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Rajasthan Board RBSE Class 12 Geography Chapter 6 विश्व: मानव अधिवास
RBSE Class 12 Geography Chapter 6 पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर
RBSE Class 12 Geography Chapter 6 बहुचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मानव अधिवास के अनेक रूप हैं, निम्नलिखित में से आप किसे मानव अधिवास नहीं मानते हैं ?
(अ) मकान
(ब) नगरे
(स) गाँव
(द) गलियाँ
प्रश्न 2.
बुशमैन जाति के लोग निम्नलिखित में से किस प्रकार के अधिवास बनाते हैं ?
(अ) अस्थायी अधिवास
(ब) पुंज्जित अधिवास
(स) स्थायी अध्रिवास
(द) कृषि गृह
प्रश्न 3.
पम्पासे व प्रेयरी घास के प्रदेशों में किस प्रकार के अधिवास बनाते हैं?
(अ) मिश्रित अधिवास
(ब) गुच्छित अधिवास
(स) प्रकीर्ण अधिवास
(द) सघन अधिवास
प्रश्न 4.
ग्रामीण क्षेत्रों में रेलमार्गों के सहारे बस्ती का विकास किस अधिवास प्रतिरूप में हैं?
(अ) तीर प्रतिरूप
(ब) रेखीय प्रतिरूप
(स) वृत्ताकार प्रतिरूप
(द) चौक पट्टी प्रतिरूप
प्रश्न 5.
भारत में महानगर की जनसंख्या का आकार है?
(अ) 5 लाख से अधिक
(ब) 10 लाख से अधिक
(स) 1 लाख से अधिक
(द) एक करोड़ से अधिक
प्रश्न 6.
भारत में मेगापोलिस नगर श्रेणी में शामिल नहीं है?
(अ) कोलकत्ता
(ब) दिल्ली
(स) जयपुर
(द) चेन्नई
प्रश्न 7.
एशिया की सबसे विशाल स्लम कच्ची बस्ती किस शहर में स्थित है?
(अ) दिल्ली
(ब) मुम्बई
(स) कराची
(द) बीजिंग
प्रश्न 8.
भारत में 2011 के अनुसार महानगरों की संख्या है?
(अ) 53
(ब) 27
(स) 35
(द) 47
उत्तरमाला:
1. (द), 2. (अ), 3. (स), 4. (ब), 5. (ब), 6. (स), 7. (ब), 8. (अ)
RBSE Class 12 Geography Chapter 6 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मानव निवास की मूलभूत इकाई क्या है?
उत्तर:
आवास, मकान, घर या निवास स्थान अधिवास | की मूलभूत इकाई होती है।
प्रश्न 2.
मानव अधिवासों के निवास के आधार पर प्रकार बताइए।
उत्तर:
मानव अधिवासों को निवास के आधार पर दो। भागों अस्थायी अधिवास व स्थायी अधिवास में बाँटा गया है।
प्रश्न 3.
मानव अधिवास का महत्त्वपूर्ण उपयोग किस कार्य के लिए होता है?
उत्तर:
मानव अधिवास का महत्त्वपूर्ण उपयोग मानवे निवास के लिए होता है।
प्रश्न 4.
प्रकीर्ण अधिवास की प्रमुख विशेषता कौन-सी है?
उत्तर:
ऐसे अधिवास छितरे और बिखरे होते हैं। ये आवास एक-दूसरे से दूर और कृषि भूमि को छोड़कर बनाये जाते हैं।
प्रश्न 5.
मानव अधिवासों के किन्हीं दो प्रतिरूपों के नाम बताइए।
उत्तर:
मानव अधिवासों के दो प्रतिरूपों में रेखीय प्रतिरूप व आयताकार प्रतिरूप मुख्य हैं।
RBSE Class 12 Geography Chapter 6 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मानव अधिवास से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
पृथ्वी के धरातल पर मानव द्वारा निर्मित एवं विकसित आवासों के संगठित समूह को अधिवास कहते हैं। मानव अधिवास को मानव बस्ती भी कहा जाता है। मानव अधिवास साधारणतया स्थायी रूप से बसे होते हैं किन्तु कुछ अधिवास अस्थायी भी होते हैं। अधिवासों का उपयोग मानव निवास के लिए होता है। मानव अधिवास गुच्छित, अर्द्धगुच्छित, पल्लीकृत एवं प्रकीर्ण हो सकते हैं।
प्रश्न 2.
ग्रामीण अधिवास किसे कहते हैं?
उत्तर:
मानव के ऐसे अधिवास समूह जिनमें प्राथमिक क्रियाकलापों की प्रधानता मिलती है तथा लोग कृषि, पशुपालन लकड़ी काटने, मछली पकड़ने, खनन व वनों से प्राप्त पदार्थों के संग्रहण आदि कार्यों में संलग्न मिलते हैं। इस प्रकार के अधिवासों पर आधुनिकता का प्रभाव नगण्य रहता है। इस प्रकार के अधिवासों में मकानों के बीच की दूरी अधिक एवं मानव मूल्यों में घनिष्ठता देखने को मिलती है।
प्रश्न 3.
ग्रामीण अधिवासों की कोई पाँच समस्याएँ बताइए।
उत्तर:
ग्रामीण अधिवासों की पाँच समस्याएँ निम्नलिखित हैं –
- आवागमन के साधनों का अभाव या कमी।
- स्वच्छ पेयजंल का अभाव या कमी।
- स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव या कमी।
- विद्युत आपूर्ति का अभाव या कमी।
- रोजगार के अवसरों की कमी।
प्रश्न 4.
नगरीय अधिवासों की 5 प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
नगरीय अधिवासों की 5 प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं –
- अत्यधिक जनसंख्या घनत्व: नगरीय क्षेत्रों में बढ़ते हुए नगरीयकरण की प्रवृत्ति के कारण बाहरी क्षेत्रों से लोगों के नगरों में आने से जनसंख्या घनत्व अत्यधिक बढ़ गया है।
- गंदी बस्तियों की उत्पत्ति: बाहरी क्षेत्रों से आने वाले लोगों को पर्याप्त मात्रा में आवास उपलब्ध नहीं होने व उच्च किराये के कारण गंदी बस्तियाँ उत्पन्न हो रही है।
- पर्यावरण प्रदूषण: नगरीय अधिवास मानवीय संकुलन व उसकी क्रियाओं के कारण पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से ग्रसित है।
- अपराधों का बढ़ता स्तर: नगरीय क्षेत्रों में पर्याप्त रोजगार न मिल पाने व शहरी चकाचौंध से ग्रस्त होकर लोग आपराधिक प्रवृत्तियों की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
- स्वास्थ्य व चिकित्सा सुविधाओं की कमी: अत्यधिक जनसंख्या के कारण शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य व चिकित्सा सुविधाओं के स्तर में कमी आ रही है।
प्रश्न 5.
