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RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 7 उत्पादन की अवधारणा

July 1, 2019 by Fazal Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 12 Economics Chapter 7 उत्पादन की अवधारणा

RBSE Class 12 Economics Chapter 7 अभ्यासार्थ प्रश्न

RBSE Class 12 Economics Chapter 7 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
एक विवेकशील उत्पादक अपने उत्पादन के लिए कौन-सी अवस्था का चयन करता है?
(अ) प्रथम
(ब) द्वितीय
(स) तृतीय
(द) चतुर्थ

प्रश्न 2.
श्रम उत्पादन का ……… साधन है।
(अ) सक्रिय
(ब) निष्क्रिय
(स) तटस्थ
(द) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 3.
उत्पादन के साधन हैं –
(अ) श्रम व भूमि
(ब) पूँजी व तकनीक
(स) साहस
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 4.
अल्पकाल में उत्पादन का परिवर्तनशील साधन है –
(अ) श्रम
(ब) साहस
(स) पूँजी व तकनीक
(द) भूमि

प्रश्न 5.
जिस बिन्दु पर कुल उत्पाद अधिकतम होता है, सीमान्त उत्पाद होगा –
(अ) शून्य
(ब) एक
(स) अनन्त
(द) दो

उत्तरमाला:

  1. (ब)
  2. (अ)
  3. (द)
  4. (अ)
  5. (अ)

RBSE Class 12 Economics Chapter 7 अतिलघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उत्पादन किसे कहते है?
उत्तर:
उत्पादन से आशय किसी वस्तु की उपयोगिता में वृद्धि करने या सृजन करने से लगाया जाता है।

प्रश्न 2.
उत्पादन के साधन कौन-कौन से है?
उत्तर:
उत्पादन के साधन है-भूमि, श्रम, पूँजी, संगठन एवं साहस।

प्रश्न 3.
कुल उत्पादन किसे कहते है?
उत्तर:
किसी एक समयावधि में उत्पादन के सभी साधनों के सहयोग से जो उत्पादन होता है उसे कुल उत्पादन कहते हैं।

प्रश्न 4.
औसत उत्पादन किसे कहते है?
उत्तर:
कुल उत्पादन में परिवर्तनशील साधन की इकाइयों से भाग देने पर प्राप्त उत्पादन औसत उत्पादन कहलाता है।

प्रश्न 5.
सीमान्त उत्पादन किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी परिवर्तनशील साधन की मात्रा में एक इकाई की वृद्धि करने पर कुल उत्पादन में जो वृद्धि होती है उसे सीमान्त उत्पादन कहते हैं।

RBSE Class 12 Economics Chapter 7 लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उत्पादन के साधनो मे संगठन का महत्व लिखिए।
उत्तर:
उत्पादन का एक महत्वपूर्ण साधन संगठन है। इसे प्रबन्धन भी कहते हैं। इसमें प्रबन्धन और तकनीक की सहायता से उत्पादन का संगठन किया जाता है। आज विशेषज्ञों की मदद लेकर उत्पादन का संगठन बड़े पैमाने पर किया जाता है। उत्पादन कार्य में दक्ष और कुशल प्रबंधकों की मदद लेकर और तकनीकी क्षेत्र में तकनीक विशेषज्ञों को लेकर उत्पादन को प्रक्रिया में प्रयुक्त किया जाता है। उत्पादन में संगठन का महत्व बड़ा मायने रखता है। इसे उत्पादन का हृदय कहा जाता है। खासकर वैयक्तिक स्वामित्व और साझेदारी निगमों में संगठन का कुशल प्रयोग कर अनुकूलतम संरचना तैयार को जानी है। संगठन का बेहतर इस्तेमाल करके उत्पादन की गुणवता और इसके परिणाम दोनों में अधिकतम वृद्धि और सुधार किए जाते हैं।

प्रश्न 2.
उत्पादन के साधन-‘भूमि’ और ‘श्रम’ पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
भूमि-भूमि उत्पादन का एक निष्क्रिय साधन है। यह प्रकृति का उपहार है। इसकी मात्रा सीमित है तथा इसकी उर्वराशक्ति में भी भिन्नता पाई जाती है। श्रम-श्रम उत्पादन का एक सक्रिय साधन है। यह शारीरिक एवं मानसिक दो प्रकार का होता है। जो कार्य धन प्राप्ति के लिए किया जाता है उसे ही श्रम कहा जाता है। प्रेम, दया तथा लगाव के कारण किये जाने वाले कार्य को अर्थशास्त्र में श्रम नहीं माना जाता है।

प्रश्न 3.
औसत उत्पाद और सीमान्त उत्पाद के मध्य सम्बन्ध समझाइए।
उत्तर:

  1. औसत उत्पाद तब तक बढ़ता है जब तक सीमान्त उत्पाद औसत उत्पाद से अधिक होता है।
  2. जिस उत्पादन के बिन्दु पर सीमान्त उत्पाद औसत उत्पाद के बराबर होता है, उस बिन्दु पर औसत उत्पाद अधिकतम होता है।
  3. जब सीमान्त उत्पाद औसत उत्पाद से कम होता है तब औसत उत्पाद घटना शुरू हो जाता है।
  4. सीमान्त उत्पाद शून्य या ऋणात्मक हो सकता है लेकिन औसत उत्पाद कभी भी ऋणात्मक नहीं होता तथा यह शून्य भी नहीं हो सकता है।

प्रश्न 4.
परिवर्तनशील अनुपातों के नियम को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
अल्पकाल में जब उत्पादन के अन्य साधनों की मात्रा स्थिर रखते हुए किसी परिवर्तनशील साधन की मात्रा को बढ़ाया जाता है तो उत्पादन की मात्रा में जो परिवर्तन होता है उसके तथा परिवर्तनशील साधन की मात्रा में परिवर्तन के बीच के सम्बन्ध को ही परिवर्तनशील अनुपातों का नियम कहते हैं। सरल शब्दों में उत्पादन के साधनों के अनुपात में परिवर्तन के फलस्वरूप उत्पादन में होने वाले परिवर्तन को ही परिवर्तनशील अनुपातों का नियम कहते हैं।

प्रश्न 5.
उत्पादन की विवेकपूर्ण अवस्था का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
एक उत्पादक के लिए उत्पादन की विवेकपूर्ण अवस्था उस स्थिति में होती है जब किसी दी हुई लागत में उत्पादन अधिकतम किया जा सके तथा दिये हुए उत्पादन की लागत न्यूनतम हो जाए। इस अवस्था को ही उत्पादन का सन्तुलन या उत्पादन का साम्य कहते हैं।

RBSE Class 12 Economics Chapter 7 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उत्पादन के विभिन्न साधनों को विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
उत्पादन क्लार्य उत्पत्ति के विभिन्न साधनों के सामूहिक प्रयास से होता है। ये साधन उत्पादन कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उत्पादन के विभिन्न साधनों की प्रकृति अलग-अलग होती है। प्रकृति के आधार पर उत्पादन के निम्नलिखित साधन होते हैं –
(i) भूमि
(ii) श्रम
(iii) पूँजी
(iv) प्रबंधन व तकनीक तथा
(v) साहस या उद्यमशीलता।
उत्पत्ति के इन पाँचों साधनों का विस्तृत वर्णन निम्न है –

