Rajasthan Board RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 5 अर्थो हि कन्या परकीय एवकृष्णसर्पकथा
RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 5 पाठ्य-पुस्तकस्य अभ्यास-प्रणोत्तराणि
RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 5 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नानाम् उचितमुत्तरं कोष्ठके देयम् –
प्रश्न 1.
काव्येषु किं रम्यम् ? (काव्य में मनोहर क्या है?)
(अ) गद्यम्
(ब) पद्यम्
(स) नाटकम्
(द) कथा।
उत्तरम्:
(स) नाटकम्
प्रश्न 2.
महाकवि कालिदासस्य कति कृतयः सन्ति ? (महाकवि कालिदास की कितनी कृतियाँ हैं?)
(अ) तिस्रः
(ब) चतस्रः
(स) पंच
(द) सप्त
उत्तरम्:
(द) सप्त
प्रश्न 3.
शकुन्तलायाः पालकः महर्षिः आसीत्-(शकुन्तला का पालन करने वाले महर्षि थे-)
(अ) दुर्वासा
(ब) कण्वः
(स) वाल्मीकिः
(द) विश्वामित्रः
उत्तरम्:
(ब) कण्वः
प्रश्न 4.
कण्वस्य धर्मभगिनी आसीत्-(कण्व की धर्मबहिन थी-)
(अ) गौतमी
(ब) शकुन्तला
(स) अनसूया
(द) प्रियंवदा
उत्तरम्:
(अ) गौतमी
प्रश्न 5.
अभिज्ञान शाकुन्तलम् नाटके अंकाः सन्ति-(अभिज्ञान शाकुन्तल नाटक में अंक हैं-)
(अ) पंच।
(ब) नव
(स) सप्त
(द) दश
उत्तरम्:
(स) सप्त।
RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 5 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्ना: (एकपदेन उत्तरत)
प्रश्न 1.
महर्षि कण्वस्य धर्मपुत्री का आसीत्? (महर्षि कण्व की धर्मपुत्री कौन थी?)
उत्तरम्:
शकुन्तला
प्रश्न 2.
परस्यं धनं का भवति ? (दूसरे को धन क्या होता है?)
उत्तरम्:
कन्या
प्रश्न 3.
कालिदासस्य सर्वस्वं किम्? (कालिदास का सर्वस्व क्या है?)
उत्तरम्:
अभिज्ञानशाकुन्तलम्
प्रश्न 4.
“अद्य शकुन्तला यास्यति” इति केन चिन्तितम्? (यह कौन सोचता है?).
उत्तरम्:
कण्वेन
प्रश्न 5.
ययाते: पत्नी का आसीत् ? (ययाति की पत्नी कौन थी?)
उत्तरम्:
शर्मिष्ठा।
RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 5 लघूत्तरात्मक प्रश्नाः (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
प्रश्न 1.
प्रियमण्डनापि भवतां स्नेहेन पल्लवं का न आदत्ते? (शृंगारप्रिय होने पर भी प्रेम के कारण किसने पत्ते नहीं तोड़े?)
उत्तरम्:
प्रियमण्डनापि भवतां स्नेहेन शकुन्तला पल्लवं न आदत्ते। (शृंगारप्रिय होने पर भी शकुन्तला ने प्रेमवश पत्ते नहीं तोड़े।)
प्रश्न 2.
इयं शकुन्तला कैः अनुमतगमना? (यहाँ शकुन्तला का कौन अनुगमन करते हैं?)
उत्तरम्:
इयं शकुन्तला वनवास बन्धुभिः तरुभिः अनुमतगमना। (यहाँ शकुन्तला का वनवासी भाई, वृक्ष आदि भी अनुगमन करते हैं।)
प्रश्न 3.
लताः अश्रूणीव्र के मुंचन्ति ? (बेलें आँसुओं के रूप में क्या छोड़ती हैं?)
उत्तरम्:
लताः अपसृत पाण्डुपत्राणि अश्रुणीव मुंचन्ति। (बेलें आँसुओं के रूप में पीले पत्ते छोड़ती हैं।)
प्रश्न 4.
शकुन्तलायाः पदवीं कः न जहाति ? (शकुन्तला का रास्ता कौन नहीं छोड़ रहा?)
उत्तरम्:
शकुन्तलायाः पदवीं मृगः न जहाति। (शकुन्तला का रास्ता मृग नहीं छोड़ रहा।)
प्रश्न 5.
