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Rajasthan Board RBSE Class 12 English Rainbow Chapter 3 Third Thoughts
RBSE Class 12 English Rainbow Chapter 3 Textual Questions
Activity 1: Comprehension
A. State whether the following statements are True or False. Write ‘T’ for true and ‘F for false:
1. The narrator had always been lucky in buying and selling pictures and decorative articles at the desired price.
2. The dealer was ready to guarantee that it was a genuine drawing by Turner.
3. The narrator sold the painting on profit.
4. The storyteller never thought of sharing his profit with the dealer.
5. According to the author, big business magnates are successful because they are not sentimental.
6. ‘Third Thoughts’ is a psychological drama of bargaining with the narrator’s own soul.
Answers:
1. False
2. False
3. True
4. False
5. True
6. True
B. Answer the following questions in about 30-40 words each:
निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 30-40 शब्दों में दीजिए :
Question 1.
who tells the story to the author?
लेखक को कहानी कौन बताता है?
Answer:
The narrator in the story is E. V. Lucas’s friend as the author himself says in the first sentence of the story, “This story was told to me by a friend.” But it has been retold by E. V. Lucas who was a well-known journalist, essayist and novelist.
कहानी में वर्णनकर्ता ई. वी. लूकॅस का मित्र है जैसा कि लेखक इस कहानी के सबसे पहले वाक्य में स्वयं कहता है, “यह कहानी मुझसे एक मित्र ने कही।” परन्तु इसे ई. वी. लूकॅस ने पुनः कहा है जो एक प्रसिद्ध पत्रकार, निबंधकार और उपन्यासकार थे।
Question 2.
When does the narrator give away his artistic articles?
वर्णनकर्ता अपने कलात्मक सामान को कब त्यागता है?
Answer:
The narrator usually gives away his artistic articles when indeed he is tired of it. And he gives away his articles in such a way that its acceptance by another becomes personal favour to him.
वर्णनकर्ता अपने कलात्मक सामान को अक्सर तब त्यागता है जब वह वास्तव में उससे तंग आ जाती है। और वह अपने सामान को इस प्रकार त्यागता है कि किसी व्यक्ति द्वारा इसकी स्वीकृति उसके ऊपर अनुग्रहे बन जाये।।
Question 3.
Did the narrator go to the market with the intention of buying the painting? How did he happen to buy it?
क्या वर्णनकर्ता उस पेन्टिंग को खरीदने के इरादे से बाजार गया था? उसने उसे कैसे खरीद लिया?
Answer:
No, the narrator didn’t go to the market with the intention of buying the painting. It happened by chance when drifting about the old curiosity shops of a cathedral city he saw a folder of drawings among which one might be of Turner.
नहीं, वर्णनकर्ता उस पेन्टिंग को खरीदने के इरादे से बाजार नहीं गया था। ऐसा अकस्मात् हुआ जब एक मुख्य गिरजाघर वाले शहर की दुर्लभ वस्तुएं बेचने वाली दुकानों के चक्कर काटते हुए उसने चित्रों की एक फाइल देखी जिनमें से एक पेन्टिंग टर्नर की हो सकती थी।
Question 4.
What price did the narrator get from the buyer for the drawing?
वर्णनकर्ता को खरीददार से उस चित्र की कितनी कीमत मिली?
Answer:
The narrator got fifty pounds from the buyer for the drawing. This price was astonishing for him because he gained a profit of forty-nine pounds and ten shillings, while he paid only ten shillings for it.
वर्णनकर्ता को खरीददार से उस चित्र के लिए पचास पाउन्ड्स मिले। यह कीमत उसके लिये आश्चर्यजनक थी। क्योंकि उसने उनचास पाउन्ड्स व दस शिलिंग का लाभ (इसमें) कमा लिया, जबकि इसको खरीदने के लिए उसने केवल दस शिलिंग दिये थे।
Question 5.
Why did the dealer sell the drawing so cheaply to the narrator? (Sample Paper 2018)
विक्रेता ने वर्णनकर्ता को वह चित्र इतना सस्ता क्यों बेच दिया?
Answer:
The dealer sold the drawing so cheaply to the narrator because the dealer was not sure that the drawing was drawn by Turner, a great painter. That’s why he said to the narrator, “Mind you, I don’t guarantee it.”
विक्रेता ने वर्णनकर्ता को वह चित्र इतना सस्ता इसलिए बेच दिया क्योंकि वह निश्चित तौर पर नहीं जानता था कि यह चित्र महान चित्रकार टर्नर द्वारा बनाया गया है। इसीलिए उसने वर्णनकर्ता से कहा था, “देखो मैं इसकी गारन्टी नहीं ले रहा हूँ।’
Question 6.
Why did the narrator feel so delighted and proud after selling the painting?
वर्णनकर्ता ने उस पेण्टिंग को बेचने के बाद स्वयं को इतना प्रसन्न और गौरवान्वित महसूस क्यों किया?
Answer:
The narrator felt so delighted and proud after selling the painting because for the first time in his life he was successful in gaining such a big profit. He got this success by learning from his life’s errors.
उस पेण्टिंग को बेचने के बाद वर्णनकर्ता स्वयं को इतना खुश व गौरवान्वित इसलिए महसूस कर रहा था क्योंकि अपने जीवन में पहली बार उसने इतना भारी लाभ कमाया था। उसने यह सफलता अपने जीवन की गलतियों से सीखकर प्राप्त की थी।
Question 7.
Why does the narrator think that the dealer should get a part of the profit he had earned?
वर्णनकर्ता क्यों सोचता है कि उसके द्वारा कमाये गये लाभ का हिस्सा उसे विक्रेता को मिलना चाहिए?
Answer:
The narrator thinks that the dealer should get a part of the profit he had earned because the dealer behaved very well with him. So he should also behave well with him. Thus he should share the profit with him.
वर्णनकर्ता सोचता है कि जो लाभ उसने प्राप्त किया है उसका एक हिस्सा उस विक्रेता को भी मिलना चाहिए क्योंकि उसने उसके साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया था। इसलिए उसे भी विक्रेता के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। इसलिए उसे उस विक्रेता के साथ लाभ बांटना चाहिए।
Question 8.
In his mood of elation, what did the narrator write in the first note to the dealer?
