• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • RBSE Model Papers
    • RBSE Class 12th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 10th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 8th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 5th Board Model Papers 2022
  • RBSE Books
  • RBSE Solutions for Class 10
    • RBSE Solutions for Class 10 Maths
    • RBSE Solutions for Class 10 Science
    • RBSE Solutions for Class 10 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 10 English First Flight & Footprints without Feet
    • RBSE Solutions for Class 10 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 10 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 10 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 10 Physical Education
  • RBSE Solutions for Class 9
    • RBSE Solutions for Class 9 Maths
    • RBSE Solutions for Class 9 Science
    • RBSE Solutions for Class 9 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 9 English
    • RBSE Solutions for Class 9 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 9 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 9 Physical Education
    • RBSE Solutions for Class 9 Information Technology
  • RBSE Solutions for Class 8
    • RBSE Solutions for Class 8 Maths
    • RBSE Solutions for Class 8 Science
    • RBSE Solutions for Class 8 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 8 English
    • RBSE Solutions for Class 8 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit
    • RBSE Solutions

RBSE Solutions

Rajasthan Board Textbook Solutions for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

  • RBSE Solutions for Class 7
    • RBSE Solutions for Class 7 Maths
    • RBSE Solutions for Class 7 Science
    • RBSE Solutions for Class 7 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 7 English
    • RBSE Solutions for Class 7 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 6
    • RBSE Solutions for Class 6 Maths
    • RBSE Solutions for Class 6 Science
    • RBSE Solutions for Class 6 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 6 English
    • RBSE Solutions for Class 6 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 5
    • RBSE Solutions for Class 5 Maths
    • RBSE Solutions for Class 5 Environmental Studies
    • RBSE Solutions for Class 5 English
    • RBSE Solutions for Class 5 Hindi
  • RBSE Solutions Class 12
    • RBSE Solutions for Class 12 Maths
    • RBSE Solutions for Class 12 Physics
    • RBSE Solutions for Class 12 Chemistry
    • RBSE Solutions for Class 12 Biology
    • RBSE Solutions for Class 12 English
    • RBSE Solutions for Class 12 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit
  • RBSE Class 11

RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 12 बाजार के अन्य स्वरूप

July 3, 2019 by Fazal Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 12 Economics Chapter 12 बाजार के अन्य स्वरूप

RBSE Class 12 Economics Chapter 12 अभ्यासार्थ प्रश्न

RBSE Class 12 Economics Chapter 12 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
एकाधिकार बाजार में –
(अ) अनेक विक्रेता होते हैं।
(ब) अल्प विक्रेता होते हैं।
(स) एक विक्रेता होता है।
(द) दो विक्रेता होते हैं।

प्रश्न 2.
एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता की धारणा का प्रतिपादन किसने किया –
(अ) प्रो. ई.एफ. चैम्बरलिन
(ब) श्रीमती जॉन रॉबिन्सन
(स) एडविन कैनन
(द) एल्फ्रेड मार्शल

प्रश्न 3.
अल्पाधिकार फर्मों की कौन-सी विशेषता नहीं है?
(अ) परस्पराधीनता
(ब) कीमत परिदृढ़ता
(स) अनिश्चित माँग वक्र
(द) एक ही विक्रेता

प्रश्न 4.
एकाधिकार बाजार में कौन-सी वस्तुओं का उत्पादन होता है –
(अ) समरूप
(ब) विभेदीकृत
(स) विजातीय
(द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 5.
एकाधिकार के माँग वक्र की लोच होती है –
(अ) एक से कम (e < 1)
(ब) एक से ज्यादा (e > 1)
(स) एक के बराबर (e = 1)
(द) शून्य

उत्तरमाला:

  1. (स)
  2. (अ)
  3. (द)
  4. (स)
  5. (अ)

RBSE Class 12 Economics Chapter 12 अतिलघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
एकाधिकार का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
एकाधिकार बाजार की वह अवस्था है जिसमें किसी वस्तु अथवा सेवा के उत्पादन या विक्रय व्यवस्था पर किसी एक व्यक्ति या फर्म का पूर्ण अधिकार होता है। इस बाजार व्यवस्था में फर्म व उद्योग का अन्तर समाप्त हो जाता है।

प्रश्न 2.
एकाधिकारी का प्रमुख उद्देश्य क्या होता है?
उत्तर:
एकाधिकारी का प्रमुख उद्देश्य अपने लाभ को अधिकतम करना होता है। वह कुल लाभ को अधिकतम करना चाहता है। न कि प्रति इकाई लाभ को।

प्रश्न 3.
वस्तु विभेद का क्या अर्थ है?
उत्तर:
वस्तु विभेद से आशय उत्पादित वस्तु में आकार, रंग, रूप अथवा पैकिंग आदि के द्वारा अन्तर करने से है। इस प्रकार के अन्तर वाली वस्तुएँ एक-दूसरे की स्थानापन्न तो होती हैं लेकिन वे पूर्ण स्थानापन्न नहीं होती।

प्रश्न 4.
विभेदीकृत वस्तु का उत्पादन किस बाजार की प्रमुख विशेषता है?
उत्तर:
विभेदीकृत वस्तु का उत्पादन एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता बाजार की प्रमुख विशेषता होती है।

प्रश्न 5.
अल्पाधिकार बाजार की एक प्रमुख विशेषता बताइए।
उत्तर:
अल्पाधिकार बाजार में विक्रेताओं की संख्या कम होने के कारण उनमें परस्पर निर्भरता पाई जाती है।

RBSE Class 12 Economics Chapter 12 लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
एकाधिकारात्मक बाजार को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
एकाधिकारात्मक बाजार से आशय ऐसे बाजार से है जिसमें किसी वस्तु विशेष का केवल एक ही उत्पादक अथवा विक्रेता हो। उस वस्तु का बाजार में कोई निकट स्थानापन्न नहीं होता है। प्रो. लेफ्ट विच के अनुसार, “शुद्ध एकाधिकार वह बाजार दशा है जिसमें एक फर्म उस वस्तु के उत्पादन को बेचती है जिसका स्थानापन्न उपलब्ध न हो। इस प्रकार वस्तु का सम्पूर्ण बाजार एक फर्म के लिए ही होता है। इसमें समीपस्थ वस्तुएँ नहीं होती है।

प्रश्न 2.
वास्तविक प्रतियोगिता अल्पाधिकार में होती है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
अल्पाधिकार में विक्रेताओं की संख्या थोड़ी होती है। संख्या थोड़ी होने के कारण विक्रेता एक-दूसरे से ज्यादा प्रभावित होते हैं तथा उनके लिए प्रतिद्वन्द्वी फर्म की चालों पर निगाह रखना आसान होता है तथा वे एक-दूसरे की चालों की तोड़ निकालने को सदैव तत्पर रहते हैं। इस कारण अल्पाधिकार में फर्मों में संघर्षपूर्ण प्रतियोगिता देखने को मिलती है। इसीलिए कहा जाता है कि वास्तविक प्रतियोगिता तो अल्पाधिकार में ही देखने को मिलती है।

प्रश्न 3.
अल्पाधिकार बाजार की कोई दो प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
अल्पाधिकार बाजार की दो विशेषताएँ निम्न हैं –

