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RBSE Solutions for Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 5 कुछ ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण

May 4, 2019 by Fazal Leave a Comment

RBSE Solutions for Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 5 कुछ ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण is part of RBSE Solutions for Class 12 Hindi. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 5 कुछ ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण.

Rajasthan Board RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 5 कुछ ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण

RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 5 कुछ ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 5 कुछ ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नांकित में से कौन-सा शहर क्षिप्रा नदी के तट पर बसा हुआ है?
(क) बनारस
(ख) जबलपुर
(ग) उज्जैन
(घ) चित्तौड़गढ़।
उत्तर:
(ग)

प्रश्न 2.
एलीफैण्टा की गुफाओं के मध्य में किसकी मूर्ति का जिक्र होता है?
(क) हाथी की
(ख) भगवान विष्णु की
(ग) पद्म-पाणि बुद्ध की
(घ) माता दुर्गा की।
उत्तर:
(ग)

RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 5 कुछ ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
महाकालेश्वर मन्दिर कहाँ स्थित है?
उत्तर:
महाकालेश्वर का मन्दिर उज्जैन में स्थित है।

प्रश्न 2.
विजय स्तंभ किसका प्रतीक है?
उत्तर:
विजय स्तंभ वीरता के इतिहास का सच्चा प्रतीक है।

प्रश्न 3.
अजंता की गुफाओं की संख्या बताइए।
उत्तर:
अजंता की गुफाओं की संख्या उन्तीस है।

प्रश्न 4.
बुद्ध के महाभिनिष्क्रमण का चित्र कहाँ अंकित किया गया है?
उत्तर:
बुद्ध के महाभिनिष्क्रमण का चित्र अजन्ता की गुफाओं में अंकित है।

RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 5 कुछ ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
लेखक ने चित्तौड़गढ़ की धूलि को बार-बार मस्तक से क्यों लगाया?
उत्तर:
चित्तौड़गढ़ की भूमि वीरों की भूमि है, बलिदानियों की भूमि है। इस भूमि के कण-कण में बलिदानियों की वीरता की कहानी छिपी पड़ी है। यह भूमि वीरांगनाओं के जौहर की कहानी सुना रही है। विजय स्तम्भ वीरता के इतिहास का सच्चा प्रतीक है। सात खण्डों वाले विजय स्तम्भ को देखकर लेखक गदगद हो गया। महान् वीरता का इतिहास विजय स्तम्भ से जुड़ा है। लेखक को लगा विजय स्तम्भ का एक-एक कण, एक-एक पत्थर अपने अन्दर छिपी वीर-गाथाओं को सुना रहा है। लेखक इतना भावुक हो गया कि उसने उस स्थल को सन्ध्या से पूर्व नहीं छोड़ा। वीरों की, बलिदानियों की याद करके लेखक ने वहाँ की धूलि को बार-बार मस्तक से लगाया। लेखक ने धूलि को मस्तक से लगाया क्योंकि उसके हृदय में वीरों के प्रति श्रद्धा का भाव जागृत हो गया था।

प्रश्न 2.
एलीफैण्टा की गुफाओं में शिव को किस-किस रूप में अंकित किया गया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एलीफैण्टा की गुफाएँ मुख्यतः शैव हैं। यहाँ शिव को सृजनहार, पालनहार और प्रलयंकर तीनों रूपों में अंकित किया है। शिव के तांडव नृत्य का मनमोहक दृश्य है। एक शिला पर शिव को भावमग्न रूप में अंकित किया है। उन्हें नटराज रूप में अंकित किया गया है जिसमें सृजनकारी नृत्य की अभिनव छवि है। इसे ब्राह्मण कला में उच्च स्थान प्राप्त है। शिव-पार्वती विवाह, गंगावतरण, अर्धनारीश्वर शिव, पार्वती आदि के अनेक छवि-दृश्य अंकित हैं। इनमें शिव की प्रतिमा अधिक प्रसिद्ध है।

प्रश्न 3.
अजंता की गुफाओं में राजकीय जुलूस’ के चित्र की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
अजंता की गुफा का महत्त्वपूर्ण चित्र राजकीय जुलूस का है जिसमें बहुत से आदमी सज धजकर जाते दिखाये गये हैं। किसी ने छाता ले रखा है, किसी के हाथ में बजाने का श्रृंगी बाजा है। जुलूस में स्त्री-पुरुष दोनों सम्मिलित हैं। चित्र सुन्दर हैं। स्त्रियों के हाथों में सुन्दर कंकण हैं, गले में हार पहने हैं। कानों में सुन्दर कर्णवतंस है। स्त्रियों की कमर पतली और लचीली है। वक्ष स्थल सूक्ष्म वस्त्रों से ढका है। मुंद्राएँ कटाक्षपूर्ण हैं। कनखियों से यौवन-मद और अनुराग-लिप्सा टपकती है।

प्रश्न 4.
‘बोधिसत्व पद्मपाणि’ चित्र के बारे में देवी निवेदिता के विचार लिखिए।
उत्तर:
‘बोधिसत्व पद्मपाणि’ के चित्र के विषय में देवी निवेदिता लिखती हैं-“यह चित्र सम्भवत: भगवान् बुद्ध का सबसे बड़ा कलात्मक प्रदर्शन है। ऐसी अद्वितीय कल्पना का पुनः साकार हो सकना असम्भव-सा ही है।”

RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 5 कुछ ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अजंता की चित्रकला में भारतीय संस्कृति का आदर्श किस तरह प्रकट होता है ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संस्कृति के अनुसार कमल-पुष्प को श्रेष्ठ माना गया है। बुद्ध ने अपने हाथ में कमल-पुष्प ले रखा है। राजा सिर पर मुकुट धारण करता है। सिद्धार्थ ने सिर पर मुकुट धारण कर रखा है। उनके बायें हाथ में एक सूत का धागा बँधा है, दाहिने हाथ में कमल-पुष्प है। उन्होंने यज्ञोपवीत धारण कर रखा है और गले में मणिमाला है। अधखुले विशाल नेत्रों से अहिंसा, शान्ति और वैराग्य टपकता है। अहिंसा और शान्ति भारतीय संस्कृति की विशेषता है।

राजकीय जुलूसों में भारतीय संस्कृति के दर्शन होते हैं। जुलूस में लोग गाते-बजाते जाते हैं। जुलूस में लोगों के हाथ में श्रृंगी बाजा है। स्त्रियों की वेशभूषा भारतीय संस्कृति के अनुरूप है। उन्होंने सुन्दर कंकण धारण कर रखे हैं, गले में हार पहने हैं। कानों में सुन्दर , कर्णवतंस लटक रहे हैं। कमर पतली और लचीली है। वक्षस्थल सूक्ष्म वस्त्रों से ढका है। मुद्राएँ कटाक्षपूर्ण हैं।

चित्रकला में स्वाभाविकता है, जीवन है, सादगी है। कुरुचि और वीभत्सता का अभाव है जो भारतीय संस्कृति में स्वीकार्य है। भारतीय संस्कृति आनन्दमय है। यहाँ के चित्रों में भी जीवन के प्रति आनन्द-भावना व्याप्त है। जीवन के प्रति सुखमयी लिप्सा है। आनन्द भावना भारतीय जीवन का साध्य और साधन है। इस प्रकार भारतीय संस्कृति के दर्शन होते हैं।

