Rajasthan Board RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 2 राष्ट्र वन्दना
RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 2 पाठ्य-पुस्तकस्य अभ्यास-प्रश्नोत्तराणि
RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 2 वस्तुनिष्ठ प्रश्ना
प्रश्न 1.
दिवाराचं पदे समासः अस्ति- (दिवारोत्र पद में समास है)
(अ) कर्मधारय
(ब) बहुव्रीहि
(स) द्वन्द्वः
(द) तत्पुरुषः
उत्तर:
(स) द्वन्द्वः
प्रश्न 2,
चिरं नन्दतु भारती भूः हिमकिरीटाः सिन्धुरशना- अत्र अव्ययपदम् अस्ति (यहाँ अव्यय पद है)
(अ) चिरं
(ब) नन्दतु
(स) भारती
(द) सिन्धुरशना
उत्तर:
(अ) चिरं
प्रश्न 3.
नवल युग परिवर्तनाय कस्य रचना प्रणेतुम्- (नये युग परिवर्तन के लिए किसकी रचना को ले जाने के लिए)
(अ) दानवी सेनाया
(ब) क्रान्तिपदस्य।
(स) प्राणानर्पणस्य
(द) कालकूटनाशस्य।
उत्तर:
(ब) क्रान्तिपदस्य।
प्रश्न 4.
यथेष्ट-पदे प्रयुक्तं सन्धिः अस्ति (‘यथेष्ट’ पद में प्रयुक्त संधि है)
(अ) वृद्धिसन्धिः
(ब) अयादिसन्धिः
(स) दीर्घसन्धिः
(द) गुणसन्धिः।
उत्तर:
(द) गुणसन्धिः।
प्रश्न 5.
राष्ट्रजननी कैः अर्चिताः (राष्ट्रजननी किससे पूजित हैं)
(अ) प्राणपुष्पैः
(ब) भावपुष्पैः
(स) पुण्यकीय
(द) बालदारैः।
उत्तर:
(अ) प्राणपुष्पैः
प्रश्न 6.
वसुधा केन भोग्या (धरती किनसे भोग्य है)
(अ) कृपणेन
(ब) बालैः
(स) दारैः
(द) वीरैः।
उत्तर:
(द) वीरैः।
RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 2 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नाः
प्रश्न 1.
दिवारानं कस्य सेवा-व्रतं सततं पालयामः? (दिनरात किसकी सेवा का व्रत निरन्तर पालन करते हैं?)
उत्तर:
दिवारोत्रं मनुज-सेवा-व्रतं सततं पालयामः। (दिनरात मानव-सेवा का व्रत निरन्तर पालन करते हैं।)
प्रश्न 2.
भेदभावनां निशायाम् कान् किरन्तु? (भेदभावनारूपी रात में किन्हें बिखेरें?)
उत्तर:
भेदभावनां निशायाम् एकता-किरणाम् किरन्तु। (भेदभावनारूपी रात में एकतारूपी किरणें बिखेरें।)
प्रश्न 3.
श्रमस्वेदैः अस्माभिः किं विधेयम्? (पसीने से हमें क्या करना चाहिए?)
उत्तर:
श्रमस्वेदैः अस्माभिः सदा नवरूप-रचना विधेया। (श्रम के पसीनों से हमें सदैव नये रूप की रचना करनी चाहिए।)
प्रश्न 4.
दानवी सेनां वयं केन जयामः? (दानवी सेना को हम किससे जीतें?)
उत्तर:
दानवी सेनां वयं शान्ति-शक्त्या जयामः। (दानवी सेना को हम शान्ति की शक्ति से जीतें।)
प्रश्न 5.
शान्ति-रक्षायै कि गृहीतम्? (शान्ति की रक्षा के लिए क्या ग्रहण किया?)
उत्तर:
शान्ति-रक्षायै विकटशस्त्रं गृहीतम्। (शान्ति की रक्षा के लिए विकटशस्त्र ग्रहण किया।)
प्रश्न 6.