परकीय एव अर्थः का भवति ? (पराया धन क्या होता है?)
उत्तरम्:
परकीय एव अर्थः कन्या भवति। (पराया धन कन्या होती है।)
RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 5 निबन्धात्मक प्रश्नाः
प्रश्न 1.
अधोलिखित श्लोकानां सप्रसंग संस्कृत-व्याख्यां कुरुत (निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग संस्कृत में व्याख्या कीजिए)
(अ) अनुमतगमना………………..प्रतिवचनीकृतमेभिरीदृशम्।
(ब) उद्गलित…………………..मुंचन्त्यश्रूणीव लताः।
(स) अर्थो हि कन्या………………..इवान्तरात्मा।
उत्तरम्:
एतेषां श्लोकानां संस्कृत व्याख्या नाट्यांशस्य संस्कृत व्याख्या प्रकरणे द्रष्टव्यम्। (श्लोक सं. 4, 5 एवं 9 देखें)
प्रश्न 2.
स्नानोत्तीर्णः महर्षिकण्वः किम् अचिन्तयत्? (स्नान से निवृत्त महर्षि कण्व क्या सोचते हैं?)
उत्तरम्:
स्नानोत्तीर्ण: महर्षि कण्वः अचिन्तयत् यत् “अद्य शकुन्तला पतिगृहं गमिष्यति इति विचिन्त्य मम हृदयं दुःखाक्रान्तम्, कण्ठः अन्तर्निरुद्धः अश्रुप्रवाहावरोधेन, नेत्रौ चिन्तया अचेतनत्वं जातौ। वनवासिनः मम स्नेहाधिक्येन एतादृशं विह्वलत्वम् अस्ति चेत् गृहिणः जनानां कृते आत्मजायाः वियोगजन्यं दु:खं किमर्थं न पीडामुत्पादयिष्यति” इति। (स्नान से निवृत्त महर्षि कण्व सोचते हैं कि आज शकुन्तला पतिगृह चली जायेगी। यह विचार कर मेरा हृदय दुख से आक्रांत है; आँसुओं को रोकने से कण्ठ रुक गया है, नेत्र चिन्ता से जड़ हो गये हैं। हम वनवासियों की स्नेह की अधिकता से ऐसी विह्वल दशा है तो सामान्य गृहस्थियों को पुत्रियाँ का वियोगजन्य दुख कितना कष्ट देता होगा?)
प्रश्न 3.
कोकिलरवं श्रुत्वा शार्गरवः किम् अचिन्तयत्? (कोयल का स्वर सुनकर शार्गव क्या सोचते हैं ?)
उत्तरम्:
कोकिलरवं श्रुत्वा शार्गरवः अचिन्तयत्-तपोवने सहनिवासेन मित्रतुल्या: वृक्षा: कोकिलस्य मधुरेण ध्वनिसंकेतेन प्रत्युत्तरेण शकुन्तला पतिगृहाय गन्तुम् अनुमतिं प्रदत्तवन्तः। (कोयल का स्वर सुनकर शार्गव सोचते हैं तपोवन के सहनिवासी मित्रतुल्य वृक्ष कोयले के स्वर में मधुर ध्वनि संकेत से प्रत्युत्तर देकर शकुन्तला को पतिगृह जाने की अनुमति प्रदान करते हैं।)
प्रश्न 4.
महर्षिकण्वेन पतिकुलं प्राप्य शकुन्तलायै पालनाय का शिक्षा दत्ता? (महर्षि कण्व पतिकुल प्राप्त शकुन्तला के लिए पालने योग्य क्या शिक्षा देते हैं?)
