• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • RBSE Model Papers
    • RBSE Class 12th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 10th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 8th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 5th Board Model Papers 2022
  • RBSE Books
  • RBSE Solutions for Class 10
    • RBSE Solutions for Class 10 Maths
    • RBSE Solutions for Class 10 Science
    • RBSE Solutions for Class 10 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 10 English First Flight & Footprints without Feet
    • RBSE Solutions for Class 10 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 10 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 10 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 10 Physical Education
  • RBSE Solutions for Class 9
    • RBSE Solutions for Class 9 Maths
    • RBSE Solutions for Class 9 Science
    • RBSE Solutions for Class 9 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 9 English
    • RBSE Solutions for Class 9 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 9 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 9 Physical Education
    • RBSE Solutions for Class 9 Information Technology
  • RBSE Solutions for Class 8
    • RBSE Solutions for Class 8 Maths
    • RBSE Solutions for Class 8 Science
    • RBSE Solutions for Class 8 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 8 English
    • RBSE Solutions for Class 8 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit
    • RBSE Solutions

RBSE Solutions

Rajasthan Board Textbook Solutions for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

  • RBSE Solutions for Class 7
    • RBSE Solutions for Class 7 Maths
    • RBSE Solutions for Class 7 Science
    • RBSE Solutions for Class 7 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 7 English
    • RBSE Solutions for Class 7 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 6
    • RBSE Solutions for Class 6 Maths
    • RBSE Solutions for Class 6 Science
    • RBSE Solutions for Class 6 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 6 English
    • RBSE Solutions for Class 6 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 5
    • RBSE Solutions for Class 5 Maths
    • RBSE Solutions for Class 5 Environmental Studies
    • RBSE Solutions for Class 5 English
    • RBSE Solutions for Class 5 Hindi
  • RBSE Solutions Class 12
    • RBSE Solutions for Class 12 Maths
    • RBSE Solutions for Class 12 Physics
    • RBSE Solutions for Class 12 Chemistry
    • RBSE Solutions for Class 12 Biology
    • RBSE Solutions for Class 12 English
    • RBSE Solutions for Class 12 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit
  • RBSE Class 11

RBSE Solutions for Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 3 गौरा

May 4, 2019 by Fazal Leave a Comment

RBSE Solutions for Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 3 गौरा is part of RBSE Solutions for Class 12 Hindi. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 3 गौरा.

Rajasthan Board RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 3 गौरा

RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 3 गौरा पाठ्यपुस्तक के अभ्यास प्रश्नोत्तर

RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 3 गौरा वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
‘गाय करुणा की कविता है’ उक्त कथन है
(अ) स्वामी विवेकानन्द का
(ब) महात्मा गाँधी का
(स) महादेवी वर्मा का
(द) बर्नाड शॉ का।
उत्तर:
(ब)

प्रश्न 2.
गौरा की मृत्यु हुई
(अ) लम्बी बीमारी से
(ब) जहरीली घास खाने से
(स) सुई खिलाने से
(द) उम्र पूरी होने से।
उत्तर:
(अ)

RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 3 गौरा अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
गौरा के पुत्र का क्या नाम रखा गया?
उत्तर:
गौरा ने एक वत्स को जन्म दिया। वत्स लाल रंग का था जो गेरू के पुतले जैसा जान पड़ता था। इसलिए उसका नाम लालमणि रखा गया लेकिन सब उसे लालू कहते थे।

प्रश्न 2.
स्वस्थ पशु के रोमों की क्या विशेषता होती है?
उत्तर:
स्वस्थ पशु के रोमों की सफेदी में एक विशेष चमक होती है। गौरा के रोमों में भी एक चमक थी जो ऐसी लगती थी मानो किसी ने अभ्रक का चूर्ण मल दिया हो।

प्रश्न 3.
लेखिको ने किस समस्या के समाधान के लिए ग्वाले को नियुक्त किया?
उत्तर:
गौरा तो महादेवी के घर पर आई, लेकिन उसके दुग्ध-दोहन की समस्या थी। शहर के नौकर दुहना नहीं जानते थे और गाँव के नौकर अभ्यास के कारण दोहन नहीं कर सकते थे। दुग्ध-दोहन की समस्या का समाधान करने के लिए ग्वाले को नियुक्त किया गया था।

प्रश्न 4.
जिसकी स्मृति मात्र से आज भी मन सिहर उठता है’ लेखिका की वह वेदनामयी स्मृति क्या थी?
उत्तर:
गौरा को गुड़ के साथ सुई खिला दी गई थी जो रक्त संचार के साथ उसके हृदय तक पहुँच गई। इसके बाद गौरा का मृत्यु से जूझना आरम्भ हुआ। ग्वाला का गौरा को सुई खिलाना और गौरा का मृत्यु से संघर्ष करना। इसकी स्मृति करके लेखिका का मन आज भी सिहर उठता है।

RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 3 गौरा लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
गाय का महादेवी के घर पर किस तरह स्वागत किया गया? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
‘गौरा’ गाय जब महादेवी जी के घर आई तो परिचितों और परिचारकों में उसके प्रति श्रद्धा उमड़ पड़ी। उसे लाल, सफेद गुलाबों की माला पहनाई गई। केसर और रोली का बड़ा टीका लगाया गया। घी के चौमुखी दीपक से आरती उतारी गई और उसे दही-पेड़ा खिलाया गया। उसका गौरागिनी नामकरण भी किया गया। बड़ा नाम होने के कारण उसे गौरा नाम से पुकारा जाने लगा।

प्रश्न 2.
‘गौरा वास्तव में बहुत प्रियदर्शन थी।’ -कथन के आधार पर गौरा के बाह्य सौन्दर्य की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
गौरा के पुष्ट लचीले पैर, भरे पुढे, चिकनी भरी हुई पीठ, लम्बी सुडौल गर्दन, निकलते हुए छोटे-छोटे सग। भीतर की लालिमा की झलक देते हुए कमल की दो अधखुली पंखुड़ियों जैसे कान। लम्बी और अन्तिम छोर पर काले सघन चामर का स्मरण दिलाने वाली पूँछ। सारा शरीर साँचे में ढ़ला-सा लगता था। उसके गौर वर्ण में विशेष चमक थी। मानो रोमों पर अभ्रक का चूर्ण मल दिया गया हो। उसकी काली बिल्लौरी आँखों को तरल सौन्दर्य तो दृष्टि को बाँध लेता था। साँचे में ढले हुए मुख पर आँखें बर्फ के नीचे जल के कुण्डों के समान लगती थीं। आँखों में एक आत्मीय विश्वास भरा था। ऐसा सुन्दर उसका पुष्ट सौन्दर्य था। वास्तव में वह प्रियदर्शन थी।

प्रश्न 3.
‘अब हमारे घर में दुग्ध-महोत्सव प्रारम्भ हुआ।’-कथन में वर्णित दुग्ध-महोत्सव के अवसर का चित्रण कीजिए।
उत्तर:
गौरा दिनभर में लगभग बारह सेर दूध देती। लालमणि के लिए कई सेर दूध छोड़ने के बाद शेष बच्चे दूध को आस-पास के बाल गोपालों से लेकर कुत्ते-बिल्ली तक सब पर मानो ‘दूधो नहाओ’ का आशीर्वाद फलित होने लगा। दुग्ध दोहन के समय कुत्ते-बिल्ली सब गौरा के सामने एक पंक्ति में बैठ जाते । महादेव उनके आगे बर्तन रखे देता। वे सभी शिष्टता का परिचय देते । नाप-नाप कर सबके पात्रों में दूध डाल दिया जाता। जिसे पीकर वे आनन्द मनाते। इस प्रकार दुग्ध महोत्सव मनाया जाता।

