Rajasthan Board RBSE Class 12 Economics Chapter 8 लागत की अवधारणा
RBSE Class 12 Economics Chapter 8 अभ्यासार्थ प्रश्न
RBSE Class 12 Economics Chapter 8 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
कौन-सी लागते समाज को उत्पादन के दौरान परोक्ष रूप से वहन करनी पड़ती है?
(अ) मौद्रिक लागते
(ब) औसत लागते
(स) परिवर्तनशील लागते
(द) वास्तविक लागते
प्रश्न 2.
कौन-सा वक्र ‘ए’ आकृति का नहीं होता है?
(अ) AC
(ब) AFC
(स) MC
(द) AVC
प्रश्न 3.
वे लगतें जो लेखे या हिसाब – किताब में शामिल नहीं की जाती है –
(अ) मौद्रिक लागते
(ब) वास्तविक लागते.
(स) स्पष्ट लागते
(द) अस्पष्ट लागते
प्रश्न 4.
कौन-सा वक्र लिफाफा वक्र भी कहलाता है?
(अ) SMC
(ब) LAC
(स) SAC
(द) LMC
प्रश्न 5.
यदि कुल लागत ३ 200 है और वस्तु की उत्पादन मात्रा 20 इकाई है तो औसत लागत होगी –
(अ) 10
(ब) 20
(स) 30
(द) 40
उत्तरमाला:
- (द)
- (ब)
- (द)
- (ब)
- (अ)
RBSE Class 12 Economics Chapter 8 अतिलघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र में परिवर्तनशील लागतों का सम्बन्ध किससे है?
उत्तर:
अर्थशास्त्र में परिवर्तनशील लागतों का सम्बन्ध परिवर्तनशील साधनों से है। यह उत्पादन की मात्रा के हिसाब से घटती-बढ़ती है।
प्रश्न 2.
स्पष्ट लागत क्या है?
उत्तर:
स्पष्ट लागत से आशय ऐसी लागतों से लगाया जाता है जिन्हें फर्म की हिसाब-किताब की पुस्तकों में शामिल किया जाता है। जैसे-कच्चे माल पर व्यय, श्रमिक की मजदूरी पर व्यय, ब्याज का भुगतान आदि।
प्रश्न 3.
लागत किसे कहते हैं?
उत्तर:
फर्म द्वारा अपनी वस्तु का उत्पादन करने में जिन आगतों का प्रयोग किया जाता है, उन पर होने वाले व्यय को ही लागत कहते हैं।
प्रश्न 4.
सीमान्त लागत का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
सीमान्त लागत का सूत्र निम्न है –
प्रश्न 5.
कौन-से वक्र की आकृति अति पर वलयकार होती है?
उत्तर:
औसत स्थिर लागत वक्र की आकृति अतिपरवलयकार होती है, क्योकि उत्पादन का पैमाना बढ़ने के साथ-साथ औसत स्थिर लागत घटती जाती है।
RBSE Class 12 Economics Chapter 8 लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
परिवर्तनशील लागत तथा स्थिर लागत के कोई दो-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
स्थिर लागत के उदाहरण
- भवन का किराया
- मशीनरी का ह्रास
परिवर्तनशील लागत के उदाहरण
- कच्चे माल का मूल्य
- श्रमिक की मजदूरी
प्रश्न 2.
स्पष्ट और स्पष्ट लागतों में भेद कीजिए।
उत्तर:
स्पष्ट लागत-स्पष्ट लागते व्रह होती है जो उत्पादक द्वारा विभिन्न साधनों को खरीदने पर कंरनी होती है। जैसे – कच्चे माल की कीमत, श्रमिक की मजदूरी, पूँजी का ब्याज, कारखाने का किराया व प्रबंधकों का वेतन आदि है।
अस्पष्ट लागतें – अस्पष्ट लागते वह होती है जो उत्पादन द्वारा साधन बाहर से न जुटाकर स्वयं अपने श्रोतों से व्यवस्था की जाती है जैसे-साहस स्वयं प्रबंधक के रूप में कार्य करता है लेकिन कोई वेतन नहीं लेता। इसी प्रकार साहसी स्वयं पूँजी लगाता हैं लेकिन उस पर ब्याज नहीं लेता। अत: स्वयं के साधनों की कीमतें अस्पष्ट लागतें कहलाती हैं।
प्रश्न 3.