अपनी सफलता से प्रसन्न होने पर वर्णनकर्ता ने अपने पहले नोट में उस विक्रेता को क्या लिखा था?
Answer:
In his mood of elation, in the first note, the narrator wrote to the dealer – “the potential Turner drawing, which no doubt he recollected, had turned out to be authentic. And I had great pleasure in enclosing half of the proceeds.”
अपनी सफलता पर प्रसन्न होने पर वर्णनकर्ता ने पहले नोट में उस विक्रेता को लिखा – ”वह टर्नर का सम्भावित चित्र जिसके विषय में निस्संदेह उसे याद होगी, असली निकली। और लाभ का आधा पत्र के साथ संलग्न करते हुए मुझे बेहद खुशी है।”
Question 9.
Which habit of the storyteller leads him to examine and re-examine his idea of sending a part of the profit to the dealer?
अपनी किस आदत के कारण कथाकार उस विक्रेता को लाभांश का एक हिस्सा भेजने के अपने विचार का मूल्यांकन व पुनर्मूल्यांकन करता है?
Answer:
The storyteller has committed many errors in his life. So it has been his habit to review these errors. By reviewing, he tries to commit fewer errors. Thus he examined and re-examined his idea of sharing the profit.
कथाकार ने अपने जीवन में अनेक गलतियां की हैं। इसलिए उन गलतियों की समीक्षा करना उसकी आदत है। समीक्षा के द्वारा वह गलतियां कम करने का प्रयास करता है। इसलिए उसने लाभ में हिस्सेदारी के अपने विचार का मूल्यांकन और पुनर्मूल्यांकन किया।
Question 10.
What did the narrator do when sleep did not come to him?
वर्णनकर्ता को जब नींद नहीं आई तो उसने क्या किया?
Answer:
When sleep didn’t come to the narrator, he took a book of short stories and read one. He closed his eyes again and again began to think about the dealer that some share of the profit should be given to him or not.
जब वर्णनकर्ता को नींद नहीं आई तो उसने लघु कहानियों की एक पुस्तक उठाई और उसमें से एक कहानी पढ़ी। उसने पुनः अपनी आँखें बन्द कर लीं और पुनः उस विक्रेता के विषय में सोचने लगा कि लाभ का कुछ हिस्सा उसको दिया जाना चाहिए या नहीं।
Question 11.
Why does the narrator term the bargaining as a straight forward matter between dealer and customer?
वर्णनकर्ता विक्रेता व ग्राहक के बीच सौदेबाजी को सीधा-सादा मामला क्यों बताता है?
Answer:
The narrator does so because he feels that such bargains are all part of a business. The dealer asks as much as he thinks he can extort. And the customer has paid it, is under no obligation to the dealer.
वर्णनकर्ता ऐसा इसलिए करता है क्योंकि वह सोचता है कि इस प्रकार के मोल-भाव किसी भी व्यापार का अंग होते हैं। विक्रेता अपनी ओर से जितना वह समझता है ऐंठ सकती है, उतना माँगता है। और इसे देने के बाद ग्राहक की व्यापारी के प्रति कोई बाध्यता (कृतज्ञता) नहीं रहती है।
C. Answer the following questions in about 125 words each:
निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 125 शब्दों में दीजिए:
Question 1.
Justify the title ‘Third Thoughts’.
‘Third Thoughts’ शीर्षक की उपयुक्तता सिद्ध कीजिए।
Answer:
The title of the essay ‘Third Thoughts’ is a humorous coinage based on the idiom ‘second thoughts’. ‘Second thoughts’ means opinions or resolutions reached after reconsideration. In this essay, the author goes on reconsidering and changing his opinion directed by his selfish motive. It shows that there is no end to consideration and reconsideration when one’s mind is taken over by selfish thoughts and worldly wisdom. Successive reconsiderations replace lofty and generous ideas with selfish ones. In this lesson, the narrator considers and re-considers his thought of sharing the profit with the dealer. The title suggests that we tend to cheat our own self in the name of second or third thoughts. So it is an extremely apt title to the essay.
‘Third Thoughts’ निबन्ध के शीर्षक को ‘Second thoughts’ मुहावरे के आधार पर हास्य- व्यंग्य पूर्ण तरीके से बनाया गया है। ‘Second thoughts’ का अर्थ होता है – सोच-विचार के बाद प्राप्त संकल्प या विचार। इसे निबन्ध में लेखक अपने स्वार्थपूर्ण इरादे से निर्देशित होकर अपने विचार पर लगातार पुनर्विचार करता है और उसे बदलता रहता है।
इससे प्रकट होता है कि जब किसी के मस्तिष्क पर स्वार्थ और सांसारिक बुद्धि हावी हो जाते हैं तो फिर पुनर्विचार की कोई सीमा नहीं रहती है। लगातार किये जाने वाले विचार उदात्त और उदार विचारों को स्वार्थपरक विचारों में परिवर्तित कर देते हैं। इसे पाठ में वर्णनकर्ता उस विक्रेता को लाभ में सहभागी बनाने के अपने विचार पर पुनः और पुनः विचार करता है। शीर्षक दर्शाता है कि पुनर्विचार के नाम पर हम स्वयं के साथ ही धोखा करना चाहते हैं। अतः इस निबन्ध के लिए यह अत्यन्त उपयुक्त शीर्षक है।।
Question 2.
Mention the reasons given by the narrator for changing his resolution with each reconsideration.
प्रत्येक पुनर्विचारे के साथ अपने निश्चय में परिवर्तन करने के लिए वर्णनकर्ता द्वारा दिये गये कारणों का उल्लेख केरिये।
Answer:
The narrator changed his resolution first time with reconsideration that ‘why put a premium on ineptitude ?’ He says, “It was my eye that detected the probability of the drawing, not his.” The second time he changed his resolution with the reasons – ‘It will only give him the wrong idea of his customers. He will expect similar letters every day and be disappointed’. The third time the reason was that for the first time in his life, he had earned such a big profit. If he gives a part of the profit to the dealer, it is the direct insult of the Goddess of Business. Buying and selling are a perfectly straight forward matter between dealer and customer. The narrator here successfully tries to interpret that we, in fact, deceive ourselves in the name of reconsideration.
