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Rajasthan Board RBSE Class 12 Accountancy Chapter 3 साझेदार का अवकाश ग्रहण (निवृत्ति) व मृत्यु पर लेखे
RBSE Class 12 Accountancy Chapter 3 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
RBSE Class 12 Accountancy Chapter 3 बहुचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
A, B व C 2:2:1 के लाभ बांटते हुए साझेदार हैं। B के अवकाश ग्रहण करने पर ख्याति का मूल्यांकन Rs 30,000 पर किया जाता है, तो B की क्षतिपूर्ति के लिए A व C अंशदान करेंगे-
(अ) Rs 20,000 व Rs 10,000
(ब) Rs 8,000 वे Rs 4,000
(स) कोई अंशदान नहीं करेंगे।
(द) Rs 15,000 व Rs 15,000.
प्रश्न 2.
X, Y एवं Z 5 : 3 : 2 में लाभ बांटते हुए साझेदार हैं। ख्याति पुस्तकों में नहीं दिखायी गयी हैं लेकिन उसका मूल्य Rs 1,00,000 है। X फर्म से अवकाश ग्रहण करता है एवं Y व Z भविष्य में लाभों को बराबर-बराबर बांटते हैं। X को ख्याति में हिस्सा Y व Z के खातों में किस अनुपात में डेबिट होगा
(अ) 1/2 : 1/2
(ब) 2 : 3
(स) 3 : 2
(द) इनमें से कोई नहीं ।
प्रश्न 3.
A, B के C 1/2 : 3/10 : 1/5 के अनुपात में लाभ बांटते हुए साझेदार हैं। B फर्म से अवकाश ग्रहण करता है। A व C भविष्य में 3 : 2 में लाभ बांटने निश्चय करते हैं। फायदे का अनुपात ज्ञात करो।
(अ) 1 : 2
(ब) 3 : 2
(स) 3 : 2
(द) इनमें से कोई नहीं ।
प्रश्न 4.
साझेदार के अवकाश ग्रहण करते समय फर्म बीमा कम्पनी से संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी के विरुद्ध….. प्राप्त करती है।
(अ) अवकाश ग्रहण करने वाले साझेदार की पॉलिसी की राशि व शेष साझेदारों की पॉलिसी का समर्पण मूल्य
(ब) समर्पण मूल्य
(स) पॉलिसी की राशि
(द) इनमें से कोई नहीं ।
प्रश्न 5.
B, C & D 7:5:4 के अनुपात में लाभ बांटते हुए साझेदार हैं। D की 30.6.17 को मृत्यु हो जाती है। वर्ष 2016-17 के लाभ Rs 12,000 हैं। तो D के खाते में लाभों की कितनी राशि क्रेडिट की जायेगी ?
(अ) Rs 3,000
(ब) Rs 750
(स) शून्य
(द) Rs 1,000.
प्रश्न 6.
चिट्टे में दिखाया गया संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी खाता कौन-सी राशि को प्रकट करता है
(अ) पॉलिसी का समर्पण मूल्य
(ब) संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी का वार्षिक प्रीमियम
(स) फर्म द्वारा देय कुल प्रीमियम
(द) पॉलिसी के परिपक्व होने पर प्राप्य राशि
प्रश्न 7.
साझेदार की मृत्यु के बाद उसको देय रकम प्राप्त की जाती है
(अ) सरकार द्वारा
(ब) उसके पुत्र द्वारा
(स) मृतक साझेदार के उत्तराधिकारियों द्वारा
(द) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 8.
साझेदारों की संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी पर देय प्रीमियम का किस तरह व्यवहार किया जाता है। इसे
(अ) साझेदारों के चालू खाते में क्रेडिट किया जाता है
(ब) लाभ-हानि खाते में क्रेडिट किया जाता है।
(स) साझेदारों के पूँजी खाते में डेबिट किया जाता है
(द) लाभ-हानि खाते में डेबिट किया जाता है।
प्रश्न 9.
A, B व C 5:3:2 के अनुपात में लाभ-हानि बांटते हुए साझेदार हैं। फर्म के चिट्टे में 31.3.2017 को संचय का शेष Rs 25,000 बताया गया है। पिछले वर्ष के लाभ Rs 50,000 हैं। संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी Rs 1,00,000, स्थायी सम्पत्तियाँ Rs 1,20,000 की हैं। 1.6.17 को C की मृत्यु हो जाती है। तो C के उत्तराधिकारियों को पूँजी के साथ मिलेगा
(अ) संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी में हिस्सा
(ब) संचयों में हिस्सा
(स) मृत्यु की तिथि तक लाभों में आनुपातिक हिस्सा
(द) उपर्युक्त सभी ।।
प्रश्न 10.
संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी की फर्म द्वारा प्राप्त राशि वितरित की जाती है
(अ) प्रारम्भिक पूँजी के अनुपात में
(ब) अन्तिम पूँजी के अनुपात में
(स) पुराने लाभ-विभाजन के अनुपात में
(द) नये अनुपात में ।
उत्तर-
1. (ब),
2. (ब),
3. (अ),
4. (ब),
5. (ब),
6. (अ),
7. (स),
8. (द),
9. (द),
10. (स)।
RBSE Class 12 Accountancy Chapter 3 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
साझेदार के अवकाश ग्रहण से क्या आशय है ?
उत्तर-
जब कोई साझेदार स्वेच्छा से, वृद्धावस्था, अस्वस्थता, पारस्परिक मतभेद, आपसी सहमति या अन्य किसी भी कारण से फर्म से अलग हो जाता है तो उसे साझेदार का अवकाश ग्रहण करना कहते हैं।
प्रश्न 2.
अवकाश ग्रहण करने के कोई दो तरीके बताइये।
उत्तर-
निम्न प्रकार कोई साझेदार अवकाश ग्रहण कर सकता है
- समस्त साझेदारों की सहमति से ।।
- साझेदारों के मध्य हुये स्पष्ट ठहराव के अनुसार।
प्रश्न 3.
संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी क्या है ?
उत्तर-
फर्म द्वारा सभी साझेदारों के जीवन पर संयुक्त रूप से ली गई जीवन बीमा पॉलिसी ही संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी कहलाती है। किसी भी साझेदार की मृत्यु होने की दशा में उसके भुगतान हेतु बीमा कम्पनी से राशि प्राप्त की जा सकती है।
प्रश्न 4.
समर्पण मूल्य क्या है ?
उत्तर-
समर्पण मूल्य से आशय उस मूल्य से है जिसे फर्म बीमा कम्पनी से बीमा पॉलिसी की अवधि समाप्त होने से पहले समर्पित करके पर प्राप्त कर सकती है।
प्रश्न 5.
A, B C एक फर्म में लाभों को \(\frac { 1 }{ 2 } :\frac { 3 }{ 10 } :\frac { 2 }{ 10 } \) के अनुपात में लाभ विभाजन करते हुए साझेदार हैं। नया लाभ विभाजन अनुपात व फायदे का अनुपात ज्ञात करो जबकि-
(a) A अवकाश ग्रहण करता है।
(b) B अवकाश ग्रहण करता है।
(c) C अवकाश ग्रहण करता है।
A, B and C are partners in a firm sharing profits in the ratio of 1/2 : 3/10 : 2/10. Calculate New .profit sharing ratio & Gaining ratio when-
(i) A retires,
(ii) B retires,
(ii) C retires.
हल-
चूँकि जब नया लाभ विभाजन अनुपात नहीं दिया गया होता है तो यह माना जाता है शेष साझेदार अपने पुराने लाभ-हानि अनुपात में विभाजन करते हैं। इसी अनुसार
(1) अ अवकाश ग्रहण करता है तो नया अनुपात B : C = 3: 2
(2) ब अवकाश ग्रहण करता है तो नया लाभ विभाजन अनुपात
प्रश्न 6.
A, B व C साझेदार हैं जो लाभों को 2 : 1 : 2 के अनुपात में बाँटते हैं। A अवकाश ग्रहण करता है। A का पूरा हिस्सा B प्राप्त करता है। नया लाभ विभाजन अनुपात ज्ञात करें।
A, B & C are partners in a firm sharing profits in the ratio of 2:1:2. A retires and his share is entirely taken by B. Calculate New profit sharing ratio.
हल :
A का पूरा हिस्सा B प्राप्त करता है। अर्थात् 2/5 हिस्सा B को और मिल जायेगा।
B का नया लाभ का हिस्सा = \(\frac { 1 }{ 5 } +\frac { 2 }{ 5 } =\frac { 1+2 }{ 5 } =\frac { 3 }{ 5 } \)
C का हिस्सा 2/5 जो पुराना था।
अतः दोनों का नया लाभ-हानि अनुपात \(\frac { 3 }{ 5 } :\frac { 2 }{ 5 } \) = 3:2
प्रश्न 7.
A, B व C लाभों को \(\frac { 1 }{ 4 } :\frac { 2 }{ 5 } :\frac { 7 }{ 20 } \) के अनुपात में बाँटते हैं। B अवकाश ग्रहण करता है तथा B का हिस्सा A व C 1:2 के अनुपात में क्रय करते हैं। नया लाभ विभाजन अनुपात व फायदे का अनुपात ज्ञात करो।
A, B and C are partners in a firm sharing profits in the ratio of \(\frac { 1 }{ 4 } :\frac { 2 }{ 5 } :\frac { 7 }{ 20 } \) .B retires and his share is taken by A & C in the ratio of 1 : 2. Calculate New profit sharing ratio & Gaining ratio.
हल :
B का हिस्सा = 2/5
प्रश्न 8.
A, B के C साझेदार 4:3:1 के अनुपात में लाभ विभाजन करते हैं। B अवकाश ग्रहण करता है और अपने लाभ के भाग को Rs 8,100 में बेच देता है। A द्वारा इसके लिए Rs 3,600 व C द्वारा Rs 4,500 दिये जाते हैं। नया लाभ विभाजन अनुपात में फायदे का अनुपात ज्ञात करें।
A, B & C are partners in a firm sharing profits in the ratio of 4:3:1. B retires selling his share of profit to A & C for Rs 8,100, Rs 3,600 being paid by A Rs 4,500 by C. Calculate New profit sharing ratio & Gaining ratio.
हल :
B के भाग को A और C लेते हैं ।
3,600:4500 x 4:5
B के लाभ को A और C 4:5 में बाँटते हैं।
प्रश्न 9.
A, B C 4:3:2 के अनुपात में लाश विभाजन करते हैं। A अवकाश ग्रहण करता है। B व C का नया लाभ विभाजन अनुपात 2:1 है। फायदे का अनुपात मत करो।
A, B and C are partner’s in a firm sharing profits in the ratio of 4:3:2. A retires and new profit sharing ratio of B & C will be 2:1. Calculate Gaining ratio.
