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RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 21 भारत में नियोजन

July 10, 2019 by Safia Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 12 Geography Chapter 21 भारत में नियोजन

RBSE Class 12 Geography Chapter 21 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

RBSE Class 12 Geography Chapter 21 बहुचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय नीति आयोग एक है –
(अ) सलाहकारी निकाय
(ब) क्रियान्वयन समिति
(स) सरकारी समिति
(द) विधायी समिति
उत्तर:
(अ) सलाहकारी निकाय

प्रश्न 2.
योजना आयोग का अध्यक्ष होता है –
(अ) राष्ट्रपति
(ब) प्रधानमन्त्री
(स) वित्तमन्त्री
(द) रिजर्व बैंक का गवर्नर
उत्तर:
(ब) प्रधानमन्त्री

प्रश्न 3.
राष्ट्रीय विकास परिषद् का अध्यक्ष होता है –
(अ) प्रधानमन्त्री
(ब) राष्ट्रपति
(स) योजना आयोग का उपाध्यक्ष
(द) केन्द्रीय वित्तमन्त्री
उत्तर:
(अ) प्रधानमन्त्री

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 21 भारत में नियोजन

प्रश्न 4.
चतुर्थ योजना का मॉडल निम्नलिखित में से किसके मॉडल के आधार पर बनाया गया था?
(अ) प्रो. महालनोबिस
(ब) हेरोड- डोमर
(स) डॉ. वी. वी. भट्ट
(द) ए. एस. मान व अशोक रूद
उत्तर:
(द) ए. एस. मान व अशोक रूद

प्रश्न 5.
ग्यारहवीं योजना में विकास दर के पूर्व निर्धारित लक्ष्य प्रतिशत को हटाकर कर दिया है –
(अ) 8 प्रतिशत
(ब) 8.1 प्रतिशत
(स) 8.5 प्रतिशत
(द) 8.7 प्रतिशत
उत्तर:
(ब) 8.1 प्रतिशत

प्रश्न 6.
सार्वजनिक परिव्यय में ग्यारहवीं योजना में किस क्षेत्र में सर्वाधिक व्यय प्रस्तावित किया गया है?
(अ) ऊर्जा
(ब) यातायात
(स) कृषि तथा सम्बद्ध
(द) सामाजिक सेवाएँ
उत्तर:
(स) कृषि तथा सम्बद्ध

प्रश्न 7.
प्रथम पंचवर्षीय योजना में किसे उच्चतम प्राथमिकता प्रदान की गयी?
(अ) कृषि को
(ब) उद्योग को
(स) ऊर्जा को
(द) रोजगार को
उत्तर:
(अ) कृषि को

प्रश्न 8.
प्रथम पंचवर्षीय योजना का आधार कौन-सा मॉडल था?
(अ) हैरोड डोमर मॉडल
(ब) महालनोबिस मॉडल
(स) मान व रूद मॉडल
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) हैरोड डोमर मॉडल

प्रश्न 9.
देश में पंचायती राज व्यवस्था का शुभारम्भ किया गया –
(अ) प्रथम पंचवर्षीय योजना में
(ब) द्वितीय पंचवर्षीय योज़ना में
(स) तृतीय पंचवर्षीय योजना में
(द) चतुर्थ पंचवर्षीय योजना में
उत्तर:
(ब) द्वितीय पंचवर्षीय योज़ना में

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 21 भारत में नियोजन

प्रश्न 10.
12 वीं पंचवर्षीय योजना की अवधि है –
(अ) 1 अप्रैल 2005 से 31 मार्च 2010
(ब) 1 अप्रैल 2007 से 31 मार्च 2012
(स) 1 अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017
(द) 1 अप्रैल 2008 से 31 मार्च 2013
उत्तर:
(स) 1 अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017

RBSE Class 12 Geography Chapter 21 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 11.
सामुदायिक विकास कार्यक्रम की शुरुआत कब हुई?
उत्तर:
सामुदायिक विकास कार्यक्रम की शुरुआत प्रथम पंचवर्षीय योजना में की गयी।

प्रश्न 12.
नीति आयोग का गठन कब हुआ? इसका अध्यक्ष कौन होता है?
उत्तर:
योजना आयोग का गठन केन्द्र सरकार द्वारा 15 मार्च 1950 को एक प्रस्ताव द्वारा किया गया। देश का प्रधानमन्त्री इसका अध्यक्ष होता है। 2016 को योजना आयोग का नाम केन्द्र सरकार ने नीति आयोग कर दिया।

प्रश्न 13.
पंचवर्षीय योजना की शुरुआत कब हुई थी?
उत्तर:
भारत में नियोजन की आवश्यकता 1947 में स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् महसूस की जाने लगी थी। परिणामस्वरूप सोवियत संघ जैसे देशों से प्रेरणा लेकर विभिन्न उद्देश्यों के साथ पंचवर्षीय योजनाओं की शुरुआत की गयी। भारत ने जुलाई 1951 में पहली पंचवर्षीय योजना की रूपरेखा प्रकाशित की थी। प्रथम पंचवर्षीय योजना की शुरुआत 1 अप्रैल 1951 से हुई। इसका कार्यकाल 31 मार्च 1956 तक था।

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 21 भारत में नियोजन

प्रश्न 14.
वर्तमान में कौन-सी पंचवर्षीय योजना संचालित है?
उत्तर:
वर्तमान में 12 वीं पंचवर्षीय योजना (2012 – 2017) संचालित है।

प्रश्न 15.
मरुस्थलीय विकास कार्यक्रम (DDP) क्या है?
उत्तर:
मरुस्थलीय विकास कार्यक्रम मरुस्थलों के प्रसार को रोकने तथा स्थानीय संसाधनों की उत्पादकता को बढ़ाकर स्थानीय लोगों की आय और रोजगार स्तर को बढ़ाने का कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम 1977 – 78 में प्रारम्भ किया गया था।

RBSE Class 12 Geography Chapter 21 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 16.
नियोजन विकास पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
नियोजन किसी क्षेत्र या प्रदेश के संसाधनों के इष्टतम उपयोग द्वारा आर्थिक समृद्धि प्राप्त करने की प्रणाली है। इसके द्वारा वाजविकता एवं प्रत्याशा के मध्य के अन्तराल को कम किया जा सकता है। नियोजन का सम्बन्ध देश के दीर्घावधि आर्थिक एवं सामाजिक विकास से है। भारत में नियोजन तन्त्र की शुरुआत योजना आयोग के गठन (15 मार्च 1950) के साथ हुई।

वास्तव में नियोजन की आवश्यकता 1947 में स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय से ही महसूस की जाने लगी थी। परिणामस्वरूप सोवियत संस् जैसे समाजवादी देश से प्रेरणा प्राप्त कर पंचवर्षीय योजनाओं की शुरुआत की गयी। भारत में नियोजन की व्यूह रचना द्वितीय पंचवर्षीय योजना से प्रारम्भ मानी जाती है। प्रो. पी.सी. महालनोबिस का विकास मॉडल भारत में लागू करना स्वीकार किया था।

प्रश्न 17.
पंचवर्षीय योजनाओं में नियोजन के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
भारत में नियोजन की शुरुआत 1 अप्रैल 1951 से हुई। वर्तमान समय तक 6 एक वर्षीय योजनाओं के साथ 12वीं पंचवर्षीय योजना चल रही है। पंचवर्षीय योजनाओं में प्राथमिकताओं के साथ नियोजन की शुरुआत होती है जिसके सकारात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है। पंचवर्षीय योजनाओं में नियोजन के महत्व को उसकी निम्न उपलब्धियों से
स्पष्ट किया जा सकता है –

  1. पंचवर्षीय योजनाओं में कृषि उत्पादन बढ़ा है।
  2. उद्योगों का विकास हुआ है।
  3. परिवहन एवं संचार सुविधाओं में वृद्धि हुई है।
  4. शिक्षा का प्रसार हुआ है।
  5. विदेशी व्यापार के आकार का समुचित विस्तार हुआ है।
  6. राष्ट्रीय आय, घरेलू बचत व विनियोग दरों में वृद्धि हुई है तथा आत्मनिर्भरता बढ़ी है, आदि।

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 21 भारत में नियोजन

प्रश्न 18.
भारत में पाँचवीं पंचवर्षीय योजना पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
अवधि 1 अप्रैल 1974 ई. से 31 मार्च 1978 तक उद्देश्य –

  1. निर्धनता का उन्मूलन।
  2. आर्थिक आत्मनिर्भरता।

उपर्युक्त दो उद्देश्यों के अलावा अन्य निम्नलिखित उद्देश्य रखे गए –

  1. कुल घरेलू उत्पाद में 5.5% की वार्षिक वृद्धि दर।
  2. उत्पादक रोजगार अवसरों का विस्तार।
  3. उपभोग की न्यूनतम आवश्यकताओं को राष्ट्रीय कार्यक्रम-शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, पोषाहार आदि।
  4. समाज कल्याण।
  5. कृषि प्रधान उद्योगों को प्रोत्साहन।
  6. सार्वजनिक वसूली तथा वितरण की समुचित व्यवस्था आदि।

मॉडल:
इस योजना में तीन मॉडलों को शामिल किया गया था –

  1. समविष्ट भावी मॉडल।
  2. आगत-निर्गत मॉडल।
  3. उपयोग के मॉडल।

वित्त व्यवस्था:
परिव्यय प्रस्तावित 37250 करोड़ रुपये। उपलब्धियाँ एवं कमियाँ –

  1. अर्थव्यवस्था दृढ़ हुई।
  2. विकास दर, कृषि क्षेत्र, खाद्यान्न उत्पादन में लक्ष्य से अधिक वृद्धि।
  3. औद्योगिक उत्पादन बढ़ा।