वर्णनकर्ता ने पहली बार अपने निश्चय में परिवर्तन इस पुनर्विचार के साथ किया कि ‘अयोग्यता को लाभांश क्यों? वह कहता है, “चित्र की सम्भावना को मेरी आँखों ने पहचाना था, न कि उसकी ने।” दूसरी बार परिवर्तन का कारण था – ‘इससे उसका अपने ग्राहकों के विषय में गलत विचार बनेगा। वह प्रतिदिन ऐसे ही पत्रों की अपेक्षा करेगा और निराश होगा।’ तीसरी बार कारण था – उसने अपने जीवन में पहली बार इतना भारी लाभ कमाया था। यदि वह इस लाभ का एक हिस्सा उस विक्रेता को देता है तो यह व्यापार की देवी का सीधे-सीधे अपमान है। खरीदना व बेचना विक्रेता व ग्राहक के बीच सीधा-सीदा मामला है। वर्णनकर्ता यहाँ सफलतापूर्वक यह स्पष्ट करने का प्रयास करता है कि हम वास्तव में पुनर्विचार के नाम पर स्वयं को धोखा देते हैं।
Question 3.
“…..the point of narrative resides not in bargaining with the collectors, but in bargaining with my own soul”. How far does the statement embody the true spirit of ‘Third Thoughts’.
“इस कहानी का मूल बिन्दु संग्रहकर्ताओं से मोल-भाव करने में नहीं, बल्कि अपनी अन्तरात्मा से मोल-भाव करने में निहित है।” यह कथन “Third Thoughts’ पाठ की आत्मा को कैसे व्यक्त करता है?
Answer:
In this essay the narrator wanted to send half of the profit to the dealer but after reconsidering this issue again and again, he sent him nothing in the end. It shows that there is no end to consideration and reconsideration when one’s mind is taken over by selfish thoughts and worldliness. The lofty ideas soon disappear. Instead of reasoning with others, we reason with our own self and try to convince ourselves that what we are doing is justified as if someone from within ourselves is lurking from behind and telling us that what we are doing is not just and fair. The narrator therefore admits that the point of this narrative lies not in bargaining with collectors but in bargaining with his own soul. In this way this statement embodies the true spirit of ‘Third Thoughts’ to a great extent.
इस निबन्ध में वर्णनकर्ता व्यापारी को लाभ का आधा हिस्सा भेजना चाहता था परन्तु इस मसले पर बार-बार पुनर्विचार करने के बाद, उसने अन्त में उसके लिए कुछ नहीं भेजा। इससे जाहिर होता है कि जब किसी के मस्तिष्क पर स्वार्थ और सांसारिक बुद्धि हावी हो जाते हैं तो पुनर्विचार का अन्त ही नहीं आता है। उदात्त विचार शीघ्र ही गायब हो जाते हैं।
दूसरों से तर्क करने की बजाय, हम स्वयं से तर्क करते हैं और स्वयं को ही आश्वस्त करने की कोशिश करते हैं कि हम जो कुछ कर रहे हैं वह न्यायसंगत है; मानो कोई हमारे अन्दर ही पीछे से झांक रहा हो और हमसे कह रहा हो कि तुम जो कुछ कर रहे हो वह न्यायसंगत और उचित नहीं है।यही कारण है कि वर्णनकर्ता स्वीकार करता है कि इस कहानी का प्रमुख बिन्दु संग्रहकर्ताओं से मोल-भाव करना नहीं बल्कि उसकी अपनी आत्मा से मोल-भाव करना है। इस प्रकार उक्त कथन ‘Third Thoughts’ नामक पाठ की आत्मा को काफी हद तक व्यक्त करता है।
Question 4.
Why are city magnates successful according to the narrator?
वर्णनकर्ता के अनुसार शहर के बड़े व्यापारी सफल क्यों होते हैं?
Answer:
According to the narrator the city magnets are successful because they don’t do their business based on their emotions. They have deep insight into the business psychology and philosophy of the world of Trade and Commerce. In this world ‘Impulse is negation of the Magnetism.’ Buying and selling are a perfectly straight forward matter between dealer and the customer. The dealer asks as much as he can extort-and the customer having paid it is under no obligation to the dealer. Thus the city magnets are successful because they don’t do foolish impulsive things as the narrator did. In fact they take all the profit with themselves without caring for others out of their sentiments or generosity.
वर्णनकर्ता के अनुसार शहर के बड़े व्यापारी इसलिए सफल होते हैं क्योंकि वे अपनी भावनाओं के आधार पर अपना व्यापार नहीं करते। व्यापार एवं वाणिज्य जगत के मनोविज्ञान एवं दर्शन में उनकी गहन अन्तर्दृष्टि होती है। इस संसार में ‘भावुकता सफलता की शत्रु होती है।’ खरीदना एवं बेचना व्यापारी एवं ग्राहक के बीच पूर्णतः सीधा-सादा मामला होता है।
व्यापारी जितना ऐंठ सके उतनी कीमत मांगता है और ग्राहक कीमत चुकाने के बाद व्यापारी के प्रति किसी भी प्रकार दायित्व नहीं रखता। इस प्रकार शहर के बड़े व्यापारी सफल होते हैं क्योंकि वे वर्णनकर्ता की भाँति मूर्खतापूर्ण भावुकता के वशीभूत होकर कार्य नहीं करते। वास्तव में वे सारा लाभ स्वयं ही रखते हैं एवं भावुकता एवं उदारता के वशीभूत होकर अन्य लोगों की परवाह नहीं करते हैं।
Question 5.
How did the intended note to the dealer read and did it ever reach him?
उस विक्रेता को लिखे गये अभिप्रेत नोट में क्या लिखा था और क्या यह नोट कभी उस तक पहुँचा?
Answer:
The narrator purchased a drawing for ten shillings. He sold it for fifty pounds. Thus he earned a profit of forty-nine pounds and ten shillings. He wanted to give some amount of profit to the seller of drawing. So he wrote in the intended note to the dealer that the drawing was really drawn by the famous painter Turner, so he was successful in selling it at fifty pounds. The note was to the effect that he had sold the drawing at a big profit which enabled him to make him a present. It was an old and odd belief of the narrator that good luck should be shared. No, the note never reached to the dealer because of the narrator’s consideration and reconsideration about sharing the profit with the dealer. In fact, the narrator began to think selfishly and made many false reasons to share nothing with the dealer.
