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Rajasthan Board RBSE Class 12 Biology Chapter 5 पादप-जल संबंध
RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 5 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 5 बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
पर्णो द्वारा वायुमण्डल से CO2 व O2 के विनिमय की क्रिया को कहते है –
(अ) परासरण
(ब) विसरण
(स) अंत:शोषण
(द) अंत:परासरण
प्रश्न 2.
निम्न में से पारगम्य है –
(अ) कोशिका झिल्ली
(ब) टोनाप्लास्ट
(स) क्यूटिकल
(द) कोशिका भित्ति
प्रश्न 3.
श्लथ अवस्था में DPD का मान होगा –
(अ) OP के बराबर
(ब) OP से अधिक
(स) शून्य
(द) OP से कम
प्रश्न 4.
श्लथ कोशिका में कौनसा दाब शून्य होता है?
(अ) चूषण दाब
(ब) विसरण दाब
(स) स्फीति
(द) परासरण दाब
प्रश्न 5.
जलस्नेही कोलॉइडी पदार्थों द्वारा जल का अधिशोषण कर फूलने की क्रिया को कहते हैं –
(अ) अंत: शोषण
(ब) परासरण
(स) विसरण
(द) जीवद्रव्यविकुंचन
उत्तरमाला
1. (ब)
2. (द)
3. (अ)
4. (स)
5. (अ)
RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 5 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अर्द्धपारगम्य झिल्ली का उदाहरण दीजिए।
उत्तर
जीवद्रव्य झिल्ली (Plasmamembrane)।
प्रश्न 2.
परासरण का एक महत्त्व बताइए।
उत्तर
जल का पौधों के विभिन्न अंगों में वितरण परासरण द्वारा होता है।
प्रश्न 3.
विसरण को परिभाषित कीजिए।
उत्तर
विसरण (Diffusion) – पदार्थ के अणुओं की अधिक सान्द्रता के क्षेत्र से कम सान्द्रता के क्षेत्र की ओर होने वाली गति विसरण। (Diffusion) कहलाती है।
प्रश्न 4.
अन्तः शोषण की परिभाषित कीजिए।
उत्तर
अन्तःशोषण (Imbibition) – किसी पदार्थ के ठोस कणों द्वारा किसी द्रव का बिना विलयन बनाए अवशोषण को अन्त:शोषण (Imbibition) कहते हैं। उदाहरणार्थ- सूखी लकड़ी का जल अवशोषित करके फूल जाना।
प्रश्न 5.
TP, WP को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
- स्फीतिदाब (Turgor Pressure, TP) – कोशिका कला द्वारा कोशिका भित्ति पर बाहर की ओर आरोपित अपकेन्द्री दाब (Turgor Pressure, TP) कहलाती है।
- भित्तिदाब (Wall PreBBure, WP) – कोशिका भित्ति द्वारा कोशिका कला पर अन्दर की ओर आरोपित अभिकेन्द्री दाब भित्ति दाब (Wall pressure, WP) कहलाता है।
RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 5 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जलविभव को स्पष्ट करें
उत्तर
जलविभव (Water Potential) – जल विभव की अवधारणा आर. के. स्लेटियर तथा एस ए. टायलर (1960) ने प्रस्तुत की थी। यदि कोशिका को जल में रखा जाये तो शुद्ध जल के अणु तथा कोशिका के विलयन में उपस्थित जल के अणुओं की मुक्त ऊर्जा के बीच के अन्तर को उसे तंत्र का जलविभवे (Water Potential) कहते हैं। इसे ग्रीक अक्षर φ (साई psi) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है तथा इसकी इकाई बार (Bat) या वायुमण्डल (Atmospheres, atm) होती है।”
प्रश्न 2.
अन्तः परासरण तथा बहिः परासरण को विभेदित कीजिए।
उत्तर
अन्तः परासरण तथा बहिः परासरण में अन्तर
अन्तः परासरण | बहिः परासरण | |
1. | यह क्रिया पादप कोशिकाओं में उस स्थिति में होती है जब बाह्य विलयन अल्पपरासरी (Hypotonic) होता है। | यह क्रिया उस स्थिति में होती है जब बाह्य विलयन अतिपरासरी (Hypertonic) होता है। |
2. | इस प्रक्रिया के फलस्वरूप जल सजीव कोशिकाओं एवं ऊतकों में प्रवेश करता है। | इसमें जल कोशिकाओं एवं ऊतकों से बाहर निष्कासित होता है। |
3. | इस प्रक्रिया में कोशिकाएँ आयतन में वृद्धि करके स्फीत (Turgid) हो जाती हैं। | इसके परिणामस्वरूप कोशिकाएँ स्लथ (Flaccid) हो जाती हैं। |
4. | परासरण द्वारा उत्पन्न दाब 100 बार से भी कम होता है। | यह दाब 500 – 100 बार तक हो सकता है। |
प्रश्न 3.