उत्तरम्:
महर्षिकण्वेन पतिकुलं प्राप्य शकुन्तलायै पालनाय शिक्षा दत्ता यत्-स्वयोज्येष्ठानां गुरुजनानां सेवां कुर्याः, पत्या अपमानितेऽपि क्रोधावेगेन भर्तुः प्रतिकूलं मा गच्छेः सपत्नीजनैः सह सखीतुल्यं मधुरं व्यवहारं कुर्याः, परिचारकान् प्रति उदारवृत्तिः भवेः भाग्येषु गर्वरहिता भवेः, एतेषां नियमानां यो: स्त्रियः पालनं कुर्वन्ति ताः गृहस्वामिनीति पदं प्राप्नुयन्ति। याः प्रतिकूलवर्तिन्यः भवन्ति ताः परिवारस्य कुलस्य वा घातकाः भवन्ति। (महर्षि कण्व पतिकुल प्राप्त शकुन्तला को पालनीय शिक्षा देते हैं कि अपने से ज्येष्ठों की सेवा करना, अपमानित होने पर भी क्रोध के कारण पति के प्रतिकूल मत जाना, सपत्नियों के साथ सखियों जैसा मधुर व्यवहार करना, सेवकों के प्रति उदार रहना, अपने भाग्यं पर गर्व मत करना। इस प्रकार आचरण करने वाली स्त्रियाँ गृहस्वामिनी का पद प्राप्त करती हैं तथा इसके विपरीत आचरण करने वाली स्त्रियाँ कुल के लिए। घातक होती हैं।)
RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 5 व्याकरणात्मक प्रश्नाः
प्रश्न 1.
अधोलिखितेषु पदेषु मूल शब्दः, लिङ्गम्, विभक्तिः वचनं च लिखत – (निम्नलिखित पदों में मूल शब्द, लिंग, विभक्ति और वचन लिखिए)
1. तरवः
2. युष्मासु
3. बन्धुभिः
4. मृग्यः,
5. युवतयः
उत्तरम्
प्रश्न 2.
अधोलिखितेषु क्रियापदेषु मूलधातुः लकार-पुरुष-वचनानि च लिखत – (निम्नलिखित क्रिया पदों में मूल धातु, लकार, पुरुष और वचन लिखिए)
1. करोषि
2. मन्यते
3. यान्ति
4. भविष्यति
5. मुंचन्ति
उत्तरम्:
प्रश्न 3.
अधोलिखितानां पदानां सन्धि-विच्छेदं कृत्वा सन्धिनामनिर्देशं कुरुत – (निम्नलिखित पदों की सन्धि विच्छेद करके सन्धि का नाम लिखिए)
1. प्रियमण्डनापि
2. यास्यत्यद्य
3. शकुन्तलेति
4. द्वयोरपि
5. अरण्यौकसः
उत्तरम्:
प्रश्न 4.
अधोलिखितानां पदानां प्रकृति प्रत्ययौ लेख्यौ- (निम्नलिखित पदों के प्रकृति-प्रत्यय लिखो)
1. स्थितः
2. सूचयित्वा
3. त्यक्तम्
4. उपेत्य
5. कर्त्तव्या
उत्तरम्:
प्रश्न 5.
अधोलिखितेषु रेखांकितपदेषु विभक्तेः नामकारणं च लिखत- (निम्नलिखित रेखांकित पदों की विभक्ति। का नाम, कारण लिखिए)
- अलं रुदितेन।
- अचिरप्रसूतया जनन्या विना मया वर्द्धितोऽसि।
- इति निष्क्रान्ताः शकुन्तलया सह गौतमी, शार्गरवेः शारद्वतमिश्राः चः
- सख्यौ प्रति हला ! एषा द्वयोरपि वा हस्ते निक्षेपः।
उत्तरम्:
- रुदितेन – तृतीया विभक्तिः-अलम् योगे तृतीया भवति ।
- जनन्या – तृतीया विभक्तिः-विना योगे तृतीया विभक्तिः।
- शकुन्तलया – तृतीया विभक्तिः-सह योगे तृतीया विभक्तिः।
- सख्यौ – द्वितीया विभक्ति:-प्रतियोगे द्वितीया विभक्तिः।
प्रश्न 6.
अधोलिखितानां पदानां प्रयोगं कृत्वा वाक्यनिर्माणं कुरुत – (निम्नलिखित पदों का प्रयोग करके वाक्य निर्माण कीजिए)
- भगिन्याः
- परकीयः
- तरवः
- अवलोकयति
- पन्थानः
उत्तरम्:
- भगिन्या – फरवरी मासे मम भगिन्याः पाणिग्रहणं भविष्यति
- परकीय – पुस्तकस्थाविद्या, परहस्तगतं धनं परकीयमेव भवति।
- तरव – तरवः प्राणवायु प्रदायकाः भवन्ति।
- अवलोकयति – ईश्वरः सर्वेषां कार्याणि अवलोकयति
- पन्थान – शुभास्तु पन्थानः
प्रश्न 7.