वर्णनकर्ता ने एक चित्र देस शिलिंग में खरीदा था। उसने इसे पचास पाउण्ड में बेच दिया। अत: उसने उनचास पाउण्ड व दस शिलिंग का लाभ अर्जित किया। वह लाभ का कुछ हिस्सा उस विक्रेता को देना चाहता था। इसलिए उसने उस विक्रेता को लिखे उस अभ्रिप्रेत नोट में लिखा कि वह चित्र वास्तव में महान चित्रकार टर्नर द्वारा ही बनाया गया था, इसलिए वह उस चित्र को पचास पाउण्ड में बेचने में सफल रहा।
यह नोट उसे यह बताने के लिए था कि उसने वह चित्र भारी लाभ लेकर बेच दिया था जिससे कि वह उसे कोई उपहार दे सके। यह वर्णनकर्ता का पुराना और विचित्र विश्वास था कि सौभाग्य में लोगों को सहभागी बनाया जाना चाहिए। नहीं, वह नोट उस विक्रेता तक कभी नहीं पहुँचा क्योंकि वर्णनकर्ता उस विक्रेता को लाभ में सहभागी बनाने के बारे में विचार-पुनर्विचार करता रहा। वस्तुत: वर्णनकर्ता स्वार्थपूर्ण ढंग से सोचने लगा था और उसने विक्रेता को कुछ भी न देने के अनेक झूठे तर्क गढ लिये थे।
Question 6.
………… ‘there is no fury like a woman scorned’. Who is the ‘woman’ referred to here and why does the narrator fear her fury?
……….. अपमानित स्त्री से ज्यादा क्रोध किसी का नहीं हो सकता।’ यहाँ किस ‘स्त्री’ को इंगित किया गया है। और वर्णनकर्ता उसके क्रोध से क्यों डरता है?
Answer:
The ‘woman’ referred to here is the Goddess of Business. The narrator fears her fury because he has for the first time in his life brought off a financial coup. By sharing it with the dealer he doesn’t want to insult the Goddess of Business. Just one or two days ago she has blessed him. If he insults her, she may be angry with him and it would probably be the end of him. So he questions himself, “Why should I spoil it by giving a large part of the profit away?” Was not that flying in the face of the Goddess of Business, whoever she may be? Was it not asking her to disregard me-only a day or so after we had, at last, got on terms?” The narrator, in fact, wants to be a successful businessman so he likes to please the Goddess of Business and fear her fury.
यहाँ जिस ‘स्त्री’ को इंगित किया गया है वह है- व्यापार की देवी। वर्णनकर्ता उसके क्रोध से इसलिए डरता है क्योंकि उसने पहली बार अपने जीवन में इतना अच्छा लाभ अर्जित किया है। इसमें उस विक्रेता को सहभागी बनाकर वह व्यापार की देवी का अपमान नहीं करना चाहता। मात्र एक या दो दिन पूर्व ही तो उसने उसे अपना आशीर्वाद दिया है।
यदि उसने उनका अपमान किया तो वह उससे क्रुद्ध हो सकती है और यह शायद उसका अंत होगा, अर्थात् वह मर ही जायेगा। इसलिए वह स्वयं से प्रश्न करता है, ”लाभ के बड़े हिस्से को देकर मैं इसे (लाभ को) क्यों खराब करू अर्थात् लाभ को कम क्यों करू? क्या यह व्यापार की देवी का सीधा-सीधा अपमान नहीं है, वह चाहे जो भी हो? क्या यह उससे मेरी उपेक्षा या अपमान करने को कहना नहीं है सिर्फ एक या दो दिन से ही तो हमारे सम्बन्ध अच्छे हुए हैं?” वर्णनकर्ता वस्तुतः एक सफल व्यापारी बनना चाहता है, इसलिए वह व्यापार की देवी को प्रसन्न करना पसंद करता है और उसके क्रोध से डरता है।
RBSE Class 12 English Rainbow Chapter 3 Additional Questions
A. Answer the following questions in about 30-40 words each:
निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 30-40 शब्दों में दीजिए:
Question 1.
What, according to the narrator, is his destiny?
वर्णनकर्ता के अनुसार उसका भाग्य क्या है?
Answer:
The narrator’s destiny is to buy in the dearest markets and to sell-if, he succeeds in selling at all in the cheapest. Usually, indeed, having tired of a picture or decorative article, he has positively to give it away.
वर्णनकर्ता का भाग्य है – महँगे बाजार से खरीदना और यदि कभी बेचने में सफलता मिल जाये तो-सस्ते से सस्ते में बेचना। अधिकांशतः वास्तव में किसी तस्वीर या सजावटी वस्तु से तंग आकर वर्णनकर्ता को उसे देना पड़ता है।
Question 2.
Why did the portfolio of water-colour drawings attract the narrator?
जल-रंगों वालों चित्रों की फाइल ने वर्णनकर्ता को क्यों आकर्षित किया?
Answer:
The portfolio of water-colour drawings attracted the narrator because, among these drawings, he suddenly noticed a drawing probably by Turner, a great painter. Though the owner (dealer) of that drawing was not sure of it.
जल-रंगों वाले चित्रों की फाइल ने वर्णनकर्ता को इसलिए आकर्षित किया क्योंकि उन चित्रों के बीच उसने अचानक एक चित्र देखा जो सम्भवतः महान चित्रकार टर्नर की कृति थी। यद्यपि उस चित्र के स्वामी (विक्रेता) को इसकी पक्की जानकारी नहीं थी।
Question 3.
What was the dealer’s reply for the drawing (probably Turner’s)?
उस चित्र (सम्भवतः टर्नर की कृति) के लिए विक्रेता का क्या उत्तर था?
Answer:
The dealer replied that if the drawing was really drawn by Turner, it would be worth anything. But the narrator could have it for ten shillings and in case the narrator did not want to purchase the drawing the dealer would not mind.
विक्रेता ने उत्तर दिया कि यदि ड्राइंग वास्तव में टर्नर द्वारा चित्रित है तो इसकी कीमत कुछ भी हो सकती है। परन्तु वर्णनकर्ता इसे 10 शिलिंग में ही ले सकता है और यदि वह इसे नहीं खरीदना चाहता तो कोई बात नहीं।
Question 4.
Did the dealer know that the drawing was a genuine Turner?
