Rajasthan Board RBSE Class 12 Economics Chapter 23 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था
RBSE Class 12 Economics Chapter 23 अभ्यासार्थ प्रश्न
RBSE Class 12 Economics Chapter 23 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
सन्तुलित बजट से आशय है।
(अ) कुल आय > कुल व्यय
(ब) कुल आय < कुल व्यय
(स) कुल आय = कुल व्यय
(द) कुल आय = 0
उत्तर:
(स)
प्रश्न 2.
निम्न में से राजस्व प्राप्ति की मद नहीं है।
(अ) कर आय
(ब) लाभांश
(स) अनुदान
(द) गैर-कर आय
उत्तर:
(स)
प्रश्न 3.
जनता की क्रय शक्ति में कमी करने हेतु सरकार का प्रमुख उपाय है।
(अ) करों में छूट देना
(ब) नये कर लगाना
(स) सरकारी व्यय में वृद्धि करना
(द) सब्सिडी देना
उत्तर:
(ब)
प्रश्न 4.
जिस बजट में विगत व्ययों को आधार नहीं बनाया जाता, वह है।
(अ) आम बजट
(ब) घाटे का बजट
(स) पूरक बजट
(द) जीरोबेस बजट
उत्तर:
(द)
प्रश्न 5.
संसद में प्रतिवर्ष बजट पास करवाने की व्यवस्था से किसकी सर्वोच्चता सिद्ध होती है?
(अ) राष्ट्रपति
(ब) प्रधानमन्त्री
(स) संसद
(द) वित्तमंत्री
उत्तर:
(स)
RBSE Class 12 Economics Chapter 23 अतिलघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
राजस्व प्राप्तियों को दो भागों में बाँटा जाता है, दोनों भागों के नाम लिखो।
उत्तर:
- कर राजस्व
- गैर-कर राजस्व।
प्रश्न 2.
राजस्व घाटा ज्ञात करने हेतु सूत्र लिखिए।
उत्तर:
राजस्व घाटा = राजस्व प्राप्तियाँ – राजस्व व्यय
प्रश्न 3.
भारत में वित्तीय वर्ष की अवधि बताइए।
उत्तर:
भारत में वित्तीय वर्ष की अवधि 1 अप्रैल से 31 मार्च होती है।
प्रश्न 4.
शून्य आधारित बजट का जनक कौन है?
उत्तर:
शून्य आधारित बजट के जनक अमेरिका के पीटर ए. पायर को माना जाता है।
RBSE Class 12 Economics Chapter 23 लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
‘आम बजट’ से आपका क्या आशय है?
उत्तर:
आम बजट को पारम्परिक बजट भी कहा जाता है। इस प्रकार के बजट का मुख्य उद्देश्य सरकारी खर्चे पर नियन्त्रण करना है न कि तीव्र विकास करना। इस बजट से मुख्यत: वेतन, मजदूरी, उपकरण, मशीनें आदि के रूप में किये जाने वाले व्यय तथा विभिन्न मदों से होने वाली आय को प्रस्तुत किया जाता है।
प्रश्न 2.
बजट की तुलना जादू के पिटारे से की गई है, क्यों? स्पष्ट करें।
उत्तर:
बजट शब्द की उत्पत्ति फ्रांसिसी शब्द Bougette से मानी जाती है। जिसका तात्पर्य है “चमड़े के थैले”। 1773 में बजट शब्द का प्रयोग इंग्लैण्ड में ‘जादू के पिटारे के अर्थ में किया गया। बजट सरकार की आय एवं व्यय का एक विवरण प्रपत्र है जिसमें आगामी वर्ष के लिए आय-व्यय के आँकड़े एवं आगामी वर्ष के सामाजिक-आर्थिक कार्यक्रम तथा आय-व्यय को घटाने-बढ़ाने के लिए प्रस्तावों का विवरण एक बैग में बन्द रहता है तथा इन तथ्यों को तब तक गुप्त रखा जाता है जब तक कि उसे देश की संसद के समक्ष प्रस्तुत नहीं कर दिया जाए। अर्थात् बैग एक जादू का पिटारा होता है जो संसद के समक्ष खुलता है।
प्रश्न 3.
बजत का बजट किसे कहा जाता है?
उत्तर:
वह बजट बचत का बजट कहलाता है जिसमें सरकार के व्यय की अपेक्षा आय का आधिक्य हो अर्थात् सरकार की कुल आय उसके कुल व्यय की अपेक्षा अधिक हो। अर्थात् कुल आय > कुल व्यय
प्रश्न 4.
प्राथमिक घाटे से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
राजकोषीय घाटे में से ब्याज अदायगियों को घटाने के बाद जो राशि शेष बचती है उसे प्राथमिक घाटा कहते हैं। अर्थात् ब्याज की अदायगियाँ राजकोषीय घाटे में से निकाल दी जाए तो प्राप्त शेष को प्राथमिक घाटा कहा जाता है।
सूत्र – प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा – ब्याज अदायगियाँ
प्रश्न 5.
यदि एक देश के बजट में राजस्व घाटा ₹ 700 करोड़ एवं कुल राजस्व व्यय ₹ 1800 करोड़ है तो राजस्व प्राप्तियाँ ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है, राजस्व घाटा = ₹ 700 करोड़
राजस्व व्यय = ₹ 1,800
करोड़ राजस्व प्राप्तियाँ = ?
राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ
अतः राजस्व प्राप्तियाँ = राजस्व व्यय – राजस्व घाटा
राजस्व प्राप्तियाँ = 1,800 – 700
राजस्व प्राप्तियाँ = ₹ 1,100 करोड़
RBSE Class 12 Economics Chapter 23 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
बजट घाटे से आप क्या समझते हैं? इसकी विभिन्न अवधारणाओं को समझाइये।
उत्तर:
बजट घाटा – जब किसी वित्तीय वर्ष के अन्तर्गत आय व्यय से कम होती है तो यह बजटीय घाटा कहलाता है। आधुनिक युग में लोकतान्त्रिक सरकारों द्वारा प्रस्तुतं : बजट में विविध प्रकार के बजटीय घाटों को दर्शाया जाता है, जिससे अर्थव्यवस्था के स्वरूप को समझने में सहायता मिलती है।
प्रो. डाल्टन के अनुसार, कोई बजट घाटा पूर्ण तब है यदि किसी दिये गए समय के अन्दर व्यय आय से अधिक है। विभिन्न अवधारणाएँ
(i) राजस्व घाटा – जब बजट के अन्तर्गत दर्शाये गए कुल राजस्व व्यय कुल राजस्व प्राप्तियों से अधिक होते हैं तो यह अन्तर राजस्व घाटा कहलाता है।
सूत्र – राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ
(ii) राजकोषीय घाटा-राजकोषीय घाटा कुल राजस्व प्राप्तियों, गैर-ऋण पूँजीगत प्राप्तियों के ऊपर सरकार के कुल व्यय (राजस्व व पूँजीगत व्यय जिसमें उधार लिये गये शुद्ध ऋणों की राशि भी शामिल होती है) की आधिक्य है। स्पष्ट है कि बजट घाटे में उधार एवं अन्य समस्त दावेदारियाँ जोड़ दें तो वह राजकोषीय घाटा कहलाता है। राजकोषीय घाटा अर्थव्यवस्था वर्तमान आर्थिक स्थिति का समग्र दर्पण होता है।
सूत्र – राजकोषीय घाटा = बजटीय घाटा + उधार + समस्त देनदारियाँ
(iii) वित्तीय बजट-वित्तीय घाटा, सरकारी कोष की वास्तविक स्थिति को व्यक्त करता है। इसके अन्तर्गत बजट घाटे के साथ-साथ सरकार की शुद्ध उधारी को भी जोड़ा जाता है।
(iv) प्राथमिक घाटा – राजकोषीय घाटे में से ब्याज अदायगियों को घटाने के बाद जो राशि शेष बचती है उसे प्राथमिक घाटा कहा जाता है। अर्थात् ब्याज की अदायगियाँ राजकोषीय घाटे में से निकाल दी जाए तो प्राप्त शेष को प्राथमिक घाटा कहा जाता है।
सूत्र – प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटी – ब्याजे अदायगियाँ।
उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि सरकारी बजट किसी भी अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। आधुनिक युग में तो सरकारी बजट सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को न केवल प्रभावित करता है बल्कि अर्थव्यवस्था को दिशा भी प्रदान करता है।
प्रश्न 2.
