Rajasthan Board RBSE Class 12 Biology Chapter 38 मानव जनसंख्या
RBSE Class 12 Biology Chapter 38 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उत्तर
RBSE Class 12 Biology Chapter 38 बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
मानव जनसंख्या के सन्दर्भ में सर्वप्रथम जनसंख्या सिद्धान्त का प्रतिपादन करने वाले वैज्ञानिक थे-
(अ) माल्थस
(ब) लैमार्क
(स) बोडेनहेमर
(द) डार्विन
उत्तर:
(अ) माल्थस
प्रश्न 2.
विश्व की कुल जनसंख्या में भारत का योगदान है|
(अ) 12.4 प्रतिशत
(ब) 17.85 प्रतिशत
(स) 16.2 प्रतिशत
(द) 15.1 प्रतिशत
उत्तर:
(ब) 17.85 प्रतिशत
प्रश्न 3.
विश्व जनसंख्या में तीव्र वृद्धि का कारण है-
(अ) जन्म दर बढ़ना,
(ब) जीवन-स्तर में सुधार
(स) विश्व का गर्म होना
(द) मृत्यु दर कम होना।
उत्तर:
(द) मृत्यु दर कम होना।
प्रश्न 4.
अधिकतम संख्या में वृद्धों में युक्त समष्टि का आकार
(अ) भविष्य में बढ़ने की सम्भावना
(ब) भविष्य में कम हो जाएगा।
(स) स्थिर रहेगा।
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) भविष्य में कम हो जाएगा।
प्रश्न 5.
निम्न में से कौन-सी गर्भ निरोधक नहीं है?
(अ) कंडोम
(ब) सहेली गोली
(स) वॉल्ट
(द) स्टेराइड पिल्स
उत्तर:
(द) स्टेराइड पिल्स
RBSE Class 12 Biology Chapter 38 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जनसंख्या की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
परिभाषा- ”एक विशेष जाति या कई जातियों के सभी प्राणियों को जो एक विशेष समय में विशेष क्षेत्र में रहते हैं, को क्षेत्र की जनसंख्या कहते हैं।”
प्रश्न 2.
जनसंख्या वृद्धि वक्र क्या है?
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि वक्र (Growth Curve of Population) – जनसंख्या निरन्तर वृद्धि करती रहती हैं। यह वृद्धि कर रही जनसंख्या मानव अथवा किसी अन्य जीव की हो सकती है। इनकी वृद्धि हुई जनसंख्या प्रजनन कर और अधिक वृद्धि करती है तथा यह निश्चित प्रतिरूप में वृद्धि करती है। इसी को जनसंख्या का वृद्धि वक्र कहते हैं।
प्रश्न 3.
भारत में मृत्युदर में कमी के लिये जिम्मेदार एक प्रमुख कारक को बताइये।
उत्तर:
भारत में मृत्युदर में कमी के लिये एक प्रमुख जिम्मेदार कारक के रूप में उन्नत चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता है, जिसमें रोग प्रतिरोधी टीकाकरण को भी शामिल किया गया है।
प्रश्न 4.
किसी समष्टि की जन्म दर एवं मृत्यु दर बराबर होने पर जनसंख्या वृद्धि का भविष्य क्या होगा?
उत्तर:
यदि किसी समष्टि की जन्मदर एवं मृत्यु दर बराबर हों तो उस समष्टि का आकार स्थिर होगा अर्थात् उसकी वृद्धि दर शून्य होगी। इसका जनसंख्या वृद्धि पर कोई प्रभाव भविष्य में नहीं पड़ेगा।
प्रश्न 5.
गर्भनिरोध युक्तियों में आई.यू.डी. क्या होती है?
उत्तर:
गर्भनिरोधक युक्तियाँ योनि मार्ग से गर्भाशय में लगाई जाने वाली युक्तियाँ होती हैं। इनमें आई.यू.डी. एक लूप के समान होती है जो गर्भ को ठहरने से रोक देती है।
प्रश्न 6.