(i) भूमि (Land) – भूमि से आशय प्रकृति द्वारा प्रदत्त नि:शुल्क वस्तुओं से लगाया जाता है। भूमि का आशय मात्र पृथ्वी या जमीन से नहीं है। इसमें प्रकृति से नि:शुल्क प्राप्त सभी वस्तुएँ शामिल की जाती है; जैसे-जमीन, समुद्र, पहाड़ आदि। भूमि की मात्रा सीमित होती है तथा यह उत्पत्ति का एक अनिवार्य एवं आधारभूत साधन है। भूमि की उर्वराशक्ति में भिन्नता पाई जाती है।

(ii) श्रम (Labour) – श्रम उत्पादन का दूसरा महत्वपूर्ण साधन है। यह एक सक्रिय साधन है। श्रम से आशय उस शारीरिक अथवा मानसिक कार्य से लगाया जाता है जो मुद्रा प्राप्ति के लिए किया जाता है। आनन्द प्राप्ति या स्वास्थ्य लाभ के लिए किया जाने वाला कोई भी कार्य श्रम नहीं कहलाता है। जैसे-श्रमदान करना, कसरत करना, अपने घर में बागवानी करना माता-पिता द्वारा बच्चों के पालन-पोषण का कार्य करना, बच्चों और बुजुर्गों की सेवा-सुश्रुषा करना बीमार सदस्यों को कड़ी देख-रेख करना आदि। एक ही कार्य एक समय पर श्रम होता है तथा दूसरे समय पर नहीं। जैसे-जब शिक्षक विद्यालय में पढ़ाता है तो उसका कार्य श्रम की श्रेणी में आता है लेकिन जब यही शिक्षक अपने बच्चे को घर पर पढ़ाता है तो यह श्रम नहीं कहलाता है।

(iii) पूँजी (Capital) – पूँजी उत्पादन का तीसरा महत्वपूर्ण साधन है। पूँजी से आशय उस सम्पत्ति से लगाया जाता है। जिसका प्रयोग अर्थोपार्जन के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए—कच्चा माल, भवन, मशीनें, उपकरण आदि पूँजी के ही स्वरूप हैं।

(iv) प्रबंधन व तकनीक (Management and Technology) – प्रबंधन व तकनीक या संगठन भी उत्पादन का एक महत्वपूर्ण साधन है। इसकी सहायता से उत्पादन के विभिन्न साधनों को उचित मात्रा में जुटाया जाता है तथा उनमें तालमेल बनाया जाता है। आजकल उत्पादन बहुत बड़े पैमाने पर किया जाता है जिसमें इस साधन का महत्व बहुत बढ़ गया है।

(v) साहस या उद्यमशीलता (Enterprise or Entrepreneurship) – उत्पादन कार्य में जोखिम निहित होता है। इस जोखिम को वहन करने का कार्य ही साहस कहलाता है। यह साधन उत्पादन के परिणामस्वरूप होने वाले लाभ या हानि दोनों के प्रति जिम्मेदार होता है। यह कहा जाता है कि समाजवादी अर्थव्यवस्था में साहसी का जोखिम कम होता है जबकि पूँजीवादी या स्वतन्त्र अर्थव्यवस्था में यह ज्यादा होता है।

प्रश्न 2.
कुल उत्पादन, औसत उत्पादन व सीमान्त उत्पादन की विभिन्न स्थितियों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कुल उत्पादन (Total Production) – एक फर्म द्वारा निश्चित अवधि में उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं की कुल मात्रा को कुल उत्पादन कहते हैं। अल्पकाल में अन्य साधनों को स्थिर रखते हुए एक किसी साधन में परिवर्तन करते हुए एक समयावधि में होने वाले उत्पादन के योग को कुल उत्पादन कहा जाता है।

औसत उत्पादन (Average Production) – कुल उत्पादन की मात्रा को परिवर्तनशील साधन की प्रयुक्त इकाइयों से विभाजित करने पर औसत उत्पादन प्राप्त हो जाता है।
औसत उत्पादन = कुल उत्पादन श्रम की इकाइयाँ

सीमान्त उत्पादन (Marginal Production) – किसी परिवर्तनशील साधन की मात्रा में एक इकाई का परिवर्तन करने के कारण कुल उत्पादन में जो परिवर्तन होता है उसे उस साधन का सीमान्त उत्पाद कहते हैं।
सीमान्त उत्पाद = TPn – TPn-1

कुल उत्पादन तथा सीमान्त उत्पादन में सम्बन्ध – जब तक सीमान्त उत्पादन बढ़ता है तब तक कुल उत्पादन भी बढ़ती दर से बढ़ता हैं। यह उत्पादन की पहली अवस्था होती है।

जब सीमान्त उत्पादन समान रहता है या घटता जाता है तो कुल उत्पादन स्थिर अथवा घटती दर से बढ़ता है। यह उत्पादन की दूसरी अवस्था होती है।

जब सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक हो जाता है तो कुल उत्पादन भी घटने लगता है। यह तीसरी अवस्था है। इस अवस्था में कोई भी विवेकशील उत्पादक नहीं रहना चाहता है। वह द्वितीय अवस्था में ही रहना चाहता है, वही स्थिति उसके लिए लाभदायक होती है।

सीमान्त उत्पादन तथा औसत उत्पादन में सम्बन्ध – सीमान्त उत्पादन तथा औसत उत्पादन के परिवर्तन एक-दूसरे से जुड़े हुए होते है। सीमान्त उत्पादन उत्पादन के तात्कालिक परिवर्तन को बताता है तथा इसके परिवर्तन औसत उत्पादन की तुलना में अधिक बढ़ते अथवा घटते है। सीमान्त उत्पादन एक इकाई विशेष से सम्बन्धित होता है जबकि औसत उत्पादन पर सभी परिवर्तनशील साधन की इकाइयों का प्रभाव पड़ता है।

इन तीनों अवधारणाओं को निम्न तालिका द्वारा और स्पष्ट किया जा सकता है –
RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 7 उत्पादन की अवधारणा

उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि भूमि की मात्रा 10 हेक्टेयर स्थिर रहते हुए जब परिवर्तनशील साधन श्रम की मात्रा में जैसे-जैसे वृद्धि की जाती है, कुल उत्पादन एक बिन्दु तक बढ़ता है उसके बाद स्थिर होकर घट जाता है। औसत उत्पादन व सीमान्त उत्पादन भी प्रारम्भिक अवस्था में बढ़ते हैं लेकिन बाद में घटना प्रारम्भ हो जाते हैं। औसत उत्पादन जहाँ श्रम की चौथी इकाई लगाने पर पूर्ववत् रहता है लेकिन पाँचवीं इकाई एवं उसके बाद निरन्तर घटता जाता हैं। इसी प्रकार सीमान्त उत्पादन चौथी इकाई से ही घटना प्रारम्भ हो जाता हैं। श्रम की सातवीं इकाई पर यह शून्य हो जाता है तथा आठवीं इकाई लगाने पर ऋणात्मक हो जाता है।

सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक हो सकता है लेकिन कुल उत्पादन एवं औसत उत्पादन सदैव धनात्मक ही रहता है।

प्रश्न 3.
परिवर्तनशील अनुपातों के नियम का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
परिवर्तनशील अनुपातों का नियम (Law ofVariable Proportions) – परम्परावादी अर्थशास्त्री उत्पत्ति ह्रास नियम को एक आधारभूत नियम मानते थे जोकि उत्पादन के क्षेत्र में व्यापक रूप से लागू होता है। प्रो. मार्शल ने इसे कृषि से सम्बन्धित किया था लेकिन आधुनिक अर्थशास्त्री अल्पकालीन उत्पादन फलन के रूप में इसके सभी क्षेत्रों में लागू होने के तर्क प्रस्तुत करते हैं। आधुनिक अर्थशास्त्री इसे परिवर्तनशील अनुपातों के नियम की संज्ञा देते हैं। उनके अनुसार उत्पत्ति का यह नियम परिवर्तनशील अनुपातों के नियम की एक अवस्था मात्र है।

नियम की परिभाषाएँ
(i) प्रो. मार्शल के अनुसार, “भूमि पर खेती करने में पूँजी और श्रम की वृद्धि करने से सामान्यतः उपज की मात्रा में अनुपात से कम वृद्धि होती है यदि कृषि कला में कोई सुधार न हो।’

(ii) श्रीमती जोन रोबिन्सन के शब्दों में, “उत्पत्ति ह्रास नियम यह बताता है कि किसी एक उत्पत्ति के साधन की मात्रा को स्थिर रखकर यदि अन्य साधनों की मात्रा में उत्तरोत्तर वृद्धि की जाए तो एक निश्चित बिन्दु के बाद उत्पादन में घटती हुई दर से वृद्धि होगी।’

(iii) प्रो. स्टिगलर के अनुसार, “यदि उत्पत्ति के अन्य साधनों की इकाई को स्थिर रखकर किसी एक साधन की इकाइयों में समान वृद्धि की जाए तो एक निश्चित बिन्दु के बाद उस इकाई से प्राप्त होने वाली उपज घटने लगेगी अर्थात् सीमान्त उत्पादन घटने लगेगा।”

(iv) लिप्से व क्रिस्टल के शब्दों में, “ह्रासमान प्रतिफल नियम यह बताता है कि यदि एक परिवर्तनशील साधन की बढ़ती हुई मात्राएँ एक स्थिर साधन की दी हुई मात्रा के साथ प्रस्तुत की जाती हैं तो परिवर्तनशील साधन की सीमान्त उत्पत्ति व औसत उत्पत्ति अंत में घटती है।” उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि चाहे एक साधन स्थिर रहे या अन्य साधन स्थिर रहें लेकिन जब परिवर्तनशील साधन की मात्रा बढ़ाई जाती है तो अन्ततः उत्पादन घटती हुई दर से ही बढ़ता है।

नियम की व्याख्या – परिवर्तनशील अनुपातों के नियम के अनुसार यदि अन्य साधनों को स्थिर रखकर एक (परिवर्तनशील) साधन की मात्रा को बढ़ाया जाता है तो कुल उत्पादन, औसत उत्पादन तथा सीमान्त उत्पादन में अलग-अलग दर से परिवर्तन होता है। इस स्थिति को निम्न तालिका में दर्शाया गया है –
RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 7 उत्पादन की अवधारणा
प्रथम अवस्था – इस अवस्था में परिवर्तनशील साधन श्रम की मात्रा में वृद्धि करने के साथ-साथ कुल उत्पादन, औसत उत्पादन तथा सीमान्त उत्पादन तीनों में निरन्तर वृद्धि होती है। यह उत्पत्ति वृद्धि नियम की अवस्था है। इस अवस्था में श्रम की मात्रा में वृद्धि करने से स्थिर साधनों का ज्यादा अच्छा प्रयोग होने लगता है। इसी कारण प्रति इकाई लागत में कमी आ जाती है।

द्वितीय अवस्था – यह अवस्था श्रम की चौथी इकाई से प्रारम्भ हो रही है। इस अवस्था में कुल उत्पादन घटती हुई दर से बढ़ता हैं। औसत उत्पादन समान रहने के बाद घटकर प्रारम्भ हो जाता है तथा सीमान्त उत्पादन में निरन्तर गिरावट प्रारम्भ हो जाती है। इस अवस्था में साधनों की अनुकूलता समाप्त हो जाती है।

तृतीय अवस्था – यह अवस्था श्रम की सातवीं इकाई से प्रारम्भ होती है जिसमें साधनों का तालमेल बिगड़ने लगता है तथा सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक हो जाता है। कुल उत्पादन में भी आठवीं इकाई से गिरावट शुरू हो जाती है।

उत्पादक के लिए द्वितीय अवस्था सर्वश्रेष्ठ है। वह पहली अवस्था तथा तीसरी अवस्था में रहकर अपने लाभ को अधिकतम नहीं कर सकता है। वह द्वितीय अवस्था में ही उपयुक्त बिन्दु अथवा साम्य बिन्दु पर रुकना चाहेगा।

इन तीनों अवस्थाओं को रेखाचित्र द्वारा और अच्छा स्पष्ट किया जा सकता है –
RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 7 उत्पादन की अवधारणा
उपर्युक्त रेखांचित्र से स्पष्ट है कि O से L बिन्दु तक औसत उत्पादन में वृद्धि होती है। यह उत्पादन की प्रथम अवस्था है। L से NV तक द्वितीय अवस्था है तथा N से आगे तृतीय अवस्था है। कोई भी उत्पादक तृतीय अवस्था में रहना पसन्द नहीं करेगा क्योंकि इस अवस्था में उत्पादन बढ़ने के स्थान पर घटने लगता है। वह द्वितीय अवस्था में ही रहना पसन्द करेगा।

प्रश्न 4.
विवकेशील उत्पादक द्वारा उत्पादन की द्वितीय अवस्था का चयन क्यों किया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एक विवेकशील उत्पादक उत्पादन की उस अवस्था में रहना चाहेगा जिसमें दी हुई लागत पर अधिकतम उत्पादन किया जा सके तथा उत्पादन की लागत न्यूनतम हो जाये। यदि कोई उत्पादक उत्पादन की प्रथम अवस्था में रहता है तो वह स्थिर साधनों का श्रेष्ठतम प्रयोग नहीं कर पायेगा चाहे सीमान्त उत्पादन व औसत उत्पादन बढ़ रहा हो।

द्वितीय अवस्था में उत्पादक अधिकतम उत्पादन करने में समर्थ होता है। इसके बाद सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक हो जाता है। अतः इसके आगे जाने का मतलब है कि श्रम लागत बढ़ने के बाद भी उत्पादन में कमी आ रही है। कोई भी उत्पादक इस स्थिति को पसन्द नहीं करेगा। इस कारण तीसरी अवस्था में जाने का मतलब है अपने लाभ को कम करना। ऐसा कोई भी विवेकशील उत्पादक कदापि नहीं चाहेगा।