  1. विक्रेताओं की अल्प संख्या – इस बाजार में वस्तु के विक्रेताओं की संख्या थोड़ी होती है और इन विक्रेताओं में प्रतिस्पर्धा देखी जाती है।
  2. परस्पर निर्भरता – अल्पाधिकार में फर्मे एक-दूसरे पर निर्भर भी रहती हैं क्योंकि उनकी संख्या कम होती है। एक फर्म की मूल्य नीति, उत्पादन नीति, विक्रय कला तथा विज्ञापन आदि का अन्य सभी फर्मों पर प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 4.
एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता की कोई दो प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता की दो प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं –

  1. फर्मों अथवा विक्रेताओं की अधिक संख्या-इस बाजार में विक्रेताओं की संख्या अधिक होती है तथा प्रत्येक विक्रेता का कुल बाजार उत्पादन में बहुत थोड़ा हिस्सा होता है। सभी विक्रेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा रहती है।
  2. वस्तु विभेद-इस बाजार में विभिन्न फर्मों द्वारा उत्पादित वस्तुओं में थोड़ा बहुत अन्तर होता है। यह अन्तर रूप, रंग, आकार, डिजाइन या पैकिंग आदि के आधार पर किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
अपूर्ण प्रतियोगिता का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
अपूर्ण प्रतियोगिता एक व्यापक शब्द है। इसके अन्तर्गत पूर्ण प्रतियोगिता एवं पूर्ण एकाधिकार के बीच का समस्त क्षेत्र समाहित है। वास्तविक जीवन में बाजार की यही स्थिति देखी जाती है। इसके अन्तर्गत अल्पाधिकार, द्वयाधिकार तथा एकाधिकृत प्रतियोगिता की अवस्थाएँ समाहित है। प्रो. फेयरेचाइल्ड ने अपूर्ण प्रतियोगिता को परिभाषित करते हुए लिखा है कि “यदि बाजार उचित प्रकार से संगठित न हो, यदि क्रेताओं एवं विक्रेताओं के बीच पारस्परिक सम्बन्ध में कठिनाई हो तथा वे अन्य व्यक्तियों द्वारा खरीदी गई वस्तुओं एवं दिये गये मूल्यों की अपनी वस्तु से तुलना करने में असमर्थ हों तो ऐसी स्थिति को अपूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति कहेंगे।”

RBSE Class 12 Economics Chapter 12 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
“एकाधिकारात्मक बाजार एक चरम सीमा स्थिति है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
एकाधिकारात्मक बाजार, बाजार की वह अवस्था होती है जिसमें किसी वस्तु विशेष का केवल एक ही उत्पादक अथवा विक्रेता हो। उस उत्पादक की वस्तु का कोई निकट स्थानापन्न नहीं होता है। इसे बाजार में नई फर्मों के उद्योग में प्रवेश पर प्रभावशाली रुकावटें होती हैं। ये रुकावटें कृत्रिम, संस्थागत, आर्थिक अथवा वित्तीय हो सकती हैं। भारत में भारतीय रेल, राज्य विद्युत निगम आदि इसके उदाहरण हो सकते हैं। वस्तुत: विशुद्ध एकाधिकारात्मक स्थिति व्यवहार में देखने को नहीं मिलती है। यह बाजार की एक चरम सीमा मात्र है। वास्तविक जीवन में अपूर्ण प्रतिस्पर्धा वाला बाजार ही देखने को मिलता है।

वर्तमान समय में भारतीय रेल हों अथवा विद्युत निगम, सभी को प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। जैसे – रेल को सड़क यातायात, वायु यातायात से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है इसी प्रकार विद्युत विभाग को विद्युत के वैकल्पिक श्रोतों से प्रतिस्पर्धा करनी ही पड़ती है। आजकल सौर ऊर्जा इसका एक प्रभावशाली विकल्प बन रहा है।

उपर्युक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि एकाधिकारात्मक बाजार की परिकल्पना सैद्धान्तिक महत्त्व अधिक रखती है। वास्तविक जीवन में इस प्रकार की स्थिति देखने को नहीं मिलती है। जिस प्रकार पूर्ण प्रतिस्पर्धा बाजार की एक सीमा है, उसी प्रकार एकाधिकारात्मक बाजार भी बाजार की एक सीमा मात्र है। वास्तव में तो इन दोनों के बीच की स्थिति ही बाजार में विद्यमान रहती है। जिसे अपूर्ण प्रतिस्पर्धी बाजार कहा जाता है।

प्रश्न 2.
एकाधिकारात्मक बाजार की विशेषताएँ सविस्तार लिखिए।
उत्तर:
एकाधिकारात्मक बाजार की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  1. एकाधिकारात्मक बाजार में एकाधिकारी अपनी वस्तु को अकेला उत्पादक अथवा विक्रेता होता है।
  2. इस बाजार में एकाधिकारी द्वारा ऐसी वस्तु का उत्पादन किया जाता है जिसकी कोई निकट स्थानापन्न वस्तु नहीं होती है।
  3. इस बाजार में फर्म व उद्योग का अलग-अलग अस्तित्व नहीं होता है। फर्म व उद्योग एक ही होते हैं।
  4. इसे बाजार में नई र्मों के प्रवेश पर प्रभावशाली रुकावटें होती हैं।
  5. एकाधिकारी फर्म का औसत आय वक्र (AR) बायें से दायें नीचे की ओर ढालू होता है जो इस बात को स्पष्ट करता है। कि एकाधिकारी फर्म अपनी वस्तु की ज्यादा मात्रा कम कीमत पर ही बेच सकती है।
  6. एकाधिकारी का सीमान्त आगम वक्र (MR) भी औसत आय वक्र (AR) की तरह नीचे की ओर ढालू होता है तथा औसत आगम वक्र (AR) के नीचे होता है।
  7. एकाधिकारी फर्म द्वारा उत्पादित वस्तु की माँग की आड़ी लोच शून्य होती है।
  8. एकाधिकारात्मक बाजार में एकाधिकारी ही स्वयं अपनी वस्तु की कीमत निर्धारित करता है।
  9. एकाधिकारी फर्म अपनी वस्तु की कीमत व पूर्ति मात्री दोनों में से एक को निर्धारित कर सकती है। एक समय में दोनों पर नियन्त्रण करना सम्भव नहीं होता है।

प्रश्न 3.
अल्पाधिकार बाजार का अर्थ व विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
अल्पाधिकार बाजार का अर्थ (Meaning of Oligopoly) – अल्पाधिकार अपूर्ण प्रतियोगिता का ही एक रूप है। अल्पाधिकार बाजार, बाजार संरचना का ऐसा स्वरूप है जिसमें वस्तु के विक्रेताओं की संख्या थोड़ी होती है। अल्पाधिकारी फर्म समरूप एवं विभेदीकृत दोनों प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन करती हैं। अल्पाधिकार दो शब्दों से मिलकर बना है। अल्प अर्थात् कुछ तथा अधिकार। इस प्रकार अल्पाधिकार से आशय किसी वस्तु के उत्पादन पर कुछ विक्रेताओं का ‘अधिकार होने से है।