गर्भनिरोधक गोलियाँ क्या होती हैं?
उत्तर:
गर्भनिरोधक गोलियाँ महिलाओं के द्वारा खाया जाने वाला गर्भनिरोधक प्रोजेस्टोजन अथवा प्रोजेस्ट्रोजन और एस्ट्रोजन का संयोजन है। जिसे थोड़ी मात्रा में मुँह द्वारा लिया जाता है।
प्रश्न 7.
वासैक्टामी क्या होता है?
उत्तर:
बंध्यकरण प्रक्रिया को पुरुषों के लिये वासैक्टोमी (Vasectomy) नाम दिया गया है। जिसमें शुक्रवाहक उच्छेदन में अण्डकोष (Scrotum) शुक्रवाहक में चीरा मारकर छोटा-सा भाग काटकर निकाल अथवा बाँध दिया जाता है।
प्रश्न 8.
टूबैक्टोमी क्या होता है?
उत्तर:
बंध्यकरण प्रक्रिया में महिलाओं के लिये उदर में छोटा-सा चीरा मारकर अथवा योनि द्वारा डिंबवाहिनी नली का छोटा-सा भाग निकाल या बाँध दिया जाता है। इस प्रक्रिया को ‘टूबैक्टोमी’ कहते हैं।
RBSE Class 12 Biology Chapter 38 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जन्मदर व मृत्यु दर में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जन्मदर व मृत्युदर में अन्तर–
प्रश्न 2.
जनसंख्या घनत्व किसे कहते हैं? इसे निकालने की विधि लिखिए।
उत्तर:
किसी भी एक विशेष क्षेत्र या आयतन की एक इकाई में पाये जाने वाले जीवों की संख्या को जनसंख्या घनत्व कहते हैं। यह एक संख्यात्मक धारणा है।
इसे निकालने के लिये निम्न सूच विधि का प्रयोग किया जाता है-
प्रश्न 3.
जनसंख्या घनत्व की गणना की विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या घनत्व की गणना की निम्नलिखित विधियाँ होती हैं-
- सीधी गणना विधि (Direct Count Method)-इस विधि का प्रयोग बड़े आकार वाले जीवों व समूह में रहने वाले जीवों के लिये प्रयोग में लाते हैं। इस विधि द्वारा एक-एक जीव की गणना जाती है।
- नमूना विधि द्वारा (By Sampling Method)—इस विधि में अलग-अलग क्षेत्र के कई नमूने लिये जाते हैं तथा प्रत्येक नमूने के समस्त जीवों की गिनती करने के पश्चात् उनका औसत निकालकर जनसंख्या घनत्व ज्ञात कर लिया जाता है।
- अंकन एवं पुनर्ग्रहण विधि द्वारा (By Marking and recapture method)-इस विधि में समष्टि का एक नमूना (Sample) निश्चित संख्या में पकड़ा जाता है तथा इन्हें विशेष चिन्न द्वारा अंकित कर छोड़ दिया जाता है। इस प्रकार इस प्रक्रिया को कई बार दोहराकर अंकित किये गये तथा बिना अंकित किये गये जन्तुओं के समानुपात द्वारा जनसंख्या घनत्व ज्ञात किया जाता है।
- अप्रत्यक्ष विधियों द्वारा (By Indirect Method)-इसमें ऑक्सीजन का उपयोग या कार्बन डाईऑक्साइड उत्पादन के आधार पर समष्टि घनत्व ज्ञात करते हैं। दूसरा उपयोग किये गये भोजन की मात्रा के आधार पर समष्टि घनत्व ज्ञात कर सकते हैं।
- खेत नमूना विधि द्वारा (By Sample Plot Method)इसमें क्षेत्र को बराबर-बराबर क्षेत्रफल के निश्चित खेतों (Plot) में बाँट दिया जाता है। इसके पश्चात् खेतों में प्राणियों की संख्या गिनकर ज्ञात की जाती है। अब प्राणियों की औसत संख्या को सभी खेतों की संख्या के योग से गुणा कर उस क्षेत्र का समष्टि घनत्व ज्ञात कर लेते हैं।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए-
(i) ‘S’ आकार का वृद्धि रूप
(ii) जनसंख्या को प्रभावित करने वाले कारक
(iii) मृत्यु दर एवं जन्म दर
