Rajasthan Board RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् वर्ण परिचयः
पाठ्यपुस्तकस्य अभ्यास प्रोत्तराणि
अभ्यास: 1
1. अधोलिखितेषु रिक्तस्थानेषु कोष्ठकांकित: निर्देशानुसार पूर्ति कुरुत
(निम्नलिखित रिक्त स्थानों को कोष्ठक में अंकित निर्देशानुसार पूर्ति करिए)
(i) ………….. तत्र गमिष्यामि। (अस्मद् शब्द, प्रथमा-विभक्ति-एकवचनम्)
(ii) मोहनः ………….. खंजः। (पाद-शब्द-तृतीया-विभक्ति-एकवचनम्)
(iii) ………….. पितुः नाम मोहनः अस्ति। (अस्मदः-षष्ठी-विभक्ति-एकवचनम्)
(iv) ………….. रोयते भक्तिः। (हरि-शब्द-चतुर्थी-विभक्ति-एकवचनम्)
(v) ………….. आत्मा अस्ति। (सर्व-शब्द-सप्तमी-विभक्ति-एकवचनम्)
(vi) ………….. विश्वस्य मातरः (गो-शब्द-प्रथमा-विभक्ति-एकवचनम्)
(vii) रामस्य ………….. किं नाम असीत्? (पितृ-शब्द-प्रथमा-विभक्ति-एकवचनम्)
(viii) ………….. मानवः श्रेष्ठतमः। (प्राणिन-शब्द-सप्तमी-एकवचनम्)
(ix) ………….. विना नाहं जीवामि। (युष्मद्-शब्द-तृतीया-विभक्ति-एकवचनम्)
(x) ………….. कारणात् सः अनुत्तीर्ण। (तत्-शब्द-पुल्लिंग-पंचमी-विभक्ति-एकवचनम्)
उत्तर:
(i) अहं
(ii) पादेन
(iii) मम
(iv) हरये
(v) सर्व स्मिन्
(vi) शावः
(vii) पितुः
(viii) प्राणिषु
(ix) त्वया
(x) तस्मात्।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तराणि
अभ्यास: 2
प्रश्नः
अधोलिखितानां शब्दरूपाणां वाक्येषु प्रयोगं कुरुत (निम्नलिखित शब्दरूपों का वाक्यों में प्रयोग करो-)
पूर्वस्यां, द्वितीयम्, सखा, रमायै, पूर्वेः, हरिः, पितृभ्यः, सखिषु, स्वसुः, राज्ञाम्, भवान्, भवती, विद्वांसः, अमू:, दिशु, सरितः, कर्मणा, नवे, वाक्, पञ्च।
उत्तर:
- सूर्य: पूर्वस्यां दिशायाम् उदेति।
- कक्षायां मम द्वितीय स्थानमस्ति।
- रमेशः मम सखा अस्ति।
- फलानि रमायै सन्ति।
- मोहनः पूर्वेः कर्णपुरनगरे निवसति स्म।
- हरिः विद्यालयं गच्छति।
- राकेशः पितृभ्यः जलं समर्पयति।
- सखिषु रमा सुन्दरतमा अस्ति।
- रामः श्वः स्वसुः गृहं गमिष्यति।
- राज्ञाम् आचारः शोभनः भवति।
- भवान् कुत्र निवसति?
- भवती किं पठति?
- स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वांसः सर्वत्र पूज्यन्ते।
- अमूः कुत्र वसन्ति?
- दिशु कृष्णाः घटाः सन्ति।
- सरितः जलं शीतलं भवति।
- कर्मणी विना जीवनं न अस्ति।
- तत्र विद्यालये नव छात्राः सन्ति।
- जनस्य वाक् मधुरं भवेत्।
- पञ्च पाण्डवाः विज्ञाः आसन्।
अभ्यास: 3
प्रश्नः
अधोलिखितानां शब्दरूपाणां वाक्येषु प्रयोगं कुरुत- (निम्नलिखित शब्द-रूपों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए-)
पूर्वस्याम्, सर्वेषाम्, षष्ठी, प्रथमः, हरिः, हरये, पितुः, हे हरे , रमायाः, स्वसा, गावः, गो:, राजभिः, भवतीभ्याम्, भवान्, विद्वत्सु, विदुषी, सरित्सु, दिशः, कर्माणि।
उत्तर:
- पूर्वस्यां दिशायां प्रातः सूर्यः उदेति।
- सर्वेषां कल्याणं भवतु।
- एतस्मिन् शब्दे षष्ठी विभक्ति अस्ति।
- राकेशः सम्भाषणक्षेत्रे प्रथमः आसीत्।
- हरिः जगतः आधारोऽस्ति।
- लता हरये फलानि यच्छति।
- तस्य पितुः नाम रमेशः अस्ति।
- हे हरे अस्माकं कल्याणं कुरु।
- सरोजः रमायाः अध्यापिका अस्ति।
- मनोजस्य स्वसा गीता अस्ति।
- क्षेत्रे गावः तृणं चरन्ति।
- गोः दुग्धं मधुरं भवति।
- राजभिः प्रजानां कल्याणं क्रियते।
- भवतीभ्यां जननी कुत्र निवसति?