जीवद्रव्य कुंचन तथा जीवद्रव्य विकुंचन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
जीवद्रव्य कुंचन तथा जीवद्रव्य विकुंचन में अन्तर
जीवद्रव्य कुंचन | जीवद्रव्य विकुंचन | |
1. | इस प्रक्रिया में जीवद्रव्य कोशिका भित्ति से अलग दिखता है। | इसमें जीवद्रव्य कोशिका भित्ति से लगा होता है। |
2. | यह कोशिका को अतिपरासरी विलयन में रखने के कारण होता है। | यह कोशिका को अल्पपरासरी विलयन में रखने के कारण होता है। |
3. | इसमें बहिः परासरण क्रिया होती है। | इसमें अन्त:परासरण क्रिया होती है। |
4. | इसमें अधिक बहिः परासरण के कारण कोशिका मृत हो सकती है। | कोशिका जीवित रहती है। |
प्रश्न 4.
अतिपरासरी तथा अल्पपरासरी विलयन में विभेद कीजिए।
उत्तर
अतिपरासरी तथा अल्पपरासरी विलयन में विभेद
अतिपरासरी विलयन | अल्पपरासरी विलयन | |
1. | ऐसा विलयन जिसकी सान्द्रता दूसरे विलयन या कोशिका द्रव्य की तुलना में अधिक हो अतिपरासरी विलयन (Hypertonic solution) कहलाता है। | ऐसा विलयन जिसकी सन्द्रिता दूसरे विलयन या कोशिका द्रव्य की सान्द्रता की तुलना में कम हो अल्पपरासरी विलयन (Hypotonic solution) कहलाता है। |
2. | यदि किसी कोशिका को ऐसे विलयन में रखा जाये तो बहिः परासरण क्रिया द्वारा जल कोशिका से बाहर आ जाता है तथा कोशिका सिकुड़ जाती है। | यदि किसी कोशिका को ऐसे विलयन में रखा जाये तो अन्तः परासरण क्रिया द्वारा जल कोशिका में प्रवेश करती है तथा कोशिका फूल जाती है। |
प्रश्न 5.
विसरण दाब प्रवणता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
विसरण दाब प्रवणता (Diffusion Pressure Gradient, DPG) – विसरण की दर किसी तन्त्र के दो सिरों पर विसरण प्रवणताओं के अन्तर के समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
प्रश्न 6.
विसरण दाब न्यूनता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
विसरण दाब न्यूनता (Diffusion Pressure Dificit, DPD) शुद्ध विलायक (जल) की तुलना में विलयन के विसरण दाब में जितनी कमी होती है उसे विसरण दाब न्यूनता (Diffusion Pressure Deficit, DPD) कहते हैं। DPD को चूषण दाब (Suction Pressure, SP) भी कहते हैं।
DPD = OP – TP
प्रश्न 7.
अन्तः शोषण को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
अन्तःशोषण (Imbibition) – किसी पदार्थ के ठोस कणों द्वारा किसी द्रव का बिना विलयन बनाये अवशोषण को अन्त:शोषण (Imbibition) कहते हैं। वास्तव में इस प्रकार के अवशोषण को अधिशोषण (Adsorption) कहते हैं।
उदाहरणार्थ– बरसात के मौसम में अथवा पानी में रखने पर लकड़ी के दरवाजे अन्त:शोषण के कारण फूल जाते हैं।
RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 5 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
परासरणी विभव, दाब विभव तथा जल विभव की व्याख्या कीजिए तथा इनके पारस्परिक सम्बन्धों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
- परासरणी विभव (Osmotic Potential) – किसी विलयन का परासरण दाब (Osmotic Pressure) उसमें उपस्थित विलेय के अणुओं के कारण होता है तथा विलेय के अणुओं का जल में मिलने पर जलविभव कम होता है। अतः हम कह सकते हैं कि किसी विलयन का परासरणी दाब उसके जल विभव से कम होने का सूचक होता है। ऊष्मागतिक शब्दावली में इसे परासरण विभव (Osmotic Potential) कहते हैं। इसे φs से व्यक्त करते हैं। परासरण विभव का मान ऋणात्मक होता है।
- दाब विभव (Pressure Potential) – कोशिका में स्फीति दाब जले के अणुओं को अन्दर आने से रोकता है। स्फीति दाब द्वारा जल विभवे में हुए प्रभाव को दाब विभव (Pressure potetnial) कहते हैं। इसे φp से प्रदर्शित करते हैं।
- जल विभव (Water Potential) – यदि कोशिका को जल में रखा जाए तो शुद्ध जल के अणु तथा कोशिका में विलयन में उपस्थित जल के अणुओं की मुक्त ऊर्जा के मध्य के अन्तर को उस तन्त्र का जलविभव (Water potential) कहते हैं। इसे φw से प्रदर्शित करते हैं।
- परासरण विभव, दाब विभव तथा जल विभव में सम्बन्ध (Relation between osmotic potential pressure potential and water potential) – जल विभव (φw) = φs (परासरण विभव) + φp (दाब विभव)
प्रश्न 2.