प्रश्न 4.
गौरा को मृत्यु से बचाने के लिए लेखिका ने क्या-क्या प्रयत्न किये? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
जब गौरा ने दोना-चारा खाना बन्द कर दिया तो वह दुर्बल और शिथिल होने लगी। महादेवी को इसकी चिन्ता हुई। उन्होंने पशु-चिकित्सकों को बुलाकर दिखाया। डाक्टरों ने निरीक्षण और एक्सरे से रोग का निदान खोजा और इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि गौरा को गुड़ में सुई खिलाई गई है। उसे सेब का रस पिलाया गया, इंजेक्शन लगवाए गये दवा पिलाई। इस प्रकार गौरा को मृत्यु के मुख में से निकालने के बहुत प्रयत्न किये गए। पर वह बच न सकी।

प्रश्न 5.
‘गाय करुणा की कविता है।’ –उक्त कथन के आलोक में ‘गौरा’ रेखाचित्र की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
गाय करुणा की साकार मूर्ति है और कविता भावों की संवाहिका। गाय के हृदय में करुणा के भावों का झरना झरता रहता है। गौरा संवेदनशील गाय थी। वह परोपकारी थी। अपने दुग्ध का दोहन कराकर वह दूसरों को पिलाती। पशु-पक्षी उसके साथ खेलते। कुत्ते-बिल्ली उसके पेट के नीचे और पैरों के बीच में खेलते । पक्षी उसकी पीठ और माथे पर बैठकर उसके कान और आँख खुजाते वह शान्त खड़ी रहती। उनका स्नेह उसे अच्छा लगता। बीमार होने पर उसने इंजेक्शन की पीड़ा को सहा। कभी-कभी उसकी आँखों में आँसू की दो बूंदें आ जार्ती, उस पीड़ा को भी सहती। मृत्यु के निकट आने पर वह अधिक संवेदनशील हो गई। अंतिम समय में महादेवी के कंधे पर अपना सिर रखकर प्राण त्याग दिये। जब वह स्वस्थ थी तब महादेवी की गाड़ी की आवाज सुनकर उधर ही देखती और बाँ-बाँ की ध्वनि से पुकारती । भूख लगने पर रंभा-रंभाकर घर सिर पर उठा लेती। महादेवी की संवेदना भी उसके प्रति कम नहीं थी। जब वह मर गई तो उनका हृदय भावुक हो गया। उनके भावों में आया, आह, मेरा गोपालक देश । रेखाचित्र की मूल संवेदना मानवीय संवेदना है। महादेवी ने गाय के प्रति अपनी संवेदना को प्रकट किया है।

RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 3 गौरा निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
गौरा रेखाचित्र की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
गौरा रेखाचित्र भाषा और शैली दोनों दृष्टियों से अपनी विशेषता रखता है। इसकी कतिपय विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

भाषा – रेखाचित्र की भाषा सरल एवं साहित्यिक है। तत्सम शब्दावली का प्रयोग हुआ है; यथा-वय: संधि, प्रतिफलित, साहचर्य, पयस्विनी आदि। कहीं-कहीं मुहावरों की छींटें भी देखने को मिलती हैं। भावात्मकता के कारण कहीं-कहीं भाषा गंभीर हो गई है।

अलंकारिक भाषा होने के कारण उसमें उत्कृष्ट कोटि का सौन्दर्य देखने को मिलता है। भाषा में प्रतीकात्मक शैली को भी प्रयोग हुआ है। भाषा में प्रतीकात्मकता का भी प्रयोग हुआ है।

मानवीय संवेदना – रेखाचित्र में मानवीय संवेदना का अच्छा चित्रण है। जब गौरा अस्वस्थ हो गई और उसने खाना कम कर दिया तो महादेवी की उसके प्रति संवेदना अधिक बढ़ गई। वे उसे रात में भी कई बार देखने जातीं । जब उसके प्राण निकलने लगे तो उनका हृदय रो पड़ा। गौरा ने उनके कन्धे पर अपना सिर रखकर अपने प्राण त्याग दिये। तब उनके हृदय से निकला यह कैसा गोपालक देश है, जहाँ गायों की ऐसी निर्मम हत्या की जाती है। मानवीय संवेदना इसका मूल भाव है।

आलंकारिक शैली – रेखाचित्र में आलंकारिक शैली का प्रयोग हुआ है। उपमा और उत्प्रेक्षा अलंकारों का प्रयोग अधिक है। गौरा के कान छोटे थे उनके लिए अधखुली पंखुड़ियों की उपमा दी गई है। उसके शरीर के ओज की इटैलियन मार्बल से समता की गई है। उसकी आँखों पर दिये की लौ जब पड़ती तो लगती मानो कई दीपक झिलमिला रहे हों अथवा काली लहर पर कई दिये प्रवाहित कर दिये गए हों। माथे पर आँखों का उत्कृष्ट आलंकारिक वर्णन है। वे ऐसी लगती हैं मानो बर्फ के नीचे जल के कुण्ड हों। तीव्र एवं मन्थर गति के लिए बाण की तीव्र गति और मन्द समीर की गति से समता की गई है।

चित्रोपमता – भाषा में चित्रोपमता अधिक है, जहाँ गौरा के शरीर एवं आँखों का वर्णन हुआ है उसे पढ़कर एक सुन्दर गाय को चित्र आँखों के सामने उभर कर आ जाता है। गौरा के पैरों, पीठ, कंधों, सींग, पूँछ का जो वर्णन है उसे पढ़कर गौरा को चित्र आँखों के सामने उभर कर आ जाता है। यह शब्दचित्र है जो महादेवी जी ने रेखाचित्र में प्रस्तुत किया है। महादेवी जी शब्दों के द्वारा ऐसा वर्णन करती हैं कि आँखों के सामने एक बिम्ब उभर आता है। इसे बिम्ब योजना भी कह सकते हैं। लालमणि का भी ऐसा ही चित्रात्मक वर्णन है।

यथार्थता – रेखाचित्र में मानव मन का यथार्थ चित्रण हुआ है। स्वार्थी व्यक्ति व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए कैसे जघन्य पाप कर देते हैं। इसका यथार्थ वर्णन पढ़ने को मिलता है। ग्वाले ने व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण गौरा को सुई खिलाई। यह स्वार्थी और ईष्र्यालु व्यक्ति का यथार्थ चित्रण है। अपनों से लगाव होने से जो सुख मिलता है और बिछोह पर जो पीड़ा होती है उसका भी यथार्थ वर्णन है। गौरा के महादेवी के घर आने पर सभी को कैसी प्रसन्नता हुई और उसकी मृत्यु पर महादेवी को जो पीड़ा हुई इसका यथार्थ वर्णन है। पशुओं में भी अपनत्व होता है इसका भी यथार्थ वर्णन पढ़ने को मिलता है।

प्रश्न 2.
‘आह, मेरा गोपालक देश!’ -पंक्ति में निहित वेदना का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
भारत गायों का देश है। यहाँ गाय को माता समझा जाता है। कृष्ण ने गायों को चराया। जहाँ कभी गाय के दूध की नदियाँ बहती थीं, वहाँ गायों की दुर्दशा है। एक ग्वाला जो गायों को पालता है उसका दूध बेचता है, वही एक गाय का काल बनेगा। इस सत्य की महादेवी ने कल्पना भी नहीं की थी। गाय को पालने वाला गाय को ही मारेगा यह सोच के बाहर था। स्नेहमयी गौरा की बीमारी और उसे सुई खिलाने की बात ने महादेवी का हृदय विदीर्ण कर दिया। जिस ग्वाले पर विश्वास किया था वह ऐसा धोखा देगा, इसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी। जब गौरा ने उनके कन्धे पर सिर रखकर अन्तिम साँस ली और फिर धरती पर लुढ़क गई, वह दृश्य महादेवी से देखा नहीं गया। गौरा को ले जाते समय उनका हृदय करुणा से भरे गया। उनके मुख से निकला कि यह देश गोपालक है या गोभक्षक! वेदना से उनका हृदय तड़प उठी। उन्होंने सोचा इस देश को गोपालक देश कहना व्यर्थ है। बहुत संक्षिप्त शब्दों में महादेवीजी ने अपनी वेदना व्यक्त कर दी है।

RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 3 गौरा अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 3 गौरा वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. गौरा रेखाचित्र में रेखांकित हुई है –

(क) मानवीय क्रूरता
(ख) मानवीय संवेदना
(ग) मानवीय स्वार्थ
(घ) मानवीय ईष्र्यो।

2. गौरा गोवत्सों से विशिष्ट हो गई थी –

(क) प्रियदर्शन के कारण।
(ख) सीधी होने के कारण
(ग) दुलार में पलने के कारण
(घ) आकार के कारण।

3. महादेवी ने छोटी बहिन को अपने से बहुत बड़ा माना। इसका कारण था?