बजट को परिभाषित करते हुए इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
बजट-बजट शब्द की उत्पत्ति फ्रांसिसी शब्द Bougette से मानी जाती है। जिसका तात्पर्य “चमड़े के थैले से है। 1773 में बजट शब्द का प्रयोग इंग्लैण्ड में ‘जादू के पिटारे के अर्थ में किया गया।
बजट सरकार की आय तथा व्यय का एक विवरण प्रपत्र है जिसमें आगामी वर्ष के लिए आय-व्यय के अनुमानित आँकड़े एवं आगामी वर्ष के सामाजिक-आर्थिक कार्यक्रम तथा आय-व्यय को घटाने-बढ़ाने के लिए प्रस्तावों का विवरण होता है।
सामान्यतया बजट का तात्पर्य सरकार के उस विवरण पत्र से होता है जिसमें वर्ष पर्यन्त होने वाले आय-व्यय का ब्यौरा दर्शाया जाता है। व्यापक अर्थ में इसका आशय यह है कि बजट में निहित तथ्यों को उस समय तक गुप्त रखा जाता है जब तक कि उसे देश की संसद के समक्ष प्रस्तुत न कर दिया जाए।
बजट का महत्त्व – देश की अर्थव्यवस्था को दिशा प्रदान करना बजट का मुख्य उद्देश्य होता है। देश की अर्थव्यवस्था सरकार के बजट से प्रभावित होती है।
- सरकारी बजट से न केवल विकास प्रभावित होता है बल्कि विकास की दिशा भी बजट से निर्धारित होती है।
- उत्पादन बढ़ाने में भी बजट की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होती है। बजट में राहत द्वारा दिये गए करारोपण सम्बन्धी रियायतों एवं शुल्क में राहत द्वारा दिये गए प्रोत्साहन उत्पादन वृद्धि में सहायक होते हैं।
- सामान्यतया सरकार बजट के माध्यम से नये कर लगाकर और जनता से ऋण लेकर उसकी क्रय शक्ति में कमी करते हुए कीमत स्तर को नियन्त्रित करती है।
- देश के आर्थिक व सामाजिक विकास को गति देना।
- देश की उत्पादन संरचना एवं उत्पादन के स्तर को दिशा देना। बजट में करारोपण सम्बन्धी रियायतों एवं प्रोत्साहन उत्पादन वृद्धि में सहायक होता है।
- देश में प्रचलित मुद्रास्फीति का उपचार बजट प्रावधानों में परिवर्तन द्वारा किया जाता है।
- कल्याणकारी राज्य की स्थापना का लक्ष्य बजट की सहायता से प्राप्त किया जा सकता है।
- आर्थिक असमानता पर रोक, सामाजिक सुरक्षा हेतु विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन, आर्थिक विकास हेतु योजनाओं का निर्माण बजट के प्रावधानों के माध्यम से ही किये जाते हैं।
स्पष्ट है कि बजट के दो पक्ष होते हैं। ऐक ओर सरकार की प्रत्याशित आय जबकि दूसरी ओर सरकार के प्रत्याशित व्यय को प्रदर्शित किया जाता है। लोकतान्त्रिक व्यवस्था में सरकार प्रतिवर्ष बजट को प्रदर्शित करती है और संसद की स्वीकृति होने के पश्चात् इसके प्रस्ताव के अनुसार ही कार्य किये जाते हैं।
प्रश्न 3.
राजस्व प्राप्तियाँ एवं राजस्व व्यय से आपका क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
राजस्व प्राप्तियाँ – इसके अन्तर्गत वह आये दर्शायी जाती है जिसका सम्बन्ध उसी वित्तीय वर्ष से होता है। इसे चालू खाता भी कहा जाता है। इस खाते में आय के वे स्रोत शामिल होते हैं जिनके बदले में कोई भुगतान नहीं करना होता है। जैसे-करों से प्राप्त आय, सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा अर्जित लाभ, सरकारी उद्योग पर प्राप्त ब्याज आदि राजस्व बजट के अन्तर्गत राजस्व आय एवं राजस्व प्राप्तियाँ दर्शायी जाती हैं। राजस्व आय एवं राजस्व प्राप्तियों में
- कर राजस्व जैसे-आयकर, निगम कर, सम्पत्ति कर, उपहार कर, शास्ति कर, उत्पादन शुल्क, सीमा शुल्क, व्यय इत्यादि आते हैं।
- गैर-कर राजस्व में ऋण, ब्याज, शुल्क, शास्ति, जुर्माना इत्यादि आते हैं।
राजस्व व्यय – राजस्व व्यय को बजट में गैर-विकासात्मक व्यय तथा विकास व्यय के रूप में विभाजित किया जाता है। गैर-विकासात्मक व्यय के अन्तर्गत सरकारी सेवाओं पर व्यय, सरकारी सब्सिडी, सरकारी अनुदान एवं ब्याज की अदायगी शामिल है। जबकि विकासात्मक व्यय के अन्तर्गत सामाजिक एवं सामुदायिक सेवाओं पर व्यय, कृषि एवं सहायता सेवाओं, उद्योग, खनिज, उर्वरक सब्सिडी सामान्य आर्थिक सेवायें, विद्युत सिंचाई, बाढ़ नियन्त्रण, सार्वजनिक निर्माण, परिवहन एवं संचार, राज्यों के अनुदान को शामिल किया जाता है।
राजस्व व्यय को भी दो भागों में दर्शाया जाता है –
- आयोजना भिन्न व्यय-राजस्व खाते से
- आयोजना व्यय-राजस्व खाते से। इन दोनों मदों में सरकारी बजट के आयोजना एवं आयोजना भिन्न मदों से होने वाले व्यय को दर्शाया जाता है।
प्रश्न 4.
बजट से आपका क्या आशय है? जेन्डर बजटिंग को क्यों उपयोगी माना गया है?
उत्तर:
बजट – बजट शब्द की उत्पत्ति फ्रांसिसी शब्द Bougette से मानी जाती है। जिसका तात्पर्य “चमड़े के थैले से है। 1773 में बजट शब्द का प्रयोग इंग्लैण्ड में ‘जादू के पिटारे के अर्थ में किया गया।
बजट सरकार की आय तथा व्यय का एक विवरण प्रपत्र है जिसमें आगामी वर्ष के लिए आय-व्यय के अनुमानित आँकड़े एवं आगामी वर्ष के सामाजिक-आर्थिक कार्यक्रम तथा आय-व्यय को घटाने-बढ़ाने के लिए प्रस्तावों का विवरण होता है।
सामान्यतया बजट का तात्पर्य सरकार के उस विवरण पत्र से होता है जिसमें वर्ष पर्यन्त होने वाले आय-व्यय का ब्यौरा दर्शाया जाता है। व्यापक अर्थ में इसका आशय यह है कि बजट में निहित तथ्यों को उस समय तक गुप्त रखा जाती है जब तक कि उसे देश की संसद के समक्ष प्रस्तुत न कर दिया जाए।
जेन्डर बजटिंग – जेन्डर बजटिंग के माध्यम से सरकार द्वारा महिलाओं के विकास, कल्याण और सशक्तिकरण से सम्बन्धित योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए प्रतिवर्ष बजट में एक निर्धारित राशि की व्यवस्था सुनिश्चित करने के प्रावधान किये जाते हैं। बजट के प्रावधान पुरुष और स्त्री को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करते हैं जिससे सरकार का दोनों की तरफ ध्यान जा सके। दोनों की वृद्धि बराबर रूप से हो सके।
RBSE Class 12 Economics Chapter 23 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
RBSE Class 12 Economics Chapter 23 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
राजकोषीय नीति में शामिल है?
(अ) सार्वजनिक व्यय
(ब) कर
(स) घाटे की वित्त व्यवस्था
(द) ये सभी
उत्तर:
(द)
प्रश्न 2.
बजट शब्द की उत्पत्ति किस शब्द से हुई है?
(अ) Bougette
(ब) Budget
(स) Buddet
(द) Bucket
उत्तर:
(अ)
प्रश्न 3.
वित्तीय प्रशासन की धुरी किसे कहा जाता है?
(अ) राजस्व प्राप्ति
(ब) राजस्व व्यय
(स) बजट
(द) राजकोषीय नीति
उत्तर:
(स)
प्रश्न 4.
सरकार की आय, व्यय और ऋण आदि से सम्बन्धित समस्त क्रियाओं का निर्धारण किसके माध्यम से होता है?
(अ) बजट
(ब) राजकोषीय नीति
(स) मौद्रिक नीति
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ)
प्रश्न 5.
संसद में बजट कौन प्रस्तुत करता है?
(अ) प्रधानमन्त्री
(ब) राष्ट्रपति
(स) गृहमन्त्री
(द) वित्तमंत्री
उत्तर:
(द)
प्रश्न 6.
सत्र 2017-18 का बजट प्रस्तुत करने वाले वित्तमंत्री कौन हैं?
(अ) राजनाथ सिंह
(ब) सुरेश प्रभु
(स) अरुण जेटली
(द) अमित शाह
उत्तर:
(स)
प्रश्न 7.