अल्पाधिकार की प्रमुख परिभाषाएँ

  1. मेयर्स के अनुसार, “अल्पाधिकार बाजार की उस अवस्था को कहते हैं जहाँ विक्रेताओं की संख्या इतनी कम होती है। कि प्रत्येक विक्रेता की पूर्ति का बाजार की कीमत पर प्रभाव पड़ता है तथा प्रत्येक विक्रेता इस बात को जानता है।”
  2. प्रो. लेफ्टविच के शब्दों में, “बाजार की उस दशा को अल्पाधिकार कहते हैं जिसमें थोड़ी संख्या में विक्रेता पाये जाते हैं और प्रत्येक विक्रेता की क्रियाएँ दूसरों के लिए महत्त्वपूर्ण होती हैं।’

अल्पाधिकार की विशेषताएँ
अल्पाधिकार की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. विक्रेताओं की थोड़ी संख्या – अल्पाधिकार बाजार में विक्रेताओं की संख्या थोड़ी होती है। बाजार में थोड़े विक्रेता होने के कारण प्रत्येक विक्रेता का बाजार की पूर्ति के बड़े भाग पर नियन्त्रण होता है। इसके कारण वह वस्तु की कीमत को प्रभावित करने में समर्थ होता है।
  2. पारस्परिक निर्भरता – इस बाजार में विभिन्न विक्रेता एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं क्योंकि विक्रेताओं की संख्या अल्प होती हैं। व्यक्तिगत विक्रेताओं को अपनी नीतियों को बनाते समय उसके प्रतिद्वन्द्वी फर्म पर पड़ने वाले प्रभावों व उनकी प्रतिक्रियाओं को ध्यान में रखना होता है।
  3. विज्ञापन तथा विक्रय लागतों का महत्त्व – अल्पाधिकार की स्थिति में उद्योग की सभी फर्मों को बाजार पर अपना प्रभुत्व बनाये रखने के लिए विज्ञापन तथा विक्रय प्रोत्साहन के रूप में बड़ी धनराशि व्यय करनी होती है। प्रो. बामोल (Baumol) के अनुसार, “अल्पाधिकार में विज्ञापन जीवन-मृत्यु का प्रश्न बन जाता है।”
  4. फर्मों के प्रवेश व बहिर्गमन में कठिनाई–अल्पाधिकारी बाजार में नई फर्मों का उद्योग में प्रवेश करना कठिन होता है। क्योंकि विद्यमान फर्मों की संख्या थोड़ी होती है तथा वे बड़े आकार की होती है। इसलिए फर्म को अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है जिसे जुटा पाना नई फर्म के लिए कठिन होता है तथा विद्यमान फर्मे कच्चे माल की पूर्ति के बड़े हिस्से पर स्वामित्व प्राप्त कर लेती हैं अथवा पेटेण्ट द्वारा अपने उत्पाद को सुरक्षित कर लेती हैं। इसी तरह फर्मों को विशाल पूँजी निवेश के कारण उद्योग से बाहर जाने में भी बहुत कठिनाई होती है।
  5. कीमत स्थिरता-अल्पाधिकार की एक विशेषता कीमत स्थिरता को विद्यमान होना है। इसका आशय यह है कि अल्पाधिकार में वस्तु की माँग व पूर्ति में काफी परिवर्तन होने पर भी वस्तु की कीमतें एक ही स्तर पर बनी रहती हैं।
  6. समरूप अथवा विभेदीकृत वस्तु – अल्पाधिकारी बाजार में फर्मों द्वारा या तो समरूप वस्तुओं का उत्पादन किया जा सकता है अथवा उनके द्वारा वस्तु विभेद की नीति को अपनाया जा सकता है।
  7. फर्मों के मध्य होड़ एवं संघर्ष की प्रवृत्ति-इस बाजार में फर्मों की लाभ कमाने की तथा अपना प्रभुत्व बनाये रखने की इच्छा के कारण फर्मों के मध्य होड़ एवं संघर्ष की स्थिति बनी रहती है।
  8. माँग वक्र की अनिश्चितता–अल्पाधिकारी फर्मों की माँग वक्र या आय वक्र (AR) अनिश्चित होता है क्योंकि इन फर्मों में आपस में निर्भरता रहती है तथा एक फर्म के लिए यह जान पाना बड़ा कठिन होता है कि उसके द्वारा कीमत नीति में परिवर्तन का अपने प्रतिद्वन्द्वी की कीमत नीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा और पड़ेगा तो कितना।

प्रश्न 4.
वस्तु विभेद क्या है? इसे किन-किन तरीकों से किया जाता है?
उत्तर:
वस्तु विभेद से आशय – एकाधिकारात्मक प्रतियोगी बाजारों की सबसे बड़ी विशेषता वस्तु विभेद है। इस बाजार में मिलती-जुलती वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है। इसके बावजूद कुछ-न-कुछ भिन्नता अवश्य बनी रहती है। पूर्ण प्रतियोगिता में जहाँ वस्तुएँ पूर्ण स्थानापन्न होती हैं, वहीं एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता में वस्तुएँ एक-दूसरे की निकट स्थानापन्न होती हैं। वस्तुओं में यह विभेद रूप, रंग, आकार एवं पैकिंग आदि के आधार पर किया जा सकता हैं। वस्तु विभेद के ही कारण व्यक्तिगत विक्रेता अपनी वस्तु की कीमत को सीमित मात्रा में प्रभावित करने में समर्थ हो जाते हैं।

वस्तु विभेद निम्न तरीकों से किया जा सकता है –

  1. वस्तु के रंग, रूप, आकार, गुणवत्ता एवं पैकिंग आदि के द्वारा वस्तु में दूसरी वस्तु से भिन्नता पैदा की जाती है।
  2. पेटेण्ट अधिकार एवं व्यापार चिह्न (ट्रेडमार्क) द्वारा भी वस्तु विभेद किया जाता है। जैसे – विभिन्न बाजार चिह्न वाले मंजन यथा कॉलगेट, पतंजलि, विको वज्रदंती तथा डाबर आदि। इसी तरह पेटेण्ट अधिकार प्राप्त उत्पाद जैसे – रिलायन्स, यूनिलीवर, कैडवरी आदि।
  3. विज्ञापन एवं प्रचार माध्यम तथा विज्ञापन द्वारा उत्पादक अपनी वस्तु को दूसरी वस्तुओं से भिन्न एवं श्रेष्ठ साबित करने का प्रयत्न करते हैं। पतंजलि विज्ञापन द्वारा अपने शहद, पेस्ट आदि उत्पादों की श्रेष्ठता स्थापित करने की कोशिश करती है।
  4. वस्तु विभेद साख सुविधाओं के अन्तर तथा कार्य-कौशल की भिन्नता के द्वारा भी किया जाता है।

यहाँ हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि वस्तु विभेद वास्तविक तथा काल्पनिक दोनों प्रकार का हो सकता है लेकिन अधिकांशतः यह काल्पनिक ही होता है।

प्रश्न 5.
एकाधिकार एवं एकाधिकारात्मक प्रतियोगी बाजारों की तुलना कीजिए।
उत्तर:
एकाधिकार एवं एकाधिकारात्मक प्रतियोगी बाजारों में निम्न समानताएँ एवं असमानताएँ पाई जाती है –