उत्तर:
(i) ‘S’ आकार की वृद्धि रूप (“S” shaped growth curve)-इसकी स्थापना प्रावस्था में जीवों में बहुत कम वृद्धि होती है। मः य प्रावस्था में जीव संख्या में वृद्धि तीव्रगति से होती है, अत: जीवों में आपस में संघर्ष होता है। जिसके कारण जीव संख्या वृद्धि के ऐसे स्तर पर पहुँच जाती है जिसमें जन्मदर एवं मृत्युदर एक समान हो जाती है। अत: अन्तिम अवस्था स्थिर अवस्था कहलाती है। इस प्रकार वृद्धि कर रही जीव संख्या एवं समय के मध्य ग्राफ बनायें तो उसकी आकृति ‘S’ आकार की बनती है।
(ii) जनसंख्या को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting population growth)—यह निम्नलिखित हैं-
(अ) जन्म दर अथवा उर्वरता (Fertility)-जन्मदर अथवा उर्वरता किसी जनसंख्या की चालू वृद्धि का निर्धारण करती है। किसी भी जनसंख्या में उपस्थित सक्रिय जनन क्षमता वाले जीवों द्वारा शिशु उत्पादन की क्षमता उर्वरता कहलाती है। प्रति एक हजार व्यक्तियों द्वारा प्रतिवर्ष उत्पन्न किये गये शिशुओं की संख्या को उस समष्टि की जन्मदर कहा जाता है। इसका सूत्र \(N=\frac{B}{t}\) होता है, जहाँ पर N = जन्मदर, B = प्रति हजार व्यक्तियों द्वारा उत्पन्न बच्चों की संख्या, t = समयाविधि वर्षों में होती है।
(ब) मृत्युदर (Mortality)-किसी समष्टि की मृत्युदर प्रति एक हजार व्यष्टिगतों (Individuals) में प्रतिवर्ष मरने वाले व्यष्टिगतों की संख्या के बराबर होती है। \(M=\frac{D}{t}\) सूत्र द्वारा इसे ज्ञात किया जाता है। जहाँ M= मृत्युदर (Mortality), D = प्रति हजार व्यक्तियों में मरने वालों की संख्या, t = समयावधि (वर्षों में) होती है।
(स) प्रवास या अभिगमन (Migration)-जब किसी प्रजाति के सदस्य किसी एक स्थान से दूसरे स्थान को जाते हैं अथवा अन्य स्थानों से वहाँ आते हैं तो यह प्रक्रिया प्रवास कहलाती है। प्रजाति के सदस्यों का किसी अन्य स्थान को जाना उत्प्रवास (Emigration) तथा आना आप्रवासन (Immigration) कहलाता है।
(द) आयुवितरण (Age Distribution)–समष्टि में विभिन्न आयु-वर्ग के जीवों की बहुतायत को आयु वितरण कहते हैं। आयु वितरण विभिन्न आयु वर्गों में समष्टि के जीवों की संख्या होती है। यह समष्टि का एक महत्वपूर्ण लक्षण होता है। समष्टि में आयु वितरण प्रजाति तथा समष्टि की स्थिति पर निर्भर करती है।
(iii) मृत्युदर एवं जन्मदर- दुनिया के अधिकांश देशों में पिछले दशकों में मृत्य दर में निरन्तर गिरावट दर्ज की गयी है। इसके परिणामस्वरूप जनसंख्या वृद्ध दर में वृद्धि हुई है। ”किसी समष्टि की मृत्युदर प्रति एक हजार व्यष्टिगतों में प्रतिवर्ष मरने वाले व्यष्टिगतों की संख्या के बराबर होती है। उन्नत चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता के कारण मृत्यु दर में भारी गिरावट आयी है। खाद्यान्नों एवं पेयजल की उपलब्धता में सुधार होना भी इसका प्रमुख कारण है।
इसी के विपरीत प्रति एक हजार व्यक्तियों द्वारा प्रतिवर्ष उत्पन्न किये गये शिशुओं की संख्या को उसकी समष्टि की जन्मदर कहा जाता है। किसी भी समष्टि की जन्म दर एवं मृत्युदर उस समष्टि के आकार का निर्धारण करने में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
प्रश्न 5.