ग्रामीण व नगरीय अधिवासों में अन्तर कीजिए।
उत्तर:
ग्रामीण व नगरीय अधिवासों में निम्नलिखित अन्तर हैं –
अन्तर का आधार | ग्रामीण अधिवास | नगरीय अधिवास |
1. लोगों के कार्य | 1. ग्रामीण अधिवासों में निवासित लोग प्राथमिक क्रियाकलापों में संलग्न मिलते हैं। | 1. नगरीय अधिवासों में निवासित लोग द्वितीयक एवं तृतीयक क्रियाकलापों में संलग्न मिलते हैं। |
2. मकानों के बीच की दूरी | 2. इस प्रकार के अधिवासों में मकान बड़े-बड़े व उनके बीच की दूरी प्राय: अधिक मिलती है। | 2. इस प्रकार के अधिवासों में मकान के बीच की दूरी बहुत कम या न के बराबर मिलती है। |
3. आधुनिकता का प्रभाव | 3. इस प्रकार के अधिवासों पर आधुनिकता को प्रभाव नगण्य होता है। | 3. नगरीय अधिवास आधुनिकता से परिपूर्ण होते हैं। |
4. सामाजिक संगठन | 4. ग्रामीण अधिवासों में सामाजिक संगठन सुदृढ़ मिलता है। | 4. शहरी अधिवासों में सामाजिक संगठन की स्थिति का प्रायः अभाव मिलता है। |
5. सामाजिक मूल्यों की स्थिति | 5. ग्रामीण अधिवासों में सामाजिक मूल्यों को व्यक्तिगत मूल्यों से ऊपर रखा जाता है। | 5. नगरीय अधिवासों में सामाजिक मूल्यों की तुलना में व्यक्तिगत मूल्यों को ऊपर रखा जाता है। |
RBSE Class 12 Geography Chapter 6 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मानव अधिवास का अर्थ स्पष्ट करते हुए इनके प्रतिरूपों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानव अधिवास का अर्थ-पृथ्वी के धरातल पर मानव द्वारा निर्मित एवं विकसित आवासों के संगठित समूह को अधिवास कहते हैं। मानव अधिवासों को मानव बस्ती भी कहा जाता है। मानवीय अधिवास स्थायी एवं अस्थायी होते हैं। मानवीय अधिवासं प्रतिरूप-अधिवासों के बसाव की आकृति के आधार पर किये विभाजन को अधिवास प्रतिरूप कहा जाता है। मानवीय अधिवास प्रतिरूपों का निर्धारण करने वाले अनेक घटक होते हैं। आकृति के आधार पर अधिवास प्रतिरूपों को निम्नलिखित भागों में बाँटा गया है –
- रेखीय प्रतिरूप
- तीर प्रतिरूप
- त्रिभुजाकार प्रतिरूप
- आयताकार प्रतिरूप
- अरीय त्रिज्या प्रतिरूप
- वृत्ताकार प्रतिरूप
- तारा प्रतिरूप
- पंखा प्रतिरूप
- अनियमित प्रतिरूप
- सीढ़ीनुमा प्रतिरूप
- मधुमक्खी छत्ता प्रतिरूप
- अन्य प्रतिरूप
1. रेखीय प्रतिरूप: जब सड़क मार्गों, रेलमार्गों, नहर नदी या सागर तट के सहारे बस्ती का विकास होता है तो रेखीय प्रतिरूप वाले अधिवास निर्मित होते हैं। भारत में गंगा-यमुना के मैदानों में इस प्रकार के प्रतिरूप मिलते हैं।
2. तीर प्रतिरूप: किसी अन्तरीप के शीर्ष पर नदी के विसर्प के सहारे या दोआब के बीच तीरनुमा अधिवास प्रतिरूप विकसित होता है। भारत में कन्याकुमारी व उड़ीसा में चिल्का झील तट पर इस प्रकार के अधिवास प्रतिरूप मिलते हैं।
3. त्रिभुजाकार प्रतिरूप: नदियों, नहरों व सड़कों के संगम पर इस प्रकार के प्रतिरूपों का विकास होता है। भारत में पंजाब व हरियाणा में ऐसे प्रतिरूप देखने को मिलते हैं।
4. आयताकार प्रतिरूप: आयताकार या चौक पट्ट्टी प्रतिरूप जब दो सड़कें आपस में मिलती हैं और उनके मिलन स्थल से दोनों सड़कों के किनारे लम्बवत् गलियों का निर्माण होता है तब आयताकार प्रतिरूप का निर्माण होता है।
5. अरीय त्रिज्या प्रतिरूप: जब किसी क्षेत्र में एक स्थान पर अनेक दिशाओं से कच्ची सड़कें या पक्की सड़कें मिलती हैं तो मिलन स्थान से त्रिज्याकार मार्गों पर मकानों का निर्माण होता है, परन्तु सभी गलियाँ मुख्य चौराहों पर मिलने से समानान्तर नहीं होती हैं। गंगा के ऊपरी मैदान में इस प्रकार के प्रतिरूप मिलते हैं।
6. वृत्ताकार प्रतिरूप: किसी झील, तालाब, कुएँ, किले, धार्मिक स्थान या चौपाल के चारों ओर मकान बनने से मिर्मित बस्ती का आकार वृत्ताकार प्रतिरूप बनाता है।
7. तारा प्रतिरूप: तारा प्रतिरूप प्रारम्भ में अरीय प्रतिरूप के रूप में विकसित होता है। किन्तु बाद में बाहर की ओर जाने वाली सड़कों के किनारे मकान बनने से इसकी आकृति तारे जैसी हो जाती है। इसलिए इसे तारा प्रतिरूप कहा जाता है।
8. पंखा प्रतिरूप: जब किसी क्षेत्र में केन्द्रीय स्थल के चारों और मकान बनते हैं। इसके बाद बस्ती का विकास सड़क के किनारे रेखीय प्रतिरूप में होता है तो पंखाकार प्रतिरूप विकसित होता है।
9. अनियमित प्रतिरूप: जब मानव अपनी सुविधा के अनुसार बिना किसी योजना के मकानों का निर्माण करता है तो आकार रहित अधिवास विकसित होते हैं इन्हें अनाकार प्रतिरूप कहते हैं। भारत में राजस्थान के बारें जिले में लिसाड़ी नामक गाँव इस प्रतिरूप का उदाहरण है।
10. सीढ़ीनुमा प्रतिरूप: इस प्रकार के अधिवास प्रतिरूप पर्वतीय ढालों पर विकसित होते हैं। हिमालय, रॉकीज, एंडीज पर्वतों में इस प्रकार के प्रतिरूप मिलते हैं। इस प्रकार के प्रतिरूप में मकानों की पंक्तियाँ ढाल के अनुसार कई स्तरों में दिखाई देती हैं।
11. मधुमक्खी छत्ता प्रतिरूप: आदिवासी जनजातियों के गुम्बदनुमा झोपड़ियों के अधिवास मधुमक्खी छत्ता प्रतिरूप को दर्शाती हैं।
12. अन्य प्रतिरूप: जिन अधिवासों द्वारा कोई आकार निर्मित नहीं होता उन्हें अन्य प्रतिरूपों में शामिल किया जाता है।
प्रश्न 2.
ग्रामीण अधिवासों पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
ग्रामीण अधिवास का अर्थऐसे मानवीय अधिवास जिनमें प्राथमिक व्यवसायों की प्रधानता देखने को मिलती है तथा भूमि के विदोहन से जुड़ी हुई क्रियाएँ पायी जाती हैं, उन्हें ग्रामीण अधिवास कहा जाता है। ग्रामीण अधिवासों के प्रकार-ग्रामीण अधिवासों में मकानों की संख्या और उनके बीच की दूरी के आधार पर इन अधिवासों को निम्नलिखित भागों में बाँटा गया है –
- सघन या गुच्छित अधिवास
- प्रकीर्ण या एकाकी अधिवास
- मिश्रित अधिवास
- पल्ली अधिवास
1. सघन या गुच्छित अधिवास: इन्हें पुंजित, संहत, संकेन्द्रित, संकुलित अधिवासों के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे आवास ऊपजाऊ मैदानी भागों, समतल क्षेत्रों व पर्याप्त जल की उपलब्धता वाले क्षेत्रों में मिलते हैं।
2. प्रकीर्ण या एकाकी अधिवास: इस प्रकार के अधिवास छितरे व बिखरे होते हैं। ये आवास एक-दूसरे से दूर व कृषि भूमि को छोड़कर बनाये जाते हैं।
3. मिश्रित अधिवास: ये अधिवास अर्द्ध सघन व अर्द्ध केन्द्रीय अधिवास भी कहलाते हैं। ये सघन व प्रकीर्ण अधिवासों के बीच की अवस्था होती है।
4. पल्ली या पुराना अधिवास: इस प्रकार के अधिवास एक-दूसरे से अलग किन्तु एक ही बस्ती में बसे होते हैं। बस्ती के अलग-अलग भागों में अलग-अलग जातियों के लोग रहते हैं।
5. ग्रामीण अधिवास प्रतिरूप:
ग्रामीण अधिवास बसाव की आकृति पर अनेक प्रतिरूपों को दर्शाते हैं जिनमें रेखीय प्रतिरूप, अरीय प्रतिरूप, वृत्ताकार प्रतिरूप, आयताकार प्रतिरूप, त्रिभुजाकार प्रतिरूप, तीर प्रतिरूप, ताराकार प्रतिरूप, पंखाकार प्रतिरूप, अनियमित प्रतिरूप, सीढ़ीनुमा प्रतिरूप व मधुमक्खी छत्ता प्रतिरूप प्रमुख हैं।
ग्रामीण अधिवासों की समस्याएँ-ग्रामीण अधिवासों में आवागमन के साधनों की कमी, स्वच्छ पेयजल का अभाव, स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव, विद्युत आपूर्ति का अभाव, रोजगार के अवसरों की कमी, सूचना व तकनीकी तथा संचार सुविधाओं की कमी, उच्च तकनीकी व शिक्षा संस्थानों के अभाव की समस्याएँ मिलती हैं।
प्रश्न 3.