हूल :
फायदे का अनुपात = नया अनुपात – पुराना अनुपात
प्रश्न 10.
A, B व C 3:4:1 के अनुपात में लाभ विभाजन करते हुए साझेदार हैं। A अवकाश ग्रहण करता है तथा क्ह अपने हिस्से का 2/3 भाग B को व शेष भाग C को समर्पित करता है। तो क्या लाभ विभाजन अनुपात व फायदे का अनुपात ज्ञात करो।
A, B & C are partners in a firm sharing profits in the ratio of 3:4:1. A retires he surrender 23rd of his share in favor of B and remaining in favor of C. Calculate New profit sharing ratio & Gaining ratio.
हल :
B को A के हिस्से का 2/3 भाग मिलता है।
RBSE Class 12 Accountancy Chapter 3 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जब साझेदार के अवकाश ग्रहण करने पर अन्तिम भुगतान का निस्तारण न हो तो भारतीय साझेदारी अधिनियम 1932 की धारा 37 के अनुसार उसका अधिकार बताइए ?
उत्तर-
यदि साझेदार के अवकाश ग्रहण करने पर अन्तिम भुगतान का निस्तारण न हो तो भारतीय साझेदारी अधिनियम, 1932 की धारा 37 के अनुसार निवृत्त होने वाले साझेदार को दो विकल्प प्राप्त होते हैं
- वह अन्तिम भुगतान प्राप्त करने तक की अवधि का, बकाया रकम पर 6% वार्षिक ब्याज प्राप्त करे।
- उस अवधि में अर्जित लाभ में निवृत्ति की तिथि से पूँजी अनुपात में हिस्सा प्राप्त करें।
दोनों में से जो अधिक लाभदायक हो उस विकल्प को चुन सकता है।
प्रश्न 2.
लाभ प्राप्ति अनुपात से आप क्या समझते हैं ? इसकी गणना कैसे करते हैं ?
उत्तर-
वह अनुपाते जिसमें शेष साझेदार अवकाश ग्रहण करने वाले या मृत साझेदार के भाग को प्राप्त करते हैं उसे लाभ प्राप्ति अनुपात या फायदे का अनुपात कहते हैं।
फायदे का अनुपात यो लाभ प्राप्ति के अनुपात की गणना निम्न सूत्र द्वारा की जाती है
लाभ प्राप्ति अनुपात = नया लाभ विभाजन अनुपात – पुराना लाभ विभाजन अनुपात
प्रश्न 3.
साझेदारों के त्याग अनुपात और लाभ प्राप्ति अनुपात में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
त्यांग अनुपात व फायदे के अनुपात में अन्तर
अन्तर का आधार | त्याग का अनुपात | फायदे का अनुपात |
1. अर्थ | इसमें पुराने साझेदार लाभ का हिस्सा नये साझेदार के पक्ष में त्याग करते हैं। | इसमें शेष साझेदार अवकाश/मृत्यु वाले साझेदार के लाभ को प्राप्त करते हैं। |
2. गणना का समय | नये साझेदार के प्रवेश पर | किसी साझेदार के अवकाश ग्रहण या मृत्यु पर। |
3. गणना का सूत्र | पुराना लाभ – नया लाभ अनुपात । | नया लाभ – पुराना लाभ अनुपात । |
4. गणना का उद्देश्य | नये साझेदार के हिस्से की ख्याति की राशि को त्याग के अनुपात में पुराने साझेदारों में बाँटा जाता है। | अवकाश/मृत्यु साझेदार की ख्याति के हिस्से को शेष साझेदार फायदे के अनुपात में बाँटते हैं। |
5. प्रभाव | यह पुराने साझेदारों के लाभ में कमी का प्रतीक है। | यह शेष साझेदारों के लाभ में वृद्धि का प्रतीक है। |
प्रश्न 4.
A, B व C एक फर्म में साझेदार हैं जो 2 : 3 : 4 के अनुपात में लाभ विभाजन करते हैं। C अवकाश ग्रहण कर लेता है। फर्म की ख्याति का मूल्यांकन Rs 45,000 पर किया गया । लेखा पुस्तकों में ख्याति खाता Rs 27,000 पर दिखाया गया है। ख्याति के लिए आवश्यक प्रविष्टियाँ कीजिए ।
A, B & C are partners in a firm sharing profits in the ratio of 2 : 3 : 4. C retires and the goodwill of the firm is valued at Rs 45,000. Goodwill appeared in the books at Rs 27,000. Pass necessary journal entries for treatment of goodwill.
हल :
फायदे का अनुपात (Gain Ratio) = नया अनुपात – पुराना अनुपात
A’s Capital A/C Dr. 4,800
B’s Capital A/C Dr. 7,200
To C’s Capital A/C 12,000
(Being retiring partner’s share of goodwill adjusted to remaining partner’s in their gaining ratio).
A’s Capital A/C Dr. 6,000
B’s Capital A/c Dr. 9,000
C’s Capital A/c Dr. 12,000
To Goodwill A/c 27,000
(Being existing goodwill written off.)
प्रश्न 5.
A, B व C एक फर्म में साझेदार हैं जो 5 : 3 : 2 के अनुपात में लाभ विभाजन करते हैं। B अवकाश ग्रहण करता है। फर्म की ख्याति का मूल्यांकन Rs 21,000 पर किया गया। ख्याति के लिए आवश्यक प्रविष्टियाँ कीजिए।
A, B & C are partners in a firm sharing profits in the ratio of 5 : 3 : 2. B retires and the goodwill of the firm is valued at Rs 21,000. Pass necessary journal entries for treatment of goodwill.
हल :
प्राप्ति अनुपात Gain Ratio = नया अनुपात – पुराना अनुपात
A’s Capital A/c DR. 4,500
C’s Capital A/C DR. 1,800
To B’s Capital A/c 6,300
(Being retiring partner’s share of goodwill adjusted to remaining partner’s in their gaining ratio.)
प्रश्न 6.
A, B व C एक फर्म में साझेदार हैं जो 1 : 2 : 3 के अनुपात में लाभ विभाजन करते हैं । B अवकाश ग्रहण करता है। B के पूँजी खाते का शेष सभी समायोजनाओं के बाद Rs 1,00,000 हैं। A व C उसे पूर्ण भुगतान में Rs 1,30,000 देने का निर्णय करते हैं। नया लाभ विभाजन अनुपात 1: 3 हैं। ख्याति के व्यवहार हेतु आवश्यक जर्नल प्रविष्टि दीजिए।
A, B & C are partners in a firm sharing profits in the ratio of 1:2:3. B retires and balance of his capital account after making all adjustments stands at Rs 1,00,000. A & C agreed to pay him Rs 1,30,000 in full settlement of his account. Pass necessary journal entries for treatment of goodwill, if the new profit sharing ratio is 1 : 3.
हल :
गुप्त ख्याति (Hidden Goodwill) = 1,30,000 – 1,00,000 = Rs 30,000
फायदे का अनुपात = नया लाभ हानि का अनुपात – पुराना लाभ-हानि का अनुपात
A’s Capital A/C Dr. 7500
C’s Capital A/c Dr. 2,500
To B’s Capital 30,000
(Being B’s share of goodwill adjusted in gaining ratio 1 : 3)
प्रश्न 7.
A, B और C एक फर्म में सायेदार हैं। 1 जनवरी, 2014 को A अवकाश ग्रहण करता है। अकाश ग्रहण की तिथि पर फर्म ने उसे कुल Rs 80,000 देने हैं। उसे यह राशि फ्रत्येक वर्ष के अन्त में किश्तों में देने का समझौता किया गया। निम्न दशाओं में A का ऋण खाता बनाइये
- 10% वार्षिक व्याज सहित चार वार्षिक किश्तें
- पहले तीन वर्षों तक Rs 25,000 प्रति वर्ष जिसमें अदत्त शेषों पर 10% वार्षिक व्याज शामिल हैं तथा शेष राशि चौथे वर्ष में ब्याज सहित ।
A, B & C are partners in a firm. A retires on 1st January, 2014. On the date of retirement, Rs 80,000 is due to him in all. It is agreed to pay him this amount in installments every year at the end of the year. Prepare As Loan A/c in the following cases –
- Four yearly installments plus interest @ 10% p.a.
- Three installments of Rs 25,000 including interest @ 10% p.a. on the outstanding balance and the balance including interest in the fourth year.
हल : (i)
प्रश्न 8.
A, B व C एक फर्म में साझेदार हैं जिनकी पुस्तकें प्रतिवर्ष 31 मार्च को बन्द होती हैं। A की 30.6.2017 को मृत्यु हो गयी और सहमति के अनुसार मृतक साझेदार को मृत्यु की तिथि तक लाभ का हिस्सा पिछले 5 वर्षों के औसत लाभ के आधार पर निकाला जायेगा। पिछले 5 वर्षों के लाभ हैं
A की मृत्यु तक उसके लाभ के हिस्से की गणना कीजिए और जर्नल प्रविष्टि कीजिए।
A, B and C are partners in a firm whose books are closed on March 31st each year. A died on 30.6.17 and according to the agreement, the share of profits of a deceased partner upto date of death is to be calculated on the basis the average profits for the last five years. The net Profits/Loss for the last 5 years have been : Rs 14,000, Rs 18,000, Rs 22,000, Rs (10,000) Loss. Rs 16,000 respectively.
Calculate A’s share of the profits upto the date of death & Pass necessary Journal Entry.
हल :
औसत लाभ की गणना
14,000 + 18,000 + 22,000 – 10,000 + 16,000 = \(\frac { 60,000 }{ 5 }\) = 12,000
3 माह का लाभ = 12,000 x \(\frac { 3 }{ 12 }\) = 3,000
A का हिस्सा = 1000
Profit and Loss Suspense A/C Dr. 1,000
To A’s Capital A/c 1,000
(Share of profit transferred to his capital account.)
प्रश्न 9.
X, Y वे Z साझेदार हैं और लाभों को 3:2:1 के अनुपात में बाँटते हैं। 10 अप्रैल 2017 को X की मृत्यु हो गयी। वर्ष 2016 की बिक्री व लाभ क्रमशः Rs 2,00,000 वर Rs 20,000 थे। 1.1.17 से 10.4.17 तक की बिक्री के Rs 1,20,000 थी। x के लाभ का हिस्सा ज्ञात कीजिये।
X, Y and Z are partners sharing profits in the ratio 3:2:1. X died on 10.4.2017. The sales and profits for 2016 were Rs 2,00,000 and 720,000 respectively, sales from 1.1.17 to 10.4.17 was Rs 1,20,000. Find the share of X’s Profit.