घाटे की वित्त व्यवस्था से मूल्यों में वृद्धि हुई। केन्द्र में सरकार के परिवर्तित हो जाने के कारण पांचवीं योजना समय से एक वर्ष पूर्व 1978 में ही समाप्त कर दी गयी।

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 21 भारत में नियोजन

प्रश्न 19.
बीस सूत्री कार्यक्रम पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
बीस सूत्री कार्यक्रम की शुरुआत स्व. प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने सन् 1975 में की थी और पुनः 1982 व 1986 में इस कार्यक्रम को पुनर्गठित किया गया। इस कार्यक्रम में अनेक बार नीतिगत परिवर्तन हुए। सन् 2006 में इस कार्यक्रम का पुन: पुनर्गठन किया गया। टी.पी.पी. 2006 के अन्तर्गत कार्यक्रम व योजनाएँ नेशनल कॉमन मिनिमम प्रोग्राम, यूनाईटेड नेशन्स व सार्क सोशल चार्टर के मिलेनियम डवलपमेंट गोल्स में प्राथमिकता से संकलित है। वह पुनर्गठित कार्यक्रम 20 सूत्री कार्यक्रम कहा गया। यह 5 अक्टूबर, 2006 को अनुमोदित हुआ।

प्रश्न 20.
जनजातीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम को समझाइए।
उत्तर:
जनजाती क्षेत्र विकास कार्यक्रम उन क्षेत्रों के लिए तैयार किए जाते हैं जिसमें 50 प्रतिशत या उससे अधिक जनजातीय जनसंख्या पाई जाती है।

प्रमुख जनजातीय क्षेत्र:
देश के 19 राज्यों और दो केन्द्र शासित प्रदेशों में ऐसी उपयोजनाओं के क्षेत्रों की पहचान की गयी है। ये क्षेत्र मुख्यतः मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, महाराष्ट्र, झारखण्ड, गुजरात, आन्ध्रप्रदेश और राजस्थान आदि राज्यों की 19 तहसीलें तथा 23 पंचायत समितियों में स्थित हैं।

परियोजनाओं का उद्देश्य:
जनजातीय क्षेत्रों के लिए जो परियोजनाएँ बनाई जाती हैं, उनके.निम्नलिखित उद्देश्य हैं –

  1. जनजातीय तथा अन्य क्षेत्रों के मध्य विकास स्तर के अन्तर को कम करना।
  2. जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना।

इन क्षेत्रों के लिए जो उपयोजनाएँ बनाई जाती हैं, उनमें कृषि एवं बागवानी, पशुपालन, वानिकी, लघु एवं ग्राम उद्योग, विपणन में सुधार आदि शामिल हैं। इनमें शिक्षा को प्राथमिकता के साथ शुद्ध पेयजल, पर्याप्त आवास, चिकित्सा एवं पोषाहार आदि मूलभूत सुविधाओं को भी शामिल किया जाता है।

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 21 भारत में नियोजन

RBSE Class 12 Geography Chapter 21 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 21.
दसवीं पंचवर्षीय योजना का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अवधि 1 अप्रैल 2002 से 31 मार्च 2007 तक उद्देश्य एवं लक्ष्य-दसवीं पंचवर्षीय योजना के लिए निम्नांकित उद्देश्य एवं लक्ष्य निर्धारित किए गए थे –

  1. विकास की दर का लक्ष्य 8 प्रतिशत रखा गया।
  2. निर्धनता अनुपात को 19.34 प्रतिशत के स्तर पर लाना।
  3. श्रम शक्ति को लाभपूर्ण रोजगार उपलब्ध कराना।
  4. प्राथमिक शिक्षा की पहुँच को सर्वव्यापक बनाना।
  5. जनसंख्या की दशकीय वृद्धि दर को 16.2 प्रतिशत तक कम करना।
  6. साक्षरता प्रतिशत को 75 प्रतिशत तक पहुंचाना।
  7. शिशु मृत्युदर तथा मातृमृत्यु दर को कम करना।
  8. वनाच्छादन क्षेत्र को 25 प्रतिशत तक बढ़ाना।
  9. लगभग सभी गावों को वर्ष 2012 तक पेयजल की सुविधा उपलब्ध करवाना।
  10. सभी प्रमुख नदियों को प्रदूषण मुवत करना।

प्राथमिकता:
दसवीं पंचवर्षीय योजना में सर्वोच्च प्राथमिकता ऊर्जा को दी गयी। इसके अलावा प्राथमिकताओं का क्रम निम्न प्रकार रहा –

  1. सामाजिक सेवाएँ (22.8 प्रतिशत)।
  2. कृषि एवं आर्थिक क्रियाओं पर 20.1 प्रतिशत परिव्यय।
  3. सन्तुलित विकास की आवश्यकता पर बल।
  4. ई-गवर्नेस में सुधार, निवेशकों के लिए उचित माहौल देने देश में आन्तरिक व्यापार की बाधाओं को दूर करने तथा पंचायतों को वित्तीय तथा प्रशासकीय दृष्टि से सुदृढ़ बनाने पर बल।
  5. निर्धनता उन्मूलन हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में परिसम्पत्ति निर्माण कार्यक्रमों पर बल। दसवीं पंचवर्षीय योजना में सार्वजनिक परिव्यय की कुलराशि 15,92,300 करोड़ रुपये अनुमानित थी लेकिन साधनों का आवंटन 15,25,630 करोड़ रुपये किया गया।

परिणाम एवं सम्भावनाएँ:
दसवी पंचवर्षीय योजना मानवीय कल्याण कार्यों तथा जीवन-स्तर में व्यापक सुधार, खाद्यान्न एवं अन्य उपभोक्ता वस्तुओं की आपूर्ति, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, स्वच्छता आदि पर केन्द्रित थी। योजना का दृष्टिकोण प्रामाणिक, पारदर्शी तथा परिवर्तनकारी लगता है। दसवीं पंचवर्षीय योजना के मध्यावधि मूल्यांकन में उद्योग एवं कृषि विकास, जैव प्रौद्योगिकी एवं स्वास्थ्य, सार्वजनिक निवेश में वृद्धि, केन्द्र राज्यों के वित्तीय साधनो के लिए सुधारात्मक नीतियाँ बनाना, क्षेत्रीय विषमताओं और पिछड़ेपन को दूर करने के अनुभवों की जांच आदि तत्वों का समावेश मध्यावधि मूल्यांकन में किया गया है।

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प्रश्न 22.
प्रादेशिक असन्तुलन को समझाइए।
उत्तर:
प्रादेशिक असन्तुलन से अभिप्राय प्रादेशिक स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में प्राप्त विकास की विषमताओं से है। प्रादेशिक स्तर पर आज भी कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जो विभिन्न विकास क्षेत्रों में आगे हैं जबकि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जो विकास से कोसों दूर हैं। जैसे-वर्तमान समय में भी बुन्देलखण्ड क्षेत्र विकास की दृष्टि से अन्य क्षेत्रों से पिछड़ा है।

उदाहरणार्थ:
अविभाजित बिहार एवं मध्यप्रदेश यद्यपि प्राकृतिक संसाधनों में सम्पन्न हैं किन्तु आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हैं।

अन्तर्घादेशिक असमानताओं से सम्बन्धित अध्ययन:
के. वी. सुन्दरम् ने प्रिंसिपल कम्पोनेन्ट एनालीसिस टेकनीक द्वारा 14 चरों के माध्यम से अविकसित भारत के निम्न एवं अति निम्न वर्ग की पहचान की है। इसके अन्तर्गत देश के पूर्वी, मध्यवर्ती तथा मध्य-दक्षिणी भाग को सम्मिलित किया है। इनमें स्थित महत्वपूर्ण नगरीय केन्द्रों को द्वीपों की भांति चित्तीदार विकास का सूचक माना है। इन्होंने समस्याग्रस्त क्षेत्र में निम्न पाँच पिछड़े क्षेत्रों की पहचान की है –

  1. उत्तरी-पूर्वी भारत।
  2. पूर्वी मध्यवर्ती भारत को जनजातीय मेखला।
  3. पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं उत्तरी विहार।
  4. उत्तर प्रदेश एवं मध्यप्रदेश का बुन्देलखण्ड क्षेत्र।
  5. पारिस्थितिक दृष्टि से असन्तुलित क्षेत्र।

मोनी महोदय (1999) ने 1991 के आंकड़ों के आधार पर 38 चरों की सहायता से जनपदीय स्तर पर देश के विकास के स्तर को मानचित्रित करने का प्रयास किया हैं। इसमें ऐसे क्षेत्रों की पहचान की गयी है जिसमें विगत बीस वर्षों से कोई विकास कार्य नहीं हुआ है। सरकारी स्तर पर पिछड़े क्षेत्रों की पहचान एवं उनकी समस्याओं के अध्ययन के लिए निग्न समितियों एवं आयोगों का गठन किया गया है –

  1. चक्रवर्ती कमेटी – 1972 (योजना आयोग द्वारा)।
  2. शिवरमन कमेटी – 1978।
  3. आई. जी. पटेल कमेटी – 1984 (गुजरात के लिए)।
  4. डांडेकर पैक्ट फाइंडिंग कमेटी – 1984 (महाराष्ट्र के लिए)।