नगरीय अधिवासों के वर्गीकरण के आधारों का उल्लेख करते हुए इसके प्रकारों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर:
नगरीय अधिवासों के वर्गीकरण के आधार-नगरीय बस्तियों के वर्गीकरण के सामान्य आधारों में जनसंख्या के आकार, मानव व्यवसाय, प्रशासनिक ढाँचे एवं आवश्यक दशाओं को शामिल किया जाता है। नगरीय अधिवासों के प्रकार-नगरीय अधिवासों को उनके आकार, उपलब्ध सुविधाओं व सम्पादित किये जाने वाले कार्यों व जनसंख्या के आधार पर निम्नलिखित
भागों में बाँटा गया है –
- नगर
- महानगर
- सन्नगर
- वृहत् नगर
1. नगर: ऐक लाख से अधिक किन्तु दस लाख से कम जनसंख्या वाले अधिवास नगर कहलाते हैं। इनमें 50 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या गैर प्राथमिक कार्यों में संलग्न होती है। जैसे-भारत में राजस्थान का बीकानेर नगर।
2. महानगर: दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले अधिवासों को महानगर कहा जाता है। ये औद्योगिक, व्यापारिक, प्रशासनिक एवं शैक्षिक गतिविधियों के केन्द्र होते हैं। जैसे-भारत में जयपुर, जोधपुर और कोटा नगर। इन्हें मेट्रोपोसिटी भी कहते हैं।
3. सन्नगर: 1915 में पेट्रिक गिडिज ने इस शब्दावली का प्रयोग किया था। यह विशाल विकसित नगरीय क्षेत्र होते हैं, जो अलग-अलग नगरों या शहरों के आवास से मिलकर विशाल नगरीय क्षेत्र में बदल जाते हैं। ग्रेटर लंदन, टोकियो, शिकागो आदि इसके उदाहरण हैं। भारत में ग्वालियर, लश्कर-मुरार, दिल्ली-गुडगाँव, दिल्ली-नोएडा आदि सन्नगर के उदाहरण हैं।
4. वृहत् नगर: अंग्रेजी में इसे मेगालोपोलिस कहते हैं, जिसका अर्थ विशाल नगर होता है। इसका प्रयोग सन् 1857 में जीन गोटमेन ने किया था। ये अत्यन्त बड़े नगर होते हैं, जिनकी जनसंख्या 50 लाख से अधिक होती है। इन नगरों को विश्व नगरी भी कहते हैं। जैसे-ग्रेटर लंदन, टोकियो, पेरिस, न्यूयार्क, मास्को, बीजिंग, कोलकाता, मुम्बई, दिल्ली, चेन्नई आदि।
प्रश्न 4.
मानवीय अधिवासों के प्रकार व प्रतिरूप में अन्तर स्पष्ट कीजिए। साथ ही ग्रामीण अधिवासों के प्रकारों का भी वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानवीय अधिवासों के प्रकार व प्रतिरूप में निम्नलिखित अन्तर मिलते हैं –
- अधिवासों के प्रकारों का निर्धारण भौतिक, सामाजिक व सांस्कृतिक कारकों के आधार पर होता है जबकि अधिवासों के प्रतिरूप का निर्धारण उनकी आकृति के आधार पर होता है।
- अधिवासों के प्रकार को मकानों के बीच की दूरी के आधार पर निर्धारित करता है जबकि प्रतिरूप का निर्धारण मकानों से बनने वाली किसी आकृति से किया जाता है।
- अधिवासों के प्रकार को निर्धारित करने में प्राकृतिक दशाओं व कार्यों को आधारभूत माना जाता है जबकि अधिवासों के प्रतिरूप का निर्धारण करने में कार्यों की कोई भूमिका नहीं होती है।
ग्रामीण अधिवासों के प्रकार ग्रामीण अधिवासों को उनके भौतिक, सामाजिक व सांस्कृतिक कारकों तथा सुरक्षा के आधार पर निम्नलिखित भागों में बाँटा गया है –
- सघन या गुच्छित अधिवास
- प्रकीर्ण या एकाकी अधिवास
- मिश्रित अधिवास
- पल्ली अधिवास
1. सघन या गुच्छित अधिवास:
इने ग्रामीण अधिवासों को पुंजित, संहत, संकेन्द्रित, संकुलित आदि नामों से भी जाना जाता है। सघन ग्रामीण अधिवास उपजाऊ मैदानी भागों, समतल तथा पर्याप्त जल की उपलब्धता वाले क्षेत्रों में विकसित होते हैं। जिनमें आवास, गृह पास-प्स होते हैं और सम्पूर्ण गाँव सघन बसा होता है। आसान पहुँच के लिए इनके साथ सड़कों का निर्माण होता है। आवासों के साथ-साथ विद्यालय, सामाजिक व धार्मिक स्थल भी बने होते हैं।
2. प्रकीर्ण या एकाकी अधिवास: इस प्रकार के अधिवास छितरे व बिखरे होते हैं। ये आवास एक-दूसरे से दूर व कृषि भूमि को छोड़कर बनाये जाते हैं।
3. मिश्रित अधिवास:
इन अधिवासों को अर्द्ध सघन या अर्द्ध केन्द्रीय अधिवास भी कहा जाता है। यह सघन व प्रकीर्ण अधिवासों के बीच की अवस्था होती है जो सामान्यतया किसी परिवार की संख्या में वृद्धि होने से आवासों की संख्या बढ़ने के कारण उत्पन्न होते हैं। इनकी उत्पत्ति में पर्यावरणीय कारणों के स्थान पर पारिवारिक कारण उत्तरदायी होते हैं।
4. पल्ली अधिवास:
इस प्रकार के अधिवासों में आवास एक-दूसरे से अलग किन्तु एक ही बस्ती में बसे होते हैं। इसलिए उन सबका नाम एक रहता है। बस्ती के अलग-अलग भागों में अलग-अलग जातियों के लोग रहते हैं।
RBSE Class 12 Geography Chapter 6 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 12 Geography Chapter 6 बहुचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
विशाल नगरों की उत्पत्ति कब मानी जाती है?
(अ) 2000 वर्ष पूर्व
(ब) 3000 वर्ष पूर्व
(स) 4000 वर्ष पूर्व
(द) 5000 वर्ष पूर्व
प्रश्न 2.
इग्लू किसका घर है?
(अ) खिरगीज का
(ब) एस्किमो का
(स) बुशमैन का
(द) बर्दू का
प्रश्न 3.
स्थायी आवास की उत्पत्ति मानी जाती है –
(अ) उत्तर पाषाण काल में
(ब) पुरा पाषाण काल में
(स) ताम्रयुग में
(द) नव पाषाण काल में
प्रश्न 4.
संहत अधिवास के नाम से जो जाना जाता है –
(अ) गुच्छित अधिवास
(ब) प्रकीर्ण अधिवास
(स) मिश्रित अधिवास
(द) पल्ली अधिवास
प्रश्न 5.
पर्वतीय प्रदेशों की निचली घाटियों में कौन से अधिवास मिलते हैं?
(अ) सघन
(ब) प्रकीर्ण
(स) मिश्रित
(द) पल्ली
प्रश्न 6.
नदी विसर्प के सहारे कौन-सा प्रतिरूप विकसित होता है?
(अ) रेखीय
(ब) वृत्ताकार
(स) तीर
(द) आयताकार
प्रश्न 7.
डेनमार्क में नगरों की निर्धारक न्यूनतम जनसंख्या कितनी है?
(अ) 250
(ब) 500
(स) 1000
(द) 2000
प्रश्न 8.
भारत में सन्नगर का उदाहरण निम्नलिखित में से कौन-सा है?
(अ) ग्रेटर लंदन
(ब) शिकागो
(स) लश्कर-मुरार
(द) टोकियो
प्रश्न 9.
सन 2005 में विश्व में महानगरों की संख्या कितनी थी?
(अ) 265
(ब) 370
(द) 512
प्रश्न 10.
एशिया की सबसे बड़ी कच्ची बस्ती कौन-सी है?
(अ) धारावी
(ब) कंठपुतली
(स) जवाहरनगर
(द) पालम
उत्तरमाला:
1. (द), 2. (ब), 3. (अ), 4. (अ), 5. (द), 6. (स), 7. (अ), 8. (स), 9. (स), 10. (अ)
सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न
निम्नलिखित में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए
(क)
स्तम्भ अ (अधिवास प्रतिरूप) | स्तम्भ ब ( अधिवास प्रतिरूप की उत्पत्ति) |
(i) रेखीय प्रतिरूप | (अ) जनजातियाँ क्षेत्रों में |
(ii) तीर प्रतिरूप | (ब) सड़कों के आपस में मिलन स्थल पर |
(iii) वृत्ताकार प्रतिरूप | (स) सड़क मार्ग, रेलमार्ग के सहारे |
(iv) मधुमक्खी छता प्रतिरूप | (द) झील, तालाब के चारों ओर |
(v) आयताकार प्रतिरूप | (य) नदी विसर्प के सहारे |
उत्तर:
(i) स (ii) य (iii) द (iv) अ (v) ब
(ख)
स्तम्भ अ ( राष्ट्र का नाम ) | स्तम्भ ब (नगर हेतु न्यूनतम जनसंख्या) |
(i) स्वीडन | (अ) 2000 |
(ii) आइसलैण्ड | (ब) 5000 |
(iii) कनाडा | (स) 300 |
(iv) कोलम्बिया | (द) 3000 |
(v) पुर्तगाल | (य) 1500 |
(vi) जापान | (र) 250 |
(vii) भारत | (ल) 1000 |
उत्तर:
(i) र (ii) स (iii) ल (iv) य (v) अ (vi) द (vii) ब
RBSE Class 12 Geography Chapter 6 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मानव अधिवासों का क्या उपयोग करता है?
उत्तर:
मानव के द्वारा अधिवासों का प्रयोग निवास के साथ-साथ अपने सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, धार्मिक आदि कार्यों को पूरा करने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 2.
ब्लॉश के अनुसार अधिवास क्या है?