(क) लौकिक बुद्धि
(ख) व्यावहारिकता
(ग) प्रबन्ध क्षमता
(घ) गृह संचालन।

4. गौरा के किस गुण ने महादेवी को सबसे अधिक प्रभावित किया।

(क) सीधेपन ने
(ख) दूध देने की क्षमता ने
(ग) आँखों के सौन्दर्य ने
(घ) शारीरिक सौन्दर्य ने।

5. गाय के नेत्रों में हिरन के नेत्रों का सा भावे नहीं रहता बल्कि रहता है –

(क) विश्वास
(ख) विस्मय
(ग) आतंक
(घ) भय।

6. ‘जिसकी कल्पना भी मेरे लिए सम्भव नहीं थी। वह कौन सी कल्पना थी?

(क) ग्वाला विश्वासघात करेगा
(ख) गौरा दूध नहीं देगी।
(ग) गौरा नहीं बचेगी
(घ) ग्वाला दूध नहीं निकालेगा।

7. ‘मेरे पास पहुँचते ही उसकी आँखों में प्रसन्नता की छाया-सी तैरने लगती थी’ कारण था –

(क) स्नेह
(ख) आत्मीयता
(ग) हाथ फेरना
(घ) निकटता

उत्तर:

  1. (ख)
  2. (ग)
  3. (क)
  4. (घ)
  5. (क)
  6. (क)
  7. (ख)

RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 3 गौरा अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
महादेवी ने अपनी छोटी बहिन की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर:
महादेवी ने कहा है कि उनकी छोटी बहिन में लौकिक बुद्धि अधिक थी। बचपन से ही वह कर्मनिष्ठ और व्यवहारकुशल थी।

प्रश्न 2.
छोटी बहिन ने महादेवी को क्या समझाया और उसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
छोटी बहिन ने कहा तुम अन्य पशु-पक्षी पालती हो इसे (गाय) भी पालो। बहिन के उपयोगिता सम्बन्धी भाषण को सुनकर महादेवी जी गौरा को तुरन्त ही अपने बँगले पर ले आई।

प्रश्न 3.
गौरा के वर्ण की क्या विशेषता थी?
उत्तर:
गौरा का रंग सफेद था। उसके शरीर की उज्ज्वलता और चमक देखकर ऐसा लगता था मानो किसी ने उसके रोमों पर अभ्रक का चूर्ण मल दिया हो। उसके रोमों में एक चमक थी। इस कारण जिधरे प्रकाश पड़ता था, उधर विशेष चमक उत्पन्न हो जाती थी।

प्रश्न 4.
गौरा के बँगले पर आने पर लोगों ने क्या किया?
उत्तर:
लोगों के हृदय में श्रद्धा का ज्वार उमड़ पड़ा। गौरा को गुलाबों की माला पहनाई गई, केशर-रोली का टीका लगाया गया, चौमुखी दिये से आरती उतारी गई, दही-पेड़ा खिलाया गया और उसका नाम गौरांगिनी रखा गया।

प्रश्न 5.
स्वागत का गौरा पर क्या प्रभाव पड़ा और उसकी आँखें कैसी दिखीं?
उत्तर:
स्वागत से गौरा बहुत प्रसन्न जान पड़ी और उसकी काली आँखों पर जब दीपक की लौ का प्रतिबिम्ब पड़ा तो ऐसा लगा मानो कई दिये जल रहे हैं। रात में काली दिखने वाली काली लहर पर किसी ने कई दिये प्रवाहित कर दिये हों।

प्रश्न 6.
गौरा की बिल्लौरी आँखों के बारे में क्या कल्पना की गई है?
उत्तर:
गौरा की काली बिल्लौरी आँखों का तरल सौन्दर्य दृष्टि को बाँधकर स्थिर कर देता था। मुख पर आँखें ऐसी लगती थीं जैसे बर्फ के नीचे जल के कुण्ड हों। उनमें विश्वास झलकता था।

प्रश्न 7.
गाँधी ने गाय को करुणा की कविता क्यों कहा है?
उत्तर:
गाय करुणावान होती है। कविता में जिस प्रकार भावों का प्रवाह होता है, उसी प्रकार गाय के हृदय में संवेदना के भाव प्रवाहित होते रहते हैं। वह परोपकार की भावना से ओतप्रोत होती है। इस कारण गाँधी ने उसे करुणा की कविता कहा है।

प्रश्न 8.
लेखिका ने गौरा की गति के सम्बन्ध में क्या कहा है?
उत्तर:
गौरा की गति अलस मन्थर है। उसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती। लेखिका ने कल्पना की है कि उसकी मन्थर गति उस समीर के समान है जो फूलों के समूह पर मन्थर गति से बहती है और सबको आकर्षित करती है।

प्रश्न 9.
महादेवी के आने और समय पर भोजन न मिलने पर गौरा क्या करती थी?
उत्तर:
महादेवी की मोटर फाटक पर आते गौरा बाँ-बाँ की ध्वनि करने लगती और थोड़ी देर भोजन की प्रतीक्षा करने के बाद वह रंभा-रंभाकर घर सिर पर उठा लेती थी।

प्रश्न 10.
‘गौरा हमसे मानवीय स्नेह के समान ही निकटता चाहती थी।’ इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
महादेवी जब गौरा के निकट पहुँचतीं तो वह सहलाने के लिए गर्दन आगे बढ़ा देती, हाथ फेरने पर अपना मुख आश्वस्त भाव से कन्धे पर रखकर आँखें बन्द कर लेती। वह स्नेह की अपेक्षा करती थी। दूर जाने पर घूम-घूमकर देखती।

प्रश्न 11.
गौरा के वत्स का लालमणि नाम क्यों रखा गया?
उत्तर:
गौरा के वत्स का रंग लाल था। लाल रंग के कारण वह गेरू के पुतले जैसा जान पड़ता था। पैरों के खुरों के ऊपर सफेद वलय थे जो ऐसे लगते थे मानो गेरू की बनी वत्समूर्ति को चाँदी के आभूषणों से सजा दिया गया हो। इसलिए उसका नाम लालमणि रखा गया था।

प्रश्न 12.
दुग्ध दोहन के समय जो दृश्य उपस्थित होता, उसे लिखिए।
उत्तर:
दुग्ध दोहन के समय कुत्ते-बिल्ली गौरा के सामने एक पंक्ति में बैठ जाते । महादेव बर्तन उनके सामने रख देता। वे अतिथियों के समान परम शिष्टता का परिचय देते । दुग्ध पान के बाद वे उछलते-कूदते थे।

RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 3 गौरा लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
गौरा महादेवी के बँगले पर कैसे आई?
उत्तर:
गौरा महादेवी की छोटी बहिन के घर लाड़-प्यार से पली बछिया थी। बहिन ने कहा कि तुम इतने पशु-पक्षी पालती हो, एक गाय क्यों नहीं पाल लेतीं। बहिन ने उसकी उपयोगिता बताई। उसके उपयोगिता सम्बन्धी भाषण ने महादेवी को बछिया ले जाने के लिए विवश कर दिया। बछिया सुन्दर और आकर्षक थी, इसके कारण भी महादेवी प्रभावित हो गईं। इस कारण महादेवी बछिया को अपने बँगले पर ले आईं।

प्रश्न 2.
महादेवी गौरा की किन विशेषताओं को देखकर प्रभावित हुईं?
उत्तर:
गौरा जब उनके बँगले पर आ गई तब उन्होंने उसे ध्यान से देखा। उसका वर्ण उज्ज्वल धवल था। उसके रोम चमकीले थे, ऐसा लगता था मानो किसी ने उसके रोमों पर अभ्रक का चूर्ण मल दिया हो। आलोक में वे और चमक जाते थे। उसके पुष्ट लचीले पैर, भरे पुट्टे, चिकनी भरी हुई पीठ थी। उसकी लम्बी सुडौल गर्दन थी। निकलते हुए छोटे-छोटे सग, कमल की दो अधखुली पंखुड़ियों जैसे कान, लम्बी और काले चामर जैसी उसकी पूँछ। सारा शरीर साँचे में ढला हुआ-सा था। सारे शरीर पर तराशे हुए इटैलियन मार्बल की सी ओज थी। गौरा की इन विशेषताओं ने महादेवी को प्रभावित किया था।

प्रश्न 3.
महादेवी ने गौरा की आँखों की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर:
गौरा की काली बिल्लौरी आँखें थीं। साँचे में ढले हुए उसके मुख पर आँखें ऐसी लगती थीं मानो बर्फ के नीचे जल के कुण्ड हों जिनमें एक विश्वास झलकता था। उसके नेत्रों में हिरन के नेत्रों जैसा चकित विस्मय नहीं था बल्कि आत्मीय विश्वास झलकता था। उसकी बड़ी चमकीली और काली आँखों में जब आरती के दिये प्रतिबिम्बित होकर झलकने लगते तो कई दियों का भ्रम हो जाता। ऐसा लगता मानो रात में काली दिखने वाली काली लहर पर किसी ने कई दिये प्रवाहित कर दिये हों । इस प्रकार महादेवी ने उसकी आँखों को आलंकारिक वर्णन किया है।

प्रश्न 4.
“उस पशु को मनुष्य से यातना ही नहीं, निर्मम मृत्यु तक प्राप्त होती है।” किस पशु की ओर कैसी निर्मम मृत्यु? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
गौरा, जिसे महादेवी ने अपनी छोटी बहिन से प्राप्त किया था, जो प्रियदर्शन थी, करुणा की साकार प्रतिमा थी। संवेदनशील थी। जिसकी आँखों में आत्मीयता और आत्मविश्वास था, उसकी निर्मम मृत्यु हुई। स्वार्थी ग्वाले ने, जिसे महादेवी ने गौरा का दुग्ध दोहन करने के लिए रखा था, उसने गुड़ में सुई मिलाकरे उसे खिला दिया। वह धीरे-धीरे शिथिल और दुर्बल होती गई। उसने कष्ट सहा । अन्त में मृत्यु की गोद में सदा के लिए सो गई। ऐसी अमानवीयता का कुफल उस भोले पशु को सहन करना पड़ा। यह यातना उसे सहन करनी पड़ी। जिसकी पीड़ा महादेवी को हुई।

प्रश्न 5.
गौरा महादेवी के बंगले पर आकर परिवार में हिल-मिल गई थी। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
गौरा कुछ दिनों में सबसे हिल-मिल गई थी। पशु-पक्षी लघुता और विशालता का अन्तर भूल गये। कुत्ते-बिल्ली उसके पेट के नीचे और पैरों के बीच में खेलते। पालतू पक्षी उसकी पीठ और माथे पर बैठकर उसके कान तथा आँखें खुजलाते। पर वह शान्त रहती। किसी प्रकार की चंचलती नहीं दिखाती। उनके साथ वह घुल-मिल गई थी। आँखें मूंदकर उनके सम्पर्क सुख का आनन्द लेती। दुग्ध दोहन के समय यदि कुत्ते-बिल्ली के आने में विलम्ब हो जाता तो वह रंभा-रंभा कर उन्हें बुला लेती। वह हमारी आवाज और पैरों की आहट पहचानती थी। भोजन के समय में विलम्ब हो जाता तो जोर-जोर से रंभाने लगती । इस प्रकार वह हमारे परिवार का सदस्य बन गई थी और सबसे हिलमिल गई थी।

प्रश्न 6.
लालमणि के रूप-रंग का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
एक वर्ष बाद गौरा ने एक वत्स को जन्म दिया। वह लाल रंग का था। लाल रंग के कारण वह गेरू के पुतले जैसा प्रतीत होता था। उसके माथे पर पान के आकार का श्वेत तिलक था। चारों पैरों में खुरों के ऊपर सफेद वलय थे जो ऐसे लगते थे मानो गेरू की बनी वत्समूर्ति को चाँदी के आभूषणों से अलंकृत कर दिया गया हो। रंग-रूप के कारण उसका नाम लालमणि रखा गया, जिसे सभी लालू कहकर पुकारते थे। माता-पुत्र पास रहने पर हिमराशि और जलते अंगारे से लगते थे।

प्रश्न 7.
दुग्ध दोहन के समय एक परिवार का सा दृश्य देखने को मिलता। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
दुग्ध दोहन के बाद लालमणि के लिए कई सेर दूध छोड़ दिया जाता। फिर भी पर्याप्त दूध बचता था। कुछ दूध आस-पास के बाल-गोपालों को बाँट दिया जाता। कुत्ते-बिल्लियों को भी ‘दूधो नहाओ’ का आशीर्वाद मिलता। परिवार की तरह कुत्ते-बिल्ली एक पंक्ति में शान्ति से बैठ जाते। महादेव सबके सामने बर्तन रख देता। सभी को नाप-नापकर दूध दिया जाता। वे अतिथियों के समान शिष्टता का परिचय देते। दुग्धपान के बाद सभी अपने-अपने स्वर में कृतज्ञता ज्ञापन करते और गौरा के चारों ओर उछलते-कूदते । यदि उनके आने में विलम्ब होता तो जैसे परिवार में सबको बुलाया जाता है वैसे गौरा भी रंभा-रंभाकर सबको बुलाती । इस प्रकार दुग्ध दोहन के समय एक परिवार का सा दृश्य देखने को मिलती।

प्रश्न 8.
दुग्ध दोहन की क्या समस्या थी और उसका समाधान कैसे हुआ? अन्ततोगत्वा इसका क्या परिणाम निकला?
उत्तर:
गौरा के दुग्ध दोहन की समस्या सामने आई। नागरिक नौकर दूध काढ़ना जानते ही नहीं थे। जो गाँव के थे उन्हें अभ्यास नहीं था। इसलिए उन्होंने भी दूध दुहने से मना कर दिया। अब यह समस्या आई कि दूध कौन दुहे? इसलिए दूध दुहने वाले को रखा गया। उसने कुछ दिन तो दूध ठीक काढ़ा । पर बाद में गौरा को निजी स्वार्थ के कारण गुड़ में मिलाकर सुई खिला दी। इसका परिणाम यह हुआ कि महादेवी को गाय को खोना पड़ा। जिसकी पीड़ा उन्हें अन्त तक सताती रही।