अत: विवेकशील उत्पादक द्वितीय अवस्था में ही रहना चाहेगा। यही स्थिति उसके लिए सबसे ज्यादा लाभदायक होती है। इसी कारण अर्थशास्त्रियों ने पहली व तीसरी अवस्थाओं को आर्थिक मूर्खता की अवस्थाएँ कहा है।

RBSE Class 12 Economics Chapter 7 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

RBSE Class 12 Economics Chapter 7 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
उत्पादन का अर्थ है
(अ) किसी वस्तु की उपयोगिता का सृजन करने से
(ब) किसी वस्तु को प्राप्त करने से
(स) उत्पादित माल को बेचने से
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं

प्रश्न 2.
उत्पादन के साधन होते हैं।
(अ) 2
(ब) 5
(स) 3
(द) 4

प्रश्न 3.
पूँजी, उत्पादन का कौन-सा महत्वपूर्ण साधन है?
(अ) पहला
(ब) दूसरा
(स) तीसरा
(द) चौथा

प्रश्न 4.
परिवर्तनशील अनुपातों के नियम में किस साधन को परिवर्तनशील माना जाता है?
(अ) भूमि
(ब) श्रम
(स) पूँजी
(द) एक साधन को स्थिर रखकर किसी भी अन्य साधन को परिवर्तनशील मान सकते है।

प्रश्न 5.
परिवर्तनशील अनुपातों के नियम में किस पर विचार नहीं किया जाता है?
(अ) तकनीकी परिवर्तन पर
(ब) साधनों की कीमतों पर
(स) उत्पादित वस्तु की कीमत पर
(द) उपर्युक्त सभी पर

प्रश्न 6.
ऋणात्मक प्रतिफल की अवस्था कौन-सी होती है?
(अ) प्रथम
(ब) द्वितीय
(स) तृतीय
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं

प्रश्न 7.
उत्पत्ति ह्रास नियम लागू होता है।
(अ) केवल कृषि क्षेत्र में
(ब) केवल सेवाक्षेत्र में
(स) केवल विनिर्माण क्षेत्र में
(द) एक सीमा के बाद सभी क्षेत्रों में

प्रश्न 8.
परिवर्तनशील अनुपात के नियम की तीसरी अवस्था में
(अ) औसत उत्पादन ऋणात्मक होता है।
(ब) सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक होता है।
(स) औसत व सीमान्त उत्पादन दोनों ऋणात्मक होते है।
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं

प्रश्न 9.
उत्पत्ति वृद्धि नियम की स्थिति में जैसे-जैसे उत्पादन बढ़ता है
(अ) औसत लागत बढ़ती है
(ब) औसत लागत घटती है
(स) औसत लागत स्थिर रहती है
(द) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 10.
परिवर्तनशील अनुपातों के नियम को सम्बन्ध है –
(अ) अल्पकाल से
(ब) दीर्घकाल से
(स) अल्पकाल व दीर्घकाल दोनों से
(द) दोनों में से किसी से नहीं

उत्तरमाला:

  1. (अ)
  2. (ब)
  3. (स)
  4. (द)
  5. (द)
  6. (स)
  7. (द)
  8. (ब)
  9. (ब)
  10. (अ)

RBSE Class 12 Economics Chapter 7 अतिलघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भूमि उत्पादन का कैसा साधन है?
उत्तर:
भूमि उत्पादन का एक निष्क्रिय साधन है। इस पर श्रम लगाकर उत्पादन कार्य किया जाता है।

प्रश्न 2.
उत्पादन के क्षेत्र में प्रबन्धन का क्या कार्य है?
उत्तर:
प्रबन्धन के माध्यम से उत्पादन कार्य को संगठित किया जाता है तथा उत्पत्ति के साधनों को उचित अनुपात में जुटाकर कुशलतापूर्वक उत्पादन कार्य करने में सहयोग दिया जाता है।

प्रश्न 3.
साहसी का क्या कार्य है?
उत्तर:
साहसी उत्पादन की विभिन्न प्रकार की अनिश्चितताओं एवं जोखिमों को वहन करने का कार्य करता है।

प्रश्न 4.
पूँजी से क्या आशय है?
उत्तर:
पूँजी मनुष्य द्वारा उत्पादित धन का वह भाग है जिसका प्रयोग और अधिक धन कमाने के लिए किया जाता है।
जैसे – मशीन, भवन, औजार आदि।

प्रश्न 5.
औसत उत्पादन वक्र तथा सीमान्त उत्पादन वक्र में बढ़ने की गति किसकी ज्यादा होती है?
उत्तर:
औसत उत्पादन तथा सीमान्त उत्पादन वक्र में बढ़ने तथा गिरने दोनों की गति सीमान्त उत्पादन की ज्यादा होती है।

प्रश्न 6.
उत्पादन की विवेकपूर्ण अवस्था कौन-सी होती है?
उत्तर:
उत्पादन की विवेकपूर्ण अवस्था द्वितीय अवस्था होती है क्योकि इसी अवस्था में उत्पादक अपना लाभ अधिकतम् कर सकता है।

प्रश्न 7.
सीमान्त उत्पादन ज्ञात करने का सूत्र बताइए।
उत्तर:
सीमान्त उत्पादन ज्ञात करने का सूत्र निम्न हैं –
RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 7 उत्पादन की अवधारणा

प्रश्न 8.
औसत उत्पादन ज्ञात करने का सूत्र बताइये।
उत्तर:
औसत उत्पादन ज्ञात करने का सूत्र है –
RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 7 उत्पादन की अवधारणा

प्रश्न 9.
उपयोगिता से क्या आशय है?
उत्तर:
किसी वस्तु की मानवीय आवश्यकता को पूरा करने की क्षमता को ही अर्थशास्त्र में उपयोगिता कहते हैं।

प्रश्न 10.
उपयोगिता का सृजन करने का कोई एक तरीका बताइए।
उत्तर:
उपयोगिता का सृजन उस वस्तु का रूप परिवर्तन करके किया जा सकता है। जब एक बढ़ई लकड़ी से फर्नीचर बनाता है। तो लकड़ी की उपयोगिता फर्नीचर के रूप में बढ़ जाती है। यह उपयोगिता का सृजन ही है।

प्रश्न 11.
अल्पकाल से क्या आशय है?
उत्तर:
अल्पकाल से आशय उस समयवधि से लगाया जाता है, जिसमें उत्पत्ति के सभी साधनों को बदलना सम्भव नहीं होता है।
अत: कुछ साधन स्थिर रहते हैं तथा कुछ परिवर्तनशील।

प्रश्न 12.
दीर्घकाल से क्या आशय है?
उत्तर:
दीर्घकाल वह समयावधि है जिसमें उत्पत्ति के सभी साधन परिवर्तित किये जा सकते हैं। इस काल में कोई साधन स्थिर नहीं होता है।

प्रश्न 13.
परिवर्तनशील अनुपातों के नियम का क्या आशय है?
उत्तर:
उत्पादन के साधनों के अनुपात में परिवर्तन के कारण होने वाले उत्पादन में परिवर्तन के बीच के सम्बन्ध को ही परिवर्तनशील अनुपातों का नियम कहते हैं।