औसत लागत और सीमान्त लागत में सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
औसत लागत तथा सीमान्त लागत के बीच के सम्बन्ध को निम्न प्रकार स्पष्ट कर सकते हैं-
- जब औसत लागत घटती है तो सीमान्त लागत उससे कम होती है। MC < AC
- जबं औसत लागत बढ़ती है तो सीमान्त लागत भी बढ़ती है लेकिन वह अधिक होती है। अर्थात् उससे तेजी से बढ़ती है। और अधिक होती है। MC> AC
- जब औसत लागत न्यूनतम होती है तो सीमान्त लागत वक्र उसे काटकर ऊपर निकल जाती है। MC = AC
प्रश्न 4.
अवसर लागत किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी भी साधन को उसके वर्तमान प्रयोग में लगाये रखने के लिए उतनी न्यूनतम राशि प्रतिफल स्वरूप अवश्य चुकानी होती है। जितनी वह अन्य सर्वश्रेष्ठ वैकल्पिक उपयोग से अर्जित कर सकता है। यही उस साधन की अवसर लागत होती है।
प्रश्न 5.
दीर्घकालीन औसत लागत वक्र (LAC) को समझाइये।
उत्तर:
दीर्घकाल में फर्म संयन्त्र के सम्बन्ध में स्वतन्त्र होती है। तथा वह वस्तु की एक दी हुई मात्रा का उत्पादन करने के लिए ऐसे संयन्त्र का प्रयोग करना चाहेगी जिससे प्रति इकाई लागत न्यूनतम हो। अतः दीर्घकालीन औसत लागत वक्र (LAC) उत्पत्ति की विभिन्न मात्राओं को उत्पादित करने की प्रति इकाई न्यूनतम सम्भावित लागत को बताता है। दीर्घकाल में औसत लागत वक्र अंग्रेजी के अक्षर ‘U’ के आकार का होता है क्योकि यह पैमाने के प्रतिफल द्वारा निर्धारित होता है। दीर्घकालीन औसत लागत वक्र को आवरण या लिफाफा भी कहा जाता है क्योंकि यह अनेक अल्पकालीन औसत लागत वक्रों को घेरती है।
सूत्र LAC = TC/Q
RBSE Class 12 Economics Chapter 8 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
लागत की अवधारणाओं को विस्तारपूर्वक समझाइए।
उत्तर:
सामान्यतः उत्पादन लागत तीन प्रकार की होती है – मौद्रिक लागत, वास्तविक लागत तथा अवसर लागत।
लेखे के आधार पर लागतों को दो भागों में बाँटा जाता है – व्यक्त या स्पष्ट लागते तथा अव्यक्त या अस्पष्ट लागते।
समय के आधार पर इन्हें दो भागों में बाँटा जाता है – अल्पकालीन लागते तथा दीर्घकालीन लागते।
इन सभी प्रकार की लागतों का वर्णन निम्न हैं –
(i) मौद्रिक लागत (Monetary Cost) – मौद्रिक लागत को वित्तीय लागत भी कहते हैं। मौद्रिक लागत से आशय मुद्रा के रूप में किए गए उन सभी भुगतानों के योग से लगाया जाता है जो उत्पादन कार्य के लिए उत्पत्ति के साधनों व अन्य को उनके योगदान के लिए दिए जाते हैं। उदाहरण के लिए–नये माल का भुगतान, श्रमिकों की मजदूरी, मशीन खरीदने पर व्यय आदि। इसमें साहसी द्वारा अपने साधनों से उपलब्ध नि:शुल्क सामान व सेवाओं का मूल्य शामिल नहीं किया जाता है।
(ii) वास्तविक लागत (Real Cost) – वास्तविक लागत से आशय उन सभी त्याग, कष्ट एवं प्रयासों से है जो किसी वस्तु के उत्पादन में उठाने पड़ते हैं। उदाहरण के लिए उत्पादन की अवस्था में शोरगुल, प्रदूषण तथा धुएँ आदि के कारण समाज को कष्ट उठाना पड़ता है और उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन सभी की लागत वास्तविक लागत कहलाती है। वास्तविक लागत की गणता करना कठिन कार्य होता है।