समानताएँ

  1. दोनों ही बाजारों में उत्पादन सन्तुलन उस बिन्दु पर होता है जहाँ सीमान्त लागत व सीमान्त आगम (MC = MR) बराबर होते हैं।
  2. दोनों ही बाजारों में माँग वक्र या औसत आय (AR) वक्र बायें से दायें नीचे गिरता हुआ होता है तथा सीमान्त आय (MR) वक्र उसके नीचे स्थित होता है।
  3. दोनों ही बाजारों में वस्तु की कीमत सन्तुलने की अवस्था में सीमान्त लागत से अधिक होती है।
  4. दोनों ही बाजारों में उत्पादक का वस्तु की कीमत पर नियन्त्रण रहता है। वह अपनी इच्छानुसार वस्तु की कीमत को थोड़ा बहुत घटा-बढ़ा सकता है।
  5. दोनों ही बाजारों में सन्तुलन बिन्दु औसत आय (AR) रेखा से नीचे होता है।
  6. दोनों ही बाजारों में फर्मे अनुकूलतम मात्रा से कम उत्पादन करती है। इस कारण उनमें उत्पादन की अतिरिक्त क्षमता रहती है।

असमानताएँ

  1. एकाधिकार के अन्तर्गत केवल एक ही फर्म होती है जबकि एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता में फर्मों की संख्या ज्यादा होती है।
  2. एकाधिकार में वस्तु विभेद नहीं होता है जबकि एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता में वस्तु विभेद पाया जाता है।
  3. एकाधिकार में फर्म की वस्तु की कीमत पर ज्यादा नियन्त्रण रहता है क्योकि उसका कोई प्रतिस्पर्धी नहीं होता है जबकि एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता में फर्म का इतना नियन्त्रण नहीं रहता क्योकि उसकी प्रतिस्पर्धी अनेकों फर्मे बाजार में होती हैं।
  4. एकाधिकारी फर्म का माँग वक्र अधिक ढाल वाला होता है जबकि एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता में फर्म का माँग वक्र कम ढाल वाला होता है।
  5. एकाधिकार में फर्म को दीर्घकाल में असामान्य लाभ प्राप्त होता है जबकि एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता में फर्म को दीर्घकाल में केवल सामान्य लाभ ही प्राप्त होता है।
  6. एकाधिकारी कीमत विभेद की नीति अपना सकता है लेकिन एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता में इसकी कोई सम्भावना नहीं होती है।
  7. एकाधिकार में सामान्यतया वस्तु की कीमत सम्पूर्ण बाजार में एक ही पाई जाती है क्योकि एकाधिकारी द्वारा एक ही वस्तु का उत्पादन किया जाता है जबकि एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता में वस्तु विभेद के कारण वस्तुओं की कीमतें अलग-अलग हो सकती है।
  8. एकाधिकार में सामान्यतया विक्रय लागतें नहीं होती है जबकि एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता में फर्मों में परस्पर प्रतिस्पर्धा होने के कारण विक्रय लागतें पायी जाती है।

RBSE Class 12 Economics Chapter 12 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

RBSE Class 12 Economics Chapter 12 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
जब बाजार में किसी वस्तु का एक ही विक्रेता होता है तो उस स्थिति को कहते हैं –
(अ) पूर्ण प्रतियोगिता
(ब) अपूर्ण प्रतियोगिता
(स) एकाधिकार
(द) अल्पाधिकार

प्रश्न 2.
वस्तु विभेद सम्भव है –
(अ) एकाधिकार में
(ब) अपूर्ण प्रतिस्पर्धा में
(स) पूर्ण प्रतिस्पर्धा में
(द) उपर्युक्त सभी में

प्रश्न 3.
कीमत विभेद सम्भव है –
(अ) एकाधिकार में
(ब) पूर्ण प्रतिस्पर्धा में
(स) अपूर्ण प्रतिस्पर्धा में
(द) उपर्युक्त सभी में

प्रश्न 4.
एकाधिकारी को दीर्घकाल में –
(अ) सामान्य लाभ होता है।
(ब) असामान्य लाभ होता है।
(स) शून्य लाभ होता है।
(स) उपर्युक्त में से कोई नहीं

प्रश्न 5.
एकाधिकारी फर्म –
(अ) कीमत नियोजक होती है।
(ब) उत्पादन मात्रा नियोजक होती है।
(स) कीमत व मात्रा दोनों नियोजक होती है।
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं

प्रश्न 6.
अल्पकाल में एकाधिकारी फर्म को होता है –
(अ) सामान्य लाभ
(ब) असामान्य लाभ
(स) हानि
(द) उपर्युक्त तीनों सम्भव है।

प्रश्न 7.
एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता में –
(अ) क्रेताओं को बाजार का पूर्ण ज्ञान होता है
(ब) उत्पाद समरूप होता है।
(स) फर्मों का स्वतन्त्र प्रवेश एवं बहिर्गमन होता है
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 8.
वास्तविक जीवन में बाजार की स्थिति होती है –
(अ) एकाधिकार युक्त
(ब) पूर्ण प्रतिस्पर्धा युक्त
(स) अपूर्ण प्रतिस्पर्धा युक्त
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 9.
अल्पाधिकार में विक्रेताओं की संख्या होती है –
(अ) एक
(ब) दो
(स) थोड़ी
(द) बहुत अधिक

प्रश्न 10.
विज्ञापन व्यय अनिवार्य होते हैं –
(अ) पूर्ण प्रतिस्पर्धा में
(ब) अपूर्ण प्रतिस्पर्धा में
(स) एकाधिकार में
(द) अल्पाधिकार में

उत्तरमाला:

  1. (स)
  2. (ब)
  3. (अ)
  4. (ब)
  5. (स)
  6. (द)
  7. (स)
  8. (स)
  9. (स)
  10. (द)

RBSE Class 12 Economics Chapter 12 अतिलघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रो. लर्नर ने एकाधिकार को किस प्रकार परिभाषित किया है?
उत्तर:
प्रो. लर्नर के अनुसार, “एकाधिकारी उस विक्रेता को कहते हैं जिसकी वस्तु का माँग वक्र गिरता हुआ होता है अर्थात् उसकी पूर्ति का विक्रय वक्र लोचहीन होता है।”

प्रश्न 2.
एकाधिकर की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

  1. एकाधिकार में एकाधिकारी वस्तु का अकेला विक्रेता होता है।
  2. एकाधिकार में उद्योग व फर्म दोनों एक ही होते हैं। उनमें कोई अन्तर नहीं होता।

प्रश्न 3.
वस्तु विभेद किस बाजार में पाया जाता है?
उत्तर:
वस्तु विभेद अपूर्ण प्रतिस्पर्धा बाजार में पाया जाता है क्योंकि विक्रेता इस बाजार में काल्पनिक या वास्तविक वस्तु विभेद द्वारा अलग कीमत लेने में समर्थ हो जाते हैं।

प्रश्न 4.
अपूर्ण प्रतिस्पर्धा बाजार में औसत आगम (AR) वक्र का ढाल कैसा होता है?
उत्तर:
अपूर्ण प्रतिस्पर्धा बाजार में औसत आगम वक्र बायें से दायें की ओर नीचे गिरता हुआ अर्थात् ऋणात्मक ढाल लिये हुए होता है।

प्रश्न 5.
किस प्रकार के बाजार में फर्म व उद्योग का अन्तर समाप्त हो जाता है?
उत्तर:
काधिकारी बाजार में क्योंकि एक अकेला व्यक्ति ही उत्पादक अथवा विक्रेता होता है। इसलिए फर्म व उद्योग दोनों एक ही होते हैं, उनमें कोई अन्तर नहीं होता है।