समष्टि में आयु संरचना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समष्टि में आयु संरचना जन्मदर एवं मृत्युदर दोनों को प्रभावित करती है। समष्टि में विभिन्न आयु-वर्ग के जीवों की बहुतायत को उसकी आयु संरचना कहते हैं। यह प्रजाति तथा समष्टि की स्थिति अर्थात् यह स्थाई है या परिवर्तनशील, इस पर निर्भर करती है। यह विभिन्न आयु-वर्गों में समष्टि के जीवों की संख्या है। मृत्युदर आयु के साथ-साथ समूहों तक ही सीमित रहता है।
अत: आयु संरचना के अनुपात के आधार से ज्ञात किया जा सकता है कि समष्टि का भविष्य क्या होने वाला है।
प्रश्न 6.
आयु पिरैमिड क्या होते हैं?
उत्तर:
समष्टि में विभिन्न जीवों के आयु समूह का प्रतिरूपण पिरैमिड के रूप में किया जाता है। इस प्रकार बने पिरैमिड को आयु पिरैमिड कहते हैं। इसमें विभिन्न आयु वर्गों के प्राणियों की संख्या उत्तरोत्तर क्षैतिज पट्टियों की तुलनात्मक चौड़ाई द्वारा प्रदर्शित की जाती है।
प्रश्न 7.
स्त्रियों द्वारा प्रयुक्त गर्भनिरोधक युक्तियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
विभिन्न प्रकार की गर्भ निरोधक युक्तियों को स्त्रियों द्वारा प्रयोग में लाया जाता है। इनका प्रयोग अनुभवी नसें या डॉक्टरों के द्वारा ही कराया जाता है। इनके निम्न उदाहरण हैं, जैसे-औषधिरहित आई.यू. डी. (लिप्पेस लूप), ताँबा मोचक आई.यू.डी. (कॉपर-टी, कॉपर-7 मल्टीलोड 375 कॉपर टी तथा हार्मोन मोचक आई.यू.डी. आदि। आई.यू. डी. गर्भाशय के अन्दर कॉपर का आयन मोचित होने के कारण शुक्राणुओं की भक्षकाणुक्रिया बढ़ा देता है। जिससे उनकी क्षमता तथा गतिशीलता कम हो जाती है। ये गर्भाशय ग्रीवा को शुक्राणुओं का विरोधी बनाते हैं। यह एक आदर्श गर्भनिरोधक युक्ति है।
प्रश्न 8.