(iii) अवसर लागत (Opportunity Cost) – अवसर लागत प्रायः दुर्लभ संसाधनों से सम्बन्धित है। जब उत्पादन के साधन के वैकल्पिक प्रयोग हो सकते हों तो उस साधन को वर्तमान प्रयोग में लगाये रखने के लिए उतनी न्यूनतम राशि प्रतिफल के रूप में आवश्यक रूप से चुकानी होती है जितनी वह अन्य सर्वश्रेष्ठ विकल्प से अर्जित कर सकता है। इसे ही उस साधन की अवसर लागत कहते हैं। अवसर लागत को वैकल्पिक लागत कहा जाता है। उदाहरण के लिए–यदि किसी उद्योग में एक मजदूर को ₹300 मजदूरी मिलती है और यदि वह किसी अन्य उद्योग में काम करता तो भी ₹300 ही मजदूरी मिलती तो इस मजदूर की अवसर लागत ₹300 होगी।
(iv) व्यक्त या स्पष्ट लागते (Explicit Cost) – वे लागतें जो किसी फर्म की पुस्तकों में शामिल की जाती हैं अर्थात् हिसाब किताब में लिखी जाती हैं उन्हें स्पष्ट लागते कहते हैं; जैसे-कच्चे माल की कीमत, श्रमिक की मजदूरी आदि।
(v) अव्यक्त या अस्पष्ट लगातें (Implicit Cost) – जो लागते हिसाब-किताब में शामिल नहीं की जाती है उन्हें, अस्पष्ट लागतें कहते हैं।
जैसे – उद्यमी की सेवाओं का मूल्य, स्वयं की गाड़ी, पूँजी, फर्नीचर आदि का मूल्य।
(vi) अल्पकालीन लागते (Short Period Cost) – अल्पकाल वह समयावधि होती है जिसमें उत्पत्ति के सभी साधनों को परिवर्तित करना सम्भव नहीं होता है। अल्पकाल में, इसका कारण, दो प्रकार की लागतें होती हैं –
(i) स्थिर लागते (Fixed Cost)
(ii) परिवर्तनशील लागते (Variable Cost)।
(a) स्थिर लागतेजो खर्च स्थिर साधन या साधनों पर किया जाता है उसे स्थिर लागत कहते हैं। उत्पत्ति के प्रत्येक स्तर पर ये लागतें समान रहती है, बदलती नहीं है। जैसे – भवन का किराया, प्रबंधक का वेतन आदि।
(b) परिवतर्नशील लागते – जो खर्च परिवर्तनशील साधनों पर किया जाता है उसे परिवर्तनशील लागत कहते हैं। यह लागत उत्पादन के स्तर में परिवर्तन के साथ-साथ बदलती जाती है। जैसे—कच्चे माल, बिजली, पानी आदि पर किया जाने वाला व्यय।
(vii) दीर्घकालीन लागते (Long Period Cost) – दीर्घकाल में सभी साधने परिवर्तनशील होते हैं, कोई साधन स्थिर नहीं होता है। अत: दीर्घकाल में केवल परिवर्तनशील लागत ही होती है। दीर्घकाल में निम्नलिखित दो प्रकार की लागतें होती है। (i) दीर्घकालीन औसत लागत, (ii) दीर्घकालीन सीमान्त लागत
(a) दीर्घकालीन औसत लागत (LAC) – दीर्घकालीन औसत लागत निकालने के लिए कुल लागत में कुल उत्पादन की मात्रा का भाग दिया जाता है। इस प्रकार एक इकाई उत्पादन की औसत लागत ज्ञात हो जाती है।
LAC = \(\frac { Totalcost }{ Totaloutput } \)
(b) दीर्घकालीन सीमान्त लागत (LMC) – दीर्घकालीन सीमान्त लागत ज्ञात करने के लिये प्रति इकाई कुल लागत में परिवर्तन का कुल आगत में परिवर्तन में भाग देकर प्राप्त किया जाता है।
LMC = ∆TC/∆Q।
यहाँ ∆TC = कुल लागत में अन्तर
∆Q = उत्पादन मात्रा में अन्तर
प्रश्न 2.
निम्न तालिका से लागत की अवधारणाओं को सूत्र की सहायता से ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
RBSE Class 12 Economics Chapter 8 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
RBSE Class 12 Economics Chapter 8 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
औसत स्थिर लागत –
(अ) उत्पादन वृद्धि के साथ बढ़ती है।
(ब) उत्पादन वृद्धि के साथ घटती है।
(स) उत्पादन वृद्धि पर भी समान रहती है।
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
प्रश्न 2.
कच्चे माल पर होने वाला व्यय –
(अ) स्थिर लागत का अंग है।
(ब) परिवर्तनशील लागत का अंग है।
(स) अवसर लागत है।
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
प्रश्न 3.