प्रश्न 14.
कुल उत्पादन की गणना किस तरह की जा सकती है?
उत्तर:
कुल उत्पादन की गणना सीमान्त उत्पादन एवं औसत उत्पादन दोनों की सहायता से की जा सकती है –

  1. एक साधन की विभिन्न इकाइयों से प्राप्त सीमान्त उत्पादन को जोड़कर
  2. औसत उत्पादन की साधन को इकाइयों से गुणा करके।

प्रश्न 15.
श्रम का अधिक प्रयोग करके उत्पादन करने की तकनीक का नाम बताइए।
उत्तर:
जब श्रम का अधिक प्रयोग करके उत्पादन कार्य किया जाता है तो इस तकनीक को श्रम प्रधान तकनीक कहते हैं।

प्रश्न 16.
जब श्रम की तुलना में पूँजी का ज्यादा प्रयोग किया जाता है तो उत्पादन की इस तकनीक को क्या कहते हैं?
उत्तर:
जब उत्पादक उत्पादन करने के लिए श्रम की तुलना में पूँजी का ज्यादा प्रयोग करता है तो उत्पादन की इस तकनीक को पूँजी प्रधान तकनीक कहते हैं।

प्रश्न 17.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में समाजवादी अर्थव्यवस्था की तुलना में व्यवसाय में जोखिम ज्यादा होता है या कम। बताइए।
उत्तर:
समाजवादी अर्थव्यवस्था की तुलना में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में व्यवसाय में जोखिम की मात्रा ज्यादा होती है क्योंकि ऐसी अर्थव्यवस्थाओं में सरकारी हस्तक्षेप नगण्य होता है।

प्रश्न 18.
क्या बैंकिंग सेवाएँ, वकीलों की सेवाएँ तथा शिक्षकों की सेवाएँ उत्पादन की श्रेणी में आती हैं?
उत्तर:
बैंकिंग सेवाएँ, वकीलों की सेवाएँ तथा शिक्षकों की सेवाएँ भी अर्थशास्त्र के अनुसार उत्पादन की श्रेणी में आती है, क्योंकि इन सेवाओं को प्रदान करने वाले व्यक्ति अपनी सेवाओं से उपयोगिता का सृजन करते हैं।

प्रश्न 19.
भूमि की उर्वराशक्ति में भिन्नता पाई जाती है। इस कथन को समझाइए।
उत्तर:
सभी स्थानों की भूमि की उर्वराशक्ति समान नहीं होती है। उसमें भिन्नता पाई जाती है। यह कथन पूर्णतः सत्य है। गंगा के किनारे की भूमि की उर्वराशक्ति ज्यादा होती है जबकि रेगिस्तान की भूमि की कम।

प्रश्न 20.
‘श्रमिक उत्पादक एवं उपभोक्ता दोनों होता है।’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एक श्रमिक उत्पादन कार्य में तो योगदान करता ही है। बिना श्रम के किसी वस्तु का उत्पादन सम्भव नहीं है लेकिन वह एक उपभोक्ता भी होता है क्योंकि उसकी भी अनेक आवश्यकताएँ होती हैं जिन्हें पूरा करने के लिए उसे वस्तुओं का उपयोग करना होता है।

प्रश्न 21.
प्रबन्ध एवं साहस में अन्तर बताइए।
उत्तर:
प्रबन्ध उत्पत्ति के विभिन्न साधनों को संगठित करता है तथा उनकी सहायता से व्यवस्थित ढंग से उत्पादन कार्य सम्पादित करता है जबकि साहस जोखिम एवं अनिश्चितता को वहन करने का कार्य करता है।

प्रश्न 22.
उत्पत्ति के साधनों की गुणवत्ता को उत्पादन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
उत्पत्ति के साधनों की गुणवत्ता का उत्पादन की किस्म एवं मात्रा दोनों पर सीधा प्रभाव पड़ता हैं। यदि उत्पत्ति के साधन श्रेष्ठ कोटि के होंगे तो उत्पादन अच्छी किस्म का होगा तथा ज्यादा मात्रा में होगा अन्यथा इसके विपरीत स्थिति होगी।

प्रश्न 23.
उत्पत्ति के स्थिर साधन से क्या आशय है?
उत्तर:
अल्पकाल में उत्पत्ति के कुछ साधन स्थिर होते हैं क्योंकि उनमें समय कम होने के कारण परिवर्तन करना सम्भव नहीं होता है।
जैसे – भूमि। अत: ऐसे साधन जिनमे परिवर्तन करना सम्भव न हो, उन्हें स्थिर साधन कहते हैं।

RBSE Class 12 Economics Chapter 7 लघु उत्तरात्मक प्रश्न (SA-I).

प्रश्न 1.
एक आगत के सीमान्त उत्पाद तथा कुल उत्पाद के बीच सम्बन्ध बताइए।
उत्तर:
एक आगत के सीमान्त उत्पाद एवं कुल उत्पाद में सम्बन्ध

  1. जब सीमान्त उत्पाद बढ़ता है तो कुल उत्पाद भी बढ़ता है।
  2. जब सीमान्त उत्पाद शून्य होता है तो कुल उत्पाद अधिकतम होता है।
  3. जब सीमान्त उत्पाद ऋणात्मक होता है तो कुल उत्पाद में गिरावट प्रारम्भ हो जाती है।

प्रश्न 2.
उत्पत्ति वृद्धि नियम क्या है?
उत्तर:
जब किसी समय विशेष में उत्पत्ति के कुछ साधनों को स्थिर रखकर किसी साधन को बढ़ाया जाता है एवं यदि उत्पादन में, परिवर्तनशील साधन में की गई वृद्धि से, ज्यादा दर से वृद्धि होती है, तो इसे उत्पत्ति वृद्धि नियम कहा जाता है।

प्रश्न 3.
उत्पत्ति ह्रास नियम से आप क्या समझते है?
उत्तर:
उत्पत्ति ह्रास नियम से अभिप्राय यह है कि जब कृषि कार्य में भूमि की मात्रा को स्थिर रखकर अन्य साधनों की मात्रा को बढ़ाया जाता है तो उत्पादन में होने वाली वृद्धि साधनों की मात्रा में की गई वृद्धि के अनुपात से कम होती है। उत्पादन में वृद्धि का अनुपात साधनों में वृद्धि के अनुपात से कम होता है। यही उत्पत्ति ह्रास नियम है।

प्रश्न 4.
उत्पत्ति समता नियम क्या है?
उत्तर:
उत्पत्ति समता नियम उत्पादन की अवस्था उस को कहते हैं जिसमें वस्तु का उत्पादन उसी अनुपात में बढ़ता है जिस अनुपात में उत्पत्ति के साधन बढ़ाये जाते हैं। यह उत्पत्ति वृद्धि नियम एवं उत्पत्ति ह्रास नियम के बीच की स्थिति होती है। प्रो. मार्शल ने कहा है कि उत्पत्ति समता नियम के अन्तर्गत श्रम व पूँजी की इकाइयाँ व्यय करने से न तो अनुपात से अधिक उत्पादन होता है और न कर्म क्योंकि वस्तु की मात्रा व उत्पादन के साधन एक ही अनुपात में बढ़ते हैं।

