• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • RBSE Model Papers
    • RBSE Class 12th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 10th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 8th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 5th Board Model Papers 2022
  • RBSE Books
  • RBSE Solutions for Class 10
    • RBSE Solutions for Class 10 Maths
    • RBSE Solutions for Class 10 Science
    • RBSE Solutions for Class 10 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 10 English First Flight & Footprints without Feet
    • RBSE Solutions for Class 10 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 10 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 10 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 10 Physical Education
  • RBSE Solutions for Class 9
    • RBSE Solutions for Class 9 Maths
    • RBSE Solutions for Class 9 Science
    • RBSE Solutions for Class 9 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 9 English
    • RBSE Solutions for Class 9 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 9 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 9 Physical Education
    • RBSE Solutions for Class 9 Information Technology
  • RBSE Solutions for Class 8
    • RBSE Solutions for Class 8 Maths
    • RBSE Solutions for Class 8 Science
    • RBSE Solutions for Class 8 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 8 English
    • RBSE Solutions for Class 8 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit
    • RBSE Solutions

RBSE Solutions

Rajasthan Board Textbook Solutions for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

  • RBSE Solutions for Class 7
    • RBSE Solutions for Class 7 Maths
    • RBSE Solutions for Class 7 Science
    • RBSE Solutions for Class 7 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 7 English
    • RBSE Solutions for Class 7 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 6
    • RBSE Solutions for Class 6 Maths
    • RBSE Solutions for Class 6 Science
    • RBSE Solutions for Class 6 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 6 English
    • RBSE Solutions for Class 6 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 5
    • RBSE Solutions for Class 5 Maths
    • RBSE Solutions for Class 5 Environmental Studies
    • RBSE Solutions for Class 5 English
    • RBSE Solutions for Class 5 Hindi
  • RBSE Solutions Class 12
    • RBSE Solutions for Class 12 Maths
    • RBSE Solutions for Class 12 Physics
    • RBSE Solutions for Class 12 Chemistry
    • RBSE Solutions for Class 12 Biology
    • RBSE Solutions for Class 12 English
    • RBSE Solutions for Class 12 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit
  • RBSE Class 11

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 19 प्रतिपालनीय कृषि

June 15, 2019 by Safia Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 12 Biology Chapter 19 प्रतिपालनीय कृषि

RBSE Class 12 Biology Chapter 19 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उत्तर

RBSE Class 12 Biology Chapter 19 बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जैव उर्वरक के रूप में प्रयुक्त होने वाला शैवाल है-
(अ) क्लेडोफोरा
(ब) नास्टॉक
(स) स्पाइरोगाइरा
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(ब) नास्टॉक

प्रश्न 2.
लेग्यूम पादपों की मूल ग्रन्थियों में पाया जाने वाला जीवाणु है|
(अ) एनाबीना
(ब) सायनो बैक्टिरिया
(स) राइजोबियम
(द) लैक्टोबैसिलस
उत्तर:
(स) राइजोबियम

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 19 प्रतिपालनीय कृषि

प्रश्न 3.
हेटरोसिस्ट निम्न में किससे सम्बन्धित है-
(अ) विषाणु
(ब) जीवाणु
(स) नास्टॉक
(द) राइजोबियम
उत्तर:
(स) नास्टॉक

प्रश्न 4.
कौन-सा जीवाणु वायुमण्डल की मुक्त नाइट्रोजन का उपयोग करता है-
(अ) राइजोबियम
(ब) ई. कोली
(स) एजेटोबैक्टर
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(स) एजेटोबैक्टर

प्रश्न 5.
निम्न कौन-सी विधि प्रतिपालनीय कृषि की विधि नहीं है-
(अ) मिश्रित कृषि
(ब) सघन कृषि
(स) फसल चक्र
(द) जैविक कृषि
उत्तर:
(ब) सघन कृषि

प्रश्न 6.
वे जैविक कारक जिनका उपयोग कीटों, खरपतवारों तथा रोगजनकों को नष्ट करने में किया जाता है कहलाते हैं-
(अ) जैवनाशी
(ब) रासायनिक उर्वरक
(स) रासायनिक कीटनाशी
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) जैवनाशी

