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RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 8 विज्ञापन

July 6, 2019 by Prasanna Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 12 Business Studies Chapter 8 विज्ञापन

RBSE Class 12 Business Studies Chapter 8 पाठ्य\पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

RBSE Class 12 Business Studies Chapter 8 अतिलघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
विज्ञापन से क्या आशय है?
उत्तर:
विज्ञापन का आशय सम्भावित उपभोक्ताओं को अपने उत्पाद या सेवा की ओर आकर्षित करने के उद्देश्य से उसकी पर्याप्त जानकारी प्रदान करने से है।

प्रश्न 2.
विज्ञापन के दो उददेश्य बताइये।
उत्तर:

  • उत्पाद की बिक्री हेतु उपभोक्ताओं में वस्तु के प्रति इच्छा जाग्रत करना।
  • मध्यस्थों को आकर्षित करना।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 8 विज्ञापन

प्रश्न 3.
विज्ञापन के दो ध्येय बताइए।
उत्तर:

  • विक्रय में वृद्धि करना।
  • नये ग्राहक बनाना।

प्रश्न 4.
विज्ञापन के दो लाभ बताइए।
उत्तर:

  • विज्ञापन वस्तु या सेवाओं की जानकारी प्रदान करता है।
  • विज्ञापन ग्राहकों की नये उत्पादों में रुचि जाग्रत करता है।

प्रश्न 5.
वर्गीकृत विज्ञापन से क्या आशय है?
उत्तर:
वर्गीकृत विज्ञापनों में सीमित शब्दों का प्रयोग किया जाता है जिसमें विज्ञापन समाचार पत्र में निर्धारित स्थान पर निश्चित शीर्षकों के अन्तर्गत छापा जाता है, जैसे – टेण्डर, नीलामी, नौकरी, शादी विवाह आदि के विज्ञापन।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 8 विज्ञापन

प्रश्न 6.
सैण्डविच मैन विज्ञापन से क्या आशय है?
उत्तर:
सैण्डविच मैन विज्ञापन में विचित्र वेशभूषा में कुछ व्यक्ति कपड़े या गत्तों पर विज्ञापन लिखकर नगर की सड़कों पर निकलते हैं। प्राय इसी विधि का प्रयोग दवाइयाँ एवं सिगरेट आदि के विज्ञापनों पर किया जाता है।

प्रश्न 7.
विज्ञापन के कोई दो दोष बताइए।
उत्तर:

  • विज्ञापन से उपभोक्ता आकर्षित होकर अनावश्यक वस्तुओं को क्रय कर लेते हैं जिससे अपव्यय को प्रोत्साहन मिलता है।
  • ग्राहकों को आकर्षित करने हेतु विज्ञापनों में अश्लीलता का प्रयोग।

प्रश्न 8.
विज्ञापन का निर्माताओं के लिये क्या महत्व है?
उत्तर:
विज्ञापन निर्माताओं द्वारा उत्पादित वस्तुओं के विक्रय को एक शक्तिशाली साधन है। इससे निर्माता की ख्याति में वृद्धि होती है।

प्रश्न 9.
विज्ञापन का निर्माताओं के लिये क्या महत्व है? दो बिन्दु बताइए।
उत्तर:

  • प्रतिस्पर्धा में सहायक
  • नवीन वस्तुओं के उत्पादन में सहायक।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 8 विज्ञापन

प्रश्न 10.
विज्ञापन को ग्राहकों के लिये क्या महत्व है? दो बिन्दु बताइए।
उत्तर:

  • उत्तम वस्तुओं की उपलब्धता
  • ग्राहकों के जीवन स्तर में सुधार।

प्रश्न 11.
विज्ञापन का निर्माताओं के लिये क्या महत्व है? दो बिन्दु बताइए।
उत्तर:

  • व्यवसाय का विकास,
  • अधिक विक्रय से लाभों में वृद्धि।

प्रश्न 12.
विज्ञापनों को मध्यस्थों के लिये क्या महत्व है? दो बिन्दु बताइये।
उत्तर:

  • विक्रय में सहायता
  • जोखिम में कमी।

प्रश्न 13.
विज्ञापन की तकनीक के किन्हीं दो बिन्दुओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  • समर्थन – इस तकनीकी के अन्तर्गत विज्ञापन-दाता बड़ी हस्तियों का उपयोग अपने उत्पादों का विज्ञापन करने के लिये करते हैं।
  • ग्राहकों से पूछताछ – इसमें विज्ञापनदाता अपने उत्पादों के सम्बन्ध में प्रतिक्रिया जानने के लिये उपभोक्ता से सवाल पूछते हैं।

RBSE Class 12 Business Studies Chapter 8 लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
विज्ञापन से क्या समझते हैं? विज्ञापन के किन्ही पाँच उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विज्ञापन:
सामान्य रूप से विज्ञापन का अर्थ सूचना देना है किन्तु व्यावसायिक जगत में विज्ञापन का अर्थ बहुत व्यापक है। विज्ञापन में टेलीविजन, रेडियो, समाचार पत्रों, पत्रिका, परिवहन के साधनों, सिनेमा आदि के द्वारा वस्तुओं एवं सेवाओं की जानकारी जन-जन को दी जाती है जिससे वह (जनता) वस्तुओं को खरीदने के लिये प्रेरित होती है। यह व्यक्तिगत सम्प्रेषण होता है जिसका भुगतान विपणनकर्ता कुछ वस्तु एवं सेवाओं के प्रवर्तन के लिये करते हैं।

विज्ञापन के उद्देश्य:

  1. विक्रय में वृद्धि करना – विज्ञापन का मुख्य उद्देश्य बिक्री में वृद्धि करना है। निर्माता, विज्ञापन द्वारा अपनी उत्पादित वस्तु का परिचय जन-जन को कराता है जिससे उपभोक्ताओं की वस्तु के प्रति इच्छा जाग्रत होती है और विक्रय में वृद्धि होती है।
  2. नये ग्राहक बनाना – विज्ञापन के द्वारा वस्तु की उपलब्धि, कीमत, मात्रा, उपयोगिता और उसकी प्रयोग विधि आदि के बारे में जानकारी प्राप्त होने से उपभोक्ता विभिन्न वस्तुओं का तुलनात्मक अध्ययन आसानी से कर सकता है और उसे वस्तुओं के क्रय करने में सुविधा होती है जिससे नये ग्राहक बनने में वृद्धि होती है।
  3. नये बाजारों में प्रवेश – वर्तमान में विभिन्न उत्पादकों के मध्य गलाकाट प्रतिस्पर्धा पायी जाती है जिससे नये बाजारों में प्रवेश की समस्या पायी जाती है। लेकिन विज्ञापन का उद्देश्य मांग को बढ़ाना व उपभोक्ताओं की पुरानी उपभोग आदतों एवं रूचियों में परिवर्तन कर नये उत्पाद को उपयोग में लेने के लिये प्रेरित करना है। फलस्वरूप उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ती है व नये बाजारों में प्रवेश करना सम्भव होता है।
  4. मध्यस्थों को आकर्षित करना – प्रभावी एवं नियन्त्रित विज्ञापन करने से संस्था की ख्याति बढ़ती है जिसके कारण सुदृढ़ एवं प्रतिष्ठित मध्यस्थ संस्था से जुड़ जाते हैं व अपनी सेवायें देने को तत्पर रहते हैं। इस प्रकार विज्ञापन का उद्देश्य थोक विक्रेताओं और फुटकर विक्रेताओं को आकर्षित करना भी है।
  5. माँग का सृजन करना – विज्ञापन के माध्यम से व्यापारी ग्राहक में उत्पादित वस्तु या सेवा के प्रति उत्सुकता उत्पन्न करता है, उन्हें नये उत्पाद के सम्बन्ध में शिक्षित करता है जिससे माँग का सृजन होता है।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 8 विज्ञापन

प्रश्न 2.
विज्ञापन के किन्हीं पाँच माध्यमों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(1) बाह्य विज्ञापन – ऐसे विज्ञापन जो, दीवारों, परिवहन के साधनों, पोस्टरों, विद्युत साइन बोर्ड, होर्डिंग, स्टीकरों द्वारा किये जाते हैं, बाह्य विज्ञापन कहलाते हैं। इन विज्ञापनों में आकर्षक चित्रों एवं रंगों का प्रयोग किया जाता है जिसके फलस्वरूप राह चलते लोगों का ध्यान स्वत: ही इनकी ओर आकर्षित हो जाता है।

(2) पत्रिका विज्ञापन – विभिन्न साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिकाओं में जो विज्ञापन प्रकाशित होते हैं उन्हें पत्रिका विज्ञापन कहते हैं। रुचि एवं सामर्थ्य के अनुसार ये पत्रिकायें साहित्यिक, धार्मिक, वैज्ञानिक, राजनैतिक, आर्थिक एवं वाणिज्यिक होती हैं। अनेक पत्रिकाएँ समस्त विषयों के मिश्रित रूप में भी होती हैं।

(3) समाचारपत्रीय विज्ञापन – समाचार पत्र विज्ञापन सभी प्रकार की वस्तुओं एवं सेवाओं के विज्ञापन के लिये उपयुक्त माध्यम है। इस माध्यम का प्रयोग छोटी एवं बड़ी व्यावसायिक फर्मों द्वारा समान रूप से किया जाता है। समाचार पत्र में विज्ञापन दो प्रकार के होते हैं –
(1) वर्गीकृत विज्ञापन, जिसमें विज्ञापन समाचार पत्र में निर्धारित स्थान पर निश्चित शीर्षक के अन्तर्गत छपते हैं।
(2) अवर्गीकृत विज्ञापन, इस प्रकार के विज्ञापन के लिये समाचार पत्र में कोई स्थान निश्चित नहीं होता है। समाचार पत्रों के माध्यम से विज्ञापन का क्षेत्र व्यापक होता है लेकिन यह शिक्षित वर्ग के लिये उपयुक्त होता है।

(4) सैण्डविच मैन विज्ञापन – सैण्डविच मैन विज्ञापन में विचित्र वेश – भूषा में कुछ व्यक्ति कपड़े या गत्तों पर विज्ञापन लिखकर नगर की सड़कों पर निकलते हैं। प्रायः इस विधि का प्रयोग दवाइयों तथा सिगरेटों के विज्ञापन में किया जाता है।

(5) मनोरंजन विज्ञापन – विज्ञापन के इस माध्यम से आवश्यकतानुसार सामान्य अथवा विशिष्ट व्यक्तियों तक वस्तुओं एवं सेवाओं का विज्ञापन काफी आकर्षक ढंग से मनोरंजनकारी कार्यक्रमों के साथ किया जाता है। मनोरंजन विज्ञापन के साधनों में रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा, रेडियो, कैसेट, मेले, प्रदर्शनियाँ तथा ड्रामा व संगीत कार्यक्रम को सम्मिलित किया जाता है।

प्रश्न 3.
समाचारपत्रीय विज्ञापन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
समाचार पत्रीय विज्ञापन सभी प्रकार की वस्तुओं एवं सेवाओं के विज्ञापन के लिये उपयुक्त माध्यम है। इस माध्यम का प्रयोग छोटी एवं बड़ी व्यावसायिक फर्मों द्वारा समान रूप से किया जाता है। समाचार पत्रों में विज्ञापन दो प्रकार के होते हैं –

(1) वर्गीकृत विज्ञापन – वर्गीकृत विज्ञापन समाचार पत्र में निर्धारित स्थान पर निश्चित शीर्षकों के अन्तर्गत छपते हैं, जैसे – टेण्डर, नीलामी, नौकरी, क्रय, विक्रय, शिक्षा शादी – विवाह आदि। वर्गीकृत विज्ञापनों में सीमित शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

(2) अवर्गीकृत विज्ञापन – अवर्गीकृत विज्ञापन का समाचार पत्र में कोई निश्चित स्थान नहीं होता है। यह विज्ञापक की इच्छानुसार समाचार पत्र के किसी भी पृष्ठ पर छापा जा सकता है। इन विज्ञापनों में रंगों, आकर्षक अक्षरों तथा चित्रों का प्रयोग किया जाता है तथा वस्तु की विशेषताओं एवं मिलने के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है। समाचार पत्रों के विज्ञापन का क्षेत्र व्यापक होने के कारण दूर – दूर तक सभी वर्गों के व्यक्तियों द्वारा पढ़े एवं देखे जाते हैं। लेकिन ये शिक्षित वर्ग के लिये उपयुक्त होते हैं तथा अशिक्षित लोगों के लिये अनुपयोगी होते हैं, केवल चित्र देख सकते हैं, जिससे सही अनुमान नहीं हो पाता है समाचार पत्रीय विज्ञापन का जीवन अल्पकालीन होता है।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 8 विज्ञापन