बंध्यकरण पर लेख लिखिए।
उत्तर:
कुछ प्रमुख शल्य क्रिया विधियाँ लोगों द्वारा प्रयोग में लायी जाती हैं। इन्हें ही बंध्यकरण कहते हैं। जो लोग आगे गर्भावस्था नहीं चाहते हैं, वह इनका प्रयोग करते हैं। इसे पुरुष या स्त्री में से कोई एक अपनाकर युग्मक परिवहन को रोक दिया जाता है। जिससे गर्भाधान नहीं होता है। इस बंध्यकरण प्रक्रिया को पुरुषों के लिये ‘शुक्रवाहक-उच्छेदन’ (वासैक्टोमी – Vasectomy) तथा महिलाओं के लिये डिम्बावाहिनी (फैलोपी) नलिका उच्छेदन (टूबैक्टामी – Tubectomy) कहलाता है। इन्हें पुरुष या महिला नसबंदी के नाम से भी जाना जाता है। वासेक्टॉमी में शुक्रवाहक अण्डकोष (Scrotum) में चीरा मारकर छोटा-सा भाग काटकर निकाल अथवा बाँध दिया जाता है। जबकि स्त्री के उदर में छोटा-सा चीरा मारकर अथवा योनि द्वारा डिंबवाहिनी नली का छोटा-सा भाग निकाल या बाँध दिया जाता है।
RBSE Class 12 Biology Chapter 38 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या कल के लिये विकट समस्या पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य अत्यन्त शक्तिशाली प्राणी है। मनुष्य अपनी विभिन्न प्रकार की क्षमता के कारण ही वह मानव जनसंख्या के रूप में पृथ्वी पर सभी प्रकार की जलवायु में पाया जाता है। यह अपनी मानसिक एवं संरचनात्मक क्षमताओं के कारण अन्य समस्त जीवों से श्रेष्ठ है।
बढ़ती हुई मानव जनसंख्या जो कि भारत की है एक विकट समस्या बनचुकी है। आज इस पर अनेक शोधकार्य चल रहे हैं। इसके कारण भविष्य में अनेक प्रकार की समस्याओं का समाधान, उनके विकास की सम्भावनाओं आदि का अध्ययन जनसांख्यिकी या डेमोग्राफी (Demography) कहलाता है।
टी. आर. माल्थस (1778) ने सर्वप्रथम अपने जनसंख्या वृद्धि सिद्धान्त में बताया कि जनसंख्या में वृद्धि ज्यामितीय अनुपात (जैसे- 1, 2, 4, 8,….) में होती है। परन्तु भोजन की उपलब्धता में वृद्धि बीजगणितीय अनुपात (जैसे-1, 2, 3, 4,….) में होती है। सन् 1900 ई. में पूरे विश्व की जनसंख्या लगभग 2 अरब (2000 मिलियन) थी जो सन् 200 ई. में तेजी से बढ़कर 6 अरब (6000 मिलियन) हो गयी। ठीक यही समस्या भारत की भी है, जो यहाँ देखने को मिलती है। हमारे देश की जनसंख्या आजादी के समय में लगभग 350 मिलियन (35 करोड़) थी जो सन् 2000 ई. में एक अरब (1000 मिलियन) से ऊपर पहुँच चुकी है।
इस सबका मुख्य मातृ मृत्युदर एवं शिशु मृत्युदर में कमी के साथ-साथ जनन आयु के लोगों की संख्या में वृद्धि होना है। विभिन्न उपाय करने के पश्चात् भी जनसंख्या वृद्धि दर में यह कमी न के बराबर हो रही है। भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या आज विश्व में दूसरे बड़े देश का रूप ले चुकी है। यह 1.34 अरब हो गयी है। यदि इसकी वृद्धि दर पर रोक न लगी तो सन् 2030 तक भारत विश्व की अधिकतम जनसंख्या वाला देश बन एक विकट समस्या उत्पन्न कर देगा। जिसमें खाद्यान्न समस्या, वस्त्र आपूर्ति समस्या, आवास की समस्या, पेयजल समस्या, पर्यावरण समस्या आदि, आदि विकट समस्याओं के रूप में उत्पन्न हो जाएँगी। इन समस्याओं की शुरुआत हो चुकी है। इन सभी का समाधान सिर्फ इस बढ़ती हुई जनसंख्या पर रोक लगाकर ही किया जा सकता है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए-
