरबालकः अभिमन्युः’ पाठ में अभिमन्यु की किस विशेषता का वर्णन किया है?)
उत्तरम्:
‘वीरबालकः अभिमन्युः’ इति पाठे अभिमन्यो: वीरता, युद्धकौशलं, गुरुभक्तिः अदम्य साहसं च वर्णितानि। (‘वीरबालकः अभिमन्युः’ पाठ में अभिमन्यु की वीरता, युद्ध-कौशल, गुरुभक्ति और अदम्य साहस वर्णित है।)

प्रश्न 7.
अर्जुनं दूरीकर्तुं दुर्योधनः कैः सह सन्धिम् अकरोत्? (अर्जुन को दूर करने के लिए दुर्योधन ने किनके साथ सन्धि की?)
उत्तरम्:
अर्जुनं दूरीकर्तुं दुर्योधनः संशप्तकैः सह सन्धिम् अकरोत्। (अर्जुन को दूर करने के लिए दुर्योधन ने संशप्तकों के साथ सन्धि की।)

प्रश्न 8.
संशप्तकैः किं कृतम्?. (संशप्तकों ने क्या किया?)
उत्तरम्:
संशप्तका: अर्जुनं दूरीकर्तुं युद्धाय प्रेरयामासु। (संशप्तकों ने अर्जुन को दूर करने के लिए युद्ध के लिए प्रेरित किया।)

प्रश्न 9.
चिन्तामग्नस्य युधिष्ठिरस्य सदसि कः प्राप्तवान्? (चिन्तामग्न युधिष्ठिर की सभा में कौन पहुँचा?)
उत्तरम्:
चिन्तामग्नस्य युधिष्ठिरस्य सदसि अभिमन्युः प्राप्तवान्। (चिन्तित युधिष्ठिर की सभा में अभिमन्यु पहुँचा।)

प्रश्न 10.
अभिमन्युः सर्वप्रथमं युधिष्ठिरं किम् अपृच्छत्? (अभिमन्यु ने सबसे पहले युधिष्ठिर से क्या पूछा?)
उत्तरम्:
अभिमन्युः युधिष्ठिरं सर्वप्रथमं चिन्तायाः कारणम् अपृच्छत्। (अभिमन्यु ने युधिष्ठिर से सबसे पहले चिन्ता का कारण पूछा।)

प्रश्न 11.
युधिष्ठिरस्य चिन्तायाः किं कारणम् आसीत्? (युधिष्ठिर की चिन्ता का क्या कारण था?)
उत्तरम्:
अर्जुनस्य अनुपस्थितिः द्रोणाचार्यस्य चक्रव्यूह रचना च युधिष्ठिरस्य चिन्तायाः कारणम् आसीत्। (अर्जुन की अनुपस्थिति और द्रोणाचार्य की चक्रव्यूह रचना युधिष्ठिर की चिन्ता का कारण था।)

प्रश्न 12.
कौरव सेनायाः सेनानायकः कः आसीत्? (कौरव सेना का सेनापति कौन था?)
उत्तरम्:
कौरव सेनायाः सेनानायकः द्रोणाचार्यः आसीत्। (कौरव सेना का सेनापति गुरु द्रोणाचार्य थे।)

प्रश्न 13.
युधिष्ठिरः आत्मानं कस्मात् धिक् करोति स्म? (युधिष्ठिर स्वयं को क्यों धिक्कारता है?)
उत्तरम्:
यतः पाण्डवाः बलवन्तः, शस्त्रधारिणोऽपि सन्तः व्यूह-भेदनेऽशक्ताः आसन् अतः चिन्तिताः एव भवितु शक्नुमः। अनेन नैराश्येन सः धिक्कमेच्छत्। (क्योंकि पाण्डव बलवान होते हुए भी और शस्त्र धारण करने में समर्थ होते हुए व्यूह भेदने में सक्षम नहीं थे अत: केवल चिन्तित ही रह सकते थे। इस निराशा के कारण वह धिक्कारना चाहता है।)

प्रश्न 14.
अभिमन्युः युधिष्ठिराय गीतायाः किं वाक्यं स्मारयति? (अभिमन्यु गीता के किस वाक्य को युधिष्ठिर को स्मरण कराता है?)
उत्तरम्:
अभिमन्यु युधिष्ठिराय ‘क्षुद्रं हृदय दौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तपः’ इति गीतायाः वाक्यं स्मारयति। (अभिमन्यु। युधिष्ठिर को ‘क्षुद्रहृदय की कमजोरी को त्यागकर अर्जुन उठ खड़ा हो।’ गीता के वाक्य को याद दिलाता है।)