बजट की लोकप्रिय अवधारणा है?
(अ) घाटे का बजट
(ब) आम बजट
(स) निष्पादन बजट
(द) सन्तुलित बजट
उत्तर:
(अ)
प्रश्न 8.
घाटे के बजट से आशय है?
(अ) सरकार का कुल व्यय > सरकार की कुल प्राप्ति
(ब) सरकार का कुल व्यय < सरकार की कुल प्राप्ति
(स) कुल आय > कुल व्यय
(द) कुल व्यय > कुल आय
उत्तर:
(अ)
प्रश्न 9.
वित्तीय वर्ष की अवधि होती है?
(अ) 1 अप्रैल से 31 मार्च
(ब) 1 जनवरी से 31 दिसम्बर
(स) 1 जुलाई से 30 जून
(स) 1 फरवरी से 31 जनवरी
उत्तर:
(अ)
प्रश्न 10.
राजस्व घाटे का सूत्र है?
(अ) राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्ति
(ब) राजस्व प्राप्ति – राजस्व व्यय
(स) राजस्व व्यय + राजस्व प्राप्ति
(द) राजस्व व्यय x राजस्व प्राप्ति
उत्तर:
(अ)
RBSE Class 12 Economics Chapter 23 अतिलघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
आनुपातिक कर से क्या आशय है?
उत्तर:
वह कर जो आय के अनुपात में लगाया जाता है उसे आनुपातिक कर कहते हैं।
प्रश्न 2.
सरकारी बजट का कोई एक उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
साधनों का उचित आवंटन करना।
प्रश्न 3.
भारत में वित्तीय वर्ष की अवधि क्या है?
उत्तर:
भारत में 1 अप्रैल से 31 मार्च तक की अवधि वित्तीय वर्ष की अवधि है।
प्रश्न 4.
एकमुश्त करों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वे कर जो आय पर निर्भर नहीं होते हैं उन्हें एकमुश्त कर कहते हैं।
प्रश्न 5.
करों से प्रयोज्य आय तथा उपभोग पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
करों से प्रयोज्य आय तथा उपभोग में कमी आती है।
प्रश्न 6.
बजट से क्या आशय है?
उत्तर:
सरकार की अनुमानित प्राप्तियों तथा व्ययों का वार्षिक विवरण बजट कहलाता है।
प्रश्न 7.
सन्तुलित बजट क्या होता है?
उत्तर:
जब कुल आय तथा कुल व्यय बराबर हो तो उसे सन्तुलित बजट कहते हैं।
प्रश्न 8.
आधिक्य का बजट क्या होता है?
उत्तर:
जब सरकार की कुल आय, कुल व्यय से अधिक होती है।
प्रश्न 9.
घाटे का बजट क्या होता है?
अथवा
घाटे के बजट से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जब सरकार की कुल आय सरकार के कुल व्यय से कम होती है।
प्रश्न 10.
मूल्यवर्धित कर क्या है?
उत्तर:
मूल्यवर्धित कर अप्रत्यक्ष कर है जो वस्तु की मूल्य वृद्धि पर लगाया जाता है।
प्रश्न 11.
ऋण का भुगतान पूँजीगत व्यय क्यों है?
उत्तर:
ऋण का भुगतान पूँजीगत व्यय है क्योंकि यह दायित्वों में कमी करता है।
प्रश्न 12.
सरकारी ऋण के स्रोत क्या हैं?
उत्तर:
सरकारी ऋण के निम्नलिखित स्रोत हैं –
- सामान्य जनता
- भारतीय रिजर्व बैंक
- शेष विश्व।
प्रश्न 13.
एक सरकारी बजट में ₹ 4,800 करोड़ का प्राथमिक घाटा है। ब्याज भुगतान पर राजस्व व्यय ₹ 800 करोड़ है। राजकोषीय घाटा कितना होगा?
उत्तर:
राजकोषीय घाटा = 4,800 + 800 = ₹ 5,600 करोड़ होगा।
प्रश्न 14.
एक सरकारी बजट में राजस्व घाटा ₹ 30,000 करोड़ है और उधार ₹ 45,000 करोड़ का है। राजकोषीय घाटा कितना है?
उत्तर:
राजकोषीय घाटा उधार के बराबर होता है। अत: राजकोषीय घाटा ₹ 45,000 करोड़ होगा।
प्रश्न 15.
सार्वजनिक आय से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
राज्य को प्राप्त होने वाली आय सार्वजनिक आय होती है।
प्रश्न 16.
अनुदान से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
किसी राज्य द्वारा अन्य राज्य को दी गई आर्थिक सहायता।
प्रश्न 17.
कर की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
- यह एक अनिवार्य अंशदान है।
- यह लाभ से सम्बन्धित नहीं होता है।
प्रश्न 18.
करारोपण के दो उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
- राजस्व प्राप्ति
- अर्थव्यवस्था का नियमन करना।
प्रश्न 19.
प्रगतिशील कर के दो दोष बताइए।
उत्तर
- इनका आधार मनमाना होता है।
- पूँजी संचय पर इनका प्रभाव प्रतिकूल पड़ता है।
प्रश्न 20.
विशिष्ट कर से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
वह कर जो वस्तु की मात्रा यो भार के अनुसार लगाया जाए।
प्रश्न 21.
जे.बी. से के सार्वजनिक व्यय के बारे में क्या विचार थे?
उत्तर:
उनका विचार था कि लोक व्यय तथा करों की मात्रा न्यूनतम हो।
प्रश्न 22.
सार्वजनिक व्यय से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
केन्द्रीय, राज्य तथा स्थानीय सरकारों के द्वारा किया जाने वाला व्यय।
प्रश्न 23.
उत्पादक व्यय से क्या आशय है?
उत्तर:
वे व्यय जिनसे राष्ट्रीय आय में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वृद्धि होती है।
प्रश्न 24.
कर वंचन किसे कहते हैं?
उत्तर:
बिना भुगतान किये कर के दायित्व से मुक्त हो जाने को कर वंचन कहते हैं।
प्रश्न 25.
आय की माँग लोचदार होने पर कर की दर कैसी होनी चाहिए?
उत्तर:
यदि आय की माँग लोचदार हो तो कर की दर नीची होनी चाहिए।
प्रश्न 26.
कौन-सी कर प्रणाली आय की असमानता को कम करती है? बताइए।
उत्तर:
प्रगतिशील प्रत्यक्ष कर प्रणाली आय की असमानता को कम करती है।
प्रश्न 27.
सार्वजनिक ऋण के दो उद्देश्य बताइये।
उत्तर:
- सार्वजनिक निर्माण कार्य पूरा करनी
- प्राकृतिक साधनों को इष्टतम विदोहन करना।
प्रश्न 28.
सार्वजनिक ऋण का निजी क्षेत्र पर कैसा प्रभाव पड़ता है? बताइए।
उत्तर:
सार्वजनिक ऋण का निजी क्षेत्र पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।
प्रश्न 29.
ऋण निषेध से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
ऋण की मूल राशि तथा ब्याज किसी का भी भुगतान न करना।
प्रश्न 30.
ऋण रूपान्तरण से क्या आशय है?
उत्तर:
ऋण रूपान्तरण से आशय पुराने ऋणों को नये ऋण में बदलने से है।
प्रश्न 31.
संसद में बजट कौन प्रस्तुत करता है?
उत्तर:
वित्तमंत्री।
प्रश्न 32.
2017-18 के बजट में खास बात क्या थी?
उत्तर:
2017-18 के बजट में रेल बजट को भी शामिल किया गया।
प्रश्न 33.
वित्त मंत्री संसद में बजट कब पेश करता है?
उत्तर:
फरवरी माह के अन्तिम दिन।
प्रश्न 34.
FRBA का पूरा नाम बताइए।
उत्तर:
Fiscal Responsibility and Budget Management Act
प्रश्न 35.
प्रगतिशील कर की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
वह कर जिसकी दर में आय के बढ़ने के साथ ही वृद्धि होती है।
प्रश्न 36.
राजस्व घाटे की गणना कैसे की जाती है?
उत्तर:
राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ
प्रश्न 37.
राजकोषीय नीति के प्रमुख अंगों के नाम बताइए।
उत्तर:
- कर
- सार्वजनिक व्यय
- सार्वजनिक ऋण।
प्रश्न 38.
सकल प्राथमिक घाटा ज्ञात करने का सूत्र बताइए।
उत्तर:
सकल प्राथमिक घाटा = सकल राजकोषीय घाटा – निवल ब्याज दायित्व
प्रश्न 39.
राजस्व व्यय की कोई दो मुख्य मदें लिखिए।
उत्तर:
- ब्याज अदायगी
- प्रतिरक्षा व्यय।
प्रश्न 40.