परासरण क्रिया को परिभाषित करते हुए एक प्रयोग का वर्णन कीजिए। जिसके द्वारा इसको प्रदर्शित किया जा सकता है।
उत्तर
परासरण एक विशेष प्रकार की विसरण प्रक्रिया है जिसमें जल अधिक सान्द्रता वाले क्षेत्र से कम सान्द्रता वाले क्षेत्र की ओर विसरित होता है। परासरण हमेशा एक पारगम्य या अर्द्धपारगम्य झिल्ली के द्वारा ही होता है। पौधों में जल की आपूर्ति परासरण क्रिया द्वारा ही होती है। परासरण की खोज एबे नॉलेट (Abbe Nollet) ने की थी।
“परासरण वह क्रिया है जिसमें अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा पृथक् किए गए भिन्न सान्द्रता वाले दो घोलों में विलायक के अणुओं का विसरण कम सान्द्रता वाले घोल अर्थात विलायक की उच्च सान्द्रता वाले घोल से अधिक सान्द्रता वाले घोल अर्थात विलायक की निम्न सान्द्रता वाले घोल की तरफ होता है। अतः परासरण भी एक प्रकार का विसरण है जिसमें दो तन्त्रों के बीच में अर्द्धपारगम्य झिल्ली की उपस्थिति अनिवार्य होती है।
प्रश्न 3.
परासरण, विसरण तथा अन्तः शोषण का संक्षेप में वर्णन करते हुए इनका पादप कार्यिकी में महत्व बताइए।
उत्तर
विसरण (Difusion) – पदार्थों के अणु अपनी गतिज ऊर्जा (Kinetic energy) के कारण निरन्तर गति की अवस्था में रहते हैं तथा उपलब्ध स्थान से समान रूप से विपरीत होने का प्रयास करते हैं। इसके लिए अणु अपने अधिक सान्द्रता के क्षेत्र से कम सान्द्रता के क्षेत्र की ओर गति करते हैं। यह गति विसरण (Diffusion) कहलाती है।
विसरण का महत्त्व (Importance of Diffusion) –
- वायुमण्डल तथा पादपों के मध्य ऑक्सीजन (O2) तथा कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का आदान-प्रदान विसरण द्वारा होता है।
- वायुमण्डल में जलवाष्प का विसर्जन विसरण द्वारा होता है।
- खनिज लवणों का निश्चेष्ट अवशोषण (Passive obsorption) विसरण द्वारा होता है।
परासरण (Osmosis) – “परासरण वह क्रिया है जिसमें अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा प्रथक किए गए भिन्न सान्द्रता वाले दो विलयनों में विलायक के अणुओं का विसरण कम सान्द्रता वाले विलयन से अधिक सान्द्रता वाले विलयन अर्थात विलायक की निम्न सान्द्रता वाले घोल की तरफ होता है।”
अतः परासरण भी एक प्रकार का विसरण है जिसमें दो तन्त्रों के बीच में अर्द्ध पारगम्य झिल्ली की उपस्थिति आवश्यक होती हैं। परासरण दो प्रकार का होता है –
- बहिः परासरण
- अन्तः परासरण
परासरण का महत्व (Importance of Osmosis) –
- मूलरोमों (Root hairs) द्वारा जल का अवशोषण तथा पौधों के अन्दर जल का एक कोशिका से दूसरी कोशिका में विसरण परासरण की प्रक्रिया द्वारा होता है।
- कोशिका की स्फीति अवस्था (Turgidity) परासरण पर निर्भर करती है। यह अवस्था सभी कोशिकीय क्रियाओं के लिए आवश्यक है।
- जल का पौधों के विभिन्न अंगों में वितरण परासरण द्वारा ही होता है।
- तरुण कोशिकाओं की वृद्धि इसी क्रिया पर निर्भर करती है।
- यह क्रिया पादपों को हिमीकरण (Freezing) तथा शुष्कन (Desiccation) के प्रति प्रतिरोधी बनाती है।