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 19 प्रतिपालनीय कृषि

RBSE Class 12 Biology Chapter 19 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उत्पादन वृद्धि के लिए
(i) ……… एवं
(ii) ……… का अन्धाधुन्ध प्रयोग किया जा रहा है।
उत्तर:
उत्पादन वृद्धि के लिए
(i) रासायनिक उर्वरकों एवं
(ii) पीड़कनाशियों का अन्धाधुन्ध प्रयोग किया जा रहा है।

प्रश्न 2.
(i) …….. मूलतः प्राकृतिक ढंग से खेती करने की तकनीक है।
उत्तर:
(i) जैविक कृषि मूलतः प्राकृतिक ढंग से खेती करने की तकनीक

प्रश्न 3.
वे सूक्ष्मजीव जो मृदा की पोषकता बढ़ाने में सहायक होते हैं,
(i) ……… कहलाते हैं?
उत्तर:
वे सूक्ष्मजीव जो मृदा की पोषकता बढ़ाने में सहायक होते हैं,
(i) जैव उर्वरक कहलाते हैं।

प्रश्न 4.
फास्फेट विलयनकारी एक जीवाणु का नाम लिखो।
उत्तर:
स्यूडोमोनास।

प्रश्न 5.
वे जन्तु तथा पादप जो फसलों व अन्य उत्पादों को क्षति पहुँचाते हैं, कहलाते हैं?
उत्तर:
वे जन्तु तथा पादप जो फसलों व अन्य उत्पादों की क्षति पहुँचाते हैं, पीड़क (Pests) कहलाते हैं।

प्रश्न 6.
क्रिस्टल प्रोटीन का निर्माण किस जीवाणु द्वारा होता है?
उत्तर:
बैसिलस थुरिंजिएंसिस नामक जीवाणु के बीजाणुओं (Spores) द्वारा कीटनाशी क्रिस्टल प्रोटीन का निर्माण होता है।

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 19 प्रतिपालनीय कृषि

प्रश्न 7.
ऐनाबीना एजोली उत्पादन कौन से अनुसंधान केन्द्र पर किया जा रहा है?
उत्तर:
केन्द्रीय चावल अनुसंधान केन्द्र, कटक में एनाबीना एजोली का व्यापक उत्पादन किया जा रहा है।

प्रश्न 8.
नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले असहजीवी जीवाणु का नाम लिखिए।
उत्तर:
एजोटोबैक्टर, एजोस्पाइरिलम, क्लोस्ट्रीडियम नामक असहजीवी जीवाणु नाइट्रोजन स्थिरीकरण का कार्य करते हैं।

RBSE Class 12 Biology Chapter 19 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रतिपालनीय कृषि (Sustainable Agriculture) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
प्रतिपालनीय कृषि–कृषि जन्य पादपों तथा पालतू जन्तुओं के उत्पादन व संवर्धन का ऐसा समाकलित तंत्र जिसके अन्तर्गत उनके उत्पादन स्थलों को बिना किसी प्रकार की हानि पहुँचाये उत्पादन को दीर्घकाल तक जारी रखा जा सके, जिससे मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति होती रहे, प्रतिपालनीय कृषि कहते हैं।

प्रश्न 2.
जैविक कृषि की आवश्यकता क्यों अनुभव हुई? समझाइये।
उत्तर:
जैविक कृषि (Organic Agriculture) की आवश्यकता अनुभव होने का मुख्य कारण मृदा की उर्वरा शक्ति को बचाना है, जोकि उत्पादन वृद्धि के लिए रासायनिक उर्वरकों (Chemical fertilizers) एवं पीड़कनाशियों (Pesticides) के अन्धाधुन्ध प्रयोग के कारण दिन प्रतिदिन क्षीण होती जा रही है। दूसरा महत्वपूर्ण कारण प्रदूषण के स्तर में वृद्धि जोकि रासायनिक उर्वरकों की महँगी उत्पादन प्रक्रिया है, जिसके लिए हमारे प्राकृतिक ऊर्जा स्रोत जैसे-कोयला, पेट्रोलियम आदि का उपयोग किया जाता है।