प्रश्न 6.
किस बाजार संरचना में फर्म कीमत निर्धारक न होकर स्वीकार करने वाली होती है?
उत्तर:
पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाजार में वस्तु की कीमत उद्योग की कुल माँग व पूर्ति की सापेक्षिक शक्तियों द्वारा निर्धारित होती है तथा प्रत्येक फर्म को उसी कीमत को स्वीकार करना होता है।

प्रश्न 7.
एकाधिकार के दो दोष बताइए।
उत्तर:

  1. एकाधिकारी मनमानी कीमत वसूलता है।
  2. इससे आर्थिक शक्ति का केन्द्रीयकरण होता है।

प्रश्न 8.
एकाधिकार के दो लाभ बताइए।
उत्तर:

  1. अनावश्यक प्रतियोगिता समाप्त हो जाती है।
  2. उत्पत्ति के सीमित साधनों का अनुकूलतम आवंटन होता है।

प्रश्न 9.
एकाधिकार के कोई दो स्रोत बताइए।
उत्तर:

  1. सरकार द्वारा एक, फर्म को अंपनी वस्तु बनाने व विक्रय करने का पेटेण्ट अधिकार देना।
  2. उत्पादन प्रक्रिया के लिए महत्त्वपूर्ण कच्चे माल पर उत्पादक का पूर्ण नियन्त्रण होना।

प्रश्न 10.
अपूर्ण प्रतिस्पर्धा की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

  1. अपूर्ण प्रतिस्पर्धा में फर्मों की संख्या ज्यादा होती है।
  2. फर्मों के प्रवेश व बहिर्गमन पर कोई प्रभावी रुकावटें नहीं होती है।

प्रश्न 11.
अल्पाधिकार से क्या आशय है?
उत्तर:
अल्पाधिकार बाजार की उस अवस्था को कहते हैं जिसमें थोड़ी संख्या में विक्रेता पाये जाते हैं तथा प्रत्येक विक्रेता की क्रियाएँ दूसरों के लिए महत्त्वपूर्ण होती हैं।

प्रश्न 12.
अल्पाधिकार में फर्मों द्वारा कैसी वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है?
उत्तर:
अल्पाधिकार में फर्मों द्वारा समरूप तथा विभेदीकृत दोनों प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है।

प्रश्न 13.
द्वयाधिकार (Duopoly) से क्या आशय है?
उत्तर:
जब बाजार में एक वस्तु का उत्पादन अथवा विक्रय करने वाले दो ही व्यक्ति होते हैं तो इसे द्वयाधिकार कहा जाता है। यह अल्पाधिकार का सबसे सरल रूप है।

प्रश्न 14.
अल्पाधिकार बाजार संरचना के कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
भारत में सीमेन्ट, स्टील, एल्युमीनियम, वाहन आदि अल्पाधिकार बाजार के महत्त्वपूर्ण उदाहरण हैं।

प्रश्न 15.
पूर्ण अल्पाधिकार से क्या आशय है?
उत्तर:
पूर्ण अल्पाधिकार (Perfect oligopoly) वह बाजार अवस्था होती है जिसमें फर्मों द्वारा समरूप वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है। किया जाता है।

प्रश्न 16.
अपूर्ण अल्पाधिकार (Imperfect oligopoly) से क्या आशय है?
उत्तर:
अपूर्ण अल्पाधिकार, अल्पाधिकार बाजार की वह अवस्था है जिसमें विभिन्न फर्मे विभेदीकृत वस्तुओं का उत्पादन करती हैं।

प्रश्न 17.
खुले अल्पाधिकार तथा बन्द अल्पाधिकार में क्या अन्तर है?
उत्तर:
खुले अल्पाधिकार में फर्मों के उद्योग में प्रवेश करने पर कोई रोक नहीं होती है जबकि बन्द अल्पाधिकार में उद्योग में फर्मों के प्रवेश की स्वतन्त्रता नहीं होती है।

प्रश्न 18.
अल्पाधिकार में माँग वक्र कैसा होता है?
उत्तर:
अल्पाधिकार में फर्मों के मध्य परस्पर निर्भरता होने के कारण माँग वक्र अनिश्चित रहता है। इस हेतु पॉल एम. स्वीजी, द्वारा विकुंचित माँग वक्र का प्रयोग किया गया है।

प्रश्न 19.
माँग के बेलोच होने पर एकाधिकारी क्या नीति अपनायेगा?
उत्तर:
बेलोचदार माँग होने पर एकाधिकारी वस्तु की कीमत ऊँची रखेगा तथा उत्पादन को घटा देगा।

प्रश्न 20.
ऐसे बाजार को क्या कहते हैं जिसमें एकाधिकार एवं प्रतियोगिता दोनों का अस्तित्व होता है?
उत्तर:
जिस बाजार में एकाधिकार तथा प्रतियोगिता दोनों का सह-अस्तित्व होता है अर्थात् दोनों के गुण विद्यमान होते हैं, उसे एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता कहते हैं।

प्रश्न 21.
एकाधिकार तथा अल्पाधिकार में एक अन्तर बताइए।
उत्तर:
एकाधिकार की अवस्था में बाजार में केवल एक उत्पादक अथवा विक्रेता होता है जबकि अल्पाधिकार में विक्रेता एक से अधिक होते हैं लेकिन उनकी संख्या कम होती है।

प्रश्न 22.
पूर्ण प्रतिस्पर्धा तथा अपूर्ण प्रतिस्पर्धा में कोई एक अन्तर बताइए।
उत्तर:
पूर्ण प्रतिस्पर्धा में विक्रेताओं की संख्या बहुत अधिक होती है जबकि अपूर्ण प्रतिस्पर्धा में पूर्ण प्रतिस्पर्धा की तुलना में विक्रेताओं की संख्या कम होती है।

प्रश्न 23.
क्या अपूर्ण प्रतिस्पर्धा में वस्तुएँ एक-दूसरे की पूर्ण स्थानापन्न होती है?
उत्तर:
अपूर्ण प्रतिस्पर्धा में वस्तुएँ एक-दूसरे की पूर्ण स्थानापन्न न होकर निकट स्थानापन्न होती है क्योंकि इस बाजार में वस्तु विभेद पाया जाता है।

प्रश्न 24.
एकाधिकारी द्वारा कीमत विभेद के लिए आवश्यक दो शर्ते बताइए।
उत्तर:

  1. विभिन्न क्रेताओं के बीच सम्पर्क नहीं होना चाहिए।
  2. क्रेताओं को दूसरे बाजारों से सम्पर्क नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 25.
अल्पाधिकार बाजार की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

  1. अल्पाधिकार बाजार में फर्मों के बीच आपस में परस्पर निर्भरता रहती है।
  2. इस बाजार में विक्रेता विज्ञापन पर काफी धनराशि व्यय करते हैं।

RBSE Class 12 Economics Chapter 12 लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
एकाधिकारात्मक बाजार की चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
एकाधिकारात्मक बाजार की चार विशेषताएँ निम्न हैं –

  1. बाजार में एक ही विक्रेता अथवा उत्पादक होता है।
  2. बाजार में एकाधिकारी द्वारा उत्पादित वस्तु की कोई निकट स्थानापन्न वस्तु नहीं होती है।
  3. इस बाजार में फर्म व उद्योग का अन्तर समाप्त हो जाता है।
  4. एकाधिकारी का उद्देश्य अधिकतम लाभ कमाना होता है।