हल :
विक्रय के आधार पर लाभ की गणना
विगत वर्ष के विक्रय पर लाभ का प्रतिशत = \(\frac { 20,000 }{ 2,00,000 }\) x 100 = 10%
वर्ष 2017 में मृत्यु की तिथि तक का लाभ = 1,20,000 x \(\frac { 10 }{ 100 }\) = Rs 12,000
इस 12,000 के लाभ में A का हिस्सा = 12,000 x \(\frac { 3 }{ 6 }\) = 6,000
अतः A का लाभ Rs 6,000 होगा।
प्रश्न 10.
एक फर्म में A, B व C बराबर के साझेदार हैं। प्रत्येक साझेदार को अलग से क्रमशः Rs 30,000, Rs 25,000 वे Rs 40,000 के लिए बीमा कराया गया है। इनका प्रीमियम फर्म द्वारा चुकाया जाता है। A की मृत्यु हो गयी तथा पॉलिसी की राशि बीमा कम्पनी से प्राप्त हो गयी। B व C की पॉलिसियों का समर्पण मूल्य क्रमशः Rs 3,000 व Rs 6,000 था। आवश्यक जर्नल प्रविष्टियाँ दीजिए।
A, B and C are equal partners in a firm. They were insured separately for Rs 30,000, Rs 25,000 and Rs 40,000. The premium which is paid by the firm. A died and the policy money is received from the Insurance Company. The surrender value the of policies of B & C was Rs 3,000 and Rs 6,000, pass necessary Journal Entries.
हल :
Journal
RBSE Class 12 Accountancy Chapter 3 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अवकाश ग्रहण अथवा मृत्यु पर साझेदार का फर्म में भाग किस प्रकार निर्धारित किया जाता है ?
उत्तर:
मृत्यु तो किसी भी साझेदार की कभी भी हो सकती है। लेकिन अवकाश ग्रहण सामान्यतः लेखा वर्ष के अन्तिम या आगामी लेखा वर्ष के प्रथम दिन होता है। ऐसी स्थिति में उसको देय राशि का निर्धारण अन्तिम चिट्टे में दिखाये गये पूँजी खाते या चालू खाते को निम्नलिखित समायोजनाओं से संशोधित करके किया जाता है ।
- अन्तिम चिड़े से अवकाश ग्रहण करने या मृत्यु तिथि तक के ब्याज, बोनस, वेतन, कमीशन आदि जोड़कर।
- सम्पत्तियों एवं दायित्वों के पुनर्मूल्यांकन से उत्पन्न लाभ-हानि का समायोजन कर।
- फर्म की ख्याति का मूल्यांकन करके उसके हिस्से को जोड़कर।
- संचय तथा अवितरित लाभ-हानि को बाँटकर।
- पिछले चिट्टे से अवकाश ग्रहण करने या मृत्यु की तिथि तक के लाभ-हानि को बाँटकर।
अवकाश ग्रहण या मृत्यु पर निम्नलिखित प्रारूप में पूँजी खाता बनाकर पूँजी खाते के शेष का निर्धारण आसानी से किया जा सकता है –
साझेदार की मृत्यु पर प्रतिनिधि या उत्तराधिकारियों को दी जाने वाली राशि की गणना करने की विधि (Method of Calculation of Amount to be paid to Representatives or Heirs on the Death of Partner) –
फर्म के साझेदार की मृत्यु हो जाने पर प्रतिनिधि/उत्तराधिकारी निम्नलिखित राशि पाने के अधिकारी होते हैं
(a) मृत साझेदार के पूँजी खाते में क्रेडिट शेष,
(b) साझेदार की मृत्यु की तिथि तक फर्म से पारिश्रमिक या ब्याज के रूप में प्राप्त होने वाली राशि (साझेदारी संलेख में व्यवस्था होने पर),
(c) फर्म की ख्याति में मृतक साझेदार का अनुपातिक हिस्सा,
(d) अवितरित लाभ या संचिति में मृत साझेदार का हिस्सा, ।
(e) वर्ष के शुरू से मृत्यु की तिथि तक फर्म द्वारा अर्जित लाभ में हिस्सा,
(f) मृत्यु की तिथि को सम्पत्तियों व दायित्वों का पुनर्मूल्यांकन करने पर बनाये गये लाभ-हानि समायोजन खाते से ज्ञात की। गयी लाभ-हानि में से मृत साझेदार का आनुपातिक हिस्सा (साझेदारी संलेख में प्रावधान होने पर),
(g) संयुक्त जीवन पॉलिसी की दशा में मृत साझेदार का हिस्सा ।।
ऊपर वर्णित की गयी (a) से लेकर (g) तक की मदों को मृत साझेदार के पूँजी खाते के क्रेडिट पक्ष में दिखाया जायेगा।
निम्नलिखित राशियों से मृत साझेदार के पूँजी खाते को डेबिट किया जायेगा
(a) ख्याति के मूल्य में कमी होने की दशा में घटायी जाने वाली राशि में मृत साझेदार का आनुपातिक हिस्सा,
(b) अवितरित हानि में मृत साझेदार का आनुपातिक हिस्सा,
(c) मृत साझेदार द्वारा किए गए आहरण,
(d) आहरण पर ब्याज,
(e) फर्म की सम्पत्तियों एवं दायित्वों के पुनर्मूल्यांकन से होने वाली हानि में आनुपातिक हिस्सा ।
अतएव उपर्युक्त (a) से (e) तक की राशियों को मृत साझेदार के पूँजी खाते में डेबिट किया जायेगा।
मृत साझेदार को पूँजी खाते में उपर्युक्त समायोजनाओं के बाद के शेष को मृत साझेदार के उत्तराधिकारियों अथवा प्रतिनिधियों को दिया जाता है। उपर्युक्त शेष राशि को निष्पादक/प्रतिनिधि खाते (Executor’s/Representative’s Account) में अन्तरित करके मृत साझेदार के पूँजी खाते को बन्द कर दिया जायेगा ।
प्रश्न 2.
एक साझेदार की निवृत्ति या मृत्यु पर कौन-कौन सी समस्याएँ अपन्न होती हैं ? उसका समाधान कैसे किया जा सकता है ?
उत्तर-
साझेदार के अवकाश ग्रहण करने पर उत्पन्न समस्याएँ एवं उनका उपचार (Problem Arising at the Retirement of a Partner and their Treatment) :
साझेदार के अवकाश ग्रहण करने की दशा में निम्नलिखित समस्याएँ उत्पन्न होती हैं
- नये लाभ विभाजन अनुपात तथा प्राप्ति अनुपात को निकालना।
- सम्पत्तियों तथा दायित्वों का पुनर्मूल्यांकन करना।
- संचित लाभों एवं हानियों का बंटवारा करना।
- ख्याति का मूल्यांकन ।
- संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी तथा पृथक् जीवन बीमा पॉलिसी सम्बन्धी व्यवहार।
- अवकाश प्राप्त करने वाले साझेदार को भुगतान करना।
उपर्युक्त बिन्दुओं को निम्नलिखित रूप में स्पष्ट किया गया है-
1. नये लाभ-विभाजन अनुपात तथा प्राप्ति अनुपात को निकलना (Calculation of New Profit Sharing Ratio and Gaining Ratio)-
सामान्य रूप से किसी साझेदार के फर्म से सेवा निवृत्त होने पर चालू साझेदारों अथवा शेष साझेदारों के लाभ-हानि अनुपात में परिवर्तन नहीं होता है। नये लाभ-विभाजन अनुपात के सम्बन्ध में कुछ नियम निम्नलिखित हैं
- यदि अवकाश ग्रहण करने वाले साझेदार के बाद बाकी बचे साझेदारों का नया अनुपात न दिया हो तो यह माना जायेगा। कि शेष साझेदार लाभ-हानि का बंटवारा पुराने अनुपात में करेंगे।
- यदि बाकी साझेदारों द्वारा अवकाश प्राप्त करने वाले साझेदार का हिस्सा क्रय कर लिया जाय तो उनके पुराने अनुपात में क्रय किया गया हिस्सा जोड़कर शेष साझेदारों के नये अनुपात की गणना की जायेगी।
नया लाभ-हानि अनुपात निकालने के सम्बन्ध में निम्नलिखित तीन स्थितियाँ हो सकती हैं
(a) अनुपात का पूर्ण अंकों में दिया होना।
(b) लाभ-विभाजन अनुपात भिन्न में दिया होना ।।
(c) सेवानिवृत्त होने वाले साझेदार के हिस्से को शेष साझेदारों द्वारा किसी निश्चित हिस्से में प्राप्त किया जाना (इस स्थिति में साझेदारों का पुराना अनुपात परिवर्तित हो जायेगा ।)
प्राप्ति अनुपात की गणना करना (Calculation of Gaining Ratio) –
प्राप्ति अनुपात की गणना के सम्बन्ध में निम्नलिखित नियम हैं
- यदि चालू साझेदारों का नया लाभ-विभाजन न दिया हो तो उनका प्राप्ति अनुपात पुराना अनुपात ही रहेगा।
- शेष साझेदारों को नया अनुपात दिए होने पर प्राप्ति अनुपात को निम्नलिखित सूत्र की सहायता से निकाला जाता है
प्राप्ति अनुपात = नया अनुपात – पुराना अनुपाते ।
2. सम्पत्तियों तथा दायित्वों का पुनर्मूल्यांकन करना (Revaluation of Assets and Liabilities)-
साझेदार के सेवानिवृत्त होने पर सम्पत्तियों एवं दायित्वों को पुनर्मूल्यांकन करते समय साझेदारी संलेख के प्रावधानों का पालन करना आवश्यक होता है। सम्पत्तियों एवं दायित्वों के पुनर्मूल्यांकन हेतु पुनर्मूल्यांकन खाते को ठीक वैसे ही बनाते हैं जिस प्रकार साझेदार के फर्म में प्रवेश करते समय बनाया जाता है। परन्तु साझेदार के प्रवेश के समय इसके लाभ-हानि को पुराने साझेदारों में बाँटा जाता है जबकि अवकाश ग्रहण की दशा में इसके लाभ-हानि को चालू साझेदारों तथा अवकाश ग्रहण करने वाले साझेदार के मध्य उनके लाभ-हानि के अनुपात में बाँटा जाता है। सभी साझेदारों का पूँजी खाता खोला जाता है।
3. संक्ति लाभों एवं हानियों का बंटवारा करना (Distribution of Accumulated Profit and Losses)-
ऐसे लाभ एवं हानियाँ जिन्हें पिछले लेखांकन वर्षों में साझेदारों में उनके लाभ-हानि अनुपात में न बाँटा गया हो वरन् फर्म में ही रोक लिया गया हो वे संचित लाभ व हानि कहलाते हैं। इन लाभों एवं हानियों को अवकाश प्रहण करने वाले साझेदार तथा पुराने साझेदारों में उनके पुराने लाभ-हानि अनुपात में बाँटा जाता है। इस सम्बन्ध में निम्नलिखित जर्नल प्रविष्टियाँ होती हैं
- संचित लाभों को सेवानिवृत्त होने वाले साझेदारों सहित समस्त पुराने साझेदारों में उनके पुराने लाभ-हानि अनुपात में बाँटने पर जर्नल प्रविष्टि
Reserve A/c Dr.