प्रश्न 4.
बाह्य विज्ञापन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
बाह्य विज्ञापन:
बाह्य विज्ञापन का अर्थ दीवारों, गलियों के कोनों, सड़क के किनारों, परिवहन के साधनों, रेलवे स्टेशनों, बस स्टेण्डों, आदि स्थानों पर प्रदर्शन करने से है। बाह्य विज्ञापन का उद्देश्य राह चलते व्यक्तियों का ध्यान आकृष्ट करना होता है। इस माध्यम को अपेक्षाकृत प्रभावी माना जाता है क्योंकि यह सैकड़ों व्यक्तियों का ध्यान आकृष्ट करने में सफल रहता है। कई बार रास्ता चलते व्यक्ति इन विज्ञापनों को देखकर एवं पढ़कर तत्काल वस्तुओं को क्रय करने हेतु दुकानों पर पहुँच जाते हैं। इस प्रकार के विज्ञापनों में आकर्षक चित्रों एवं रंगों का प्रयोग किया जाता है।

बाह्य विज्ञापनों में दीवार लेखन, पोस्टर्स तथा होर्डिंग, विद्युत साइनबोर्ड विज्ञापन (बस, ट्राम, रेल, कार, वायुयान) आदि को सम्मिलित किया जाता है। बाह्य विज्ञापन एक स्थायी प्रकार का आकर्षक माध्यम है क्योंकि एक बार पोस्टर्स या होर्डिंग्स लगा देने या बोर्ड आदि बना लेने पर बहुत दिनों तक स्थायी बना रहता है और जनता को आकर्षित करता रहता है लेकिन इस विज्ञापन के माध्यम द्वारा शहरों एवं गाँवों का सौन्दर्य विकृत होता है तथा अश्लील पोस्टर्स समाज का नैतिक पतन भी करते हैं।

प्रश्न 5.
विज्ञापन के लाभों को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
विज्ञापन सूचनाओं के सम्प्रेषण का माध्यम है। यह मांग के सृजन, वस्तुओं एवं सेवाओं की ख्यति में वृद्धि एवं वस्तुओं के विक्रय में सहायता करता है। इसके लाभों को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है ।

  1. मितव्यता – विज्ञापन के माध्यम में बड़ी संख्या में दूर – दूर फैले लोगों तक सूचनाओं को पहुँचाने का कार्य कम खर्च में किया जाता है जिससे प्रति इकाई लागत कम आती है। इसमें विज्ञापन का कुल खर्च संप्रेषण द्वारा बनाये घटकों में बांट दिया जाता है।
  2. सूचना – विज्ञापन उपभोक्ताओं को सूचना देने का सबसे सरल, सस्ता व प्रभावी माध्यम हैं जो अधिक से अधिक लोगों को वस्तु व सेवाओं की जानकारी देता है। इसके द्वारा उपभोक्ता यह जान लेते हैं कि कौन – कौन की वस्तुयें बाजार में उपलब्ध हैं, तथा किस स्थान पर मिलेगी तथा उनकी उपयोगिता क्या है।
  3. सुविधा – विज्ञापन वस्तु की ब्राण्ड इमेज बनाता है जो वस्तु की बिक्री के लिये महत्वपूर्ण होती है। एक अच्छे ब्राण्ड की वस्तु को खरीदने एवं बेचने में सुविधा रहती है क्योंकि उपभोक्ता उस वस्तु को जांचने – परखने की आवश्यकता नहीं समझता है।
  4. पसन्द की स्वतन्त्रता – आज उपभोक्ताओं के सामने बाजार में विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के ब्राण्ड दिखायी देते हैं लेकिन किसी एक के चयन में उसे कठिनाई होती है लेकिन विज्ञापनों के विभिन्न साधनों के माध्यम से वस्तुओं का तुलनात्मक अध्ययन करके अपने पसन्द की वस्तुओं को आसानी से क्रय कर सकता है।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 8 विज्ञापन

प्रश्न 6.
विज्ञापन के दोषों के किन्हीं चार बिन्दुओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
1. कम असरदार – विज्ञापन सम्प्रेषण का गैर वैयक्तिक स्वरूप है। यह व्यक्तिगत विक्रय की तुलना में कम सशक्त माध्यम है। इसमें सन्देश पर ध्यान देने के लिये लोगों पर किसी प्रकार का दबाव नहीं होता है। अतः यह कम असरदार होता है।

2. अपव्यय को प्रोत्साहन – विज्ञापन उपभोक्ता को आकर्षित करते हैं। इससे प्रभावित होकर वे प्रायः अनावश्यक वस्तुओं का क्रय कर लेते हैं। फलस्वरूप वे अपनी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाते हैं।

3. मूल्यों में वृद्धि – विज्ञापन पर किये जाने वाले समस्त व्यय व्यापारी अथवा निर्माता द्वारा वस्तु के मूल्य में जोड़ दिये जाते हैं जिसका भार अंततोगत्वा उपभोक्ता पर ही पड़ता है। इससे वस्तुओं के मूल्य वृद्धि होती है।

4. विज्ञापनों में अश्लीलता – आजकल विभिन्न वस्तुओं के विज्ञापन में ग्राहकों को अधिक आकर्षित करने के लिये कई बार अश्लील चित्रों का प्रयोग किया जाता है जिससे समाज का नैतिक पतन होता है।

प्रश्न 7.
विज्ञापन की आवश्यकता के किन्हीं चार बिन्दुओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) नये उत्पादन की जानकारी – निर्माताओं द्वारा अपने नवीन उत्पाद की जानकारी उपभोक्ताओं को देने के लिये विज्ञापन की ही आवश्यकता होती है। विज्ञापन द्वारा ही उपभोक्ता वस्तु की उपयोगिता एवं प्रयोग विधि को जान पाते हैं।

(2) नये ग्राहकों की तलाश – विज्ञापन का कार्य वस्तु के बाजार में आने से पहले ही उसकी बिक्री के लिये माहौल तैयार करना तथा बाजार में उसके सम्भावित ग्राहक को खोजकर उन्हें वस्तु खरीदने के लिये प्रेरित करना होता है। प्रतिस्पर्धात्मक उत्पादन के इस दौर में विज्ञापन नये ग्राहकों को अनेक उत्पादों में से किसी एक उत्पाद को खरीदने के लिये प्रेरित करके वस्तु की बिक्री को बढ़ाता है।

(3) उपभोक्ता को उत्पादों का सही ज्ञान – बाजार में विभिन्न कम्पनियों के एक जैसे उत्पाद मौजूद रहते हैं जिनको देखकर उपभोक्ता भ्रमित हो जाता है कि इनमें से कौन सी वस्तु उसके वास्तविक उपयोग के लिये है तथा वह वस्तु उसके लिए कितनी उपयोगी रहेगी। निर्माताओं द्वारा वस्तुओं पर कितनी छूट दी जा रही है या कोई विशेष उपहार ऑफर दिया जा रहा है आदि की जानकारी विज्ञापन द्वारा ही दी जाती है।

(4) मूल्य परिवर्तन की जानकारी – वस्तु के निर्माण में लागत के कम अधिक होने के कारण जो मूल्य परिवर्तन होता है उसकी जानकारी निर्माताओं द्वारा उपभोक्ताओं को विज्ञापन के माध्यम से दी जाती है। जिससे उपभोक्ताओं को वस्तु खरीदने में कोई भ्रम नहीं होता है।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 8 विज्ञापन

प्रश्न 8.
विज्ञापन का निर्माताओं के लिये महत्व को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
निर्माताओं के लिये विज्ञापन के महत्व को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –

(1) प्रतिस्पर्धा में सहायक – आज वर्तमान में विभिन्न उत्पादकों के मध्य अपने द्वारा उत्पादित वस्तु या सेवा को बढ़ा – चढ़ा कर दिखाने की प्रतिस्पर्धा है जिससे उनके विक्रय में वृद्धि हो। विज्ञापन बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा कम करने या उसका मुकाबला करने में उपयोगी सिद्ध हुआ है।

(2) मध्यस्थों की प्राप्ति – जब किसी संस्था के उत्पाद का प्रसार – प्रचार हो जाता है, तो उसकी साख चारों ओर फैल जाती है जिससे थोक व्यापारियों या फुटकर व्यापारियों को विक्रय करने में कठिनाई कम होती। है। फलस्वरूप निर्माताओं को मध्यस्थ – प्राप्ति में सुगमता होती है।

(3) व्यवसाय का विकास – व्यवसाय की कुशलता एवं विकास लाभों पर निर्भर करता है। अधिक लाभों की सहायता से ही व्यवसाय की पुरानी मशीनों एवं उपकरणों के स्थान पर नई एवं अद्यतन मशीनें क्रय की जा सकती हैं एवं नवीन इकाइयों की स्थापना कर व्यवसाय का विकास किया जा सकता है। लेकिन ये सब विज्ञापन के बिना सम्भव नहीं है क्योंकि विज्ञापन द्वारा ही विक्रय में वृद्धि होती है और अधिक विक्रय से लाभों में वृद्धि होती है।

(4) उत्पादन में वृद्धि – विज्ञापन साधनों द्वारा उत्पादित माल के प्रचार – प्रसार से उपभोक्ता में वस्तु की मांग का सृजन होता है और उस मांग को पूरा करने के लिये निर्माताओं को उत्पादनों में वृद्धि करनी पड़ती है।

प्रश्न 9.
विज्ञापन का उपभोक्ताओं के लिये महत्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विज्ञापन, उपभोक्ताओं को कई प्रकार की सेवायें प्रदान करता है जिनको निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है –

(1) ज्ञान में वृद्धि – विज्ञापन से उपभोक्ताओं को नयी – नयी वस्तुओं एवं सेवाओं एवं उपयोग के बारे में जानकारी मिलती है जिससे ग्राहकों के ज्ञान में वृद्धि होती है।

(2) समय की बचत – विज्ञापन के माध्यम से ग्राहक को घर पर ही वस्तु की कीमत, उपलब्धि स्थान, वस्तु की गुणवत्ता एवं उपयोग विधि की समस्त जानकारी मिल जाती है। वस्तु क्रय के लिये इधर – उधर नहीं घूमना पड़ता। फलस्वरूप समय की बचत होती है।

(3) क्रय में सुविधा – विज्ञापन द्वारा ग्राहक को वस्तु की उपलब्धि, कीमत, उपयोग आदि के बारे में जानकारी मिल जाती है जिससे वह विभिन्न वस्तुओं की तुलना करके विवेकपूर्ण एवं सुविधापूर्ण क्रय कर सकता है।

(4) उपभोक्ता बचत – विज्ञापन द्वारा ग्राहकों को विभिन्न वस्तुओं, उनकी स्थानापन्न वस्तुओं, कीमत, उपलब्धता गारन्टी, वारन्टी, उपयोगिता के बारे में जानकारी देता है इससे उपभोक्ता अपने धन का विवेकपूर्ण उपयोग कर सकते हैं एवं क्रय की गई वस्तुओं से दी गई कीमत की तुलना में उपयोगिता प्राप्त कर सकते हैं।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 8 विज्ञापन

प्रश्न 10.
विज्ञापन का समाज के लिये महत्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विज्ञापन का समाज के लिये महत्व निम्नवत् है –

  • विज्ञापन समाज में रोजगार के अवसर प्रदान करता है जिससे लोगों को रोजगार मिलता है।
  • विज्ञापन से उत्पादन की माँग बढ़ती है, माँग बढ़ने से उत्पादन लागत में कमी आती है एवं लोगों को सस्ती कीमत पर वस्तु उपलब्ध होती है व समाज के लोगों का जीवन स्तर बढ़ाता है।
  • विज्ञापन समाज के लोगों को उनकी आवश्यकता के अनुसार वस्तुएँ उपलब्ध कराता है।
  • विज्ञापन समाज के लोगों को सामाजिक बुराइयों से लड़ने की प्रेरणा देता है।
  • विज्ञापन किसी राष्ट्र की जीवन शैली की झलक दिखाता है।
  • विज्ञापन द्वारा ही लोगों को सस्ती दर पर मनोरंजन के साधन उपलब्ध कराता है।