प्रश्न 9.
“मुझे कष्ट और आश्चर्य दोनों की अनुभूति हुई।” महादेवी को कष्ट और आश्चर्य क्यों हुआ?
उत्तर:
गौरा जो सबके साथ हिल-मिल गई थी अब अस्वस्थ हो गई थी। इलाज कराने पर भी कोई लाभ नहीं हो रहा था। निरीक्षण करने पर ज्ञात हुआ कि उसे सुई खिलाई गई है जो रक्त संचार के साथ उसके हृदय तक पहुँच गई है। उसकी मृत्यु निश्चित है। यह जानकर महादेवी को बड़ा कष्ट हुआ। आश्चर्य इसलिए हुआ क्योंकि जिस ग्वाले पर विश्वास करके दूध दुहने के लिए रखा था। उसी ने विश्वासघात किया और अपना दूध देने के लोभ में उसे सुई खिला दी। आदमी इतना स्वार्थी होता है। मनुष्य इतना गिर सकता है। यह सोचकर महादेवी को आश्चर्य हुआ। प्रियदर्शनी गाय की मृत्यु की कल्पना कष्टकारक बन गई और ग्वाले की करनी आश्चर्य का कारण बन गई।

प्रश्न 10.
“अन्त में एक ऐसा निर्मम सत्य उद्घाटित हुआ।” वह निर्मम सत्य क्या था?
उत्तर:
जिन घरों में ग्वालों से अधिक दूध लिया जाता है वहाँ ग्वाले गाय का आना सह नहीं पाते क्योंकि गाय के आने से उनका दूध बन्द हो जाता है। ऐसे ग्वाले अवसर मिलते ही गुड़ के साथ सुई मिलाकर गाय को खिला देते हैं जिससे गाय की मृत्यु निश्चित हो जाती है। गाय के मर जाने पर घर वाले पुन: उनसे दूध लेना आरम्भ कर देते हैं। इसलिए वे ऐसा करते हैं। उनके ग्वाले ने भी गाय को गुड़ के साथ सुई खिला दी जिससे वह मर जाए और महादेवी उससे फिर दूध लेना आरम्भ कर दें। ग्वाले का निर्मम सत्य महादेवी के सामने उद्घाटित हो गया। महादेवी को विश्वास इसलिए हो गया कि सुई खिलाने को रहस्य खुलने पर उसने आना ही बन्द कर दिया।

प्रश्न 11.
“गौरा को मृत्यु से संघर्ष आरम्भ हुआ।” महादेवी ने गौरा को मृत्यु के संघर्ष से बचाने के लिए क्या किया?
उत्तर:
महादेवी ने देखी गौरा ने दाना-चारा खाना बन्द कर दिया और वह धीरे-धीरे दुर्बल और शिथिल होती जा रही है। तब निदान के लिए महादेवी ने चिकित्सकों की सलाह ली। चिकित्सकों ने निरीक्षण के बाद बताया कि इसे गुड़ के साथ सुई खिलाई गई है। उपचार आरम्भ हुआ। सुई रक्त संचार के साथ हृदय तक पहुँच गई थी और गौरा की कभी भी मृत्यु हो सकती थी। डाक्टरों ने सेब का रस पिलाने की सलाह दी जिससे सुई पर कैल्शियम जम जाये और वह चुभे नहीं। उसे खूब सेब का जूस पिलाया गया। शक्ति के लिए इंजेक्शन दिये गये। बड़ी मोटी सूजे के समान सिरिंज से इंजेक्शन दिया जाता। यह इन्जेक्शन भी शल्य चिकित्सा की यातना के समान ही था। गौरा इस कष्ट को भी सहन करती। परन्तु कोई लाभ नहीं हुआ और उसकी मृत्यु निकट आती चली गई। सारे उपचार व्यर्थ गये। दूर-दूर के डाक्टर भी बुलाये गए पर कोई लाभ नहीं हुआ। गौरा बच नहीं सकी।

प्रश्न 12.
गौरा की अस्वस्थता से अनभिज्ञ लालमणि की क्रियाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लालमणि अपनी माँ की अस्वस्थता और मृत्यु की निकटता से अपरिचित था। उसे दूसरी गाय का दूध पिलाया जाता, जो उसे पचता न था। वह अपनी माँ का दूध पीना चाहता था और उसके साथ खेलना चाहता था। वह उसके पास पहुँचता अपना सिर मार-मारकर उसे उठाना चाहता था। खेलने के लिए उसके चारों ओर उछलता-कूदता। पर उसे अपनी माँ की असाध्य बीमारी का ज्ञान नहीं था। गौरा अस्वस्थ और निर्बल हो गई थी इस कारण वह उठ नहीं सकती थी और न उसके पास वाणी थी जो वह लालमणि को अपनी विवशता बता सकती। वह कैसे बताती कि मेरा अन्तिम समय आ गया है और मैं तुझे छोड़कर जा रही हूँ।

प्रश्न 13.
“अब मेरी एक ही इच्छा थी।” महादेवी की इच्छा क्या थी? गौरा की मृत्यु का उन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
गौरा की आँखें धीरे-धीरे निष्प्रभ हो चलीं और सेब का रस कण्ठ के नीचे नहीं उतरता था। तब महादेवी ने सोचा कि अन्तिम समय में वे गौरा के पास रहें। वे रात और दिन में कई-कई बार उसे देखने जात। अन्त में ब्रह्ममुहूर्त में जब महादेवी उसे देखने गईं तो उसने सदा की तरह अपना सिर उठाकर महादेवी के कन्धे पर रखा और कुछ समय बाद उसके प्राण पखेरू उड़ गये। उसका सिर पत्थर जैसा भारी होकर जमीन पर सरक गया। महादेवी पर इसका बड़ा गहरा प्रभाव पड़ा। वे भावुक हो उठीं। गौरांगिनी को ले जाते समय उनके हृदय में करुणा का समुद्र उमड़ पड़ा। उनके मन में भाव आया यह कैसा गोपालक देश है जहाँ गाय की ऐसी निर्मम हत्या की जाती है।

RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 3 गौरा निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘गौरा’ शीर्षक रेखाचित्र की विषयवस्तु अपने शब्दों में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर”
‘गौरा’ महादेवी की छोटी बहिन के घर स्नेह और दुलार में पली बछिया थी। इसलिए वह अन्य गोवत्सों से विशिष्ट थी। छोटी बहिन ने महादेवी से कहा कि तुम पशु-पक्षी पालती हो, एक गाय क्यों नहीं पाल लेतीं । बहिन ने गाय की उपयोगिता से सम्बन्धित भाषण दे डाला। महादेवी की बहिन आत्मविश्वास के साथ जिस बात को कहती उसका प्रभाव दूसरों पर अवश्य पड़ता था। अत: महादेवी पर भी उसका प्रभाव पड़ा और उस बछिया को स्वीकार करना पड़ा। उन्होंने बछिया को ध्यान से देखा। वह स्वस्थ थी। उसके पुष्ट लचीले पैर, भरे पुट्टे, चिकनी भरी पीठ, लम्बी सुडौल गर्दन, निकलते छोटे-छोटे सग, अन्दर की लालिमा की झलक देते हुए कमल की दो अधखुली पंखुड़ियों जैसे कान, लम्बी और काले बालों वाली पूँछ और साँचे में ढला हुआ शरीर आदि ने महादेवी को उसके प्रति आकर्षित कर लिया। वह गौर वर्ण की थी। उसके रोम चमकीले थे। लगता था अभ्रक का चूर्ण मल दिया गया हो क्योंकि प्रकाश में वह अधिक चमकते थे।