राष्ट्रभक्तैः के विस्मृताः? (राष्ट्रभक्त किन्हें भूल गये?)
उत्तर:
राष्ट्रभक्तैः निज बालदारा: विस्मृताः। (राष्ट्रभक्त अपने पत्नी और बच्चों को भूल गये।)
RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 2 लघूत्तरात्मक प्रश्नाः
प्रश्न 1.
वेदवाणी किं वदति? (वेद वाणी क्या कहती है?)
उत्तर:
दिवाराचं मनुज सेवा-व्रतं सततं पालयाम्, वयं राष्ट्रे जागृयाम इति वेदवाणी वदति। (दिनरात मनुष्य सेवा का व्रत निरन्तर पालें तथा हम राष्ट्र में जागरूक रहें।)
प्रश्न 2.
हिमकिरीटा सिन्धुरशना का? (हिम मुकुट और सागरमेखला वाली कौन हैं?)
उत्तर:
भारती भू: हिमकिरीटा सिन्धुरशना च अस्ति। (भारतीय भूमि हिम मुकुट एवं सागर मेखला वाली है।)
प्रश्न 3.
कस्य कृते वयं प्राणानर्पयाम्? (किसके लिए हम प्राणों को त्यागें?)
उत्तर:
वयं राष्ट्र-बलि-वेद्यां यथेष्टं प्राणानर्पयाम्। (हम राष्ट्र की बलिवेदी पर इच्छा से प्राणों को अर्पित करें।)
प्रश्न 4.
विश्वं विजेतुं को दिशति? (विश्व को विजय करने के लिए कौन निर्देश करता है?)
उत्तर:
अयं राष्ट्रध्वजः अस्मान् निजगुणैः विश्वं विजेतुं दिशति। (यह राष्ट्रध्वज हमको अपने गुणों से विश्व को विजय करने के लिए प्रेरित करता है।)
प्रश्न 5.
कविः कान् प्रति भावपुष्पम् अर्पयति? (कवि किनके प्रति भावपुष्प अर्पित करता है?)
उत्तर:
यैः पुण्यभावा राष्ट्रजननी प्राण-पुष्पैः अर्चिता तान् राष्ट्र भक्तान् प्रति कविः भावपुष्पम् अर्पयति। (जिनके द्वारा पुण्य भावों वाली राष्ट्ररूपी माँ प्राण पुष्पों से अर्जित की गई थी। उन राष्ट्रभक्तों के प्रति कवि भाव पुष्प अर्पित करता है।)
प्रश्न 6.
केषां पुण्य चरितैः वयं हृदयं पावयामः? (किनके पावन चरित्र से हम हृदय को पवित्र करें?)
उत्तर:
यैः निज भवन सौख्यम् त्यक्तं बालदाराः च विस्मृता तेषां पुण्य चरितैः वयं हृदयं पावयामः। (जिन्होंने अपने घर का सुख त्याग दिया तथा अपनी पत्नी और बच्चों को भुला दिया है, उनके पावन चरित से हम हृदय को पवित्र करते हैं।)
प्रश्न 7.
कैः मरण पटं आवेष्टितम्? (कफन किसने बाँध रखा है?)।
उत्तर:
ये प्रतिपलं शौर्य-बलि-गीतानि गातुं सङ्कल्पिता: तैः मरणार्य आवेष्टितम्। (जो प्रतिक्षण मृत्यु को उत्सव बनाने हेतु शूरवीरता के साथ बलिगीत गाने के लिए संकल्प किए हुए हैं, उनके द्वारा कफन लपेटा हुआ है।)
प्रश्न-
अधोलिखित पद्यांशानाम् सप्रसङ्ग व्याख्या कार्या- (निम्नलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करिए)
उत्तर:
(i) से (iv) तक के पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या के लिए क्रमशः ‘वयं राष्ट्रे जागृयाम:’ गीत का पद्यांश संख्या 1, 3 तथा ‘भावपुष्पम् अर्पयाम’ के पद्यांश में 3, 4 की व्याख्या देखें।
RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 2 व्याकरणात्मक प्रश्ना:
प्रश्न 1.