प्रश्न 2.
अजन्ता, एलोरा व एलीफैण्टा की गुफाओं के सौन्दर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
अजन्ता की गुफाएँ सुन्दर और हरे-भरे पार्वत्य प्रदेश में हैं। ये गुफाएँ अर्द्धगोलाकार पहाड़ों के मध्य भाग की चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं। एक ही शिलाखण्ड को काटकर कमरे और मूर्तियाँ बनाई गई हैं। दीवारों पर पलस्तर और सफेदी करके सुन्दर चित्र बनाये गए हैं। बुद्ध का सुन्दर चित्र है। मुकुटधारी सिद्धार्थ का चित्र भी सुन्दर है। चित्र इतना सुन्दर है जिसे देखने से मन नहीं भरता। गुफा में राजकीय जुलूस का भी सुन्दर चित्र है जिसमें स्त्री-पुरुष दोनों सम्मिलित हैं। स्त्रियों के चित्र में भारतीय संस्कृति की झलक मिलती है। अजन्ता की चित्रकारी में स्वाभाविकता है। उसमें जीवन, सादगी और सौन्दर्य भावना है। कुरुचि और वीभत्सता नहीं है। सभी चित्रों में आनन्द-भावना है जो भारतीय संस्कृति का मूलाधार है। चित्र प्राचीन और नवीन दोनों प्रकार के हैं।

ऐलोरा की गुफाएँ भी शिलाखण्ड काटकर बनाई गई हैं। गुफाएँ सवा मील तक लम्बी हैं।

इस गुफा में तीन अंग है-बौद्ध गुफाएँ, हिन्दू गुफाएँ और जैन गुफाएँ। अनुमान है कि ये गुफाएँ सबसे पहले बनी हैं। हिन्दू गुफाएँ मध्य में हैं। अन्तिम जैन गुफाएँ हैं।

बौद्ध गुफाएँ सादी हैं। विश्वकर्मा गुफा उल्लेखनीय है। एक गुफा तीन तल गुफा है। यह तिमंजली गुफा है। यहाँ की मूर्तियाँ आकार, धार्मिक भावना और सजावट की दृष्टि से अनुपम हैं। विश्वकर्मा गुफा भीतर से सँकरी है। यहाँ भगवान् बुद्ध की ग्यारह फुट ऊँची मूर्ति है। तीन तल गुफा तिमंजिली कलाकृति का नमूना है जिसे बड़े धैर्य से बनाया गया होगा। बुद्ध की मूर्ति को यहाँ के निवासी राम मानकर पूजते

हिन्दू गुफाओं में एक कैलाश अथवा रंगमहल गुफा है। यह शिव गुफा है। यहाँ विष्णु तथा अन्य पौराणिक विभूतियों के चित्र हैं। इसमें ध्वज स्तम्भ और हाथी की मूर्ति भी देखने योग्य है। यह भारत की सबसे विशाल गुफा है। इतना विशाल मन्दिर भारत में और कहीं नहीं है। एक रामेश्वर गुफा है जो सीता गुफा भी कहलाती है। यह कला और पच्चीकारी की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।

एलीफैण्टा गुफा में हाथी की मूर्ति का इतिहास छिपा है। हाथी का सिर टूटकर गिर गया। बाद में इसके अंग भी कई भागों में कट गये। ये गुफाएँ एक द्वीप पर स्थित हैं जिसे स्थानीय निवासी और मल्लाह घरपुरी कहते हैं। दो पहाड़ियों के बीच एक घाटी है। इसका इतिहास रोचक है। इसकी महत्ता का कारण इसकी तक्षण कला है और गुफाएँ हैं। ये शैव गुफाएँ हैं। यहाँ शिव को सृजनहार, पालनहार और प्रलयंकर रूप में अंकित किया गया है। यहाँ शिव के कई चित्र हैं। सृजनकारी नृत्य की अभिनव छवि यहाँ है जिसका ब्राह्मण कला में उच्च स्थान है। शिव-पार्वती विवाह, गंगावतरण, अर्धनारीश्वर, शिव आदि के छवि दृश्य भी यहाँ हैं।

प्रश्न 3.
चित्तौड़गढ़ के दुर्ग का वर्णन लेखक ने किस प्रकार किया है? लिखिए।
उत्तर:
चित्तौड़गढ़ एक पहाड़ी पर स्थित है। गढ़ की दीवारों और उनके बुर्ज खंडित हो गये हैं। करीब-करीब सारी इमारतें विनष्ट हो चुकी हैं। उन खण्डहरों के बीच दो स्तम्भ, कीर्ति स्तम्भ और विजय स्तम्भ खड़े हैं। कीर्ति स्तम्भ पुराना और जर्जर है। परन्तु विजय स्तम्भ उसके बाद का है और वीरता के इतिहास का सच्चा प्रतीक है। विजय स्तम्भ सात खण्डों का है। कला और सौन्दर्य की दृष्टि से भी विजय स्तम्भ अपूर्व है। महान् वीरता का इतिहास विजय स्तम्भ के साथ जुड़ा है। इसे गढ़ में देखने योग्य कुछ नहीं बचा है। पर लेखक को ऐसा लगा मानो इसका एक-एक कण और एक-एक पत्थर वीर गाथाएँ सुना रहा हो। केसरिया बाना पहनकर वीरों ने प्राणों को तुच्छ मानकर हँसते-हँसते बलिदान कर दिया। लेखक ने वहाँ की धूल को मस्तक से लगाया और सहर्ष प्रणाम किया।

RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 5 कुछ ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 5 कुछ ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. चित्तौड़गढ़ स्टेशन के समीप लेखक कहाँ ठहरा?

(क) सराय में
(ख) धर्मशाला में
(ग) होटल में
(घ) घर में।

2. चित्तौड़गढ़ जाते हुए लेखक अनुभव कर रहा था

(क) उत्सुकता
(ख) व्याकुलता
(ग) प्रसन्नता
(घ) धीरता।

3. टॉड की कौन-सी पुस्तक लेखक ने पढ़ी थी?

(क) राजस्थान का इतिहास
(ख) राजपूत जीवन संध्या
(ग) वीर जयमले
(घ) वीर प्रताप।

4. चित्तौड़गढ़ दुर्ग स्थित है –

(क) मैदान में
(ख) पठार पर
(ग) नदी के किनारे
(घ) पहाड़ी पर।

5. विजय स्तम्भ में खण्ड हैं –

(क) छह
(ख) पाँच
(ग) तीन
(घ) सात।

6. “मुझे इसकी धूलि के एक-एक कण वीर-गाथाएँ गाते जान पड़े।” कहाँ के धूलिकण वीर-गाथा गाते जान पड़े?

(क) विजय स्तम्भ के
(ख) हल्दी घाटी के
(ग) कीर्ति स्तम्भ के
(घ) चित्तौड़गढ़ के।

7. सप्त मोक्षदायिका पुरियों में से एक पुरी कौन-सी है?

(क) अवन्तिका
(ख) हरिद्वार
(ग) बनारस
(घ) इलाहाबाद।

8. लेखक की उज्जैन यात्रा का उद्देश्य था –

(क) महाकालेश्वर के दर्शन करना
(ख) ऐतिहासिक वस्तुओं का निरीक्षण
(ग) क्षिप्रा में स्नान करना
(घ) भ्रमण करना।

9. बुद्ध के महाभिनिष्क्रमण का चित्र कहाँ है?

(क) गया में
(ख) एलोरा की गुफाओं में
(ग) एलीफण्टा की गुफाओं में
(घ) अजन्ता की गुफाओं में

10. अजन्ता की गुफाओं के सम्बन्ध में बड़ी कठिनाई क्या है?

(क) इनमें प्रवेश की
(ख) चित्रों को समझने की
(ग) काल-निर्णय की
(घ) दुरूहता की।

11. एलोरा की गुफाएँ कितनी लम्बी हैं?

(क) आधा मील
(ख) सवा मील
(ग) डेढ़ मील
(घ) दो मील।

12. एलोरा की बौद्ध गुफाएँ हैं –

(क) अलंकृत।
(ख) सादी
(ग) कलात्मक
(घ) जमींदोज

13. एलोरा गुफा में बुद्ध की मूर्ति को वहाँ के निवासी पूजते हैं –

(क) राम मानकर
(ख) कृष्ण मानकर
(ग) विष्णु मानकर
(घ) शिव मानकर।

14. “शिलाखण्ड में काटकर बनाया गया हिन्दुओं का इतना विशाल मन्दिर भारत में दूसरा नहीं है।” वह कौन-सा मन्दिर है?