इसी वजह से प्रदूषण के स्तर में भी निरंतर वृद्धि हो रही है। अतः जैविक कृषि को प्रारम्भ करने का यही मुख्य उद्देश्य रहा है कि प्रकृति को प्रदूषण मुक्त किया जाए तथा मृदा की उर्वरा शक्ति को बचाया जाए तथा बढ़ाया जाए। हम सभी जानते हैं कि मृदा एक जीवित प्रणाली है, जिसमें लाभकारी सूक्ष्मजीवियों का अपना भरापूरा संसार होता है। पौंधों के द्वारा पोषक तत्वों को प्राप्त करने की प्रक्रिया में इन सूक्ष्मजीवों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। अतः जैविक कृषि की मूल अवधारणा इस सूक्ष्म जीवी चक्र को अधिक मजबूत बनाना है।

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 19 प्रतिपालनीय कृषि

प्रश्न 3.
जैव उवर्रक किसे कहते हैं?
उत्तर:
जैव उवर्रक (Biofertilizers)-वे सूक्ष्मजीव जो मृदा की पोषकता बढ़ाने में सहायक होते हैं, जैव उर्वरक कहलाते हैं। इन्हीं के द्वारा मृदा में नाइट्रोजन एवं कार्बनिक पदार्थों की कमी को पूरा किया जाता है। ये जैव उर्वरक मृदा की उर्वरता को बढ़ाने के साथ-साथ खनिजीकरण की क्रिया को भी त्वरित करते हैं। इसके लिए कुछ जीवाणु, नीलहरित शैवालों तथा कवक मुख्य जैव-उर्वरक का कार्य करते हैं।

प्रश्न 4.
नीलहरित शैवालों के कृषि कार्यों में दो लाभ लिखिए।
उत्तर:
नीलहरित शैवालों के कृषि कार्यों में दो महत्वपूर्ण लाभ निम्नलिखित हैं।
(i) कुछ नीलहरित शैवाल; जैसे–एनाबीना, नोस्टोक, प्लेक्टोनिमा आदि प्रोकैरियोटिक असहजीवी जीव नाइट्रोजन यौगिनीकरण का कार्य करते हैं। यह कार्य इन शैवालों में उपस्थित विशेष कोशिकाओं हेटरोसिस्ट (Heterocyst) में उपस्थित निफ जीन (Nif gene) द्वारा किया जाता है।

(ii) नील हरित शैवालों की दूसरा लाभ यह है कि इन्हें एक जलीय टेरिडोफाइट एजोला (Azolla) के साथ जैव उर्वरक के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। यह प्रयोग दक्षिणी तथा दक्षिणी-पूर्वी एशिया में किया जा रहा है। एनाबीना पिन्नाटा भी एक उत्कृष्ट जैव उर्वरक है जिसका एजोला के साथ प्रयोग करने से चावल के उत्पादन में 50 प्रतिशत वृद्धि हो सकती है।

प्रश्न 5.
जैवनाशी किसे कहते हैं?
उत्तर:
जैवनाशी (Biopesticides)-वे जन्तु तथा पादप जो फसलों व अन्य उत्पादों को क्षति पहुँचाते हैं, पीड़क (Pests) कहलाते हैं। कवक, कीट या बड़े जन्तु पीड़क हो सकते हैं। वे जैविक कारक जिनका उपयोग कीटों, खरपतवारों तथा रोगजनकों को नष्ट करने में किया जाता है, जैवनाशी (Biopesticides) कहलाते हैं। विषाणुओं, जीवाणुओं, कवकों, प्रोटोजोआ आदि का उपयोग जैवनाशी के रूप में किया जाता है। ये जीव कीटों पर आक्रमण करके उन्हें नष्ट कर देते हैं। इनका व्यापारिक स्तर पर उपयोग किया जा रहा है। जैसे-बैसिलस थुरिंजिएंसिस नामक जीवाणु।