प्रश्न 11.
विज्ञापन का मध्यस्थों के लिये महत्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मध्यस्थों के लिये विज्ञापन के महत्व को निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है –

(1) निर्माताओं से सम्पर्क – निर्माता अपने उत्पाद का विज्ञापन करते हैं जिससे मध्यस्थ निर्माताओं से उनकी एजेन्सी लेने हेतु सम्पर्क करते हैं। इसका और विभिन्न थोक एवं फुटकर व्यापारी भी विज्ञापन करते हैं, जिससे निर्माता इन विज्ञापनों के आधार पर इन मध्यस्थों से व्यावसायिक सम्पर्क कर सकते हैं।

(2) विक्रय में सहायता – उत्पादक द्वारा निकाले गये विज्ञापन में वस्तु के डीलर, एजेन्ट, थोक व्यापारी आदि का उल्लेख होता है। इससे ग्राहक मध्यस्थों के पास स्वयं आ जाते हैं। इसके अतिरिक्त विज्ञापन से उपभोक्ता को वस्तु के बारे में अनेक जानकारियाँ, जैसे – वस्तु की कीमते, किस्म, उपयोग विधि, छूट आदि की जानकारी प्राप्त होती है जिससे विक्रेता को विक्रय हेतु अधिक प्रयास नहीं करने पड़ते हैं।

(3) लाभों में वृद्धि – निर्माता द्वारा विज्ञापन किये जाने के कारण उसका लाभ स्वतः ही मध्यस्थों को मिल जाता है उनको स्वयं विज्ञापन की आवश्यकता नहीं रहती, विक्रय अधिक होता है व ज्यादा विक्रयकर्ताओं की नियुक्ति नहीं करनी पड़ती जिससे खर्ची में कमी आती है व लाभों में वृद्धि होती है।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 8 विज्ञापन

प्रश्न 12.
विज्ञापन की किन्हीं 5 तकनीकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(1) भावनात्मक अनुरोध – विज्ञापन की यह तकनीकी उपभोक्ता की आवश्यकता एवं भयकारकों पर आधारित होती है।

(2) प्रचार के लिये विज्ञापन – इस तकनीकी में उपभोक्ताओं को उत्पाद के मुफ्त नमूने दिये जाते हैं। ग्राहकों का ध्यान हासिल करने के लिये व्यापार मेला, प्रचार की घटनाओं और विज्ञापन अभियान के माध्यम से अपने उत्पादों को खरीदने की पेशकश की जाती है।

(3) तथ्य एवं आंकड़े – विज्ञापन की इस तकनीकी में विज्ञापनदाता नम्बर, सबूत और वास्तविक उदाहरण का उपयोग कर अपने उत्पादों को अच्छा बताने का प्रयास करते हैं। उदाहरण के लिये; कोलगेट दुनिया के 70 प्रतिशत दन्त चिकित्सा कों द्वारा उपयोग करने की सलाह दी गई है।

(4) अधूरा विज्ञापन – इसके अन्तर्गत विज्ञापनदाता यह बताते हैं कि उनका उत्पाद अच्छा काम करता है किन्तु यह नहीं बताते कि प्रतिद्वन्द्वी से कितना अधिक अच्छा काम करता है।

(5) समर्थन – विज्ञापन की इस तकनीकी में विज्ञापनदाता बड़ी हस्तियों का उपयोग अपने उत्पादों का विज्ञापन करने के लिये करते हैं। बड़ी हस्तियों या स्टार अपने अनुभवों को बताकर किसी उत्पाद को खरीदने का समर्थन करते हैं।

RBSE Class 12 Business Studies Chapter 8 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
विज्ञापन से आप क्या समझते हैं? एक व्यवसाय की वृद्धि एवं विकास में विज्ञापन की भूमिका स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
विज्ञापन:
सामान्य अर्थ में विज्ञापन का अर्थ सूचना देना है किन्तु व्यावसायिक जगत में विज्ञापन का अर्थ बहुत व्यापक है। विज्ञापन में टेलीविजन, रेडियो, समाचार पत्रों, पत्रिका, परिवहन के साधनों, सिनेमा आदि के द्वारा वस्तुओं एवं सेवाओं की जानकारी जन – जन को दी जाती है जिससे वह (जनता) वस्तुओं को खरीदने के लिये प्रेरित होती है। यह व्यक्तिगत सम्प्रेषण होता है। जिसका भुगतान विपणनकर्ता कुछ वस्तु एवं सेवाओं के प्रवर्तन के लिये करते हैं।

व्यवसाय की वृद्धि एवं विकास में विज्ञापन की भूमिका:
किसी व्यवसाय की वृद्धि एवं विकास में विज्ञापन एक अच्छा माध्यम है। विज्ञापन से वस्तुओं के विक्रय में वृद्धि होती है, परिणामस्वरूप संस्था के लाभों में वृद्धि होती है। अधिक लाभों की सहायता से व्यवसाय की पुरानी मशीनों एवं उपकरणों के स्थान पर नयी एवं अद्यतन मशीनें क्रय की जा सकती हैं एवं नवीन इकाइयों की स्थापना कर व्यवसाय का विस्तार एवं विकास किया जा सकता है। व्यवसाय की वृद्धि एवं विकास में विज्ञापन की भूमिका को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –

(1) प्रतिस्पर्धा में सहायक – व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा को कम करने के लिये या उसका मुकाबला करने के लिये विज्ञापन का महत्वपूर्ण योगदान होता है। विज्ञापन के माध्यम से ही व्यवसाय का बाजार में अस्तित्व बना रहता है। यदि बाजार में व्यवसाय का कोई अस्तित्व नहीं है तो व्यवसाय की वृद्धि एवं विकास पर निश्चित ही प्रभाव पड़ेगा अर्थात विक्रय में कमी आयेगी जिससे लाभों पर प्रभाव पड़ेगा।

(2) मध्यस्थों की निर्भरता कम करना – निर्माता व्यापार चिन्ह अथवा व्यापार नामों अथवा ब्राण्डों में विज्ञापन के माध्यम से अपनी वस्तु के लिये उपभोक्ता स्वीकृति और मान्यता प्राप्त कर लेता है। ऐसी दशा में थोक व्यापारी और फुटकर व्यापारी की निर्भरता कम हो जाती है। फलस्वरूप लागतों में कमी आती। है तथा लाभों में वृद्धि होती है।

(3) ख्याति में वृद्धि – व्यवसाय के द्वारा उत्पादित वस्तु या सेवा को जब बार-बार विज्ञापनों के विभिन्न साधनों द्वारा उपभोक्ताओं के मध्य उनकी उपयोगिता एवं गुणों को पहुँचाया जाता है तो उस वस्तु या सेवा की छवि उपभोक्ता के मन मस्तिष्क पर छा जाती है। जिसका लाभ व्यवसाय को अवश्य ही मिलता है।

(4) मितव्यता – विज्ञापन से माँग में वृद्धि होने से उत्पादन में वृद्धि होती है। उत्पादन में वृद्धि करने से अर्थात बड़े पैमाने पर उत्पादन करने से उत्पादक को कई प्रकार की आन्तरिक एवं बाह्य मितव्ययतायें प्राप्त होती हैं। परिणामस्वरूप वस्तु के उत्पादन में प्रति इकाई लागत में कमी आती है।

(5) विक्रय में वृद्धि – विज्ञापन के माध्यम से माँग का सृजन होता है फलस्वरूप विक्रय में वृद्धि होती है। विक्रय से होने वाले लाभ का उपयोग व्यवसाय के विकासात्मक कार्यों में ही होता है।

(6) नवीन वस्तुओं के उत्पादन में सहायक – विज्ञापन द्वारा नयी नयी वस्तुओं की माँग उत्पन्न की जाती है और उसी माँग के अनुसार व्यवसाय वस्तुओं का निर्माण करता है जिससे अनावश्यक लागत को कम किया जाता है।

(7) लाभों में वृद्धि – विज्ञापन वस्तुओं के विक्रय का एक शक्तिशाली साधन है। इससे उत्पादन संगठन की ख्याति में वृद्धि होती है, अनार्थिक, प्रतिस्पर्धा का अन्त होता है और वस्तुओं की माँग में स्थिरता आती है। परिणामस्वरूप लाभों में वृद्धि होती है।

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प्रश्न 2.
विज्ञापन के विभिन्न माध्यमों का विस्तार से वर्णन कीजिये।
उत्तर:
विज्ञापन के विभिन्न माध्यय:
वांछित बाजारों तक जिन साधनों की सहायता से विज्ञापनकर्ता वस्तुओं या विचारों के बारे में संदेश पहुँचाते हैं, उन्हें विज्ञापन माध्यमों की संज्ञा दी जाती है। विज्ञापन के विभिन्न माध्यम होते हैं जिनमें से प्रमुख निम्न हैं –

(1) बाह्य विज्ञापन – ऐसे विज्ञापन जो दीवारों, परिवहन के साधनों, पोस्टरों, विद्युत साइन बोर्ड, होर्डिंग्स, स्टीकरों द्वारा किये जाते हैं। इस विज्ञापनों में आकर्षक चित्रों एवं रंगों का प्रयोग किया जाता है जिसके फलस्वरूप राह चलते लोगों का ध्यान स्वतः ही इनकी ओर आकर्षित हो जाता है। यह विज्ञापन के स्थायी प्रकार के आकर्षक माध्यम हैं, क्योंकि एक बार पोस्टर लगा देने या बोर्ड आदि बना लेने पर बहुत दिनों तक स्थायी बने रहते हैं और जनता को आकर्षित करते रहते हैं।

(2) समाचार पत्रीय विज्ञापन – समाचार पत्र विज्ञापन सभी प्रकार की वस्तुओं एवं सेवाओं के विज्ञापन के लिये उपयुक्त माध्यम है। इस माध्यम का प्रयोग छोटी व बड़ी व्यावसायिक फर्मों द्वारा समान रूप से किया जाता है। समाचार पत्र में विज्ञापन दो प्रकार के होते हैं –
1. वर्गीकृत विज्ञापन – वर्गीकृत विज्ञापन में विज्ञापन समाचार पत्र में निर्धारित स्थान पर निश्चित शीर्षकों के अन्तर्गत छपते हैं, जैसे टेण्डर, नीलामी, क्रय, विक्रय, शिक्षा, शादी-विवाह आदि। वर्गीकृत विज्ञापनों में सीमित शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
2. अवर्गीकृत विज्ञापन – अवर्गीकृत विज्ञापन के लिये समाचार पत्र में कोई स्थान निश्चित नहीं होता है। यह विज्ञापक की इच्छानुसार समाचार पत्र के किसी भी पृष्ठ पर दिया जा सकता है। इस विज्ञापनों में रंगों, आकर्षक अक्षरों तथा चित्रों का प्रयोग किया जाता है तथा वस्तु की विशेषताएँ एवं मिलने के स्थान के बारे में जानकारी दी जाती है।

(3) पत्रिका विज्ञापन – विभिन्न साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिकाओं में जो विज्ञापन प्रकाशित होते हैं उन्हें पत्रिका विज्ञापन कहा जाता है। रुचि व सामग्री के अनुसार पत्रिकायें साहित्यिक धार्मिक, वैज्ञानिक व राजनैतिक, आर्थिक एवं वाणिज्यिक होती हैं। अनेक पत्रिकायें इन समस्त विषयों के मिश्रित रूप में भी होती हैं। इण्डिया टुडे, गृहशोभा, सरिता, सहेली, खेल जगत, बिजनेस बर्ड आदि देश में छपने वाली प्रमुख पत्रिकायें हैं। पत्रिकाओं का जीवन समाचार पत्रों की तुलना में लम्बा होता है जिससे विज्ञापन भी अधिक समय तक पाठकों का ध्यान आकृष्ट करते हैं। पत्रिकाओं के विज्ञापनों में भी अनेक रंगों, चित्रों एवं अच्छे कागज का प्रयोग किया जाता है जिससे कि वे अधिक आकर्षक बन सकें।