अल्पकाल में (अ) केवल स्थिर लागतें होती हैं।
(ब) केवल परिवर्तनशील लागतें होती हैं।
(स) स्थिर एवं परिवर्तनशील दोनों लागतें होती हैं
(द) दोनों लागतें नहीं होती हैं।
प्रश्न 4.
दीर्घकाल में –
(अ) केवल स्थिर लागतें होती हैं।
(ब) केवल परिवर्तनशील लागतें होती हैं।
(स) स्थिर एवं परिवर्तनशील दोनों लागतें होती हैं।
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
प्रश्न 5.
मौद्रिक लागत में शामिल होता है –
(अ) व्यक्त लागते
(ब) अव्यक्त लागते
(स) सामान्य लाभ
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तरमाला:
- (ब)
- (ब)
- (स)
- (ब)
- (द)
RBSE Class 12 Economics Chapter 8 अतिलघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मौद्रिक लागत किसे कहते है?
उत्तर:
उत्पाद को तैयार करने में जो कुछ भी नकद रूप में खर्च होता है उसे मौद्रिक लागत कहते हैं।
प्रश्न 2.
अस्पष्ट लागत से क्या आशय है?
उत्तर:
अस्पष्ट लागते वह होती हैं। जो उद्यमी द्वारा दी गई सेवाओं व वस्तुओं के कारण होती है जिनका वह कोई मूल्य नहीं लेता है।
प्रश्न 3.
औसत लागत किसे कहते है?
उत्तर:
प्रति इकाई लागत को औसत लागत कहते हैं। यह कुछ लागत में कुल उत्पादन की मात्रा से भाग देकर निकाली जाती है।
प्रश्न 4.
औसत लागत निकालने का सूत्र बताइए।
उत्तर:
औसत लागत निकालने का सूत्र निम्न हैं –
प्रश्न 5.
सीमान्त लागत से क्या आशय है?
उत्तर:
फर्म द्वारा उत्पादन में एक इकाई की वृद्धि करने से कुल लागत में जो वृद्धि होती है उसे सीमान्त लागत कहते हैं।
प्रश्न 6.
कुल लागत ज्ञात करने का सूत्र बताइए।
उत्तर:
कुल लागत ज्ञात करने का सूत्र निम्न है –
कुल लागत = कुल स्थिर लागत + कुल परिवर्तनशील लागत
TC = TFC + TVC
प्रश्न 7.
सामाजिक लागत से क्या आशय है?
उत्तर:
सामाजिक लागत से आशय समाज के द्वारा उत्पादन के दौरान वहन किये जाने वाले त्यागों व कष्टों से होता है। जैसे प्रदूषण, शोरगुल, धूल, धुएँ आदि के कारण स्वास्थ्य को हानि।
प्रश्न 8.
अवसर लागत से क्या आशय है?
उत्तर:
किसी भी उत्पादन के साधन को एक उपयोग में बनाये रखने लिए के उतनी न्यूनतम राशि अवश्य चुकानी होती है जितनी वह अन्य श्रेष्ठ वैकल्पिक उपयोग में प्राप्त कर सकता है, इसी को अवसर लागत कहते हैं।
प्रश्न 9.
स्थिर लागत क्या होती है?
उत्तर:
अल्पकाल में स्थिर साधनों पर किया जाने वाला व्यय ही स्थिर लागत कहलाता है।
प्रश्न 10.
औसत स्थिर लागत क्या होती है?
उत्तर:
औसत स्थिर लागत का आशय प्रति इकाई स्थिर लागत से है। औसत स्थिर लागत की गणना कुल स्थिर लागत में उत्पादन की मात्रा से भाग देकर की जाती है।
प्रश्न 11.
औसत परिवर्तनशील लागत क्या है?
उत्तर:
औसत परिवर्तनशील लागत प्रति इकाई परिवर्तनशील लागत को कहते हैं। कुल परिवर्तनशील लागत में उत्पादन की मात्रा से भाग देकर औसत परिवर्तनशील लागत ज्ञात की जाती है।
प्रश्न 12.
उत्पादन को पैमाना बदलने पर औसत स्थिर लागत में क्या बदलाव आता है?
उत्तर:
जैसे-जैसे उत्पादन की मात्रा बढ़ती जाती है वैसे ही वैसे औसत स्थिर लागत घटती जाती है।
प्रश्न 13.
क्या दीर्घकाल में स्थिर लागतें होती है?