- भवान् अस्माकं भगिनीपतिः अस्ति।
- कालिदासः विद्वत्सु श्रेष्ठः आसीत्।
- गार्गी विदुषी महिला आसीत्।
- सरित्सु गङ्गा पवित्रा अस्ति।
- दश दिशः भवन्ति।
- श्रीकृष्णः अकथयत्-कर्माणि कुरु अर्जुन
अभ्यास:4
प्रश्नः
कोष्ठके प्रदत्तशब्दरूपेण उचितविभक्तिवचनानुसारेण रिक्तस्थानानि पूरयत(कोष्ठक में दिये गये शब्द-रूप से उचित विभक्ति तथा वचन के अनुसार रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-)
1. अहं जनकस्य चक्षुषा ………………….. भूतानि समीक्षे। (सर्व)
2. ….. अपि उद्यानस्य शोभाम् आलोकयतु। (भवत् पु.)
3. मम उपरि ………………….. कृपा अस्ति। (हरि)
4. कृष्णः ………………….. दुग्धं दोग्धिः। (गो)
5. ………………….. आज्ञा अनुपालनीया। (राजन्)
6. ………………….. ऋते का तत्र गमिष्यति? (रमा)
7. बैकुण्ठम् अनुवसति ………………….. (हरि)
8. इमानि फलानि ………………….. जनेभ्यः सन्ति। (सर्व)
9. ………………….. सूर्योदयः भवति। (पूर्व)
10. अस्य उत्सवस्य ………………….. सज्जा दर्शनीया। (सर्व)
11. पुत्रः ………………….. उपगच्छति। (पितृ)
12. प्रतिदिनं ………………….. गोग्रास देयम्। (गो)
13. ………………….. जनाः आपणं गमिष्यन्ति। (सर्व)
14. श्वः ………………….. तिथि आगमिष्यति। (द्वितीय)
15. सुदामाकृष्णौ ………………….. आस्ताम्। (सखि )
16. इमानि पुस्तकानि ………………….. सन्ति। (रमा)
17. ………………….. सर्वोत्तमं धनं भ्राता भवति। (स्वसृ)
18. सर्वे ………………….. सम्पत्तिशालिनः भवन्ति। (राज)
19. ………………….. विद्यालयस्य नाम किम् अस्ति? (भवत्)
20. लालबहादुरशास्त्रिः ………………….. पुरुषः आसीत्। (विद्वस्)
उत्तर:
1. सर्वाणि 2. भवान् 3. हरेः 4. गां 5. राज्ञः 6. रमायाः। 7. हरिः 8. सर्वेभ्यः 9. पूर्वस्मिन् 10. सर्वा 11. पितरम् 12. गवे 13. सर्वे 14. द्वितीया 15. सखायौ 16. रमायै 17. स्वसुः 18. राजानः 19. भवतः 20. विद्वान्।
अभ्यास: 5
प्रश्न:
कोष्ठके प्रदत्तशब्दरूपेण उचितविभक्तिवचनानुसारेण रिक्तस्थानानि पूरयत(कोष्ठक में दिये गये शब्द-रूप से उचित विभक्ति तथा वचन के अनुसार रिक्तस्थानों की पूर्ति कीजिए)
1. ………………….. प्रतिदिनं विद्यालयं गच्छति। (अदस्)
2. ………………….. गङ्गा एका पवित्रा नदी अस्ति। (सरित्)
3. …. ध्वनिः अद्यापि विद्यमानः अस्ति। (दिक)
4. श्रेष्ठस्य ………………….. फलं मधुरं भवति। (कर्मन्)।
5. अद्यांत् ………………….. दिनाङ्के मम परीक्षा भविष्यति। (नवम्)
6. सूर्यास्त: पश्चिमायां ………………….. भवति। (दिक्)
7. ………………….. एव जनस्य परिचयं भवति। (वाच्)
8. ग्रामात् दूरम् उद्याने ………………….. मृगाः वसन्ति। (पञ्चन्)
9. जलयानेन ………………….. विदेशं गच्छति। (हरि)
10. ………………….. किं पुस्तकं पठिष्यति। (भवत्, स्त्री)
11. मोहनः ………………….. जलं समर्पयति। (पितृ)