(4) सैण्डविच मैन विज्ञापन – सैण्डविच मैन विज्ञापन में विचित्र वेश भूषा में कुछ व्यक्ति कपड़े या गत्तों पर विज्ञापन लिखकरे नगर की सड़कों पर निकलते हैं। सैण्डविच मैन के विचित्र पहनावे के कारण जन सामान्य का ध्यान इनकी ओर आकर्षित हो जाता है और जन सामान्य इनके चारों ओर लगे पोस्टर को पढ़ सकते हैं। इस विधि के माध्यम से बीड़ी, सिगरेट, दवाओं आदि का विज्ञापन किया जाता है। यह विज्ञापन माध्यम ग्रामीण जनता को अधिक आकृष्ट करता है।

(5) डाक द्वारा प्रत्यक्ष विज्ञापन – डाक द्वारा विज्ञापन में विज्ञापनकर्ता ग्राहकों से डाक द्वारा प्रत्यक्ष सम्पर्क स्थापित करता है। इस माध्यम द्वारा सम्पर्क स्थापित करने के लिये सम्भावित ग्राहकों को विक्रय साहित्य एवं अन्य विविध जानकारी डाक के जरिये भेजी जाती है। इसमें ग्राहकों को विक्रय पत्र, गश्तीपत्र, केट लॉग, मूल्य सूची, फोल्डर, पुस्तिकायें आदि भेजी जाती हैं। यह माध्यम विक्रेताओं के मार्ग को प्रशस्त करता है।

(6) मनोरंजन विज्ञापन – मनोरंजन विज्ञापन के साधनों में रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा, कैसेट, मेले, प्रदर्शनियाँ तथा ड्रामा व संगीत कार्यक्रम को सम्मिलित किया जाता है। यह माध्यम लोचपूर्ण, प्रभावी प्रतिष्ठित एवं मितव्ययी होता है। इसके द्वारा सैकड़ों व्यक्तियों तक सूचनाओं एवं सेवाओं के बारे में एक साथ जानकारी दी जा सकती है। विज्ञापन के इस माध्यम से वस्तुओं एवं सेवाओं का विज्ञापन काफी आकर्षक ढंग से मनोरंजनकारी कार्यक्रम के साथ किया जाता है।

(7) क्रय बिन्दु विज्ञापन – विज्ञापन का यह माध्यम दुकानों की वातापन एवं काउन्टर की सजावट से है जिसमें राह चलते ग्राहक वातावरण एवं काउन्टरों में सजी हुई वस्तुओं को देखकर दुकान में आने । के लिये प्रेरित होता है। वातायन सजावट में अलमारियों में वस्तुओं को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है। विभागीय भण्डारों, रेडीमेड गारमेन्टस, खिलौने, साड़ियों की दुकानों में वातायन सजावट को विशेष महत्व दिया जाता है। काउन्टर सजावट में सभी प्रकार की वस्तुओं को काउन्टर पर इस प्रकार सजाकर रखते हैं कि ग्राहकों को उनकी आवश्यकता का स्मरण हो जाता है और वे अधिक क्रय के लिये अग्रसर होते हैं।

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प्रश्न 3.
विज्ञापन का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं इसकी तकनीकी को समझाइए।
उत्तर:
विज्ञापन का अर्थ:
विज्ञापन प्रवर्तन के लिये उपयोग में आने वाली एक सामान्य तकनीकी है। विज्ञापन एक अवैयक्तिक सम्प्रेषण होता है। जिसका प्रयोग विपणनकर्ता वस्तु या सेवाओं के प्रवर्तन के लिये करता है। विज्ञापन के माध्यमों में टेलीविजन, रेडियो, समाचार पत्र – पत्रिका, परिवहनों के साधन, सिनेमा आदि प्रमुख हैं।
शैल्डन के अनुसार – “विज्ञापन वह व्यावसायिक शक्ति है जिसमें मुद्रित शब्दों द्वारा विक्रय वृद्धि में सहायता मिलती है, ख्याति का निर्माण होता है तथा साख में वृद्धि होती है।”
अमेरिकन मार्केटिक एसोसिएशन के अनुसार – “विज्ञापन एक सुनिश्चित विज्ञापक द्वारा अवैयक्तिक रूप से विचारों, वस्तुओं या सेवाओं को प्रस्तुत करने तथा संवर्द्धन करने का एक प्रारूप है जिसके लिये विज्ञापक द्वारा भुगतान किया जाता है।”

विज्ञापन की तकनीकी:
विज्ञापनदाताओं द्वारा वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिये कई महत्वपूर्ण तकनीकों का प्रयोग किया जाता है जिनको निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –

(1) भावनात्मक अनुरोध – विज्ञापन की यह तकनीकी दो कारकों की मदद पर आधारित होती है उपभोक्ता की आवश्यकतायें एवं भय कारक उपभोक्ता की आवश्यकताओं के अन्तर्गत भावनात्मक अपील जैसे कुछ नया करने की जरूरत, स्वीकृति प्राप्त करने की जरूरत, सुरक्षा की जरूरत, आकर्षक बनने की जरूरत भय कारक भावनात्मक अपीलों में जैसे दुर्घटना का डर, मौत का डर, टाले जाने का डर, बीमार होने का डर, पुराने होने का डर।

(2) प्रचार के लिये विज्ञापन – विज्ञापन की इस तकनीकी के अन्तर्गत उपभोक्ताओं को उत्पाद के मुक्त नमूने देना शामिल है। ग्राहकों का ध्यान हासिल करने के लिये व्यापार मेला, प्रचार की घटनाओं और विज्ञापन अभियान के माध्यम से अपने उत्पादों को खरीदने की पेशकश की जाती है।

(3) गाड़ी में सवार विज्ञापन – विज्ञापन की इस तकनीकी के अन्तर्गत ग्राहकों या लोगों को एक समूह में शामिल होने के लिये प्रेरित किया जाता है जिन्होंने उस उत्पाद को खरीदा है और जो आगे की ओर अग्रसर हैं।

(4) तथ्य एवं आंकड़े – इस तकनीक के अन्तर्गत विज्ञापनदाता नम्बर, सबूत और वास्तविक उदाहरण का उपयोग कर अपने उत्पादों को अच्छा बताने का प्रयास करते हैं। उदाहरण के लिये, कोलगेट दुनिया के 70 प्रतिशत दन्त चिकित्सों द्वारा उपयोग करने की सलाह दी गयी है।

(5) अधूरा विज्ञापन – अधूरा विज्ञापन तकनीकी के अन्तर्गत विज्ञापनदाता यह बताता। है कि उसका उत्पाद अच्छा काम करता है किन्तु यह नहीं बताता कि प्रतिद्वन्द्वी से कितना अधिक अच्छा काम करता है।

(6) समर्थन – इसके अन्तर्गत विज्ञापनदाता बड़ी हस्तियों का उपयोग अपने उत्पादों का विज्ञापन करने के लिये करता है। बड़ी हस्तियों या स्टार अपने अनुभवों को बताकर किसी उत्पाद को खरीदने का समर्थन करते हैं। जैसे हाल ही में सुपर स्टार अमिताभ बच्चन एवं उनकी पत्नी जया बच्चन ने एक ज्वैलरी उत्पाद का विज्ञापन दिया था। इसके अन्तर्गत यह बताया गया कि किस प्रकार जया बच्चन को उक्त उत्पाद ने प्रभावित किया था।

(7) आदर्श परिवार और आदर्श वच्चे – विज्ञापनदाता इस तकनीकी का इस्तेमाल यह बताने के लिये करते हैं कि उनके उत्पाद का प्रयोग करने वाले परिवार भाग्यशाली माने जाते हैं। उदाहरण के लिये; डिटोल साबुन का विज्ञापन यह बताता है कि जो परिवार उसका उपयोग करते हैं वे हमेशा रोगाणुओं से सुरक्षित रहते हैं।

(8) देशभक्ति विज्ञापन – इस विज्ञापन तकनीकी में दर्शाते हैं कि उक्त उत्पाद या सेवा का उपयोग करने वाला व्यक्ति किस प्रकार अपने देश का समर्थन कर सकता है।

(9) छूट – इस तकनीकी के अन्तर्गत विज्ञापनदाता अपने उत्पादों को बेचने के लिये उत्पादों की कीमत में कुछ छूट देने का प्रस्ताव उपभोक्ताओं से करते हैं जैसे किसी क्लब में दो साल के लिये सदस्य बनने पर सभी सेवाओं या उत्पादों पर 20 प्रतिशत की छूट आदि।

(10) ग्राहकों से पूछताछ – विज्ञापन की इस तकनीकी के अन्तर्गत विज्ञापनदाता अपने उत्पादों के सम्बन्ध में प्रतिक्रिया जानने के लिये उपभोक्ता से सवाल पूछते हैं।

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प्रश्न 4.
विज्ञापन के महत्व पर संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
विज्ञापन का महत्व:
विज्ञापन जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन गया है। विज्ञापन व्यवसाय के लिये तो महत्वपूर्ण है ही, इससे समाज में भी जागरूकता बढ़ती है और व्यक्ति अपने अधिकारों, आवश्यकताओं और सामाजिक बुराइयों से लड़ने को प्रेरित होता है। विज्ञापन द्वारा वस्तु या सेवा की माँग का सृजन होता है जिससे विक्रय में वृद्धि होती है, ग्राहकों को क्रय में सुविधा रहती है। एवं संस्था की ख्याति में वृद्धि होती है। विज्ञापन के महत्व को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –

  1. निर्माताओं के लिये महत्व
  2. उपभोक्ताओं के लिये महत्व
  3. मध्यस्थों के लिये महत्व
  4. समाज के लिये महत्व

1. निर्माताओं के लिये महत्व:
निर्माताओं के लिये विज्ञापन के महत्व को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –

  • प्रतिस्पर्धा में सहायक – आज वर्तमान में विभिन्न उत्पादकों के मध्य अपने द्वारा उत्पादित वस्तु या सेवा को बढ़ा – चढ़ा कर दिखाने की प्रतिस्पर्धा है जिससे उनके विक्रय में वृद्धि हो। विज्ञापन बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा कम करने या उसका मुकाबला करने के लिये उपयोगी सिद्ध हुआ है।
  • मध्यस्थों की प्राप्ति – जब किसी संस्था के उत्पाद का प्रचार प्रसार हो जाता है तो उसकी साख चारों ओर फैल जाती है जिससे थोक व्यापारियों या फुटकर व्यापारियों को विक्रय करने में कठिनाई कम होती है। फलस्वरूप निर्माताओं को मध्यस्थ प्राप्ति में सुविधा होती है।
  • व्यवसाय का विकास – व्यवसाय की कुशलता एवं विकास लाभों पर निर्भर करता है। अधिक लाभों की सहायता से ही व्यवसाय की पुरानी मशीनों एवं उपकरणों के स्थान पर नई एवं अद्यतन मशीनें क्रय की जा सकती हैं एवं नवीन इकाई की स्थापना कर व्यवसाय का विकास किया जा सकता है। लेकिन ये सब विज्ञापन के बिना सम्भव नहीं है क्यों विज्ञापन द्वारा ही विक्रय में वृद्धि होती है और अधिक विक्रय से लाभों में वृद्धि होती है।
  • उत्पादन में वृद्धि – विज्ञापन साधनों द्वारा उत्पादित माल के प्रचार – प्रसार से उपभोक्ताओं में वस्तु की माँग का सृजन होता है और उस मांग को पूरा करने के लिये निर्माताओं को उत्पादन में वृद्धि करनी पड़ती है।

2. उपभोक्ताओं के लिये महत्व –
विज्ञापन उपभोक्ताओं को कई प्रकार की सेवायें प्रदान करता है जिनको निम्नांकित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।

  • समय की बचत – विज्ञापन के माध्यम से ग्राहक को घर पर ही वस्तु की कीमत, उपलब्धि स्थान, वस्तु की गुणवत्ता एवं उपयोग विधि की समस्त जानकारी मिल जाती है। वस्तु क्रय के लिये इधर-उधर नहीं घूमना पड़ता। फलस्वरूप समय की बचत होती है।
  • क्रय में सुविधा – विज्ञापन द्वारा ग्राहक को वस्तु की उपलब्धि, कीमत, उपयोग आदि के बारे में जानकारी मिल जाती है जिससे वह विभिन्न वस्तुओं की तुलना करके विवेकपूर्ण एवं सुविधापूर्ण क्रय कर सकता है।
  • उपभोक्ता की बचत – विज्ञापन द्वारा ग्राहकों को विभिन्न वस्तुओं, उनकी स्थानापन्न वस्तुओं, कीमत, उपलब्धता गारन्टी, वारन्टी, उपयोगिता के बारे में जानकारी देता है इसके उपभोक्ता अपने धन का विवेकपूर्ण उपयोग कर सकते हैं एवं वस्तुओं से. दी गई कीमत की तुलना में उपयोगिता प्राप्त कर सकते हैं।