प्रश्न 5.
उत्पादन कार्य में भूमि का महत्व बताइए।
उत्तर:
भूमि से आशय प्रकृतिदत्त निःशुल्क वस्तुओं से लगाया जाता है। यह प्रकृति को उपहार है तथा सीमित मात्रा में है। बिना भूमि की सहायता के कोई भी उत्पादन कार्य करना सम्भव नहीं है। चाहे कृषि कार्य हो, निर्माण कार्य हो अथवा सेवा कार्य, बिना भूमि के प्रयोग के सम्भव नहीं है। इस कारण उत्पादन कार्य में भूमि महत्वपूर्ण स्थान रखती है।

प्रश्न 6.
श्रम से क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
श्रम से आशय ऐसे किसी भी शारीरिक अथवा मानसिक कार्य से लगाया जाता है जो मुद्रा के बदले किया जाता है। लगाव, | प्रेम या दयावश किया गया कार्य श्रम नहीं कहलाता है क्योंकि यह कार्य बिना मुद्रा के किया जाता है। श्रम उत्पत्ति का एक सक्रिय साधन हैं तथा उत्पादन कार्य में प्रयुक्त एक महत्वपूर्ण साधन है।

प्रश्न 7.
पूँजी से क्या आशय है? उत्पादन कार्य में पूँजी का महत्व बताइये।
उत्तर:
भूमि के अतिरिक्त व्यक्ति तथा समाज की सम्पत्ति का वह भाग जिसका प्रयोग धनोत्पादन के लिए किया जाता है, पूँजी कहलाता है। आधुनिक युग में पूँजी को उत्पादन का सबसे महत्वपूर्ण साधन माना जाता है। कच्चा माल, मशीनें, भवन, उपकरण आदि पूँजी के ही रूप हैं।

प्रश्न 8.
परिवर्तनशील अनुपातों के नियम (Law of Variable Proportions) से क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
परिवर्तनशील अनुपातों का नियम अल्पकालीन नियम है। अल्पकाल में उत्पादन के साधन दो प्रकार के होते हैं-स्थिर व परिवर्तनशील। जब अन्य साधनों को स्थिर रखते हुए किसी एक साधन की मात्रा में परिवर्तन किया जाता है तो इसके फलस्वरूप उत्पादन में परिवर्तन होता है। एक साधन की मात्रा में परिवर्तन करने से साधनों के बीच का अनुपात बदल जाता है। उत्पादन के साधनों के अनुपात में परिवर्तन के कारण उत्पादन में परिवर्तन को ही परिवर्तनशील अनुपातों का नियम कहते हैं।

प्रश्न 9.
विवेकशील उत्पादक से क्या आशय है?
उत्तर:
एक उत्पादक विवेकशील तब माना जाता है जब वह अपनी लागत को कम करने तथा लाभ को अधिकतम करने के लिए। सैदव तत्पर रहता है। एक विवेकशील उत्पादक उत्पादन की हमेशा द्वितीय अवस्था में रहना पसन्द करता है क्योंकि इसी अवस्था में वह अपने लाभ को अधिकतम कर सकता है। उत्पादन की प्रथम अवस्था तथा तृतीय अवस्था दोनों ही उसके लिए उपयुक्त नहीं होती है।

प्रश्न 10.
ऋणात्मक प्रतिफल की तीसरी अवस्था क्यों आती है?
उत्तर:
जब.एक सीमा के बाद स्थिर साधन तथा परिवर्तनशील साधन के बीच का तालमेल बिगड़ जाता है तो इसका उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। एक छोटे से भूमि के टुकड़े पर ज्यादा श्रम लगाने पर उत्पादन में व्यवधान पैदा हो जाता है तथा उस पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसी प्रकार उत्पादन के सभी क्षेत्रों में उत्पत्ति के साधनों का संयोग कुप्रभावित होने पर कुल उत्पादन बढ़ने के स्थान पर घटने लगता है। यही ऋणात्मक प्रतिफल की अवस्था होती है।

प्रश्न 11.
उत्पादन का अर्थ संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
अर्थशास्त्र में उत्पादन का अर्थ किसी वस्तु की उपयोगिता में वृद्धि करना, उपयोगिता का सृजन करना या उपयोगिता के निर्माण करने से लगाया जाता हैं। उत्पादन अनेक रूपों में किया जाता है। जैसे–कृषक द्वारा खेत में अनाज उगाना, उद्योगपति द्वारा कारखाने में उपभोक्ताओं की आवश्यकता की वस्तुओं का निर्माण करना तथा 4-व्यक्तियों द्वारा सेवाएँ प्रदान करना। जैसे – डॉक्टर, वकील, शिक्षक आदि की सेवाएँ।

प्रश्न 12.
उत्पादन कार्य में प्रबन्धन का क्या योगदान होता है?
उत्तर:
प्रबन्धन भी उत्पादन का महत्वपूर्ण साधन है। उत्पादन के विभिन्न साधनों को उचित अनुपात में जुटाने तथा उनमें आपस में सहयोग बनाये रखने में प्रबन्धन अहम् भूमिका निभाता है। प्रबन्धन ही उत्पादन कार्य के लिए उपयुक्त एवं लाभप्रद तकनीक का चयन करता है। आधुनिक युग में जबकि उत्पादन बहुत बड़े पैमाने पर किया जाता है बिना कुशल प्रबन्धन के इस कार्य को लाभप्रद ढंग से करना सम्भव ही नहीं है। इस कारण प्रबन्धन को उत्पादने कार्य में महत्वपूर्ण माना जाता है।

प्रश्न 13.
परिवर्तनशील अनुपातों का नियम अल्पकाल में ही क्यों लागू होता है?
उत्तर:
परिवर्तनशील अनुपातों का नियम अल्पकाल में ही इसलिए लागू होता है क्योंकि अल्पकाल में उत्पत्ति के साधन दो प्रकार के होते हैं–स्थिर एवं परिवर्तनशील। जब परिवर्तनशील साधनों में बदलाव किया जाता है तो स्थिर एवं परिवर्तनशील साधनों का अनुपात बदल जाता है। इस बदले अनुपात का उत्पादन के परिवर्तन के साथ क्या सम्बन्ध रहता है इसी को यह नियम स्पष्ट करता है। दीर्घकाल में सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं और उनके अनुपात अपरिवर्तित रहते हैं। अत: वहाँ प्रतिफल का नियम लागू होता है।

प्रश्न 14.
परिवर्तनशील अनुपातों के नियम में तकनीक को स्थिर क्यों माना गया है?
उत्तर:
तकनीकी सुधार के माध्यम से इस नियम की क्रियाशीलता को टाला जा सकता हैं। यह नियम तभी लागू होता है जबकि तकनीक में कोई सुधार न हो। कृषि क्षेत्र हो अथवा अन्य कोई क्षेत्र तकनीकी सुधार द्वारा इस नियम की क्रियाशीलता को रोका जा सकता है। इसी कारण नियम की क्रियाशीलता के लिए तकनीक को स्थिर माना गया है।

प्रश्न 15.
कुल उत्पादन की गणना किस प्रकार की जा सकती है?
उत्तर:
किसी एक समयावधि में उत्पादन के सभी साधनों का प्रयोग करके कुल जितना उत्पादन किया जाता है उसे कुल उत्पादन कहते हैं। इसकी गणना दो प्रकार से कर सकते हैं –