गौरा जब बँगले पर आई तो उसे देखकर सभी के हृदय में श्रद्धा और हर्ष का समुद्र लहराने लगा। उसका स्वागत किया गया। कमल के पुष्प की माला पहनाई गयी, तिलक लगाया गया, आरती उतारी, गई गौरा को भी यह अच्छा लगा, उसकी आँखों से प्रसन्नता झलक रही थी। एक वर्ष बाद उसने एक वत्स को जन्म दिया, वह लाल रंग का था। उसका नाम लालमणि रखा गया। दुग्ध दोहन का दृश्य बड़ा आकर्षक था। कुत्ते-बिल्ली पंक्तिबद्ध सामने बैठ जाते । सभी को नाप-नापकर दूध दिया जाता । दूध पीकर सभी उछल-कूद करते । गाय परिवार में हिल-मिल गई थी।

दुग्ध दोहन की समस्या सामने आई। नौकर दूध दुहने में असमर्थ थे। अतः एक ग्वाले को नियुक्त कर दिया गया। उसने धोखा दिया। कुछ समय बाद गौरा को गुड़ के साथ सुई खिला दी। इसमें उसका स्वार्थ छिपा था। गाय अस्वस्थ रहने लगी। महादेवी ने उसका बहुत उपचार कराया, किन्तु वह प्रतिदिन दुर्बल और शिथिल होती गई और मृत्यु की काली छाया उस पर मँडराने लगी। एक दिन ब्रह्ममुहूर्त में महादेवी के कन्धे पर अपना सिर रखकर प्राण त्याग दिये। महादेवी का हृदय भर आया। जब उसे ले जाया जाने लगा तो महादेवी की करुणा उमड़ पड़ी और वेदना में निकली वाक्य-आह, मेरा गोपालक देश ! सम्पूर्ण रेखाचित्र मानवीय संवेदना से ओतप्रोत है।

प्रश्न 2.
बिम्ब को परिभाषित करते हुए सिद्ध कीजिए कि ‘गौरा’ रेखाचित्र में बिम्ब प्रधान शैली का प्रयोग किया गया
उत्तर:
बिम्ब शब्द का प्रयोग साहित्य में काव्य-बिम्ब के लिए होता है। हिन्दी में बिम्ब शब्द का प्रयोग अंग्रेजी ‘इमेज’ शब्द के पर्याय रूप में किया जाता है।

‘गौरा’ रेखाचित्र में बिम्ब शैली को अपनाया गया है। गौरी की और लालमणि का जो शब्द चित्र महादेवी जी ने र्वीचा है वह एक बिम्ब उपस्थित करता है। गौरा स्वस्थ है। गौर वर्ण है जिसके रोमों में एक विशेष प्रकार की चमक है। लगता है जैसे किसी ने अभ्रक का चूर्ण मल दिया है जो प्रकाश में विशेष रूप से चमकने लगता है। उसका शरीर एक साँचे में ढला हुआ है। उसके पैर पुष्ट लचीले हैं, पुट्टे भरे हुए हैं, चिकनी भरी पीठ है, गर्दन लम्बी सुडौल है, निकलते हुए छोटे-छोटे सींग हैं, भीतर की लालिमी की झलक देते हुए कमल की अधखुली पंखुड़ियों जैसे कान हैं, लम्बी पूँछ है जिसके छोर पर काले-काले बाल हैं। इस वर्णन को पढ़कर गौरा बछिया का रूप सामने आ जाता है। यदि तूलिका से चित्र बनाना चाहें तो इसे पढ़कर चित्र भी बनाया जा सकता है। वर्णन से मानस-पटल पर एक बिम्ब उभर आता है।

ऐसा ही बिम्बात्मक वर्णन लालमणि का है। उसको वर्ण लाल है जो गेरू के पुतले जैसा जान पड़ता है। माथे पर पान के आकार का सफेद टीका है। चारों पैरों के खुरों पर सफेद वलय हैं। ऐसा लगता है गेरू की वत्समूर्ति को चाँदी के आभूषणों से सुशोभित कर दिया गया हो।

गौरा हाथ फेरने पर महादेवी के कन्धे पर अपनी मुख रख देती। वही गौरा अन्तिम समय में महादेवी के कन्धे पर सिर रखकर पत्थर के समान भारी होकर धरती पर सरक गई । इस वर्णन को पढ़कर ऐसा प्रतीत होता है मानो हम इस दृश्य के प्रत्यक्षदर्शी हों।

इससे स्पष्ट है कि रेखाचित्र में बिम्ब शैली का सार्थक प्रयोग हुआ है।

प्रश्न 3.
रेखाचित्र किसे कहते हैं? स्पष्ट कीजिए कि महादेवी का ‘गौरा’ एक रेखाचित्र है।
उत्तर:
किसी वस्तु का केवल रेखाओं से बनाया हुआ चित्र रेखाचित्र कहलाता है। इसे स्केच और खाका भी कहते हैं।

जिस प्रकार चित्रकार अपनी कलम से रेखाएँ खींचकर किसी चित्र को इस तरह उतार देता है कि वह यथार्थ प्रतीत होता है और उसमें वर्णित चित्र हमारी आँखों के सामने उभरकर आ जाता है। हमें ऐसा प्रतीत होता है मानो हम प्रत्यक्ष में उसमें वर्णित वस्तु को देखें रहे हैं।

महादेवी ने भी ‘गौरा’ में शाब्दिक रेखाओं द्वारा गौरा और लालमणि का ऐसा चित्रांकन किया है जिसे पढ़कर लगता है मानो गौरा और लालमणि हमारे सामने ही खड़े हैं। गौरा की रोमावलियों में कान्ति है, गौरांग उज्ज्वल धवल शरीर है। पैर लचीले हैं पर पुष्ट हैं, पुढे भरे हैं, पीठ पर चिकनाहट है, गर्दन लम्बी है पर सुडौल है, सींग छोटे-छोटे निकलते हुए हैं, कान कमल की दो अधखुली पंखुड़ियों जैसे हैं। पूँछ लम्बी है और छोर पर काले बाल हैं जो चामर से लगते हैं। सम्पूर्ण शरीर पर एक ओज है। बड़ी चमकीली और काली आँखें हैं। जिन पर आरती की लौ पड़ती है तो ऐसा लगता है मानो बहुत से दिये झिलमिला रहे हों अथवा काली लहर पर किसी ने कई दिये प्रवाहित कर दिये हों। आँखों में आत्म-विश्वास झलकता है। हाथ फेरने पर गौरा महादेवी के कन्धे पर अपना मुख रख देती । गौरा के अन्तिम क्षणों का भी चित्रण बड़ा यथार्थ है। वह दुर्बल और शिथिल हो गई है। अन्तिम समय में महादेवी के कन्धे पर सिर रख देती है। शब्दों द्वारा इस प्रकार वर्णन किया है कि गौरा का चित्र आँखों के सामने उभरकर आ जाता है। लगता है जैसे गौरा हमारे सामने है और हम उसे स्वस्थ रूप में और अन्तिम समय के रूप में देख रहे हैं। महादेवी के शब्दों में वह शक्ति है जो एक चित्र उभार देते हैं।

लालमणि का चित्रांकन भी इसी प्रकार का है। उसका वर्ण लाल गेरू के पुतले जैसा लगता है। माथे पर पान के आकार का सफेद टीका है। पैरों में खुरों के पास सफेद वलय हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि गेरू की वत्समूर्ति को चाँदी के आभूषणों से अलंकृत कर दिया गया है। वह किस तरह उछलता-कूदता है। माँ का दूध पीने के लिए किस प्रकार गौरा को उठाने का प्रयत्न करता है। सारा वर्णन आँखों के सामने उभर आता है। चित्रकार रेखाओं से चित्र बनाता है। महादेवी ने शब्दों की रेखाओं से चित्र बनाया है। अत: स्पष्ट है कि यह एक सफल रेखाचित्र है।