3. मध्यस्थों के लिये महत्व:
विज्ञापन का मध्यस्थों के लिये महत्व को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –

  • निर्माताओं से सम्पर्क – निर्माता अपने उत्पाद का विज्ञापन करते हैं जिससे मधु यस्थ, निर्माताओं से उनकी एजेन्सी लेने हेतु सम्पर्क करते हैं विभिन्न थोक एवं फुटकर व्यापारी भी विज्ञापन करते हैं जिससे निर्माता इन विज्ञापनों के आधार पर इन मध्यस्थों से व्यावसायिक सम्पर्क कर सकते हैं।
  • विक्रय में सहायता – उत्पादक द्वारा निकाले गये विज्ञापन में वस्तु के डीलर, एजेन्ट, थोक व्यापारी आदि का उल्लेख होता है। इससे ग्राहक मध्यस्थों के पास स्वयं आ जाते हैं। इसके अतिरिक्त विज्ञापन से उपभोक्ता को वस्तु के बारे में अनेक जानकारियाँ, जैसे – वस्तु, की कीमत, किस्म, उपयोग विधि, छूट प्राप्त होती है जिसमें विक्रेता को विक्रय हेतु अधिक प्रयास नहीं करने पड़ते हैं।
  • लाभों में वृद्धि – निर्माता द्वारा विज्ञापन किये जाने के कारण उसका लाभ स्वत ही मध्यस्थों को मिल जाता है उनको स्वयं विज्ञापन की आवश्यकता नहीं रहती, विक्रय अधिक होता है व ज्यादा विक्रयकर्ताओं की नियुक्ति नहीं करनी पड़ती जिससे खर्चे में कमी आती है व लाभों में वृद्धि होती है।

4. समाज के लिये महत्व:
विज्ञापन को समाज के लिये महत्व निम्नवत है –

  • विज्ञापन समाज में रोजगार के अवसर प्रदान करता है जिससे लोगों को रोजगार मिलता है।
  • विज्ञापन से उत्पादन की माँग बढ़ती है, माँग बढ़ने से उत्पादन लागत में कमी आती है एवं लोगों को सस्ती कीमत पर वस्तु उपलब्ध होती है व समाज के लोगों का जीवन स्तर बढ़ता है।
  • विज्ञापन समाज के लोगों को उनकी आवश्यकता के अनुसार वस्तुयें उपलब्ध कराता है।
  • विज्ञापन समाज के लोगों को सामाजिक बुराइयों से लड़ने की प्रेरणा देता है।
  • विज्ञापन किसी राष्ट्र की जीवन शैली की झलक दिखाता है।
  • विज्ञापन द्वारा ही लोगों को सस्ती दर पर मनोरंजन के साधन उपलब्ध होते हैं।

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प्रश्न 5.
विज्ञापन के लाभों एवं दोषों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विज्ञापन के लाभ:
विज्ञापन सूचनाओं के सम्प्रेषण का माध्यम है। यह माँग का सृजन, वस्तुओं एवं सेवाओं की ख्याति में वृद्धि एवं वस्तुओं के विक्रय में सहायता करता है। इसके लाभों को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –

(i) मितव्ययता – विज्ञापन के माध्यम से बड़ी संख्या में दूर – दूर तक फैले लोगों तक सूचनाओं को पहुँचाने का कार्य कम में खर्च किया जाता है जिससे प्रति इकाई लागत कम आती है। इसमें विज्ञापन का कुल खर्च संप्रेषण द्वारा बनाये घटकों में बाँट दिया जाता है।

(ii) सूचना – विज्ञापन उपभोक्ताओं को सूचना देने का सबसे सरल, सस्ता व प्रभावी माध्यम है जो अधिक से अधिक लोगों को वस्तु व सेवाओं की जानकारी देता है। इसके द्वारा उपभोक्ता यह जान लेते हैं कि कौन – कौन सी वस्तुएँ बाजार में उपलब्ध हैं, किस स्थान पर मिलेगी तथा उनकी उपयोगिता क्या है।

(iii) सुविधा – विज्ञापन वस्तु की ब्राण्ड इमेज बनाता है जो वस्तु की बिक्री के लिये महत्वपूर्ण होती है। एक अच्छे ब्राण्ड की वस्तु को खरीदने एवं बेचने में सुविधा रहती है क्योंकि उपभोक्ता उस वस्तु को जांचने – परखने की आवश्यकता नहीं समझता है।

(iv) पसन्द की स्वतन्त्रता – आज उपभोक्ताओं के सामने बाजार में विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के ब्राण्ड दिखायी देते हैं लेकिन किसी एक के चयन में उसे कठिनाई होती है परन्तु विज्ञापन के विभिन्न साधनों के माध्यम से वस्तुओं का तुलनात्मक अध्ययन करके अपने पसन्द की वस्तुओं को आसानी से क्रय कर सकता है।

(v) विश्वास व आश्वासन – उपभोक्ता और निर्माता आपस में सीधा सम्पर्क न रहने के कारण निर्माता, उपभोक्ता को वस्तु के प्रति विश्वास दिलाने के लिये विज्ञापन की सहायता लेता है। उपभोक्ता वस्तु खरीदने के बाद जब उसका उपयोग करता है और वह उसे विज्ञापक द्वारा बताये गये गुणों के अनुसार पाता है तब वह उस वस्तु के निर्माता की छवि पर विश्वास कर लेती है तथा उसके द्वारा बनाये गये अन्य नये उत्पादों पर भी विश्वास करने का अश्वासन उपभोक्ता को मिलता है।

विज्ञापन के दोष:
विज्ञापन के निम्नलिखित दोष हैं –

(i) कम असरदार – विज्ञापन सम्प्रेषण का गैर वैयक्तिक स्वरूप है। यह व्यक्तिगत विक्रय की तुलना में कम सशक्त माध्यम है। इसमें सन्देश पर ध्यान देने के लिये लोगों पर किसी प्रकार का दबाव नहीं होता है। अतः यह कम असरदार होता है।

(ii) अपव्यय को प्रोत्साहन – विज्ञापने उपभोक्ता को आकर्षित करते हैं। इससे प्रभावित होकर वे प्रायः अनावश्यक वस्तुओं का क्रय कर लेते हैं। फलस्वरूप वे अपनी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाते हैं।

(iii) मूल्यों में वृद्धि – विज्ञापन पर किये जाने वाले समस्त व्यय व्यापारी अथवा निर्माता द्वारा वस्तु के मूल्य में जोड़ दिये जाते हैं जिसका भार अंततोगत्वा उपभोक्ता पर ही पड़ता है। इससे वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि होती है।

(iv) विज्ञापनों में अश्लीलता – आजकल विभिन्न वस्तुओं के विज्ञापन में ग्राहकों को अधिक आकर्षित करने के लिये कई बार अश्लील चित्रों का प्रयोग किया जाता है जिससे समाज का नैतिक पतन होता है।

(v) प्रतिपुष्टि की कमी – विज्ञापन संदेश ने उपभोक्ताओं पर कितना प्रभाव डाला इसका मूल्यांकन करना कठिन होता है क्योंकि इसके द्वारा प्रसारित सन्देश की तुरन्त एवं सही प्रतिपुष्टि की व्यवस्था नहीं होती है।

(vi) विक्रेता बाजार – जिन वस्तुओं में विक्रेता बाजार की स्थिति होती है उन वस्तुओं को बेचने के लिये विक्रेता को पृथक से प्रयास करने की आवश्यकता नहीं होती है। विक्रेता बाजार में वस्तुओं की माँग स्वयं ही बनी रहती। है। उदाहरण के लिये; कैरोसिन एवं रसोई गैस में विक्रेता बाजार होने के कारण विज्ञापन महत्वहीन है।

RBSE Class 12 Business Studies Chapter 8 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर

RBSE Class 12 Business Studies Chapter 8 बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
“विज्ञापन वह व्यावसायिक शक्ति है जिसमें मुद्रित शब्दों द्वारा विक्रय वृद्धि में सहायता मिलती है ख्याति का निर्माण होता है तथा साख में वृद्धि होती है” यह कथन है –
(अ) डेविड ओगितवी का
(ब) शैल्डन का
(स) व्हीलर को
(द) इनमें से कोई नहीं

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प्रश्न 2.
विज्ञापन के लिये भुगतान किया जाता है –
(अ) समाज द्वारा
(ब) उपभोक्ता द्वारा
(स) विज्ञापन द्वारा
(द) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 3.
विज्ञान का उद्देश्य है –
(अ) विक्रय वृद्धि
(ब) नये ग्राहक बनाना
(स) मध्यस्थों का आकर्षित करनी
(द) उपरोक्त सभी।

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प्रश्न 4.
विज्ञापन का उद्देश्य नहीं है –
(अ) उपभोक्ता की जागरूकता और जिज्ञासा को कम करना
(ब) उपभोक्ता को प्रोत्साहित करना
(स) विक्रय वृद्धि करना
(द) नये ग्राहक बनाना

प्रश्न 5.
विज्ञापन का माध्यम है –
(अ) टी.वी.
(ब) समाचार पत्र
(स) पत्रिकायें
(द) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 6.
बाह्य विज्ञापन का स्रोत है –
(अ) दीवार लेखन
(ब) पोस्टर तथा होर्डिंग्स
(स) विद्युत साइन बोर्ड
(द) उपरोक्त सभी।

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प्रश्न 7.
वर्गीकृत विज्ञापन का समाचार पत्र में छपने में –
(अ) निश्चित स्थान होता है।
(ब) निश्चित शीर्षक होता है।
(स) सीमित शब्दों का प्रयोग होता है।
(द) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 8.
समाचार पत्रीय विज्ञापन की विशेषता है –
(अ) विज्ञापन का क्षेत्र व्यापक होता है।
(ब) जीवन अल्पकालीन होता है।
(स) शिक्षित वर्ग के लिये उपयुक्त होता है।
(द) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 9.
विभिन्न साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिकाओं में जो विज्ञापन प्रकाशित होते हैं उन्हें कहते है –
(अ) मनोरंजन विज्ञापन
(ब) पत्रिका विज्ञापन
(स) क्रय बिन्दु विज्ञापन
(द) सैण्डविच मैन विज्ञापन

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प्रश्न 10.
मनोरंजन विज्ञापन का साधन है –
(अ) रेडियो
(ब) सिनेमा
(स) टेलीविजन
(द) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 11.
विज्ञापन से लाभ नहीं है –
(अ) मितव्ययता
(ब) प्रतिपोषण की कमी
(स) स्पष्टता
(द) पसन्द की स्वतन्त्रता

प्रश्न 12.
विज्ञापन का दोष है।
(अ) कम असरदार
(ब) दोषपूर्ण विक्रय संगठन
(स) प्रतिपोषण की कमी
(द) उपरोक्त सभी

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प्रश्न 13.
विज्ञापन उपयोगी है –
(अ) निर्माताओं के लिये
(ब) उपभोक्ताओं के लिये
(स) मध्यस्थों के लिये
(द) उपरोक्त सभी के लिये

प्रश्न 14.
विज्ञापन का समाज के लिये महत्व है –
(अ) विक्रय में सहायता
(ब) मध्यस्थों की प्राप्ति
(स) रोजगार के अवसरों की प्राप्ति
(द) इनमें से कोई नहीं।

प्रश्न 15.
विज्ञापन की तकनीकी है –
(अ) भावनात्मक अनुरोध
(ब) गाड़ी में सवार विज्ञापन
(स) तथ्य एवं आंकड़े
(द) उपरोक्त सभी।

उत्तरमाला:
1. (ब)
2. (स)
3. (द)
4. (अ)
5. (द)
6. (द)
7. (द)
8. (द)
9. (ब)
10. (द)
11. (ब)
12. (द)
13. (द)
14. (स)
15. (द)