प्रश्न 6.
बैसिलस थुरिंजिएंसिस का उपयोग जैवनाशी के रूप में किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
बैसिलस थुरिंजिएंसिस का उपयोग जैवनाशी के रूप में व्यावसायिक स्तर पर किया जा रहा है। इस प्रयोग में इस जीवाणु के बीजाणुओं (Spores) द्वारा कीटनाशी क्रिस्टल प्रोटीन का निर्माण किया जाता है अर्थात इसका उपयोग कुछ कीटों के अण्डों को नष्ट करने में किया जाता है। यह बीजाणु कीटों के अण्डों पर आक्रमण करके उन्हें नष्ट कर देते हैं।

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 19 प्रतिपालनीय कृषि

RBSE Class 12 Biology Chapter 19 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जैव उर्वरकों पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
खाद्य उत्पादन में वृद्धि के लिए रासायनिक उर्वरकों एवं पीड़कनाशियों (Pesticides) का अन्धाधुन्ध प्रयोग किया जा रहा है, जिससे मृदा की उर्वरा शक्ति नष्ट हो रही है। मृदा की उर्वरा शक्ति में वृद्धि के लिए जैवउर्वरक (Biofertilizers) का प्रयोग किया जा रहा है। “वे सूक्ष्म जीव जो मृदा की पोषकता बढ़ाने में सहायक होते हैं, जैव उर्वरक (Biofertilizers) कहलाते है।” जैव उर्वरक मृदा की उर्वरता को बढ़ाने के साथ खनिजीकरण की क्रिया को भी तीव्र करते हैं। कुछ जीवाणु नील हरित शैवाले तथा कवकें मुख्य जैव उर्वरक हैं। प्रमुख जैव उर्वरक के निम्नांकित छ: प्रकार के हैं-

(i) सहजीवी जीवाणु, राइजोबियम (Symbiotic bacterium, rhizobium)-राइजोबियम जीवाणु दलहन जाति के पौधे की जड़ों में गाँठे बनाकर रहते हैं तथा पोषण प्राप्त करते हैं और वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को अमोनिया में बदलकर अपनी कोशिकाओं से बाहर निकाल देते हैं, जिसे परपोषी पौधा प्राप्त करता है।
लाभ-राइजोबियम द्वारा प्रतिवर्ष 50-150 किग्रा/हैक्टेयर नाइट्रोजन का यौगिकीकरण किया जा सकता है। इसके प्रयोग से फसल की उपज में 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि होती है। साथ ही इसके बाद बोई जाने वाली फसलों में भी भूमि की उर्वरा शक्ति अधिक होने से पैदावार अधिक मिलती है।

(ii) असहजीवी जीवाणु (Non-symbiotic bacteria)-कुछ असहजीवी जीवाणु जैसे-एजोटोबैक्टर, एजोस्पाइरिलम, क्लोस्ट्रीडियम मृदा में उपस्थित मुक्त नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करके पौधों को उपलब्ध कराते हैं। ये जीवाणु भूमि में उपस्थित मुक्त नाइट्रोजन को अवशोषित करके कार्बनिक नाइट्रोजन को यौगिकों में बदल देते हैं। नाइट्रोजन यौगिक युक्त जीवाणुओं की मृत्यु होने पर अपघटक जीवाणु उनका अपघटन कर विमुक्त अमोनिया को नाइट्राइट तथा अन्तत: नाइट्रेट में परिवर्तित कर देते हैं, जिसका उपयोग पौधों द्वारा कर लिया जाता है।
लाभ-चावल, कपास, मक्का आदि फसलों के साथ एजोटोबेक्टर को उगाया जाता है, तो इसके उत्पादन में 20 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है।