आर्थिक पिछड़ेपन के कारण:
योजना आयोग ने आर्थिक पिछड़ेपन के निम्न तीन कारण बताए हैं –

  1. ऐतिहासिक उपेक्षा।
  2. भौतिक असुविधाएँ – जलवायु, मृदा, स्थलाकृति, भूमिजल आदि।
  3. सामाजिक पिछड़ापन – जनजातीय क्षेत्र, सीमान्त समूह तथा उत्पीड़ित समुदाय आदि।

राज्य स्तर पर भी विकास में काफी विषमता देखने को मिलती है। इसके लिए प्रति व्यक्ति आय, नगरीकरण, साक्षरता, निर्धनता प्रतिशत, बेरोजगारी, बुनियादी सेवाओं, चिकित्सा, शस्य गहनता, सिंचाई आदि चरों की सहायता से अध्ययन किया जाता है।

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प्रश्न 23.
मरु विकास कार्यक्रम व पर्वतीय विकास कार्यक्रम का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मरु विकास कार्यक्रम (Desert Development Programme)-मरुस्थल दो प्रकार के होते हैं –

  1. उष्ण मरुस्थल तथा।
  2. शीतल मरुस्थल।

मरु विकास कार्यक्रम कृषि आयोग की सिफारिशों पर 1977-78 में प्रारम्भ किया गया था। इसे देश के 7 राज्यों के 40 जिलों के 235 विकास खण्डों में लागू किया गया है। इन राज्यों में आन्ध्रप्रदेश, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक एवं राजस्थान सम्मिलित हैं। राजस्थान के 16 जिलों के 85 विकास खण्डों में यह कार्यक्रम चल रहा है। इसमें खर्च का सारा भाग केन्द्र सरकार वहन करती है। 1995 में इस कार्यक्रम को ‘जलसंभर विकास कार्यक्रम में सम्मिलित कर लिया गया है।

कार्यक्रम का उद्देश्य:
मरु विकास कार्यक्रम के निम्न उद्देश्य हैं –

  1. मरुस्थल के प्रसार को रोकना।
  2. स्थानीय संसाधनों की उत्पादकता को बढ़ाकर लोगों की आय और रोजगार स्तर में वृद्धि करना।

मरुस्थलीकरण को रोकने के उपाय:
यह कार्यक्रम मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए ऐसे कार्यक्रमों पर बल देता है। जो पारिस्थितिकी के सन्तुलन को बनाए रखने, बालुका स्तूपों को स्थिर तथा मृदा एवं जल संरक्षण में सहायक हैं। इसके लिए निम्नलिखित उपाय सुझाए गए हैं –

  1. सुरक्षा पेटियों का लगाना।
  2. जल संरक्षण तकनीकों को अपनाना।
  3. पशुपालन हेतु चरागाहों का विकास।
  4. वृक्षारोपण पर बल देना।

इसी प्रकार लद्दाख़ व अन्य शीत प्रधान मरुक्षेत्रों के लिए सिंचित कृषि एवं पशुपालन पर बल दिया गया है।

पर्वतीय विकास कार्यक्रम:
भारत के कुल क्षेत्रफल के 17 प्रतिशत भाग परं पर्वत हैं जिसमें देश की लगभग 11 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। पर्वतीय क्षेत्र दो प्रकार के हैं –

  1. सम्पूर्ण पर्वतीय क्षेत्र वाले राज्य।
  2. आंशिक पर्वतीय क्षेत्र वाले राज्य।

प्रथम श्रेणी में उत्तर:
पूर्व के राज्य आते हैं। उत्तर में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखण्ड – ये विशिष्ट श्रेणी के राज्य हैं। इनके खर्च का बड़ा भाग केन्द्र सरकार वहन करती है। उत्तर-पूर्व के राज्यों के विकास के लिए संसद अधिनियम (97) द्वारा ‘उत्तरी-पूर्वी परिषद’ का गठन किया गया है। दूसरे वर्ग में असम तथा प. बंगाल सम्मिलित हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, गोवा तथा केरल में भी पर्वतीय क्षेत्र आते हैं। यद्यपि इनका विकास राज्य सरकारों का काम है परन्तु केन्द्र सरकार उन्हें अलग से वित्तीय सहायता देती है।

पर्वतीय क्षेत्रों के विकास कार्यक्रम:
पर्वतीय क्षेत्रों के विकास कार्यक्रमों में बागवानी, बागान कृषि, पशुपालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन, वानिकी, मृदा संरक्षण तथा ग्रामीण उद्योग सम्मिलित हैं। इनको पैकेज व सहकारिता के आधार पर बढ़ावा दिया जाता है। जैसे-वानिकी कार्यक्रम में बागाती कृषि, कृषि वानिकी, सामाजिक वानिकी व फलोद्यान को बढ़ावा देना तथा इनके विपणन की व्यवस्था करना आदि। पर्वतीय जनजातीय क्षेत्रों में स्थानान्तरणशील कृषि को स्थायी कृषि तथा कहवा, रबर आदि के कृषकों को स्थायी कृषक बनाने का कार्यक्रम अपेक्षित है।

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 21 भारत में नियोजन

प्रश्न 24.
बारहवीं पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य, प्रगति एवं परिणाम की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
अवधि – 1 अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017 तक।
लक्ष्य – 12वीं पंचवर्षीय योजना के दृष्टिपत्र में योजना के लक्ष्यों का विवरण निम्न प्रकार है –

लक्ष्य प्रस्तावित प्रतिशत
1. विकास दर 9.0 प्रतिशत (इसे बाद में घटाकर 8.2 प्रतिशत कर दिया गया)
2. कृषि क्षेत्र में वृद्धि 4.6 प्रतिशत
3. उद्योग क्षेत्र में वृद्धि 9.6 प्रतिशत
4. सेवा क्षेत्र में वृद्धि 10.0 प्रतिशत
5. निवेश दर 38.7 प्रतिशत (जीडीपी के प्रतिशत के रूप में)
6. बचत दर 36.2 प्रतिशत (जीडीपी के प्रतिशत के रूप में)
7. औसत वार्षिक राजकोषीय घाटा 3.25 प्रतिशत (जीडीपी के प्रतिशत के रूप में)
8. थोक मूल्य सूचकांक में औसत वार्षिक वृद्धि 4.5 से 5 प्रतिशत

इस योजना में गरीबी अनुपात को 10 प्रतिशत से कम करना, आधारभूत संरचना क्षेत्र में विनियोग को जीडीपी के 9 प्रतिशत तक लाने का प्रयास करना तथा आधारकार्ड पर आधारित बैंकिंग व्यवस्था से सभी सब्सिडी आधारित योजनाओं को प्रत्यक्ष कैश ट्रान्सफर योजना से सम्बन्धित करना है। 12वीं पंचवर्षीय योजना वार्षिक विकास दर के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्यों से सहयोग की अपेक्षा प्रधानमन्त्री द्वारा की गयी है।

11वीं पंचवर्षीय योजना में थोक मूल्य सूचकांक में औसत वार्षिक वृद्धि लगभग 6.0% अनुमानित थी जो बारहवीं पंचवर्षीय योजना में 4.5 से 5.0% तक सीमित रखने का लक्ष्य है। योजनावधि में केन्द्र सरकार का औसत वार्षिक राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.25% तक सीमित रखने का लक्ष्य इस योजना व दृष्टिपत्र में निर्धारित किया गया है।

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RBSE Class 12 Geography Chapter 21 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 12 Geography Chapter 21 बहुचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय विकास परिषद है एक –
(अ) संवैधानिक निकाय
(ब) गैर-संवैधानिक निकाय
(स) विधायी समिति
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) गैर-संवैधानिक निकाय

प्रश्न 2.
सामुदायिक विकास कार्यक्रम को अपनाना किस योजना का लक्ष्य था?
(अ) प्रथम पंचवर्षीय योजना
(ब) द्वितीय पंचवर्षीय योजना
(स) तृतीय पंचवर्षीय योजना
(द) चतुर्थ पंचवर्षीय योजना
उत्तर:
(अ) प्रथम पंचवर्षीय योजना

प्रश्न 3.
द्वितीय पंचवर्षीय योजना की रूपरेखा तैयार की गयी थी –
(अ) पी.सी. महालनोबिस द्वारा
(ब) हैरोड-डोमर द्वारा
(स) रोस्टोव द्वारा
(द) वकील एवं ब्रह्मानन्द द्वारा
उत्तर:
(अ) पी.सी. महालनोबिस द्वारा

प्रश्न 4.
चौथी पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल था –
(अ) 1 अप्रैल 1961 से 31 मार्च 1966 तक
(ब) 1 अप्रैल 1969 से 31 मार्च 1974 तक
(स) 1 अप्रैल 1967 से 31 मार्च 1972 तक
(द) 1 अप्रैल 1974 से 31 मार्च 1979 तक
उत्तर:
(ब) 1 अप्रैल 1969 से 31 मार्च 1974 तक

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प्रश्न 5.
मुद्रास्फीति की स्थिति में –
(अ) मूल्य स्तर घटता है।
(ब) मूल्य स्तर बढ़ता है।
(स) मूल्य स्तर स्थिर रहता है।
(द) मूल्य स्तर लोचदार होता है।
उत्तर:
(ब) मूल्य स्तर बढ़ता है।