RBSE Class 12 Business Studies Chapter 8 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
“विज्ञापन लोगों को क्रय करने के लिये प्रेरित करने के उद्देश्य से विचारों, वस्तुओं अथवा सेवाओं का अवैयक्तिक प्रस्तुतिकरण है जिसके लिये भुगतान किया जाता है।” यह कथन किसका है?
उत्तर:
व्हीलर की।

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प्रश्न 2.
विज्ञापन की एक विशेषता बताइये।
उत्तर:
विज्ञापन के लिये विज्ञापनदाता को ग्राहकों से सम्पर्क करने हेतु इसकी लागत को वहन करना होता है।

प्रश्न 3.
विज्ञापन माध्यम से क्या आशय है?
उत्तर:
विज्ञापन का माध्यम वह साधन है जिसके द्वारा विज्ञापन का सन्देश अथवा वस्तुओं या सेवाओं की जानकारी जनता तक पहुँचायी जाती है।

प्रश्न 4.
बाह्य विज्ञापन किसे कहते हैं?
उत्तर:
बाह्य विज्ञापन का आशय ऐसे विज्ञापन से है जो दीवारों, परिवहन के साधनों, पोस्टरों, विद्युत साइन बोर्ड, होर्डिंग्स, स्टीकर द्वारा किये जाते हैं।

प्रश्न 5.
दीवार लेखन क्या है?
उत्तर:
दीवार लेखन बाह्य विज्ञापन का एक साधन है जिसमें विज्ञापनकर्ता अपने सन्देश को दुकान, मकान की दीवारों, पुलिया की दीवारों पर बड़े – बड़े अक्षरों में लिखवा देता है।

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प्रश्न 6.
विद्युत साइन बोर्ड क्या है?
उत्तर:
यह बाह्य विज्ञापन को साधन है इसमें रंगीन बल्वों या गैस की टयूब लाइटों से विज्ञापन बोर्ड को सजाया जाता है। ये रात्रि के समय उपभोक्ताओं को आकर्षित करते हैं।

प्रश्न 7.
बाह्य विज्ञापन का कोई एक लाभ बताइए।
उत्तर:
बाह्य विज्ञापन उन लोगों के लिये उपयुक्त है जो पत्र पत्रिकायें नहीं पढ़ते हैं या पढ़ नहीं सकते हैं।

प्रश्न 8.
बाह्य विज्ञापन का कोई एक दोष बताइए।
उत्तर:
वाहय विज्ञापनों में सन्देशों को परिवर्तित करना सरल नहीं होता है।

प्रश्न 9.
समाचार पत्र में विज्ञापन कितने प्रकार के होते हैं? नाम बताइए।
उत्तर:

  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • अवर्गीकृत विज्ञापन।

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प्रश्न 10.
वर्गीकृत विज्ञापन के अन्तर्गत समाचार पत्रों में छपने वाले कोई दो शीर्षक बताइए।
उत्तर:

  • टेण्डर
  • नीलामी।

प्रश्न 11.
वर्गीकृत विज्ञापन की कोई एक विशेषता बताइए।
उत्तर:
वर्गीकृत विज्ञापन में सीमित शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 12.
अवर्गीकृत विज्ञापन से क्या आशय है?
उत्तर:
ऐसे विज्ञापन जिसका समाचार पत्र में कोई स्थान निश्चित नहीं होता है, ये विज्ञापक की इच्छानुसार समाचार पत्र में किसी भी पृष्ठ पर छापा जा सकता है।

प्रश्न 13.
समाचार पत्रीय विज्ञापन के कोई दो लाभ बताइए?
उत्तर:

  • समाचार पत्र दूर – दूर तक सभी वर्गों के व्यक्तियों द्वारा पढ़ा जाता है।
  • समाचार पत्र विज्ञापन अन्य विज्ञापनों की अपेक्षा सस्ता होता है।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 8 विज्ञापन

प्रश्न 14.
समाचार पत्रीय विज्ञापन के दो दोष बताइए।
उत्तर:

  • समाचार पत्रों का जीवन काफी अल्प होता है।
  • यह अशिक्षित लोगों के लिये अनुपयोगी होता है।

प्रश्न 15.
समाचार पत्रीय विज्ञापन एवं पत्रिका विज्ञापन में कोई एक अन्तर बताइए।
उत्तर:
समाचार पत्रीय विज्ञापन का जीवन अल्प होता है लेकिन पत्रिका विज्ञापन दीर्घजीवी होता है।

प्रश्न 16.
डाक द्वारा प्रत्यक्ष विज्ञापन के कोई दो साधन बताइए।
उत्तर:

  • गश्ती पत्र
  • मूल्य सूची।

प्रश्न 17.
मनोरंजन विज्ञापन के कोई दो साधन बताइए।
उत्तर:

  • रेडियो
  • टेलीविजन

प्रश्न 18.
क्रय बिन्दु विज्ञापन से क्या आशय है?
उत्तर:
क्रय बिन्दु विज्ञापन से आशय दुकान की वातायन एवं काउन्टर की सजावट से है।

प्रश्न 19.
बेलोचदार माँग किसे कहते हैं?
उत्तर:
वस्तु के मूल्य में होने वाले परिवर्तन की तुलना में इसकी माँग में होने वाले परिवर्तन की मात्रा कम होती है तो उसे बेलोचदार माँग कहते हैं।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 8 विज्ञापन

प्रश्न 20.
पूर्ण बेलोचदार माँग किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस वस्तु के मूल्य में परिवर्तन को माँग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता तो उसे पूर्ण बेलोचदार माँग कहते हैं।

प्रश्न 21.
विज्ञापन की कोई दो आवश्यकतायें बताइए।
उत्तर:

  • नये उत्पादन की जानकारी।
  • मूल्य के बदलाव की जानकारी।

प्रश्न 22.
“विज्ञापन विक्रेताओं के लिये मार्ग प्रशस्त करता है” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विज्ञापन के द्वारा वस्तु की किस्म, मूल्य, पैकिंग, प्रयोग, छूट, स्कीम आदि की जानकारी प्रदान की जाती है। जिससे विक्रेता को वस्तु बेचने में सुगमता रहती है।

प्रश्न 23.
विज्ञापन मध्यस्थों की प्राप्ति में किस प्रकार सहायक है?
उत्तर:
प्रभावी एवं निरन्तर विज्ञापन करने वाली संस्था की साख चारों ओर फैल जाती है जिससे प्रतिष्ठित वे सुदृढ़ साधनों वाले मध्यस्थ एक निर्माता को अपनी सेवायें देने को तत्पर रहते हैं।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 8 विज्ञापन

प्रश्न 24.
विज्ञापन निर्माताओं के उत्पादन में वृद्धि करता है। कैसे?
उत्तर:
विज्ञापन वस्तु की माँग बढ़ाता है और उस माँग को पूरा करने के लिये निर्माता को उत्पादन में वृद्धि करनी पड़ती है।

प्रश्न 25.
विज्ञापन द्वारा निर्माताओं को अधिक लाभ की प्राप्ति कैसे होती है?
उत्तर:
विज्ञापन के द्वारा अधिकाधिक विक्रय होने के कारण निर्माताओं को अधिक लाभ की प्राप्ति होती है।

प्रश्न 26.
“विज्ञापन उपभोक्ताओं के ज्ञान में वृद्धि करता है। कैसे?
उत्तर:
विज्ञापन से उपभोक्ताओं को नयी नयी वस्तुओं एवं उनके उपयोग के बारे जानकारी मिलती है जिसमें ग्राहकों के ज्ञान में वृद्धि होती है।

प्रश्न 27.
विज्ञापन द्वारा मध्यस्थों की जोखिमों में कमी कैसे होती है?
उत्तर:
विज्ञापन के प्रभाव में मध्यस्थों का माल शीघ्र बिक जाता है जिससे विक्रेता को फैशन में परिवर्तन आदि से माल के बेकार होने का भय नहीं रहता है।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 8 विज्ञापन

प्रश्न 28.
विज्ञापन द्वारा समाज को होने वाले कोई दो महत्व बताइए।
उतर:

  • विज्ञापन द्वारा लोगों को रोजगार की प्राप्ति होती है।
  • विज्ञापन समाज के लोगों को उनकी आवश्यकता के अनुसार वस्तुओं का परिचय तथा उन्हें उपलब्ध कराता है।

प्रश्न 29.
विज्ञापन की भावनात्मक अनुरोध तकनीकी कौन – कौन से दो कारकों की मदद पर आधारित होती है?
उत्तर:
आवश्यकतायें एवं भय कारक।

प्रश्न 30.
‘ग्राहकों से पूछताछ’ की विज्ञापन तकनीकी को समझाइये।
उत्तर:
विज्ञापन की इस तकनीकी के अन्तर्गत विज्ञापन दाता अपने उत्पादों के सम्बन्ध में प्रतिक्रिया जानने के लिये उपभोक्ता से सवाल पूछते हैं।

RBSE Class 12 Business Studies Chapter 8 लघु उत्तरीय प्रश्न (SA – I)

प्रश्न 1.
विज्ञापन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
डेविड ओगिल्वी के अनुसार – ”यदि आप लोगों को कुछ करने या कुछ खरीदने के लिये प्रोत्साहित करते हैं तो आपको उनकी भाषा का प्रयोग करना चाहिये, जिसमें कि वे सोचते हैं।”

शैल्डन के अनुसार – “विज्ञापन वह व्यावसायिक शक्ति है जिसमें मुद्रित शब्दों द्वारा विक्रय वृद्धि में सहायता मिलती है, ख्याति का निर्माण होता है तथा साख में वृद्धि होती है।”

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 8 विज्ञापन

प्रश्न 2.
“विज्ञापन उत्पादन या ब्राण्ड के प्रति उपभोक्ता की जागरूकता और जिज्ञासा को बढ़ाता है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी भी ब्राण्ड के प्रति उपभोक्ता की जागरूकता ब्राण्ड के अस्तित्व और उसकी जानकारी को इंगित करती है। यदि उपभोक्ता की धारणा (विश्वास) वस्तु के प्रति बदलती है तो यह उसे किसी उत्पाद से जोड़ने के लिये राजी करने को बढ़ावा देता है जो सीधे – सीधे उपभोक्ता की पसन्द में बदलाव को प्रभावित करता है। विज्ञापन का उद्देश्य ब्राण्ड के प्रति उपभोक्ताओं में जागरूकता एवं रुचि बनाये रखना होता है इसलिये विज्ञापन के विभिन्न माध्यमों द्वारा उपभोक्ताओं के मध्य उत्पादों का प्रचार – प्रसार किया जाता है।

प्रश्न 3.
विज्ञापन के माध्यमों से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
विज्ञापन का माध्यम वह साधन है जिसके द्वारा विज्ञापन का सन्देश अथवा वस्तुओं या सेवाओं की जानकारी जनता तक पहुँचायी जाती है। विज्ञापन के माध्यमों में पोस्टर्स, होर्डिंग्स, समाचार पत्र, पत्रिका, डाक, टी.वी, रेडियो, सिनेमा, मेले एवं प्रदर्शनियों आदि को सम्मिलित किया जाता है।

प्रश्न 4.
पोस्टर्स तथा होर्डिंग्स पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
पोस्टर्स – पोस्टर्स से अभिप्राय ऐसे छपे हुये कागजों, कार्ड बोर्डो, फ्लेक्स तथा लकड़ी व धातु की प्लेटों से होता है जो दीवारों, गली के कोनों, बसों के चारों ओर, रेलवे स्टेशन, टेलीफोन के खम्भों पर लगाये या चिपकाये जाते हैं।

होर्डिंग्स – होर्डिंग्स लोहे की चादरों या लकड़ी के चौखटों से बने होते हैं जिनको मुख्य चौराहों, बहुमंजिला मकानों की छतों या सड़क किनारे नियत स्थान पर लगाया जाता है।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 8 विज्ञापन

प्रश्न 5.
समाचार पत्रीय विज्ञापन के लाभ बताइए।
उत्तर:
समाचार पत्रीय विज्ञापन से निम्न लाभ होते हैं –

  • समाचारपत्रीय विज्ञापन द्वारा सन्देश को दूर – दूर तक पहुँचाया जा सकता है और विज्ञापन का क्षेत्र व्यापक हो जाती है।
  • समाचारपत्रीय विज्ञापन सभी प्रकार के व्यापारियों के लिये उपयुक्त माध्यम है।
  • समाचार पत्रीय विज्ञापन से उपभोक्ताओं को वस्तु के उत्पादकों तथा वितरकों के बारे में जानकारी हो जाती है।
  • इसमें विज्ञापन का तत्काल प्रदर्शन होता है।