(i) मानव आयु पिरैमिड।
(ii) भारतीय जनसंख्या में स्त्री-पुरुष का अनुपात।
उत्तर:
(i) मानव आयुपिरैमिड (Age Pyramid)-यह सर्वविदित है कि समष्टि में विभिन्न जीवों के आयु समूह का प्रतिरूपण पिरैमिड के रूप में किया जाता है। इस प्रकार से बने पिरैमिड को आयु पिरैमिड कहते हैं। इनमें विभिन्न आयु-वर्गों के प्राणियों की संख्या को उत्तरोत्तर क्षैतिज पटिट्यों की तुलनात्मक चौड़ाई के द्वारा प्रदर्शित करते हैं। हमारी पारिस्थितिकी में यह पिरैमिड निम्नलिखिसत तीन प्रकार के होते हैं-
(अ) चौड़े आधारी भाग वाला पिरैमिड (Apyramid Eith broad base)-इस चौड़े आधारी भाग वाले पिरैमिड को शिशु व्यष्टि द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इसमें प्रत्येक उत्तरोत्तर पीढ़ी में प्राणियों की संख्या पहले वाली पीढ़ी के प्राणियों की संख्या से अधिक होती है। उदाहरण-घरेलू मक्खी, यीस्ट एवं पैरामीशियम।
(ब) घण्टी के आकार का पोलीगन (A Bell-shaped polygon)-यह पिरैमिड उन समष्टि के लिये प्रदर्शित किया जाता है। जिनकी कि वृद्धिदर धीमी होती जाती है तथा स्थिर हो जाती है। तब पूर्ण जननीय एवं जननीय आयु समूह के जीन लगभग बराबर हो जाते हैं। पश्च जननीय आयु समूह सबसे छोटा रह जाता है। इस स्थायी समष्टि की आयु वितरण प्रतिरूपण घण्टी के आकार का होता है।
(स) जलपात्र के आकार के पिरैमिड (An Urn-shoped Pyramid)-यह पिरैमिड कम शिशु व्यष्टि को प्रदर्शित करते हैं। इनमें जन्मदर अत्यधिक कम हो जाती है तथा पूर्वजननीय आयु समूह की तुलना में जननीय एवं पश्चजननीय आयु समूह में वृद्धि होती है। इनके आयु वितरण का प्रतिरूपण जल के पात्र के आकार का होता है।
(ii) भारतीय जनसंख्या में स्त्री-पुरुष को अनुपात- भारतीय जनसंख्या में निरन्तर वृद्धि हो रही है, परन्तु इसमें स्त्री-पुरुष का अनुपात एक विशेष गणना है। जिस प्रकार से वर्तमान में भारत की कुल जनसंख्या में लगभग 69.7 करोड़ पुरुष तथा लगभग 65.2 करोड़ महिलाएँ हैं वही यह अनुपात लिंग अनुपात की वृद्धि से लगभग 9.45 महिलाएँ प्रति 1000 पुरुष होती है। जिसमें यदि आयु की वृद्धि से देखा जाता है तो 50 प्रतिशत जनसंख्या 0-25 वर्ष आयु की है। लगभग 72.2 प्रतिशत जनसंख्या शहरी क्षेत्रों में निवास करती है। सामान्यतः पश्चिमी देशों की जनसंख्या घट रही है, दूसरी ओर भारत सहित एशिया और पिछड़े एवं अविकसित राष्ट्रों में जनसंख्या बढ़ रही है। जिससे वहाँ की आर्थिक प्रगति एवं विकास प्रभावित हो रहा है। इसमें स्त्री तथा पुरुषों के बीच का अनुपात भी निरन्तर बढ़ता ही जा रहा है। जिसके लिए सरकार कई प्रकार के उपाय कर रही है।
प्रश्न 3.