प्रश्न 6.
विदेशी आक्रमणों तथा अकाल एवं सूखा किस पंचवर्षीय योजना की समस्याएँ रहीं?
(अ) प्रथम पंचवर्षीय योजना
(ब) द्वितीय पंचवर्षीय योजना
(स) तृतीय पंचवर्षीय योजना
(द) चतुर्थ पंचवर्षीय योजना
उत्तर:
(स) तृतीय पंचवर्षीय योजना

प्रश्न 7.
निम्न में से कौन-सी पंचवर्षीय योजना समय से एक वर्ष पूर्व ही समाप्त कर दी गयी?
(अ) तृतीय पंचवर्षीय योजना
(ब) पंचम पंचवर्षीय योजना
(स) सप्तम पंचवर्षीय योजना
(द) नवीं पंचवर्षीय योजना
उत्तर:
(ब) पंचम पंचवर्षीय योजना

प्रश्न 8.
डांडेकर फैक्ट फाइंडिंग कमेटी-1984 का सम्बन्ध किस राज्य से था?
(अ) गुजरात
(ब) उत्तर प्रदेश
(स) तमिलनाडु
(द) महाराष्ट्र
उत्तर:
(द) महाराष्ट्र

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प्रश्न 9.
आई. जी. पटेल कमेटी-1984 का सम्बन्ध किस राज्य से था?
(अ) गुजरात
(ब) बिहार
(स) उत्तर प्रदेश
(द) मध्यप्रदेश
उत्तर:
(अ) गुजरात

प्रश्न 10.
जनजातीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम उन क्षेत्रों के लिए बनाए जाते हैं, जहाँ जनजातियों की जनसंख्या –
(अ) 75 प्रतिशत से अधिक हो
(ब) 60 प्रतिशत से अधिक हो
(स) 50 प्रतिशत से अधिक हो
(द) 33 प्रतिशत से अधिक हो
उत्तर:
(स) 50 प्रतिशत से अधिक हो

प्रश्न 11.
पर्वतीय क्षेत्रों के संसाधनों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है –
(अ) दूर संवेदन तकनीकी द्वारा
(ब) हवाई छायाचित्र द्वारा
(स) धरातलीय सर्वेक्षण द्वारा
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी

सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न

निम्नलिखित में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए –

(क)

स्तम्भ (अ)
(पंचवर्षीय योजना)
स्तम्भ (ब)
(कार्यक्रम)
(i) द्वितीय (अ) आरडीपी
(ii) पंचम (ब) जे आर वाई
(iii) छठी (स) मरनेगा
(iv) सातवीं (द) आदर्श ग्राम कार्यक्रम
(v) दसवीं (य) ग्रामीण विकास
(vi) ग्यारहवीं (र) भिलाई इस्पात कारखाने की स्थापना
(vii) बारहवीं (ल) डीएनपी-1

उत्तर:
(i) र (ii) ल (iii) अ (iv) ब (v) स (vi) य (vii) द

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RBSE Class 12 Geography Chapter 21 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
नियोजन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
किसी कार्य को करने की पूर्व तैयारी, रूपरेखा बनाना और उनका क्रियान्वयन नियोजन के अन्तर्गत शामिल किया जाता है।

प्रश्न 2.
नियोजन के प्रमुख दो रूप कौन-से हैं?
उत्तर:
नियोजन के प्रमुख दो रूप निम्न हैं –

  1. खण्डीय नियोजन।
  2. प्रादेशिक नियोजन।

प्रश्न 3.
नियोजन के प्रमुख चरणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
नियोजन में मुख्यत: निम्न तीन चरणों का समावेश होता है –

  1. कार्य करने की पूर्व तैयारी, (31) भावी कार्य की रूपरेखा को बनानः।
  2. क्रियान्वयन।

प्रश्न 4.
खण्डित नियोजन क्या है?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों-कृषि, उद्योग, व्यापार, सिंचाई आदि के लिए अलग-अलग योजनाएँ बनाना एवं उनका क्रियान्वयन करना खगडीय नियोजन कहलाता है।

प्रश्न 5.
प्रादेशिक नियोजन क्या है?
उत्तर:
किसी विस्तृत भूभाग को प्रदेशों में बांटकर समस्त प्रदेश के लिए उसमें निहित समस्त संसाधनों के उचित उपयोग व विकास के लिए कार्यक्रम बनाना तथा लागू करना प्रादेशिक नियोजन कहलाता है।

प्रश्न 6.
नियोजन की आवश्यकता किस प्रकार के देशों के लिए ज्यादा उपयोगी है?
उत्तर:
नियोजन को आवश्यकता भारत जैसे विकासशील देशों के लिए अधिक उपयोगी है।

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प्रश्न 7.
योजना आयोग का गठन कब किया गया?
उत्तर:
भारत सरकार ने एक प्रस्ताव द्वारा 15 मार्च 1950 को योजना आयोग का गठन किया।

प्रश्न 8.
राष्ट्रीय विकास परिषद का गठन कब किया गया?
उत्तर:
अगस्त 1952 को।

प्रश्न 9.
सष्ट्रीय विकास परिषद् का प्रमुख कार्य क्या प्रकार होता है?
उत्तर:
राष्ट्रीय विकास परिषद का प्रमुख कार्य आर्थिक नियोजन हेतु योजना आयोग तथा राज्यों के बीच समन्वय बनाए रखना है।

प्रश्न 10.
राष्ट्रीय विकास परिषद का संगठन किस प्रकार होता है?
उत्तर:
राष्ट्रीय विकास परिषद का संगठन प्रधानमन्त्री, केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद के सदस्यों, सभी राज्य के मुख्यमन्त्रियों तथा योजना आयोग के सदस्यों द्वारा होता है।

प्रश्न 11.
राष्ट्रीय आयोजना परिषद् क्या है? इसका संगठन कैसे होता है?
उत्तर:
राष्ट्रीय आयोजना परिषद् का गठन प्रत्येक योजना निर्माण के समय किया जाता है। इसमें राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त इन्जीनियर, वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री व अन्य विशेषज्ञ शामिल किए जाते हैं।

प्रश्न 12.
नियोजन का सर्वमान्य उद्देश्य क्या रहा है?
उत्तर:
नियोजन की प्राथमिकताएँ समय के अनुरूप बदलती रही हैं। किन्तु नियोजन का सर्वमान्य उद्देश्य-विकास, आधुनिकीकरण, आत्मनिर्भरता एवं सामाजिक न्याय रहा है।

प्रश्न 13.
भारत में नियोजन की व्यूह रचना कब से प्रारम्भ मानी जाती है?
उत्तर:
भारत में नियोजन की व्यूह रचना द्वितीय पंचवर्षीय योजना से प्रारम्भ मानी जाती है।

प्रश्न 14.
प्रो. पी. सी. महालनोबिस का विकास मॉडल किस पर आधारित था?
उत्तर:
प्रो. पी. सी. महालनोबिस का विकास मॉडल उद्योगों के विकास पर आधारित था।

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प्रश्न 15.
वकील और ब्रह्मानन्द के मॉडल को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
वकील एवं ब्रह्मानन्द का मॉडल ‘मजदूरी वस्तुओं के मॉडल’ के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 16.
12वीं पंचवर्षीय योजना में किस पर अधिक बल दिया गया?
उत्तर:
12वीं पंचवर्षीय योजना में अधिक तीव्र, अधिक समावेशी व स्थिर। टिकाऊ विकास की रणनीति पर जोर दिया गया।

प्रश्न 17.
प्रथम पंचवर्षीय योजना में सर्वोच्च प्राथमिकता किसे दी गयी?
उत्तर:
प्रथम पंचवर्षीय योजना में सर्वोच्च प्राथमिकता कृषि एवं सिंचाई को दी गयी।

प्रश्न 18.
प्रथम पंचवर्षीय योजना में राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय में कितनी वृद्धि हुई?
उत्तर:
प्रथम पंचवर्षीय योजना में राष्ट्रीय आय में 18 प्रतिशत तथा प्रति व्यक्ति आय में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

प्रश्न 19.
द्वितीय पंचवर्षीय योजना में किस पर बल दिया गया?
उत्तर:
द्वितीय पंचवर्षीय योजना में तीव्र औद्योगीकरण पर जोर दिया गया।

प्रश्न 20.
तृतीय पंचवर्षीय योजना का मुख्य लक्ष्य क्या था?
उत्तर:
तृतीय पंचवर्षीय योजना का मुख्य लक्ष्य आत्मनिर्भरता एवं स्वयं स्फूर्त अर्थव्यवस्था की स्थापना करना था।

प्रश्न 21.
तृतीय पंचवर्षीय योजना में परिव्यय की स्थिति क्या रही?
उत्तर:
इस योजना में 7500 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया किन्तु वास्तविक व्यय 8577 करोड़ रुपये हुआ।

प्रश्न 22.
योजना अवकाश किसे कहा गया?
उत्तर:
नियमित नियोजन न होने के कारण 1966 – 69 : की अवधि को योजनावकाश कहा जाता है।

प्रश्न 23.
चतुर्थ पंचवर्षीय योजना के दो मुख्य उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:
चतुर्थ पंचवर्षीय योजना के दो मुख्य उद्देश्य थे –

  1. स्थिरता के साथ आर्थिक विकास।
  2. आत्मनिर्भरता की प्राप्ति।

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प्रश्न 24.
चतुर्थ पंचवर्षीय योजना में सार्वजनिक क्षेत्र पर परिव्यय कितना था?
उत्तर:
चतुर्थ पंचवर्षीय योजना में सार्वजनिक क्षेत्र पर परिव्यय 15,902 करोड़ रुपये रखा गया था।