उत्तर:
दीर्घकाल में स्थिर लागतें नहीं होती है, क्योंकि दीर्घकाल में कोई साधन स्थिर नहीं रहता है।
प्रश्न 14.
औसत लागत (AC) से क्या आशय है?
उत्तर:
औसत लागत प्रति इकाई लागत को कहते हैं। कुल लागत में कुल उत्पादित इकाइयों से भाग देने पर औसत लागत ज्ञात हो जाती है।
प्रश्न 15.
औसत स्थिर लागत को रेखाचित्र द्वारा दर्शाइए।
उत्तर:
प्रश्न 16.
औसत स्थिर लागत की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
- औसत स्थिर लागत कभी भी शून्य नहीं होती है।
- औसत स्थिर लागत उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ घटती जाती है।
प्रश्न 17.
स्थिर लागत को रेखाचित्र द्वारा दर्शाइये।
उत्तर:
प्रश्न 18.
कुल लागत न्यूनतम किसके बराबर होती है?
उत्तर:
कुल लागत न्यूनतम स्थिर लागत के बराबर होती है क्योंकि उत्पादन शून्य होने पर भी स्थिर लागत तो रहती ही है।
प्रश्न 19.
परिवर्तनशील लागत न्यूनतम कितनी हो सकती है?
उत्तर:
परिवर्तनशील लागत न्यूनतम शून्य हो सकती है, क्योंकि उत्पादन शून्य होने पर कोई परिवर्तनशील लागत नहीं होती है।
प्रश्न 20.
लिफाफा वक्र किस लागत वक्र को कहते हैं?
उत्तर:
दीर्घकालीन औसत लागत वक्र (LAC) अनेक छोटे-छोटे अल्पकालीन औसत वक्रों (SAC) से बना एक U आकृति का वक्र होता है। इसे लिफाफा वक्र भी कहते हैं।
RBSE Class 12 Economics Chapter 8 लघु उत्तरात्मक प्रश्न (SA-II)
प्रश्न 1.
उत्पादन लागत से क्या आशय है?
उत्तर:
उत्पादन कार्य करने के लिए उत्पत्ति के विभिन्न साधनों का सहयोग लेना होता है। इन साधनों को उत्पादक जब प्रयोग करता है तो उन्हें पारितोषिक के रूप में उनके मूल्य का भुगतान करना पड़ता है। इस प्रकार किया जाने वाला भुगतान ही उत्पादन लागत कहलाता है।
प्रश्न 2.
मौद्रिक लागत क्या होती है?
उत्तर:
मौद्रिक लागत को वित्तीय लागत भी कहते हैं। मौद्रिक लागत में वे सभी भुगतान शामिल किए जाते हैं जिसे या जिन्हें एक उत्पादक उत्पादन कार्य में प्रयुक्त साधनों को करता है। जैसे–श्रमिक को मजदूरी, कच्चे माल का मूल्य, पूँजी का ब्याज, संगठनकर्ता का वेतन आदि।
प्रश्न 3.
मौद्रिक लागत में शामिल होने वाली 10 मदें बताइए।
उत्तर:
- कच्चे माल पर व्यय
- प्रभावी मजदूरी
- पूँजी पर भुगतान किया गया ब्याज
- भूमि का किराया
- प्रबंध पर व्यय
- ईंधन व्यय
- घिसावट व्यय
- यातायात पर खर्चे
- ईंधन पर व्यय
- फर्नीचर पर व्यय।
प्रश्न 4.
सामाजिक लागते या वास्तविक लागतें क्या होती हैं?
उत्तर:
सामाजिक या वास्तविक लागतों से आशय उन सभी त्याग और कष्टों से लगाया जाता हैं जिन्हें समाज द्वारा उत्पादन कार्य के दौरान सहना पड़ता है। जैसे – शोरगुल, प्रदूषण, धुआँ आदि से होने वाला कष्ट। इसी प्रकार विकास कार्यों के कारण जनता को असुविधा का सामना करना पड़ता है, ये भी सामाजिक लागत को अंग होती हैं।
प्रश्न 5.
स्थिर लागत क्या होती है? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
अल्पकाल में कुछ साधन स्थिर रहते है। जैसे – भूमि, भवन, मशीन आदि। इन स्थिर साधनों पर होने वाले खर्च को ही स्थिर लागत कहते हैं। इस लागत पर उत्पादन के स्तर का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है अर्थात् उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर यह समान रहता है।
प्रश्न 6.