(क) राम मन्दिर
(ख) बौद्ध मन्दिर
(ग) शिव मन्दिर
(घ) विष्णु मन्दिर।

15. एलीफैण्टा की गुफाओं को स्थानीय निवासी और मल्लाह किस नाम से पुकारते हैं?

(क) ब्रह्मपुरी
(ख) घरपुरी
(ग) धरपुरी
(घ) धर्मपुरी।

16. एलीफैण्टा द्वीप की महत्ता का कारण है –

(क) चित्रकला
(ख) सुन्दरता
(ग) कलात्मकता
(घ) तक्षणकला

17. एलीफैण्टा की गुफाओं में सबसे प्रसिद्ध मन्दिर है

(क) राम का मन्दिर
(ख) विष्णु को मन्दिर
(ग) ब्रह्मा का मन्दिर
(घ) शिव का मन्दिर।

उत्तर:

  1. (ख)
  2. (ग)
  3. (क)
  4. (घ)
  5. (घ)
  6. (घ)
  7. (क)
  8. (ख)
  9. (घ)
  10. (ग)
  11. (क)
  12. (ख)
  13. (क)
  14. (ग)
  15. (ख)
  16. (ख)
  17. (घ)

RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 5 कुछ ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘राजपूत जीवन संध्या’ उपन्यास में किसका वर्णन है ?
उत्तर:
‘राजपूत जीवन संध्या’ उपन्यास में हल्दी घाटी के रोमांचकारी युद्ध का वर्णन है।

प्रश्न 2.
मेवाड़ का महावीर किसे कहा गया है?
उत्तर:
चित्तौड़ में भामाशाह के सदृश त्यागी वैश्य हुए हैं। उन्हें ही मेवाड़ का महावीर कहा गया है।

प्रश्न 3.
चित्तौड़गढ़ के निकट पहुँचते समय लेखक की मन:स्थिति कैसी थी?
उत्तर:
लेखक की मन:स्थिति आतुरतापूर्ण थी। गढ़ की वस्तुओं को देखने के लिए लेखक की आतुरता बढ़ रही थी।

प्रश्न 4.
चित्तौड़गढ़ पहुँचकर लेखक ने क्या देखा?
उत्तर:
लेखक ने देखा कि गढ़ की दीवारें और उनके बुर्ज खंडित हो गये हैं। करीब-करीब सारी इमारतें जमींदोज हो गई हैं।

प्रश्न 5.
लेखक ने विजयस्तम्भ की क्या विशेषता देखीं?
उत्तर:
लेखक को कला और सौन्दर्य की दृष्टि से यह स्तम्भ अपूर्व लगा। महान् वीरता का इतिहास इस विजय स्तम्भ के साथ जुड़ा है।

प्रश्न 6.
गढ़ के पत्थरों को देखकर लेखक के मन में क्या विचार आया?
उत्तर:
गढ़ के पत्थरों पर लेखक को उस काल की पढ़ी और सुनी हुई एक-एक घटना नृत्य करती-सी जान पड़ी।

प्रश्न 7.
“मेरी ऐसी दशा अब तक की यात्रा में कभी न हुई।” यहाँ कैसी दशा का उल्लेख है?
उत्तर:
लेखक चित्तौड़गढ़ और वहाँ के स्तम्भों को देखकर भावुक हो गया । लेखक इधर से उधर और उधर से इधर न जाने कितनी बार आवारा-सा भूला-सा घूमता फिरता रहा। ऐसी दशा इससे पूर्व लेखक की नहीं हुई थी। अँधेरा होने तक लेखक वहीं घूमता रहा।

प्रश्न 8.
चित्तौड़गढ़ के दुर्ग से चलने से पूर्व लेखक ने क्या किया?
उत्तर:
चलने से पूर्व लेखक ने उस स्थान की धूलि लेकर बार-बार अपने मस्तक पर लगाया और जिस प्रकार मन्दिरों में भगवान् को साष्टांग दंडवत प्रणाम किया जाता है उसी प्रकार प्रणाम किया।

प्रश्न 9.
चित्तौड़गढ़ छोड़ने से पहले लेखक ने क्या देखा?
उत्तर:
लेखक ने वह स्थान देखा जहाँ वीर जयमल को गोली लगी थी और उन्होंने वीरगति प्राप्ति की थी।

प्रश्न 10.
अजन्ता की गुफाएँ सारे संसार में प्रसिद्ध क्यों हैं?
उत्तर:
अजन्ता की गुफाएँ अद्भुत चित्रकारी के कारण सारे संसार में प्रसिद्ध हो गयी हैं।

प्रश्न 11.
अजन्ता की गुफाओं के सम्बन्ध में अद्भुत बात क्या है?
उत्तर:
इन गुफाओं की अद्भुत बात यह है कि एक ही शिलाखण्ड को काटकर उसके अन्दर कमरे और उनमें मूर्तियाँ बनायी गयी हैं।

प्रश्न 12.
बोधिसत्व पदमपाणि के चित्र में लेखक ने क्या विशेषता देखी?
उत्तर:
चित्र में बोधिसत्व का मनोहर रूप चित्रित है। चित्र में उनके ढले हुए सारे अंग-प्रत्यंग और अवयवों की मनोहर चित्रकारी की गई है। इससे सुन्दर आकार आज तक दुनिया में चित्रित नहीं हुआ।

प्रश्न 13.
लेखक के अनुसार अजन्ता की गुफाओं का निर्माण कब हुआ होगा?
उत्तर:
लेखक के मतानुसार इन गुफाओं का निर्माण गुप्तकाल से लेकर चालुक्य वंश के शासनकाल तक हुआ होगा।

प्रश्न 14.
एलोरा की लम्बी गुफाओं को देखकर लेखक के मन में क्या विचार आया ?
उत्तर:
लेखक ने सोचा कि इन गुफाओं को बनाने में न मालूम कितना परिश्रम हुआ होगा और न मालूम कितना समय लगा होगा।

प्रश्न 15.
एलोरा की बौद्ध गुफाओं की बारहवीं गुफा का क्या नाम है और उसकी क्या विशेषता है?
उत्तर:
बौद्ध गुफाओं की बारहवीं गुफा का नाम तीन तल गुफा है। यह तिमंजिली गुफा है। यहाँ जो मूर्तियाँ अंकित हैं वे आकार, धार्मिक भावना की अभिव्यक्ति और सजावट की दृष्टि से अनुपम बनी हुई हैं।

प्रश्न 16.
विश्वकर्मा गुफा की रचना किस प्रकार की है और उसमें किसकी मूर्ति है?
उत्तर:
विश्वकर्मा गुफा का भीतरी भाग सँकरा होता गया है। अन्त में साढ़े पन्द्रह फुट चौड़ा रह गया है। वहाँ पर भगवान बुद्ध की ग्यारह फुट ऊँची विशाल मूर्ति है।

प्रश्न 17.
“भक्ति का मुझे यह अनोखा रूप जान पड़ा।” एलोरा निवासियों की भक्ति का कौन-सा अनोखा रूप लेखक ने देखा ?
उत्तर:
एलोरा निवासी बुद्ध को राम मानकर पूजा करते हैं। इस मूर्ति की नाक और ओंठ नहीं हैं। पर ये लोग टूटते ही पलस्तर की दूसरी नाक चढ़ा देते हैं। भक्ति का ऐसा अनोखा रूप वहीं देखने को मिला।।

प्रश्न 18.
रंगमहल गुफा किसकी है? उसमें किसके चित्र और मूर्तियाँ हैं?
उत्तर:
जिसे रंग महल या कैलाश गुफा कहते हैं वह शिव की गुफा है। किन्तु उसमें विष्णु और अन्य पौराणिक विभूतियों के चित्र अंकित हैं। उसमें ध्वज स्तम्भ और हाथी की मूर्ति भी दर्शनीय हैं।