  1. एक साधन की विभिन्न इकाइयों से प्राप्त सीमान्त उत्पादों को जोड़कर तथा
  2. औसत उत्पाद को साधने की इकाइयों से गुणा करके।

प्रश्न 16.
श्रम प्रधान एवं पूँजी प्रधान से क्या आशय है?
उत्तर:
जब उत्पादन कार्य में पूँजी की तुलना में श्रम को ज्यादा प्रयोग किया जाता है तो इसे श्रम प्रधान तकनीक कहते हैं। इसके विपरीत जब उत्पादन कार्य में श्रम की तुलना में पूँजी का ज्यादा प्रयोग किया जाता है तो उसे पूँजी प्रधान कहते हैं। लघु उद्योग प्रायः श्रम प्रधान होते हैं जबकि बड़े उद्योग पूँजी प्रधान होते हैं।

प्रश्न 17.
उत्पत्ति के साधन पूँजी पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
पूँजी उत्पादन का तीसरा महत्वपूर्ण साधन है लेकिन यह भी भूमि की तरह उत्पादन का एक निष्क्रिय साधन है। पूँजी से अर्थशास्त्र में आशय व्यक्ति तथा समाज के धन के (भूमि को छोड़कर) उस भाग से लगाया जाता है जिसका प्रयोग और अधिक धन कमाने के लिए किया जाता है। उत्पादन के सभी साधनों में पूँजी सबसे ज्यादा गतिशील साधन है। व्यापार में प्रयुक्त मशीनें, यन्त्र आदि पूँजी के ही रूप हैं।

प्रश्न 18.
किसी साधन के सीमान्त उत्पाद में परिवर्तन होने पर कुल उत्पाद पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
कुल उत्पाद सीमान्त उत्पाद का जोड़ होता है। उत्पादन की प्रारम्भिक अवस्था में जब सीमान्त उत्पादन बढ़ता है तो कुल उत्पादन में वृद्धि होती है। जब सीमान्त उत्पाद में गिरावट प्रारम्भ होती है जो कुल उत्पाद में धीमी गति से वृद्धि होती है। यह उत्पादन की दूसरी अवस्था होती है। जब सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक होता है तो कुल उत्पादन घटने लगता है। यह उत्पादन की तीसरी अवस्था होती है।

प्रश्न 19.
क्या कुल उत्पाद (TP) तथा औसत उत्पाद (AP) शून्य हो सकता है?
उत्तर:
कुल उत्पाद तथा औसत उत्पाद उद्योग में उत्पादन होने की अवस्था में शून्य नहीं होते हैं। यदि उद्योग में उत्पादन कार्य बन्द हो जाता है तो ऐसी स्थिति आ सकती है लेकिन चालू स्थिति में ऐसा होना सम्भव नहीं है।

प्रश्न 20.
पैमाने के प्रतिफल (Return to scale) के नियम से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
पैमाने के प्रतिफल का सम्बन्ध दीर्घकाल से है। दीर्घकाल में उत्पत्ति के सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं। अतः सभी साधनों की मात्रा में परिवर्तन एक अनुपात में होता है। उसके फलस्वरूप उत्पादन में जो परिवर्तन होता है। उसे ही पैमाने के प्रतिफल कहते हैं। इससे सम्बन्धित नियम को पैमाने के प्रतिफल के नियम कहते हैं।

प्रश्न 21.
परिवर्तनशील साधन में वृद्धि करने पर प्रारम्भिक अवस्था में उत्पादन में वृद्धि बढ़ती दर से क्यों होती है?
उत्तर:
परिवर्तनशील साधन के बढ़ते प्रतिफल के निम्न कारण हैं –

  1. साधनों का सम्बन्ध अच्छा हो जाता है।
  2. स्थिर साधन का अच्छा प्रयोग होने लगता है।
  3. उत्पादन कार्य में कुशलता बढ़ जाती है।

प्रश्न 22.
उत्पत्ति के साधन ‘साहस या उद्यमशीलता’ को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
साहस या उद्यमशीलता उत्पादन का पाँचवाँ साधन है। यह भी एक महत्वपूर्ण साधन है। प्रत्येक उत्पादन कार्य में जोखिम विद्यमान रहती है, उस जोखिम को वहन करना ही उद्यमशीलता है। आजकल पूँजीवादी अर्थव्यवस्थाओं में जोखिम की मात्रा बढ़ गई है। जो व्यक्ति व्यवसाय में निहित जोखिम को वहन करता है उसे साहसी कहते हैं। यह साहसी ही व्यवसाय का स्वामी होता है तथा व्यवसाय में होने वाले लाभ-हानि के लिए जिम्मेदार होता है।

प्रश्न 23.
उत्पादन की दो परिभाषाएँ दीजिए।
उत्तर:

  1. डॉ. फेयरचाइल्ड के शब्दों में, “धन में उपयोगिता का सृजन करना ही उत्पादन कहलाता है।”
  2. एली के अनुसार, “आर्थिक तुष्टिगुण का सृजन ही उत्पादन है।”

RBSE Class 12 Economics Chapter 7 लघु उत्तरात्मक प्रश्न (SA-II)

प्रश्न 1.
उत्पादन के साधन पूँजी तथा प्रबन्धन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
पूँजी (Capital) – पूँजी से आशय धन के उस भाग से लगाया जाता है जो और धन कमाने के लिए प्रयुक्त होता है। यन्त्र, मशीनें, भवन, फर्नीचर आदि पूँजी के ही स्वरूप हैं। पूँजी उत्पादन का तीसरा महत्वपूर्ण लेकिन एक निष्क्रिय साधन है।

प्रबन्धन (Management) – प्रबन्धन उत्पादन का चौथा साधन है। उत्पादन का संगठन करना इसी साधन का कार्य है। आजकल बड़े पैमाने पर उत्पादन होने के कारण इसका महत्व और बढ़ गया है। आजकल बड़े पैमाने पर उत्पादन का संगठन विशेष दक्षता प्राप्त व्यक्तियों द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 2.
उत्पादन कार्य में उत्पत्ति के विभिन्न साधनों का महत्व बताइए।
उत्तर:
उत्पत्ति में विभिन्न साधनों यथा भमि, श्रम, पूँजी, प्रबन्ध एवं साहस के सामूहिक प्रयत्नों से ही उत्पादन कार्य सुचारू रूप से सम्पन्न हो पाता है। सभी साधन उत्पादन कार्य में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं, किसी को कम या अधिकतम महत्वपूर्ण कहना उचित नहीं है। जब ये साधनं मिलकर सहयोग प्रदान करते हैं तभी उत्पादन कार्य सुचारू रूप से चल पाता है। उत्पादन की मात्रा इन साधनों की गुणवत्ता तथा मात्रा पर निर्भर करती है। यदि इन साधनों में उचित तालमेल नहीं होगा तो उत्पादन ठीक प्रकार से प्रकार सम्पादित नहीं हो सकता है।