To All Partners Capital/Current A/c
(Being accumulated profit distributed) - संचित हानियों को पुराने साझेदारों के मध्य बाँटना
All Partners’ Capital/Current A/c Dr,
To P & L A/C
(Being accumulated losses distributed)
4. ख्याति का मूल्यांकन (Valuation of Goodwill)-
अवकाश ग्रहण करते समय फर्म की ख्याति का मूल्यांकन साझेदारी संलेख में बतायी गयी विधि से किया जाता है। सामान्य रूप से ख्याति को मूल्यांकन उसी तरह किया जाता है जिस प्रकार साझेदार के प्रवेश के समय किया जाता है।
5. संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी तथा पृथक् जीवन बीमा पॉलिसी [Joint Life Insurance Policy (JL.P) and Separate Life Insurance Policy]-
फर्म के द्वारा साझेदारों का संयुक्त बीमा कराया जाता है तथा साझेदारों के अलग-अलग नाम से भी बीमे कराए जा सकते हैं। बीमा पॉलिसी की राशि का प्रयोग अवकाश ग्रहण करने वाले अथवा मृतक साझेदार को दी जाने वाली राशि के आंशिक अथवा पूर्ण भुगतान के लिए किया जाता है। संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी फर्म की सम्पत्ति होती है तथा फर्म इसके प्रीमियम को भुगतान करती है इसलिए पॉलिसी की परिपक्व होने अथवा किसी साझेदार की मृत्यु होने पर फर्म ही जीवन बीमा कम्पनी पर दावा कर सकती है। यदि चिट्टे के सम्पत्ति पक्ष में संयुक्त बीमा पॉलिसी का समर्पण मूल्य दिया गया हो तथा प्रश्न में पुनर्मूल्यांकन मूल्य दिए होने पर पुनर्मूल्यांकन से होने वाले लाभ व हानि को लाभ-हानि समायोजन खाते अथवा पुनर्मूल्यांकन खाते में अन्तरित कर दिया जाता है।
6. अवकाश प्राप्त करने वाले साझेदार को भुगतान करना (Payment to Retiring Partner)-
अवकाश ग्रहण करने वाले साझेदार को देय कुल राशि की गणना निम्नलिखित रूप से की जायेगी
जोड़ी जाने वाली राशियाँ (Amount to be Added)
- विगत आर्थिक चिट्टे में पूँजी का शेष,
- चिट्टे के दायित्व पक्ष में दिखाए गए अवितरित लाभों में उसका हिस्सा ।।
- अदत्त या देय पूँजी पर ब्याज या वेतन,
- संचय, सामान्य संचय, संचय कोष में उसका भाग,
- वर्ष के बीच में अवकाश ग्रहण करने की दशा में अन्तिम चिट्ठे एवं अवकाश ग्रहण की तिथि के मध्य अवधि में लाभ में हिस्सा ।।
घटायी जाने वाली राशियाँ (Amount to be Subtracted)
(I) आर्थिक चिट्टे के सम्पत्ति कक्ष में लाभ-हानि खाते या अवितरित हानि में उसका आनुपातिक भाग,
(II) लाभ-हानि समायोजन खाते में उसका आनुपातिक भाग अवकाश प्राप्त करने वाले साझेदार को देय कुल राशि का भुगतान निम्नलिखित विधियों से किया जा सकता है
- पूरी राशि का नकद भुगतान करना,
- पूँजी शेष को ऋण खाते में ले जाना,
- आंशिक भुगतान रोकड़ में करना तथा आंशिक भुगतान को ऋण खाते में ले जाना,
- किश्तों में भुगतान करना,
- वार्षिकी के रूप में भुगतान करना ।
साझेदार की मृत्यु की दशा में उत्पन्न समस्याएँ एवं उनका उपचार (Problem Arising at the Death of a Partner and their Treatment)-
साझेदार की मृत्यु हो जाने पर लेखांकन के दृष्टिकोण से निम्नलिखित समस्याएँ उत्पन्न होती हैं
- नये लाभ-हानि अनुपात की गणना करना,
- प्राप्ति अनुपात की गणना करना,
- संचित लाभों एवं हानियों को समायोजित करना,
- सम्पत्तियों तथा दायित्वों का पुनर्मूल्यांकन करना,
- ख्याति को समायोजित करना,
- मृत साझेदार के चालू वर्ष के लाभ में भाग को निकालना.
- व्यक्तिगत जीवन बीमा पॉलिसी/संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी सम्बन्धी व्यवहार करना ।
[नोट–उपर्युक्त बिन्दुओं में से बिन्दु (1) से (5) तक को ऊपर समझाया जा चुका है।
7. मृत साझेदार के चालू वर्ष के लाभ में भाग को निकालना (Calculation of Share in Profit of the deceased Partner in the Current Year)-
मृत साझेदार के कानूनी प्रतिनिधि अथवा उत्तराधिकारियों को देय राशि का भुगतान उन्हीं विधियों से किया जाता है जिन विधियों से अवकाश ग्रहण करने वाले साझेदार को भुगतान किया जाता है। नकद साझेदार के उत्तराधिकारी को कुछ निर्धारित राशियाँ प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त होता है तथा कुछ राशि उसके पूँजी खाते में डेबिट की जाती हैं। इसके पश्चात् जो राशि शेष बचती है उसे मृतक साझेदार के उत्तराधिकारियों या प्रतिनिधि को दे दिया जाता है।
8. व्यक्तिगत जीवन बीमा पॉलिसी संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी सम्बन्धी व्यवहार करना (Transactions Relating to Individual or Separate Life/Joint Life Insurance Policy)-
व्यक्तिगत बीमा जीवन बीमा पॉलिसी की दशा में साझेदार की मृत्यु हो जाने पर बीमा कम्पनी से प्राप्त मृत साझेदार की पॉलिसी की राशि तथा देय जीवित साझेदारों की व्यक्तिगत पॉलिसियों के समर्पण मूल्य को जोड़कर सभी साझेदारों में (मृत साझेदार सहित) उनके लाभ-हानि अनुपात में बांटना चाहिए।
मृत साझेदार को पॉलिसी से प्राप्य राशि की गणना विधि-
फर्म के साझेदारों के जीवन पर फर्म द्वारा संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी लिए जाने की दशा में यदि किसी साझेदार की मृत्यु हो जाती है तो जीवन बीमा पॉलिसी की पूरी राशि फर्म को प्राप्त हो जाती है जिसे समस्त साझेदारों में उनके लाभ-हानि अनुपात में बाँटा जाता है।
प्रश्न 3.
संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी तथा पृथक् जीवन बीमा पॉलिसियों का लेखा फर्म की पुस्तकों में कैसे करते हैं ?
उत्तर-
संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी के सम्बन्ध में लेखांकन (Accounting in Case of Joint Life Insurance Policy) –
संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी के सम्बन्ध में लेखांकन व्यवहार को निम्नलिखित रूप में बताया गया है
(1) प्रीमियम को व्यापारिक व्यय मानने तथा लाभ-हानि खाते में चार्ज करने पर जर्नल प्रविष्टियाँ
(i) प्रीमियम का भुगतान करने पर (प्रीमियम की राशि से)
Joint Life Policy Premium A/c Dr.
To Bank/Cash A/c
(Being premium paid on J.L.P.)
(ii) प्रीमियम की राशि को लाभ-हानि खाते में हस्तान्तरित करने हेतु (प्रीमियम की राशि से)
Profit and Loss A/C
To Joint Life Policy Premium A/C Dr.
(Being amount of premium transferred to P and L A/C)
(iii) परिपक्वता तिथि या साझेदार की मृत्यु पर पॉलिसी की राशि प्राप्त होने पर (प्राप्त राशि से)।
Bank A/c
To Joint Life Policy A/C Dr.
(Being amount of the policy received on maturity/death of partner)
(iv) पॉलिसी की राशि का साझेदारों में विभाजन (वितरित होने वाली राशि से)
Joint Life A/c Dr.
To All Partner’s Capital A/c
(Being partner’s capital a/c credited in profit sharing ratio)
(2) प्रीमियम को विनियोग अथवा सम्पत्ति मानकर तथा संयुक्त जीवन पॉलिसी खाते को इसके समर्पण मूल्य पर प्रदर्शित किया जाना
(i) प्रीमियम के देने पर (प्रतिवर्ष) (प्रीमियम की राशि से)
Joint Life Policy A/C DR.
To Bank A/C
(Being premium paid)
(ii) वर्ष के अन्त में प्रीमियम की राशि से समर्पण मूल्य कम होने पर हानि को लाभ-हानि खाते में हस्तान्तरित करने हेतु (प्रीमियम की राशि से)
Profit and Loss A/c Dr.
To Joint Life Policy A/C
(Being transfer of premium and J.L.P. to P and L A/C)
(iii) जिस वर्ष में पॉलिसी का समर्पण मूल्य दिया हो उस वर्ष प्रीमियम की राशि में समर्पण मूल्य घटाकर लाभ-हानि खाते में हस्तांतरित करेंगे। (प्रीमियम की राशि-समर्पण मूल्य की राशि से)
Profit and Loss A/c DR.
To Joint Life Policy A/C
(Being transfer of premium and J.L.P. to P and L A/c)
(iv) परिपक्वता तिथि पर पॉलिसी की राशि प्राप्त होने पर
(पॉलिसी की राशि से अर्थात् बीमित राशि)
Bank A/c
To Joint Life Policy A/c
(Being cash received)
(v) संयुक्त बीमा पॉलिसी खाते में जमा शेष को सभी साझेदारों के खाते में उनके लाभ-हानि के अनुपात में हस्तान्तरित करने पर (लाभ विभाजन के अनुपात में)।
Joint Life A/C
To All Partner’s Capital A/c
(3) प्रीमियम को सम्पत्ति मानकर उस राशि से संयुक्त जीवन पॉलिसी संचय का निर्माण करना
(i) प्रीमियम का भुगतान करने हेतु (प्रीमियम के भुगतान की राशि से)
Joint Life Policy A/c DR.