सरकारी व्यय गुणक को ज्ञात करने का सूत्र बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 41.
कर गुणक का सूत्र बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 42.
कर गुणक धनात्मक होता है या ऋणात्मक?
उत्तर:
कर गुणक ऋणात्मक गुणक होता है।
प्रश्न 43.
पूँजीगत प्राप्तियों की सबसे महत्त्वपूर्ण मद क्या है?
उत्तर:
पूँजीगत प्राप्तियों की सबसे महत्त्वपूर्ण मद सार्वजनिक ऋण है।
प्रश्न 44.
गैर-कर आगम से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
करों के अतिरिक्त अन्य स्रोतों से प्राप्त आय।
प्रश्न 45.
राजस्व प्राप्तियों की एक विशेषता बताइए।
उत्तर:
राजस्व प्राप्तियों से वित्तीय परिसम्पत्तियों में कोई कमी नहीं होती है।
प्रश्न 46.
करों के प्रयोज्य आय तथा उपभोग पर पड़ने वाले प्रभाव को बताइए।
उत्तर:
करों के पश्चात् प्रयोज्य आय तथा उपभोग दोनों घट जाते हैं।
प्रश्न 47.
सरकारी व्यय गुणक तथा कर गुणक में से कौन छोटा होता है?
उत्तर:
सरकारी व्यय गुणक तथा कर गुणक में से सरकारी व्यय गुणक छोटा होता है।
प्रश्न 48.
बजटीय घाटे का वित्तीयन कैसे किया जाता है?
उत्तर:
यह करारोपण करके, उधार लेकर या नोट छापकर किया जाता है।
प्रश्न 49.
राजस्व घाटा क्या बताता है?
उत्तर:
यह सरकार की राजस्व प्राप्तियों के ऊपर राजस्व व्यय की अधिकता को बताता है।
RBSE Class 12 Economics Chapter 23 लघु उत्तरात्मक प्रश्न (SA-I)
प्रश्न 1.
कर को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
कर सरकार को दिया जाने वाला वह अनिवार्य भुगतान है जिसके बदले करदाता को किसी प्रकार के प्रत्यक्ष लाभ की आशा नहीं होती है।
प्रश्न 2.
प्रत्यक्ष कर किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस कर के भुगतान में कर भार तथा कर दायित्व एक ही व्यक्ति पर पड़ते हैं उसे प्रत्यक्ष कर कहते हैं।
जैसे – आयकर, सम्पत्ति कर आदि।
प्रश्न 3.
परोक्ष कर किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस कर के भुगतान में कर भार तथा कर दायित्व अलग-अलग व्यक्तियों पर पड़ते हैं, उसे अप्रत्यक्ष अथवा परोक्ष कर कहते हैं।
जैसे – उत्पाद कर, सेवाकर आदि।
प्रश्न 4.
प्रत्यक्ष कर एवं अप्रत्यक्ष कर का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्रत्यक्ष कर का भार अन्य व्यक्तियों पर नहीं डाल सकते जबकि जिसका भार अन्य व्यक्तियों पर डाल सकते हैं, वह अप्रत्यक्ष कर कहलाता है।
प्रश्न 5.
प्रगतिशील कर किसे कहते हैं?
अथवा
प्रगतिशील करारोपण से आपको क्या तात्पर्य है? उसका एक उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
वह कर जिसमें कर की प्रतिशत दर आय में वृद्धि के साथ बढ़ती जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य आय की असमानता को दूर करना है।
प्रश्न 6.
सार्वजनिक प्रावधान का क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
सार्वजनिक प्रावधान का तात्पर्य है कि इनका वित्त प्रबन्ध बजट के माध्यम से होता है तथा बिना किसी प्रत्यक्ष भुगतान के मुफ्त में उपलब्ध होता है।
प्रश्न 7.
बजट किसे कहते हैं?
उत्तर:
बजट एक वार्षिक वित्तीय विवरण है जिसमें आने वाले वित्तीय वर्ष के लिए सरकार के अनुमानित आय तथा व्ययों का विवरण होता है।
प्रश्न 8.
सरकारी बजट के कोई दो उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
- देश में आय तथा सम्पत्ति का उचित विवरण प्रस्तुत करना।
- देश के आर्थिक विकास में वृद्धि करना।
प्रश्न 9.
सरकारी बजट में राजस्व घाटे की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
राजस्व घाटा, राजस्व प्राप्तियों पर राजस्व व्यय के आधिक्य को दर्शाता है।
प्रश्न 10.
राजकोषीय घाटा किसे कहते हैं?
उत्तर:
कुल बजट व्यय का कुल प्राप्तियों (ऋण प्राप्तियों को छोड़कर) पर आधिक्य राजकोषीय घाटा कहलाता है।
प्रश्न 11.
प्राथमिक घाटे की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
राजकोषीय घाटे में से ब्याज भुगतान की राशि को घटाकर आने वाली शेष राशि प्राथमिक घाटा कहलाती है।
प्रश्न 12.
राजस्व प्राप्तियों से क्या आशय है?
उत्तर:
राजस्व प्राप्तियों में कर राजस्व तथा गैर-कर राजस्व दोनों को शामिल किया जाता है। इनमें कर, ब्याज, लाभांश, लाभ, विदेशी अनुदान आदि आते हैं।
प्रश्न 13.
पूँजीगत प्राप्तियों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पूँजीगत प्राप्तियाँ दायित्वों में वृद्धि या परिसम्पत्तियों में कमी के कारण प्राप्त होती हैं। इनमें ऋण, ऋणों की वसूली, सार्वजनिक उद्यमों के शेयरों की बिक्री आदि सम्मिलित हैं।
प्रश्न 14.
पूँजीगत व्यय से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
परिसम्पत्तियों पर होने वाला व्यय पूँजीगत व्यय कहलाता है।
जैसे – भवन निर्माण, सड़क निर्माण, नहर निर्माण, अंश व्यय करना, सम्पत्तियाँ खरीदना आदि।
प्रश्न 15.
योजनागत व्यय क्या है?
उत्तर:
सरकार द्वारा पंचवर्षीय योजनाओं या अन्य केन्द्रीय योजनाओं हेतु बजट में प्रावधान करके प्राथमिकताओं के आधार पर किया गया व्यय योजनागत व्यय कहलाता है।
प्रश्न 16.
गैर-योजनागत व्यय क्या है?
उत्तर:
सरकार द्वारा विभिन्न विभागों के कार्यों को संचालित करने हेतु प्रतिदिन के आधार पर किये गए व्यय गैर-योजनागत व्यय कहलाते हैं।
प्रश्न 17.
ऋणों की वसूली को पूँजी प्राप्ति क्यों माना जाता है?
उत्तर:
ऋणों की वसूली को पूँजी प्राप्ति माना जाता है क्योंकि इसके कारण सरकार की वित्तीय परिसम्पत्तियों में कमी आ जाती है।
प्रश्न 18.
ब्याज की अदायगी को राजस्व व्यय क्यों माना जाता है?
उत्तर:
क्योंकि यह न तो परिसम्पत्तियों का निर्माण करती है और न ही दायित्वों में कमी करती है, अत: ब्याज की अदायगी राजस्व व्यय मानी जाती है।
प्रश्न 19.
आर्थिक सहायता को राजस्व व्यय क्यों माना जाता है?
उत्तर:
आर्थिक सहायता से परिसम्पत्तियों का निर्माण नहीं होता है और दायित्वों में भी कमी नहीं होती है, इसलिए इन्हें राजस्व व्यय माना जाता है।
प्रश्न 20.
राजस्व नीति के उद्देश्य बताइये।
उत्तर:
- आर्थिक विकास हेतु साधन एकत्रित करना
- साधनों का आवंटन करना
- आय तथा सम्पत्ति के वितरण की असमानताओं को मिटाना।
प्रश्न 21.
सरकार द्वारा प्राप्त कर पूँजीगत प्राप्तियाँ क्यों नहीं कहलाती हैं?
उत्तर:
सरकार द्वारा कर प्राप्ति से सरकार की देयताओं में किसी भी प्रकार की कोई वृद्धि नहीं होती, इसलिए इसे पूँजीगत प्राप्ति नहीं माना जाता है।
प्रश्न 22.
ऋणों का पुनर्भुगतान पूँजीगत व्यय क्यों कहलाता है?
उत्तर:
ऋणों का पुनर्भुगतान पूँजीगत व्यय इसलिए कहलाता है क्योंकि ऋणों का पुनर्भुगतान करने से सरकार की देयताओं में कमी आती है।
प्रश्न 23.