प्रश्न 25.
चतुर्थ पंचवर्षीय योजना की दो कमियाँ बताइए।
उत्तर:
चतुर्थ पंचवर्षीय योजना की दो प्रमुख कमियां निम्न थी –

  1. यह योजना अपने निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में असफल रही।
  2. देश में बेरोजगारी की समस्या में वृद्धि हुई।

प्रश्न 26.
पंचम पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
पंचम पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य गरीबी उन्मूलन व आत्मनिर्भरता था।

प्रश्न 27.
संक्रमणकालीन योजना क्या है?
उत्तर:
छठी पंचवर्षीय योजना दो बार तैयार की गयी। अतः विकास की प्रक्रिया में 1 अप्रैल 1979 से मार्च 1980 की अवधि को संक्रमणकालीन योजना कहा जा सकता है।

प्रश्न 28.
छठीं पंचवर्षीय योजना का क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
गरीबी निवारण व बेरोजगारी की दर को कम करना इस योजना का मुख्य उद्देश्य था।

प्रश्न 29.
छठी पंचवर्षीय योजना के दो ऋणात्मक पहलू बताइए।
उत्तर:
छठी पंचवर्षीय योजना के दो ऋणात्मक पहलू निम्न थे –

  1. इस अवधि में विकास की गति ऋणात्मक (-6%) रही।
  2. देश में विदेशी विनिमय को संकट खड़ा हो गया।

प्रश्न 30.
छठी पंचवर्षीय योजना का सार्वजनिक क्षेत्र का परिव्यय कितना था?
उत्तर:
छठी पंचवर्षीय योजना में सार्वजनिक क्षेत्र का कुल परिव्यय 97,500 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया था।

प्रश्न 31.
छठी पंचवर्षीय योजना में गरीबी एवं बेरोजगारी उन्मूलन हेतु चलाए गए तीन कार्यक्रमों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
छठी पंचवर्षीय योजना में गरीबी एवं बेरोजगारी उन्मूलन हेतु निम्न तीन कार्यक्रम चलाए गए –

  1. एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम (IRDP)
  2. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम (NREP)
  3. न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम (MNP)

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प्रश्न 32.
सातवीं पंचवर्षीय योजना के प्रमुख उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:
इस योजना के प्रमुख उद्देश्य आर्थिक वृद्धि, आधुनिकीकरण, आत्मनिर्भरता व सामाजिक न्याय आधारभूत उद्देश्य थे।

प्रश्न 33.
सातवीं पंचवर्षीय योजना में क्या संकल्प लिया गया?
उत्तर:
इस योजना में गरीबी, बेरोजगारी व क्षेत्रीय असंतुलनों की समस्या पर सीधा प्रहार करने का संकल्प लिया गया।

प्रश्न 34.
सातवीं पंचवर्षीय योजना का प्रस्तावित ३ व्यय किंतना था?
उत्तर:
सातवीं पंचवयि योजना के प्रस्तावित व्यय 3,48,148 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया था।

प्रश्न 35.
सातवी पंचवर्षीय योजना की कोई दो कमियाँ बताइए।
उत्तर:
सातवीं पंचवर्षीय योजना की दो कमियाँ निम्नलिखित थी –

  1. घाटे की वित्त व्यवस्था के कारण मुद्रास्फीति की समस्या पैदा हुई।
  2. विदेशी कर्ज का = भार बढ़ने से भारत ऋण जाल में फंस गया।

प्रश्न 36.
आठवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान क्या लक्ष्य तय किये गए?
उत्तर:
आर्थिक सत्ता का विकेन्द्रीकरण, निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम, सामाजिक न्याय की प्राप्ति व आर्थिक समानता का मार्ग प्रशस्त करने का लक्ष्य तय किया गया।

प्रश्न 37.
प्रधानमन्त्री विशेष कार्य योजना (SAP) – की प्राथमिकताएँ क्या थीं?
उत्तर:
प्रधानमन्त्री विशेष कार्य योजना में निम्न तीन प्राथमिकताएँ थीं –

  1. खाद्य एवं कृषि सुधार।
  2. सूचना प्रौद्योगिकी विकास।
  3. पेयजल आपूर्ति।

प्रश्न 38.
प्रधानमन्त्री विशेष कार्य योजना के लिए कितने धन का प्रावधान किया गया?
उत्तर:
प्रधानमन्त्री विशेष कार्य योजना के लिए 21,946 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया।

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प्रश्न 39.
नवीं पंचवर्षीय योजना की दो प्राथमिकताएँ बताइए।
उत्तर:
नवीं पंचवर्षीय योजना की दो प्राथमिकताएँ निम्न थी –

  1. ऊर्जा क्षेत्र।
  2. सामाजिक सेवाएँ।

प्रश्न 40.
दसवीं पंचवर्षीय योजना में किन उपेक्षित मुद्दों पर जोर दिया गया।
उत्तर:
इस योजना में ई-गवर्नेस सुधार, निवेशकों के लिए उचित माहौल स्थापित करने, देश में आन्तरिक व्यापार की बाधाओं को दूर करने तथा वित्तीय एवं प्रशासकीय दृष्टि से पंचायतों को सुदृढ़ बनाने पर जोर दिया गया।

प्रश्न 41.
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
तीव्र व संमावेशी विकास।

प्रश्न 42.
क्षेत्रीय नियोजन के कितने प्रकार हैं?
उत्तर:
क्षेत्रीय नियोजन के दो प्रकार हैं –

  1. एक स्तरीय नियोजन
  2. बहुस्तरीय नियोजन

प्रश्न 43.
एक स्तरीय नियोजन क्या है?
उत्तर:
एक स्तरीय नियोजन में सभी निर्णय राष्ट्रीय स्तर पर दिए जाते हैं तथा उनके क्रियान्वयन के लिए निचले क्षेत्रीय स्तरों का सहारा लिया जाता है।

प्रश्न 44.
बहुस्तरीय नियोजन क्या है?
उत्तर:
बहुस्तरीय नियोजन में देश को विभिन्न स्तर की प्रादेशिक इकाइयों में बाँटकर नियोजन की नीतियाँ तय की जाती हैं। ये सभी प्रादेशिक इकाइयाँ एक-दूसरे की पूरक होती हैं।

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प्रश्न 45.
मरुस्थल कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
मरुस्थल दो प्रकार के होते हैं –

  1. उष्ण मरुस्थल।
  2. शीत मरुस्थल।

प्रश्न 46.
मरुस्थलीकरण क्या है?
उत्तर:
मरुस्थलीय क्षेत्रों के लगातार बढ़ते जाने की प्रक्रिया को मरुस्थलीकरण कहते हैं।

प्रश्न 47.
मरुस्थलीकरण को रोकने के तीन आयाम क्या हैं?
उत्तर:
मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए निम्न तीन आयामों पर ध्यान देना आवश्यक है –

  1. प्राकृतिक सन्तुलन की पुनस्र्थापना।
  2. बालूका स्तूपों का स्थिरीकरण।
  3. मृदा एवं जल का संरक्षण।

प्रश्न 48.
मरुस्थलीकरण को रोकने के तीन उपाय बताइए।
उत्तर:
मरुस्थलीकरण को रोकने के तीन उपाय निम्नलिखित हैं –

  1. सुरक्षा पेटियों का लगाना।
  2. जल संग्रहण तकनीकों को अपनाना।
  3. चरागाहों का विकास करना।

प्रश्न 49.
मरुस्थल विकास कार्यक्रम की शुरुआत कब और किससे द्वारा हुई।
उत्तर:
मरुस्थल विकास कार्यक्रम की शुरुआत कृषि आयोग की सिफारिशों पर 1977-78 में की गयी।

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प्रश्न 50.
मरुस्थल विकास कार्यक्रम देश के किन राज्यों में संचालित हो रहा है?
उत्तर:
मरुस्थल विकास कार्यक्रम देश के सात राज्यों में संचालित हो रहा है। ये राज्य हैं – आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू व कश्मीर, कर्नाटक और राजस्थान है।

प्रश्न 51.
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देश में परिगणित जनजातियों की जनसंख्या कितनी थी?
उत्तर:
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देश में परिगणित जनजातियों की जनसंख्या 182.81 लाख थी।

प्रश्न 52.
जनजातीय विकास कार्यक्रम के दो उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
जनजातीय विकास कार्यक्रम के दो उद्देश्य निम्न हैं –

  1. जनजातीय व अन्य क्षेत्रों के बीच विकास स्तर के अन्तर को कम करना।
  2. जनजातीय जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना।

प्रश्न 53.
राजस्थान के किन जिलों में जनजातीय विकास कार्यक्रम चल रहा है?
उत्तर:
राजस्थान के पांच जिलों-डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, उदयपुर एवं सिरोही की 19 तहसीलों की 23 पंचायत समितियों में जनजातीय विकास कार्यक्रम संचालित हो रहा है।

प्रश्न 54.
जनजातीय विकास कार्यक्रम हेतु क्षेत्र को कितने स्तरों में बाँटा जाता है?
उत्तर:
जनजातीय विकास कार्यकम हेतु जनजातीय क्षेत्र को निम्न तीन स्तरों में बांटा जाता है –

  1. वृहद् स्तर जनजातीय जमाव क्षेत्र।
  2. मध्यम स्तर-तहसील।
  3. लघुस्तर-विकास खण्ड।