To Bank A/C
(ii) संचय का निर्माण करने के लिए (प्रीमियम की राशि के बराबर की रकम से)
Profit and Loss Appropriation A/C
To Joint Life Policy Reserve A/C
(iii) पॉलिसी खाते को शेष पॉलिसी खाते में हस्तांतरित करने पर
(पॉलिसी खाते के शेष का उनके समर्पण मूल्य पर आधिक्य की राशि से)
Joint Life Policy Reserve A/C
To Joint Life Policy A/C
(iv) पॉलिसी की रकम देय होने पर (बीमित राशि से)
Insurance Company A/C
To Joint Life Policy A/c
(Amount of policy due)
(v) बीमित कम्पनी से राशि प्राप्त होने पर (बीमित राशि से)
Bank A/C
To Insurance Company A/C
(vi) जीवन बीमा पॉलिसी संचय खाते के शेष को जीवन बीमा पॉलिसी. खाते में हस्तान्तरित करने पर
(JL,PR. खाते के शेष राशि से)
Joint Life Policy Reserve A/c
To Joint Life Policy A/c
(vii) संयुक्त बीमा पॉलिसी खाते के शेष को साझेदारों में विभाजन करने पर
(पॉलिसी की शेष राशि से लाभ विभाजन अनुपात में)
Joint Life Policy A/C
To All Partner’s Capital A/C
पृथक जीवन बीमा पॉलिसी के सम्बन्ध में लेखांकन (Accounting in Case of Separate Life Insurance Policy) :
इस विधि में फर्म सभी साझेदारों के नाम से अलग-अलग जीवन बीमा पॉलिसी लेती है। इसका प्रीमियम फर्म हो चुकाती है तथा पॉलिसी की राशि परिपक्वता तिथि अथवा किसी साझेदार की मृत्यु पर फर्म को प्राप्त होती है। इस विधि में किसी भी साझेदार की मृत्यु हो जाने पर बीमा कम्पनी से प्राप्त राशि तथा जीवित साझेदारों की व्यक्तिगत पॉलिसियों के समर्पण मूल्य को जोड़कर सभी साझेदारों (मृतक साझेदार सहित) में लाभ-हानि अनुपात में बाँट दिया जाता है । इसके अन्तर्गत निम्नलिखित प्रविष्टियाँ की जाती हैं
(1) प्रीमियम चुकाने पर-
Insurance Premium A/c DR.
To Cash Bank A/C
(Insurance Premium paid)
(2) प्रीमियम को लाभ-हानि खाते में अन्तरित करने पर-
P & L A/C
To Insurance Premium A/c
(Premium transferred to P & L A/C)
(3) साझेदार की मृत्यु पर पॉलिसी की राशि प्राप्त होने पर
Bank A/c Dr.
To Life Policy of Deceased Partner A/c
(Policy amount received)
(4) मृतक साझेदार की पॉलिसी तथा शेष साझेदारों की पॉलिसी के समर्पण मूल्य के योग को बाँटने पर
Life Policy of Deceased Partner A/C Dr.
Life Policy of Other Partners A/c DR.
To All Partner’s Capital A/C
(Total amount of policy distributed in all the partners)
नोट-यदि साझेदार की मृत्यु तथा पॉलिसी प्राप्ति की fथि अलग-अलग हो तो उपरोक्त लेखा 3 के स्थान पर अग्रांकित दो प्रविष्टि होंगी
Insurance Company A/c Dr.
To Life Policy A/c
(Policy amount due)
पॉलिसी की राशि प्राप्त होने पर
Bank A/c DR.
To Insurance Company A/c
(Policy amount received)
प्रश्न 4.
एक अकश हण करने वाले साझेदार के हिस्से में गुस्तान की कौन-कौन सी विक्ष्यि हैं ? सम्झाइए।
उत्तर-
अवकाश ग्रहण करने वाले साझेदार के पूँजी खाते का भुगतान करने की प्रमुख विधियां निम्नलिखित हैं
(A) एक मुश्त भुगतान
(B) किस्तों में भुगतान
(C) वार्षिकी विधि द्वारा भुगतान।
इनका विस्तार से वर्णन निम्न प्रकार है
(A) एक मुश्त भुगतान (Lump sum Payment)-
फर्म के पास पर्याप्त तरल कोष होने पर वह साझेदार को एक साथ भुगतान कर सकती है जिसके लिए निम्न प्रकार प्रविष्टि की जायेगी।
Retiring Partner’s Capital A/C DR.
To Cash A/C
(Amount due to retiring partner paid)
(B) किस्तों में भुगतान या किस्त भुगतान पद्धति (Installment Payment System)-
यदि अवकाश ग्रहण करने वाले साझेदार का भुगतान किश्तों में किया जाये तो अदत्त राशि पर ब्याज की गणना करनी होती है तथा इसे अवकाश गृहण करने वाले के ऋण खाते में क्रेडिट कर दिया जाता है तथा किश्त की राशि के साथ व्याज का भुगतान किया जाता है। ब्याज की गणना तब तक की जाती रहेगी जब तक कि ऋण को पूर्ण भुगतान न हो जाये
(i) पूँजी खाते का शेष ऋण खाते में अन्तरित करने पर
Retiring Partner’s Capital A/C DR.
To Retiring Partner’s Loan A/C
(ii) बकाया ऋण पर ब्याज हेतु-
Interest A/c
To Retiring Partner’s Loan A/c
(iii) किस्त की राशि ब्याज सहित भुगतान के लिए
Retiring Partner’s Loan A/C
To Cash/Bank A/C
(iv) ब्याज की राशि को लाभ-हानि खाते में हस्तान्तरित करने हेतु
Profit and Loss A/c
To Interest A/C
(C) वार्षिकी विधि द्वारा शुगतान (Payment by Annuity)-
इस विधि के अन्तर्गत अवकाश ग्रहण करने वाले साझेदार अथवा मृतक साझेदार के उत्तराधिकारी को जीवन पर्यन्त एक निश्चित धनराशि का भुगतान किया जाता है जिसे वार्षिकी कहते हैं।
इस विधि में अवकाश ग्रहण करने वाले या मृतक साझेदार के पूँजी खाते का समायोजित शेष एक वार्षिकी उचन्ती खाते में हस्तान्तरित कर दिया जाता है। इस खाते के प्रारम्भिक शेष पर प्रतिवर्ष निर्धारित दर से ब्याज क्रेडिट किया जाता है। यदि ब्याज की दर प्रश्न में न दी हो तो वार्षिकी वृत्ति के शेष पर 6% वार्षिक की दर से ब्याज लगाया जाता है किसी साझेदार के अवकाश ग्रहण करने पर उस साझेदार के या साझेदार की मृत्यु पर उसके उत्तराधिकारी को आजीवन वार्षिकी वृत्ति का भुगतान किया जाता है। इस बीच यदि इस खाते का शेष शून्य हो जाता है तो इसकी पूर्ति लाभ-हानि खाते से की जाती है। और यदि साझेदार य उत्तराधिकारी की मृत्यु हो जाने से इस खाते में कुछ शेष बचा रह जाता है तो उसे वर्तमान साझेदारों के बीच नये अनुपात में बाँट दिया जाता है। इस विधि में अग्रलिखित प्रविष्टि की जाती है
(i) अवकाश ग्रहण करने वाले साझेदार का समायोजित शेष वार्षिकी उचन्ती खाते में अन्तरित करने पर
Retiring Partner’s Capital A/c DR.
Dr. To Annuity Suspense A/C
(Restring partner’s Capital A/c balance traf. to Annuity Suspense A/c)
(ii) वार्षिकी उचन्ती खाते पर ब्याज देय होने पर-
Interest A/c
Dr. To Annuity Suspense A/C
(Interest credited)
(iii) वार्षिकी का भुगतान करने पर
Annuity Suspense A/C
To Cash/Bank A/C
(Annuity amount paid to retiring partner)
(iv) निश्चित समय के पश्चात् साझेदार को जीवित रहने पर लाभ-हानि खाते से अन्तरित करने पर
P & L A/c Dr.
To Annuity Suspense A/c
(Amount transferred to annuity suspense A/c)
(v) यदि साझेदार की मृत्यु समय से पूर्व हो जाती है तो बचे हुए शेष को शेष साझेदारों में बाँटने पर
Annuity Suspense A/C Dr.
To Remaining Partner’s Capital A/C
(Balance of annuity suspense A/c distributed in partners in new ratio)
RBSE Class 12 Accountancy Chapter 3 आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1.
X, Y तथा Z एक फर्म में साझेदार थे और लाभ को 1/2 : 13 : 1/6 के अनुपात में बाँटते थे। 31 दिसम्बर, 2016 को फर्म की स्थिति विवरण इस प्रकार था
X, Y and Z were partners in a firm sharing profits in the ratio of 1/2 : 1/3 : 1/6 respectively. The Balance Sheet of the firm on 31st December, 2016 stood as follows –
उपरोक्त तिथि को Y अग्रलिखित शर्तों पर फर्म से अवकाश ग्रहण करता है
(क) फर्म की ख्याति का मूल्यांकन Rs 9,000 किया जाएगा और फर्म की खाता पुस्तकों में इसे नहीं दिखाया जाएगा।
(ख) मशीनरी पर 10% और मोटरवैन पर 15% का ह्रास लगाया जाएगा।
(ग) स्टॉक पर 20% और भवन पर 10% की वृद्धि की जाएगी।
(घ) संदिग्ध ऋण के लिए प्रावधान में से 975 बढ़ाए जाएंगे।
(ङ) कर्मचारी क्षतिपूर्ति के लिए Rs 825 का दायित्व बनाया जाएगा।
यह निर्णय किया गया कि भविष्य में x तथा Z लाभ को 3 : 2 के अनुपात में बाँटेंगे।
आप पुनर्मूल्यांकन खाता साझेदारों के पूँजी खाते और Y के अवकाश ग्रहण के पश्चात् फर्म की स्थिति विवरण बनाइए।
Y retires from the firm on the above date subject to the following conditions :
(a) Goodwill of the firm be valued at Rs 9,000 and is not to be shown in the books of the firm.
(b) Machinery would be depreciated by 10% and motor vans by 15%,
(c) Stock would be appreciated by 20% and Building by 10%.
(d) The provision for doubtful debts would be increased by Rs 975.
(e) Liability for workmen’s compensation to the extent of Rs 825 would be created.
It was agreed that X and Z would share profits in future in the ratio of 3 : 2 respectively.
You are required to prepare the Revaluation A/c, Capital A/c of partners and Balance Sheet of the firm after the retirement of Y.
यह मानते हुए भी हल कीजिए कि साझेदार सम्पत्तियों व दायित्वों को उनके पुराने पुस्तक मूल्य पर ही दिखाने का निर्णय लेते हैं।
Also solve if it is assumed that partners decided to show the Assets and Liabilities at their old book values.
उत्तर:
प्रथम विधि Revaluation Account
फायदे का अनुपात निम्न प्रकार ज्ञात किया गया है।
नया अनुपात – पुराना अनुपात
द्वितीय विधि :
प्रश्न 2.