(iii) नील हरित शैवाले या सायनोबैक्टीरिया (Blue green algae or Cyanobacteria)
(i) नील हरित शैवालों द्वारा नाइट्रोजन यौगिकीकरण किया जाता है, यह क्रिया उनकी कोशिकाओं हेटरोसिस्ट (Heterocyst) में निफ जीन (Nif gene) द्वारा पूर्ण होती है। जैसे-एनाबीना, नोस्टोक, प्लेक्टोनिमा आदि प्रोकैरियोटिक असहजीवी जीव हैं, जो यह प्रक्रिया पूर्ण करते हैं।
लाभ-धान के खेत का वातावरण नील हरित शैवाल की वृद्धि के लिए उपयुक्त होता है, जिससे धान की उपज में वृद्धि होती है।

(ii) नील हरित शैवाल टेरिडोफाइट एजोला (Azolla) का प्रयोग दक्षिणी पूर्वी तथा दक्षिण एशिया में जैव उर्वरक के रूप में किया जा रहा है। जल में तैरने वाली इस फर्न की पर्ती में एनाबीना एजोली नामक नीलहरित शैवाल, वायु में उपस्थित नाइट्रोजन का यौगिकीकरण करता है। लाभ-एनाबीना पिन्नाटा जैव उर्वरक का एजोला के साथ प्रयोग करने से चावल के उत्पादन में 50 प्रतिशत की वृद्धि की जा सकती है। केन्द्रीय चावल अनुसंधान केन्द्र कटक में एनाबीना एजोली का व्यापक उत्पादन किया जा रहा है।

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 19 प्रतिपालनीय कृषि

(iv) कवकमूल (Mycorrhiza)-कवकों को पौधों की जड़ों के साथ सहजीवन को कवकमूल या माइकोराइजा करते हैं।
लाभ-ये कवक भूमि से अवशोषित पोषक तत्व परपोषी को देता है और बदले में परपोषी से पोषण प्राप्त करता है।

(v) फास्फेट विलयनकारी जीवाणु (Phosphate dissolving bacteria)-कुछ जीवाणु जैसे–स्यूडोमोनास, माइक्रोबैक्टीरियम बैसिलिस आदि मृदा में उपस्थित अप्राप्य अकार्बनिक फास्फेट को प्राप्य कार्बनिक फास्फेट में परिवर्तित कर देते हैं।
लाभ-इस प्रकार मृदा में उपस्थित अप्राप्य अकार्बनिक फास्फेट को प्राप्य कार्बनिक फास्फेट में बदलने से ये फास्फेट पादपों को
आसानी से उपलब्ध हो जाता है।

(vi) कार्बनिक खाद (Organic manure)-भारत में उपलब्ध कार्बनिक अपशिष्ट पदार्थों जैसे—घरेलू अपशिष्ट, शहरी अपशिष्ट, वाहित मल, फसलों के अपशिष्ट, पशुओं का मल-मूत्र, हड्डियों का चूरा आदि को सूक्ष्म जीवों द्वारा जैव अपघटन करवाकर कार्बनिक खाद्य के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है।
इस प्रकार से हम देखते हैं कि किस प्रकार से जैव उर्वरकों के उपयोग से फसल लागत को कम किया जा सकता है तथा दीर्घकालीन उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।

प्रश्न 2.
जैविक कृषि को समझाते हुए इसके उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
जैविक कृषि (Organic Agriculture)-जैविक कृषि मूलतः प्राकृतिक ढंग से खेती करने की तकनीक है, जिसमें कृत्रिम उपायों का समावेश नहीं होता है। मृदा एक जीवित प्रणाली है, जिसमें लाभकारी सूक्ष्मजीवियों का अपना भरापूरा संसार होता है। ये सूक्ष्म जीव ही पौधों, जानवरों और मनुष्यों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी का काम करते हैं। पौधों के द्वारा पोषक तत्वों को प्राप्त करने की प्रक्रिया में इन सूक्ष्मजीवों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है, जिन्हें जैविक कृषि द्वारा अधिक मजबूत बनाना है। जैविक कृषि के उद्देश्य (Aims of organic Agriculture)-जैविक कृषि के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-