प्रश्न 55.
भारत में पर्वतीय क्षेत्र का विस्तार कितना है?
उत्तर:
भारत में पर्वतीय क्षेत्र का विस्तार कुल क्षेत्रफल के 17 प्रतिशत भाग पर पाया जाता है।

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प्रश्न 56.
भारत के पर्वतीय भागों में कितने प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है?
उत्तर:
भारत के पर्वतीय भागों में देश की लगभग 11 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।

प्रश्न 57.
भारत में सम्पूर्ण पर्वतीय क्षेत्र के विशिष्ट राज्य कौन-से हैं?
उत्तर:
भारत में पर्वतीय राज्य हैं – उत्तर-पूर्व के राज्य, जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखण्ड। ये विशिष्ट श्रेणी के राज्य कहलाते हैं।

प्रश्न 58.
उत्तर:
पूर्वी पर्वतीय राज्यों के विकास के लिए भारत सरकार ने क्या किया है?
उत्तर:
उत्तर-पूर्वी पर्वतीय राज्यों के विकास के लिए भारत सरकार ने संसद अधिनियम 1971 द्वारा ‘उत्तर-पूर्वी परिषद’ का गठन किया है।

प्रश्न 59.
उत्तर-पूर्वी परिषद ने उत्तर-पूर्वी पर्वतीय राज्यों के विकास के लिए क्या किया है?
उत्तर:
उत्तर-पूर्वी परिषद ने ऊर्जा उत्पादन, सड़क निर्माण, कृषि, पशुपालन तथा मात्स्यिकी आदि अन्तर्जादेशिक के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

प्रश्न 60.
पर्वतीय क्षेत्रों के प्रमुख विकास कार्यक्रमों के नाम बताइए।
उत्तर:
पर्वतीय क्षेत्रों के प्रमुख विकास कार्यक्रमों में बागवानी, बागानं कृषि, पशुपालन, मुर्गीपालन, मधुमक्खी पालन, वानिकी, मृदा संरक्षण एवं ग्रामीण उद्योग प्रमुख हैं।

प्रश्न 61.
पर्वतीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त दो उद्योगों के नाम बताइए।
उत्तर:
पर्वतीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त दो उद्योग महत्वपूर्ण हैं –

  1. कुटीर उद्योग-गलीचा बनाना व हथकरघा उद्योग।
  2. पर्यटन उद्योग।

प्रश्न 62.
पर्वतीय क्षेत्र हिमालय किन दो जैविकीय विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है?
उत्तर:
पर्वतीय क्षेत्र हिमालय निम्न दो, जैविकीय विशेषताओं के लिए महत्वपूर्ण है –

  1. जैव विविधता के लिए।
  2. औषधीय पौधों, फलों-फूलों व वन्य जीवों की अनेक प्रजातियों के लिए।

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RBSE Class 12 Geography Chapter 21 लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA-I)

प्रश्न 1.
भारत में नियोजन कार्य के बारे में बताइए।
उत्तर:
भारत में केन्द्रीकृत नियोजन व्यवस्था है तथा नियोजन का कार्य देश में योजना आयोग को दिया गया हैं। योजना आयोग एक वैधानिक संस्था है जिसका अध्यक्ष प्रधानमन्त्री होता है तथा इसमें एक उपाध्यक्ष व अन्य कई सदस्य भी होते हैं। हमारे देश में नियोजन का कार्य मुख्यत: पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से किया जाता है। अब तक हमारे देश में 11 पंचवर्षीय योजनाएँ व छः वार्षिक योजनाएँ पूर्ण हो चुकी हैं। वर्तमान में 12 वीं पंचवर्षीय योजना 1 अप्रैल 2012 से संचालित है और इसका कार्यकाल 31 मार्च 2017 तक के लिए है।

प्रश्न 2.
नियोजन क्या है? इसके लक्ष्य क्या हैं?
उत्तर:
नियोजन किसी प्रदेश के संसाधनों के इष्टतम उपयोग द्वारा आर्थिक समृद्धि प्राप्त करने की प्रणाली है। यह विशिष्ट लक्ष्यों को प्राप्त करने का एक संगठित, सचेतन व सतत् प्रयास है। इसके निम्नलिखित लक्ष्य हैं –

  1. वास्तविकता और प्रत्याशी के मध्य अन्तराल को कम करना।
  2. आत्मनिर्भरता प्राप्त करना।
  3. आन्तरिक व अन्तर्घादेशिक विषमताओं को कम करना।
  4. लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाना आदि।

प्रश्न 3.
भारत जैसे विकासशील देशों में नियोजन की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
भारत जैसे विकासशील देशों में नियोजन की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है –

  1. लोगों की गरीबी को दूर करने हेतु।
  2. राष्ट्रीय एवं प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि करने के लिए।
  3. आय और सम्पत्ति में असमानता को कम करने हेतु।
  4. रोजगार के अवसरों में वृद्धि करने के लिए।
  5. देश के चहुंमुखी विकास करने हेतु।
  6. प्राप्त स्वतन्त्रता को सुरक्षित रखने के लिए।

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प्रश्न 4.
नीति आयोग पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सन् 1950 के दशक में निर्मित योजना आयोग के स्थान पर नई संस्था 1 जनवरी 2015 को अस्तित्व में आ गई है जिसे नीति आयोग के नाम से जाना जाता है। प्रधानमन्त्री की अध्यक्षता वाला यह आयोग सरकार के ‘थिंक टैंक’ (बौद्धिक संस्थान) के रूप में कार्य करेगा तथा केन्द्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों के लिए भी नीति निर्माण करने वाले संस्थान की भूमिका निभाएगा। यह आयोग केन्द्र व राज्य सरकारों को राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर रणनीतिक व तकनीकी सलाह देगा। यह आयोग पंचवर्षीय योजनाओं के भावी स्वरूप के सम्बन्ध में सरकार को सलाह देगा।

प्रश्न 5.
नीति आयोग की वर्तमान संरचना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नीति आयोग की वर्तमान संरचना निम्नानुसार है –

  1. अध्यक्ष – नरेन्द्र मोदी (प्रधानमन्त्री) पदेन।
  2. उपाध्यक्ष – अरविन्द पनगढ़िया।
  3. पूर्ण कालिक सदस्य – नई दिल्ली स्थित सेण्टर फॉर पॉलिसी रिसर्च में प्रोफेसर रहे प्रो. विवेक देवराय तथा डी. आर. डी. ओ. के पूर्व प्रमुख वी. के. सारस्वत।
  4. पदेन सदस्य – राजनाथ सिंह (गृहमन्त्री), अरुण जेटली (वित्त एवं कारपोरेट मामले तथा सूचना प्रसार मन्त्री), सुरेश प्रभु (रेलमन्त्री) तथा राधामोहन सिंह (कृषि मन्त्री)।
  5. विशेष आमन्त्रित सदस्य – नितिन गडकरी (सड़क परिवहन एवं जहाजरानी मन्त्री), स्मृति ईरानी, थावर चन्द गहलौत (सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मन्त्री)।
  6. अधिशासी परिषद के अन्य सदस्य – सभी राज्यों के मुख्यमन्त्री तथा केन्द्र शासित क्षेत्रों के उपराज्यपाल।
  7. मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) – सिंधुक्षी खुल्लर (आईएएस)।

प्रश्न 6.
राष्ट्रीय विकास परिषद के प्रमुख कार्यों को बताइए।
उत्तर:
राष्ट्रीय विकास परिषद के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं –

  1. राष्ट्रीय योजना की समीक्षा करना, अध्ययन करना, अन्तिम रूप देना तथा स्वीकृति प्रदान करना।
  2. योजना आयोग की प्राथमिकताओं के निर्धारण में परामर्श देना।
  3. विकास के सामाजिक और आर्थिक पहलुओं पर विचार करना।
  4. योजना के संचरण का समय-समय पर मूल्यांकन करना।

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प्रश्न 7.
पंचवर्षीय योजनाओं के प्रमुख उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
पंचवर्षीय योजनाओं के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं –

  1. राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि करना।
  2. रोजगार में वृद्धि करना।
  3. कृषि उत्पादकता को बढ़ाना।
  4. औद्योगिक विकास में वृद्धि करना।
  5. आर्थिक असमानता को दूर करना।
  6. आत्मनिर्भरता प्राप्त करना।
  7. विदेशी मदद पर निर्भरता कम करना आदि।

प्रश्न 8.
प्रथम पंचवर्षीय योजना के समय देश के सामने क्या-क्या समस्याएँ थीं?
उत्तर:
प्रथम पंचवर्षीय योजना के समय देश के समक्ष निम्नलिखित समस्याएँ थीं –

  1. द्वितीय विश्वयुद्ध एवं विभाजन के फलस्वरूप बिखरी हुई अर्थव्यवस्था।
  2. शरणार्थियों का तेजी से बढ़ता प्रवाह।
  3. मुद्रास्फीति की समस्या।
  4. खाद्य समस्या, आदि।

प्रश्न 9.
प्रथम पंचवर्षीय योजना की क्या प्राथमिकताएँ थीं?
उत्तर:
प्रथम पंचवर्षीय योजना की प्राथमिकताएँ क्रमश: निम्नलिखित थीं –

  1. कृषि एवं सिंचाई (कुल प्रस्तावित व्यय का 1/4 आवंटित)।
  2. विद्युत शक्ति का सृजन।
  3. उद्योगों का विकास।
  4. समाज कल्याण के कार्य-शिक्षा, स्वास्थ्य, चिकित्सा, सामाजिक सुरक्षा आदि।