A, B और C साझेदार हैं जो कि लाशों को 4:3:2 के अनुपात में विभाजित करते हैं। 31 मार्च 2017 को इनका स्थिति विवरण निम्न था
A, B and C are partners sharing profits in the ratio of 4 : 3 : 2. Their Balance Sheet on 31st March, 2017 was as follows
फर्म ने Rs 40,000 की एक संयुक्त जीवन बीमा पालिसी ले रखी है। 31 मार्च, 2017 को इस पॉलिसी का समर्पण मूल्य Rs 13,500 है। B इस तिथि को अवकाश ग्रहण करता है। निम्न शर्ते तय होती हैं
(a) भूमि एवं भवन का मूल्य Rs 20,000 से कम मूल्यांकित है।
(b) ख्याति का मूल्य Rs 18,000 निर्धारित किया गया है।
(c) संदिग्ध ऋणों के लिए 5% की दर से आयोजन बनाया जायेगा। मशीनरी को मूल्य 10% से तथा स्टॉक का मूल्य 5% से कम किया जाएगा।
(d) कानूनी व्ययों के लिए Rs 1,500 का आयोजन बनाया जायेगा।
(e) संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी को चिट्टे में दिखाया जाएगा।
B को Rs 5,000 का भुगतान किया जायेगा और शेष देय राशि उसके ऋण खाते में हस्तान्तरित कर दी जायेगी। पुनर्मूल्यांकन खाता, साझेदारों के पूँजी खाते तथा A और C को स्थिति विवरण बनाइये।
The firm had a Joint Life Insurance policy for Rs 40,000. The surrender value of the policy was Rs 13,500 as on 31st March, 2017. B retires on the above date on the following conditions
(a) Land and Building are undervalued by Rs 20,000.
(b) Goodwill is to be valued at Rs 18,000.
(c) A provision for doubtful debts of 5% is to be created and Machinery be written down by 10% and Stock by 5%.
(d) A provision of Rs 1,500 be made in respect of legal charges.
(c) Joint Life Policy will appear in Balance Sheet.
B to be paid Rs 5,000 and balance be transferred to his loan account. Prepare Revaluation Account, Partner’s Capital Accounts and Balance Sheet of A and C.
उत्तर:
Revaluation Account
Working Notes :
(1) आय अनुपात (Gain Ratio) की गणना निम्न प्रकार की गयी है
नया अनुपात = 4: 2 or 2 : 1 पुराना अनुपात = 4: 3 : 2
लाभ को अनुपात = नया अनुपात – पुराना अनुपात
(2) B के ख्याति के हिस्से की राशि को A व C 2 : 1 में समायोजित करेंगे।
प्रश्न 3.
ए तथा बी साझेदार हैं जिनका लाभ विभाजन अनुपात ए 1/2, बी 1/3 तथा संचय में 16 ले जाना है। 31 मार्च, 2017 को उनका स्थिति विवरण निम्नलिखित था
A and B are partners sharing profits in the ratio of A 1/2, B 1/3 and transfer to reserve 1/6. Their Balance Sheet as at 31st March, 2017 was as follows –
1 अप्रैल 2017 को बी अवकाश ग्रहण करता है। शर्ते निम्नलिखित हैं
- ख्याति का मूल्यांकन Rs 50,000 किया जाएगा ।
- पेटेंट्स को मूल्य के 3,000 से बढ़ाना है परन्तु संयंत्र का मूल्य Rs 15,000 अधिक किया हुआ था।
- देनदारों पर संदिग्ध ऋण प्रावधान 5% कर दिया जाएगा और देदारों तथा लेनदारों पर 3% कटौती का प्रावधान भी किया जाएगा।
- बीमा प्रीमियम की समस्त राशि लाभ-हानि खाते में डेबिट कर दी गई थी। इसमें से Rs 870 पूर्वदत मानते हुए आगे ले जाने हैं।
- विनियोगों का मूल्यांकन Rs 16,000 पर किया गया। इसमें से आधे विनियोग बी द्वारा ले लिए गए।
- Rs 5,000 का कर्मचारी क्षतिपूर्ति का एक दायित्व है।
बी को समस्त भुगतान कर दिया गया। बी को भुगतान करने के लिए ए ने अपने संयंत्र और स्टॉक की जमानत पर आवश्यक राशि बैंक से ऋण ली।
पुनर्मूल्यांकन खस्ता पूँजी खाते तथा ए का स्थिति विवरण बनाइए।
B retires on 1st April, 2016. The terms were-
- Goodwill is to be valued at Rs 50,000.
- Value of Patents is to be increased by Rs 3,000 but Plant was found over-valued by Rs 15,000.
- Provision for doubtful debts should be 5% on Debtors and provision for discount should also be made on Debtors and Creditors at 3%.
- Out of insurance which was entirely debited to profit & Loss Account Rs 870 be carried forward as unexpired insurance.
- Investments were revalued at Rs 16,000. Half of these investments were taken over by B.
- There is a claim for Workmen’s Compensation to the extent of Rs 5,000.
B was paid off in full. A borrowed the necessary money from the bank on the security of plant and stock to pay off B.
Prepare Revaluation Account, Capital Accounts and the Balance Sheet of A.
उत्तर:
Revaluation Account
Balance Sheet (as on 1st April, 2016)
प्रश्न 4.
R, S तथा T एक फर्म में साझेदार थे और लाभ को 2:2:1 के अनुपात में बाँटते थे। 31.3.2014 को उनका स्थिति विवरण निम्न प्रकार था
R, S and I were partners in a firm sharing profits in 2:2:1 ratio. On 31.3.2014, their Balance Sheet was as follows –
1.4.2014 को s ने फर्म से अवकाश ग्रहण कर लिया और उसके हिस्से का निर्धारण सम्पत्तियों के इस प्रकार पुनर्मूल्यांकन द्वारा किया गया स्टॉक Rs 40,000, फर्नीचर Rs 6,000 प्लांट मशीनरी के 18,000, वन Rs 40,000, संदिग्ध ऋणों के लिए Rs 1,700 का प्रावधान करना था। फर्म की ख्याति का मूल्यांकन Rs 12,000 किया गया। S को अवकाश ग्रहण पर Rs 18,080 नकद और शेष तीन बराबर वार्षिक किस्तों में देने थे।
पुनर्मूल्यांकन खाता, साझेदारों के पूँजी खाते, S का ऋण खाता और 1.42014 का स्थिति विवरण बनाइये।
S retired from the firm on 1.4.2014 and his share was ascertained on the revaluation of assets as follows : Stock Rs 45,000; Furniture Rs 6,000; Plant & Machinery 18,000; Building Rs 40,000; Rs 1,700 were to be provided for doubtful debts. The goodwill of the firm was valued at Rs 12,000. S was to be paid Rs 18,080 in cash on retirement and the balance in three equal yearly installments.
Prepare Revaluation Account, Partner’s Capital Accounts, S’s Loan Account and Balance Sheet on 1.4.2014.
उत्तर:
Working Note :
लाभ का अनुपात = नया अनुपात – पुराना अनुपात
प्रश्न में पुराना अनुपात 2 : 2 : 1 दिया गया है। नया अनुपात नहीं दिया गया है।
अतः यदि नया अनुपात नहीं दिया गया हो तो पुराने अनुपात में ही ख्याति की राशि का समायोजन किया जायेगी। S सेवानिवृत्त हो गया तो शेष साझेदारों का अनुपात 2 : 1 होगा।
प्रश्न 5.
A, B तथा C लाभ को अपनी पूँजी के अनुपात में आँटते थे। 31 मार्च, 2017 को उनकी स्थिति विवरण इस प्रकार था
The Balance Sheet of A, B and C who were sharing profits in proportion of their capitals, stood as follows on 31st March, 2017.
B अवकाश ग्रहण करता है और यह निर्णय लिया गया है कि फर्म द्वारा B को देय राशि निर्धारित करने से पहले सम्पत्तियों और दायित्वों में निम्न समायोजन किए जाए
(क) स्टॉक का 6% हास किया जाए।
(ख) संदिग्ध ऋणों के लिए प्रावधान बढ़ाकर देनदारों पर 5% कर दिया जाए।
(ग) फैक्टरी की जमीन तथा भवन के मूल्य में 20% की वृद्धि कर दी जाए।
(घ) बकाया कानूनी प्रभारों के लिए Rs 770 का प्रावधान किया जाए।
(ङ) फर्म की ख्याति Rs 10,800 नियत की जाए और उसमें B का हिस्सा A और C के खातों में समायोजित कर लिया जाए जो भविष्य में 5/8 : 3/8 के अनुपात में बांटेंगे। (कोई ख्याति खाता न खोला जाए)
(च) नवगठित फर्म की कुल पूँजी Rs 28,000 नियत की जाए और समायोजनाओं के लिए A तथा C के खातों में प्रविष्टियाँ करने के बाद उनके बीच \(\frac { 5 }{ 8 } :\frac { 3 }{ 8 } \) के अनुपात में बाँट दी जाए (अर्थात् यथास्थिति, शेष साझेदारों को अपेक्षित राशि नकद दे दी जाए या उन द्वारा लाई जाए।) ।
उपरोक्त व्यवस्था के लेखे के लिए आवश्यक रोजनामचा प्रविष्टियाँ कीजिए और B को देय राशि उसके खाते से ऋण खाते में हस्तान्तरित करने के बाद A तथा C की स्थिति विवरण बनाइये।
B retire and the following adjustments of the assets and liabilities have been agreed upon before the ascertainment of the amount payable by the firm to B :
(a) That the stock be depreciated by 6%
(b) That the provision for doubtful debts be brought upto 5% on Debtors.
(c) That the Factory Land & Building be appreciated by 20%.
(d) That a provision of Rs 770 be made in respect of outstanding legal charges.
(c) That the goodwill of the entire firm be fixed as Rs 10,800 and B’s share of the same be adjusted into the accounts of A and C who are going to share in future in the proportion of 5/8 : 3/8 (No goodwill account is to be raised).
(f) That the entire capital of the firm as newly constituted be fixed at Rs 28,000 between A & C in the proportion of 5/8 : 3/8 after passing entries in their accounts for adjustments (i.e. actual cash to be paid off or to be brought in by the continuing partners as the case may be).
Pass the necessary journal entries to give effect to the above arrangements and prepare the Balance Sheet of A & C after transferring the amount due to B to separate loan account in his name.
उत्तर:
अतः B के हिस्से की ख्याति को A तथा C 13 : 11 में समायोजित करेंगे।
प्रश्न 6.