प्रश्न 4.
‘गौरा रेखाचित्र में गाय के अंतरंग व बाह्य सौन्दर्य के साथ मानवीय संवेदना का रेखांकन है।’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
गौरा का बाह्य सौन्दर्य जितना आकर्षक है। उसका अन्तरंग भी उतना ही संवेदना युक्त है। गौरा स्वस्थ थी और स्वस्थ पशु की तरह उसके गौर वर्ण में चमक भी थी। उसकी उज्ज्वलता एवं धवलता देखकर ऐसा लगता था, मानो किसी ने उसके रोमों पर अभ्रक का चूर्ण मल दिया हो। जिधर प्रकाश पड़ता उधर का भाग विशेष रूप से चमकने लगता । उसका सम्पूर्ण शरीर साँचे में ढला हुआ प्रतीत होता। पैरों में लचीलापन था पर वे पुष्ट थे। उसके पुट्टे भरे हुए थे। पीठ भरी हुई थी और चिकनी थी। उसकी गर्दन लम्बी और सुडौल थी, सिर पर छोटे-छोटे सग निकल रहे थे। कमल की दो अधखुली पंखुड़ियों जैसे कान थे जो भीतर की लालिमा की झलक दे रहे थे। पूँछ लम्बी थी और अन्तिम छोर पर काले बाल थे जो चामर का स्मरण कराते थे। मुख पर काली आँखें थीं जो इस प्रकार लगती र्थी मानो जल के नीचे दो कुण्ड हों। आरती के समय उसकी आँखों पर जब दिये की लौ पड़ी तो लगा मानो कई दिये झिलमिला रहे हों। वह स्नेहमयी थी ममतामयी थी । बंगले पर आते ही वह सबसे हिलमिल गई। पशु-पक्षी उसके पास खेलने लगे। कुत्ते-बिल्ली उसके पेट के नीचे और पैरों के बीच में खेलते । पक्षी उसकी पीठ पर बैठकर कान और आँख खुजलाते। वह मानवीय स्नेह की भूखी थी। महादेवी की मोटर जैसे ही आती वह बाँ-बाँ करके पुकारती। पास आने पर गर्दन आगे बढ़ा देती, हाथ फेरने पर उनके कंधे पर मुख रख देती और आँख बन्द कर लेती। जाने पर मुड़-मुड़कर देखती। दुग्ध दोहन के समय कुत्ते-बिल्ली के विलम्ब से आने पर रंभा-रंभाकर उन्हें बुलाती। ऐसी आत्मीयता उसका सौन्दर्य थी। उसका अन्तरंग अपनत्व से भरा था। अन्तिम समय में भी उसने महादेवी के कन्धे पर अपना मुख रखकर प्राण त्यागे।

रेखाचित्र का अन्तिम भाग मानवीय संवेदना से भरा है। गौरा के अस्वस्थ होने पर महादेवी चिन्तित हो गईं। उन्होंने उसका उपचार कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वे रात-दिन बार बार उसे जाकर देखतीं। अन्तिम समय में वे उसके पास रहना चाहती थीं। गौरा को ले जाते समय महादेवी के हृदय में करुणा का समुद्र उमड़ आया। उन्हें अत्यधिक पीड़ा हुई।’ गौरा’ रेखाचित्र मानवीय संवेदना का अच्छा उदाहरण है।

गौरा (रेखाचित्र) लेखिका परिचय

छायावादी कवयित्री और गद्य लेखिका के रूप में प्रसिद्ध महादेवी वर्मा का जन्म 1907 ई. में फर्रुखाबाद में एक सुसम्पन्न परिवार में हुआ। ये हिन्दी के छायावादी काव्य-आंदोलन के चार प्रमुख स्तम्भों में से एक हैं। उनकी कविता में वेदना और करुणा की प्रधानता है। इन्हें आधुनिक युग की मीरा भी कहा जाता है। महादेवी की चिन्तन वृत्ति साहित्य और समाज दोनों दिशाओं में प्रवाहित हुई है। उनका व्यक्तित्व सरलता, उदारता, संवेदनशीलता, आत्मीयता एवं सात्विकता से ओत-प्रोत है। उन्होंने हिन्दी संस्मरण और रेखाचित्र विधा को अप्रतिम ऊँचाई दी। महादेवी वर्मा का गद्य भाव एवं भाषा की दृष्टि से अनुपम है। चित्रकला और संगीत कला में भी इन्होंने दक्षता प्राप्त की। इन्होंने ‘चाँद’ पत्रिका का सम्पादन भी किया और हिन्दी लेखकों के सहायतार्थ

‘साहित्यकार संसद’ नामक संस्था की स्थापना की। इनकी मृत्यु सन् 1987 में हुई। इनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं।

कविता संग्रह-
नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत, दीपशिखा, यामा आदि। संस्मरण एवं रेखाचित्र-अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ, पथ के साथी, मेरा परिवार। निबन्ध संग्रह-श्रृंखला की कड़ियाँ, साहित्यकार की आस्था एवं अन्य निबन्ध।

गौरा (रेखाचित्र) पाठ-सारांश

‘गौरा’ एक गाय थी जो महादेवी की बहिन के घर पली थी और लाड़-प्यार के कारण वह अन्य गोवत्साओं से विशिष्ट थी। वह बहिन के घर से ही महादेवी के घर आई थी। बहिन ने उसकी उपयोगिता बताई थी जो महादेवी को उचित लगी। तभी वे उसे अपने घर ले आईं। गाय के शारीरिक सौन्दर्य ने महादेवी को प्रभावित किया। वह गौर वर्ण की थी। वह अत्यन्त सुन्दर एवं चित्ताकर्षक थी।

गौरा जब बँगले पर आई तो उसका भव्य स्वागत हुआ, उसे माला पहनाई गई, टीका लगाया गया, आरती उतारी गई और उसे गौरांगिनी या गौरा नाम दिया गया। उन्हें ऐसा लगा कि गाय भी बहुत प्रसन्न है। वह प्रियदर्शनी थी। उसकी काली बिल्लौरी आँखें तो दृष्टि को बाँध लेती थीं। चौड़ा उज्ज्वल माथा, उस पर चौड़ा मुख और सुन्दर आँखें दृष्टि को खींच लेती थीं। उनमें विश्वास का भाव झलकता था। गाय की आँखों को देखकर ही शायद गाँधी ने ‘गाय करुणा की कविता है’ ऐसा कहा होगा। उसकी अलस मन्थर गति बड़ी आकर्षक थी। कुछ ही समय में वह हम सब में हिल-मिल गई। पशु-पक्षी भी उसके पास खेलते रहते। कोई उसके पेट और पैरों के बीच में खेलता। पक्षी उसकी पीठ पर बैठ जाते पर वह शान्त खड़ी रहती।

वह उनके सम्पर्क सुख का आनन्द लेती। सभी को वह आवाज और पैरों की आहट से पहचान लेती थी। महादेवी की मोटर की ध्वनि सुनकर बाँ-बाँ की ध्वनि से पुकारने लगती। थोड़ी देर कुछ खाने की प्रतीक्षा के बाद घर (भा-भा कर सिर पर उठा लेती। वह मानवीय स्नेह के समान निकटता चाहती थी। वह इतनी निकटता चाहती थी कि कोई उस पर हाथ फेरे, उसे सहलाए। पास आने पर वह सहलाने के लिए गर्दन बढ़ा देती। हाथ फेरने पर मुख कन्धे पर रख देती। दूर जाने पर गर्दन घुमाकर देखती। उसकी आँखों से उसके उल्लास, दुख, उदासीनता, आकुलता के भावों का पता लग जाता था।