प्रश्न 19.
एलीफैण्टा गुफा के नामकरण का आधार क्या है?
उत्तर:
हाथी को अंग्रेजी में एलीफैण्ट कहते हैं। इस अंग्रेजी नाम के आधार पर ही पुर्तगालियों ने इन गुफाओं को ‘एलीफैण्टा’ गुफाओं की संज्ञा दी।

प्रश्न 20.
एलीफैण्टा गुफाओं में किसका मन्दिर है और उसे किस रूप में चित्रित किया है?
उत्तर:
एलीफैण्टा गुफा में सबसे प्रसिद्ध शिव का मन्दिर है जो एक गुफा में खोदा गया है। यहाँ भगवान् शिव को सृजनहार, पालनहार और प्रलयंकर तीनों रूपों में अंकित किया गया है।

RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 5 कुछ ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कुछ ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण’ यात्रावृत्त का मुख्य कथ्य क्या है?
उत्तर:
इस यात्रावृत्त में चित्तौड़गढ़ की वीरभूमि, मोक्षदायिनी अवन्तिका नगरी के साथ अजन्ता, एलोरा और एलीफैण्टा गुफाओं की यात्रा का वर्णन है। इसमें यहाँ के अपूर्व सौन्दर्य, भारतीय संस्कृति की दिव्यता और प्राचीन ऐतिहासिक महत्त्व को अत्यन्त रोचक ढंग से उभारा गया है।

प्रश्न 2.
हल्दी घाटी का युद्ध एक रोमांचकारी युद्ध था। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यहाँ महाराणा साँगा, महाराणा प्रताप, वीर जयमल और उन्हीं के सदृश अगणित सरदारों और सैनिकों ने केवल जीतते हुए नहीं अपितु हारते हुए संग्रामों को भी बहुत बहादुरी से लड़ा था। केसरिया बाना पहने-पहनकर यहाँ के वीरों ने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए प्राणों को तुच्छ मान हँसते-हँसते अपना बलिदान कर वीर के साथ ही हुतात्मा पद को प्राप्त किया था। साध्वी वीर माताओं, वीर भगिनियों, वीर पत्नियों, वीर पुत्रियों की संख्या दो, चार, दस, सौ, दो सौ, चार सौ, न होकर हजारों थी। इस कारण यह युद्ध रोमांचकारी था। यहीं जौहर की अमर गाथाएँ गढ़ी गयी थीं।

प्रश्न 3.
चित्तौड़गढ़ के दुर्ग में पहुँचकर लेखक ने क्या देखा?
उत्तर:
लेखक ने देखा कि गढ़ की दीवारें और बुर्ज खंडित हो गये हैं। सारी इमारतें करीब-करीब विनष्ट हो गयी हैं। उन खंडहरों के बीच कीर्ति स्तम्भ और विजय स्तम्भ खड़े हैं। कीर्ति स्तम्भ पुराना और जर्जर है। विजय स्तम्भ बाद का है और वीरता के इतिहास का प्रतीक है। यह सात खण्डों का है। विजय स्तम्भ कला और सौन्दर्य की दृष्टि से अपूर्व है। महान् वीरता का इतिहास इस विजय स्तम्भ के साथ जुड़ा है। गढ़ में देखने योग्य कुछ भी नहीं है। पर लेखक को लगा कि यहाँ का एक-एक कण, एक-एक पत्थर वीरता की गाथा गा रहा है। लेखक भावुकता के कारण बार-बार इधर से उधर घूमता रहा।

प्रश्न 4.
अजन्ता की गुफाओं की संरचना किस प्रकार की है?
उत्तर:
अजन्ता की गुफाएँ एक अर्द्धगोलाकार पहाड़ी के मध्य भाग की चट्टानों को काटकर बनायी गयी हैं। यह अद्भुत बात है। कि एक ही शिलाखण्ड को काटकर उसके अन्दर कमरे और उनमें मूर्तियाँ बनाई गयी हैं। कमरों की दीवारों पर पलस्तर चढ़ाकर तथा सफेदी करके उस पर सुन्दर चित्र बनाये गये हैं। पलस्तर इतना मजबूत और सुन्दर है कि कई शताब्दियों के पश्चात् आज भी हम उसे ज्यों का त्यों पाते हैं।

प्रश्न 5.
बोधिसत्व पद्मपाणि का जो वर्णन लेखक ने किया है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
बोधिसत्व पद्मपाणि का चित्र आकर्षक है। कमल पुष्प लिए हुए भगवान बुद्ध का चित्र बुद्ध के महाभिनिष्क्रमण का चित्र है। सिद्धार्थ खड़े हैं और उन्होंने सिर पर मुकुट धारण कर रखा है। उनके बायें हाथ में सूत का धागा बँधा है और दाहिने हाथ में कमल-पुष्प है। उन्होंने यज्ञोपवीत धारण कर रखा है और गले में मणियों की माला है। भवों के नीचे अधखुले विशाल नेत्र हैं जिनसे अहिंसा, शान्ति और वैराग्य टपक रहा है। मुख पर गम्भीरता है। मनोहर रूप है और अंग-प्रत्यंग तथा अवयव ढले से लगते हैं। कहते हैं इससे सुन्दर आकार आज तक दुनिया में चित्रित नहीं हुआ है।

प्रश्न 6.
अजन्ता की गुफा में चित्रित राजकीय जुलूस के चित्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राजकीय जुलूस का चित्र गुफा का एक महत्त्वपूर्ण चित्र है। इसमें बहुत से आदमी सज-धजकर जाते दिखाये गये हैं। किसी के हाथ में छाता है, किसी के हाथ में श्रृंगी बाजा है। जुलूस में स्त्री-पुरुष दोनों सम्मिलित हैं। चित्र अलंकार प्रधान है। स्त्रियों के हाथ में सुन्दर कंकण हैं और गले में हार है। कान में कर्णावतंस लटक रहे हैं। स्त्रियों की कमर पतली और लचीली है। वक्षस्थल सूक्ष्म वस्त्रों से ढका हैं। मुद्राएँ कटाक्षपूर्ण हैं। कनखियों से यौवन-मद और अनुराग झलकता है।

प्रश्न 7.
“अजन्ता के चित्र संसार भर में अद्वितीय हैं।” चित्रों की विशेषता बताइये।
उत्तर:
अजन्ता की चित्रकला में स्वाभाविकता है, जीवन है, सादगी है, साम्य है, औचित्य है और सौन्दर्य-भावना है। इनमें कुरुचि और वीभत्स का लेशमात्र भी नहीं है। इन चित्रों में अंकित व्यक्तियों में चाहे वह धनाढ्य है, भूपति है, निर्धन गृहस्थ है, चाहे पुरुष या स्त्री है, उनमें जीवन के प्रति आनन्द-भावना है। उनके हृदय में जीवन के प्रति एक सुखमयी लिप्सा है। सभी कला पारखियों ने इसे स्वीकारा है। उनमें भारतीय जीवन की, उसके विराग-अनुराग, आशा-निराशा की, क्षमताओं-व्यथाओं की झलक है। भारतीय संस्कृति का चरम आदर्श भी है। इसी कारण अजन्ता के चित्र संसार में अद्वितीय हैं।