प्रश्न 2.
अपूर्ण प्रतिस्पर्धा की कोई चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
अपूर्ण प्रतिस्पर्धा की विशेषताएँ निम्न हैं –

  1. अपूर्ण प्रतिस्पर्धा में विक्रेताओं की संख्या अधिक होती है और इनमें प्रतिस्पर्धा रहती है।
  2. इसमें उत्पादकों द्वारा वस्तु विभेद किया जाता है जो काल्पनिक अथवा वास्तविक हो सकता है।
  3. इस बाजार में विक्रय लागते देखी जाती हैं क्योंकि प्रत्येक फर्म अपनी वस्तु को बेचने के लिए विज्ञापन का सहारा लेती है।
  4. क्रेताओं को बाजार का पूर्ण ज्ञान नहीं होता है।

प्रश्न 3.
अल्पाधिकार की चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
अल्पाधिकार की विशेषताएँ निम्न हैं –

  1. विक्रेताओं की संख्या थोड़ी होती है।
  2. विक्रेताओं के बीच परस्पर निर्भरता रहती है।
  3. फर्मों की आपसी निर्भरता के कारण माँग वक्र अनिश्चित होते हैं।
  4. अल्पाधिकार में फर्मों द्वारा विज्ञापन पर बहुत व्यय किया जाता है।

प्रश्न 4.
अल्पाधिकार एवं द्वयाधिकार में क्या अन्तर है?
उत्तर:
अल्पाधिकार एवं द्वयाधिकार में निम्न अन्तर पाये जाते हैं –

  1. अल्पाधिकार में विक्रेताओं की संख्या दो से अधिक होती है जबकि द्वयाधिकार में केवल दो ही विक्रेता होते हैं।
  2. अल्पाधिकार में मूल्य निर्धारण सीमान्त आगम (MR) तथा सीमान्त लागत (MC) के आधार पर होता है जबकि द्वयाधिकार में पारस्परिक समझौते व बाजार की प्रकृति के आधार पर होता है।
  3. अल्पाधिकार. में वस्तु विभेद होता है जबकि द्वयाधिकार में दोनों फर्मे समान वस्तु का उत्पादन करती हैं।
  4. अल्पाधिकार में विभिन्न फर्मों के बीच संगठन का अभाव होता है जबकि द्वयाधिकार में दोनों फर्मों में संगठन देखा जाता है।

प्रश्न 5.
वस्तु विभेद से क्या आशय है?
उत्तर:
वस्तु विभेद अपूर्ण प्रतिस्पर्धा की महत्त्वपूर्ण विशेषता है। वस्तु विभेद से आशय है उद्योग की विभिन्न फर्मों द्वारा उत्पादित वस्तुओं में पूर्णतः समानता न होकर थोड़ा अन्तर पाया जाना। यह अन्तर वास्तविक भी हो सकता है और काल्पनिक भी। प्रायः वस्तुओं में अन्तर रूप, रंग, आकार, डिजाइन, पैकिंग आदि के आधार पर किया जाता है। ऐसी वस्तुएँ पूर्ण स्थानापन्न न होकर निकट स्थानापन्न होती हैं। जैसे-लक्स साबुन, हमाम साबुन, रेक्सोना साबुन आदि।

प्रश्न 6.
पेटेण्ट अधिकार से क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब किसी फर्म को उस वस्तु, जिसका उसने विकास अथवा आविष्कार किया है, को सरकार द्वारा यह मान्यता मिल जाती है कि उसके अलावा अन्य कोई फर्म या उत्पादक उस वस्तु का उत्पादन नहीं करेगा, तो इसे पेटेण्ट अधिकार कहते हैं। ऐसा अधिकार मिलने से फर्म को उस वस्तु के उत्पादन का एकल अधिकार प्राप्त हो जाता है।

प्रश्न 7.
विक्रय लागतों से क्या आशय है?
उत्तर:
जब कोई फर्म अपनी उत्पादित वस्तु की बिक्री बढ़ाने के लिए विज्ञापन, प्रचार-प्रसार आदि पर धन व्यय करती है तो ऐसी लागत को विक्रय लागत कहते हैं। विक्रय लागत वस्तु की बिक्री बढ़ाने से सम्बन्धित होती है। अल्पाधिकार में तो फर्मों द्वारा विज्ञापन पर बहुत अधिक व्यय किया जाता है।

प्रश्न 8.
कीमत विभेद से क्या आशय है?
उत्तर:
जब एक विक्रेता एक वस्तु को अलग-अलग उपभोक्ताओं के वर्ग को पृथक्-पृथक् कीमत पर बेचता है तो इसे कीमत विभेद कहते हैं। श्रीमती जॉन रोबिन्सन के अनुसार, “एक ही वस्तु को जिसका उत्पादन एक ही उत्पादक द्वारा किया जाता है, भिन्न-भिन्न क्रेताओं के हाथ विभिन्न कीमतों पर बेचने की क्रिया को कीमत विभेद कहते हैं। उदाहरण के लिएबिजली कम्पनियों द्वारा घरेलू उपभोक्ताओं तथा वाणिज्यिक प्रयोग वाले उपभोक्ताओं से अलग-अलग दर से बिजली का मूल्य वसूलना कीमत विभेद का ही रूप है।

प्रश्न 9.
एकाधिकार तथा एकाधिकारी प्रतियोगिता में अन्तर बताइए।
उत्तर:
एकाधिकार एवं एकाधिकारी प्रतियोगिता में अन्तर
RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 12 बाजार के अन्य स्वरूप

प्रश्न 10.
एकाधिकार और अल्पाधिकार में अन्तर बताइए।
उत्तर:
एकाधिकार व अल्पाधिकार में अन्तर
RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 12 बाजार के अन्य स्वरूप

प्रश्न 11.
एकाधिकार एवं द्वयाधिकार में अन्तर कीजिए।
उत्तर:
एकाधिकार व द्वयाधिकार में अन्तर
RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 12 बाजार के अन्य स्वरूप

प्रश्न 12.
एकाधिकारी प्रतियोगिता तथा अल्पाधिकार में अन्तर बताइए।
उत्तर:
एकाधिकारी प्रतियोगिता व अल्पाधिकार में अन्तर
RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 12 बाजार के अन्य स्वरूप

प्रश्न 13.
एकाधिकार एवं एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता में कोई दो समानताएँ बताइए।
उत्तर:

  1. दोनों ही बाजार अवस्थाओं में वस्तु की कीमत फर्म द्वारा स्वयं निश्चित की जाती है यद्यपि एकाधिकारी की तुलना में एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता में फर्म को कीमत निर्धारण में स्वतन्त्रता कम होती है।
  2. दोनों ही बाजारों में औसत आय वक्र (AR) तथा सीमान्त आय वक्र (MR) ऋणात्मक होते हैं।