जनसंख्या वृद्धि वक्रों का सविस्तार वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि वक्र (Population Growth Curve)
मानव अथवा अन्य जीवों की वृद्धि कर रही जनसंख्या एक निश्चित प्रतिरूप में वृद्धि करती है, जिसे जनसंख्या का वृद्धि वक्र कहते हैं।
वृद्धिवक्र आकार के अनुसार निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं-
(i) ‘S’ आकार का वृद्धि-वक़ (S’ Shaped Growth Curved)-इस प्रकार की वृद्धि जीवों में प्राकृतिक अवस्था में होती है। शुरू में इसकी गति धीमी होती है। इसका कारण जीवों का क्षेत्र में धीमी गति से समायोजित होना होता है तथा वह अपने क्षेत्र को स्थापित करते हैं। जिससे प्रजनन जीवों की संख्या कम हो जाती है। जब यह जीव अपने क्षेत्र में स्थापित हो जाते हैं तब इनमें वृद्धि तीव्र गति से होती है। इसे स्थापन अवस्था कहते हैं। प्रजनन योग्य जीवों की संख्या भी बढ़ जाती है। तथा भोजन व आवास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है। यह मध्य प्रावस्था या चरघातांकी प्रावस्था कहलाती है। जब मध्य प्रावस्था में जीवों की वृद्धि तीव्र होती है तो भोजन सामग्री एवं रहने के लिये आवास कम हो जाता है। जीवों में संघर्ष होता है। इन सबके परिणामस्वरूप जीव संख्या वृद्धि के ऐसे स्तर | पर पहुँच जाती है जिसमें जन्मदर एवं मृत्युदर एक समान हो जाती है। अतः अन्त में जीवों के अपने वातावरण से साम्य स्थापना को स्थिर या स्तब्ध अवस्था शून्य वृद्धि प्रावस्था (Stationary phase) कहते हैं। इस प्रकार से वृद्धि कर रही जीव संख्या एवं समय के मध्य ग्राफ बनायें तो उसकी आकृति S आकार की बनती है।
(2) ‘J’ आकर का वृद्धि वक्र (“J’ Shaped Growth Curve)-जब जीवसंख्या तीव्र दर से बढ़ती है एवं एक निश्चित उच्च सीमा पर स्थिर हो जाती है। अर्थात् मृत्युदर एवं जन्मदर बराबर हो जाती है, तब वृद्धि दर शून्य हो जाती है। यह भोजन सामग्री में कमी के कारण होता है। यह वृद्धि वक्र J आकृति का होता है। इसकी तीन प्रावस्थाएँ प्रदर्शित होती हैं-
(i) पश्चता प्रावस्था (Lagphase)-इस अवस्था में वृद्धि अत्यन्त कम होती है।
(ii) चरघातांकी प्रावस्था (Exponetial Phase)-इस प्रावस्था के पश्चात जनसंख्या में ज्यामितीय रूप में तीव्र वृद्धि होती है।
(iii) अंन्तिम या विनाश प्रावस्था (Crash Phase)-यह जनसंख्या वृद्धि के ठहराव की अवस्था होती है। यह अवस्था पर्यावरण की धारक क्षमता पार होने पर जीवों को जीवित रहने के लिये आवश्यक संसाधनों की कमी होने पर प्राप्त होती है। इसीलिए यह अन्तिम या विनाश प्रावस्था कहलाती है।
इसमें J की आकृति का वक्र बनता है जो वातावरणीय प्रतिरोध के नगण्य व शून्य स्थिति को दर्शाता है। विश्व में मानव जनसंख्या की स्थिति J आकृति का वक्र दर्शाती है। जैसे-कीटों (Insects) में।
प्रश्न 4.