प्रश्न 3.
उत्पादन का अर्थ विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
उत्पादन का आशय किसी वस्तु की उपयोगिता में वृद्धि करने से या उपयोगिता का निर्माण करने से लगाया जाता है। उत्पादन द्वारा वस्तु अथवा सेवा की मानवीय आवश्यकता को सन्तुष्ट करने की क्षमता में वृद्धि की जाती है। जैसे – बढ़ई द्वारा जब लकड़ी से फर्नीचर बनाया जाता है तो फर्नीचर के रूप में लकड़ी की उपयोगिता बढ़ जाती है, इसी प्रकार जब कोई कुम्हार मिट्टी से मिट्टी के बर्तन बनाता है तो मिट्टी की उपयोगिता में वृद्धि हो जाती है। यह उत्पादन के ही रूप हैं। यहाँ यह स्पष्ट करना अनावश्यक न होगा कि उत्पादन केवल निर्माण से भी सम्बन्धित नहीं है, सेवा कार्य द्वारा उपयोगिता का सृजन भी उत्पादन ही कहलाता है। इस दृष्टि से चिकित्सक, वकील, शिक्षक आदि की सेवाएँ भी उत्पादन की श्रेणी में आती है।

प्रश्न 4.
उत्पादन के विभिन्न स्वरूपों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
उत्पादने निम्न स्वरूपों द्वारा हो सकता है –

  1. वस्तु के रूप परिवर्तन द्वारा।
  2. वस्तु के स्थान परिवर्तन द्वारा
  3. समय परिवर्तन द्वारा
  4. ज्ञान वृद्धि द्वारा
  5. सेवाओं द्वारा
  6. उत्पादन प्रक्रिया के हस्तान्तरण द्वारा

प्रश्न 5.
परिवर्तनशील अनुपातों के नियम तथा पैमाने के प्रतिफल नियम में क्या अन्तर हैं?
उत्तर:
परिवर्तनशील अनुपातों के नियम तथा पैमाने के प्रतिफल नियम में निम्न अन्तर है –

परिवर्तनशील अनुपातों का नियम

  1. इसमें एक साधन परिवर्तनशील होता है अन्य साधन स्थिर रहते हैं।
  2. यह अल्पकाल से सम्बन्धित है।
  3. इसमें साधनों का अनुपात बदलता रहता है।

पैमाने के प्रतिफल नियम

  1. इसमें उत्पत्ति के सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं।
  2. यह दीर्घकाल से सम्बन्धित है।
  3. इसमें साधनों का अनुपात स्थिर रहता है।

प्रश्न 6.
साधन के बढ़ते प्रतिफल के प्रमुख कारण बताइए।
उत्तर:
साधन के बढ़ते प्रतिफल के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –
(i) साधनों का उचित समन्वय परिवर्तनशील साधन में वृद्धि करने से साधनों का समन्वय अच्छा हो जाता है जिससे उत्पादन में बढ़ती-घटती दर से वृद्धि होती है।

(ii) कार्यकुशलता में वृद्धि–परिवर्तनशील साधन में वृद्धि करने से अन्य साधनों की कार्यकुशलता बढ़ जाती है जिसके कारण उत्पादन में तेज गति से वृद्धि होती है।

(iii) स्थिर साधन को अच्छा प्रयोग–परिवर्तनशील साधन की कम इकाइयों की अवस्था में स्थिर साधन को पूरा-पूरा प्रयोग नहीं हो पाता है, लेकिन जब परिवर्तनशील साधन की मात्रा बढ़ाई जाती है तो स्थिर साधन का अच्छा प्रयोग होने लगता है। इस कारण उत्पादन में तीव्र गति से वृद्धि होती है।

RBSE Class 12 Economics Chapter 7 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उत्पादन को परिभाषित कीजिए। उत्पादन के कौन-कौन से साधन हैं?
उत्पादन से आपका क्या आशय है? उत्पादन के विभिन्न साधनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उत्पादन का अर्थ – आम बोलचाल की भाषा में उत्पादन का अर्थ किसी वस्तु के निर्माण से लगाया जाता है लेकिन अर्थशास्त्र में उत्पादन का आशय भिन्न है। अर्थशास्त्र में उत्पादन का आशय उपयोगिता के सृजन करने से लगाया जाता है।
उपयोगिता के सृजन द्वारा वस्तु अथवा सेवा की मानवीय आवश्यकता को पूरा करने की क्षमता में वृद्धि हो जाती है। उत्पादन की प्रमुख परिभाषाएँ निम्न हैं –
(i) फ्रेजर (Frazer) के अनुसार, “उत्पादन का अर्थ किसी वस्तु में उपयोगिता का सृजन करना है।”

(ii) फेयर चाइल्ड (Fair child) के शब्दों में, “धन में उपयोगिता का सृजन करना ही उत्पादन कहलाता है।”

(iii) प्रो. थॉमस (Prof. Thomas) के अनुसार, “केवल ऐसी उपयोगिता वृद्धि को उत्पादन कहा जा सकता है जिसके फलस्वरूप वस्तु में मूल्य वृद्धि या विनिमय सहायता की वृद्धि हो जाये अर्थात् उस वस्तु के बदले में पहले से अधिक वस्तुएँ उपलब्ध हो सकती हों।”

(iv) जे. आर. हिक्स (J. R. Hicks) के अनुसार, “उत्पादन एक ऐसी शारीरिक अथवा मानसिक क्रिया है जिसका उद्देश्य विनिमय के माध्यम से अन्य व्यक्तियों की आवश्यकताओं की संतुष्टि करना होता है।”

उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि आधुनिक अर्थशास्त्री वस्तु की उपयोगिता के सृजन को ही उत्पादन नहीं मानते हैं, उनले अनुसार उपयोगिता में वृद्धि के साथ-साथ विनिमय मूल्य में भी वृद्धि होनी चाहिए।

उत्पादन के साधन (Factors of Production)
इसके उत्तर के लिए पाठ्य-पुस्तक के निबन्धात्मक प्रश्न संख्या 2 के उत्तर को देखिए।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
(i) भूमि तथा पूँजी में अन्तर
(ii) भूमि तथा श्रम में अन्तर
उत्तर:
(अ) भूमि तथा पूँजी में अन्तर
RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 7 उत्पादन की अवधारणा
(ब) भूमि व श्रम में अन्तर
RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 7 उत्पादन की अवधारणा

RBSE Class 12 Economics Chapter 7 आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित तालिका में कुल उत्पादन (TP) दिया हुआ है। औसत उत्पादन (AP) तथा सीमान्त उत्पादन (MP) ज्ञात कीजिए।
RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 7 उत्पादन की अवधारणा
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 7 उत्पादन की अवधारणा

प्रश्न 2.
निम्नलिखित तालिका में औसत उत्पादन (AP) दिया हुआ है। कुल उत्पादन (TP) तथा सीमान्त उत्पादन (MP) की गणना कीजिए।
RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 7 उत्पादन की अवधारणा
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 7 उत्पादन की अवधारणा

प्रश्न 3.
नीचे दी गई सूचना से कुल उत्पादन तथा औसत उत्पादन की गणना कीजिए।
RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 7 उत्पादन की अवधारणा
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 7 उत्पादन की अवधारणा

RBSE Solutions for Class 12 Economics

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