  • जैविक कृषि के द्वारा ही मृदा की उर्वरा शक्ति में वृद्धि एवं उसे चिरस्थायी बनाये रखा जा सकता है।
  • सूक्ष्मजीवों, मृदा जीवों, पौधों एवं जीवों से सम्बन्धित कृषि प्रणाली के अन्तर्गत होने वाली जैविक क्रियाओं को बढ़ावा देना।
  • जैविक कृषि द्वारा ही इस बात का संज्ञान कराया गया है कि किस प्रकार प्राकृतिक तन्त्रों को दबाने के बजाए उनका मित्रवत प्रयोग किया जाना चाहिए।
  • जैविक कृषि का यह उद्देश्य है कि स्थानीय कृषि क्रियाओं तथा ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का खेती में प्रयोग करना बताया जाए।
  • ऐसे खाद्य पदार्थ जिनकी गुणवत्ता उच्च कोटि की है, उनके उत्पादन में वृद्धि करना, यह भी जैविक कृषि का उद्देश्य है।
  • जैविक कृषि का उद्देश्य प्रकृति को प्रदूषण मुक्त करना भी है, जिसके लिए नवीन कृषि तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।
  • जैविक कृषि के उद्देश्य के अन्तर्गत प्रमुख जैव उर्वरकों का प्रयोग कर मृदा की उर्वरता को बढ़ाया जा रहा है जिसमें कुछ जीवाणु, नीलहरित शैवालें तथा कवकें मुख्य जैव उर्वरक के रूप प्रयोग हो रही हैं।

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 19 प्रतिपालनीय कृषि

प्रश्न 3.
नील हरित शैवालों का जैव उर्वरकों के रूप में क्या महत्व है? समझाइये।
उत्तर:
नीलहरित शैवालों का जैव उर्वरकों के रूप में महत्व-

  • नील हरित शैवाल जैव उर्वरकों के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ये मुख्य जैव उर्वरकों के रूप में प्रयोग हो रहे हैं।
  • यह मृदा को पोषक तत्व प्रदान करते हैं। यह नाइट्रोजन यौगिकीकरण का कार्य कर रहे हैं। इनकी उपस्थित से मृदा में नाइट्रोजन की कमी को पूरा किया जाता है। मृदा में नाइट्रोजन की हर कमी को पूरा करना परम आवश्यक है। निरन्तर रासायनिक उर्वरकों व पीड़कनाशियों के अन्धाधुन्ध प्रयोग से यह कमी हो रही है। क्षीण उर्वरा शक्ति की मृदा में कृषि करने से कोई लाभ नहीं हो सकता।
  • नीलहरित शैवालें जिन्हें सायनोबैक्टीरिया भी कहा जाता है, के उदाहरण हैं-एनाबीना, नोस्टोक, प्लेक्टोनीमा आदि प्रोकैरियोटिक असहजीवी जीव जो नाइट्रोजन यौगिकीकरण का कार्य करते हैं।
  • ये जैव उर्वरक के रूप में मृदा की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के साथ-साथ मृदा में खनिजीकरण की क्रिया को भी करते हैं। इनके प्रयोग से फसलों की उपज में कई प्रतिशत तक वृद्धि की जा सकती हैं। साथ ही इसके बाद बोई जाने वाली फसलों में भी भूमि की उर्वरा शक्ति अधिक होने से पैदावार अधिक मिलती है।
  • धान के खेत का वातावरण नील हरित शैवाल की वृद्धि के लिए उपयुक्त होता है। नील-हरित शैवालों के उपयोग से धान की उपज में वृद्धि होती है। एनाबीना पिन्नाटा एक उत्कृष्ट जैव उर्वरक है। जिसका ऐजोला के साथ प्रयोग करने से चावल के उत्पादन में 50 प्रतिशत तक वृद्धि हो सकती है। इन शैवालों के महत्व को देखते हुए इनका व्यापक रूप से उत्पादन किया जा रहा है।
  • यह भूमि का ऊसरता (Sterility) को कम करते हैं।

प्रश्न 4.
माइकोराइजा (Mycorohiza) किसे कहते हैं? इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
माइकोराइजा (Mycorrhiza)-कवकों का पौधों की जड़ों के साथ सहजीवन को कवकमूल या माइकोराइजा कहते हैं इस प्रक्रिया में कवक भूमि से अवशोषित पोषक तत्व परपोषी को देता है और बदले मे परपोषी से पोषण प्राप्त करता है।