प्रश्न 15.
‘क्षुद्रहृदयदौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तपः इति गीतायाः वाक्यं कः कं कथयति। (‘क्षुद्रं ………. परन्तपः वाक्य को गीता में कौन किससे कहता है।)
उत्तरम्:
‘क्षुद्रं …… परन्तपः’ इति गीतायाः वाक्यं श्रीकृष्णः अर्जुनं कथयति। (क्षुद्रं …….. परन्तपः इस गीता के वाक्य को श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं।)

प्रश्न 16.
अभिमन्युः युधिष्ठिरं कथम् आश्वसिति? (अभिमन्यु युधिष्ठिर को कैसे आश्वस्त करता है?)
उत्तरम्:
अभिमन्युः कथयति-अत्र व्यूहभेदने का चिन्ता सति च मयि भवतां सेवके। भवताम् आशीर्भिः व्यूहमुच्छिद्य कौरव-दर्प-दलनं विधाय आचार्याय आत्मानम् धनञ्जयस्यैव अपरा मूर्ति दर्शयिष्यामि। (अभिमन्यु कहता है-यहाँ व्यूहभेदन की क्या चिन्ता, जब मैं आपका सेवक हूँ। आपके आशीर्वाद से कौरवों के घमण्ड को नष्ट करके आचार्य को मूर्ति रूप अर्जुन दिखाऊँगा) :

प्रश्न 17.
पाण्डववधस्य प्रतिज्ञा केन कृता? (पाण्डवं वध की प्रतिज्ञा किसने की ?)
उत्तरम्:
पाण्डववधस्य प्रतिज्ञा द्रोणाचार्येण कृता। (पाण्डव वध की प्रतिज्ञा द्रोणाचार्य ने की थी।)

प्रश्न 18.
युधिष्ठिस्य हृदये भीतिः कस्मात् जाता? (युधिष्ठिर के हृदय में भय किससे पैदा हुआ ?)
उत्तरम्:
युधिष्ठिरस्य हृदये मोहात् भीतिः जाता। (युधिष्ठिर के हृदय में मोह के कारण भय पैदा हो गया था।)

प्रश्न 19.
अभिमन्युः केन सह लब्धबलः युद्धे जेष्यति। (अभिमन्यु किसके साथ बल प्राप्त कर युद्ध जीतेगा?)
उत्तरम्:
अभिमन्युः युधिष्ठरस्य आशीर्वादेन युद्धे जेष्यति। (अभिमन्यु युधिष्ठिर के आशीर्वाद से युद्ध जीतेगा।)

प्रश्न 20.
रथमारुह्य अभिमन्युः कुत्र गच्छति? (रथ पर चढ़कर अभिमन्यु कहाँ जाता है?)
उत्तरम्:
रथमारुह्य अभिमन्युः मातुः आशीर्वादं ग्रहीतुं गच्छति। (रथ पर चढ़कर अभिमन्यु माँ के पास आशीर्वाद ग्रहण करने जाता है।)

प्रश्न 21.
सारथी कुमाराय किम् उपदिशति? (सारथी कुमार को क्या उपदेश देता है ?)
उत्तरम्:
सारथी कुमाराय उपदिशति यत् सम्यग् विचिन्त्यैव कर्तव्यम्। (सारथी कुमार को उपदेश देता है कि सोचसमझकर कार्य करना चाहिए।)

प्रश्न 22.
सारथिनः को शंका आसीत्? (सारथी की क्या शंका थी ?)
उत्तरम्:
सा:रथिन: आशंका आसीत् यत् कुमारेण यो भार: स्वीकृतः सः कथम् ऊह्यो भविष्यति? (सारथी को शंका थी कि कुमार ने जो उत्तरदायित्व स्वीकार किया है, वह कैसे वहन किया जा सकेगा। (वह कैसे सम्भव होगा।)

प्रश्न 23.
कः स्वेदकणान् न धारयति? (कौन पसीने की बूंदों को धारण नहीं करती है।)
उत्तरम्:
पवनः स्वेदकणान् न धारयति। (वायु पसीने की बूंदों को धारण नहीं करती है।)

प्रश्न 24.
हिमात् कः त्रस्तः न भवति? (बर्फ से कौन भयभीत नहीं होता है?)
उत्तरम्:
हिमात् अग्निः त्रस्तः न भवति। (बर्फ से अग्नि भयभीत नहीं होती है।)

प्रश्न 25.
अभिमन्योः ललाटे तिलकं कृत्वा आरार्तिकं च कृत्वा उत्तरा किं कामयते? (अभिमन्यु के ललाट पर तिलक करके और आरती करके उत्तरा क्या कामना करती है?)
उत्तरम्:
सा कामय यत् शत्रून् विजित्य पति सत्वरमेवागच्छतु अहं तस्य पन्थानं पश्यामि। (वह कामना करती है कि शत्रुओं को जीतकर पति शीघ्र आयें मैं उनकी प्रतीक्षा (राह) देखती हूँ।)

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