सार्वजनिक वस्तुओं और निजी वस्तुओं में अन्तर बताइए।
उत्तर:
वे वस्तुएँ जिनका लाभ सभी लोगों को मिलता है, वह सार्वजनिक वस्तुएँ होती हैं जबकि निजी वस्तुओं का लाभ व्यक्ति विशेष को ही प्राप्त होता है।
प्रश्न 24.
पूँजीगत व्यय से क्या आशय है?
उत्तर:
परिसम्पत्तियों पर किया जाने वाला व्यय पूँजीगत व्यय कहलाता है।
जैसे – भवन, सड़क, पुल निर्माण, पूँजीगत सामान आदि पर होने वाला व्यय।
प्रश्न 25.
गैर-विकासात्मक व्यय से क्या आशय है?
उत्तर:
सरकार जब सामान्य सरकारी सेवाओं पर व्यय करती है तो यह गैर-विकासात्मक व्यय कहलाता है।
जैसे – प्रशासन तथा सुरक्षा पर किया गया व्यय।
प्रश्न 26.
कर की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
- यह लोगों द्वारा सरकार को दिया जाने वाला एक अनिवार्य भुगतान है।
- कर से मिलने वाली राशि को समाज कल्याण व सार्वजनिक लाभे पर व्यय किया जाता है।
प्रश्न 27.
निगम कर राजस्व प्राप्ति क्यों कहलाता है?
उत्तर:
निगम कर राजस्व प्राप्ति इसलिए कहलाता है क्योंकि इससे सरकार की देयताओं में वृद्धि नहीं होती है और न ही परिसम्पत्तियों में कमी आती है।
प्रश्न 28.
राजस्व व्यय तथा पूँजीगत व्यय में एक अन्तर लिखो।
उत्तर:
राजस्व व्यय से सरकारी परिसम्पतियों का निर्माण नहीं होता जबकि पूँजीगत व्यय से सरकारी परिसम्पत्तियों का निर्माण होता है।
RBSE Class 12 Economics Chapter 23 लघु उत्तरात्मक प्रश्न (SA-II)
प्रश्न 1.
योजनागत तथा गैर-योजनागत राजस्व व्यय से आपका क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
योजनागत व्यय केन्द्रीय योजनाओं और राज्य तथा संघ शासित प्रदेशों की योजनाओं पर किये गए व्यय से सम्बन्धित होता है जबकि गैर-योजनागत राजस्व सरकार द्वारा प्रदत्त विभिन्न सामान्य, सामाजिक और आर्थिक सेवाओं पर किये गए व्यय से सम्बन्धित है।
प्रश्न 2.
बजट घाटे के प्रभावों को कम करने के चार उपाय लिखिए।
उत्तर:
- सरकार को सरकारी व्ययों को घटाने के प्रयास करने चाहिए।
- सरकार को व्ययों के द्वारा अधिक से अधिक राजस्व प्राप्त करने के प्रयास करने चाहिए।
- सरकार को गैर-कर राजस्व में वृद्धि के प्रयास करने चाहिए।
- सरकार को घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश कर देना चाहिए।
प्रश्न 3.
सरकार की पूँजीगत प्राप्तियाँ एवं पूँजीगत व्यय को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पूँजीगत प्राप्तियाँ – पूँजीगत प्राप्तियाँ सरकार की वे सभी प्राप्तियाँ होती हैं, जो दायित्वों का सृजन करती हैं।
अथवा
वित्तीय परिसम्पत्तियों को कम करती हैं। पूँजीगत व्यय-सरकार के वे व्यय जिनके द्वारा भौतिक अथवा वित्तीय परिसम्पत्तियों का सृजन किया जाता है, पूँजीगत व्यय कहलाते हैं।
जैसे – सड़क निर्माण के लिए व्यय करना।
प्रश्न 4.
सरकारी घाटे को कम करने के कोई दो उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
- सरकार को कुशलतापूर्वक तथा मितव्यतापूर्वक सरकारी व्यय करने चाहिए तथा सरकारी व्ययों को व्यय करने का प्रयत्न करना चाहिए।
- सरकार को उचित नीति द्वारा करों के माध्यम से अधिक से अधिक राजस्व प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए।
प्रश्न 5.
सन्तुलित बजट’, ‘बचत पूर्ण बजट’ एवं ‘घाटे का बजट’ को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
- सन्तुलित बजट (Balanced Budget) – वह बजट, जिसमें कुल आय तथा कुल व्यय बराबर होते हैं, वह सन्तुलित बजट कहलाता है।
- बचत पूर्ण बजट (Surplus Budget) – वह बजट, जिसमें कुल आय में से कुल व्यय कम होता है, उसे बचत पूर्ण बजट कहते हैं।
- घाटे का बजट (Deficit Budget) – वह बजट, जिसमें सरकार की कुल आय सरकार के कुल व्यय से कम होती है, उसे घाटे का बजट कहते हैं।
प्रश्न 6.
सार्वजनिक एवं निजी वस्तुओं से क्या आशय है? इनमें अन्तर कीजिए।
उत्तर:
- सार्वजनिक वस्तुओं का प्रयोग जनता द्वारा सामूहिक रूप से किया जाता है, जबकि निजी वस्तुओं के लाभ किसी एक उपभोक्ता विशेष तक ही सीमित रहते हैं।
- सार्वजनिक वस्तुओं के सम्बन्ध में सामूहिक रूप से इनका उपभोग करने के कारण मुफ्तखोरी की समस्या लागू होती है, जबकि यदि कोई व्यक्ति निजी उपभोग वस्तु की कीमत अदा नहीं करता है तो उसे उपभोग से वंचित किया जा सकता है।
प्रश्न 7.
सरकारी बजट से क्या आशय है? यह कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
एक वित्तीय वर्ष के दौरान मदों के अनुसार अनुमानित प्राप्तियों एवं व्ययों को दिखाया जाता है। भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक माना जाता है। केन्द्र सरकार के वार्षिक वित्तीय विवरण को ‘संघीय बजट’ कहा जाता है। बजट दो प्रकार के होते हैं –
- राजस्व बजट तथा
- पूँजीगत बजट।
प्रश्न 8.
राजस्व बजट और पूँजीगत बजट में अन्तर कीजिए।
उत्तर:
राजस्व बजट में कर राजस्व तथा गैर-कर राजस्व प्राप्तियाँ आती हैं। राजस्व व्यय वे व्यय होते हैं जो परिसम्पत्तियों में वृद्धि या दायित्वों में कमी नहीं करते हैं।
जबकि पूँजीगत बजट में सरकार की पूँजीगत प्राप्तियाँ एवं पूँजीगत व्यय आते हैं। सरकार की वे प्राप्तियाँ पूँजीगत कहलाती हैं। जिनसे दायित्वों में वृद्धि होती है या वित्तीय परिसम्पत्तियाँ कम होती हैं। इनमें अन्तर्गत आय के उन समस्त स्रोतों को रखा जाता है, जिन्हें बदले में भुगतान करना आवश्यक होता है। इसमें उन व्ययों को शामिल किया जाता है, जिनमें व्यय तो चालू वर्ष में दिया जाता है किन्तु इससे सामाजिक कल्याण में वृद्धि चालू वर्ष के साथ-साथ आगामी वर्षों तक होती रहती है।
प्रश्न 9.
गैर-कर राजस्व क्या है? इसके स्रोतों का उल्लेख करो।
उत्तर:
कर को छोड़कर राजस्व प्राप्तियों के अन्य सभी स्रोत गैर-कर राजस्व के अन्तर्गत आते हैं। अर्थात् वे राजस्व प्राप्तियाँ जो कर नहीं है, वे गैर-कर राजस्व कहलाती है। भारत में केन्द्रीय सरकार के गैर-कर राजस्व के तीन स्रोत हैं – ब्याज प्राप्तियाँ, लाभांश तथा लाभ और विदेशी अनुदान।
प्रश्न 10.
राजस्व प्राप्तियों तथा पूँजीगत प्राप्तियों में अन्तर कीजिए।
अथवा
सरकारी बजट की राजस्व प्राप्तियों एवं पूँजीगत प्राप्तियों में अन्तर बताइए। प्रत्येक के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
राजस्व एवं पूँजीगत प्राप्तियों में मुख्य अन्तर यह है कि राजस्व प्राप्तियों की भविष्य में वापिस करने की जिम्मेदारी सरकार की नहीं होती है जबकि पूँजीगत प्राप्तियाँ एक प्रकार का ऋण होती हैं, जिन्हें सरकार को ब्याज सहित वापस करना पड़ता है।
प्रश्न 11.
कर क्या है? इसकी विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
यह अनिवार्य भुगतान है जो करदाताओं द्वारा सरकार को किया जाता है तथा जिसके बदले करदाता किसी प्रत्यक्ष लाभ की आशा नहीं करते हैं उसे कर कहते हैं। जैसे – आयकर, सम्पत्ति कर, उत्पाद कर, आयात शुल्क आदि। कर वर्तमान में सरकारों की आय का सबसे बड़ा साधन है।
प्रश्न 12.