उत्तर:
प्रो. विडाल-डी-ला-ब्लॉश के अनुसार मानव द्वारा स्वयं के आवास व अपनी सम्पत्ति को रखने के लिए निर्मित संरचना आवास कहलाती है।
प्रश्न 3.
मानव को स्थायी आवास की आवश्यकता क्यों पड़ी?
उत्तर:
मानव ने अपनी विकास यात्रा में जब एकत्रीकरण व आखेट की अवस्था को पार कर पशुपालन अवस्था के साथ कृषि कार्य करना प्रारम्भ कर दिया तब पशुओं की एवं स्वयं की सुरक्षा तथा अनाज के भंडारण के लिए मानव को स्थायी आवास की आवश्यकता पड़ी।
प्रश्न 4.
नगरों की उत्पत्ते कब व कहाँ हुई?
उत्तर:
नगरों की उत्पत्ति वर्तमान से 5000 वर्ष पूर्व मिस्र (नील) सिन्धु व दजला-फरात की घाटियों में मानी जाती है।
प्रश्न 5.
अधिवासों की उत्पत्ति को कितने भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
मानव अधिवासों की उत्पत्ति को दो भागों अस्थायी अधिवास व स्थायी अधिवास में बाँटा गया है।
प्रश्न 6.
अस्थायी अधिवास किसे कहते हैं?
उत्तर:
मानव निर्मित ऐसे अधिवास जो समयानुसार या मौसम के अनुसार बदलते रहते हैं उन्हें अस्थायी अधिवास कहते हैं। ये अधिवास प्राय: तम्बुओं/झोपड़ियों के रूप में बनाये जाते हैं।
प्रश्न 7.
एस्किमो द्वारा अधिवास कैसे बनाये जाते हैं?
उत्तर:
एस्किमो लोगों द्वारा मौसमी दशाओं के आधार पर शीतकाल में ध्रुवीय क्षेत्रों में इग्लू (बर्फ का घर) व ग्रीष्मकाल में रेण्डियर व सील की खाल से घर बनाये जाते हैं।
प्रश्न 8.
मानव बस्ती का स्थायित्व किन-किन बातों पर निर्भर करता है ?
उत्तर:
किसी मानव बस्ती का स्थायित्व स्थानीय संचित संसाधनों, बाहरी क्षेत्रों से सम्बन्ध, भावी उन्नति की संभावना, सुरक्षा व धार्मिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक कारकों पर निर्भर करता है।
प्रश्न 9.
मानव अधिवासों को आधारभूत कार्यों के आधार पर किन भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
मानव अधिवासों को आधारभूत कार्यों के आधार पर दो भागों ग्रामीण अधिवास व नगरीय अधिवास में बाँटा गया है।
प्रश्न 10.
ग्रामीण अधिवासों के प्रकारों के लिए कौन से कारक उत्तरदायी हैं?
उत्तर:
ग्रामीण अधिवासों के प्रकारों के लिए भौतिक कारक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारक (जाति-धर्म) और सुरक्षा आदि कारक उत्तरदायी होते हैं।
प्रश्न 11.
ग्रामीण अधिवासों के प्रकार कौन से हैं?
उत्तर:
ग्रामीण अधिवासों के चार प्रकार हैं जिनमें सघन या गुच्छित अधिवास, प्रकीर्ण या एकाकी अधिवास, मिश्रित अधिवास व पल्ली अधिवास शामिल हैं।
प्रश्न 12.
सघन अधिवासों के अन्य नाम कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
सघन अधिवासों को पुंजित, संहत, गुच्छित, संकेन्द्रित, संकुलित, सामूहिक अधिवासों के नाम से भी जाना जाता है।
प्रश्न 13.
सघन अधिवास कहाँ पाये जाते हैं?
उत्तर:
सघन अधिवास उपजाऊ मैदानी भागों, समतल तथा पर्याप्त जल की उपलब्धता वाले क्षेत्रों में मिलते हैं।
प्रश्न 14.
भारत में सघन अधिवास कहाँ मिलते हैं?
उत्तर:
भारत में सघन अधिवास गंगा-सतलज के मैदान, मालवा के पठार, विन्ध्यन पठार, नर्मदा घाटी और राजस्थान के मैदानी भाग में पाये जाते हैं।
प्रश्न 15.
प्रकीर्ण अधिवास किसे कहते हैं ?
उत्तर:
ऐसे अधिवास जो छितरे व बिखरे होते हैं तथा जिनमें आवास एक-दूसरे से दूर और कृषि भूमि को छोड़कर बनाये जाते हैं उन्हें प्रकीर्ण अधिवास कहते हैं।
प्रश्न 16.
मिश्रित अधिवासों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
ऐसे अधिवास जो सघन व प्रकीर्ण अधिवासों के बीच की अवस्था में होते हैं तथा जिनकी उत्पत्ति में पारिवारिक कारकों का योगदान रहता है। उन्हें मिश्रित/ अर्द्धसघन/अर्द्ध केन्द्रीय अधिवास कहा जाता है।
प्रश्न 17.
पल्ली या पुराना अधिवास क्या है?
उत्तर:
ऐसे अधिवास जो एक-दूसरे से दूर किन्तु एक ही बस्ती में बसे होते हैं तथा बस्ती के अलग-अलग भागों में अलग-अलग जातियों के लोग रहते हैं उन्हें पल्ली या पुराना अधिवास कहते हैं।
प्रश्न 18.
अधिवास प्रतिरूप से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
अधिवासों के बसाव की आकृति के आधार पर अधिवासों का जो स्वरूप सामने आता है उसे अधिवास प्रतिरूप कहा जाता है।
प्रश्न 19.
ग्रामीण अधिवासों के प्रतिरूप को नियंत्रित करने वाले कारक कौन-से हैं?
उत्तर:
ग्रामीण अधिवासों के प्रतिरूप को नियंत्रित करने वाले कारकों में प्राकृतिक कारक (धरातल का स्वरूप, नदियाँ, जलाशय), ऐतिहासिक कारक सामाजिक-सांस्कृतिक कारक, परिवहन मार्ग एवं धार्मिक कारक शामिल हैं।
प्रश्न 20.
भारत में रेखीय प्रतिरूप के अधिवास कहाँ मिलते हैं?
उत्तर:
भारत में रेखीय प्रतिरूप के अधिवास गंगा-यमुना के मैदान व मध्य हिमालय क्षेत्र में पाये जाते हैं।
प्रश्न 21.
तीर प्रतिरूप वाले अधिवासों का विकास क्यों होता है ?
उत्तर:
नदियों के विसर्पो व दोआबों के बीच अधिवासों के विकास लिए भूमि उपलब्ध नहीं होती है या नदी की सीमा इसके विकास में बाधा डालती है जिससे अधिवास का विकास पृष्ठभाग की तरफ होता है। इसी कारण तीर प्रतिरूप रूपी अधिवास बनते हैं।
प्रश्न 22.
तारा प्रतिरूप कैसे बनता है?
उत्तर:
तारा प्रतिरूप प्रारम्भ में अरीय प्रतिरूप के रूप में विकसित होता है किन्तु बाद में बाहर की और जाने वाली सड़कों के किनारे मकान बनने से इसकी आकृति तारे जैसी हो जाती है।
प्रश्न 23.
पंखा प्रतिरूप कब बनता है?
उत्तर:
जब किसी गाँव में केन्द्रीय स्थल के चारों और मकान बनते हैं। इसके बाद बस्ती का विकास सड़क के किनारे रेखीय प्रतिरूप में होने से पंखानुमा प्रतिरूप विकसित होता है।
प्रश्न 24.
मधुमक्खी छत्ता प्रतिरूप कहाँ मिलते हैं?
उत्तर:
मधुमक्खी छत्ता प्रतिरूप वाले अधिवास जनजातीय क्षेत्रों में मिलते हैं। भारत में टोडा जनजाति के आवास, आन्ध्र प्रदेश में समुद्र तटीय मछुवारों के गाँव, दक्षिणी अफ्रीका के जुलू लोगों के आवास इसी प्रतिरूप को दर्शाते हैं।
प्रश्न 25.
बेरोजगारी के कितने प्रारूप ग्रामीण अधिवासों में देखने को मिलते हैं?
उत्तर:
बेरोजगारी के तीनों प्रारूप-पूर्ण बेरोजगारी, छिपी बेरोजगारी व मौसमी बेरोजगारी को प्रारूप ग्रामीण अधिवासों में देखने को मिलता है।
प्रश्न 26.
नगरीय अधिवास किसे कहते हैं?
अथवा
नगरीय अधिवासों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
मानव निर्मित ऐसे अधिवास जिनमें अधिकांश लोग द्वितीयक, तृतीयक व चतुर्थक क्रियाकलापों में संलग्न मिलते हैं तथा मानवीय सुविधाओं को उच्च स्तर देखने को मिलता है उन्हें नगरीय अधिवास कहते हैं।
प्रश्न 27.
नगरीय अधिवासों की मुख्य विशेषताएँ कौन-सी हैं?