क्या विक्रेता को पता था कि वह चित्र टर्नर की असली कृति थी?
Answer:
No, the dealer did not know that the drawing was a genuine Turner. That’s why he said to the narrator that ‘if it were a genuine Turner, it would be worth anything’. He further said, “Mind you, I don’t guarantee it”.
नहीं, उस विक्रेता को नहीं पता था कि वह चित्र टर्नर की असली कृति थी। इसीलिए उसने वर्णनकर्ता से कहा था कि यदि यह टर्नर की असली कृति हुई तो इसकी कीमत कुछ भी हो सकती थी। उसने आगे कहा ”देखो, मैं इसकी गारन्टी नहीं दे रहा हूँ।”
Question 5.
Who intended to go to London? And why?
किसका इरादा लंदन जाने का था? और क्यों?
Answer:
The dealer intended to go to London. He wanted to take the drawing to London because he wanted to get an opinion about it. He wanted to confirm if it was genuine Turner or not.
विक्रेता का इरादा लंदन जाने को था। उसका इरादा उस कृति को लंदन ले जाने का था क्योंकि वह इसके बारे में राय लेना चाहता था। वह सुनिश्चित करना चाहता था कि यह कृति टर्नर की असली कृति थी या नहीं।
Question 6.
What was the astonishing fact for the narrator?
वर्णनकर्ता के लिए आश्चर्यजनक तथ्य क्या था?
Answer:
The astonishing fact for the narrator was that he, unexpectedly, achieved a big profit of forty-nine pounds and ten shillings by selling the drawing. But he bought that drawing only for ten shillings.
वर्णनकर्ता के लिये आश्चर्यजनक तथ्य यह था कि उसने उस चित्र को बेचकर उनचास पाउण्ड व दस शिलिंग का लाभांश कमाया था। किन्तु उसने उस चित्र को मात्र दस शिलिंग में खरीदा था।
Question 7.
With whom did the narrator wish to share the profit and why?
वर्णनकर्ता लाभ को किसके साथ बांटना चाहता था और क्यों?
Answer:
The narrator wished to share the profit with the dealer because the dealer behaved with him very well. The narrator had achieved a big profit so he thought that he should also behave with him well and give him a part of the profit.
वर्णनकर्ता उस चित्र के विक्रेता के साथ लाभ बांटना चाहता था क्योंकि उस व्यापारी ने उसके साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया था। वर्णनकर्ता को बहुत लाभ हुआ था इसलिए उसने सोचा कि उसे भी उसके (व्यापारी के) साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए और लाभ का एक हिस्सा उसे देना चाहिए।
Question 8.
Why did the narrator not want to be Quixotic?
वर्णनकर्ता अव्यावहारिक क्यों नहीं होना चाहता था?
Answer:
The narrator did not want to be Quixotic because he thought Quixotry would not do in the world. So giving a part of the profit to the dealer would mean Quixotry. He felt that this world is not for Quixotry.
वर्णनकर्ता अव्यावहारिक नहीं होना चाहता था क्योंकि उसने सोचा कि इस दुनिया में अव्यावहारिकता से काम नहीं चलेगा। इसलिए लाभ में से एक हिस्सा उस व्यापारी को देने का अर्थ होगा अव्यावहारिकता। उसने महसूस किया कि यह संसार अव्यावहारिकता के लिए नहीं है।
Question 9.
Why does the narrator say, “Why to put a premium on ineptitude?”
वर्णनकर्ता क्यों कहता है, “अयोग्यता को लाभांश क्यों?”
Answer:
The narrator says, ‘Why to put a premium on ineptitude’ because he thought that it was his eye that detected the probability of the drawing, not his (dealer’s). The dealer had indeed failed and he didn’t know his own business.
वर्णनकर्ता कहता है, “अयोग्यता को लाभांश क्यों” क्योंकि उसका विचार था कि चित्र की सम्भावना को उसकी आँख ने पहचाना था, न कि उसकी (व्यापारीकी) ने। व्यापारी तो वास्तव में असफल हो चुका था तथा वह स्वयं अपने काम को नहीं जानता था।
Question 10.
Who did the narrator fear to offend? And why?
वर्णनकर्ता किसको अपमान करने से डरता था? और क्यों?
Answer:
The narrator feared to offend the Goddess of Business. He thought that for the first time in his life he had earned such a big profit. By giving a part of that profit to the dealer he didn’t want to insult the Goddess of Business.
वर्णनकर्ता व्यापार की देवी का अपमान करने से डरता था। उसने सोचा कि उसने अपने जीवन में पहली बार इतना अच्छा लाभ कमाया था। इस लाभ के एक हिस्से को विक्रेता देकर वह व्यापार की देवी का अपमान नहीं करना चाहता था।
Question 11.
Why was it necessary for the narrator to control his feelings?
वर्णनकर्ता के लिए अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना क्यों जरूरी था?
Answer:
It was necessary for the narrator to control his feelings so that he might do well in his new role of fine art-speculator. There is no value of feelings in the business. He realised that ‘impulse is the negation of magnetism’.
वर्णनकर्ता के लिए अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना जरूरी था ताकि वह अपनी कला-पारखी की नई भूमिका में कुछ अच्छा कर सके। व्यापार में भावनाओं का कोई महत्त्व नहीं होता है उसने अनुभव किया कि ‘भावुकता सफलता का निषेध है।’
B. Answer the following questions in about 125 words each:
निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 125 शब्दों में दीजिए:
Question 1.
How did the dealer behave with the narrator before selling the drawing?
चित्र बेचने से पहले व्यापारी ने वर्णनकर्ता से कैसा व्यवहार किया?
Answer:
The dealer behaved very well with the narrator before selling the drawing. Even though the narrator scornfully asked the dealer how much the drawing cost, the dealer told him very calmly that if it were a genuine Turner it would be worth anything. He made everything clear to the narrator and said that he could buy the drawing for ten shillings and that if he didn’t, he would not mind and take the drawing to London to get an opinion whether it was a genuine Turner. The dealer was not sure whether the drawing was really painted by Turner or not and as such he did not guarantee it. The whole episode shows that the dealer was thoroughly fair in his profession. So he behaved very well with the narrator.