अन्त:शोषण (Imbibition) – किसी पदार्थ के ठोस कणों द्वारा द्रव का बिना विलयन बनाये अवशोषण को अन्त:शोषण (Imbibition) कहते हैं तथा जल अवशोषित करने वाला पदार्थ अन्त:शोषक (Imbibant) कहलाता है। उदाहरणार्थ-बरसात के मौसम में अथवा पानी में रहने पर लकड़ी के दरवाजे अन्तः शोषण के कारण फूल जाते हैं।
अन्तःशोषण का महत्व (Importance of Imbibition)
- अंकुरित बीजों द्वारा जल का अधिशोषण मुख्यतः अंतः शोषण द्वारा किया जाता है। इसी प्रकार अंकुरण के समय बीजों के स्फुटने में भी इस क्रिया की योगदान होता है।
- कई पादपों में पुनर्जीवन (Resurrection) की क्रिया इनमें जलप्रिय कोलॉइडों की उपस्थिति के कारण ही होती है।
RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 5 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 5 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
किन्हीं दो अधिशोषकों के नाम बताइए।
उत्तर
- सेलुलोस
- अगार
प्रश्न 2.
पानी में रखने पर किशमिश क्यों फूल जाती है?
उत्तर
पानी में रखने पर किशमिश अन्त:परासरण के कारण फूल जाती है।
प्रश्न 3.
बीज अंकुरण के समय बीज तथा जल के बीच क्या क्रिया होती है?
उत्तर
आरम्भ में बीज अंकुरण के समय जल का अवशोषण करके फूल जाते हैं। अन्य जैविक क्रियाएँ इसके पश्चात होती हैं।
प्रश्न 4.
विसरण दाब न्यूनता (DPD) किसके बराबर होती है?
उत्तर
विसरण दाब न्यूनता (DPD) परासरण दाब (OP) तथा स्फीति दाब (TP) के अन्तर की बराबर होती है।
DPD = OP – TP
प्रश्न 5.
यदि पादप कोशिका को अतिपरासरी विलयन में डाल दिया जाय तो वह किस दशा को प्राप्त होगी?
उत्तर
कोशिका में बहि:परासरण होगा तथा वह जीवद्रव्यकुंचन के कारण सिकुड़ जायेगी।
प्रश्न 6.
क्या होता है जबकि शुद्ध जल या विलयन पर पर्यावरण के दाब की अपेक्षा अधिक दाब लागू किया जाता है।
उत्तर
जब शुद्ध जल या विलयन पर पर्यावरण से अधिक दाब लागू किया जाता है तब जल विभव बढ़ जाता है।
प्रश्न 7.
दैनिक जीवन में जीवद्रव्यकुंचन का एक उपयोग बताइए।
उत्तर
अचार में अधिक नमक डालकर उसे परिरक्षित किया जाता है।
प्रश्न 8.
जीवद्रव्य विकुंचन किस विधि द्वारा किया जा सकता है?
उत्तर
जीवद्रव्य कुंचित कोशिका को पुनः जल में रखने पर उसका जीवद्रव्य विकुंचन हो जाता है।
RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 5 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जल के उन गुणों को लिखिए जो इसे असाधारण यौगिक बनाते हैं।
उत्तर
जल एक असाधारण यौगिक है। इसकी अनेकों विशेषताएँ इसे असाधारण यौगिक बनाती हैं; जैसे-ध्रुवीय प्रकृति (Polar nature), हाइड्रोजन बन्धन (Hydrogen bonding), सार्वत्रिक विलायक (Universal solvent) उच्च ससंजक तथा आसंजक बल (High cohesive and adhesive forces) उच्च विशिष्ट ऊष्मा (High specific heat) उदासीन PH (pH = 7) पर उच्चतम घनत्व, तापक्रम के सीमित परास में तीनों अवस्थाओं अर्थात ठोस, द्रव तथा गैस में उपलब्धता तथा डाइ इलेक्ट्रिक स्थिरांक आदि।
प्रश्न 2.
स्वतन्त्र विसरण (Independent Diffusion) किसे कहते है?