प्रश्न 8.
अजन्ता की गुफाओं के काल-निर्णय के सम्बन्ध में क्या धारणा है?
उत्तर:
अजन्ता की गुफाओं के काल-निर्णय के सम्बन्ध में बड़ी कठिनाई है। समय-समय पर विभिन्न राजाओं की संरक्षण में शायद इन्हें बनाया गया होगा ऐसा अनुमान है। कारण यह है कि इनमें कुछ चित्र प्राचीन हैं और कुछ अर्वाचीन हैं। इन गुफाओं को एक चित्र कालनिर्णय में कुछ सहायक है। यह चित्र है फारस देश के राजदूत का जो फारस के राजा की ओर से कोई भेंट करता हुआ दिखाया गया है। पर यह कहा जा सकता है कि गुप्तकाल से लेकर चालुक्य वंश के शासन काल तक इन गुफाओं का निर्माण हुआ होगा।

प्रश्न 9.
एलोरा की गुफाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
एलोरा की गुफाओं के तीन खण्ड हैं-बौद्ध गुफाएँ, हिन्दू गुफाएँ और जैन गुफाएँ । बौद्ध गुफाओं की संख्या बारह है और ऐसा अनुमान है कि यही सबसे पहले की बनी हैं। उनकी खुदाई चौथी से आठवीं शताब्दी के बीच हुई । हिन्दू गुफाओं की संख्या सत्रह है। ये बीचों बीच बनी हुई हैं और अनुमान है कि इनकी खुदाई सातवीं और आठवीं शताब्दी में हुई । अन्तिम गुफाएँ जैन गुफाएँ हैं जिनकी संख्या चार है। इनकी खुदाई हिन्दू गुफाओं के बाद ही हुई होगी।

प्रश्न 10.
तीन तल गुफा किस प्रकार की गुफा है, उसका वर्णन कीजिए। लेखक का क्या विचार है?
उत्तर:
बौद्ध गुफाओं में तीन तल गुफा बारहवीं है। यह एक तिमंजली गुफा है। यहाँ पर जो मूर्तियाँ अंकित हैं वे आकार, धार्मिक भावना की अभिव्यक्ति और सजावट की दृष्टि से अनुपम बनी हुई हैं। तीन तल गुफा मनुष्य के सतत् प्रयत्न और धैर्य का उत्कृष्ट नमूना है। कितने परिश्रम और कितनी लगन से पाषाण खण्ड काटकर यह तिमंजिली कलाकृति खड़ी की गई होगी। अकेले अर्थ व्यय से सम्भवत: यह कार्य सम्पन्न होना कठिन था। लेखक को इसके पीछे मनुष्य की कर्तव्यनिष्ठा और आस्था की झलक दिखायी दी जिसके बिना कोई महान् कार्य सम्पन्न करना सम्भव नहीं है।

प्रश्न 11.
गुफा की बुद्ध की मूर्ति के सम्बन्ध में रोचक बात क्या है?
उत्तर:
गुफा में जो बुद्ध की मूर्ति है उसके विषय में रोचक बात यह है कि स्थानीय निवासी उसे राम मानकर पूजते हैं। इस मूर्ति के नाक और ओंठ नहीं हैं। स्थानीय निवासी टूटते ही पलस्तर की दूसरी नाक चढ़ा देते हैं। लेखक को भक्ति का यह अनोखा रूप जान पड़ा। बुद्धिवादी भले ही तर्क के आधार पर इसे न मानें किन्तु लेखक को स्वल्प बुद्धि वाले किन्तु श्रद्धालु स्थानीय जन ही भगवान के अधिक निकट जान पड़े जो किसी भी रूप में सर्वशक्तिमान को ही पूजते हैं।

प्रश्न 12.
हिन्दुओं की सोलहवीं गुफा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हिन्दुओं की सोलहवीं गुफा को कैलाश या रंगमहल गुफा कहते हैं। यह शिव की गुफा है किन्तु इसमें विष्णु और अन्य पौराणिक विभूतियों के चित्र भी अंकित हैं। इसमें ध्वज स्तम्भ और हाथी की मूर्ति भी दर्शनीय हैं। भारत में पाषाण खण्ड की बनी हुई इतनी विशाल गुफा दूसरी नहीं है। यह गुफा 276 फुट लम्बी 154 फुट चौड़ी, 107 फुट ऊँची है। यह भीमकाय आकार की गुफा है। शिलाखण्ड में काटकर बनाया गया हिन्दुओं का इतना विशाल मन्दिर भारत में दूसरा नहीं है।

प्रश्न 13.
विक्टोरिया बाग में किसकी मूर्ति को लगाया गया? वह मूर्ति कहाँ से आयी?
उत्तर:
विक्टोरिया बाग बम्बई में हाथी की मूर्ति को लगाया गया। यह मूर्ति एलीफैण्टा से लाई गई। इस हाथी की मूर्ति का अपना एक इतिहास है। सन् 1814 में इस हाथी का सिर टूटकर गिर पड़ा और बाद में उसका शेष अंग भी कई भागों में कट गया। सन् 1864 में इस मूर्ति के खण्डित अंगों को विक्टोरिया बाग बम्बई लाया गया। वहाँ उन खण्डित भागों को पुनः जोड़ा गया और विक्टोरिया बाग में लगाया गया। ‘एलीफैण्टा’ का नाम ही हाथी के कारण पड़ा क्योंकि हाथी को अंग्रेजी में ‘एलीफण्ट’ कहते हैं। पुर्तगालियों ने इसी आधार पर उन गुफाओं को ‘एलीफैण्टा’ गुफा कहा।

प्रश्न 14.
एलीफैण्टा द्वीप के इतिहास को रोचक कहा जाता है। उसकी रोचकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आकार की दृष्टि से एलीफैण्टा द्वीप छोटा है, निवासियों की संख्या भी बहुत कम है पर इसका इतिहास रोचक है। मौर्य, चालुक्य और राष्ट्रकूट राजाओं का इस पर आधिपत्य था। सन् 1534 में इस पर पुर्तगालियों ने अधिकार कर लिया। सन् 1774 में अंग्रेजों ने इसे अपने शासन के अन्तर्गत ले लिया और सन् 1775 में बादशाह एडवर्ड सप्तम को, जो उस समय प्रिन्स ऑफ वेल्स थे, इस द्वीप पर दावत दी गयी थी। इस द्वीप की महत्ता का आधार इसका इतिहास नहीं बल्कि वहाँ की तक्षण कला और वहाँ की अद्भुत गुफाएँ हैं।

प्रश्न 15.
एलीफैण्टा गुफा के प्रसिद्ध मन्दिर का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
एलीफैण्टा की गुफाओं में सबसे प्रसिद्ध मन्दिर शिव का मन्दिर है। ये गुफाएँ मुख्यत: शैव हैं। यहाँ भगवान शिव को सृजनहार, पालनहार और प्रलयंकर तीनों रूपों में अंकित किया गया है। शिव के तांडव नृत्य का एक मनमोहक दृश्य है और एक शिला पर शिव को भावमग्न भी अंकित किया गया है। शिव को नटराज के रूप में अंकित करने वाले एक दृश्य में उनके उस सृजनकारी नृत्य की अभिनव छवि है जिसे ब्राह्मण कला में उच्च स्थान प्राप्त है। शिव-पार्वती विवाह, गंगावतरण, अर्धनारीश्वर शिव, मानवती पार्वती आदि के अनेक छवि दृश्य भी अंकित हैं। इन प्रतिमाओं में सबसे प्रसिद्ध शिव की प्रतिमा है।