प्रश्न 6.
अवर्गीकृत विज्ञापन क्या है? समझाइए।
उत्तर:
अवर्गीकृत विज्ञापन में विज्ञापन के लिये समाचार पत्र में कोई स्थान निश्चित नहीं होता है इसे विज्ञापक की इच्छानुसार विज्ञापन समाचार पत्र के किसी भी पृष्ठ पर दिया जा सकता है। इन विज्ञापनों में रंगों, आकर्षक अक्षरों तथा चित्रों का प्रयोग किया जाता है तथा वस्तु की विशेषतायें एवं मिलने के स्थान के बारे में जानकारी दी जाती है।

प्रश्न 7.
मनोरंजन विज्ञापन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
मनोरंजन विज्ञापन में रेडियो, टेलीफोन, सिनेमा, रेडियो के सेट, मेले, प्रदर्शनी तथा ड्रामा व संगीत कार्यक्रम को सम्मिलित किया जाता है। यह लोचपूर्ण प्रभावी, प्रतिष्ठित एवं मितव्ययी होता है। इसके द्वारा सैकड़ों व्यक्तियों तक सूचनाओं विज्ञापन एवं सेवाओं के इस माध्यम से वस्तुओं एवं सेवाओं का विज्ञापन काफी आकर्षक ढंग से मनोरंजनकारी कार्यक्रम के साथ किया जाता है।

प्रश्न 8.
विज्ञापन द्वारा उपभोक्ता की बचत कैसे सम्भव होती है?
उत्तर:
विज्ञापन द्वारा ग्राहकों को विभिन्न वस्तुओं, उनकी स्थानापन्न वस्तुओं, कीमत, उपलब्धता, गारन्टी, वारन्टी एवं उपयोगिता के बारे में जानकारी दी जाती है इससे उपभोक्ता अपने धन का विवेकपूर्ण उपयोग कर सकते हैं एवं वस्तुओं से दी गई कीमत की तुलना में अधिक उपयोगिता प्राप्त कर सकते हैं।

प्रश्न 9.
विज्ञापन की ‘अधूरा विज्ञापन’ तकनीकी को बताइए।
उत्तर:
विज्ञापन की इस तकनीकी के अन्तर्गत विज्ञापनदाता यह बताते हैं कि उनका उत्पाद अच्छा काम करता है किन्तु यह नहीं बताते हैं कि प्रतिद्वन्द्वी से कितनी अधिक अच्छा काम करता है। उदाहरण के लिये प्रतिदिन अधिक पोषण के लिये हॉर्लिक्स विज्ञापन यह नहीं बताता कि और कितना अधिक न्यूट्रीशन मिलता है।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 8 विज्ञापन

प्रश्न 10.
‘आदर्श परिवार और आदर्श बच्चे’ विज्ञापन तकनीकी क्या है?
उत्तर:
विज्ञापनदाता इस तकनीक का इस्तेमाल यह बताने के लिये करते हैं कि उनके उत्पादन का प्रयोग करने वाले परिवार भाग्यशाली होते हैं, जैसे – डिटोल साबुन का विज्ञापन यह बताता है कि जो परिवार उसका उपयोग करते हैं वे हमेशा रोगाणुओं से सुरक्षित रहते हैं।

प्रश्न 11.
सरोगेट विज्ञापन तकनीक क्या है?
उत्तर:
विज्ञापन की इस तकनीकी के अन्तर्गत वह कम्पनियाँ आती हैं जो अपने उत्पादों का प्रत्यक्ष विज्ञापन नहीं करती। हैं। ये विज्ञापनदाता अपने उत्पादों को बेचने के लिये अप्रत्यक्ष तकनीकी का इस्तेमाल करते हैं।

RBSE Class 12 Business Studies Chapter 8 लघु उत्तरीय प्रश्न (SA – II)

प्रश्न 1.
विज्ञापन की परिभाषा दीजिए। इसकी मुख्य विशेषतायें क्या हैं? समझाइए।
उत्तर:
विज्ञापन का आशय सम्भावित उपभोक्ताओं को अपने उत्पाद या सेवा की ओर आकर्षित करने के उददेश्य से उसकी पर्याप्त जानकारी प्रदान करने से है।
डेविड ओगिल्वी के अनुसार – “यदि आप लोगों को कुछ करने या कुछ खरीदने के लिये प्रोत्साहित करते हैं तो आपको उनकी ही भाषा का प्रयोग करना चाहिये, जिसमें कि वे सोचते हैं।”

व्हीलर के अनुसार – “विज्ञापन लोगों को क्रय करने के लिये प्रेरित करने के उददेश्य से विचारों, वस्तुओं अथवा सेवाओं का अवैयक्तिक प्रस्तुतिकरण है जिसके लिये भुगतान किया जाता है।”

विज्ञापन की मुख्य विशेषताएँ:
विज्ञापन सम्प्रेषण का माध्यम है। इसकी मुख्य विशेषताएँ निम्न हैं –

  • भुगतान स्वरूप – विज्ञापन के लिए विज्ञापनदाता को ग्राहकों से सम्पर्क करने हेतु इसकी लागत को वहन करना होता है।
  • अवैयक्तिक – विज्ञापन एवं ग्राहक के बीच किसी प्रकार का कोई सीधा या प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं होता इसलिए इसे अवैयक्तिक विज्ञापन कहते हैं।
  • पूर्व निश्चित विज्ञापनदाता – ज्यादातर विज्ञापन उत्पाद की जानी – मानी कम्पनियों द्वारा ही दिया जाता है, जिसका उन्हें विशेष लाभ मिलता है, जैसे हिन्दुस्तान लीवर लिमिटेड।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 8 विज्ञापन

प्रश्न 2.
परिवहन विज्ञापन क्या है? समझाइए।
उत्तर:
परिवहन विज्ञापन, वे विज्ञापन हैं जो वाहनों के भीतर तथा बाहरी भागों पर किये जाते हैं। ऐसे विज्ञापन कार, बसों, टैक्सियों, रेल के डिब्बों आदि के भीतरी भागों पर किये जाते हैं। परिवहन विज्ञापनों को प्रभावी विज्ञापन माध्यम माना जाता है क्योंकि रात – दिन हजारों की संख्या में व्यक्ति इन परिवहन के साधनों को देखते हैं और यात्रा करते हैं। यात्रा के दौरान तथा राह चलते व्यक्तियों को प्रायः समय लगता है जिससे वे इन विज्ञापनों को पढ़ते व देखते हैं। परिवहन विज्ञापन में संदेश संक्षिप्त एवं आकर्षक होते हैं तथा मोटे शब्दों या रंगीन चित्रों का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 3.
मनोरंजन विज्ञापन के किन्हीं दो साधनों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
सिनेमा:
सिनेमा मनोरंजन का सर्वाधिक सस्ता एवं लोकप्रिय साधन है। सिनेमा विज्ञापन में विज्ञापनकर्ता सिनेमा स्लाइड के माध्यम से या विज्ञापन के उद्देश्य से बनी फिल्म दिखाकर विज्ञापन करते हैं। इन विज्ञापनों को अनेक व्यक्ति एक साथ देखते हैं और प्रभावित होते हैं। विज्ञापन का यह साधन काफी आकर्षक एवं गहरा प्रभाव डालने वाला होता है इससे सुनी एवं देखी हुयी बातें काफी लम्बे समय तक याद रहती हैं।

टेलीविजन:
टेलीविजन विज्ञापन का महत्वपूर्ण एवं लोकप्रिय साधन हैं। जो शब्दों एवं चित्रों को एक साथ श्रोताओं एवं दर्शकों के सम्मुख प्रस्तुत करता है। टी.वी. विज्ञापन की सुविधा राष्ट्रीय टेलीविजन, अन्तर्राष्ट्रीय टेलीविजन एवं स्थानीय केबिल टी.वी. पर उपलब्ध है। इस साधन द्वारा विज्ञापन संदेशों को नाटकीय ढंग से प्रस्तुत किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
क्रय बिन्दु विज्ञापन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
क्रय बिन्दु विज्ञापन:
विज्ञापन का यह माध्यम दुकानों की वातायन एवं काउन्टर की सजावट से है जिससे राह चलते ग्राहक वातावरण एवं काउन्टरों में सजी हुई वस्तुओं को देखकर दुकान में आने के लिये प्रेरित होता है। वातायन सजावट में अलमारियों में वस्तुओं को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है। विभागीय भण्डारों, रेडीमेड गारमेन्टस, खिलौने, साड़ियों की दुकानों में वातायन सजावट को विशेष महत्व दिया जाता है। काउन्टर सजावट में सभी प्रकार की वस्तुओं को काउन्टर पर इस प्रकार सजाकर रखते हैं कि ग्राहकों को उनकी आवश्यकता का स्मरण हो जाता है और वे अधिक क्रय के लिये अग्रसर होते हैं।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 8 विज्ञापन

प्रश्न 5.
“विज्ञापन पर किया गया व्यय विनियोग है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विज्ञापन जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन गया है। विज्ञापन व्यवसाय के लिये तो महत्वपूर्ण है, ही इससे समाज में भी जागरूकता बढ़ती है और व्यक्ति अपने अधिकारों, आवश्यकताओं और सामाजिक बुराइयों से लड़ने को प्रेरित होता है। विज्ञापन से वस्तुओं की माँग बढ़ती है जिससे विक्रय में वृद्धि होती है ग्राहकों को क्रय में सुविधा रहती है एवं संस्था की ख्याति में वृद्धि होती है। इसीलिए यह कहा जाता है कि विज्ञापन पर किया गया व्यय विनियोग है।

RBSE Class 12 Business Studies Chapter 8 विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विज्ञापन का अर्थ स्पष्ट कीजिये तथा इसके उद्देश्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विज्ञापन:
सामान्य रूप से विज्ञापन का अर्थ सूचना देना है किन्तु व्यावसायिक जगत में विज्ञापन का अर्थ बहुत व्यापक है। विज्ञापन में टेलीविजन, रेडियो, समाचार पत्रों, पत्रिका, परिवहन के साधनों, सिनेमा आदि के द्वारा वस्तुओं एवं सेवाओं की जानकारी जन – जन को दी जाती है जिससे वह (जनता) वस्तुओं को खरीदने के लिये प्रेरित होती है। यह व्यक्तिगत सम्प्रेषण होता है जिसका भुगतान विपणनकर्ता कुछ वस्तु एवं सेवाओं के प्रवर्तन के लिये करते हैं।

(1) विक्रय में वृद्धि करना – विज्ञापन का मुख्य उद्देश्य बिक्री में वृद्धि करना है। विज्ञापन निर्माताओं द्वारा उत्पादित वस्तु का परिचय जन – जन को कराया जाता है जिससे उपभोक्ताओं की वस्तु के प्रति इच्छा जाग्रत होती है और विक्रय में वृद्धि होती है।

(2) नये ग्राहक बनाना – विज्ञापन के द्वारा वस्तु की उपलब्धि, कीमत, मात्रा, उपयोगिता और उसकी प्रयोग विधि आदि के बारे में जानकारी प्राप्त होने से उपभोक्ता विभिन्न वस्तुओं का तुलनात्मक अध्ययन आसानी से कर सकता है और उसे वस्तुओं के क्रय करने में सुविधा होती है जिससे नये ग्राहक बनते हैं।

(3) नये बाजारों में प्रवेश – वर्तमान में विभिन्न उत्पादकों के मध्य गलाकाट प्रतिस्पर्धा पायी जाती है जिससे नये बाजारों में प्रवेश की समस्या पायी जाती है। लेकिन विज्ञापन का उद्देश्य माँग को बढ़ाना व उपभोक्ताओं की पुरानी उपभोग आदतों एवं रुचियों में परिवर्तन कर नये उत्पाद को उपयोग में लेने के लिये प्रेरित करना है। फलस्वरूप उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ती है व नये बाजारों में प्रवेश करना सम्भव होता है।