कर की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
कर की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं –
- केर देश की जनता द्वारा सरकार को दिया गया अनिवार्य भुगतान होता है।
- कर से प्राप्त राशि को एकत्रित करके सामूहिक हित के कार्यों पर सरकार द्वारा व्यय किया जाता है। अत: कर से समाज कल्याण में वृद्धि होती है।
- कर का भुगतान अनिवार्य रूप से निश्चित समय पर किया जाता है। ऐसा न करने पर दण्ड का प्रावधान होता है।
प्रश्न 13.
प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष करों से क्या आशय है? अन्तर बताइए।
अथवा
प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष करों में अन्तर स्पष्ट करते हुए प्रत्येक के दो-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
- प्रत्यक्ष कर का भार अन्य व्यक्तियों पर अन्तरित नहीं किया जा सकता है जबकि अप्रत्यक्ष करों का भार अन्य व्यक्तियों पर अन्तरित किया जा सकता है।
- प्रत्यक्ष कर प्रगतिशील होते हैं क्योंकि आय में वृद्धि के साथ इनमें वृद्धि होती है जबकि अप्रत्यक्ष कर प्रगतिशील नहीं होते हैं।
- प्रत्यक्ष करों का भुगतान अनिवार्य रूप से करना होता है जबकि अप्रत्यक्ष करों का भुगतान करने से बचा जा सकता है।
उदाहरण –
प्रत्यक्ष कर –
- आयकर
- सम्पत्ति कर।
अप्रत्यक्ष कर –
- सीमा कर
- उत्पादन कर।
प्रश्न 14.
विभिन्न प्रकार के कर लगाने के क्या उद्देश्य हैं?
उत्तर:
- राजस्व प्राप्ति के माध्यम से सरकार की कुल आय में वृद्धि करना।
- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को संतुलन में बनाये रखना।
- लोक कल्याण के कार्यों एवं दैनिक प्रशासनिक व्ययों को पूरा करने हेतु धन जुटाना।
- देश के संसाधनों की सुरक्षा की व्यवस्था करने हेतु।
प्रश्न 15.
बजट घाटा क्या है?
उत्तर:
बजट घाटा – बजटीय घाटे से आशय सरकार के कुल व्यय का कुल प्राप्तियों से अधिक होना है। अन्य शब्दों में, सरकार की राजस्व एवं पूँजीगत प्राप्तियों का योग जब राजस्व एवं पूँजीगत व्ययों के योग से कम होता है तो उसे बजटीय घाटा कहा जाता है।
प्रश्न 16.
प्राथमिक घाटा किसे कहते हैं? यह क्या दर्शाता है?
उत्तर:
प्राथमिक घाटा – राजकोषीय घाटे से ब्याज भुगतान की राशि को घटाकर प्राथमिक घाटे की गणना कर सकते हैं, यह राजकोषीय घाटा तथा ब्याज भुगतान का अन्तर होता है।
प्राथमिक घाटा ब्याज अदायगी रहित राजकोषीय घाटे को पूरा करने हेतु सरकार की ऋण सम्बन्धी जरूरतों को दर्शाता है।
प्रश्न 17.
राजकोषीय घाटे से क्या आशय है?
उत्तर:
ऋण प्राप्तियों को छोड़कर शेष कुल प्राप्तियों पर कुल बजट व्यय के आधिक्य को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। राजकोषीय घाटा वर्ष के दौरान दायित्वों में वृद्धि की माप करता है यह व्यय को पूरा करने के लिए धन जुटाने की समस्या की माप करता है।
प्रश्न 18.
अर्थव्यवस्था के लिए राजकोषीय घाटा कैसे समस्या बन जाता है?
उत्तर:
विकासशील देश अपने आधारभूत ढाँचे के विकास के लिए अधिक व्यय कर रहे हैं। यदि सरकार ऋण लेकर व्ययों को पूरा करती है तो ब्याज के रूप में सरकार को एक बड़ी धनराशि व्यय करनी पड़ती है। इससे यह एक समस्या बन जाती है। तथा इसके कारण बजटीय घाटा बढ़ जाता है और इस प्रकार अन्तत: सरकार ऋण जाल में फँस जाती है।
प्रश्न 19.
सरकारी व्यय से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सरकारी व्यय से आशय सरकार द्वारा एक वित्तीय वर्ष में विभिन्न मदों के अन्तर्गत किये जाने वाले व्ययों से है। सरकार द्वारा किये जाने वाले व्ययों को दो अन्य प्रकारों में भी विभाजित किया जाता है-राजस्व व्यय एवं पूँजीगत त्र्यय।
प्रश्न 20.
सरकारी व्यय के उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
- देश को आर्थिक रूप से विकसित करना।
- सरकारी कामकाज एवं सरकारी प्रशासन को निर्बाध रूप से संचालन में बनाये रखना।
- अर्थव्यवस्था में व्याप्त मंदी के प्रभाव को कम करना।
- लोगों की सामूहिक उपभोग वाली वस्तुओं का उत्पादन कर उनकी आवश्यकता को पूरा करना।
- देश के विकास हेतु आवश्यक आधारभूत ढाँचे का निर्माण करना।
प्रश्न 21.
सरकार के उन तीन विशिष्ट कार्यों का उल्लेख कीजिए जिनका संचालन वह राजस्व और व्यय सम्बन्धी बजटीय उपायों के द्वारा करती है।
उत्तर:
सरकार जिन तीन प्रमुख कार्यों को बजट के माध्यम से करती है वे निम्न हैं –
- संसाधनों का पुनः आवंटन–सरकार सामाजिक तथा आर्थिक न्याय को ध्यान में रखकर बजट के माध्यम से संसाधनों का पुनः वितरण करने का कार्य करती है।
- आय तथा सम्पत्ति का पुनः वितरण-सरकार धनी लोगों पर कर लगाती है तथा निर्धन लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है।
- आर्थिक स्थायित्व सरकार मंदी तथा तेजी के प्रभाव को कम करने के लिए मंदी के दिनों में घाटे का बजट तथा तेजी के दिनों में बचत को बजट बनाकर स्थिरता लाने का प्रयास करती है।
प्रश्न 22.
राजस्व तथा पूँजीगत व्यय से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
वे सरकारी व्यय जो सरकारी विभागों के सामान्य संचालन, सरकारी नि:शुल्क सेवाओं, ऋणों के ब्याज भुगतान आदि पर किये जाते हैं, उन्हें राजस्व व्यय कहते हैं तथा वे व्यय जिन्हें भूमि, मशीनरी, कम्पनियों के शेयर आदि खरीदने या सड़क, पुल आदि के निर्माण पर किया जाता है, उन्हें पूँजीगत व्यय कहते हैं।
प्रश्न 23.
योजनागत व्यय तथा गैर-योजनागत व्यय से क्या आशय है?
उत्तर:
वे व्यय जो पंचवर्षीय योजनाओं या अन्य विशेष योजनाओं के माध्यम से किये जाते हैं, उन्हें योजनागत व्यय कहते हैं तथा शेष सभी व्यय जो योजनाओं के माध्यम से नहीं किये जाते हैं, उन्हें गैर-योजनागत व्यय कहते हैं।
प्रश्न 24.
विकास व्यय तथा गैर-विकास व्यय से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
आधारभूत संरचना के विकास तथा विकास कार्यों हेतु गैर-विभागीय उद्यमों एवं स्थानीय निकायों को ऋण प्रदान करके किये जाते हैं, उन्हें विकास व्यय कहते हैं। ऐसे व्यय जो प्रतिरक्षा, कर संग्रह, पुलिस प्रशासन, पेंशन, शेष विश्व को ऋण तथा गैर-विकास कार्यों हेतु अन्य संस्थाओं को दिये गए ऋण गैर-विकास व्यय कहलाते हैं।
प्रश्न 25.
पूँजी निर्माण में सार्वजनिक व्यय किस प्रकार सहायक होते हैं?
उत्तर:
सरकार घाटे के बजट बनाकर सार्वजनिक व्ययों में वृद्धि करती है। इससे मुद्रा बाजार में आती है तथा लोगों की आय में वृद्धि होती है। इस आय को व्यक्ति उपभोग या बचत में प्रयोग करते हैं। जो आय उपभोग से बच जाती है उससे पूँजी का निर्माण होता है।
प्रश्न 26.