RBSE Class 12 Hindi पीयूष प्रवाह Chapter 5 कुछ ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
हल्टीघाटी की विशिष्टता का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
हल्टीघाटी वह भूमि है जहाँ इतिहास प्रसिद्ध युद्ध हुआ था, जिसका वर्णन पढ़कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। कैसे वे रणबाँकुरे थे जिन्होंने शत्रुओं के दाँत खट्टे कर दिये और हँसते-हँसते मातृभूमि के लिए अपना बलिदान कर दिया। यहीं महाराणा साँगा, महाराणा प्रताप, वीर जयमल और उन्हीं के सदृश अगणित सरदारों तथा सैनिकों ने केवल जीतते हुए नहीं अपितु हारते हुए संग्रामों को ऐसी बहादुरी से लड़ा था ऐसे संग्राम संसार के किसी देश में कभी भी लड़े तथा सुने तक नहीं गये। केसरिया बाना पहन-पहन कर यहीं वीरों ने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए प्राणों को तुच्छ मान हँसते-हँसते बलिदान कर दिया और हुतात्मा पद को प्राप्त किया। यहाँ साध्वी वीरमाताओं, वीर भगिनियों, वीर पत्नियों, वीर पुत्रियों की संख्या कम नहीं थी बल्कि हजारों में थी। साथ ही महान् हुतात्मा सूर्यवंशी सिसोदिया क्षत्रिय नर-नारियों ने यहाँ संसार के इतिहास की अभूतपूर्व और अद्वितीय शौर्य और जीवन की अमर गाथाएँ गढ़ी थीं। ऐसी अमर भूमि है यह, जिसे देखकर उन वीरों की, उन बलिदानियों की याद ताजा हो जाती है। यह भूमि धन्य है।

प्रश्न 2.
चित्तौड़गढ़ का वर्णन करते हुए बताइये कि उसे देखकर लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
चित्तौड़गढ़ एक पहाड़ी पर स्थित है। गढ़ की दीवारें और बुर्ज खण्डित हो गये हैं। लगभग सभी इमारतें विनष्ट हो गयी हैं। उन खण्डहरों के बीच केवल दो स्तम्भ, कीर्ति स्तम्भ, और विजय स्तम्भ खड़े हैं। कीर्ति स्तम्भ पुराना और जर्जर है। विजय स्तम्भ उसके बाद का है और वीरता के इतिहास का सच्चा प्रतीक है। विजय स्तम्भ सात खण्डों का है। विजय स्तम्भ कला और सौन्दर्य की दृष्टि से भी अपूर्व है। महान वीरता का इतिहास विजय स्तम्भ से जुड़ा है। इस गढ़ में अब देखने को कुछ नहीं बचा है।

जैसे-जैसे लेखक गढ़ के पास पहुँच रहा था, उसकी गढ़ देखने की उत्सुकता बढ़ रही थी। विजय स्तम्भ को देखकर लेखक को हर्ष हुआ। लेखक को अनुभव हुआ मानो गढ़ की धूलि का एक-एक कण एक-एक पत्थर विभिन्न ध्वनियों में, विभिन्न रागों में वीर गाथाएँ गा रहे हों। गढ़ को देखकर लेखक रोमांचित हो गया। इन पत्थरों पर लेखक को उस काल की पढ़ी और सुनी हुई एक-एक घटना नृत्य करती-सी जान पड़ी। लेखक संध्या तक वहीं घूमता रहा और एक-एक कला को बार-बार देख रहा था। वह भावुक हो गया था। उसे वीरों का पुराना इतिहास याद आ रहा था। लेखक उन्हें देखकर अपना आपा खो चुका था। वहाँ से चलने से पूर्व लेखक ने वहाँ की मिट्टी को बार-बार मस्तक से लगाया और उस भूमि को बार-बार साष्टांग दण्डवत प्रणाम किया। प्रार्थना की कि विजय स्तम्भ में जो शौर्य, त्याग, जो कष्ट सहिष्णुता भरी है उसका अंशमात्र मुझमें भी आ जाये।

प्रश्न 3.
अजन्ता की गुफाओं का संक्षिप्त वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
अजन्ता की गुफाएँ सुन्दर और हरे-भरे पर्वत प्रदेश में हैं। इन गुफाओं की संख्या 29 है, जिनमें चार चैत्य ढंग की, शेष विहार ढंग की हैं। इनके निर्माण का निश्चित समये ज्ञात नहीं पर यह निश्चित है कि ये एक साथ नहीं बनायी गयी हैं। पुरातत्ववेत्ता यह मानते हैं कि ये ईसा से सौ वर्ष पूर्व से सात सौ वर्ष बाद तक बनती रहीं।

ये गुफाएँ एक अर्द्धगोलाकार पहाड़ी के मध्यभाग की चट्टानों को काटकर बनायी गयी हैं। आश्चर्य की बात यह है कि एक ही शिलाखण्ड को काटकर उसके अन्दर कमरे और उनमें मूर्तियाँ बनायी गई हैं। दीवारों पर पलस्तर और सफेदी करके चित्र बनाये गए हैं। बुद्ध के महाभिनिष्क्रमण का चित्र है। सिद्धार्थ खड़े हैं और सिर पर मुकुट है। बायें हाथ में सूत का धागा बँधा है, दाहिने हाथ में कमल का पुष्प है। यज्ञोपवीत और मणिमाला धारण कर रखी है। नेत्र अधखुले हैं जिनसे अहिंसा, शान्ति और वैराग्य टपक रहा है। मुख पर गम्भीरता और अलौकिक ज्योति है। अंग-प्रत्यंग मानो साँचे में ढले हैं। ऐसा माना जाता है कि इतना सुन्दर आकार आज तक दुनिया में चित्रित नहीं हुआ।

गुफा का दूसरा महत्त्वपूर्ण चित्र राजकीय जुलूस का है। जुलूस में स्त्री-पुरुष दोनों हैं। पुरुष सज-धज कर जाते दिखाई पड़ते हैं। स्त्रियाँ हाथ में कंकण और गले में हार पहने हैं। कानों में कर्णवतंस है। अजन्ता की चित्रकला में स्वाभाविकता, जीवन, सादगी, साम्य, एवं सौन्दर्य-भावना है। सभी चित्रों में जीवन के प्रति आनन्द-भावना है, जीवन के प्रति सुखमयी लिप्सा है। भारतीय संस्कृति का आदर्श परिलक्षित होता है। इनके काल-निर्णय की कठिनाई है। समय-समय पर विभिन्न राजाओं ने इन्हें बनवाया होगा। कुछ चित्र प्राचीन और कुछ अर्वाचीन हैं। सम्भव है गुप्तकाल से लेकर चालुक्य वंश के शासन काल तक इन गुफाओं का निर्माण हुआ होगा।

प्रश्न 4.
‘एलोरा की गुफाएँ मनुष्य के सतत् प्रयत्न और धैर्य का नमूना हैं।’ इस कथन को ध्यान में रखकर एलोरा की गुफाओं और मूर्तियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
एलोरा की गुफाओं का निर्माण आसान नहीं था। ये गुफाएँ शिलाखण्ड को काटकर बनाई गई हैं। बल्कि एक छोटे-मोटे पठार को काटकर बनाई गई हैं। ये गुफाएँ सवा मील तक चली गई हैं। इन्हें बनाने में बहुत प्रयत्न करना पड़ा होगा और अत्यंत धैर्य रखना पड़ा होगा क्योंकि यह अल्प समय में नहीं बनी होंगी। पठार को काटने और उसे तराशने में बहुत समय लगा होगा।

यह गुफा अल्प शृंखला तीन मुख्य अंग में बँटी है-बौद्ध गुफाएँ, हिन्दू गुफाएँ और जैन गुफाएँ। बौद्ध गुफाएँ बारह हैं और शायद सबसे पहले बनी हैं। इनकी खुदाई चौथी से आठवीं शताब्दी के बीच हुई । हिन्दू गुफाएँ सत्रह हैं और बीच में हैं। इनकी खुदाई सातवीं और आठवीं शताब्दी में हुई होगी। जैन गुफाएँ चार हैं। इनकी खुदाई हिन्दू गुफाओं के बाद हुई होगी। बौद्ध गुफाएँ सादी हैं। इनमें विश्वकर्मा गुफा उल्लेखनीय है। एक गुफा तीन तल गुफा के नाम से प्रसिद्ध है जो तीन मंजिल की है। यहाँ जो मूर्तियाँ हैं वे आकार, ४ रार्मिक भावना और सजावट की दृष्टि से अनुपम हैं। तीन तल गुफा मनुष्य के सतत प्रयत्न और धैर्य का नमूना है। बड़े प्रयत्न से यह तीन मंजिली कलाकृति खड़ी की गई होगी। केवल अर्थ व्यय से ही यह कार्य सम्पन्न होना असम्भव था। इसके पीछे कर्तव्यनिष्ठा और आस्था दिखाई पड़ती है। इस गुफा में बुद्ध की मूर्ति है जिसे स्थानीय लोग राम मानकर पूजते हैं। इस मूर्ति की नाक और होंठ नहीं हैं। एक नाक टूटते ही स्थानीय निवासी पलस्तर कर दूसरी नाक लगा देते हैं।