12. ………………….. जले मकराः निवसन्ति। (सरित्)
13. रामः दशरथस्य ………………….. पुत्रः आसीत्। (प्रथम)
14. अस्मिन् विद्यालये मम ………………….. स्थानमस्ति। (द्वितीय)
15. कृष्णस्य ………………….. वसुदेवः आसीत्। (पितृ)
16. ………………….. मतभेदः अभवत्। (सखि )
17. ………………….. सर्वे: गुणाः सन्ति। (रमा)
18. आत्मविश्वासः एव सफलतायाः ………………….. मन्त्रम् अस्ति। (प्रथम)
19. सत्। ………………….. जीवनं सुखकरं भवति। (कर्म)
20. सरस्वती मधुरं ………………….. प्रदास्यति। (वाच्)
उत्तर:
1. असौ. 2. सरित्सु 3. दिशु 4. कर्मणः 5. नवमे 6. दिशु 7. वाक् 8. पञ्च 9. हरिः 10. भवती 11. पितृभ्यः 12. सरितः 13. प्रथमः 14. द्वितीयं 15. पिता 16. सख्योः 17. रमायां 18. प्रथमं 19. कर्मणा 20. वाचं।
छात्रों को पाठ्यक्रम में निर्धारित शब्द-रूपों के वाक्य-प्रयोग का ज्ञाने अपेक्षित है।
पाठ्यक्रम में निर्धारित अजन्त (स्वरान्त) तथा हलन्त (व्यंज़नान्त) शब्द-रूपों को परिभाषित किया जा रहा है।
अजन्त (स्वरान्त) शब्द-‘अजन्त’ शब्द ‘अच् + अन्त’ इन दो शब्दों से मिलकर बना है। संस्कृत भाषा में स्वर को ‘अच्’ के नाम से जाना जाता है। अर्थात् जिसके अन्त में. अच् (स्वर) हैं उन्हें अजन्त शब्द कहते हैं। जैसे- रमा, नदी, राम आदि। इन शब्दों के अन्त में क्रमशः आ, ई, अ स्वर हैं, अतः ये अजन्त शब्द हैं। अजन्त शब्द तीन प्रकार के होते हैं-(क) स्त्रीलिंग(ख) पुल्लिंग (ग) नपुंसकलिंग। पाठ्यक्रम में सर्व, पूर्व, प्रथम, द्वितीय, अरि, सखि, पितृ, रमा, स्वसृ तथा गो शब्द-रूप निर्धारित हैं।
हलन्त (व्यंजनान्त) शब्द-हलन्त् शब्द ‘हल् + अन्त’ इन दो शब्दों से मिलकर बना है। संस्कृत भाषा में ‘हल्’ को व्यंजन के नाम से जाना जाता है। अतः वे शब्द हलन्त कहलाते हैं जिनके अन्त में व्यंजन होते हैं; जैसे- राजन्, भवत्, दिर् आदि। इन शब्दों के अन्त में क्रमशः न्, त्, श् व्यंजन हैं, अतः ये हलन्त शब्द हैं। हलन्त शब्द भी तीन प्रकार के होते हैं(क) स्त्रीलिंग (ख) पुल्लिंग (ग) नपुंसकलिंग। पाठ्यक्रम में राजन्, भवत्, तादृश, विद्वस्, अदस्, दिश्, सरित्, कर्मन्, , चेतस्, नवन्, वाच् (वाक्), पञ्चन् शब्द-रूप निर्धारित हैं।
(i) अजन्त-शब्दरूपाणि
(1) ‘सर्व’ शब्द (पुल्लिंग)
[नोट-सर्वनाम शब्दों का सम्बोधन नहीं होता।]
‘सर्व’ शब्द (स्त्रीलिंग)
‘सर्व’ शब्द (नुपंसकलिंग)
[नोट-शेष तृतीया विभक्ति से सप्तमी विभक्ति तक के रूप पुल्लिंग के समान चलेंगे।]
(2) पूर्व (पूर्व दिशा अथवा पहला) पुल्लिंग
पूर्व (पूर्व दिशा अथवा पहला) नपुसंकलिंग
(3) संख्यावाची एक (एक) शब्द [तीनों लिंगों में एकवचनान्त]