‘प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष कर एक-दूसरे के पूरक होते हैं।” टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
- अप्रत्यक्ष कर वस्तुओं तथा सेवाओं के उपभोग पर लगाये जाते हैं। अत: ये आय की उस मात्रा पर वसूल किये जाते हैं जो प्रत्यक्ष करों के लगने के बाद शेष रह जाती है।
- अप्रत्यक्ष कर उन वस्तुओं पर भी लगाये जाते हैं जिनका उपभोग स्वयं उत्पादकों द्वारा किया जाता है। अतः इस प्रकार उत्पादकों के उपभोग पर भी कर लग जाता है।
प्रश्न 27.
सरकार किन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ऋण लेती है?
उत्तर:
- देश पर आने वाले सामरिक या आर्थिक संकट का सामना करने के लिए।
- सामूहिक उपयोग में आने वाली वस्तुओं के निर्माण हेतु।
- प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम विदोहन करके देश का आर्थिक विकास करने के लिए।
- अन्य विकास कार्यों के संचालन हेतु वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए।
- सरकारी बजट के अस्थायी घाटों को पूरा करने तथा लोगों के आर्थिक जीवन को संतुलित बनाये रखने के लिए।
प्रश्न 28.
विदेशी ऋणों (बाह्य ऋणों) के मुख्य दो दोष बताइए।
उत्तर:
विदेशों से लिए जाने वाले ऋणों के मुख्य दोष निम्नलिखित हैं –
- विदेशी ऋणों का भार आन्तरिक ऋणों की अपेक्षा अधिक होता है। क्योंकि इनके भुगतान के लिए अपने महत्त्वपूर्ण आर्थिक संसाधनों को ऋणदाता देश को अन्तरित करना पड़ता है।
- विकासशील देशों को जब ऋण की आवश्यकता होती है तो ऋणदाता देश अपनी राजनीतिक शर्तों को मानने के लिए उन पर अनुचित दबाव डालते हैं।
प्रश्न 29.
ऋण जाल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सामान्यत: विकासशील अर्थव्यवस्थाएँ अपनी विकास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए विदेशों से ऋण प्राप्त करती हैं। फलतः विकासशील देशों पर विदेशी ऋणों के साथ-साथ ऋण ब्याज का भी भार बढ़ता जाता है। इसके परिणामस्वरूप ऋणों को चुकाने के लिए इन्हें पुनः ऋण लेना पड़ता है। अतः ये देश एक स्थान से ऋण लेकर दूसरे स्थान पर चुकाते रहते हैं। इस तरह ये देश उत्तरोत्तर ऋण प्राप्त कर ऋण चक्र में फँसते चले जाते हैं। इसी को ऋण जाल कहा जाता है।
प्रश्न 30.
सरकारी बजट की प्राप्तियों को एक चार्ट के माध्यम से प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 31.
लेखानुदान से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
लेखानुदान-यदि किसी वर्ष बजट 1 अप्रैल से पूर्व पारित नहीं हो पाता है तो 1 अप्रैल से बजट पारित होने की तिथि तक की अवधि के लिए सरकार अपने व्ययों को पूरा करने के लिए संसद में लेखा अनुदान के आधार पर स्वीकृति ले लेती है।
प्रश्न 32.
सरकारी बजट की व्यय की मदों को एक चार्ट के माध्यम से प्रदर्शित करो।
उत्तर:
प्रश्न 33.
विनियोग विधेयक से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
विनियोग विधेयक-वह विधेयक जिसके संसद में पास हो जाने पर सरकार को बजट राशि को व्यय करने का अधिकार प्राप्त हो जाता है, विनियोग विधेयक कहा जाता है। यह संचित धनराशि में से व्यय करने का अधिकार देता है। लेकिन धनराशि के संग्रह का अधिकार नहीं देता है।
प्रश्न 34.
पूरक बजट से क्या आशय है?
उत्तर:
पूरक बजट-जब सरकार के किसी विभाग का बजट में स्वीकृत धनराशि से काम नहीं चलता है तो इस स्थिति में अतिरिक्त माँगों को पूरा करने के लिए लोकसभा में एक और बजट प्रस्तुत करके स्वीकृति ली जाती है। इसी को पूरक बजट कहते हैं।
RBSE Class 12 Economics Chapter 23 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
सरकारी बजट क्या है? इसके उद्देश्यों की चर्चा करें।
अथवा
बजट से क्या आशय है? सरकारी बजट के उद्देश्यों का वर्णन करो।
उत्तर:
बजट का आशय – भारत में केन्द्र सरकार के वार्षिक वित्तीय विवरण को संघीय बजट कहा जाता है। यह पिछले वर्ष की वास्तविक प्राप्तियों तथा व्ययों का वर्तमान वर्ष के संशोधित अनुमानों को और आगामी वर्ष के बजट अनुमानों का विवरण प्रस्तुत करता है। सरकारी बंजट के उद्देश्य-सरकारी बजट के प्रमुख उद्देश्य निम्न हैं –
(i) आर्थिक विकास–एक देश की विकास दर उसकी बचत एवं निवेश की दरों पर निर्भर करती है। इसलिए बजट का उद्देश्य बचत एवं निवेश को प्रोत्साहित करने वाले कार्यक्रम को लागू करना होता है।
(ii) आर्थिक संसाधनों का न्यायोचित आवंटन – सरकार अपनी बजटीय नीतियों के माध्यम से देश की सामाजिक एवं प्राथमिकताओं के अनुसार अपने उपलब्ध संसाधनों के आवंटन का प्रयास करती है।
(iii) आर्थिक स्थायित्व – अर्थव्यवस्था में तेजी तथा मंदी के चक्र आते रहते हैं। जब अर्थव्यवस्था में तेजी होती है तो सरकार बचत का बजट बनाती है। अर्थात् अपने व्ययों में कमी लाती है तथा व्ययों में कमी करती है। इसके विपरीत जब अर्थव्यवस्था में मंदी होती है तो सरकार घाटे का बजट बनाती है।
(iv) रोजगार के अवसरों में वृद्धि – भारत जैसे देशों में जहाँ बेरोजगारी की समस्या है वहाँ बजटीय नीतियों का एक उद्देश्य रोजगारों की उपलब्धता में वृद्धि करना भी होता है।
(v) आर्थिक समानता – आर्थिक विषमता में कमी लाने के उद्देश्य से बजट में राजकोषीय नीति को एक महत्त्वपूर्ण उपकरण के रूप में प्रयोग किया जाता है। आर्थिक समानता लाने हेतु बजट में अमीर लोगों पर कर लगाये जाते हैं तथा गरीबों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
(vi) सार्वजनिक उपक्रमों का प्रबन्ध – सरकार सामाजिक हित को ध्यान में रखकर सार्वजनिक उपक्रमों का संचालन एवं प्रबन्ध करती है। ये सार्वजनिक उपक्रम सामान्यत: उन वस्तुओं की पूर्ति करते हैं जिनकी पूर्ति निजी क्षेत्र द्वारा नहीं हो पाती है।
(vii) सरकार के आर्थिक लेन-देनों में पारदर्शिता–सरकारी बजट नीति के माध्यम से ऐसे प्रयास किये जा सकते हैं। जिससे सरकार के कामकाज को पारदर्शी बनाया जा सकता है। सरकार की कार्य कुशलता में वृद्धि के साथ-साथ भ्रष्टाचार समाप्त हो जाता है तथा वित्तीय मामलों में ईमानदारी पर आधारित वित्तीय व्यवहारों को बल मिलता है।
प्रश्न 2.