जे एव तथा के एक फर्म के साझेदार थे तथा 5:3:2 के अनुपात में लाभ बाँटते थे। 31.3.2017 को उनकी स्थिति विवरण निम्न प्रकार से था
J, H and K were partners in a firm sharing profits in the ratio of 5:3:2. On 31.3.2017 their Balance Sheet was as follows-
उपरोक्त तिथि को एच ने अवकाश ग्रहण कर लिया तथा जे और के ने निम्न शर्तों पर व्यवसाय चालू रखने का निर्णय किया-
- फर्म की ख्याति का मूल्यांकन Rs 1,02,000 किया गया।
- कर्मचारी क्षतिपूर्ति का Rs 8,000 का एक दावा था ।
- डूबत ऋणों के लिए प्रावधान को Rs 2,000 से कम करना था।
- एच को Rs 14,000 नकद भुगतान किया जायेगा तथा शेष का स्थानान्तरण उसके ऋण खाते में कर दिया जायेगा जिसका भुगतान चार बराबर वार्षिक किश्तों में 10% प्रतिवर्ष ब्याज के साथ किया जायेगा।
- जे तथा के मध्य नया लाभ अनुपात 3:2 होगा तथा उनकी पूँजी नये लाभ अनुपात में होगी।
पूँजी समायोजन चालू खाते खोलकर किया जायेगा। पुनर्मूल्यांकन खाता, साझेदारों के पूँजी खाते तथा नई फर्म की स्थिति विवरण तैयार कीजिए।
On the above date H retired and J and K agreed to continue the business on the following terms-
- Goodwill of the firm was valued at 1,02,000.
- There was a claim of Rs 8,000 for workmen’s compensation.
- Provision for bad debts was to be reduced by Rs 2,000.
- H will be paid Rs 14,000 in cash and the balance will be transferred in his loan account which will be paid in four equal yearly installments together with interest @ 10% p.a.
- The new profit sharing ratio between J and K will be 3 : 2 and their capitals will be in their new profit sharing ratio.
The capital adjustments will be done by opening current accounts. Prepare Revaluation Account, Partner’s Capital Accounts and Balance Sheet of the new firm,
उत्तर:
Remaining Partner’s Capital
Balance Sheet (as on 31-03-2017)
प्रश्न 7.
A, B व C का 31 मार्च 2017 को निम्न चिट्ठा है जो अपनी पूँजी के अनुपात में लाभ-हानि बाँटने के लिए सहमत हुए
Following is the Balance Sheet of A, B and C as at 31st March, 2017, who have agreed to share profits and losses in proportion of their capitals.
Balance Sheet (as at 31st March, 2017)
31 मार्च, 2017 को A ने फर्म से अवकाश ग्रहण करने की इच्छा प्रकट की तथा अन्य साझेदारों ने फर्म को चालू रखने का निर्णय लिया । सम्पत्तियों के पुनर्मूल्यांकन तथा देयताओं को पुनर्निर्धारण के लिए निम्नानुसार सहमति बनी–
- भूमि तथा न को 30% बढ़ाया जाए।
- मशीनरी पर 20% का ह्रास लगाया गया।
- Rs 17,000 के डूबे हुए ऋण पाए गए।
- कर्मचारी क्षतिपूर्ति खते के दवे का अनुमान Rs 8,000 लगाया गया।
- फर्म की ख्याति का मूल्यांकन Rs 1,40,000 किया गया तथा A के ख्याति के अंश का समायोजन B तथा C के पूँजी खाते से, जिन्होंने फर्म को चलू रखने का निर्णय किया है। से किया गया तथा उन्होंने भविष्य में लाभों को क्रमशः 4:3 के अनुपात में विभाजित करने का निर्णय लिया।
- नयी फर्म की पूँजी का कुल योग, A के अवकाश म्हण करने से पूर्व के कुल योग के बराबर होगा तथा फर्म को चालू रखने वाले साझेदारों के लाभ विभाजन के नए अनुपात में होगा।
- A को कुल देय धनराशि में से Rs 50,000 की नकद भुगतान कर दिया जाएगा तथा शेष को उसके ऋण खाते में हस्तान्तरित कर किया जाएगा भुगतान बाद में होगा।
पुनर्मूल्यांकन खाता साझेदारों के पूँजी खाते तथा A के अवकाश ग्रहण करने के उपरान्त फर्म का स्थिति-विवरण तैयार कीजिए।
On 31st March, 2017, A desired to retire from the firm and the remaining partners decided to carry on the business. It was agreed to revalue the assets and reassess the liabilities on the following basis-
- Land and Building to be appreciated by 30%.
- Machinery be depreciated by 20%.
- There were Bad Debts of Rs 17,000.
- The claim on account of Workmen’s Compensation was estimated at Rs 8,000.
- Goodwill of the firm was valued at Rs 1,40,000 and A’s Share of Goodwill be adjusted against the capital account of the continuing partners B and C who have decided to share future profits in the ratio of 4 : 3 respectively.
- Capital of the new firm in total will be the same as before the retirement of A and will be in the new profit sharing ratio of the continuing partners.
- Amount due to A be settled by paying Rs 50,000 in cash and the balance by transferring to his Loan Account which will be paid later on.
Prepare Revaluation Account, Capital Accounts of partners and Balance Sheet of the firm after A’s retirement.
उत्तर:
Working Note : रोकड़ की गणना निम्न प्रकार की गई है
प्रश्न 8.
A, B C एक फर्म में साझेदार हैं जो 2 : 2:1 के अनुपात में लाभ विभाजन करते हैं। उनका 31.12.2016 का स्थिति विवरण इस प्रकार है। 31.3.2017 को C अवकाश ग्रहण करता है
A, B and C partners sharing profits and losses in the ratio of 2:2 : 1. The Balance Sheet of the firm as at 31st December, 2016 stood as follows C retires on 31st March, 2017. –
C को देय राशि की गणना के लिए निम्न पर आपसी सहमति हुयी।
- भूमि व भवन का मूल्यांकन Rs 12,00,000 पर किया गया।
- विनियोग Rs 1,00,000 पर मूल्यांकित किये गये।
- स्टॉक का मूल्यांकन Rs 3,00,000 पर किया गया।
- ख्याति का मूल्यांकन पिछले 5 वर्षों के औसत लाभों के दो वर्षों के क्रय के आधार पर किया जायेगा तथा ख्याति पुनर्गठित फर्म की पुस्तकों में नहीं दिखायी जायेगी।
- C के अवकाश ग्रहण की तिथि तक के लाभों में हिस्से की गणना फ्छिले तीन वर्षों के औसत लाभों के आधार पर की जायेगी। पिछले 5 वर्षों के लाभ इस प्रकार थे
- C को देय राशि उसके ऋण खाते में हस्तान्तरित की जायेगी। जिस पर 10% वार्षिक ब्याज देय होगा। पुनर्मूल्यांकन खाता, साझेदारों के पूँजी खाते व 31.3.2017 का चिट्ठा बनाइये।
In order to arrive at the balance due to C, it was mutually agreed that.
- Land and Building be valued at Rs 12,00,000.
- Investments to be valued at Rs 1,00,000.
- Stock be taken at Rs 3,00,000.
- Goodwill be valued at two years purchase of the average profit of the past five years. Goodwill will not appear in the books of reconstituted firm.
- C’s share of profits upto the date of retirement be calculated on the basis of average profit of the preceding three years. The profits of the preceding five years were as under
- Amount payable to C is to be transferred to his Loan Account carrying interest 10% p.a.
You are required to prepare the Revaluation Account, Partner’s Capital Accounts, and the Balance Sheet as at 31st March, 2017.
उत्तर:
Working Note :
(1) C का लाभों में हिस्सा–
12,00,000 3,00,000 1,00,000 4,00,000 1,00,000 2,25,000
15,000 23,40,000
गत तीन वर्षों के लाभ = 3,25,000 + 2,75,000 + 3,00,000
गत तीन वर्षों के लाभों का औसत = 9,00,000 ÷ 3 = Rs 3,00,000
तीन माह का लाभ = 3,00,000 x \(\frac { 3 }{ 12 }\) = Rs 75,000
लाभों में C का हिस्सा = 75,000 x \(\frac { 1 }{ 5 }\) = Rs 15,000
(2) ख्याति का मूल्यांकन निम्न प्रकार किया गया है
गत पाँच वर्षों के औसत लाभों के 2 वर्षों के क्रय के बराबर
गत पाँच वर्षों के औसत लाभ = \(\frac { 3,25,000+2,75,000+300,000+2,20,000+1,80,000 }{ 5 }\)
= \(\frac { 13,00,000 }{ 5 }\)
= Rs 2,60,000
2 वर्षों के क्रय के बराबर = 2,60,000 x 2 = Rs 5,20,000
C को ख्याति में हिस्सा = 5,20,000 x \(\frac { 1 }{ 5 }\) = Rs 10,4000
(3) लाभ का अनुपात-पुराना लाभ हानि का अनुपात 2:2:1
नया लाभ हानि का अनुपात नहीं दिया गया है।
C सेवानिवृत्त हो रहा है अतः A व B का लाभ-हानि अनुपात 2 : 2 अर्थात् 1:1 बराबर-बराबर रहेगा।
अतः B व A, C के ख्याति के हिस्से को बराबर-बराबर अपने खाते से समायोजित करेंगे।
प्रश्न 9.
P, Q, व R एक फर्म में साझेदार थे और लाभों को 2:2:1 के अनुपात में बाँटते थे। साझेदारी संलेख में प्रावधान था कि किसी साझेदार की मृत्यु पर उसके वैधानिक प्रतिनिधि निम्न के अधिकारी होंगे।
- पूँजी पर 12% प्रतिवर्ष की दर से ब्याज।
- आहरण पर 18% प्रतिवर्ष की दर से ब्याज।
- Rs 12,000 प्रतिवर्ष का वेत्न।
- पिछले वर्ष के लाभ के आधार पर फर्म के लाभ में हिस्सा (मृत्यु की तिथि तक)
31.5.2017 को P की मृत्यु हो गयी। उस्की पूँजी 31.3.17 को Rs 80,000 थी। उसने Rs 15,000 निकाले थे और उसके अहरण पर ब्याज की गणना Rs 1200 की गयी। 31.3.2017 को समाप्त पिछले वर्ष के लिए फर्म को साथ Rs 30,000 थी। P के वैधानिक प्रतिनिधियों को देने के लिए उनका पूँजी खस्ता तैयार कीजिए।
P, Q and R were partners in a firm sharing profits in 2:2:1. The partnership deed provided that on the death a partner, his Executors will be entitled for the following
- Interest on capital @ 12% p.a.
- Interest on Drawing @ 18% p.a.
- Salary 12,000 p.a.
- Share in the profits of Firm (upto the date death) on the basis previous year’s profits.
P died on 31.5.2017. His capital was Rs 80,000 as on 31st March, 2017. He had withdrawn Rs 15,000 and Interest on his drawings was calculated as Rs 1,200. The profit the firm for the previous year ended 31.3.2017 was Rs 30,000. Prepare P’s capital Account to be presented to his Executors.