अधोलिखितेषु पदेषु मूल शब्द-लिङ्ग-विभक्ति-वचनानां निर्देशं कुरुत। (निम्नलिखित पदों में मूल शब्द, लिंग, विभक्ति तथा वचन बताइये)
उत्तर:
प्रश्न 2.
अधोलिखितेषु पदेषु धातु-लकार-पुरुष-वचनानां निर्देशं कुरुत-(निम्नलिखित पदों में धातु-लकार-पुरुष और वचन का निर्देश कीजिए-)
उत्तर:
प्रश्न 3.
अधोलिखितपदेषु उपसर्ग-धातु प्रत्ययाः लेख्या-(निम्नलिखित पदों में उपसर्ग, धातु व प्रत्यय लिखिए-)
उत्तर:
प्रश्न 4.
निम्नांकितानां पदानां सन्धिविच्छेदं कृत्वा सन्धिनाम निर्देशं कुरुत-(निम्न पदों को सन्धि-विच्छेद करके सन्धि का नाम निर्देश कीजिए-)
उत्तर:
प्रश्न 5.
निम्नांकित पदानां समासविग्रहं कृत्वा समासनामापि लिखत-(निम्न पदों को समास विग्रह करके समास का नाम भी लिखिए-)
उत्तर:
प्रश्न 6.
अधोलिखितान् शब्दान् अधिकृत्य वाक्यनिर्माणं कुरुत-(निम्नलिखित शब्दों को आधार मानकर वाक्य निर्माण कीजिए-)
उत्तर:
प्रश्न 7.
अधोलिखितपदानां विलोम-शब्दं लिखत-(निम्न पदों के विलोम शब्द लिखिए-)
उत्तर:
प्रश्न 8.
अधोलिखितपदानां पर्यायवाचि शब्दाः लेख्याः-(निम्न पदों के पर्यायवाची शब्द लिखिए-)
उत्तर:
RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 2 निबन्धात्मक प्रश्नाः
प्रश्न 1.
वयं राष्ट्रे जागृयामः’ कवितायाः सारांशं लिखतु? (वयं राष्ट्रे जागृयाम:’ कविता का सारांश लिखिए।)
उत्तर:
वयम् अहर्निशं मानव-सेवा व्रतं पालयाम। सर्वे धर्मावलम्बिनेः बन्धु इव भवेयुः। भेदभावना परित्यज्य स्नेह रां प्रवहाम। वयं सदैव परिश्रमेण नवनिर्माणं कुर्मः। शान्ति शक्तया हिंसां जयाम। अस्माकं राष्ट्रध्वजः अस्मान् क्रान्तिपदं नेतुं निर्दिशति अतः वयं राष्ट्र-रक्षा-यज्ञे प्राणानापि अर्पयामः। (हम दिन-रात मानव सेवा के व्रत का पालन करें। सभी धर्मावलम्बी. बन्धु की तरह हों। भेदभावना का त्याग करके प्रेम की धारा प्रवाहित करें। हम सदैव परिश्रम से नवनिर्माण करते हैं। शान्ति के बल पर हिंसा पर विजय प्राप्त करें। हमारा राष्ट्रध्वज हमें क्रान्ति पर ले जाने के लिए प्रेरित कर रहा है। अतः हम राष्ट्र-रक्षा के यज्ञ में अपने प्राणों को भी समर्पित कर दें।)
प्रश्न 2.
वयम् अमृतपुत्राः राष्ट्र विकासाय किं कुर्मः? (हम अमृतपुत्र राष्ट्र विकास के लिए क्या करते हैं?)