अधोलिखितानां छन्दसां लिखित्वा उदाहरणेषु चिनानि देयानि – (निम्नलिखित छंदों के लक्षण लिखकर : चिह्नों सहित उदाहरण दीजिए)
(अ) इन्द्रवज्रा
(ब) आर्या
(स) शार्दूलविक्रीडितम्
उत्तरम्:
(अ) इन्द्रवज्रा
लक्षण – स्यादिन्द्रवज्रा यदि तौ जगौगः (चार चरण वाले इस वृत्त के प्रत्येक चरण में तगण, तगण, जगण गुरु और गुरु के क्रम से 11 वर्ण होते हैं।)
उक्त उदाहरण के चारों चरणों में तगण, तगण, जगण गुरु और गुरु के क्रम से 11 वर्ण हैं।
उत्तरम्:
(ब) आर्या
लक्षण:
यस्याः पादे प्रथमे, द्वादशमात्रास्तथा तृतीये स्युः।
अष्टादश द्वितीये, चतुर्थके पंचदश साऽऽर्या।।
(जिसके पहले चरण में 12 तथा तीसरे चरण में भी 12 मात्राएँ हैं। दूसरे में 18 तथा चौथे में 15 मात्राएँ हों वह आर्या जाति (मात्रिक) छन्द होता है।
उदाहरण:
उपर्युक्त उदाहरण के लक्षण के अनुसार चारों चरणों में क्रमशः 12, 18, 12, 15 मात्राएँ हैं। अतः आर्या जाति (मात्रिक छन्द) है।
उत्तरम्:
(स) शार्दूलविक्रीडितम्
लक्षण:
सूर्याश्वैर्यदि मः सजौ सततगाः शार्दूल विक्रीडितम्
(चार चरण वाले इस वार्णिक छन्द (वृत्त) के प्रत्येक चरण में मगण, सगण, जगण, सगण, तगण, तगण और गुरु के क्रम से 19 वर्ण होते हैं तथा सूर्य (12) और अश्व (7) पर यति होती है।) यह अपभ्रंश के छन्द का संस्कृत भाषान्तर है। अत: मात्राओं की संख्या लक्षणानुसार नहीं है। मूल पाठ में पूरी बैठती है।
उपर्युक्त उदाहरण के प्रत्येक चरण में लक्षण के अनुसार-मगण, सगण, जगण, सगण, तगण, तगण और गुरु के क्रम से 19 वर्ण हैं। अत: शार्दूल विक्रीडितम् है। इसके प्रत्येक चरण में 12 और सात वर्ण पर यति होती है।
RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 5 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तराणि
प्रश्न 1.
शकुन्तलायाः धर्मपितुः नाम किमासीत? (शकुन्तला के धर्मपिता का नाम क्या था ?)
उत्तरम्:
शकुन्तलाया: धर्मपिता महर्षि कण्वः आसीत्। (शकुन्तला के धर्मपिता महर्षि कण्व थे।)
प्रश्न 2.
‘अभिज्ञान शाकुन्तलम्’ इति नाटके कति अङ्का सन्ति? (अभिज्ञान शाकुन्तल नाटक में कितने अंक हैं?)
उत्तरम्:
‘अभिज्ञान शाकुन्तलम्’ नाम नाटके सप्त अंकाः सन्ति। (अभिज्ञान शाकुन्तल में सात अंक हैं।)
प्रश्न 3.
‘यास्यति अद्य शकुन्तला’ इति कः कं कथयति? (आज शकुन्तला जायेगी ऐसा कौन किससे कहता है?)
उत्तरम्:
‘यास्यति अद्य शकुन्तला’ इति वाक्यं महर्षि कण्वः विचिन्तयति। (आज शकुन्तला जायेगी यह वाक्य महर्षि कण्व सोचते हैं।)
प्रश्न 4.
शकुन्तला सम्प्रेष्य कस्मात्मा विशुद्धः जातः? (शकुन्तला को भेजकर (विदा करके) किसकी अन्तरात्मा विशुद्ध (शान्त) हो गई?)
उत्तरम्:
शकुन्तलां सम्प्रेष्य महर्षेः कण्वस्थान्तरात्मा विशुद्धो जातः। (शकुन्तला को भेजकर (विदाकर) महर्षि कण्व की अन्तरात्मा विशुद्ध हो गई।)
प्रश्न 5.