उत्तर:
उच्च जनसंख्या घनत्व, त्वरित गतिशीलता, पक्की सड़कें व पक्के मकान, रोजगार की उपलब्धता, यातायात के व्यक्तिगत व सार्वजनिक साधनों की उपलब्धता, रोजगार की उपलब्धता, तीव्र सामाजिक व आर्थिक अन्तर तथा सामाजिक प्रगाढ़ता का अभाव आदि नगरीय अधिवासों की मुख्य विशेषताएँ हैं।
प्रश्न 28.
नगरीय अधिवासों को किन आधारों पर वर्गीकृत किया गया है?
उत्तर:
जनसंख्या का आकार, व्यावसायिक संरचना, प्रशासन, आवश्यक दशाएँ आदि नगरीय अधिवासों को वर्गीकृत करने के प्रमुख आधार हैं।
प्रश्न 29.
नगरीय अधिवासों को आकार के आधार पर किन-किन भागों में बाँटा गया है।
उत्तर:
नगरीय अधिवासों को आकार के आधार पर नगर, महानगर, सन्नगर व वृहत नगरों में बाँटा गया है।
प्रश्न 30.
नगर से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
मानव निर्मित ऐसा नगरीय अधिवास समूह जिसमें जनसंख्या 1 लाख से अधिक किन्तु 10 लाख से कम मिलती है उसे नगर कहते हैं।
प्रश्न 31.
महानगर किसे कहते हैं?
उत्तर:
महानगर मानव निर्मित नगरीय अधिवासों का एक ऐसा प्रारूप है जिसमें जनसंख्या 10 लाख से अधिक मिलती है। इन्हें मेट्रोपोसिटी भी कहते हैं।
प्रश्न 32.
सन्नगर किसे कहते हैं?
उत्तर:
यह एक विशाल विकसित नगरीय क्षेत्र होता है। जो अलग-अलग नगरों या शहरों के आवास से मिलकर एक विशाल नगरीय क्षेत्र में बदल जाता है।
प्रश्न 33.
सन्नगर शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम कब व किसने किया था?
उत्तर:
सन्नगर शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम 1915 में पेट्रिक गिडिज नामक विद्वान ने किया था।
प्रश्न 34.
विश्व में मिलने वाले प्रमुख सन्नगरों के उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
ग्रेटर लंदन, टोकियो, शिकागो, ग्वालियर, हैदराबाद-सिकन्दराबाद, लश्कर-मुरार, दिल्ली-मेरठगाजियाबाद, दिल्ली-गुड़गाँव आदि सन्नगरों के मुख्य उदाहरण हैं।
प्रश्न 35.
वृहत नगर से क्या तात्पर्य है?
अथवा
विश्वनगरी किसे कहते हैं?
अथवा
मेगालोपोलिस से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
मानव निर्मित ऐसे नगरीय अधिवास जिनमें 50 लाख से अधिक जनसंख्या निवास करती है उन्हें वृहत नगर/ विश्वनगरी/ मेगालोपोलिस कहा जाता है।
प्रश्न 36.
विश्व के प्रमुख वृहत नगरों के नाम लिखिए।
उत्तर:
विश्व के प्रमुख वृहत नगरों में ग्रेटर लंदन, टोकियो, पेरिस, न्यूयार्क, मास्को, बीजिंग, कोलकाता, मुम्बई, दिल्ली व चेन्नई आदि शामिल हैं।
प्रश्न 37.
ग्रामीण युवा जनसंख्या नगरों में क्यों बसने लगी है?
उत्तर:
कृषि क्षेत्रों में मशीनीकरण, शिक्षा के विकास और ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या वृद्धि के कारण रोजगार की कमी होने से युवाशक्ति रोजगार की तलाश व नौकरियों के लिए नगरों में बसने लगी है।
प्रश्न 38.
गन्दी बस्तियों का प्रादुर्भाव क्यों हुआ है?
उत्तर:
नगरों में जनसंख्या तथा घनत्व में वृद्धि होने से आवासीय भवनों की कमी उत्पन्न हो गई है जिसने गंदी बस्तियों को उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
प्रश्न 39.
धारावी बस्ती की स्थापना कब व किसके द्वारा हुई?
उत्तर:
धारावी बस्ती की स्थापना 70 वर्ष पूर्व गुजरात के कुम्हारों के द्वारा की गई।
प्रश्न 40.
धारावी बस्ती में स्वरोजगार के कौन-कौन से स्वरूप देखने को मिलते हैं?
उत्तर:
धारावी बस्ती में मिट्टी के बर्तन बनाने, मृत्तिका शिल्प (सेरेमिक्स), कसीदाकारी, जरी के काम, परिष्कृत चमड़े के काम, धातु का कार्य, उत्कृष्ट आभूषण, फर्नीचर निर्माण, उच्च फैशन के कपड़े सिलने आदि के कार्य स्वरोजगार के रूप में देखने को मिलते हैं।
प्रश्न 41.
धारावी बस्ती को पुनस्र्थापित करने की योजना का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
इस बस्ती के नागरिकों को स्वास्थ्यप्रद वातावरण, स्वच्छ पेयजल, प्रकाश, शुद्ध वायु, शौचालय सुविधा उपलब्ध कराना व व्यक्तियों को गरीबी, भूख, बेरोजगारी व बीमारियों से बचाकर भावी पीढ़ियों को उचित शिक्षा प्रदान करना प्रमुख उद्देश्य हैं।
RBSE Class 12 Geography Chapter 6 लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA-I)
प्रश्न 1.
अधिवास क्या हैं?
उत्तर:
अधिवास मकानों के समूह होते हैं। यह समूह पाँच से लेकर सैकड़ों व हजारों मकानों के हो सकते हैं। आवास, मकान, घर या निवास स्थान अधिवास की मूलभूत इकाई होती है। ये एक झोपड़ी या भव्य इमारत के रूप में हो सकते हैं। बस्तियाँ छोटे रूप में विकसित होकर नगरों, महानगरों, वृहत नगरों एवं मिलियन सिटी का रूप धारण कर सकती है। इन आवासों में पगडण्डी, गली, सड़क, नहर एवं परिवहन मार्ग सम्पर्क बनाये रखते हैं।
प्रश्न 2.
मानव अधिवासों का निर्माण किन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाता है?
उत्तर:
मानव अधिवासों का निर्माण निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु किया जाता है –
- भौतिक वातावरण की कठोरता को कम करने के लिए; यथा-मौसमी दशाओं से सुरक्षा हेतु।
- खाद्य व उपयोगी सामग्री के भण्डारण व सुरक्षा हेतु।
- जंगली जानवरों व पशुओं से स्वयं की एवं उपयोगी खाद्य सामग्री की सुरक्षा हेतु।
- सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आर्थिक व शैक्षिक कार्यों के लिए।
- पारिवारिक एवं विलासिता पूर्ण जीवन जीने के लिए।
प्रश्न 3.
सघन अधिवासों की विशेषता बंताइए।
अथवा
गुच्छित अधिवासों की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
सघन या गुच्छित अधिवासों की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं –
- ये अधिवास प्रायः खेतों के मध्य किसी ऊँचे एवं बाढ़ से सुरक्षित स्थानों पर बसे होते हैं।
- सभी आवास पास-पास बने होते हैं।
- सभी आवास एक स्थान पर संकेन्द्रित होते हैं एवं इनके निवासी बाहरी आक्रमणों का मिलकर मुकाबला करते हैं।
- सामाजिक प्रगाढ़ता होने से इनके निवासी एक-दूसरे के सुख-दु:ख में सहभागी होते हैं।
- इन अधिवासों में मकानों की संख्या 40-50 से लेकर सैकड़ों तक हो सकती है।
- इनकी जनसंख्या उपलब्ध संसाधनों के आधार पर 500 से 1000 या इससे अधिक हो सकती है।
प्रश्न 4.
प्रकीर्ण अधिवासों की विशेषता बताइए।
अथवा
एकाकी अधिवास किन-किन विशेषताओं से युक्त होते हैं?
उत्तर:
प्रकीर्ण या एकाकी अधिवासों में निम्नलिखित विशेषताएँ देखने को मिलती हैं –
- अधिवासों में आवास एक-दूसरे से दूर होते हैं।
- इन अधिवासों में व्यक्ति एकाकी रूप में रहते हैं।
- व्यक्ति स्वतंत्र जीवन-यापन के आदि होते हैं।
- इनके निवासियों में एक-दूसरे के सहयोग की भावना कम होती है।
- ऐसे अधिवासों के अन्दर कृषि में संलग्न जातियों में ऊँच-नीच की भावना होती है।
प्रश्न 5.
अनियमित प्रतिरूप कहाँ व क्यों विकसित होता है?
उत्तर:
जिन क्षेत्रों में मानव अपनी सुविधा के अनुसार बिना किसी योजना के मकानों का निर्माण करते हैं तो ऐसी दशा में आकार रहित अधिवास विकसित होते हैं। ऐसे अधिवासों में सड़कें तथा गलियाँ शेष भूमि पर बाद में विकसित होती हैं। इन सड़कों व गलियों का स्वरूप टेढ़ी-मेढ़ा व घुमावदार तथा संकरा होता है। इसी कारण बिना आकार वाले इन अधिवासों के कारण अनियमित प्रतिरूप की रचना होती है। इस प्रकार का अधिवास प्रतिरूप भारत के गाँवों में देखने को मिलता है। यथा-राजस्थान के बारें जिले का लिसाड़ी गाँव।
प्रश्न 6.