(4) मध्यस्थों को आकर्षित करना – प्रभावी एवं नियन्त्रित विज्ञापन करने से संस्था की ख्याति बढ़ती है जिसके कारण सुदृढ़ एवं प्रतिष्ठित मध्यस्थ संस्था से जुड़ जाती है व अपनी सेवायें देने को तत्पर रहते हैं। इस प्रकार विज्ञापन का उद्देश्य थोक विक्रेताओं और फुटकर विक्रेताओं को आकर्षित करना भी है।

(5) माँग का सृजन करना – विज्ञापन के माध्यम से व्यापारी ग्राहक में उत्पादित वस्तु या सेवा के प्रति उत्सुकता उत्पन्न करता है, उन्हें नये उत्पाद के सम्बन्ध में शिक्षित करता है जिससे माँग को सृजन होता है।

(6) विक्रयकर्ताओं की सहायता करना – विज्ञापन सम्भावित ग्राहकों के मन-मस्तिष्क में वस्तु या कम्पनी के प्रति एक भावना विकसित करता है और यदि यह भावना अनुकूल होती है तो विक्रर्यकर्ताओं को ऐसे ग्राहकों को वस्तुयें बेचने में कोई परेशानी नहीं होती है। यदि वस्तुओं का भलीभांति विज्ञापन किया गया है, तो विक्रयकर्ताओं द्वारा क्रेता को वस्तु के गुण के सम्बन्ध में सहमत करने से ही अथवी वस्तु के दिखाने से ही सम्पूर्ण विक्रय हो जाता है।

(7) उत्पादन या ब्राण्ड के प्रति उपभोक्ता की जागरूकता और जिज्ञासा को बढ़ाना – ब्राण्ड के प्रति उपभोक्ताओं में जागरूकता एवं रुचि बनाये रखना एक लोकप्रिय विज्ञापन का उद्देश्य होता है। किसी भी ब्राण्ड के प्रति उपभोक्ता की जागरूकता ब्राण्ड के अस्तित्व और उसकी जानकारी को इंगित करती है यदि उपभोक्ता की धारणा वस्तु के प्रति बदलती है तो यह उसे किसी अन्य उत्पाद से जोड़ने के लिये राजी करने को बढ़ावा देता है। यह सीधे – सीधे उपभोक्ता की पसन्द में बदलाव को प्रभावित करता है।

(8) मध्यस्थों पर निर्भरता कम करना – विज्ञापन के माध्यम से निर्माता अपनी वस्तु के लिये उपभोक्ता स्वीकृति और मान्यता प्राप्त कर लेता है। ऐसी दशा में थोक व्यापारी एवं फुट व्यापारी पर उसकी निर्भरता कम हो जाती है।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 8 विज्ञापन

प्रश्न 2.
बाह्य विज्ञापन क्या है? इसके प्रमुख साधनों का वर्णन करते हुये लाभों को बताइये।
बाह्य विज्ञापन:
ऐसे विज्ञापन जो दीवारों, परिवहन के साधनों, पोस्टरों, विद्युत साइन बोर्ड, होर्डिंग्स, स्टीकरों द्वारा किये जाते हैं। इस विज्ञापन में आकर्षक चित्रों एवं रंगों का प्रयोग किया जाता है जिसके फलस्वरूप राह चलते लोगों का ध्यान स्वतः ही इनकी ओर आकर्षित हो जाता है। यह विज्ञापन के स्थायी प्रकार के आकर्षक माध्यम हैं, क्योंकि एक बार पोस्टर लगा देने या बोर्ड आदि बना लेने पर बहुत दिनों तक स्थायी बने रहते हैं और जनता को आकार्षित करते रहते हैं।

बाह्य विज्ञपान के साधन:
बाह्य विज्ञापन के प्रमुख साधन निम्नवत हैं –

(1) दीवार लेखन – दीवार लेखन विज्ञापन में विज्ञापनकर्ता अपने सन्देश को दुकान, मकान की दीवारों, पुलिया की दीवारों पर बड़े – बड़े अक्षरों में लिखवा देता है। यह विज्ञापन सामान्यतः जब हम निकलते हैं तो कहीं न कहीं इस पर दृष्टि पड़ जाती है। जैसे विभिन्न प्रकार की कम्पनियों के मोटरसाइकिल के विज्ञापन दीवारों पर देखे जा सकते हैं।

(2) पोस्टर्स – पोस्टर्स से अभिप्राय ऐसे छपे हुए कागजों, कार्ड बोर्डी, फ्लेक्स तथा लकड़ी व धातु की प्लेटों से होता है जो दीवारों, गली के कोनों, बसों के चारों ओर, रेलवे स्टेशनों, टेलीफोन के खम्भों आदि पर लगाये या चिपकाये जाते हैं।

(3) विज्ञापन बोर्ड – विज्ञापन बोर्ड (होर्डिंग्स) चौराहे, बहुमंजिले मकान की छतों या सड़क किनारे पर नियत स्थान पर लगाये जाते हैं। विभिन्न शहरों में लगे स्कूल-कालेजों में प्रवेश आदि के विज्ञापन बोर्ड (होर्डिंग्स) देखे जा सकते हैं।

(4) विद्युत साइन बोर्ड – वर्तमान में विद्युत साइन बोर्ड का प्रयोग बड़े – बड़े शहरों में पर्याप्त मात्रा में किया जा रहा है क्योंकि ये रात्रि के समय उपभोक्ता को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इसमें रंगीन बल्बों या गैस की ट्यूब लाइट से विज्ञापन बोर्ड को सजाया जाता है तथा विद्युत का प्रकाश अधिक आकर्षक एवं मोहक बनाने के लिये अनेक रंगों का भी प्रयोग किया जाता है।

(5) परिवहन विज्ञापन – परिवहन विज्ञापन, वे विज्ञापन हैं जो वाहनों के भीतरी तथा बाहरी भागों पर किये जाते हैं। ऐसे विज्ञापन कार, बसों, टैक्सियों, रेल के डिब्बों आदि के भीतरी भागेां पर किये जाते हैं। परिवहन विज्ञापनों को प्रभावी विज्ञापन माध्यम माना जाता है क्योंकि रात दिन हजारों की संख्या में व्यक्ति इन परिवहन के साधे नों को देखते हैं और यात्रा करते हैं। परिवहन विज्ञापन में संदेश संक्षिप्त एवं आकर्षक होते हैं तथा मोटे शब्दों या रंगीन चित्रों का प्रयोग किया जाता है।

बाह्य विज्ञापन के लाभ:
बाह्य विज्ञापन के लाभ निम्नलिखित हैं –

  • यह माध्यम आर्थिक दृष्टि से मितव्ययी होता है क्योंकि इसमें विज्ञापक अपनी सामर्थ्य के अनुसार किसी भी साधन का प्रयोग कर सकता है।
  • यह माध्यम ऐसे व्यक्तियों के लिये उपयुक्त है जो पत्र – पत्रिकायें नहीं पढ़ते हैं।
  • यह विज्ञापन का एक स्थायी आकर्षक माध्यम है क्योंकि एक बार पोस्टर्स, होर्डिंग्स या दीवार लेखन कर दिया जाता है तो बहुत दिनों तक यह व्यक्तियों को आकर्षित करता रहता है।
  • यह माध्यम माल क्रय करने जाते हुए व्यक्तियों के क्रय निर्णयों को बखूबी प्रभावित करता है।
  • विज्ञापन का यह माध्यम लोचपूर्ण होता है। इसमें आवश्यकतानुसार विज्ञापन करना सम्भव होता है।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 8 विज्ञापन

प्रश्न 3.
‘विज्ञापन पर व्यय एक सामाजिक अपव्यय है।’ क्या आप इससे सहमत हैं?
उत्तर:
वस्तु एवं सेवाओं के प्रवर्तन के लिए विज्ञापन का बार – बार उपयोग किया जाता है। लेकिन इसके विरोधियों का कहना है कि विज्ञापन पर किया गया व्यय एक सामाजिक अपव्यय है क्योंकि इससे लागत में वृद्धि होती है, लोगों की आवश्यकताओं में वृद्धि होती है तथा इससे सामाजिक मूल्यों में गिरावट आती है। लेकिन विज्ञापन के समर्थकों का तर्क है कि विज्ञापन बहुत उपयोगी है क्योंकि इससे अधिक लोगों तक पहुँचा जा सकता है, यह प्रति इकाई उत्पादन लागत को कम करता है तथा अर्थव्यवस्था के विकास में सहायक होता है। इसीलिए यह आवश्यक है कि विज्ञापन के प्रमुख आलोचना बिन्दुओं की जाँच की जाये। ये आलोचना बिन्दु निम्नलिखित हैं –

1. लागत में वृद्धि – विज्ञापन के विरोधियों का तर्क है कि विज्ञापन के कारण उत्पाद की लागत में अनावश्यक रूप से वृद्धि होती है जो अन्तत: क्रेता को ही वहन करनी होती है। लेकिन इसके समर्थकों का कहना है कि विज्ञापन से बिक्री में वृद्धि होती है इससे उत्पादन बड़ी मात्रा में किया जाता है। इसके परिणामस्वरूप उत्पादन की कुल लागत में वृद्धि होने के बावजूद उत्पाद की प्रति इकाई लागत में अन्ततः कमी ही आती है।

2. सामाजिक मूल्यों में कमी – विज्ञापन के कुछ आलोचकों का कहना है कि इससे सामाजिक मूल्यों की अवहेलना होती है, इससे लोगों में असन्तोष पैदा होता है। कुछ विज्ञापन नई जीवन शैली दर्शाते हैं। जिनको सामाजिक मान्यता नहीं मिलती है। यह आलोचना भी पूर्ण सत्य नहीं है क्योंकि विज्ञापन लोगों को नये उत्पादों के सम्बन्ध में जानकारी देकर उनकी सहायता ही करता है जिससे वे अपने लिए श्रेष्ठ उत्पाद को क्रय करके लाभ उठा सकें। इसे खरीदने का अन्तिम निर्णय तो क्रेता ही करता है।

3. विज्ञापन भ्रान्ति उत्पन्न करता है – आजकल टेलीविजन पर दिन – प्रतिदिन विज्ञापनों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। इन बढ़ते हुए विज्ञापनों की बाढ़ से ग्राहकों को भ्रान्ति पैदा होती है कि वे किस उत्पाद को खरीदने में प्राथमिकता दें, क्योंकि सभी विज्ञापन प्रत्येक उत्पाद से सर्वश्रेष्ठ होने का दावा करते हैं, इससे ग्राहक को उनका चुनाव करना कठिन हो जाता है। हम इस बात से सहमत नहीं हैं क्योंकि विज्ञापन द्वारा ग्राहकों को चुनाव करने का विस्तृत अवसर मिलता है।

4. विज्ञापन द्वारा घटिया उत्पादों के विक्रय को प्रोत्साहित किया जाता है – आजकल टी.वी. चैनल किसी विज्ञापन के अन्दर सम्बन्धित वस्तु की गुणवत्ता पर ध्यान दिये बिना (कि बताया जाने वाला विवरण सही है या नहीं) उसका विज्ञापन करते हैं। आमधारणा के अनुसार, आजकल विज्ञापन की सहायता से सब कुछ बेचा जा सकता है। हम इस विचार से सहमत नहीं हैं क्योंकि ग्राहक द्वारा घटिया – बढ़िया वस्तु का चुनाव उसकी अपनी आर्थिक स्थिति एवं प्राथमिकताओं पर निर्भर होता है, जैसे कोई बाटा के जूते खरीदता है और कोई लोकल कम्पनी के यह उनकी सोच एवं अर्थिक स्थिति पर निर्भर है।

5. कभी – कभी विज्ञापन अरुचिकर होते हैं – लोगों की विचारधारा के अनुसार कभी – कभी विज्ञापन भ्रामक होने के साथ – साथ अरुचिकर भी होते हैं जिनसे प्रत्येक व्यक्ति प्रभावित नहीं होता। ऐसे विज्ञापन ग्राहकों की समझ से भी बाहर होते हैं कि विज्ञापन के कहने का तात्पर्य क्या है या क्या कहना चाहता है। इस विचार से कुछ हद तक सहमति दी जा सकती है कि ऐसे विज्ञापन नहीं दिखाये जाने चाहिए।
उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि विज्ञापन सामाजिक अपव्यय नहीं है बल्कि उत्पादन में वृद्धि कर एवं रोजगार के अवसर पैदा कर सामाजिक सोच को मूल्यवान बनाता है।

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