चित्र बेचने से पहले व्यापारी ने वर्णनकर्ता से बहुत अच्छा व्यवहार किया। यद्यपि वर्णनकर्ता ने घृणापूर्ण तरीके से चित्र की कीमत पूछी तथापि व्यापारी ने बहुत शान्तिपूर्वक वर्णनकर्ता से कहा कि अगर यह टर्नर की असली कृति है तो इसकी कीमत कुछ भी हो सकती है। उसने वर्णनकर्ता को सब-कुछ स्पष्ट कर दिया और कहा कि वह इस चित्र को दस शिलिंग में ले सकता है और अगर वह न भी ले तो वह बुरा नहीं मानेगा और वह चित्र पर राय लेने के लिए उसे लन्दन ले जाएगा कि यह टर्नर की असली कृति है या नहीं। व्यापारी को पक्का पता नहीं था कि वह चित्र वास्तव में टर्नर द्वारा बनाया गया था अथवा नहीं और इसी कारण उसने इसकी कोई गारंटी नहीं ली। पूरा प्रकरण दिखाता है कि व्यापारी अपने व्यवसाय में ईमानदार था। इसलिए उसने वर्णनकर्ता के साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया।
Question 2.
What did the narrator think about the dealer when he was unwilling to send him ten pounds?
वर्णनकर्ता ने व्यापारी के बारे में क्या सोचा जब वह उसके लिए दस पाउन्ड भेजने का अनिच्छुक था?
Answer:
The narrator had made up his mind to send the dealer ten pounds. But the chain of his thoughts continued. He thought that if he sent the dealer ten pounds, he would form a wrong idea of his customers and that he would expect similar letters every day. But others might not be as fair and sporting as the narrator and so the dealer would become embittered and would weep bitterly. He further thought that it would be a crime to injure such a good-natured man. Ultimately he came to the conclusion that it was absurd to send him ten pounds. The amount would put him above himself and so five pounds would be plenty. In fact, this episode is enough to clarify that the narrator goes on reconsidering and changing his opinion directed by his selfish motive.
वर्णनकर्ता व्यापारी को दस पाउन्ड भेजने का निश्चय कर चुका था। किन्तु उसकी विचार- शृंखला जारी रही। उसने विचार किया कि यदि वह व्यापारी के लिए दस पाउन्ड भेज देगा तो वह अपने ग्राहकों के विषय में गलत विचार बना लेगा और यह कि वह प्रतिदिन इसी प्रकार के पत्रों की अपेक्षा करेगा। किन्तु अन्य लोग वर्णनकर्ता की भाँति ही ईमानदार नहीं हो सकते हैं और इस तरह व्यापारी कटु हो जाएगा और बुरी तरह रोएगा। उसने आगे सोचा कि ऐसे अच्छे स्वभाव के व्यक्ति को आहत करना अपराध होगा। अन्ततः वह इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि व्यापारी के लिए दस पाउन्ड भेजना बेतुकी बात होगी। इस राशि से उसका सिर चढ़ जाएगा और इसलिए पाँच पाउन्ड ही बहुत होंगे। वास्तव में यह घटनाक्रम यह स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त है कि वर्णनकर्ता अपने स्वार्थपूर्ण. इरादे से निर्देशित होकर अपने विचार पर लगातार पुनर्विचार करता है और उसे बदलता रहता है।
Question 3.
Why did the narrator think about the Goddess of Business?
वर्णनकर्ता ने व्यापार की देवी के बारे में क्यों सोचा?
Answer:
The narrator thought that he had some financial gains for the first time in his life. He asked himself why he should spoil it by giving a large part of the profit away. At this point, he thought about the Goddess of Business. He thought that the Goddess of Business would feel insulted if he threw away the profit in such a rash way. Only a few days ago, he had got on terms with her. An insulted woman could be extremely furious. In fact, the narrator did not want to share his big profit with the dealer so he found so many reasons to fulfil his selfish motive. That’s why he thought of the Goddess of Business just to find one more excuse for not sending a part of the profit to the dealer.
वर्णनकर्ता ने सोचा कि उसे जीवन में पहली बार कुछ वित्तीय लाभ प्राप्त हुआ है। उसने स्वयं से प्रश्न किया कि इसका बड़ा हिस्सा उस व्यापारी को देकर वह इसे क्यों नष्ट करे। इस बिन्दु पर ही उसने व्यापार की देवी के बारे में सोचा। उसने सोचा कि यदि वह लाभ को इस तरह फेंक देगा तो व्यापार की देवी नाराज हो जाएगी। कुछ ही दिन पूर्व उसका उससे (देवी से) तालमेल बैठा था। अपमानित स्त्री बहुत भयानक हो सकती। है।
वस्तुतः वर्णनकर्ता अपने भारी मुनाफे में व्यापारी को सहभागी नहीं बनाना चाहता था। अतः वह अपने स्वार्थपूर्ण उद्देश्य की पूर्ति हेतु अनेक तर्क खोजता रहा। यही कारण है कि उसने व्यापार की देवी के बारे में लाभ का हिस्सा व्यापारी को न भेजने को एक और बहाना तलाशने के लिए ही सोचा।
Question 4.
“Buying and selling are a perfectly straight forward matter between dealer and customer.”Explain.
“खरीदना और बेचना व्यापारी और ग्राहक के बीच का बहुत सीधा-सादा मामला है।” स्पष्ट कीजिये।
Answer:
The narrator bought a drawing for ten shillings and sold it for fifty pounds thus he got a large sum of forty-nine pounds and ten shillings as profit. He impulsively decided to send half of the profit to the dealer as lofty ideas prevailed in the beginning but gradually he began to reason with himself trying to convince himself that it was absurd to send the dealer any money. The views expressed in the given sentence ultimately convince him. He justifies himself saying that such bargains are all part of the business. Buying and selling are a perfectly straight forward matter between dealer and customer. The dealer asks as much as he can extort, and the customer, having paid it, is under no obligation whatever to the dealer. Thinking so he justifies his reason for paying nothing to the dealer.