नगरीय अधिवासों की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
नगरीय अधिवासों में निम्नलिखित विशेषताएँ देखने को मिलती हैं –
- उच्च जनसंख्या घनत्व का स्वरूप।
- त्वरित गतिशीलता।
- पक्की सड़कें एवं पक्के मकानों का स्वरूप।
- रोजगार की उपलब्धता या रोजगार के साधनों की प्रधानता।
- यातायात के व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक साधनों का अधिक मिलना।
- उच्च शिक्षा एवं गहन चिकित्सा सुविधाओं के स्वरूप का मिलना।
- 50 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या का गैर प्राथमिक कार्यों में संलग्न होना।
- जटिल श्रम विभाजन की प्रक्रिया का मिलना।
- सामाजिक प्रगाढ़ता का अभाव एवं व्यक्तिवादिता का मिलना।
- तीव्र सामाजिक एवं आर्थिक अन्तर एवं वर्ग विभाजन का पाया जाना।
प्रश्न 7.
जनसंख्या के आकार के आधार पर विश्व में नगरों के निर्धारण को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
विश्व में नगरों के निर्धारण हेतु जनसंख्या का आकार भिन्न-भिन्न होता है, कैसे?
उत्तर:
विश्व में नगरों के निर्धारण हेतु जनसंख्या की सीमा अलग-अलग मानी गई है। विश्व के अलग-अलग देशों में नगरीय क्षेत्र की श्रेणी में आने के लिए जनसंख्या की न्यूनतम सीमा डेनमार्क, स्वीडन एवं फिनलैण्ड में 250, आइसलैण्ड में 300, कनाडा व वेनेजुएला में 1000, कोलम्बिया में 1500, पुर्तगाल एवं अर्जेन्टाइना में 2000, संयुक्त राज्य अमेरिका एवं थाईलैण्ड में 2500, जापान में 3000 और भारत में 5000 व्यक्ति निर्धारित है। भारत में 5000 जनसंख्या के अतिरिक्त जनसंख्या घनत्व भी 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी होना चाहिए एवं प्राथमिक व्यवसाय में लगी जनरख्या को भी देखा जाता है।
प्रश्न 8.
जनसंख्या का बढ़ता आकार पर्यावरण प्रदूषण व अनेक बीमारियों को उत्पन्न कर रहा है, कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी क्षेत्र में बंढ़ते जनसंख्या के आकार के कारण पर्यावरणीय प्रदूषण की स्थिति को बढ़ावा मिलता है। बढ़ती जनसंख्या से नगरीयकरण को बढ़ावा मिला है। इस नगरीयकरण ने औद्योगीकीकरण को बढ़ाया है जिससे उद्योगों की चिमनियों से निकलता काला जहरीला धुआँ व नगरों में बाधित परिवहन के कारण वाहनों से निकलते धुएँ के कारण वायुमंडलीय प्रदूषण बढ़ रहा है। इस प्रदूषण की प्रक्रिया से हृदय, श्वसन, नाड़ी-तंत्र व मानसिक स्वास्थ्य व त्वचा सम्बन्धी रोगों में वृद्धि हुई है। बढ़ते प्रदूषण से डायरिया एवं पेचिस जैसी बीमारियाँ बढ़ रही हैं।
प्रश्न 9.
नगरीय कच्ची (गंदी) बस्तियों के विशिष्ट लक्षण लिखिए।
अथवा
आप किसी नगरीय क्षेत्र में कच्ची बस्तियों का पता किन लक्षणों के आधार पर लगा सकते हैं?
उत्तर:
नगरीय कच्ची बस्तियों का पता निम्नलिखित लक्षणों के आधार पर लगाया जा सकता है –
- इस प्रकार की बस्तियों में कच्ची, अस्थाई झोपड़-पट्टियाँ पायी जाती हैं।
- इन बस्तियों में सड़कों के नाम पर 2 से 4 फीट चौड़ी, घुमावदार व उबड़-खाबड़ गलियाँ पाई जाती हैं।
- इन बस्तियों में जीर्ण-शीर्ण आवास मिलते हैं तथा खुली हवा, प्रकाश, पेयजल तथा स्वास्थ्य की निम्न सुविधाएँ व शौच सुविधाओं का प्रायः अभाव पाया जाता है।
- अत्यधिक भीड़-भाड़, कम वेतन व जोखिम पूर्ण कार्य करने की प्रवृत्ति इन बस्तियों में मुख्य रूप से देखने को मिलती हैं।
- गरीबी के कारण लोगों में शराब, अपराध, गुंडागर्दी, नशीली दवाओं के सेवन की स्थिति दृष्टिगत होती है।
RBSE Class 12 Geography Chapter 6 लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA-II)
प्रश्न 1.
मानव अधिवासों की उत्पत्ति प्रक्रिया को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
मानव अधिवासों का उत्पन्न होना एक लम्बी प्रक्रिया का प्रतिफल है, कैसे?
उत्तर:
मानव ने अपनी विकास यात्रा में जब एकत्रीकरण और आखेट की अवस्था को पार कर पशुपालन अवस्था के साथ ही कृषि कार्य करना प्रारम्भ कर दिया तो पशुओं की एवं स्वयं की सुरक्षा और अनाज भण्डारण के लिए उसे स्थायी आवास की आवश्यकता हुई। प्राचीनकाल में सभी मानव बस्तियाँ पशुचारकों और कृषकों पर ही आधारित थीं। जनसंख्या बढ़ने और संघर्ष की स्थिति में सुरक्षा की दृष्टि से आवासों की संख्या में वृद्धि होने लगी।
लोग अलग-अलग जगहों पर घर बनाकर रहने लगे। धीरे-धीरे मानव ने विकास किया। उत्पादन में वृद्धि से व्यापार एवं परिवहन का विकास हुआ। तकनीकी विकास और जनसंख्या वृद्धि से गाँवों की संख्या में वृद्धि हुई। पुराने गाँवों के आकार बढ़ने से नगरों के विकास की परम्परा प्रारम्भ हुई। वर्तमान से 5000 वर्ष पूर्व मिस्र, सिन्धु, दजला-फरात की घाटियों में विशाल नगरों की उत्पत्ति एवं विकास हुआ। इस प्रकार मानव अधिवासों का अस्तित्व सामने है।
प्रश्न 2.
निवास के आधार पर अधिवासों की उत्पत्ति को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
निवास के आधार पर अधिवासों के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निवास के आधार पर अधिवासों की उत्पत्ति या प्रकारों को दो भागों में बाँटा गया है –
- अस्थायी अधिवास।
- स्थायी आवास।
1. अस्थायी अधिवास:
ऐसे अधिवास जो आवश्यकता अनुसार या मौसम के अनुसार बदलते रहते हैं उन्हें अस्थायी अधिवास कहते हैं। इस प्रकार के अधिवास शिकार, मौसम की अनुकूलता, पशुचारण एवं सुरक्षा की दृष्टि से निर्मित किये जाते हैं। विश्व में मिलने वाली जनजातियाँ प्रायः इस प्रकार के अधिवासों का निर्माण करती हैं। ऐसे अधिवास मध्य एशिया के स्टेपी मैदान में खिरगीज जनजाति द्वारा पशुओं को चराने के लिए चारे की उपलब्धता वगैरह के लिए अस्थायी अधिवास निर्मित किये जाते हैं। एस्किमो, बद्दू, रेड इंडियन व बुशमैन भी अस्थायी आवास बनाते हैं।
2. स्थायी आवास:
स्थायी अधिवास मानव विकास क्रम की देन है। जब से मानव समूह में रहने लगा तभी से स्थायी अधिवासों का विकास हुआ। मानव अधिवास मानव की सभ्यता और संस्कृति के प्रतीक हैं।
प्रश्न 3.
प्रकीर्ण अधिवासों के वितरण प्रारूप को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रकीर्ण अधिवासों का वितरण उत्तरी अमेरिका में संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के प्रेयरी, एशिया के स्टेपी मैदान, भारत में गंगा के खादर क्षेत्र, हिमालय पर्वतीय क्षेत्र व तराई तथा भाबर क्षेत्र, मध्य व दक्षिण अमेरिका में अर्जेन्टाइना के पम्पाज प्रदेश, आस्ट्रेलिया के डाउन्स तथा दक्षिणी अफ्रीका में वेल्डस प्रदेश में तथा दक्षिण राजस्थान के उदयपुर, राजसमन्द डूंगरपुर, प्रतापगढ़ और बांसवाड़ा जिलों में तथा मरुस्थलीय प्रदेश में प्रकीर्ण अधिवास प्रमुखता से पाये जाते हैं।
प्रश्न 4.