परिवर्तनशील लागत क्या होती है? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
जो व्यय परिवर्तनशील साधन पर किया जाता है उसे ही परिवर्तनशील लागत कहते हैं। ये लागत उत्पादन के स्तर से प्रभावित होती है अर्थात् उत्पादन की मात्रा कम होने पर कम तथा ज्यादा होने पर ज्यादा। कच्चे माल की लागत, बिजली की लागत, श्रमिक की मजदूरी आदि परिवर्तनशील लागत के उदाहरण हैं।
प्रश्न 7.
औसत कुल लागत (AC) से क्या आशय है? इसकी गणना का सूत्र बताइए।
उत्तर:
औसत कुल लागत को प्रति इकाई लागत भी कहते हैं। यह औसत स्थिर लागत तथा औसत परिवर्तनशील लागत के जोड़ के बराबर होती हैं। इसकी गणना दो प्रकार से की जाती है –
प्रश्न 8.
अल्पकालीन औसत लागत वक्र ‘U’ आकार का क्यों होता है? चित्र बनाकर समझाइए।
उत्तर:
अल्पकालीन औसत लागत वक्र ‘U’ आकार का इसलिए होता है क्योंकि उत्पादन के क्षेत्र में उत्पत्ति के तीन नियम लागू होते हैं-उत्पत्ति वृद्धि नियम, उत्पत्ति समता नियम तथा उत्पत्ति ह्रास नियम। इन तीनों स्थितियों को U आकार का वक्र ही प्रदर्शित कर सकता है। यद्यपि यह पूरी तरह U के आकार का नहीं होता है, बल्कि U के आकार पर लगता है। नीचे इसे चित्र में दर्शाया गया है –
प्रश्न 9.
सीमान्त लागत से क्या आशय है? सीमान्त लागत ज्ञात करने का सूत्र बताइए।
उत्तर:
उत्पादन की मात्रा में एक इकाई की वृद्धि करने से कुल लागत में जो वृद्धि होती है उसे सीमान्त लागत कहते हैं। उदाहरण के लिए यदि 10 इकाई का उत्पादन करने पर कुल लागत ₹500 आती है। और 11 इकाई का उत्पादन करने पर कुल लागत बढ़कर 540 हो जाती है। तो उत्पादन की इस अन्तिम 11वीं इकाई की लागत 540 – 500 = ₹40 हुई। यही सीमान्त लागत है।
सूत्र
MCn = TCn – TC (n – 1 )
यहाँ MCn = n वीं इकाई की सीमान्त लागत
TCn = n इकाइयों की कुल लागत
TC(n – 1) = n – 1 इकाइयों की कुल लागत
प्रश्न 10.
कुल लागत, कुल स्थिर लागत तथा कुल परिवर्तनशील लागत को रेखाचित्र द्वारा दर्शाइए।
उत्तर:
प्रश्न 11.
दीर्घकालीन सीमान्त लागत किस प्रकार ज्ञात की जाती है?
उत्तर:
दीर्घकाल में स्थिर एवं परिवर्तनशील लागत का अन्तर नहीं होता है। सभी लागतें परिवर्तनशील होती हैं। अतः दीर्घकाल में उत्पादन की एक इकाई की वृद्धि करने से कुल लागत में जो वृद्धि होती है, उसे दीर्घकालीन सीमान्त लागत कहते हैं। दीर्घकालीन सीमान्त लागत एवं अल्पकालीन सीमान्त लागत में कोई मौलिक अन्तर नहीं है। दोनों के वक्र ‘U’ आकार के ही होते हैं।
प्रश्न 12.
दीर्घकालीन औसत लागत वक्र (LAC) को रेखाचित्र द्वारा दशाईये।
उत्तर:
दीर्घकालीन औसत लागत वक्र
चित्र में सात SAC वक्र हैं जो संयंत्र प्रयोग के विभिन्न पैमानों को बताते हैं। इन्हें स्पर्श करती हुई एक रेखा खींचने पर दीर्घकालीन औसत लागत वक्र (LAC) प्राप्त हो जाता है।
प्रश्न 13.
दीर्घकालीन औसत लागत वक्र तथा सीमान्त लागत वक्र के बीच के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
दीर्घकालीन औसत लागत वक्र (LAC) तथा दीर्घकालीन सीमान्त लागत वक्र (LMC) में अल्पकाल की तरह ही आपस में सम्बन्ध होता है। अर्थात् LMC वक्र LAC वक्र को उसके निम्नतम बिन्दु पर ही काटता है। अन्तर केवल इतना होता है। कि SMC वक्र की तुलना में LMC वक्र कम ढालू होता है क्योंकि SAC वक्रों की अपेक्षा LAC वक्रों की ‘U’ आकृति थोड़ा चपटे आकार की होती है।
प्रश्न 14.