विश्वकर्मा गुफा का भीतरी भाग सँकरा होता गया है। यहाँ बुद्ध की ग्यारह फुट ऊँची विशाल प्रतिमा है। हिन्दू गुफाओं में एक गुफा कैलाश अथवा रंगमहल गुफा है, यह शिव की गुफा है, पर इसमें विष्णु और अन्य पौराणिक विभूतियों के चित्र भी हैं। इसमें ध्वज स्तम्भ और हाथी की मूर्ति भी दर्शनीय हैं। भारत में पाषाण खण्ड की बनी हुई इतनी विशाल गुफा दूसरी नहीं है। शिलाखण्ड को काटकर बनाया गया हिन्दुओं का इतना विशाल मन्दिर भारत में दूसरा नहीं है। एक रामेश्वर गुफा और है जो कला और पच्चीकारी की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं। गुफाओं को बनाने की इस जटिलता को देखकर ही कह सकते हैं कि ये सतत प्रयत्न और धैर्य को नमूना हैं जो कर्तव्यनिष्ठा के कारण ही पूर्ण हुई हैं।

प्रश्न 5.
एलीफैण्टा गुफाओं का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
एलीफैण्टा में एक हाथी की मूर्ति थी। हाथी को अंग्रेजी में एलीफैण्ट कहते हैं। इसी कारण पुर्तगालियों ने इन गुफाओं को एलीफैण्टा गुफाएँ कहा। हाथी का एक इतिहास है। सन 1814 में हाथी का सिर टूट कर गिर गया। बाद में उसका शेष अंग भी कई भागों में टूट गया। सन् 1864 में इस मूर्ति के टुकड़ों को विक्टोरिया बाग बम्बई में लाया गया। वहीं उन्हें पुन: जोड़ा गया।

ये गुफाएँ एपालो बन्दर से कोई सात मील पश्चिमोत्तर में एक द्वीप पर स्थित हैं, जिसे स्थानीय निवासी और मल्लाह घरपुरी कहते हैं। इसमें दो पहाड़ियाँ हैं उनके बीच एक घाटी है। द्वीप पर जनसंख्या कम है। इस द्वीप का इतिहास रोचक है। मौर्य, चालुक्य और राष्ट्रकूट राजाओं का इस पर आधिपत्य था। सन् 1534 में पुर्तगालियों ने इस पर अधिकार कर लिया। सन् 1774 में अंग्रेजों ने इसे अपने शासन के अन्तर्गत कर लिया।

इस द्वीप की महत्ता तक्षणकला और अद्भुत गुफाओं के कारण है। इन गुफाओं का काल निर्णय करना असम्भव है। ये गुफाएँ मुख्यत: शैव हैं। इनमें सबसे प्रसिद्ध शिव का मन्दिर है जो एक गुफा में खोदा गया है। शिव को सृजनहार, पालनहार और प्रलयंकर रूप में अंकित किया गया है। तांडव नृत्य का मनमोहक दृश्य है। एक शिला पर शिव को भावमग्न दिखाया गया है। उनका नटराज रूप भी अंकित है जिसे ब्राह्मण कला में उच्च स्थान प्राप्त है। शिव-पार्वती विवाह, गंगावतरण, अर्धनारीश्वर शिव, मानवती पार्वती आदि के छवि दृश्य अंकित हैं। इन सभी में शिव की प्रतिमा सबसे प्रसिद्ध है।

कुछ ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण (यात्रावृत्त) लेखक परिचय

सेठ गोविन्द दास (1896 ई.-1974 ई.) भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा हिन्दी के साहित्यकार थे। उन्हें शिक्षा व साहित्य के क्षेत्र में योगदान के लिए सन् 1961 में ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया गया। ये हिन्दी साहित्य सम्मेलन के सभापति भी रहे। इन्होंने राजभाषा के रूप में हिन्दी का प्रबल समर्थन किया। ये भारतीय संस्कृति के अनन्य साधक, कला-मर्मज्ञ, आदर्श राजनीतिज्ञ, प्रसिद्ध नाट्यकार एवं एकांकीकार थे।

इनकी प्रसिद्ध रचनाएँ निम्नलिखित हैंनाटक-प्रकाश, कर्त्तव्य एवं नवरस। एकांकी-सप्तरश्मि, एकादशी, पंचभूत तथा चतुष्पथ। उपन्यास-चंपावती, कृष्णलता, सोमलता आदि।

कुछ ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण (यात्रावृत्त) पाठ सारांश

लेखक चित्तौड़गढ़ के स्टेशन के पास छोटी-सी धर्मशाला में ठहरे। सभी ताँगे पर गढ़ की ओर चले। चित्तौड़गढ़ के लिए जाते समय लेखक उल्लसित हो गया। लेखक ने टॉड का ‘राजस्थान का इतिहास’ और ‘राजपूत जीवन संध्या’ तथा ‘वीर जयमल’ पुस्तकें पढ़ी थीं। इनमें लेखक ने उन वीरों का वर्णन पढ़ा जिन्होंने संग्रामों को हारते हुए भी बहादुरी से लड़ा। यहाँ वीरों ने केसरिया बाना पहनकर हँसते-हँसते अपना बलिदान किया था। यहीं माताओं, बहनों, पत्नियों और पुत्रियों ने अपना बलिदान किया था। यहीं भामाशाह के सदृश त्यागी वैश्य पैदा हुए।

वहाँ की वस्तुओं को देखने के लिए लेखक की आतुरता बढ़ रही थी। लेखक ने देखा गढ़ की दीवारें और बुर्ज खंडित हो गए हैं। उन खण्डहरों के बीच में कीर्तिस्तम्भ और विजय स्तम्भ खड़े हैं। कीर्ति स्तम्भ पुराना है, जर्जर हो चुका है। विजय स्तम्भ बाद का है और वीरता का प्रतीक है। यह सात खण्डों का है। कला और सौन्दर्य की दृष्टि से यह अपूर्व है। लेखक को लगा मानो ये वहाँ की वीर गाथाएँ सुना रहे हों। लेखक संध्या तक वहीं घूमता रहा। लेखक जब वहाँ से चला तब उसने वहाँ की मिट्टी को माथे से लगाया। वह स्थल भी देखा जहाँ वीर जयमल को गोली लगी थी।

चित्तौढ़ से लेखक उज्जैन आये। यह सप्त मोक्ष दायिका पुरियों में एक पुरी अवन्तिका है। महाकालेश्वर के एक नवीन मन्दिर के सिवा यहाँ उन्हें क्षिप्रा के अतिरिक्त विक्रमादित्य या भोज के काल की कोई वस्तु नहीं मिली। लेखक का उद्देश्य तीर्थाटन नहीं था बल्कि ऐतिहासिक वस्तुओं को देखना था। क्षिप्रा के जल का आचमन और महाकालेश्वर के दर्शन के बाद सभी जलगाँव गये।