कच्ची बस्तियों की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कच्ची बस्तियों में निम्नलिखित समस्याएँ मिलती हैं –
- अस्वास्थ्य पूर्ण पर्यावरण में आवासों का निर्माण।
- सड़कों का अभाव।
- पेयजल सुविधा, प्रकाश वं शुद्ध वायु की कमी।
- अत्यधिक भीड़-भाड़ से संक्रमण का बढ़ता खतरा।
- कच्चे मकान होने से आग लग जाने का खतरा उत्पन्न होना।
- शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा का अभाव।
- शिक्षा हेतु विद्यालयों का अभाव।
- कम मजदूरी में जोखिम पूर्ण कार्य करने से असुरक्षित जीवन।
- अल्प पोषण से विभिन्न रोगों का खतरा।
- छोटे, कम ऊँचे एवं असुरक्षित आवास।
- समाज द्वारा हेय दृष्टि से देखना।
- कानून एवं व्यवस्था बनाने रखने की समस्या।
- आपातकालीन स्थिति में एम्बुलेंस, अग्निशमन दल का न पहुँच पाना।
प्रश्न 5.
धारावी बस्ती के भौगोलिक परिदृश्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
धारावी बस्ती एशिया की सबसे बड़ी कच्ची बस्ती है जो भारत के मुम्बई महानगर में स्थित है। इस बस्ती की उत्पत्ति का श्रेय गुजरात के कुम्हारों को दिया जाता है जिन्होंने लगभग 70 वर्ष पूर्व यहाँ आकर अपने अस्थायी आवास बनाये थे। यह कच्ची बस्ती मुम्बई शहर में जूहू से 12 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में उपनगरीय रेलमार्गों के बीच स्थित है। इस बस्ती का कुल क्षेत्रफल 557 एकड़ है और बस्तियों का सामूहिक क्षेत्र है। इस बस्ती में लगभग 600000 लोग निवास करते हैं। जनसंख्या की तुलना में इस बस्ती में आवासों की कमी मिलती है। यहाँ एक घर में 10 से 15 व्यक्ति एक ही कमरे में रहते हैं।’
RBSE Class 12 Geography Chapter 6 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ग्रामीण अधिवासों की समस्याओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ग्रामीण अधिवासों में निम्नलिखित समस्याएँ मिलती हैं –
- आवागमन के साधनों की कमी।
- स्वच्छ पेयजल का अभाव
- स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव
- विद्युत आपूर्ति का अभाव
- रोजगार के अवसरों की कमी
- सूचना व तकनीकी सुविधाओं का अभाव
- उच्च शिक्षा व तकनीकी संस्थानों की कमी
1. आवागमन के साधनों की कमी: ग्रामीण अधिवासों तक पहुँचने के लिए सामान्यतः सार्वजनिक परिवहन साधनों का अभाव होता है। व्यक्तिगत साधन ही उपलब्ध होते हैं, इसलिए साधन रहित लोगों के सामने आवागमन एक गंभीर समस्या
2. स्वच्छ पेयजल का अभाव: वर्तमान में पेयजल की समस्या ग्रामीण अधिवासों में विकराल रूप धारण करती जा रहीं है, इससे यहाँ के निवासी कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।
3. स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव: यहाँ के निवासियों को छोटी-छोटी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए समीपवर्ती नगर में जाना पड़ता है। आवागमन के साधनों के अभाव में समय पर उपचार नहीं मिलने के कारण मरीज की मृत्यु तक हो जाती है।
4. विद्युत आपूर्ति का अभाव: ग्रामीण अधिवासों में नियमित एवं पर्याप्त विद्युत आपूर्ति का अभाव होता है, इससे दैनिक एवं कृषि कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है।
5. रोजगार के अवसरों की कमी: यहाँ रोजगार के अवसर नहीं होने से तीनों प्रकार की बेरोजगारी –
- पूर्ण बेरोजगारी
- छिपी बेरोजगारी
- मौसमी बेरोजगारी पाई जाती है।
युवा रोजगार की तलाश में नगरों की ओर पलायन कर कम मजदूरी के कारण नारकीय जीवन व्यतीत करते हैं।
6. सूचना व तकनीक की सुविधाओं का अभाव: इनके कारण ग्रामीण अधिवास सूचना तकनीक एवं इन्टरनेट से नहीं जुड़ पाते जिससे छोटे-छोटे कार्यों के लिए समीपवर्ती कस्बों या नगरों में जाना पड़ता है। इस प्रकार धन व समय का दुरुपयोग होता है।
7. उच्च शिक्षा व तकनीकी संस्थानों की कमी: उच्च एवं तकनीकी शिक्षा उपलब्ध नहीं होने से अधिकांश युवक-युवतियों को प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षा के बाद अध्ययन कार्य बन्द करना पड़ जाता है।
प्रश्न 2.
नगरीय बस्तियों के वर्गीकरण के आधारों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
अथवा
नगरीय बस्तियों का वर्गीकरण किन आधारों पर किया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विश्व में नगरीय बस्तियों के वर्गीकरण के लिए मुख्यतः जनसंख्या के आकार, व्यवसाय की संरचना, प्रशासनिक ढाँचे व आवश्यक दशाओं को आधार माना जाता है। इन सभी आधारभूत कारकों का संक्षिप्त वर्णन निम्नानुसार है –
1. जनसंख्या का आकार:
विश्व में नगरीय क्षेत्रों को परिभाषित करने हेतु जनसंख्या के आधार को मुख्य माना जाता है। किन्तु सम्पूर्ण विश्व में नगरों के निर्धारण हेतु जनसंख्या के आकार में भिन्नता मिलती है। नगरों के निर्धारण हेतु डेनमार्क, स्वीडन व फिनलैण्ड में 250, आइसलैण्ड में 300, कनाडा, वैनेजुएला में 1000, कोलम्बिया में 1500, पुर्तगाल व अर्जेन्टाइना में 2000, संयुक्त राज्य अमेरिका व थाईलैण्ड में 2500, जापान में 3000 व भारत में 5000 लोगों की संख्या को न्यूनतम संख्या मानी जाती है।
2. व्यावसायिक संरचना:
नगरीय बस्ती के लिए जनसंख्या के आधार के अलावा व्यावसायिक कार्यों को भी आधार माना जाता है। यथा-इटली जैसे कुछ देशों में 50% से अधिक जनसंख्या गैर कृषि कार्यों में संलग्न होनी चाहिए। भारत में यह मापदण्ड 75% है। यहाँ प्रमुख आर्थिक गतिविधियों को भी नगरीय बस्तियों के लिए मापदण्ड माना गया है।
3. प्रशासनिक ढाँचा:
कुछ देशों में किसी बस्ती को नगरीय बस्ती में शामिल करने के लिए प्रशासनिक ढाँचे को ही मापदण्ड माना जाता है। जैसे–भारत में किसी नगर में नगर पालिका, छावनी बोर्ड और अधिसूचित नगरीय क्षेत्र समिति होने पर उसे नगरीय बस्ती माना जाता है। ब्राजील और बोलिविया में जनसंख्या के आकार के स्थान पर प्रशासकीय केन्द्र को नगरीय केन्द्र माना जाता है।
4. आवश्यक दशाएँ:
विश्व में नगरीय केन्द्रों की गणना सम्पादित कार्यों के आधार पर की जाती है। जैसे-अवकाश, पर्यटन स्थल की आवश्यक दशाएँ, औद्योगिक नगर, समुद्री पत्तन नगर, सेना नगरों से भिन्न होती है।
प्रश्न 3.