एक वर्ष बाद वह माता बनी और लाल रंग का वत्स पैदा किया। उसके माथे पर श्वेत पान के आकार का तिलक था और खुरों के ऊपर सफेद वलय थे। उस वत्स का नाम लालमणि रखा गया जिसे सभी लालू कहकर पुकारते थे। वह लगभग बारह सेर दूध देती। लालमणि को पर्याप्त दूध छोड़ने के बाद शेष दूध आस-पास के बाल-गोपाल से लेकर कुत्ते-बिल्ली तक पीते थे। जब गौरा का दूध निकाला जाता तो कुत्ते-बिल्ली गौरा के सामने एक पंक्ति में बैठ जाते। महादेव उनके सामने बर्तन रख देता। वे शिष्टता के साथ बैठे रहते और दूध की प्रतीक्षा करते। दूध पीने के बाद वे अपने-अपने स्वर में कृतज्ञता ज्ञापन करते और गौरा के सामने उछलने-कूदने लगते। गौरा भी उन्हें प्रसन्नता से देखती।

गौरा का दूध निकालने की समस्या उत्पन्न हुई। शहरी नौकर दूध काढ़ना नहीं जानते थे। गाँव के नौकरों का अभ्यास छूट गया था। गौरा से पहले दूध देने वाले ग्वाले को ही दूध निकालने के लिए लगा लिया गया। दो-तीन महीने बाद गौरा ने दाना-चारा खाना कम कर दिया। वह धीरे-धीरे दुर्बल और शिथिल हो गई। बहुत उपचार कराया गया किन्तु नतीजा कुछ न निकला। अन्त में पता लगा कि गौरा को सुई खिला दी गई है जो हृदय के पास तक पहुँच चुकी है। हृदय के पार होने पर उसकी मृत्यु हो जायेगी। महादेवी वर्मा को कष्ट और आश्चर्य दोनों हुए। पता लगा कि सुई गुड़ में खिलाई गई है।

महादेवी ने जिसकी कल्पना भी नहीं की थी वह सत्य सामने आया। प्रायः जिन घरों में ग्वालों का दूध अधिक जाता है, वहाँ वे दूध देने वाले पशुओं को गुड़ की डली में सुई खिला देते हैं जिससे पशु मर जाए और उनका दूध फिर शुरू हो जाए। यह सत्य सामने आने पर ग्वाला गायब हो गया। ग्वाले की इस गतिविधि से विश्वास हो गया कि ग्वाले ने ही व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण गौरा को सुई खिलाई है।

गौरा मृत्यु से लड़ने लगी। उसे बचाने के लिए सेब का रस पिलाया गया, इन्जेक्शन लगवाये गये। गौरा अन्दर-बाहर की चुभन सहन करती। कभी-कभी उसकी आँखों में आँसू आ जाते थे। वह उठ नहीं सकती थी। पर महादेवी जब उसके पास जाती तो उसकी आँखों से प्रसन्नता झलकती। वह उनके कन्धे पर अपनी गर्दन रख देती। लालमणि को माँ की बीमारी का पता नहीं था। उसे दूसरी गाय का दूध पिलाया जाता। मौका मिलने पर वह माँ के पास जाता और सिर मारकर उसे उठाने का प्रयत्न करता। ऐसी सुन्दर गाय की ऐसी निर्मम मृत्यु होगी यह सोचकर महादेवी जी का हृदय भर आता था। अन्त में गौरा’ की आँखें निष्प्रभ हो चलीं और सेब का रस भी कण्ठ के नीचे नहीं जाने लगा तो महादेवी ने उसके अन्त का अनुमान लगा लिया। वे चाहती थीं कि उसके अन्त समय में वे गौरा के पास ही रहें। इसलिए रात में भी वे उसे देखने जाती।

एक दिन ब्रह्म मुहूर्त में चार बजे वे उसके पास गईं, उसने अपना सिर उनके कन्धे पर रखा और वह पत्थर जैसा भारी होकर जमीन पर खिसक गया। उसके प्राण निकल गए। उसे ले जाते समय महादेवी के मन में करुणा का समुद्र उमड़ पड़ा। उनके मन में भाव उठा ‘आह मेरा गोपालक देश!’।

शब्दार्थ-
(पृष्ठ-23-24) वयः सन्धि = किशोरावस्था। गोवत्साओं = गाय के बछड़ों, विशिष्ट = विशेषता। कर्मनिष्ठा = कर्म में निष्ठा रखने वाला। संक्रामक = छूत के कारण फैलने वाला। कुक्कुट = मुर्गा। चामर = चैवर। ओप = चमक। आलोक = प्रकाश। परिचारकों = सेवकों। प्रतिफलित = प्रतिबिंबित। प्रियदर्शनी = सुन्दर। बिल्लौरी = बिल्लौरी पत्थर के समान सुन्दर, मंथर = ६ मा। समीर = हवा। सम्पर्क = लगाव, सम्बन्ध।

(पृष्ठ-25) साहचर्य = संग, साथ। आश्वस्त = जिसे आश्वासन या भरोसा मिला हो। वलय = मंडल, कंकण। अलंकृत = विभूषित, आयोजन = इन्तजाम, तैयारी। कृतज्ञता = अहसान मानना, अनभ्यास = अभ्यासरहित। निरीक्षण = देखना।

(पृष्ठ-26) शल्यक्रिया = चीर-फाड़कर इलाज करना, यातनामय = पीड़ायुक्त, विलम्ब = देर, दुग्धदोहन = दूध काढ़ना, समाध पान = निराकरण, उत्तरोत्तर = धीरे-धीरे, तात्पर्य = लक्ष्य, उद्देश्य, संघर्ष = लड़ाई, आसन्न = निकट आया हुआ, पयस्विनी = दूध देने वाली। निरुपाय = उपायरहित। ब्रह्ममुहूर्त = प्रभात। प्रतिध्वनि = गूंज, व्याधि = शारीरिक कष्ट, मर्मव्यथा = हृदय को छूने वाली पीड़ा, हृष्ट-पुष्ट = स्वस्थ, तन्दुरुस्त, वत्स = बच्चा, बछड़ा, कदाचित = शायद।

We hope the RBSE Solutions for Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 3 गौरा will help you. If you have any query regarding Rajasthan Board RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 3 गौरा, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

Share this:

  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window)
  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on Facebook (Opens in new window)

Related

Filed Under: Class 12

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Recent Posts

  • RBSE Solutions for Class 7 Our Rajasthan in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 6 Our Rajasthan in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 7 Maths Chapter 15 Comparison of Quantities In Text Exercise
  • RBSE Solutions for Class 6 Maths Chapter 6 Decimal Numbers Additional Questions
  • RBSE Solutions for Class 11 Psychology in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 11 Geography in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Hindi
  • RBSE Solutions for Class 3 English Let’s Learn English
  • RBSE Solutions for Class 3 EVS पर्यावरण अध्ययन अपना परिवेश in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Maths in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 in Hindi Medium & English Medium

Footer

RBSE Solutions for Class 12
RBSE Solutions for Class 11
RBSE Solutions for Class 10
RBSE Solutions for Class 9
RBSE Solutions for Class 8
RBSE Solutions for Class 7
RBSE Solutions for Class 6
RBSE Solutions for Class 5
RBSE Solutions for Class 12 Maths
RBSE Solutions for Class 11 Maths
RBSE Solutions for Class 10 Maths
RBSE Solutions for Class 9 Maths
RBSE Solutions for Class 8 Maths
RBSE Solutions for Class 7 Maths
RBSE Solutions for Class 6 Maths
RBSE Solutions for Class 5 Maths
RBSE Class 11 Political Science Notes
RBSE Class 11 Geography Notes
RBSE Class 11 History Notes

Copyright © 2023 RBSE Solutions