जनसंख्या को नियन्त्रण करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि को नियन्त्रित करने वाले निम्नलिखित : कारक हैं-
(i) विवाह की आयु में वृद्धि (Increase in age of marriage)-पुराने समय से ही हमारे देश में बाल-विवाह एक कुरीति के रूप में परम्परा का हिस्सा बनी रही है। जिस पर रोक लगाया जाना परम आवश्यक हो गया है। इसके लिये कानूनी व्यवस्था के अन्तर्गत विवाह की आयु बढ़ाकर लड़कियों के लिये 21 वर्ष तथा लड़कों के लिये 24 वर्ष कर देनी चाहिए।
(ii) शिक्षा प्रसार-शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जिसकी सहायता से अज्ञानता और गरीबी को दूर कर जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगायी जा सकती है। लोगों को परिवार नियोजन के लाभों से अवगत कराया जाना चाहिए, इसके लिये यौन शिक्षा की भी पूर्ण व्यवस्था होनी चाहिए।
(iii) प्राकृतिक विधियाँ (Netural Methods)-इन विधियों में अण्डाणु (ओवम) एवं शुक्राणु के संगम को रोकने का सिद्धान्त कार्य करता है। इसमें आवधिक संयम को अपनाकर गर्भाधान को रोका जा सकता है। इसके अतिरिक्त बाह्य स्खलन या अंतरित मैथुन (Coutius Interruption) एक अन्य विधि के द्वारा पुरुष साथी संभोग के दौरान वीर्य स्खलन से ठीक पहले स्त्री की योनि से अपना लिंग बाहर निकाल कर वीर्य सेचन से बच सकता है। स्तनपान अनार्तव विधि द्वारा भी गर्भधारण को रोकने में सफल है। यह विधि प्रसव के बाद ज्यादा से ज्यादा 6 माह तक की अवधि तक ही कारगर मानी गयी है।
(iv) परिवार नियोजन (कल्याण) (Family Planning Welfare)-परिवार नियोजन ही एकमात्र कारगर साधन है जो बढ़ती हुई जनसंख्या की समस्या को कुछ हद तक हल कर सकता है। इसके अन्तर्गत गर्भनिरोधक साधनों के उपयोग के विषय में ज्ञान कराया जाता है। ताकि विवाहित दम्पत्ति अपनी इच्छा के अनुसार ही सन्तानों को जन्म दे सके एवं परिवार वृद्धि पर नियन्त्रण कर सकें। भारत सरकार व राज्य सरकारें इस पर बहुत अधिक धन खर्च कर रही हैं, क्योंकि यही एक
कोरगर तरीका है, जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाने का। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित साधनों को उपयोग में लाया जा रहा है-,
(अ) रोध (Barier)-इसके लिये स्त्री अथवा पुरुष दोनों के लिये कंडोम (निरोध) आदि रोधक उपाय किये गये हैं, जो अण्डाणु और शुक्राणु को भौतिक रूप से मिलने से रोक देते हैं। इसके अतिरिक्त डायाफ्रॉम, गर्भाशय ग्रीवा टोपी तथा वॉल्ट आदि भी रोधक उपाय प्रयोग किये जा रहे हैं। शुक्राणुनाशक क्रीम, जेली एवं फोम (झाग) का प्रायः इस्तेमाल किया जाता है।
(ब) गर्भाशयी युक्ति (Intra Vterine Device; IVD)-ये युक्तियाँ डॉक्टरों या अनुभवी नर्मों के द्वारा योनि मार्ग से गर्भाशय में लगायी जाती है। जैसे-आई यू डी, ताँबा मोचक आई यू डी तथा हॉर्मोन मोचक आई यू डी आदि।
(स) गर्भनिरोधक गोलियाँ-ये गोलियाँ ‘पिल्स’ के नाम से लोकप्रिय हैं जैसे-सहेली आदि। इन्हें महिलाओं के द्वारा एक गर्भनिरोधक प्रोजेस्टोजन अथवा प्रोजेस्ट्रोजन और एस्ट्रोजन के संयोजन के रूप में मुँह द्वारा लिया जाता है।
(द) शल्यक्रिया विधियाँ-इसके अन्तर्गत बंध्याकरण विधि को अपनाया जाता है। पुरुषों में प्रयोग की जाने वाली विधि को वासैक्टोमी तथा महिलाओं में प्रयोग की जाने वाली विधि टूबैक्टोमी कहलाती हैं यह पुरुष या महिला नसबंदी के नाम से भी जानी जाती है।
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