उत्तर:
वयं अमृतपुत्रः स्म। अतः सर्वं कालकूटं नाशयाम। साम्प्रदायिक सद्भाव स्वीकृत्य बन्धु भूताः भवेम। सदैव स्नेहमयीं वाणीं वदेम। भेदभावनायाः अन्धकारं एकतायाः किरणान् विकीर्य नाशयाम। (हम अमृत पुत्र हैं। अतः सारे दोषों को नष्ट करें। साम्प्रदायिक सद्भाव को स्वीकार करके भाईचारे से रहें। सदैव प्रेम मयी वाणी बोलें। भेदभाव के अन्धकार को एकता की किरणें बिखेरकर नष्ट करें।)
प्रश्न 3.
‘भावपुष्पम् अर्पयामः’ कवितायाः सारांशं लिखतु? (‘भावपुष्पं अर्पयाम:’ कविता का सार लिखिए।)
उत्तर:
ये राष्ट्रभक्ताः स्वप्राणान् अर्पयित्वा मातृभूमिम् रक्षितवन्त, शान्तिं रक्षणाय ये शस्त्रं गृहीतवन्तः, प्राणान् परित्यज्य ये स्वातन्त्र्यम् अलभन्त, ये जनाः निज गृह सुखमपि परित्यज्य, स्वकीयान् पत्नीपुत्रादीन विस्मृत्य कीर्तिम् अर्जितवन्तः, ये सदैव बलिदानाय संकल्पिता सन्ति, येन जरामरण भयाद् विमुक्ता देशभक्ताः तेभ्यो वयं भारतीया: भावपुष्पम् अर्पयामः।
(जिन राष्ट्रभक्तों ने अपने प्राणों को अर्पित करके मातृभूमि की रक्षा की, शान्ति की रक्षा के लिए जिन्होंने शस्त्र उठाये, प्राणों को त्यागकर जिन्होंने स्वतन्त्रता प्राप्त की। जिन लोगों ने अपने घर के सुखों को त्यागकर तथा पत्नी और बच्चों को भुलाकर कीर्ति अर्जित की। जो सदैव बलिदान के लिए संकल्पित हैं तथा जिन्होंने जरामरण का भय त्याग दिया है। हम भारतीय उन्हें भावपुष्प अर्पित करते हैं।
प्रश्न 4.
केषां शपथ-स्वरूपं इयं ध्वजं वयं वहामः? (किनकी शपथस्वरूप इस ध्वज को हम वहन करते हैं?)
उत्तर:
ये राष्ट्रभक्ताः सदैव शौर्य गीतानि बलिगीतानि च गातुं कृत संकल्पाः सन्ति। यैः मरणम् अपि उत्सवं कर्तुं मरण पटम् आवेष्टितं तेषां शपथस्वरूपं इयं ध्वजं वहामः। (जिन राष्ट्रभक्तों ने सदैव शूरवीरता के गीत और बलिगीत गाने का संकल्प लिया है। जिन्होंने मरण को भी उत्सव बनाने के लिए कफन बाँध लिया है, उन्हीं की शपथ स्वरूप हम इस ध्वज को धारण किये हुए हैं।)
RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 2 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तराणि
प्रश्न 1.
‘वयं राष्ट्रे जागृयाम’ इति गीतस्य रचयिता कः अस्ति? (‘वयं राष्ट्रे जागृयाम’ गीत का रचयिता कौन है?)
उत्तर:
‘वयं राष्ट्रे जागृयाम’ इति गीतस्य रचयिता डॉ. हरिराम आचार्य महोदयः अस्ति। (वयं राष्ट्रे जागृयाम्’ गीत के रचयिता डॉ. हरिराम आचार्य महोदय हैं।)
प्रश्न 2.
दिवारानं किं व्रतं पालयाम? (दिन-रात किस व्रत का पालन करें?)
उत्तर:
दिवारोत्रं मनुज-सेवा-व्रतं पालयाम। (दिन-रात मानव सेवा का व्रत पालन करें।)
प्रश्न 3.