उत्तर:
Working Note :
लाभ की गणना निम्न प्रकार की गई है–
2 माह का लाभ = 30,000 x \(\frac { 2 }{ 12 }\) = Rs 5,000
P का लाभ में हिस्सा = 5,000 x \(\frac { 2 }{ 5 }\) = Rs 2,000
प्रश्न 10.
A, B वे C साझेदार हैं जो लाभों को 3:2:1 के अनुपात में विभाजित करते हैं। उन्होंने Rs 60,000 की संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी ले रखी हैं जिसका वार्षिक प्रीमियम Rs 4,000 लाभ-हानि खाते में लिखा जाता है। फर्म के खाते प्रतिवर्ष 31 मार्च को बन्द किये जाते हैं। 1 अगस्त, 2017 को C की मृत्यु हो जाती है। अपनी पूँजी वे बीमा राशि के हिस्से के साथ-साथ C के वैधानिक प्रतिनिधि को निम्न भुगतान प्राप्त करने का अधिकार होगा-
- मृत्यु की तिथि तक 10% वार्षिक दर से पूँजी पर ब्याज
- साझेदार का लाभ में हिस्सा जो गत तीन वर्षों के औसत पर लाभ पर आधारित होगा।
- साझेदार का ख्याति में हिस्सा जिसकी गणना गत चार वर्षों के औसत लाभ के तीन वर्ष के क्रय के आधार पर होगी।
1 अप्रैल, 2017 को C की पूँजी Rs 90,000 थी, जबकि इस तिथि से मृत्यु की तिथि तक C ने Rs 5,500 के आहरण किये थे। गत चार वर्षों के लाभ इस प्रकार थे-Rs 16,000, Rs 26,000, Rs (6,000) हानि, Rs 34,000 । C का पूँजी खाता बनाइये।
A, B and C are partners sharing profits in the ratio of 3 : 2 : 1. They had a Joint Life policy Rs 60,000 and the annual premium Rs 4,000 has been charged to Profit and Loss Account every year. Account are closed on 31st, March annually. C died on 1st August 2017 beside his of capital and insurance money, C’s legal representatives are entitled to
- Interest on capital at 10% per annul up to the date death.
- His share profits based on average profits to the last three years.
- His share goodwill which is to be calculated at three year’s purchase of the average profit of last 4 years.
C’s capital on 1.4.2017 stood at Rs 90,000 and his drawings from that date to the date death amounted to Rs 5,500.
Profits for the last Four Years were Rs 16,000, Rs 26,000, Rs (6,000) Loss, Rs 34,000 Prepare C’s Capital Account.
उत्तर:
प्रश्न 11.
P Q, वे R एक फर्म में साझेदार थे और लाभ विभाजन 3:2:1 के अनुपात में करते थे। उनका स्थिति विवरण निम्न था –
P, Q and R were partners in a Firm sharing profits in the ratio 3 : 2 : 1. Their Balance sheet was as follows
R की 14 मार्च, 2017 को मृत्यु हो गयी। किसी साझेदार की मृत्यु पर साझेदारी संलेख में प्रावधान थे
(i) ख्याति का मूल्यांकन पिछले 5 वर्षों के औसत लाभ के 3 वर्षों के वर्षों के क्रय के आधार पर होगा।
(ii) R के लाभ या हानि को उनकी मृत्यु तक का हिस्सा 31.12.2016 के लाभ/हानि के आधार पर निकाला जायेगा। आप निम्न की गणना करें
- फर्म की ख्याति वे मृत्यु के समय R के हिस्से की ख्याति
- फर्म के लाभ हानि में R के हिस्से की गणना उसकी मृत्यु तक R का पूँजी खाता बनाएं जो उसकी मृत्यु पर उसके प्रतिनिधि को दिया जायेगा।
R died on 14.3.2017. The partnership deed provided for the following on the death of partner.
(i) Goodwill of the Firm was to valued at 3 years purchase at the average profit a last 5 years. Years
(ii) R’s share of profit or loss till the date of his death was to be calculated on the basis of the profits or loss for the year ending on 31.12.16. You are required to calculate the following –
- Goodwill of the Firm and R’s share of goodwill at the time of his death.
- R’s share in the Profit or Loss of the firm till the date of his death. Prepare R’s Capital Account at the time of his death to be presented to his Executors.
उत्तर:
(2) चूँकि साझेदार मृत हो चुका है तथा गत वर्ष नुकसान हुआ है। नुकसान के आधार पर इस वर्ष का लाभ-हानि ज्ञात किया जाना है जो हानि में प्रदर्शित होगा अतः मृत साझेदार का इसमें कोई हिस्सा नहीं है।
प्रश्न 12.
P Q, व R एक फर्म में साझेदार थे। 31.3.2017 को उनकी स्थिति विवरण इस प्रकार था।
P, Q and R were partners in a firm. Their Balance Sheet as at 31st March, 2017 was as follows –
साझेदारी संलेख में प्रावधान है कि लाभ 2:1:1 के अनुपात में बाँटे जायेंगे और साझेदार की मृत्यु की स्थिति में उसके वैधानिक प्रतिनिधि निम्न के अधिकारी होंगे-
- स्थिति विवरण की तिथि को उसके क्रेडिट में पूँजी ।
- गत स्थिति विवरण की तिथि को संचय में उसका हिस्सा।
- गत तीन वर्षों के औसत लाभ के आधार पर उसमें 10% जोड़कर, मृत्यु की तिथि तक लाभ का उसका हिस्सा और
- ख्याति के रूप में पिछले तीन वर्षों के कुल लाभ का उसका हिस्सा ।
- भवन के पुनर्मूल्यांकन पर लाभ Rs 4,000 में हिस्सा।
- गत तीन वर्षों का शुद्ध लाभ था- Rs 15,000, Rs 16,000 व Rs 17,000।
R की 30.6.17 को मृत्यु हो गयी। अपनी मृत्यु की तिथि तक उसने Rs 5000 निकाले थे। निवेश को सम मूल्य पर बेचा गया और R के वैधानिक प्रतिनिधियों को भुगतान कर दिया गया।
साझेदारों के पूँजी खाते, R के वैधानिक प्रतिनिधि को खाता और शेष साझेदारों P a Q का स्थिति-विवरण बनाइये।
The Partnership deed provides that the profits be shared in the ratio 2:1:1 and that in the event death the partner, his executors will be entitled to be paid out;
- The Capital’s to his credit at the date of Balance sheet.
- His proportion of reserve at the date Balance sheet.
- His proportion of profits of the last 3 years, plus 10% and
- By way Goodwill, his proportion of the total profits for the three preceding years.
- Share in profits on revaluation of building which is Rs 4,000
- The net profits of last 3 years : Rs 15,000, Rs 16,000 and Rs 17,000. R died on 30.6.2017.
He had withdrawn 5,000 upto the date of his death. The investments were sold at part and R’s executors were paid off.
Prepare Partner’s Capital Accounts, R Executor’s Account and Balance sheet of surviving partners P and Q.
उत्तर:
प्रश्न 13.
A, B व C एक फर्म में 2 : 2 : 1 के अनुपात में लाभ विभाजन करते हुए साझेदार हैं। फर्म के सभी साझेदारों के जीवन पर Rs 80,000 की एक संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी एक अप्रैल, 2012 को ली। पॉलिसी का समर्पण मूल्य इस प्रकार है-31.3.13 : शून्य, 31.3.14 Rs 2,000; 31.3.15 Rs 4,000 तथा 31.3.16 Rs 6,000
1 जून, 2016 को C की मृत्यु हो गयी। फर्म की पुस्तकों में आवश्यक खाते बनाइये। यदि
- प्रीमियम को व्यापारिक खर्चा माना जाता है ।
- प्रीमियम को विनियोग माना जाता है।
- प्रीमियम को विनियोग माना जाता है तथा संचय का निर्माण किया जाता है।
A, B and C are partners in a firm sharing profits in the ratio 2:2:1. The firm had taken a Joint Life Policy Rs 80,000 on the Lives all the partners on 1.4.2012. The firm pays annual premium Rs 6,000. The surrender value of the policy is as under 31.3.13 Nil, 31.3.14 Rs 2000; 31.3.15 Rs 4000 and 31.3.16 Rs 6,000 C died on 1.6.2016, prepare the necessary accounts in the books the Firm.
- If Premium paid is treated as trade expenses.
- Premium paid is treated as an investment.
- Premium paid is treated as investment and reserve is created.
उत्तर:
(1) प्रीमियम को व्यापारिक खर्चा माना जाता है।
(2) प्रीमियम को विनियोग माना जाये
(3) प्रीमियम को विनियोग माना जाता है तथा संचये का निर्माण किया जाता है।
प्रश्न 14.
A, B व C साझेदार हैं और लाभों को 3:2:1 के अनुपात में बाँटते हैं। 31.3.2017 को उनका स्थिति विवरण इस प्रकार था।
A, B and C are partners sharing profit in 3:2:1 ratio. Their Balance Sheet as at 31st March, 2017 was as follows –
B की 30.6.2017 को मृत्यु हो गयी। उक्त साझेदारी संलेख के अनुसार उसके वैधानिक प्रतिनिधि निम्नलिखित भुगतान के अधिकारी हैं
- उसकी मृत्यु के समय उसके क्रेडिट में पूँजी और उस पर 10% वार्षिक दर से ब्याज।
- सामान्य संचय का उसका आनुपातिक हिस्सा ।
- बीच की अवधि के लिए लाभ में उसका भाग उस अवधि के दौरान विक्रय पर आधारित होगा। बिक्री की समान Rs 1,20,000 की गयी है। गत तीन वर्षों के दौरान लाभ की दर विक्रय पर 10% रही है।
- उसके लाभ के भाग के अनुसार ख्याति की गणना तीन वर्षों के लाभ के दुगुने में से 20% घटाकर की जायेगी।
पिछले तीन वर्ष के लाभ थे-Rs 8,200; Rs 9,000; Rs 9,800 । निवेश को सममूल्य पर बेचा गया और उसके वैधानिक प्रतिनिधियों को भुगतान कर दिया गया। B का पूँजी खाता और उसके वैधानिक प्रतिनिधि का खाता बनाइये।
B died on 30.6.2017 and according to the deed of the partnership, His executors were entitled to be paid as under –
- The capital to his creditor at the time of his death and interest there on @ 10% p.a.
- His proportionate share of General Reserve.
- His Share of profit for the intervening period will be based on the sales during that period. Sales were calculated as Rs 1,20,000. The rate of profit during past three years had been 10% on sales.
- Goodwill according to his share of profit to be calculated by taking twice the amount of the profits of the last three years less 20%.
The profits of previous three years were- Rs 8,200; Rs 9,000; Rs 9,800. The Investment were sold at par and his executors were paid out. Prepare B’s Capital Account and his Executor’s Account.
उत्तर:
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