[नोट-‘एक’ शब्द के रूप तीनों लिंगों में केवल एकवचन में ही चलते हैं। संख्यावाचक शब्दों के सम्बोधन-विभक्ति में रूप नहीं चलते हैं।]
(4) संख्यावाची द्वि (दो) शब्द [तीनों लिंगों में द्विवचनान्त]
[नोट – द्वि (दो) शब्द के रूप तीनों लिंगों में केवल द्विवचन में ही चलते हैं।]
(ii) क्रमसंख्या -बोधक विशेषण शब्द-रूपः
[नोट-क्रम संख्या-बोधक विशेषणों के रूप तीनों लिंगों में अलग-अलग होते हैं। पाठ्यक्रम में केवल प्रथम तथा। द्वितीय शब्दों के रूप ही निर्धारित हैं। यहाँ छात्रों के ज्ञानवर्द्धन हेतु दशम शब्द तक के रूपों को दिया गया है]
(5) इकरान्त पुल्लिंग ‘हरि’ शब्द
(6) इकरान्त पुल्लिंग ‘सखि’ (मित्र) शब्द
(7) ऋकारान्त पुल्लिंग ‘पितृ’ (पिता) शब्द
[नोट-इसी प्रकार ह्रस्व ‘ऋ’ से अन्त होने वाले अन्य पुल्लिग शब्दों-भ्रातृ (भाई) और जामातृ (जमाई, दामाद) आदि के रूप चलेंगे।]
(8) आकारान्त स्त्रीलिंग ‘रमा’ शब्द
[नोट-इसी प्रकार ‘आ’ से अन्त होने वाले अन्य स्त्रीलिंग शब्दों-बाला (लड़की), लता, कन्या (लड़की), रक्षा, कथा (कहानी), क्रीडा (खेल), पाठशाला (विद्यालय), शीला, लीला, सीता, गीता, विमला, प्रमिला, प्रभा, विभा, सुधी (अमृत), चेष्टा (यत्न), विद्या, कक्षा, व्यथा (कष्ट) और बालिका (लड़की) आदि के रूप चलते हैं।
विशेष – जिन शब्दों में र, ऋ अथवा ५ वर्ण होता है, उनमें षष्ठी बहुवचन में ‘न्’ के स्थान पर ‘ए’ हो जाता है। जैसे- रमा शब्द में ‘र’ है। अतः षष्ठी बहुवचन में ‘रमाणाम्’ रूप बनेगा।
(9) ऋकारान्त स्त्रीलिंग ‘स्वसृ’ (बहिन) शब्द
(10) औकारान्त पुल्लिंग ‘गौ’ (गाय अथवा बैल) शब्द
(iii) हलन्त् शब्दरूपाणि
(1) नकारान्त पुल्लिंग ‘राजन्’ (राजा) शब्द
[नोट-सभी नकारान्त शब्द रूप (पुल्लिंग) राजन् के समान ही चलते हैं।
(2) ‘भवत्’ (आप-प्रथम पुरुष) पुल्लिंग
[नोट – यह संज्ञा शब्द नहीं है । सर्वनाम शब्दों में सम्बोधन नहीं होता।
भवत् (आप) नपुंसकलिंग
[नोट – शेष सभी विभक्तियों के रूप पुल्लिंग के समान ही चलेंगे।]
भवत् (आप) स्त्रीलिंग
(3) तादृश (वैसा) पुल्लिग
(4) विद्वस् (विद्वान्) शब्द पुल्लिग
(5) पुल्लिङ्ग ‘अदस्’ (वह)
[नोट-सर्वनाम शब्दों में सम्बोधन नहीं होता है।]
स्त्रीलिङ्ग ‘अदस्’ (वह)
नपुंसकलिङ्ग ‘अदस्’ (वह)
(6) ‘दिक्’ (दिशा) स्त्रीलिङ्ग
(7) नकारान्त नपुंसकलिंग ‘कर्मन्’ (कर्म) शब्द
[नोट-इसी प्रकार पर्वन्, शर्मन्, वर्मन् आदि नकारान्त नपुंसकलिंग शब्दों के रूप चलेंगे।]
(8) हलन्त चकारान्त स्त्रीलिंग ‘वाच्’ (वाणी) शब्द
[नोट-सृच् (भाला), त्वक् (त्वचा) के रूप भी इसी प्रकार चलते हैं।]
(9) संख्यावाची विशेषण ‘पञ्चन्’ (पाँच) शब्द
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