विशद वेदवाणी किं वदति? (विस्तृत वेदवाणी क्या कहती है?)
उत्तर:
विशद वेदवाणी वदति यत् ‘वयं राष्ट्रे जागृयाम’। (विस्तृत वेदवाणी कहती है कि हम राष्ट्र में जागते रहें।)
प्रश्न 4.
धर्माः किम् उदगिरन्तु? (धर्म क्या उद्गार व्यक्त (प्रवाहित) करें?)
उत्तर:
धर्माः स्नेहधाराम् उगिरन्तु। (धर्म स्नेह की धारा प्रवाहित करें।)।
प्रश्न 5.
एकतायाः किरणैः कीदृशी निशा समाप्या? (एकता की किरणों से कैसी रात समाप्त करने योग्य है?).
उत्तर:
एकतायाः किरणैः भेदभावानां निशा समाप्या। (एकता की किरणों से भेदभावों की रात समाप्त करने योग्य है।)
प्रश्न 6.
एकता किरणान् कुत्र किरन्तु? (एकता की किरणों को कहाँ बिखेरें?)
उत्तर:
एकता किरणान् भेदभावानां निशायाम् किरन्तु। (एकता की किरणों को भेदभावों की रात में फैलायें (बिखेरें)।
प्रश्न 7.
वयं कस्य पुत्राः? (हम किसके पुत्र हैं?)
उत्तर:
वयं अमृतस्य पुत्राः। (हम अमृत के पुत्र हैं।)
प्रश्न 8.
अमृतपुत्राः किं नाशयन्तु? (अमृत पुत्र किसका नाश करें?)
उत्तर:
अमृतपुत्राः कालकूटं नाशयन्तु। (अमृतपुत्र विष को नष्ट करें।)
प्रश्न 9.
नवरूप रचना कथं विधेया?.(नवरूप की रचना कैसे की जानी चाहिए?)
उत्तर:
श्रम-स्वेदैः नवरूप रचना विधेया। (परिश्रम के पसीने से नये रूप की रचना करनी चाहिए।)
प्रश्न 10.
कीदृशी भारतीभूः चिरं नन्दतु? (कैसी भारत भूमि बहुत दिन तक जीवित रहे?)
उत्तर:
हिमकिरीटा सिन्धुरशना भारती भूः चिरं नन्दतु। (हिम मुकुट वाली और सागररूप मेखला वाली भारत-भूमि दीर्घकाल तक आनन्दित रहे।)
प्रश्न 11.
दानवी सेना का प्रोक्ता? (दानवी सेना किसे कहा गया है?)
उत्तर:
हिंसा दानवी सेना प्रोक्ता। (हिंसा को दानवी सेना कहा गया है।)
प्रश्न 12.
शान्ति शक्त्या वयं कां जयाम? (शान्ति के बल से हम किसे जीतें?)
उत्तर:
शान्ति शक्त्या वयं हिंसा सेनां जयाम। (शान्ति बल से. हम हिंसारूपी दानवी सेना को जीतें।)
प्रश्न 13.
नवल-युग परिवर्तनाय कि कुर्मः? (नये युग के परिवर्तन के लिए क्या करें?)
उत्तर:
नवल-युग परिवर्तनाय वयं क्रान्तिपदं रचयाम। (नये युग के परिवर्तन के लिए हम क्रान्तिकारियों के मार्ग पर चलें।)
प्रश्न 14.
राष्ट्र-रक्षणाय वयं कि कुर्याम्? (राष्ट्र-रक्षा के लिए हमें क्या करना चाहिए?)
उत्तर-
राष्ट्र-रक्षणाय वयं प्राणान् समर्पयाम। (राष्ट्र रक्षा के लिए हमें प्राण त्याग देने चाहिए।)
प्रश्न 15.
पुण्यभावा राष्ट्रजननी कैः अर्चिता? (पवित्र भावों से परिपूर्ण राष्ट्र जननी किनके द्वारा अर्चित की गई?)