दीर्घकालीन औसत लागत वक्र (LAC) की चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
दीर्घकालीन औसत लागत वक्र की चार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
- LAC उत्पादन की किसी भी दी हुई मात्रा पर SAC से अधिक नहीं हो सकती है।
- LAC वक्र आरम्भ में नीचे गिरता है, फिर एक बिन्दु के बाद ऊपर की ओर चढ़ता है।
- LAC वक्र कभी भी SAC वक्र को काट नहीं सकता है, ये किसी बिन्दु पर स्पर्श कर सकते है।
- LAC वक्र को निम्नतम बिन्दु न्यूनतम लागत या फर्म के अनुकूलतम आकार का प्रतीत होता है।
RBSE Class 12 Economics Chapter 8 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कुल लागत से क्या आशय है? कुल लागत की संरचना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कुल लागत का आशय (Meaning of Total cost) – एक फर्म द्वारा किसी वस्तु की एक निश्चित मात्रा का उत्पादन करने में जो कुल व्यय करना होता है उसे ही फर्म की कुल लागत कहते हैं। कुल लागत का सम्बन्ध उत्पादन की मात्रा से होता है। जैसे-जैसे उत्पादन की मात्रा को बढ़ाया जाता है, कुल लागत भी बढ़ती जाती है।
कुल लागत की संरचना (Composition of Total Cost)
कुल लागत में सामान्यतया दो प्रकार की लागतें शामिल की जाती हैं –
(i) स्थिर लागते तथा
(ii) परिक्र्तनशील लागते या प्रमुख लागतें।
(i) स्थिर लागते (Fixed Cost) – स्थिर लागतों को अप्रत्यक्ष लागतें भी कहते हैं। क्योंकि उत्पादित वस्तु की मात्रा इन लागतों पर सीधे रूप में निर्भर नहीं करती है। स्थिर लागत फर्म द्वारा स्थिर साधनों के प्रयोग के कारण आती है। इन लागतों का उत्पादन की मात्रा से कोई सम्बन्ध नहीं होता है। यदि फर्म उत्पादन बन्द कर दे तो भी इन लागतों को तो। वहन करना ही पड़ता है। उदाहरण के लिए बिल्डिग का किराया, स्थायी कर्मचारियों का वेतन, पूँजी पर ब्याज, सम्पत्ति पर ह्रास, बीमे की किश्त आदि खर्चे हैं जिन्हें फर्म को प्रत्येक परिस्थिति में करना होता है।
(ii) परिवर्तनशील लागतें (Variable Cost)-परिवर्तनशील लागते या प्रत्यक्ष लागते उत्पादन से सम्बन्धित होती है। यह उत्पादन की मात्रा के साथ-साथ बदलती रहती हैं। उत्पादन करते समय परिवर्तनशील साधनों का प्रयोग करने पर जो व्यय होता है उसे ही परिवर्तनशील लागत कहते हैं। इन लागतों का उत्पादन की मात्रा के साथ सीधा सम्बन्ध होता है। अर्थात उत्पादन बढ़ने के साथ बढ़ती है तथा उत्पादन घटने पर घटती है। जब उत्पादन शून्य होता है तो ये लागतें भी शून्य ही होती हैं। उदाहरण के लिए कच्चे माल का मूल्य, ईंधन की लागत, श्रमिकों की मजदूरी आदि परिवर्तनशील लागत के अंग हैं।
अल्पकाल में कुल स्थिर लागत (TFC) तथा कुल परिवर्तनशील लागत (TVC) का योग ही कुल लागत (TC) होती है। सूत्र रूप में – TC = TFC + TVC
रेखाचित्र के रूप में प्रस्तुतीकरण
कुल लागत, कुल स्थिर लागत तथा कुल परिवर्तनशील लागत को निम्न रेखाचित्र में दिखाया गया है –
चित्र में TFC स्थिर लागत रेखा है जो हर उत्पादन स्तर पर समान होने के कारण X अक्ष के समान्तर है। कुल लागत (TC) रेखा तथा स्थिर लागत (TFC) के बीच का अन्तर ही परिवर्तनशील लागत है। जब उत्पादन शून्य होता है। तो TFC, OF के बराबर तथा TVC शून्य होती है लेकिन जब उत्पादन बढ़कर OM हो जाता है तो TVC, MT के बराबर हो जाती है तथा TFC, ST के बराबर और कुल लागत होती है, SM के बराबर जोकि TFC (ST) तथा TVC (TM) का योग है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए।