महत्व-ये माइकोराइजी (कवकमूल) महत्वपूर्ण पदार्थों का भूमि से अवशोषण करने में सहायक होते हैं। जैसे-नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम, कैल्शियम आदि का प्रचुर मात्रा में अवशोषण कर लिया जाता है। जो माइकोराइजा की विशेषता को दर्शाता है।

प्रश्न 5.
जैविक कृषि (Organic Agriculture) का आर्थिक एवं पारिस्थितिक महत्व समझाइये।
उत्तर:
जैविक कृषि का आर्थिक एवं पारिस्थितिक महत्व

  • जैविक कृषि एक अत्यन्त ही सस्ती तथा सरल विधि है, जिसका प्रयोग छोटे किसान भी कर सकते हैं।
  • जैविक कृषि के अन्तर्गत किये गये जैव उर्वरकों के प्रयोग से मृदा की जल धारिता तथा वायु संचार बढ़ जाता है।
  • जैव उर्वरकों के प्रयोग से मृदा का तापमान, pH आदि नियन्त्रित रहता है, जिससे मृदा में जीवाणु क्रियाशील बने रहते हैं।
  • जैविक कृषि से भूमि में रसायनों की विषाक्तता कम होती है। जिससे पर्यावरण सन्तुलन बना रहता है।
  • इसके द्वारा ऊसर भूमि में भी सुधार होता है। इसमें सड़ने-गलने से कार्बनिक अम्ल पैदा होते हैं जो भूमि की क्षारीयता को कम देते हैं।
  • यह प्रदूषण उत्पन्न नहीं होने देती है तथा इससे मृदा की उर्वरा शक्ति पर भी कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • जैविक कृषि द्वारा मृदा में होने वाले कटाव को रोका जा सकता है।
  • जैव उर्वरकों के उपयोग से मृदा में संतुलित पोषक तत्व प्राप्त होते हैं जो मृदा की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं।
  • जैविक कृषि द्वारा मृदा की उर्वरता लम्बे समय तक बनी रहती है, इस प्रकार उत्पादन दीर्घकाल तक बढ़ता रहता है।
  • जैव उर्वरकों का उपयोग होना अत्यन्त आवश्यक हो गया है, इसके निरन्तर उपयोग से फसल की लागत बहुत कम आती है। अत: आर्थिक लाभ प्राप्त होता है।

RBSE Solutions for Class 12 Biology

Share this:

  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window)
  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on Facebook (Opens in new window)

Related

Filed Under: Class 12

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Recent Posts

  • RBSE Solutions for Class 7 Our Rajasthan in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 6 Our Rajasthan in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 7 Maths Chapter 15 Comparison of Quantities In Text Exercise
  • RBSE Solutions for Class 6 Maths Chapter 6 Decimal Numbers Additional Questions
  • RBSE Solutions for Class 11 Psychology in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 11 Geography in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Hindi
  • RBSE Solutions for Class 3 English Let’s Learn English
  • RBSE Solutions for Class 3 EVS पर्यावरण अध्ययन अपना परिवेश in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Maths in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 in Hindi Medium & English Medium

Footer

RBSE Solutions for Class 12
RBSE Solutions for Class 11
RBSE Solutions for Class 10
RBSE Solutions for Class 9
RBSE Solutions for Class 8
RBSE Solutions for Class 7
RBSE Solutions for Class 6
RBSE Solutions for Class 5
RBSE Solutions for Class 12 Maths
RBSE Solutions for Class 11 Maths
RBSE Solutions for Class 10 Maths
RBSE Solutions for Class 9 Maths
RBSE Solutions for Class 8 Maths
RBSE Solutions for Class 7 Maths
RBSE Solutions for Class 6 Maths
RBSE Solutions for Class 5 Maths
RBSE Class 11 Political Science Notes
RBSE Class 11 Geography Notes
RBSE Class 11 History Notes

Copyright © 2023 RBSE Solutions