उत्तर:
पुण्यभावा राष्ट्रजननी राष्ट्रभक्तानां प्राणपुष्पैः अर्चिता। (पवित्रभावों वाली राष्ट्रमाता राष्ट्रभक्तों के प्राणरूपी पुष्पों से पूजी गई।)
प्रश्न 16.
अद्य केभ्यः भावपुष्पं अर्पयाम? (आज किनके लिए भाव-पुष्प अर्पित करें?)
उत्तर:
अद्य राष्ट्र, भक्तेभ्यो भावपुष्पं समर्पयाम। (आज राष्ट्रभक्तों के लिए भावपुष्प समर्पित करते हैं।)
प्रश्न 17.
राष्ट्रसेवकैः शान्ति रक्षणाय किं कृतम्? (राष्ट्रसेवकों के द्वारा शान्ति की रक्षा के लिए क्या किया गया?)
उत्तर:
राष्ट्रसेवकैः शान्ति रक्षणाय विकट शस्त्रं निजकरे गृहीतम्। (राष्ट्रसेवकों के द्वारा शान्ति की रक्षा के लिए विकट शस्त्र अपने हाथ में धारण किए।)।
प्रश्न 18.
मुक्ति मुक्ताफलं केन क्रीतम्? (मुक्तिरूपी मोती किससे खरीदा गया?)
उत्तर:
मुक्ति मुक्ताफलं समरे देह-बलिदानेन क्रीतम्। (मुक्तिरूपी मोती युद्ध में शरीर के बलिदान से खरीदा गया।)
प्रश्न 19.
अद्य केषां शौर्य गाथां वयं निजहृदि कीर्तयामः? (आज किनकी शौर्यगाथा हम अपने हृदय में गायें?)।
उत्तर:
अद्य बलिदानिनां शौर्य गाथां वयं निजहृदि कीर्तयामः। (आज बलिदानियों की शौर्यगाथा हम अपने हृदयों में गायें।)
प्रश्न 20.
पुण्य-कीर्तेः विमलधारा कैः प्रवाहिता? (पुण्य-कीर्ति की निर्मल धारा किनके द्वारा प्रवाहित की गई?)
उत्तर:
पुण्य-कीर्तेः विमलधारा देशभक्तैः प्रवाहिता। (पुण्य-कीर्ति की निर्मलधारा देशभक्तों द्वारा प्रवाहित की गई।)
प्रश्न 21.
‘वयं राष्ट्रे जागृयाम’ इति कस्य आदिशः? (‘हम राष्ट्र में जागते रहें’ यह किसका आदेश है?)
उत्तर:
‘वयं राष्ट्रे जागृयाम’ इति वेदवाक्यम्। (हम राष्ट्र में जागते हैं, यह वेद का आदेश है?)
प्रश्न 22.
धर्माः किं भूताः स्नेहधारामुगिरन्तु? (धर्म क्या होकर स्नेह धारा प्रवाहित करे?)
उत्तर:
धर्माः बन्धुभूताः स्नेहधारामुगिरन्तु। (धर्म बन्धु जन होकर स्नेह धारा प्रवाहित करे।)
प्रश्न 23.
भेद-भावनां के नाशयन्ति? (भेदभावना को कौन नष्ट करते हैं?)
उत्तर:
एकताया रश्मयः भेदभावनां नाशयन्ति। (एकता की किरणें भेदभावना को नष्ट करें।)
प्रश्न 24.
अमृत पुत्राः के सन्ति? (अमृत पुत्र कौन हैं?)
उत्तर:
वयं भारतीयाः अमृत-पुत्राः स्मः। (हम भारतीय अमृत-पुत्र हैं।)
प्रश्न 25.
वयं के नाशयामः? (हम किसका नाश करें?)
उत्तर:
वयं कालकूटं नाशयामः। (हम विष (समय की कटुता) का नाश करें।)
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