उत्तर
स्वतंत्र विसरण (Independent Diffusion) – किसी भी तंत्र में विभिन्न पदार्थों का विसरण अपने ही अणुओं की सान्द्रता पर निर्भर करता है तथा अन्य पदार्थों की उपस्थिति से अप्रभावित रहता है। इसे स्वतंत्र विसरण (Independent Diffusion) कहते हैं। उदाहरण के लिए पौधों से ऑक्सीजन, कार्बन डाईऑक्साइड व जलवाष्प का विसरण वातावरण में सम्बन्धित पदार्थ के अणुओं की सान्द्रता पर निर्भर करता है न कि दूसरे पदार्थों के अणुओं की उपस्थिति तथा सान्द्रता पर।
प्रश्न 3.
विसरण क्रिया को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
विसरण को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting Diffusion) – विसरण को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते हैं –
1. तापमान (Temperature) – तापमान बढ़ने से अणुओं की गतिज ऊर्जा में वृद्धि होती है जिससे विसरण की दर भी बढ़ती है।
2. विसरित होने वाले पदार्थ का घनत्व (Density of diffusing particles) – किसी भी पदार्थ के विसरण की दर उसके घनत्व के वर्गमूल के व्युत्क्रमानुपाती (Inversely proportional to the square root of density) होती है।
अतः अधिक घनत्व वाली गैस का विसरण कम घनत्व वाली गैस की तुलना में मंद होता है।
3. विसरण दाब की प्रवणता (Diffusion pressure gradient) – अणु सदैव अधिक विसरण दाब के क्षेत्र से कम विसरण दाब से क्षेत्र की ओर गति करते हैं। अर्थात अधिक सान्द्र क्षेत्र से कम सान्द्र क्षेत्र की ओर अणु गति करते हैं। |
प्रश्न 4.
पारगम्यता (permeability) के आधार पर झिल्लियाँ कितने प्रकार की होती हैं? समझाइए।
उत्तर
किसी भी पदार्थ का कोशिका में प्रवेश व उससे बाहर निकलने की प्रक्रिया कोशिका कला (Cell membrane) के एक विशेष गुण पारगम्यता (Permeability) पर निर्भर करती है। इस गुण के आधार पर जैविक झिल्लियाँ निम्न प्रकार की होती हैं –
(i) पारगम्य झिल्लियाँ (Permeable membranes) – वे झिल्लियाँ जो विलेय (Solute) तथा विलायक (Solvent) दोनों के कणों को मार्ग (Passage) प्रदान करती हैं पारगम्य झिल्लियाँ (Permeable membranes) कहलाती हैं। उदाहरणार्थ-कोशिका भित्ति (Cell wall)।
(ii) अपारगम्य झिल्लियाँ (Impermeable membranes) – वे झिल्लियाँ जो विलेय तथा विलायक दोनों के कणों को मार्ग प्रदान नहीं करतीं। अर्थात गुजरने नहीं देती हैं अपारगम्य झिल्लियाँ (Impermeable membranes) कहलाती हैं। उदाहरणार्थ- अधिचर्म (Cuticle), काग (Cork)।
(iii) विभेदात्मक या चयनात्मक पारगम्य झिल्लियाँ (Differentially or selectively permeable membranes) – वे झिल्लियाँ जो जल के अणुओं (विलायक) के लिए अधिक पारगम्य तथा जल में घुले पदार्थों (विलेय) के लिए अपेक्षाकृत कम पारगम्य होती हैं। ऐसी झिल्लियाँ अवकलनीय या विभेदात्मक पारगम्य (Differentially permeable) अथवा चयनात्मक पारगम्य (Selectively permeable) कहलाती हैं। उदाहरणार्थ-प्लाज्मा झिल्ली (Plasma membrane), टोनोप्लास्ट (Tonoplast) आदि।
(iv) अर्द्ध पारगम्य झिल्लियाँ (Semipermeable membranes) वे झिल्लियाँ जो विलायक (जल) के अणुओं के लिए पारगम्य होती हैं लेकिन विलेय के अणुओं के लिए पूर्णत: अपारगम्य होती हैं। अर्द्धपारगम्य झिल्लियाँ (Semipermeable membranes) कहलाती हैं। कोशिका झिल्ली या प्लाज्मा झिल्ली आवश्यकतानुसार अर्द्धपारगम्य (Semipermeable) तथा चयनात्मक पारगम्य (Selectively permeable) दोनों प्रकार से व्यवहार कर सकती हैं।
प्रश्न 5.