(i) औसत स्थिर लागत (Average Fixed Cost)
(ii) औसत परिवर्तनशील लागत (Average Variable Cost)
(iii) औसत लागत (Average Cost)
उत्तर:
(i) औसत स्थिर लागत (Average Fixed Cost) – औसत स्थिर लागत का आशय प्रति इकाई स्थिर लागत से है। अल्पकाल में स्थिर लागत उत्पादन के सभी स्तरों पर समान रहती है। इस कारण जैसे-जैसे उत्पादन बढ़ता जाता है औसत स्थिर लागत घटती जाती है। औसत स्थिर लागत ज्ञात करने के लिए कुल स्थिर लागत में कुल उत्पादित इकाइयों का भाग देना होता है।
औसत स्थिर लागत ज्ञात करने का सूत्र निम्न प्रकार है –
औसत स्थिर लागत का वक्र नीचे दिया गया है –
औसत स्थिर लागत की निम्न विशेषताएँ हैं-
(a) यह बायें से दायें नीचे की ओर गिरता हुआ होता है।
(b) यह प्रारम्भिक अवस्था में तेजी से गिरता है और बाद में गिरने की गति धीमी हो जाती है।
(c) यह वक्र कभी भी X व Y अक्षों को नहीं छूता है।
(d) इसका आकार अतिपरवलय (Rectangular Hyperbole) के जैसा होता है।
(e) AFC कभी भी शून्य नहीं हो सकता है।
(ii) औसत परिवर्तनशील लागत (Average Variable Cost) – परिवर्तनशील लागत सीधे उत्पादन की मात्रा से सम्बन्धित होती है। यदि उत्पादन शून्य होता है तो यह लागत भी शून्य होती है तथा उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ बढ़ती जाती है। औसत परिवर्तनशील लागत से आशये प्रति इकाई परिवर्तनशील लागत से होती है।
औसत परिवर्तनशील लागत की गणना कुल परिवर्तनशील लागत में कुल उत्पादित इकाइयों से भाग देकर की जाती है। अत: इसकी गणना निम्न सूत्र द्वारा की जाती है –
AVC = \(\frac { TVC }{ Q } \) यहाँ Q का आशय कुल उत्पादित इकाइयों से है।
औसत परिवर्तनशील लागत का वक्र U आकार का होता है, क्योंकि उत्पादन के क्षेत्र में प्रारम्भ में उत्पत्ति वृद्धि नियम फिर उत्पत्ति समता नियम तथा अन्त में उत्पत्ति ह्रास नियम लागू होता है। इस कारण प्रारम्भ में उत्पादन बढ़ने पर औसत परिवर्तनशील लागत गिरती है और एक बिन्दु पर समान रहकर बढ़ना प्रारम्भ हो जाती है। औसत परिवर्तनशील लागत का वक्र आगे दिखाया गया है –
(iii) औसत कुल लागत या औसत लागत (Average Total Cost or Average cost) – कुलस्थिर लागत तथा कुल परिवर्तनशील लागत के योग को कुल लागत कहते हैं। कुल लागत में कुल उत्पादित इकाइयों से भाग देकर औसत कुल लागत या औसत लागत ज्ञात की जाती है। औसत कुल लागत औसत स्थिर लागत तथा औसत परिवर्तनशील लागत को जोड़कर भी ज्ञात की जा सकती है। सूत्र रूप में –
औसत लागत वक्र की भी आकृति अंग्रेजी के अक्षर ‘U’ के आकार की ही होती है जैसा कि निम्न चित्र में दिखाया गया है –
औसत लागत वक्र का यह आकार औसत स्थिर लागत वक्र तथा औसत परिवर्तनशील लागतं वक्र के व्यवहार के कारण ही होता है।
प्रश्न 3.
निम्न तालिका को पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Hint – कुल स्थिर लागत = औसत स्थिर लागत × उत्पादन मात्रा
= 24 × 5 = 120
दो इकाई उत्पादन पर परिवर्तनशील लागत = कुल लागत – कुल स्थिर लागत
= 164 – 120 = 44
प्रश्न 4.
निम्न तालिका में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 5.
निम्न आँकड़ों से सीमान्त लागत की गणना कीजिए।
उत्तर:
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