प्रश्न 14.
अल्पाधिकार के अन्दर फर्मे परस्पर निर्भर क्यों होती है?
उत्तर:
अल्पाधिकार में फर्मों की संख्या कम होने के कारण प्रत्येक फर्म का कुल उत्पादन में बड़ा हिस्सा होता है। इस कारण प्रत्येक फर्म बाजार में उत्पादन व कीमत दोनों को प्रभावित करने में समर्थ होती है। फर्म विशेष की कीमत नीति, विक्रय शैली, उत्पादने नीति, विज्ञापन आदि को अन्य फर्मों पर प्रभाव पड़ता है। इस कारण अन्य फर्मों की नीति पर उस फर्म विशेष की नीति का प्रभाव पड़ता है। अन्य फर्ने प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकती है। इसी कारण उनमें परस्पर निर्भरता देखी जाती है।

प्रश्न 15.
क्या एकाधिकारी पूर्ति की मात्रा व वस्तु की कीमत दोनों को एक साथ नियन्त्रित कर सकता है?
उत्तर:
एकाधिकारी अकेला विक्रेता होने के कारण वस्तु की पूर्ति पर नियन्त्रण रख सकता है लेकिन वह वस्तु की माँग को प्रभावित नहीं कर सकता है। इस कारण वह वस्तु की पूर्ति एवं कीमत दोनों को एक साथ नियन्त्रित नहीं कर सकता है। यदि वह पूर्ति को नियन्त्रित करता है तो बाजार में वस्तु की माँग के अनुसार जो कीमत निश्चित होगी, उस कीमत को ही उसे स्वीकार करना होगा। दूसरी ओर यदि वह कीमत को निश्चित करता है तो उस कीमत पर जो वस्तु की माँग होगी, उसके अनुसार वह वस्तु की पूर्ति कर सकता है। उसके लिए कीमत निर्धारित करना ही ज्यादा फायदेमंद होता है।

प्रश्न 16.
एकाधिकार की अवस्था में औसत आगम वक्र तथा सीमान्त आगम वक्र बनाइए।
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 12 बाजार के अन्य स्वरूप

प्रश्न 17.
एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता के अन्तर्गत औसत एवं सीमान्त आगम वक्र बनाइए।
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 12 बाजार के अन्य स्वरूप

प्रश्न 18.
एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता की अवधारण का महत्त्व कम क्यों होता जा रहा है?
उत्तर:
इस बाजार संरचना में कौन-सी फर्मों के उत्पाद को शामिल किया जाये, यह निर्धारित करना कठिन होता है क्योंकि महत्त्वपूर्ण ब्रान्ड वाली कुछ ही फर्मे होती है और उन्हें अल्पाधिकार बाजार संरचना में रखना ज्यादा सही प्रतीत होता है। कभी-कभी वस्तुओं में विभेद भी बहुत ही कम पाया जाता है। इसके बावजूद यह एक महत्त्वपूर्ण एवं वास्तविक बाजार का स्वरूप है। इसका अध्ययन अल्पाधिकार बाजार के अध्ययन में बहुत सहायक होता है।

प्रश्न 19.
एकाधिकार तथा एकाधिकृत प्रतियोगिता में औसत एवं सीमान्त आय वक्रों में क्या मूलभूत अन्तर होता है?
उत्तर:
एकाधिकार की अवस्था में औसत एवं सीमान्त आय वक्रों का ढाल एकाधिकृत प्रतियोगिता की तुलना में ज्यादा होता है। इसका कारण यह है कि एकाधिकार में माँग कम मूल्य सापेक्ष (less elastic) होती है जबकि एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता में वस्तु की माँग अधिक मूल्य सापेक्ष (highly elastic) होती है। इस कारण एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता में ये वक्र अधिक ढाल वाले न होकर अपेक्षाकृत चपटे (flatter) होते हैं।

प्रश्न 20.
अल्पकाल एवं दीर्धकाल में एक एकाधिकारी के लाभ-हानि की क्या स्थिति होती है?
उत्तर:
अल्पकाल में एकाधिकारी को सामान्य लाभ, असामान्य लाभ अथवा हानि तीनों में से कोई भी स्थिति हो सकती है लेकिन दीर्घकाल में वह सदैव असामान्य लाभ की स्थिति में होता है क्योंकि दीर्घकाल में एकाधिकारी फर्म माँग के अनुसार अपने संयन्त्र के पैमाने में परिवर्तन करके पूर्ति को समायोजित करने में सफल हो जाती है।

RBSE Class 12 Economics Chapter 12 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
एकाधिकार को परिभाषित कीजिए तथा एकाधिकार की अवस्था में औसत आगम एवं सीमान्त आगम वक्र को रेखाचित्र की सहायता से समझाइए।
उत्तर:
एकाधिकार बाजार की वह अवस्था है जिसमें किसी वस्तु को एक ही उत्पादक, फर्म अथवा विक्रेता हो तथा उस वस्तु का कोई निकट स्थानापन्न न हो। निकट स्थानापन्न वस्तु न होने के कारण इस वस्तु के मूल्य में परिवर्तन का अन्य वस्तुओं की कीमतों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। एकाधिकार की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं –

स्टोनियर एवं हेग के अनुसार, “एकाधिकारी वह उत्पादक होता है जो कि किसी वस्तु की पूर्ति पर पूर्ण अधिकार रखता है। तथा उस वस्तु की कोई निकटतम स्थानापन्न वस्तु नहीं होती है।”

प्रो. लर्नर के शब्दों में, “एकाधिकारी उस विक्रेता को कहते हैं जिसकी वस्तु की माँग का वक्र गिरता हुआ होता है अथवा उसकी पूर्ति का विक्रय वक्र लोचहीन होता है।”

प्रो. चैम्बरलेन के अनुसार, “एकाधिकारी वह होता है जो सामान्यतः किसी वस्तु की पूर्ति पर पूर्ण नियन्त्रण रखता है और वह अधिकांश मामलों में पूर्ति का संचालन न कर मूल्य का संचालन करता है।”

एकाधिकार की अवस्था में औसत एवं सीमान्त आगम वक्र

एकाधिकार की अवस्था में एकाधिकारी का माँग वक्र अथवा औसत आगम (AR) वक्र बायें से दायें नीचे गिरता हुआ होता है। और सीमान्त आगम (MR) वक्र औसत आगम वक्र के नीचे होता है। माँग वक्र या औसत आगम वक्र को नीचे की ओर गिरना यह स्पष्ट करता है कि वस्तु की ज्यादा मात्रा बेचने के लिए. एकाधिकारी को अपनी कीमत घटानी होती है। कीमत में की जाने वाली , प्रत्येक कमी के साथ-साथ औसत आय घटने लग जाती है।

एकाधिकार की स्थिति में सीमान्त आगम कीमत से कम रहता है। इसका कारण यह है कि एकाधिकारी फर्म की अपनी कीमत नीति होती है। यह फर्म कीमत निर्धारण करने वाली होती है, पूर्ण प्रतियोगिता की तरह कीमत स्वीकार करने वाली नहीं। बिक्री बढ़ाने के लिए जब भी एकाधिकारी कीमत को घटाता है तो कीमत में यह कमी सभी इकाइयों पर करनी होती है न कि केवल अतिरिक्त इकाई पर। इस कारण सीमान्त आगम औसत आगम से कम रहती है और वक्र नीचे रहता है।

नीचे के रेखाचित्र में एकाधिकारी का औसत आगम वक्र (AR) तथा सीमान्त आगम वक्र (MR) है। दोनों ही वक्र ऋणात्मक ढाल वाले हैं लेकिन सीमान्त आगम वक्र औसत आगम वक्र के नीचे स्थित है। उत्पादन की मात्रा OQ पर वस्तु की कीमत QP है। और सीमान्त आय QR है जो कि वस्तु की कीमत QP से कम है।

RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 12 बाजार के अन्य स्वरूप

प्रश्न 2.
अपूर्ण प्रतिस्पर्धा का आशय स्पष्ट कीजिए तथा इसकी विशेषताएँ बताइए।
अथवा
एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता से क्या आशय है? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
परम्परावादी अर्थशास्त्रियों ने दो प्रकार की बाजार दशाओं का वर्णन किया है – पूर्ण प्रतियोगिता एवं एकाधिकार, ये दोनों ही काल्पनिक है। वास्तविक जीवन में ये दशाएँ देखने को नहीं मिलती है। वास्तविक जीवन में तो इन दोनों के बीच की स्थिति ही होती है जिसे अपूर्ण प्रतियोगिता कहा जाता है। प्रो. चैम्बरलेन ने इसे एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता कहा है।

जबकि श्रीमती जॉन रोबिन्सन इसे अपूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति कहती हैं। यद्यपि इन दोनों में बहुत सूक्ष्म अन्तर है।

लेकिन दोनों का सार एक ही है। इस कारण अधिकांश अर्थशास्त्री दोनों को एक ही अर्थ में प्रयोग करते हैं।

प्रमुख परिभाषाएँ
प्रो. लर्नर के अनुसार, “अपूर्ण प्रतियोगिता उस समय पाई जाती है जबकि एक विक्रेता अपनी वस्तु के लिए गिरती हुई माँग रेखा का सामना करता है।”

प्रो. फेयरचाइल्ड के शब्दों में, “यदि बाजार उचित प्रकार से संगठित न हो, यदि क्रेताओं एवं विक्रेताओं के बीच पारस्परिक सम्पर्क में कठिनाई उत्पन्न होती हो तथा वे अन्य व्यक्तियों द्वारा खरीदी गई वस्तुओं एवं दिये गये मूल्यों की अपनी वस्तु से तुलना करने में असमर्थ हों तो ऐसी स्थिति को अपूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति कहेंगे।”

प्रो. चैम्बरलेन के अनुसार, “एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता बाजार की वह स्थिति है जिसमें कि बहुत-सी छोटी फर्मे होती है जो एक-दूसरे से मिलती-जुलती वस्तुएँ बेचती है, परन्तु ये वस्तुएँ उपभोक्ता की दृष्टि से समरूप नहीं होती है, उनमें थोड़ी बहुत भिन्नता होती है।”

अपूर्ण प्रतियोगिता अथवा एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता की विशेषताएँ

(i) विक्रेताओं अथवा फर्मों की अधिक संख्या – एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता के बाजार में विक्रेताओं की संख्या अधिक होती है लेकिन व्यक्तिगत विक्रेता का बाजार उत्पादन में हिस्सा बहुत थोड़ा ही होता है। इस कारण उसकी क्रियाओं को दूसरी फर्मों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

(ii) वस्तु विभेद – अपूर्ण प्रतियोगिता या एकाधिकृत प्रतियोगिता में विभिन्न विक्रेताओं द्वारा उत्पादित वस्तुएँ बिल्कुल एक जैसी नहीं होती हैं, उनमें कुछ अन्तर पाया जाता है। यह अन्तर वास्तविक भी हो सकता है और काल्पनिक भी हो सकता है जो कि पैकिंग, आकार, रंग अथवा रूप में अथवा विज्ञापन द्वारा किया हुआ हो सकता है। इस कारण विभिन्न विक्रेताओं द्वारा बेची जाने वाली वस्तुएँ पूर्ण स्थानापन्न नहीं होती हैं।

(iii) फर्मों का प्रवेश एवं बहिर्गमन–इसे बाजार में फर्मों का प्रवेश व बहिर्गमन स्वतन्त्र होता है। इसका आशय यह है कि कोई भी नई फर्म उद्योग में प्रवेश कर सकती है तथा विद्यमान फर्म उद्योग को छोड़कर जा सकती है।

(iv) बाजार का अपूर्ण ज्ञान-इस बाजार में क्रेताओं को पूर्ण ज्ञान नहीं होता है। इस कारण विक्रेता अपनी वस्तु को अलग-अलग मूल्य लेने में सफल हो जाते हैं। वे ऐसा वस्तुओं में विभेद करके करते हैं।

(v) बिक्री व्यय-अपूर्ण प्रतियोगिता में बिक्री व्ययों की प्रधानता रहती है क्योंकि विक्रेता विज्ञापन, विक्रय प्रतिनिधियों द्वारा सम्पर्क, मुफ्त सेम्पल वितरण आदि द्वारा अपनी वस्तुओं को ज्यादा बेचने का प्रयत्न करते हैं।

(vi) माँग वक्र लोचदार—इस बाजार अवस्था में फर्म का माँग वक्र बहुत लोचदार होता है क्योकि फर्म कीमत को थोड़ा कम करके काफी अधिक मात्रा में अपनी वस्तु को बेच सकती है।

(vii) फर्म की कीमत नीति–इसे बाजार में फर्म कीमत ग्रहणकर्ता नहीं होती है बल्कि प्रत्येक फर्म की अपनी कीमत नीति होती है और वह अपनी वस्तु की कीमत निर्धारित करके उत्पादन की मात्रा का निर्धारण करती है।

(viii) परिवहन व्यय-इसे बाजार में परिवहन व्यय कीमत का अंग होता है। उत्पादकों के दूर-दूर होने के कारण परिवहन लागत अलग-अलग आती है। इस कारण विभिन्न बाजारों में वस्तु के मूल्य में अन्तर होता है।

RBSE Solutions for Class 12 Economics

Share this:

  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window)
  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on Facebook (Opens in new window)

Related

Filed Under: Class 12

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Recent Posts

  • RBSE Solutions for Class 7 Our Rajasthan in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 6 Our Rajasthan in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 7 Maths Chapter 15 Comparison of Quantities In Text Exercise
  • RBSE Solutions for Class 6 Maths Chapter 6 Decimal Numbers Additional Questions
  • RBSE Solutions for Class 11 Psychology in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 11 Geography in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Hindi
  • RBSE Solutions for Class 3 English Let’s Learn English
  • RBSE Solutions for Class 3 EVS पर्यावरण अध्ययन अपना परिवेश in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Maths in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 in Hindi Medium & English Medium

Footer

RBSE Solutions for Class 12
RBSE Solutions for Class 11
RBSE Solutions for Class 10
RBSE Solutions for Class 9
RBSE Solutions for Class 8
RBSE Solutions for Class 7
RBSE Solutions for Class 6
RBSE Solutions for Class 5
RBSE Solutions for Class 12 Maths
RBSE Solutions for Class 11 Maths
RBSE Solutions for Class 10 Maths
RBSE Solutions for Class 9 Maths
RBSE Solutions for Class 8 Maths
RBSE Solutions for Class 7 Maths
RBSE Solutions for Class 6 Maths
RBSE Solutions for Class 5 Maths
RBSE Class 11 Political Science Notes
RBSE Class 11 Geography Notes
RBSE Class 11 History Notes

Copyright © 2023 RBSE Solutions

 

Loading Comments...