अन्त:परासरण किसे कहते हैं? समझाइए।
उत्तर
अंत:परासरण (Endosmosis) – किसी कोशिका को अल्पपरासरी विलयन (Hypotonic solution) (ऐसा विलयन जिसकी सान्द्रता कोशिका रस की सान्द्रता से कम हो) में रखने पर जल के अणु अल्पपरासरी विलयन से कोशिका में प्रवेश करते हैं। इस क्रिया को अंत:परासरण कहते हैं। दूसरे शब्दों में जल का किसी भी तंत्र में परासरणीय प्रवेश अंत:परासरण कहलाता है।
प्रश्न 6.
बहिःपरासरण किसे कहते हैं? समझाइए।
उत्तर
बहिःपरासरण (Exosmosis) – यदि कोशिका को अतिपरासरी विलयन (Hypotonic solution), ऐसा विलयन जिसकी सान्द्रता कोशिका रस को सान्द्रता से अधिक हो में रखा जाए तो जल के अणु कोशिका से बाहर निकलते हैं। इस क्रिया को बहि:परासरण कहते हैं। दूसरे शब्दों में जल का किसी भी तंत्र में से परासरणीय निकास बहि:परासरण कहलाता है।
प्रश्न 7.
जीवद्रव्य कुंचन क्रिया का प्रदर्शन किस प्रकार किया जा सकता है? समझाइए।
उत्तर
जीवद्रव्यकुंचन प्रक्रिया का प्रदर्शन रोहियो डिसकलर (Rhoeo discolor) के पर्ण की निचली बैंगनी अधिचर्मी कोशिकाओं की सहायता से किया जा सकता है। इसकी पत्तियों की निचली अधिचर्म को पृथक कर दो टुकड़े लेते हैं। इन कोशिकाओं में बैंगनी रंग फैला होता है। एक टुकड़े को जल में तथा दूसरे टुकड़े को चीनी के विलयन में रखते हैं। कुछ समय बाद इन टुकड़ों को सूक्ष्मदर्शी से देखने पर वह टुकड़ा जो जल में डूबा था उसकी कोशिकाएँ स्फीति (Turgid) दिखाई देती हैं परन्तु चीनी के विलयन में डूबी हुई अधिचर्म के टुकड़े की कोशिकाओं का बैंगनी रंगयुक्त कोशिकाद्रव्य संकुचित होकर बीच में एकत्रित हो जाता है। इस क्रिया को जीवद्रव्यकुंचन कहते हैं। जीवद्रव्यकुंचित अधिचर्म को पुनः कुछ समय शुद्ध जल में रखकर सूक्ष्मदर्शी से देखने पर संकुचित जीवद्रव्य पुनः कोशिका में फैल जाता है।
प्रश्न 8.
विसरण तथा परासरण में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
विसरण तथा परासरण में अन्तर
विसरण | परासरण | |
1. | इस क्रिया के लिए अर्द्धपारगम्य झिल्ली की आवश्यकता नहीं होती है। | इस क्रिया के लिए अर्द्धपारगम्य झिल्ली की आवश्यकता होती है। |
2. | विसरण तीनों भौतिक अवस्थाओं ठोस, द्रव तथा गैस में संभव है। | परासरण केवल द्रव माध्यम से संभव है। |
3. | इसमें विलेय विभव उत्पन्न नहीं होता है। | इसमें विलेय विभव उत्पन्न होता है। |
4. | विसरण में पदार्थ के अणु अधिक सान्द्रता के क्षेत्र से निम्न सान्द्रता के क्षेत्र की ओर गति करते हैं। | यह जल या विलायक अणुओं की गति है जिसका निर्धारण रासायनिक विभव गुणांक के आधार पर होता है। |
5. | इसमें ऊर्जा का व्यय नहीं होता है तथा विसरित कणों में उपस्थित स्वतन्त्र ऊर्जा विसरण के लिए उत्तरदायी होती है। | इसमें सामान्यतः ऊर्जा का व्यय होता है तथा विलायक अणुओं में उपस्थित ऊर्जा की मात्रा में होने वाला ह्रास परासरण क्रिया के लिए उत्तरदायी होता है। |
प्रश्न 9.