नगरीय अधिवासों की समस्याओं का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर:
नगरीय बस्तियों में निम्नलिखित समस्याएँ देखने को मिलती हैं –
- अत्यधिक जनसंख्या घनत्व व नगरों के बढ़ते आकार की समस्या
- गंदी बस्तियों की समस्या
- पर्यावरण प्रदूषण की समस्या
- उपभोक्ता वस्तुओं के उच्च मूल्य की समस्या
- खाद्य पदार्थों में मिलावट की समस्या
- अपराधों के बढ़ने की समस्या
- सामाजिक-आर्थिक विषमता की समस्या
- स्वास्थ्य व चिकित्सा सुविधाओं की कमी की समस्या।
1. अत्यधिक जनसंख्या घनत्व व नगरों के बढ़ते आकार की समस्या:
कृषि क्षेत्रों में मशीनीकरण, शिक्षा का विकास और ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या वृद्धि के कारण रोजगार की कमी होने से युवा शक्ति रोजगार की तलाश, नौकरियों के लिए नगरों में बसने लगी है। फलस्वरूप नगरों का आकार व जनसंख्या घनत्व तीव्र गति से बढ़ रहा है। नगरीय भूमि की अधिक कीमतें बढ़ने से लोगों को छोटे-छोटे आवासों में रहना पड़ रहा है। यातायात भार बढ़ने से सुबह एवं सायंकाल आवागमन बाधित होता है एवं दुर्घटनाओं का अनुपात बढ़ रहा है।
2. गंदी बस्तियों के प्रादुर्भाव की समस्या:
नगरों में जनसंख्या तथा घनत्व में वृद्धि होने से आवासीय भवनों की कमी से गन्दी बस्तियों का प्रादुर्भाव होने लगा है। औद्योगिक और व्यापारिक महानगरों में तो एक छोटे से कमरे में पूरा परिवार रहता है। महानगरों में धीरे-धीरे गन्दी बस्तियों का आकार बढ़ता जा रहा है।
3. पर्यावरण प्रदूषण की समस्या:
नगरीयकरण के कारण नगरों में अनेक प्रकार की पर्यावरणीय प्रदूषण की समस्याएँ बढ़ रही हैं। उद्योगों की चिमनियों से निकलता काला जहरीला धुआँ और बाधित परिवहन के कारण वाहनों से निकलता धुआँ वायुमण्डल को प्रदूषित करता है जो मानव और पशुओं के साथ वनस्पति पर भी कुप्रभाव डालता है। प्रदूषित वायु से हृदय, श्वसन, नाड़ी तंत्र, मानसिक स्वास्थ्य तथा त्वचा सम्बन्धी रोगों में अत्यधिक वृद्धि हुई है।
4. उपभोक्ता वस्तुओं के उच्च मूल्य की समस्या:
नगरों में दैनिक उपभोग की वस्तुएँ; जैसे—दूध, घी, फल, सब्जी आदि समीपवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों से आती हैं। दूर क्षेत्रों से लाने में परिवहन व्यय, दलाली और मुनाफा वसूली से ये पदार्थ महँगे होने से उच्च मूल्य पर उपलब्ध होते हैं।
5. खाद्य पदार्थों में मिलावट की समस्या:
नगरों में व्यापारी अधिक लाभ कमाने के लिए खाद्य पदार्थों में मिलावट करते हैं। मिलावटी भोजन सामग्री नागरिकों के स्वाथ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है और नागरिकों को अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
6. अपराधों के बढ़ते स्तर की समस्या:
ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की तलाश में नगरों में आने वाली जनसंख्या में पुरुषों की संख्या अधिक होती है जिससे नगरों में लिंगानुपात का सन्तुलन बिगड़ जाता है। परिणामस्वरूप अपहरण, दुष्कर्म, हत्या आदि घटनाएँ बढ़ जाती हैं। पर्याप्त मजदूरी नहीं मिलने या शीघ्र धनवान बनने के लालच में युवावर्ग समाजकण्टकों के चक्कर में आकर थोड़े से रुपयों की खातिर अपराध करने लगते हैं जिससे अपराधों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।
7. सामाजिक-आर्थिक विषमता एवं सामाजिक असहयोग की समस्या:
नगरों में मकानों और संसाधनों की उपलब्धता में अन्तर होने से सामाजिक-आर्थिक विषमता दृष्टिगोचर होती है। व्यक्तिगत स्वार्थ से प्रेरित होने के कारण सामाजिक सहयोग का अभाव पाया जाता है। महानगरों में एक तरफ गगनचुम्बी. विशाल वातानुकूलित इमारतें दिखाई देती हैं, दूसरी तरफ फुटपाथ पर खुले आसमान के नीचे जीवन का संघर्ष दिखाई देता है।
8. स्वास्थ्य व चिकित्सा सुविधाओं की कमी की समस्या:
नगरों में जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रदूषण बढ़ने से नागरिक रोग ग्रसित हो जाते हैं। जनसंख्या के अनुपात में चिकित्सा और चिकित्सालयों की कमी होती है। निजी महँगी चिकित्सा सुविधा आम जनता की पहुँच से बाहर हो जाती है। इससे व्यक्तियों को समय पर पूरी चिकित्सा सुविधा नहीं मिलती।
प्रश्न 4.
कच्ची बस्तियों के समाधान हेतु क्या-क्या कदम उठाये जाने चाहिए।
अथवा
गंदी बस्तियों की समस्याओं के समाधान हेतु कौन-से उपाय अपनाने चाहिए? उत्तर-कच्ची बस्तियों के समाधान हेतु निम्नलिखित कदम उठाये जाने चाहिए –
सरकार द्वारा निम्नतम दर पर आवास उपलब्ध कराना:
कच्ची बस्ती के स्थान पर ही बहुमंजिले आवासों में ऐसे लोगों को बसाने से वायु, प्रकाश, शौचालय की सुविधा स्वत: ही पूरी हो जाएगी। स्वास्थ्यप्रद वातावरण में जीवन प्रत्याशा भी अधिक बढ़ जाएगी। कोटा और अहमदाबाद की तर्ज पर कच्ची बस्तियों के लोगों को निम्नतम दर पर आसान किश्तों में परिवार के आकार के अनुसार आवास उपलब्ध कराये जाने चाहिए।
- नल या टैंकरों द्वारा स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति न्यूनतम दर पर या नि:शुल्क की जानी चाहिए।
- ग्रामीण क्षेत्रों के महानरेगा की तरह न्यूनतम मजदूरी निर्धारित कर रोजगार उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
- कच्ची बस्ती में ही विद्यालय खोलकर बच्चों की शिक्षा हेतु समुचित व्यवस्था करनी चाहिए।
- कच्ची बस्तियों के पास सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खोलकर नि:शुल्क चिकित्सा उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
- ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के साधन उपलब्ध कराये जाने चाहिए जिससे नगरीय क्षेत्रों में प्रवास कम से कम हो।
- चौड़ी सड़कों का निर्माण करना।
- भूमि की उपलब्धता होने पर बगीचों की व्यवस्था करना।
- स्वरोजगार के लिए ऋण उपलब्ध करवाना।
- परिवार कल्याण कार्यक्रम अपनाने पर जोर देना चाहिए।
- कानून एवं व्यवस्था को सुचारु रूप से बनाये रखना चाहिए।
प्रश्न 5.
धारावी बस्ती के सामाजिक, सांस्कृतिक व आर्थिक परिदृश्य को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
धारावी बस्ती के विशिष्ट सामाजिक-सांस्कृतिक व आर्थिक पहलुओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
धारावी बस्ती के सामाजिक-सांस्कृतिक व आर्थिक परिदृश्य का वर्णन निम्नानुसार है –
1. सामाजिक परिदृश्य:
धारावी बस्ती मुम्बई की एवं एशिया की सबसे बड़ी कच्ची बस्ती है। इस बस्ती में लगभग 6 लाख लोग निवास करते हैं। यहाँ एक कमरे में 10-15 व्यक्ति रहते हैं। इस बस्ती में अस्थायी मकान मिलते हैं, जो प्रायः दो से तीन मंजिलें हैं। इन आवासों में जंग लगी लोहे की सीढ़ियाँ मिलती हैं। इस कच्ची बस्ती से केवल एक मुख्य सड़क गुजरती है, जिसे नाइन्टीफुट रोड के नाम से जाना जाता है। इस बस्ती में परिवहन निगम की बसें बस्ती के अन्दर नहीं आ सकती हैं। इस बस्ती में ऑटो रिक्शा भी प्रवेश नहीं कर पाते हैं। इस बस्ती की पंगडंडिया व गलियाँ संकरी हैं।
2. सांस्कृतिक परिदृश्य:
इस बस्ती में शुद्ध पेयजल, वायु व प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था नहीं मिलती है। गंदे जल के निकास की इस बस्ती में कोई व्यवस्था नहीं है। इस बस्ती में आधारभूत सुविधाओं का अभाव मिलता है। यहाँ जगह-जगह काले कौओं व लम्बे भूरे चूहों की अधिकता देखने को मिलती है। इस बस्ती में मछुवारों की बहुलता देखने को मिलती है।
3. आर्थिक परिदृश्य:
इस बस्ती में जगह-जगह मिट्टी के उत्पाद पकाने और ईंटों के भट्टे हैं। प्लास्टिक पुनर्चक्रण में सौन्दर्य प्रसाधनों से लेकर कम्प्यूटर के बोर्ड आदि प्रत्येक वस्तु का पुनर्चक्रण होता है। मुम्बई के 80% कचरे का पुनर्चक्रण धारावी में होता है, जिससे काला जहरीला धुआँ फैला रहता है। सँकरी गन्दी गलियों वाली बस्ती में मछुवारों की बहुलता है, जो मछली पकड़ने का कार्य करते हैं।
धारावी में मिट्टी के बर्तन, मृत्तिका शिल्प (सेरेमिक्स), कसीदाकारी, जरी का काम, परिष्कृत चमड़े का काम, धातु का कार्य, उत्कृष्ट आभूषण, फर्नीचर, उच्च फैशन के कपड़े सिलने आदि का कार्य होता है। यह बड़ा पर्यटन केन्द्र तथा फिल्मों के कनिष्ठ कलाकारों का बड़ा केन्द्र भी है। 85% प्रतिशत लोग स्वयं या स्लम में रोजगार पाते हैं। यहाँ बनी वस्तुएँ मुम्बई के अतिरिक्त देश के अन्य भागों के साथ-साथ अरब देशों, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय देशों में निर्यात होती हैं।
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