शकुन्तलायाः सख्यौ के आस्ताम्? (शकुन्तला की सखियाँ कौन थीं ?)
उत्तरम्:
शकुन्तलायाः सख्यौ अनुसूया प्रियंवदा च आस्ताम्। (शकुन्तला की सहेली अनसूया और प्रियंवदा थीं।)
प्रश्न 6.
लताभिः किमिव अपसृतानि पाण्डुपत्राणि। (लताओं ने किसकी तरह पीले पत्ते त्यागे?)
उत्तरम्:
लताभिः आश्रुपातमिव अपसृतानि पाण्डुपत्राणि। (लताओं ने अश्रुपात की तरह पत्ते त्यागे।)
प्रश्न 7.
कण्वः स्नात्वा किं चिन्तयति? (कण्व स्नान करके क्या सोचता है?)।
उत्तरम्:
कण्वः स्नात्वा चिन्तयति यत् अद्य शकुन्तला यास्यति। (कण्व स्नान करके सोचते हैं कि आज शकुन्तला जायेगी।
प्रश्न 8.
शकुन्तलां कः उपदिशति? (शकुन्तला को कौन उपदेश देता है?)
उत्तरम्:
शकुन्तलां महर्षि कण्वः उपदिशति ? (शकुन्तला को महर्षि कण्व उपदेश देते हैं।)
प्रश्न 9.
‘यास्यत्यद्य शकुन्तला’ इति घोषणां श्रुत्वा सख्यौ शकुन्तला कि कथयतः? (‘यास्यत्यद्य शकुन्तला’ इस घोषणा को सुनकर सखियाँ शकुन्तला से क्या कहती हैं?)
उत्तरम्:
सख्यौ कथयतः-‘शकुन्तले! अवसितमण्डनासि साम्प्रतं परिधेहि क्षौम-युगलम्’। (सखियाँ कहती हैं-‘शकुन्तले! श्रृंगार ही किया है, अब रेशमी जोड़ा पहन लो।’)
प्रश्न 10.
गौतमी शकुन्तलाम् किमादिशति? (गौतमी शकुन्तला को क्या आदेश देती है?)
उत्तरम्:
जाते ! एष ते गुरुरुपस्थितः तत्समुदाचार प्रतिपद्यस्व। (बेटी ! यह तुम्हारे पिताजी आ गये हैं तो प्रणामादि सदाचार कीजिए।)
प्रश्न 11.
कण्वः कथम् आशिषं वितरति? (कण्व कैसे आशीर्वाद देते हैं?)
उत्तरम्:
वत्से! त्वं ययाते: शर्मिष्ठा इव बहुमता भव पुरुमिव च पुत्रमाप्नुहि। (बेटी! तुम ययाति की शर्मिष्ठा की तरह बहुत माननीया बनो तथा पुरु के समान पुत्र को प्राप्त करो।)
प्रश्न 12.
शकुन्तला पतिगृहं कैः संह गच्छति? (शकुन्तला पतिगृह किनके साथ जाती है?)
उत्तरम्:
शकुन्तला शारद्वतशाङ्गरवाभ्यां सह गच्छति। (शकुन्तला शारद्वत और शाङ्गरव के साथ पतिगृह को जाती है।
प्रश्न 13.
‘पातुं न प्रथमं व्यवस्यति’ इति कः कं कथयति। (पातुं न ………. यह कौन किसको कहता है।)
उत्तरम्:
‘पातुं न प्रथमं व्यवस्यति’ इति महर्षि कण्वः वनदेवतायः कथयति। (पातुं न ………. यह महर्षि कण्व वन देवताओं से कहते हैं।)
प्रश्न 14.
तपोवन तरवः शकुन्तलां केन माध्यमेन अनुज्ञापयन्ति? (तपोवन के वृक्ष शकुन्तला को किस माध्यम से अनुज्ञा प्रदान करते हैं?)
उत्तरम्:
परभृत विरुदेन प्रतिवचनी कृत्य अनुज्ञायते इव। (कोयल के स्वर से जवाब देकर मानो अनुज्ञा दी जाती है।)
प्रश्न 15.
गौतमी तपोवनतरुणाम् अनुमतिं कथम् अनुमोदते? (गौतमी तपोवन के वृक्षों का अनुमोदन कैसे करती है?)