अन्तः शोषण तथा जीवद्रव्यकुंचन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
अन्तः शोषण तथा जीवद्रव्य कुंचन में अन्तर
अन्तः शोषण | जीवद्रव्य कुंचन | |
1. | यह प्रक्रिया किसी ठोस पदार्थ के द्वारा जल के अधिशोषण के कारण उत्पन्न होती है। | यह प्रक्रिया किसी पादप कोशिका को अतिपरासरी विलयन में रखने से उत्पन्न होती है। |
2. | इस प्रक्रिया में जलयोजन ऊष्मा मुक्त होती है। | इसमें जलयोजन ऊष्मा मुक्त नहीं होती है। |
3. | इस क्रिया के परिणामस्वरूप आयतन व आकार में वृद्धि होती हैं। | इसमें कारण आयतन में कमी आती है। |
4. | इसमें जल की गति बाहर से अन्दर की ओर होती है। | इसमें जल की गति अन्दर से बाहर की ओर होती है। |
प्रश्न 10.
जल विभव तथा विसरण दाब न्यूनती में अन्तर लिखिए।
उत्तर
जल विभव तथा विसरण दाब न्यूनता में अन्तर
जल विभव | विसरण दाब न्यूनता | |
1. | शुद्ध जल के अणुओं की मुक्त ऊर्जा तथा किसी विलयन में जल के अणुओं की मुक्त ऊर्जा के अन्तर को जल विभव (Water potential) कहते हैं। | किसी विलयन तथा इसके शुद्ध विलायक के विसरण दाब के अन्तर को विसरण दाब न्यूनता (Diffusion pressure deficit, DPD) कहते हैं। |
2. | इसमें जल की गति अधिक जल विभव से कम जल विभव की ओर होती है। | इसमें जल की गति कम विसरण दाब न्यूनता से अधिक विसरण दाब न्यूनता की ओर होती है। |
3. | इसका मान ऋणात्मक होता है। | इसका मान धनात्मक होता है। |
4. | इसे φw द्वारा व्यक्त किया जाता है। | इसे DPD द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। |
RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 5 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
परासरण से आप क्या समझते हैं यह कितने प्रकार की होती है? सविस्तार समझाइए।
उत्तर
परासरण एक विशेष प्रकार की विसरण प्रक्रिया है जिसमें जल अधिक सान्द्रता वाले क्षेत्र से कम सान्द्रता वाले क्षेत्र की ओर विसरित होता है। परासरण हमेशा एक पारगम्य या अर्द्धपारगम्य झिल्ली के द्वारा ही होता है। पौधों में जल की आपूर्ति परासरण क्रिया द्वारा ही होती है। परासरण की खोज एबे नॉलेट (Abbe Nollet) ने की थी।
“परासरण वह क्रिया है जिसमें अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा पृथक् किए गए भिन्न सान्द्रता वाले दो घोलों में विलायक के अणुओं का विसरण कम सान्द्रता वाले घोल अर्थात विलायक की उच्च सान्द्रता वाले घोल से अधिक सान्द्रता वाले घोल अर्थात विलायक की निम्न सान्द्रता वाले घोल की तरफ होता है। अतः परासरण भी एक प्रकार का विसरण है जिसमें दो तन्त्रों के बीच में अर्द्धपारगम्य झिल्ली की उपस्थिति अनिवार्य होती है –
(i) परासरण की क्रियाविधि (Mechanism of Osmosis) – चित्रानुसार एक उल्टी थिसिल कीप में शर्करा का विलयन भरकर | रखते हैं। इस कीप के मुख को चर्म पत्र (Parchment paper) से बाँध दिया जाता है। पार्चमेण्ट पत्र एक अर्द्धपारगम्य झिल्ली (Semipermeable membrane) के रूप में कार्य करती है तथा केवल विलायक के अणुओं को गुजरने के लिए मार्ग प्रदान करती है। इस कीप को जल से भरे बीकर में रखने पर जल का चर्म पत्र या झिल्ली से होते हुए कीप में विसरण आरम्भ हो जाता है जिससे कीप में विलयन का आयतन बढ़ जाता है।
(ii) परासरण के प्रकार (Types of Osmosis) – परासरण के दो प्रकार होते हैं –
(i) अंत:परासरण (Endosmosis)
(ii) बहि:परासरण (Exosmosis)
(i) अंतः परासरण (Endosmosis) – किसी कोशिका को अल्पपरासरी विलयन (Hypotonic solution), ऐसा विलयन जिसकी सान्द्रता कोशिका रस की सान्द्रता से कम हो, में रखने पर जल के अणु अल्पपरासरी विलयन से कोशिका में प्रवेश करने लगते हैं। यह क्रिया अंत:परासरण (Endosmosis) कहलाती है। अर्थात जल का किसी भी तन्त्र में परासरणीय प्रवेश अंत:परासरण (Endosimosis) कहलाता है।
(ii) बहिः परासरण (Exosmosis) – यदि कोशिका को अति परासरी विलयन (Hypotonic solution), ऐसा विलयन जिसकी सान्द्रता कोशिका रस से अधिक हो, में रखा जाये तो जल के अणु कोशिका से बाहर निकलने लगते हैं। यह क्रिया बहि:परासरण (Exosmosis) कहलाती है अर्थात जल का किसी भी तन्त्र से परासरणीय निकास बहि:परासरण (Exosmosis) कहलाता है।
(iii) परासरण का महत्व (Significance of osmosis) –
- मूलरोमों (Root hairs) द्वारा जल का अवशोषण तथा पौधों के अन्दर जल का एक कोशिका से दूसरी कोशिका में विसरण परासरण क्रिया द्वारा होता है।
- कोशिका की स्फीति दशा (Turgidity) परासरण पर निर्भर करती है। यह अवस्था सभी कोशिकीय क्रियाओं के लिए आवश्यक होती है।
- परासरण क्रिया द्वारा जल का पौधों के विभिन्न अंगों में वितरण होता है।
- तरुण कोशिकाओं की वृद्धि परासरण क्रिया पर निर्भर करती है।
- परासरण क्रिया पौधों को हिमीकरण (Freezing) तथा शुष्कन (Desiccation) के प्रतिरोधी बनाती है।
प्रश्न 2.