प्रश्न 10.
द्वितीय पंचवर्षीय योजना के उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
द्वितीय पंचवर्षीय योजना के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित थे –

  1. तीव्र औद्योगीकरण पर बल। आधारभूत उद्योगों के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता।
  2. परिवहन एवं संचार साधनों का विकास।
  3. सिंचाई एवं विद्युत विकास।

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प्रश्न 11.
छठी पंचवर्षीय योजना के क्या लक्ष्य निर्धारित किए गए?
उत्तर:
छठी पंचवर्षीय योजना में गरीबी उन्मूलन तथा बेरोजगारी निवारण हेतु निम्नलिखित लक्ष्य निर्धारित किए गए –

  1. विकास की वार्षिक वृद्धि दर 5.2 प्रतिशत करना।
  2. प्रति व्यक्ति आय में 3.3 प्रतिशत वृद्धि दर करना।
  3. औद्योगिक विकास की दर 8.9 प्रतिशत करना।
  4. कृषि विकास दर 4 प्रतिशत वार्षिक करना।
  5. सेवा क्षेत्र की वार्षिक वृद्धि दर 5.2 प्रतिशत करना आदि।

प्रश्न 12.
सातवीं पंचवर्षीय योजना के उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
सातवीं पंचवर्षीय योजना में आर्थिक वृद्धि, आधुनिकीकरण, आत्मनिर्भरता व सामाजिक न्याय के आधारभूत उद्देश्यों के साथ निम्नलिखित उद्देश्य महत्वपूर्ण माने गए –

  1. खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि करना।
  2. रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना।
  3. उत्पादकता को बढ़ावा देना आदि।

प्रश्न 13.
सातवीं पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य बताइए।
उत्तर:
सातवीं पंचवर्षीय योजना में गरीबी, बेरोजगारी व क्षेत्रीय असन्तुलन की समस्या को हल करने के लिए निम्न लक्ष्य रखे गए –

  1. गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे 37 प्रतिशत लोगों को 25.8 प्रतिशत पर लाना।
  2. विकास की वार्षिक वृद्धि दर को 5 प्रतिशत करना।
  3. खाद्यान्न उत्पादन 18.3 करोड़ टन करना।
  4. औद्योगिक विकास की दर 8 प्रतिशत करना।
  5. विनियोग एवं बचत की वार्षिक वृद्धि दर क्रमश: 25.9 तथा 24.4 प्रतिशत करना।

प्रश्न 14.
आठवीं पंचवर्षीय योजना की प्रारम्भिक पृष्ठभूमि क्या थी?
उत्तर:
आठवीं पंचवर्षीय योजना ऐसे समय में शुरू हुई जब विश्व स्तर पर अनेक क्रान्तिकारी परिवर्तन हो रहे थे। इसकी प्रारम्भिक पृष्ठभूमि निम्नवत् थी –

  1. विश्व में शीत युद्ध का अन्त।
  2. स्वतन्त्र बाजार, प्रतिस्पर्धात्मक व्यवस्था एवं आर्थिक सुधार का प्रारम्भ।
  3. भारत में संरचनात्मक सुधारों तथा समायोजन की प्रक्रिया तेज हुई।
  4. उद्योग, विदेशी व्यापार, विनिमय दर, राजकोषीय एवं मौद्रिक क्षेत्र में नई नीतियों की शुरुआत हुई।

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प्रश्न 15.
नवीं पंचवर्षीय योजना के प्रमुख क्षेत्र क्या थे?
उत्तर:
नवीं पंचवर्षीय योजना में कुछ ऐसे क्षेत्रों की पहचान की गयी जिन पर विशेष ध्यान दिया गया। ये क्षेत्र निम्न थे –

  1. वित्तीय स्थिति में सुधार लाना।
  2. दीर्घकालीन नीति तैयार कर राज्य व केन्द्र सरकार के राजकोषीय घाटे को कम करना।
  3. निर्यात को बढ़ावा देना।
  4. आधारभूत संरचना का परिमाणात्मक एवं गुणात्मक दृष्टि से सुधार करना।
  5. पर्यावरण असन्तुलन को दूर करना।
  6. पंचायती राज प्रणाली को सशक्त करते हुए जन भागीदारी बढ़ाना।
  7. विदेशी विनियोग को प्रोत्साहन आदि।

प्रश्न 16.
दसवीं पंचवर्षीय योजना में राष्ट्रीय विकास परिषद् की किन उपसमितियों का गठन किया गया?
उत्तर:
दसवीं पंचवर्षीय योजना में राष्ट्रीय विकास परिषद की निम्न चार उपसमितियों के गठन की घोषणा की गयी –

  1. ई-गवर्नेस सुधार से सम्बन्धित।
  2. निवेशकों के लिए उचित माहौल स्थापित करने।
  3. देश में आन्तरिक व्यापार की बाधाओं को दूर करने।
  4. वित्तीय एवं प्रशासकीय दृष्टि से पंचायतों को सुदृढ़ बनाने से सम्बन्धित।

प्रश्न 17.
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के महत्वपूर्ण तथ्यों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित थे –

  1. 2001 से 2011 के दशक में जनसंख्या की दशकीय वृद्धि दर को घटाकर 16.2 प्रतिशत करना।
  2. कुल प्रजनन क्षमता दो से एक तक नीचे लाना।
  3. 0 – 6 आयु वर्ग में लिंग अनुपात को 2011 – 12 तक बढ़ाकर 935 तथा 2016 – 17 तक 950 करना।
  4. 2012 तक सभी गाँवों में स्वच्छ पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करना।
  5. नवम्बर 2007 तक प्रत्येक गाँव को टेलीफोन तथा 2012 तक ब्राडबैण्ड सेवा से जोड़ना।

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प्रश्न 18.
भारत जैसे देश में बहुस्तरीय नियोजन की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
भारत जैसे देश में बहुस्तरीय नियोजन की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है –

  1. भारत एक जनतान्त्रिक एवं संघीय प्रणाली वाला देश है जिसमें राज्यों को कई क्षेत्रों में स्वायत्तता प्राप्त है। इन राज्यों की योजना क्रियान्वयन में प्रमुख भूमिका होती है।
  2. केन्द्रीयकृत नियोजन से क्षेत्रीय असमानता बढ़ी है, निचले स्तर की समस्याओं की उपेक्षा हुई है। बहुस्तरीय नियोजन इसका समाधान हो सकता है।
  3. बहुस्तरीय नियोजन देश में गरीबों की समस्या के समाधान की एक उपाय हो सकता है। जनता की सीधी भागीदारी से इस समस्या का समाधान हो सकता है।

प्रश्न 19.
भारत के प्रमुख जनजातीय क्षेत्रों का जनजाति जनसंख्या प्रतिशतानुसार वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत के पूर्वोत्तर राज्य जनजातीय बाहुल्य क्षेत्र हैं। इसमें इनकी संख्या निम्न प्रकार है –

राज्य जनसंख्या (कुल जनसंख्या का प्रतिशत)
लक्षद्वीप 98.80
मिजोरम 94.43
नागालैण्ड 86.48
मेघालय 86.15
अरुणाचल प्रदेश 68.79
दादर नागर हवेली 51.95

प्रश्न 20.
उन बारह राज्यों के नाम बताइए, जहाँ जनजातियों की संख्या राष्ट्रीय औसत (8.61 प्रतिशत) से अधिक है।
उत्तर:
देश के बारह राज्यों में जनजातियों की संख्या राष्ट्रीय औसत से अधिक है। ये राज्य हैं – मणिपुर, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, झारखण्ड, उड़ीसा, सिक्किम, मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान, असम, जम्मू-कश्मीर एवं महाराष्ट्र तथा केन्द्र शासित प्रदेश दमन एवं दीव तथा अण्डमान एवं निकोबार द्वीप समूह।

प्रश्न 21.
पर्वतीय क्षेत्र किन उद्योगों हेतु उपयुक्त है?
उत्तर:
पर्वतीय क्षेत्र ऐसे उद्योगों के लिए उपयुक्त होते हैं, जिनके लिए प्रदूषण रहित पर्यावरण, शीत जलवायु, उच्च दक्षता व मूल्य अभिवृद्धि की आवश्यकता होती है। इनमें इलेक्ट्रॉनिक, घड़ी निर्माण, औषध-निर्माण व ऑप्टिकल ग्लास आदि प्रमुख हैं। कुटीर उद्योग के रूप में गलीचा बनाना व हथकरघा उद्योग इन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इसके अलावा पर्यटन उद्योग इन क्षेत्रों को सर्वाधिक महत्वपूर्ण उद्योग साबित हो रहा है।

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प्रश्न 22.
पर्वतीय क्षेत्रों में जैव आरक्षित क्षेत्रों व राष्ट्रीय उद्यानों की स्थापना की क्यों आवश्यकता है?
उत्तर:
पर्वतीय क्षेत्र विशेषकर हिमालय क्षेत्र, जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ औषधीय पौधों, फलों, फूलों एवं वन्य जीवों की अनेक प्रजातियाँ पाई जाती हैं। अतएव यहाँ की मूल्यवान पादप एवं प्राणि सम्पदा के संरक्षण एवं परिवर्द्धन हेतु जैव-आरक्षित क्षेत्रों राष्ट्रीय उद्योगों और जीन केन्द्रों को स्थापित करने की आवश्यकता है।