वर्णनकर्ता ने दस शिलिंग में एक चित्र खरीदा और उसे पचास पाउन्ड में बेच दिया और इस तरह उसे उनचास पाउन्ड और दस शिलिंग का लाभ हुआ। शुरू में उदात्त विचार छाये थे, अतः उसने व्यापारी को लाभ का आधा हिस्सा भेजने का निर्णय भावुकतापूर्वक कर लिया किन्तु धीरे-धीरे अपने आप को ही आश्वस्त करने की कोशिश करते हुए वह स्वयं से ही तर्क करने लगा कि व्यापारी को धन भेजना बेतुकी बात है। उपर्युक्त वाक्य में सन्निहित विचार अन्ततः उसे आश्वस्त करते हैं।
वह यह कहते हुए स्वयं को उचित ठहराता है कि इस तरह के मोल-भाव तो व्यापार के अंग हैं। खरीदना और बेचना व्यापारी और ग्राहक के बीच का बड़ा सरल मामला है। व्यापारी जितना ऐंठ सकता है, उतना माँगता है, और ग्राहक की उतना देने के बाद, व्यापारी के प्रति कोई बाध्यता नहीं रहती है। ऐसा सोचते हुए वह व्यापारी को कुछ भी न भेजने के अपने तर्क का औचित्य सिद्ध करता है।
Question 5.
In the story ‘Third Thoughts’ how does the narrator bargain with his own soul? Explain.
‘पुनर्विचार’ कहानी में वर्णनकर्ता अपनी स्वयं की आत्मा से किस प्रकार मोल-भाव करता है? वर्णन करिये।
Answer:
The narrator gained a profit of forty-nine pounds and ten shillings. Due to the good behaviour of the dealer, he thought to give him half of the profit. After the third thoughts on it, he bargains with his own soul, ‘Why put a premium on ineptitude?’ Now he says ‘ten pounds’. Again he bargains, ten pounds would put him above himself. Five pounds would be plenty. This time he bargains and asks himself, ‘no, giving a large part of it (profit) would mean the insult of the Goddess of Business. So a douceur of one pound will meet the case. And finally, he quits the idea of one pound too. He bargains and asks his own soul that such bargains are all part of the business. The fact is that the narrator is so clever that he further thinks that it would be a crime to injure such a good-natured man by offering some gift out of his profit.
वर्णनकर्ता ने उनचास पाउण्ड व दस शिलिंग का लाभ कमाया। उस विक्रेता के अच्छे व्यवहार के कारण उसने उसे उस लाभांश का आधा हिस्सा देने का सोचा। इस पर पुर्नविचार करने के पश्चात उसने अपनी स्वयं की आत्मा से मोल-भाव किया, ‘अयोग्यता को लाभ क्यों?’ अब वह कहता है, ‘दस पाउण्ड’। वह फिर मोल भाव करता है, दस पाउण्ड से तो उसका दिमाग ही चढ़ जायेगा। पाँच पाउण्ड पर्याप्त रहेंगे।
इस बार वह मोलभाव करता है।और स्वयं से कहता है, नहीं, इसे लाभांश का एक बड़ा हिस्सा उसे देने का अर्थ होगा व्यापार की देवी का अपमान। इसलिए उसके लिए एक पाउण्ड के उपहार से ही काम चल जाएगा। और अन्त में वह उस एक पाउण्ड के विचार को भी त्याग देता है। वह मोलभाव करता है और अपनी स्वयं की आत्मा से ही कहता है कि इस प्रकार के मोलभाव व्यापार के अंग होते हैं। तथ्य यह है कि वर्णनकर्ता इतना चालाक है कि वह यह सोचता है। कि ऐसे अच्छे विचारों वाले व्यक्ति को अपने अर्जित लाभ में से कुछ रकम उपहार स्वरूप भेजना एक तरह का अपमानपूर्ण कार्य होगा।
Activity 2: Vocabulary
Question 1.(a).
Convert the following nouns into verbs and use them in sentences of your own:
निम्नलिखित nouns को verbs में परिवर्तित कीजिए और उन्हें अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए:
Ex. – guarantor → guarantee, collector, purchaser, drawing, narrative, pleasure, thought, mitigation, speculator, effect, belief, obligation, proceeds, dealer.
Answer:
S.No. | Nouns | Verbs | Use in sentences |
1. | collector | collect | The narrator liked to collect such drawings. |
2. | purchaser | purchase | The narrator purchased the drawing at ten shillings. |
3. | drawing | draw | The narrator could sell the drawing at fifty pounds because it was drawn by Turner. |
4. | narrative | narrate | This story was narrated by the writer’s friend. |
5. | pleasure | please | I like to collect stamps because it pleases me. |
6. | thought | think | The narrator thinks that such bargains are all parts of the game (business). |
7. | mitigation | mitigate | The narrator reviews his errors so that he can mitigate his habit of committing errors. |
8. | speculator | speculate | The narrator earned a big profit because he speculated the drawing rightly. |
9. | effect | affect | Smoking affects health adversely. |
10. | belief | believe | The narrator believed that this world is not for Quixotry. |
11. | obligation | oblige | In business, no two persons oblige each other. |
12. | proceeds | proceed | The narrator proceeded with one of the finest stories in the book. |
13. | dealer. | deal | The good-natured dealer dealt in drawings. |
Question 1.(b).
Convert the following nouns into adjectives and use them in sentences of your own:
निम्नलिखित nouns को adjectives में परिवर्तित कीजिए और उन्हें अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए:
Ex. – favour → favourable, picture, acceptance, exception, luck, hope, magic, worth, sleep, loneliness, pity, nature, profit, fury, obligation.
Answer:
Adjectives
picturesque, acceptable, exceptional, lucky, hopeful, magical, worthy, sleepy, lonely, piteous, natural, profitable, furious, obligatory.
Use in Sentences:
- The scenery of Kashmir is very picturesque.
- Ten shillings was the acceptable price of the drawing.
- The day, when the narrator earned such a big profit, was an exceptional day for him.
- The narrator felt very lucky when he learnt that the drawing was an authentic Turner.
- The narrator was hopeful about the drawing.
- It was a magical deal for the narrator.
- The narrator was worthy of such a great profit.
- When the narrator didn’t feel sleepy, he started reading a story.
- People who feel lonely should keep themselves busy.
- Disabled people are not piteous, rather we should encourage them.
- Natural beauty is of genuine beauty.
- The narrator was sure that the deal was profitable.
- The narrator didn’t want to make the Goddess of Business furious.
- The narrator ultimately thought that it was not obligatory to share the profit with the dealer.
Question 2. (a).