जीवद्रव्य कुंचन तथा जीवद्रव्य विकुंचन का वर्णन कीजिए। जीवद्रव्य कुंचन प्रक्रिया का प्रदर्शन आप किस प्रकार करेंगे?
उत्तर
जीवद्रव्यकुंचन (Plasmolysis) – यदि पादप कोशिका को अधिक समय तक अतिपरासरी विलयन (Hypetonic Solution), ऐसा विलयन जिसकी सान्द्रता कोशिका रस की सान्द्रता से अधिक हो, में रखा जाता है तो जल कोशिका से बाहर निकलने लगता है और कोशिका का जीवद्रव्य सिकुड़ने लगता है और अन्ततः जीवद्रव्य संकुचित होकर कोशिका के बीच एक कोने में संघनित दिखायी देता है। कोशिका की यह स्थिति जीवद्रव्यकुंचित (Plasmolysed) कहलाती है तथा यह क्रिया जीवद्रव्यकुंचन (Plasmolysis) कहलाती है। जीवद्रव्यकुंचन की प्रारम्भिक अवस्था प्रारम्भी जीवद्रव्यकुंचन (Incipient plasmolysis) कहलाती हैं।
जीवद्रव्य विकुंचन (Deplasmolysis) – यदि प्रारम्भी जीवद्रव्य कुंचित कोशिका को पुनः जल या अल्पपरासरी विलयन में रखा जाता है तब जल अंत:परासरण क्रिया द्वारा कोशिका में पुनः प्रवेश करने लगता है तथा
कुछ समय पश्चात् कोशिका में जीवद्रव्य फैल जाता है। इस प्रक्रिया को जीवद्रव्य विकुंचन (Deplasmolysis) कहते हैं।
जीवद्रव्यकुंचन क्रिया का प्रदर्शन (Demostration of Plasmolysis Process) – जीवद्रव्यकुंचन क्रिया का प्रदर्शन रोहियो डिसकलर (Rhoto discolor) पौधे की पत्ती की निचली बैंगनी अधिचर्मी कोशिकाओं की सहायता से किया जा सकता है। इसकी पत्तियों की निचली अधिचर्म को पृथक करके दो टुकड़े लेते हैं। इन कोशिकाओं में बैंगनी रंग फैला होता है। एक टुकड़े को जल में तथा दूसरे टुकड़े को चीनी के घोल में रखते हैं। कुछ समय पश्चात इन टुकड़ों को सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखने पर वह टुकड़ा जो जल में डूबा था उसकी कोशिकाएँ स्फीति (Turgid) दिखायी देती हैं परन्तु चीनी के घोल में डुबी हुयी अधिचर्म के टुकड़े की कोशिकाओं का बैंगनी रंग युक्त कोशिकाद्रव्य संकुचित होकर बीच में एकत्रित हो जाता है। यह क्रिया जीवद्रव्यकुंचन (Plasmolysis) कहलाती है। जीवद्रव्य कुंचित अधिचर्म को पुनः कुछ समय तक शुद्ध जल में रखकर सूक्ष्मदर्शी से देखने पर संकुचित जीवद्रव्य पुनः कोशिकाओं में फैल जाता है।
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