प्रश्न 23.
पर्वतीय क्षेत्रों के नियोजन हेतु क्या किया जाना चाहिए एवं क्यों?
उत्तर:
पर्वतीय क्षेत्रों के वैज्ञानिक नियोजन हेतु संसाधनों (मृदा, खनिज, वनस्पति, जल आदि) के बारे में विधिवत् जानकारी आवश्यक है जिसके लिए दूरसंवेदी तकनीकी, हवाई छायाचित्र और धरातलीय सर्वेक्षण का सहारा लिया जा सकता है। यहाँ क्षेत्रीय, उपक्षेत्रीय एवं सूक्ष्म स्तर पर अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक योजनाओं का निर्माण किया जाना चाहिए जिसमें पर्यावरण सुरक्षा और जनता की सहभागिता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

RBSE Class 12 Geography Chapter 21 लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA-II)

प्रश्न 1.
योजना आयोग के प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
योजना आयोग के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं –

  1. देश के भौतिक, अभौतिक, पूंजीगत एवं मानवीय संसाधनों का अनुमान लगाना।
  2. संसाधनों के अनुकूलतम एवं प्रभावपूर्ण उपयोग हेतु विकास योजनाओं का निर्माण करना।
  3. प्राथमिकताओं को निर्धारित करना तथा उसी के अनुरूप संसाधनों का आवंटन करना।
  4. नियोजन की सफलता के लिए आवश्यक कार्य प्रणाली का निर्धारण करना।
  5. योजना की प्रगति का मूल्यांकन करना।
  6. सरकार को आर्थिक विकास की बाधाओं से अवगत कराना।
  7. केन्द्र एवं राज्य सरकारों को अन्य सभी आर्थिक विकास के लिए आवश्यक सुझाव देना।

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प्रश्न 2.
तृतीय पंचवर्षीय योजना के उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
तृतीय पंचवर्षीय योजना के उद्देश्य निम्नलिख़ित थे –

  1. राष्ट्रीय आय में 5-6 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि करना।
  2. खाद्यान्न क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना व घरेलू उद्योग तथा निर्यात की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कृषि उत्पादन बढ़ाना।
  3. आधारभूत व मूलभूत उद्योगों का देशीय आधार पर विकास करना।
  4. आय, सम्पत्ति वं अवसरों की समानता बनाए रखना।
  5. देश की मानव शक्ति का अधिकतम उपयोग करते हुए रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना।

प्रश्न 3.
तीन वार्षिक योजनाओं (1966 – 1969) पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
चतुर्थ पंचवर्षीय योजना के पूर्व तीन एक वर्षीय योजनाएँ बनाई गयीं। इन वार्षिक योजनाओं का उद्देश्य विकास कार्यक्रमों में निरन्तरता बनाए रखना तथा चौथी पंचवर्षीय योजना के लिए आवश्यक पृष्ठभूमि तैयार करना था। इस अवधि में सार्वजनिक व्यय 6625 करोड़ रुपये रहा। प्रथम दो एकवर्षीय योजनाओं में कृषि को तथा तीसरी में उद्योगों के विकास को महत्त्व दिया गया। इस अवधि में विकास दर 3.8 प्रतिशत रही। कीमतों में वृद्धि हुई, बचत एवं विनियोग घटे। परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में अधिक प्रगति की गति धीमी पड़ गयी थी।

प्रश्न 4.
आठवी पंचवर्षीय योजना के उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
आठवीं पंचवर्षीय योजना के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित थे –

  1. रोजगार के अवसरों को बढ़ाना।
  2. लोगों को सक्रिय सहयोग एवं प्रेरणाओं द्वारा जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण।
  3. प्राथमिक शिक्षा का विस्तार व 15 से 35 वर्ष के आयु वर्ग में निरक्षरता का पूर्ण उन्मूलन।
  4. सुरक्षित पेयजल एवं प्राथमिक सेवाओं का विस्तार।
  5. खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना।
  6. देश में बुनियादी ढांचे को मजबूत करते हुए स्वयं स्फूर्ति विकास जारी रखना, आदि।

प्रश्न 5.
नवीं पंचवर्षीय योजना के उद्देश्य एवं लक्ष्य बताइए।
उत्तर:
नवीं पंचवर्षीय योजना के उद्देश्य एवं लक्ष्य निम्नलिखित थे –

  1. कृषि एवं ग्रामीण विकास को प्राथमिकता देना तथा पर्याप्त उत्पादक रोजगार पैदा करना।
  2. मूल्यों में स्थिरता बनाए रखते हुए आर्थिक विकास की गति को तेज करना।
  3. समाज के कमजोर वर्ग को भोजन एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  4. जनसंख्या वृद्धि दर को काबू में रखना।
  5. जन-भागीदारों द्वारा विकास प्रक्रिया में पर्यावरण संरक्षित करना।
  6. पंचायती राज प्रणाली को संरक्षित करना।
  7. महिलाओं तथा समाज के उपेक्षित वर्गों को सक्षम तथा सामर्थ्यवान बनाना।
  8. आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के प्रयासों को सुदृढ़ करना आदि।

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RBSE Class 12 Geography Chapter 21 निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं एवं उनके कार्यक्रमों को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
भारत में पंचवर्षीय योजनाओं की शुरुआत 1 अप्रैल 1951 से हुई। अब तक 11 पंचवर्षीय एवं 6 वार्षिक योजनाएँ पूर्ण हो चुकी है। 12 वीं पंचवर्षीय योजना 2012 से चल रही है, जिसकी कार्यावधि 31 मार्च 2017 को समाप्त हो गई है। भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं एवं उनके कार्यक्रमों का विवरण संक्षेप में निम्न प्रकार है –
RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 21 भारत में नियोजन img-1
RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 21 भारत में नियोजन img-2

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 21 भारत में नियोजन

प्रश्न 2.
पर्वतीय क्षेत्रों की समस्याएँ मैदानी क्षेत्रों से भिन्न होती हैं तदानुसार विकास योजनाएँ भी भिन्न होती हैं, कैसे? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पर्वतीय क्षेत्रों की समस्याएँ मैदानी क्षेत्रों से सर्वथा भिन्न होती हैं। यही कारण है कि इनकी स्थलाकृति, सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक विशेषताओं को ध्यान में रखकर प्रत्येक पर्वतीय क्षेत्र हेतु अलग-अलग विकास योजनाओं को बनाने की जरूरत है। इसमें सम्बन्धित क्षेत्र के भूमि, खनिज, जल एवं जैविक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग किया जाना चाहिए। सम्पूर्ण विकास नीति स्थानीय लोगों, विशेषकर महिलाओं की सक्रिय सहभागिता पर आधारित होनी चाहिए। पर्वतीय क्षेत्रों के लिए निम्न प्रकार की विकास योजनाएँ बनाई जा सकती हैं –

1. पर्वतीय क्षेत्रों के विकास कार्यक्रमों में बागवानी, बागाने कृषि, पशुपालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन, वानिकी, मृदा संरक्षण एवं ग्रामीण उद्योग पर बल दिया जाता है। इसमें कार्यक्रमों के पैकेज एवं सहकारिता को बढ़ावा दिया जाता है।

2. बागानी कार्यक्रम में बागाती कृषि:
कहवा, चाय, मसाला आदि, कृषि वानिकी, सामाजिक वानिकी में फलोद्यान (सेव, अंगूर, केला) आदि को शामिल किया जाता है।

3. कुछ पर्वतीय क्षेत्रों में स्थानान्तरणशील कृषि होती है। इसे स्थायी कृषि में बदलने एवं स्थानान्तरणशील कृषकों को पुनर्वासित करने के कार्यक्रम बनाए गए हैं।

4. चरागाहों की उपलब्धता वाले पर्वतीय क्षेत्रों में पशुपालन कार्यक्रम को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

5. पर्वतीय क्षेत्र कुछ विशिष्ट उद्योगों के लिए उपयुक्त हैं। प्रदूषण रहित पर्यावरण, शीत जलवायु, उच्च दक्षता आदि की आवश्यकता वाले इलेक्ट्रानिक, घड़ी निर्माण, औषधि निर्माण, आप्टिकल, ग्लास निर्माण, आदि के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में उपयुक्त पर्यावरण उपलब्ध है। कुटीर उद्योग तथा पर्यटन उद्योग पर्वतीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं। अतएव इनके लिए योजनाएँ बनानी चाहिए।

6. पर्वतीय क्षेत्र विशेषकर हिमालय क्षेत्र, जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ औषधीय पौधों-फलों, फूलों व वन्य जीवों की अनेक प्रजातियाँ पाई जाती हैं। अतएव यहाँ की मूल्यवान पादप एवं प्राणि सम्पदा को संरक्षण एवं परिवर्द्धन हेतु जैव आरक्षित क्षेत्रों, राष्ट्रीय उद्यानों एवं जीव केन्द्रों को स्थापित करने की जरूरत है।

7. पर्वतीय क्षेत्रों के वैज्ञानिक नियोजन हेतु संसाधनों – मृदा, खनिज, वनस्पति, जल आदि के बारे में विधिवत जानकारी आवश्यक है जिसके लिए दूर संवेदी तकनीकी, हवाई छायाचित्र और धरातलीय सर्वेक्षण का सहारा लिया जा सकता है। यहाँ क्षेत्रीय, उपक्षेत्रीय एवं सूक्ष्म स्तर पर अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक योजनाओं का निर्माण किया जाना चाहिए जिसमें पर्यावरण सुरक्षा और जनता की सहभागिता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

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