उत्तरम्:
जाते ! ज्ञातिजनस्निग्धामिः अनुज्ञान गंमनासि तपोवन देवताभिः। तत् प्रणम भगवती।’ (बेटी! जातिबन्धुओं प्रेमियों ने तुम्हें वनदेवताओं ने जाने की अनुमति देदी है, अत: देवताओं को प्रणाम करो।)
प्रश्न 16.
शकुन्तलायाः चरणौ पुरतः कस्मात् न निपततः? (शकुन्तला के चरण आगे क्यों नहीं पड़ते?)
उत्तरम्:
आश्रम पदं त्यजन्त्य दुःखेन चरणौ पुरुतः न निपततः। (आश्रम स्थल को त्यागे हुए दु:ख के कारण चरण आगे नहीं पड़ते।)
प्रश्न 17.
शकुन्तलायाः गमनमवलोक्य मयूरा कीदृशी अभवत्? (शकुन्तला के गमन को देखकर मोरनी कैसी हो गई?)
उत्तरम्:
शकुन्तलायाः गमनमवलोक्य मयूरा परित्यक्त नर्तना अभवत्। (शकुन्तला के गमन को देखकर मयूरी ने नाचना त्याग दिया।)
प्रश्न 18.
‘अद्यप्रभृति दूरवर्तिनी भविष्यमि’ इति वाक्यं कः कं कथयति? (अद्यप्रभृति ……….’ यह वाक्य कौन किसको कहता है?)
उत्तरम्:
शकुन्तला ‘वनज्योत्स्ना’ इति वन लतां कथयति। (शकुन्तला यह वाक्य ‘वनज्योत्स्ना’ वन लता से कहती है।)
प्रश्न 19.
‘अहमिव इयं त्वमयचिन्तनीया’ इति कः कस्मै कस्य विषये निवेदयति? (अहमिव इयं ………. यह कौन, किससे किसके विषय में निवेदन करता है?)
उत्तरम्:
अहमिव इयं …….. इति शकुन्तला वनज्योत्स्नायाः विषये महर्षि कण्व निवेदयति। (अहमिव इयं ……… यह शकुन्तला वनज्योत्स्ना के विषय में महर्षि कण्व से निवेदन करती है।)
प्रश्न 20.
शकुन्तलाः वन ज्योत्स्नायाः कयोः हस्तयोः निक्षेपः कृतः? (शकुन्तला ने वनज्योत्स्ना का निक्षेप किसको किया?)
उत्तरम्:
शकुन्तला वन ज्योत्स्नाया निक्षेपः उभयोः सख्योः हस्तयो कृतः। (शकुन्तला ने वन ज्योत्स्ना का निक्षेप दोनों सखियों के हाथों में किया ।)
प्रश्न 21.
‘अयं जनः कस्य हस्ते समर्पितः?’ इति कस्य प्रश्ना? (यह व्यक्ति किसके हाथ में समर्पित किया है? यह किसका प्रश्न है?) ।
उत्तरम्:
सख्योः अनसूया प्रियंवदयोः अयं प्रश्ना। (सखियों अनसूया और प्रियंवदा का यह प्रश्न है।)
प्रश्न 22.
उटज पर्यन्तं का विचरति? (कुटिया तक कौन विचरण करती है?)
उत्तरम्:
उटज पर्यन्तम् गर्भभार मन्थरामृगवधू: विचरति। (झोंपड़ीपर्यन्त गर्भ भार से मन्थर गति से चलने वाली हरिणी विचरण करती है।)
प्रश्न 23.
शकुन्तला कः निवसने सज्जते? (शकुन्तला के वस्त्रों को कौन खींच रहा है?)
उत्तरम्:
शकुन्तला निवसने मृग शावकः सज्जते। (शकुन्तला के वस्त्र को मृगशावक खींच रहा है।)
प्रश्न 24.
शकुन्तला परावृत्य किमवलोकयति? (शकुन्तला मुड़कर क्या देखती है?)।
उत्तरम्:
शकुन्तला परावृत्य मृगशावकं पश्यति। (शकुन्तला मुड़कर मृगशावक को देखती है।)
प्रश्न 25.
कस्मात् तयो वन शून्यमिस? (तपोवन किसलिए सूना था ?)
उत्तरम्:
शकुन्तला: विरहितं वन शून्यम् आसीत्। (शकुन्तला रहित वन सूना था।)
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