Use each of these expressions in sentences of your own:
निम्नलिखित प्रत्येक अभिव्यक्ति को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए:
come upon, turn out to be, meet the case, to be worth anything, give away, go down the vale of tears, put a premium, get on terms, put under examination and cross-examination, put one above oneself.
Answer:
- When I was searching for some nice gift for my friend, I came upon a very attractive photo-frame.
- Yesterday I bought an original Parker pen but it turned out to be duplicate.
- With every re-consideration, the narrator reduced the share of profit and thought that it will meet the case.
- The dealer was aware of Turner’s name that’s why he said that if it were a genuine Turner it would be worth anything.
- When the police assured the man to release, he gave away all the details.
- My younger brother is not serious about his studies and he will go down the vale of tears when the result is out.
- It’s absolutely right that one should put a premium on aptitude, not on ineptitude.
- After two years Rajan and I have got on terms
- The principal put his case under examination and cross-examination, and finally decided to suspend him from the class.
- The class teacher appreciated him, it has put him above himself.
Question 2. (b).
Give synonyms for the following words:
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिये:
destiny, article, acceptance, favour, owner, scornfully, opinion, recollect, custom loneliness, defect, present, disregard, absurd, coup, control, profit, contents, bargains, incident.
Answer:
Word | Synonym | Word | Synonym |
destiny | fate | defect | fault |
article | thing | present | gift |
acceptance | consent | disregard | disrespect |
favour | support | absurd | nonsense |
owner | master | coup | stroke |
scornfully | contemptuously | control | check |
opinion | view | profit | advantage |
recollect | recall | contents | details |
custom | practice | bargains | negotiation |
loneliness | solitude | incident | event |
Question 2. (c).
Give Antonyms for the following words:
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिये:
dearest, selling, positive, dealer, personal, possible, wrong, genuine, found, fair, pleasure, decent, probability, refuse, similar, plenty, harm, brief, glad.
Answer:
Word | Antonym | Word | Antonym |
dearest | cheapest | pleasure | displeasure |
selling | buying | decent | indecent |
positive | negative | probability | improbability |
dealer | customer | refuse | approve |
personal | impersonal | similar | different |
possible | impossible | plenty | scarcity |
wrong | right | harm | benefit |
genuine | fake | brief | detail |
found | lost | glad | sad |
fair | unfair |
Activity 3: Speech Activity
As the cultural secretary of your school prepares a speech to be delivered for the welcome of the guests at the inaugural function of the cultural festival of your school.
अपने स्कूल के सांस्कृतिक सचिव के रूप में स्कूल के सांस्कृतिक महोत्सव के उद्घाटन समारोह के अवसर पर अतिथियों के स्वागत हेतु एक भाषण तैयार कीजिए।
Answer:
Respected Principal Sir, honourable guests, all the teachers, my dear fellow students and everybody present here, a very good evening to all of you. I welcome you all on this gala evening. Let me tell you that it’s a matter of great pleasure for us that today we are celebrating the seventh cultural festival of our school. As we all know that cultural activities play a very important role in our life. For the last fifteen days, my fellow students have been preparing various cultural items to make this evening a great success. They are ready with their songs, dances, plays and a lot of comic stuff. So please enjoy the program.
Activity 4: Composition
Question 1.
Prepare a report to be published in the Tribune on the Dist. Athletics Tournament held in your school. (S. S. Exam 2018)
अपने स्कूल में हुई जिला खेलकूद प्रतियोगिता पर ट्रिब्यून में प्रकाशन हेतु एक रिपोर्ट लिखिये।
Answer:
Bharatpur, 20 March:
The District Athletics Tournament was held on the ground of RKS Public School. It was inaugurated by the Education Minister of the State. Players of twenty different schools of the city participated in the tournament. There was a huge crowd of the students who encouraged the players of their schools. The tournament lasted for four days. 4 x 400-meter relay competition was won by Rose Public School. The team of PRG Sr. Sec. school won the second prize. The host team won the first prize in High Jump and Long Jump.
Question 2.
Write an application with bio-data, addressed to the Manager Personnel, HDFC Bank, Udaipur for the post of a Cashier.
एचडीएफसी बैंक उदयपुर के प्रबन्धक (कार्मिक) को कैशियर के पद हेतु बायोडाटा सहित एक आवेदन-पत्र लिखिये।
Answer:
5, Radha Niwas
Anand Vihar
Udaipur
20 February 20–
The Manager Personnel
HDFC Bank
Udaipur
Subject: Application for the post of Cashier.
Sir
With reference to your advertisement published in the Times of India dated 15 February 20– for the post of the cashier, I hereby submit my bio-data.
Thanking you
Yours faithfully
Prashant Kumar
Bio-data
Name | Prasanth Kumar |
Address | 5, Radha Nivas, Anand Vihar, Udaipur |
Date of Birth | 10 April 1988 |
Marital Status | Unmarried |
Educational Qualification | B.Com |
Job Experience | Handling Various Yoga Camps |
Enclosures | Educational Documents |
Place | Udaipur |
Date | 20 Feb 20– |
NamePrasanth KumarAddress5, Radha Nivas, Anand Vihar, UdaipurDate of Birth10 April 1988Marital StatusUnmarriedEducational QualificationB.ComJob ExperienceHandling Various Yoga CampsEnclosuresEducational DocumentsPlaceUdaipurDate20 Feb 20–
Question 3.
Write an article to be published in The Amrit Bazar Patrika on ‘Demonetization and its Impact.’
अमृत बाजार पत्रिका में प्रकाशन हेतु ‘विमुद्रीकरण और इसका प्रभाव’ विषय पर एक लेख लिखिये।
Answer:
Demonetization and its Impact
When a currency note of a particular denomination ceases to be a legal tender, it is termed as demonetisation. On 08 November 2016 late at night, the Government of India announced the demonetisation of all 500 and 1000 bank notes. The Government replaced the old Rs. 500 notes with newer ones and done away with the Rs. 1000 notes. The main objective of this move was to curb the black money, corruption and fake currency. The government estimated that around 1.40 lakh crores of black money became invalid due to demonetization. The hoarders of black money got harassed. The traditional systems of hoarding money at home eliminated and today all Indians deposit their money in banks. It will help to strengthen the economy of India and our country will emerge as a superpower in forthcoming years.
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