जलगाँव में अजन्ता और एलोरा की गुफाएँ देखनी थीं। जलगाँव से लेखक अजन्ता गये। अजन्ता की गुफाएँ सुन्दर और हरे-भरे पर्वतीय प्रदेश में हैं। इनकी संख्या 29 है। इनमें 4 चैत्य ढंग की शेष विहार ढंग की हैं। इनके बनने का निश्चित समय ज्ञात नहीं है। पुरातत्व वेत्ताओं के अनुसार ये ईसा के सौ वर्ष पूर्व से सात सौ वर्ष बाद तक बनती रहीं। अद्भुत चित्रकारी के लिए ये प्रसिद्ध हैं। ये गुफाएँ अर्दगोलाकार पहाड़ी के मध्य भाग की चट्टानों को काटकर बनायी गई हैं। एक शिलाखण्ड को काटकर उसके अन्दर कमरे और उनमें मूर्तियाँ बनाई गई हैं। दीवारों पर पलस्तर और सफेदी करके सुन्दर चित्र बनाये गये हैं।

कमल हाथ मे लिये हुए बुद्ध का चित्र है। यह बुद्ध के महाभिनिष्क्रमण का चित्र है। सिद्धार्थ सिर पर मुकुट धारण किये हुए हैं। बायें हाथ में सूत का धागा और दाहिने हाथ में कमल पुष्प है। शरीर पर यज्ञोपवीत और गले में मणिमाला है। अधखुले विशाल नेत्रों से अहिंसा, शान्ति, वैराग्य झलकता है। मुख गम्भीर है। इनमें अद्वितीय सौन्दर्य है। गुफा में एक चित्र राजकीय जुलूस का है। जुलूस में स्त्री-पुरुष दोनों हैं। स्त्रियों के शारीरिक सौन्दर्य का वर्णन है। चित्रकला में स्वाभाविकता है। कुरुचि और वीभत्सता नहीं है। इन चित्रों में जीवन के प्रति आनन्द-भावना है, यह इन चित्रों की विशेषता है। इन गुफाओं में दो अगम्य हैं। कुछ चित्र प्राचीन और कुछ अर्वाचीन हैं। गुप्तकाल से लेकर चालुक्य वंश के शासन-काल तक इन गुफाओं का निर्माण हुआ होगा।

ऐलोरा की गुफाएँ भी शिलाखंड को काटकर बनायी गई हैं। गुफाएँ सवा मीटर लम्बी हैं। इस गुफा के तीन भाग हैं-बौद्ध गुफाएँ, हिन्दू गुफाएँ और जैन गुफाएँ। बौद्ध गुफाएँ बारह हैं, अनुमान है कि वे ही सब से प्राचीन हैं। हिन्दू गुफाएँ सत्रह हैं। अनुमान है कि इनकी खुदाई सातवीं-आठवीं शताब्दी में हुई। जैन गुफाएँ चार हैं, जिनकी खुदाई हिन्दू गुफाओं के बाद हुई होगी। बौद्ध गुफाएँ सादी हैं। विश्वकर्मा गुफा उल्लेखनीय है। बारहवीं गुफा तीन तलगुफा है जो तीन मंजिली है। यहाँ की मूर्तियाँ आकार, धार्मिक भावना और सजावट की दृष्टि से अद्वितीय हैं। विश्वकर्मा गुफा का भीतरी भाग संकरा होता गया है। तीन तल गुफा मनुष्य के सतत् प्रयत्न और धैर्य का उत्कृष्ट उदाहरण है। इस गुफा की बुद्ध मूर्ति को स्थानीय निवासी राम मानकर पूजते हैं। इस मूर्ति के नाक, ओंठ आदि नहीं हैं। हिन्दू गुफाओं में सोलहवीं गुफा को कैलाश गुफा या रंगमहल गुफा कहते हैं, जिसमें विष्णु और अन्य विभूतियों के चित्र हैं। इसके बराबर दूसरी विशाल गुफा नहीं है। हिन्दुओं का इतना विशाल मन्दिर दूसरा नहीं है। इक्कीसवीं गुफा रामेश्वर गुफा है। उन्तीसवीं सीता गुफा है।

एलीफैण्टा गुफाओं में हाथी की एक मूर्ति का जिक्र होता है। 1814 में इस हाथी का सिर टूट कर गिर पड़ा। बाद में शेष अंग भी कट गये। 1864 में इन खण्डित अंगों को विक्टोरिया बाग बम्बई ले जाया गया जहाँ इन अंगों को जोड़ा गया। हाथी को अंग्रेजी में एलीफैण्ट कहते हैं। पुर्तगालियों ने इसी कारण इस गुफा का एलीफैण्टा नाम रखा। ये गुफाएँ एपालो बन्दर से सात मील पश्चिमोत्तर में एक द्वीप में स्थित हैं। इसमें दो पहाड़ियाँ हैं जिनके बीच एक मनोरम घाटी है। इसका इतिहास रोचक है। इस द्वीप की महत्ता का कारण तक्षण कला और अद्भुत गुफाएँ हैं। ये गुफाएँ मुख्यतः शैव हैं। इनमें सबसे प्रसिद्ध शिव का मन्दिर है जो एक गुफा में खोदा गया है। यहाँ शिव को सृजनहार, पालनहार और प्रलयंकर तीनों रूपों में अंकित किया गया है। शिव के तांडव नृत्य का मनमोहक दृश्य है। उनका भावमग्न रूप भी अंकित है। नटराज के रूप में अंकित दृश्य में उनके सृजनकारी नृत्य की अभिनव छवि भी अंकित है। शिव के कई और छवि-दृश्य अंकित हैं।

शब्दार्थ-
(पृष्ठ 37-38) उद्वेग = आकुलता। उल्लसित = प्रसन्न। रोमांचकारी = भय से रोएँ खड़े होने की स्थिति। सदृश = समान। अभूतपूर्व = जो पहले न हुआ हो, अपूर्व, विलक्षण। अद्वितीय = जिसके समान दूसरा न हो, आतुरता = व्यग्रता। जमींदोज = · विनष्ट। अपूर्व = अनुपम। साष्टांग = आठों अंगों से, सहिष्णुता = सहनशीलता। पुरी = नगरी।

(पृष्ठ 39) पार्वत्य = पर्वत। पुरातत्ववेत्ता = पुरातत्व विद्या को जानने वाला। महाभिनिष्क्रमण = गृहत्याग। यज्ञोपवीत = जनेऊ, आलोकित = प्रकाशित। अवयव = अंग। कर्णावतंस = कान के आभूषण। वीभत्स = घृणित।।

(पृष्ठ 40) परिलक्षित = दिखाई देना। अर्वाचीन = नवीन। मनोहर = मन को हरने वाला, सुन्दर, तृप्त = सन्तुष्ट, सम्भवतः = शायद, अद्वितीय = विलक्षण, अलंकार-प्रधान = सुन्दर, कलात्मक, उल्लेखनीय = वर्णनीय। अभिव्यक्ति = स्पष्टीकरण, साक्षात्कार, प्रत्यक्ष, आसीन = विराजमान, = उत्कृष्ट = सर्वश्रेष्ठ, पाषाण = पत्थर, अर्थ-व्यय = धन का खर्च, आस्था = श्रद्धा, बुद्धिवादी = बुद्धिवाले, तर्कशील, स्वल्प बुद्धि = अल्पबुद्धि, अल्पज्ञान, तक्षण कला = मूर्तिकला, अपूर्ण = अधूरी, कृतियों = कार्यों, प्रतीक = चिह्न, निशान, रूप, आकृति, जोखिम = भारी अनिष्ट या विनाश की आशंका, तीर्थाटन = धार्मिक स्थल का भ्रमण। खण्डित = टूटे हुए, टुकड़े-टुकड़े, मनोरम = सुन्दर, आधिपत्य = अधिकार, अद्भुत = अनूठी, सृजनहार = रचना करने वाला, मनमोहक = मन को अच्छा लगने वाला, मनोयोगपूर्वक = ध्यान लगाकर, ध्यान से, अधिकांश = अधिक।

(पृष्ठ 41-42) सम्पन्न = पूर्ण।

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