बजट क्यों बनाये जाते हैं? सन्तुलन एवं मदों की प्रकृति के आधार पर बजट का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
बजट वह विवरण है जिसमें वित्तमंत्री संसद के सामने गत वर्ष की वित्तीय स्थिति, चालू वर्ष में सार्वजनिक कोष की स्थिति तथा आने वाले वर्ष के लिए योजनाओं और आर्य-व्यय में कमी या वृद्धि के अपने नये प्रस्ताव प्रस्तुत करता है। अत: बजट केवल आय-व्यय का विवरण ही नहीं होता है बल्कि यह देश में आर्थिक परिवर्तन करने के लिए सरकार के हाथ में एक उपकरण भी होता है। इससे सरकार अर्थव्यवस्था में समानता, स्थायित्व तथा आर्थिक विकास को गति देने का कार्य करती है। बजट को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है –
(i) बजट की मदों के आधार पर – बजट की मदों की प्रकृति के आधार पर बजट दो प्रकार के होते हैं
(a) राजस्व बजट – वह बजट जिसमें केवल राजस्व प्राप्ति की आय-व्यय मदों को सम्मिलित किया जाता है, उसे राजस्व बजट कहते हैं।
(b) पूँजीगत बजट – वह बजट जिसमें केवल पूँजीगत प्राप्ति की आय-व्यय की मदों को सम्मिलित किया जाता है उसे पूँजीगत बजट कहते हैं।
(ii) सन्तुलन के आधार पर – आय-व्यय के सन्तुलन के आधार पर बजट को तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है –
(a) घाटे का बजट-जब बजटीय आय की तुलना में व्यय अधिक होते हैं तो उसे घाटे का बजट कहा जाता है। मन्दी के समय जिस राजकोषीय नीति को अपनाया जाता है उसमें घाटे के बजट की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। जब आय की तुलना में सरकारी व्यय अधिक होता है तो अर्थव्यवस्था में क्रय-शक्ति की मात्रा में वृद्धि होती है। घाटे का बजट सरकार के वास्तविक घाटे को बताता है। इसमें गुणांक की कार्यशीलता के पश्चात् राष्ट्रीय आय में कई गुना वृद्धि हो जाती है। इससे माँग में वृद्धि होती है तथा अर्थव्यवस्था मंदी काल से बाहर निकलने में सफल होती है। घाटे के बजट दो प्रकार से बनते हैं-एक तो सार्वजनिक व्ययों में वृद्धि करके तथा दूसरे करों में कमी करके। मंदी के समय करों में कमी करके घाटे के बजट बनाना अधिक लाभप्रद रहता है। क्योंकि इससे लोगों के पास व्यय करने के लिए अधिक धनराशि बच जाती है जिससे लोगों की कुल माँग में वृद्धि हो जाती है। इससे मंदी को समाप्त करने में सहायता मिलती है। सामान्यतया आधुनिक कल्याणकारी राज्य की स्थापना हेतु प्रयासरत सभी सरकारें घाटे के बजट बनाती हैं।
(b) आधिक्य बजट-वह बजट जिसमें कुल सार्वजनिक व्यय, कुल सार्वजनिक आय से कम होते हैं, उसे आधिक्य बजट कहते हैं। सामान्यतया आधिक्य बजट तभी बनाये जाते हैं। वस्तुओं की कीमतों को नियन्त्रित करने के लिए तथा माँग में कमी लाने के लिए आधिक्य बजट राजकोषीय नीति का प्रमुख अंग होता है।
(c) सन्तुलित बजट-वह बजट जिसमें सरकार के आय तथा व्यय दोनों सन्तुलन में होते हैं अर्थात् बराबर होते हैं, उसे सन्तुलित बजट कहते हैं।
प्रश्न 3.
भारत में सार्वजनिक व्यय में वृद्धि के कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत में सार्वजनिक व्यय में वृद्धि के कारण –
(i) मूल्यों का बढ़ना-पिछले कई वर्षों में मूल्य – स्तर में बहुत वृद्धि हुई है, जिससे कि वस्तुएँ तथा सेवाएँ पहले की अपेक्षा अधिक महँगी हो गई हैं, जिससे सरकार को अब अधिक व्यय करना पड़ता है।
(ii) औद्योगिक विकास होना-औद्योगिक विकास दर को बढ़ाने के लिए नये उद्योगों की स्थापना करने तथा पुराने उद्योगों को राष्ट्रीयकरण करने के कारण बहुत अधिक राशि का भुगतान करना पड़ता है।
(iii) उत्पादकों को आर्थिक सहायता प्रदान करना सरकार देश में कृषि तथा उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए कृषकों तथा उद्योगपतियों को पर्याप्त मात्रा में ऋण, दान एवं सहायता प्रदान करती है, जिससे सार्वजनिक व्यय बढ़ जाता है।
(iv) राष्ट्रीय आय में बढ़ोत्तरी–विगत वर्षों में अधिक आर्थिक वृद्धि होने से राष्ट्रीय आय बढ़ी है, जिससे लोगों का जीवन-स्तर सुधरा है तथा वे राज्य से अधिकाधिक सेवाओं व सुविधाओं को प्राप्त करने की माँग में वृद्धि हुई है।
(v) आर्थिक नियोजन करना – आर्थिक नियोजन हेतु विभिन्न परियोजनाओं की पूर्ति करने के लिए सरकार को अपार धन की आवश्यकता पड़ती है, जिसकी पूर्ति वह देशी व विदेशी ऋणों की सहायता से करती है तथा कभी-कभी बढ़ते व्यय को पूरा करने के लिए उसे हीनार्थ-प्रबन्धन करना पड़ता है।
(vi) अल्पविकसित राष्ट्रों को आर्थिक मदद – अल्पविकसित राष्ट्रों को वर्तमान वर्षों में सरकार द्वारा उनके आर्थिक विकास हेतु पर्याप्त सहायता प्रदान की जा रही है, जिससे सार्वजनिक व्यय में वृद्धि हुई है।
(vii) जनसंख्या वृद्धि – गत वर्षों में देश में तीव्र गति से जनसंख्या वृद्धि हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में इस समय लगभग 1.93% वार्षिक दर से जनसंख्या वृद्धि हो रही है, जिससे सार्वजनिक व्यय में भी वृद्धि हुई है।
(viii) सामाजिक सुरक्षा उपायों में वृद्धि होना – सरकार कल्याणकारी तथा सामाजिक सुरक्षा हेतु विभिन्न योजनाओं-बेकारी बीमा, स्वास्थ्य बीमा, वृद्धावस्था पेंशन, प्रसव लाभ आदि पर व्यय करती है।
(ix) सुरक्षा व्यय में वृद्धि होना – सार्वजनिक व्यय में वृद्धि का मुख्य कारण अस्त्र-शस्त्रों पर भारी मात्रा में व्यय करना होता है। जैसे – अणुशक्ति के विकास, जल, वायु, सेना तथा युद्ध की विशालता के कारण अधिक व्यय का होना।
(x) प्रजातन्त्र शासन प्रणाली विकसित होना – तानाशाही अथवा प्राचीन राजतन्त्र की अपेक्षा प्रजातन्त्र में प्रशासनिक व्यय में अधिक तेजी से वृद्धि देखी गयी है। भारत में संघीय व्यवस्था की दोहरी शासन प्रणाली के कारण भी सार्वजनिक व्यय बढ़ा है।
RBSE Class 12 Economics Chapter 23 आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1.
एक वित्तीय वर्ष के दौरान सरकार द्वारा दिए गये ब्याज के भुगतान का अनुमान है 80,000 है जबकि बजट प्राप्तियों पर बजट व्यय के आधिक्य (शुद्ध ऋण) का अनुमान ₹ 1,25,000 है। प्राथमिक घाटे की गणना कीजिए।
उत्तर:
प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा – ब्याज का भुगतान
= 1,25,000 – 80,000
= ₹ 45,000
प्रश्न 2.
निम्नलिखित सूचनाओं के आधार पर राजकोषीय घाटा ज्ञात करो
उत्तर:
राजकोषीय घाटा = सरकार का कुल व्यय – (राजस्व प्राप्तियाँ + गैर-ऋण पूँजीगत प्राप्तियाँ)
= 2,50,000 – (1,50,000 + 20,000)
= 2,50,000 – 1,70,000
= ₹ 80,000
प्रश्न 3.
एक सरकारी बजट में, यदि राजस्व प्राप्तियाँ ₹ 500 करोड़, पूँजीगत प्राप्तियाँ ₹ 300 करोड़ और राजस्व घाटा ₹ 50 करोड़ है, तो राजस्व व्यय की गणना करो।
उत्तर:
राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ।
∴ राजस्व व्यय = राजस्व घाटा + राजस्व प्राप्तियाँ
= 50 + 500
= ₹ 550 करोड़
प्रश्न 4.
निम्न आँकड़ों से बजट घाटा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
बजट घाटा = (राजस्व व्यय + पूँजीगत व्यय) – (राजस्व प्राप्तियाँ + पूँजीगत प्राप्तियाँ)
= (60,000 + 90,000) – (80,000 + 50,000)
= 1,50,000 – 1,30,000
= ₹ 20,000 करोड़
प्रश्न 5.
निम्न सूचनाओं से सरकार का कुल व्यय ज्ञात करें।
उत्तर:
सरकार का कुल व्यय = ऋण एवं अन्य दायित्व + राजस्व प्राप्तियाँ + गैर-ऋण पूँजीगत प्राप्तियाँ
= 50,000 + 3,00,000 + 20,000 = ₹ 3,70,000 करोड़
प्रश्न 6.
सरकारी बजट के बारे में निम्नलिखित आँकड़ों से (i) राजस्व घाटा (ii) राजकोषीय घाटा और (iii) प्राथमिक आय ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
(i) राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ
= 100 – 80 = ₹ 20 अरब
(ii) राजकोषीय घाटी = राजस्व व्यय + पूँजीगत व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ – पूँजीगत प्राप्तियाँ
= 100 + 110 – 80 – 95
= 210 – 175 = ₹ 35 अरब
(iii) प्राथमिक घाटा = राजकोषीय – ब्याज भुगतान
= 35 – 10 = ₹ 25 अरब
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